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बिजनेस एनवायरनमेंट की समझ और महत्व

हेलो बच्चों सो आज हम वापस आपके लिए लेकर आए हैं विश्वास पैच का चैप्टर नंबर थ्री चैप्टर नंबर थ्री लेकर आया इसका मतलब चैप्टर नंबर वैन एंड तू ऑलरेडी हो चुका है अगर आपने ये चैप्टर नहीं देखे तो उसको अब जरूर देखिएगा ये हमारे चैनल पे ऑलरेडी अवेलेबल है साथ ही साथ इसके जो नोट्स एंड प्रैक्टिस शीट है ये भी हमारे आप पर अवेलेबल है एंड अन रियली रियली होप की अपनी प्रैक्टिस शीट्स जो है जरूर प्रैक्टिस कारी होगी ठीक है तो आज जो है हम शुरुआत कर रहे हैं विद चैप्टर नंबर 3 चैप्टर नंबर थ्री क्या है तो आपका बिजनेस एंड वायरमैन अब मैं यहां पे बिजनेस एनवायरनमेंट की बात करूं तो चैप्टर नंबर तू जो था ना एकदम ऐसे भारी भरकम थोड़ा मरने वाला था क्योंकि इसमें बहुत सारी टेक्निक्स और कॉन्सेप्ट्स इतने सारे चैनल की हम चक्रम चक्रम हो जाए राइट बट उसके बाद जो चैप्टर नंबर थ्री है उसमें हमारे बच्चों पे थोड़ी दया खाई गई है की इसको थोड़ा सा आसान बनाया गया है बहुत ही सिंपल कॉन्सेप्ट क्वेश्चंस है हर थोड़ी सी तकनीक क्वालिटी पर भी ए जाती है बट सेकंड चैप्टर अगर पढ़ लिया ना तो उसके सामने यह तो एकदम बचकाना लगेगा आपको ठीक है तो शुरुआत करते हैं हम चैप्टर नंबर थ्री की जो की है आपका बिजनेस एनवायरनमेंट राइट अब मैं यहां पे बिजनेस एनवायरनमेंट की बात करूं तो सबसे पहले ये जानना जरूरी होता है की nymin क्या है क्योंकि मुझे बिजनेस तो पता है बट बिजनेस एनवायरनमेंट ठीक है तो बिजनेस पता है व्हाट इस एनवायरनमेंट तो देखिए हमारी जो भी सराउंडिंग्स होती है हमारी जो भी सराउंडिंग्स होती है सराउंडिंग्स का मतलब क्या होता है हमारे आजू-बाजू की चीज राइट जैसे हम जहां पे भी रहते हैं हमारे आजुबह जो एक क्लाइमेट होता है लैंड सॉइल वाटर ट्रीस मैन मेड चीज होती है जैसे बिल्डिंग्स इंफ्रास्ट्रक्चर बहुत सारी चीज होती है तो हमारी जो भी सराउंडिंग्स होती है वह हमें कहीं ना कहीं कोई ना कोई तरीके से अफेक्ट जरूर करती है जैसे की यहां पर एक एग्जांपल लेते हैं लेटस टेक इन एग्जांपल ऑफ क्लाइमेट ठीक है मौसम मौसम राइट डी क्लाइमेट के एग्जांपल लेते हैं तो अगर क्लाइमेट की बात करें तो देखिए मैन के चलिए की यहां पे बहुत ज्यादा बारिश हो रही है यहां पे बहुत ज्यादा जो है बारिश हो रही है तो बारिश हो रही है अचानक से गर्मी हो रही है अचानक से ठंडी हो रही है तो वो हमें इफेक्ट करती है राइट गर्मी है बहुत ज्यादा गर्मी है तो डिहाइड्रेशन होना ज्यादा थकान लगना धूप में जाने से सर दुखना बारिश अचानक से ए गए ठंडा गरम मौसम हो रहा है तो बीमार पादना कहने का मतलब ये है की हमारी जो भी सराउंडिंग होती है और यह जो सराउंडिंग में चीज चलते रहती है कहीं ना कहीं यह जो हमारी सराउंडिंग होती है यह हमें इफेक्ट जरूर करती है वैसे ही बेटा जो बिजनेस की सराउंडिंग होती है ठीक है जो बिजनेस की सराउंडिंग यहां पर होती है वह बिजनेस को फिट करती है राइट तो जो हमारी सराउंडिंग हमारा एनवायरनमेंट जो बिजनेस की तरह अडं जो बिजनेस को अफेक्ट करें वो बिजनेस का एनवायरनमेंट तो ऑल इन ऑल बिजनेस invitement क्या है हर वो चीज जो बिजनेस के सराउंडिंग में है हर वो चीज जो बिजनेस के सराउंडिंग में है और बिजनेस को इफेक्ट करती है चाहे पॉजिटिव चाहे नेगेटिव बट अफेक्ट जरूर करती है इसको थोड़ा सा अगर हम डिटेल में करना चाहे तो यह रहा बिजनेस एनवायरनमेंट आपके सामने जैसे मैंने कहा की बिजनेस एनवायरनमेंट में हर वह चीज होती है जैसे अगर फोर्सेस है फैक्टर्स है इंडिविजुअल्स है इंस्टिट्यूट से हर वो चीज होती है जो जो यहां पे थोड़ा गौर करिएगा जो आउटसाइड डी कंट्रोल ऑफ बिजनेस है अब देखिए आउटसाइड डी कंट्रोल मतलब क्या मैं आपको समझती हूं बेटा जब मैं बिजनेस एनवायरनमेंट की बात करती हूं जब मैं बिजनेस एंड वायरमैन की बात करती हो तो ये एनवायरनमेंट मैनली दो तरीके से क्लासिफाई किया जाता है ये एनवायरनमेंट में ली दो तरीके से क्लासिफाई किया जाता है एक को कहते हैं इंटरनल एनवायरनमेंट एक को क्या कहते हैं इंटरनल एनवायरनमेंट और दूसरा जो है एक्सटर्नल एनवायरनमेंट ठीक है क्या होता है इंटरनल क्या होता है तो इंटरनल जो होता है ये एनवायरनमेंट विद इन डी ऑर्गेनाइजेशन होने के कारण विद इन डी कंट्रोल भी होता है नहीं समझ में आया कोई दिक्कत नहीं हम यहां पर एग्जांपल लेते हैं मैन के चलो हमारे ऑर्गेनाइजेशन में एंप्लॉय यह है बड़ा आलसी है ना लेट आता है आपके कम तुरंत शुरू भी नहीं करता है आराम आराम से कम करता है उसमें लंच ब्रेक जाएगा तो भाई यादें घंटे के बदले तीन घंटे के बाद वापस आता है ठीक है लंच ब्रेक से आते ही एक घंटा कम किया वापस ए गया टिंबर टी ब्रेड के लिए एक घंटा चला गया अब यहां पे ये जो एंप्लॉय ये एफिशिएंट नहीं है आप उनको सैलरी दे रहे हो मतलब कंपनी उनके ऊपर कॉस्ट इनकार कर रही है पैसा दे रही है खर्चा कर रही है बट क्या उससे कम मिल रहा है क्या उससे आउटपुट मिल रहा है नहीं तो हम क्या करेंगे उसको रिप्लेस करेंगे हान सेटिंग में शायद वार्निंग देंगे की भाई ऐसे कम करोगे तो नहीं चलेगा एक बार दो बार तीन बार वार्निंग देंगे फिर भी नहीं सुना तो क्या करेंगे रिप्लेस करेंगे राइट तो ये हो गया इंटरनल एनवायरनमेंट देखिए चाहे आपके एम्पलाइज हो सप्लाई जो इन्वेस्टर्स हो ये सारे आपकी कंट्रोल होते हैं अच्छे से कम ना करें कुछ कंपनी पर नेगेटिव इफेक्ट हो तो आप उनको सुधार सकते हो आप उनको बदल सकते हो आप उनको कंट्रोल कर सकते हो जैसे हमारा भी इंटरनल एनवायरनमेंट है अब देखिए हम घर पे है बहुत गर्मी हो रही है पंखा चला दिया राइट और ज्यादा गर्मी हो रही है तो घर पे कूलर होगा एक होगा वो चला दोगे राइट ठंडी लग रही है तो पंखा बंद कर दिया चद्दर ओढली कर सकते हैं नहीं घर के एनवायरनमेंट को कंट्रोल कर सकते हैं क्लाइमेट को कंट्रोल कर सकते हैं लेकिन अगर आप बाहर गए हो कहीं छाता भूल गए होने लगे अचानक से बारिश तो अब थोड़ी का सकते हो बरसो ना बरसो कर सकते हो क्या नहीं बहुत धूप है तो क्या का सकते हो जरा हालू एनवायरनमेंट होता है वह कंट्रोल में होता है और इसीलिए यह ज्यादा टेंशन वाली चीज नहीं है ज्यादा टेंशन वाली चीज बोले तो कहां पर आती है एक्सटर्नल एनवायरनमेंट में लोगों क्योंकि इट इस आउटसाइड डी कंट्रोल ऑफ बिजनेस की भाई बिजनेस एक्सटर्नल एनवायरनमेंट को कंट्रोल नहीं कर सकता कल उठाके कोई कंपीटीटर आया तो मैं नहीं बोल सकती की भाई कंपीटीटर नहीं आना चाहिए गवर्नमेंट ने पॉलिसी बाद ली तो मैं गवर्नमेंट को बोल सकती हूं कैरी अरे ये पॉलिसी मत लेकर आओ नहीं तो जो एक्सटर्नल एनवायरमेंटल होता है वो बिजनेस की कंट्रोल में नहीं होता एंड बिकॉज वो बिजनेस की कंट्रोल में नहीं होता यहां पे जो है में खतरे की घंटी जो है बच्चे और इसीलिए हम यही एनवायरनमेंट की बात कर रहे हैं की यही वो फोर्सेस सिर्फ एक्टर्स हैं ऐसी इंस्टिट्यूट से इंडिविजुअल्स है जो बिजनेस की कंट्रोल की बाहर है एंड बिकॉज वो बिजनेस की कंट्रोल के बाहर है फिर भी बिजनेस को इफेक्ट कर सकते हैं फिर भी बिजनेस के ऊपर इनका असर होता है तो इनको पढ़ना समझना जान बहुत ही जरूरी है लेकिन कैसे पता चलेगा की बाहरी जो हमारे फैक्टर्स हैं फोर्सेस हैं उनमें क्या बदलाव आने वाला है आगे क्या होने वाला है हम तो कोई अंतर्यामी नहीं है तो कैसे पता चलेगा इसीलिए हमें तकनीक उसे करते हैं जिसको कहते हैं में वायु मेंटल स्कैनिंग जिसको बेटा क्या कहते हैं एनवायरनमेंट स्कैनिंग इस स्कैनिंग का मतलब क्या होता है परखना स्कैनिंग का मतलब क्या होता है परखना समझना यहां पे आप स्कैनिंग की बदले एनालाइजिंग लिख सकते हो या फिर आप अंडरस्टैंडिंग लिख सकते हो या आप प्रिडिक्टिंग लिख सकते हो देखिए अभी तक मुझे इतना पता चल गया की ऐसे कुछ फैक्टर्स होते हैं ऐसी कोई चीज होती है ऐसे कोई बदलाव होते हैं जो बिजनेस के कंट्रोल में नहीं है हम उसको रोक नहीं सकते हम उसको पकड़ नहीं सकते लेकिन फिर भी वो हम पे अफेक्ट जरूर करता है लेकिन फिर भी वो हम पे जरूर करता है तो इनको समझना जरूरी है की भाई अगर हमको अफेक्ट करने वाला है तो तैयारी तो रखोगे हान बाहर अगर पता है की बढ़ ए सकती है आज बहुत ज्यादा बारिश होने वाली है तो प्लीज छाता लेकर तो जाओगे सेफ तो रहोगे राइट तो यहां पे इनको समझना जरूरी है तो ऐसी टेक्निक्स जहां पे हम ये जो फोर्सेस हैं फैक्टर्स हैं इनको समझने की कोशिश करते हैं एनवायरमेंटल स्कैनिंग क्या है एनवायरमेंटल स्कैनिंग एक ऐसा प्रक्रिया है जिसके द्वारा हम एक्सटर्नल फोर्सेस एंड फैक्टर्स को स्टडी करते हैं जो हमारे बिजनेस पे अफेक्ट कर सकते हैं की भाई ऐसे फोर्सेस हैं जिससे हमारे बिजनेस पे ऐसा हो सकता है चाहे पॉजिटिव हो चाहे नेगेटिव हो तो इस तकनीक को क्या कहते हैं बेटा एनवायरमेंटल स्कैनिंग कहते हैं इस तकनीक को क्या कहते हैं एनवायरमेंटल स्कैनिंग कहते हैं ठीक है चलिए अब मुझे बिजनेस एनवायरनमेंट पता चल गया बस एनवायरनमेंट को समझना क्यों जरूरी है यह पता चल गया समझने के लिए क्या कर सकते हैं एनवायरमेंटल स्कैनिंग राइट अब चलते हैं ब्रीफ क्वेश्चंस पे और पहला आपका है फीचर्स ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट पहले भी बता चुकी हूं वापस बता रही हूं चाहे आप इसको फीचर्स कहो चाहे आप इसको करैक्टेरिस्टिक्स कहो चाहे आप इसको नेचर का तो मुझे अगर पूछा की करैक्टेरिस्टिक्स ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट बताओ आंसर से मैं बस क्वेश्चन को थोड़ा घुमा दिया लेकिन हम यहां पे घूमेंगे नहीं राइट तो यहां पे मैं अगर फीचर्स ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की बात करूं ठीक है सबसे पहला फीचर क्या कहता है की बिजनेस एनवायरनमेंट में सारे सारे एक्सटर्नल फोर्स आते हैं चाहे मैं यहां पर गवर्नमेंट की बात करूं चाहे मैं यहां पर पॉलिटिकल पार्टी की बात करूं चाहे यह मैं यहां पर इकोनॉमी की बात करूं चाहे मैं यहां पर टेक्नोलॉजी की बात करूं चाहे मैं यहां पर कंट्री बहुत सारे लोगों की पसंद बदलना इसमें से है गवर्नमेंट ने कोई नई पॉलिसी लेकर आई इसमें से है कोई कायदा बदल गया इसमें से है कंट्री की इकोनॉमी में रिसेशन ए गया इन्फ्लेशन ए गया पे जब मैं एक्सटर्नल की बात करती हूं एक्सटर्नल का मतलब क्या होता है आउटसाइड ठीक है जो बिजनेस की बाहर है और इसीलिए बिजनेस के कंट्रोल में भी नहीं है हर वो फैक्टर इस बिजनेस एनवायरनमेंट का हिस्सा है और इसे बहुत सारे फैक्टर्स है जो आगे की क्वेश्चन में हम जरूर पढ़ेंगे ठीक