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माइक्रोब्स एंड ह्यूमन वेलफेयर

माइक्रोब्स कॉज मेनी डिसीसेस इन प्लांट्स एंड एनिमल्स बट इसका यह मतलब नहीं कि सारे माइक्रोब्स बुरे होते हैं कुछ माइक्रोब्स अच्छे भी होते हैं एंड दैट इज व्हाट वी टॉक अबाउट इन माइक्रोब्स एंड ह्यूमन वेलफेयर हेलो एवरीवन मुझे उम्मीद है कि आप सभी अच्छे हैं और आज मैं लेकर आई हूं क्लास 12थ बायोलॉजी माइक्रोब्स एंड ह्यूमन वेलफेयर का वन शॉर्ट वीडियो हमेशा की तरह खत्म करेंगे इस पूरे लेसन को सिर्फ एक वीडियो में और हमेशा की तरह इस एक वीडियो को देखने के बाद आपके कॉन्सेप्ट्स होंगे क्रिस्टल क्लियर तो मैं हूं रोशनी फलान द फ्री लर्निंग प्लेटफॉर्म जहां पर आप पढ़ सकते हो फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ्स बायोलॉजी सब कुछ एब्सलूट फॉर फ्री ओनली ट learn.com तैयार है सभी लोग तैयार ही होंगे लेट्स गेट स्टार्टेड माइक्रोब्स बहुत वैरायटी ऑफ शेप्स और साइजेस में पाए जाते हैं बैक्टीरिया को ही ले लो कभी तो रॉड शेप्ड होते हैं और कभी स्फेरिकल इस बैक्टीरियोफेज को ही देख लो या फिर इस टोबैको मोजिक वायरस को ही देख लो ये सभी माइक्रोब काफी डिफरेंट है इन टर्म्स ऑफ देयर शेप्स एंड साइजेस अगर हम इनकी डाइवर्सिटी की की बात करें इन टर्म्स ऑफ ये कहां पाए जाते हैं तो वैसे भी ये माइक्रोब्स बहुत ज्यादा डावर्स होते हैं सोइल में भी पाए जाते हैं वाटर में भी पाए जाते हैं एयर में भी पाए जाते हैं इतना ही नहीं प्लांट्स के अंदर और एनिमल्स के अंदर भी पाए जाते हैं इनफैक्ट हमारे ह्यूमन बॉडी के अंदर भी बहुत से माइक्रोब्स पाए जाते हैं तो मैम आप तो बता रहे थे कि माइक्रोब्स जो हैं वो हमारे काम आते हैं तो कौन से एरियाज में ये हमारे काम आते हैं चलो देखते हैं वेल एक्चुअली एक नहीं है एक से कई क ज्यादा अनेक एरियाज में माइक्रोब्स एक्चुअली हमारे लिए यूजफुल होते हैं जैसे कि यह कई सारे हाउसहोल्ड प्रोडक्ट्स बनाने के काम आते हैं जैसे कर्ड चीज बेकरी आइटम्स इसके अलावा बहुत से इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स बनाने के भी यह काम आते हैं जैसे कि बेवरेजेस एंटीबायोटिक्स एंजाइम्स एसिड्स इसके अलावा सवेज ट्रीटमेंट में काम आता है बायोगैस प्रोडक्शन में काम आता है बायो फर्टिलाइजर्स की तरह यूज होता है और टेस्ट्स और डिजीसस को कंट्रोल करने में भी काम आता है तो देख रहे हो कितने वैरायटी ऑफ एप्लीकेशंस है जो हमारे लिए यूजफुल है तो एक-एक करके इन्हीं एप्लीकेशंस को हम लोग डिटेल में डिस्कस करेंगे तो बच्चों सबसे पहले डिस्कस करेंगे माइक्रोब्स एंड हाउसहोल्ड प्रोडक्ट्स जिसके अंदर हम तीन प्रोडक्ट्स डिस्कस करेंगे पहला कर्ड दूसरा चीज और तीसरा बेकरी आइटम्स कर्ड में पाया जाता है एक बैक्टीरिया लैक्टोबैसिलस लैक्टोबैसिलस एक बहुत ही फ्रेंडली बैक्टीरिया है यस यानी कि ये हमें किसी भी तरीके से कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है बल्कि यह हमारे लिए बहुत-बहुत फायदेमंद होता है कैसे देखो ये जो बैक्टीरिया होता है ये हमारे बॉडी के अंदर फूड के ब्रेकडाउन में मदद करता है न्यूट्रिएंट्स के अब्जॉर्प्शन में मदद करता है साथ ही साथ डायरिया जैसी बीमारी को ट्रीट करता है या प्रिवेंट करता है तो है ना ये वाकई में एक फ्रेंडली बैक्टीरिया तो बच्चों अब थोड़ा सा टाइम स्पेंड करेंगे हम लोग टू अंडरस्टैंड द प्रोसेस ऑफ कर्डलिंग ऑफ मिल्क यानी कि दूध से दही बनाने के प्रोसेस को समझने में थोड़ा टाइम स्पेंड करना तो बनता है क्या आप लोगों ने कभी दही बनाया है घर में या फिर घर में किसी एल्डर को दही जमाते हुए देखा है अगर देखा है बहुत बढ़िया अगर नहीं देखा है तो आज आप खुद दही जमाने की ट्राई कर सकते हो ज्यादा कुछ भी नहीं करना है एक कटोरे में दूध ले लो उसे हल्का सा वार्म कर लो उसमें एक चम्मच के करीब दही डाल दो और उसके बाद उसे अच्छे से मिला के ओवरनाइट रेस्ट करने के लिए छोड़ दो सुबह जब आप उठोगे तो आप देखोगे एक अच्छी खासी सेट दही जम चुकी है ठीक है तो अब होता क्या है इस प्रोसेस के दौरान ओके तो देखो ये जो एक चम्मच दही हम डालते हैं अभी-अभी मैंने बताया दही यानी कि कर्ड में पाया जाता है लैक्टोबैसिलस राइट तो जब दूध की उस कटोरी में हम एक चम्मच दही डालते हैं तो बेसिकली उस पूरे कटोरे के अंदर एंट्री हो जाती है लैक्टोबैसिलस की लैक्टोबैसिलस क्या करता है दूध में जो शुगर पाया जाता है आप लोगों से फटाफट रैपिड फायर क्वेश्चन है दूध में जो शुगर पाया जा जाता है उसे हम क्या कहते हैं लैक्टोज एब्सलूट करेक्ट तो ये जो लैक्टोबैसिलस होता है ये दूध में पाए जाने वाले लैक्टोज को कन्वर्ट कर देता है इनटू लैक्टिक एसिड अब हम सभी को पता है जहां पर एसिड आ जाता है वहां पर टेस्ट क्या हो जाता है सार हो जाता है खट्टा हो जाता है राइट इसी वजह से दही का टेस्ट कैसा होता है खट्टा होता है लैक्टिक एसिड की वजह से ओके अब एसिडिटी इंक्रीज होने की वजह से ठीक है दूध में पाए जाने वाले जो प्रोटींस होते हैं जिसे हम कहते हैं सीजन ये प्रोटींस जो हैं ये कोएगुरा हैं ये साथ में मिलकर के सॉलिड मासे बना देते हैं इसी वजह से आप देखोगे कि जो दही का जो टेक्सचर होता है जो कंसिस्टेंसी होती है वो बिल्कुल लिक्विड नहीं होता है और बिल्कुल हार्ड सॉलिड भी नहीं होता है लेकिन दही के अंदर आपको यू नो ऐसे थोड़ा सा सॉलिड मासे दिखता है राइट ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे आपको सॉलिड मासेज दिखते हैं करेक्ट तो वो इस वजह से होता है ठीक है तो समझ में आ गया सभी को कि किस तरीके से लैक्टोबैसिलस तो यानी कि ये दूध से दही बनाने के पूरे प्रोसेस में हीरो कौन था लैक्टोबैसिलस क्योंकि लैक्टोबैसिलस ने ही तो लैक्टिक एसिड बनाई और लैक्टिक एसिड की वजह से दही में खट्टापन आया लैक्टिक एसिड बनने की वजह से ही दही में ये सॉलिड मासेज आए तो बेसिकली दूध से दही बनाने में काम आता है लैक्टोबैसिलस और दही हमारे लिए बहुत यूज़फुल होता है तो अब बात करेंगे हम लोग बेकिंग की या फिर बेकरी प्रोडक्ट्स बनाने की प्रोसेस को तो बेकिंग में यीस्ट को यूज किया जाता है एज अ रेजिंग एजेंट ओके यस्ट एक अगेन अ माइक्रोब है जो कॉमनली यूज्ड यस्ट होता है दैट इज सकमा इसिस सेरेव स तो यस्ट का काम क्या होता है ये डो को राइज करता है आपने देखा होगा चाहे कोई केक बना रहा हो या बिस्किट्स बेक कर रहा हो या फिर यू नो पिज्जा का बेस बना रहा हो या ब्रेड बना रहा हो इस तरह के बेकरी आइटम्स बनाने के लिए एक डो तैयार किया जाता है राइट और इस डो में यीस्ट को मिलाया जाता है ठीक है होता क्या है अब उस डो में आटा मैदा जो भी होता है उसकी वजह से उसमें कार्बोहाइड्रेट होता है यीस्ट क्या करता है उस कार्बोहाइड्रेट को कार्बन डाइऑक्साइड में कन्वर्ट कर देता है co2 बनाता है अब ये co2 गैस जो होता है ये डो के अंदर ट्रैप हो जाता है और इसके ट्रैप हो जाने की वजह से जो डो है वो राइज हो जाता है वो फूल जाता है तो आपने देखा होगा अगर कभी आपने देखा है अ जैसे कोई घर पे अगर ब्रेड बना रहा हो या पिज़्ज़ा का बेस बना रहा हो तो पहले एक डो बनाया जाता है उसमें यीस्ट ऐड किया जाता है फिर उसे कुछ देर तक छोड़ दिया जाता है और कुछ देर के बाद आप देखोगे कि वो डो काफी फूल जाता है राइट तो ये जो फ्लफीनेस आती है ये जो राइज हो जाता है डो दैट इज बिकॉज़ ऑफ ईस्ट और उसके बाद जब उसे बेक किया जाता है तो ईस्ट मर जाता है द ईस्ट डाइज एंड व्हाट वी गेट इज अ सॉफ्ट स्पंजी बेकरी प्रोडक्ट तो इस तरीके से माइक्रोब जो है हमारे बेकिंग के प्रोसेस में मदद करता है बहुत सारे ऐसे फूड आइटम्स होते हैं जो हम लोग रेगुलर बेसिस पे कंज्यूम करते हैं जैसे कि इडली दोसा और आपने देखा होगा कि इडली दोसा का एक बैटर बनता है राइट जिस बैटर को फर्मेंट किया जाता है और इस फर्मेंटेशन के प्रोसेस में भी मदद करते हैं माइक्रोब्स टू बी मोर स्पेसिफिक लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया जिसे हम शॉर्ट फॉर्म में एल एबी भी कहते हैं ये बैक्टीरिया फर्मेंटेशन में मदद करता है तो होता क्या है यह कहां पाया जाता है वेल तो लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया पाया जाता है उरद सीड्स में उरद दाल में उरद दाल आप सभी को पता होगा उरद दाल से ही हम इडली धोसा का बैटर बनाते हैं राइट तो उरद दाल में पाया जाता है लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया आपने देखा होगा कि इडली या धोसा का बैटर जब भी घर में बनाया जाता है सो आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट द रेडीमेड बैटर्स क्योंकि जो