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सुप्रीम कोर्ट का एससी-एसटी रिजर्वेशन निर्णय

[संगीत] स्टडी आईक्यू आईएस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल नमस्कार दोस्तों दोस्तों आज सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एक बहुत बड़ा फैसला सुनाया गया है स्केड्यूल कास्ट और स्केड्यूल ट्राइब के रिजर्वेशन को लेकर बेसिकली सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया है अपने ही 20 साल पुराने फैसले को पलट दिया है आप सभी को पता होगा कि यहां पर ओबीसी की जब हम बात करते हैं ओबीसी रिजर्वेशन में उसमें तो आपको क्रीमी लेयर नॉन क्रीमी लेयर देखने को मिलता है लेकिन एससी और एसटी के रिजर्वेशन में यह कांसेप्ट नहीं है लेकिन फाइनली सुप्रीम कोर्ट ने यह हक राज्यों को दिया है कि वह अब सब क्लासिफिकेशन कर सकते हैं यह खबर आप देख पाओगे स्टेट्स एंपावर्ड टू मेक सब क्लासिफिकेशन इन एससीएसटी फॉर कोटा सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा रूल किया है और इसी को हम डिटेल से समझेंगे कि एगजैक्टली यह पूरा मैटर है क्या पीछे का बैकग्राउंड क्या है कब से यह मामला चलता रहा है आपको बहुत कुछ जानने को मिलेगा चलिए आगे बढ़ते हैं लेकिन उससे पहले मैं आप सबको यह बता दूं कि आप में से जो भी लोग 2025 की यूपीएससी की तैयारी कर हैं हमारा जो प्रतिज्ञा बैच है दोस्तों इसके अंदर एडमिशन लेने की आखिरी डेट है र्ड ऑफ अगस्त मतलब र्ड ऑफ अगस्त तक अगर आप यह बैच लेते हो और 2025 का प्रीलिम्स क्रैक कर लेते हैं तो जो पूरा फीस है आपका वो आपका रिफंड कर दिया जाएगा और इसमें तो आपको पता ही है कि प्रीलिम्स मेंस इंटरव्यू सब कुछ की कंप्लीट प्रिपरेशन कराई जाती है आप घर बैठकर बहुत अच्छे से अपनी तैयारी कर पाएंगे और इसके अलावा अगर आप एमसीक्यू अटेंप्ट करना चाहते हैं तो मेरे ा पेज पर जाइए वहां पर स्टोरीज में जितने भी एमसीक्यू हैं उसको भी आप अटेंप्ट कर सकते हैं चलिए शुरुआत बात करते हैं और सबसे पहले यह देखते हैं कि एगजैक्टली हुआ क्या है पहले तो मैं आपको यह बता दूं सात जजों की ये पूरी बेंच बैठी थी जिसको लीड किया जा रहा था चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूर जी के द्वारा तो ये जो फैसला आया है वो 6:1 के वर्डिक्ट से आया है मतलब यहां पर छह लोगों ने सपोर्ट किया है कि सब क्लासिफिकेशन होना चाहिए और एक ने उसका विरोध किया है खैर यहां पर मामला क्या है ये आप देख सकते हो कि 2004 में एक जजमेंट आया था सुप्रीम कोर्ट का ईवी चिन्नया वर्सेस स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश जिसके अंदर सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा था कि स्केड्यूल कास्ट एक होमोजीनस ग्रुप है मतलब कि अगर राज्य चाहे तो शेड्यूल कास्ट के अंदर आपको पता है स्केड्यूल कास्ट को 15 पर रिजर्वेशन मिलता है तो मान लो अगर कुछ राज्य हैं वो चाहते हैं कि 15 पर में शेड्यूल कास्ट के अंदर भी कुछ ऐसे सेक्शंस ऑफ सोसाइटी है कुछ ऐसे लोग हैं जो कि अभी तक उनको सपोर्ट नहीं मिल पाया उतना अच्छे से रिजर्वेशन का फायदा नहीं उठा पाए हैं तो उनके लिए अगर मान लो वो लोग कह दें राज्य कि हम 10 पर रिजर्वेशन देना चाहते हैं और बाकी के स्केड्यूल कास्ट के लिए 5 पर रिजर्वेशन रखना चाहते हैं तो ये जो कैटेगरी इजेशन है इसको इनवैलिड करार दिया था सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में कि यहां पर स्केड्यूल कास्ट को हमें एज अ हो होमोजीनस ग्रुप के तौर पर देखना होगा एक सिंगल