कई बार प्राइवेट कंसंट बढ़ाने के लिए कंज्यूमर्स का मूड भी मायने रखता है पर अनफॉर्चूनेटली मूड खराब हो गया क्योंकि एक तो इनकम टैक्स में ज्यादा चेंज नहीं किया गया उसके अलावा स्टॉक मार्केट में कई और टैक्सेस बढ़ा दिए गए अब लोग गुस्सा इसलिए हैं क्योंकि वो सरकार जिसने कहा था मैक्सिमम गवर्नेंस मिनिमम गवर्नमेंट वो स्टॉक मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन को कम क्यों कर रही है तो उस पूरी सिचुएशन को देखते हुए जो अर्बन टैक्स पेयर है वो गुस्से में है कि टैक्स रेट्स कम नहीं हुए कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ गया और टैक्सेशन बेनिफिट हटा दिया गया इसके बदले में हमें क्या मिल रहा है पर कुछ क्रिटिसिजम जरूर है जिससे मैं बिल्कुल अग्री नहीं करता आजकल सोशल मीडिया पर स्पेशली एक फैशन हो गया सभी के लिए अपने आप को मिडिल क्लास बताना फरवरी 2020 में सीएनबीसी के अवार्ड फंक्शन में महाराष्ट्र के तबके चीफ मिनिस्टर उद्धव ठाकरे ने एक स्पीच दी थी बजट के मौके पर जो वायरल हो गई थी सक्सेसफुल फाइनेंस मिनिस्टर होता है वो वही होता है जिसकी जेब काटी जाती है उसको पता ही नहीं चलता कौन सी जेब काटी है तो क्या फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमन यह कर पाए इस बजट में इस वीडियो में मैं बात करूंगा टैक्सेस की लोग गुस्सा क्यों है इस बजट से और इस बजट का क्या असर पड़ेगा हमारे देश पर अब बजट के बारे में डिस्कस करने से पहले सबसे पहले कांटेक्ट समझ लेते हैं कि हमारी इंडियन इकॉनमी की सिचुएशन है क्या क्या दिक्कत है हमारी इकॉनमी की अगर आपने इकोनॉमिक्स पढ़ी है तो आपको पता होगा कि जीडीपी में चार चीजें होती है कंसंट गवर्नमेंट स्पेंडिंग और नेट एक्सपोर्ट्स और इंडियन इकॉनमी में मेन दिक्कत है कंजमेशन में लोग खर्चा नहीं कर रहे खर्चा भला वो क्यों नहीं कर रहे क्योंकि वो कमा नहीं रहे और इसकी वजह से कई प्रॉब्लम्स होती हैं जैसे मैं आपको एक एग्जांपल देता हूं पिछले कुछ सालों में इंडियन कंपनी ने थप्पड़ फाड़ के पैसा कमाया 2018 और 2022 के बीच 5000 लिस्टेड कंपनीज की नेट सेल्स 52 पर तक बढ़ी है और नेट प्रॉफिट 187 पर तक और इन कंपनीज ने हमारे देश में पैसा कमाया कैसे मेनली अमीर लोगों से जैसे बाटा जो एक अफोर्डेबल जूते की ब्रांड है 4 सालों में उनकी सेल्स 20 पर तक बढ़ी है जबकि मेट्रो जो एक प्रीमियम ब्रांड है जूतों की उसकी सेल 70 पर तक बढ़ी है इसके बारे में मैंने इस वीडियो में बात भी करी थी कि कैसे कई कंपनीज का फोकस बस कुछ ही शहरों में क्योंकि उधर ही पैसा है जैसे क्योंकि उनको डर है कि इन्वेस्टमेंट करने के बाद उनको पैसा मिलेगा नहीं क्योंकि अमीर लोगों की भी एक लिमिट है हमारे देश में अगर आपने उन सबको बेच दिया अपना सामान उसके बाद कहां जाओगे इसी के बारे में इंडिया के एक्स चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर अरविंद सुब्रमण्यम ने बात करी थी जब उन्होंने कहा कि मोदी नॉमिक्स ने इन्वेस्टमेंट इंक्रीज नहीं करी हमारे देश में कंपनीज इन्वेस्ट तभी करेंगी जब उनको विश्वास होगा