रेडीमेड बैटर मिलता है वो ऑलरेडी फर्मेंट किया हुआ होता है लेकिन जब बैटर घर में बनाया जाता है तो उस उड़द दाल को सोक करने के बाद पीसने के बाद जो बैटर बनता है उसको काफी देर तक छोड़ दिया जाता है ताकि उसका फर्मेंटेशन हो सके फर्मेंटेशन करता कौन है उरद दाल में पाए जाने वाले लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया अब यह बैक्टीरिया क्या करते हैं फर्मेंटेशन के दौरान यह बनाते हैं लैक्टिक एसिड और साथ में कार्बन डाइऑक्साइड लैक्टिक एसिड के बनने से बैटर में एक खटास आती है एक सार टेस्ट होता है और कार्बन डाइऑक्साइड के बनने की वजह से आप देखते होगे कि जो बैटर है कुछ देर रखने के बाद वो थोड़ा फूल जाता है थोड़ा राइज हो जाता है दैट इज बिकॉज़ ऑफ कार्बन डाइऑक्साइड तो इस तरीके से हम देखते हैं कि माइक्रोब्स जो हैं वो हमारे इस तरह के फूड आइटम्स के बैटर बनाने में भी काम आते हैं अब बात करेंगे हम चीज के बारे में चीज जिसे हम पिज़्ज़ा बर्गर सैंडविच और भी बहुत सारे आइटम्स में काफी फ्रीक्वेंसी को भी हम मिल्क से बनाते हैं और कैसे बनाते हैं जब मिल्क में हम एक स्टार्टर ऐड करते हैं स्टार्टर मतलब छोटे से स्मॉल क्वांटिटी में जब हम थोड़ा सा लेमन जूस या फिर विनेगर ऐड करते हैं तो मिल्क जो है वो दो पोर्शन में डिवाइड हो जाता जाता है मिल्क में से एक बन जाता है सॉलिड कर्ड दूसरा बन जाता है लिक्विड वे सॉलिड कर्ड जो थोड़ा सा सॉलिड वाला पोर्शन होता है और जो लिक्विड पोर्शन होता है दैट इज लाइक थोड़ा सा ट्रांसलूसेंट सा लिक्विड बेसिकली द लेफ्ट ओवर मिल्क का पोर्शन वो लिक्विड होता है बट पूरा एकदम अ वाटरी लिक्विड नहीं होता है थोड़ा सा ट्रांसलूसेंट टाइप का होता है उसे हम कहते हैं लिक्विड वे अब ये जो सॉलिड कर्ड वाला पोर्शन होता है इसमें से पानी हटा के बनता है चीज तो अब चीज दो टाइप के बनते हैं सॉफ्ट चीज हार्ड चीज अगर इसमें से कम क्वांटिटी में पानी हटाया जाता है तो सॉफ्ट चीज बनता है अगर ज्यादा क्वांटिटी में पानी हटा दिया जाता है तो बनता है हार्ड चीज अब इस प्रोसेस के दौरान मतलब यह जो चीज बनने का जो प्रोसेस है इस प्रोसेस के दौरान बहुत सारे टाइप ऑफ बैक्टीरिया इवॉल्वड होते हैं जैसे फॉर एग्जांपल एक टाइप ऑफ बैक्टीरिया होता है मिजोफेड बैक्टीरिया मिजोफेड बैक्टीरिया यह ऐसे बैक्टीरिया हैं जो लो ट टेंपरेचर्स में सरवाइव कर सकते हैं तो इस तरह के बैक्टीरिया जो है ये सॉफ्ट चीज बनाने के काम आते हैं क्यों क्योंकि सॉफ्ट चीज बनाने के लिए हमें वो जो सॉलिड कर्ड है उसमें से ज्यादा पानी हटाने की जरूरत नहीं है यानी कि बहुत ज्यादा टेंपरेचर तक उसे यू नो कुछ भी करने की हमें जरूरत नहीं है तो हमें ऐसी बैक्टीरिया की भी जरूरत नहीं है जो बहुत हाई टेंपरेचर तक सरवाइव करें तो इस वजह से मिजोफेड बैक्टीरिया हेल्प करते हैं टू मेक सॉफ्ट चीज दूसरी तरफ एक दूसरे कैटेगरी की बैक्टीरिया होती है जिसे हम कहते हैं थर्मोफिलस बैक्टीरिया थर्मो मतलब हीट ये ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जो हाई टेंपरेचर्स में सरवाइव कर सकते हैं तो ये बैक्टीरिया मदद करते हैं हमें टू मेक हार्ड चीज आप लोगों ने देखा होगा कि अलग-अलग चीज का अलग-अलग टेस्ट होता है अलग-अलग फ्लेवर होता है एंड यू विल बी सरप्राइज्ड टू नो दैट कि ये जो डिफरेंस होता है इन टेस्ट और फ्लेवर दैट इज ड्यू टू द डिफरेंट टाइप्स ऑफ बैक्टीरिया दैट आर इवॉल्वड इन द प्रोसेस ऑफ मेकिंग अलग-अलग बैक्टीरिया के इवॉल्व होने की वजह से वो अलग-अलग तरीके से बनते हैं और उनमें अलग-अलग फ्लेवर और अलग-अलग टेस्ट होता है तो बच्चा पार्टी अब हम लोग देखने वाले हैं कि माइक्रोब्स किस तरीके से इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स को बनाने के काम आते हैं इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स बोले तो एंटीबायोटिक्स बेवरेजेस एंजाइम्स तो बच्चों एंटीबायोटिक होता क्या है जब भी हमें यू नो अ त हमारी तबीयत खराब होती है बेसिकली जब भी हमें बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है तो एंटीबायोटिक लेने पर वो बिल्कुल ठीक हो जाता है राइट तो यानी कि एंटीबायोटिक कर होता क्या है एंटीबायोटिक बेसिकली डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस को मार डालता है लेकिन एंटीबायोटिक्स के बारे में इंटरेस्टिंग बात तो यह है कि ये कुछ ऐसे केमिकल सब्सटेंसस होते हैं जिनको प्रोड्यूस करते हैं माइक्रोब्स राइट मतलब जो अच्छे वाले माइक्रोब्स हैं वो इन्हें प्रोड्यूज करते हैं और ये बुरे वाले माइक्रोब्स को मार डालते हैं राइट तो यानी कि एंटीबायोटिक्स प्रोड्यूस भी होते हैं फ्रॉम माइक्रोब्स यस तो पहली बार पहला एंटीबायोटिक डिस्कवर किया था एलेग्जेंडर फ्लेमिंग ने और इस पहले एंटीबायोटिक का नाम रखा गया था पेनिसिलिन तो चलो देखें पेनिसिलिन के डिस्कवरी की कहानी तो पेनिसिलिन की जो डिस्कवरी थी बच्चों ये एक चांस डिस्कवरी थी मतलब ये बाय चांस डिस्कवर हो गया था एलेग्जेंडर फ्लेमिंग जो है ये पेनिसिलिन डिस्कवर करने के लिए नहीं एक्सपेरिमेंट कर रहे थे ये तो कुछ और एक्सपेरिमेंट कर रहे थे बट बाय चांस पेनिसिलिन डिस्कवर हो गया ठीक है तो इस तरह के चांस डिस्कवरीज के लिए एक वर्ड यूज़ किया जाता है व्हिच इज सेरें पिटी ओके तो चलो एक नया टर्म पता चल गया इसी बहाने तो भाई एक्चुअली एलेग्जेंडर फ्लेमिंग कर क्या रहे थे तो वो एक्सपेरिमेंट कर रहे थे स्टेफिलोकोक्की के साथ तो उन्होंने एक पेट्री डिश में ओके पहले तो पेट्री डिश क्या होता है ये एक शैलो डिश होता है जो कि थिन ग्लास या फिर प्लास्टिक का बना होता है इसका एक लूज कवर होता है और इसे जनरली यूज किया जाता है फॉर बैक्टीरिया कल्चर ठीक है ओके अच्छा तो अब एलेग्जेंडर फ्लेमिंग जो थे ये एक पेट्री डिश में स्टेफिलोकोक्की के ऊपर एक्सपेरिमेंट कर रहे थे ठीक है तो ओबवियसली बैक्टीरियल ग्रोथ को वो ऑब्जर्व कर रहे थे बैक्टीरिया ग्रो हो रहा था उस पेट्री डिश में एक बार क्या हुआ गलती से एलेग्जेंडर फ्लेमिंग जो है वो उस पेट्री डिश को कवर करना भूल गए तो वो खुला रह गया खुला रह जाने की वजह से उन्होंने क्या नोटिस किया कि उस पेट्री डिश के एक कॉर्नर में मोल्ड ग्रोथ होने लग गया ठीक है अब इंटरेस्टिंग उन्होंने यह देखा कि जिस जगह पर मोल्ड का ग्रोथ था उस जगह पर बैक्टीरियल ग्रोथ नहीं हो रहा था तो इससे उन्होंने यह कंक्लूजन मोल्ड जो है वह कुछ ऐसा अगेन लेट मी टेल यू मोल्ड क्या है यह भी एक माइक्रोब है तो उन्होंने यह कंक्लूजन जो मोल्ड है वह कुछ ऐसा केमिकल रिलीज़ कर रहा है जो बैक्टीरियल ग्रोथ को रोक रहा है जो बैक्टीरियल ग्रोथ को इन्हेबिटिंग एंटीबायोटिक क्या करता है जब भी हमें बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है तो एंटीबायोटिक लेने से हम ठीक हो जाते हैं क्यों क्योंकि एंटीबायोटिक बैक्टीरियल ग्रोथ के अगेंस्ट काम करता है बैक्टीरियल ग्रोथ को रोकता है ठीक है तो इस तरीके से डिस्कवर हुआ पहला एंटीबायोटिक इसका नाम कैसे पड़ा अब यह जो मोल्ड वो यूज कर रहे थे ये इस मोल्ड का नाम था पेनिसिलियम नोटे अपम तो इस मोल्ड के नाम पर ही उन्होंने इस एंटीबायोटिक का नाम रख दिया पेनिसिलिन हालांकि बाद में चलके बहुत सारे डिफरेंट डिफरेंट एंटीबायोटिक्स बनाए गए फ्रॉम डिफरेंट डिफरेंट माइक्रोब्स अगर बात करें हम बेवरेजेस की बेवरेजेस बोले तो मोस्टली अल्कोहलिक ड्रिंक्स इस तरह के ड्रिंक्स को बनाने में भी बहुत ज्यादा काम आता है ईस्ट व्हिच इज अगेन अ माइक्रोब मोस्ट कॉमनली यूज्ड ईस्ट होता है सकमा इसिस सेरेस जी हां ये वही ईस्ट है जो बेकिंग में भी काम आता है ओके तो इसका इस एप्लीकेशन की वजह से इस पर्टिकुलर यीस्ट का सकमा इसिस सेर्विस के इस एप्लीकेशन की वजह से इसे कई बार ब्रूवर्स ईस्ट भी कहा जाता है क्योंकि यह ब्रूइंग में बहुत ज्यादा काम आता है ब्रूइंग इज बेसिकली द प्रोसेस ऑफ प्रोडक्शन ऑफ अल्कोहलिक ड्रिंक तो बच्चों ये जो प्रोसेस होता है जिस प्रोसेस से अल्कोहल का फर्मेंट होता है अल्कोहल फर्मेंट होता है उसे हम कहते हैं अल्कोहलिक फर्मेंटेशन या फिर इथेनॉल फर्मेंटेशन क्योंकि अल्कोहल केमिकल क्या है इथेनॉल ही तो है c2h 5o एगजैक्टली ओके तो जैसा कि मैंने बताया कि इस पूरे प्रोसेस में हेल्प करता है ईस्ट सकमा इसिस रेविस तो ये करता क्या है ये बेसिकली फर्मेंट करता है फ्रूट जूसेक्स को मतलब यीस्ट को फ्रूट जूसेयो ऑफ टाइम यह जूस फर्मेंट होके अल्कोहल बना देता है राइट तो अब केमिकल क्या हो रहा होता है अंदर अब चाहे फ्रूट जूसेयो या फिर मल्ट सीरियल्स हो इसके अंदर पाए जाते हैं शुगर यानी कि ग्लूकोज c6 h12 o6 जब