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इलेक्शन एंड रिप्रेजेंटेशन

हेलो स्टूडेंट्स कैसे हैं आप सब लोग मैं मोहिन पठान एक बार फिर से आप सब लोगों के सामने और आज आज हम लोग करने वाले हैं क्या आज हम लोग देखने वाले हैं हमारा चैप्टर इलेक्शन एंड रिप्रेजेंटेशन का वन शॉट यानी कि पूरा के पूरा चैप्टर हम लोग एक ही किसम वीडियो में कंप्लीट करने वाले आई होप कि आप लोगों ने बाकी सारी वीडियोस देख ली होगी जितनी भी मैंने बनाई है ठीक है आप सबका स्वागत करता हूं मैं अडा 247 पर जो कि आप लोग लेकर आता है बहुत सारे इंपॉर्टेंट इंपॉर्टेंट ह्यूमैनिटीज रिलेटेड वीडियोस ह्यूमैनिटीज के हर सब्जेक्ट की वीडियोस बहुत सारे शॉर्ट्स बहुत सारे नोटिफिकेशंस बहुत सारे अपडेट्स और आप सबकी हेल्प करता है आपके एग्जाम में मार्क्स को रेज करवाने में और आपका एग्जाम क्लियर करवाने में तो क्या आप सब लोग रेडी है और अगर रेडी है तो फटाफट फटाफट फटाफट से दिखाओ मुझे अपने गंदे-गंदे से आंग उठे जल्दी से आइए स्टार्ट करते हैं देखते हैं हमारे पास इलेक्शन एंड रिप्रेजेंटेशन वाले चैप्टर में क्या-क्या चीजें हैं जो बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है क्या-क्या पढ़ने वाले हैं हम लोग इस चैप्टर में तो पढ़ के ही देख लेते है ना इस पर टाइम वेस्ट नहीं करते हम लोग आइए देखते हैं इलेक्शन सिस्टम इन इंडिया इंडिया में किस तरीके से इलेक्शंस होते है ना और जो सिस्टम हम लोगों ने अडॉप्ट किया तो हम लोगों ने वो सिस्टम क्यों अडॉप्ट किया वो सारी बात करेंगे हम लोग इंडिया इज अ कॉन्स्टिट्यूशन डेमोक्रेसी विथ पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट इंडिया में कौन सा सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट है पार्लियामेंट सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट है क्वेश्चन ये है कि सर पार्लियामेंट सिस्टम में प्रेसिडेंशियल सिस्टम में सेमी प्रेसिडेंशियल सिस्टम में क्या डिफरेंस होता है तो अगर हम लोग पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ डेमोक्रेसी को देखें तो पार्लियामेंट्री सिस्टम ऑफ डेमोक्रेसी में जो हेड ऑफ द स्टेट होता है या हेड ऑफ द कंट्री होता है वह तो होता है प्रेसिडेंट ऑफ प्रेसिडेंट कौन होता है प्रेसिडेंट और अगर हम लोग बात करें कि हेड ऑफ द गवर्नमेंट कौन होता है तो हेड ऑफ द गवर्नमेंट होता है हेड ऑफ द गवर्नमेंट होता है प्राइम मिनिस्टर हेड ऑफ द गवर्नमेंट कौन होता है एक सेकंड देना हेड ऑफ द गवर्नमेंट कौन होता है हमारा हेड ऑफ द गवर्नमेंट होता है प्राइम मिनिस्टर प्राइम मिनिस्टर ठीक है तो बेसिक डिफरेंस य पार्लिमेंट सिस्टम दूसरी तरफ अगर हम लोग देखे की प्रेसिडेंशियल फॉम ऑफ डेमोक्रेसी में क्या होता है जहां पर प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी है तो प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी में या प्रेसिडेंशियल डेमोक्रेसी में जो हेड ऑफ द कंट्री होता है हेड ऑफ कंट्री प्लस जो हेड ऑफ द गवर्नमेंट होता है हेड ऑफ गवर्नमेंट वो एक ही बंदा होता है जिसको हम लोग प्रेसिडेंट कहते हैं प्रेसिडेंट कहते हैं सर ये वाला सिस्टम कहां पर देखने को मिलता है हम लोगों को तो ये वाला सिस्टम हम लोगों को देखने को मिलता है यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका में जहां पर प्रेसिडेंट के पास बहुत ज्यादा पावर्स होती है ठीक है पार्लियामेंट सिस्टम यूनाइटेड किंगडम में देखने को मिलता है हम लोगों को इंडिया में देखने को मिलता है हम लोगों को अगर हम लोग बात करें किसकी अगर हम लोग बात करें पार्लियामेंट फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी सेमी प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी की बात करते हैं तो सेमी प्रेसिडेंशियल फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी में क्या होता है पावर तो होती है प्रेसिडेंट के हाथ में ही सेमी प्रेसिडेंशियल डेमोक्रेसी की बात करता हूं मैं और यहां पर क्या होता है यहां पर जो हेड ऑफ द हेड ऑफ द गवर्नमेंट होता है वो होता है प्रेसिडेंट कौन होता है प्रेसिडेंट सारी की सारी पावर प्रेसिडेंट के ही हाथ में लेकिन प्रेसिडेंट अपॉइंट्स नहीं होती या तो प्रेसिडेंट प्राइम मिनिस्टर को अपॉइंट्स दूसरे पॉलिटिकल पार्टी का मेंबर होगा तो हमारे पास तीन सिस्टम है और इंडिया ने इसमें से कौन सा अपनाया इंडिया ने इसमें से पार्लियामेंट्री फॉर्म ऑफ डेमोक्रेसी को अपनाया ठीक है सर क्यों अपनाया उसके बारे में बात करेंगे अपना ठीक है तो इंडिया इज अ कॉन्स्टिट्यूशन डेमोक्रेसी कॉन्स्टिट्यूशन डेमोक्रेसी कांस्टिट्यूशन के हिसाब से चलते हैं हम लोग विथ पार्लियामेंट सिस्टम ऑफ गवर्नमेंट एंड एट द हार्ट ऑफ द सिस्टम इज अ कमिटेड इज द कमिटमेंट टू होल्ड रेगुलर फ्री एंड फेयर इलेक्शंस और सबसे इंपॉर्टेंट चीज क्या है कि इंडिया में फ्री एंड फेयर इलेक्शंस होते हैं इंडिया में क्या होते है फ्री एंड फेयरले इलेक्स होते हैं फ्री एंड फेयर इलेक्शंस नहीं होंगे इंडिया में तो प्रॉब्लम हो जाएगी समझ में आ रहा कि नहीं आ रहा फर्स्ट डेमोक्रेटिक इलेक्शंस 1952 से लेकर लास्ट डेमोक्रेटिक इलेक्शंस अगर हम लोग बात करें रिसेंटली अब 2024 के इलेक्शंस होंगे लेकिन उससे पहले हम लोग 2019 के इलेक्शंस देखें तो ये क्या है ये सारे के सारे इलेक्शंस फ्री एंड फेयर इलेक्शंस इंडिया में होते हैं और फ्री एंड फेयर तरीके से गवर्नमेंट को चूज करा जाता है किस तरीके से चूज करा जाता है वही पढ़ना है हम लोगों को इस चैप्टर में आइए देखिए आगे क्या बता रहा है ये दिस इलेक्शंस डिटरमाइंड द कंपोजिशन ऑफ द गवर्नमेंट द मेंबरशिप ऑफ द टू हाउसेस ऑफ द पार्लियामेंट द स्टेट एंड द यूनियन टेरिटरी लेजिसलेटिव असेंबलीज एंड द प्रेसिडेंसी एंड वाइस प्रेसिडेंसी अब देखो जरा ध्यान से ये बोल रहा है कि इंडिया का जो इलेक्शन सिस्टम है इसके थ्रू हम लोग क्या-क्या चूज करते हैं तो इसके थ्रू हम लोग सबसे पहले तो चूज करते हैं कि भैया गवर्नमेंट कौन बनेगी और गवर्नमेंट किस किसकी बनेगी और गवर्नमेंट कैसे बनेगी ठीक है उसके बारे में पढ़ना है हम लोगों को उसके बाद जो टू हाउसेस ऑफ द पार्लियामेंट है हमारे पास हमारे पास पार्लियामेंट के तीन पार्ट होते हैं कौन सेकन से पार्ट होते हैं हमारे पार्लियामेंट के तो अगर हम लोग पार्लियामेंट की बात करें तो पार्लियामेंट में हमारे पास लोकसभा है पार्लियामेंट में हमारे पास राज्यसभा है ठीक है और पार्लियामेंट में हमारे पास प्रेसिडेंट है है कि ना लेकिन प्रेसिडेंट जो होता है प्रेसिडेंट जो होता है वो क्या है इट इज अ पार्ट ऑफ द पार्लियामेंट बट इट इज नॉट अ हाउस हाउस नहीं है प्रेसिडेंट के अंदर जाके बैठ सकते हो क्या नहीं बैठ सकते ना तो हम लोग क्या है लोकसभा में बैठ सकते हैं राज्यसभा में बैठ सकते हैं दो हाउसेस हैं हमारे हमारे किसमें पार्लियामेंट में इसी वजह से हम कहते हैं कि हमारे पास बाय कैमरल लेजिसलेच्योर हाउस यून कैमरल लेजिस्लेटर या यूनिक कैमरल पार्लियामेंट बोला जाता है समझ में आ रहा है कि नहीं तो हमारे पास क्या है हमारे पास लोकसभा भी है और राज्यसभा भी है ठीक है और हम लोग यही तो चूज करते हैं कि इस लोकसभा में जाकर कौन बंदा बैठेगा हां कि ना और हम लोग यही तो चूज करते हैं कि इन राज्यसभा में जाकर कौन बैठेगा सर राज्यसभा के लिए तो हम लोग थोड़ी ना चूज करते हैं इनडायरेक्ट इलेक्शन होते हैं हां इनडायरेक्ट इलेक्शंस होते हैं लेकिन वो एमएलएस को तो तुम ही चूज कर रहे हो ना बोलो तुम लोग एमएलएस चूज करते हो और फिर उन एमएलए वो एमएलएस ही जाकर क्या करते राज्यसभा में बैठते एज राज्यसभा के मेंबर ऑफ पार्लियामेंट समझ में आ रहा है कि नहीं आ तो इंडिया में जो इलेक्शन सिस्टम है उससे हम लोग गवर्नमेंट का कंपोजीशन डिसाइड करते हैं हम लोग डिसाइड करते हैं कि इन दो हाउसेस ऑफ द पार्लियामेंट में कौन कौन-कौन लोग जाकर बैठेंगे द स्टेट एंड यूनियन टेरिटरी लेजिसलेटिव असेंबलीज तो हर स्टेट में हमारे पास क्या है विधानसभा है विधानसभा में जैसे महाराष्ट्र की विधानसभा कहां पर होगी महाराष्ट्र में होगी ठीक है हरियाणा की विधानसभा पंजाब की विधानसभा कहां पर होगी चंडीगढ़ में होगी विधानसभा क्या होती है स्टेट लेजिस्लेटिव असेंबली जहां पर चीफ मिनिस्टर और बाकी एमएलएस बैठते हैं यहां पर कौन बैठता है यहां पर एमपीज बैठते हैं मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बैठते ठीक है और क्या करते हैं हम लोग एंड प्रेसिडेंसी एंड वाइस प्रेसिडेंसी तो हम लोग ये भी इलेक्शंस के थ्रू इंडिया का जो इलेक्शन सिस्टम है उसके थ्रू हम लोग प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को भी क्या करते चूज करते और वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को भी चूज करते किस तरीके के इनके इलेक्शंस होंगे उसके बारे में भी आगे हम लोग बात करेंगे आगे आते आगे देखिए क्या बता रहा है ये इलेक्शंस इन इंडिया आर इवेंट्स इवॉल्विंग पॉलिटिकल मोबिलाइजेशन एंड ऑर्गेनाइजेशनल कॉम्प्लेक्शन होते हैं इसमें लार्ज स्केल पर पॉलिटिकल मोबिलाइजेशन होता है पॉलिटिकल मोबिलाइजेशन का मतलब क्या लोग अपनी अपनी पार्टी को चूज करते हैं है ना और उसको वोट करते हैं जोन सी पॉलिटिकल पार्टी की ज्यादा सीट्स आएंगे वो लोग जाकर गवर्नमेंट बना लेते हैं किस तरीके से बनाई जाएगी उसके बारे में बात करते हैं हम लोग लेकिन आगे आते फिलहाल फर्स्ट पास द पोस्ट सिस्टम अब देखिए इंडिया ने जो इलेक्शन का सिस्टम चूज किया है वो है एफपीटीपी सिस्टम जिसको हम लोग कहते हैं फर्स्ट पास द पोस्ट सिस्टम बहुत सारे बच्चे कंफ्यूज होते हैं कि सर ये क्या सिस्टम है ये क्या सिस्टम है मैं समझाता हूं बहुत इजी सिस्टम ठीक है इंडिया में मान लो लोकसभा के इलेक्शन हो रहे है किसके इलेक्शन हो रहे लोकसभा के इलेक्शन लोकसभा में टोटल सीट्स कितनी है हमारे पास तो हमारे इंडिया में लोकसभा में टोटल सीट्स 543 कितनी सीट्स है टोटल 543 सीट्स है ठीक ठीक है जिस भी पॉलिटिकल पार्टी की सीट्स आधे से ज्यादा आ जाएगी 543 का हाफ कर दो कितना आएगा 271 आधे से ज्यादा का मतलब 271 प् 1 272 जिसकी भी 50 पर प्लस वन सीट आ जाएगी वो बंदा क्या करेगा गवर्नमेंट बना लेगा वो बंदा क्या करेगा गवर्नमेंट बना लेगा बड़ी इजी है ठीक है सर एग्जांपल दो ना कोई एग्जांपल देता हूं मैं आप लोगों को 2019 के इलेक्शन प आते 2019 के इलेक्शंस में इंडियन नेशनल कांग्रेस के 52 सीट्स आ कितने सीट्स आए 52 ठीक है भारतीय जनता पार्टी के बीजेपी के कितने सीट्स है 303 क्या ये 303 का नंबर 272 से ज्यादा है हां 272 से ज्यादा है मतलब मेजॉरिटी आई इनकी हा मेजॉरिटी है मतलब गवर्नमेंट कौन बनाएगा भारतीय जनता पार्टी वाले बनाएंगे हा कि ना और भारतीय जनता पार्टी के 303 मेंबर्स जाकर बैठेंगे लोकसभा में और इन 303 जो मेंबर ऑफ पार्लियामेंट जो चूज करे हैं किसने हम लोगों ने वोट देकर यह 303 जने जो है इसमें से किसी एक बंदे को प्राइम मिनिस्टर बना दिया जाएगा वो पार्टी का डिसीजन है पार्टी जिस मर्जी को बनाए पार्टी ने चूज करा प्रधानमंत्री एज किसको नरेंद्र मोदी को तो नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन गए समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा तो इस तरीके के सिस्टम हम लोगों ने चूज करा है ठीक है लेकिन किस तरीके से इलेक्शंस होते हैं उसके बारे में बात करेंगे हम लोग हमारे पास लोकसभा में कितनी सीट्स है 543 तो इंडिया के पूरे के पूरे इंडिया को 543 अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाएगा कैसे यह है इंडिया इंडिया लोकसभा में कितनी सीट्स है 543 मतलब पूरे इंडिया में से सिर्फ 543 लोगों को