है सेकंड चीज बेटा देखिए सेकंड चीज यहां पे क्या दी गई है तो सेकंड चीज यहां पे दी गई है की हम जब भी ये फोर्सेस की बात करता है मैंने तो बोला की सारे जो एक टर्मिनल फोर्सेस हैं ना वो बिजनेस एनवायरनमेंट में आता है लेकिन जब मैं यह फोर्सेस की बात करती हो तो यहां पे दो तरीके के फोर्सेस होते हैं एक को कहते हैं स्पेसिफिक दूसरे को कहते हैं जनरल अब इनके बीच में मैं आपको फरक समझती हूं ठीक है बेटा जब भी मैं स्पेसिफिक फोर्स की बात करती हूं जब भी मैं स्पेसिफिक फोर्स की बात करती हो इसका मतलब होता है की वो उसी बिजनेस को अफेक्ट करेगा नहीं समझे ठीक है लेते हैं यहां पे भी एक एग्जांपल अब मैन के चलिए मेरी फैक्ट्री में बहुत सारे वॉकर्स हैं अब ये वर्कर्स कई दिन हो उसे मेरे सामने बहुत सारी मांगे रख के बैठे हैं की मुझे सैलरी भी ज्यादा चाहिए भी चाहिए वो भी चाहिए ऐसा भी चाहिए वैसा भी चाहिए अब हम तो उनकी मांगे पुरी नहीं कर का रहे द तो हमने माना कर दिया राइट लेकिन वो जिद पे द की नहीं हमें तो ये चाहिए और जिद के कारण वो चले गए स्ट्राइक पे अब स्ट्राइक पर चले गए कोई वर्कर कम नहीं कर रहा तो पूरा मेरा फैक्ट्री का प्रोडक्शन रुक गया ट्रांसपोर्ट हो रहे हैं कस्टमर ए रहे हैं ऑर्डर दो ऑर्डर दो कर रहे हैं लेकिन हम बना ही नहीं का रहे अब इसकी कारण मेरे बिजनेस को हो गया नुकसान लेकिन अगर मेरे फैक्ट्री के वर्कर्स साइट पर गए हैं अगर मेरी फैक्ट्री में प्रोडक्शन नहीं हो रहा है तो क्या वो बाकी सारे बिजनेस इसको फिट करेगा नहीं नुकसान किसको होगा मुझे दिक्कत किसको होगी मुझे अगर मेरे बाजू में भी एक फैक्ट्री है जहां पर भी शर्ट बन रहे हैं तो मेरे फैक्ट्री कारण क्या उनको कोई फर्क पड़ेगा क्या उनको कोई नुकसान होगा नहीं इसी को हम क्या कहते हैं स्पेसिफिक फोर्सेस इसी को हम क्या कहते हैं स्पेसिफिक फोर्सेस तो स्पेसिफिक फोर्सेस क्या होते हैं विच इफेक्ट्स इन विच डी फोर्सेस प्रेजेंट है बाकी बिज़नेस को इससे कोई लेना देना नहीं है लेकिन यह जो जनरल फोर्सेस हैं ये ऐसे फोर्सेस है जो एक नहीं हर एक बिजनेस को अफेक्ट करेगा अब मैन के चलो अपने देश में इकोनॉमी में इन्फ्लेशन ए गया इन्फ्लेशन का साधारण मतलब महंगाई अपने देश में इन्फ्लेशन ए गया महंगाई बढ़ गई महंगाई के कारण लोगों के पास पैसा कम बच रहा है तो लोग चीज कम खरीदते हैं बचत भी कम कर का रहे हैं जो महंगाई बधाई जो कौशल प्रोडक्शन अगर बढ़ेगा लोग लोगों की प्रोडक्ट्स की डिमांड अगर कम हो जाएगी ये जो भी असर होगा हर बिजनेस जो इंडिया में है सभी को इस इन्फ्लेशन का फर्क पड़ेगा हान यह हो सकता है किसी को कम किसी को ज्यादा लेकिन ये जो बदलाव आया है इसके कारण असर हर बिजनेस पे होगा राइट तो स्पेसिफिक फोर्सेस क्या होता है जो उसकी बिजनेस को इफेक्ट करें लेकिन जनरल बिजनेस क्या जनरल फोर्सेस क्या होते हैं जो हर बिजनेस जो वहां पे है सबके ऊपर इसका इफेक्ट होगा हान मैं ये नहीं कहती हूं की सबके ऊपर एक समान इफेक्ट होगा किसी पे कम किसी पे ज्यादा किसी पे अच्छा बुरा हो सकता है बट इफेक्ट जरूर होगा ठीक है चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट पॉइंट पे देखिए नेक्स्ट पॉइंट क्या कहता है की जो भी ये फैक्टर्स और फोर्सेस हैं जो भी ये फैक्टर्स और फोर्सेस है बेटा ये सारे इंटर रिलेटेड है इंटर रिलेटेड मतलब क्या तो आप का सकते हो डिपेंडेंट ऑन एच अदर एक दूसरे पर निर्भर है ठीक है जो बच्चे हैं उनको फैशन का बहुत शौक है मतलब एकदम ऐसे ट्रेंड के हिसाब से चलना है जैसे ट्रेंडली फैशन बदला वो भी बदलता है जो की बहुत अच्छी चीज है की चीजों को हम जल्दी अपना लेते हैं लेकिन इनकी जो पसंद है ना बार-बार लग रहा था और बदलते रहते हैं क्योंकि फैशन और ट्रेंड बार-बार लगातार बदलते रहता राइट तो इनकी जो टेस्ट है प्रेफरेंस है बार-बार बदलते रहता है तो उसके हिसाब से हमें चलना पड़ता है हमें मतलब क्या बिजनेस को जैसे फैशन बदला तो हमें भी नहीं फैशन के कपड़े लाने नए फैशन के जूते लाने नए फैशन की ज्वैलरी फैशन की घड़ी लानी है नई फैशन की घड़ी लानी है तो टेक्नोलॉजी भी बदली बराबर है ना टेक्नोलॉजी भी बदली राइट तो यहां पे फैशन बदला तो टेक्नोलॉजी बदली टेक्नोलॉजी बदला तो नहीं टेक्नोलॉजी अपनानी पड़ेगी देश की इकोनॉमिक कंडीशन बढ़ेगी इन शॉर्ट सारे फैक्टर एक दूसरे पे निर्भर होते हैं सारे फैक्टर्स एक दूसरे पे यहां पे निर्भर होते हैं ठीक है चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट पॉइंट पे जो की क्या कहता है अनसर्टेंटी क्या कहता है अनसर्टेंटी अनसर्टेंटी का मतलब क्या होता है की देख के नोट बी प्रिडिक्टेड क्या प्रोडक्ट नहीं कर सकते तो चेंज इन बिजनेस एनवायरनमेंट जो है बार-बार लगातार बदलता जैसे मौसम है की कितने बजे बारिश होगी कितनी होगी और कितने मिनट तक होगी नहीं कर सकते वैसे ही जो बिजनेस एनवायरनमेंट होता है उसमें कब बदलाव आएगा कैसे आएगा कोई कहकर नहीं आता मतलब कभी भी ए सकता है और इसी ने हमें उसके लिए हमेशा तैयार रहना होता है यह चेंज को हम प्रिडिक नहीं कर सकते पहले से बोल के नहीं आता एक्युरेटली नहीं पता होता की कल ही होगा परसों सुबह 11:00 बजे ये होगा हमें बस अंदाजा मिल सकता है एनवायरनमेंट स्कैनिंग से अंदाजा कभी सही कभी गलत कभी थोड़ा सही हो सकता है बट इस अंदाज़ से के ऊपर हमें तैयारी रखनी होती है हमें पता होता है की बिजनेस एनवायरनमेंट अनसर्टेन है उसको हम नहीं कर सकते ये कभी भी कहीं भी कैसे भी बदल सकता है गवर्नमेंट की कभी भी कोई भी पॉलिसी बदल सकती है कोई नया कायदा ए सकता है गवर्नमेंट कोई नया प्लान लेकर ए सकता है कंट्री की इकोनॉमिक कंडीशंस बदल सकती है राइट और इसीलिए इसके लिए तैयार रहना बहुत जरूरी है ठीक है चलिए आगे जाते हैं फिफ्थ पॉइंट पे जो इसी से कनेक्टेड है राइट जैसे मैंने कहा की बिजनेस एनवायरनमेंट अनसर्टेन इसको प्रिडिक्ट नहीं कर सकते इसमें बदलाव आते रहते हैं और कब आएगा नहीं पता होता और इसीलिए हम बिजनेस एनवायरनमेंट को डायनेमिक भी कहते हैं बेटा डायनेमिक का मतलब क्या होता है कांस्टेंटली चेंज डायनामाइट का मतलब क्या होता है कांस्टेंटली चेंज बार-बार बदलते रहना इसको कहते हैं डायनेमिक यह बिजनेस एनवायरनमेंट भी कभी भी स्टैटिक नहीं होता है ठीक है हमारा जो बिजनेस एनवायरनमेंट होता है वो कभी स्टैटिक नहीं होता है यह हमेशा बार-बार लगातार बदलते ही रहता है इट इस ऑलवेज डायनेमिक इन नेचर डायनेमिक का मतलब क्या होता है बार-बार लगातार बदलते रहना और इसीलिए इस बिजनेस एनवायरनमेंट को कांस्टेंटली समझना कांस्टेंट स्टडी करना ठीक है बहुत ज्यादा बेटा जरूरी है क्योंकि एक बार आपने पढ़ा प्लांस पॉलिसी उसे हिसाब से बनाई ठीक है बट वो वापस बदल सकता है और बिजनेस एनवायरनमेंट बदला तो हो सकता है की आपको आपके बिजनेस में बदलाव लाना पड़ेगा आपकी प्लांस पॉलिसी प्रोडक्ट को बदलना पड़े| और इसीलिए बिजनेस एनवायरनमेंट को कांस्टेंटली स्टडी करना उसकी बदलाव के साथ रहना उसको समझना बहुत ज्यादा जरूरी है ठीक है चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट पॉइंट पे जो की कहता है बिजनेस एनवायरनमेंट हमेशा परिसर होता है फैक्टर्स हैं ठीक है कुछ फैक्टर्स हैं जो कंट्री की इकोनॉमी से रिलेटेड है कुछ फैक्टर्स है जो सोसाइटी से रिलेटेड है कुछ फैक्टर्स है जो हमारे पॉलिटिकल पार्टी से रिलेटेड कुछ फैक्टर्स है जो हमारे टेक्नोलॉजी से रिलेटेड उनमें जो आने वाले बदलाव है इनको समझना इनको प्रिडिक्ट करना बहुत डिफिकल्ट है और मैन के चलो आपने यहां पे तकनीक azamai जो मैंने अभी आपको सिखाई थी आपने यहां पे एन वायु मेंटल स्कैनिंग किया राइट एनवायरमेंटल स्कैनिंग करते वक्त आपको जो चेंज इन डी बिजनेस एनवायरनमेंट हो भी रहे हैं वो चेंज पता भी चल गए बट इस चेंज के कारण जो इफेक्ट ऑन बिजनेस होगा ये एक्युरेटली कैसे पता चलेगा कैसे पता चलेगा हान मुझे पता है की मेरे देश की इकोनॉमी बदल रही है चलो ठीक है इन्फ्लेशन ए रहा है ठीक है महंगाई बढ़ रही है ठीक है बट ये महंगाई के कारण मेरे बिजनेस को क्या फर्क पड़ेगा मेरे बिजनेस पे क्या असर होगा कितना होगा कब होगा कैसे होगा ये पता करना बहुत डिफिकल्ट है दोस्त राइट और इसीलिए हम कहते हैं की ये जो बिजनेस एनवायरनमेंट है इट इस डायनेमिक राइट और ये चेंज को समझना उसका इफेक्ट हमें पता करना हमारी बिजनेस पे क्या अफेक्ट होगा ये बहुत परिसर है भाई इतना आसान नहीं है इसके लिए एक्सपोर्ट्स एक्सपर्टीज नॉलेज चाहिए होती है जो इस बिजनेस एनवायरनमेंट के इफेक्ट को समझ सके हमें बता सके ठीक है चलिए नेक्स्ट पॉइंट पे अब देखिए नेक्स्ट पॉइंट क्या कहता है रिलेटिविटी से रिलेटिविटी का मतलब क्या बिजनेस एनवायरनमेंट है ये हमेशा डिफरेंट आते डिफरेंट प्लेसिस होगा है ना घर पे जितना सोना है सारा पहन के घूमो गूगल ज्वैलरी की इंडिया में बहुत ज्यादा डिमांड है और वह स्टेटस सिंबल है की जिसने ज्यादा सोना पहना है वो ज्यादा अमीर है की नहीं राइट लेकिन अगर आप कंट्रीज वेस्टर्न कंट्रीज में जाओगे जैसे उस यूके तो वहां पे तो देख के लगेगा की भाई यहां पे बहुत ज्यादा गरीबी है लोगों की गले में एक सोने की चैन तक नहीं है लेकिन ऐसा नहीं है उल्टा वह हमसे ज्यादा डिवेलप कंट्री और उनकी जो इनकम है वो हमसे ज्यादा है बट क्यों गोल्ड नहीं है क्यों गोल्ड नहीं पहनते क्योंकि वहां पे लोग पसंद नहीं करते वहां पर उसे तरीके की फैशन है उसे तरीके की ट्रेंड चलती है लोगों के पास गोल्ड होता है लेकिन पहनते नहीं है कहने का मतलब क्या लोग उनकी पसंद ना पसंद टेस्ट प्रेफरेंस उनकी गवर्नमेंट उनकी इकोनॉमी सब अलग होती है इंडिया की गवर्नमेंट अलग है उस की अलग है तो उनके जो डिसीजन से पॉलिसी से सोच है आइडिया है अलग है इंडिया एक डेवलपिंग कंट्री है उस एक डिवेलप कंट्री तो इंडिया की इकोनॉमी अलग-अलग कंडीशन अलग है उस की इकोनॉमी इकोनॉमी कंडीशन अलग है टेक्नोलॉजी इंडिया में स्लो बदलती है कंपेयर्ड तू वेस्टर्न कंट्री तो यहां का टेक्नोलॉजी का एनवायरनमेंट अलग है और वेस्टर्न कंट्रीज है डिवेलप कंट्रीज का टेक्नोलॉजी का एनवायरनमेंट अलग है इसीलिए हम कहते हैं की बिजनेस एनवायरनमेंट हर जगह एक समान नहीं होता वो अलग-अलग जगह पे अलग-अलग होता है तो आपने इंडिया का बिजनेस एनवायरनमेंट स्टडी करके इंडिया में एक पॉलिसी बनाई वही उस के बिजनेस में चलाओगे नहीं चलेगा आज बहुत सारी बसेस है जो अलग-अलग देशों में कम करते फॉरेन कंट्रीज लेकिन जब भी अपने बिजनेस के लिए प्लान बनाते हैं अब मैन के चलो की मैं कोई भी एक कंपनी लेती हूं एबीसी लिमिटेड की एक