इसका फर्मेंटेशन होता है मतलब यीस्ट इसके ऊपर काम करके इसका फर्मेंटेशन कराता है फर्मेंटेशन मतलब ऑक्सीजन के एब्सेंट में ये बना देता है इथेनॉल व्हिच इज c2h 5o साथ में कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज होता है और ढेर सारी एनर्जी तो ये c2h फ इज नथिंग बट द अल्कोहल तो इस तरीके से अल्कोहलिक फर्मेंटेशन होता है अब इंडस्ट्रियल स्केल में अल्कोहल प्रोड्यूस करने के लिए ये लार्ज स्केल प्रोडक्शन करना पड़ता है राइट तो उस केस में हमें ये जो माइक्रोब है जो यीस्ट है उसका भी लार्ज स्केल प्रोडक्शन चाहिए होता है तो इसके लिए फर्मेंटेशन प्लांस सेट किए जाते हैं जिसके अंदर बड़े-बड़े फर्मेंटर सेटअप किया जाता है तो इस तरीके से ऑन अ लार्जर स्केल यस्ट को अलाउ कर दिया जाता है टू ग्रो ऑन द फ्रूट और द माल्टेड सीरियल्स एंड ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम फर्मेंटेशन टेक्स प्लेस एंड वी गेट द अल्कोहलिक ड्रिंक्स अगर बात करें केमिकल्स की तो हम देखते हैं कि माइक्रोब्स जो हैं ये बहुत सारे यूज़फुल केमिकल्स को प्रोड्यूस करने में भी मदद करते हैं जैसे कि एंजाइम्स ऑर्गेनिक एसिड्स एंड बायो एक्टिव मॉलिक्यूल तो चलो इनको थोड़ा डिटेल में देखते हैं तो बच्चों अब हम लोग देखेंगे कुछ माइक्रोब्स और उनसे बनने वाले कुछ एसिड्स और साथ ही साथ यह भी देखते चलेंगे कि क्या वो एसिड्स वाकई में हमें कुछ कुछ काम आते भी हैं तो सबसे पहले शुरुआत करेंगे विथ लैक्टोबैसिलस द फ्रेंडली बैक्टीरिया जो बनाता है लैक्टिक एसिड और लैक्टिक एसिड पाया जाता है कर्ड में अगला नंबर है एसिडो बैक्टर एसिटा ये माइक्रो बनाता है एसिटिक एसिड और एसिटिक एसिड कहां पाया जाता है बोलो बोलो बोलो बोलो विनेगर में एगजैक्टली अगला नंबर है क्लॉस्ट्रीडियम बेटाइम ये माइक्रोब बनाता है बेटाइजरसी बटर में एगजैक्टली एंड देन वी हैव एस्पर जलस नाइगल यह माइक्रोब बनाता है सिट्रिक एसिड और यह तो आप सभी को पता है कि सिट्रिक एसिड पाया जाता है सारे सिट्रस फ्रूट्स में चाहे लेमंस हो हो या फिर ऑरेंजेस हो तो चलो बच्चों अब देखते हैं हम कुछ ऐसे माइक्रोब्स जो बनाते हैं कुछ यूजफुल एंजाइम्स सो शुरुआत करेंगे स्ट्रेटो कॉकस के साथ स्ट्रेटो कोकस बनाता है एक एंजाइम स्ट्रेटोकास्टर एंजाइम इम कैसे मदद करता है हमें स्ट्रप काइनेस को कहा जाता है क्लॉट बस्टर क्लॉट बस्टर मतलब क्यों कहा जाता है यह आप लोगों ने शायद सुना होगा या देखा होगा कि जब किसी को हार्ट अटैक आता है बहुत बार लोगों को हार्ट अटैक आता है बिकॉज उनके ब्लड वेसल्स में ब्लड क्लॉट्स हो जाते हैं जिस वजह से ब्लड फ्लो नहीं हो पाता है स्मूथली और जिसके वजह से हार्ट अटैक आता है राइट तो ये जो ब्लड वेसल्स के क्लॉट्स होते हैं इनको रिमूव करने के काम आता है स्ट्रप काइनेस जिसकी वजह से इसे क्लॉट स्टर भी कहा जाता है तो है ना काम की चीज अगला माइक्रोब है लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया और लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया प्रोड्यूस करता है एक एंजाइम जिसे हम कहते हैं लाइपेज लाइपेज का काम होता है टू ब्रेक डाउन लिपिड्स या फिर फैट्स लिपिड्स या फैट्स के डाइजेशन के प्रोसेस के दौरान इनका ब्रेक डाउन करना जरूरी होता है एंड दैट इज वयर लाइपेज इज यूजफुल बहुत सारे बैक्टीरिया यस्ट एंड मोल्ड ये बनाते हैं एक एंजाइम कॉल्ड प्रोटीज प्रोटीज मदद करता है है इन द कैटाबॉलिज्म ऑफ प्रोटींस यानी कि यह बड़े-बड़े कॉम्प्लेक्टेड को तोड़ करके सिंपल पेप्टाइड्स बनाता है और इनका ब्रेकडाउन बहुत ज्यादा जरूरी होता है राइट प्रोटींस बोललो फैट्स बोलो कार्बोहाइड्रेट्स बोलो इन सब का ब्रेक डाउन होना बहुत जरूरी होता है तभी तो ये सारी चीजें डाइजेस्ट होंगी इनसे एनर्जी डिराइवर होंगी राइट तो ये प्रोटस मदद करते हैं किसमें प्रोटींस के ब्रेकडाउन में ठीक है ठीक इसी तरीके से बहुत सारी बैक्टीरिया और फंगा ऐसे होते हैं जो बनाते हैं एक एंजाइम कॉल्ड पेक्टिनेट पेक्टिनेट का काम क्या होता है यह पेक्टिन का ब्रेक डाउन करता है अब आप पूछोगे कि मैम पेक्टिन क्या होता है वेल सो प्लांट सेल वॉल में पेक्टन एक बहुत इंपॉर्टेंट कंपोनेंट होता है जो उसका एक स्ट्रक्चरल कंपोनेंट होता है जिसकी वजह से प्लांट सेल वॉल को मैकेनिकल स्ट्रेंथ मिलता है ठीक है तो यह होता है पेक्टिन और पेक्टिन का ब्रेकडाउन कौन करता है पेक्टिन ज ठीक है अब एक प्रैक्टिकल एग्जांपल देती हूं क्या आप लोगों ने कभी नोटिस किया है कि जब आप घर पे संतरे का जूस बनाते हो ऑरेंज का जूस बनाते हो तो उस जूस के अंदर यू नो फाइबर्स और यू नो छोटे-छोटे पार्टिकल्स आपको मिलते हैं वो जूस बिल्कुल क्लियर एकदम फ्लूइड नहीं होता है राइट लेकिन वही जब आप बॉटल्ड जूस खरीदते हो जब उसी ऑरेंज का उसी ऑरेंज का मतलब जब ऑरेंज के आप बॉटल्ड या पैक्ड जूस खरीदते हो किसी अच्छे ब्रांड का भी वो जूस काफी ज्यादा क्लियर होता है राइट ऐसा क्यों होता है क्योंकि जो बॉटल्ड जूसस हैं उन्हें पेक्टिनेट और प्रोटस के साथ क्लेरिफाई किया जाता है पेक्टिनेट और प्रोटस का काम क्या होता है ये प्रोटींस और पेक्टन का ब्रेक डाउन कर देते हैं तो इस वजह से जितने भी फाइबर्स या फिर पेक्टन उस जूस में होते हैं वो सारे ब्रोकन डाउन हो चुके होते हैं इसीलिए द जूस इज क्लीयरर बट जब हम घर पे बनाते हैं चूंकि तब हम इन्हें इन एंजाइम्स के साथ ट्रीट नहीं करते हैं तो इसीलिए वो जूस बिल्कुल रॉ फॉर्म में होता है या फिर बिल्कुल रियल फॉर्म में होता है जिसमें फाइबर्स एज इट इज हो होते हैं जब आप जूस को पीते हो तो आपके मुंह में फाइबर्स या फिर पेक्टिन के ये छोटे-छोटे पार्टिकल्स आपके मुंह में आते हैं तो बच्चों अब हम लोग देखेंगे कुछ ऐसे माइक्रोब्स जो प्रोड्यूस करते हैं कुछ बायो एक्टिव मॉलिक्यूल बायो एक्टिव मॉलिक्यूल क्यों बायो मतलब लाइफ ये कुछ ऐसे मॉलिक्यूल हैं जो माइक्रोबिट एक्टिविटी के वजह से प्रोड्यूस होते हैं और वो हमारे लिए सुपर यूज़फुल होते हैं तो पहला ऐसा मॉलिक्यूल है साइक्लोस्पोरा ए साइक्लोस्पोरा ए जो है ये एक इम्यूनो सप्रे सिव एजेंट की तरह यूज़ किया जाता है बहुत ही भारी भरकम सा नाम बता दिया मैंने इम्यूनो सप्रे मतलब हमारे इम्यून रिस्पांस को ये सप्रे करता है ऐसा क्यों करता है ये एक सिनेरियो देती हूं आप लोगों ने शायद देखा होगा या सुना होगा कि बहुत से लोगों का ऑर्गन ट्रांसप्लांट होता है जैसे किसी की किडनी खराब हो जाती है तो उसका किडनी ट्रांसप्लांट होता है यानी कि किसी डोनर से किडनी लेकर के उस पेशेंट के बॉडी के अंदर वो किडनी डाला जाता है सारे कंपैटिबिलिटी टेस्टस वगैरह करके ही ये ट्रांसप्लांट किया जाता है लेकिन अब होता क्या है पेशेंट की जो बॉडी है हमारी बॉडी का जो इम्यून सिस्टम है ना वह सेल्फ और नॉन सेल्फ के बीच में हमेशा डिस्टिंग्विश कर पाता है तो जो पेशेंट की बॉडी का जो इम्यून सिस्टम है उसको अच्छे से समझ में आ रहा होता है कि मेरी बॉडी में ना कुछ और आया है बाहर से कुछ एंटर किया है तो इसकी वजह से उसके इम्यून सिस्टम का इम्यून रिस्पांस थ्रो करना बहुत मतलब थ्रो करने की टेंडेंसी काफी ज्यादा होती है अब उस दौरान चूंकि हमने सारी कंपैटिबिलिटी टेस्ट कर रखी है तो हम क्या चाहते हैं कि हम पेशेंट की बॉडी को थोड़ा सा टाइम दे ताकि वो उस नए ऑर्गन के साथ भी स्टेबल हो जाए धीरे-धीरे सो टू बाय दैट टाइम हम क्या करते हैं उस दौरान पेशेंट को इम्यूनो सप्रे सिव एजेंट देते हैं ताकि उसके इम्यून रिस्पांस को हम थोड़ा सा कंट्रोल में रख सके थोड़ा सा सप्रे कर सके ठीक है तो ये काम होता है साइक्लोस्पोरा का तो आप समझ ही सकते हो कि दैट इट इसका मेडिसिनल यूज जो है ये कितना इंपोर्टेंट एक यूज है है ना अच्छा तो इसे बनाता है इसे प्रोड्यूस कौन सा माइक्रोब करता है तो इसे प्रोड्यूस करता है एक फंगस जिसका नाम है ट्राइकोडर्मा पॉलीस्पर्मा अब देखते हैं एक और बायो एक्टिव मॉलिक्यूल जो कि है स्टैटिंस स्टैटिंस को कहा जाता है ब्लड कोलेस्ट्रॉल लोअर एजेंट्स नाम से समझ ही गए हो कि ये ब्लड कोलेस्ट्रॉल को लोअर करता है ब्लड कोलेस्ट्रॉल को रिड्यूस करता है ठीक है और इसे बनाता है एक माइक्रोब व्हिच इज अ ईस्ट दैट इज मनास्टार्स के नाम है थोड़े मुश्किल जरूर हैं बट आई वुड से जैसे-जैसे आप वीडियो देख रहे हो इन माइक्रोब्स के नाम नोट करते चले जाओ और यह कौन सा एंजाइम या कौन सा एसिड या कौन सा बायो एक्टिव मॉलिक्यूल बनाता है उसके भी नाम नोट डाउन करते चले जाओ बिकॉज़ ये नाम आपको पता होना जरूरी है तो चलो बच्चों अब हम आगे बढ़ते हैं हमारे अगले टॉपिक पर व्हिच इज माइक्रोब्स इन सुएज ट्रीटमेंट