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Exploring India's Nationalism Movement

हाय बच बडी दिस इज योर टीचर शुभम पाठक वेलकम टू द चैनल शुभम पाठक जहां पे हम क्लास 10 की एसएसटी और बायोलॉजी पढ़ते हैं आज का चैप्टर है हमारा नेशनलिज्म इन इंडिया जैसे हमने हिस्ट्री के पहले चैप्टर में यानी कि राइज ऑफ नेशनलिज्म यूरोप में पढ़ा था कि देशभक्ति यूरोप में कैसे-कैसे उत्पन्न हुई और कैसे-कैसे फैली वैसे ही हम इस चैप्टर में अपने देश के बारे में पढ़ने वाले हैं इंडिया के बारे में पढ़ने वाले हैं इंडिया की कहानी होने वाली है और ज्यादा इंटरेस्टिंग आपको बहुत रिलेटेबल लगने वाला है थोड़ा सा गुस्सा आने वाला है थोड़ा सा आक्रोश आने वाला है थोड़ा सा प्राउड फील होने वाला है तो दिस इज अ वेरी वेरी इंटरेस्टिंग चैप्टर खूब मजा आएगा पढ़ने में आज पूरा चैप्टर हम खत्म कर देंगे जहां-जहां से प्रीवियस ईयर बोर्ड एग्जाम में थ्री मार्क और फाइव मार्कर क्वेश्चन आए हैं मैं वो भी बताती चलूंगी हर टॉपिक के बाद तुम्हें एमसीक्यू कराऊंगा जवाब तुमने मुझे कमेंट्स में भी देना है ताकि मुझे तुम्हारे टीचर शुभम पाठक मैम को यह समझ आ जाए कि तुम्हें टॉपिक समझ आ रहे हैं कि नहीं आ रहे हैं आगे जाने से पहले तीन चीजों की रिक्वेस्ट करना चाहूंगी अगर आपको यह एक्सप्लेनेशन अच्छी लगे तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करिएगा और चैनल को सबस करके बेल आइकन को प्रेस कर दीजिएगा ताकि जब भी कोई वीडियो आए तुम्हें ताजी-ताजी देखने को मिले बासी देखने को ना मिले दूसरा t ग्रा चैनल है हमारे डिस्क्रिप्शन बॉक्स में उसका भी लिंक है उसे जवाइन कर लीजिए वहां मेरे हैंड मेड नोट्स आपको मिलते रहते हैं और भी हम बहुत सारी क्विज खेलते हैं वहां पे और तीसरा बस कुछ नहीं लेके बैठ जाओ अपनी पेन और कॉपी और जहां-जहां मैं बोलूंगी या तो एनसीआरटी में हाईलाइट कर लो या जहां-जहां मैं बोलूंगी ये वाला पॉइंट नोट डाउन कर लो वो वाला पॉइंट नोट डाउन कर लेना वैसे ये जो पीपीटी बनाई है तुम्हें फ्री ऑफ कॉस्ट डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जाएगी कोई पैसे वैसे देने की जरूरत नहीं है चैनल पे सब फ्री है ठीक है चलो स्टार्ट करते हैं नेशनलिज्म इन इंडिया सो यूरोप में हमने देखा कि देश भ भक्ति की भावना फ्रेंच रेवोल्यूशन से एक तरीके से शुरू हुई है ना हम ये कह सकते हैं कि फ्रेंच रेवोल्यूशन से पूरी कहानी शुरू हुई इंडिया जैसे देशों में क्या था कि देशभक्ति की भावना मोस्टली कॉलोनियल गवर्नमेंट के प्रति हमारी ट्रेड से शुरू हुई तो हम सबको जब समझ आया पहले तो कोई देशभक्ति नहीं थी पहले तो बस ये था कि हम सब कॉलोनियल गवर्नमेंट से दुखी थे कॉलोनियल गवर्नमेंट बोले तो ब्रिटिशर्स से दुखी थे फिर हमें समझ आया कि यार जब हमारा एनिमी कॉमन है है ना जब हमारा दुश्मन एक ही है तो दुश्मन का दुश्मन हमारा तो दोस्त हुआ ना तो फिर हमें समझ आया कि आपस में यूनिटी बना लेनी चाहिए अब इसमें महात्मा गांधी जी का भी बहुत बड़ा हाथ था भ भगत सिंह राजगुरु जैसे लोगों का भी बहुत बड़ा हाथ था और इंडियन नेशनल कांग्रेस का भी बहुत बड़ा हाथ था ऐसा नहीं है कि उस जमाने में इंडिया में और पॉलिटिकल पार्टीज नहीं थी काफी सारी थी लेकिन इंडियन नेशनल कांग्रेस गांधी जी के साथ मिलके बहुत बड़े-बड़े मूवमेंट्स लॉन्च किया करती थी जिन मूवमेंट्स की वजह से हमें फाइनली जाके इंडिपेंडेंस में बहुत सारी हेल्प मिली तो हम उसी की कहानी इस चैप्टर में पढ़ने वाले हैं लेकिन इससे पहले कि हम जाने कि महात्मा गांधी जी ने या इंडियन नेशनल कांग्रेस ने क्या-क्या किया पहले जान लेते हैं कि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर देखो पूरी हिस्ट्री तो नहीं पढ़ रही अंग अंग्रेजों ने हम पे 200 साल से ऊपर राज किया तो उतनी सारी हिस्ट्री तो इस चैप्टर में नहीं है लेकिन फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से लेके 1947 तक की हिस्ट्री ऑलमोस्ट इसमें सारी दी हुई है तो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर आपको पता होना चाहिए कब हुई थी बच्चा नहीं पता तो मैं बता देती हूं 1900 1914 से लेके 1918 तक हुई थी अब इसमें क्या है ना ब्रिटिश गवर्नमेंट डायरेक्टली इवॉल्वड थी यानी कि ब्रिटिश यानी कि यूनाइटेड किंगडम डायरेक्टली फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में इवॉल्व था इंडिया इवॉल्व बिल्कुल भी नहीं था लेकिन फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में जब ब्रिटेन इवॉल्व हुआ तो उसकी वजह से इंडिया में कैसी नई इकोनॉमिक या नई पॉलिटिकल सिचुएशन बन गई वो तुम पहले टॉपिक में पढ़ते हो यानी कि हमारे देश की पॉलिटिक और हमारे देश के पैसे से कैसे खिलवाड़ किया गया जस्ट बिकॉज़ फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में ब्रिटेन अपनी वॉर को फंड करना चाहता था तो सबसे पहले तो उसने हमारी कंट्री में डिफेंस पे एक्सपेंडिचर बढ़ा दिया भैया उस जमाने की उस जमाने की जो इंडियन आर्मी हुआ करती थी वो कोई इंडिया के लिए थोड़ी काम करती थी वो तो ब्रिटेन के लिए काम करती थी तो उसने जबरदस्ती हमारी आर्मी पे एक्सपेंडिचर बढ़ा दिया क्यों क्योंकि उससे हमारे सोल्जर्स को भेजना था ब्रिटेन की तरफ से फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में लड़ने के लिए तो उन्होंने आर्मी पे एक्सपेंडिचर बढ़ा दिया दूसरा पॉइंट हाइक इन कस्टम ड्यूटीज बच्चा टैक्स ना बहुत तरीके तरीके का होता है कस्टम ड्यूटीज वो वाला टैक्स होती है जो देश में आने वाले सामान पे लगता है मतलब अगर बाकी देशों से कोई सामान आप खरीद रहे हो तो जो इंपोर्ट हो रहा है किस पे लगता है इंपोर्ट जो इंपोर्ट पे टैक्स लगता है उसे तुम बोलते हो कस्टम ड्यूटीज तो कस्टम ड्यूटीज को इन्होंने बढ़ा दिया क्यों क्योंकि वो टैक्स किसकी जेब में जा रहा था ब्रिटिश गवर्नमेंट की जेब में कॉलोनियल गवर्नमेंट की जेब में कॉलोनियल गवर्नमेंट उससे क्या कर रही थी अपनी फर्स्ट वर्ल्ड वॉर को फंड कर रही थी तीसरा पॉइंट फोर्सड रिक्रूटमेंट इन आर्मी अब कोई चाहेगा थोड़ी ब्रिटेन के लिए मरना कोई भी नहीं चाह रहा था उस वक्त सबको पता था फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में जाएंगे तो मरना तो निश्चित है बहुत बड़े चांसेस हैं बहुत पॉसिबिलिटी है लेकिन जबरदस्ती ब्रिटेन क्या कर रहा था इंडियन आर्मी में लोगों को सोल्जर्स बना के भर्ती कर रहा था जो बेचारे फार्मर्स थे गांव-गांव में उन्हें जबरदस्ती आर्मी