बहुत-बहुत नमस्कार स्वागत है आपका समित अध्ययन का चारिक समित का फर्स्ट चैप्टर पढ़ेंगे चरक समित के फर्स्ट चैप्टर का नाम है दीघा जीवित्यान इसका मतलब है दीघा मेंस लॉन्ग जीवित्य मिंस लाइफ तो इस चैप्टर में हम ह्यूमन की लॉन्ग लाइफ के बड़े में पढ़ेंगे इस चैप्टर को मैंने फोर पार्ट्स में डिवाइड किया है आज हम इसका फर्स्ट पार्ट देखेंगे जो टॉपिक हम इस वीडियो लेक्चर में कर करेंगे वो है फर्स्ट चैप्टर का इंट्रोडक्शन सेकंड आयुर्वेद की हिस्ट्री थर्ड फर्स्ट संभाषण परिषद फोर्थ थ्री सूत्र फिफ्थ आयुर्वेद की डेफिनेशन और सिक्स्थ आयु के लक्षण होप इस वीडियो लेक्चर को शुरू करने से पहले आपने चरक संहिता के इंट्रोडक्शन को देख लिया होगा जो मैंने इसे पिछली वीडियो डाली थी अगर आपने नहीं देखा है तो आप उसको मेरे चैनल में जाकर देख सकते हैं तो अब हम शुरू करते हैं दीर्घाची विद्या का फर्स्ट पार्ट अब हमारा फर्स्ट चैप्टर शुरू ही एक श्लोक से हुआ है जो है अर्थात तो दीघा जीवित एवं अध्ययन व्याख्या श्याम इस श्लोक का अर्थ है आठ शब्द को बोलकर मैं दीघा जीवित एवं अध्याय की व्याख्या शुरू कर रहा हूं सेकंड श्लोक है इतिहास समझ भगवान अटरिया इसका मतलब है ऐसा कहा भगवान ने तो इन दोनों श्लोक की एक्सप्लेनेशन हुई अर्थ शब्द से मंगल मेंस शुरू कर दीघा जीवित एवं अध्याय के व्याख्या मैं कर रहा हूं ऐसा भगवान अत्रि ने कहा अब हम देखेंगे फर्स्ट शब्द को अर्थात ये दो शब्द से बना है अर्थ शब्द को काफी मंगल कार्य यानी आॅस्पाइसियस शब्द माना गया है ये ब्रह्मा के मुख से आया था और जो भी ग्रंथ लिखी गए हैं उनका फर्स्ट शब्द अति होता है और सेकंड शब्द इसीलिए लंबी आयु के बड़े में पूछने पर ही भगवान को शुरू किया जा रहा है इसके लिए हमें सबसे पहले समझना पड़ेगा तीन में तीन इच्छाएं होती हैं फर्स्ट पर नेशनल मेंस लंबी आयु अच्छी आयु सेकंड डी नेशनल यानी धन दौलत थर्ड पर लोकेशन मेंस हेवन की रचना ताकि करने के बाद हमें हेवन मिले अब इन तीनों वैष्णव में में प्रणेश क्योंकि अगर प्रहलानी होगी तो हमारे पास धन भी नहीं होगा और पर लोग भी नहीं होगा इसीलिए सबसे पहले हम प्रणेश के बड़े में पढ़ने हैं की हमें अपनी आयु लंबा कैसे रखना है उसे निरोग कैसे रखना है तो इसीलिए सबसे पहले अध्याय है अब यहां पर हम बात करेंगे 500 साल कितना हमारे सृष्टि हमारी अर्थ के टाइम को कर युगों में बंता गया है सबसे पहले सतयुग जिसमें मैक्सिमम लाइफ टाइम 48 मनी गई थी सेकंड ट्रुथ जिसमें 200 मनी गई थी इन अभी जो चल रहा है वो है कलियुग जिसमें आयु को 100 साल मेंस 100 इयर्स माना गया है तो दीर्घचिवीट्यम कितना 100 साल जितना अब नेक्स्ट हम देखेंगे वाइफ परसेंटेज इसका क्या कम अगर वह हर वर्ष महीन अपनी हर लाइफ टाइम में बीमा हो या फिर कुछ कम ना कर पे तो इस जगह