इलेक्शन एंड रिप्रेजेंटेशन चैप्टर
परिचय
- प्रस्तुतकर्ता: मोहिन पठान
- प्लेटफ़ॉर्म: अडा 247
- चैप्टर: इलेक्शन एंड रिप्रेजेंटेशन
- फ़ोकस: भारतीय चुनाव प्रणाली और इसकी विशेषताएँ
भारतीय चुनाव प्रणाली
पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ़ गवर्नमेंट
- भारत में संसदीय प्रणाली अपनाई गई है
- राष्ट्रपति: राज्य का मुखिया
- प्रधानमंत्री: सरकार का मुखिया
- प्रमुख चुनाव प्रणाली: फर्स्ट पास्ट द पोस्ट (FPTP) सिस्टम
पार्लियामेंट्री और प्रेसिडेंशियल सिस्टम का अंतर
- पार्लियामेंट्री सिस्टम: राज्य का मुखिया और सरकार का मुखिया अलग-अलग
- प्रेसिडेंशियल सिस्टम: एक ही व्यक्ति राज्य और सरकार का मुखिया
- सेमी-प्रेसिडेंशियल सिस्टम: राष्ट्रपति के पास अधिकतर शक्तियाँ, लेकिन प्रधानमंत्री भी होता है
भारत में इलेक्शन सिस्टम
- चुनाव प्रणाली के अंतर्गत प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में एक ही प्रतिनिधि चुना जाता है
- फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम:
- उम्मीदवार की जीत सबसे अधिक वोट प्राप्त करने पर होती है, न कि बहुमत पर
- इसे प्लूरालिटी सिस्टम भी कहा जाता है
- संविधान द्वारा इसे मान्यता प्राप्त
- प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन (PR) सिस्टम:
- जनता पार्टी को वोट देती है, उम्मीदवार को नहीं
- पार्टी की वोट प्रतिशत के आधार पर सीटें आवंटित होती हैं
- उदाहरण: इज़राइल, नीदरलैंड्स
- भारत में PR सिस्टम का सीमित प्रयोग: राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यसभा के चुनावों में
भारत में आरक्षण प्रणाली
- SC/ST वर्गों के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों का प्रावधान
- निर्वाचन क्षेत्रों का पुनरावंटन (डीलिमिटेशन) प्रक्रियाओं के माध्यम से
स्वतंत्र चुनाव आयोग
- 1950 में निर्वाचन आयोग की स्थापना
- चुनाव आयोजित करने में स्वतंत्र और निष्पक्ष भूमिका
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो अन्य आयुक्त
- चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद के परामर्श पर
- विभिन्न चुनाव जैसे लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति के चुनाव आयोजित करता है
- लोकल बॉडी चुनाव नहीं कराता
चुनाव सुधार के लिए सुझाव
- FPTP से PR सिस्टम में बदलाव
- महिला आरक्षित सीटें (33%) बढ़ाना
- चुनावी खर्चों पर नियंत्रण
- आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों पर प्रतिबंध
- जाति और धार्मिक अपीलों पर प्रतिबंध
- राजनीतिक दलों के संचालन और पारदर्शिता पर कानून बनाना
निष्कर्ष
- भारतीय चुनाव प्रणाली सरल और प्रभावी है
- लोकतंत्र को मजबूत और संपूर्ण बनाने के लिए सुधार सुझावों को लागू करना आवश्यक है
इस प्रकार, हम देखते हैं कि चुनाव और प्रतिनिधित्व का यह अध्याय भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को समझने और उसकी विभिन्न प्रक्रियाओं के बारे में जानने का एक महत्वपूर्ण साधन है।