जगह मिलेगी लोकसभा में हां कि ना यह देखो तो इंडिया को क्या करा जाएगा बांटा जाएगा 543 अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रीजंस में ये 543 जो अलग-अलग रीजंस होंगे यहां पर पॉपुलेशन रफ सेम होगी अगर यहां पे 10 लाख की पॉपुलेशन है तो यहां पे भी 10 लाख की पॉपुलेशन होगी रफ है ना हो सकता है यहां पे 11 लाख है यहां पे 105 लाख है हो सकता है ठीक है तो रफल हर जगह पे पॉपुलेशन होती है वो क्या होती है सेम होती है इंडिया को कितने हिस में बांटा हम लोगों ने 543 अलग अलग हिस्सों में बाटा ठीक है अब यह जो हर एक हिस्सा है इसको बोला जाएगा कंट क्या बोला जाएगा इसको कंट ठीक है या फिर इलेक्टोरल कांट तो कांसी या इलेक्टोरल कासी क्या होती है वो एरिया जहां पर इलेक्शन होने वा और हर पार्टी अपना उम्मीदवार यहां पर खड़ा करेगी जैसे एग्जांपल के ौर पर इस वाले एरिया में इस वाले एरिया में बीजेपी ने अपना एक कैंडिडेट खड़ा करा भारतीय जनता पार्टी ने खड़ा करा इंडियन नेशनल कांग्रेस ने एक बंदा खड़ा करा अपना ठीक है कम्युनिस्ट पार्टी ने एक बंदा खड़ा करा अपना ठीक है और किसने और मान लो कि कोई भी पॉलिटिकल पार्टी ले लो समाजवादी पार्टी ने एक बंदा खड़ा करा समझ में आ रहा नहीं टोटल वोट देने वाले लोग कितने तो टोटल वोट देने वाले लोग है 10 लाख मान लो एग्जांपल के तौर पर ठीक है अब एफपीटीपी सिस्टम होता क्या है इसको ध्यान से सुनना मान लो भारतीय जनता पार्टी के कैंडिडेट के 500 वोट आए कितने आए 50000 ठीक है मान लो इंडियन नेशनल कांग्रेस वाले के आए 1 लाख वोट 1 लाख 1 लाख वोट आए ठीक है ये जो तीसरा बंदा था कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया वाला सीपीआई वाला इसके आए 3 लाख वोट कितने आए 3 लाख और ये जो समाजवादी पार्टी वाला बंदा था सोशलिस्ट पार्टी का इसके आए मान लो ा लाख मुझे बताओ इलेक्शन कौन जीता इलेक्शन कौन जीता इलेक्शन ऑफकोर्स हम लोगों को दिख रहा है कि 3 लाख वाला 3 लाख वोट जिसको पड़े कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया वाला वह इलेक्शन जीत गया ठीक है अब ध्यान से सुनना जो क्या मैं बता रहा हूं क्या यह कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया वाला बंदा जिसके 3 लाख वोट आए क्या उसके पास आधे भी वोट है नहीं है 10 लाख का आधा कितना होता है 5 लाख इसके पास 5 लाख वोट भी नहीं है समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा फिर भी वो इलेक्शन जीत रहा है क्यों क्योंकि इसके पास बाकियों से ज्यादा वोट्स है समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा मतलब मेजॉरिटी वोट जिसके पास होंगे वो इलेक्शन जीतता है यही है एफपीटीपी सिस्टम फर्स्ट पास द वोट सिस्टम कि भैया पहले कंपटीशन जीत के आओ पहले कंपटीशन जीतो और फिर सीट पाओ किसम लोकसभा में समझ में आया कि नहीं आया इसी को एफपीटीपी सिस्टम बोला जाता है देखो क्या बोल रहा है अंडर दिस सिस्टम द एंटायस एंसी पूरे के पूरे कंट्री को 543 अलग-अलग हिस्सों में बांटा हम लोगों ने बिल्कुल बांटा आगे आते हैं ईच कंसीट इलेक्ट्स वन रिप्रेजेंटेटिव हर कंसीट से सिर्फ एक ही बंदा चूज कर एक ही बंदा चुन के आएगा और उसको बिठा दिया जाएगा लोकसभा में बोलो हां कि ना कैंडिडेट हु सेक्योर्स द हाईएस्ट नंबर ऑफ वोट्स इन द इन दैट कंसीट इज डिक्लेयर्ड इलेक्टेड और उस कंसीट एंसी में जिसके पास सबसे ज्यादा वोट्स होंगे वो क्या होगा उसको हम लोग इलेक्ट कर लेंगे उसको हम लोग इलेक्टेड बोल देते हैं और उसको बिठा देते हैं लोकसभा इट इज इंपोर्टेंट टू नोट दैट इन दिस सिस्टम हु एवर हैज मोर वोट्स देन ऑल अदर कैंडिडेट्स इज डिक्लेयर इलेक्टेड और यहां पर ये नहीं देखा जा रहा है कि भैया बहुत ज्यादा वोट्स किसके पास है 55 लाख वोट कि तुम्हें जनता के बहुत ज्यादा वोट्स की जरूरत नहीं है तुम्हें तुम्हारे अगेंस्ट में जो कैंडिडेट खड़े उनसे ज्यादा वोट्स की जरूरत है इलेक्शन जीतने के लिए समझ में आ रहा कि नहीं आरहा अरे बोलो बाबा पक्की बात है ठीक है आ गया है इजी है बहुत इ द विनिंग कैंडिडेट नी ू नीड नॉट सेक्यर मेजोरिटी ऑफ द वोट्स ये बोल रहा है कि जो विनिंग कैंडिडेट है इसको 10 लाख में से 6 लाख वोट की जरूरत नहीं है बस किसकी जरूरत है बाकी कैंडिडेट से ज्यादा वोटों की जरूरत है दिस मेथड इ कॉल्ड द फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम और एफपीटीपी सिस्टम इसी सिस्टम को एफ पीटीवी सिस्टम या फर्स्ट पास्ट द पोस्ट सिस्टम कहा जाता है दिस मेथड इ आल्सो कॉल्ड द प्लूरलिटी सिस्टम पेपर में आता है क्वेश्चन व्ट इ प्लूरलिटी सिस्टम और बच्चे एकदम बोखला जाते अरे पता नहीं क्या पूछ लिया पता नहीं क्या पूछ लिया है ना क्या पूछा एफपीटीपी सिस्टम पूछा तो अगर पेपर में प्लूरलिटी सिस्टम के बारे में क्वेश्चन आए या एफपीटीपी सिस्टम के बारे में क्वेश्चन आए तो आप लोग लिख दोगे इजी है ठीक है दिस इज द मेथड ऑफ इलेक्शन प्रिसक्राइब बाय द कांस्टिट्यूशन और हमारे कांस्टिट्यूशन में हमारे संविधान में इसी सिस्टम को लिखा गया है ठीक है आ गया चलिए प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन पीआर सिस्टम को देखते कि पीआर सिस्टम क्या होता है देखिए च पार्टी फिस इट्स कोटा ऑफ सीट्स बाय पकिंग दोज मेनी ऑफ इट्स नॉमिनी फ्रॉम अ प्रेफरेंस लिस्ट ट हैज बीन डिक्लेयर्ड बिफोर द इलेक्शन अब देखो पीआर सिस्टम कंपलीटली एक अलग सिस्टम है प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन का सिस्टम इसमें क्या होता है इसमें यह वाला सिस्टम हम लोगों ने नहीं अपनाया ठीक है लेकिन हम लोगों ने कौन सा अपया एफटीपी सिस्टम लेकिन ये सिस्टम समझने की जरूरत है हम लोगों को बा देशों में किस तरीके से इलेक्शंस वगैरह होते हैं ठीक है तो कुछ देशों में जैसे कि हम लोग इजराइल को देखें है ना तो वहां पर ये वाला सिस्टम होता है क्या होता है पॉलिटिकल पार्टीज मान लो कि ये पॉलिटिकल पार्टी ए है ये पॉलिटिकल पार्टी बी है ये पॉलिटिकल पार्टी सी भी ठीक है ये तीनों के तीनों इलेक्शंस लड़ने वाले हैं ये लोग क्या करते हैं पहले से ही लिस्ट बना लेते हैं क्या करते हैं लिस्ट बना लेते हैं कि हमारी तरफ से एक दोती च 5 6 7 8 9 10 ये मेंबर्स है जो इलेक्शन लड़ेंगे इस वाली पॉलिटिकल पार्टी ने भी क्या करा 10 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 कैंडिडेट्स का नाम दे दिया कि भैया ये वाले बंदे हमारे यहां से इलेक्शंस लड़ने के लिए रेडी है और ये वाले लोग भी क्या कर देंगे अपने 10 कैंडिडेट्स का नाम पहले से ही दे देंगे और पब्लिक को इनका नाम पता चल जाएगा ठीक है दूसरा सिस्टम क्या है इसमें दूसरी चीज क्या है इसमें दूसरी चीज इसमें ये है कि फिर इलेक्शंस होते हैं इलेक्शंस होते हैं लोग क्या करते हैं अपनी-अपनी पॉलिटिकल पार्टी को वोट देते हैं याद रखना कैंडिडेट को वोट कैंडिडेट को वोट नहीं दिया जा रहा किसको वोट दिया जा रहा है पार्टी को वोट दिया जा रहा है समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा मान लो वोटिंग के हिसाब से जो सी वाली पॉलिटिकल पार्टी थी इसको 30 पर सीट मिले 30 पर वोट मिले टोटल वोट्स के कितने परसेंट 30 पर वोट्स ए वाली जो पॉलिटिकल पार्टी है इसको टोटल वोट्स के कितने परसेंट मान लो 40 पर वोट्स और यह वाली जो पॉलिटिकल पार्टी है इसको टोटल वोट्स के 30 पर वोट्स कितने परसेंट 30 पर इसको वोट्स मिले ठीक है तो इसको अलग परसेंटेज ऑफ फोर्स इसको अलग परसेंटेज ऑफ फर्स इसको अलग परसेंटेज ऑफ फोर्स मिल मान लो कि यह जो इजराइल है इजराइल के पार्लियामेंट में इजराइल के पार्लियामेंट में सिर्फ और सिर्फ सिर्फ और सिर्फ कितने 100 सीट से कितनी सीट से 100 सीट से तो ए वाली जो पॉलिटिकल पार्टी थी ए वाली पॉलिटिकल पार्टी इसको कितने परसेंट वोट मिले थे 40 पर वोट तो तो ए वाली पॉलिटिकल पार्टी के 40 पर बंदे यानी कि इस पार्लियामेंट में 40 पर बंदे कौन सी पॉलिटिकल पार्टी के बैठेंगे ए वाली पॉलिटिकल पार्टी के बैठेंगे बी वाली पॉलिटिकल पार्टी को 30 पर वोट मिले तो बी वाली पॉलिटिकल पार्टी के 30 पर बंदे इस पार्लियामेंट में बैठेंगे और सी वाली पार्टी को भी 30 पर वोट मिले थे तो यह लोग भी 30 पर लोग क्या करेंगे पार्लियामेंट में बैठेंगे समझ में आ रहा कि नहीं आ रहा तो इसका मतलब 40 सीट्स किसकी पक्की होगी ए वालों की 30 सीट किसकी पक्की होगी बी वालों की और 30 सीट्स किसकी पक्की होगी सी वालो मतलब जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स तुम्हें मिलते हैं उतनी परसेंटेज ऑफ सीट्स तुम लोगों को मिलती है पीआर सिस्टम क्लियर आया कि नहीं आया ठीक है हम लोगों ने कौन सा अपनाया एफपीटीपी बाकी जगह पर बहुत सारी जगह पर कौन सा पीआर सिस्टम भी चलता है क्या पीआर सिस्टम बढ़िया सिस्टम है सर हां अच्छा सिस्टम है क्यों अच्छा सिस्टम है क्योंकि फिर यहां पर हर कम्युनिटी हर रिलीजन वाले लोगों को क्या मिलता है इक्वल परसेंटेज ऑफ सीट्स मिलती है अगर हम लोग बात करें हमारे वाले पार्लियामेंट की तो अगर हम लोग मुस्लिम्स को देखें तो अबाउट अबाउट 17 पर ऑफ मुस्लिम्स की पॉपुलेशन है इंडिया में लेकिन मुस्लिम्स कितने बैठते हैं पार्लियामेंट में जाकर तो पार्लियामेंट में मुस्लिम दो या 3 पर है बस ठीक है लेकिन पॉपुलेशन कितनी है तो पॉपुलेशन के हिसाब से उनको रिप्रेजेंटेशन नहीं मिल रहा पीआर सिस्टम में मिल जाता है ठीक है तो इंडिया में ये वाला सिस्टम भी चल जाता लेकिन नहीं चलाएगा ठीक है ईच पार्टी फील्स इट्स कोट ऑफ सीट्स बाय पिक दोज मेनी ऑफ इट्स नॉमिनी फ्रॉम प्रेफरेंस लिस्ट दैट हैज बीन डिक्लेयर्ड बिफोर इलेक्शन अब देखो अब ये जो लिस्ट दे दी गई थी ना पहले से इन लोगों ने लिस्ट निकाली थी कि भैया अगर हम लोग इलेक्शन जीतते या फिर हमें जितने परसेंटेज ऑफ फर्ट्स आते उसके अकॉर्डिंग हम लोग इन इन बंदों को पार्लियामेंट में बिठाए तो इसी लिस्ट वाले बंदों को उठा के पार्लियामेंट में बिठाया चले आगे पक्की बात है चलिए आगे चलते हैं देखिए क्या बता रहा है इन दिस सिस्टम अ पार्टी गेट्स द सेम प्रोपोर्शन ऑफ सीट्स एज इट्स प्रोपोर्शन ऑफ वोट्स जितने तने सीट्स है जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स मिले इनको उतने ही परसेंटेज ऑफ सीट्स मिलेगी इनको पार्लियामेंट इन इंडिया वी हैव अडॉप्टेड पीआर सिस्टम ऑन अ लिमिटेड स्केल फॉर इनडायरेक्ट इलेक्शंस इंडिया में हम लोगों ने पीआर सिस्टम का इस्तेमाल किया है लेकिन किस लिए लिमिटेड स्केल के लिए है ना कौन से इलेक्शंस में होता है उसके बारे में बात हम लोग आगे करेंगे द कॉन्स्टिट्यूशन प्रिसक्राइब्स अ थर्ड एंड कॉम्प्लेक्शन ऑफ द पीआर सिस्टम फॉर द इलेक्शन ऑफ प्रेसिडेंट वाइस प्रेसिडेंट एंड फॉर द इलेक्शन ऑफ द राज्यसभा एंड विधानसभा एंड विधान परिषद ये बोल रहा है क्या ये बोल रहा है कि इंडिया में भी पीआर सिस्टम का इस्तेमाल होता है लेकिन इंडिया में पीआर सिस्टम का इस्तेमाल होता है सिर्फ और सिर्फ प्रेसिडेंट के इलेक्शंस के लिए वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शंस के लिए और किसके इलेक्शंस के लिए और एंड फॉर द इलेक्शंस ऑफ द राज्यसभा ठीक है तो राज्यसभा के इलेक्शन इनडायरेक्ट इलेक्शंस होते हैं सर कैसे होते हैं राज्यसभा के इलेक्शंस चलो मैं बताता हूं एग्जांपल देता हूं दिल्ली दिल्ली की जो विधानसभा है है ना देखो यह दिल्ली है दिल्ली में विधानसभा होगी विधानसभा क्या है विधानसभा मतलब लेजिसलेटिव असेंबली लेजिसलेटिव असेंबली ऑफ दिल्ली ना और विधानसभा में कौन बैठेंगे एम एल ए बैठेंगे मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली विधानसभा को लेजिस्लेटिव असेंबली बोला जाता है इंग्लिश में लेजिस्लेटिव असेंबली बोला जाता है इंग्लिश में बोलो हा कि ना