में सोल्जर बनाया जा रहा था ताकि वह ब्रिटेन की साइड से फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में लड़ाई कर सके देन एक्सट्रीम हार्डशिप फॉर कॉमन पीपल ड्यू टू इंक्रीज इन प्राइसेस अब जब देश के सारे नौजवानों को तुम ले गए हो आर्मी में भर्ती कराने सोल्जर बनाने तो देश में लेबर तो है नहीं जब लेबर नहीं है तो काम हो नहीं रहा है जब काम हो नहीं रहा है तो प्रोडक्शन हो नहीं रहा है जब सामान ही नहीं बन रहा है तो जो बचा कुचा सामान है वो क्या होगा वो महंगे में बिकेगा है ना सो सारी चीजों के जो प्राइसेस हैं वो बढ़ गए थे और इंडिया एसेंशियली एक गरीब कंट्री था हमारे पास इतने पैसे नहीं होते थे कि हम महंगा महंगा सामान खरीदें इंट्रोडक्शन ऑफ इनकम टैक्स इससे पहले हमारे देश में इनकम पे टैक्स नहीं देना पड़ता था जस्ट बिकॉज ब्रिटेन चाहता था कि वो अपनी वॉर में फंडिंग हासिल करें उसने हमारे देश के कमाऊ लोगों पे क्या कर दिया इनकम टैक्स लगा दिया बच्चा तो ये इफेक्ट्स आए इंडिया पे वर्ल्ड वॉर नंबर वन में अब इसके साथ-साथ हमारी थोड़ी किस्मत और ज्यादा खराब थी ये तो चलो डायरेक्टली चीजें किसने की थी ब्रिटिश गवर्नमेंट ने की थी लेकिन हमारी किस्मत थोड़ी ज्यादा खराब थी बच्चा क्यों क्योंकि हमारे पास ना क्रॉप का फेलियर भी हो गया था दो दो साल लगातार नहीं एक साल छोड़ के तीसरे साल में यानी कि 1918 से 1919 जस्ट वर्ल्ड वॉर के बाद वर्ल्ड वॉर में भी हालत ी काफी खराब है वर्ल्ड वॉर के बाद एक साल ये और एक साल ये 1920 से 1921 हमारे पूरे देश में ओवरऑल क्या हो गया क्रॉप का फेलियर हो गया जब क्रॉप का फेलियर होता है तो मार्केट में क्रॉप्स अवेलेबल नहीं होती हैं तो उसे हम बोलते हैं एक्यूट शॉर्टेज जब शॉर्टेज आएगा खाने का तो जो बच्चा कुचा खाना है वो महंगे में मिलेगा तो महंगाई और ज्यादा बढ़ गई देन इन्फ्लुएंस एपिडेमिक जैसे बच्चा तुमने कोरोना देखा कोरोना वाज अ पेंडम पेंडम क्या होता है जो पूरी दुनिया में फैला होता है एपिडेमिक होता है जो एक पर्टिकुलर एरिया तक सीमित होता है तो इनफ्लुएंजा नाम की एक बीमारी फैल गई थी जो सिर्फ इंडिया वाले हिस्से में तब देखने को मिलती थी दुनिया के और भी दो-चार हिस्सों में थे पर पैंमिकन बोलते हम उसे एपिडेमिक बोलते हैं इन्फ्लुएंस से हमारे देश में उस पर्टिकुलर टाइम पीरियड में कुछ नहीं कुछ नहीं तो 120 से 130 लाख लोग मारे गए बच्चा 1 मिलियन में 10 लाख होता है 1 मिलियन इज इक्वल टू 10 लाख अब तुम हिसाब लगा वालो 120 से 130 लाख लोग मारे गए एनसीआरटी का डेटा है ये काफी हालत खराब थी अब हमारी हार्डशिप्स इतनी ज्यादा बढ़ती जा रही थी एक तो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में बड़ा नुकसान हुआ था दूसरा फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद भी हमारा ज्यादा नुकसान हुआ था तो अब हमें लग रहा था कि यार अब हमसे नहीं हो पा रहा है अब हमसे ब्रिटिश गवर्नमेंट नहीं झल रही है कॉलोनियल गवर्नमेंट नहीं झल रही है और हमें नहीं पता कि कॉलोनियल गवर्नमेंट का करना क्या है अब हमारे इंडिया की स्थिति ऐसी थी कि हमें एक मसीहा चाहिए था भगवान का रूप मसीहा हमें बचाने वाला सुपर हीरो जो भी मानो बट वी वर जस्ट वेटिंग फॉर अ मसीहा और वो मसीहा हमें मिला गांधी जी के रूप में तो गांधी जी थे कहां पे कहां थे गांधी जी गांधी जी साउथ अफ्रीका में थे गांधी जी ने अपनी पढ़ाई भी बाहर से की है गांधी जी साउथ अफ्रीका में थे आप क्लास नाइंथ में पढ़ के आए हो कि साउथ अफ्रीका में अर्थी की लड़ाई लड़ी जा रही थी किसकी लड़ाई लड़ी जा रही थी अपार्ड की है ना काले और गोरे का जो भेदभाव था अर्थी मूवमेंट चल रहा था पूरे साउथ अफ्रीका में ब्लैक पीपल वर ट्राइट गेट रिड ऑफ द वाइट कॉलोनाइजर्स तो साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी जी वहां अपना सत्याग्रह वगैरा करके लोगों की मदद कर रहे थे लेकिन जब उन्हें समझ आया कि यार मेरा जो खुद का देश है मेरा जो भारत है उसे मेरी ज्यादा जरूरत है और उन्होंने ये सत्याग्रह का जो आईडिया है जो प्रोटेस्ट का नॉन वायलेंट तरीके से प्रोटेस्ट करने का जो आईडिया है उन्होंने साउथ अफ्रीका में खूब अच्छे से ट्रा और टेस्ट कर रखा था कि हां भैया काम करता है 100% तो वो वही आईडिया लेके जनवरी 1915 में भारत वापस आ गए कहां से वापस आए साउथ अफ्रीका से भारत वापस आए और आए तो आए अपने साथ तोहफा लेके आए और तोहफे का नाम था सत्याग्रह बच्चा अगर हिंदी शब्द है सत्याग्रह सत्याग्रह का संधि विच्छेद तुम करोगे तो तुम्हें दो शब्द मिलेंगे एक मिलेगा सत्य एक मिलेगा आग्रह आग्रह करना होता है किसी चीज पर डटे रहना और सत्य का मतलब होता है तत तो सत्या धन आग्रह यानी कि सत्याग्रह का क्या मतलब है कि अपने सच पर डटे रहो तो व्हाट वास सत्याग्रह बच्चा ये क्वेश्चन जो है बोर्ड एग्जाम में कई बार पूछा गया है कि सत्याग्रह होता क्या है सत्याग्रह से गांधी जी ने कौन-कौन से सत्याग्रह किए सब पे सवाल आता है तो सत्याग्रह होता है एक सत्याग्रह यू कैन से वाज अ मेथड ऑफ मास एजीटेशन एंड नॉन वायलेंट प्रोटेस्ट अगेंस्ट द ब्रिटिश गवर्नमेंट है ना नॉन वायलेंट का एक मास एजिटेटेड का मतलब गांधी जी चाहते थे कि जब तक पूरा देश एकजुट नहीं होगा तब से तब तक हम अंग्रेजों से छुटकारा नहीं पाएंगे तो गांधी जी ने सत्याग्रह के आइडिया को इतना प्रमोट किया पूरे इंडिया में कि सबने सत्याग्रह को अपनाया और सत्याग्रह में क्या था दो चीजें थी एक तो अगर तुम सच्चे हो तो अपने सच पर डटे रहो अगर तुम सच्चे हो तो तुम्हें वेपन यूज करने की जरूरत नहीं है तुम्हें मारा पीटी करने की जरूरत नहीं है अगर तुम सच्चे हो तो तुम नॉन वायलेंट तरीके से अहिंसा अहिंसा परमो धर्म गांधी जी हमेशा बोलते थे यानी कि तुम नॉन वायलेंट तरीके से ही सत्यमेव जैते यानी कि सच की जीत करवा लोगे अगर तुम सच्चे हो ना तो एक ना एक दिन जो तुम्हें ्रेयष रहा है वो तुम्हारा सच मानने की के लिए मजबूर हो जाएगा और तुम्हारे सच की जीत होगी बस तुम्हें करना है तो नॉन वायलेंट तरीके से अपने सच पे डटे रहना है और सत्याग्रह करना सत्याग्रह का मतलब प्रोटेस्ट करना है लेकिन प्रोटेस्ट में हाथ पैर नहीं बजाने भैया लाठी वाठी नहीं करनी है बंदूके बंदूके नहीं चलानी है नॉन वायलेंट तरीके से क्योंकि गांधी जी का मानना ये था कि अगर ब्रिटिशर्स हम पे गोली चला रहे हैं और हम भी उन पे गोली चलाने लग जाएं तो फिर हम में और उनमें कोई फर्क नहीं दिखेगा फिर दुनिया ये नहीं देखेगी कि ब्रिटिशर्स ने हमारे साथ क्या किया दुनिया देखेगी कि भारत वालों ने भी तो ब्रिटिशर्स के साथ क्या गलत किया है ना लेकिन अगर हम चुपचाप नॉन वायलेंट तरीके से सत्याग्रह करते रहेंगे तो दुनिया को जरूर समझ आएगा और दुनिया भी ब्रिटिश गवर्नमेंट पे प्रेशर डालेगी कि भैया देखो इंडिया वालों के साथ क्या हो रहा है राइट सो गांधी जी बिलीव्ड इन द पावर ऑफ ट्रुथ गांधी जी ने बोला अपने सच को पहचानो सच पे ड डटे रहो अहिंसा परमो धर्म अहिंसा यूज़ करो यानी कि नॉन वायलेंट तरीके से प्रोटेस्ट करो वायलेंस की जरूरत नहीं है अगर तुम सच्चे हो तो जीत तुम्हारी ही होगी और गांधी जी का यह मानना है गांधी जी ने टेस्ट भी किया था साउथ अफ्रीका में गांधी जी का यह मानना था कि ये जो सत्याग्रह है ये हमेशा काम करता है अब देखो गांधी जी आए 1915 में इंडिया वापस आए 1915 में अब वो नहीं चाहते थे कि वो किसी की बनी बनाई बात को माने तो उन्होंने 1915 से 1916 तक एक साल घूम-घूम के देश में भ्रमण लगाया पूरे इंडिया में वो घूमते रहे लोगों से मिलते रहे लोगों की परेशानी जानते रहे और उन्होंने समझा कि भाई कहां पे क्या गलत चल रहा है मैं भी तो जानूं है ना उसके बाद जब उन्हे ने लगा कहीं पर सत्याग्रह की जरूरत है तो उन्होंने सत्याग्रह किया तो बैक टू बैक 1917 और 1918 में एक साल के अंदर-अंदर उन्होंने तीन मेजर सत्याग्रह किए जिसे तुम याद रखने के लिए बस केक को याद रखो केक को क्यों याद रखो केक की स्पेलिंग क्या होती है सी ए के ई तो सी फॉर चंपारण ए फॉर अहमदाबाद के फॉर खेड़ा और ई फॉर खाली ठीक है तो केक याद रखो तुम्हें सारे याद रहेंगे सत्याग्रह सबसे पहले चंपारण सत्याग्रह किया गया था बच्चा यहां पे 1916 लिखा है बट 1916 से 1917 चला था आई विल टेल यू व्हाई गांधी जी जब पहुंचे थे चंपारण डिस्ट्रिक्ट जो बिहार में पड़ता है तब 1917 था लेकिन 1916 से चंपारण के लोग खुद ही प्रोटेस्ट पे बैठे हुए थे सत्याग्रह नाम नहीं पता था उन्हें वो तो गांधी जी लेके आए लेकिन 1916 से वो खुद ही प्रोटेस्ट पे बैठे हुए थे तो कई बुक्स में 1917 लिखा है कई बुक्स में 1916 लिखा है आपको याद करना हो तो 1917 याद करिएगा क्यों क्योंकि गांधी जी ने सत्याग्रह कब सक्सेसफुल कराया था पेपर में ये पूछा जाता है ठीक है तो 1917 इज द डेट सो गांधी जी चंप न पहुंचे चंप न पड़ता है बिहार डिस्ट्रिक्ट में अब मैं बता देती हूं कहानी क्या है यहां तुम्हारी एनसीआरटी में लिखी ई है दो मिनट लूंगी तुम्हें कहानी समझ आ जाएगी तो देखो नील नाम का एक इंडिगो नाम की ना खेती होती है इंडिगो का फूल होता है उसकी खेती होती है उसे नील बनता है जो कपड़ों कपड़ों पे लगता है अब नील एक ऐसी क्रॉप है ना जिसे अगर तुम जमीन में उगाओ ग ना तो जमीन बहुत ही इनफर्ट इल हो जाती है जमीन का सारा पोषण नील की खेती बर्बाद कर देती है अगले तीन-चार साल तक तुम कुछ और उगा नहीं सकते नील की खेती करने के बाद तो ओबवियसली फार्मर जो है नील की खेती करना नहीं चाहते और अगर कोई फार्मर नील की खेती कर रहा है तो वो चाहेगा कि उसे उसके बहुत अच्छे प्राइस मिले क्योंकि ओबवियसली उसके दो-तीन साल बाद तक वो कुछ और उगा नहीं पाएगा अपनी जमीन पे है ना लेकिन यहां पे क्या हो रहा था चंपारण डिस्ट्रिक्ट में जबरदस्ती फार्मर से नील की खेती कराई जा रही थी ओपेसिटी कराया जा रहा था और इंडिगो प्लांटेशन के बावजूद कौन करा रहा था कॉलोनियल गवर्नमेंट करा रही थी और इंडिगो प्लांटेशन करवा के भी उन्हें जो है उनकी के अच्छे पैसे नहीं दिए जा रहे थे तो फार्मर्स बड़े दुखी थे फार्मर्स गांधी जी पहुंचे गांधी जी ने सत्याग्रह करवाया 1917 में सत्याग्रह हो गया सक्सेसफुल और ब्रिटिश गवर्नमेंट ने लोगों की बात मान ली फार्मर्स का सत्याग्रह कंपलीटली सक्सेसफुल अब आते हैं दूसरे सत्याग्रह पे दूसरा सत्याग्रह हुआ बच्चा खेड़ा में खेड़ा डिस्ट्रिक्ट पड़ती है गुजरात में आगे वाले दोनों सत्याग्रह हमारे गुजरात के खेड़ा भी अहमदाबाद भी तो खेड़ा डिस्ट्रिक्ट में भी फार्मर्स की प्रॉब्लम थी अब देखो हुआ क्या था एक बीमारी होती है प्लेग नाम की क्या नाम की प्लेग नाम की प्लेग ना इफेक्टेड रोडेंट से होता है रोडेंट का मतलब चुहिया हो गई चूहा हो गया चु चुंदर हो गया इनमें ना ये जैसे बोलते हैं ना मलेरिया मच्छर काटने से होता है वैसे ही प्लेग जो है इफेक्टेड चूहे के काटने से होता है किसी भी चूहे के काटने से नहीं जिस चूहे को प्लेग की बीमारी होगी उस चूहे के काटने से या उस चूहे का झूठा किया हुआ खाना तुम्हें खाने से प्लेग के होने के चांसेस बढ़ जाते हैं तो प्लेग नाम की जो बीमारी है वो हमारे गुजरात में फैली हुई थी अब जब प्लेग हुआ था तो ये जो रोडेंट थे जो ये चूहे थे चचल थे जिन्हें प्लेग था ये ना इन्होंने खेत के खेत खराब कर दिए थे अब जिस गंदे चूहे ने मतलब इफेक्टेड चूहे ने अगर तुम्हारे खेतों को खराब कर दिया तुम वो खाना तो नहीं बेच सकते वो तो इफेक्टेड हो गया प्लेट की महामारी बहुत जगह फैल जाएगी तो कई सारे फार्मर्स के क्रॉप्स जो हैं खराब हो गई थी प्लेग की वजह से ठीक है पहली बात तो ये है अब प्लेग की वजह से पहली बात क्रॉप्स खराब हो गई थी अब फार्मर्स भी हर हर फार्मर अमीर नहीं होता है ना कुछ फार्मर अमीर होते हैं कुछ फार्मर गरीब होते हैं जो अमीर फार्मर होते हैं अगर उनकी एक डेढ़ साल क्रॉप खराब भी हो गई तो वो अपनी सेविंग्स में से पैसे निकाल के खा लेते हैं लेकिन जो बेचारे गरीब फार्मर्स वो कहां से पैसे लाएंगे वो तो उसी साल की खेती पे डिपेंडेंट है ना कंप्लीट कि अभी मैं ये क्रॉप बेचूंगा फिर मुझे पैसे मिलेंगे राइट लेकिन जो हमारी गवर्नमेंट है कॉलोनियल गवर्नमेंट है वो लेती थी रेवेन्यू शेयर रेवेन्यू शेयर रेवेन्यू शेयर का मतलब जब तुम अपनी क्रॉप बेचो ग तो उसका एक हिस्सा तुम्हें जो है किसको देना पड़ेगा ब्रिटिश गवर्नमेंट को देना पड़ेगा जब क्रॉप्स ही नहीं बची छोटे फार्मर्स के पास तो वो बेचेंगे क्या और रेवेन्यू शेयर कैसे देंगे राइट तो उनको ये प्रॉब्लम थी कि हमारा जो ये रेवेन्यू शेयर है इस साल माफ कर दो क्योंकि प्लेग की वजह से हमारी क्रॉप्स खराब हो गई ब्रिटिश गवर्नमेंट बात सुनने के लिए तैयार ही नहीं गांधी जी पहुंचे गांधी जी ने 1917 में सत्याग्रह करवाया सत्याग्रह हो गया सक्सेसफुल बड़े फार्मर्स से रेवेन्यू बटोरा गया छोटे फार्मर्स के रेवेन्यू को माफ कर दिया गया तो सत्याग्रह वास सक्सेसफुल अभी चंपारण और खड़ा सत्याग्रह हमारा फार्मर्स के लिए हुआ था लेकिन जो नेक्स्ट सत्याग्रह है वो अहमदाबाद में हुआ था और वो हुआ था कॉटन मिल्क के