कि लोग एक्चुअली पैसा खर्च करेंगे और उनका सामान खरीदेंगे तो हमारी सरकार को इस बजट के जरिए मेनली एक चीज करनी थी उनको डोमेस्टिक कंसंट बढ़ाना था जो हो सकता है दो चीजों से पहला है कि जिसके पास पैसा है आप उनको कुछ और कारण दो कि वह अपना पैसा खर्च करें और दूसरा कि जिनके पास पैसा नहीं है आप उनको नौकरियां दो ताकि वह आगे जाके अपना पैसा खर्च करें अब क्योंकि आप कांटेक्ट समझ गए हमारी प्रॉब्लम्स का अब देखते कि सरकार ने ऐसा करने की कोशिश करी भी या फिर नहीं अब अगर आप एक बिजनेस ओनर हो तो आपने जरूर बजट देखा होगा पिछले कुछ वीडियोस में मैंने आपको ओडू के बारे में बताया ू एक ऑल इन वन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर है जिसमें कई सारी एप्स हैं जो आपके बिजनेस को डे टू डे मैनेज करने में आपकी मदद करता है दुनिया भर में ड के 12 मिलियन से ज्यादा यूजर्स हैं और अगर आप u के बारे में और जानना चाहते हो तो वो 23 और 24th अगस्त को अपना कम्युनिटी डेज ऑर्गेनाइज कर रहे हैं ओडू कम्युनिटी डेज गांधीनगर के महात्मा मंदिर कन्वेंशन सेंटर में हो रहा है और यह इंडिया के सबसे बड़े टेक बिजनेस इवेंट्स में से एक होगा चाहे आप u के सीजन यूजर हो या फिर u के बारे में और जानना चाहते हो तो यह इवेंट आपके लिए ही है इधर आपको ू के बारे में तो जानकारी मिलेगी पर आप लाइक माइंडेड एंटरप्रेन्र्दे हो ू की टीम उनके ग्लोबल पार्टनर्स और कई इंडस्ट्री लीडर्स उधर अपने एक्सपीरियंस शेयर करेंगे और शायद उनको सुनकर आपको इंस्पिरेशन मिल जाए अपने बिजनेस को स्टार्ट करने का 100 से ज्यादा एग्जिबिशन और 150 से ज्यादा इंस्पायरिंग सेशंस प्लान है जहां आप अपने प्रोजेक्ट के बारे में क्वेश्चंस पूछ सकते हो और यह इवेंट बिल्कुल फ्री है डिस्क्रिप्शन में लिंक है उधर रजिस्टर कर लो इधर आपको एक ग्लोबल समिट अटेंड करने का मौका मिलेगा जहां आप नेटवर्किंग भी कर सकते सकते हो और मजे भी उठा सकते हो लाइव कंसर्ट्स में सबसे पहले बात करते हैं इनकम टैक्स की कई लोगों ने ये उम्मीद लगाई थी कि इनकम टैक्सेस कम होंगे ताकि प्राइवेट कंसंट किक स्टार्ट हुए पर ऐसा हुआ नहीं दो चेंजेज जरूर करी गई पहली बात नई इनकम टैक्स रेजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन कम कर दी गई स्टैंडर्ड डिडक्शन बेसिकली वो अमाउंट होता है जो आप अपनी इनकम से हटा सकते हो जिस पर आपको बिल्कुल भी इनकम टैक्स नहीं देना होता तो वो बढ़ा दिया गया 50000 से लेकर 75000 तक इसके बाद कई इनकम टैक्स लैब्स भी चेंज कर दिए गए हैं तो इससे फायदा क्या मिलेगा लोगों को बहुत कम एस अ रिजल्ट ऑफ दिस चेंस अ सैलरीड एंप्लॉई इन द न्यू टैक्स रेजीम स्टैंड्स टू सेव अप टू 7500 इन इनकम टैक्स न्यू टैक्स रेजीम के तहत मैक्सिमम बेनिफिट आपको 17500 का मिलेगा और ओल्ड टैक्स रेजीम में कोई चेंज नहीं किया गया तो आपको कोई फायदा नहीं मिलने वाला कई बार प्राइवेट कंसंट बढ़ाने के लिए कंज्यूमर्स का मूड भी मायने रखता है पर अनफॉर्चूनेटली मूड खराब हो गया क्योंकि एक तो इनकम टैक्स में ज्यादा चेंज नहीं किया गया उसके अलावा