पर दीघा और सुख जीवन की बहुत ज्यादा जरूर हमें पड़ती है अपनी लाइफ गोल्ड को हासिल करने के लिए और इस लॉन्ग लाइफ को देने वाला कौन है आयुर्वेद अब इसका एक श्लोक भी है धर्म अर्थ कम मोक्ष नाम आरोग्यं मूल्यम उत्तम अर्थ कम मोक्ष धर्म मतलब रेडियसनेस हर चीज को सही करना सेकंड अर्थ मतलब लाइफ का मीनिंग ढूंढना थर्ड कम मतलब सभी में प्यार बांटना फोर्थ मोक्ष है शांति फ्रीडम यह चारों एक आरोग्य लाइफ टाइम का उत्तम मूल मेंस मोस्ट इंपॉर्टेंट बेसिस है अब इसकी नेक्स्ट लाइन है मतलब रोग इस रोगी जीवन को भरतार मेंस कंज्यूम कर लेट है और नहीं मिलते इसका अभी नए का हमें एप्लीकेशन मिंस प्रयोजन पढ़ना होता है तो नेक्स्ट कौन सी चीज होती है हमारी बुक्स में प्रयोजन हमारे में टॉपिक के प्रयोजन उसके बाद थर्ड पॉइंट है संबंध रिलेशंस जैसे हेतु क्या होता है उसके लक्षण क्या होते हैं दोष क्या होता है उसके लक्षण क्या होते हैं लक्षण मेंस की हमें पता कैसे चलेगा की वो चीज हेतु या फिर दोष है उसका दूसरी चीज से संबंध क्या है रिलेशन क्या है तो तीसरी चीज है संबंध लास्ट है हमारा अधिकारी जो भी हम पढ़ रहे हैं उसे पढ़ने का अधिकारी कौन है की कुछ हमारे टॉपिक होते हैं जो डॉक्टर के लिए होते हैं कुछ हमारे टॉपिक होते हैं जो पेशेंट के लिए होते हैं और ये जो पूरे ग्रंथ हैं ये किनके लिए हैं डॉक्टर बने के लिए है तो इन सारे ग्रंथ का अधिकारी कौन है तो इससे हमारी कर चीज होगी सबसे पहले अभी तक में टॉपिक सेकंड प्रयोजन एप्लीकेशन तीसरा सिम बैंड रिलेशंस और लास्ट अधिकारी हूं इस एन टाइटल तू रीड डेट बुक अब नेक्स्ट टॉपिक है चतुर्थ सूत्र ये प्वाइंट्स स्पेशली चेरेक समित के लिए है हमारी चरक संहिता में शानदार टाइप के श्लोक है सबसे पहले गुरु सूत्र जो उपदेश दिया है जैसे जो हमने अभी फर्स्ट श्लोक पड़ा की मैं आपको तीर्थ जीवितम के बड़े में बताऊंगा ये गुरु सूत्र था यह अटर ने खुद कहा था सेकंड टाइप है शिष्य सूत्र में मोस्टली क्वेश्चन आते हैं जैसे हमारे जो सेकंड श्लोक था वो था ऐसा शिष्यों ने पूछा तो यह एक शिष्यों का पूछा हुआ शिष्य सूत्र था हमारे चरक स्मिता में जो शिष्य है वो है अग्निवेश थर्ड टाइप है प्रति संस्कृति इंट्रोडक्शन वाली वीडियो में मैंने आपको बताया था की चरण समेटा के प्रति संस्कृति मतलब उसको सिंपलीफाई करने वाले थे आचार्य चरक तो कुछ लोग आचार्य चरित ने अग्निवेश तंत्र से से तू से उतार दिए तो वो हुए गुरु सूत्र और शिष्य सूत्र पर कुछ उन्होंने सिंपलीफाई करके अपनी भाषा में लिखा तो वो हो गए प्रति संस्कृति जो उपस्थित किया हैं मतलब उन्होंने अपने से लेकर आए तो वो है क्या होते हैं जब अग्निवेश ने अत्रि ऋषि से उद्देश्य लिया था तब कुछ एक्स्ट्रा ऋषि ने भी उन्हें कुछ सूत्र बताए थे कुछ उपदेश दिए थे तो उनके भी