हेलो हेलो फ्रेंड्स स्वागत है आपका एडिट एडिया पर मैं प्रविण कुमार आप लोगों का स्वागत करता हूं आज के हमारे इस नए वीडियो में जो हम लोग शुरू कर रहे हैं आधुनिक भारत का इतिहास जैसा कि मैंने अपने और टारगेट सेट वीडियो में बताया था कि कैसे हम लोग प्राइड का एक चरण उसमें हम लोग subject by थोड़ा सा focus करेंगे, मैंने ये भी बताया है कि जितने भी competitive exam होते हैं PCS अस्तर के या फिर जो भी exam जहां पे history से question आते हैं, उसमें सबसे ज़्यादा अगर question पूछा जाता है तो आधुनिक भारत के इतिहास से, तो हम लोग सबसे पहले आधुनिक भारत आधुनिक भारत के जो प्रमुख चेप्टर है उनको डिल करेंगे और उनके ऑब्जेक्टिव बनाने का प्रयास करेंगे तो चलिए दोस्तों शुरू करते हैं उसी सिलसिले में इस वीडियो को इस वीडियो को शुरू करने से पहले मैं कुछ और बेसिक से बता दूं कि आधुनिक भारत के वीडियो आते रहेंगे कंस्ट्रीशन के जो वीडियो है वह भी आते रहेंगे मैं इसी बेचैन हो करना पड़े अपनी तैयारी को एक स्मूथ वे में लेके चले और मेरा सहयोग 100% आपके साथ रहेगा क्योंकि हम चाहते हैं आपको अधिकारी बनते वे देखना तो चले दोस्तों सुरू करते हैं आज का जो हमारा चेप्टर है आद्विनिक भारत के इतिहास से यूरोपिये कंपनियों का आगमन तो कुछ बेसिक चीजे जानेंगे फिर हम लोग उसके कुछ डेट्स हैं उनको याद करेंगे और फिर उससे जुरे हुए ओब सबसे पहले हम लोग समझते हैं इस्थीतिया क्या थी भारत की इस्थीति को देखेंगे और उसी समय यूरोप की इस्थीति को देखेंगे और तब समझ पाएंगे कि ये यूरोपिये कंपनी भारत में क्यों आते हैं तो भारत में दोर चल रहा था मध्यकालीन भारत का और यूरोप में वो दोर चल रहा था आधुनिक यूरोप का जब भारत में मध्यकालीन यूरोप में खास करके मुगल वंस का सासन था उसी मुगल वंस के सासन के दोरान यूरोप में पुनर जागरन अपने बिस्तिरित रूप को पाड़ कर चुका था ऐसे में यहाँ पे भगवलिक खोज की शुरुवात होने वाली थी और भारत में मुगल वंस के टाइम में एक सम्रिद अर्थविवस्था जो है विक्सित हो चुकी थी तो इसी कंडिशन में यहां से लोग व्यापार करने यहां आते हैं ऐसा नहीं है कि भारत का व्यापार पहले यूरोप से नहीं होता था सिंधु घाटी सविता से ले करके प्राचीन भारत इतिहास काल से ले करके भारत का व्यापार अस्थलिय मार्गों के माध्यम से यूरो� जहां पर ये अस्थलिये मार्ग जो व्यापार का है वह अवरुद हो जाता है और फिर एक दोर सुरू होता है कंपनियों के आगमन का। इसके पीछे एक basic इतिहास है उसको जानते हैं घटना है 1453 स्वी का यूरोप का पुर्वी भाग वहाँ पे एक जगह है कस्तुन्तुनिया कस्तंतुनिया पर तुरकी के छेतर में अर्बो का आकर्मन होता है और उस पर अधिकार जमा लिया जाता है और उस अधिकार के बाद इ पुनह जोरने के लिए यूरोप में सुरू किया जाता है भगवली खोज को और भगवली खोज के करम में क्या किया जाता है कि समुद्री मार्गो समुद्री मार्गो के माध्यम से बिविन अस्थलों का पता लगाने का प्रयास किया जाता है और इसी दिल्चस्पी का नतीजा ये निकलता है कि आप पढ़े होंगे कि 1492 1492 में कोलंबस निकलता है भारत की खोज के लिए अब चुकी दुनिया गोल है एक short map में हम लोग देखेंगे इस तरह से करके अगर देख ले तो ये यूरोप हो गया यहाँ पे हम लोग एसिया है ये अस्ट्रेलिया अफरीका उत्रियमेंट अमेरिका और दक्षिनी अमेरिका तो यहां से यूरोप के छेत्र से जब भगवालिक खोज के लिए भारत यहां खोजने आने के लिए इधर से निकलते हैं इधर से निकलने के करम में क्या करते हैं वह जाकर के अमेरिका को खोज लेते हैं लेकिन जब यह वास्कोर्डी डिगामा जो निकलते हैं वह भारत की खोज के लिए यहां से आते हैं और इस तरह से पहुंचते हैं भारत में तो वह भारत की खोज करते हैं तो यहां से दो खोज याद रखना है कि कोलंबस द्वारा भारत के खोज के करव में 1492 में अमेरिका की खोज कर ली गई और फिर जो पुर्तगाली वास्को डिगामा था वह 1498 में निकलता है भारत की खोज के लिए और 1498 में उसने भारत की खोज कर ली तो यह खोज से सम्मंदित दो प्रश्न यहां एक डेट याद रखिएगा 1453 वह घटना है विश्व इतिहास की जो पूरे सिनारियों को बदल देता है यह अस्थलिय मार्ग अवरूध नहीं होता तो साइद उस तरह की व्यापारी क्रांती या भगवली खोज की क्रांती नहीं देखने को मिलती तो इस प्रकार से यूरोप से बारी बारी से करके भारत में कई देश पहुँचते हैं और इही देशों के पहुँचने के इतिहास को हम लोग पढ़ते हैं यूरोपिये कमपनियों का भारत में आगमन तो चलिए दोस्तो इसी को सुरू करते हैं पर हमने कुछ basic parts पढ़ें, इसी basic parts से जुरे हुए कुछ points को और deal करेंगे सबसे पहले यहां आते हैं कि companies के आगमन का क्रम भारत में कई companies आए, जिसमें पुर्टगाली, डच, अंग्रेज, स्पैनिस, डैनिस, फ्रांसिसी लेकिन मुख्य रूप से हमारे objectives चार देशों से आते हैं एक आता है पुर्तिगाल से, दूसरा डच, अर्थात होलेंड को डच के नाम से जाना जाता था, तीसरा ब्रिटेन से और चोथा आता है फ्रांस से, तो सबसे पहले एक क्रम याद होना चाहिए कि किन क्रम में इन कंपनियों का भारत में आगमन हुआ, तो चलिए दोस्तों देखते हैं सबसे पहले सबसे पहले आते हैं पुर्तगाली जिनका आगमन हुआ था 1418 में और आपको पता है कि कौन आय थे तो बासकोर डिगामा जो पुर्तगाल से आय थे और उन्होंने काली कट बंदरगाह याद होगा दोस्तों काली कट बंदरगाह जो केरला में पड़त जो चलते हैं वहां से यूरोप से खोज के लिए एस्पेसिली यूरोपीय छेतर से आते हैं भारतीय छेतर की ओर और केवल भारत में नहीं भारत के इंडोनेशिया छेतर आदि में इनकी खोज शुरू हो जाती है पहले यह इंडोनेशियन छेतर में जाते हैं और भी रहते हैं भारत में तो यहां एक क्वेश्चन जो बहुत हम साता है कि कई बार इस व्यक्ति यह कंफ्यूज रहते हैं कि डज पहले आए कि अंग्रेज पहले आए तो आपको यह याद रखना है कि अगले वाले में जब हम लोग पढ़ेंगे कि कंपनी की अस्थापना भले ही अंग्रेजों जो की पहली होती है लेकिन आने वाले क्रम में पहले डच आते हैं फिर आते हैं अंग्रेज तो हम यहां पढ़ रहे हैं कंपनियों के आगमन का क्रम ठीक है तो चलिए दोस्तों सबसे पहले पुर्तगाली आते हैं फिर डच आते हैं जो 1595 में आते हैं फिर आते हैं अंग्रेज जो 1600 में आते हैं और फिर आते हैं फ्रेंच जो 1664 में आते हैं तो आसानी से एक क्रम याद हो गया होगा आपको पहले पुर्तगाली फिर डच फिर अंग्रेज और फिर फ्रांस तो चारों के एज भी याद अगर आप रखना चाहते तो रख सकते हैं 1498 में पहले पुर्टगाली आते हैं फिर 1595 में जो है वो डच आते हैं 1600 में जो है ब्रिटेन आते हैं और 1664 में जो है वो आते हैं फ्रांसीसी ये था उनके भारत में आने का करम अब आते हैं दूसरी ओर देखते हैं कमपनी की अस्थापना का करम अब क्या होता है कि भारत के साथ व्यापार करने की मनसा बहुत जादा थी यूरोपियों को बहुत अधिक लाव के दृष्टि से भारत के साथ व्यपार उनका सुभाविक था तो ऐसे में क्या हुआ उन्होंने कमपनिया बनाई और उन्हें नाम दिया इस्ट इंडिया कमपनी तो इस इस्ट इंडिया कमपनी का स्थापना जो है वो 1498 में होता अंग्रेजी East India Company आपने कई बार पढ़ा भी होगा कि 31 दिसंबर 1600 को महरानी एलिजाबेथ ने एलिजाबेथ प्रथम ने जो है वो East India Company की अस्थापना की थी फिर Dutch East India Company 1602 और फ्रांसिसी East India Company 1664 तो ये दो चार्ट आपको याद रखने हैं जिन चार्ट से आने वाले का करम और कि डच ऊपर थे तो नीचे आ जाते हैं अंग्रेज जो नीचे थे वो ऊपर चले जाते हैं अब आते हैं यहां से एक बॉक्स इधर मैंने बनाया है साइड में यहां से भी कुछ चनाते हैं कि किन कंपनियों ने अपने प्रथम व्यापारी कोठी कहां स्थापना किया है तो भारत में आने के साथ ही उनका मूल उदेशे था व्यापार करना तो व्यापार करने के लिए वे एक ऐसा अस्थल चाहते थे जहां से वे अपने व्यापारी कार्यों को अच्छे ढंग से संचालित कर सके और उसी को कहा जाता है आ जाता है कोठी तो व्यापारी कोठी अस्थापना के क्रम में उन्होंने अलग-अलग केंद्रों का चेहन किया सबसे पहले आते हैं पूर्थगालियों ने कहां स्थापित किया तो देखिए कुछ कॉमन सेंस यूज करना है भारत के मैप पर बालना है चुकी यह समुद्री मार्ग से आए थे तो जो भी व्यापारी कोठी अस्थापित होंगे वह समुद्री मार्ग के स्थापित करेंगे तो चुकी केरला में आते हैं सबसे पहले पूरे पुर्तगाली तो पुर्तगाली अपना व्यापारी केंद्र जो है वो कोची या कोची इन में अस्थापित करते हैं डेट याद रखेंगे 1503 अब कहिए कितना date याद करवाते हैं बिल्कुल याद नहीं करना है दोस्तो यहां देखे 1498 में वो आते हैं उनका याद कर लेना है कि कितने साल बाद तो 5 साल बाद उन्होंने अपनी पर्थम factory अस्थापित की कोचीन में फिर आते हैं 1600 में बृतेन वो 8 साल बाद अस्थापित करते हैं और कहां अस्थापित करते हैं तो गुजरात के सूरत में यहां से यह कुछ चन फसता है कई बुक आपको लिख के देंगे कि उन्होंने पहले जो फैक्ट्री है वो मसूली पट्टम में अस्थापित किये थे तो बहुत सारे स्टुइन्ट कंफ्यूजन में फसते हैं हम लोग भी कभी कभी फसा करते थे कि क्या यह सूरत होगा या मसूली पट्टम होग कि जब बृतेन से जो अधिकारियाएं वो पहले गए जहागीर की दरवार में जो जहागीर उस समय व्यापारिक फैक्टरीयों के सम्मद में अनुमोदन दे रहे थे तो सूरत में व्यापारिक फैक्टरी बनाने का जो अनुमोदन है वो 1608 में दे दिया गया यहाँ पर फैक्टरी बनने की काम सुरू हो गई लेकिन इस बात से कुछ ऐसे मैटर उठे जहाँ पर जहागीर गुसा हो जाते है और यहाँ फैक्टरी बनाने का कार है उसको रोक दिया जाता है इस बीच में अंग्रेज मसूली पट्टम में जाकर 16 से 11 में फैक्ट्री बना लेते हैं। फिर यहाँ फैक्ट्री बनने के बाद यह जो फैक्ट्री बन रहा था वो 1613 में पूरा होता है तो यही कहानी है कि 1611 और 1608 के बीच की पहली फैक्ट्री बनाने की जो शुरुवात है वो सूरत में हुई थी लेकिन जो पूरा हुआ पहले वो हुआ 1611 में मसूली पट्टम में लेकिन 1613 में आकर के फिर से सूरत की जो फैक्ट्री थी उसे पूर्ण रूप से बना लिया गया है लेकिन अगर नॉर्मल कंडिशन में आपसे ये कुछ चनाता है कि पहले अंग्रेजो की फैक्ट्री का प्रारम बनाने का कहा हुआ आप आसानी से उत्तर दे सकते हैं कि सूरत में और कब तो 1608 में 1608 में आए और 1608 में उन्होंने पहली फैक्टरी बनाई कहाँ पे सूरत में अब आते हैं डच के सम्मंध में तो डच जो थे जिसे होलैंड नीदरलैंड के नाम से जाना जाता है वह जो है वो आकर के मसूली पट्टम में ही पहला फैक्टरी बनाते हैं तो याद रखेंगे 1602 जो आते हैं वो 1605 में तीन वर्स बाद मसूली पट्टम पर आते हैं में जाकर के जो है अपनी पहली फैक्टरी बनाते हैं और फ्रेंज का वही याद करना है जो ब्रिटेन का था तो एज सिंपल सूरत में और आते हैं 1664 में चार साल बाद बनाते हैं सूरत में तो चलिए के याद करते हैं इसको बहुत ही इजी तरीके से एक क्रम सेट करेंगे पहला है पुर्तगाल उसको ले जाना है कहाँ कोचीन दूसरा है ब्रिटेन उसको देना है सूरत तीसरा है डच उसको देना है मसूली पटनम और फिर है चोथा फ्रेंज फिर उसको देना है सूरत तो चार व्यापारी कंपनिया चार व्यापारी अस्थल और चार कंपनियों के आगमन का क्रम ये पूरा का पूरा एक whole package है जहां से objective आते हैं तो आपको ये एक ऐसा database तयार होना चाहिए computerize आपके दिमाग में कि अगर question आ जाए तो आपकी आखे बड़ी हो जाने की चाहिए कि एक number तो मुझे मिल गया दोस्तो तो बस यही खुशी व्यक्त करना है इसको पढ़ने के बा� अब आते हैं सबसे पहले हम लोग पढ़ेंगे पुर्तगाली कमपनी के सम्बन्द में जो भारत में आते हैं कुछ बेसिक जानकारी तो हम लोगों ने देखी ली कि अफरीका को क्रॉस करते हुए भारत के छेतर में यूरोप से आये थे पुर्टगाली और जब ये आते है तो इसी मार्ग को नाम दिया गया है Cape of Good Hope इस Cape of Good Hope मार्ग से ही बासको डिगामा भारत के लिए आये थे और काली कट बासको बंदरगाह पर आ करके उन्होंने अपने भारत में आने का संदेश दिया और वहां के एक अस्थानीय राजा थे जिनका नाम था जमोरियन कई बार ये भी पूछ लिया जाता है तो उन्होंने उनका भवे स्वागत किया और बड़ी संख्या में यहां से भी मसाले, कपड़े उनका जो मुनाफ़ा था वो 60 गुना था तो ये जो मुनाफ़ा दिखा ये काफी रोचक रहा नतीजा ये हुआ कि 1500 इस्वी में वहाँ पुर्तगाल से एक और समुह आया जो पेडरो अलबरेज पेड्रो अलवरेज के नेतृतु में आया तो पहला जो 1498 में आता है वो वासको डिगामा आते हैं और 1500 में आते हैं पेड्रो अलवरेज ये भी पुर्तगाल के ही है ये भी आते हैं यहां व्यापार करते हैं और वहां से धीर सारे वस्तु को लेके जाते हैं पुना 1502 में फि और इस प्रकार से पुना जो है 1502 इस्वी में वास्को डिगामा आते हैं और यहां पर व्यापार संचालित करते हैं ये जो लाव कमा करके दिखाया हमारे वास्को डिगामा ने और पेडरो अलबरेज ने ये चीजे क्या तै करती है ये तै करती है पुर्तगाल का इतिहास पुर्तगाल के सरकार दोर वहां के जो राजसाही विवस्था थी उस राजसाही विवस्था ने क्या किया कि कमपनी को बढ़ा प्रवाद देने के लिए वहां से वायसराय निउक्त करके भेजना सुरू कर दिया और उन्हीं वायसराय के नित्रितु में आप देखते हैं कि पहली कोजीन फैक्टरी अस्थापित हो रही है फिर अन्य फैक्टरीयां बढ़ा अस्थापित हो रही है अलग-अलग छेतर ज जो का कबजा गोआ, दमन्दीप आदी छेतर में था तो वो बढ़ने लगता है। इससे पहले मैं एक और चीज पुर्टगाल के बारे में बेसिक जनकारी आपको दे दूँ कि वहाँ के एक राजा थे प्रिंस हेनरी, नाम याद रखेंगे दोस्तों, प्रिंस हेनरी, इ नेविगेटर नाम दिया जाता था क्योंकि इन ही के नेतृत्व में जो है इन ही के कहने पर बड़ी संख्या में जो है वह जो है विश्व अभियान चलाये गया ताकि नए नए भोगौलिक छेतरों को ही खोज की जा सके तो प्रिंस हेनरी द नेविगेटर के नेतृत्व में ह पहली बात तो एक बात और मैं बता दूँ दोस्तों कि कई बार हम लोग भी ये word यूज़ कर लेते हैं कि भारत की खोज किसने की तो बासकोर ढिगामा में तो पहली बात तो ये भी होती है कि खोजा उसे जाता है जो गुम हो गया हो तो भारत कोई गुम हुआ चीज नहीं वर्ड यूज कर लेते हैं वास्तव में यह है कि भारत का इतिहास वह 5000 साल पुराना है और सिंदुगाटी सभिता से ही भारत रोमन सभिता से परचित रहे हैं ऐसे में यह भारत की खोज जो है वो कहना गलत होता है लेकिन चुकी यह समुद्री मार्ग से यहां तक आये थे अ� अब हम लोग आएंगे उस पूर्टगाल पे जहाँ पूर्टगाल के दो तीन वायसराय आएं जिनके नित्रितम में भारत में कुछ कारे किये गए जहाँ से कुछ चन पूछे जाते हैं। तो चलिए पूर् सबसे पहले पुर्तगाल में आये फ्रांसोदा अलमीडा इसको अलमेडा भी कहा जाता है ये 1505 में आते हैं और 1509 तक भारत में रुकते हैं अलमीडा जो थे वो एक पुर्तगाली वायसराय के रूप में भारत में आये और अलमीडा के ही नित्रित्व में भारत में जो है वो पुर्तगाली कंपनियों का विकास प्रारम होता है इनहीं भारत में प्रथम वायसराय या गवर्नर कहा जाता है किसका पुर्तगाल का और इसने एक बहुत ही अलग तरह की नीती चलाई थी भारत में पहली बार उसका नाम था ब्लू वाटर पॉलिशी अब कहिए ये ब्लू वाटर पॉलिसी क्या थी तो वास्तव में पुर्टगालियों का एक सपना था या एक अभियान था कि जो हिंद महासागर का महासागरिय छेतर है उस पर पूरी तरह से उनके जहाजी बेरों का कबजा हो जाए और उस छेतर से होने वाला व्यापार पूर्णता उसके नियंत्रन में हो जाए इसी पॉलिशी को नाम दिया गया था ब्लू वाटर पॉलिशी तो आप याद रखेंगे कि पुर्टिगालियों के पहले वो वायसरा या गवर्नर कौन थे तो अलमीडा थे और उनके नितित्र में कौन सा भ्यान चलाय गय ब्रिटेन जैसे देश फिर आते हैं दूसरे नंबर पे जो गवर्नर आते हैं यहां से सबसे ज़्यादा कुछन पूछा जाता है वो है अल्बू कर्क अल्बू कर्क 1509 में आते हैं और 1515 तक भारत में रुकते हैं अल्बू कर्क से दो तीन कुछन पूछे जाते हैं अल्बू था तो अल्बुकर्ग के नेतित्य में जीता गया था तो यह इसके लंबे चरे पूरे नाम है आप टाइटल याद रखे ताकि आपके ऑब्जेक्टिव आसानी से सॉल्व हो सके ज्यादा चीजों को याद नहीं रखना है बट उन चीजों को हमेशा याद रखना है जि अलमीडा से बस दो पॉइंट याद रखना है पर्थम वायसराय और ब्लू वाटर पॉलिसी चलाया। अलवुकर्ग से दो तीन पॉइंट याद रखना है कि इन्हें वास्तविक संस्थापक माना जाता है। अगर वास्तव में भारत में आकर के पुर्टगालियों की अस्थापना को स्रे दिया जाये कि किसने अच्छे ढंग से पुर्टगालियों की स्थिती को सुधार दिया तो वो थे अलवुकर्ग तो इन्हें वास्तविक संस्थापक की स्रे नहीं दिया सकती है। अगर सीधे संस्थापक कुछे तो अलमीडा भी होगा। लेकिन वास्तविक संस्थापक अल्बुकड़क थे उन्होंने अपनी राजधानी कोचीन को बनाया कोचीन वही कोचीन जहांपर पहली फैक्टरी बनाई गई थी पूर्टगालियों द्वारा तो कोचीन को उन्होंने राजधानी बनाया और राजधानी बनाने के बाद उसने कुछ अभियान चलाए जिसमें सबसे इंपोर्टेंट जो आपको याद रखना है 1510 का बीजापूर का अभियान जहां बीजापुर के सासक थे आदिल साह और इस आदिल साह से उन्होंने जीता था गोआ तो ये एक बहुत इंपोर्टेंट चीज है कि 1510 में गोआ पर पुर्टगालियों ने कबजा जमाया था कबजा किस से छीन करके जमाया था आदिल साह से किस के लिए जाया था ये बहुत इं� इसके नेतृत्व में अलगू करक के नेतृत्व में और यहां से एक जो सबसे इंपोर्टेंट पॉइंट कि जो पुर्तगाली सबसे पहले भारत में आय थे इस गुआ पर अधिकार छोड़ते हैं भारत के आजादी के बाद 1961 में तो भारत में आने आने वाला सबसे पहले यूरोपिये पुर्तगाली सबसे बाद में जाने वाला यूरोपिये पुर्तगाली 1510 में गुआ पर अधिकार करता है वो आजाद कब होता है 1961 में जा करके अलबुकरक ने भी भारत में अपने पुर्तगाली स्थिति को मजबूत करने का प्रयास किया भारतीय महिलाओं से कराने का प्रयास किया गया इससे क्या होता था कि वो भारतीय उन्हें अपना समझने लगते थे और एक नया कल्चर जो पुर्तिगाली कल्चर भारत में मिक्स हो करके अपने इस्थिति को और मज़ूत बना सके इस पुर्तिगाली अभ्यान के दरान एक वर्ड यूज़ किया जाता है थ्री जी अब ये मोबाइल सीम वाला थ्री जी नहीं है ये थ्री जी है गौड, गोल्ड और ग्लोरी ये गोड और ग्लोडी में क्या है दोस्तों कि इनका अभ्यान का मुख्य उदेशे क्या था गोड गोड से मतलब है वो इसाई धर्म का भारत में परचार करना चाहते थे गोड आर्थिक संपत्ती की चाह रखते थे और ग्लोड ग्रोडी पूरे यूरोप में यह एक ऐसा समय था कि एक दूसरे में प्रतिष्ठा अरजित करने की होर मची थी जहां बिर्टेन चाहता था कि मेरी ख्याती बढ़े वहीं पुर्तगाल चाहता था कि मेरी ख्याती बढ़े तो पूरा एक गोल्ड गॉड गोल्ड और ग्रोडी क हमारे अल्बु कर्क जो थे उन्होंने क्या चलाया था तो विवाह नीती चलाया था अब आते हैं तीसरे वायसराय और गवर्नर जनरल के बारे में जहां से एक दो कुछ चन अन्य भी आ सकते हैं तीसरे वायसराय थे नीनो डी कुनहा नीनो डी कुनहा नीनो डी कुनहा जो थे वो तीसरे गवर्नर जनरल के रूप में काम करने लगे किसके लिए पुर्तगालियों के लिए और इनके समय एक दो घटनाएं हैं जो कुश्चन में पूछी जाती है उन्होंने क्या किया जो गुआ अलगु कर्कनी जीत के पुर्तगालियों को सौपा था उसी गुआ को उन्होंने कर्यालय छेत्र और राजधानी छेत्र बनाया तो यहाँ पे दो क्वेश्चन आपको क्लोज है एक पूछेगा कि गुआ को किसने पुर्तगालियों के कबजे मिलाया तो कबजे कबजे में लाने का सिर्य होता है अलवुकर्ग को जिसने बीजापूर के सासक आदिल साह से जीता था। और दूसरा आएगा कि गोवा को राजधानी के रूप में किस ने बनाया। और वो 1961 तक उनका मूल केंद्र भारत में बना रह गया। तो ये एक important question है। इसके अलाबा इन ही के समय 1535 और 1569 दो याद रखेंगे। 35 में दीव। और 69 में दमन ये दोनों को ही जीत करके पुर्तगाली छेतर में मिला लिया गया और आप जानते ही होंगे कि गोवा के साथ दमन दिव भी 1961 तक पुर्तगाल का हिस्सा रहें तो ये था पुर्तगालियों का राजनेतिक करम लेकिन जैसे ही डच, फ्रांसीसी ब्रिटेन आदी आ जाते हैं भारत में पुर्तगालियों की सत्ता कमजोर परने लगती है तो यहाँ पर यह था उनका राजनेतिक इतिहाँ जहां से ओब्जेक्टिव आते हैं एक दो और उनसे जूरे ओब्जेक्टिव आप याद रख सकते हैं जैसे भारत में प्रिंट प्रिंटिंग प्रेश का जनक किसे माना जाता है तो भारत में प्रिंटिंग प्रेश वगैरह की शुरुआत पूर्तगालियों के माध्यम से हुई हुई थी तो ये एक इंपोर्टेंट कुष्टर है जो अब्जेक्टिव बेस पे आपसे पूछे जाते हैं दूसरा कुछ ऐसे फल और अनाज थें जो एस्पेशली पूर्तगाली भारत में लेकिया है और उनही के कल्चर को देखते हुए भारत में उसका खेती शुरू होता है जैसे अनानास की खेती गन्ना की खेती पपीते की खेती ये ऐसे फ्रूट्स थें जो पहले भारत उनसे प यहां से आने के बाद अच्छे से प्रचित होते हैं और उनकी खेती होने लगती है तो पुर्तगालियों का भारत में आना इन संदर्भों में विशेष हो जाता है और यहां से आपके जितने भी objective बनते हैं उन्हें आप part by part पढ़ लें जैसे ही यह chapter का दूसरा part भी आएगा और इसके खतम होगा तो मैं एक objective session भी डालूँगा जिसमें पूरे objective हम लोग whole cover करेंगे अब आते हैं हम लोग दोस्तों पढ़ेंगे कि पहले जो पुर्टगाली आए उनके अभी समय पढ़ा अब थोरा सा पढ़ते हैं डच के सम्बन्ध में Dutch, Dutch जिसे Holland और Netherlands के नाम से भी जाना जाता है, इस Dutchों ने भी भारत पर भारतिये छेतर में आने का एक सिलसिला सुरू किया, आपको पढ़ना होगा, 1595-96 में भारत की ओर वे आते हैं और उनके नेत्रित्व करता थे Cornelius Houtman कार्नेलियस हाउटमैन कार्नेलियस हाउटमैन के नेतृत्व में डचों ने भारत की ओर अर्थात पूर्वी एसिया अर्थात यहां यूरोप से पूर्वी एसिया की ओर यह जो अभ्यान लेकर क्याते हैं सबसे पहले डच जाते हैं इंडोनेशिया छेत्र में और इस इंडोनेशियन छेत्र में जाकर के मसाला का व्यापार शुरू करते हैं चुकी क्या था कि जो बड़ा बर्फीले छेत्र है यूरोप और बर्फीले छेत्रों में जब जारे की दिनों में भोजन की किलत होती थी तो यहां से जो पेपर सॉल्ट आप जाता था काली मिर्च जाती थी मसाले जाते थे वो चिकन और मटन पर लगा करके खाये जाते थे तो जारे के दिनों में भोजन दिनों में यहां बहुत डिमांड होती थी इस पेस्ट मसालों की तो जब डच आए तो डच पहले गए इंडोनेशियन छेतर में फिर वहां से इंडोनेशियन छेतर के साथ साथ वे भारत में आते हैं यही कारण है कि यहां आपने पढ़ा था कि अंग्रेजों से पहले कौन आ कहा जाता है कि जहां एक तरफ पुर्तिगालियों ने भारत के मसालों को पहचान दी जाकर के यूरोप में, वहीं डचों ने भारतिये कपरों को जादा प्रात्मिक्ता दी मसालों की तुलना में. इसका कारण ये था कि वे मसाले काफी हद तक इंडोनेशियन छेतर से भ थे उन्होंने भारत के सूती वस्तर और अन्य वस्तरों को अर्थात कपड़े के विवार को ज्यादा प्राथमिकता दी और यहां से कपड़े ले जा करके यूरोपीय बैजार में बेचना सुरू किया धेड सारे मुनाफे प्राप्त हुए और यही मुनाफो का देन था सासकों ने भी प्रारंभिक दौर में जितने भी यूरोपियन कंपनी आए उनको सपोर्ट किया उन्हें कंपनी बनाने की इजाज़त दी यहां तक कि उनके कंपनीों को भी सपोर्ट किया लेकिन जब बाद में यह महसूस होने लगता है भारतीय सासकों को कि वास्तव में जो ब्रिटिस कंपनिया हैं उनका उदेश केवल व्यापार नहीं है बलकि राजनितिक हस्त छेब भी है तब होता है सुरु संघर्ष का दौर और तब पढ़ने को मिलेगा 1757 की क्रांति जिसमें प्लासी का यूद, 1764 बक्सर का यूद तो वो वीडियो हम लोग आगे लेके आएंगे तो डज के टाइम में कपड़े के विपार को अधिक प्रधानता मिली डज के सम्मद में जादा नहीं पढ़ना है वो है 1769 की घटना 1769 की घटना जानी जाती है वेदरा का यूद ये बंगाल छेतर में एक जगह था जहां पर डचो और ब्रिटेन के बीच में एक संघर्ष हुआ जिसमें डचो की पराज़य हो गई और यह साबित हो गया कि डच भारत में लंबे टाइम तक सर्वाइब नहीं कर सकते हैं और लगभग लगभग भारत से उनका बोरिया विष्टर समाप्त कर दिया जो बंगाल में हुआ उसमें क्या हुआ डचो का पूनतः प्राज़य हो गया और अंग्रेजों ने उन्हें वापस भेज दिया तो हमने आज दो चेप्टर पढ़ें पुर्तगाल से सम्बंधित डच से सम्बंधित और यह इतिहास के प्रारंभ के बेसिक से सम्बंधित अगले वीडियो में हम लोग पढ़ेंगे अंग्रेजों के सम्बंध में और फ्रेंज के सम्बंध में कि कैसे इन दोनों के बीच एक संघर्ष का दोर चलता है और कैसे भारत में यह आकर के अस्थाई होते हैं अधुनी भारत का एक इतिहास का basic chapter था ये समझ में आया होगा जो मैंने आपको कुछ तरीके बताये थे कि कैसे पढ़ना है, किन books को पढ़ना है उनको पढ़ना जारी रखिये और उम्मीद करते हैं कि हम लोग इग्जाम आने वाले इग्जाम से पहले syllabus को cover कर लेंगे और आपको अधिकारी बनने का अवसर जरूर मिलेगा और हमारे साथ बने रहने के लिए कि हम लोगों ने 3 लाख बड़ा परिवार बना लिया है इसी तरह से हमारा परिवार और बढ़ता रहे और हम लोग लाखो लाखो करके एक इडूटेरिया फैमिली पूरे इंडिया में नाम करके दिखाएं धन्यव