किस तरीके से माइक्रोब्स सुएज ट्रीटमेंट में काम आता है अब बिफोर वी टॉक अबाउट सवेज ट्रीटमेंट सबसे पहले ये तो जान लेते हैं कि सवेज क्या होता है सवेज बेसिकली वो वेस्ट वाटर होता है जिसे किसी भी कम्युनिटी से रिमूव करना जरूरी होता है फॉर हेल्दी लिविंग अब जैसे ही मैं वेस्ट वाटर की बात करती हूं व्हाट एगजैक्टली इज वेस्ट वाटर अब हम अगर अपने घरों की बात करें हमारे घर से बहुत सारा वेस्ट वाटर निकल के जाता है चाहे वो हमारे बाथरूम से हो चाहे वो हमारे किचन से हो राइट बहुत सारे ऐसे वेस्ट वाटर गंदा पानी होता है चाहे नहाने के बाद का पानी हो या फिर वॉशरूम यूज करने के बाद का पानी हो या फिर किचन में जितनी तरह की कुकिंग वगैरह होती है उसके बाद का जो वेस्ट पानी हो तो इस तरीके से बहुत सारा गंदा पानी हम सबके घरों से निकलता है अब एक पूरी कम्युनिटी के उस समय तो हमारे घर से निकल के चला जाता है बट अगर पूरी कम्युनिटी की बात करें तो वह पानी जा कहां रहा है वी हैव टू इंश्योर कि व पानी पूरी कम्युनिटी से काफी दूर जाके प्रॉपर्ली डिस्पोज हो ताकि जो कम्युनिटी है वह हेल्दी लाइफ लीड कर सके ऐसा क्यों अब सवाल ये उठता है कि इस वेस्ट वाटर में होता क्या है अब देखो इस वेस्ट वाटर में चूंकि गंदा पानी होता है तो इसके अंदर ह्यूमन एक्सक्रीट हो सकता है एनिमल एक्सक्रीट हो सकता है अ डिजीज कॉजिंग माइक्रो ऑर्गेनिस्ट हो सकते हैं कुछ अच्छे माइक्रोब्स भी हो सकते हैं राइट कुछ ऑर्गेनिक वेस्टस हो सकता है ये सारी चीजें इसमें हो सकती है मतलब कुल मिला के हम ये कह सकते हैं कि ये जो गंदा पानी होता है ये जो वेस्ट वाटर होता है इट हैज ऑल द एबिलिटीज टू कॉज डिजीज तो इसीलिए हमें इससे बच के रहना होगा अब यहीं बात करते हैं हम सवेज ट्रीटमेंट की सवेज ट्रीटमेंट क्यों जरूरी है सुएज ट्रीटमेंट का मतलब है कि प्रॉपर तरीके से डिस्पोज करना इस सवेज को आफ्टर ट्रीटिंग इट अब इसको ट्रीट करना क्यों जरूरी है क्योंकि देखो मान लो यह जो वेस्ट वाटर है यह हमने अपने घर से तो निकाल दिया अपनी कॉलोनी से भी दूर हटा दिया राइट बट कहीं जाके तो यह डिस्पोज ऑफ होगा राइट तो लेट अस से यह डिस्पोज ऑफ हुआ किसी पॉन्ड में या किसी लेक में या किसी रिवर में अब आप ऐसे सोचो इससे क्या होगा वह लेक या वह रिवर या वह पॉन्ड तो क्योंकि ये तो है तो गंदा पानी तो इससे वहां के एक्वेटिक लाइफ को थ्रेटें होगा ऐसा भी हो सकता है कि उस लेक या रिवर या वाटर का पानी कोई और पीने के लिए यूज कर रहा हो या नहाने के लिए यूज कर रहा हो या कुकिंग के लिए यूज कर रहा हो तो यानी कि उनके लिए ये हार्मफुल हो गया राइट तो इसका मतलब है सिर्फ इसे दूर डिस्पोज करना काफी नहीं है डिस्पोज करने से पहले इस पूरे वेस्ट वाटर को ट्रीट करना ताकि इसके अंदर से गंदगी को हम हटा दें जितना हो सके हटा दें उसके बाद इसे डिस्पोज करें उसे हम कहते हैं सवेज ट्रीटमेंट तो आई थिंक विद दिस आप लोगों को यह समझ में आ गया कि सुएज क्या है और सुएज का ट्रीटमेंट होना जरूरी क्यों है अब अगला सवाल यह आता है कि सवेज ट्रीटमेंट हम करते कैसे हैं राइट तो सुएज को बेसिकली ट्रीट किया जाता है इन सूज ट्रीटमेंट प्लांट्स बिफोर डिस्पोजल ऑफ कोर्स क्योंकि हमारा गोल क्या है कि इसको डिस्पोज करने से पहले जितना हो सके इसके यू नो इसमें से गंदी चीजें हम हटा दें इसके इल इफेक्ट्स को जितना हो सके हम हटा दें अब अब सवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के अंदर सुवेज का ट्रीटमेंट दो स्टेप में होता है पहला होता है प्राइमरी ट्रीटमेंट दूसरा होता है सेकेंडरी ट्रीटमेंट अगर बात करें प्राइमरी ट्रीटमेंट में तो प्राइमरी ट्रीटमेंट में हम क्या करते हैं सवेज में से फिजिकली हम पार्टिकल्स को रिमूव करते हैं क्योंकि बहुत सारे ऐसे गंदे पार्टिकल्स उसमें होते हैं जिसको फिजिकली रिमूव किया जा सकता है फिजिकली मतलब नॉट बाय हैंड पिकिन बट उसके लिए हम दो प्रोसेसेस का यूज करते हैं व्हिच आर फिल्टरेशन एंड सेडिमेंटेशन तो बच्चों फिल्टरेशन एक ऐसा टेक्निक होता है जिससे हम सॉलिड को लिक्विड में से सेपरेट कर सकते हैं बाय पासिंग इट थ्रू द पोर्स ऑफ अ फिल्टर पेपर एगजैक्टली अब फिल्टर पेपर में बहुत छोटे-छोटे पोर्स होते हैं बहुत छोटे-छोटे छेद होते हैं जिससे हमारा लिक्विड तो पास हो जाता है लेकिन सॉलिड पार्टिकल्स फंस जाते हैं तो अब सोच के देखो कि इस टेक्निक से एटलीस्ट हम हमारा जो ये सवेज वाटर है जो वेस्ट वाटर है उसमें एटलीस्ट जो सॉलिड पार्टिकल्स हैं उनको तो हम सेपरेट आउट कर ही सकते हैं है कि नहीं द बेस्ट एग्जांपल दैट यू कैन थिंक ऑफ इज द चाय छलनी एगजैक्टली जभी भी आप चाय बनाते हो तो इस तरीके से छलनी से आप उसे छान लेते हो उसमें क्या होता है जो लिक्विड है वो आपका डिजायरेबल पार्ट होता है जिसे आप पीना चाहते हो तो वो आप कप में इकट्ठा कर लेते हो और जो सॉलिड पार्ट होता है यानी कि जो टी लीव्स होते हैं वो छलनी के ऊपर ही रह जाते हैं बिकॉज़ दे कैन नॉट पास थ्रू द पोर्स ऑफ द सीव राइट तो कुछ ऐसा ही टेक्नीक होता है फिल्ट्रेशन का ठीक इसी तरीके से एक दूसरा टेक्निक होता है जैसा कि मैंने अभी-अभी बताया दैट इज सेडिमेंटेशन सो सेडिमेंटेशन के अंदर हम क्या करते हैं पानी में से जो यह जो पार्टिकल्स हैं जो भी सॉलिड पार्टिकल्स हैं इनको हम सेपरेट आउट करते हैं अंडर द इन्फ्लुएंस ऑफ ग्रेविटी अब आप सोचोगे कि मैम ग्रेविटी के इन्फ्लुएंस में बिल्कुल कर सकते हैं अब जो हेवियस कल्स होंगे वो अंडर द इन्फ्लुएंस ऑफ ग्रेविटी कहां चले जाएंगे नीचे जमा हो जाएंगे और उस लेयर को हम कह देंगे सेडिमेंट्स और इस प्रोसेस को हम कह देंगे सेडिमेंटेशन जैसे कि जब हम हमारे सवेज की बात करते हैं तो यह जो जो सूरज का जो वेस्ट वाटर होता है जिसमें जिसमें तरह-तरह की चीजें होती हैं जब इसका हम सेडिमेंटेशन करते हैं तो हम क्या देखते हैं नीचे की तरफ एक लेयर इकट्ठा हो जाता है नीचे जम जाता है जिसे हम कहते हैं सेडिमेंट्स और ये होता है हमारा अनवांटेड पार्ट जो हम नहीं चाहते हैं वो हमें नहीं चाहिए राइट तो ये जो नीचे जमा हुआ पार्ट होता है दिस इज द अनवांटेड पार्ट और इसे हम कहते हैं प्राइमरी स्लज छोटे-छोटे से टर्म्स है बच्चों बट इन टर्म्स को आपको याद रखना है ठीक है तो इसको क्या बोलते हैं जो अनवांटेड है जो मेरे को नहीं चाहिए दैट इज द स्लज चूंकि अभी हम प्राइमरी ट्रीटमेंट पढ़ रहे हैं तो ये जो स्लज है दिस इज द प्राइमरी स्लज अब ऊपर का जो लिक्विड वाला पोर्शन है उसे हम कहते हैं सुपर नेटें या फिर एफ्लूएंट ठीक है याद रहेगा सभी को तो मतलब ये हमारे पास दो पॉसिबल टेक्निक्स हैं और इन टेक्निक्स से हम सुएज का प्राइमरी ट्रीटमेंट तो कर ही सकते हैं मतलब एटलीस्ट एक राउंड ऑफ क्लीनिंग तो हम इसका कर ही सकते हैं तो बच्चों प्राइमरी ट्रीटमेंट से हमें में क्या मिला हमें एफ्लुएंस मिला मतलब इफ्लुएड्स था जो हमको चाहिए था ठीक है लेकिन अब हम हम तो पूरी तरीके से इसको ट्रीट करना चाह रहे हैं ताकि जितना हो सके इससे हम गंदगी निकाल दें तो इस एफ्लूएंट को अब हम भेजेंगे सेकेंडरी ट्रीटमेंट के लिए अब देखेंगे सेकेंडरी ट्रीटमेंट के लिए इसको कहां भेज रहे हैं हम तो इसे हम सबसे पहले भेजते हैं एरेन टैंक्स में एरेन टैंक एरेन मतलब इस टैंक के अंदर हम एयर को पंप इन करते रहते हैं एयर पंप इन किया मतलब क्या पंप इन किया एयर में क्या होता है ऑक्सीजन होता है बच्चों बिल्कुल तो अब क्या हुआ एयर पंपिंग करने की वजह से इन टैंक्स के अंदर क्या होने लगता है ये जो एफ्लुएंस है इनका कांस्टेंट एजिटेटर जो एफ्लुएंस है उसको कांस्टेंटली एजिटेटर है एजिटेटर मतलब समझ लो उनको ऐसे ऐसे ऐसे ऐसे घुमाया जाता है अब सोच के देखो सिचुएशन आपके पास खूब सारा ऑक्सीजन है और इसको जो है इस एफ्लूएंट को जो आप है आप एजिटेटर हो तो यहां पर क्या होने की संभावना है यहां पर बहुत विगर अस ग्रोथ होता है एरोबिक माइक्रोब्स का एरोबिक माइक्रो ऑर्गेनिस्ट मस कौन होते हैं जिनको ऑक्सीजन चाहिए होता है फॉर देयर सर्वाइवल एंड ग्रोथ है ना तो चूंकि यहां पर ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में प्रेजेंट है तो यहां पर एरोबिक ऑर्गेनिस्ट मस का एरोबिक माइक्रोब्स का ग्रोथ होने लगता है अब ये एरोबिक माइक्रोब्स क्या करेंगे आप बताओ मुझे क्या करेंगे ये अब भाई एरोबिक माइक्रोब्स यहां पर पैदा हो चुके हैं तो यह ग्रो भी करेंगे और अगर यह ग्रो करेंगे तो ये क्या करेंगे ऑर्गेनिक मैटर को कंज्यूम करेंगे उनको वहां पर अब भाई आप ग्रो करते हो तो आपको दूध भी चाहिए होता है फ्रूट्स भी चाहिए होता है खाना भी चाहिए होता है वेजिटेबल्स भी चाहिए होता