सूत्र हमें हमारी चरक समित में बीच-बीच में मिलते हैं तो वो हो गए एक ये सूत्र तो इस तरह से हमारे कर सूत्र हुए पहले गुरु सूत्र जो अत्रे ने उद्देश्य है सेकंड शिष्य सूत्र जो अग्निवेश ने अत्रे से पूछे थर्ड प्रति संस्कृत का सूत्र जो चरक ने उपस्थित किया खुद लिखे ब्लास्ट एक ही सूत्र जो अन्य आचार्य जो वहां पर और आचार्य प्रेजेंट थे उन्होंने बोले अब हम देखेंगे आयुर्वेद अवतार मिंस आयुर्वेद की हिस्ट्री की आयुर्वेद आखिर शुरू कहां से हुआ या फिर आयुर्वेद आया कहां से तो इसके लिए हम सबसे कहा जाता है की सबसे पहले ब्रह्मा जी को आयुर्वेद स्मरण हुआ था स्मरण मिंस उनको अपने आप याद हुआ था उन्हें किसी ने आयुर्वेद के बड़े में बताया नहीं था उन्होंने कहानी से पढ़ा नहीं था उन्हें अपने आप स्मरण हुआ था उसके बाद ब्रह्मा जी ने प्रजापति को आयुर्वेद का ज्ञान दिया फिर प्रजापति ने अश्विनी कुमार को दिया और अश्विनी कुमार ने इंद्र को आयुर्वेद का ज्ञान दिया तो देविका मेंस हेवनस में हमारे कर लोग हैं सबसे पहले ब्रह्मा जी ब्रह्मा जी ने प्रजापति को दिया फिर प्रजापति ने अश्विनी कुमार को दिया फिर अश्विनी कुमार ने इंद्रदेव को दिया अब इसके बाद लौकी का मेंस अर्थ में सबसे पहले आयुर्वेद का ज्ञान लेने वाले थे ऋषि भारद्वाज भारतवर्ष ऋषि ने पर लोग जाकर मिंस देविका में जाकर इंद्रदेव से आयुर्वेद का ज्ञान पत्र को आयुर्वेद का ज्ञान उन्होंने अपने आगे अपने छह शिष्यों को मानसिक स्टूडेंट को आयुर्वेद का उपदेश दिया अब यहां पर एक काफी इंपॉर्टेंट पॉइंट है की पुनरावसु अत्रि तक सभी ने आयुर्वेद का ज्ञान उपदेश के रूप में लिया था मेंस बर्गर लिया था किसी ने भी उसे उसका तंत्र या फिर बुक नहीं बनाई थी सब ने उसे सुना और याद कर लिया लर्न कर लिया और दें आगे बड़ा दिया फिर किसी ने भी उसे रिटर्न फॉर्म में नहीं लिखा कर जो पुनः उसको अत्रि के शिष्य थे अग्निवेश बेल जादूगरनी शहर पानी इन सभी शिष्यों ने आयुर्वेद का उद्देश्य लेकर उसे रिटन फॉर्म में उसका तंत्र बनाया जैसे अग्निवेश ने अग्निवेश तंत्र बनाया बेल ने बेल तंत्र बनाया जादू करने जादू किया था फिर इन सब शिष्यों में जो सबसे इंटेलिजेंट था वह था अग्निवेश इसीलिए उसने अपना तंत्र सबसे पहले कंप्लीट किया और वही तंत्र आगे जाकर स्टूडेंट ने अपने तंत्र कंप्लीट करती है उसके बाद सारे देवी देवताओं ने इनकी बहुत प्रशंसा की और इन्हें रिवॉर्ड के रूप में 8 ज्ञान देवता दिए वह थे बुद्धि सिद्धि समृद्धि कीर्ति शर्मा और दया ये आठ ज्ञान देवता उन्हें दिया इन छह शिष्यों के बाद आचार्य चरित में आयुर्वेद के बड़े में लिखा और दें आचार्य बाल ने तो यह है हमारी पुरी हिस्ट्री सबसे पहले देविका में कर लोग ब्रह्मा ने आयुर्वेद का ज्ञान दिया प्रजापति को प्रजापति ने अश्विनी कुमार को