वर्कर्स के लिए अब देखो पूरी मार्केट में पूरे गुजरात में तो चल रहे हैं प्लेग प्लेग चल रहा है क्रॉप्स प्रॉप्स है नहीं जब गुजरात में क्रॉप्स की कमी है प्लेग चल रहा है तो मतलब कि मार्केट में जो चीजें हैं वो महंगी मिल रही हैं जब चीजें महंगी मिल रही है बच्चा तो तनख्वा तो कम पड़नी लाजमी है ना अभी भी हम बोलते हैं महंगाई पड़ रही है महंगाई पड़ रही है सेविंग्स ही नहीं हो पा रही क्यों क्योंकि जब चीजें मार्केट में महंगी मिलती है तो मतलब आपका पैसा ज्यादा खर्च होगा तो कॉटन मिल में काम करने वाले जो वर्कर्स थे अहमदाबाद में वो कह रहे थे अपने मालिकों से कॉलोनियल गवर्नमेंट से कि हमारे पैसे थोड़े से बढ़ा दो यार क्योंकि महंगाई बहुत बढ़ गई है हम ये नहीं कह हमारी सैलरी डबल कर दो पर 10 पर 20 पर जो भी है हमारी सैलरी थोड़ी बढ़ा दो राइट लेकिन वो सुनने के लिए तैयार ही नहीं थे गांधी जी पहुंचे 1918 में उन्होंने कॉटन मिलके वर्कर्स के साथ बैठ के सत्याग्रह किया चुपचाप कि यार तुम काम पे मत जाओ तुम मारा पीटी मत करो तुम काम पे जाना बंद कर दो सत्याग्रह हो गया सक्सेसफुल और यह एनसीआरटी में लिखा नहीं है लेकिन मैं आपको बता रही हूं कि 30 पर 30 पर लोगों की सैलरी में इंक्रीमेंट दे दिया गया था तो दिस सक्सेसफुल सत्याग्रह वाज डन इन अहमदाबाद राइट तो बैक टू बैक सोचो एक आदमी 1915 में इंडिया आया और 200 साल से कोई गवर्नमेंट आप पर राज कर रही है और उसने बैक टू बैक तीन सत्याग्रह कर दिए तो लोगों को डर तो लग गया था कॉलोनियल गवर्नमेंट को तो लग गया था कि भैया ये कौन सा आदमी है जो आती इंडिया में यू नो बवाल मचा रहा है राइट सो कॉलोनियल गवर्नमेंट के रडार पे आ गए थे गांधी जी अब उसी रडार पे आने की वजह से आगे क्या-क्या हुआ मैं बताती हूं पर उससे पहले एक क्वेश्चन सॉल्व करने की कोशिश करो कि सत्याग्रह का असली मतलब क्या होता है यू हैव 30 सेकंड वेरी नाइस वेरी नाइस एंड द राइट आंसर इ ऑप्शन नंबर बी नेक्स्ट क्वेश्चन गांधी जी ने सत्याग्रह कौन सी प्लेसेस में लच किया चंपारण अहमदाबाद खेड़ा या सारी की सारी बहुत इजी क्वेश्चन है कर लिया आंसर चले आगे वेरी नाइस ल द अब चलिए तो गांधी से लोग भैया इतने डर गए थे कि गांधी जी से डर के मारे ब्रिटिश गवर्नमेंट ने कुछ ऐसा कर दिया जिससे इंडिया को बहुत नुकसान हुआ तो ब्रिटिश गवर्नमेंट ना इंडिया पे राज करने के लिए देखो ब्रिटेन जो है सिर्फ इंडिया पे राज नहीं करता था श्रीलंका पे भी राज करता था कैरेबियन आइलैंड्स पे भी राज करता था इनफैक्ट एक जमाने में अमेरिका पे भी राज करता था तो ब्रिटेन वाज अ वेरी पावरफुल नेशन बच्चा छोटा सा कंट्री लेकिन बहुत पावरफुल था तो ब्रिटेन ना अपने जगह पे मतलब ब्रिटेन के अंदर बहुत सारी ऐसी छोटी-छोटी कमिटीज बनाई जाती थी कॉलोनी यानी कि इंडिया हो गया श्रीलंका हो गया ऐसे जो ब्रिटेन कॉलोनी थी उन पे हुकुम जमाने के लिए कि भैया हां इस कॉलोनी में क्या चल रहा है इस कॉलोनी में क्या चल रहा है ऐसी एक कमेटी बनाई गई थी ब्रिटेन में जिसका नाम है इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल तो इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में ओबवियसली ब्रिटिशर्स भी थे यानी कि अंग्रेज लोग भी थे लेकिन साथ में भारत के भी लोग थे अब अ इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के जो हेड थे उनका नाम था रो रोलेट क्या नाम था रोलेट नाम था तो इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने ब्रिटिश गवर्नमेंट से ये गांधी जी से डर के जल्दी-जल्दी रोलेट एक्ट को पास कर दिया अब अब रोलेट एक पास हुआ मार्च 1919 में देखो 1918 से 1918 में इतने सारे सत्याग्रह हुए 17 और 18 में मार्च 1919 में ब्रिटिश गवर्नमेंट ने रोलेट एक्ट को पास कर दिया ठीक है अब ओबवियसली जो इसमें इंडियन मेंबर्स थे इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में उन्होंने बोला कि ये जो लॉ है ये जो एक्ट है ये इंडियंस पे मत फोर्स करो ये इंडिया के लिए बहुत गलत है लेकिन फिर भी रोलेट साहब ने एक नहीं सुनी और इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने इस एक्ट को पास कर दिया अच्छा इस एक्ट में अब ऐसा था क्या जिससे इंडियंस को बहुत गुस्सा आया तो इस एक्ट में था बच्चा कि ब्रिटिश गवर्नमेंट जिसके पास ऑलरेडी बहुत सारी पावर है पॉलिटिकल पावर है इकोनॉमिक पावर है हर तरीके से पावर है उस गवर्नमेंट को इस एक्ट ने और ज्यादा पावर प्रोवाइड कर दी थी अब जो सत्याग्रही है ना मतलब आप अगर वायलेंस कर रहे हो तो भी और अगर आप वायलेंस नहीं कर रहे हो तो भी बिना किसी कारण को दिए हुए आपको जेल में डालने की अनुमति मिल गई थी ब्रिटिश गवर्नमेंट को और बिना किसी जज के सामने पेशी किए कि भैया जज डिसाइड करेगा कि तुमने कुछ किया भी है गलत कि नहीं किया है बिना किसी जज के सामने गए हुए भी तुम उन्हें पनिशमेंट दी जा सकती है पहले ऐसा नहीं होता था पहले कॉलोनियल इंडिया में भी ट्रायल चलता था ट्रायल मतलब मुकदमा चलता था केस चलता था दो साल तक और उसके बाद डिसाइड होता था कि तुम्हें क्या पनिशमेंट मिलेगी लेकिन इस एक्ट ने बोला कि किसी को भी पकड़ के ब्रिटिश गवर्नमेंट जेल में डाल सकती है और बिना किसी ट्रायल के पनिशमेंट दे सकती है तो इसका क्या मतलब है तुम गांधी जी के सत्याग्रही हों के पीछे पड़े हुए तुम चाहते हो कि लोग तुम्हारी हुकूमत के खिलाफ आवाज ही ना उठाएं है ना लेकिन गांधी जी भी डरने वाले नहीं थे जैसे ही रोलेट एक्ट पास हुआ गांधी जी ने बोला अच्छा बच्चू बताता हूं मैं तुम्हें तुम मेरे देश में रोलेट एक्ट लगाओगे मैं अपने देश में हड़ताल कराऊंगा तो रोलेट एक्ट पास हुआ था बच्चा मार्च में और 6 अप्रैल 6 अप्रैल 1919 में गांधी जी ने बोला हम बहुत बड़ी हड़ताल करेंगे सिविल डिसबडिंग अच्छा सिविल डिसोडियम मत होना वी आर नॉट टॉकिंग अबाउट द फुल फ्लेज सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट जो 1930 में हुआ था सिविल डिसऑबेडिएंस इंग्लिश के दो शब्द हैं जिसका मतलब होता है कि अगर आप गवर्नमेंट के बनाए द्वारा लॉज का पालन नहीं कर रहे हो तो मतलब आप सिविल डिसऑबेडिएंट हो ठीक है तो डोंट गेट कंफ्यूज तो एक छोटा एक दिन के लिए सिविल डिसो बेडिंस कराया गया था 6थ अप्रैल 1919 को और गांधी जी ने सोचा था कि यार ये मूवमेंट कितना ही बड़ा होगा ब्रिटिशर्स ने भी सोचा था कितना ही बड़ा होगा लेकिन ये मूवमेंट बहुत बड़ा हो गया 6थ अप्रैल को सारे लोगों ने अपने तो ब्रिटिश गवर्नमेंट को और गुस्सा आ गया ब्रिटिश गवर्नमेंट