है राइट तो अगर आपको कहीं पे छोड़ दिया जाए एक जंगल में छोड़ दिया जाए तो आप क्या करोगे यूं ही तो सरवाइव नहीं करोगे तो आसपास आपको जहां भी फल दिखेंगे कुछ भी दिखेंगे मतलब आपके खाने लायक वो सब आप कंज्यूम करने लगोगे है कि नहीं तो ऐसा ही इन एरोबिक माइक्रोब्स के साथ होता है ये क्या करते हैं ड्यूरिंग देयर ग्रोथ ये ये जो ऑर्गेनिक मैटर है इनको ये कंज्यूम करने लगते हैं और इसका फायदा किसे होता है हमें होता है क्योंकि हमें क्या चाहिए था हम तो यही चाहते थे कि भाई ये जो हमारा जो ये वेस्ट वाटर की जो कहानी थी ये जो हमारा सवेज वाटर था इसके अंदर क्या-क्या चीजें थी जिससे हम यू नो छुटकारा पाना चाहते थे हम चाहते थे कि इसमें से जितने भी गंदगी सॉलिड पार्टिकल्स हैं वो हट जाए जितने भी ऑर्गेनिक मैटर है वो भी हट जाए ताकि पानी जितना ज्यादा क्लीन हो सके उतना ज्यादा क्लीन हो जाए तो यानी कि यहां पर हमारा भी काम बन गया ये जो एरोबिक माइक्रोब्स हैं ये खुद ही ऑर्गेनिक मैटर को कंज्यूम कर लेते हैं और इस तरीके से हमारा इ फ्लुएंस मैटर से छुटकारा पा लेता है तो बच्चों इसी तरीके से होती है सेकेंडरी ट्रीटमेंट ऑफ सवेज तो बच्चों अब सेकेंडरी ट्रीटमेंट में होता क्या है वो तो हमें समझ में आ गया बट अब अगला क्वेश्चन दिमाग में ये आता है कि ये सेकेंडरी ट्रीटमेंट को हम कब तक कंटिन्यू करेंगे मतलब ये जो सूज वाटर है इसको हम कब तक क्लीन करते रहे रहेंगे तो कुछ ऐसा एक पैरामीटर या ऐसा कोई स्टैंडर्ड तो होना चाहिए जो हमें बताए कि भाई हां तुमने यह अचीव कर लिया तो अब हम सेकेंडरी ट्रीटमेंट को रोक सकते हैं तो बच्चों ऐसा ही एक पैरामीटर है बीओडी जिसका फुल फॉर्म है बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड नाम से पता चल रहा है ऑक्सीजन डिमांड किसको होगा ऑक्सीजन का डिमांड एरोबिक माइक्रोब्स को ऑफकोर्स तो बच्चों बीओडी को हम कुछ ऐसे डिफाइन कर सकते हैं कि कितना अमाउंट ऑफ ऑक्सीजन चाहिए होगा इन एरोबिक माइक्रोब्स को पानी के अंदर ऑर्गेनिक मैटर का ब्रेक डाउन करने के लिए एट अ पर्टिकुलर टेंपरेचर ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम ठीक है मतलब बीओडी हमें यह बताता है कि जो यह एरोबिक माइक्रोब्स है उनको कितना ऑक्सीजन का डिमांड है कितना ऑक्सीजन कितना अमाउंट ऑफ ऑक्सीजन उनको चाहिए जितना वहां पर ऑर्गेनिक मैटर प्रेजेंट है उसको ब्रेक डाउन करने के लिए ठीक है अब देखो यहां पर एक बहुत ही प्यारा सा कांसेप्ट है बहुत लॉजिक अच्छे से लॉजिक को समझना अब अगर मान लो बीओडी की वैल्यू काफी ज्यादा है हाई वैल्यू ऑफ बीओडी इसका मतलब क्या है ऑक्सीजन का डिमांड काफी ज्यादा है माइक्रोब्स की तरफ से ऑक्सीजन का डिमांड काफी ज्यादा है जिसका यह भी मतलब है कि पानी के अंदर ऑर्गेनिक मैटर काफी सारा है ऑर्गेनिक मैटर काफी सारा है तभी तो ये जो माइक्रोब्स हैं ये उनका ब्रेक डाउन करना चाह रहे हैं और उसी वजह से इन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है राइट तो इसका मतलब है पानी में ऑर्गेनिक मैटर बहुत ज्यादा है और इसका मतलब है कि पानी का पोल्यूटिंग पोटें ल भी ज्यादा है क्योंकि पानी में ऑर्गेनिक मैटर ज्यादा है मतलब उसमें गंदगी ज्यादा है वो ज्यादा पोल्यूशन करने के कैपेबल है राइट तो ये लॉजिक समझ में आ गया सबको बहुत अच्छा सा लॉजिक है ठीक है ऐसे याद रखना इसको तो यानी कि बीओडी की वैल्यू जितना ज्यादा वाटर का पोल्यूटिंग पोटेंशियल भी उतना ज्यादा है ना और बीओडी का वैल्यू जितना कम वाटर का पोल्यूटिंग पोटेंशियल भी उतना काम तो बच्चों हम क्या करते हैं यह जो सेकेंडरी ट्रीटमेंट है इसको हम तब तक कंटिन्यू करते हैं जब तक बीओडी की वैल्यू जो है वो कंसीडरेबली रिड्यूस ना हो जाए ठीक है सो दिस इज द वेरी इंपॉर्टेंट रोल ऑफ बीओडी तो मतलब स्यूज का ट्रीटमेंट कैसे हुआ पहले प्राइमरी ट्रीटमेंट हुआ जिसमें हमने मोटा-मोटा ऊपर ऊपर से सारी सॉलिड चीजें हटा दी फिल्ट्रेशन या सेडिमेंटेशन से उसके बाद उनका सेकेंडरी ट्रीटमेंट किया जिसके अंदर जो एरोबिक माइक्रोब्स हैं वो ऑर्गेनिक मैटर को कंज्यूम कर कर के उनके ब्रेकडाउन कर कर के उनको खत्म करने लगे अब ये प्रोसेस को हम तब तक कंटिन्यू रखते हैं जब तक हमारे ओडी की वैल्यू कंसीडरेबली कम ना हो जाए अब सेकेंडरी ट्रीटमेंट तो हो गया इसके बाद क्या अब सेकेंडरी ट्रीटमेंट के बाद जो सेकेंडरी इफ्लुएड्स सुथरा जो डिजायरेबल कंपोनेंट हमें मिला दैट इज द सेकेंडरी एफ्लुएंस अब इस सेकेंडरी एफ्लुएंस को हम पास कर देते हैं टू अ सेटलिंग टैंक ठीक है लेकिन अब सोचने वाली बात यह है कि इस सेकेंडरी फ्लूएंट के अंदर लेकिन बैक्टीरियल मासे अभी भी प्रेजेंट है क्योंकि बैक्टीरिया ने ही तो यह सारा कमाल किया ऑर्गेनिक मैटर को यू नो ब्रेक डाउन करने का बट वो बैक्टीरियल मासेज तो यहां प्रेजेंट है तो उनका क्या करें अब इनमें से कुछ बैक्टीरियल मासेज को हम लोग वापस भेज देते हैं रेशन टैंक्स में क्योंकि वहां पर इनकी जरूरत है है कि नहीं तो वहां पर इन्हें स्टार्टर की तरह यूज़ कर दिया जाता है क्योंकि शुरुआत में थोड़े बैक्टीरिया तो आपको शुरुआत में देने पड़ेंगे राइट उसके बाद ऑक्सीजन के प्रेजेंस में उनका और ग्रोथ होता रहेगा तो वहां पर कुछ इसमें से सम पार्ट ऑफ दिस सम पार्ट ऑफ दिस बैक्टीरियल मास को हम कहां भेज देंगे इरेशन टैंक्स में जहां पर ये स्टार्टर की तरह काम करेगा और फिर उसके बाद इन प्रेजेंस ऑफ मोर ऑक्सीजन और इनका ग्रोथ होता रहेगा और उसके बाद ये अपना काम करते रहेंगे वहां पर ऑर्गेनिक मैटर को डीकंपोज करने का और जो रिमेनिंग बैक्टीरियल मास है उनको कहां भेजेंगे उनको हम भेज देंगे एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर में नाम पे ध्यान दो एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर अब देखो ये जो रि रिमेनिंग पार्ट को हम भेज रहे हैं ये रिमेनिंग पार्ट हमारे लिए क्या है अनवांटेड है ये हमें नहीं चाहिए राइट तो ये जो अनवांटेड पार्ट है इसलिए इसके लिए स्लज वर्ड यूज किया जाएगा है कि नहीं और कहां भेज रहे हैं एन एरोबिक स्लज डाइजेस्टर मतलब यहां पर जाके ये स्लज डाइजेस्ट कर दिया जाएगा कौन करेगा डाइजेस्ट एना एरोबिक बैक्टीरिया देखो याद रहेगा ऐसे कितना मस्त तरीके से एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर में भेजेंगे जहां पर एना एरोबिक बैक्टीरिया होंगे एना एरोबिक बैक्टीरिया तो समझते हो जो ऑक्सीजन के एब्सेंट में फर्मेंटेशन अंडरगो करते हैं तो ये एना एरोबिक बैक्टीरिया ऑक्सीजन के एब्सेंट में ये जो स्लज है राइट ये जो हमारे जो भी अनवांटेड जो माइक्रोब्स हैं इनको डाइजेस्ट कर देंगे ठीक है बात समझ में आ गई तो अब सोचो बच्चों अब मेरे सेटलिंग टैंक में क्या रहा सेटलिंग टैंक में जो सेकेंडरी फ्लुएंस था उसमें से बैक्टीरियल मासेज को कुछ को हमने भेज दिया रेशन टैंक्स में बाकी को हमने भेज दिया एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर में तो अब मेरे पास क्या है मेरे पास रिलेटिवली क्लीन इफ्लुएड्स को हम लोग डिस्पोज कर देंगे इनटू वाटर बॉडीज ठीक अब बच्चों ठंडे दिमाग से सोच के देखो कि अगर ये पूरा जो ट्रीटमेंट हमने किया सुएज का अगर ये ट्रीटमेंट हमने ना किया होता और सीधा के सीधा वो जो सवेज वाटर था जो वेस्ट वाटर था वो सीधा के सीधा अगर हमने वाटर बॉडीज में डिस्पोज किया होता तो कितना ज्यादा पोल्यूशन हुआ होता है कि नहीं लेकिन जब हमने उसका प्राइमरी ट्रीटमेंट सेकेंडरी ट्रीटमेंट किया तो उसमें से हमने काफी गंदगी हटा दी ऑलरेडी जब वो पानी रिलेटिवली क्लीन हो गया जब उसका बीओडी काफी कम हो गया तब जाके उसको हमने रिवर में डिस्पोज किया तो यानी कि उनका अब इस पानी का जो पोल्यूटिंग पोटेंशियल है दैट इज वेरी वेरी लो राइट तो अब समझ में आ रहा है व्हाट इज द ब्यूटी ऑफ सुएज ट्रीटमेंट सुएज ट्रीटमेंट हमारे लिए कितना यूजफुल है तो बच्चों अब हमारा अगला टॉपिक है बायोगैस जिसे फ्यूल गैस भी कहा जाता है क्योंकि बायोगैस एक बहुत ही एक्सीलेंट फ्यूल है ओके कंपोजीशन की अगर हम बात करें तो यह कोई एक गैस नहीं है यह मिक्सचर ऑफ गैसेस है इसके अंदर पाया जाता है मीथेन जो कि इसका यू नो द मेजर कंपोनेंट है क्योंकि 65 पर ऑफ बायोगैस इज मीथेन इसके अलावा इसमें होता है कार्बन डाइऑक्साइड कम क्वांटिटीज में पाया जाता है हाइड्रोजन जैसे गैसेस ठीक है सबसे मजेदार बात सबसे अच्छी बात बायोगैस के बारे में यह है कि ये एक रिन्यूएबल सोर्स ऑफ एनर्जी है रिन्यूएबल मतलब इट कैन बी रिन्यूड एंड अगेन इट कैन बी रिसाइकल राइट इसका मतलब इसकी वजह से एनवायरमेंटल पोल्यूशन बिल्कुल नहीं होता है तो बायोगैस को हम