अश्विनी कुमार ने इंद्र को और दें लकी का मेंस अर्थ में सबसे पहले भारत फिर भारतवर्ष ने दिया पुनर्वासन को पुनर्वसु ने अपने छह शिष्यों को जिसमें सबसे अच्छा तंत्र मेंस ग्रंथ बनाया था अग्निवेश ने उसके बाद चेहरे चरक और दें अभी पूरा आयुर्वेद अवतरण आपको लर्न करना काफी इंपॉर्टेंट है क्योंकि इसका क्वेश्चन आता है फिर इसमें जो सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन होती है वह होती है पुण्य वास्तु अटरिया के छह शिष्यों के नाम लर्न करना तो उसके लिए हमारे मैजिक बॉक्स में एक ट्रिक है वो है अग्नि भी जलती पर हर शाखा गली है तो इसमें हमने बताया है की आज जलने भारी है क्योंकि हर शाखा मिंस ब्रांच गली है तो अग्नि से अग्निवेश बी से बेल जल्दी से जादूगर पर से पाराशर घर से हरित शाखा से शार्पणी ऐसे थे हमारे छह शिष्य अग्नि भी जलती पर हर शाखा गली है पर इस पूरे आयुर्वेद को लर्न करने के लिए भी हमने एक ट्रिक लिखी है वो है आप और इंद्र भी पुराना छह कर दो कर रहे मेंस बाबर इंद्र है जो वो अपना पुराना हिसाब पूरा कर रहे हैं छह कर दो कर रहे हैं तो आप इसे ऐसे याद रखेंगे तो आपको पूरे ऑर्डर में याद रहेगा आप से ब्रह्मा इन प्रजापति और से अश्विनी कुमार इंद्र से इंद्र बी से भारद्वाज पुराना से पूर्ण रवसु छह से छह स्टूडेंट कर से शार्क दो से ट्रेड बनी अब नेक्स्ट टॉपिक है हमारा फर्स्ट संभाषण परिषद भी क्या है ये है मीटिंग ऑफ विशेष इसका टाइम क्या था कृतियां का अंत जो कृत युक्त हमारा उसके अंत में ये मीटिंग एक आयोजित की गई थी और ये मीटिंग जी जगह शुरू हुई थी वह थी पार्श्व हिमालय मेंस हिमालय के पास नेक्स्ट इस परिषद यानी इस मीटिंग में अब इस पुरी मीटिंग रोग की शांति का उपाय मिंस जो भी डिजीज हमारे पूरे अर्थ में फेल रही थी उन्हें शांत करने का उपाय एस कृतियां के अंत होने से पहले तक कोई भी रॉक मिंस कोई भी डिजीज नहीं थी अब इस मीटिंग में जितने भी ऋषि आए थे उनकी क्वालिटी क्या थी फर्स्ट सब ऋषि ब्रह्म ज्ञानी थे मेंस उनके पास बहुत ज्यादा ज्ञान था सेकंड नियम का खजाना यह सब ऋषि बहुत ज्यादा डिसिप्लिन थे थर्ड दम इंद्रियों पर नियंत्रण मेंस जितनी भी हमारी इंद्रियां होती हैं मां इंद्रिय विचार उनके ऊपर उन सब का नियंत्रण था उनका कंट्रोल था तो जितने भी ऋषि आए थे वो बहुत ज्यादा गेनर सीट है अब इस मीटिंग का कंक्लुजन क्या निकाला की रोग की शांति के लिए ऋषि दयानंद हो गया नस्त मेंस वो अपने ध्यान में चले गए और सोने लगे की इसका उपाय क्या होगा अवस्था में उन्हें पता चला की अगर वह शकर की शरण में शकर मेंस इंद्र देव की शरण में जाएंगे तो उन्हें रोगन की शांति का उपाय मिल जाएगा अब इधर क्वेश्चन आता है की इंद्र ही क्यों आयुर्वेद के ज्ञान के लिए ब्रह्मा जी के पास भी जा सकते थे प्रजापति के