ब्रांच इंडिया में है और एक यूके में राइट तो मैं जब एक पॉलिसी डिजाइन कर रही हूं इंडिया के लिए तो मैं वो इंडिया का बिजनेस एनवायरनमेंट स्टडी करके ये पॉलिसी डिजाइन करूंगी राइट अब यही पॉलिसी यूके में अप्लाई करूंगी बिल्कुल नहीं क्योंकि यूके का बिजनेस एनवायरनमेंट अलग है तो जब मैं यूके के लिए पॉलिसी बना रही हूं तो यूके के बिजनेस एनवायरनमेंट को स्टडी करके मैं उसके लिए जो है पॉलिसी डिज़ाइन करूंगी राइट क्योंकि दिस इस एनवायरनमेंट रिलेटेड है अलग-अलग जगह पे अलग-अलग होता है ठीक है चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट पॉइंट पे या आई वुड से नेक्स्ट मेडिसिन पर अब मुझे तो पता चल गया बिजनेस एनवायरनमेंट के बारे में की बिजनेस एनवायरनमेंट बहुत परिसर होता है कांस्टेंटली बदलते रहता है और इसको समझना प्रिडिक्ट करना इसकी इफेक्ट्स ऑन डी बिजनेस को समझना बहुत डिफिकल्ट है इतना ही मुश्किल है तो जरूरी है की इस बिजनेस एनवायरनमेंट को समझना आपके लिए जरूरी है क्योंकि आपके बुक में है एग्जाम में क्वेश्चंस आएगा पर क्यों बिजनेस से एनवायरमेंटल स्कैनिंग करता है 2 वो एनवायरनमेंट को स्टडी करता है ये जानने के लिए हम समझेंगे की बिजनेस एनवायरनमेंट को स्टडी करके एनालाइज करके प्रिडिक करके बिजनेस को क्या फायदा होता है तो सबसे पहली एंड मोस्ट इंपॉर्टेंट चीज एनवायरनमेंट को स्कैन करता है स्टडी करता है एनालाइज करता है तो एनवायरनमेंट में मार्केट में उसे बिजनेस के लिए क्या आप पुरी टीस ऑपच्यरुनिटीज मतलब मौके क्या ऑपच्यरुनिटीज है क्या मौका है और जैसे मैं हमेशा कहती हूं मौका है तो मारो चक्कर ठीक है तुम मौका है तो चौका मार के जैसे जूता है ना हमने इंडिया को मार के है हान तो ये जरूरी होता है बट सबसे पहले मौका ढूंढ दो मौका है तब तो चौका मरोगे कहां से पता चलेगा वो फॉर्चूनर के कोई आपके तो बताया नहीं ठीक है अपॉर्चुनिटी कैसे पता चलती है एनवायरमेंटल स्कैनिंग से राइट इसका मैं आपको एक एग्जांपल देती हूं देखिए एक तकनीक ऑफ एनवायरनमेंट स्कैनिंग है जिसको हम कहते हैं व्हाट जिसको हम क्या कहते हैं स्पॉट ठीक है एस का मतलब होता है स्ट्रेंथ व का मतलब होता है वीकनेस और टी का मतलब होता है फ्रेंड्स खतरा है यह हमेशा होते हैं इंटरनल मतलब बिजनेस के कंट्रोल में और जो ओटी होता है वह हमेशा होता है मतलब बिजनेस के कंट्रोल के बाहर समझते हुए डिटेल में जब हम एनवायरमेंटल स्कैनिंग करते हैं तो स्कैनिंग करने के बहुत सारे तरीके होते हैं उनमें से एक तरीका है जिसको कहते हैं स्पॉट एनालिसिस का मतलब स्ट्रेंथ जो कंपनी होती है उसकी कंट्रोल में होता है दिन रात कम करता है बहुत मेहनत से करता है बहुत ज्यादा स्किल है और उसका कम इतना अच्छा है आसानी से हम कंपनी के गोल्ड पूरे कर पाते और कंपनी सक्सेसफुल बन पाती है प्रॉफिट कम पाती है तो ऐसी एम्पलाइज जिससे आपके बिजनेस को फायदा हो रहा है जिससे आपका बिजनेस गोल्ड कंप्लीट कर का रहा है वो है आपकी स्ट्रेंथ आपकी ताकत तो स्ट्रेंथ को हमेशा बनाए रखो उसको जाने मत दो लेकिन अगर कोई इसका अपोजिट है कम नहीं करता बस टाइम पास करता है सैलरी लेता है खर्चा तो होता है बट उसे फायदा कुछ नहीं होता तो ये है आपकी कमजोरी आपकी वीकनेस तो याद तो ये वीकनेस को स्ट्रेंथ में बदलो उसको वार्निंग दो ट्रेनिंग दो जो भी जरूरत है या तो इससे बच्चों लेकिन यह कंपनी की कंट्रोल में है अपने स्ट्रेंथ को बनाए रखना वीकनेसेस को करेक्ट करना कमजोरी पे कम करना ये कंपनी की कंट्रोल में है दिक्कत कहां पर आती है एक्सटर्नल में क्यों क्योंकि ये कंपनी के कंट्रोल के बाहर होता है राइट हम जब एक्सटर्नल एनवायरनमेंट को स्कैन करते हैं तो हमें पता चलता है की हमारे पास क्या ऑपच्यरुनिटीज है राइट और इस मौके का जो सबसे पहले फायदा उठाता है हम यहां पे एक बेस्ट एग्जांपल लेते हैं अबाउट व्हाट्सएप अब व्हाट्सएप तो भाई कोई ऐसा बच्चा नहीं होगा जिसको पता नहीं होगा आधा दिन तो उसे पर निकलती हो है ना तो अगर व्हाट्सएप की बात करें व्हाट्सएप आने के बाद ये ऐप वो ऐप ये फलाना वो ढिकाना सब आया इतने सारे एप्लीकेशंस है लेकिन आज भी सबके मोबाइल में हरा singnali दिखता है वो है व्हाट्सएप हो सकता है बाकी भी अपने ट्री किए होंगे बट व्हाट्सएप तो है ही क्यों क्योंकि वो सबसे पहला इस एप्लीकेशन था जिसने इतना अच्छा चार्ट एक्सपीरियंस या फ्री था सारे फीचर्स से etsetra तो पहला था तो सबसे ज्यादा मार्केट शेयर मिल गया सबसे ज्यादा फायदा मिल गया यही होता है जब हम अपॉर्चुनिटी को पता करके सबसे पहले उसे अपॉर्चुनिटी को ग्रैब करते हैं उसका फायदा लेते हैं फर्स्ट मूवर एडवांटेज सबसे पहले तो अपॉर्चुनिटी का फायदा लेने वाले को सबसे मैक्सिमम बेनिफिट होता है हान फिर बहुत सारे लोग फॉलो करते हैं उनको फायदा होता है बट पहले वाले को जितना होता है उतना नहीं तो यही बिजनेस एनवायरनमेंट को समझ के पता करके एनालाइज करके स्टडी करके ऐसे ऑपच्यरुनिटीज जो मार्केट में है जिसका हमारा बिजनेस फायदा उठा सकता है यह हमें पता चलता है अपॉर्चुनिटी के साथ-साथ अगर मार्केट में कोई ऐसी चीज है जो है खतरे की घंटी ट्रेड ठीक है खतरा तो भी हमें पता चलता है ना उसको ताल नहीं सकते हो क्या रोक सकते हो क्या नहीं तुम क्या करते हैं अभी मैन के चलो की हमें जो एनवायरनमेंट डिपार्टमेंट है आईएमडी जो है इंडियन मेट्रो लॉजिकल डिपार्टमेंट उसे का दिया की भाई ये एरिया में बहुत ज्यादा बारिश के आश्रम का है और यहां पे 12वीं ए सकती है फ्लड भी ए सकता है रोक सकते हो नहीं तो हम क्या करते हैं भाई जो हमारे फिशरमैन होते हैं उनको मॉर्निंग देते हैं की भाई समुद्र से दूर रहना समुद्र के आजू-बाजू कोई रहता है तो वो जगह को ईबे क्यूट खाली करते हैं ठीक है रेलवे से पानी जाम गया लोग अटके तो उनको हटाने के लिए रेस्क्यू करने के लिए लोगों इसको वार्निंग देते हैं स्कूल को छुट्टी देते हैं कभी आए ऐसा मैसेज सुबह-सुबह क्या आज स्कूल को छुट्टियां और वह जो खुशी है ना भाई अल्लाह की लेवल का सुकून है है ना ऐसे पहले पता होती है छोटे उसकी फीलिंग और जो चंद चिट्ठी मिलती है इसकी फीलिंग भाई बहुत अलग है कितने लोग हैं बताइएगा जरूर तो ये जो चीज है ना ये होते हैं वार्निंग सिग्नल्स थ्रेड को नहीं रोक सकते लेकिन अगर पहले से पता है की कोई खतरा आने वाला है तो हम उसके लिए तैयारी कर सकते हैं अगर यहां पे अगर मैं आपको एक एग्जांपल देती हूं आप सबको डी-मार्ट जरूर पता होगा जहां पर अलग-अलग चीज मिलती है और काफी सस्ती अगर राजा था ठीक है जिसको देखो समान लेने जाता था अपने घर के आजू-बाजू क्या ही भगवान ठीक है लेकिन अब जब बहुत सारे ऐसे ऑनलाइन स्टोर्स ए गए अभी आ सुनने में आया है की रिलायंस से भी टायर किया है और ऐसे और स्टोर्स लॉन्च किए जा रहे हैं जिओमार्ट ए गया बिगबास्केट ये वो इतने सारे स्टोर्स ए गए तो ये राजा की राजा शाही हो गई थोड़ी कम लेकिन ये कंपटीशन आने वाला था अब मार्केट में मोनोपोली या राजा बांके जिंदगी भर नहीं रह सकते लोग आएंगे आपको देखकर लेकिन पहले से अगर पता होगा तो हम क्या करेंगे ऐसे प्लांस एंड पॉलिसी बनाएंगे जिससे या तो हमें नुकसान ना हो या तो कम से कम नुकसान हमें झेलना पड़े जब हमें पहले से मॉर्निंग सिग्नल मिला है की यह हो सकता है तब हम तैयारी करेंगे तब हम ऐसे प्लांस पॉलिसी स्ट्रैटेजिस बनाएंगे की हमें लॉस ना हो या तो मिनिमम हो और यह कैसे पता चलता है कौन देता है तो बिजनेस एनवायरनमेंट एनालिसिस से पता चलता है तो मौका भी पता चलता है खतरा भी पता चलता है मौका तुम मौके पे मारो चौका फर्स्ट मूवी एडवांटेज मिलता है मैक्सिमम प्रॉफिट मिलता है 17 है खतरे को रोक नहीं सकते लेकिन खतरे के बारे में अगर पहले पता होता है तो उसकी तैयारी करके जो लॉस है उसको मिनिमम जरूर कर सकते हो या अवॉइड भी कर सकते हो ठीक है चलिए नेक्स्ट इंपॉर्टेंट पे हम जाते हैं जो की कहता है की बिजनेस एनवायरनमेंट को पढ़ते वक्त या एनालिसिस स्टडी करते वक्त जो इंपॉर्टेंट रिसोर्स है उसको हम क्या कर सकते हैं तप क्या कर सकते हैं तप का मतलब क्या होता है पता करना तब का मतलब क्या होता है तो आप लिख सकते हो फाइंडिंग आउट ठीक उसको पता करना अब यहां पर मैं आपको एक एग्जांपल देती हूं फैक्ट्री दोनों जो फैक्टरीज है वो बनाती है बिस्किट्स कौन से बिस्किट्स बनाती है बेटा तो मैन के चलो दोनों से तू से ग्लूकोज बिस्कुट बनाती है लेकिन जो फैक्ट्री ए है वो बिस्कुट बनाती है कॉस्ट प्राइस मतलब उसका खर्चा उसका एक पैकेट बिस्कुट बनता है ₹10 में और उसको बेचता है कितने में 13 रुपए में ठीक है पर पैकेट फैक्ट्री भी बढ़िया देते हैं प्रोडक्शन भी करीबन उतना ही करते हैं फिर इतना सस्ता कैसे बनता है सस्ता बेचता है तो फैक्ट्री ए को इससे बहुत नुकसान हो रहा है क्योंकि फिर इनके बिस्किट्स कौन खरीदेगा या से चीज सस्ती मिल रही है तो हम तो वही खरीदेंगे तो फैक्ट्री है बड़े टेंशन में तो उसने पता करने की कोशिश की की ऐसा क्या है की फैक्ट्री बी जो है सस्ता बना पता है और उसी लिए उसने कर एनवायरमेंटल स्कैनिंग तब उनको पता चला की जो फैक्ट्री बी है उनके पास एक ऐसा वेंडर है या आप का सकते हो सप्लायर है जो उनको बहुत ही सस्ता रॉ मटेरियल ला के देता है उनके पास एक ऐसा सप्लायर है जो बहुत वक्त था उनको रॉ मटेरियल लाकर देता है फिर क्या फैक्ट्री ए ने भी इसी से रॉ मटेरियल लेना चालू किया उसको भी सस्ता बड़ा सस्ता बनाया सस्ता बेटा से वेंडर है अच्छे इन्वेस्टर्स है अच्छे एंप्लॉई से यह जो रिसोर्सेस है यह खुद चल के आपके पास हमेशा नहीं आते तो हम जब एनवायरनमेंट स्कैन करते हैं काफी बार ऐसी इंपोर्टेंट रिसोर्सेस के बारे में भी हमें पता चलता है जिनको हम अपने बिजनेस में उसे करके अपने बिजनेस में मैक्सिमम बेनिफिट कम सकते हैं ठीक है चलिए आगे जाते हैं नेक्स्ट इंपॉर्टेंट पर जो क्या कहता है की आपका जो बिजनेस एनवायरनमेंट है वो कहीं ना कहीं आपको मदद करता है की ये जो बिजनेस एनवायरनमेंट डायनेमिक के बदलता है रेपिडली रेपिडली का मतलब बेटा क्या होता है क्विक या तो आप का सकते हो फास्ट रैपिड का मतलब क्या होता है फास्ट जो बिजनेस एनवायरनमेंट पढ़ाओ पर बदलता है राइट तो आपका जो बिजनेस एनवायरनमेंट एनालिसिस है मदद करता है की ये बदलाव के साथ आप अपने बिजनेस को एडजस्ट कर सको कैसे वापस हम एक एग्जांपल लेते हैं यहां पर हम एग्जांपल लेते हैं बेस्ट चीज का जो की है टेक्नोलॉजी अब देखिए टेक्नोलॉजी ऐसी चीज है ना जो लाइटिंग स्पीड पर भाई बदलती है मतलब आज एक नया फोन ले लो एक हफ्ता 10 दिन हो जाएगा ना फोन पुराना