ग्रुप के तौर पर देखना होगा आप उसके अंदर अलग-अलग कैटेगरी नहीं डाल सकते मतलब जितने भी लोग शेड्यूल कास्ट के अंदर आते हैं उन सभी को 15 पर का रिजर्वेशन मिलना चाहिए ऐसा उस समय बोला गया था लेकिन अभी आप आप देख सकते हो यहां पर सात जजों की बेंच बैठी थी जिसके अंदर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया तो थे ही लेकिन बाकी के भी यहां पर आप सभी जज देख सकते हो जिसमें से छह जजों ने यह कहा है कि 2004 का जो फैसला था वो गलत था यहां पर सब क्लासिफिकेशन किया जा सकता है चाहे वो स्केड्यूल कास्ट हो और स्केड्यूल ट्राइब हो और यह हक राज्यों को मिलेगा स्टेट गवर्नमेंट को मिलेगा अगर वो करना चाहते हैं यहां पर इकलौते जज हैं जस्टिस बेला त्रिवेदी उन्होंने मेजॉरिटी रूलिंग के खिलाफ फैसला सुनाया है खैर इसके बारे में हम आगे चर्चा करेंगे सबसे पहले यहां पर हम देखते हैं कि यह जो पूरा केस का रूट है वह क्या है इसका बैकग्राउंड क्या है मैं आपको बताता हूं 1975 में सबसे पहले क्या हुआ था पंजाब सरकार ने एक नोटिफिकेशन जारी किया था और देखिए उस समय पंजाब के अंदर एक्चुअली 25 पर एससी रिजर्वेशन था तो पंजाब सरकार ने इस रिजर्वेशन को जो शेड्यूल कास्ट वाला रिजर्वेशन है उसको दो कैटेगरी में डिवाइड कर दिया था पहले कैटेगरी में यह कहा पंजाब सरकार ने कि यह जो रिजर्वेशन होगा व बाल वाल्मीकि और जो मजहबी सिख कम्युनिटीज हैं उनको दिया जाएगा क्योंकि आज भी अगर आप देखोगे जो वाल्मीकि और मजहबी सिख कम्युनिटीज हैं पंजाब में वो सबसे ज्यादा इकोनॉमिकली और एजुकेशनली बैकवर्ड कम्युनिटीज हैं पंजाब के अंदर तो इस पॉलिसी के तहत पंजाब सरकार ने यह कहा कि चाहे वो एजुकेशन इंस्टिट्यूट हो या फिर पब्लिक एंप्लॉयमेंट हो वहां पर पहला प्रेफरेंस रिजर्वेशन का इन दो कम्युनिटीज को मिलना चाहिए फिर जो दूसरा कैटेगरी लाया गया इसके अंदर उसमें बाकी के जो शेड्यूल कास्ट के कम्युनिटीज के लोग हैं उनको यहां पर रखा गया तो यहां पर क्या है कि यह 1975 में जो पूरा मामला आया था पंजाब सरकार ने नोटिफिकेशन जारी किया था तो अगले लगभग 30 साल तक तो ये चलता रहा 20034 तक लेकिन फिर देखिए यहां पर क्या होता है 2004 में प्रॉब्लम हो गई प्रॉब्लम क्या हो गई कि एक आंध्र प्रदेश का मामला गया था सुप्रीम कोर्ट ने क्योंकि आंध्र प्रदेश ने भी एक इसी प्रकार का कैटेगरी इजेशन किया था और आप देख सकते हो यहां पर आंध्र प्रदेश शेड्यूल कास्ट नेशनलाइजेशन ऑफ रिजर्वेशन एक्ट टू 2000 जिसके अंदर यहां पर आंध्र प्रदेश ने क्या किया शेड्यूल कास्ट के अंदर बहुत सारे कैटेगरी बना दिए मतलब हर एक शेड्यूल कास्ट के लिए अलग-अलग रिजर्वेशन दिया गया किसी को 1 पर किसी को 2 पर किसी को 5 पर इस तरह से यहां पर दिया गया था तो ये मामला गया था सुप्रीम कोर्ट में और उस समय पांच जजों की बेंच में तो ध्यान रखिएगा उस समय जो 2004 का फैसला था वो पांच जजों की बेंच का फैसला था और उन्होंने आंध्र प्रदेश का ये जो नोटिफिकेशन है ये जो एक्ट है उसको अन कांस्टीट्यूशनल डिक्लेयर कर दिया और सुप्रीम कोर्ट ने बेसिकली उस समय क्या बोला सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि इट वायलेट्स द राइट टू इक्वलिटी जो हमारा फंडामेंटल राइट है राइट टू इक्वलिटी का उसको वायलेट करता है क्योंकि यहां पर जब स्केड्यूल कास्ट की लिस्ट आती है वह होमोजीनस ग्रुप है उसको हमें एज अ सिंगल के तौर पर देखना पड़ेगा आप उसमें डिवाइड नहीं कर सकते क्योंकि यहां पर यह भी बोला गया कि कांस्टिट्यूशन के अंदर जो स्केड्यूल कास्ट को रिजर्वेशन दिया