को लगा यार हम इस इंसान को चुप कराना चाह रहे हैं ये तो और सर पे चढ़ के नाच रहे हैं ना ब्रिटिश गवर्नमेंट को गांधी जी बिल्कुल पसंद नहीं आ रहे थे सत्याग्रह बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था ऐसा ही एक ब्रिटिशर था जिसका नाम था जनरल डायर क्या नाम था जनरल डायर तो ब्रिटिशर्स ने सोचा कि ये जो हड़ताल कराई गई है इसका कुछ तो हमें जवाब देना पड़ेगा जनरल डायर वाज अ वेरी वेरी वेरी मीन पर्सन उसे हमें भारत के लोगों से कोई भी प्यार नहीं था उसने क्या सोचा कि नॉर्थ इंडिया में प्रोटेस्ट ज्यादा हो रहा था ठीक है नॉर्थ इंडिया में प्रोटेस्ट ज्यादा जोर-शोर से हो रहा था वो पूरे इंडिया में रहा था नॉर्थ में ज्यादा हो रहा था तो उसने सोचा कि यार नॉर्थ इंडिया को अगर मैं मजा चखा दूं ना नॉर्थ इंडिया में किसी एक जगह पे मैं मजा चखा दूं तो पूरे इंडिया को सबक मिल जाएगा तो उसने क्या किया गांधी जी की सबसे पहले एंट्री रुकवा दिल्ली में क्योंकि होता है ना कि जब आपका हीरो आता है तो लोग ज्यादा शोर मचाते हैं मूवी देखने जाते हो जब विलन आता है तो इतने शोर नहीं मचाते जब हीरो आता है स्क्रीन पे लोग बहुत शोर मचाते हैं तो गांधी जी तो हीरो थे गांधी जी अगर दिल्ली में एंटर कर जाते तो फिर लोगों में और ही ज्यादा उत्साह होता और ही ज्यादा जोश होता लोग जोर-शोर से ब्रिटिश गवर्नमेंट का मुकाबला करते तो गांधी जी की सबसे पहले उन्होंने एंट्री बंद कराई जनरल डायर में फिर उन्होंने बोला फिर उन्होंने अमृतसर में अमृतसर में स्केड्यूल थे वो है ना पंजाब में थे तब जनरल डायर ने मार्शल लॉ लगा दिया देखो बच्चा हमारी सोसाइटी में लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन करने का जिम्मा पुलिस के पास होता है पुलिस के पास आर्मी होती है डिफेंस के लिए लॉ एंड ऑर्डर मेंटेन नहीं करती आदमी लेकिन मार्शल लॉ जब लगता है कहीं पे कर्फ्यू जब लगता है या मार्शल लॉ जब लगता है तो उसका मतलब होता है कि अब सारी चीजें आर्मी के हाथ में है पुलिस अलग तरीके से काम करती है आर्मी अलग तरीके से काम करती है अगर आर्मी को दिखेगा आप गुटबाजी कर रहे हो आप रैली निकाल रहे हो प्रोटेस्ट कर रहे हो तो आर्मी दो बार सोचेगी नहीं आपको गोली मारने में राइट तो इसने क्या किया पूरे पंजाब में मार्शल लॉ लगा दिया और ये मार्शल लॉ की जो खबर है वो लोगों तक पहुंची नहीं थी इसने चुपके से मार्शल लॉ लगाया दिया लोगों को पता ही नहीं है कि मार्शल लॉ लगा हुआ है ठीक है अब लोग क्या है 13 अप्रैल का दिन है 13 अप्रैल का दिन है तो बैसाखी का दिन है लोग बैसाखी मनाने जा रहे हैं अमृतसर में बैसाखी का मेला लगता है जलिया वाला बाग नाम का एक ग्राउंड है वहां पे मैं गई हूं और वहां पे बढ़िया मेला लगता था पहले तो अब तो क्या ही है अब तो वहां पे स्मारक बनी हुई है जलिया वाला बाग मैस केयर के बाद बट एनीवे 13 अप्रैल का दिन था जलियावाला बाग में लोग जो है अमृतसर में बैसाखी का मेला मनाने आए थे हां वहां पे दो-चार सत्याग्रही भी आए थे लेकिन वो सत्याग्रही थे वो कोई बंदूके बंदूके लेके किसी को मारने पीटने नहीं आए थे ना तो पुलिस वालों को ना तो ब्रिटिश गवर्नमेंट को वो क्या है चुपचाप अपना थोड़ा डिस्कशन करने आए थे लेकिन ज्यादातर लोग जो है वहां पे वो इ कंप्लीट इनोसेंट थे वो तो मेले में आए थे जनरल डायर ने जलियावाला बाग में घुस के वहां पे क्या किया लोगों को बोला तुम्हारे पास चंद मिनट हैं चंद मिनट है अगर यहां से जा सकते हो तो चले जाओ अब जलियावाला बाग की जो दीवारें हैं बड़ी ऊंची ऊंची एक ही पॉइंट था एंट्री का इसने सारे एंट्री और एग्जिट के पॉइंट बंद कर दिए लोग बेचारे दीवारों पे चढ़ चढ़ के ताप नहीं की कोशिश कर रहे थे इससे पहले कि वहां से एक भी इंसान बाहर निकल पाता इन्होंने क्या किया ब्रिटिश जनरल डायर ने पुलिस से मिलके ओबवियसली पुलिस साथ लेके गया था पुलिस भी नहीं आर्मी साथ लेके गया था और इन्होंने ओपन फायरिंग करानी शुरू कर दी 300 से 400 लोग मारे गए उसमें से एक छोटा सा विक्टिम था जो 6 महीने का छोटा सा बच्चा था तो इतने इनोसेंट लोगों पे इसने फायरिंग की और जब तक फायरिंग चलती रही जब तक वहां पे जितने लोग थे वो सारे मर नहीं गए डायर एंटर्ड द एरिया ब्लॉक द एग्जिट एंड ओपन फायर किलिंग हंड्रेड्स ऑफ पीपल और जब जनरल डायर से बाद में पूछा गया ना कि भैया डायर ये तूने क्यों किया ऐसा व्हाई डिड यू डू दैट टू द इंडियंस तो उसने पता है क्या बोला ही वाज सो मीन ही सेड आई वांटेड टू प्रोड्यूस अ मोरल इफेक्ट मैं ना लोगों के दिलों दिमाग में वो दर् और दहशत फैलाना चाहता था कि भाई अगर ब्रिटिश गवर्नमेंट के अगेंस्ट जाओगे ना तो तुम्हारा भी यही हाल होगा जस्ट इस एक चीज के लिए उसने इतने सारे लोगों को मार डाला जो कि इनोसेंट अपना त्यौहार मनाने आए थे तो ओबवियसली जब जलिया वाला बाग हुआ तो उसके बाद ऐसा नॉर्थ इंडिया में आग जनी हो गई मतलब लोग बिल्कुल आग बबूला थे लोग स्ट्राइक्स कर रहे थे क्लैशेस कर रहे थे अब लोग सत्याग्रह भूल गए थे जिनके चाहने वाले मरे थे जिनके घर वाले मरे थे वो ओबवियसली आप सत्याग्रह व त्याग थोड़ी कर रहे थे उनको जहां पुलिस दिख रही थी वो झड़प कर रहे थे कॉलोनियल गवर्नमेंट की बिल्डिंग्स को अटैक कर रहे थे देर वार अ लॉट ऑफ थिंग्स हैपनिंग पुलिस को मौका मिल गया पुलिस तो चाहती यही थी आर्मी तो चाहती यही थी कॉलोनियल गवर्मेंट तो चाहती यही थी कि ये लोग एक गलती करें सत्याग्रह से थोड़ा सा वायलेंस हो सत्याग्रह थोड़ा सा आगे बढ़ेंगे अहिंसा म हिंसा छोड़े तो हम इनकी और पिटाई लगाए तो जैसे ही स्ट्राइक्स और क्लैशेस होने शुरू हुए गवर्नमेंट ने और ज्यादा ब्रूटल रिप्रेशन कर दिया सत्याग्रही को पकड़ पकड़ के वो बोलती थी जमीन पे नाक रगड़ के दिखाओ बोलती थी सलाम ठोक के दिखाओ साहिब बोल के दिखाओ उन्हें लातों से मारा जाता था उन्हें गोलियों से मारा जाता था और उन्हें घर से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था उनके बच्चों उनकी उनकी लेडीज घर की जो होती थी सबको तंग किया जाता था सो एक तरीके से भारतवासियों को तंग करने का जनरल डायर और ब्रिटिश गवर्नमेंट को एक रीजन मिल गया था आफ्टर जलिया वाला बाग मैस केयर मैस केयर का क्या मतलब होता है बच्चा एक तो होता है मर्डर मर्डर मतलब एक इंसान को मारना और एक होता है मैसे केयर मैसे केयर मतलब एक साथ कई सारे लोगों को मारना ठीक है जी क्राउड्स टूक इन टू द स्ट्रीट मेनी नॉर्थ इंडियन टाउंस तो अमृतसर के सपोर्ट में नॉर्थ इंडिया में दिल्ली हो गया पटियाला हो