ठीक है अब दिल्ली की विधानसभा में कौन बैठेंगे एमएलए होंगे और इनमें से एक एमएलए चूज कर दिया जाता है एस ए मेंबर ऑफ एस चीफ मिनिस्टर ठीक है हर स्टेट में ऐसे ही होता है ठीक है दिल्ली की विधानसभा में सीट्स है 70 कितनी सीट्स है 70 तो दिल्ली को कितने हिस्सों में बांटा जाएगा 70 अलग-अलग हिस्सों में कितने अलग अलग हिस्सों में 70 डिफरेंट कॉन्टस में बांटा जाएगा इसको समझ में आया कि नहीं आया मान लो हम लोग बात करते हैं 2020 में जो इलेक्शंस हुए हैं कहां पे दिल्ली में उसकी बात करते ठीक है 2020 के इलेक्शंस में आम आदमी पार्टी इलेक्शन में खड़ी हुई थी 2020 के इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी भी खड़ी हुई थी दिल्ली में इलेक्शंस में और इंडियन नेशनल कांग्रेस भी खड़ी हुई थी इलेक्शन में ठीक है होगा क्या दिल्ली को 17 अलग-अलग हिस्सों में क्या करा है बांटा गया है तो यहां से एक कंसीट में बीजेपी भी अपना उम्मीदवार उतारेगी भारतीय जनता पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस भी अपना उम्मीदवार उतारेगी और आम आदमी पार्टी भी अपना उम्मीदवार उतारेगी बोलो हां कि ना बिल्कुल हां अब देखिए जरा क्या होगा गवर्नमेंट बनाने के लिए कितनी सीट्स चाहिए 70 को आधा कर दो कितना आया 35 प्लस वन कर दो कितना आया 36 36 सीट्स जिसकी आ जाएगी वो क्या करेगा गवर्नमेंट बना लेगा 2020 के दिल्ली के इलेक्शन के रिजल्ट आए आम आदमी पार्टी के कितने सीट्स है आम आदमी पार्टी के सीट्स है 62 भारतीय जनता पार्टी के ए कांग्रेस के जीरो कांग्रेस के जीरो तो अब मुझे ये बताइए कि सबसे ज्यादा सीट्स किसके है आम आदमी पार्टी के क्या आम आदमी पार्टी मेजॉरिटी लेकर आ रही है हां मेजॉरिटी से ज्यादा सीट्स है इसके पास गवर्नमेंट कौन बनाएगा आम आदमी पार्टी बनाएगा मतलब इस 70 सीट की विधानसभा में 62 बंदे आम आदमी पार्टी के बैठेंगे और आठ बंदे बैठेंगे किसके भारतीय जनता पार्टी के ठीक है गवर्नमेंट किसकी बनेगी आम आदमी पार्टी की अब आम आदमी पार्टी इन 62 एमएलए में से इनको क्या बोलेंगे मेंबर ऑफ लेजिस्लेटिव असेंबली बोलेंगे इनको क्यों एमएलए बोलेंगे क्योंकि ये लोग लेजिस्लेटिव असेंबली में जाकर बैठेंगे तो उसके मेंबर है तो एम एल ए बनेंगे ये लोग बोलो हा कि ना अच्छा दूसरी इंपोर्टेंट चीज सुनिए क्या हो रही है यहां पर अब हम लोगों ने गवर्नमेंट बना दी और आम आदमी पार्टी ने इन 62 लोगों में से अरविंद केजरीवाल को चूज कर लिया कि भैया हमारा चीफ मिनिस्टर ये ठीक है अब ध्यान सुनो हमें यह तो पता लग गया कि लोकसभा के इलेक्शन कैसे होते हैं लेकिन हम लोगों को अभी तक यह नहीं पता कि राज्यसभा में कौन आकर बैठता है तो याद रखना राज्यसभा को इंग्लिश में बोलते हैं काउंसिल ऑफ स्टेट्स क्या बोला जाता है काउंसिल ऑफ स्टेट्स मतलब हर स्टेट से बंदा आकर यहां पर बैठता है मतलब दिल्ली के दिल्ली का भी बंदा आकर यहां पर बैठेंगे दिल्ली वाले लोग भी आकर यहां पर बैठेंगे बिल्कुल बैठेंगे सर राज्यसभा में दिल्ली की कितनी सीट्स है तो राज्यसभा में दिल्ली की तीन सीट से सर आपको कैसे पता चला तीन सीट से क्योंकि ये डिसाइडेड है ऑलरेडी है ना जिस स्टेट की पॉपुलेशन ज्यादा उस स्टेट को ज्यादा रिप्रेजेंटेशन मिलता है राज्यसभा में जिस स्टेट की पॉपुलेशन कम उस स्टेट को कम रिप्रेजेंटेशन मिलता है राज्यसभा में सर सबसे ज्यादा कौन से स्टेट की जनता यहां पर बैठती है राज्यसभा में तो अगर हम लोग देखें तो उत्तर प्रदेश की पॉपुलेशन सबसे ज्यादा है स्टेट्स में अरे बोलो हां कि ना हां तो उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश के 31 लोग राज्यसभा में बैठते हैं तो उत्तर प्रदेश के कितने सीट्स है राज्यसभा में 31 है अगर हम लोग बात करें दिल्ली के कितने तो तीन सीट्स है दिल्ली की ठीक है अब दिल्ली से तीन बंदे आकर राज्यसभा में बैठेंगे लेकिन सर क्वेश्चन यह है कि ये तीन बंदे होंगे कौन ठीक है तो ये तीन बंदे कौन होंगे देखो दिल्ली की विधानसभा में कितनी सीट्स थी 70 सीट्स तो दिल्ली ये जो 70 एमएलएस थे 70 एमएलएस इनको तीन हिस्सों में बांटा जाएगा एक दो तीन ठीक है क्यों क्योंकि तीन सीट्स है ना तो तीन सीट के चुनाव होंगे सर ये चुनाव होंगे कहां पर य दिल्ली की विधानसभा मेंही चुनाव होंगे ठीक है अब देखो चुनाव होते कैसे इन 70 बंदों को तीन हिस्सों में डिवाइड कर दो कितना आएगा 23 23 24 ठीक है 23 2 46 46 और 24 70 हो ठीक है अब क्या हो जाएगा तीन ग्रुप्स में डिवाइड कर दिया इसमें 23 एमएल है इसमें 23 एमएल है इसमें 24 एमएलए है बिल्कुल है स ठीक है अब जो जो पॉलिटिकल पार्टी इस विधानसभा में है वह अपना अपना कैंडिडेट उतारेगी मतलब दिल्ली की विधानसभा में कौन दिल्ली की विधानसभा में कौन सकन सी पॉलिटिकल पार्टी है या तो आम आदमी पार्टी है या तो बीजेपी है क्यों बीजेपी के आठ एमएल आम आदमी पार्टी के 62 मिले ठीक है तो अब सीन क्या हो गया यहां पर आम आदमी पार्टी अपना कैंडिडेट उतारेगी बीजेपी भी अपना कैंडिडेट उतारेगी आम आदमी पार्टी अपना कैंडिडेट उतारेगी बीजेपी भी अपना कैंडिडेट उतारेगी आम आदमी पार्टी अपना कैंडिडेट उतारेगी बीजेपी भी अपना कैंडिडेट उतारेगी और अब यहां पर वोटिंग होगी अब मुझे बताओ कि इन 23 जनों में आम आदमी पार्टी के ज्यादा मेंबर्स होंगे या बीजेपी के ज्यादा होंगे ऑफकोर्स आम आदमी पार्टी के ज्यादा क्योंकि आम आदमी पार्टी के पास 62 सीट है और बीजेपी के पास सिर्फ आठ तो बीजेपी किसी भी हालत में जीत नहीं पाएगी इलेक्शन ठीक है यहां पर भी आम आदमी पार्टी का बंदा जीतेगा यहां पर भी आम आदमी पार्टी का बंदा जीतेगा और यहां पर भी आम आदमी पार्टी का बंदा जीतेगा अब जो जो मेंबर्स जीते हैं इलेक्शंस में ये तीन मेंबर्स जाकर बैठेंगे राज्यसभा समझ में आया कि नहीं आया बोलो राज्यसभा में जाकर बैठेंगे इस तरीके से इलेक्शंस होते हैं किसके राज्यसभा के ठीक है तो राज्यसभा में हर स्टेट के क्या सीट्स डिसाइडेड है जैसे सिक्किम है सिक्किम का एक ही स्टेट है एक ही सीट है य पर क्यों पॉपुलेशन कम है ठीक है तो एक ही बंदा सिक्किम से आकर बैठता है कहां पर राज्यसभा उत्तर प्रदेश की बात करें तो उत्तर प्रदेश की विधानसभा में कितनी सीट्स है तो उत्तर प्रदेश की विधानसभा में 403 सीट्स 403 हा कि ना तो क्योंकि पॉपुलेशन ज्यादा है इस वजह से विधानसभा में सीट भी ज्यादा है और विधानसभा में सीट ज्यादा है इस वजह से राज्यसभा में सीट ज्यादा है क्लियर है एकदम 100% क्लियर है एकदम टन टनाटन समझ में आ गया तो य क्या बोल रहा है कि हम लोग कौन से इलेक्शंस में कौन से इलेक्शंस में हमारे अ प्रेसिडेंट के इलेक्शंस में वाइस प्रेसिडेंट के इलेक्शंस में किसके राज्यसभा के इलेक्शंस में क्या करते हैं पीआर सिस्टम को महत्व देते हैं ठीक है आगे चले चलो आगे चलते हैं विधान परिषद के इलेक्शंस में भी किस तरीके से ये इलेक्शंस होते हैं विधानसभा विधान परिषद वगैरह के तो इसके बारे में बात करेंगे अपन आगे चलो आगे आ कंपैरिजन ऑफ द एफपीटीपी एंड पीआर सिस्टम ऑफ इलेक्शन ये बोल कंपैरिजन कर एफपीटीपी सिस्टम का और पीआर सिस्टम का कंट्रीज डिवाइडेड इनटू स्मॉल ज्योग्राफिकल यूनिट्स कॉल्ड द कॉन्टस और डिस्ट्रिक्ट्स ये बोल रहा है क्या एफपीटीपी सिस्टम में हम लोग क्या करते हैं पूरी की पूरी कंट्री को अलग-अलग कॉन्टस में डिवाइड करते हैं ऐसा ही होता है ऐसा ही होता है बिल्कुल ऐसे ही होता है एफपीटीपी सिस्टम में आगे आते हैं एवरी कॉन्टस इलेक्ट्स वन रिप्रेजेंटेटिव हर कंसीट से एक रिप्रेजेंटेटिव को इलेक्ट किया जाता है वोटर वोट्स फॉर अ कैंडिडेट वोटर किसको वोट कर रहा है पार्टी को वोट नहीं कर रहा है कैंडिडेट को वोट कर रहा है कि भैया मेरे एरिया में मैं किसको चूज करूंगा लोग पार्टी नहीं देखते इंडिया में इंडिया में क्या देखते पार्टी तो देखते वो अलग बात है लेकिन सबसे पहले क्या देखते कि भैया जिस बंदे को मैं वोट दे रहा हूं मेरे एरिया में वो बंदा सही है नहीं है अगर वो सही है तो मैं उसको वोट दूंगा अगर सही नहीं है तो वोट नहीं दूंगा अब पार्टी में गेट मोर सीट्स देन वोट्स इन द लेजिस्लेटर ठीक है ये क्या बोल रहा है पार्टी को जितने वोट्स मिले उससे ज्यादा सीट्स मिल सकती है एग्जांपल देता एफपीटीपी सिस्टम क्योंकि एफपीटीपी सिस्टम का सिस्टम क्या है एफपीटीपी सिस्टम में तुम लोग को बहुत ज्यादा वोट्स लेने की जरूरत नहीं है बहुत ज्यादा वोट्स लेने की जरूरत नहीं तुम्हे बाकियों से ज्यादा वोट्स लेना अगर हम लोग बात करें 2019 के इलेक्शन की 2019 के इलेक्शन की तो 2019 के इलेक्शन में भारतीय जनता पार्टी को वोट देने वाला वोट देने वाले लोग कितने परसेंट थे 37 पर 37 पर लोगों ने भारतीय जनता पार्टी को वोट दिया समझ में आया कि नहीं कितने परसेंट लोगों ने 37 मतलब 63 इंडिया ने भारतीय जनता पार्टी को 2019 के इलेक्शंस में वोट नहीं दिया लेकिन भारतीय जनता पार्टी के पास सीट्स कितनी है कितनी सीट्स है 303 सीट्स हां कि ना मतलब जितने तुम्हा तुम तुम्हारे पास जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स है उससे कई गुना ज्यादा तुम लोगों को सीट्स मिल सकती है एफपीटीपी सिस्टम में लेकिन पीआर सिस्टम में ऐसा नहीं होता पीआर सिस्टम में जितने परसेंटेज ऑफ तुम्हें वोट्स मिलते हैं उतने ही परसेंटेज ऑफ तुम्हें सीट्स मिलेगी क्लियर है कैंडिडेट हु विनस द इलेक्शन मे नॉट गेट मेजॉरिटी यह बोल रहा है क्या यह बोल रहा है कि कैंडिडेट जैसे एग्जांपल के तौर पर एग्जांपल के तौर पर यहां से यहां से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया का एक कैंडिडेट जीत जीत गया इलेक्शन जीत गया ठीक है लेकिन अगर हम टोटल मेजॉरिटी की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी को मेजॉरिटी मिल रही है जरूरी थोड़ी है कि ये बंदा गवर्नमेंट में बैठेगा ये तो अपोजिशन में बैठेगा ठीक है तो ये बोल रहा है कि एफपीटीपी सिस्टम में क्या होता है कैंडिडेट हु विनस द इलेक्शन मे नॉट गेट द मेजॉरिटी जरूरी नहीं है कि वो गवर्नमेंट बनाएगा ठीक है और ऐसा सिस्टम कहां पर देखने को मिलता है हम लोगों को यूके में देखने को मिलता है और इंडिया में देखने को मिलता है डन आगे आ है आगे आते हैं पीआर सिस्टम देखो क्या है लार्ज ज्योग्राफिकल एरियाज आर डिमार्केट एज कंसीट एंसी इसमें क्या हुआ पीआर सिस्टम में क्या होता है पीआर सिस्टम में बड़े-बड़े ज्योग्राफिकल एरियाज को क्या करा जाता है कंसीट एंसी बनाया जाता है मतलब क्या ये एक कंसीट है ये दूसरी कंसीट है ये तीसरी कंसीट है ये चौथी कॉन्टस है बड़े बड़े एरिया को कंसी बना दिया जा एफपीटीपी सिस्टम में क्या था छोटे-छोटे एरिया को कंट बना दिया जाता ठीक है आगे देखो क्या बता रहा है द एनटायर कंट्री मे बी अ सिंगल कॉन्सी यह भी हो सकता है कि पूरे के पूरे कंट्री को एक कंसीट माना जा सकता है और बोला जा सकता है कि भैया आपने अपनी पार्टी को वोट दो किसको पीआर सिस्टम में वोट किसको मिलेगा पार्टी को वोट देते कैंडिडेट को वोट नहीं देते कैंडिडेट की लिस्ट पहले ही निकल जाती है हा कि ना मोर देन वन रिप्रेजेंटेटिव मे बी इलेक्टेड फ्रॉम वन कंसीट ये बोल रहा कि एक ही कट से एक से ज्यादा लोग इलेक्ट होक आ सकते हैं यहां पर वोटर्स वोट फॉर द पार्टी लोग किसको वोट करते पार्टी को वोट करते है कैंडिडेट को वोट नहीं करते ठीक है एवरी पार्टी गेट सीट्स इन द लेजिस्लेटर इन प्रोपोर्शन टू द परसेंटेज ऑफ वोट्स ट ट गेट ठीक है यह क्या बोल रहा है यह बोल रहा है कि पीआर सिस्टम में जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स मिलेंगे उतने ही परसेंटेज ऑफ उतने ही परसेंटेज ऑफ सीट्स तुम लोगों को मिलेगी एफपीटीपी में ऐसा होता था क्या नहीं हो सकता है कि तुम्हारे पास वोट्स कम हो लेकिन सीट्स ज्यादा हो ठीक है हो