स्टॉक मार्केट में कई और टैक्सेस बढ़ा दिए गए शॉर्ट टर्म गेंस ऑन सर्टेन फाइनेंशियल एसेट्स शैल हेंस फर्थ अट्रैक्ट अ टैक्स रेट ऑफ़ 20 पर लॉन्ग टर्म गेंस ऑन ऑल फाइनेंशियल एंड नॉन फाइनेंशियल एसेट्स विल अट्रैक्ट अ टैक्स रेट ऑफ़ 12.5 जैसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेस टैक्स जो उन एसेट्स पर देना पड़ता है जो आप एक साल से कम समय के लिए होल्ड करते हो उसको 15 पर से 20 20 पर तक कर दिए गया जबकि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स उन एसेट्स पर जो आप एक साल से ज्यादा होल्ड करते हो उसको 10 से 125 पर कर दिया गया है अब कई इन्वेस्टर्स नेचुरली खुश नहीं है इसके अलावा सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस पर भी बढ़ा दिया गया है अब लोग ओबवियसली गुस्सा है ऐसे चेंजेज से पर अगर आपने रिसेंट स्टेटमेंट्स पढ़ी है सेबी की या फिर फाइनेंस मिनिस्ट्री की तो ये इतना सरप्राइजिंग नहीं होना चाहिए इसके बारे में मैंने एक रिसेंट वीडियो में बात भी करी थी इनफैक्ट बजट के रिलीज होने के एक दिन पहले सरकार के इकोनॉमिक सर्वे ने कहा कि इंडियन मार्केट में ओवर फाइनेंशलाइजेशन हो गई है यानी कि इंडियन परिवार अपनी सेविंग्स कु ज्यादा ही स्टॉक मार्केट में डाल रहे हैं और यही सरकार को डर था उनको लगा है कि ज्यादा ओवरहीटिंग हो रही है स्टॉक मार्केट में इसके अलावा एक ओपन सीक्रेट है कि इंडियन मार्केट में ऑप्शंस ट्रेडिंग एक पागलपन है कई लोग ऑप्शंस और फ्यूचर्स को अपने ट्रेड की हेजिंग करने के लिए यूज नहीं कर रहे बल्कि इन पर गैंबल कर रहे हैं क्योंकि वो 10 दिन में 10 करोड़ कमाना चाहते हैं इसके बारे में मैंने इस वीडियो में बात भी करी थी जो आप बाद में देख सकते हो तो हमारी सरकार ने सारे टैक्स के चेंजेज इंट्रोड्यूस करें हैं ताकि स्टॉक मार्केट में ओवरहीटिंग ना हो और इसकी वजह से अब स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करना और महंगा हो गया है अब लोग गुस्सा इसलिए हैं क्योंकि वो सरकार जिसने कहा था मैक्सिमम गवर्नेंस मिनिमम गवर्नमेंट वो स्टॉक मार्केट में रिटेल पार्टिसिपेशन को कम क्यों कर रही है स्पेशली जब कई परिवार अब स्टॉक मार्केट को एंटर कर रहे हैं पर अब आपको ज्यादा टैक्स सरकार को बस स्टॉक बेचने पर ही नहीं बल्कि प्रॉपर्टी बेचने पर भी देना पड़ेगा क्योंकि सरकार ने इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिया है इंडेक्सेशन होता क्या है इंडेक्सेशन बेसिकली एक टैक्स पेयर को बचाता है इंफ्लेशन से मानो आपने 15 साल पहले घर खरीदा था ₹10 लाख का आज आप उसको बेच रहे हो 20 लाख में अब 15 साल में इंफ्लेशन भी हुई है तो जो मकान का प्राइस डबल हुआ है वो बस उसकी वैल्यू की वजह से नहीं बल्कि इंफ्लेशन की वजह से भी हुआ है तो मान लो अगर सरकार कहती है कि घर की वैल्यू ₹ लाख बढ़ी है इंफ्लेशन की वजह से तो टैक्स आपको 10 लाख पर नहीं बल्कि बस 4 लाख पर देना होगा पर अ ये इंफ्लेशन का बेनिफिट हटा दिया गया है इसलिए अगर आप आज यह प्रॉपर्टी बेचो ग आपको 10 के 10 लाख पर टैक्स देना पड़ेगा