हलो एवरीवन, आज हम पढ़ेंगे Class 10 Geography का Chapter No. 4 जिसका नाम है Agriculture दोस्तों, अगर हम Agriculture के नजरिये से देखें, तो हमारी इंडिया काफी Important रॉल प्ले करती है Agriculture के अंदर इंडिया की 2-3rd Population, Different Type of Agricultural Activities परफर्म करती है और ये जरूरी भी है क्योंकि Agriculture एक Primary Activity है, जो की हमारे लिए Most of the Food प्रडूस करती है मतलब हम जो खाना काते हैं, वो Mostly Agriculture से ही आता है और साथ में इंडरस्टीज के लिए जो रॉ मटेरियल्स आते हैं वो मूश्टली अग्रिकल्चर से ही आते हैं तो इस चैप्टर में हम डिफरेंट टाइप्स ओफ फार्मिंग के बारे में पढ़ेंगे इंडिया के क्रॉपिंग पैटर्न के बारे में पढ़ेंगे पर्ज्ट टॉपिक है अमारा टाइप ओफ फार्मिंग इस टॉपिक में हम पढ़ेंगे कि फार्मिंग कितने टाइप की होती है प्रिजेंट टाइम इंडिया में तीन तरह की फार्मिंग की जाती है पहली है प्रिमिटिव सबसिस्टेंस फार्मिंग और तीसरी है कमर्सियल फार्मिंग जो की सेल्फ कंजब्सन के लिए की जाती है या हम कह सकते हैं केवल सर्वाइवल के लिए की जाती है मतलब इसमें लोग फसल उगाते हैं केवल अपना पेड़ भरने के लिए इसमें क्या होता है लोग छोटे से जमीन के टुकडे पर खेती करते हैं और खासवात यह है कि यह खेती प्रिमिटिब टूल्स की मदद से की जाती है यानि कि पुराने टाइम की औजारों की मदद से की जाती है जैसे कि ह्यू, डाउ, डिगिंग स्टिक्स इस सरीके के पुराने टूल्स का इस्माल किया जाता है इस तरह की खेती में घर के लोग ही या कमोनिटी के लोग ही एज़ा लेबर की रूप में काम करते हैं इस तरह की खेती कमप्लीटली नेचर पर ही डेपेंड करती है यानि की मॉन्सून के उपर सॉयल की नेचरल फर्टिलिटी के उपर मतलब इसमें किसी भी परकार की मॉडर्न टेकनिक का यूज नहीं करते नाहीं हम मॉडर्न फर्टिलिजर्स का यूज करते हैं नाहीं हम मसीन्स का यूज करते हैं मतलब ये क्रॉप्स नेचरली हुगाई जाती हैं सलेस और बर्न एग्रीकल्चर भी बोलते हैं क्यों बोलते हैं? चली मैं आपको समझाता हूँ इसमें क्या होता है? एक बड़ा सा एरिया होता है उसमें से कुछ हिस्से को क्लियर किया जाता है जिसमें पहले स्लैस किया जाता है यानि कि काटा जाता है फिर बर्न किया जाता है इसलिए से स्लैस और बर्न एग्रिकल्चर बोलते हैं इतना करने के बाद ये जमीन पूरी तरीके से तयार हो जाती है फसल उगाने के लिए फिर इस जमीन पर खिती की जाती है और जब जमीन की fertility कम हो जाती है तो farmer shift करते हैं यानि कि दूसरी जमीन के टुकडे को slice and burn करते हैं मतलब same process के साथ दूसरी नई जगए पर खेती करते हैं तो ये होती है slice and burn agriculture इस तरह की farming को अलग-लग जगों पर अलग-लग नाम से जाना जाता है जैसे कि north eastern states में इसे जमिंग बोला जाता है बस्ता districts of चत्तीजगड and Andaman and Nicobar islands में इसे दीपा बोला जाता है अब दोस्तों ऐसा नहीं है कि इस तरह की खेती केबल हमारे भारत में ही होती है बलकि इस तरह की खेती पूरे वर्ल्ड वाइड की जाती है जैसे कि मेक्सीको और सेंटरल अमेरिका में इसे मिलपा बोला जाता है वेनिजूला में कुनूको, सेंटरल अफरिका म बैतना में रे, इंडोनिशिया में लदांग इस तरह से अलग लग जगों पर अलग लग नाम से जाना जाता है अब हम पढ़ते हैं सेकंड टाइप ओफ फार्मिंग के बारे में यानि की इंटेंसिब सबसिष्टेंस फार्मिंग के बारे में तो इंटेंसिब सबसिष्टेंस फार्मिंग वो फार्मिंग होती है जो कि हम सेल्व कंजब्शन और सर्बाइबल के लिए ही करते हैं मतलब इसका भी में ओब्जेक्टिव यही है कि लोग अपना खुद का पेट भर सके मतलब इस तरह की farming उन जगों पर की जाती है जहां पर population जादा होती है और land कम होती है इसलिए intensive subsistence farming में