पास भी जा सकते हैं बट सिर्फ इंद्र ही क्यों इसके दो प्वाइंट्स हैं फर्स्ट इंद्र को पढ़ना की लालसा थी और सेकंड अध्ययन के बाद अध्यापन करना आवश्यक होता है अब ऐसा माना जाता है की जब कोई ज्ञान लेट है किसी से तो उसे ज्ञान को लेकर किसी और को देना इस वेरी इंपॉर्टेंट तो सभी में से सिर्फ इंद्र ही थे जिन्होंने किसी को अभी तक अपना ज्ञान नहीं दिया था तो इसीलिए भारतवर्ष इंद्र के पास गए अब उसे मीटिंग में जो कृषि को पता चल गया की उन्हें शक्ति के पास जाना है मेंस इंद्र के पास जाना है अब उन 53 ऋषि इसमें से कौन जाए उसका चयन उन्होंने किया की जो अपने आपको इतना कैपेबल मानता है की वो हेवन में जाकर दैविक लोक में जाकर इंद्र से मिलकर ज्ञान लेकर वापस आए सिर्फ प्रोक्लेम करें उसे मीटिंग में सबसे पहले जो सेंटेंस था वो था भारद्वाज का और वो था की वह शक्तियों के पास जाएंगे भारतवर्ष अधिक तपोवन वाले ऋषि थे वो अपने तप की शक्ति से इंद्र के पास गए और इसका रिजल्ट क्या निकाला भगवान इंद्र ने भारतवर्ष को बुद्धिमान समझकर क्योंकि वो इतनी दूर तक आए थे और अपने तपोबल से आए थे तो उन्होंने वैध्वज को थोड़े ही शब्दों में एक सूत्र में मेंस एक श्लोक में पूरा आयुर्वेद समझा दिया अब वह श्लोक क्या है वो हम आगे पढ़ेंगे तो उसे आयुर्वेद के ज्ञान का उपदेश लेकर हरिद्वार उसे मीटिंग में वापस आए तो ये थी फर्स्ट संभाषण परिषद रेश्यो की मीटिंग थी यह कृत्रिम के अंत में राखी गई थी हिमालय के पास राखी गई थी इसमें 53 डीसी प्रेजेंट थे रोगन की शांति के लिए थी उसका कंक्लुजन था की इंद्री के शरीर में जाकर रोग शांति का उपाय मिलेगा इंद्रदेव ही क्यों क्योंकि उन्होंने अभी तक अध्यापन मेंस किसी और को पटाया नहीं था इस मीटिंग का फर्स्ट सेंटेंस बोला था भारत तो वॉच अधिक तपोवल वाले ऋषि थे और इस पुरी मीटिंग का रिजल्ट यह निकाला की भगवान इंद्र ने भारद्वाज ऋषि को थोड़ी शब्दों में एक सूत्र के रूप में आयुर्वेद का उपदेश दिया नेक्स्ट है त्रिशुट्रम और त्रिस्कंद ऑफ आयुर्वेद अब यह जो श्लोक हम पढ़ेंगे यह वह श्लोक था जो भगवान इंद्र ने भारतवर्ष को सुनाया था और इसे श्लोक में उन्होंने पूरा आयुर्वेद समझ लिया था यह श्लोक है हेतु लिंक आतुर पारायण त्रिसूत्रम शाश्वत्तम पूनिया एवं पितामह चरक सूत्रस्थान 1/4 अब हम पढ़ेंगे इसकी एक्सप्लेन आयुर्वेद के ट्री सूत्र हैं हेतु लिंक और औसत हेतु मिंस निदान मिंस कॉस्ट लिंग मिंस लक्षण और सिंप्टोम्स पोषित मेंस मेडिसिन और ट्रीटमेंट इन तीनों का ज्ञान हेतु लिंक और औषध का ज्ञान स्वस्थ मेंस हेल्दी और डिजीज के लिए पर आयन मेंस उत्तम मार्ग है बेस्ट रास्ता है अगर किसी को कैसे पता होगा सिम्टम्स पता होगा और ट्रीटमेंट पता होगा तो हेल्दी और डिजीज दोनों अपनी लाइफ अच्छी दे सकते हैं यह थ्री सूत्र