पाते हैं बायोमास से जैसे ही मैं बायोमास कहती हूं तो आपके दिमाग में क्वेश्चन आ रहा होगा कि व्हाट इज बायोमास बायो मतलब लाइफ चूंकि इसे हम ऑब्टेन करते हैं फ्रॉम लाइफ फॉर्म्स इसलिए इसे कहा जाता है बायोगैस यस अब जैसे ही मैंने बोला लाइफ फॉर्म्स तो आप पूछोगे लाइफ फॉर्म्स बोले तो लाइफ फॉर्म्स बोले तो प्लांट एंड एनिमल प्रोडक्ट्स तो बायो गैस का जो प्रोडक्शन होता है यह प्रोडक्शन होता है यह एक्चुअली डिराइवर होता है बायोमास से व्हिच मींस फ्रॉम प्लांट एंड एनिमल प्रोडक्ट से किस तरह के प्लांट और एनिमल प्रोडक्ट्स प्लांट प्रोडक्ट्स बोले तो जैसे कि वेजिटेबल वेस्ट्स अ जैसे कि रेसिड्यू आफ्टर हार्वेस्टिंग क्रॉप्स एनिमल वेस्ट्स बोले तो जैसे कि काउ डंग तो ये जो सारी चीजें हैं देखो ये सारी वेस्ट चीजें हैं मतलब प्लांट या एनिमल वेस्ट्स हैं ये ठीक है बट इन चीजों को जब हम डीकंपोज करते हैं इन अब्सेंस ऑफ ऑक्सीजन तो हमें मिलता है बायोगैस राइट तो देखो इस नजरिए से भी अगर सोचो तो इट इज सच एन एक्सीलेंट थिंग ये वेस्ट से बन रहा है और ये बेस्ट काम कर रहा है यानी कि ये एक रिन्यूएबल सोर्स ऑफ एनर्जी की तरह काम कर रहा है है ना तो ये एक बहुत ही बढ़िया चीज है है कि नहीं तो बायोगैस को बच्चों गोबर गैस भी कहा जाता है ऐसा क्यों अभी जानेंगे थोड़ी ही देर में तो बच्चों बायोगैस का जो प्रोडक्शन होता है इस प्रोडक्शन में एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल इनफैक्ट द मोस्ट क्रिटिकल रोल प्ले करता है एक माइक्रोब क्या आपको पता है वह माइक्रोब कौन है वो एक एन एरोबिक बैक्टीरिया है जिसका नाम है मिथेन जन एगजैक्टली तो मिथेन जन एक ऐसा एना एरोबिक बैक्टीरिया एना एरोबिक बैक्टीरिया बोले तो एनएरोबिक मतलब इनको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है ये ऑक्सीजन के एब्सेंट में ही मस्त रहते हैं सो दैट इज एना एरोबिक बैक्टीरिया तो ये जो मेथनोजन होते हैं ये ऑक्सीजन के एब्सेंट में प्रोड्यूस करते हैं कुछ गैसेस आ मीन ऑक्सीजन के एब्सेंट में दे अंडर वो फर्मेंटेशन जिसके दौरान यह बनाते हैं मीथेन कार्बन डाइऑक्साइड स्मॉल अमाउंट्स ऑफ हाइड्रोजन जैसे गैसेस और हमें तो पता ही है कि ये सारे गैसेस क्या बनाते हैं यही तो है बायोगैस है कि नहीं तो इस तरीके से मेथनोजन एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है इन प्रोडक्शन ऑफ बायोगैस ये जो मेथनोजन होते हैं पता है आपको ये कहां ग्रो करते हैं ये ग्रो करते हैं एना एरोबिक स्लज में कहां पढ़ा था हमने एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर एगजैक्टली सुवेज ट्रीटमेंट में सेकेंडरी सुवेज ट्रीटमेंट में हमने इसकी बात करी थी राइट कि जो हमारा बचा हुआ बैक्टीरियल मास था उसको हमने कहां भेज दिया था एना एरोबिक स्लज डाइजेस्टर्स में एगजैक्टली जहां पर एनएरोबिक बैक्टीरिया उन वो जो स्लज थे उनको डाइजेस्ट कर देते थे है ना ठीक है तो मतलब अभी मेरे कहने का मतलब सिर्फ इतना था कि बायोगैस प्रोडक्शन में मदद करता है मेथनोजन जो एना एरोबिकली ऑक्सीजन के एब्सेंट में फर्मेंटेशन अंडरगो करता है जिसके दौरान बनता है बायोगैस अब बच्चों यह जो मिथेन जन है यह पाया जाता है कैटल के स्टमक में एगजैक्टली अब यहां पर देखो डायरेक्शन थोड़ा चेंज हो गया है मेथनोजन कहां पाया जाता है कैटल के स्टमक में अब आप मुझे बताओ कैटल का खाना क्या होता है कैटल का खाना मेनली प्लांट प्रोडक्ट्स होता है जो कि सेल्यूलोज रिच होता है जिसमें सेल्यूलोज की मात्रा बहुत ज्यादा होती है और ये जो मेथनोजन है ये सेल्यूलोज के ब्रेकडाउन में भी मदद करता है यानी कि कैटल के अंदर जो न्यूट्रिशन का प्रोसेस चल रहा है जो फूड का डाइजेशन का प्रोसेस चल रहा है उसमें मितान नजन का एक बहुत इंपॉर्टेंट रोल होता है और इसी वजह से जो काउ डंग होता है राइट जो काउ डंग होता है उसके अंदर भी मिथेन जन पाया जाता है तो अब देखो मैं रिलेट करूंगी उस सवाल का जवाब कि बायोगैस को हम गोबर गैस क्यों कहते हैं राइट अभी-अभी मैंने क्या बोला काउ डंग काउ डंग को हिंदी में हम कहते हैं गोबर तो गोबर में पाया जाता है मिथेन जन और मिथेन जन मदद करता है किसके प्रोडक्शन में बायोगैस के प्रोडक्शन में तो इसीलिए बायोगैस को गोबर गैस भी कहा जाता है तो बच्चों अब हम लोग देखेंगे कि बायोगैस का प्रोडक्शन होता कैसे है हमने यह तो जान लिया कि भाई मिथेन जन फर्मेंटेशन अंडरगो करता है जिसके दौरान बायोगैस बनता है बट ये पूरा का पूरा बायोगैस प्रोडक्शन का प्रोसेस होता कहां पे है तो ये प्रोडक्शन होता है बायोगैस प्लांट्स में तो सबसे पहले देखेंगे बायोगैस प्लांट कैसा होता है उसका कंस्ट्रक्शन क कैसा होता है राइट तो उसमें एक सीमेंट से बना हुआ डोम शेप्ड स्ट्रक्चर होता है है ठीक है जिसके अंदर एक मिक्सिंग टैंक होता है एक डाइजेस्टर होता है एक गैस टैंक होता है और एक आउटलेट होता है ठीक है ये चार इंपॉर्टेंट चीजें यहां पर होती है अब देखते हैं कि इन चार जगहों में क्या-क्या हो रहा होता है मतलब इसका वर्किंग कैसा होता है है ना तो सबसे पहले बात करेंगे मिक्सिंग टैंक की तो मिक्सिंग टैंक में नाम से पता चल रहा है चीजें मिक्स होती है क्या मिक्स होता है काउ डंग और वाटर ये दोनों चीजों को मिक्स किया जाता है मिक्सिंग टैंक में काउ डंग क्यों लिया है हमने भाई गोबर बना रहे हैं क्योंकि काउ डंग में ही तो है हमारा असली सामान मिथेन जन जिसके बिना बायोगैस का प्रोडक्शन हो ही नहीं सकता है ना तो मिक्सिंग टैंक में हम काउ डंग और वाटर को मिक्स करते हैं इस मिक्सचर के लिए हम एक वर्ड यूज़ करते हैं दैट इज स्लरी ठीक है चलो स्लरी तैयार हो गया अब इस स्लरी को हम भेज देते हैं डाइजेस्टर में डाइजेस्टर क्या होता है डाइजेस्टर एक सील्ड चेंबर होता है सील्ड हर तरफ से वोह बंद होता है इसका मतलब इसके अंदर ऑक्सीजन भी प्रेजेंट नहीं होता है अब मजे की बात देखो सारा जो है ना एकदम माहौल बन गया है डाइजेस्टर के अंदर ऑक्सीजन नहीं है स्लरी आ चुका है यानी कि कौन आ चुका है मिथेन जन आ चुका है मिथेन जन एक अन एना एरोबिक बैक्टीरिया है तो ऑक्सीजन के एब्सेंट में मिथेन जन अपना काम शुरू कर देगा जो कि है फर्मेंटेशन एगजैक्टली और जैसे ही फर्मेंटेशन शुरू हो जाएगा जैसे ही मेथनोजन का काम शुरू हो जाएगा वैसे ही क्या बनने लगेगा बायोगैस सिंपल अब ये बायोगैस स्टोर होगा गैस टैंक में बायोगैस वहां पे स्टोर होता है इसीलिए नाम है गैस टैंक और इस गैस टैंक से देखो एक आउटलेट जुड़ा हुआ है तो इस आउटलेट से गैस जो है वो बाहर जाएगा इस पूरे बायोगैस प्लांट से ठीक है तो इस तरीके से बायोगैस प्लांट के अंदर बायोगैस का प्रोडक्शन होता है बायोगैस के एडवांटेजेस सबसे पहला एक्सीलेंट फ्यूल एक्सीलेंट तो है ही यार बायोगैस बनता ही है वेस्ट प्रोडक्ट्स को यूटिलाइज करते हुए तो ओबवियसली इट इज एन एक्सीलेंट फ्यूल नंबर टू बर्न्स विदाउट स्मोक तो ओबवियसली नो पोल्यूशन लीव्स नो रेसिड्यू बिहाइंड अगेन नो पोल्यूशन नो साइड इफेक्ट्स हाई हीटिंग कैपेसिटी ये किसी की भी ऑब्जेक्ट को बहुत ही आसानी से बहुत ही जल्दी हीट कर सकता है तो इस वजह से भी यह एक बहुत अच्छा फ्यूल है नंबर फाइव व्हिच इज लास्ट बट डेफिनेटली नॉट द लीस्ट जो स्लरी बचता है बायोगैस प्रोडक्शन के बाद वो स्लरी भी एक बहुत ही एक्सीलेंट मैनर होता है मतलब जो चीज बची होती है इसके प्रोडक्शन के बाद वो भी सोइल फर्टिलिटी के इंप्रूव जन में काम आता है एडवांटेजेस तो भाई अपनी जगह है ही बायोगैस में बट साथ ही साथ बायोगैस के कुछ डिसएडवांटेजेस भी हैं जैसे कि पहला बायोगैस में कुछ ऐसे गैसेस भी होते हैं जो कंटेम एंट गैसेस होते हैं यानी कि जो मेटल सरफेस को कोरोट कर सकते हैं दूसरा डिसएडवांटेज बायोगैस प्रोडक्शन के लिए जो रॉ मटेरियल है वो क्या है दैट इज काउ डंग राइट क्योंकि हमें मिथेन जन चाहिए होता है जो कि काउ डंग में पाया जाता है और काउ डंग की अवेलेबिलिटी हर जगह नहीं होती इस वजह से बायोगैस प्लांट हर जगह सेटअप करना फीजिबल नहीं हो पाता है नंबर थ्री बायोगैस की एफिशिएंसी ऑन अ लार्ज स्केल काफी कम होती है एज इन ऐसे तो छोटे-मोटे मतलब स्मॉलर स्केल पे यूज करने के लिए तो बायोगैस इज एक्सीलेंट नो पोल्यूशन नो साइड इफेक्ट्स नथिंग लेकिन जब हम लार्ज स्केल में इसके यूसेज की बात करते हैं तो इकोनॉमिकली देखा जाता है कि इट इज नॉट इट डजन टर्न आउट टू बी दैट एफिशिएंट तो बच्चों आप पहुंचे हैं हम लोग हमारे अगले टॉपिक पर व्हिच इज बायो कंट्रोल इस लेसन में हम एक-एक करके देखते जा रहे हैं कि माइक्रोब्स किस तरीके से हमारे लिए यूजफुल होते हैं अभी-अभी हमने देखा माइक्रोब का एक