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बेसिन के प्रकार और निर्माण प्रक्रिया

इस वीडियो में हम सीखेंगे की बेसिन कैसे बनते हैं अगर आप एक बेसिन को देखें, ये जमीन पर एक गढ़ा या फिर एक लो लैंड से जारा कुछ नहीं इनका जो शेप होता है, वो एक कटोरे की तरह होता है, जिसके साइट के हिस्से जमीन से उंचे होते हैं बेसिन्स दो टाइप की होती हैं, एक जिसमें पाली मिलेगा आपको और दूसरा होता है खाली अब ये जो बेसिन्स है, कुछ बेसिन्स ऐसे होते हैं होते हैं जिनको बनने में हजार साल लग जाते हैं और फिर कुछ ऐसे होते हैं जो कुछ घंटों में बन जाएं जैसे कि भूकम द्वारा लैंड स्लाइड होने पर एक लैंड डिप्रेशन यानि की बड़ा गढ़ा बन जाता है और इसमें जब पानी आ जाए तो ये भी बेसिन ही है जो कि कम समय में बना हो अब आते हैं रिवर ड्रेनेज बेसिन पर जब एक नदी और उसकी जितनी भी ट्रिब्यूटरी होती है सब जब एक जगह आकर मिलती है एक निचले जमीन पर वह जो निचला जमीन का हिस्सा होता है उसे रिवर ड्रेनेज बेसिन कहा जाता है आपको पता ही होगा नदी जब भेथी है अपने साथ काफी सारा मिट्टी मलवा पत्थर साथ ले भेथी है इसे लैंड एरोजिन कहते हैं अंग्रेजी में नदी के लगातार भेथने के लिए बहने के लिए बहने के लिए बहने के जहने से काफी सारा मिट्टी, पत्थर, मलवा एक जगा से दूसरी जगा बह जाता है। जिससे कि वो जमीन का हिस्सा बाकी के आसपास के जमीन की तुलना में थोड़ा कम हो जाता है हाइट में। लांड में डिप्रेशन आ जाता है। लो लांड बन जाता है। ये सब छोटे इसी प्रकार बड़े पैमाने पर एक बड़े से जमीन के हिस्से को घिस कर बेसिन में तद्दिल होने में कम से कम हजार साल लगता है। अमज़ान बेसिन उतरी साउथ अमेरिका में ये दुनिया का सबसे बड़ा बेसिन है। भारत में आप देख सकते हैं गंगा नदी बेसिन, इस्ट में जाये तो भ्रमपुत्रा नदी बेसिन, और अगर आप नीचे जाये तो आपको मिलेगा कृष्णा, महनदी, नर्मदा नदी बेसिन। एक और कारण से बेसिन का निर्मान होता है, वो है ग्लेशियर्स। याने कि बरफ के बड़े टुकडे के हिलने से जब एक बड़ा बरफ का टुकडा जमीन पे घिसते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ता है इससे जमीन की मिट्टी और पत्थर भी घिस कर एक बहुत बड़ा गढ़ा या नाला बना देती है जो कि आसपास के जमीन की तुलना में हाइट में कम होती है इसे भी बेसिन कहा जाता है अंत में अगर आप एक महसागर को देखे ये भी एक विशाल गढ़ा है प्रित्वी के जमीन पे उदारन के लिए अतलांटिक ओशन को देखे यह बाई और नौर्थ और सौथ अमेरिका है और दाई और यूरोप और आफ्रिका है। बीच में अट्लांटिक ओशन के पानी को निकाल दे तो आपको एक बहुत बड़ा गढ़ा ही दिखेगा। इसका मतलब है ओशन याने की महसागर यह भी एक लो लांड ही है। दो कॉंटिनेटल लांड मास के बीच जिसमें पानी भरा हो तो एक प्रकार से यह भी बेसिन ही हुआ ना इसे कहते हैं ओशन बेसिन।