हेलो गाइस मुष्ट वेलकम हम कर रहे हैं human resource management HRM के अंदर एक चैप्टर कंप्लीट कर लिया है आज हम चैप्टर नंबर सेकिन्ड स्टार्ट कर रहे हैं चैप्टर नंबर फ़र्स्ट के अंदर हमने conceptual framework समझा था और चैप्टर नंबर सेकिन्ड है हमारा introduction to human resource management जो इसके अंदर हमको क्या-क्या पढ़ना है सबसे पहले introduction to human resource management के अंदर हमको कुछ चीजें पढ़नी है कुछ topics हैं इस chapter के अंदर तो उनमें सबसे first आता है workplace diversity ठीक है first क्या आता है workplace diversity second number आता है employees empowerment ये second number है third number है downsizing fourth number है VRS और fifth number है work-life balances तो ये four topics जब हम cover कर लेंगे तो हमारा chapter number second जो है वो complete हो जाएगा ठीक है? तो चलिए सबसे first point से start करते हैं workplace diversity डाइवर्सिटी वर्ड से कुछ आता है कि इंडियन जो है इंडिया जो है हमारा वो डाइवर्स उसमें डाइवर्सिटी बहुत है अमारी जो इंडियन कंट्री है ना उसमें डाइवर्सिटी बहुत है हमने एक सुन रखा होगा विवित्ता में ही एकता है रंग बिरंगा ह अलग-अलग लैंग्वेजेस है चाहे आप इंडिया के वेस्ट में चले जाओ इस्ट में चले जाओ साउथ में चले जाओ नोर्थ में चले जाओ हर जगह आपको कुछ ही किलोमेटर पर थोड़ा सा टॉन चेंज मिलेगा कल्चर चेंज मिलेगा उनका पहनने का रहने का खाने का पेने का तरीके में लैंग्वेज में बहुत ज्यादा चेंजेस है तो पट इतनी सारी डाइवर्सिटी होने के डिवर्सिटी होने के बाद में इतनी विवित्ता होने के बाद में भी हम क्या है एक रूप है एक है और आने वाले टाइम में यह पता भी चलेगा पैसे पता है कहने का मतलब आने वाले टाइम में जब और डेवलप होगी कंट्री तो इसके बहुत इसे इंडिया जो है बहुत अच्छा एक कंट्री बन जाता है जैसे अगर किसी को घूमने जाना हो एक ऐसी कंट्री हो जिसमें घूमना फिरना केवल सब जगह सेम है कल्चर से में पूरी कंट्री के अंदर खाना फिरना सेम है रहना सेम है लैंग्वेज नया देखने को मिलता है कंट्री के अंदर ही और फिर भी सब एक है ओके तो यह है डाइवरसिटी तो यहां पर अ��� हम इंडिया की मैंने जो एग्जांपल दिया हम तो उसकी बात कर रहे हैं बट यहां पर हमारे टॉपिक ए डाइवरसिटी एट वर्कप्लेस यह बहुत इंपोर्टेंट है यह पूरा केवल इंडिया में नहीं एचरम तो पूरे वर्ल्ड लेवल पर अपना होता है यह मना गया है कि जो कंपनी है उसका जो वर्कप्लेस है वहां जो एंप्लोई काम करते हैं उन्हें डाइवरसिटी होनी चाहिए वह एक ही जेंडर के नहीं होने चाहिए वह एक ही कल्चर के नहीं होने चाहिए वह एक ही रिलिजियस के नहीं होने चाहिए उनका जो लैंग्वेज वह भी चेंज होना चाहिए उनका कल्चर चेंज होना चाहिए उनका बैकग्राउंड चेंज होना चाहिए है तो वहां पर डाइवरसिटी लानी है ऐसा नहीं लानी है वह कहते हैं लानी है किसी भी कंपनी के अंदर जो एंप्लोई है वह अगर डाइवरसिफाइड है वह अलग-अलग कर्चल अलग-अलग प्लेसेस अलग-अलग बैकग्राउंड अलग-अलग है वह तो उसका बहुत सारे बेनिफिट मिलेंगे तो