News और information बाठने के हर platform पर complete censorship हास्सिल करने की चेष्टा चल रही है। एक digital तानाशाही जहां सवाल पूछना possible ही ना हो। और यहां हम जैसे बुद्धू हैं। देशबक का तो tag line है question everything, हक से सवाल पूछो, किस से पूछो। चलो वाई एरिटर समय आ गया है। लैप्टॉप उठा के अब चलते हैं। अब यही फकीरी के दिन हमारे आ गये। इसके बावजूद की पिछले पांच सालों में हमने एक भी रूल नहीं तोड़ा ऐसा कोई एक टैक्स नहीं होगा जो हमने नहीं दिया ये होगा जब तीन नए काले कानून लागू किये जाएंगे कृशी वाले काले कानून नहीं ये डिजिटल वाले काले कानून है साथ सो से जादा जाने गई किसानों की लेकिन उन्होंने तो ये कृषी के तीन काले कानून वापस करवा लिये फार्ग लॉस वापस करवा लिये लेकिन ये डिजिटल काले कानून रोकने के लिए अन्फॉर्चुनेटली कोई है नहीं लेकिन चेष्टा यह है कि कम से कम आपको पता चले क्या हो रहा है क ये तीन काले कानून हैं ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज रेगुलेशन बिल, टेली कॉम्यूनिकेशन्स आक्ट और डिजिटल परस्णल डेटा प्रोटेक्शन आक्ट। देशभक पर हमें हमेशा से ही पता था कि हमारे दिन तो गिंती के हैं जैसे कि राजेश करना जी कह गए हैं हम सब तो रंगमंच की कट पुतलियां हैं जिसकी डोर सुप्रीम लीडर के पास है कब कौन उड़ जाएगा ये तो सिर्फ सुप्रीम लीडर को ही पता है और सुप्रीम लीडर को सवाल पूछने वाली मीडिया तो खासकर ना पसंद है आम चूसने वाले सवाल को छोड़ कर मगर शायद हमें भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आयोमेट्रिक डेटा से आपको ढून लिया जाएगा और आपके वाटसएप चैट्स तक ओपन कर दिये जाएगे आपकी इंटरनेट सर्च हिस्ट्री भी सरकार पता रखेगी। एडिटर तो उसी से ज़ाधा परिशान है ना बेटा। इंटरनेट सर्च हिस्ट्री। अमरित काल का तो पता नहीं लेकिन एक डिजिटल तानाशाही का युग अब हम उसमें प्रवेश कर रहे हैं। जहां सुप्रीम लीडर का पहरा हर जगे होगा और आपकी और हमारी वॉल्यूम होगी। जीरो पर कैसे जानते हैं चुड़बात करते हैं ब्रॉडकास्ट बिल के साथ आयंबी मिनिस्ट्री ने टेंथ नोवेंबर ट्वेंटी ट्री को यह बिल रिलीज किया मिनिस्ट्री चाहती है कि ब्रॉडकास्ट बिल नाइनटी नाइनटी फाइव के जो केवल आट है वह इसे रिप्लेस करें अब नई टे पर सोच वो ही पुरानी वाली है कि सरकार हर चीज को कंट्रोल कर सके आग नागरेक अपने टीवी स्क्रीन पर या अपने मोबाइल फोन पर क्या देखे वो सरकार तै करें। डेमोक्रिसी में इंफर्मेशन एक सूपर पावर होती है और सारी की सारी ये जो फोटो शूट्स हैं ये जो ट्रिप्स हैं ये धरी की धरी रह जाएंगी आईटी सेल कुछ नहीं कर पाएगा अगर लोगों के पास सही इंफर्मेशन पहुँच गई। अगर आपको टीवी पर कुछ दिखाना है तो आपको इन रूल्स का पालन करना पड़ेगा। रूल्स के मुताबिक अगर आपने गुड टेस्ट या डीसेंसी को अफेंड कर दिया या फ्रेंडली नॉइशन्स को क्रिटिसाइस कर दिया या हाफ ट्रूथ्स या किसी उपसीन ये कोई random सरकारी अफसर