लगने लगता है क्योंकि दूसरा फोन ए जाता है जिसमें औरत से फीचर्स है तो टेक्नोलॉजी बहुत फास्ट बदलती है बहुत ही ज्यादा तो यहां पर जब मैं रैपिड चेंज की बात करती हूं जब मैं टेक्नोलॉजी की बात करती हूं जितनी फास्ट बदलती है बेटा भाई इनकी साथ इस बदलाव के साथ रेस में रहना डिफिकल्ट है लेकिन जब हम बिजनेस एनवायरनमेंट को स्कैन करते हैं ठीक है मैन के चलो की यहां पे मैं बिजनेस एनवायरनमेंट को स्कैन कर रही हो ठीक है मतलब स्टडी कर रही हूं ठीक है तो मुझे पता है की अपकमिंग चेंज क्या चेंज आने वाले हैं टेक्नोलॉजी में कौन सी नई टेक्नोलॉजी के बारे में बात हो रही है क्या चेंज फ्यूचर में ए सकते हैं तुम्हें अभी से इन चेंज को स्टडी एनालाइज करना चालू करूंगी फिर ऐवेंंचुअली उसको उसे करना चालू करूंगी तो इससे क्या होता है की मुझे प्रायर पता है की चेंज जो बदलाव आने वाले हैं क्या आने वाले देखो अचानक बदलाव आया तो अचानक उसको उसे करना डायरेक्ट करना दिक्कत आती है भाई टेक्नोलॉजी तो चलो तुम कैसे भी ले आओगे लेकिन वर्कर्स को कैसे सिखाओगे नहीं नहीं टेक्नोलॉजी लगे तो वर्कर्स को सीखना ट्रेन करना पड़ेगा और इसीलिए यह बिजनेस एनवायरनमेंट को स्टडी करते वक्त टेक्नोलॉजी पता चलती है टेक्नोलॉजी पता चलेगी पहले से उसकी तैयारी करके रखेंगे तो जब यह बदलाव आएगा बिजनेस में अपने में आसानी होगी कहने का मतलब यह है की बिजनेस एनवायरनमेंट जैसे आपको इंपॉर्टेंट रिसोर्स पता करने में मदद करता है वैसे ही पहले से जो बदलाव आने वाला है या ए सकता है यह बता कर आपको मदद करता है की इस बदलाव के हिसाब से आप अपने इसको चेंज कर सको एडजस्ट कर सको ठीक है नेक्स्ट इंपॉर्टेंट पॉइंट क्या कहता है की यह जो बिजनेस एनवायरनमेंट लेती हूं आज की तारीख में जो कंज्यूमर का टेस्ट एंड प्रेफरेंस है जो पसंद ना पसंद है कंज्यूमर की अगेन यह बहुत फास्ट रेपिडली चेंज होती है रैपिड का मतलब क्या फास्ट बहुत फास्ट फास्ट चेंज होती है अब मुझे पता है की जूते का फैशन बदल गया ये कपड़ों का फैशन बदल गया तो मैं जो है इसी चेंज के हिसाब से अपना जो प्रोडक्ट है उसको चेंज या तो मॉडिफाई करूंगी जैसे आजकल जो शूज है वो बिना लेस वाले शूज की पैटर्न चल रही है यह दिखने के लिए लेस होती है बट वो ऐसे अटैचेद होती है बांधनी नहीं पड़ती लेकिन मुझे अगर पता है की इसकी फैशन चल रही है या ये आजकल ज्यादा लोग पहनते हैं डिमांड करते हैं तब जाके मैं मेरी प्रोडक्शन में चेंज लाऊंगी ऐसे जूते banvaungi राइट तो प्लांस इन पॉलिसी जो भी हम बनाते हैं उसे हिसाब से बनाते हैं की करेंटली क्या जरूरत है आज क्या करना है कल उठ के अचानक से तुम्हारा कंपीटीटर ए गया तुमसे सस्ता प्रोडक्ट बेच रहा है तो तुम्हें नया प्लान बनाना पड़ेगा की आप कंपटीशन में कैसे आगे निकालो सबसे बनाओगे और इसीलिए यह बिजनेस एनवायरनमेंट चेंज का पता रखना बेटा बहुत जरूरी है क्योंकि यह बिजनेस एनवायरनमेंट डायनेमिक एक अभी भी बदलेगा तो उसी हिसाब से आपको भी अपने प्लांस पॉलिसीज को बदलना पद सकता है राइट चलिए आगे जाते हैं नेक्स्ट इंपॉर्टेंट को इंप्रूव कर सकता है कैसे इंप्रूव करेगा तो देखिए एक तो हमें इस बिजनेस एनवायरनमेंट से पता चला की मार्केट में क्या-क्या अपॉर्चुनिटी है क्या-क्या मौके है ये अपॉर्चुनिटी को क्या करोगे तो इसको करोगे ग्रैब पकड़ोगे मॉकिंग का फायदा उठाओगे मौके पे चौका मरोगे ठीक है वैसे ही मार्केट में क्या-क्या खतरे है यह भी आपको पता चला तो इसके साथ क्या करोगे खतरों से बचोगे अपने आप को प्रोटेक्ट करोगे की आपका लॉस मिनिमाइज हो तो अपॉर्चुनिटी है फायदा उठा रहे हो खतरे से बच रहे हो कहीं ना कहीं इससे आपके बिजनेस को प्रॉफिट हो सकता है राइट अब सक्सेसफुल बन सकते हो अगर हम बिजनेस एनवायरनमेंट को कांस्टेंटली स्कैन करते हैं उसको स्टडी करते हैं पता चलता है कहां पे ऑपच्यरुनिटीज पता चलता है कहां पे खतरा है और उसे हिसाब से जो है अपने बिजनेस के प्लांस एंड पॉलिसी को एडजस्ट करते हैं तो हमारे बिजनेस में काफी ज्यादा फायदा हो सकता है और हम सक्सेसफुल बन सकते हैं बेटों मार्केट में परफॉर्म करके आगे निकल सकते हैं ठीक है चलिए आगे जाते हैं बिजनेस एनवायरनमेंट क्यों इंपॉर्टेंट है पता चल गया लेकिन बार-बार मैं एक ही चीज बोल रही हूं की बदलते रहता है इसमें बहुत सारे फैक्टर्स हैं बहुत सारे और सिर्फ कौन से तो इस क्वेश्चन में हम यही पढ़ेंगे डाइमेंशंस ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की बिजनेस एनवायरनमेंट पे कौन से वो फोर्सेस हैं कौन से वो फैक्टर्स हैं जो बार-बार बदलता है बार-बार चेंज होते हैं और हमारे बिजनेस को अफेक्ट कर सकते हैं चलिए फिर इस क्वेश्चन की शुरुआत करते हैं शुरुआत करने से पहले और एक इंपॉर्टेंट चीज ये वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट क्वेश्चन है और जब मैं यह कहती हूं इसका मतलब यह है की एग्जाम में इसको पढ़े बिना बिल्कुल मत जाएगा यह क्वेश्चन कहने के चांसेस बहुत ही ज्यादा है ठीक है चलिए फिर करते हैं इस क्वेश्चन की शुरुआत तो डाइमेंशनल बिजनेस एनवायरनमेंट की बात करें तो उसमें सबसे पहला जो डाइमेंशन है वो आता है इकोनॉमिक्स अब मैं यहां पे अगर इकोनॉमिक्स एनवायरनमेंट की बात करती हो तो ये जो इकोनॉमिक्स एनवायरमेंटल कहीं ना कहीं आपके पूरे कंट्री की इकोनॉमी से जुड़ा हुआ है राइट तो रिच मैन जो भी सारे फैक्टर्स और फोर्सेस आते हैं वो ये फैक्टर्स ऑफ फोर्सेस होते हैं जो इकोनॉमी ऑफ अन कंट्री को अफेक्ट करते हैं या कंट्री की इकोनॉमी में बदलाव लेट हैं जैसे अगर यहां पे हम एग्जांपल देखें तो पहला लेट से जीडीपी ऑफ अन कंट्री जीडीपी का फुल फॉर्म होता है ग्रॉस डोमेस्टिक प्रोडक्ट या तो अगर हम दूसरा फैक्टर ले डेट इसे फॉर कैपिटल इनकम या अगर हम यहां पर बात करते हैं की देश में इन्फ्लेशन ए गया या तो अगर हम बात करते हैं की देश में रिसेप्शन ए गया इकोनॉमिक्स कंडीशन ऑफ कंट्री में चेंज लेट हैं और इसीलिए इसको कहते हैं इकोनॉमिक्स एनवायरनमेंट जैसे मैं अगर यहां पर आपको एग्जांपल देती हूं लेटेस्ट से हम यहां पे बात करते हैं इन्फ्लेशन की राइट अब इन्फ्लेशन का साधारण मतलब क्या होता है महंगाई राइट तो यहां पे अगर मैं इन्फ्लेशन की बात करूं इन्फ्लेशन का सिंपल लैंग्वेज में मतलब क्या होता है महंगाई या तो आप का सकते हो इंक्रीज महंगाई होना चीजों के दम बढ़ जाना इसको हम क्या कहते हैं इन्फ्लेशन कहते हैं अब मैन के चलिए की कोई एक फैक्ट्री है और इस फैक्ट्री में हम क्या बना रहे हैं ठीक है इसका कॉस्ट प्राइस ₹100 में शर्ट बनता था हम इसमें प्रॉफिट को जोड़ के 120 रुपए में यही शर्ट को हम बेचते द अभी शर्ट बनाने के लिए बहुत सारे फैक्टर्स ऑफ प्रोडक्शन लगते हैं कोई भी चीज बनाने के लिए ऐसे तो नहीं बन जाएगा बहुत सारी चीज लगती है जैसे आपको लैंड चाहिए उसके अलावा लेबर चाहिए उसके अलावा रॉ मटेरियल चाहिए उसके अलावा बिजली चाहिए कपड़ा चाहिए बहुत सारी चीज चाहिए उसका रेंट बढ़ जाएगा मशीन है वो महंगी हो जाएगी लेबर का वेज बढ़ाना पड़ेगा रॉ मटेरियल महंगा पड़ेगा तो जो शर्ट ₹100 में बनाते द 120 में बेचते द अब उसी शर्ट की कीमत जो है 120 हो गई है मतलब 120 में तो ये बनता है अब 120 में बना के नो प्रॉफिट पर तो बेच नहीं सकते आपको भी तो कुछ कामना है तो 120 में बनता है चलो आप यहां पे 130 में उसको बेच रहे हो 10 तक के सभी कम प्रॉफिट पहले तो 20 तक कर लेते द अब तो डस्टर कैसे भी कम प्रॉफिट तो 130 में आप इसको जो है बेच रहे हो फिर भी इसका जो प्राइस है वो बढ़ गया महंगी हो गई चीज महंगी हो गई तो जाहिर सी बातें लोग कम खरीदेंगे आपके बिजनेस पे अफेक्ट होगा तो कोई भी इकोनॉमिक्स फैक्टर है जो कंट्री की इकोनॉमी में बदलाव लता है वो आपके बिजनेस पे भी अफेक्ट करता है और इसी को कहते हैं इकोनॉमिक्स एनवायरनमेंट सारे वो फैक्टर और फोर्सेस जो कंट्री की इकोनॉमी में बदलाव ला सकता है वो आता है अंडर इकोनॉमिकल एनवायरनमेंट या तो इकोनॉमिक्स एनवायरनमेंट और ये एनवायरनमेंट को स्टडी करना एनालाइज करना समझना जरूरी है क्योंकि ये सिर्फ कंट्री में बदलाव नहीं लता यह फैक्टर्स कहीं ना कहीं आपके बिजनेस पे भी अफेक्ट करता है तो इनको समझना बहुत ज्यादा जरूरी है राइट उसके बाद जो सेकंड एनवायरनमेंट जिसको समझना जरूरी है उसको कहते हैं सोशल एनवायरनमेंट सोशल एनवायरनमेंट की बात करूं तो इसमें सारे वो फैक्टर्स आते हैं जो सोसाइटी लोगों में बदलाव लायक जैसे लोगों की पसंद नापसंद जैसे लोगों की पसंद एन पसंद जिसको हम कहते प्रेफरेंस या तो लोगों के लिविंग स्टैंडर्ड या स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग अप का दो या तो कस्टम्स एंड ट्रेडीशन एग्जैक्ट ठीक है अब एक सिंपल एग्जांपल लेते हैं यहां पर आजकल लोगों की जो पसंद है ना धीरे-धीरे थोड़ी सी हेल्दी फूड पर शिफ्ट हो रही है मतलब इंडिया में अब फाइनली फाइनली कुछ लोगों को हेल्थ बेनिफिट समझ में ए रहा है की हमें क्या खाना चाहिए की एक्सरसाइज करनी चाहिए क्या नहीं खाना चाहिए तो मार्केट में देखोगे ना तो चीज जैसे शुगर फ्री हेल्थ बार योग बार ऐसी चीज बहुत ज्यादा अवेलेबल हो गई है ठीक है हमारी विराट कोहली जी भी कहते हैं की ये फ्राइड नहीं है यह बाग डेट तो ज्यादा हेल्दी है राइट बहुत सारे लोग कोई कहते हैं ये जूस पियो फिट हो जा क्योंकि फिटनेस प्रोडक्ट्स क्यों इतने सारे अचानक मार्केट में ए गए क्योंकि लोगों का जो टेस्ट है जो चॉइस है वो धीरे-धीरे थोड़ा सा फिटनेस प्रोडक्ट्स की तरफ जा रहा है तो शुगर फ्री ये फ्री ऑयल फ्री होगा ये चीज जो है मार्केट में ज्यादा अवेलेबल हो रही है इसी को कहते हैं सोसाइटी में जो लोग रहते हैं है वही तो आपकी कस्टमर है जब उनकी पसंद नापसंद बदलती है जब उनकी स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग बढ़ती है अब देखिए जैसे की हम एक एग्जांपल देती हूं पहले किस ज़माने में इंडिया में गरीबी बहुत थी तो लोग जीते द की उतनी ही चीजें रखते द की भाई जिंदगी निकल पाए लेकिन जैसे जैसे इंडिया की इकोनॉमी आगे गई लोगों के मैं पैसे ज्यादा आए लोगों की जो स्टैंडर्ड ऑफ लिविंग है अजीम होते जा रही है आज लोग कहते हैं की भाई जिंदगी आराम से जिनी है लग्जरी में भी जी रहा है राइट तो चीज जैसे ऐसी है कलर्स है कार्स है बाइक से इन चीजों के डिमांड भी बढ़ रही है तो उसको अवेलेबल बिजनेस करके दे रहा है कोई ट्रेडीशन है जैसे यहां पे हम एग्जांपल लेते हैं चलो अभी दिवाली आने वाली है ठीक है तो यहां पर मैं एग्जांपल लेते हैं डिवाइड होना इंडिया में तो मीठा भाई बहुत चलता है