सकता है कि क्या सीट्स कम हो लेकिन वोट ज्यादा हो ठीक है तो इंडिया के अगर 1952 के इलेक्शंस देखोगे आप लोग एफपीटीपी सिस्टम के बारे में बता रहा हूं ठीक है एफपीटीपी सिस्टम का एक चीज समझाने के लिए अगर इंडिया के 1952 के इलेक्शन देखोगे 1952 के इलेक्शंस तो समाजवादी पार्टी एसपी इसको 10 पर वोट्स मिले थे पूरे इंडिया से कितने परसेंट 10 पर वोट्स लेकिन पार्लियामेंट में सीट्स कितनी मिली थी सिर्फ % पर समझ में आ रहा है कि नहीं आ तो परसेंटेज ऑफ वोट्स मैटर नहीं करते हैं किसमें एफपीटीपी सिस्टम लेकिन मेजॉरिटी ऑफ वोट्स मैटर करते हैं यानी कि बाकी कैंडिडेट से तुम्हारे वोट्स कितने ज्यादा है क्लियर आगे आते हैं कैंडिडेट हु विनस द इलेक्शंस गेट मेजॉरिटी ऑफ द वोट्स ये क्या बोल रहा है कैंडिडेट जो इलेक्शन जीतता है उसको सबसे ज्यादा वोट्स मिलते हैं इसमें एग्जांपल इजराइल एंड नीदरलैंड्स तो इजराइल में और नीदरलैंड्स में क्या चलता है पीआर सिस्टम के हिसाब से इलेक्शंस होते हैं ठीक है सर कौन सा सिस्टम अच्छा है दोनों के प्रोज एंड कॉन्स है है ना कुछ चीजें पीआर सिस्टम में अच्छी है कुछ चीजें एफपीटीपी सिस्टम में अच्छी है लेकिन सर फिर हम लोग ने एफपीटीपी ही क्यों चूज करा उसके बारे में बात करेंगे आगे आइए देखते हैं व्हाई डिड इंडिया अडॉप्टेड द एफपीटीपी सिस्टम क्यों इंडिया ने एफपीटीपी सिस्टम को अडॉप्ट किया द रीजन फॉर द पॉपुलर एंड द सक्सेस ऑफ द एफपीटीपी सिस्टम इज इट्स सिंपलीसिटी सबसे पहली चीज क्या है कि एफपीटीपी सिस्टम बहुत सिंपल सिस्टम है कि ना चार बंदे खड़े हुए जिसके सबसे ज्यादा वोट्स आएंगे वो बंदा जाके पार्लियामेंट में बैठेगा इजी है हा कि ना और इंडिया वालों को आदत भी थी इसकी सर इंडिया वालों को आदत थी मतलब क्या मतलब ये कि 1947 में जब हम लोग आजाद हुए आजाद होने से पहले भी तो इलेक्शंस होते थे और आजाद होने से पहले इंडिया में जब इंडिया इंडिया नहीं था बल्कि ब्रिटिश इंडिया था तब भी इंडिया में एफपीटीपी सिस्टम चलता था तो हम लोगों को इसकी आदत भी थी तो क्योंकि हम लोगों को इसकी आदत थी इसी वजह से यह वाला जो एफपीटीपी सिस्टम है बहुत ज्यादा यह बहुत ज्यादा क्या है पॉपुलर हो गया इंडिया में और इसी को हम लोगों ने अपनाया सबसे पहली चीज ये सिंपल है द एंटायस सिस्टम इज एक्सट्रीमली सिंपल टू अंडरस्टैंड इवन फॉर द कॉमन वोटर्स हु मे हैव नो स्पेशलाइज नॉलेज अबाउट पॉलिटिक्स एंड इलेक्शंस ये बोल रहा है कि इंडिया के वो लोग गरीब लोग अनएजुकेटेड लोग इलिटरेट लोग जिनको पढ़ना लिखना नहीं आता है ठीक है वो भी इस सिस्टम को बड़े इजली समझ सकते हैं समझ में आया कि नहीं आया कॉमन वोटर्स भी समझ सकते हैं इसको और इसके लिए वोटिंग सिस्टम को समझने के लिए चाहे तुम्हारे पास पॉलिटिक्स का नॉलेज हो ना हो कोई स्पेशलाइज नॉलेज लेने की जरूरत तुम लोगों को नहीं अ क्लियर चॉइस प्रेजेंटेड टू द वोटर्स एट द टाइम ऑफ इलेक्शंस और इलेक्शंस के टाइम पीरियड में लोगों के पास एक क्लियर चॉइस होती है कि भैया देखो यह रामू खड़ा है ठीक है यह हमित खड़ा है ये डि सोजा खड़ा है ये कौन खड़ा है अ चोमू खड़ा है ठीक है तो तुम में से तुम इनमें से जिसको भी वोट देना है वोट दे दो और इनको क्या कर दो अपना प्रतिनिधित्व बनाओ लोग जिसको पसंद करेंगे लोग उसको वोट द क्लियर है आ गया है आगे आते हैं वोटर्स हैव टू सिंपली एंडोर्स अ कैंडिडेट और अ पार्टी वाइल वोटिंग और एफपीटीपी सिस्टम इतना ज्यादा सिंपल है कि लोग पार्टी को देखकर भी वोट दे सकते हैं कि भैया हमें तो भारतीय जनता पार्टी को वोट देना है कि भैया हमें तो आम आदमी पार्टी को वोट देना है हमें तो कांग्रेस पार्टी को वोट देना है पार्टी देख के भी वोट दे सकते हैं और कैंडिडेट देख के भी वोट दे सकते हैं ठीक है डिपेंडिंग ऑन द नेचर ऑफ एक्चुअल पॉलिटिक्स वोटर्स मे आइर गिव ग्रेटर इंपोर्टेंस टू द पार्टी और टू द कैंडिडेट और बैलेंस ये बोल रहा है क्या डिपेंडिंग ऑन द नेचर ऑफ एक्चुअल पॉलिटिक्स मतलब इंडिया में किस तरीके का पॉलिटिकल माहौल चल रहा है उसको देखते हुए उस उसको देखते हुए हम लोगों के पास बहुत सिंपल चॉइस है हम लोगों को अगर पार्टी देखकर वोट देना है तो हम लोग पार्टी देखकर भी वोट दे सकते हैं हम लोगों को अगर कैंडिडेट देखकर वोट देना है तो कैंडिडेट देकर भी वोट दे सकते हैं जैसा हमारा दिल करे ठीक है और वोट नहीं देना तो नहीं भी दे सकते कोई जबरदस्ती नहीं है कि भैया वोट दे दो ठीक है लेकिन वोट देना अच्छी बात है तुम्हारे पास पावर है वोटिंग की और वो वोटिंग की पावर आप लोगों को यूज करनी चाहिए डन आ गया है द एफपीटीपी सिस्टम ऑफर्स वोटर्स अ चॉइस नॉट सिंपली बिटवीन पार्टीज बट स्पेसिफिक कैंडिडेट्स और एफपीटीपी सिस्टम में हम लोगों के पास चॉइस होती है पार्टीज वाली चॉइस भी होती है कि भैया कौन सी पार्टी को चूज करें आम आदमी पार्टी को चूज करें अकाली दल को चूज करें कम्युनिस्ट पार्टी को चूज करें समाजवादी पार्टी को चूज करें कांग्रेस को चूज करें द्रविडा मुनेत ख जगम को चूज करें शिवसेना को चूज करें या फिर हम लोग कैंडिडेट्स में से किसी को एक को चूज करो हां कि ना इन कंसीट बेस्ड लाइक बेस्ड सिस्टम लाइक एफपीटीपी द वोटर्स नो हु देयर ओन रिप्रेजेंटेटिव इज एंड कैन होल्ड हिम और हर अकाउंटेबल अब देखो जरा ध्यान से इंडिया में जो एफपीटीपी सिस्टम चलता है मान लो यहां पर वोटिंग हो रही है इस कंसीट एंसी में वोटिंग हो रही है और इस कंसीट में जब वोटिंग हो रही है तो हम लोगों को पता है कि हम लोग किस बंदे को वोट दे रहे हैं हा कि ना और इस कंसीट एंसी में कोई भी दंगा होता है इस कंसीट में अगर काम नहीं होता है इस कांस्टीट्यूशन में अगर डेवलपमेंट नहीं होता है तो हम लोग सीधा इसको पकड़ सकते हैं काम क्यों नहीं किया अगले वोटिंग में बताते हैं तेरे को देते तेरे को वोट अच्छे से हा कि ना ठीक है लेकिन पीआर सिस्टम में क्या पीआर सिस्टम में हम लोगों को यह नहीं पता कि हमारे कंसीट एंसी में या हमारे एरिया में कौन बंदा क्या करेगा डेवलपमेंट करेगा क्यों क्योंकि पीआर सिस्टम में हम लोग पार्टी देखकर वोट दे रहे हैं कैंडिडेट देखकर वोट नहीं दे रहे पीआर सिस्टम समझ में आया आ गया आगे आते हैं व्हाई नॉट पीआर सिस्टम हम लोगों ने पीआर सिस्टम को चूज क्यों नहीं करा सर वो भी तो बढ़िया सिस्टम आदिवासी अपने लोगों को वोट देकर क्या करते पार्लियामेंट में बिठा देते मुस्लिम्स अपने लोगों को वोट देकर पार्लियामेंट में बिठाते और क्या सिख अपने लोगों को वोट देकर पार्लियामेंट में बिठाते क्रिश्चन अपने लोगों को वोट देकर पार्लियामेंट में बिठाते जितने परसेंटेज ऑफ सीट्स होंगे उतने परसेंटेज ऑफ क्या होंगे कैंडिडेट उनके बिठाए जाएंगे जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स होंगे उतने परसेंटेज ऑफ सीट्स मिलेगी इन लोगों को ठीक है तो हम लोगों ने पीआर सिस्टम इतना पीआर सिस्टम भी एक तरीके से इजी सिस्टम है कोई ज्यादा मुश्किल सिस्टम नहीं है ठीक है जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स उतने परसेंटेज ऑफ सीट्स मिलने तो क्या हुआ ऐसा कि सर पीआर सिस्टम हम लोगों ने यूज नहीं करा देखिए क्या हुआ पीआर बेस्ड इलेक्शन मे नॉट बी सूटेबल फॉर गिविंग अ स्टेबल गवर्नमेंट इन अ पार्लियामेंट सिस्टम ठीक है ये बोल रहा है क्या इंडिया की पॉपुलेशन बहुत ज्यादा है और इंडिया की डाइवर्सिटी भी बहुत ज्यादा है और अगर हम लोग पीआर सिस्टम का इस्तेमाल करते तो हो सकता था कि हम लोगों को स्टेबल गवर्नमेंट नहीं मिलती क्या नहीं मिलती स्टेबल गवर्नमेंट नहीं मिलती ठीक है लोग अपने-अपने कम्युनिटीज वगैरह को वोट कर रहे थे ठीक है और किसी की मेजॉरिटी नहीं आती और अनस्टेबल गवर्नमेंट बनती जो कि बार-बार गिरती बार-बार इलेक्शन बारबार गती बार-बार इलेक्शंस इस वजह से हम लोगों ने क्या नहीं करा पीआर सिस्टम को चूज नहीं करा दिस सिस्टम रिक्वायर्स दैट द एग्जीक्यूटिव हैज मेजॉरिटी इन द लेजिस्लेटर इस सिस्टम के अकॉर्डिंग जो एग्जीक्यूटिव्स होते हैं उनका क्या होना चाहिए मेजॉरिटी होनी चाहिए उनकी लेजिसलेच्योर क्या करेंगे गवर्नमेंट बनाएंगे पीआर सिस्टम में ठीक है लेकिन यह सिस्टम इंडिया में क्या होना कंटिन्यू होना या फिर इंडिया में 50 पर सीट्स लाना वह तो पॉसिबल था ही नहीं आगे चले द पीआर सिस्टम मे नॉट प्रोड्यूस अ क्लियर मेजॉरिटी बिकॉज सीट्स इन द लेजिसलेट ठीक है और इंडिया में अगर हम लोग पीआर सिस्टम को अप्लाई कर देते तो क्लियर मेजॉरिटी आना बहुत ज्यादा मुश्किल हो जाती है क्यों एक तो इंडिया में मल्टी पार्टी डेमोक्रेसी ठीक है मल्टी पार्टी डेमोक्रेसी का मतलब हर धर्म वाले बंदा हर कास्ट वाला बंदा हर क्या कहते हैं उसको कम्युनिटी वाला बंदा हर ट्राइबल बंदा क्या करता है अपने अपने पॉलिटिकल पार्टी बनाता अपने अपने पॉलिटिकल पार्टी को क्या क्या देता वोट वगैरह देता और उनको वहां पर सीट मिल जाती तो क्लियर मेजॉरिटी किसी को नहीं आती इन अ डावर्स कंट्री लाइक इंडिया अ पीआर सिस्टम वुड इनकरेज ईच कम्युनिटी टू फॉर्म इट्स ओन नेशन वाइड पार्टी ठीक है और ये बोल रहा है क्या इंडिया इतनी ज्यादा डावर्स कंट्री है कि हर एक कम्युनिटी अपनी अपनी क्या बनाती हर एक कम्युनिटी अपनी अपनी अ पॉलिटिकल पार्टी बना द अपनी अपनी कम्युनिटी को ही वोट देते तो इससे क्या है एक तो इंडिया का डावर्स नेचर खराब होता ठीक है और हर पार्टी अपने लिए मांगे रखती अपने लिए डिमांड्स उठती सेपरेशन की डिमांड्स हो है कि भैया हमें तो रहना ही नहीं इंडिया में हम तो अलग कर रहे हैं ठीक है तो इस इन सब चीजों को देखते हुए हम लोगों ने क्या करा एफपीटीपी सिस्टम को अपनाया व्हाई एफपीटीपी सिस्टम सर एफपीटीपी सिस्टम ही क्यों अपनाया फिर हम लोगों ने आइए देखते हैं जनरली एफपीटीपी गिव्स द लार्जेस्ट पार्टी और कोलिशन सम एक्स्ट्रा बोनस सीट्स मोर दन देयर शेयर ऑफ वोट्स वुड अलाउ ये बोल रहा है कि एफपीटीपी सिस्टम में परसेंटेज ऑफ वोट्स मैटर नहीं करते सिर्फ मैटर करता है मेजॉरिटी ऑफ वोट्स कि भैया बाकी पॉलिटिकल पार्टी से तुम्हारे कितने ज्यादा वोट्स आ समझ में आया कि नहीं आया ठीक है बाकी कैंडिडेट से तुम्हारे ज्यादा वोट्स है तो तुम लोग क्या कर सकते हो जाके पार्लियामेंट में बैठ सकते हो तो ये क्या है एक एक्स्ट्रा प्रिविलेज है और बड़ी आसानी से तुम लोग क्या कर सकते हो मेजॉरिटी ला सकते हो और अगर मेजॉरिटी नहीं ला पा रहे तो गठबंधन बना लो और गठबंधन में मेजॉरिटी लेकर आ जाओ समझ में आ रहा कि नहीं आ रहा जैसे एग्जांपल के तौर प एग्जांपल के तौर पर अगर हम लोग बात करें किसकी 2004 की इलेक्शंस की बात करें तो 2004 के इलेक्शंस में इंडियन नेशनल कांग्रेस भी थी और बीजेपी भी थी और दोनों के पास 272 का नंबर क्रॉस दोनों का भी नहीं हो रहा था है ना कांग्रेस की कुछ 160 के आसपास सीट्स आई थी बीजेपी की भी कुछ 150 के आसपास सीट्स आई थी दो 272 का क्या नहीं था इनका इनके पास मैजिकल नंबर पास नहीं हो रहा था एग्जांपल दे रहा हूं मैं तुम लोगों को नंबर ऑफ सीट्स मुझे याद नहीं है ठीक है तो इन लोगों ने क्या करा इन लोगों ने गठबंधन बनाया यूपीए नाम का इन लोगों ने गठबंधन बनाया एनडीए नाम का है ना यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस नाम का गठबंधन इन लोगों ने बनाया और इन लोगों ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस नाम का गठबंधन बनाया ठीक है तो यूपीए जो था इसके गठबंधन में बहुत सारी पॉलिटिकल पार्टी थी छोटी छोटी छोटी छोटी ठीक है और उन सबके सीट्स मिलाकर 272 का नंबर पार हो गया और कांग्रेस ने गवर्नमेंट बना ली मनमोहन सिंह प्राइम मिनिस्टर बन गए बीजेपी ये नहीं कर पाई इसलिए बीजेपी जो है वो गवर्नमेंट में नहीं आ पाई 2004 में क्लियर है तो ये क्या बोल रहा है एफपीटीपी सिस्टम