शाश्वत पुण्य मेंस नित्य पुण्य हमेशा अच्छा रिजल्ट देने वाले हैं चाहे वह सोशल पहले हो या सोशल बाद यह हमेशा अच्छा ही रिजल्ट देंगे ऐसा कहा है किसने ब्रह्मा जी ने तो हमारा पूरा मीनिंग क्या हुआ हेतु लिंग औसत का ज्ञान स्वस्थ और आतुर के लिए बेस्ट रास्ता मेंस पर आयन है और ये शाश्वत पुण्य देने वाला है मिंस हमेशा अच्छे रिजल्ट्स देने वाले हैं और इसे किसने सुनाया है पितामह यानी ब्रह्मा जी ने अब इसका श्लोक हम एक बार मीनिंग के साथ देखेंगे हेतु लिंक यह मैंने आपको मीनिंग बताया हेतु लिंक औषध का ज्ञान स्वस्थ दुर्गा पर आयन मेंस बेस्ट मार्क है सेकंड लाइन है थ्री सूत्रम शाश्वत्तम पेनियम पितामह ट्री सूत्र जो है वो शाश्वत पुण्य देता है वह गुरुदेव मेंस बताया किसने है पितामह ने तो ऐसे आपका पूरा श्लोक लर्न हो गया ये सूत्र जो भारतवर्ष ऋषि ने सुना इसे सुनते ही उन्हें दीघा ज्ञान हुआ और उसे परिषद मिंस उसे मीटिंग में आकर उन्होंने सभी ऋषियों को इसे थराली एक-एक शब्द करके समझाया अब नेक्स्ट हमारा टॉपिक है आयुर्वेद की परिभाषा फ्रेंड्स आयुर्वेद की डेफिनेशन सबसे पहले हम इसका श्लोक देखेंगे कर प्रकार की कर टाइप्स की आयु होती है मिंस कर टाइप्स की लाइफ होती है पहले हितायु दूसरी अहित यू तीसरी सुखायु और फोर दुखियों ये था यू उनकी होती है जो समस्त प्राणियों के हितेषी हैं मेंस जैसे जो लोग सत्यवादी होते हैं हमेशा सत्य बोलते हैं दूसरों पर दिया दिखाई हैं शांत होते हैं पूजा पाठ करते हैं दान करते हैं उनकी आयु कहलानी है अब जो इस मनुष्य के बिल्कुल अपोजिट हूं सत्य ना बोलते हो अशांत हो पूजा पाठ बिल्कुल नहीं करते हो और दूसरों को दुख पहुंचने हो उनकी आयु और आयु मिंस हैप्पी लाइफ इसमें वह मनुष्य होते हैं जो शारीरिक उत्मानसिक रोगन से रहित हो मेंस डिजीज अच्छे से स्कूलों क्रेजियस हो यंग हो और उनके शरीर में कोई भी रोग एन हो उनकी आयु सुखायु मनी जाति है और दुखायु सुखायु के बिल्कुल अपोजिट जैसे जीने शारीरिक या मानसिक रोगन को उनकी आयु दुखियों होती है अब ये जो हमारी हिट आयु है यह डिपेंड करती है की हम कम कैसे कर रहे हैं हम अच्छे कम कर रहे हैं बेनिफिशियल कम कर रहे हैं जो सोसाइटी को बेनिफिट करेंगे तो वो होगी हिट आयु अगर हम गंदे कम कर रहे हैं जो सोसाइटी को कोई बेनिफिशियल नहीं होती तो वो होके अहित यू और जो हमारी सुख है दुख आयु है वो डिपेंड करती है जो हमारे डीडीएस हैं जो हमने कम किया उसके रिजल्ट्स पर लाइक अगर हम अच्छे कम करेंगे तो हमारी आयु भी सुखी होगी हम हैप्पी रहेंगे जैसे अगर हम काफी हार्ड वर्किंग है तो उसकी रिजल्ट में हम सक्सेसफुल होंगे तो हमारी जो आयु है वो सुख आई होगी अब इसमें आयुर्वेद का ये कम है की आयुर्वेद हमें इन आयु का हिट बताता है की हमें बताता है की किन चीजों से हमारी