स्वीट्स हो गए अच्छे कपड़े इन चीजों की डिमांड बहुत बढ़ती है तो बस बस इसको पता है की भाई दिवाली के पहले इन जो स्टॉक है वो अच्छा खास आपको करके रखता है क्यों क्योंकि इसके डिमांड होती है ये इंडिया में ऐसी कस्टम ट्रेडीशंस है तो ये सारी चेंज हैं जो सोसाइटी में होते हैं जो इट की सोच आइडिया आईडियोलॉजी का ट्रेडीशन कैसे वो रहते हैं क्या पसंद करते हैं इनके जो बदलाव आता है जाहिर सी बात है वो आपके बिजनेस को परफेक्ट करें और बिजनेस को लोगों की पसंद नापसंद के हिसाब से ही चलना होता है और इसीलिए इस एनवायरनमेंट को समझना जरूरी है और इतनी को कहते हैं सोशल एनवायरनमेंट ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं नेक्स्ट डाइमेंशन पे जो की यहां पे है आपका पॉलिटिकल एनवायरनमेंट देखिए एनवायरनमेंट जो है आपकी कंट्री की करंट पॉलिटिकल पार्टी उनकी सोच आइडिया गवर्नमेंट के ऊपर जो है निर्भर करता है तो करेंटली जो भी आपकी गवर्नमेंट पावर है देखिए हर गवर्नमेंट की अपनी अलग सोच होती है वो अलग चीजों को सपोर्ट करते हैं अलग चीजों की अगेंस्ट होते हैं तो करेंटली जो गवर्नमेंट है उनकी क्या सोच है वो किस चीज को पोर्ट करते हैं किस चीज को अपोज करते हैं ये आपके बिजनेस को जरूर परफेक्ट करता है और इसीलिए इनको जानना समझ क्या नहीं पॉलिसी ए रही है क्या नहीं पॉलिसी ए सकती है इनको समझना जरूरी है ठीक है तो पॉलिटिकल चेंज की अगर मैं बात करूं तो इंडिया में इसे बहुत सारे इंपॉर्टेंट चेंज जो आए हैं जैसे यहां पे इंडिया में स्किल इंडिया मूवमेंट है ठीक है उसके अलावा डिजिटल बने इंडिया स्कीम के द्वारा स्कीम जो कहीं ना कहीं वुमेन एंड बैकवर्ड सोसाइटी है उनको बिजनेस करने में फंड्स अवेलेबल करने में मदद कर रही है उसके अलावा जो है स्वच्छ भारत अभियान वैसे बहुत सारी पॉलिटिकल चेंज है या polythees है यह जो है बिजनेस को इफेक्ट करती है अब मैं अगर आज एक बिजनेस हूं मुझे पता है की करंट गवर्नमेंट को बहुत ज्यादा प्रमोट करें यह सपोर्ट कर रही है लोग आगे आपकी स्टार्टअप्स ओपन कर रहे हैं आप देखो इन सालों में कितनी स्टार्टअप्स इंडिया आए हैं और आते जा रहे हैं राइट तो ये जो पेड़ का चेंज होते हैं जो पॉलिटिकल मूव्स होते हैं टैक्स बढ़ाना कम ना ये पॉलिटिकल जो चेंज होते हैं उनकी जो आइडियल होती है ये सारे आते हैं पॉलिटिकल एनवायरनमेंट में और ये सब कुछ डिपेंड करता है की करेंटली कौन सी गवर्नमेंट इन पावर है गवर्मेंट बदलेगी तो अगेन ये पॉलिटिकल एनवायरनमेंट जरूर बदलेगा और इसीलिए इस पे नजर रखना क्या पॉलिसी ला सकती है क्या लेगी ये देखना बहुत जरूरी है राइट गवर्नमेंट की बात कारी तो उसके बाद आते हैं कायदे कपल सारी होते हैं और आप जो कंट्री में बिजनेस कर रहे हो आप अगर इंडिया में बिजनेस करती हूं तो आपको इंडिया का लॉ फॉलो करना है आपकी इंडियन कंपनी है बट आप उस में बिजनेस कर रहे हो तो आपको उस का लॉ फॉलो करना है इसको कहते हैं नो ऑफ लैंड इसको क्या कहते हैं जिस देश में बिजनेस कर रहे हो उसे देश के फायदे कानून को फॉलो करते हुए ध्यान में रखते हुए बिजनेस करना कंपलसरी है और आपके लिए बहुत सारे कायदे कानून है जो बिजनेस के लिए लागू होते हैं की अगर हम कुछ यहां पे एग्जांपल ले ठीक है तो इंडिया में बहुत सारी एक्ट से जैसे हम अगर बात करते हैं कंपनी एक्ट उसके बाद आपका मिनिमम वेजेस एक्ट उसके बाद फैक्टरीज एक्ट उसके बाद आपका जो है जो कंपनी के ऊपर लागू होते हैं बिजनेस के ऊपर अप्लाई होते हैं इसको कहते हैं लॉ ऑफ लैंड राइट जिस देश में कम करो उसे देश के कायदे कानून और ये जो लीवर डिजीज है एक्ट से इनको ध्यान में रखते हुए ही व्यक्त करना है और ये कायदे कानून कभी भी मॉडिफाई हो सकते हैं चेंज हो सकते हैं कोई नया कायदा ए सकता है फाइंस बदल सकती है मॉडिफाई हो सकती है तो अध्याय इनको ध्यान में इनके बारे में पता होना और उसे हिसाब से बिजनेस में मॉडिफाई चेंज लाना बहुत ही ज्यादा जरूरी है और इसी को हम क्या कहते हैं लीगल एनवायरनमेंट कहते हैं राइट आता है आपका टेक्नोलॉजी है बेटा ये बहुत ही रेपिडली बहुत फास्ट फास्ट चेंज होती है अब देखिए मैं अगर ये टेक्नोलॉजी में जो चेंज ए रहे हैं उसे हिसाब से मैं अगर चेंज ना करूं मैं अगर यहां पे आउटडेटेड प्रोडक्ट बनाओ मतलब क्या पुराने जमाने का तो क्या ये प्रोडक्ट डिमांड करेगा क्या इसको कोई खरीदेगा सबको लेटेस्ट नहीं जमाने की चीज चाहिए तो टेक्नोलॉजी पार्क बदलती है लेकिन उसे हिसाब से अगर आप अपने बिजनेस को नहीं बदलते पुराने जमाने के प्रोडक्ट बनाते हो मार्केट में सरवाइव नहीं कर पाओगे ठीक नहीं पाओगे और इसीलिए टेक्नोलॉजी के हिसाब से अपने आप को बदलना बहुत ज्यादा जरूरी है कोई नई टेक्नोलॉजी कोई नया प्रोडक्ट आया कोई नया आ आपका प्रचार आया जिससे आप बेहतर नए जमाने के प्रोडक्ट बना सकते हो बनाओ बनाओ ये टेक्नोलॉजी को अपना नुकसान नहीं है टेक्नोलॉजी महंगी होती है बट आपके पास कोई ऑप्शन ठीक है चलिए आगे जाते हैं टेक्नोलॉजी की अगर बात करें तो यह टेक्नोलॉजी बहुत सारे डिफरेंट डिफरेंट चेंज आए हैं यह टेक्नोलॉजी में नए इंप्रूवमेंट्स इनोवेशन हर दिन लगातार आते रहते हैं लेकिन इस नई टेक्नोलॉजी को अपना नाम बहुत ज्यादा जरूरी है इसको अपने बिजनेस में लाना बहुत ज्यादा जरूरी है नोकिया का एग्जांपल यहां पे जरूर याद रखें ठीक है तो ये है आपके डाइमेंशंस ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट ऐसे डाइमेंशंस ऐसे एनवायरनमेंट जो पार लगातार बदलते रहते हैं लेकिन इनके बारे में जानना और इनके हिसाब से अपने आप को एडजस्ट करना अपने बिजनेस को एडजस्ट करना जरूरी है ठीक है डाइमेंशंस की तो बात हो गई अब इसके बाद जो नेक्स्ट इंपॉर्टेंट क्वेश्चन वह है इकोनॉमिक्स में ए जाती है भाई इकोनॉमिक्स में भी है बिजनेस में भी ए गए और सच कहूं आगे भी पढ़ोगे ना तो भी आएगी बीकॉम बी बहुत सारे सिलेबस में पॉलिसी कहीं ना कहीं से आती है ठीक है क्या है पॉलिसी में ऐसा क्यों ऐसा बार-बार हर जगह लगातार आती है तो इसकी लेना इसका बैकग्राउंड समझना बहुत जरूरी है ठीक है 1947 में इंडिया को फ्रीडम मिला अब फ्रीडम मिलने की पहले बहुत सालों तक इंडिया पे राज किया गया है क्या पॉलिसीज बनाते हैं जब आदमी तो मिल गई बहुत मुश्किल से बहुत लड़ाइयां हुई बहुत मैंने कितने लोग शाहिद हुए आजादी मिली आजादी मिलने के बाद जिस आजादी के लिए जिस देश के लिए इतनी कुर्बानियां दी गई थी उसे देश को ऊपर लाना था कोशिश की गवर्नमेंट फॉर्म हुई इन्वेस्टमेंट के इन्वेस्टमेंट उधर इन्वेस्टमेंट हर जगह इन्वेस्टमेंट किया लेकिन एन जाने इसका क्या था की हर कोशिश नाकाम हो रही है इधर से पैसा डाला कोई दिक्कत नहीं है उधारी लिया वो तो उधर ही है की नहीं कुछ भी करेंगे इंडिया के ऊपर लाएंगे बट फैल 1991 तक हम करते गए 1991 में ऐसा हो गया की पैसे ही इतने भी पैसे नहीं बचे द की दो हफ्ते के चल पाए तो बाजी खतरे की टिंग टिंग टिंग घंटी अब क्या अब क्या 1991 में आई आपकी न्यू इकोनॉमिक्स इसको आप एलपीटी पॉलिसी भी का सकते हो एलपीजी मतलब आपको लिक्विड पेट्रोलियम गैस नहीं यहां पे आपके लिक्विड पेट्रोलियम गैस की बात बिल्कुल नहीं कर रही हूं यहां पे अगर मैं एलपीजी की बात करूं राइट एलपीजी का फुल फॉर्म है एलपीजी का फुल फॉर्म क्या है लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ये तीन कॉम्पोनेंट्स ये तीन चीजों से बनी आपकी न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी जो 1991 में इंडिया में आई थी जब आपकी देश की इकोनॉमी ऐसे जा रही थी और जैसे ही यह पॉलिसी आपकी इकोनॉमी गुड ऐसे बदलाव लिया और इसीलिए बार-बार लगातार कहीं ना कहीं से ए जाती है क्योंकि इसके कारण इंडिया में मेजर चेंज आए द क्या थी ये पॉलिसी क्या की हमने लिबरलाइजेशन में क्या किया हमने privateisan में इसको थोड़ा सा यहां पे समझते हैं तो बेटा अगर मैं लिबरलाइजेशन की बात करूं तो इसका मतलब होता है ठीक है अब आप बोलोगे की मैं आजाद ही तो मिल गई थी लेकिन यहां पे देश की आजादी ने बिजनेस की आजादी की बात कर रही पहले बिजनेस करना होता था ना एक बिजनेस के लिए लेग गद्दी लाइसेंस यह पॉलिसी यह प्रोसीजर यह लाइसेंस एंड बिजनेस ही ना करें उतना थक जाता था हमने कहा की ये जो बिना मतलब की लाइसेंस है जो फीचर्स है जो पॉलिसी है जिसकी जरूरत नहीं है उसको क्या करो तो हटाओ इसी को कहते हैं लिबरलाइजेशन जिसमें सबसे पहली चीज क्या की तो ऐसे लाइसेंस को हमने बट एक्सेप्ट करना है जूते का करना है चश्मा बेचनी है घड़ी फेस पे कोई खतरा नहीं लेकिन अगर कुछ केमिकल रिलेटेड है या डिफेंस रिलेटेड है जहां पर देश की सिक्योरिटी का सवाल है उन बिजनेस को छोड़कर बाकी सब बिजनेस से लाइसेंस हटा दिया बहुत कम ऐसे है उनको छोड़कर राइट कुछ सालों पहले एक छोटा सा लाइसेंस लगता था लाइसेंस उसको बोलते द अभी तो बड़ा वो भी हटा दिया क्योंकि हमने कहा की बिजनेस करो भाई ये झंझट में हम आपको मेरा बिजनेस अच्छा चल रहा है बहुत पैसे ए रहा है खोलो जी खुल गए एक्सपेंड करना है 220 ब्रांच खोलना कोई रोकटो नहीं पहले होती थी पहले होती थी बंद करना करो दो ब्रांच बंद करनी है 200 ब्रांच बंद करनी है आपकी चाहे उतने एक्सपेंड करो चाहे उतना कॉन्ट्रैक्ट करो गवर्नमेंट की कोई रोक-टोक नहीं इसमें हमने क्या कारी तो यहां पे जो टैक्स रेट था वह हमने देने पद रहे गवर्नमेंट को मैंने पुरी आप की तो बड़ा पे दर्द होता है हमने कम कर दिया की लोगों को ज्यादा से ज्यादा प्रॉफिट कितने मिले उसे करने मिले सो डेट वैसे ज्यादा मोती प्रोत्साहित हो की भैया हम और बिजनेस को करेंगे क्यों क्योंकि आपका फायदा मिल रहा है राइट तो टैक्स रेट को हमने घटाया उसके अलावा जो उन नेसेसरी कंट्रोल्स रखे हैं ना गवर्नमेंट ने की ये भी करो ये प्रोसीजर भी ये पॉलिसी ये लाइसेंस भी वो सारे कंट्रोल हटा दिए हमने बोला की भाई जिन चीज की जरूरत है जहां पे लगता है की भाई ये कंट्रोल कर नहीं है इसमें रिस्क केस में खतरा है इसमें देश को दिक्कत देती है रखो बाकी सब को करो बेटा एक्सपोर्ट ठीक है देश को बढ़ाने बढ़ाने के लिए या देश की इकोनॉमी को ऊपर लेके जाने के लिए आपके देश में जो फॉरेन ट्रेड है वह बेटा उतना ही इंपॉर्टेंट होता है पहले इंपोर्ट और एक्सपोर्ट करना होता था ना सर दर्द सो फॉर्म यह अप्रूवल वो अप्रूवल इंसान करें नहीं भले उसमें बहुत फायदा था तो गवर्नमेंट ने यहां से भी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट में ये जो अननेसेसरी चीज थी हटाकर इसको भी क्या किया लिबरल किया आसान किया की ज्यादा से ज्यादा इंपोर्ट और