गया है इट हैज बीन गिवन बिकॉज हिस्टोरिकल उनके साथ डिस्क्रिमिनेशन हुआ है तो हम स्केड्यूल कास्ट के अंदर अलग-अलग डिवाइड नहीं कर सकते और साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट ने एक और यहां पर कारण दिया था कि देखिए आर्टिकल 341 ऑफ कांस्टिट्यूशन उसमें लिखा हुआ है कि प्रेसिडेंट के पास पावर है कि स्केड्यूल कास्ट के अंदर कौन-कौन से लोग होंगे तो वो प्रेसिडेंट वो लिस्ट बना सकते हैं तो राज्यों के पास इसका हक नहीं है तो आई होप आपको समझ में आ गया होगा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2004 में ये फैसला सुनाया कि स्केड्यूल कास्ट हो या या फिर स्केड्यूल ट्राइब हो वहां पर सब कैटेगरी इजेशन नहीं किया जा सकता और फाइनली क्या होता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आने के लगभग 2 साल बाद पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने भी जो 1975 का पंजाब सरकार का नोटिफिकेशन था उसको भी खारिज कर दिया उसको भी खत्म कर दिया अब मामला वापस से अपील पर चला जाता है देखिए फिर क्या होता है यहां पर 2006 में 4 महीने के बाद जब पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार का 1975 वाला नोटिफिकेशन रद्द कर दिया उसके बाद पंजाब सरकार ने वापस से पंजाब और हा हरियाणा हाई कोर्ट के खिलाफ जाकर वापस से एक और एक्ट पास किया पंजाब शेड्यूल कास्ट एंड बैकवर्ड क्लासेस रिजर्वेशन एंड सर्विसेस एक्ट 2006 और इसमें भी देखिए वही चीज की गई 1975 वाले रिजर्वेशन वाले में आपको याद होगा क्या किया गया था जो वाल्मीकि और मजहबी सिख कम्युनिटीज हैं उनको प्रेफरेंस दी गई थी इस वाले एक्ट में भी वही चीज किया गया लेकिन वापस से देखिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 2010 में फिर से उसको स्ट्रक डाउन कर दिया और फाइनली मामला गया पंजाब सरकार ने यह मामला पहुंचाया सुप्रीम कोर्ट के अंदर और देखिए 2014 में फिर क्या होता है सुप्रीम कोर्ट ने यहां पर पांच जजों की एक बेंच बैठाई और उस उनको बोला कि आप देखिए कि क्या 2004 वाला जो फैसला था क्या हमें उसको रिविजिट करने की जरूरत है क्या उसमें कुछ बदलाव करने की जरूरत है तो उन पांच जजों ने कहा कि हां उसमें उसको रिविजिट कर सकते हैं तो फाइनली इसीलिए यह मामला गया सात जजों के बेंच के पास क्योंकि 2004 वाला फैसला पांच जजों के बेंच का था तो अगर कोई फैसला पलटना है या फिर वही रखना है तो आपका हायर बेंच के द्वारा उसको किया जाएगा तो सात जजों का बेंच के पास फाइनली ये ये मामला गया था जिसका फैसला आज आया है तो आज क्या फैसला सुनाया गया है जैसा कि मैं आपको पहले भी बोल रहा था कि इसको लीड किया जा रहा था हेड किया जा रहा था भाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ और 6:1 के मेजॉरिटी से फैसला आया और इसके अंदर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को ये हक मिलता है कि यहां पर अगर वो स्केड्यूल कास्ट हो या फिर स्केड्यूल ट्राइब हो उसमें सब कैटेगरी इजेशन करना चाहते हैं क्योंकि हो सकता है कि देखिए सुप्रीम कोर्ट का तर्क क्या है आज मैं आपको बताता हूं सुप्रीम कोर्ट ये कह रहा है कि देखिए जब से रिजर्वेशन स्टार्ट हुआ है और जिन लोगों को रिजर्वेशन मिला है जैसे मान लो एससी के अंदर एसटी के अंदर तो उसके अंदर जिन लोगों को ऑलरेडी रिजर्वेशन का फायदा मिल चुका है तो ऑलरेडी वो अपर आप कह सकते हैं कि वो उनका उत्थान हो गया है तो एक तरह से अगर राज्यों को लगता है कि स्केड्यूल कास्ट के अंदर भी बहुत से ऐसे कम्युनिटीज