में तुम लोगों को परसेंटेज ऑफ वोट्स बहुत ज्यादा नहीं लाने हैं ठीक है लेकिन तुम्हें मेजॉरिटी ऑफ द वोट्स लाने हैं बाकी लोगों से ज्यादा वोट्स लाने हैं तो तुम लोग क्या कर सकते हो इलेक्शन जीत सकते हो ये वाला सिस्टम इंडिया के लिए परफेक्ट सिस्टम था इसलिए हम लोगों ने एफपीटीपी सिस्टम का इस्तेमाल किया आगे आते हैं दिस सिस्टम मेक्स इट पॉसिबल फॉर पार्लियामेंट्री गवर्नमेंट टू फंक्शन स्मूथली एंड इफेक्टिवली बाय फैसिलिटेटिंग द फॉर्मेशन ऑफ अ स्टेबल गवर्नमेंट और ये वाला सिस्टम क्या क्या करता है एक स्टेबल गवर्नमेंट प्रोवाइड करता है सेंटर में ताकि 5 साल बड़ी अच्छी तरीके से स्मूथली निकल जाए फिर दोबारा इलेक्शंस हो ठीक है और अगर ये वाला सिस्टम नहीं होता तो अनस्टेबल गवर्नमेंट बनती तो स्टेबल गवर्नमेंट बनाने के लिए हम लोगों ने एफपीटीपी सिस्टम का इस्तेमाल किया आ गया है द एफपीटीपी सिस्टम फर्स्ट पास द पोस्ट एफपीटीपी आना चाहिए एटीपीटी हो गया यहां पे ठीक कर लेना इसको द एफपीटीपी सिस्टम एंकरेजेस वोटर्स फ्रॉम डिफरेंट सोशल ग्रुप्स टू कम टुगेदर ट विन एन इलेक्शन इन अ लोकेलिटी अब देखो जरा क्या बोल रहा है ये ये बोल रहा है कि एफपीटीपी सिस्टम की खासियत ये है कि अलग-अलग कम्युनिटी वाला बंदा इकट्ठा आकर एक ही बंदे को वोट दे सकता है तो यहां पर हम लोग क्या नहीं देखते अलग-अलग कम्युनिटीज को अलग-अलग पॉलिटिकल पार्टीज बनाने की जरूरत नहीं है ठीक है इकट्ठा हो और एक साथ वोट दो और अपने कैंडिडेट को चूज कर लो समझ में आ रहा है कि नहीं आरहा तो डिवीजन ऑफ वोट्स नहीं देखने को मिलता हम लोगों को यहां पर द एफपीटीपी सिस्टम हैज प्रूव टू बी अ सिंपल एंड फैमिलियर टू ऑर्डिनरी वोटर्स और एफपीटीपी सिस्टम बहुत सिंपल वोटिंग सिस्टम है और बहुत फैमिलियर लोग जो है इस सिस्टम को जानते हैं क्योंकि ब्रिटिशर्स के टाइम पीरियड में भी यही वाला सिस्टम चलता तो लोगों ने वोट वगैरह दिया था उस टाइम पीरियड में हालांकि सबके पास राइट टू वोट नहीं था कुछ परसेंटेज ऑफ वोट्स वोटर्स के पास राइट टू वोट था लेकिन लोगों को पता था कि क्या सिस्टम है ठीक है आ गया है चलो इट हैज हेल्प लार्जर पार्टीज टू विन क्लियर मेजॉरिटीज एट द सेंटर एंड द एंड एट द स्टेट लेवल और बड़ी-बड़ी पार्टीज को इस वाले सिस्टम ने हेल्प किया है एक स्टेबल गवर्नमेंट बनाने में और क्या करने में क्या करने में मेजॉरिटीज हासिल करने में ताकि एक स्टेबल गवर्नमेंट बन सके सेंटर में भी और स्टेट्स में द सिस्टम हैज आल्सो डिस्क पॉलिटिकल पार्टीज दैट गेट ऑल देयर वोट्स ओनली फ्रॉम वन कास्ट और कम्युनिटी और अब कास्ट की पॉलिटिक्स रिलीजन की पॉलिटिक्स जो थी वह खत्म हो गई कैसे लोग अगर पीआर सिस्टम होता तो अपने-अपने कास्ट के लोगों को वोट देते अपनी-अपनी रिलीजन वाले लोगों को वोट देते लेकिन अब सीन क्या हुआ अब किसी एक कास्ट के या किसी एक रिलीजन के वोट से तुम लोग गवर्नमेंट नहीं बना सकते तो कास्ट वाली पॉलिटिक्स जो है रिलीजन वाली पॉलिटिक्स जो है व एफपीटीपी आने की वजह से खत्म रिजर्वेशन ऑफ क यह क्या सिस्टम है अब देखो कल हम लोगों ने जो मैंने आप लोगों को एक चैप्टर पढ़ाया था राइट्स इन द इंडियन कांस्टिट्यूशन वाला चैप्टर तो उसम मैंने आप लोग को बताया था कि आर्टिकल 16 सबसेक्शन फोर रिजर्वेशन की बात करता है करता है क्या और हम लोग नेय भी देखा था रिजर्वेशन जो है वो किसको देना चाहिए सोशली बैकवर्ड एंड एजुकेशनली बैकवर्ड लोगों को उन्हीं को रिजर्वेशन देने की बात करते हैं तो वो बंदे जो कभी जो क्या पिछड़े हुए हैं जिनको कभी कोई बंदा वोट नहीं दे पाएगा या वो लोग इलेक्शन नहीं लड़ पाएंगे या वो लोग इलेक्शन लड़क कभी भी क्या नहीं कर पाएंगे गवर्नमेंट में नहीं आ पाएंगे या लोकसभा में नहीं बैठ पाएंगे उन लोगों के लिए क्या कर दिया जाता है एससी के लिए एसटी के लिए एससी के लिए एसटी के लिए क्या कर दिया जाता है सीट्स रिजर्व कर ली जाती है क्या कर ली जाती है सीट्स रिजर्व कर ली जाती है सर क्या होता है ये एग्जांपल देता हूं इंडिया है इंडिया को बहुत सारी 543 सीट्स होती है लोकसभा में तो 543 अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाएगा बोलो हां कि ना बोलो 543 अलग-अलग हिस्सों में बांटा जाएगा ये जो 543 अलग-अलग हिस्से इनको इलेक्टोरल कंसीट बोला जाता है ठीक है यहां से कोई भी इलेक्शन में खड़ा हो सकता है चाहे एससी हो एसटी हो जनरल कैटेगरी का हो ओबीसी हो कोई भी बंदा खड़ा हो सकता है ठीक है यहां से भी कोई खड़ा हो सकता है यहां से भी कोई खड़ा हो सकता है लेकिन एक ट्राइबल बंदे को कहा कौन कौन बंदा वोट देगा या ट्राइबल बंदे को जनरल वाले लोग वोट क्यों देंगे हा कि ना ठीक है तो इन लोगों का भी क्या करना है उद्धार करवाना है इन लोगों को भी क्या करना है विकसित करवाना है इन लोगों को भी प्रॉस्परस बनाना है इन लोगों को भी स्ट्रांग बनाना है क्यों क्योंकि इंडिया में अगर हम लोग हर एक कम्युनिटी के ऊपर ध्यान नहीं देंगे तो क्या हो जाएगा इंडिया एज अ कंप्लीट डेवलप नहीं होगा तो हम लोगों क्या करना है जनरल लोगों के बराबर में उन लोगों को भी लेकर आना है तो क्या कर दिया जाता है कुछ सीट्स रिजर्व कर दी जाती है किसके लिए एससी के लिए एसटी के लिए शेड्यूल कास्ट के लिए शेड्यूल ट्राइब्स वालों के लिए ठीक है और ऐसी कंसीट एंसी को बोला जाता है रिजर्व्ड कंटस क्या बोला जाता है रिजर्व कंसीट कि यहां पर यहां पर सिर्फ और सिर्फ कोई एससी कम्युनिटी का बंदा या कोई एसटी कम्युनिटी का बंदा ही इलेक्शन में खड़ा हो समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा अब वो किसी भी पॉलिटिकल पार्टी से हो है ना बीजेपी भी अपना बंदा खड़ा करेगी कांग्रेस भी अपना बंदा खड़ा करेगी आम आदमी पार्टी भी अपना बंदा खड़ा करेगी ठीक है और क्या शिवसेना भी अपना बंदा खड़ा करेगी एमआईएम भी अपना बंदा खड़ा करेगी लेकिन लेकिन क्या वो होना चाहिए कोई एससी या एसटी और फिर सारी की सारी पब्लिक इन्हीं लोगों को वोट देगी समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा क्लियर है कि नहीं इन दिस सिस्टम ऑल वोटर्स इन अ कंसीट आर एलिजिबल टू वोट बट सारे के सारे लोग एलिजिबल टू वोट है सब सब लोग वोट दे सकते हैं बट द कैंडिडेट्स मस्ट बिलोंग टू ओनली अ पर्टिकुलर कम्युनिटी और सोशल सेक्शन फॉर व्हिच द सीट्स इ रिजर्व ठीक है तो इस वाले सिस्टम में क्या है वोट तो सब लोग ही देंगे वोट तो सारे के सारे लोग देंगे लेकिन जो कैंडिडेट होगा वह कौन होगा वह किसी एससी या एसटी कम्युनिटी को बिलोंग करता होगा समझ में आ गया ठीक है और पॉलिटिकल पार्टीज अपना अपना कैंडिडेट चूज कर सकती है दूसरी तरफ जो बाकी जगह है तो बाकी जगह पर कोई एससी भी खड़ा हो सकता है एसटी भी खड़ा हो सकता है ओबीसी भी खड़ा हो सकता है जनरल भी खड़ा हो सकता है मर्जी ठीक है लेकिन रिजर्व कंसीट एंसी में सिर्फ और सिर्फ एससी या एसटी बंदा खड़ा होता है इलेक्शन में द कॉन्स्टिट्यूशन प्रोवाइड्स फॉर रिजर्वेशन ऑफ सीट्स इन द लोकसभा एंड स्टेट लेजिसलेटिव असेंबलीज फॉर द शेड्यूल कास्ट एंड शेड्यूल ट्राइब्स और हमारे कॉन्स्टिट्यूशन ने क्या कहा है कि शेड्यूल कास्ट और शेड्यूल ट्राइब वाले जो बंदे हैं उनके लिए कां सटंस को रिजर्व किया जाएगा डन चलो दिस प्रोविजन वाज मेड इनिशियली फॉर अ पीरियड ऑफ 10 यर्स एंड एज अ रिजल्ट ऑफ सक्सेसिव कांस्टीट्यूशनल अमेंडमेंट हैज बीन एक्सटेंडेड अप टू 2020 तो ये क्या करा गया कि सबसे पहले ये बोला गया था कांस्टिट्यूशन बनाने के बाद कि 10 साल तक यह वाला सिस्टम रहेगा ठीक है फिर क्या हुआ हर 10 साल पर इसको बढ़ा दिया गया बढ़ा दिया गया बढ़ दिया गया और 2020 तक इसको क्या कर दिया गया था फिर बोला गया था 2020 तक रि रिजर्वेशन रहेगा अब इसको बढ़ाकर 2030 तक कर दिया गया ठीक है मतलब मतलब जैसे ही टाइम पीरियड खत्म होने वाला होता है रिजर्वेशन का कि भैया आप रिजर्वेशन खत्म कर दो तो तो उसको 10 साल और एक्सटेंड कर दिया जाता है सर एक्सटेंड क्यों कर दिया जाता है एक बार ही खत्म क्यों नहीं कर देते क्योंकि अभी तक उतना डेवलपमेंट नहीं आया है इन कम्युनिटीज में जितना कि आना चाहिए तो जब डेवलपमेंट आ जाएगा कंपलीटली इन कैटेगरी में इन लोगों में तो वो लोग क्या जब लगेगा वो लोग स्ट्रांग हो गए ठीक है वो लोग जनरल पब्लिक के बराबर हो गए तो क्या कर दिया जाएगा रिजर्वेशन को भी खत्म कर दिया जाएगा लेकिन यहां पे 2020 तक हम लोगों ने क्या कर दिया उसको फ्रीज कर दिया द पार्लियामेंट के कैन टेक अ डिसीजन टू फर्द एक्सटेंड इट व्हेन द पीरियड ऑफ रिजर्वेशन एक्सपायर्स और अगर रिजर्वेशन का पीरियड खत्म हो जाता है तो पार्लियामेंट उसको एक्सटेंड कर सकती है जैसे कि अभी तक करते आर है डन आ गया है चलो हु डिसाइड्स व्हिच कंसीट एंसी इज टू बी रिजर्व्ड ये बोल रहा है कि कौन डिसाइड करता है कि कौन सी कंसीट रिजर्व्ड होगी और कौन सी कंसीट रिजर्व नहीं होगी ठीक है देखिए क्या बता रहा है ऑन व्हाट बेसिस इज दिस डिसीजन टेकन और ये बोल रहा है कि कौन डिसाइड करता है कि डिसीजन कौन डिसीजन लेता है कि कौन सी कंसीट क्या रहेगी रिजर्व रहेगी या कौन सी कंसीट एंसी रिजर्व नहीं रहेगी अब ध्यान से सुनो यहां पर हमारे पास एक कमीशन होता है जिसका नाम होता है डीलिमिटेशन कमीशन क्या नाम होता है डीलिमिटेशन कमीशन सर क्या काम है इस डीलिमिटेशन कमीशन का हम लोग अभी तक कह रहे थे ना कि लोकसभा में 543 सीट्स है इस वजह से इंडिया को 543 अलग अलग सीट्स में बांटा जाता है ठीक है तो यह इलेक्टोरल कंसीट कौन बना रहा है तो ये इलेक्टोरल कंसीट बनाने का काम होता है डीलिमिटेशन कमीशन का स डीलिमिटेशन कमीशन किसके साथ मिलकर य बनाती है तो डीलिमिटेशन कमीशन इलेक्शन कमीशन के साथ मिलकर किसके साथ मिलकर इलेक्शन कमीशन के साथ मिलकर यह कनसी बनाती है और फिर डीलिमिटेशन कमीशन ही डिसाइड करती है कि भैया क्या कौन सी कनसी रिजर्व रहेगी और कौन सी कनट रिजर्व नहीं रहेगी समझ में आया कि नहीं आया बोलो पक्की बात है 100% क्लास है कोई और देख मेरा 18 बक ठीक है न समझ में आया नहीं लिमिटेशन कमीशन का काम होता टेकन इंडिपेंडेंट बॉडी कॉल्ड डीलिमिटेशन कमीशन ठीक सर क्या अगर मैंने इस कनसी को एक रिजर्व कसी बना दिया अगर मैंने इस को रि बना दिया तो क्या य हमेशा रिज नहीं य रोटेशनल बेसस पर चेंज होती रहती है हर इलेक्शन में चेंज होता है आ ना अगर ये वाली सीट एससी की सीट है तो अगली बार ये वाली नहीं होगी ये वाली होगी यहां पर कोई भी खड़ा हो सकता है ठीक है अगर अगली बार यह वाली है तो उससे अगली बार यह दोनों भी नहीं होगी उसके बाद कोई और किसी और को बना दिया जाएगा तो रोटेशनल बेसिस पर चेंज कर दिया जाता है समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा क्लियर है डन कौन डिसाइड करता है डीलिमिटेशन कमीशन किसको कौन सी सीट को बना सकती है किसी भी सीट को बना सकती है खास करके देखा जाता है कि शेड्यूल कास्ट वाले लोग और शेड्यूल ट्राइब वाले लोग कहां पर उनकी पॉपुलेशन ज्यादा है और उस जगह को क्या कर दिया जाता है रिजर्व कॉन्टस बना दिया जाता है डन चलो आगे आते द डीलिमिटेशन कमीशन इज अपॉइंटेड बाय द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया डीलिमिटेशन कमीशन कौन अपॉइंटमेंट ऑफ इंडिया अपॉइंट्स इन कोलैबोरेशन विद द इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया और डीलिमिटेशन कमीशन किसके साथ मिलकर काम करती है इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया के साथ मिलकर काम करती है यह चीज याद रखने वा ठीक है आगे चले आगे चलते अपॉइंटेड फॉर द पपोज ऑफ ड्राइंग अप द बाउंड्रीज ऑफ कॉस्ट ल ओवर द कंट्री और डीलिमिटेशन कमीशन का काम क्या है तो डीलिमिटेशन कमीशन का काम है बाउंड्रीज बनाना क्या काम है