एक्सपोर्ट भी करें नेक्स्ट गवर्नमेंट ने क्या किया फाइंड डी प्रोसीजर बट किसके लिए की इंडिया में ज्यादा से ज्यादा फॉरेन कैपिटल पैसा नहीं है टेक्नोलॉजी में भी हम वैसे बहुत पीछे द हर देश का फॉरेन कंट्रीज का पैसा करें तो एंप्लॉयमेंट जेनरेटर लेकिन ए नहीं का रही थी कानून हम लगाकर बैठे द उसको भी आसान किया की ज्यादा से ज्यादा फॉरेन कंपनी इंडिया में इन्वेस्ट कर जो की हुआ फ्रीडम इन डी मोमेंट ऑफ गुड्स एंड सर्विस आप सर्विसेज भेज दो एक जगह बनाते हो हर जगह बेचो उसमें भी कोई रोक-टोक नहीं उसमें गवर्नमेंट की कोई रिस्ट्रिक्शन यहां पे नहीं होगी राइट नेक्स्ट चीज क्या की प्राइस ऑफ डी गुड जो है वो पहले हम फिक्स करते द प्राइस फ्लोर जैसी गवर्नमेंट की पॉलिसी है और प्राइस फ्लोर का मतलब क्या होता है वो सिर्फ वेरीफाई नेसेसरी जो आइटम है जो मुझे लगता है नेसेसिटी है लोगों की जिंदगी के लिए जरूरी है उसके ऊपर लागू है बाकी सारे जो प्रोडक्ट्स हैं जो प्रकट ऑर्गेनाइजेशन से वो बनाते हैं उसके ऊपर प्राइस फिक्सिंग में कोई रोक-टोक नहीं है आपको जो सही प्राइस लगता है आपको जितना प्रॉफिट अर्जेंट से ही लगता है आप वो चार्ज करके उसको यहां पे एल कर सकते हो ठीक है चलिए आगे चलते हैं यहां पे लिबरलाइजेशन में गवर्नमेंट ने ये कोशिश कारी थी की हम इंडिया में बिजनेस को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा दे थ्री इंडिया में जो बिजनेस करना चाहते द लोग द विदेश विदेशों में इंडिया में इन्वेस्टमेंट करना चाहते द बट कर नहीं का रहे द कितनी रोक टोक पॉलिसीज कंट्रोल लगा कर रखे द तो हमने हटाया सारी नहीं बट बिना जरूरी जो द जिन सूरत नहीं थी सबको हटाया की इंडिया में बिजनेस बड़े एंप्लॉयमेंट जेनरेशन हो क्योंकि इससे इंडिया की इकोनॉमी आगे जा सकती है ठीक है लिब्रेट ट्यूशन की बात जो सेकंड चीज हुई वो थी आपकी प्राइवेटाइजेशन पी का मतलब यहां पे क्या था तो advertisession तो लिए प्राइवेटाइजेशन को देखते हैं तो अगर हम बात करते हैं यहां पे प्राइवेटाइजेशन की ठीक है तो अगर प्राइवेट करें तो 1991 के पहले इंडिया की गवर्नमेंट है ना बहुत लालची थी ठीक है यह भी मेरा ये भी मेरा ये भी मेरा ये भी मेरा सारे सेक्टर मेरे जो इंडियन गवर्नमेंट थी वो मोनोपोली लेके बैठी थी पुली का मतलब भाई इसमें हम ही कम करेंगे हमारे अलावा इसमें कोई कम नहीं करेगा कोई प्राइवेट कंपनी नहीं आएगी कोई दूसरी कंपनी नहीं आएगी बस हमें इस सेक्टर को चलाएंगे inschurns से लेके टेलीकम्युनिकेशन से लेके बैंकिंग से लेके बहुत सारे सेक्टर ओके जो भी गवर्नमेंट के सेक्टर से या तो हम इसको कहेंगे की जो भी पब्लिक सेक्टर द ठीक है ये जो भी पब्लिक सेक्टर से ये सारी पब्लिक सेक्टर ऐवेंंचुअली कन्वर्ट होते गए इन सीकर मिनिट्स अब यहां पे अगर मैं एसईसी यूनिट्स कहती हो तो इसका मतलब ये नहीं है बीमार है ठीक है sikudes का मतलब होता है ऐसे यूनिट्स जो लॉस में जा रहे हैं ठीक है लॉस मेकिंग यूनिट्स या तो लॉस मेकिंग बिजनेस भी आप इसको का सकते हो ठीक है तो धीरे-धीरे बिकॉज गवर्नमेंट इतनी सारी चीजों को 100 नहीं कर का रहा था या में भी उसमें एफिशिएंसी नहीं दिखा का रहा था या मेबी स्ट्रीट्स प्लानिंग कोई भी एक्स्क्रेशन से सारे यूनिट जो है एसईसी यूनिट में कन्वर्ट होते गए लॉस मेकिंग में कन्वर्ट होते गए अब इससे गवर्नमेंट को हो रहा था भारी नुकसान तो गवर्नमेंट ने फाइनली दिल पर हाथ रख के एकदम बड़ा दिलदार बनाया और कहा की ये सेक्टर अभी हम ओपन कर देते हैं फॉर डी प्राइवेट कंपनी फॉर डी प्राइवेट सेक्टर और तभी शुरुआत हुई प्राइवेटाइजेशन की तो प्राइवेट में गवर्नमेंट ने क्या किया तो सबसे पहली चीज पब्लिक सेक्टर में डिसइनवेस्टमेंट किया की कोई भी चीज में अगर हम पैसा डालते हैं जैसे मैंने प्रॉपर्टी खरीदी जैसे मैंने लैंड खरीदा जैसे मैंने शेयर्स खरीदे जैसे मैंने गोल्ड खरीदा तो ये एसिड में जब हम पैसा डालते हैं की आगे जाके कुछ ना कुछ फायदा होगा रिटर्न्स मिलेंगे बेनिफिट मिलेगा तो इसको कहते हैं इन्वेस्टमेंट तो वही डाला हुआ पैसा जब वापस खींचते हैं वही डाला हुआ पैसा जब वापस खींचते हैं तो इसी को कहते हैं दिस मिन क्या कहते हैं तो डिसइनवेस्टमेंट तो bikauj पब्लिक सेक्टर लॉस मेकिंग में जा रहा था गवर्नमेंट उसको नहीं संभल का रहा था धीरे-धीरे धीरे-धीरे करके गवर्नमेंट ने इन पब्लिक सेक्टर में दिस इन्वेस्टमेंट पैसा वापस खींचने चालू किया की भाई ये नहीं चल रहा तो पैसा हमारा पूरा डूबेगा उसको वापस खींच लेते हैं ठीक है दूसरी चीज जो प्राइवेटाइजेशन में गवर्नमेंट ने की एक बी एफ आर करके बोर्ड सेटअप किया सी आर इन फॉर बोर्ड क्या था तो बोर्ड ऑफ इंडस्ट्रियल फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन तू वर्ड है समझती हूं मैं एग्जैक्ट इसका मीनिंग बता रही हूं आपको बी फॉर बोर्ड क्यों सेटअप किया गया था गवर्नमेंट ने कहा की देखो बहुत सारे मेरे यूनिट्स हैं या बिजनेस है जो कन्वर्ट हो चुके हैं इन सिक्योर्ड राइट लॉस मेकिंग लेकिन अगर कोई तरीका है की इनको सेक्यू यूनिट से रिवाइव कर सके मतलब बाहर ला सके वापस प्रॉफिट मेकिंग में कन्वर्ट कर सके इन कम जेनरेटिंग में कन्वर्ट कर सके तो हमें करना चाहिए तो हमें करना चाहिए राइट तू पहले ये बर बोर्ड जो है वो कोशिश करता था की क्या यह यूनिट्स को वापस जो है प्रॉफिट मेकिंग में कोई भी चेंज लाकर मोडिफिकेशन लाकर कन्वर्ट किया जा सकता है अगर हान कन्वर्ट किया जा सकता है तो उसको रिवाइज करो राइट लेकिन अगर आपको लगता है की भाई अब इसमें कोई उम्मीद नहीं है इसको वापस प्रॉफिट मेकिंग में नहीं कन्वर्ट किया जा सकता तो बिफर को कहा गया की ऐसी जो यूनिट्स हैं उनको आप शुरू डाउन करो क्या करो शटडाउन शटडाउन का मतलब होता है क्लोज करो राइट तो ये जो यूनिट्स है ये जो बोर्ड है स्पेसिफिकली इसी कम के लिए सेटअप किया गया था की लॉस मेकिंग यूनिट्स को समझकर परक कर अगर प्रॉफिट में कन्वर्ट किया जा सकता है चेंज लेक करो अगर नहीं तो उसको शटडाउन करना था मतलब बंद करना था ठीक है थर्ड पॉइंट क्या कहता है की यहां पे गवर्नमेंट ने अपना स्टॉक जो है उसको डाइल्यूट डाइल्यूट का मतलब होता है रिड्यूस आप यहां पे समझ सकते हो कम करना चालू किया अब देखिए मैन के चलिए यह मेरा 100% एक है इसकी भी हाथ में होगा मतलब ये कंपनी है कंपनी के 50% से ज्यादा अगर शेयर्स मेरे हाथ में तो कंपनी का कंट्रोल मेरे हाथ में होगा मेरी चलेगी राइट तो यहां पे अगर मोर दें 50% शेयर्स गवर्नमेंट के हाथ में था है तो यहां पर आप का सकते हो कंट्रोल भी गवर्नमेंट के हाथ में था लेकिन गवर्नमेंट उसको नहीं कंट्रोल कर का रही थी नहीं संभल का रही थी तो गवर्नमेंट ने धीरे-धीरे अपने ये जो शेयर्स है ये बेचना चालू किया किसको तो प्राइवेट सेक्टर को किसको बेचना चालू किया प्राइवेट सेक्टर और इसीलिए ये जो कंट्रोल भी था गवर्नमेंट से कहां पे शिफ्ट हो गया प्राइवेट सेक्टर के पास शिफ्ट हो गया तो ऐवेंंचुअली गवर्नमेंट ने क्या-क्या उनकी जो बिजनेस में कंट्रोल थी ओनरशिप थी शेयर्स को धीरे-धीरे करके प्राइवेट सेक्टर के हाथ में सोप कर मेजॉरिटी शेयर होल्डिंग में जो है प्राइवेट सेक्टर के हाथ में सौंप कर ये ओनरशिप को पास ऑन कर दिया इसको कहते हैं डाइल्यूशन ऑफ स्टेट क्यों किया गया क्योंकि मेरे से बिजनेस नहीं कंट्रोल हो रहा था तो जिससे हो रहा है उसको दे दिया तो obbviously इसमें पैसा भी आपका वापस आया ठीक है ये तो था आपका प्राइवेटाइजेशन जहां पे गवर्नमेंट ने क्या लिखना शुरू किया तो जो पब्लिक सेक्टर है जिससे की यूनिट्स है जहां पर गवर्नमेंट का कंट्रोल नहीं हो का रहा था गवर्नमेंट उसको नहीं संभल का रहा था उसको धीरे-धीरे करके ओपन किया फॉर डी प्राइवेट सेक्टर बट सबसे बड़ा स्टेप जो गवर्नमेंट ने लिया था 1991 में वो थी आपकी पॉलिसी ऑफ ग्लोबलाइजेशन ये पॉलिसी ऑफ ग्लोबलाइजेशन की बात करूं तो देखिए 1991 के पहले बिफोर 1991 हमारी जो इकोनॉमी थी वो कैसी थी एक क्लोज्ड इकोनॉमी थी हमारी जो इकोनॉमी थी वो कैसे थी क्लोज्ड ठीक है क्लोज का मतलब क्या होता है की हम जो है ना देश के अंदर ही अंदर लेन-देन ट्रेन ये सब कुछ करते द देश के बाहर फॉरेन कंट्री से कोई लेना देना नहीं हमने पुरी क्लोज्ड इकोनॉमी बनाकर राखी थी बट इससे हमें काफी नुकसान हो रहा था और धीरे-धीरे हमने रिलाइज किया की अगर हमें अपने देश को ऊपर लेकर जाना अगर अपनी इकोनॉमिक्स ऊपर लेके जाना है तो बहुत जरूरी है की हम फॉरेन ट्रेड करें दूसरे कंट्रीज का पैसा हमारे देश में इन्वेस्ट हो हम दूसरे देशों में इन्वेस्ट करें एक्सेप्टर और इसीलिए आफ्टर 1991 यह जो पॉलिसी आई थी न्यू इकोनॉमिक्स पॉलिसी उसमें हमने इसी क्लोज इकोनॉमी को किस्म कन्वर्ट कर दिया ओपन इकोनॉमी राइट तो पहले थी इकोनॉमी क्लोज्ड फिर हमने क्या कर दी ओपन राइट ओपन इकोनॉमी की तो फॉरेन ट्रेड इंपोर्ट एक्सपोर्ट आ जो दूसरे कंट्रीज के साथ लें लें था इन्वेस्टमेंट था वो सब इंक्रीस हो गया तो ग्लोबलाइजेशन करने के लिए हमने क्या स्टेप्स लिए सबसे पहले जो इंपोर्ट्स हम करते हैं इंपोर्ट्स का मतलब क्या जो दूसरे कंट्री से गुड्स को हम बाय करते हैं राइट फॉर एग्जांपल इंडिया ने उस से टेक्नोलॉजी परचेज किया ठीक है तो इसको हम क्या करेंगे बेटा इसको हम कहेंगे इंपोर्ट क्योंकि इंडिया में चीज आई है हमने कोई और देश से खरीदी है तो इसको क्या कहेंगे इंपोर्ट तो पहली ना गवर्नमेंट इंपोर्ट को मिनिमाइज कम से कम करने की कोशिश करता था क्यों क्योंकि हम जब चीज खरीदते हैं तो हमें पैसे देने पड़ते हैं तो गवर्नमेंट चाहते द की जो इंडिया में है या इंडिया में बनी हुई चीज है वो सबसे ज्यादा उसे हो हर और हम उसी में डील करें बट बहुत सारी चीज हैं जो इंडिया में या तो बनती नहीं या तो प्रोपराइटी क्वालिटी की नहीं बनती और हमें उसको इंपोर्ट करना होता है तो गवर्नमेंट ने इंपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए की भाई ऐसी चीजों को परेशानी से इंपोर्ट कर सबको गवर्नमेंट ने इंपोर्ट लिबरलाइजेशन की भाई इंपोर्ट है आप पहले भी कर सकते द अभी भी कर सकते हो बस हमने क्या किया तो यहां पे लिबरलाइजेशन में हमने इसको आसान कर दिया इजी कर दिया बहुत सारी अननेसेसरी फॉर्मेलिटीज को हटा दिया की लोग आसानी से यहां पे इंपोर्ट्स कर सके ठीक है दूसरी चीज अगर यहां पे मैं कहूं पॉइंट नंबर तू तो जो हमारी फेरा एक्ट थी डेट इस फोर इन एक्सचेंज एंड रेगुलेशन एक्ट उसको हमने हटाकर किस रिप्लेस किया हमारी फेम एंड डट इस फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट क्यों फेरा