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चरवाहों की जीवनशैली और संघर्ष
Aug 6, 2024
क्लास 9थ हिस्ट्री चैप्टर 5: पेस्टो लिस्ट इन द मॉडर्न वर्ल्ड
चरवाहे कौन होते हैं
चरवाहों का परिचय, उनकी गतियों और जीवनशैली के बारे में जानकारी।
शुरूआत भारत से और फिर अफ्रीका के बारे में चर्चा।
भारत के पेस्टो समुदाय
गुर्जर बकरवाल (जम्मू-कश्मीर)
19वीं सदी में जम्मू-कश्मीर में बस गए।
गर्मी और सर्दी के अनुसार स्थान परिवर्तन:
सर्दियों में: शिवालिक रेंज की निचली पहाड़ियों में।
गर्मियों में: ऊंचे पहाड़ों की ओर।
हिमाचल प्रदेश के चरवाहे (गद्दी)
ठंड में शिवालिक, गर्मियों में लाहौल स्पति।
गढ़वाल और कुमाऊं
सर्दियां भाबर के सूखे जंगलों में, गर्मियां बुग्याल में।
बुग्याल: 12000 से अधिक ऊंचाई पर घास के मैदान।
भाबर: गढ़वाल और कुमाऊं के निचले सूखे जंगल।
अन्य पेस्टो समुदाय
भोटिया, शेरपा, और किन्नौरी: नए ग्रेजिंग लैंड की खोज में निकलते।
धांगड़ (महाराष्ट्र): मानसून में मध्य प्लेट में रहते हैं।
कुरूमा और कुरूबा (कर्नाटक और आंध्र प्रदेश): मौसम अनुसार स्थानांतरण।
बंजारे (यूपी, पंजाब, राजस्थान, महाराष्ट्र): ग्रेजिंग लैंड के लिए भ्रमण।
रायका (राजस्थान): अपने मवेशियों से सुविधाएं प्राप्त करते हैं।
कॉलोनियल रूल और पेस्टोरियस लाइफ
प्रभाव
कॉलोनियल रूल का प्रभाव:
चरवाहों के जीवन में बदलाव।
राजस्व बढ़ा।
ग्रेजिंग लैंड का ह्रास।
गतिविधियों पर नियंत्रण।
भूमि परिवर्तन:
ग्रेजिंग लैंड को कृषि भूमि में बदला गया।
कैटल पर टैक्स बढ़ा।
गंभीर रूप से प्रभावित जीव-जंतु।
परिवर्तनों के परिणाम:
कुछ ने मवेशियों की संख्या कम की।
नए रगा खोजे।
स्थायी निवासी बने।
गरीब किसान बन गए।
अफ्रीका में पेस्टो समुदाय
मसाई समुदाय
पेस्टोरियस जीवनशैली में परिवर्तन।
औपनिवेशिक कानूनों का प्रभाव:
भूख के कारण मवेशी की मौत।
शासक और योद्धा की भूमिका में बदलाव।
कठिनाइयाँ
भूमि का नियंत्रण और संघर्ष।
टैक्स और नियमों का सख्त पालन।
पारंपरिक अंतर कमजोर हुआ।
अमीर-गरीब के बीच अंतर बढ़ा।
निष्कर्ष
यह अध्याय चरवाहों की जीवनशैली, उनके संघर्ष और औपनिवेशिक प्रभाव को समझाता है।
क्वेश्चन और डाउट्स के लिए कमेंट सेक्शन में पूछें।
अगले वीडियो के लिए सुझाव दें।
ध्यान रखें और देखभाल करें!
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