modern input का और modern machines का जादा इस्तमाल किया जाता है जैसे कि modern fertilizers, pesticides, tractor, harvester, thresher, etc. इस तरह की modern चीजों का जादा इस्तमाल किया जाता है ताकि कम जमीन से ही जादा पैदावर निकाली जा सके और जादा लोगों का भरन पोशन हो सके इस तरह की फसल उगाने के लिए लोग मॉन्सून या नैचुरल रेइनफॉल के उपर ही डेपेंडेड नहीं रहते बलकि वो ट्यूब वेल्स और कैनल्स का भी यूज करते हैं और तो और दोस्तों इस तरह की खेती के लिए लेबर्स को भी हायर किया जाता है अब हम समझते हैं थर्ड टाइप ओफ फार्मिंग के बारे में जो की ��ै कमर्सियल फार्मिंग तो कमर्सियल फार्मिंग वो फार्मिंग होती है जिसको करने का मेन ओब्जेक्टिव होता है पैसा कमाना मतलब इस टाइप की खेती में फार्मर्स जादा मातरा में मॉडर इनपुट्स का इस्तिमाल करते हैं जैसे की HYB सीट्स का जो की जादा पैदाबार देते हैं chemical fertilizers का, insecticides का and pesticides का और भी बहुत सारे modern inputs और modern technology का इस्तमाल करते हैं ताकि farmers अपनी जमीन पर जादा पैदाबार निकाल सकें और उसे बेच कर पैसे कमा सकें simply इस तरीके की खेती पैसे कमाने के लिए की जाती है तबी इसे commercial farming बोला जाता है तो अभी तक हमने तीन तरीके की farming की बारें पढ़ा अक्सर क्या होता है कि हम इन तीनों के बीच का difference सही से समझ में नहीं आता है तो इसे मैं आपको और अच्छे समझाता हूँ जैसे मालो हम चाबल की खेती करते हैं केवल अपने self consumption के लिए और छोटे जमीन के टुकडे पर प्लस पुराने tools का यूज़ करके तो वो होती है primitive subsistence farming वही हम same crop को grow करते हैं modern machines and modern inputs का यूज़ करके और कम जमीन पर जादा पैदाबर निकालने के लिए ताकि जादा लोगों की food demand पूरी हो सके तो ये होती है intensive subsistence farming वहीं अगर हम same ही crop को और बड़ी scale पर करते हैं modern inputs और modern machines का use करके प्लस बेचने के purpose से या पैसे कमाने के purpose से तो वो होती है commercial farming आया समझ में?
अब दोस्तो commercial farming का ही एक type है plantation तो plantation farming क्या होती है? चली जानते हैं तो plantation is also a commercial farming In this type of farming, a single crop is grown on a large area मतलब पहली बात तो यह है कि plantation farming एक commercial farming है मतलब इन्हें sell करने के purpose से उगाय जाता है यानि की बेचने के लिए plantation में क्या होता है एकी type की crop को एक बड़े से area में उगाय जाता है जैसे कि tea, coffee, rubber, sugar cane, banana यह इंडिया की major plantation crops है इन्हें बड़े बड़े एरियास में उगाया जाता है ताकि इन्हें सेल किया जा सके इंडस्टीज को एज़ रॉ मटीरियल नेक्स्ट टॉपिक है हमारा क्रॉपिंग पैटर्न देखो इसमें हम ये पढ़ेंगे कि हमारे भारत में एग्रीकल्चर किस तरीके से प्रक्टिस की जाती है मतलब हम इंडिया के क्रॉपिंग पैटर्न के बारे में पढ़ेंगे दोस्तो एक बात तो हम जानते हैं बेरियस टाइप्स और फूड और फाइबर्स क्रॉप बेजी इन मैंसे कुछ के बारे में हम इस चेप्टर में पढ़ेगी अब दोस्तो हमारी इंडिया में तीन क्रॉपिंग सीजन होते हैं जिन में अलग-अलग क्रॉप्स होगाई जाती हैं पहला है रवी सीजन, दूसरा है खेरिब सीजन और तीसरा है जैद सीजन रवी सीजन में रवी क्रॉप्स होगाई जाती हैं तो रबी क्रॉप्स वो क्रॉप्स होती हैं जो की विंटर की सुरुबात में बोई जाती हैं यानि की अक्टूबर से दिसमबर के महिनों में इने बोया जाता है और समर में यानि की अप्रेल से जून के महिनों में इने हारवेस्ट किया जाता है यानि की काटा जाता है रबी क्रॉप्स