हैं बहुत से ऐसे लोग हैं जो रिजर्वेशन का फायदा नहीं उठा पा रहे हैं तो उनके के लिए राज्य चाहे तो अलग से उसी के अंदर रिजर्वेशन कर सकती है मतलब एक्स्ट्रा रिजर्वेशन नहीं देना है उसी स्केड्यूल कास्ट के अंदर जो 15 पर रिजर्वेशन है उसमें डिवाइड कर सकती है और सेम वही चीज शेड्यूल ट्राइब के साथ भी जा सकता है तो एक तरह से 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि होमोजीनस ग्रुप है यहां पर सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि नहीं होमोजेनियस ग्रुप नहीं है हम उसमें सब क्लासिफिकेशन कर सकते हैं हां इसके लिए क्या है कि राज्यों को कुछ एंपर कल डाटा दिखाना होगा मतलब राज्य सरकार ऐसा नहीं कि मनमाने तरीके से जिसको मन चाहा उसके अंदर सब कैटेगरी इज कर दिया कुछ डाटा के आधार पर कि इन लोगों को रिजर्वेशन का अभी तक फायदा नहीं मिल पाया या फिर ज्यादा डिस्क्रिमिनेशन हुआ है तो उनको यहां पर रिजर्वेशन सब कैटेगरी इजेशन के अंदर दिया जाएगा देखिए यहां पर जो इकलौते जज हैं जस्टिस त्रिवेदी उन्हों उनका ये डिसेंट जजमेंट था और उन्होंने कहा कि देखिए राज्यों को यह हक नहीं मिलना चाहिए क्योंकि ऐसा कोई भी कानून नहीं है लेजिस्लेटिव पावर नहीं है जहां पर अ जो कंपट हैंस है वो राज्यों के पास हो कि वो इसको फर्द क्लासिफाई करेंगे तो वो इकलौते ऐसे जस्ट थे जो इसके खिलाफ थे खैर यहां पर मैं आपको एक और चीज बता दूं बहुत इंपॉर्टेंट सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में यह भी कहा है कि स्केड्यूल कास्ट के अंदर जो ऑलरेडी लोग हैं ऐसा नहीं होना चाहिए कि उनको रिजर्वेशन से बाहर कर दिया जाए देखिए ये बहुत इंपॉर्टेंट है उनका यह कहना है कि यहां पर जो भी लोग शेड्यूल कास्ट में हैं उनको रिजर्वेशन देना ही पड़ेगा चाहे वो छोटा रिजर्वेशन हो बड़ा हो हा आप कैटेगरी इजेशन कर सकते हैं इसके अंदर तो ऐसा नहीं होना चाहिए कि जिन लोगों को ऑल रिजर्वेशन है राज्य सरकार यह कह दे कि ये इन लोगों का ऑलरेडी उत्थान हो हो गया है ये लोग ऑलरेडी बेनिफिट पा लिए हैं तो इनको हम रिजर्वेशन से हटाते हैं ऐसा नहीं होना चाहिए तो फाइनली क्वेश्चन यह है कि इस पूरे जजमेंट का इंपैक्ट क्या होगा देखो सिंपल सी चीज है इसका डायरेक्ट इंपैक्ट पड़ेगा राज्य सरकारों के ऊपर अब राज्य सरकारों के पास बहुत सारी डिमांडे आएंगी क्योंकि अब राज्य सरकार के पास पावर आ चुकी है देश के अंदर कि वो चाहे तो इन रिजर्वेशन में अलग-अलग कैटेगरी ला सकते हैं तो अब आप देखोगे बहुत जल्द आपको देखने को मिलेगा बहुत सारी ऐसी डिमांड आएंगी और राज्य सरकार हो सकता है कि उसके अंदर बदलाव करें अ स्केड्यूल कास्ट में स्केड्यूल ट्राइब के अंदर अलग-अलग अ सेक्शंस ऑफ सोसाइटी को रिजर्वेशन मिलना मिलेगा ठीक है तो आपका क्या सोचना है इस पूरे मामले को लेकर मुझे कमेंट्स में जरूर बताइएगा और जाने से पहले एक इंटरेस्टिंग क्वेश्चन क्या आप बता सकते हो हमारे संविधान के अंदर ये जो कांसेप्ट है यूनियन टेरिटरीज का इसको कब इंट्रोड्यूस किया गया था कौन से कानून के तहत इसका राइट आंसर आप सबको पता है मेरे instagram2 पर अगर आप नहीं हो कोई बात नहीं सोशल मीडिया पर आप जुड़ पाओगे और जैसा मैंने आपको बताया अगर आप यूपीएससी की तैयारी कर रहे हैं कोई भी बैच चाहते हैं यू कैन सिंपली यूज दिस कोड अंकित लाइव टू गेट मैक्सिमम डिस्काउंट एंड आई होप कि वीडियो आपको पसंद आया होगा मिलता हूं आपसे नेक्स्ट टाइम टिल देन थैंक यू वेरी मच स्टडी आईक्यू आईस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल