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महादेवी वर्मा का रेखाचित्र: गिल्लू

यह देखिए यह जो पार्ट है प्रस्तुत गिल्लू पाटन आपके प्रति पुस्तक में रखने की एक ही उद्देश्य है कि आजकल जो है एक देना सुबह जो है वह है जैसे ही घर के बाहर वहां जाती है तो देखते हैं घर के आंगन में गमले के पास जो है धूप में बैठकर चूर-चूर खेल खेल रहे थे तो उनसे कुछ पाने के लिए कुछ समय जो है उन्हें आप के रूप में मतलब कि वे के रूप में आना पड़ता है उसकी पूंछ के कारण ही तो क्या है वह लोगों की पुष्टि करता है [संगीत] नमस्कार मैं हूं हर्षिता हिंदी लेक्चरर विद्याश्रम कॉलेज मैसूर मैसूर यूनिवर्सिटी सेमेस्टर पाठ्यक्रम से जो उसमें से उसको देखेंगे कि महादेवी वर्मा अच्छा जी लेकिन महादेवी वर्मा जी का नाम सभी जानते ही हैं और उसके साथ-साथ उनकी जो गिल्लू रेखा चित्र है वह बहुत ही प्रसिद्ध है पहले मैंने आपको बताया था कि आपके प्रति खिताब है आधुनिक गद्य विधाओं के नए आयामों से परिचित कराने की कोशिश की अब तक हमने कहानी को सिर्फ के बाद जब यात्रा वृत्तांत को को देख लो की जीवनी को भी देखा अभी जो है रेखाचित्र रेखा चित्र शब्द रूप रेखा के जरिए किसी भी व्यक्ति या फिर किसी संदर्भ के चित्र खींचना है यहां पर रेखा चित्र प्रस्तुत रेखा चित्र ज़िलों में महादेवी वर्मा जी ने इतने अच्छे से जो है परिषद रूप रेखा के जरिए की ओर से संबंधित उन संदर्भों में अच्छे से चित्र खींचा है कि वह जो है पढ़ते-पढ़ते हमारे आंखों के सामने से होकर गिर जाते हैं यह रेखाचित्र की खासियत उनके चित्र आंखों के सामने स्पष्ट जो है वह होते तो प्रस्तुत चित्र में महादेवी वर्मा जी ने क्या किया यहां पर एक गिलहरी से संबंधित अपने यात्रियों को लिपिबद्ध किया उसको देखने से पहले हम जो का परिचय है उसको महादेवी वर्मा का जन्म हुआ और 1977 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद में हुआ था इनके पिता का नाम गोविंद प्रसाद और माता का नाम हेमा रानी था इनके परिवार का वातावरण जो है वहां साहित्यिक रहा उन्होंने अपने बचपन की जो है वहां इंदौर में कि महादेवी वर्मा जी जो है आधुनिक कि छायावाद के चार स्तंभों में से एक प्रमुख स्तंभ को वेदना की मूर्ति जो है क्योंकि आधुनिक गद्य साहित्य में और उसके साथ-साथ साहित्य में दोनों में जो है चलाई और इन दोनों विधाओं की जो साहित्यिक रचना है कि दोनों विधाओं की जो साहित्यिक रचना है वह उतनी ही प्रसिद्ध है देखिए पर कुछ प्रमुख रचनाएं इस तरह से रश्मि निहार नीरजा संध्या गीत शेखा बंगदर्शन यामा फिर अतीत के चलचित्र शृंखला की कड़ियां पथ के साथी साहित्य की आत्मा आदि प्रमुख रचनाएं प्रस्तुत की रेखा चित्र जो आपके पाठ्य पुस्तक में इसमें महादेवी वर्मा जी ने जो है जैसे कुछ समय पहले ही मैंने बताया कि एक गिलहरी से संबंधित मतलब के साथ बिताए हुए पलों को याद करते हुए के साथ बिताए हुए पलों को याद करते हुए उसकी याद में इतनी संवेदनशील हो जाते ही नहीं बल्कि अगर कोई भी व्यक्ति को इस पॉइंट को पड़ेगा तो एक छोटा सा है गहरी गिल्लू उसके अलग होने के बाद भी बहुत समय बाद भी उसको याद करते हुए भावुक होकर जो है प्रस्तुत रेखाचित्र जो है वह लिखती हैं बहुत ही सुंदरता से महादेवी वर्मा का चित्र की रचना की तो कौन-कौन से यात्रियों को यहां पर रॉ याद करते हुए कहती हैं वह हम देखेंगे प्रस्तुत पुस्तक में नियुक्त जो मनुष्य मांस तथा संवेदनशीलता कम से कम होता गया तो वहां युग में पीढ़ी के लिए बहुत ही खतरनाक साबित हो सकता है तो उसकी रक्षा करने की जरूरत है तो यह समझाने के लिए चाहिए में की गई और छोटे से इतना यहां पर रखती है इस तरह से वह अपने घर ले कि है उसका खयाल रखती है और कितनी अच्छी तरीके से उन दोनों के बीच में एक अ ने हम प्रेम जो है वह रहता है सब को देख सकते हैं कि आज लोगों के बीच प्रेम विश्वास देखना बहुत ही कम अगर कहीं सड़क पर जाते हुए को यहां पर घायल प्राणी फिर हम देखते हैं तो बहुत सारे लोग उसे देख कर भी अनदेखा कर देते हैं क्योंकि उन्हें वहां नहीं थी वह संवेदनशीलता और वहां युद्ध की कमी रहती है बहुत सारे लोग तो उनमें से जो है अगर कोई इंसान क्रश लें तो इसी नैतिकता मानवता की रक्षा करनी है यह मिलता तो आइए अब हम देखेंगे देखने से पहले कहानी मतलब स्कूल में छात्रों को देख सकते हैं है और एक का महादेवी वर्मा जी मतलब लेकर का क्योंकि रेखा चित्र और यह शैली में मतलब महादेवी वर्मा ज़िलों से संबंधित यादों को लिपिबद्ध करते मतलब उसके बारे में लिखते तो प्रमुख रूप से उन दोनों को देख सकते हैं तो आइए देखेंगे कि पाठ प्रारंभ कुछ इस तरह करते हैं महादेवी वर्मा लगी उसे छोटे जीव का स्मरण हो आया जो इस लता की प्रतिमा चिपक कर बैठ और फिर मेरे निकट पहुंचते ही कंधे पर क्लिक कर देता था तब मुझे की खोज रहते थे राजपूत्स रूल ओं मैं अभी वहां तो जूही की जो पौधे हैं उससे जो है सूजी की डिफ़ाल्ट है उससे यहां पर पाठ्यक्रम प्रारंभ करती है कि तो जूही के जो पौधा है उसकी हरीतिमा में एक पीली संजय जो है वह संजय जी की पूजा है अभी छूटा हुआ है तो उसे देखकर अनायास सिर्फ यह बहुत ही जल्दी ही जो है छोटे जीव की जो है वह आप समझ सकते कि छोटे जी के बारे में जो है उसके पास जाते ही महादेवी वर्मा को यहां पर इसमें घृतकुमारी कर तो उन्हें हमेशा करता हूं Quikr मतलब इस पौधे की हरीतिमा में छिपकर जो है वह हमेशा महादेवी वर्मा जी को चौंका आता रहता था तो इसीलिए जो है वहां अभी उस पौधे को देखते ही महादेवी वर्मा जी को फॉलो किया जो है वह यह कहते-कहते महादेवी वर्मा की अब तक की मिट्टी में जो है वह मिट्टी सब्सक्राइब वह जो है वह मर चुका है उसे यहां पर दिया था तो यह जो है वह पाठ प्रारंभ किया है वह कहते हैं कि यदि वह छोटा सा जो जी हां यह मुझे नियुक्त कली के रूप में जो है वह करके वहां कहती है कि गिल्लू को कितना याद करते हुए उसे कितना मिस करते हैं यहां पर हम आज देख सकते हैं फिर वह कहती है कि गिल्लू से कैसे मिला तो उल्लू के बारे में जो याद है उसे यहां पर कहते जाती हैं देखिए अभी वह कहती है कि एक दिन सुबह जो है वह है जैसे ही घर के बाहर जाती तो घर के आंगन में खेल खेल खेल रहे थे तब वह कहते कहते हैं जो ऑप्शन है मतलब उनके बारे में कहने लगे कि शिरडी आधारित और आधारित सम्मान दिया जाता है और वह समय में जो उन्हें अपमानित के रूप में के रूप में लिया जाता तो यह कहते हुए कि हमारे विचार बुजुर्ग ना गरुड़ के रूप में आ सकता है ना कि उन्हें पितृपक्ष में हमसे कुछ पाने के लिए आप बनकर अवतरित होना पड़ता है क्योंकि पितृपक्ष के समय में हमारे बुजुर्ग रहते जो मर चुके होते हैं उन्हें पितृपक्ष के संदर्भ में उनकी पूजा की जाती है कुछ पाने के लिए कुछ समय उन्हें रूप में मतलब के रूप में आना पड़ता है पितृपक्ष के बारे में आप सब लोग जानते ही हो तो वहां पर है पितरों को चढ़ाया जाता है तो इसमें जो है यहां पर उसे स्वीकार करने के लिए बुजुर्गों को जो है यहां पर रूप में जो है उसको स्वीकार करना पड़ता है वहां के रूप में आ सकता और ना ही के रूप में रहते हैं कि नहीं हमारे दुरस्त प्रियजनों को भी अपने आने का मधुर संदेश व इनके कर्कश स्वर में ही देना पड़ता है दूसरी ओर गांव करने को अवमानना के अर्थ में प्रयुक्त करते हैं सिर्फ इतना ही नहीं कभी ऐसा माना जाता है कि अगर घर के सामने बैठ कर अगर वह काम करने लगे तो दूर स्थित मतलब मेहमान आने वाले हैं फिर भी इतना होने के बावजूद को फिर कुछ ऐसा होगा वैसा ही सोचते हैं तो इसीलिए कहते हैं कि वह भी अजीब आधारित है वहां-वहां यह कहती है कि पुराणों में यह पर छोड़ती हंसी क्यों कि वह गिल्लू के बारे में बताने वाले थे ना तो क्या है अब इसका पूर्ण तो यहीं पर छोड़कर वह आगे बताती जाती है कि अचानक जब मैं सुबह उठी तो यहां पर बाहर गई तो दो कुओं को गमलों के पास जो है वह थोड़ा सा नजदीक गई और थोड़ा सा नजदीक जाकर मैंने देखा कि जैसे ही नजदीक होती तो वह देखती है कि एक छोटा सा बच्चा है वह निश्चय हुआ कि वह अपने घोंसले से गिर गया तो वह बच्चा छोटा है उसमें अपने जो है वह ढूंढते तो इसीलिए वह वहां मार रहे थे मगर महादेवी वर्मा जी हां यह अजय को पहली बार जो है गिल्लू को पहली बार जो है इसी हालत में महादेवी वर्मा जी देखती है फिर वह आगे कहती जाती है उक्त व्यक्ति दीर्घायु के लिए बहुत थे अतह वह इस टेस्ट से गमलें से चिपका पड़ा था देखिए कहते कि उक्त वहीं अधिक जो थे जो नुस्खा है बहुत ही छोटा बच्चा गिर गया तो उसके लिए तो वह निश्चित चेस्ट साइज के पास पड़ा हुआ था तो जो गिवर है जिस तरह से नट्स घायल हालत में पहली बार महादेवी वर्मा जी को मिलता है तो वह उसे वह कहते हैं कि यह तो नहीं बच्चे का यह कुछ नहीं बचेगा छोड़ दो से करके वह कहते हैं फिर भी महादेवी वर्मा जी लोगों की बात है घर वालों की जुबान है वह नहीं मानती है उसे क्या है अपने हाथ में उठाकर घर के अंदर ले जाती है घर के अंदर ले करवा क्या करती है पहले जो है वह रूई से उसके गांव सभी जो है उसे साफ करती है उसके बाद जो है उस पर रॉ पेंसिलिन का दावा व्यवहार लगाती है तो इतना सभी दवा लगाने के बाद जो है वह रूई की पतली बत्ती दूध से भिगो कर जैसे-तैसे उसके नन्हें-से मुंह में लगाई परंतु खुल जा सका और दूध की बूंदे दोनों ओर लुढ़क गई कि पहले तो उसका उपचार करते हैं मतलब हर गांव साफ कर उसकी पिंक उसके ऊपर जहां पेंसिल की दवा लगाती है फिर उसके बाद क्या करते हैं वहां दूर रूई की जो पतली सी बत्ती बनाकर उसे दूध में भिगो कर उसे दूध पिलाने की कोशिश जो है यहां पर करती है किंतु अभी छोटा सा बच्चा है फिर देखे वह क्या करते हैं दूध पिलाती है तो वहां पर कि वह जो गिलहरी का बच्चा है दूध नहीं पड़ता है इसलिए पर बताया गया कि जो दूध की बूंदें है उसकी मुंह के दोनों ओर से होकर ढोलक गई मतलब वह यहां तक कि दूध पीने के हालत में भी नहीं था इतना जो है वह अस्वस्थ आईना घायल जो है वहां हो चुका था बाद में वह कहते हैं कई घंटे के उपचार के उपरांत उसके मुंह में एक बूंद पानी टपकाया जा सका तीसरे दिन वह इतना अच्छा और आश्वस्त हो गया कि मेरे उंगली अपने दूर न ने पंजों से पकड़कर नीले कांच के मोतियों जैसे आंखों से इधर-उधर देखने लगा देखिए यहां पर अबीर पहले तो महादेवी व मजेदार लगाकर उसे दूध पिलाने जाती है तो वह तो दूध नहीं पड़ता है मगर बाद में कई घंटों के उपचार के बाद मगर बहुत समय जो है होने के बाद जो है कुछ पानी की बूंदें जो है उसके मुंह में ठप कराया जा सका मतलब कुछ तो वहां पानी पिया फिर ऐसे ही बहुत ही खूब किधर है उसका रखने के बाद जतिन दिन के बाद जो है वह इतना आश्वस्त हो गया कि वह दोस्तों कुछ स्वस्थ जो है यहां पर हो गया कुछ तैयार हो गया तो वहां क्या करने लगा महादेवी वर्मा की उंगली पकड़ कर उसके हाथों में जो है उनकी उंगली पकड़कर अपने कांत कि उनके जिसम जो आंखें है उससे वह चमकीली आंखें जो है उसे इधर-उधर जो है वहां देखने लगा था महादेवी वर्मा जी उसके बाद आपको यहां पर रखा था महादेवी वर्मा ने घायल हालत में मिला था तो उन्हें मानवीय संवेदना के चलते तो एक छोटे से जो है यहां पर इतना जरूर है कि के लिए बहुत ही जरूरी वह आगे कहते हैं स्निग्ध रोएगी झब्बेदार पूंछ और चंचल चमकीली आंखें सबको विस्मित करने लगी है चारा महीने के बाद शायद आप सभी लोग गिलहरी को तो देखते ही इसे तो आप लोग देख ही सुंदर रहता कितने रहते हैं और जब जरा पूछो पूछ के कारण तो क्या है वहां यह लोगों को पुष्ट करता है तो उसकी पूंछ पूंछ फिर उसके बाद अब वह क्या करता था उसकी और हुई और उनके जैसे कि जिससे से जो है वह इधर-उधर देखता है वहां घूमता रहता था वह थोड़ा सा बड़ा महादेवी वर्मा की जाति संध्या को व्यक्तिवाचक संज्ञा में बदल गया मतलब गिलहरी जो है उसे अपराध इलू करके बना दिया मतलब इसे व्यक्तिवाचक संज्ञा में बदल मतलब उसका नाम करके रख दिया उन्होंने कहा कि की टोकरी में छोटा सा एक घोल लिया है उसमें कॉटन रूई की से अपने कमरे की खिड़की के पास दिया था वह कहती है कि वह पहले तो वह क्या करता झूले में झूलते हुए अपने पिता फिर उसके बाद करता था कि के पास बैठकर बाहर महादेवी वर्मा जी के जैसे थोड़ा सा बड़ा हो गया तो खिड़की के पास बैठकर बाहर देखता पूरे घर में घूमता था चित्तौड़ महादेवी वर्मा जी के कहते हैं कि उसको जो है एक अजीब सी आदत थी कि वह जो हमेशा महादेवी वर्मा जी को छकाता फिरता हमेशा महादेवी वर्मा के पास ही रहना चाहता था कि अगर आप लोगों के किसी के घर में पालतू जानवर है तो आप लोग इस बात को अच्छे से समझ पाएंगे ज्यादातर लोग कुत्ते और बिल्लियों को हमेशा अपने मालिक के पास ही रहना हमेशा उनके एक प्रेम भरे स्पर्श उसे वहां है कि उन्हें संवेदना तो यह जो है वह छोटा सा ही क्यों न हो एक बार फिर उसमें भावना संवेदना है भावना के चलते वह हमेशा महादेवी वर्मा की चाहत कि उनके प्रेम को उनके स्नेह हम को पाना चाहता था किस तरह एक छोटा सा बच्चा मां के पीछे-पीछे घूमता रहता है ना वैसे ही गिल्लू भेजो है महादेवी वर्मा जी घूमता रहता है मैं हमेशा उन्हें धमकाता रहता किसी के संदर्भ में वह कहती है कि वह मेरे पैर तक आकर सिर्फ पर्दे पर चढ़ जाता और सिर्फ उसी तेज़ी से उतरता उसके यह धूप होने का क्रम तब तक चलता रहा जब तक में उसे पकड़ने के लिए नाव उड़ती देखिए यहां पर महादेवी वर्मा के पास लिखने के लिए तो यह महादेवी ओर ध्यान आकृष्ट करने के लिए वह क्या करता सिर्फ उनके पास करता मतलब पांव तक फिर उसके बाद वहां से फिर वहां जो करता है जो है उस पर चढ़ता फिर वहां से नीचे उतरता तक उसकी की है ऐसे ही चलती रहती थी जब तक महादेवी वर्मा कर उसे अपने हाथों में लिखने के लिए उसे करने के लिए उसके स्वामित्व को आपके लिए जो है यहा पर ग्लू इससे भी हरकत जो है वहां करता था हमेशा उनके पास ही रहना चाहता था तो आज के लिए इतना ही क्षण में हम देखेंगे कि महादेवी वर्मा जी से संबंधित और कितने लोगों को जो है वह यहां पर हमारे साथ महादेवी वर्मा ने कौन-कौन सी हरकत करता था और उसको क्या हुआ मर गए थे