वर्कप्लेस पर और हमारे कंट्री में ही डाइवरसिटी है तो हम तो बहुत खुश-किस्मत है ठीक है चलिए समझते हैं मिनिंग ऑफ वर्कप्लेस डाइवरसिटी एड वर्कप्लेस इस ग्रोइंग फिनोमन इन कंपनी वर्ल्ड वाइड पूरे वर्ल्ड वाइड यह जो डाइवरसिटी जो है वर्कप्लेस पर यह बहुत ज्यादा ग्रो कर रही है हर कंपनी अलग-अलग कैटेगरी बैकग्राउंड जेंडर कल्चर के लोगों को अपना रही है इसके बेनिफिट क्या होंगे सर वागी पड़ेंगे पहले इसको पड़ते हैं है क्या है इट मीन रिक्रीटिंग ट्रेनिंग अंडरस्टेंडिंग एक्सेप्टिंग वैल्यूइंग डिफरेंस प्लेजिंग पिपल्स अलग-अलग बहाती-बहाती के लोगों को रिक्रूट क अगर एक ही culture या एक ही gender या एक ही background के लोग अगर किसी company में हो, तो वहाँ पर कभी भी उस company के जो working place है, उस पर diversity नहीं होगी, लेकिन यह बोल रहा होनी चाहिए, ओके, ठीक है. रिक्रूटिंग पीपल फ्रॉम डाइवरजेंट बैकग्राउंड वर्क इन अ कॉर्पोरेट स्पेस इस कॉल्ड वर्क प्लेस डाइवरसिटी सिंपल बोल रहा है अलग-अलग बैकग्राउंड के लोगों को किसी एक कंपनी में हायर करना उसको ही बोलते हैं क्या वर्क प्लेस डाइवर्सिटी अलांग विद देर यूनिक आइडेंटी उनके आइडेंटी यूनिक होती है डाइवर्सिटी ब्रिंग डाइवर्स नॉलेज इससे डाइवर्स नॉलेज भी मिलता है देखो अगर हर एक शित्र की, हर एक place की, हर एक language की, हर एक culture की कुछ importance होती है, जो वहाँ के रहने वाले लोगों के अंदर होती है, तो वो अगर लोग किसी अलग-अलग लोग की company में आकर जाते हैं, आते हैं तो वह अलग-अलग नॉलेज अलग-अलग एक्सपीरियंस और अलग-अलग क्वालिटीज लेकर आते हैं उससे बेनिफिट मिलता है ओवर वर्ल कंपनी को और वहां का माहुल भी अच्छा रहता है वहां का माहुल खराब नहीं रहेगा अच्छा रहेगा इसके बहुत सारे एग्जांपल भी दिए जा सकते हैं ठीक है आइए इसमें क्या-क्या इंक्लूडेड होता है आफ डिफरेंट रेसेस एथेंटिसिटीज जेंडर एजेस कल्चर रिलीजियस डिसेबिलिटीज एंड सेक्शुअल ऑरिंटेशन इसमें क्या-क्या इंक्लूडेड रेसेस मतलब अलग-अलग नसलों के नसलिये जेंडर मतलब तो आप समझ गए जेंडर हो गया कि एजेस अलग-अलग ऊमर अधिक अधिक अधिक आए करते हैं तो वहां पर क्या होगा वर्कप्लेस पर क्या जाएगी डाइवरसिटी आ जाएगी इसके अलावा जो और क्या कर सकते हैं हां रीजनल बैकग्रांड के आधार पर एडूकेशन के आधार पर प्रेसनल टीज के आधार पर इसकी के आधार पर एक्सप्रियंस के आधार पर और नॉलेज के आधार पर भी इनके आधार पर भी हम वर्कप्लेस पर डाइवरसिटी ला सकते हैं तो ऊपर हम कैसे लेकर आ सकते हैं रेसेस एथनिशिटी जेंडर एजेस कल्चर रिलीजियस डिसेबिलिटी और सेक्शन sexual orientation के थूप और नीचे क्या बोल रहा है इसके अलावा और क्या कर सकते हो ताकि आपके वर्कप्लेस पर डाइवरसिटी आ जाए रीजिनल बैकग्रांड्स एडुकेशन प्रेसोनल्टी स्किल एक्सपीरियंस एंड नॉलेज बेसिस जैसे हम स्कूल जाते हैं इस स्कूल के अंदर आपको बता होगा जो स्कूल होती है उसके अंदर अलग-अलग बहुत सारे बाती-बाती के अलग-अलग रिलीजियस अलग-अलग कास्ट अलग-अलग एना बैकग्रांड के पीपल्स आते हैं स्कूल में पर पढ़ते हैं बच्चे तो आगर माहौल उस प्लेस के कितना