बाउंड्रीज बनाना मतलब कं सटंस बनाने का काम है इसका स्टेट इलेक्शंस में भी और नेशनल इलेक्शन में अ कोटा ऑफ कंसीट इज टू बी रिजर्व इन ईच स्टेट अ कोर्ट ऑफ कंटस टू बी रिजर्व इन स्टेट इ फिक्स डिपेंडिंग ऑन द प्रोपोर्शन ऑफ एससी और एसटी इन दैट स्टेट ठीक है और ये क्या बोल रहा है कि सर कितने परसेंटेज ऑफ सीट्स रिजर्व होती है ठीक है तो ये करता है कि एससी की और एसटी की पॉपुलेशन उन स्टेट्स में कितनी है अगर ज्यादा पॉपुलेशन है तो ज्यादा सीट्स रिज होगी कम पॉपुलेशन है तो कम सीट रिजर्व डन चलो आगे आते आफ्टर ड्राइंग द बाउंड्रीज द डीलिमिटेशन कमीशन लुक्स एट द कंपोजिशन ऑफ पॉपुलेशन इन ईच कांसी दोस कांसी दैट हैव द हाईएस्ट प्रोपोर्शन ऑफ शेड्यूल ट्राइब पॉपुलेशन आर रिजर्व फॉर एसटी ठीक है तो ये क्या बोल रहा है कि एक बार बाउंड्रीज बना लेते ये लोग एक बार क्या बना लेते इलेक्टोरल कंटस बना बना लेते तो इलेक्टोरल कॉन्टस बनाने के बाद ध्यान से सुनना क्या बोल रहा हूं मैं इलेक्टोरल कॉन्टस बनाने के बाद पॉपुलेशन चेक करी जाती है कि एसटी की पॉपुलेशन ज्यादा कहां पर है एससी की पॉपुलेशन ज्यादा कहां पर है और जहां पर ज्यादा पॉपुलेशन जिस कंसीट एंसी में ज्यादा पॉपुलेशन एससी या एसटी की होती है उसको रिजर्व कर दिया जाता है ठीक है इन द केस ऑफ शेड्यूल कास्ट द डीलिमिटेशन कमीशन लुक्स एट टू थिंग्स ये बोल रहा है कि अगर हम लोग शेड्यूल कास्ट की अगर बात करें एससी की बात करें तो दो चीजों के दो चीजों प ध्यान दिया जाता है पिक्स कॉन्टस दैट हैव द हायर प्रोपोर्शन ऑफ शेड्यूल कास्ट पॉपुलेशन एक तो देखा जाता है कि ऐसी कौन-कौन सी कं स्टंस है जहां पर शेड्यूल कास्ट वाले लोगों की पॉपुलेशन ज्यादा है पहली चीज दूसरा बट इट इ बट इट आल्सो स्प्रेड दस कंटस इन डिफरेंट रीजस ऑफ द स्टेट दिस इज डन बिकॉज द शेड्यूल कास्ट पॉपुलेशन इज जनरली स्प्रेड इवनली थ्रू आउट द कंट्री अब देखो जरा ध्यान से ज शेड्यूल कास्ट वाले लोगों के लिए एससी के लिए जब कंसीट एंसी को रि र्व किया जाता है तो दो चीजें देखी जाती है एक तो क्या देखा जाता है एक तो देखा जाता है कि कौन सी कंसीट एंसी है जहां पर एससी की पॉपुलेशन ज्यादा है एससी इस की पॉपुलेशन ज्यादा है और दूसरा क्या देखा जाता है दूसरा देखा जाता है कि अच्छा दूसरा क्या ध्यान दिया जाता है ये भी ध्यान दिया जाता है कि जनरल वाली जो सीट्स है उनको भी क्या करा जाए एससी के लिए रिजर्व किया जाए सर ऐसा क्यों किया जाता है ऐसा इस वजह से किया जाता है कि शेड्यूल कास्ट वाले लोग पूरे के पूरे इंडिया में फैले हुए हैं तो हर जगह पे इनकी पॉपुलेशन मिलती ही मिलती है शेड्यूल ट्राइब वाले लोग जो है वो क्या करेंगे वो ट्राइबल एरियाज में ही मिलेंगे तुम लोगों जैसे छत्तीसगढ़ में मिलेंगे जैसे नॉर्थ ईस्ट इंडिया में मिलेंगे हां कि ना लेकिन एससी का हम लोगों को क्या पता है एससी का पता है कि ये एसी जो है पूरे के पूरे इंडिया में फैले हुए हैं और इस वजह से कोई भी सीट्स इनके लिए रिजर्व करी जा सकती है लेकिन पॉपुलेशन मैटर करती है जहां पर ज्यादा पॉपुलेशन होगी वहां पर तो रिजर्वेशन इनको मिलेगा डन यूनिवर्सल फ्रेंचाइजर टू टू कंटेस्ट ठीक है यूनिवर्सल फ्रेंचाइजर है है ना ये जनरली बड़े-बड़े वर्ड्स देखकर हमें डर लगता है यूनिवर्सल फ्रेंचाइजिंग राइट टू वोट दिया जाता है उसी को बोलते हैं यूनिवर्सल फ्रेंचाइजिंग में रह रहे हो किसी भी कहीं पर भी रह रहे हो ठीक है तो तुम्हें तुम्हारे पास क्या होगा राइट टू वोट होगा तभी तो इसके आगे क्या लग रहा है यूनिवर्सल कि सबके पास हर एक एडल्ट के पास राइट टू वोट दूसरी चीज क्या बोल रहा है ये राइट टू कांटेक्ट क्या सर हम लोगों के पास राइट टू कंटक्ट है क्या एक आम आदमी इलेक्शन में खड़ा हो सकता है कोई भी बंदा इलेक्शन में खड़ा हो सकता है क्या सर इलेक्शन में खड़े इलेक्शन में खड़े होने के लिए किसी पॉलिटिकल पार्टी का मेंबर बनना जरूरी है नहीं है तो इंडिपेंडेंटली भी इलेक्शन लड़ सकते हो समझ में आया चलो आगे चलते हैं हु आर द वोटर्स हु कैन कंटेस्ट द इलेक्शंस वोटर्स कौन होता है कौन बंदा इलेक्शंस कंटेस्ट कर सकता है इन बोथ दिस रिस्पेक्ट आवर कांस्टिट्यूशन फॉलोज द वेल एस्टेब्लिश डेमोक्रेटिक प्रैक्टिसेस और ये बोल रहा है कि इन बोथ दिस रिस्पेक्ट हमारा कांस्टिट्यूशन जो है वह डेमोक्रेटिक डेमोक्रेटिक हम लोगों को बता रहा है कि कौन बंदा इलेक्शन में खड़ा हो सकता है और कौन बंदा वोट दे सकता है देखिए जरा क्या बता रहा है हमारा कॉन्स्टिट्यूशन यू ऑलरेडी नो दैट डेमोक्रेटिक इलेक्शंस रिक्वायर दैट ऑल एडल्ट सिटीजंस ऑफ़ द कंट्री मस्ट बी एलिजिबल टू वोट इन द इलेक्शंस दिस इज नोन एज यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइजर तो यह क्या बोल रहा है 18 साल के ऊपर का हर एक बंदा पहले यह 21 इयर्स था फिर बाद में राजीव गांधी ने 1980 में क्या कर दिया एक अमेंडमेंट लाया कांस्टिट्यूशन में और फिर जो वोटिंग की एज है वह 21 य यर्स से कम करके 18 इयर्स कर दी गई ठीक है तो हम लोग हमारी एज क्या है 18 इयर्स के ऊपर की अगर तुम्हारी एज है तो तुम लोग तुम्हारे पास राइट टू वोट है ठीक है तो हमारा कॉन्स्टिट्यूशन क्या कहता है कि सारे के सारे एडल्ट्स उनके पास क्या है उनके पास राइट टू वोट है ठीक है और इस को इसी को क्या बोला जाता है यूनिवर्सल एडल्ट फ्रेंचाइजर जाता है आगे आते हैं टिल 1989 एन एडल्ट इंडियन मेंट एंड इंडियन सिटीजन अबाउ द एज ऑफ 21 ये बोल रहा है कि 1989 तक किस बंदे को एडल्ट बोला जाता था उस बंदे को एडल्ट बोला जाता था जिसकी उम्र 21 साल से ऊपर की है और सिर्फ 21 इयर्स के अबब वाले जो बंदे होते थे वो वोट कर सकते थे ठीक है लेकिन चेंज आया देखो जरा क्या बता रहा है एंड अमेंडमेंट टू द कॉन्स्टिट्यूशन इन 1989 रिड्यूस्ड द एलिजिबिलिटी एज टू 18 राजीव गांधी के टाइम पीरियड में जब राजीव गांधी प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया थे 1985 में प्राइम मिनिस्टर बने तो 1989 में इन्होंने क्या करा एक अमेंडमेंट लाया कांस्टिट्यूशन में और कांस्टिट्यूशन में अमेंडमेंट लाकर इन्होंने क्या करा वोटिंग की एज रिड्यूस करके 18 कर द ठीक है अडल्ट फ्रेंचाइजर दैट ऑल सिटीजंस आर एबल टू पार्टिसिपेट इन द प्रोसेस ऑफ सिलेक्टिंग देयर रिप्रेजेंटेटिव और एडल्ट फ्रेंचाइजर क्या इंश्योर किया जाता है कि सारे के सारे सिटीजन जो है इंडिया के जितने भी एडल्ट सिटीजन है जिनकी भी एज 18 इयर्स के ऊपर की है वो लोग पार्टिसिपेट कर सकते हैं किसमें इलेक्शन के प्रोसेस में और अपना अपना रिप्रेजेंटेटिव सिलेक्ट कर सकते हैं दिस इज दिस इज कंसिस्टेंट विद द प्रिंसिपल ऑफ इक्वलिटी एंड नॉन डिस्क्रिमिनेशन और ये आर्टिकल 14 ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन और आर्टिकल 15 ऑफ द इंडियन कांस्टिट्यूशन को साबित भी करता है कि इंडिया में हर एक बंदा बराबर है और किसी के साथ डिस्क्रिमिनेशन नहीं होता ठीक है क्यों क्योंकि सबके पास राइट टू वोट है हर एक हर एक बंदे के पास राइट टू वोट है अबोव द एज ऑफ 18 इयर्स ये अमेंडमेंट कौन सा अमेंडमेंट था अमेंडमेंट का नंबर क्या करना आप लोग वीडियो के नीचे कमेंट सेक्शन में मुझे जरूर बताना ठीक है चलिए आगे आते हैं राइट टू कंटेस्ट इलेक्शंस ऑल सिटीजंस हैव द राइट टू स्टैंड फॉर इलेक्शन एंड बिकम द रिप्रेजेंटेटिव ऑफ द पीपल ये बोल रहा है कि इंडिया में हर एक बंदे के पास राइट है हर एक बंदे के पास क्या है इंडिया में हर एक बंदे के पास राइट टू स्टैंड फॉर इलेक्शन कोई भी बंदा इलेक्शन में खड़ा हो सकता है लेकिन सर क्या कुछ कंडीशंस नहीं होगी हां बिल्कुल होगी लोकसभा के इलेक्शंस के लिए खड़े होने के लिए तुम लोगों की एज कम से कम 25 साल की होनी चाहिए 25 इयर्स की एज होनी चाहिए अगर तुम्हारी 25 साल की एज है तो तुम लोग लोकसभा के इलेक्शन के लिए खड़े हो सकते हो सर राज्यसभा के इलेक्शंस के लिए राज्यसभा के इलेक्शंस में खड़े होने के लिए तुम्हारी एज कम से कम 30 यर्स की होनी चाहिए सर मुझे प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया बनना है इंडिया का प्रेसिडेंट के इलेक्शन में खड़े होने के लिए तुम्हारी एज कम से कम भी 35 इयर्स होनी चाहिए ठीक है वाइस प्रेसिडेंट के लिए भी 35 यर्स क्लियर है तो अगर तुम्हारी 25 साल से ज्यादा उम्र है तो लोकसभा के इलेक्शन में खड़े हो जाओ कोई दिक्कत नहीं है तुम्हारी एज 30 इयर्स के ऊपर है और तुम अगर एमएलए हो मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली हो तो तुम लोग क्या कर सकते हो राज्यसभा के मेंबर बन सकते हो और अगर तुम 35 साल के हो चुके हो तो तुम लोग प्रेसिडेंट भी बन सकते हो और वाइस प्रेसिडेंट भी बन सकते हो डन आगे आते हैं देर आर डिफरेंट मिनिमम एज रिक्वायरमेंट्स फॉर द क फॉर कंटेस्टिंग इलेक्शंस फॉर एग्जांपल इन ऑर्डर टू स्टैंड फॉर लोकसभा और फॉर असेंबली इलेक्शंस अ कैंडिडेट मस्ट बी एटलीस्ट 25 इयर्स ओल्ड लोकस लोकसभा के इलेक्शंस के लिए खड़े होने के लिए और विधानसभा के इलेक्शंस यानी कि स्टेट इलेक्शन स्टेट असेंबली इलेक्शंस में खड़े होने के लिए आप लोगों की ऐज कम से कम कितनी होनी चाहिए 25 साल की होनी चाहिए देयर इज़ अ लीगल प्रोविजन दैट अ पर्सन हु हैज अंडरगोन इंप्रिजनमेंट फॉर टू र मोर इयर्स फॉर सम ऑफेंस इज डिसक्वालिफाइड फ्रॉम कंटेस्टिंग इलेक्शंस अगर तुम्हारे पे एफआईआर हो गई है अगर तुमने कोई क्राइम करा है और अगर वो क्राइम इतना बड़ा था कि तुम्हें 2 साल के लिए जेल में रहना पड़ा है तो तो क्या तो तुम लोग इलेक्शन नहीं लड़ सकते ये लीगल प्रोविजन है ठीक है इसी वजह से वो देखा था ना तुम लोगों ने राजीव गांधी सॉरी राहुल गांधी के ऊपर अभी केस हुआ था और दो साल की सजा सुनाई गई थी उसको समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा ठीक है क्यों क्योंकि उसने बोला था कि इंडिया में जितने भी मोदी सरनेम वाले लोग होते वो लोग क्या होते फॉडी होते हैं ठीक है और उनको उठा के वो वो लोग क्या करते इंडिया को हमेशा धोखा ही देते तो इस बात पर केस किया था बीजेपी वालों ने और फिर क्या हुआ था हाई कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी तो ये बोला जा रहा था कि राजीव गांधी का क्या करियर खत्म हो जाएगा हा कि ना देखा था ना आप लोगों ने तोव दो साल का सिस्टम क्यों है दो साल का सिस्टम इसलिए कि अगर दो साल तुम लोगों ने दो साल तुम लोगों ने जेल में काट लिया तो इसका मतलब तुम लोग इलेक्शन अब नहीं लड़ सकते ठीक है तो ये लीगल प्रोविजन देर आर नो रिस्ट्रिक्शन ऑफ इनकम एजुकेशन और क्लास और जेंडर टू द राइट टू कंटेस्ट इले और तुम्हारी इनकम क्या है तुम पढ़े लिखे हो या नहीं हो ठीक है तुम्हारी तुम किस क्लास से बिलोंग करते हो किस क्लास से मतलब फर्स्ट सेकंड क्लास नहीं किस क्लास से अपर क्लास से मिडिल क्लास से लोअर क्लास से कोई फर्क नहीं पड़ता तुम किस जेंडर से हो मेल हो फीमेल हो ट्रांसजेंडर हो कोई फर्क नहीं पड़ता तुम लोग इलेक्शन लड़ सकते हो तुम्हारे पास पूरा अधिकार है कि चीज का इलेक्शन लड़ ठीक है आगे है इंडिपेंडेंट इलेक्शन कमीशन अब देखो जरा ध्यान सुनना हम लोग आजाद कब हुए 1947 में हम लोग ने कॉन्स्टिट्यूशन बनाया हम लोगों ने हमारा कॉन्स्टिट्यूशन फोर्स में कब लाया मतलब लागू कब करा हम लोगों ने हमारा कॉन्स्टिट्यूशन हम लोगों ने हमारा कॉन्स्टिट्यूशन लागू करा अ 26 जनवरी 26 जनवरी 1950 को 1950 को जैसे ही हम लोगों ने हमारा कॉन्स्टिट्यूशन लागू कर दिया कांस्टिट्यूशन में लिखा हुआ था कि एक इलेक्शन कमीशन होना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट होना चाहिए दो चीजें लिखी गई थी तो जस्ट दो दिन बाद दो दिन बाद सबसे पहली चीज जो बनाई गई वह बनाई गई इलेक्शन