अब यह जरूर है कि टैक्स रेट कम हो गया है 20 पर से 12.5 पर हो गया है तो आपको डिसाइड करना होगा कि टैक्स रेट कम होने से या फिर इंडेक्सेशन के बेनिफिट से हटाने से आपका नेट फायदा हुआ या फिर नेट नुकसान अगर सिंपली बोलूं कि कई सालों से आपने प्रॉपर्टी होल्ड करके रखी है तो आपका नेट ऑन एवरेज नुकसान ही हुआ होगा तो उस पूरी सिचुएशन को देखते हुए जो अर्बन टैक्स पेयर है वो गुस्से में है कि टैक्स रेट्स कम नहीं हुए कैपिटल गेंस टैक्स बढ़ गया और इंडेक्सेशन बेनिफिट हटा दिया गया इसके बदले में हमें क्या मिल रहा है अब ऐसी सिचुएशन में क्या वह खर्चा करेंगे और अगर खर्चा नहीं करेंगे तो देश का कंजमेशन है जिसके बारे में बजट में जिक्र नहीं हुआ अर्बन टैक्स पेयर को टैक्स देने में कोई प्रॉब्लम नहीं है दिक्कत है कि उनको रिटर्न में क्या मिल रहा है मेनली क्वालिटी ऑफ फ्लाइट जिसके बारे में रिसेंटली मैंने कई वीडियोस बनाए इंडियन शहरों में रोड का इंफ्रास्ट्रक्चर पब्लिक ट्रांसपोर्ट एयर पोल्यूशन और वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम इतना खोकला है कि जहां सरकार की इवॉल्वमेंट बिल्कुल ना हो मेनली घर के अंदर उधर तो जिंदगी अच्छी है पर जैसे ही अब घर के बाहर निकले उधर दिक्कतें चालू दिल्ली अपने कचरे के पहाड़ के लिए फेमस है मुंबई में गोखले ब्रिज और बर्फी वाला फ्लाई ओवर कनेक्ट नहीं होते और बेंगलुरु में रोड चांद के क्रेटर की तरह है यह प्रॉब्लम पैसे की कमी की वजह से नहीं है बल्कि अकाउंटेबिलिटी की वजह से है वो लोग जो हमारे शहरों के लिए जिम्मेदार हैं उन पर इतनी कम अकाउंटेबिलिटी है कि कितना भी कचरा हो जाए शहर पर उनसे सवाल पूछे नहीं जाते अगर अर्बन मैनेजमेंट इंप्रूव हो जाए हमारे देश में तो कई लोग 30 पर मार्जिनल टैक्स देने के लिए राजी होंगे अब यह भी नहीं कि इसमें बस सेंट्रल सरकार की जिम्मेदारी है स्टेट और लोकल लेवल्स को भी रोल निभाना होगा पर अभी तक मुझे कोई सिग्नल नहीं मिलर ना किसी सेंट्रल ना किसी स्टेट गवर्नमेंट से कि अर्बन गवर्नेंस उनके लिए एक मेन प्रायोरिटी है क्योंकि अर्बन गवर्नेंस इंप्रूव करने के लिए प्राइम मिनिस्टर और चीफ मिनिस्टर्स को अपनी पावर रिड्यूज करनी होगी पर वो यह करना नहीं चाहते हमें अपने शहरों की सिचुएशन इंप्रूव करने के लिए और पैसा और पावर देनी होगी हमें लोकल लेवल को पर इंडिया में रिवर्स हो रहा है ऐसे इस ग्राफ को देख लो यूएस और चाइना में ज्यादातर पैसा लोकल गवर्नमेंट में खर्च किया जाता है पर इंडिया में अपोजिट है ना और जो सरकार का अटेंशन होता है ना वो भी लिमिटेड ही है उनके भी दिन में 24 घंटे ही हैं अब अगर वह 24 घंटे इस पॉलिसी को डिसाइड करने में जा रहे हैं कि क्या किसी मुस्लिम दुकानदार को अपना नाम बाहर लिखना चाहिए या फिर नहीं तो उसका मतलब है कि अर्बन गवर्नेंस इश्यूज पर ध्यान दिया ही नहीं जा रहा क्योंकि ऐसी आइडेंटिटी पॉलिटिक्स खेलने से वोट तो मिल जाता है पर शहर इंप्रूव नहीं होते अब सरकार ने जरूर अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर की अपने बजट में बात करी जैसे