सांधार होता है वहां पर किसी भी भी प्रकार का कोई पक्षपात या किसी भी प्रकार का कोट वर्च नहीं होता है अधिकतर कुछ एक्सप्शन जरूर होते हैं लेकिन अगर वह माहौल अच्छा है वहां का वह तो डिपेंड करता है मैनेजमेंट के ऊपर उन्हें अच्छा कर रखा है और कंट्रोल सिस्टम अच्छा है प्लानिंग अच्छी है तो वहां पर बड़ा मजा आता है स्कूल की लाइफ कौन याद नहीं करता है हर को याद करता है अपनी है ना क्यों उसका रेजन आपके सामने क्योंकि वहां पर डाइवरसिटी है तो वहां की बहुत सारे बेनिफिट मिलते हैं उस लोगों को भी और उस ऑर्गेजेशन को यही हासिल करना चाहती है कंपनी ओके ठीक तो मेरे दिमाग में एग्जांपल आया दे दिया आगे अब क्या-क्या बेनिफिट होते हैं अगर वर्कप्लेस पर नया प्रोस्पेक्टिस लेकर आएंगे आपके सामने ने उनका सोचने का तरीका बिल्कुल नया होगा तो न्यू चीजें आपको बहुत पिलेगी तो इनोवेशन क्रिएटिविटी की भरमार होगी एक कल्चर के या एक प्लेस के या एक स्थान के लोग जो है वो नह वजह से हो तो अब वह बाती-बाती के लोग आ रहे हैं तो यह व्यक्ति यहां से आ रहा यह वह सोच पा रहा यह नहीं पा रहा यह वह बात यह नहीं पा रहा तो सब मिलकर के जब एक दूसरे के साथ थॉट सेयर करते हैं तो एक न्यू है उनको भी नया सीखने को मिलता है ओके जी लेकिन यह एक ही वर्कप्लेस पर डाइवरसिटी नहीं हो यह भी तो आना एक कर दो कि सबको बता है कि मतलब सबकी थिंकिंग एक जैसी है तो कोई विरोधवास भी नहीं होगा और जब तक कोई विरोधवास हो गई नहीं एक दूसरी को पर क्वेश्चन होगी नहीं जब तक कोई एक न्यू प्रोस्पेक्टिव कोचने का नया तरीका मिलेगा ही नहीं करते हैं काफी लोग जो है ना जिनको बिजनेस आईडियाज चाहिए होते हैं वह क्या करते हैं बहुत सारे इंट्रीवियों नौ आपको अंतरप्रेणियोर्स के जो या जो आपके स्टार्ट अप से स्टार्ट करते हैं और उनको पूछे यह तुम्हारे अपना आई वोटेल्स जो है उसका जो मालिक है अ उन्होंने रॉबर्ट कियोशाकी को जो कि एक रिच डेट पूर्ड एड के रिच डेट पूर्ड एड बुक है ना उसके ऑथर है तो रिच डेट पूर्ड एड के ऑथर को नोट लेकर लिखा कि मेरे पास इतने पैसे हैं और मैं इस पैसे से जो है बिजनेस टार्ट करना चाहता हूं तो आप मुझे एडवाइज दीजिए तो उन्होंने लेटर लिखा वापस जवाब लेकर इतना बढ़िया आदमी इतनी अच्छी बुक लिखी है ऐसे से कैसे बोल सकता है कि इन पैसों से दुनिया गूंगा वापस लेकर वापस वहीं जवाब आया फिर उन्होंने सोचा ओयो जो टोल रूम से बनाई उन्होंने सोचा उनका नाम मुझे याद नहीं आ रहा है तो उन्होंने सोचा कि यार ऐसा करते हैं बहुत सारे एक्सांपल्स पड़े तो डाइवरसिटी जब हम कुछ नई जगह जाते हैं नई चीजें एक्सप्रीयंस करते हैं तो मारा दिमाग खुलने लग जाता है नहीं तो वह था ना कि जो कुए का मैंड़क होता है उसको बताएं क्या लगता है उसको लगता है यही दुनिया है अच्छा यह दुनिया ठीक है यह अंदर है यह है जो यहां दिख रहा है मुझे अगर उसको बाहर निकाल दें कुए से बाहर निकाल दें उसको तो यह क्या है तो वहीं है बहुत इंपोर्टेंट चीज होती है इससे नई न्यू न्यू प्रोस्पेक्टिव मिलता ही मिलता है इसलिए अलग-अलग लोगों से मिलो अलग-अलग कल्चर को जानों अलग-अलग लोगों को