में आते हैं वीट, वारले, पीस, ग्राम, मस्टर्ट ये कुछ इंपोर्टेंट रबी क्रॉप्स हैं तो ये मेंली पंजाब, हर्याना, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कस्मीर, उत्राखंड और उत्तर प्रदेश में उगाई जाती है नेक्स्ट हम पढ़ते हैं खेरिब क्रॉप्स के बारे में तो खेरिब क्रॉप्स वो क्रॉप्स हो यानि कि जब बरसा सुरू होती है यानि कि जून जुलाई के महिनों में इन्हें बोया जाता है और सेप्तेंबर अक्टूबर में इन्हें हारवेस्ट किया जाता है खैरिब क्रॉप्स में आती हैं पैडी, मेज, जुआर, बाजरा, तुअर, मूंग, उरद, कॉटन, जूट, ग्राउंड नट और सोयाबी दोस्तो ये जो खैरिब क्रॉप्स हैं वो मुख्य रूप से असम, बेस्ट बंगाल, उडीशा, तेलांगना, तमिल नाडू केरिला और महराश्ट में उगाई जाती हैं खासवात यह है कि आसम, बेश्ट बंगाल और उडीसा में तो तीनों फसले ही पैड़ी की उगाई जाती हैं जिनने इन स्टेट्स में ओस, अमन और बूरो के नाम से जाना जाता है इस टॉपिक में हम इंडिया की मेजर क्रॉप्स के बारे में पढ़ेंगे जो कि हमारी इंडिया की अलग-लग जगों पर उगाई जाती हैं जैसे कि राइस, वीट, मिलेट्स, पलसेस, टी, कॉफी, सुगर केन, ओयल सीट्स, कोटनन जूट इन सब के बारे में हम डिटेल से पढ़ेंगे तो सबसे पहले हम पढ़ते हैं राइस के बारे में तो राइस एक स्टैपल फूड क्रॉप है मतलब बहुती कॉमन फूड क्रॉप है जिसे इंडिया के अधिकांस लोगों द्वारा खाया जाता है यानि कि इंडिया सेकंड लाजेस प्रडूसर है राइस का पूरे वर्ल्ड में चावल को उगाने के लिए हाई टेंपरिचर चाहिए होता है यानि कि 25 डिग्री से उपर का टेंपरिचर चाहिए होता है प्लस हाई हुमुडिटी और 100 सेंटिमेटर से अधेक की एनुअल रेइनफॉल की रिक्वार्मेंट होती है सिंपल भासा में चाबल को उगाने के लिए काफी गर्मी और काफी बरसात की जरूरत होती है इसलिए चाबल की केथी सबसे जादा वहाँ होती है जैसा की आप इस मेप में भी देख सकते हो वहीं पर चाबल सबसे ज़्यादा उगाय जाता है और दोस्तों ऐसे एरियाज में जहां पर कम बारिस होती है जैसे कि पंजाब, हर्याना, बेस्टन यूपी, पार्ट्स ओप राजिस्तान नेक्स्ट हम पढ़ते हैं वीट के बारे में यानि कि ग्यहू के बारे में ये देश के North and North Western parts की Main Food Crop है यानि की प्रमुख फसल है वीट को उगाने के लिए ठंडा सीजन चाहिए होता है और बाद में इने पकने के समय पर इने थोड़ी धूप चाहिए होती है प्लस इने 50-70 सेंटिमेटर की Annual Rainfall की requirement होती है वीट को उगाने के लिए सबसे अच्छे जोन माने जाते हैं इंडिया के गंगा सतलुष प्लेंस और Black Soil Reasons इसलिए अगर हम बात करें इंडिया की Major Wheat Producing States की तो वो हैं पंजाव हरियाना, उत्तर प्रदेश, मद्ध प्रदेश, बिहार और राजस्थान इन राज्यों में जो है सबसे जादा भीट प्रडूश किया जाता है जैसा कि आप इस मेप में भी देख सकते हो इसमें जो डार्क वाला हाइलाइटेट पोर्शन है मिलेट्स का मतलब होता है मौटे अनाज या इने कॉर्स ग्रेन भी बोलते हैं अब दोस्तो ये मौटे अनाज भी मेली तीन परकार के होते हैं जुआर, रागी और बाजरा ये तीन तरह के important millets होते हैं ये तीनों ही तरह के millets काफी ज़्यादा nutritionist होते हैं मतलब इनकी nutritional values काफी high होती हैं चलो इन तीनों को एक एक करके अच्छे से समझते हैं सबसे पहले हम समझते हैं जौर के बारे में तो जौर जो है वो तीसरी सबसे important food crop है with respect to area and production मतल� जुआर एक rain-fed crop है मतलब इसे बारिश चाहिए होती है इसलिए ये ज़्यादातर ऐसे इलाकों में उगाई जाती है जहांपर बारिश अच्छी होती है इसलिए इस crop को उगाने के लिए अलग से irrigation करने की जरूरत नहीं पड़ती जुआर सबसे ज़्यादा उगाय जाता है करनाटका, आंद्रप्रदेश, मद्रप्रदेश और महराश्ट में दूसरी अब हम बात करते