decide करता है यानि सरकार को जो inconvenient लगे उसे वो half truth बोल दे उसे वो obscene बोल दे आज digital channels, YouTube इतनी popular इसलिए है क्योंकि लोग उसपर खुल के बोल सकते हैं लौ के दारे में ही बोलना पड़ता है तब भी लेकिन बिना किसी एक्सेसिव कंट्रोल, बिना किसी लाइसेंस राज, बिना किसी बाबू से परमिशन लिये लेकिन ये तो प्रॉब्लम है ना सरकार के लिए और इसी लिए नया ब्रोडकास्ट बिल जिसके क्लॉस 19-1 के तहट ये प्रोग्राम कोड OTT प्लैटफॉर्म्स के लिए भी लाया जा रहा ह जिसके तहट डिजिटल मीडिया पर भी ये लागू होगा। और OTT प्लैटफॉर्म के लिए इन बिल्स में एक रेजिस्ट्रेशन प्रोसेस भी मैंडिटरी कर दिया गया है। वो ही पुराना वाला। लाइसेंस राज की प्रथा। कॉंटेंट बनाने के लिए भी बाबू से रूल तोड़ा तो लाइसिंस रद्ध, धन्दा बंद। इस डर से सारी प्लैटफॉर्म खुद से ही सेंसुशिप करने लगे हैं। आज भी यह होना शुरू हो गया है, अब रफतार और तेज हो जाएगी। सबसे अच्छा सेंसुशिप क्या होता है? सेल्फ सेंसुशिप, जहां सरकार को बिस थोड़ा सा डराना है, बाकी आप खुद ही करने लगते हो और फिर अल्� आपकी सोच भी ना वैसी बन जाती है। मन में भी कोई ख्याल आएगा ना आप बोलो कि चुप चुप ऐसी बाते मत सोचो। कटिंग एज शोज एक्सपेरिमेंटल कॉंटेंट भूल जाओ अनुपमखेर परेश रावल और कंगना का ही राज होगा सुनने में तो ये भी आ रहा है कि एज पनिश्मेंट आपको कंगना की पिछले दस फ्ल अच्छा अच्छा अच्छा दिदी घुसा मतो वो तो मैं बजाक कर रहा था तो हो तो कुछ भी सकता है लेकिन अगर आपके कोई सपने में भी हाड हिटिंग डॉक्यूमेंटरी बनाने का ख्याल हुआ हो या अब देखने का ख्याल हो तो वो सपना छोड़ दीजे क्योंकि आ यह हमारी डिसेंसी लेवल तो है नहीं हमारा क्या होगा शायद देशभक्त को भी सवाल पूछने की यह जो पुरानी गंधी आदत लगी हुई है उसे भी छोड़ना पड़ेगा क्योंकि clause 21 के हिसाब से कोई भी व्यक्ति जो news current affairs प्रोग्राम ब्राउटकास्ट करता हो चाहे वो online हो website हो social media intermediary यानि youtube twitter के माध्यम से भी जो ब्राउटकास्ट करता हो उसको भी यह प्रोग्राम code फॉलो करना पड़ेगा चलो यह एडिटर हो गया टाइम अब इसमें शर्म की कोई बात नहीं है अब पहले पेट्रियान पर मांगते थे अब सड़क पर माँगेंगे दे दे द यानि independent media ने अगर कोई सवाल पूछ लिया तो सरकार को जो अगर पसंद नहीं आया तो सरकार हमारी वीडियो ब्लॉक कर सकती है, by the way, legally बोल दू, यहाँ कुछ illegal काम नहीं हो रहा है, यह सब legally होगा, और भारी fine भी लगा सकती है, jail भी हो सकती है, और jail नहीं भी हो, fine और case में deal क और क्या बता कोट इंडिपेंडिंट मीडिया के हक में फैसला करे या ना करे, यहां तो सुप्रीम कोट लोगों को सालों से बेल नहीं दे पारी है, हमारी क्या उकाद है, शायद इसी लिए डाला गया है क्लॉस 31, जिसके तहट किसी भी आउथराई सरकारी अफसर को अगर ल� क्या बताएं एडिटर का मोबाइल