बहुत अच्छा एप्लीकेशन व्हिच वाज बायोगैस उसके पहले हमने माइक्रोब का एक बहुत अच्छा एग्जांपल देखा सूज ट्रीटमेंट में एक बहुत अच्छा एप्लीकेशन देखा इनफैक्ट अब हम लोग देखने वाले हैं कि किस तरीके से माइक्रोब्स के हेल्प से हम बायो कंट्रोल कर सकते हैं बायो कंट्रोल बोले तो क्या बायोलॉजिकल मेथड्स टू कंट्रोल प्लांट डिजीज एंड पेस्ट्स अब प्लांट्स में जो डिजीज होते हैं या या फिर प्लांट्स में जो कीड़े लग जाते हैं जो पेस्ट्स होते हैं उनको कंट्रोल करना जरूरी है नहीं तो फिर हमारा जो क्रॉप प्रोडक्शन है वो हैंपर हो सकता है आम तौर पर हम कैसे कंट्रोल करते हैं प्लांट डिजीज और पेस्ट्स को इंसेक्टिसाइड से पेस्टिसाइड से राइट अब आप तो ये मानोगे कि ये इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड्स ये क्या है है तो एंड ऑफ द डे ये केमिकल्स राइट तो अब हम क्या करते हैं इन केमिकल्स के बदले में हम कुछ माइक्रोब को काम पे लगा देते हैं कुछ लिविंग ऑर्गेनिस्ट म को काम पे लगा देते हैं तो हम उन के कुछ ऐसे लिविंग ऑर्गेनिस्ट म कुछ ऐसे माइक्रोब को लेके आते हैं जो उन्हीं केमिकल्स का काम करती हैं राइट इजन दैट इंटरेस्टिंग तो भाई हमारे लिए तो बहुत ही फायदे की बात है बट उससे पहले यह देखना जरूरी है कि आखिर हम इन केमिकल्स को रिप्लेस करना चाहते ही क्यों हैं भाई अगर इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड से यह काम हो रहा है हम क्यों चाहते हैं कि हम इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड्स का यूज ना करें क्योंकि इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड्स के यूज के कई सारे हार्मफुल इफेक्ट्स हैं इंसेक्टिसाइड पेस्टिसाइड्स ये सभी केमिकल्स सभी लाइफ फॉर्म्स के लिए टॉक्सिक होते हैं इससे सॉइल पोल्यूशन होता है क्योंकि जब हम इन्हें रिपीटेडली प्लांट्स में डालते रहते हैं तो ये केमिकल्स कहीं ना कहीं सॉइल में जाता है जिससे हमारे सॉइल की क्वालिटी पे फर्क पड़ता है तो सॉइल पोल्यूशन होता है यही सॉइल जब वाटर बॉडीज में डिस्पोज होता है तो इससे वाटर पोल्यूशन भी होता है इतना ही नहीं जब हम इन केमिकल्स को हमारे प्लांट्स पे डालते रहते हैं तो प्लांट प्रोडक्ट्स में कहीं ना कहीं यह रह जाते हैं और उनके कंजमपट्टी को भी सफर करना पड़ता है तो इस तरीके से इन इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड्स का जो यूज है इनका हमारे ऊपर काफी हार्मफुल इफेक्ट्स भी होता है इसीलिए एक्सेस में हम इन्हें यूज करना नहीं चाहते हैं अब बच्चों इससे अच्छी बात ही क्या होगी अगर हमें ऐसे माइक्रोब्स मिल जाए जो इन पेस्ट्स और वीड्स के नेचुरल एनीमीज हो पेस्ट तो पता ही है आपको वीड्स क्या होते हैं वीड्स और पेस्ट ये सारी ऐसी चीजें होती है ऐसे ऑर्गेनिस्ट मस होते हैं जो प्लांट्स को खराब करते हैं तो अब मान लो कि हमें इन केमिकल्स को देने की जरूरत ही ना पड़े क्योंकि हमें इन चीजों के इन पेस्ट्स के नेचुरल एनिमी मिल जाएं तो हम उन्हीं को काम पे लगा देंगे है कि नहीं वो भी खुश हम भी खुश नो साइड इफेक्ट नो पोल्यूशन है ना तो बच्चों इस तरह के माइक्रोब्स जो पेस्ट्स और वीड्स के नेचुरल एनीमीज होते हैं इनको हम कहते हैं बायो कंट्रोल एजेंट्स क्योंकि उनके हेल्प से हम प्लांट डिसीसेस और पेस्ट्स को बायोलॉजिकली कंट्रोल कर पाते हैं तो बायो कंट्रोल एजेंट्स को हम चार कैटेगरी में क्लासिफाई कर सकते हैं पहला पैथोली तीसरा पैरासिटिक तो सबसे पहले डिस्कस करेंगे प्रेडेटर्स प्रिडेटर क्या होते हैं हमें सभी को पता है प्रेडेशन इज बेसिकली शिकार करना जिसमें एक ऑर्गेनिस्ट म दूसरे ऑर्गेनिस्ट म को मार डालता है उसे खा जाता है राइट फॉर एग्जांपल जब हम जंगल में बात करते हैं लेट्स से एक टाइगर है उसने एक डियर को अटैक किया डियर को मार दिया उसको खा लिया तो टाइगर यहां पे प्रिडेटर है और डियर यहां पे प्रे है राइट तो यहां पर हम बात कर रहे हैं बायो कंट्रोल एजेंट्स की मतलब कुछ ऐसे ऑर्गेनिस्ट मस जो शिकारी का काम करते हैं राइट तो कुछ कॉमन प्रेडेटर्स के एग्जांपल्स हैं जैसे कि लेडी बग लेडी बग इ प्रिडेटर है और उसका प्रे कौन है एफड्स एफिट्टो छोटे इंसेक्ट्स होते हैं जो प्लांट्स को नुकसान करते हैं प्लांट्स के लिए बहुत हार्मफुल होते हैं तो अब अगर आप वहां पर लेडी बग्स रख दोगे तो लेडी बग्स क्या करेंगे इन सारे एफड्स को खा जाएंगे तो ए फिट्स को मारने के लिए हमें कोई केमिकल डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी है कि नहीं उसी तरीके से ड्रैगन फ्लाई ये मॉस्किटोस को खा जाते हैं जैसे कैट्स ये चूहे को खा जाते हैं और चूहे प्लांट्स को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं तो चूहे को मारने के लिए दवाई देने की जरूरत ही नहीं है अगर आप वहां पर कैट रख दो तो है कि नहीं इसी तरीके से सेंटिपेटा फ्रॉग्स लिजार्ड्स ये सारे प्रेडेटर्स का काम करते हैं इनफैक्ट गार्डेंस में तो आपको घूमते फिरते लिजर्ड दिख जाएंगे जो घूमते फिरते कीरे मगड़े खाते रहता है और इस तरीके से हमें इन पेस्ट्स को या फिर इन इंसेक्ट्स को मारने के लिए अलग से केमिकल्स देने की जरूरत नहीं पड़ती है तो प्रेडेटर्स हैं हमारे सबसे पहले बायो कंट्रोल एजेंट्स तो बायो कंट्रोल एजेंट्स के दो नंबर पे हैं पैरासिटिक इड्स नाम से ही पता चल रहा है कि ये पैरासाइट से थोड़े सिमिलर हैं बिल्कुल सिमिलर ही हैं तो पैरासिटिक हैं होस्ट की बॉडी के अंदर आई है ना गजब बात इससे भी ज्यादा गजब बात यह है कि यह होस्ट की बॉडी के अंदर अपना एग ले करते हैं होस्ट के बॉडी को यूज करते हैं अपने ग्रोथ एंड डेवलपमेंट के लिए और उसके बाद होस्ट को मार डालते हैं ऐसे ही होते हैं ये पैरासिटिक मो सेरस एन कार्सिया फॉर्मोसाइट के जो वाइट फ्लाइज को अपनी होस्ट की तरह यूज करते हैं वाइट फ्लाइज के बॉडी को ये यूज करते हैं अपने ग्रोथ एंड डेवलपमेंट के लिए और बाद में जाके वाइट फ्लाइज मार दिए जाते हैं ठीक है बात समझ में आई कहानी कैसे वर्क करते हैं पैरासिटिक इड्स बायो कंट्रोल एजेंट्स की तरह काम कैसे करते हैं जब हम बायो कंट्रोल एजेंट्स की बात कर रहे हैं सो दीज आर लाइक दे आर नॉट द विलेंस फॉर अस दे आर गुड पीपल फॉर अस देयर आर हीरोज क्यों क्योंकि हमें ऐसे ही लिविंग ऑर्गेनिस्ट म की जरूरत थी जो वैसे ऑर्गेनिस्ट मस को मारे जो हमारे प्लांट्स को नुकसान पहुंचाते हैं ठीक है अब जैसे ये जो वाइट फ्लाइज हैं ये प्लांट्स को नुकसान पहुंचाते हैं तो हम चाहते हैं कि उसे कोई मार दे अब हम अगर इंसेक्टिसाइड डाल के मारेंगे तो इंसेक्टिसाइड के अपने अलग साइड इफेक्ट्स होंगे उसके बजाय क्या करो इन पैरासिटिक से ये जो पैरासिटिक एजेंट्स की तरह काम करते हैं तो बच्चों बायो कंट्रोल एजेंट्स में अब हम नेक्स्ट बात करेंगे पैथोलॉजिस्ट निज्म को हम मजेदार बात यह है कि ये डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म भी कभी हमारे काम आ जाते हैं कैसे प्लांट्स को डिजीज से बचा के ठीक है तो चाहे बैक्टीरिया हो चाहे फंगा हो चाहे वायरस हो ये सभी जो है बायो कंट्रोल एजेंट्स की तरह काम कर सकते हैं सबसे पहले बात करते हैं बैक्टीरिया की क्या बैक्टीरिया में आप एक ऐसा नाम बता सकते हो जो बायो कंट्रोल एजेंट्स की तरह काम करता है नहीं मैं बता देती हूं बीटी जिसका फुल फॉर्म है बेसिलस थ्योरी जसिस तो ये जो बैक्टीरिया होता है ये पाउडर्ड फॉर्म में पैकेट्स में पाया जाता है और इसे वाटर में मिलाकर प्लांट्स में डाला जाता है ये प्लांट्स को इंसेक्ट से बचाते हैं अब बात करते हैं फंगा की फंगा में मेट रीजियने दो ऐसे फंगा हैं जो प्लांट्स को अगेन इंसेक्ट्स से बचाते हैं इसके अलावा ट्राइकोडर्मा एक ऐसा एग्जांपल है फंगा का जो प्लांट्स को प्लांट्स के फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन को ट्रीट करते हैं आपने देखा होगा बहुत बार आपके घरों में भी आपके अगर छोटी सी अगर आपकी वल्कनी गार्डन हो या फिर बड़ा सा गार्डन भी हो तो उसमें बहुत सारे प्लांट्स हो तो आपने देखा होगा कभी-कभी प्लांट्स में ना कीड़े लग जाते हैं कभी-कभी प्लांट्स में फंगल ग्रोथ या बैक्टीरियल ग्रोथ भी हो जाता है राइट तो इनसे प्लांट को ट्रीट करना जरूरी है नहीं तो ओवर अ पीरियड ऑफ टाइम ये प्लांट्स मर जाएंगे राइट तो इस तरह के सिचुएशन में ये जो फंगा है राइट जैसे कि ट्राइकोडर्मा जो है ये बैक्टीरियल फंगल इंफेक्शन को ट्रीट कर सकता है इन केस ऑफ प्लांट्स बात करते हैं वायरस के बारे में तो यहां पर है बैकू वायरस बैकू वायरस जो है दे आर लाइक वेरी स्मार्ट वायरस ये जो है इंसेक्ट्स को तो अटैक करते हैं लेकिन प्लांट्स पे