जब हम मनोविज्ञान पढ़ते हैं, तो एक सवाल ये आता है कि "अगर ये व्यक्ति ऐसा है, तो क्यों है?"
अध्याय का उद्देश्य
इस अध्याय में जानेंगे कि जीवन भर (conceive से लेकर death तक) व्यक्ति के जीवन में कौन-कौन से घटनाएं, परिस्थितियां और स्थितियां आती हैं जो उसे बनाती हैं।
विचार प्रक्रिया, व्यवहार, संज्ञानात्मक, सामाजिक और भावनात्मक गतिविधियों में बदलाव और स्थिरता के तत्वों पर ध्यान दिया जाएगा।
विकास क्या है?
विकास को केवल वृद्धि नहीं माना जाता। यह तब शुरू होता है जब बच्चा गर्भ में होता है और जीवन के अंत तक जारी रहता है।
विकास एक क्रमिक, क्रमबद्ध और पूर्वानुमानित परिवर्तन का पैटर्न है।
विकास तीन आयामों में होता है: biological, cognitive, socio-emotional।
विकास के तीन आयाम
Biological Development (जीवविज्ञान विकास)
शारीरिक विकास, बचपन से बुढ़ापे तक।
Cognitive Development (संज्ञानात्मक विकास)
सोचने और समझने की क्षमता का विकास।
उम्र बढ़ने के साथ याददाश्त में कमी।
Socio-emotional Development (सामाजिक-भावनात्मक विकास)
भावनाओं और सामाजिक व्यवहार का विकास।
जीवनकाल परिप्रेक्ष्य (Lifespan Perspective)
विकास के सिद्धांत
विकास जीवनभर होता है।
विकास के तीन आयाम (biological, cognitive, socio-emotional) एक साथ काम करते हैं।
विकास बहुपरक है (multidirectional)।
ऐतिहासिक स्थिति का विकास पर प्रभाव पड़ता है।
विकास कई अनुशासनों से संबंधित है (psychology, anthropology, neuroscience)।
व्यक्तिगत संदर्भ में विकास के प्रभाव।
विकास को प्रभावित करने वाले कारक
स्थायी कारक
माता-पिता के जीन (genetic structure) स्थायी होते हैं और विकास को प्रभावित करते हैं।
परिवर्तनीय कारक
पर्यावरण के अनुसार विभिन्न कारक विकास को प्रभावित करते हैं।
सामाजिक स्थिति और व्यक्तिगत अनुभव भी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उदाहरण
एक बच्चे का विकास उस वातावरण पर निर्भर करता है जिसमें वह बड़ा होता है।
जैसे:
प्यार करने वाली शादी बनाम अरेंज्ड मैरिज।
अलग-अलग सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले बच्चे।
निष्कर्ष
विकास एक जटिल प्रक्रिया है जो व्यक्तियों के अनुभव, उनके जीन और उनके परिवेश पर निर्भर करती है।
सभी तत्व एक साथ मिलकर व्यक्तित्व और व्यवहार का निर्माण करते हैं।