कमीशन क्या बनाई गई इलेक्शन कमीशन बनाया गया क्यों क्योंकि इलेक्शन कमीशन का काम क्या होगा इलेक्शंस करवाना और इलेक्शन कमीशन जिस दिन बनाई गई उसी दिन सुप्रीम कोर्ट भी बनाया गया क्यों क्योंकि कॉन्स्टिट्यूशन में लिखा गया था कि सुप्रीम कोर्ट बनेगा सुप्रीम कोर्ट के बारे में आर्टिकल 124 में लिखा गया था और इलेक्शन के बारे में आर्टिकल इलेक्शन कमीशन के बारे में आर्टिकल 324 ऑफ़ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन में लिखा गया था कि एक इंडिपेंडेंट इलेक्शन कमीशन बनाया जाएगा जो कि इंडिया में इलेक्शंस करवाएगा सर किसके इलेक्शंस करवाता है यह तो यह इलेक्शन करवाता है लोकसभा के राज्यसभा के विधानसभा के प्रेसिडेंट के वाइस प्रेसिडेंट के सारे इलेक्शन य करवाता है सिर्फ लोकल बॉडी के इलेक्शन नहीं करवाता लोकल बॉडी के इलेक्शन मतलब मुसिपालिटी के इलेक्शन और ग्राम पंचायत के इलेक्शन वो इलेक्शन कमीशन नहीं करवाता वो स्टेट इलेक्शन कमीशन करवाता है जब हम लोकल बॉडीज वाला चैप्टर पढ़ेंगे तब देखेंगे ठीक है देख क्या बताहा द सुपरिटेंडेंट डायरेक्शन एंड कंट्रोल ऑफ एंड कंट्रोल ऑफ द प्रिपरेशन ऑफ द इलेक्टोरल रोल्स फॉर एंड द कंडक्ट ऑफ ऑल इलेक्शंस टू पार्लियामेंट एंड टू द लेजिसलेच्योर टू इन दिस सिचुएशन एज द इलेक्शन कमीशन तो आर्टिकल 324 ऑफ द इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन में क्या कहा गया है ये कहा गया है कि इलेक्शन से जुड़ी हुई हर एक चीज ठीक है कौन संभालेगा एक कमीशन संभालेगा कौन सा कमीशन इलेक्शन कमीशन संभालेगा दूसरी चीज क्या बोल रहा है ये कौन सेकन से इलेक्शंस करवाएगा लोकसभा के इलेक्शंस मतलब पार्लियामेंट के इलेक्शन ठीक है कौन से स्टेट असेंबली के इलेक्शन ऑफ इलेक्शन टू द ऑफिस ऑफ प्रेसिडेंट एंड इलेक्शन टू द ऑफिस ऑफ वाइस प्रेसिडेंट ये सारे के सारे इलेक्शन कौन करवाता है ये सारे के सारे इलेक्शन इलेक्शन कमीशन करवाता है इलेक्शन कमीशन के बारे में पेपर में आ जाए किस आर्टिकल में लिखा हुआ है तो आर्टिकल नंबर 324 ऑफ द इंडियन कांस्टिट्यूशन में लिखा हुआ ठीक है आगे आते टू असिस्ट द इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया देयर इज अ चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर इन एवरी स्टेट ये बोल रहा है क्या अच्छा एक और चीज इलेक्शन कमीशन इलेक्शन कमीशन इसका जो हेड होगा इलेक्शन कमीशन का जो हेड होगा उसको बोला बोला जाएगा इलेक्शन कमिश्नर क्या बोला जाएगा इलेक्शन कमिश्नर या फिर बोला जाएगा चीफ इलेक्शन कमिशनर ठीक है अगर हम लोग बात करें तो इलेक्शन कमीशन में कितने मेंबर्स होते हैं सर तो इलेक्शन कमीशन में जब से यह बना है यानी कि 1950 से लेकर 1989 तक इसमें सिर्फ एक ही मेंबर होता था कितने मेंबर होते थे एक ही मेंबर उसको तुम इलेक्शन कमीशनर बोल दो या फिर चीफ इलेक्शन कमीशनर बोल दो बाद में क्या हुआ बाद में इलेक्शन कमीशन को एक मल्टी मेंबर्ड बॉडी बनाया गया क्या बनाया गया एक मल्टी मेंबर्ड बॉडी बनाया गया यह चीज याद रखना एक मल्टी मेंबर बॉडी बनाया गया ठीक है तो पहले क्या था सिर्फ एक इलेक्शन कमीशनर था हमारे पास फिर दो और लाए गए क्या लाए गए दो और मेंबर्स लाए गए तो ये भी इलेक्शन कमिशनर ये भी इलेक्शन कमिशनर ये भी इलेक्शन क सर इनम से हेड कौन सा है ठीक है तो क्या किया गया इसको एक बंदे को बोला गया चीफ इलेक्शन कमिशनर सर क्या चीफ इलेक्शन कमिश्नर के पास इलेक्शन इलेक्शन कमिशनर के इलेक्शन कमिशनर से ज्यादा पावर होती है नहीं हो सेम पावर होती है सर सैलरी क्या चीफ इलेक्शन कमिशनर की सैलरी ज्यादा होती है इन दो इलेक्शन कमिशनर नहीं सिर्फ किसके पास तीनों का सैलरी सेम तीनों का पोजीशन सेम सिर्फ हेड य होता है कोई ज्यादा पावर नहीं ठीक है लेकिन क्योंकि हेड है इसलिए इसको क्या बोलेंगे चीफ इलेक्शन कमीशनर ठीक है इलेक्शन कमीशन क्या करवाती है इलेक्शंस करवाती है पूरे के पूरे इंडिया में लेकिन क्वेश्चन ये है कि कि सर एक चीज बताइए हम लोगों को कि स्टेट में हर एक स्टेट में इलेक्शन कमीशन को सपोर्ट करने के लिए कौन होता है तो हर एक स्टेट में इलेक्शन कमीशन को सपोर्ट करने के लिए उसको असिस्ट करने के लिए इलेक्शन क्या होता है चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर होता है और मोस्टली ये जो चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर होता है ये कोई ना कोई आईएस ऑफिसर या जिसको हम लोग कलेक्टर बोलते हैं वो होता है क्लियर है ठीक है तो ये क्या बोल रहा है टू असिस्ट द इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया देयर इज अ चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर इन एवरी स्टेट ही माइट बी एन आईएस ऑफिसर और कलेक्टर द इलेक्शन कमीशन इज नॉट रिस्पांसिबल फॉर द कंडक्ट ऑफ लोकल बॉडी इलेक्शंस इलेक्शन कमीशन लोकल बॉडी के इलेक्शंस नहीं करवाती यानी कि मुसिपालिटी के इलेक्शंस नहीं करवाती नगरपालिका की इलेक्शन जो है वो नहीं करवाती और कौन से ग्राम पंचायत वगैरह के इलेक्शंस नहीं करवाती द इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया कैन आइर बी अ सिंगल मेंबर बॉडी और अ मल्टी मेंबर बॉडी इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया क्या हो सकती है सिंगल मेंबर बॉडी भी हो सकती है मल्टी मेंबर बॉडी भी हो सकती है टिल 1989 द इलेक्शन कमीशन वाज अ सिंगल मेंबर्ड बॉडी 1989 तक क्या था ये सिंगल मेंबर्ड बॉडी थी अब कैसी है अब ये मल्टी मेंबर बॉडी ठीक है आप लोग मुझे वीडियो के नीचे कमीशन सॉरी कमेंट सेक्शन में बताएंगे कि आज के टाइम पीरियड में हु इज द इलेक्शन कमिशनर ऑफ इंडिया इलेक्शन कमिशनर कौन है आज या चीफ इलेक्शन कमिश्नर कौन है आज आप लोग बताइए डन चलो आगे आते हैं जस्ट बिफोर 1989 जनरल इलेक्शंस टू इलेक्शन कमीशर्स वर अपॉइंटेड मेकिंग द बॉडी मल्टी मेंबर्ड ये बोल रहा है कि 1989 के इलेक्शन से जस्ट पहले जस्ट पहले क्या करा गया था इलेक्शन कमीशन पहले एक वन मेंबर बॉडी थी फिर इसको थ्री मेंबर बॉडी बना दिया गया ठीक है तो तीन इलेक्शन कमिश्नर हो गए थे और एक बंदे को हम लोग चीफ इलेक्शन कमिश्नर बोलते हैं इन 1993 अब ये भी इंपोर्टेंट है ये चीज भी याद रखना है इन 1993 टू इलेक्शन कमीशर्स वर वंस अगेन अपॉइंटेड एंड द कमीशन बिकम मल्टी मेंबर एंड हैज रिमे मल्टी मेंबर सिंस देन और ये क्या बोल रहा है कि 1993 में टू इलेक्शन कमीशनर वर वंस अगेन अपॉइंटेड बाद में क्या करा गया था 1991 में बंद कर दिया गया था वन मेंबर बॉडी बना दी गई थी वापस लेकिन 1993 में क्या हुआ था 1993 में दो इलेक्शन कमीशनर और अपॉइंट्स कमीशन है वो एक मल्टी मेंबर बॉडी क्लियर आगे चले आगे चलते हैं अ मल्टी मेंबर इलेक्शन कमीशन इज मोर एप्रोप्रियेट मेंबर इलेक्शन कमीशन होना ज्यादा जरूरी है क्योंकि पावर शेयर हो जाती है काम बढ़ जाता है है ना और इस वजह से बहुत स्मूथली काम कर सकते हैं सारे के सारे इलेक्शन कमीशर्स मिलकर द चीफ इलेक्शन कमीशनर प्रिसा इड्स ओवर द इलेक्शन कमीशन बट डज नॉट हैव मोर पावर्स देन द अदर इलेक्शन कमिश्नर्स तो ये क्या बोल रहा है कि जो चीफ इलेक्शन कमिश्नर होता होता है वो हेड होता है या प्रिसा इड करता है इलेक्शन कमीशन पे ठीक है लेकिन इसके पास ज्यादा पावर्स नहीं है एज कंपेयर टू इलेक्शन कमिश्नर्स सबके पास पावर्स सेम है आगे आते हैं द चीफ इलेक्शन कमिश्नर एंड द टू इलेक्शन कमिश्नर्स हैव इक्वल पावर्स टू टेक ऑल डिसीजंस रिलेटिंग टू रिलेटेड टू इलेक्शंस एज अ कलेक्टिव बॉडी और ये क्या बोल रहा है सबके पास पावर्स जो है वो क्या है एकदम 100% सेम है चाहे वो इलेक्शन कमिशनर हो चाहे उसके नीचे जो दो काम करने वाले चीफ इलेक्शन कमिशनर हो चाहे वो इले चीफ इलेक्शन चाहे वो चीफ इलेक्शन कमिश्नर हो चाहे वो इलेक्शन कमिशनर हो ठीक है सबके पास पावर्स क्या है इक्वली डिवाइडेड है और तीनों की तीनों डिसीजंस ले सकते हैं दे आर अपॉइंटेड बाय द प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया ऑन द एडवाइस ऑफ द काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स कौन अपॉइंट्स कमिशनर को और चीफ इलेक्शन कमिशनर को तो अपॉइंटमेंट तो करता है इसका प्रेसिडेंट सर प्रेसिडेंट को कौन बताता है कि भैया किस बंदे को इलेक्शन कमिशनर बनाया जाए और किस बंदे को इलेक्शन कमिशनर ना बनाया जाए तो वो बो बोलता है कौन वो बोलता है काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स सर काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स मतलब काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स का मतलब मंत्रिमंडल ठीक है और काउंसिल ऑफ मिनिस्टर्स का हेड कौन होता है प्राइम मिनिस्टर तो प्राइम मिनिस्टर बताएगा प्रेसिडेंट को कि किस बंदे को अपॉइंटमेंट उसी बंदे को अपॉइंट्स ूश इंश्योर्स द सिक्योरिटी ऑफ द टेनर ऑफ चीफ इलेक्शन कमिशनर एंड इलेक्शन कमीशर्स दे आर अपॉइंटेड फॉर अ सिक्स ईयर टर्म और कंटिन्यूज टिल द एज ऑफ 65 व्हिच एवर इज अयर अब देखो जरा सर अगर ये लोग क्या कर रहे हैं इलेक्शन कमीशन इलेक्शन कमिश्नर बन रहा है या चीफ इलेक्शन कमीशनर बन रहा है तो इनकी इनका टाइम पीरियड कितना है जैसे प्राइम मिनिस्टर 5 साल के लिए आता है प्रेसिडेंट 5 साल के लिए आता है वाइस प्रेसिडेंट 5 साल के लिए आता है चीफ इलेक्शन कमिश्नर कितने साल के लिए चीफ इलेक्शन कमिश्नर बनेगा ये इलेक्शन कमिश्नर जो है वो कितने साल के लिए इलेक्शन कमिश्नर की तरह काम करेगा तो 6 साल का टाइम पीरियड होता है इन लोगों का कितने साल का 6 साल का लेकिन अगर कोई बंदा 62 इयर्स की एज में क्या बन रहा है 62 इयर्स की एज में इलेक्शन कमिश्नर या चीफ इलेक्शन कमिश्नर बन रहा है तो इनका टाइम पीरियड 65 इयर्स तक ही रहेगा ठीक है यानी कि या तो 6 साल के लिए बन जाओ या फिर 65 इयर्स की एज तक बन जाओ ठीक है जो भी जल्दी होगा अगर एज जल्दी कंप्लीट हो रही है तो रिटायर होना पड़ेगा ठीक है 50 साल का है तो 56 साल तक काम करेगा ठीक है तो इनका टाइम पीरियड होता है सिक्स इयर्स का कितने साल का 6 साल का टाइम पीरियड होता है लेकिन अगर 65 इयर्स के हो जाते तो रिटायर डन है डन डन डन एकदम द चीफ इलेक्शन कमिश्नर कैन बी रिमूव्ड बिफोर द एक्सपायरी ऑफ द टर्म बाय द प्रेसिडेंट इफ बोथ हाउसेस ऑफ द पार्लियामेंट मेक सच अ रिकमेंडेशन विद द स्पेशल मेजॉरिटी ये बोल रहा है कि क्या सर चीफ इलेक्शन कमिश्नर को या इलेक्शन कमिशनर को निकाला भी जा सकता है हां निकाला भी जा सकता है सर कैसे निकालेंगे अगर लोकसभा राज्यसभा दोनों के दोनों स्पेशल मेजॉरिटी से बिल पास कर दे कि भैया ये जो इलेक्शन कमीशनर है या चीफ इलेक्शन कमीशनर है इलेक्शंस में गड़बड़ी कर रहा है ठीक है और अगर लोकसभा के 2 थर्ड मेंबर्स यानी कि 67 पर लोग बोल दे कि भैया हम एग्री करते हैं तो राज्यसभा के पास चला जाएगा ये वाला मोशन राज्यसभा के 2 थर्ड मेंबर या 67 पर लोग कह दे कि भैया हमें भी लगता है कि ये गड़बड़ी कर रहा है मेंबर फिर प्रेसिडेंट के पास जाएगा और प्रेसिडेंट अगर उसके ऊपर साइन कर देता है एसेंट दे देता है अपना ठीक है तो क्या कर दिया जाएगा इस बंदे को हटा दिया जाएगा किसी और नए बंदे को क्लियर दिस इज डन टू एश्योर दैट रूलिंग पार्टी कैन नॉट रिमूव अ चीफ इलेक्शन कमिशनर हु रिफ्यूज टू फेवर इट इन द इलेक्शन और यह क्या बोल रहा है ऐसा क्यों किया जाता है क्यों इलेक्शन कमिश्नर को निकालने का प्रोविजन भी है इस वजह से क्योंकि इसको अपॉइंट्स ऑफ मिनिस्टर्स किसका बनता है रूलिंग पार्टी का बनता है ठीक है लेकिन ये अगर रूलिंग पार्टी कोई फेवर करने लग गया तो गड़बड़ हो जाएगी हा कि ना तो क्या बोल रही है सिर्फ और सिर्फ मेजॉरिटी नहीं चाहिए अगर स्पेशल मेजॉरिटी स्पेशल मेजॉरिटी है तो स्पेशल मेजॉरिटी से ही इसको