आयु बढ़ेगी बताता है लेकिन चीजों से हमारी आयु कम होगी पर चेक करें तो हमें पता चल सकता है की अगर हम वही लाइफस्टाइल कंटिन्यू करते रहे तो हम कितनी डर जिएंगे अब हम इसका एक बार श्लोक फिर से देखेंगे इधर सुखामुक्कम आयुष दस हिताहितम मिंस हिट अहित सुख दुख की आयु का हिट और अहित बताना नेक्स्ट लाइन है मनन क तक आयु का मां बताना ये आयुर्वेद हमें बताता है तो फर्स्ट लाइन में बताया गया है हिट आ हिट सुख और दुख का युग होती है और उसका हिट और अहित नेक्स्ट लाइन में बताया गया है उसे आयु का मां आयुर्वेद हमें बताता है तो इस पूरे श्लोक का मीनिंग हुआ ये ताहित सुख दुख आयु ये कर प्रकार की आयु होती है और उनका हिट अहित और मां हमें आयुर्वेद बताता है अब नेक्स्ट हमारे टॉपिक है आयु के लक्षण तथा पर्याय अब आयु क्या परसंस लाइफ हर इंसान की अपनी-अपनी आयु होती है अभी हमने आयु के कर टाइप्स बड़े पीछे ही टाई सुख यू सबकी अलग-अलग टाइप की आयु मिंस लाइफ होती है तो यहां पर देखेंगे हम आयु के लक्षण की कैसे हम आईडेंटिफाई कर सकते हैं की ये आयु है तथा पर्यायवाची मेंस तो हम यहां पर आयु के लक्षण और आयु के पहले देखेंगे सबसे पहले हम इसका श्लोक देखेंगे शरीर आत्मा सहयोगी जीवितम नित्यक क अनुबंध क पर्याय वन बाय 42 अब इस श्लोक में हमें क्या बताया है आयु क्या है आयु का लक्ष्य है शरीर इंद्रिय मां और आत्मा का जिसमें संयुक्त होता है उसे हम आयु कहते हैं शरीर यानी हमारी बॉडी इंद्रिय हमारे सेंसेज मां जिसे हम बोलते हैं की हमारे मां नहीं है हमारी कॉन्शसनेस आप बोल सकते हैं नेक्स्ट इस आत्मा इन सबका संयुक्त जहां होता है उसे हम आयु कहते हैं नेक्स्ट इस श्लोक में हमें आयु के पर्याय मिंस आयु शब्द के सायनोनिम्स बताए हैं तो पहले हमारे सनों है धारी धारी का मतलब होता है शरीर का धरण करता है अब एक इस मनुष्य के पास आयु होगी जिसके पास शरीर होगा आत्मा होगी कॉन्शसनेस होगी तो जिसके पास ये सब चीज होगी उनके पास आयु होगी और इस आयु को हम डायरी भी बोल सकते हैं क्योंकि उसने शरीर का धरण किया हुआ है सेकंड जी वे प्राण को धरण करता है एक मनुष्य जिसके पास प्राण है मेंस कॉन्शसनेस है उसके पास आयु भी होती है तो उसे आयु को हम जीवित भी का सकते हैं नित्य आयु को नित्य इसीलिए कहा गया है क्योंकि प्रतिदिन आयु कम होती जाति है जिसे हर दिन हम बूढ़े होते जा रहे हैं और हमारी आयु कम होती जा रही है नेक्स्ट अनुबंध अब आयु को हमने अनुबंध इसीलिए कहा है क्योंकि इसमें शरीर और प्राण हमेशा एक दूसरे से बंदे रहते हैं तो अब हम इसके श्लोक के साथ इसका मीनिंग देखेंगे डायरी जीवितम इसका क्या मतलब हुआ शरीर इंद्रिय तत्व मेंस मां और आत्मा का संयुक्त आयु कहलाता है उसके आगे लिखा है मेंस धारी और जीवित नेक्स्ट लाइन है नित्य अनुबंध आयु और चेतनों