गया चंडीगढ़ हो गया बहुत सारी जगहों पे बहुत सारी रैलियां निकाली गई लेकिन गांधी जी रैलियों में इंटरेस्टेड नहीं थे गांधी जी को बहुत चोट लगी गांधी जी को लगा मैंने ये तो नहीं सोचा था मैंने जब रल अटैक के बाद सिक्स्थ ऑफ अप्रैल को हड़ताल करवाई थी अपने देश में तो मैंने ये तो नहीं सोचा था राइट ये देखो यहां पे एक फोटो दिखाई हुई है एक सत्याग्रही को ये जो है क्रॉल करके बोल रहे हैं कि अपने घर से निकलना है बाहर तो घुटनों के बल जाना पड़ेगा इस तरीके से इंडियंस का हाल किया जा रहा था बट एनीवे गांधी जी ने ये नहीं सोचा था कि यार ऐसा कुछ हो जाएगा मेरे देशवासियों के साथ तो गांधी जी ने सोचा अब तो मैं मूवमेंट अब तो मैं मुंह तोड़ जवाब दूंगा अभी तक ये इन्होंने समझा नहीं है कि इंडियंस कौन होते हैं अभी क्या है कि इंडिया में इन्होंने फूट डालो राजक हो की नीति अपनाई हुई थी तो हिंदू मुस्लिम में भाईचारा कम था अब इन्होंने बोला मैं कुछ ऐसा करूंगा जिसमें हिंदू और मुस्लिम साथ आके अपने आपस के भेदभाव को भूल के ब्रिटिश गवर्नमेंट के खिलाफ आवाज उठाएंगे तो गांधी जी चले गए सोचने समझने कि ऐसा क्या किया जाए ऐसा क्या किया जाए अब गांधी जी ने आगे क्या किया और किसके साथ मिलके किया मैं अरे मेरे को लगा था क्वेश्चन आएगा पर चलो बता देती हूं किलात इशू हां थोड़ा सा डी टूर करते हैं थोड़ा सा फर्स्ट वर्ल्ड वॉर की बात करते हैं फर्स्ट वर्ल्ड वॉर हुई थी 1914 से 1918 फर्स्ट वर्ल्ड वॉर में जीत गई थी एली एलाइज एलाइज में आता था यूके यूएस से इस टाइप के नेशंस आते थे और कौन नहीं जीता था जर्मनी ऑस्ट्रिया और ऑटोमन एंपायर जिसे आज टर्की बोला जाता है तब तोन एंपायर बोला जाता था ये लोग हार गए थे यूके यूएसए फ्रांस जैसे देश जो है जीत गए थे तो जब एलाइज जीत गई थी बच्चा जब एलाइज जीत गई थी तो वो जानबूझ के इन लोगों को अ जो जर्मनी ऑस्ट्रिया ऑटोमन एंपायर जैसे लोग थे जो दूसरे खेमे के लोग थे इन्हें तंग कर रही थी ठीक है सेंट्रल पावर बोला जाता था इहे सेंट्रल पावर को तंग किया जा रहा था तो ऑटोमन एंपायर मोस्टली मुस्लिम डोमिनेटेड एंपायर था मोस्टली क्या कंपलीटली मुस्लिम डोमिनेटेड एंपायर था मतलब कि वहां पे इस्लाम फॉलो करते थे सब लोग तो वहां पे क्या होता है कि एक खलीफा नाम की एक पोजीशन होती है ऑटोमन एंपायर में खलीफा नाम की एक पोजीशन होती थी अब वो खलीफा एक तरीके से दुनिया के सारे मुसलमान भाई और बहनों के लिए एक स्पिरिचुअल लीडर का काम करते हैं है ना तो जो भी लोग इस्लाम फॉलो करते हैं वो खलीफा को बहुत हाई रिगार्ड में होल्ड करते हैं बहुत रिस्पेक्टफुल मानते हैं जैसे पोप है वैटिकन सिटी में तो ऐसा नहीं है कि सिर्फ वैटिकन सिटी के क्रिश्चियंस पोप को मानते हैं पूरी दुनिया के क्रिश्चन उन्हें मानते हैं राइट सिमिलरली ऑटोमन एंपायर के खलीफा को सब लोग सारे मुसम मुसलमान लोग लोग अपने क्या मानते थे स्पिरिचुअल लीडर की तरह देखते थे लेकिन जब फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद हार्श पीस ट्रीटी मतलब पीस के नाम पे एक गंदी सी ट्रीटी थोपी जा रही थी ऑटोमन एंपायर पे और खलीफा की टेंपोरल पावर मतलब खलीफा की जो खुद की इस्लामिक रिलीजन ने उन्हें जो पावर दी थी उस पावर को कम किया जा रहा था या उन्हें नीचा दिखाया जा रहा था तो पूरी दुनिया के जो मुसलमान थे वो अपनी आवाज उठा रहे थे सिमिलरली हमारे देश में भी जो मुसलमान भाई बहन थे उन्होंने भी लीफा के सपोर्ट में एक कमेटी बनाई थी जिसका नाम था खिलाफत कमेटी खलीफा खिलाफत है ना खिलाफत कमेटी कब बनी थी ये मार्च में बनी थी मार्च 1919 में बनी थी राइट तो इस कमेटी में खिलाफत कमेटी में वैसे तो बहुत सारे लोग थे पूरे देश के मुसलमान भाई और बहन इससे जुड़े हुए थे लेकिन मोहम्मद अली और शौकत अली नाम के दो लीडर्स थे जो यहां पर ज्यादा काम करते थे तो दिस वास फॉर्म्ड इन बॉम्बे यह सब पूछा जाता है बॉम्बे में बनाई गई थी मुंबई जिसे बोलते हैं बे लिख के आना तब बम्बे बोलते थे और मार्च 1919 में बनाई गई थी क्यों बनाई गई थी खलीफा को सपोर्ट करने के लिए बनाई गई थी खलीफा को सपोर्ट करना क्यों जरूरी था क्योंकि फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के बाद एलाइज नेशन उन परे हार्श पीस ट्रीटी थोप के उनकी पावर्स को नीचा दिखा रहे थे राइट और खलीफा होते कौन है मुसलमान भाई और बहनों के स्पिरिचुअल लीडर की तरह देखते थे उन्हें तो फिर इसीलिए उनके सपोर्ट में आवाज उठा रहे थे अब मोहम्मद अली शौकत अली अब गांधी जी को दिख गया यहां पे एक मौका गांधी जी को लगा कि यार इंडियन नेशनल कांग्रेस वहां पे स्वराज इशू पे काम कर रही है स्वराज तो नहीं मतलब इंडिपेंडेंस पे काम कर रही है देश को अ ये अंग्रेजों के चंगुल से निकालना चाह रही है और यहां जो हमारे मुसलमान भाई और बहन है वो खिलाफत इशू पे काम कर रहे हैं कितना अच्छा होगा कि हम दोनों कॉसेस को मिक्स कर द है ना हम देश की आजादी और जो ये खिलाफत इशू है अगर उन दोनों को मिक्स करके एक बड़ा मूवमेंट लॉन्च कर पाएं जिसमें हिंदूजास पेट करें और मुस्लिम्स भी पार्टिसिपेट करें तो देश में कितनी यूनिटी आएगी और फिर अंग्रेजों को समझ आएगा कि हमारे यहां हिंदू मुसलमान में जो ये तुम फूट लवाते हो ना ये काम नहीं आएगी है ना स गांधी जी को दिखी ये अपॉर्चुनिटी गांधी जी इस अपॉर्चुनिटी को सीज करने के लिए मोहम्मद अली और शौकत अली को लेके इंडियन नेशनल कांग्रेस की एक मीटिंग में चले गए तब ना इंडियन नेशनल कांग्रेस की मीटिंग्स हुआ करती थी वो सारी मीटिंग्स बड़ी जरूरी होती थी कभी कोलकाता में हो रही है कभी नागपुर में हो रही है कभी मद्रास में हो रही है घूम-घूम के हुआ करती थी तो उस वक्त जो मीटिंग हो रही थी बच्चा वो सितंबर 1920 की बात है कोलकाता में कांग्रेस का सेशन लगा जा रहा था तो मोहम्मद अली शौकत अली को लेके गांधी जी वहां पहुंच गए और गांधी जी ने वहां पे क्या किया गांधी जी ने वहां पे प्रस्ताव दे दिया कि क्यों ना हिंदू और मुस्लिम साथ में आके कोई मूवमेंट लॉन्च करें तो वहीं से हुआ नॉन कोऑपरेशन का पहला बीज मिट्टी में दफन जिसका नाम था कि स्वराज स्वराज मतलब इंडिपेंडेंस इंडिपेंडेंस किसका इशू था इंडिपेंडेंस इशू था आपका इंडियन नेशनल कांग्रेस का और खिलाफत किसका इशू था खिलाफत था खिलाफत कमेटी का इन दोनों को मिला के यानी हिंदूजा क्योंकि इंडियन नेशनल कांग्रेस में उस वक्त मोस्टली लोग हिंदू ही हुआ करते थे 99 पर लोग हिंदू ही हुआ करते थे ठीक है सो साथ में मिलके नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट लॉन्च करने की थानी चलो आगे जाएं उससे पहले दो-तीन क्वेश्चन कर लो तुम पहला क्वेश्चन है ये खिलाफत कमेटी वाज फॉर्म्ड इन 1919 इन व्हिच ऑफ द सिटी बॉम्बे में बनी थी कलक में बनी थी लखनऊ में बनी थी अमृतसर में बनी थी वेरी नाइस बॉम्बे नेक्स्ट क्वेश्चन कौन सी किताब थी जिसमें गांधी जी ने मेंशन किया है कि इंडियन नॉन कॉपरेशन करते रंग तब तकक ब्रिटिशर्स इंडिया में सरवाइव करेंगे अच्छा इसका आंसर आप नहीं बता पाओगे शायद आगे आने वाला था ये टॉपिक बट मैं बता देती हूं इसका आंसर है ऑप्शन नंबर बी ठीक है चलिए नॉन कोऑपरेशन तो गांधी जी ने पहले ही सोच लिया था और गांधी जी ने 1909 में ये बात सही लिखी हुई है कि 1909 में गांधी जी ने एक किताब लिखी थी हिंद स्वराज नाम की गांधी जी ने उसमें ऑलरेडी मेंशन किया हुआ था कि ब्रिटिशर्स हम पे राज इसलिए कर पाते हैं क्योंकि वो जो भी बोलते हैं हम उन्हें करके देते हैं है ना हम उनके साथ कोऑपरेट करते हैं आखिर देश कौन चला रहा है देश में जो सर्विसेस वो प्रोवाइड कर रहे हैं चाहे वो टेली टेलीग्राफ की सर्विस है पोस्ट कार्ड की सर्विसेस है या फिर यू नो रेलवेज है कोर्ट्स है स्कूल्स हैं वहां पे मोस्टली काम करने वाले लोग तो इंडियन ही हैं तो गांधी जी का ऑलरेडी ये मानना था उन्होंने हिंद स्वराज 1909 में मेंशन किया था कि जब इंडियंस ब्रिटिशर्स से कोऑपरेट करना बंद कर देंगे ना तब ब्रिटिश राज ऑलरेडी खत्म हो जाएगा और गांधी जी ने उसी को ध्यान में रखते हुए नॉन कोऑपरेशन को लॉन्च किया गांधी जी ने बोला कि मूवमेंट स्टार्ट होगा बाय सरेंडर द टाइटल अब ब्रिटिश गवर्नमेंट इतनी चंट हुआ करती थी ना बच्चा कि अमीरी और गरीबी का भी भेदभाव करती थी जो लोग अमीर होते थे ना अमीर घरानों से आए हुए होते थे चाहे वो लॉयर्स हैं चाहे वो डॉक्टर्स हैं उन्हें वो क्या करती थी कुछ टाइटल दे देती थी बेसिकली ना अपना सगा बना के रखती थी उन्हें बाकी लोगों को पीटती रहती थी मारती रहती थी और हुकम चलाती रहती थी अमीर लोगों को अपना दोस्त बना के रखती थी जैसे कि रविंद्रनाथ टैगोर जी वैसे इतने बहुत बड़े इंसान थे लेकिन वो बहुत अमीर घर से आते थे तो उन्हें सर का टाइटल दे दिया या कोई और टाइटल दे दिया तो ऐसे बहुत सारे अमीरों को टाइटल्स मिले हुए थे जिनसे वो बड़े खुश रहते थे तो वो ब्रिटिश गवर्नमेंट के खिलाफ कभी आवाज नहीं उठाते थे तो गांधी जी ने बोला पहले तो तुम ये टाइटल्स वापस करो क्योंकि हम जिस सरकार के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं तुम उस सरकार को अपना दोस्त बनाए बैठे हो ठीक है तो गांधी जी ने बोला नॉन कॉपरेशन विल स्टार्ट बाय सरेंडर द टाइटल फिर उन्होंने बोला कि हम ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए काम करते हैं नॉन कोऑपरेशन नॉन कोऑपरेशन मतलब वो जो बोल रहे हैं हमें करने के लिए वो मत करो अगर वो बोल रहे हैं स्कूल में टीचर बनो मत बनो वो बोल रहे हैं आर्मी में जाओ मत जाओ वो बोल रहे हैं कोर्ट में जाके जज बनो लॉयर बनो मत बनो उनके किसी भी इंस्टिट्यूशन में अगर तुम उनका साथ दे रहे हो तो हमारा देश आजाद नहीं है ठीक है सिंपल सी बात है तो उन्होंने बोला बॉयकॉट कर दो बॉयकॉट करने का मतलब बिल्कुल ध्यान मत दो बॉयकॉट मतलब छोड़ दो एक तरीके से त्याग दो त्यागना होता है बॉयकॉट का मतलब त्याग देना ठीक है तीसरा इन केस द गवर्नमेंट इश्यूड अ यूज्ड रिप्रेशन और गांधी जी ने तभी सोच लिया था जब वो नॉन कोऑपरेशन लॉन्च कर रहे थे कि अगर बाय चांस नॉन कोऑपरेशन को बंद कराने की ठानी गई तो मैं सिविल डिसऑबेडिएंस लॉन्च करूंगा और आगे तुम चैप्टर में देखोगे कि जब नॉन कोऑपरेशन खत्म हुआ था तो सिविल डिसबडिंग था ठीक है सो ये क्वेश्चन बड़ा पूछा जाता है कि नॉन कॉपरेशन मूवमेंट स्टार्ट कैसे हुआ तो याद रखना बाय सरेंडर द टाइटल्स बॉयकॉटिंग इसका एक पार्ट पार्ट था सरेंडर टाइटल्स इसका एक पार्ट था नॉन कोऑपरेशन का मतलब होता है ब्रिटिश गवर्नमेंट जो तुम्हें कह रही है करने को वो मत करो तो गांधी जी जाते थे पूरा देश नॉन कोऑपरेशन में पार्टिसिपेट करें तो 1920 की गर्मियों के सारे महीने गांधी जी शौकत अली के साथ मिलके पूरा इंडिया घूमते रहे हिंदू और मुस्लिम दोनों से अपना सहयोग मानते रहे ताकि जब वो नॉन कोऑपरेशन फाइनली लॉन्च करें तो उसमें बहुत अच्छा पा पार्टिसिपेशन मिले लेकिन कांग्रेस थोड़ी सी रिलक्टिविटी समझा लिया कांग्रेस को समझाने के लिए उन्हें नागपुर जाना पड़ा नागपुर में इंडियन नेशनल कांग्रेस की मीटिंग हो रही थी दिसंबर 1920 में वहां पे फाइनली कांग्रेस को समझा बुझा के नॉन कोऑपरेशन को अडॉप्ट कर लिया गया ध्यान देना यहां पे ध्यान देना नॉन कोऑपरेशन की बात सबसे पहले कलकत्ता सेशन में हुई थी है ना जो दिसंबर में था 1919 में नॉन कोऑपरेशन में कांग्रेस को सेम पेज पे लाके अडॉप्ट किया गया था नॉन कॉपरेशन को दिसंबर 1920 में ठीक है ओ सॉरी वो सिंबर थी सिंबर ये दिसंबर ठीक है नेक्स्ट और एक बार देख ही लेती हूं मैं हां सितंबर 1920 में हुआ था आपका कोलकाता सेशन जहां नेशनल कांग्रेस के सामने पहली बार प्रस्ताव रखा गया था नॉन कोऑपरेशन का फिर दो-तीन महीने लगे फिर कांग्रेस को पटा लिया गया गांधी जी ने बोला कि यार तुम मेरी बात मानो फिर दिसंबर 1920 में नॉन कॉपरेशन को अडॉप्ट किया लेकिन नॉन कोऑपरेशन अभी स्टार्ट नहीं हुई थी स्टार्ट होने की इसकी तारीख है जनवरी 1921 बच्चे बड़े कंफ्यूज रहते हैं मैम यही तो होगी नॉन कॉपरेशन की स्टार्टिंग नहीं अगले महीने से दिसंबर में तो अडॉप्ट किया गया था अगले महीने से नॉन कॉपरेशन स्टार्ट हुआ था तो जनवरी 1921 में नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट स्टार्ट हो गया नॉन कोऑपरेशन अलग-अलग जगह पे अलग-अलग तरीके से हुआ देखो वो बाद में लोकल लीडर उसे कुछ और बना देते थे बाद में चार लोग उसे तड़का लगा देते थे जब तक वो आम जनता के पास वो बात पहुंचती थी उस बात का बतंगड़ बन गया होता था तो नॉन कोऑपरेशन के फेल होने के या सक्सेसफुल नहीं होने के बड़े सारे कारण हैं इसे हम तीन तरीके से पढ़ेंगे पहले हम शहरों में नॉन कोऑपरेशन कैसे हुई वैसे पढ़ेंगे फिर गांव में नॉन कॉपरेशन कैसे हुई उसमें एक गांव की केस स्टडी है अवध की वो पढ़ेंगे फिर ट्राइबल पॉपुलेशन में नॉन कॉपरेशन से क्या मतलब निकाला वो पढ़ोगे और फिर प्लांटेशन वर्कर्स ने क्या मतलब निकाला वो पढ़ोगे और चारों जगह फेलियर के जो कॉसेस थे इन सब पे बोर्ड एग्जाम में क्वेश्चन पूछा जाता है तो जरा कहानी की तरह सुनना और याद रखने की कोशिश