को हटाकर फमा को लेकर आए क्योंकि जो फेमा एक्ट थी डेट इस वॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट ही ज्यादा फीवर में थी फॉरेन ट्रेड के तो हमने फर ऐड जो थी उसी में बदलाव लाकर चेंज लाकर शर्मा एक्ट बनाई फिर आपको हटाकर फेमो को उसे करना हमने यहां पे चालू किया क्योंकि ज्यादा फॉरेन ट्रेड को जो है बढ़ावा देती थी प्रमोट करती थी सपोर्ट करती थी राइट उसके अलावा जो है नहीं आता तो यहां पे ये गलती से दिया गया है एक्सपोर्ट ड्यूटी ये पहली चीज याद रखिएगा यहां पे हमने इंपोर्ट लिबरलाइजेशन किया राइट बट इंपोर्ट में एक दिक्कत होती है हर कंट्री की गवर्नमेंट चाहती है की हम इंपोर्ट कम करें एक्सपोर्ट ज्यादा राइट जैसे फॉर एग्जांपल उस से इंडिया में घुस जाए तो वो इंपोर्ट द बट वही अगर इंडिया जो है जापान को अपने गुड्स सेल कर रहा है तो इसको हम कहेंगे एक्सपोर्ट इसको क्या कहेंगे एक्सपोर्ट अब एक्सपोर्ट करने से देश में पैसा आता है तो हर कंट्री की गवर्नमेंट चाहती है की हम ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट करें हम ज्यादा से ज्यादा क्या करें तो एक्सपोर्ट करें राइट तो यहां पे हमने जो है एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए की ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट करें हमने एक्सपोर्ट्स को क्या कहा की आप क्यूबिक जो टैक्स और ड्यूटीज लगते भी द अब वो भी हटा दो उसको भी आप walish कर दो इसका मतलब होता है रिमूवल ठीक है हटा दो उसको की लोग ज्यादा से ज्यादा एक्सपोर्ट करें बिकॉज उनको मैक्सिमम बेनिफिट इसके द्वारा होगा राइट एक्सपोर्ट ड्यूटी को तो हमने हटाया बट जो हमारी इंपोर्ट ड्यूटी थी उसको हमने रिड्यूस किया रिड्यूस का मतलब डिक्रीस करना कम करना ठीक है ध्यान देना एक्सपोर्ट में से ड्यूटी पुरी की पुरी हटाई थी इनपुट में थोड़ी कम कारी ठीक है क्योंकि इंपोर्ट में पैसा देश से बाहर जाता है खर्चा होता है इसलिए इंपोर्ट्स को हम उतना सपोर्ट नहीं करते जितना की एक्सपोर्ट को बट इनपुट कुछ चीजों का जरूरी होता है जैसे टेक्नोलॉजी है मशीनस है जो फैक्टरीज बिजनेस में लगती है और इंडिया में शायद अवेलेबल ना हो तो इन चीजों का अवेलेबल हो ना सो डेट बिजनेस स्टार्ट हो सके आगे पढ़ सके बहुत जरूरी है और इसीलिए हमने इंपोर्ट्स को भी बढ़ावा दिया इस पे ड्यूटी रिड्यूस की ऐसी जो जरूरत की चीज है आसानी से यहां पे इंपोर्ट की जाए ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं अब यह तो हुआ आपका न्यू इकोनॉमिक पॉलिसी था इस एलपीजी पॉलिसी क्यों पड़ी क्योंकि लिबरलाइजेशन प्राइवेटाइजेशन ग्लोबलाइजेशन जब भी तीन मेजर चेंज आए द आपकी कंट्री में आपकी इकोनॉमी में तो जाहिर सी बात है बिजनेस पे फिट कर होगा जाहिर सी बात है और अगर इतने बड़े चेंज आए तो यह जो भी चेंज है उसका इफेक्ट क्या हुआ बिजनेस पे बिजनेस पे क्या असर हुआ क्या चेंज है क्या दिक्कतें आई क्या फायदा हुआ ये जानना जरूरी है ये जानना बहुत जरूरी है की बिजनेस पे क्या असर हुआ और बिजनेस ने इसको कैसे हैंडल किया क्योंकि बहुत बड़ा बिजनेस एनवायरनमेंट चेंज था इन 1991 तो लिए देखते हैं बिजनेस में क्या क्या इसका इफेक्ट हुआ सबसे पहली चीज जो यहां पे गिवन है डेट इस इंक्रीज कंपटीशन पहले इंडिया में कैसे था पता है सिर्फ इंडियन कंपनी थी ठीक है क्योंकि हम तो भाई क्लोज ट्रेड करते द क्लोस इकोनॉमी थी तो सिर्फ इंडियन कंपनी जाता आप का सकते हो बिज़नेस द इंडिया में ही पाएंगे इंडिया में इस सेलिंग सब कुछ विदीन इंडिया तो पहले बिजनेस कैसे हुआ करते द मालूम है देख लेने का तो ले वर्ण जा क्यों क्योंकि उनको पता है की हमारे पास अल्टरनेटिव नहीं द बहुत फ्यू बिजनेस है तो लोगों के पास ऑप्शन नहीं द तो वो ऐसे दे रहा ठीक है बट जैसे फॉरेन कंपटीशन आया जैसे ग्लोबलाइजेशन हुआ ग्लोबलाइजेशन की बात इंडिया में एंट्री मारी ऑफ फॉरेन कंपनी आई तो इंडियन बिजनेस के लिए बढ़ गया खतरा किस चीज का खतरा तो पहले बहुत कम कंपटीशन था अभी रेस में पंच लोग दौड़ रहे हैं तो फर्स्ट सेकंड थर्ड में कोई बड़ी बात नहीं है बट अचानक से उसी रेस में 5000 लोग हो गए अब उनमें से फर्स्ट सेकंड थर्ड आना बहुत मेहनत करनी पड़ेगी तो यहां पर फॉरेन कंपटीशन आने की वजह से फॉरेन कंपनी इंडिया में आने की वजह से कंपटीशन बहुत बढ़िया वो आए अपनी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ रिसर्च trignovation अच्छी प्रोडक्ट्स वैराइटीज अल्टरनेटिव इंडियन कंपनी का सरवाइव करना डिफिकल्ट हो गया बहुत मेहनत करनी पड़ी प्लांस पॉलिसी स्ट्रेटजी चेंज करनी पड़ी वर्ण मार्केट से टाटा आएगा ठीक है दूसरा बहुत बड़ा चेंज यहां पे क्या आया तो मोर डिमांडिंग कस्टमर 1991 की पहले कंपटीशन बहुत कम था कंपटीशन कम था तो बिजनेस से ऐसे राजा बट 1991 के बाद जो कंपटीशन बड़ा फॉरेन कंपनी आई तो मार्केट में जो अल्टरनेटिव्स है मार्केट में जो अल्टरनेटिव है ठीक है यहां पे हम लिख देते हैं यह अल्टरनेटिव जो है बहुत बढ़ गए अल्टरनेटिव मतलब क्या आप इसको ऑप्शंस भी का सकते हो अब ऑप्शंस बड़े कस्टमर को हमने बहुत भाव दिया तो वो बन गया एकदम डिमांडिंग ये चाहिए ऐसा चाहिए इतने में ही चाहिए इतने प्राइस में चाहिए ऐसी पैकेजिंग चाहिए और मार्क की जो है यहां पे कस्टमर सेटिस्फेक्शन पे डिपेंडेंट हो गया की भाई कस्टमर के पास तो बहुत सारे ऑप्शंस हैं बहुत सारे ब्रांड है बहुत सारी कंपनी है अगर हम अपने कस्टमर को सेटिस्फाई नहीं कर सकते वो कहीं और जाएगा तो उनको satisf पे रखने के लिए खुश रखने के लिए क्या जरूरी था कस्टमर की नीड्स वांट्स को पूरा करना और इसीलिए कस्टमर डिमांडिंग बन गए और हम बस उनकी डिमांड पर फोकस करने लगे उनकी जरूरत पे फोकस करने लगे तो यह जो ताज था ना भाई हटते गया बिजनेस के सर से ठीक है तोड़ इंपॉर्टेंट चीज क्या हुई रेपिडली चेंजिंग टेक्नोलॉजी का एनवायरनमेंट ये सबसे पहले रेपिडली का मतलब बताओ तो इसका मतलब होता है फास्ट ठीक है जल्दी-जल्दी जल्दी जल्दी जल्दी तो यहां पे जो टेक्नोलॉजी है एनवायरनमेंट था देखिए इंडिया ना पहले से टेक्नोलॉजी में पीछे रहा है राइट बट इंडिया में जब 1991 ग्लोबलाइजेशन के बाद फॉरेन कंपनी आई तो यह जो फॉरेन कंपनी होती है की हमेशा टेक्नोलॉजी में प्रोग्रेसिव होती है मतलब आगे होती है हमसे ठीक है अब यह टेक्नोलॉजी में हमसे आगे है हम अगर आउटडेटेड पुराने जमाने का प्रोडक्ट बनाएंगे कैसे चलेगा तो ये जो बहुत फास्ट बदलती टेक्नोलॉजी जो नई नई टेक्नोलॉजी न्यू मशीन यू इन्नोवेटिव प्रोडक्ट्स इंडिया में आते गए उनके साथ एडजस्ट करना उनको अपनाना उनको सीखना बहुत दिक्कत थी बट धीरे-धीरे धीरे-धीरे हमने कोशिश की क्योंकि इलाज ही नहीं था भाई या तो करो या तो मारो वाली बात थी तो ये जो टेक्नोलॉजी कल एनवायरनमेंट है जितना फास्ट बदल रहा था हम इसके साथ चेंज हो रहे द इसके साथ अडॉप्ट एडजस्ट हो रहे द दिक्कत ए रही थी बट कोशिश करते जा रहे द राइट और यह जो बदलाव है ना बेटा यह अभी नेसेसरी हो गया चेंज के साथ एडजस्ट नहीं कर सकते अडॉप्ट नहीं कर सकते तो यहां पे जो हमारा सर्वाइवल है ये डिफिकल्ट हो गया था की भाई याद तो करो या तो मारो वाली सिचुएशन थी इतने बड़े चेंज आए फौरन कंपटीशन आया न्यू टेक्नोलॉजी आई अल्टरनेट इस बड़े कस्टमर के डिमांड पुरी करनी है करना तो है इलाज नहीं है या तो करूं या तो बिजनेस जो है आपका बंद हो सकता है तो ये जो चीज का बहुत जरूरी हो गया था और ये चेंज के हिसाब से बिजनेस का चेंज होना अडेप्ट होना उतना ही जरूरी हो गया था ठीक है चलिए आगे चलते हैं नेक्स्ट पॉइंट पे अब देखिए नेक्स्ट पॉइंट क्या कहता है की जो ह्यूमन रिसोर्सेस है या तो आप इनको का सकते हो एम्पलाइज ठीक है तो क्या बिजनेस होगा नहीं [संगीत] करते जब लोग आते हैं सील imploice होते हैं ज्यादा टैलेंटेड ज्यादा एक्सपीरियंस होते हैं तो यह ह्यूमन रिसोर्स को डिवेलप करने की ऐसे एम्पलाइज जूस की है जो एक्सपीरियंस है ऐसे एम्पलाइज को ढूंढने की जरूरत पड़ी अपने बिजनेस में लाने की जरूरत पड़ी की हम ये कंपटीशन को सरवाइव कर पाए टिक पाए तो ऐसे डेवलपमेंट ऑफ ह्यूमन रिसोर्सेस की जरूरत पड़ी ऐसे लोगों की जरूरत इंडिया में पड़ी ठीक है नेक्स्ट यह जो हमारा मार्केट था मार्केट पहले कैसे था मालूम है मार्केट पहले था प्रोडक्शन ओरिएंटेड ठीक है मैंने प्रोडक्शन पर में फोकस रखता था वो द किंग ऑफ डी मार्केट तो पहले वो प्रोड्यूस करते द दें उसको मार्केट में जाके सेल करते द की भाई हमने बनाया है लेना है तो लो वर्ण जाओ राइट बट धीरे-धीरे जैसे कस्टमर डिमांडिंग भरते गए फॉरेन कंपटीशन आते गया कंपटीशन बढ़ते गया यही मार्केट शिफ्ट हो गया तू मार्केट ओरिएंटेशन तो अब हम पहले कस्टमर की जो नीड्स एंड वांट्स है उसको स्टडी करते हैं की भाई हमारे कस्टमर को क्या चाहिए क्या पसंद आता है किस चीज की जरूरत है वह समझकर उसको ध्यान में रखते हुए हम प्रोडक्शन करते हैं हम वही चीजों को बनाने की कोशिश करते हैं एंड दें उसको हम सेल करते हैं तो यह भी बहुत बड़ा शिफ्ट इन डी मार्केट था की पहले जो बिजनेस का राज चलता था पहले बनाते द और बेचते द अब मार्केट एनालिसिस होता है कस्टमर के नीड्स एंड वांट्स को समझा जाता है फिर उसको बनाया जाता है फिर उसको बेचा जाता है वर्ण कस्टमर नहीं लेगा और आप नहीं करोगे कोई और करेगा कंपटीशन में आपसे आगे निकल जाएगा ठीक है ये सारे जो चेंज द अब देख सकते हो कितने बड़े शिफ्ट इन डी मार्केट और कितना बड़ा शिफ्ट इन डी इकोनॉमी यहां पे आया था पब्लिक सेक्टर को वह गुल हो गया चलते रह रहा है चलते रह रहा है हमने कहा की देखो अगर आप लॉस में चल सकते हो नहीं उसको रिवाइज कर सकते हो बंद करो हम सालों से बचे तेरी सपोर्ट नहीं देंगे फंडिंग नहीं देंगे की अब सालों साल चलो तो करो या मारो अगेन इदर ए प्रॉफिट कम और सरवाइव करो और लॉस है तो शटडाउन करो ठीक है पब्लिक सेक्टर के लिए यह पूरा का पूरा हटा दिया ठीक है प्रॉफिट भी ऑन करते द बहुत सारे बिजनेस फॉरेन कंपटीशन आया हमें एक चीज पता चल गई की भाई अब इस मार्केट में टिकना है अगर हमारे बिजनेस को बड़ा बनाना है ना तो सिर्फ इंडियन मार्केट में बिजनेस करके कोई मतलब नहीं है बहुत जरूरी हो गया था की हम जो है इंटर करें मार्केट की भाई हम फॉरेन मार्केट में जो है वह इंटर करें तो बिज़नेस ने क्या करना चालू कर दिया एक्सपोर्ट और ये एक्सपोर्ट कोई ऐसा नहीं था की करना है तो करो सर्वाइवल बन गया था की अगर बिजनेस को ठिकाना है वो लेवल पे लेके जाना है की आपका जो कंपटीशन है उसमें आप आगे निकल जाओ तो एक्सपोर्ट