नेम्स बताए गए हैं तो इसी से हमारा पूरा श्लोक हो गया सबसे पहले हमने आयु के लक्षण मेंस आयु को हम कैसे आईडेंटिफाई करेंगे की वो बताना है शरीर इंद्री सत्य आत्मा का संयुक्त वाला है उसके बाद हम उसके पर्याय बताएंगे धारी जीवित नृत्य और अनुबंध इसी के साथ चकत का फर्स्ट चैप्टर का पहले पाठ हमारे कंप्लीट है अब हम इस पूरे चैप्टर का जल्दी से रीकैप करेंगे फर्स्ट चैप्टर का नाम क्या था दीघा जीवित एवं सेकंड मंगल शब्द क्या था दुष्ट किया था धर्म अस्त कम मोक्ष और डिस्कस लोक धर्म अर्थ का मोक्ष नाम आरोग्यं मूल्यम उत्तम प्रोग्रेस तस्य अपह्रतार श्री अशोक जीवितासिया फिफ्थ हमने पढ़ा था ग्रंथ में कर चीज आम हैं वो थी अभी दी प्रयोजन संबंध और अधिकारी सिक्स्थ थी चतुर्थ सूत्र कौन से थे चरक समिति के गुरु सूत्र प्रति संस्कृति सूत्र और एक्युसूत्र सेवन चीज हमने पड़ी आयुर्वेद की हिस्ट्री सबसे पहले देविका में ब्रह्मा जी ब्रह्मा जी ने आयुर्वेद का ज्ञान दिया प्रजापति को फिर अश्विनी कुमार फिर इंद्रदेव और दें लकी का मेंस अर्थ में भारद्वाज फिर उनके सिक्स स्टूडेंट जिसकी हमने ट्रिक पड़ी थी अग्नि भी जलती पर हर शाखा गली है अग्निवेश बेल जादूगर पाराशर हरित और शार्पणी उसके बाद आचार्य चारिक और दें लास्ट टॉपिक इंद्रदेव ने एक सूत्र में एक श्लोक में पूरा आयुर्वेद उन्हें समझा दिया था नेक्स्ट हमारा नाइंथ टॉपिक और सोशल जो की स्वस्थ अतुल का बूतरेड मिंस उत्तम मार्ग था अब इसका हम श्लोक देखेंगे जल्दी से ये तू लिंक अशिक्षित पर्यटन त्रिसूत्रम शाश्वतम पुण्यम बुद्ध एवं पितामह हमारा 10th टॉपिक था आयुर्वेद की डेफिनेशन और परिभाषा इसमें हमने कर तरह की आयु पड़ी हिट आ हिट सुख और दुख आयु और इनका हिट आ हिट और मां बताना आयुर्वेद का कम है इसका श्लोक था हितम सुखम दोखम आयुष दशहरे हिताहितम मण्यम क्षेत्र उत्तम आयुर्वेद एस उच्चतम यह एक काफी इंपॉर्टेंट श्लोक है यह आपको हमेशा अलग होना चाहिए आगे स्टाइल योर लास्ट एयर या आपको कम आएगा और हमारा लास्ट टॉपिक था आई यू के लक्षण तथा पर्याय शरीर इंद्रिय मां आत्मा के संयुक्त को आयु कहा जाता है और उसके पर्याय हैं डायरी जीवित नित्य और अनुबंध तो इसका श्लोक था श्रीजी इंद्रिय सत्व आत्मक संयोगों दारीचजीवितम नित्यक क अनुबंध वैरायटी अब इसके साथ चरक समित का दीघा जीवित्यान का पार्ट वन कंप्लीट है विथ थ्री कैप इसे अच्छे से पढ़ना और श्लोक ध्यान से लर्न करना मैंने इसमें जितने भी श्लोक दिखाएं हैं फर्स्ट पहले को छोड़कर आपको बाकी के सारे लर्न करने हैं और इन श्लोक को इजीली लर्न कैसे करना है उसकी मैंने आपको ट्रिक अपनी फर्स्ट बा एस राइट्स वाली वीडियो में बताई थी अब उसे जाकर देख सकते हैं अब मिलते हैं इसके पार्ट तू में तब तक के लिए संस्कृत पढ़ने रहे श्लोक लर्न करते रहे