हैं बाजरा की तो बाजरा की जो फसल है वो उगाई जाती है sandy soils और shallow black soils के उपर मतलब बाजरा की जो फसल होती है वो हलकी रेतिली मिट्टी और उथली काली मिट्टी पर उगाई जाती है बाजरा सबसे ज़्यादा उगाय जाता है राजिस्थान, उत्तर प्रदेश, महराश्ट, गुजरात और हर्याना में थर्ड हम पढ़ते हैं रागी के बारे में रागी dry reason crop है मतलब रागी सूखे इलाकों में मतलब जहां पर बहुत कम बारेस होती है बहाँ पर भी आसानी से उग जाती है रागी की फसल red soil, black soil, sandy, loamy and shallow black soils पर आसानी से अच्छे तरीके से उगाई जाती है रागी का मेजर प्रोड़क्षन किया जाता है करनाटेका, तमिल नाडू, हिमाचल प्रदेश, उत्राखंड, सिक्किम, जारकंड और अर्नाचल प्रदेश में आये समझ में अब हम पढ़ते हैं नेक्स्ट क्रॉप के बारे में जो की है मेज यानि की मक्का तो मक्का आप लोगों ने जरूर देखा होगा और आपने खाया भी होगा तो मक्का जो है वो एक ऐसी क्रॉप है जो की फूड भी है और फूडर भी है मतलब इसको हम लोग भी खाते हैं और इसे चारे के रूप में जानबर भी खाते हैं यानि कि गाय भैस भी खाती हैं मेज एक खेरिब क्रॉप है जिसको 21 डिग्री से 27 डिग्री सेलसेश टेंपरिचर की रिक्वार्मेंट होती है और इसे पुरानी एलोवियल सोईल पर अच्छे से उगाया जाता है बैसे मेज है तो खेरिब क्रॉप बट कई स्टेट जैसे की बिहार मेज को रवी सीजन में भी ग्रो करते हैं HYB Seeds, Fertilizers and Irrigation इनकी मदद से मेज का जो प्रोडक्षन है वो तीजी से बड़ा है मेज का प्रड़क्षन सबसे ज़्यादा किया जाता है करनाटका, मद्ध प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध प्रदेश और तेलांगना में चलो अब हम पढ़ते हैं पल्सेस के बारे में यानि की दालों के बारे में तो दाले कई परकार की होती हैं जैसे कि उरद, मूम, मसूर, पीस, ग्राम ये कुछ मेजर पल्सेस हैं खासवात ये है दोस्तों इंडिया जो है वो सबसे बड़ा प्रडूशर है और सबसे बड़ा कंजूमर है पल्सेस का पूरे वर्ल्ड में मतलब दुनिया में सबसे जादा दाले हमी लोग उगाते हैं और सबसे जादा दालों को कंजब्सन भी हमी लोग करते हैं क्योंकि दाल जो होती है वो मेजर सोर्स होती है प्रोटीन का मतलब दाल में अच्छा खासा प्रोटीन होता है और तो और दोस्तो दालों को उगाने के लिए जादा पानी की भी रिक्वार्मेंट नहीं पड़ती बहुती कम पानी चाहिए होता है जहां तक कि दालों की फसलें सूकी कंडिसन्स में भी आसानी से सर्वाइब कर जाती हैं यूजली जो फार्मर्स होते हैं वो दालों को दो रीजन से उगाते हैं पहला उन्हें खाने के लिए दाल मिल जाती है और दूसरा दाल उगाने से सॉयल की फर्टिलिटी अच्छी हो जाती है अरहर को छोड़कर जितनी भी दाले होती हैं वो सारी दाले मदद करती हैं सॉयल की फर्टिलिटी को रीस्टोर करने में इसलिए जातर फार्मर इने रोटेशन में ग्रो करते रहते हैं अन्न फसलों के साथ सत ताकि सोयल की fertility अच्छी रहे पल से इसका production इंडिया में सबसे जादा किया जाता है मद्ध प्रदेश में, राजस्तान में, महाराष्ट में, उत्तर प्रदेश में और करनाटका में तो दोस्तों अभी तक हमने कई सारी food crops के बारे में पढ़ा जो की grains थी यानि की अनाज थी लेकिन अब हम पढ़ेंगे other than grains वाली food crops के बारे में जैसे की sugar cane, oil seeds, tea, coffee हर्टी कल्चस क्रॉप्स इन सब के बारे में हम डिटेल से पढ़ेंगे ये ग्रेंस नहीं है लेकिन ये सारी फूड क्रॉप्स है मतलब हम इने खाते हैं तो सबसे पहले हम पढ़ते हैं सुगर केन के बारे में तो सुगर केन को हिंदी में गन्ना बोलते हैं तो जो गन्ना होता है वो एक ट्रॉपिकल और सब्ट्रॉपिकल क्रॉप है मतलब ये ट्रॉपिकल रीजन में भी उगाय जाता है और सब्ट्रॉपिकल रीजन में भी उगाय जाता है इस फसल को उगाने के लिए 21 डिग्री सेल्सियस से 27 डिग्री सेल्सियस