फोन, एक तो अच्छा सा लैप्टॉप लिया था EMI पर, उसको भी देना पड़ेगा, और अगर वो ले गए तो EMI तब भी भरना पड़ेगा, जबकि लैप्टॉप नहीं है, सरकार का मकसद सिंपल है, सवाल पूछने वाली इंडिपेंट कि वो बिना कोट के ओर्डर एक्विप्मेंट जब्द कर ले आप पर केस कर दे अब हम कोई बड़े पूझेपती तो है नहीं कि बार-बार एक्विप्मेंट खरीदेंगे और ना हम चैनल खरीद सकते हैं और न ऐसा नहीं है कि regulation नहीं बात है independent media को इसकी खूब आदत पढ़नी शुरू हो चुकी है सरकार की कोशिश और ज़ादा regulation और ज़ादा punishment और ज़ादा आपको paperwork में फसाना है हाली में caravan ने एक detailed report निकाली कि जम्बू के पूंच और रजोरी district के बारे में इस इलाके में वहाँ एलेजिटली इंडियन आर्मी ने एक ब्रूटल तरीके से एक इनिसेंट सिविलियन को टॉर्चर किया। और कुछ इंस्टेंसेज में तब तक टॉर्चर किया जब तक वो सिविलियन की मौत नहीं हो गई। टॉर्चर का एक याद रखें एक डिमोक्रिसी में कोई भी इंस्ट्यूशन सवाल से उपर नहीं होता है इसलिए आर्मी में भी कोट अफ इंक्वाइरी होती है। इस केस में आर्मी ने कोट अफ इंक्वाइरी बिठाई जो अफसर इंवार्ड था उसको ट्रांसवर भी किया। रक्षा मंत्र शायद ऐसा ही complete information control बाखी हिंदुस्तान के उपर भी अब आने वाला है। कुछ हफ्तों पहले जब पत्ना में railway aspirants ने job vacancies को लेकर एक बड़ा protest किया तो सरकार ने यूट्यूब से कहा कि protest की सारी के सारी videos हटा दी जाएं और इस protest को viral ना होने दिया जाएं विडियोस को हटा द किसी भी मेसिज को या किसी भी टॉपिक को जी आपने सही सुना किसी भी टॉपिक के बारे में चल रहे हैं मेसिजेस को सस्पेंट कर सकती है यानि ट्विटर से, यूट्यूब से, इंस्टाग्राम से सरकार अगर चाहे तो बोले मनिपूर के बारे में कल आप जैसे नागरिक को एडुकेशन या हेल्थ केर के ग्राउंड्स पे रियालिटी अगर जान नहीं हो तो शायद आप जान ही ना पाएं। और अगर आप के साथ कुछ अन्याय हुआ आप सड़क पर उतरे गलती से। आप पर लाठी चली या पेलेट गन चली। किसी को प कि ट्विटर भी उठकर बोला भाई ये तो ये हमारे लिए भी शॉकिंग है है थोड़े बहुत करते थे उन्हें ओफिशियली एक रिपोर्ट निकाला कि हम इस बात से सहमत नहीं है आपने बोला है सस्पेंट करो तो हमें करना पड़ा है आप फिर भी रिलाक्स नहीं कर सकते हैं क्योंकि ये डिजिटल तानाशाही है कोई नहीं बचेगा आपका नंबर आएगा किसी का पहले किसी का बाद में ब्रॉडकास्ट बिल के तहट प्रोग्राम कोड सिर्फ इंडिपेंडेंट मीडिया ओर गाइजेशन के नहीं बट इट विल अपलाई टू एनी परसेंट जो सोशल मीडिया इंटरमीजिटरी या कोई भी प्लैटफॉर् अगर मैंने कहा ना complicated और simple करता हूँ, यानि अगर आप Instagram reel पर एक सवाल पूछते हो और reel viral हो जाता है तो आप पर भी violation का charge लग सकता है, पुलिस आपका घर भी पहुँच सकती है, laptop, मेरा नहीं, आपका भी जा सकता है सरकार चाहती है कि आप सवाल