करना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया था राइट तो बिजनेस इस यहां पे आप चाहे एग्जांपल ले लो रिलायंस चाहे आप एग्जांपल ले लो आप टेटस चाहे आप एग्जांपल ले लो ऑफ अदानी इस सारी जो बड़े बिज़नेस हैं ये सारी की सारी जो है फॉरेन मार्केट में इन्होंने इंटर किया और इन्होंने जो है एक्सपोर्ट्स करना चालू की या क्योंकि इनको पता था की अगर बिजनेस को बड़ा करना है अब इसके अलावा कोई ऑप्शन नहीं राइट तो यहां पे आप देख सकते हो की एलपीजी पॉलिसी के कारण कितना बड़ा मार्केट में शिफ्ट आया था और ये शिफ्ट बहुत बड़ी चीज थी बहुत सारे बदलाव आए द बहुत सारी चेंज आए द और इसीलिए इसका इफेक्ट स्टडी करना और इसके हिसाब से अपने बिजनेस में चेंज ला रहा बहुत जरूरी था तो यहां पे अब हम देखेंगे की बिजनेस में क्या इसका जवाब दिया कैसे ये चेंज है क्या मैनेजरियल रिस्पांस सा इन चेंज को लेकर ठीक है चलिए जाते हैं आगे तो हमने यहां पे क्या किया तो सबसे पहली चीज जो हमने किया वह था डायवर्सिफिकेशन का मतलब क्या होता है जैसे फिर एग्जांपल हम लेते हैं हमारी कंपनी है एक्स लिमिटेड ठीक है और पहले हम यहां पे सिर्फ सोप बनाते द साबुन बनाते द तो अब हमने शैंपू भी बनाना चालू किया साथ-साथ हमने कंडीशनर भी बनाना चालू किया उसके साथ हमने टूथपेस्ट भी बनाना चालू किया तो हम जो है एक प्रोडक्ट बनाते नहीं द एक प्रोडक्ट पर निर्भर नहीं करते द की इसी के ऊपर पूरा बिजनेस लिखा हुआ है अलग-अलग अलग-अलग मार्केट में इंटर करना चालू किया अपने बिजनेस को बढ़ाना चालू की डायवर्सिफाई करना डिफरेंट डिफरेंट एरियाज में हमने उसको डालना चालू किया आज आप एग्जांपल ले लो जैसे कंपनी है लेटेस्ट से गोदरेज या आप ले सकते एग्जांपल है वो भी बनाती है खाने पीने की चीज भी बनाती है क्लीनिंग चीज भी बनाती है मच्छरों के लिए भी चीज बहुत सारी चीज हैं जिम आज इनका बिजनेस है इसी को कहते हैं डायवर्सिफाई करना अलग-अलग अलग-अलग एरियाज में प्रोडक्ट्स में इंटर करना राइट उसके बाद जो सेकंड हमने चीज की वो थी जॉइंट वेंचर्स या तो कोलैबोरेट करना था तो हमने क्या किया दूसरे बिजनेस के साथ हाथ मिलाकर छोड़कर बिजनेस करना चालू किया इन्होंने हाथ जोड़ लिया उसके बाद टाटा मिलकर ज्यादा मार्केट शेर ज्यादा एसिड ज्यादा जो है रिसोर्सेस डेवलपमेंट इनोवेशन फाइनेंशियल सपोर्ट ये चीज हो जाती है इसीलिए ये जॉइंट वेंचर्स को लिबरेशन बहुत ज्यादा इंडिया में जो है वो बढ़ गए राइट उसके बाद थर्ड चीज ब्रांड बिल्डिंग देखिए ब्रांड क्या होता है एक ब्रांड क्या होता है कब हम कहते हैं की यह ब्रांड है जब हम मैन की टीम और प्रमोशन जैसी चीजों को उसे कर कर अपने नाम को वो मुकाम पर ले जाते हैं की लोग हमें जानते हैं जैसे अगर कोई जूता है या कोई शर्ट ब्रांड को जानते हैं क्योंकि आज वो नामी बन गए हैं आज सब उन्हें जानते हैं मार्केटिंग प्रमोशन ठीक है ब्रांड का बेनिफिट क्या होता है तो जब इतना कंपटीशन बढ़ता है जब लोगों के पास इतने सारे वैराइटीज और चॉइस एंड ऑप्शंस होते हैं अगर आपका नाम मार्केट में अच्छा है आप एक ब्रांड हो लोग आपको प्रेफरेंसेस है लोग आपको पसंद करते हैं लोग आपको एक चॉइस के तौर पे लेते हैं की भाई ये ब्रांड है इसका नाम है तो इसको खरीदते है और उसके लिए लोग ज्यादा पैसे भी दे देते जनरली ब्रांडेड चीज महंगी होती है बट लोग फिर भी खरीदते हैं राइट तो ये ब्रांड बिल्डिंग का कॉन्सेप्ट चालू हुआ सब मार्केटिंग प्रमोशन के अपना नाम सब जाने अपना प्रोडक्शन सब खरीदे यह कॉन्सेप्ट हमने चालू कर दिया और उसी के साथ नेक्स्ट शीट लेटेस्ट टेक्नोलॉजी अपनाना क्योंकि देखिए अभी आज के तारीख में अगर मैं आउटडेटेड चीज बना रही हूं पुराने जमाने की चीज बना रही हूं तो कोई इसको नहीं खरीदने वाला इसके डिमांड नहीं होने वाली तो हम सब ने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी उसे करके नए-नए प्रोडक्ट्स बनाना इनोवेशन करना रिसर्च बनाना क्योंकि कंपटीशन सरवाइव करना था और इसीलिए न्यू टेक्नोलॉजी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अपनाना हमने भी शुरू कर ठीक है चलिए रिस्पांस इन टर्म्स ऑफ टेक्नोलॉजी के लिए जरूरी होता है वह होते हैं उनके एम्पलाइज या तो आप का सकते हो ह्यूमन रिसोर्स होंगे जितना अच्छा कम करेंगे जितने ज्यादा कंपनी के गोल्ड हैं ऑब्जेक्टिव्स अचीव करेंगे कंपनी बिजनेस उतना आगे जा पाएगा और इसीलिए यह जो स्किल्ड एम्पलाइज है बेटा यह जो स्किल्ड एम्पलाइज है लोगों के सैलरी 40-50 करोड़ सैलरी होती है आज के जमाने में क्यों इतना पैसा देती है उनको पता है क्योंकि इसे लोग बहुत कम होते हैं जैसे लोगों को ढूंढना मिलना और उनको पकड़ के रखना बहुत जरूरी है पैसे लोगों को ढूंढने के लिए ऐसे लोगों को हमारे बिजनेस में लाने के लिए हमने कंपनसेशन लेवल उनकी सैलरी पापुलेशन है उसमें से कुछ लोग हमें अपने बिजनेस के लिए मिले तो इंडिया में भी बहुत सारे ऐसे जिनकी सैलरी मैं इस मार्केट का राजा मैं बनाऊंगा बेचूंगा लोग खरीदेंगे की बदला ये बिजनेस बन गया कस्टमर सेंट्रिक कैसा बन गया कस्टमर सेंट्रिक से कस्टमर सेंट्रिक का मतलब क्या होता है की हम जो भी करें बिजनेस में कस्टमर के हिसाब से करें उनकी जरूरत को समझकर उनको क्या चाहिए कैसा चाहिए कितने में चाहिए ये सोचकर प्रोडक्ट बनाए प्रोडक्ट बेचे मार्केटिंग करें कस्टमर फोकस बिजनेस बन गया जो कस्टमर को चाहिए वो बना होगा कस्टमर हमारा भगवान राइट चलिए आगे चलते हैं ओके अब managel रिस्पांस क्या था कैसे हमने कोशिश की की अपने बिजनेस को यह बदलते एनवायरनमेंट के साथ एडजस्ट करें वह भी जब 1991 में तब बड़ा बदलाव आया था भी नहीं है ना लेकिन और इसे बड़ा सा बदलाव आया था की ₹500 की नोट बंद हो गई थी क्या आपको वो दिन याद है जब मार्केट में एक नई पिंक कलर की नोट आई थी क्या आपको वो दिन याद है जब आपके पास बहुत सारे पैसे होते हुए भी बहुत सारे पैसे नहीं द हान मैं उसी दिन की बात कर रही हूं जब नोटबंदी हुई थी जिसको हम कहते हैं नवंबर 2016 में जब आपकी पार्ट्स और 1000 की नोट 4X से बंद हो गई थी रातों रात का दिया था की ये बस अब एक पेपर का टुकड़ा रेसिपी आपको खरीद नहीं सकते वक्त 86% करेंसी विड्रोल हो गई थी क्योंकि मार्केट में जितना भी वैसा घूमता है तो उसमें ज्यादातर ₹500 की नोट थी वही बन कर दी तो बच्चा कितना बस 14% लेकिन करेंसी का क्या किया फेंक दिया नहीं हमने क्या किया तू गवर्नमेंट ने कहा गवर्नमेंट ने एडवाइस किया की आप इनको ना बैंक में जाकर रिप्लेस करके नहीं करेंसी ले सकते हो लेकिन तभी नहीं करेंसी की लिमिटेशन थी उतनी प्रिंटिंग हुई नहीं थी बड़ी-बड़ी लाइन लगती थी और कुछ छोटा-छोटा माउंट जो है एक लिमिट तक का आप विद्रोह कर पाते द छोटा-छोटा क्यों हुआ स्टेशन है इंडिया में कला पैसा ब्लैक मणि बहुत ज्यादा है ब्लैक मणि क्या तो ऐसी इनकम जिसके ऊपर टैग्स लगता है लागू होता है लेकिन लोग भरते नहीं 12 दिन कम होंगी बोलेंगे मैं तो 4 लाख कम रहा हूं 8 लाख छुपा देते टैक्स से बचत है तो यह ना हो गवर्नमेंट ने कहा यह ना हो टैक्स लोग भरे भाई असल में पता चले की लोगों के पास कितना पैसा है ये ब्लैक मणि कम हो यह जो टैग से विज़न है ना taxibation का मतलब क्या होता है यह हम नहीं सेंड करेंगे भाई राइट नेक्स्ट कारण क्या था तो टैग से ट्रेडिंग एंड चैनेलाइजिंग सेविंग इन फॉर्मल सिस्टम इसका मतलब क्या होता है जनरली हम जो भी पैसा से करते हैं बैंक में मतलब हम इसको बचत को बैंक में डिपॉजिट करते हैं तो यही पैसे को लोन के तौर पे बिजनेस इसको देता है ऑन डी फॉर्म ऑफ लोन और क्रेडिट राइट बिजनेस बैंक को इंटरेस्ट देता है तो बास तो भरना पड़ेगा ना इंटरेस्ट तो भरना पड़ेगा मैन के चलो वो 12 तक है बैंक इसमें से एक परसेंटेज मतलब समझो छह तक का किसको देता है उसे व्यक्ति को जिसने पैसा डिपॉजिट किया था अब बचा जो 6% है वो बैंक के लिए प्रॉफिट के तौर पे जाता है मैन के चलो तो इससे क्या होता है जो पैसा है आप ऐसे तिजोरी में रख दोगे पलंग के अंदर छुपा के रखोगे दीवार के अंदर रखोगे तो इसका कोई फायदा नहीं आपकी सिस्टम में बिज़नेस में इन्वेस्ट करने के लिए इंस्टिट्यूट में इन्वेस्ट करने के लिए कम नहीं आता क्योंकि मैं अगर टैग से बचाना चाहती हूं मेरी इनकम 12 लाकर दिखाती हूं चार लाख तो खाते में तो 12 लाख दल नहीं पाऊंगी क्योंकि पूछेंगे ना कल आप तो 4 लाख कमाते हो बैंक अकाउंट में 12 लाख कैसे आए कोई भी फाइनेंशियल इंस्टिट्यूट में वगैरा डिपॉजिट नहीं करते जिसके वजह से यह जो हमारी फॉर सिस्टम है जिसमें लेन-देन लेन-देन का साइकिल चलता है इससे पैसा जो है बाहर हो जाता है तो इस सिस्टम में यह पैसे को वापस खींचने की हमारे पास पैसे अवेलेबल हो बिजनेस के लिए इंस्टिट्यूट इंडस्ट्री के लिए और ये आगे बढ़ सके राइट चलिए नेक्स्ट कारण क्या था क्रिएटिंग अन कैशलेस और डिजिटल कैश लाइट इकोनॉमिक्स ट्रांजैक्शंस कैश ट्रांजैक्शंस होता है अब कैश अगर ट्रांजैक्शन ज्यादा होते हैं तो इनका पकड़ नाना ट्रांजैक्शंस को बहुत दिक्कत है अब ऑटो में जा रहे हो ₹20 आपने दिया आपको कोई बिल देता है क्या पानी पुरी खाए दोसा गई इडली गई पैसा दिया कोई बिल मिलता है क्या तो इसका ना कोई एंट्री कोई रिकॉर्ड कोई ट्रांजैक्शन नहीं होते तो इसका पता करना कितना वैसा गया आया रिकॉर्ड नहीं पता चलता ऐसे लोगों को मौका मिलता है की वो पैसा छुपाए टैक्स ना भरे तो जब नोटबंदी हुई पैसा होते हुए भी पैसा नहीं तब हमें याद आएगी कुछ एक पेटीएम जैसी चीज थी और तब से अभी तक आप देखो बदलाव तो जरा देखो आज के तारीख में लोग हर छोटी चीज की लिस्ट [संगीत] जगह जहां पे मैक्सिमम डिजिटल ट्रांजैक्शन तो वहां पर पहुंचने में समय लगेगा बट इसकी शुरुआत तो हुई जो हम चाहते द डिमॉनेटाइजेशन का टाइमिंग बहुत ही सिंपल सा सवाल है इस बार आपके लिए की डिमॉनेटाइजेशन एक बहुत ही बड़ा स्टेप था जो गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ने लिया था और उसके कारण आपको पता है बट बट मेरा सवाल ये है की क्या आपको लगता है की ये डिमॉनेटाइजेशन पॉलिसी सक्सेसफुल थी यस और नो या आपको क्या दिक्कत आई थी क्यों आपको ऐसा लगता है की पॉलिसी सक्सेसफुल थी या तो अगर आपका जवाब ना है तो क्यों ये पॉलिसी आपको लगता है सक्सेसफुल नहीं थी कमेंट सेक्शन में इसका आंसर जरूर बताइएगा ठीक है दोबारा इसे लेक्चरर्स के साथ वापस मिलेंगे इस चैप्टर की जो प्रैक्टिस शीट है और नोट से वो हमारे ऐप पे भी अवेलेबल है जरूर उसको देखिएगा जरूर क्वेश्चन को प्रैक्टिस करिएगा जब तक हमने चैप्टर के साथ जल्द ही नहीं मिलते तब तक बाय