टेंप्रिचर की जरूवत होती है पिलस इसे 75 सेंटिमीटर से 100 सेंटिमीटर की रेनफॉल चाहिए होती है तब जाकर गन्ना अच्छे से ग्रो करता है अगर किसी रीजन में कम बरसा होती है ब्राजिल के बाद गन्ना जो होता है वो में सूर्स होता है सुगर का, जैगरी का खंडसारी का, मुलैसिस का, ये सब गन्ने से ही बनता है सुगरकेन सबसे ज़्यादा प्रडूस किया जाता है उतरप्रदेश, महराष्ट, करनाटेका, तमिलनाडू, अंधप्रदेश, तेलांगना, बिहार, पंजाप और हर्याना में नेक्स्ट हम पढ़ते हैं ओयल सीट्स के बारे में तो देखो नाम से ही समझ में आ रहा है कि ओयल सीट्स मतलब ऐसे बीच जिनसे तेल निकलता है तो दोस्तो हमारी इंडिया में कई सारी ओयल सीट्स की फसले उगाई जाती हैं जैसे कि ग्राउंड नट, मस्टर्ड, coconut, sesame, soya bean, costa seeds, cotton seeds, linseeds, sunflower इन सब की फसले उगाई जाती हैं और फिर बाद में जाकर इनसे तेल निकाला जाता है इसलिए इने oil seeds बोलते हैं अगर हम अपनी इंडिया की बात करें तो हमारी इंडिया third largest producer है oil seeds की after Canada and China मतलब Canada and China के बाद हम सबसे ज़ादा oil seeds produce करते हैं तो जितने भी य�� जो oil seeds होते हैं उन में से जादा तर का इस्तमाल हम खाने के लिए करते हैं आप सबी को पता है कि जब हम खाना बनाते हैं तब हम ओयल को as a cooking medium यूज़ करते हैं इन मेंसे कुछ ओयल सीट्स को as a raw material भी यूज़ किया जाता है swap production के लिए या other cosmetic बगएरा में यूज़ करने के लिए अब दोस्तों ये जो इतने सारे ओयल सीट्स हैं इन मेंसे कुछ के बारे में हम थोड़ा सा डिटेल से पढ़ते हैं जैसे कि groundnut के बारे में तो groundnut एक carob crop है और जितने भी oil seeds है उन में से सबसे जादा production groundnut का ही होता है याने कि oil seeds के total production का आदा भाग इसी crop से आता है इसलिए 2018 में India second largest producer था मूंफली का after China और अगर हम particular India की बात करें तो 2019-20 में India में Gujarat सबसे बड़ा producer था groundnut का इसके अलावर राजिस्थान और आंधप्रदेश में भी groundnut काफी group किया जाता है अब दोस्तों इसी तरीके से जो अदर ओल सीट्स होते हैं जैसे की लिन सीट्स और मस्टर्ड, सीसा मम, केस्टर सीट्स तो इनके बारे में भी हम थोड़ा पढ़ते हैं तो जो लिन सीट्स और मस्टर्ड हैं तो ये जो हैं वो रबी क्रॉप्स होती हैं यानि कि सर्दियों में ग्रो होती हैं इसी तरीके से जो सीसा मम हैं वो नौर्थ में खेरिप क्रॉप हैं और साउथ में रबी क्रॉप हैं इसी तरीके से जो केस्टर सीट्स हैं वो दोनों के अब दोस्तों अब हम पढ़ते हैं next crop के बारे में जो की है tea यानि की चाई तो चाई एक plantation agriculture का example है मतलब चाई plantation के रूप में उगाई जाती है मतलब बड़े बड़े मैदानों में चाई की खेदी की जाती है चाई एक important beverage crop है यानि की एक drink है जिसे लोग consume करते हैं इसे सुरुवात में अंग्रेज हमारे देश भारत में लेकर आये थे तब से लेकर आज तक देश के जायतर लोग चाई को पीते हैं और खासबात ये है आज के टाइम पर जो जायतर टी प्लांटिशन है उनके मालिक भारतीय हैं चाय की खेदी ट्रोपिकल और सब ट्रोपिकल रीजन दोनों में ग्रो हो जाती है पर चाय की खेदी को करने के लिए डीव, फर्टाइल, वेल्डरेन सोयल चाहिए होती है मतलब काफी गहरी, फर्टाइल और हलकी नमी वाली मिट्टी चाहिए होती है प्लस वो मिट्टी हुमस और ओर्गेनिक मेटर से भरपूर होनी चाहिए इसके साथ साथ टी को ग्रो करने के लिए वार्म क्लाइमेट चाहिए होता है यानि कि थोड़ा गर्म प्लस बिना ओश वाला क्लाइमेट चाहिए होता है इसके साथ साथ फ्रिक्वेंट सावर्स भी चाहिए होते हैं मतलब हलकी हलकी बरसाद भी चाहिए होती