जानों अलग-अलग एक्सप्रियंस लो एनर वह बहुत इंपोर्टेंट होता है ना ओके जी तो इसे न्यू प्रोस्पेक्टिव मिलता है वाइडल टेलेंट पूल वह तो हो गई पैसे अधिकतर क्या होता है इस अगर कहीं पर वर्कप्लेस डाइवरसिटी है तो उसमें क्या होता है कि वह 9-5 वाली जॉब वाला मामला नहीं होता है कि बस 9-5 जॉब करी पैसा दो खतब नहीं वहां पर ऐसे-ऐसे लोग आकर जुड़ते हैं जो लाइफ में कुछ करना जाते हैं उनको ग्रोथ चाहिए उनको टारगेट चाहिए तो ऐसे लोग आते हैं वहां पर ऐसे लोग आकर जुड़ते हैं है ना जी तो यह भी एक बेनिफिट मिलता है नेक्स्ट आता है एंप्लोई एक्सिलेंस बिल्कुल अब मैंने बोला ना एंप्लोई एक्सिलेंस तो होगा ही क्यों नहीं होगा डाइवर्स डाइवर्सिटी एंड फर्म परफॉर्मेंस बो हैंड इन हैंड वेन एन ओरगनाइजेशन है जो वर्क एनवार्मेंट जहां ऐसा एनवार्मेंट हो वेराइटी ऑफ कल्चर्स ऐसा ओर्गनाइजेशन जिसमें ऐसे लोग काम करते हैं अलग-अलग वेराइटी ऑफ कल्चर्स के लोग काम करते हैं अलग-अलग बैग्राउंड के लोग काम करते हैं अलग-अलग सोचने वाले लोग काम करते हैं ऑल आफ एम आर मोर्ड लाइकली टू फिल कंफोर्टेबल बिंग देंशल इन दिस टर्न लीड टू है पियर एंड मोर प्रोडक्टिव एंप्लोई एंड एंप्लोई टर्नवर फॉर्स एंप्लोई एक्सेलेंस यहां पर आपको मिल जाता है बहुत इनोवेशन होते हैं जिस स्टार्ट चार्टअप्स के अंदर जिस कंपनी के अंदर जो बहुत आगे जाना चाहती है जिसके टार्गेट्स बहुत बड़े हैं जो कुछ करना चाहती है को बहुत बड़ा प्लेयर बनना चाहती है अपनी फिल्ड का और वहां पर यही कौसिस की जाती है डायर तो यह न्यू एक प्रोस्पेक्टिव मिलेगा वह जो यह एक्सिलेंस एंप्लोइस का वह होगा और आपको न्यू आइडिया ओके जी तो तीन पॉइंट हमने पड़े बेनिफिट्स न्यू प्रोस्पेक्टिव मिलता है वाइडर टेलेंट पूल मिलता है एंप्लोईज एक्सिलेंस मिलता है और डी नंबर इंक्रीज्ड प्रॉफिट इससे प्रॉफिट भी इंक्रीज होता है वैरियस रिसर्च स्टे� लोग है वहां पर उस कंपनी का प्रॉफिट भी बहुत तेजी से रैपिडली इंक्रीज होता है न्यू बिजनेस प्रोस्पेक्टर्स मिलते हैं यह देखो अलग-अलग डाइवरसिटी से लोग आते हैं ना तो वह जब इकटे होते हैं अलग-अलग डाइवरसिटी से तो ऐसा ओके है तो यह बिल्कुल होता है कि न्यू अब बिजनेस प्रोस्पेक्टर भी आपके सामने खुलते हैं फाइड साइक्लोजिकल बाइसेस बिल्कुल साइक्लोजिकल बाइसेस जो होते हैं साइक्लोजिकल बाइसेस मतलब हर आदमी के कुछ बिल्कुल सिस्टम्स होते हैं उसका मानना होता है कि नहीं बस ऐसा ही है बास मैंने आज तक जिंदगी में यह सोचा है यही सुना है हमारे बड़े बुड़े बोल के गए हैं यही होता है वह सारे बाइसेस तूट जाते हैं जब हम अलग-अलग कल्चर, अलग-अलग बैकग्रांड, अलग-अलग टेलेंटेड लोगों से, अलग-अलग नॉलेजबल एक्सप्रियंस एडुकेटेड लोगों से मिलते हैं तब ऐसे बहुत सारे साइक्लोजिक बाइस जो है वह टूड़ जाते हैं ओके और उसका बेनिफिट सबको मिलता है कि दिमाग खुलने लग जाता है और अगर आप साइक्लोजिक बुक पढ़ोगे ना तो आपका ऐसे सॉक के लिए पढ़ने भी चाहिए ज्यादा इसमें नहीं बुचना चाहिए लेकिन कुछ बेसिक्स तो पढ़ लेना चाहिए इंप्रूव कंपनी कल्चर इसे कंपनी का कल्चर जो है वो इंप्रूव होता है