पूछने से ही परहेस करें न, citizen journalist बनने की क्या जरूरत है, आवास उठाने क्या जरूरत है, लेकिन घबर ने तो कहा था कि जो डर गया वो मर गया, और शायद सरकार यही चाहती है, एक डरी, एक मरी हुई जनता जो बस बक्षी नहीं है आपको बात कर दिया है आपको कुछ कहते हैं आपको भी खतरा हो सकता है। किसी गाड़ी का रिव्यू कर रहे हैं पेट्रोल के दाम के बारे में आपने बात कर दी। आपको भी खतरा हो सकता है। अभी हाली में दिल्ली हाई कोर्ट ने अर्विंद केजरिवाल के एक डेफिमेशन केस में ये कहा कि री ट्वीटिंग भी क्रिमिनल डेफिमेशन के दारे में आता है। खासकर कि जब आपकी रीच ज़ादा है। क्योंकि री ट्वीटिंग लोग इंडोर्समेंट समझते हैं� चलो भाई एडिटर कल से ट्विटर भी छोड़ साब छोड़ो त्याग दो साब पहाड़ में चलते हैं अब कोर्ट्स के वाइलेशन के लिए एक लंबा और कॉम्प्लिकेटेड प्रोसीजर है इतना ध्यान में रखिये कि रेगुलेटरी बॉडी से कम्प्लेंट कोई फैंडम ऑनलाइन ट्रोल जाकर कह सकता है कि भाई मेरी डिसेंसी ओफेंड हो गई या इसलिए देश के खिलाफ कुछ बोल दिया है फिर आपको इस कंप्लेंट को सीरियसली लेना होगा और ब्यूरोक्राटिक प्रोसीडिंग फसना होगा हमारा काम अब जाएगा अरे कांटेंट बनाना छोड़ो ट्रोल्स पर प्रेम कहानी लिखो उन्हें समझाओ नहीं हमारा कहने का यह मतलब जो ये complaints देखेगी हम लोग जैसे creators के खिलाफ broadcast advisory council उसका गठन union सरकार करेगी यानि जो BJP सरकार है वो करेगी जिस तरीके से आपकी freedom of speech और right to information को खतरा है उसी तरीके से आपकी privacy को भी खतरा है टेलिकॉम एक्ट के क्लॉस थ्री सेवन और क्लॉस 29 के मताबग हर यूजर को अपने टेलिकॉम सर्विस प्रोवाइडर को वेरिफायबल बायोमेट्रिक बेस्ट इनफर्मेशन देनी पड़ेगी और कोई भी फॉल्स इनफर्मेशन या फॉल्स आइडेंटिटी नही ने आपके और हमारे कार पर्चेस के डेटा आपने गाड़ी कब खरीदी कौन सी खरीदी किस कलर की खरीदी ये सारा प्राइवेट इंशॉरेंस प्लेयर को बेच दिया करोरों रुपए में इसका इंप्लिकेशन यह है कि कोई भी विसल ब्लोवर कोई सरकारी करप्शन स्कैम तो एक मताबिक Union या State Government के पास ये पावर भी है कि कोई भी Public Safety या किसी भी Message को Intercept कर सकती है Public Safety के नाम पर और सरकारी अफसर को ये Message Intelligible Format में पढ़ने का हख है अगर Message Encrypted है तो Platform को Decrypt करके देना होगा अब आप सोचते हैं कि आपका WhatsApp encrypted है तो ये भी सुन लीजिए Clause 19F के मताबिक Central Government notify करेगी कि encryption standards क्या होने चाहिए यानि आपके personal messages पर ताला किस प्रकार का होगा, चाबी किस shape का होगा ये Supreme Leader तयार करेंगे अभी तक तो सरकार ने कोई इंक्रिप्शन नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है पर अभी तो लॉब ने सिर्फ दो ही महीने हुए हैं अगर 2024 का चुनाव हो जाता है आएंगे वो ही हो जाता