है ओवर दा येर ताकि जो चाय की पत्तियां हैं वो अच्छे से ग्रो कर पाएं उनके लिए काफी लेवर चाहिए होती है इंडिया के अंदर सबसे जादा टी प्रडूश की जाती है असम, हिल्स ओप दारजी लिंक, जैल पेगुरी डिस्ट्रिक्स, वेस्ट बंगल, तमिल नाडू, केरिला ये मेज़ा टी प्रडूशिंग स्टेट्स हैं अब हम पढ़ेंगे काफी के बारे में आज के समय में इंडिया में अरेविका नाम की एक कॉफी की बैराइटी प्रडूश की जाती है जो की सुरुवाती समय में यमन से लाई गई थी इस कॉफी की पूरे वर्ल्ड में डिमांड है इसका कल्टिविशन सुरुवाती समय में बाबा बूदान हिल्द से सुरुव हुआ था और आज इसका कल्टिविशन नीलगरी की पहाड़ी ओपर होता है जो की करनाटका, केरिला और तमिलनाडू में लोकेटेड है तो हार्टी कल्चर का मतलब होता है कल्टिविशन और फ्रूट्स और बेजीटेबल मतलब हम जो फल और सबजीयां उगाते हैं या उनकी खेती करते हैं तो ये हाटी कल्चर में आता है तो अगर हम बात करें इंडिया की तो फल और सबजियां उगाने के मामले में इंडिया सेकंड लाजेस प्रडूशर है पूरे वर्ल्ड में आफ्टर चाइना इंडिया काफी उंपोटेंट प्रडूशर है मटर का, कॉली फ्लॉवर का, ओनियन का, कैबेज का, टोमेटो का, ब्रिंजल का और पोटेटो का इसी तरह से इंडिया के अंदर हर तरह के फ्रूट्स भी प्रडूश के जाते हैं इन सब की डिमांड काफी जादा रहती है पूरे वर्ल्ड वाइड जैसे की मैंगोस जो की काफी जाता हुगाया जाता है महराश्ट, आंधप्रदेश, तेलांगना, उत्तरप्रदेश और बैश्ट बंगाल में इसी तरीके से ओरिंजेज हैं जो की नागपूर और चीरा पुंजी में सबसे जाता हुगाया जाते हैं इसी तरीके से बनाना ओफ केरेला, मिजोरब, महराश्ट और तमिल नाडू, लिची और गौवा ओफ उत्तरप्रदेश और बिहार, पाइनेपल ओफ मेगालिया, ग्रैप्स ओफ आंधप्रदेश, तेलांगना और महराश्ट, एपल, पीर्स, एप्रिकोर्ट्स और और हिमाचल प्रदेश इन सब की बड़ी demand रहती है पूरे worldwide अब दोस्तों अब हम पढ़ते हैं non-food crops के बारे में मतलब अभी तक हमने जितनी भी crops के बारे में पढ़ा वो सारी food crops थी लेकिन अब हम जिन crops के बारे में पढ़ेंगे वो सारी non वोन फूट क्रॉप्स होंगी मतलब जिने हम खा नहीं सकते जैसे कि रबर, कॉटन, जूट इन सब के बारे में हम डेटेल से पढ़ेंगे तो सबसे पहले हम पढ़ते हैं रबर के बारे में तो रबर जो है वो एक एक्कोटोरियल क्रॉप है और साथ में ट्रॉपिकल और सब्ट्रॉपिकल रीजन में भी रबर उगाई जाती है रबर को उगाने के लिए मौश्ट और ह्यूमिट क्लाइमिट की जरूरत होती है लगबग 200 सेंटिमीटर से जादा की बरसा चाहिए होती है साथ में 25 डिग्री सेल्सियस से जादा का टेंपरिचर चाहिए होता है रबर जो होती है वो इंडस्टीज के लिए काफ़ी इंपोर्टेंट रॉ मटेरियल माना जाता है रबर को सबसे ज़्यादा उगाय जाता है केरेला, तमिल नाडू, करनाटेका, अन्माने निकोवार आईलेंड्स और गेरो हिल्सॉप मिकालिया तो फाइबर क्रॉप्स यानि की जो रेसे वाली क्रॉप्स होती हैं जैसे की कॉटन, हैम्प, जूट और सिल्क तो इसमें से जो कॉटन, हैम्प और जूट हैं वो सॉयल पर ग्रोग किये जाते हैं यानि की मिट्टी पर उगाये जाते हैं और जो ये सिल्क होता है वो एक ऐसा फाइबर होता है जिसे सिल्क बॉम्स के कुकून से निकाला जाता है सिल्क बॉर में कीड़ा होता है जो की मैलवरी पेड़ की हरी पत्तियों पर पलता है तो जब लोग सिल्क बॉम्स को पालते हैं उनसे सिल्क निकालने के लिए तो उसे सेरी कल्चर बोला जाता है तो इन सभी तरह की fiber crops मेंसे हमें दो तरह की fiber crops के बारे में थोड़ा detail से पढ़ना है जो की है cotton and jute सबसे पहले हम पढ़ते हैं cotton के बारे में तो दोस्तों ऐसा माना जाता है कि इंडिया जो है वो original home है cotton plants का मतलब cotton की सुरुबास सबसे पहले हमारी इंडिया से ही हुई थी cotton जो है वो one of the main raw material माना जाता है cotton textile