क्योंकि इससे क्या होता है कंपनी की जो इथिक्स है गूल्स जो है और वर्क एंवार्मेंट जो है वह अच्छे से काम करता है क्रिएटिविटी में पहले बढ़ा चुका हुआ भी आनी है ना इन क्रिएटिविटी आएंगी तो इनोवेशन होंगी तो वह कंपनी जो है वह इनोवेशन का हब बन जाएगी कौन सी कंपनी जिसमें वर्कप्लेस डाइवरसिटी होगी जहां पर वर्कप्लेस प्लेस डाइवरिसिटी होगी वह कंपनी के अंदर क्रिएटिविटी आईगी कि अलग-अलग लोग अलग-अलग सोच के साथ आएंगे सोचेंगे और क्रिएटिविटी होगी तो वहां पर इनोवेशन होंगे इनोवेशन मतलब समझ रहे हो टेक्नोलॉजी के अंदर लोग बैठे हैं एक ही चाहिए कल्चन ले लो बैकग्राउंड ले लो एडुगेशन ले लो एक्सप्रीज ले लो वह एक ही है अलग-अलग नहीं है अब उनको बोलो भी सेल्स बढ़ानी है सबका अंसर लगभग एक जैसा ही होगा लेकिन डायर से डायर सीफाइड लोग हैं अलग-अलग बैक्राउंड कैटेग्रीज अलग-अलग एचुकेशन अलग-अलग कल्चर अलग-अलग इनोवेशन होते ही हैं तो वर्कप्लेस पर डाइवरसिटी होने ही चाहिए ठीक है ओके आगे हम हमारा नीड क्या नीड है या क्या जरूरत है वर्कप्लेस डाइवरसिटी की ठीक है इसके अंदर आता है अन सेटिस्ट आप अन सेटिस्पेक्टरी एंप्रोइस लैक ऑफ वर्क वर्कफोर्स डाइवरसिटी अगर आपके यहां वर्कफोर्स डाइवरसिटी नहीं होगी अगर ऐसा मेकनिजम आपने नहीं बनाएं बस एक ही कल्चर या एक ही आप जो है प्लेस या एक ही एजुगेट्स क्वालिफाइड एक क्वालिफिकेशन के लोग आप रख लोगे हैं ना डाइवर्सिफाइड नहीं सोच एक जैसी है कोई अलग सोच का आके सामने से कुछ बताया अच्छा सा इसे दिमाग खुले वहां मोटिवेशन मिलेगा वहां ग्रोथ होगी वहां ऑपर्ट्यूनिटी होगी है ना यस ठीक है नेक्स्ट आता है चैलेंजेस ऑफ वर्कप्लेस डाइवरसिटी होंगे तो अगर डाइवरसिटी है आपके वर्कप्लेस पर तो डाइवरसिटी होने पर क्या-क्या चैलेंज आते हैं सबसे परस्तुति आफ कॉन्फ्रेंट अमंग एंप्लोइज जो एंप्लोइज लोगों के बीच में वाद विवाद ने के चांसेस बने ही रहेंगे लेकिन अगर एक मैनेजमेंट मेकनिजम बना दिया जाए तो उनको बहुत इजीली निप्टाया जा सकता है ठीक है जेंडर प्रिफेरेंस एक जेंडर का ग्रूप ज्यादा है एक कम है लीडर है वह अच्छा हो तो इनको मैनेज किया जा सकता है लेकिन यह है ऐसा होगा लेकिन इसको मैनेज करना पड़ेगा क्योंकि इसके फायदे बहुत है नुकसान भी है बट इसको मैनेज किया जा सकता है रेसिस्टेंस टू चेंज कुछ लोग चेंज पर जो है मनाई करेंगे नहीं चेंज नहीं कर सकते हैं कम्यूनिकेशन यह सबसे बड़ा है कम्यूनिकेशन एक लैंग्वेज का होना कई बार बहुत फायदेवंद होता है वैसे लैंग्वेज सीखी जा सकती है और एक बिजनेस लैंग्वेज जो होती है वह काफी काम आती है लेकिन फिर भी अगर कम्यूनिकेशन का अनर्च भी हो सकता है तो वह वाला मामला है the need of training बिल्कुल training की जरूरत होती ही होती है बिना training के ये workplace पर diversity कर दी तो वो काम नहीं करेगी ओके जी तो ये थे कुछ challenges point याद कर लेना अंदर अपने इसाब से लिख देना next आता है आपका employees empowerment ये करेंगे हम next lecture के अंदर so I hope आपको काफी समझ में आया मिलते हैं next lecture में तब तक के लिए goodbye and thank you