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बजट और आर्थिक स्थिति पर नोट्स
Jul 25, 2024
बजट और कंजंप्शन पर बात
बजट में कंज्यूमर्स का मूड
प्राइवेट कंसंट बढ़ाने में कंज्यूमर्स का मूड महत्वपूर्ण है।
मौजूदा मूड खराब होने के कारण:
इनकम टैक्स में कम बदलाव।
स्टॉक मार्केट में बढ़े हुए टैक्सेस।
पहले सरकार ने कहा था, "मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट"।
अर्बन टैक्स पेयर्स में गुस्सा।
आर्थिक स्थिति
भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्याएं:
जीडीपी के चार मुख्य घटक:
कंजंप्शन
सरकारी खर्च
निवेश
नेट एक्सपोर्ट्स
मुख्य समस्या: कंजंप्शन में कमी।
कंजंप्शन में कमी के कारण:
लोगों की आमदनी में कमी।
कंपनीज की प्रदर्शन
2018-2022 के बीच 5000 सूचीबद्ध कंपनियों की नेट सेल्स 52% तक बढ़ी।
अमीर लोगों से कमाई:
बाटा (Affordable Brand) की सेल्स 20% बढ़ी।
मेट्रो (Premium Brand) की सेल्स 70% बढ़ी।
निवेश के लिए दोष:
सरकार को बढ़ाना चाहिए घरेलू कंजंप्शन।
बजट में बदलाव
इनकम टैक्स में कोई बड़ा बदलाव नहीं।
टैक्स रेजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा।
नये टैक्स रेजीम के तहत अधिकतम बचत 17500।
स्टॉक मार्केट में नए टैक्स:
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ा।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स भी बढ़ा।
सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स में बढ़ोतरी।
इंडेक्सेशन बेनिफिट का हटाना
प्रॉपर्टी की बिक्री पर टैक्स लागू होगा।
पहले घर की वैल्यू में इंफ्लेशन का फायदा होता था, जो अब नहीं है।
अर्बन टेक्स पेयर्स में असंतोष:
कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ा।
इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा।
कंजंप्शन पर सरकार की स्थिति
टैक्स पेयर्स की गुणवत्तापूर्ण रिटर्न नहीं मिल रही।
इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की आवश्यकता है।
कृषि आय पर टैक्स
एग्रीकल्चर इनकम पर टैक्स नहीं होता।
अमीर किसानों से टैक्स आंका गया है।
वित्तीय संकट और नौकरियां
वित्तीय सहायता के लिए अनाउंसमेंट्स।
असली टेस्ट: कार्यान्वयन।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार जरूरी।
समापन
संरचनात्मक बदलाव का कोई विजन नहीं।
मोदी सरकार का ध्यान सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट्स पर होना चाहिए।
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