कोई इंपैक्ट नहीं डालते हैं राइट मतलब प्लांट्स में लेट्स से अगर इंसेक्ट्स हैं जिसने प्लांट्स को अटैक कर रखा है या फिर जो प्लांट्स को हार्म पहुंचा रहा है तो ये बैकू वायरस जो है ये उस इंसेक्ट्स को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन प्लांट्स को एज इट इज छोड़ देगा राइट तो यहां ये भी एक बायो कंट्रोल एजेंट की तरह काम कर रहा है इसके अलावा रैबिट हीमो मेजिक डिजीज वायरस ये जो वायरस है ये प्लांट्स को रैबिट हीमो मेजिक डिजीज से बचाता है तो इस तरीके से हमने यहां पर कुछ ही एग्जांपल्स डिस्कस किए बैक्टीरिया फंगा वायरस के जो बायो कंट्रोल एजेंट्स की तरह काम करते हैं तो चलो बच्चों अब हम आ पहुंचे हैं हमारे अगले टॉपिक पर व्हिच इज माइक्रोब्स एज बायो फर्टिलाइजर्स अ ये जो अच्छे माइक्रोब्स है ना ये फर्टिलाइजर का काम भी कर सकते हैं हमम बिल्कुल इससे पहले हम देखें कि बायोफर्टिलाइजर क्या होता है सबसे पहले ये देखते हैं क्विक रीकैप कि फर्टिलाइजर क्या होता है फर्टिलाइजर एक ऐसा सब्सटेंस होता है जिसे हम सॉइल में ऐड करते हैं टू इंप्रूव द फर्टिलिटी ऑफ द सॉइल जब सॉइल की फर्टिलिटी इंप्रूव होती है जब सॉइल ज्यादा फर्टाइल होता है तो क्या होता है क्रॉप का यील्ड बढ़ता है राइट फसल अच्छी होती है जो प्लांट्स आते हैं वो भी हेल्दी प्लांट्स होते हैं अब अगर बात फर्टिलाइजर्स के यूज करने की ही है तो हम केमिकल फर्टिलाइजर्स भी तो यूज कर सकते हैं उसमें क्या नुकसान है जो हम बायो फर्टिलाइजर्स के बारे में सोचे वेल केमिकल फर्टिलाइजर्स के कई नुकसान है ठीक उसी तरीके से जैसे हमने देखा था इंसेक्टिसाइड और पेस्टिसाइड्स के नुकसान तो जब हम केमिकल फर्टिलाइजर्स की बात करते हैं तो इनके एक्सेसिव यूज से हम देखते हैं कि सॉइल का पीएच बिगड़ जाता है सॉइल के पीएच बिगड़ जाने की वजह से बहुत बार सॉइल के फर्टिलिटी पे एडवर्स इफेक्ट पड़ता है मतलब सॉइल की फर्टिलिटी बढ़ने की बजाय फर्टिलिटी उसकी घटने लगती है जिसके वजह से जो प्लांट्स वहां पर उगते हैं उन प्लांट्स में डिजीज होने के चांसेस भी बढ़ जाते हैं इतना ही नहीं वहां से फ्रूट्स और वेजिटेबल्स जो हमें मिलते हैं उन सब में भी उन फर्टिलाइजर का थोड़ा यह सही ब थोड़ा कंटेंट पाया जाता है जो कि उसे कंज्यूम करने वाले ऑर्गेनिस्ट मस के लिए अच्छा बिल्कुल नहीं होता है साथ ही साथ इतने ज्यादा केमिकल फर्टिलाइजर्स के यूज़ से बहुत बार हमारा सॉइल की क्वालिटी डिग्रेड होने से सॉइल पोल्यूशन होता है सोइल पोल्यूशन रिजल्ट्स इन वाटर पोल्यूशन सो बेसिकली एनवायरमेंटल पोल्यूशन भी इसका एक इंपैक्ट तो कुल मिला के हम ये कह सकते हैं कि ये जो केमिकल फर्टिलाइजर्स हैं ये टॉक्सिक होता है ना सिर्फ एनवायरमेंट के लिए बट इट इज आल्सो टॉक्सिक टू ऑल द लाइफ फॉर्म्स अब ठीक ऐसे ही सिचुएशन में हम बात करते हैं बायो फर्टिलाइजर्स की बायो बोले तो लिविंग ऑर्गेनिस्ट मतलब कुछ ऐसे लिविंग ऑर्गेनिस्ट मस जो फर्टिलाइजर का काम करें मतलब कुछ ऐसे लिविंग ऑर्गेनिस्ट मस जो कुछ ऐसा करें जिससे सॉइल की फर्टिलिटी एनहांस हो जाए अब आप सोचोगे कि ऐसे फर्टिलाइजर्स हमें मिलेंगे कहां से बैक्टीरिया से मिल सकते हैं फंगा से मिल सकते हैं सायनो बैक्टीरिया से मिल सकते हैं तो चलो देखते हैं बायोफर्टिलाइजर्स के कुछ एग्जांपल्स तो बायोफर्टिलाइजर के तौर पर सबसे पहला एग्जांप लेंगे हम लोग एक बैक्टीरिया का जिसका नाम है राइजोबियम इंटरेस्टिंग ये जो राइजोबियम बैक्टीरिया होता है यह पाए जाते हैं लेगू मिनस प्लांट्स के रूट नोड्यूल्स में लेगुन प्लांट्स जैसे कि पीज बींस इस तरह के जो प्लांट्स होते हैं जो लेगू मस होते हैं इन प्लांट्स के रूट नोड्यूल्स में ये पाए जाते हैं और ये जो एसोसिएशन होता है राइजोबियम का और रूट नोड्यूल्स ऑफ लेगू मिनस प्लांट्स का ये एक म्यूचुअल बेनिफिट वाला एसोसिएशन होता है जिसे हम कहते हैं सिंबायोसिस एगजैक्टली तो इस म्यूचुअल बेनिफिट वाले एसोसिएशन में देखो दोनों पार्टी को बेनिफिट है राइजोबियम को भी बेनिफिट है और प्लांट को भी बेनिफिट है राइजोबियम का बेनिफिट बहुत सिंपल है उसको रहने के लिए जगह मिल गई है उसको पेट भरने के लिए खाना मिल गया है तो उसका फूड एंड शेल्टर आर टेकन केयर ऑफ बाय द प्लांट प्लांट के लिए बेनिफिट क्या है ये जो राइजोबियम बैक्टीरिया है ना इसमें एक बहुत अमेजिंग खासियत है इसमें एक कैपेबिलिटी है कि ये एटमॉस्फेयर में पाए जाने वाले नाइट्रोजन को एटमॉस्फेयर में तो नाइट्रोजन बहुत तो ये एटमॉस्फेरिक नाइट्रोजन को सॉइल में फिक्स कर सकता है मतलब एटमॉस्फेयर के नाइट्रोजन को ये नाइट्रेट के फॉर्म में कन्वर्ट करके सोइल में ला सकता है इसको हम कहते हैं नाइट्रोजन फिक्सेशन और हम सभी को पता है कि एक बार नाइट्रोजन अगर किसी भी फॉर्म में सॉइल में आ गया तो प्लांट अपने रूट्स के हेल्प से उसे सॉइल से अपने अंदर खींच लेगा एंड नाइट्रोजन इज अ वेरी वेरी वेरी एसेंशियल न्यूट्रिएंट फॉर प्लांट ग्रोथ एंड डेवलपमेंट ठीक है तो यह जो हमारा बैक्टीरिया दिया है राइजोबियम इसकी तो यह बहुत अमेजिंग कैपेबिलिटी है यह हमारे प्लांट्स को नाइट्रोजन जैसा एसेंशियल न्यूट्रिएंट प्रोवाइड करा सकता है तो है ना यह बायोफर्टिलाइजर है कि नहीं क्योंकि यह सोइल के क्वालिटी को इंप्रूव कर रहा है सॉइल में ये नाइट्रोजन को लेके आ रहा है तो ये फर्टिलाइजर का काम ही तो कर रहा है चलो देखते हैं बायो फर्टिलाइजर का दूसरा एग्जांपल ये भी एक सिंबायोटिक एसोसिएशन है किसका फंगा का कुछ प्लांट्स के साथ तो फंगा का प्लांट्स के साथ जो ये ल बेनिफिट वाला एसोसिएशन होता है उसके लिए एक टर्म यूज करते हैं हम व्हिच इज माइको रिजा ठीक है अब इस एसोसिएशन में देखो फंगा क्या बेनिफिट देता है प्लांट को ठीक है फंगा का बेनिफिट तो वही कॉमन है उसको रहने के लिए जगह और पेट भरने के लिए खाना फूड शेल्टर इज टेकन केयर बाय द प्लांट तो ये फंगा का बेनिफिट है लेकिन प्लांट का बेनिफिट क्या है भाई तो फंगा क्या करता है सोइल में जो फॉस्फोरस है राइट उस फास्फोरस को प्लांट तक पहुंचाता है तो बेसिकली फास्फोरस अगेन इज अनदर वेरी वेरी इंपोर्टेंट न्यूट्रिएंट फॉर प्लांट ग्रोथ एंड डेवलपमेंट तो ये फंगा क्या कर रहा है ये फास्फोरस को प्लांट को एब्जॉर्ब करने में मदद कर रहा है राइट तो यानी कि ये जो हमारा फंगा है यह भी एक तरीके से क्या हुआ बायोफर्टिलाइजर हुआ राइट क्योंकि देखो सॉइल को एनरिच किया जा रहा है सॉइल में नाइट्रोजन लाया जा रहा है सॉइल में फास्फोरस लाया जा रहा है तो सॉइल हमारा एनरिच हो रहा है सॉइल की क्वालिटी बेटर हो रही है तो प्लांट का ग्रोथ बेटर हो रहा है तो क्रॉप का यील्ड भी इंप्रूव होगा है ना साथ ही साथ इंटरेस्टिंग आप देखोगे ये जो फंगा होते हैं ना इन प्लांट्स के रूट टिप्स में पाए जाते हैं उसका एक बेनिफिट और होता है प्लांट्स के लिए जो फंगा होते हैं ना ये किसी भी पैथोली करने देते हैं कोई भी हार्मफुल माइक्रोब अगर एंटर करने की कोशिश भी करता है तो ये उसे ब्लॉक कर देता है तो मतलब ये सिर्फ अच्छी चीजों को जाने देता है जैसे कि फास्फोरस को जाने देता है लेकिन नुकसान पहुंचाने वाले ऑर्गेनिस्ट म को जाने बिल्कुल नहीं देता है बायोफर्टिलाइजर्स का तीसरा एग्जांपल सायनो बैक्टीरिया जैसे कि एनाब नॉस्टॉक ये सारे भी एटमॉस्फेरिक नाइट्रोजन को फिक्स करने में मदद करते हैं इस तरीके से सॉइल में ऑर्गेनिक मैटर एनरिच करते हैं तो इवेंचर लिए ये सभी क्या कर रहे हैं सॉइल में नाइट्रोजन फास्फोरस और भी ऑर्गेनिक मैटर डाल रहे हैं इससे क्या हो रहा है सॉइल की जो फर्टिलिटी है वो इंप्रूव हो रही है सॉइल की क्वालिटी इंप्रूव हो रही है जिसके वजह से इवेंचर ग्रोथ और डेवलपमेंट हो रहा है तो इस तरीके से बच्चों हमने अभी क्या देखा कि ये जो माइक्रोब्स हैं ये सिर्फ नुकसान नहीं पहुंचाते हैं हमें ये हमारे बहुत काम भी आते हैं जैसे कि अभी-अभी हमने देखा किस तरीके से माइक्रोब्स खुद हमारे लिए फर्टिलाइजर्स का काम करते हैं तो बच्चा पाटी इसी के साथ हम आ पहुंचे हैं इस वीडियो के एंड तक और इस पूरे वीडियो को देखने के बाद आपके कांसेप्ट तो क्रिस्टल क्लियर हुए ही होंगे साथ ही साथ आपको ये भी पता चल गया होगा कि माइक्रोब्स अच्छे भी होते हैं क्योंकि ये हमारे लिए बहुत सारे ऐसे काम करते हैं जो हमारे डे टू डे लाइफ में बहुत ज्यादा यूजफुल होता है और अगर आपके कांसेप्ट हुए हैं क्रिस्टल क्लियर तो हमेशा की तरह कमेंट में लिख के बताना है कि कांसेप्ट हुआ क्रिस्टल क्लियर मैं आपको हमेशा की तरह जल्दी ही मिलूंगी एक और नए वीडियो के साथ एक और धमाकेदार वीडियो के साथ तब तक के लिए स्टे सेफ टेक केयर बाय बाय