उन्होंने कहा कि वह शहर को ग्रोथ हब्स बनाना चाहते हैं बेहतर ट्रांसपोर्टेशन से फिर उन्होंने यह भी कहा कि वह 100 बड़े शहरों में वाटर सप्लाई सीवेज ट्रीटमेंट और वेस्ट मैनेजमेंट इंप्रूव करेंगे अब अनाउंस करना अच्छा कदम है पर आसान कदम है मुश्किल होगा एग्जीक्यूट करना और उसी से डिसाइड हो पाएगा कि टैक्स पेयर को अपने रिटर्न में कुछ मिल भी रहा है या फिर नहीं दूसरा कारण जिसकी वजह से अर्बन टैक्स पर इतना गुस्सा है व है कि सैलरी क्लास पर तो टैक्स है पर एग्रीकल्चर इनकम पर कुछ नहीं ऐसा क्यों और यह सवाल पूछना सही भी है कुछ साल प पहले एक आरटीआई से पता चला था कि जहां एग्रीकल्चर में ग्रोथ तो 3 से 5 पर हो रही है हमारे देश में पर एग्रीकल्चरल इनकम जो डिक्लेयर करी जा रही है टैक्स अथॉरिटीज को वो जीडीपी से 20 गुना ज्यादा है तो यानी कि लोग इस सिस्टम को मिस यूज कर रहे हैं ताकि उनको टैक्स ना देना पड़े इसी वजह से राजू अवस्ती जो वर्ल्ड बैंक में एक स्पेशलिस्ट है उन्होंने कहा हमें अमीर फार्मर्स को टैक्स करना चाहिए जैसे उन किसानों के जिनकी 10 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन है टैक्स इनकम की बेसिस पर होना चाहिए चाहे वह एग्रीकल्चर से है या फिर कहीं और से पर कुछ क्रिटिसिजम जरूर है जिससे मैं बिल्कुल अग्री नहीं करता आजकल सोशल मीडिया पर स्पेशली एक फैशन हो गया सभी के लिए अपने आप को मिडिल क्लास बताना इसलिए जो ड्राइवर गाड़ी चला रहा है वह भी अपने आप को मिडिल क्लास मानता है और जो बॉस पीछे बैठा हुआ है वह भी जबकि एवरेज मंथली सैलरी इंडियन शहरों में बस 20000 है पर वो भी जो 2 लाख कमा रहा है अपने आप को मिडिल क्लास बुलाता है एक चीज जो हमें लाज करनी चाहिए व है कि 1991 के रिफॉर्म्स के बाद उल्टा हमारी इकॉनमी ने फेवर किया है अर्बन इलीट को इसी वजह से सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स तो अच्छा खासा पैसा कमा रहे हैं क्योंकि हमारी सरकारों ने सर्विस इंडस्ट्री पर ज्यादा फोकस किया और ना कि मैन्युफैक्चरिंग पर इसी वजह से मुझ जैसे लोगों का तो फायदा हुआ है पर वो लोग जो एक्चुअल मिडिल क्लास है जिनको मैन्युफैक्चरिंग के जरिए अच्छी खासी जॉब्स मिल सकती थी उनको फायदा नहीं हुआ है क्योंकि सर्विस इकॉनमी में अंग्रेजी की जरूरत होती है और कंप्यूटर्स की जो उनको स्किल्स नहीं सिखाए गए अगर हम इस मिडिल क्लास के डिबेट को साइड में रख द इस बजट की वजह से मोदी सरकार और अर्बन एलीट जो उनके कोर सपोर्टर्स हैं उनके बीच में ट्रस्ट कम हो गया है कि हम टैक्सेस दें और हमें रिटर्न में क्या मिल रहा है जिसकी वजह से यह कहना कि कंजप्शन इंडिया का बढ़ेगा या फिर नहीं कहना मुश्किल है अब आते हैं दूसरे रास्ते पर कंसंट बढ़ाने के लिए वह है उन लोगों को नौकरियां देना जिनके पास नौकरियां नहीं है अब नौकरियों के लिए सरकार ने कई अनाउंसमेंट्स करी जैसे एक सीन जहां सरकार डायरेक्ट ब बफिट ट्रांसफर करेगी एक महीने की सैलरी तीन इंस्टॉलमेंट्स में उन लोगों के लिए जो वर्क फर्स में नए हैं और फाइनेंस मिनिस्टर ने कहा कि इसे 2 करोड़ से ज्यादा