क्या करा जा सकता है निकाला जा सकता है वरना निकाला नहीं जा सकता फंक्शन ऑफ द इलेक्शन कमीशन क्या क्या फंक्शन है इनके सुपरवाइज द प्रिपरेशन ऑफ अप टू डेट वोटर्स लिस्ट क्या करते वोटर्स लिस्ट बनाते हैं मतलब क्या अगर तुम लोग एलिजिबल हो वोट देने के लिए तो तुम्हारा नाम वोटिंग लिस्ट में आ जाएगा तुम्हारा वोटिंग कार्ड वगैरह बनाया जाएगा ठीक है तो वो काम किसका है इलेक्शन कमीशन का काम है मेक्स एवरी फ टू इंश्योर दैट द वोटर्स लिस्ट इज फ्री ऑफ एरर्स लाइक नॉन एक्जिस्टेंस ऑफ नेम्स ऑफ रजिस्टर्ड वोटर्स और एक्जिस्टेंस ऑफ नेम्स ऑफ दोज नॉन एलिजिबल और नॉन एसिस्टेंट ठीक है तो ये क्या बोल रहा है कि ये जो वोटर्स लिस्ट बनाई जाती है ये एरर फ्री रखनी है इनको एरर फ्री का मतलब क्या अगर कोई बंदा मर चुका है तो उसका नाम हटा देना है अगर कोई बंदा 18 साल का हो गया तो उसका नाम इंक्लूड करना है है ना उसका वोटिंग कार्ड वगैरह बनाना है ठीक है और अगर कोई बंदा यहां का नहीं है उसका नाम किसमें है इस वोटिंग लिस्ट में तो उसका नाम हटा देना है ठीक है कोई नया बंदा अगर माइग्रेशन करके यहां पर आया है तो उसका नाम क्या करना है वहां के वोटिंग लिस्ट में डालना है तो बहुत काम होते हैं डिटरमाइंस द टाइमिंग ऑफ इलेक्शंस एंड प्रिपेयर्स द इलेक्शन शेड्यूल इलेक्शन का शेड्यूल बना बनाता है और इलेक्शन का टाइम डिसाइड करता है कि इलेक्शन वगैरह कब होने चाहिए किस टाइम पीरियड में होने चाहिए ठीक है द इलेक्शन शेड्यूल इंक्लूड्स द नोटिफिकेशन ऑफ इलेक्शंस इलेक्शन शेड्यूल में क्या-क्या आता है देखो नोटिफिकेशन ऑफ इलेक्शंस कि भैया इलेक्शंस का टाइम पीरियड बता दिया कि भैया नोटिफिकेशन कब आएगा इलेक्शंस का डेट फ्रॉम विच नॉमिनेशन कैन बी फाइड ठीक है तो जो जो बंदा इलेक्शन में खड़े होना चाहता है तो वो बंदा क्या कहते है इंपीच मेंट नहीं कहते ठीक है सुनो ध्यान से मेरी प एक चीज बात सुनो इलेक्शन कमीशनर को निकालने को इंपीच मेंट नहीं कहा जाता है इलेक्शन कमीशनर के निकालने को रिमूवल ही कहा जाएगा इंपीच मेंट का वर्ड हम लोग सिर्फ और सिर्फ यूज करते हैं प्रेसिडेंट के लिए ठीक है ध्यान सुनो द इलेक्शन शेड्यूल इलेक्शन शेड्यूल में क्याक आता है एक तो आता है कि भैया नोटिफिकेशन इलेक्शन होने वाले सबको बता दिया नॉमिनेशन फाइल करने का टाइम पीरियड नॉमिनेशन फाइल करने का टाइम पीरियड मतलब क्या जैसे फॉर एग्जांपल मुझे क्या करना है इलेक्शन लड़ना है तो मैं क्या करूंगा इलेक्शन कमीशन के ऑफिस में जाऊंगा और नॉमिनेशन फॉर्म फिल करूंगा तो उसका टाइम पीरियड देता है कि भैया इस टाइम से इस टाइम पीरियड तक नॉमिनेशन फाइल हो सकता है उसके बाद नॉमिनेशन नहीं लिया जाएगा तुम लास्ट डेट फॉर फाइलिंग नॉमिनेशंस लास्ट डेट दी जाती है नॉमिनेशन की लास्ट डेट फॉर स्क्रूटनी स्क्रूटनी का मतलब क्या है चेकिंग जांच करना ठीक है अब जो भी बंदा इलेक्शन में खड़ा हो रहा है उसकी हर एक चीज की जांच होती है कि भैया केसेस वगैरह कितने हैं इसके ऊपर क्रिमिनल केसेस वगैरह कितने हैं ठीक है इसकी संपत्ति कितनी है शादी हुई नहीं हुई है मेल है फीमेल है सब चीजों की जाच होती है तो स्क्रूटनी लास्ट डेट फॉर स्क्रूटनी लास्ट डेट ऑफ विड्रॉल अगर किसी को अपना नाम वापस लेना है इलेक्शन में नहीं खड़ा होना है तो विड्रॉल की डेट भी देता है डेट ऑफ पोलिंग इलेक्शन की डेट कि भैया किस दिन इलेक्शन होने वाले एंड डेट ऑफ काउंटिंग किस दिन वोट गिने जाएंगे एंड डिक्लेरेशन ऑफ रिजल्ट्स तो यह सारा के सारा काम इलेक्शन शेड्यूल में आता है और यह सारा के सारा काम कौन करता है इलेक्शन कमीशन करता है ठीक है चलो आगे आते हैं ड्यूरिंग दिस ए र प्रोसेस द इलेक्शन कमीशन हैज द पावर टू टेक डिसीजन टू एश्योर अ फ्री एंड फेयर पल ठीक है और इस सारे टाइम पीरियड में फ्री एंड फेयर इलेक्शन करवाने के लिए सारे के सारे डिसीजन किसके होंगे इलेक्शन कमीशन के होंगे समझ में आ रहा कि नहीं अगर इलेक्शन कमीशन को लग रहा है कि कहीं पर गड़बड़ी हुई है किसी भी पोलिंग बूथ में तो वहां के इलेक्शन खत्म करवा देगा किसी कोई और डेट देगा वहां पर इलेक्शन करवाने की क्लियर है कैन पोस्टपोन और कैंसल द इलेक्शन इन द एंटायस पेसिफिक स्टेट और कंसीट ऑन द ग्राउंड्स दैट द एटमॉस्फियर इज वायलेट एंड देयर फोर अ फ्री एंड फेयर इलेक्शन मे नॉट बी पॉसिबल और अगर इसको लगता है कि कहीं पर गड़बड़ी हो रही है पूरे के पूरे इंडिया में ही गड़बड़ी हो रही है किसी स्टेट में गड़बड़ी हो रही है या किसी कांस्टीट्यूएंसी में गड़बड़ी हो रही है या किसी पोलिंग बूथ प गड़बड़ी हो रही है तो वहां के इलेक्शंस ये कैंसिल करवा सकता है और कोई और डेट देगा फिर उसको वहां पर इलेक्शंस करवाने के लिए द कमीशन आल्सो इंप्लीमेंट्स अ मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट फॉर पार्टीज एंड कैंडिडेट्स कमीशन क्या करता है मॉडल कोंड ऑफ क कंडक्ट देता है क्या मॉडल कोंड ऑफ कंडक्ट कि भैया तुम लोग इलेक्शन कैंपेनिंग करोगे जाके भाषण वगैरह दोगे तो भड़काऊ भाषण नहीं देना है ऐसे भाषण नहीं देना है कि दंगे हो जाए समझ में आ रहा है कि नहीं आ रहा ठीक है तो मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट देता है ये मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट मतलब इलेक्शन के टाइम पीरियड में तुम लोगों को किस तरीके से बिहेव करना है वो सारे के सारे कैंडिडेट्स को बता देता है आचार संहिता ठीक है इट कैन ऑर्डर अ रिपोल इन अ स्पेसिफिक कंसीट एंसी क्या कर सकता है इसको लगता है कि कहीं पर गड़बड़ी हो रही है ठीक है वोटों में ऊपर नीचे हुआ है कुछ ना कुछ तो रीइलेक्शन भी करवा सकता है इट कैन आल्सो ऑर्डर अ रिकाउंट ऑफ वोट्स व्हेन इट फील्स दैट द काउंटिंग प्रोसेस हैज नॉट बीन फुल्ली फेयर एंड जस्ट रिकाउंटिंग ऑफ वोट्स भी करवा सकता है वोटों में क्या हो गया वोट काउंट कर लिए गए लेकिन लग रहा है कि भैया काउंटिंग में कुछ ना कुछ गलती रही गई है तो क्या कर सकता है दोबारा से वोटिंग करवा सकता है द इलेक्शन कमीशन एकॉर्ड्स रिकॉग्निशन टू पॉलिटिकल पार्टीज एंड अलॉट सिंबल्स टू ईच ऑफ देम पॉलिटिकल पार्टी को रिकॉग्नाइज करता है ये रिकॉग्नाइज करने का मतलब क्या कि भैया कौन सी पॉलिटिकल पार्टी क्या है छोटी पॉलिटिकल पार्टी है मतलब क्या रीजनल पार्टी कौन सी है स्टेट पार्टी कौन सी है नेशनल पार्टी कौन सी है है ना किस बेसिस पे ऑन द बेसिस ऑफ कि कितने परसेंटेज ऑफ वोट्स उनको मिलते कितने परसेंटेज ऑफ सीट्स उनके पास है लेजिस्लेटिव असेंबली में और पार्लियामेंट में और उस बेसिस प ही क्या होता है उस बेसिस पर ही क्या नेशनल पार्टी का दर्जा या स्टेट पार्टी का दर्जा मिलता है और उसके साथ साथ क्या बोल रहा है सिंबल्स भी देता है ठीक है तो अगर तुम्हें इलेक्शन में लड़ना है तो तुम्हें क्या कर करवाया जाएगा एक स्पेशल सिंबल दिया जाएगा तो कांग्रेस का हाथ है ठीक है या नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की घड़ी या बहुजन समाज पार्टी की क्या है हा हाथी है समाजवादी पार्टी का साइकल है या भारतीय जनता पार्टी का कमल का फूल है ठीक है तो यह सारे के सारे सिंबल्स किसने दिए उसको ये सारे के सारे सिंबल्स दिए है इलेक्शन कमीशन समझ में आया कि नहीं क्लियर है क्या स्पेशल मेजॉरिटी स्पेशल मेजॉरिटी मींस टू थर्ड मेजॉरिटी ऑफ दोस प्रेजेंट एंड वोटिंग पता है हम लोगों को हम लोग किया है इसको कई बार ू थड मेजॉरिटी को स्पेशल मेजॉरिटी बोला जाता है सर किसकी टूथड मेजॉरिटी जितने भी लोग प्रेजेंट है उस टाइम पीरियड में उसका ठड मेजॉरिटी चाहिए होती है एंड सिंपल मेजॉरिटी ऑफ द टोटल मेंबर्स ऑफ द हाउस ठीक है सि स्पेशल मेजॉरिटी का मतलब क्या होता है स्पेशल मेजॉरिटी का मतलब होता है कि मान लो कि 100 जन है 100 जने प्रेजेंट है तो 100 जनों में से 23 कितने हो जाएंगे 67 बंदा इसको बोलते हैं अपन स्पेशल मेजॉरिटी और टोटल मेंबर ऑफ हाउस का क्या होना चाहिए 50 पर भी होना चाहिए तो इसी में वो काउंट हो जाता है ठीक है आगे आते हैं सजेशंस फॉर इलेक्टोरल रिफॉर्म तो इलेक्टोरल रिफॉर्म्स के लिए भी बहुत सारे सजेशन सजेशंस आते हैं आवर सिस्टम ऑफ इलेक्शन शुड बी चेंज फ्रॉम द एफपीटीपी टू सम वेरिएंट ऑफ द पीआर सिस्टम तो कई बार सजेशंस आते हैं कि हमारा जो सिस्टम है किस चीज का एफपीटीपी वाला सिस्टम इसको चेंज करके पीआर सिस्टम करा जाए या कुछ ना कुछ पीआर सिस्टम का अ चीजें जो है वो इंक्लूड करवा दिया जाए तो इस चीज के भी क्या आते हैं सजेशंस आते हैं कि हमारे इलेक्शन सिस्टम चेंज होना चाहिए दिस वुड एश्योर दैट द पार्टीज गेट सीट एस फार एस पॉसिबल इन प्रोपोर्शन टू द वोट वोट्स दे गेट इससे क्या फायदा होगा कि जितने परसेंटेज ऑफ वोट्स मिलेंगे पार्टीज को उतने परसेंटेज ऑफ सीट्स भी उनको मिलेंगे पार्लियामेंट में या लेजिसलेटिव असेंबली में देयर शुड बी अ स्पेशल प्रोविजन टू इंश्योर दैट एटलीस्ट वन थर्ड वमन आर इलेक्टेड टू द पार्लियामेंट एंड असेंबलीज और ये भी सच जशन आते हैं कि भैया औरतों के लिए जो कि 50 पर ऑफ द ऑलमोस्ट 50 पर ऑफ द पॉपुलेशन है उनको भी क्या करें उनको भी जगह मिले कहां पर पार्लियामेंट में कम से कम 33 पर औरतें बैठे पार्लियामेंट में इस चीज के भी सजेशंस आते और म महिला एरक्शन बिल आप लोग ने देखा होगा वो इसीलिए आया था देयर शुड बी स्ट्रिक्ट स्ट्रिक्टर प्रोविजंस टू कंट्रोल द रोल ऑफ मनी इन इलेक्टोरल पॉलिटिक्स है ना इलेक्शंस के टाइम पीरियड में पैसा बहुत ज्यादा मैटर करता है बहुत ज्यादा पैसा लगाया जाता है है ना इवन सरपंच के इलेक्शंस में भी लाखों रुपए लगाया जाता है ठीक है तो इस चीज को भी क्या करना चाहिए इस चीज को भी कंट्रोल करने की सजेशंस आते हैं द इलेक्शंस एक्सपेंसेस शुड बी पेड बाय द गवर्नमेंट आउट ऑफ अ स्पेशल फंड और ये बोल रहा है कि इलेक्शन में जो पैसा खर्च होता है वो पैसा किसने खर्च करना चाहिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया खर्च करे उसको एक स्पेशल फंड बनाकर ठीक है तो इस चीज के भी क्या आते हैं इस चीज के भी सजेशंस आते हैं कितना बचा यार ये ठीक है खत्म ही हो गया देखिए क्या बता रहा है कैंडिडेट्स विद एनी क्रिमिनल केसेस देखो सजेशंस और क्या आ रहे है कैंडिडेट विद एनी क्रिमिनल केसेस शुड बी बर्ड फ्रॉम कंटेस्टिंग इलेक्शन इवन इफ देर अपील इज पेंडिंग बिफोर द कोर्ट ये भी बोला जाता है कि अगर किसी के ऊपर छोटा सा भी क्रिमिनल केस हो गया तो उसको क्या करना चाहिए बैन करना चाहिए कि भैया तुम लोग इलेक्शन सब नहीं लड़ सकते दे शुड बी कंप्लीट बैन ऑन द यूज ऑफ कास्ट एंड रिलीजस अपील्स इन द कैंपेन और यह भी बोला जाता है कि भैया कास्ट पॉलिटिक्स और रिलीजन के बेस पे पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए यह वाला भी सजेशंस आते रहते हैं देयर शुड बी अ लॉ टू रेगुलेट द फंक्शनिंग ऑफ पॉलिटिकल पार्टीज एंड टू एं श्योर दैट दे फंक्शन इन अ ट्रांसपेरेंट एंड डेमोक्रेटिक मैनर और पॉलिटिकल पार्टीज को रेगुलेट करने के लिए भी क्या आने चाहिए लॉज आने चाहिए ठीक है और क्या अ देश को तोड़ने वाली जो पॉलिटिक्स होती है वो सारी की सारी पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए ऐसे ऐसे सजे आते रहते हैं और यहां पर हमारा यह वाला चैप्टर समाप्त होता है ठीक है चलो आई होप आप लोगों ने क्या करा आप लोगों ने बहुत एंजॉय करा होगा इस चैप्टर को ठीक है अगर एंजॉय किया है तो इसको लाइक करिए शेयर करिए अपने दोस्तों को दिखाइए मुझे दिखाइए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत सारा प्यार और ऐसे इंपोर्टेंट इंपोर्टेंट लेक्चर लेकर टॉपिक्स लेकर मैं मोहिन पठान आप लोगों के सामने रोज बरोज बरोज आता रहूंगा तब तक के लिए मोहिन पठान आप सबसे कहता है जय हिंद है