है तो शायद ये मास्टर स्टोक बहुत जल्द खेला जाएगा सरकार को अगर कोई इंटरसेप्टेड वाटसाप मेसेज इंटेलिजिबल बनाना है तो एंड टू एंड इंक्रिप्शन खतम करना पड़ेगा इसका नतीजा सिर्फ सरकारी सर्वेलिंस नहीं है कोई भी हैकर कोई भी आईटी सेल वाला बंदा बच्चों के मेसेजेज हैक कर सकता है, लीक कर सकता है, ब्लैकमेल कर सकता है, रिवेंच कर सकता है, तो अगर आप एंट वेंड इंक्रिप्शन हटाते हो, तो इसका पूरे सोसाइटी पर बहुत बड़ा इंपैक्ट पढ़ सकता है. पहले RTI एक्ट में यह था कि किसी भी सिटिजन का परस्टनल डेटा मांगा जा सकता है अगर वो डेटा पबलिक इंटरेस्ट में है, यानि सिंपल भाषा में अगर किसी पॉलिटिशन का कोट कितने रुपई का है, तो पबलिक उफिशल या बि ये सारी चीज़े हम निकाल सकते थे लेकिन अब under digital personal data protection act ये of clause 44.3 के द्वारा ये public interest का जो exception है उसे हटा दिया गया है तो अब लोगों को अफसरों को नेता टाइब लोगों को expose करना और भी मुश्किल हो गया पर हाँ उल्टा देखिए clause 17.2 के तहट कोई government body जिसको state या central government ने प्रोविजिन से एग्जेंट है वह जंगता का डेटा प्रोजेस कर सकता है लेकिन उसको अपना डेटा किसी को नहीं दिखाना है सरकार ने पब्लिकली अवेलेबल डेटा स्क्रैपिंग को भी इलीगल नहीं करार किया है यानी कोई भी आईटी सेल लार्ज इसमें गलत है लेकिन फिर न्यू इंडिया है एक ऐसी डिजिटल तानाशाही जहां सरकार और उनके पूझपती दोस्त के पास आपके बायोमेट्रिक डेटा अवेलबल होगा, जहां इंक्रिप्शन तो IT सेल हैकर फ्रेंडली बनाया जाएगा, पर सरकार और पूझपतियों से RTI आप नहीं कर सकते हो, उनकी प्रिविसी प यानि एक्विप्मेंट आप अपना बचाओ तो सवाल पूछना छोड़ दो प्रिविसी बचाना चाहते हो तो इंटरनेट और वाटसाप छोड़ दो इस डिजिजिल इंडिया में प्रिविसी और राइट्स ओफ सिटिजन्स का कोई ज़ादा स्कोप नहीं है अगली बार जब रात को ठखार कर आप यूट्यूब पर देशभक का लेटिस लाठी हम पर पहले चलेगी पर आप और ज़्यादा कॉन्फिडेंट बत रही है क्योंकि उसके बाद बारी आप ही कियाएगी और तब आपके पक्ष में बोलने वाला ज़्यादा कोई नहीं रहेगा बेचारे स्टूडेंट के साथ आजकल ऐसा ही हो रहा है इतने सारे स्कैम् और इस सब का solution अगर आप मुझसे पूछो तो बहुत आसान है। आपको ए अपनी आखे खोलनी है, दो facts देखनी है और तीन सबाल पूछने है। थोड़ा proactive होने की ज़रूरत है। पिछले episode में मैंने आपको एक challenge दिया था और वो challenge आप लोगने almost पूरा कर दिया है इस episode को record करते समय और उसमें जो मैंने promise किया है वो भी करूँगा। कि आप से रिक्वेस्ट नहीं कि आज के डेट पर जाकर एक चैनल को आप जाकर स� मैं फंडिंग की बात नहीं कर रहा हूँ, मैं कह रहा हूँ एक किसी भी अपने मन पसंद चैनल को जो अच्छा काम कर रहा हो उसे सब्सक्राइब कर दो, लोगों के लिए मैटर करता है। हमारे चैनल पसंद है तो अच्छी बात है, उसे सब्सक्राइब कर दो। कर दो