industries का मतलब कपड़े बनाने वाले industries के लिए cotton काफी important raw material माना जाता है कॉटन एक हेरिब क्रॉप होती है, ये ड्रायर पार्ट्स ओप डेकन प्लेट्यू और ब्लैक सॉयल पर आसानी से ग्रो कर जाती है साथ में इसे ग्रो होने के लिए हाई टेंपरिचर चाहिए होता है और थोड़ी बरसाच चाहिए होती है कॉटन की फसल को पूरी तरीके से तयार होने में काफी ज़दा टाइम लगता है, लगबग 6-8 महिने लग जाते हैं पूरी तरीके से ग्रो होने में केबल इतना ही नहीं, पूरी साल में लगबग 210 दिन इस फसल को फ्रॉस्ट फ्री चाहिए होते हैं, मतलब बिलकुल भी ओश नहीं चाहिए होती है और साथ में इसे bright sunshine चाहिए होती है मतलब तेज दूप चाहिए होती है ग्रो करने के लिए तो देख रहे हो कितनी ज़्यादा condition चाहिए होती है cotton को ग्रो करने के लिए 2018 के अनुसार पूरे world में India second major producer था cotton का after China अगर हम बात करें हमारी इंडिया की तो इंडिया में सबसे ज़्यादा cotton का production किया जाता है महराश, गुजरात, मद्यप्रदेश, तेलांगना, पंजाप, उत्तरप्रदेश, हर्याना, तमिल, नाडु, करनाटका और आंधप्रदेश में लास्ट हम पढ़ते हैं जूट के बारे में तो जूट को गोल्डन फाइबर बोला जाता है क्योंकि इससे काफी सारी चीज़े बनाई जाती हैं जैसे की बैक्स, मेट्स, रोप, यार्न, कारपेट्स और मैनी मोर प्लस इसका कलर भी थोड़ा गोल्ड जैसा होता है असम, ओडिसा और मेगालिया में बट आज के टाइम में जूट का काफी कम इस्तमाल हो रहा है क्योंकि मार्केट में काफी सारे सिंथेटिक फाइबर आ गए हैं जो की बहुत सस्ते होते हैं वहीं जूट काफी मेंगा होता है वो हमारे नेचर के लिए काफी हार्मपूल होते हैं तो दोस्तों इस टॉपिक में हम ये पढ़ेंगे कि अगरिकल्चर में क्या कैर टेकनोलोजिकल और इंस्टिटूशनल रिफॉर्म्स आते हैं यानि कि क्या क्या बदलाव आते हैं अब यहाँ पर एक question arise होता है कि agriculture में बदलाव लाने की जरूरत क्या है Why reforms are required चलिए जानते हैं कि reforms लाना क्यों जरूरी है तो जैसा कि हम सभी जानते हैं कि इंडिया में agriculture हजारो सालो से की जा रही है आज के समय में इंडिया की लगबग 60% population का livelihoods यानि कि उनका जो जीवन है वो agriculture पर ही depend करता है और दोस्तो irrigation में इतना जाना development होने के बावजूद भी आज भी देश के बहुत बड़े बड़े भाग में अभी भी किसान अपनी खेती ���ाड़े के लिए मौनसून और सॉयल की नैचरल फर्टिलिटी पर ही डेपेडनेंट रहते हैं तो ऐसे में सीरियस टेकनलोजिकल और इंस्टिटूशनल रिफॉर्म लाना जरूरी है ताकि एग्रीकल्चर पहले से बैतर हो सके और कंट्री का ओवरल डबलप्मेंट हो सके तो एग्री कल्चर में डबलप्मेंट उस स्पेस के साथ नहीं होगा जिस स्पेस के साथ होना चाहिए तो आये समझ में कि रिफॉर्म्स लाना क्यों ज़र� कौन कौन से reforms आते हैं यानि कि क्या क्या changes आते हैं तो सबसे पहले हम बात करते हैं सुरुबाती समय में क्या क्या institutional reforms आए तो after independence यानि कि आजादी के बाद से कई सारे major institutional reforms लाए गए जैसे कि collectivization पर जादा गोहर दिया गया मतलब लोग मिलकर खेती करें ताकि जादा production किया जा सके consolidate किया holding को corporation में काम करने को प्रिरित किया गया और जो जमीदारी सिस्टम चलता था मतलब जिसमें एकी बेक्ती सारी जमीन की उपर कबजा की रहता था तो ऐसे सिस्टम को अबॉलिश कर दिया जाता है आप दोस्तों क्या लगता है आपको कि किबल इतने से ही काम चल गया होगा नहीं क्योंकि हमें एग्री कल्चर में और जादा बदलाव लाने की जर� तो ऐसे में हमारी गवर्मेंट क्या करती है इंडियन एग्रिकल्चर को इंप्रूब करने के लिए 1960s में ग्रीन रेवोलूशन स्टार्ट करती है और 1970s