नौजवानों को फायदा मिलेगा फिर उन्होंने एक और स्कीम के बारे में बात करी जहां टॉप 500 कंपनीज में अगले 5 सालों के दौरान 1 करोड़ लोगों को इंटर्नशिप्स दी जाएंगी 1 करोड़ लोगों के लिए अगले 5 सालों के दौरान 500 टॉप कंपनीज का मतलब है कि हर कंपनी को हर साल कम से कम 4000 लोगों को इंटर्नशिप देनी होगी क्या ये फीजिबल है अब जॉब्स और स्किलिंग पर फोकस करना सही चीज है पर असली टेस्ट होगा जब एग्जीक्यूशन होएगी इस चीज की क्योंकि फाइनेंशियल इंसेंटिव से बस कोई कंपनी 4000 लोग को इंटर्नशिप देगी नहीं एक कंपनी इंटर्नशिप तब देती है जब उनके बेनिफिट में होता है जब कंपनी ग्रो हो रही होती है अब अगर कंपनी का रेवेन्यू नहीं बढ़ रहा तो वो इंटर्नशिप भी नहीं देंगी पैसे की वजह से वो इंटर्नशिप नहीं दे रही बल्कि इकोनॉमिक कंडीशंस की वजह से वो नहीं दे रही तो सरकार के लिए बेहतर होगा कि वह जॉब्स बढ़ाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को इंप्रूव करें रेगुलेशन को कम करें और लो वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग को प्रमोट करें क्योंकि लो वैल्यू मैन्युफैक्चरिंग इकलौता तरीका है जहां जूते और टीशर्ट्स बनती है जिसे हम करोड़ों लोगों को नौकरियां दे सकते हैं पर बजट में हमें ऐसे आईडिया देखने को नहीं मिले जिससे हमें लगे कि जॉब सिचुएशन तो बहुत बदलने वाली है देश की इसलिए रोहित लांबा जो एक इकोनॉमिस्ट है उन्होंने लिखा कि इस बजट में फंडामेंटल स्ट्रक्चरल चेंजेज का कोई विजन ही नहीं था इसलिए कई लोग का मानना है कि उनकी कन्वे कम है कि अब इस बजट की वजह से हमारा कंजमेट उनका कहना है कि मोदी मोदी सरकार ने कोई नई चीज नहीं करी उन्होंने बेसिकली उन्हीं चीजों पर फोकस किया जिन पर उनका पहला फोकस था जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर मोदी सरकार ने वादा किया है कि वो एक रिकॉर्ड 11 लाख करोड़ यानी जीडीपी का 3.4 पर इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करेंगे और ऐसा फोकस हमने पिछले 8 सालों के दौरान भी देखा है अब इंफ्रास्ट्रक्चर का एक सिग्निफिकेंट फोकस बिहार और आंध्र प्रदेश पर था क्योंकि बीजेपी की वही कोलिशन पार्टनर्स थ जिनकी वजह से वह सरकार बना पाए इसकी वजह से कई लोग बोल रहे हैं कि यह बजट तो आंध्र प्रदेश और बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर बजट हुआ जैसे सरकार ने ऐलान किया कि वो 000 करोड़ बिहार के रोड नेटवर्क लिए खर्च करेंगे पटना पूर्णिया और भागलपुर बक्सर जैसे एक्सप्रेसवेज बनाएंगे और बक्सर में गंगा पर एक टू लेन ब्रिज भी बनेगा बस हम आशा यही कर सकते हैं कि इस बार सरकार कम से कम ढंग का कांट्रैक्टर चूज करें और ऐसा नहीं तो अगर आप इस बजट को गौर से देखोगे बेसिकली मोदी सरकार ने कंजर्व अप्रोच अपनाई है उनको मेन डर है फिस्कल डेफिसिट का कि फिस्कल डेफिसिट हमें कम करना है इनफैक्ट एक समय जो टारगेट 5.1 पर था अब वह 4.9 पर हो गया जीडीपी का तो सरकार ने डिसाइड किया कि अभी वोह पैसा बचाएंगे और शायद फ्यूचर में खर्च करेंगे क्योंकि उनके हिसाब से इंडिया की कंजमपट्टी