में वाइट रेवोलूशन स्टार्ट करती है ग्रीन रेवोलूशन की मदद से फार्मिंग को बहतर बनाने का प्रयास किया गया था अभी भी कई सारी जगा ऐसी थी जहां पर डबलप्मेंट होना ज़रूरी था तो इसके लिए हमारी गवर्मेंट क्या करती है 1980s and 1990s में कई सारे comprehensive land development प्रोग्राम शुरू करती है जिसमें गवर्मेंट कई सारी institutional and technical reforms लाती है यानि कि कई सारी नई नई चीजें लाती है जैसे कि सबसे पहले गवर्मेंट ने crop insurance देना शुरू कर दिया मतलब in case अगर drought, flood, cyclone, fire and diseases के चलते अगर किसी की फजल खराब हो जाती है तो government उसे insurance देगी ऐसे provisions बनाए गए सेकिन्ड ग्रामीड बैंक्स को establish किया गया साथ में cooperative societies and banks पर भी जूर दिया गया ताकि किसानों को कम interest rate पर lawn मिल सके fourth government के द्वारा किसान credit card यानि की KCCB introduced किया गया ये भी किसानों की मदद के लिए introduced किया गया था ताकि किसानों को इसकी मदद से चीप लोन मिल सके साथ में एक स्कीम भी लॉंच की गई जिसका नाम था Personal Accident Insurance Scheme यानि की पैस इसकी मदद से फार्मर्स अपनी फसलों को इंस्योर कर सकते थे साथ में गवर्मेंट कई सारे एग्रिकल्चरल प्रोग्राम्स ताकि जो फार्मर्स हैं वो अव्यार रह सकें और नई चीज़े सीख पाएं किसानों की फसलों के लिए ताकि किसानों का एकस्प्लोइटेशन ना हो मतलब किसानों को उनकी फसल का सई दाम मिले तो ये कुछ major initiative है जो कि हमारी government के द्वारा लिये गए थे और ये आज भी प्रोशिश में है लास्ट टॉपे के हमारा भूदान ग्रामदान देखो ये भूदान ग्रामदान एक movement था अब ये movement था क्या चलिए जानते हैं तो ये जो movement था इसे शुरू किया गया था एक बैक्ती के द्वारा जिनका नाम था बिनोबा भावे बिनोबा भावे जो थे वो गांदी जी को spiritually बहुत मानते थे मतलब गांधी जी के जो spiritual thoughts होते थे उनसे बहुत जाधा inspire थे इसलिए इने spiritual higher of मात्मा गांधी भी बोला जाता था तो जिस प्रकार से गांधी जी का बिचार था ग्राम सुराज को लेकर उसी प्रकार से ये भी ग्राम सुराज के idea पर believe करते थे तो ये क्या करते थे उनके बिचारों को गाउं गाउं पहुचाने के लिए पद यात्रा करते थे ताकि गांधी जी के messages को पूरे देश में पहुचाया जा सके तो एक बार क्या हुआ ये गाउं में जाते हैं पोचम पल्ली जो की आन्प्रदेश में हैं तो जब ये कांदी जी के मेसेजेस को कनबे कर रहे थे उसी समय पर कुछ लेंडलेस ब्लेजर्स यानि की जो गरीव लोग थे वो डिमांड करते हैं कुछ लेंड के लिए वो कहते हैं ये सब तो ठीक है बट अगर हमारे पास जमीन ही नहीं होगी तो हम कहां से अपना बिकास करेंगे अगर आप हमें जमीन दिलवा दें तो जरूर हमारी इस्तिती पहले से बहतर हो सकती है उनके बाद जमीन नहीं होती थी सारी की सारी जमीन बड़े बड़े लेंडलोट्स यानि की जमीदारों के पास होती थी तो जब ये चर्चा चल रही थी उसी मीटिंग में तो एक बैक्ती खड़े होते हैं जिनका नाम था स्री राम चंदर रेड़ी तो ये क्या करते हैं अपनी 80 एकड जमीन को दान कर देते हैं 80 लेंडलोट्स ब्लेजर्स के लिए इने देखकर और जो बड़े बड़े जमीदार थे वो भी काफी जादा प्रभावित हो जाते हैं उनके सिस्टेप के लिए क्योंकि तब इन जमीदारों के पास गाउं जितनी जमीने होती थी तो ये जो मुमेंट था इसी को बोला गया भूदान ग्रामदान मुमेंट आया समझ में और ये जो मुमेंट था वो एक बुलर्डलेस रिवोलूशन था मतलब ये सांती से चलने वाला रि तो यहाँ पर हमारा ये चैप्टर खतम होता है I hope आपको ये वीडियो पसंद आई होगी अगर आपको ये वीडियो पसंद आई तो आप इस वीडियो को लाइक कर सकते हो चैनल को सब्सक्राइब भी कर सकते हो मिलते हैं न