करना तो जनवरी 1921 में नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट हो गया चालू शहरों में ज्यादातर कौन सी जनता रहती है बच्चा शहरों में रहती है ज्यादातर मिडिल क्लास जनता तो मिडिल क्लास जनता ने सबसे ज्यादा पार्टिसिपेट किया नॉन कॉपरेशन में कहां गया हां द मूवमेंट स्टार्टेड विद मिडिल क्लास पार्टिसिपेशन अगर शहरों की बात करें सबसे ज्यादा लोग मिडिल क्लास ही थे जो पार्टिसिपेट कर रहे थे उन्होंने खूब अच्छे से पार्टिसिपेट किया जितनी छोटी-छोटी पॉलिटिकल पार्टीज थी या बड़ी-बड़ी पॉलिटिकल पार्टीज थी इंक्लूडिंग इंडियन नेशनल कांग्रेस उन्होंने काउंसिल इलेक्शन में पार्टिसिपेट नहीं किया सिर्फ इकलौती पार्टी थी जस्टिस पार्टी नाम की जो मद्रास में काम करती थी उन्होंने भी पार्टिसिपेट इसलिए किया बच्चा अ लिखा नहीं है ना य जस्टिस पार्टी इन मद्रास इन्होंने पार्टिसिपेट किया काउंसिल इलेक्शन में क्यों क्योंकि इनमें जो लोग थे वो ब्राह्मण कम्युनिटी या अकास कम्युनिटी के नहीं थे और हमारी कास्ट का अलग ही इशू रहा है इंडिया में आज भी है तो इनका ये था कि इन्हें दुनिया को ये दिखाना था कि अगर आप अपर कास्ट के नहीं भी हो काउंसिल इलेक्शन में पार्टिसिपेट करके आप फिर भी जीत सकते हो तो इन्होंने काउंसिल इलेक्शंस को बॉयकॉट नहीं किया लेकिन बाकी सारी पॉलिटिकल पार्टीज ने काउंसिल इलेक्शंस को बॉयकॉट किया और लोगों ने बाहर से कपड़ा मंगाना बंद कर दिया लोगों ने इंडियन टेक्सटाइल कपड़ा पहनना शुरू कर दिया हमारा जो खाती है हमारे घर का जो कॉटन है इंडिया का जो कॉटन है वो सब पहनना शुरू कर दिया बाहर का कपड़ा क्या है सस्ता आता था बना बनाए ट्राउजर बने बनाए शर्ट आते थे बिटेन से वो सारा कपड़ा इन्होंने खरीदना बंद कर दिया इनफैक्ट जो दुकान वाले थे उन्होंने भी बाहर से सामान मंगाना बंद कर दिया अगर उस साल की बात करोगे ना 1921 1921 से 1922 में हमारे बाहर से कपड़े का जो इंपोर्ट है वो आधा हो गया था 50 पर कम कर दिया था हमने बहुत बड़ी बात है उस जमाने के लिए राइट लोग जो है बाहर का सामान इस्तेमाल करना बंद कर रहे थे लिकर की जो शॉप्स लिकर किसने इंट्रोड्यूस की शराब का कांसेप्ट हमारे इंडिया में ब्रिटिशर्स लेके आए थे तो शराब की शराब एक बीमारी बन चुकी थी लोग शराब पीते थे काम नहीं करते थे घर पे पिटाई विटाई होती थी बच्चों की औरतों की तो एक तरीके से सोसाइटी में बहुत बड़ा पंगा क्रिएट कर दिया था लिकर शॉप्स ने तो लोगों ने नॉन कोऑपरेशन में लिकर शॉप्स को पिकेट किया पिकेट करने का मतलब होता है किसी के एंट्री पॉइंट पे खड़े हो जाओ अगर आप एंट्री रोक के एग्जिट रोक के खड़े हो गए ना कि हां भई हम अंदर आने नहीं देंगे तो उसे पिकेटिंग कहते हैं तो लिकर शॉप्स को पिट किया फॉरेन गुड्स को बॉयकॉट किया बड़ी-बड़ी बॉन फायर्स बनाई जाती थी बड़ी-बड़ी जगह जैसे होलिका दहन होता है ना हर गली के बाहर होलिका दहन के दिन वैसे ही नॉन कोऑपरेशन में शहरों में होलिका दहन टाइप हुआ करता था जिसमें लोग फॉरन समा आके वहां पे जलाया करते थे और खादी वगैरह यूज करते थे इनफैक्ट मिडिल क्लास जनता ने कोर्ट्स जाना बंद कर दिया स्कूल्स स्टूडेंट्स ने स्कूल्स और कॉलेजेस जाना बंद कर दिया लोगों ने पुलिस में काम अपनी नौकरी छोड़ दी नॉन कॉपरेशन के नाम पे तो मूवमेंट हुआ तो बहुत सही लेकिन मूवमेंट धीरे-धीरे फेल हो गया अब फेल क्यों हुआ जब अच्छा खासा मूवमेंट चल रहा था सब कुछ अच्छा चल रहा था तो फेल क्यों हुआ इसके दो कारण है एक तो हमारा देश गरीब था बच्चा तो अगर हम अपने देश का बना हुआ खादी यूज करते थे या कॉटन यूज करते थे वो हाथ से बना हुआ क कपड़ा होता था हाथ से बना हुआ कपड़ा हमेशा मशीन से बने हुए कपड़े से क्या आएगा महंगा आएगा तो खादी हमें बहुत महंगा पड़ रहा था हम लोग अफोर्ड नहीं कर पा रहे थे दूसरी प्रॉब्लम थी कि अगर हम ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए काम ना करें तो किसके लिए काम करें मोस्टली सोसाइटी में जो उस जमाने में जॉब्स थी वो ब्रिटिशर्स द्वारा जनरेट की गई जॉब्स थी तो अगर हम ब्रिटिश गवर्नमेंट के इंस्टीट्यूशंस में ना जाए उनके उनके कोर्ट में उनके अ यू नो पुलिस स्टेशन में उनके स्कूल्स में कॉलेजेस में ना जाएं तो कहां जाएं अल्टरनेटिव इंस्टीट्यूशंस नहीं थे तो धीरे-धीरे करके लोगों का उत्साह बंद होता रहा खत्म होता रहा और धीरे-धीरे करके उन्होंने पैसे कमाने के लिए फिर से ब्रिटिश गवर्नमेंट के जो इंस्टीट्यूशंस थे उन्हें जॉइन कर लिया सो देयर वर टू मेजर रीजंस फॉर द फेलर ऑफ नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट इन द सिटीज आया समझ पड़ा समझ बिल्कुल चलो एक क्वेश्चन पूछती हूं कौन सी पार्टी थी मद्रास में जिसने कांसिल इलेक्शंस में पार्टिसिपेट किया था सोचो सोचो नाम बोलो क्या नाम था पार्टी का प्रीवियस ईयर बोर्ड एग्जाम क्वेश्चन है चलो आंसर दे ही दिया होगा अब मैं आगे चल रही हूं मैं बता रही हूं रिबेलियंस इड देखो कंट्री साइड का मतलब होता है गांव गांव अब सारे इंडिया के गांव तो हम नहीं पढ़ सकते हम एक पर्टिकुलर गांव पढ़ेंगे बच्चा जिसका नाम है अवध क्या नाम है अवध थोड़ा सा डीटर करते हैं थोड़ी एक और कहानी बनाती हूं ब्रिटिश गवर्नमेंट यह है ब्रिटिशर्स ठीक है ब्रिटिशर्स ब्रिटिशर्स ने बहुत सारे देशों पे कब्जा किया हुआ था बहुत सारे देशों पे कब्जा नंबर वन टू थ्री बहुत सारे देशों पे कब्जा किया था जब जैसे मान लो यह पर्टिकुलर देश है मान लो श्रीलंका है श्रीलंका में उसे चाय पत्ती उगानी है तो श्रीलंका में चाय पत्ती उगाने के लिए वह अपने यहां से लोग थोड़ी बेचता था कि जाओ भाई श्रीलंका में चाय पत्ती उगाओ मैंने उस परे कब्जा किया हुआ है नहीं वो श्रीलंका में भेजेगा इंडिया के लोग इंडिया में कोई काम करवाना है या तो इंडिया से ही करवा लेगा अगर इंडिया में लोग की कमी है तो बाहर से लोग ले आएगा कैरिबियन आइलैंड कैरीबियन आइलैंड बहुत अच्छे-अच्छे आइलैंड्स थे जहां पे पॉपुलेशन कम होती थी तो वहां पे इंडिया से लोगों को पागल बना के भेजता था कि जाओ जाओ विदेश में काम मिलेगा बहुत अच्छा काम मिलेगा वहां पे जाके बधुआ मजदूरी कराता था बधुआ मजदूरी को बोलते हैं बॉन्डेड लेबर इंडेंचर्ड लेबर इंडेंचर्ड लेबर का मतलब होता है बच्चा बॉन्डेड लेबर बॉन्डेड लेबर का मतलब जब तक आपको काम करवाया जा रहा है तब तक आपके पास कोई फ्री बिल नहीं है मान लो आपसे कांट्रैक्ट साइन कराया गया एक साल का तो उस एक साल में आपसे ब्रिटिश गवर्नमेंट कुछ भी आ सकती है आपकी कोई मर्जी नहीं है आप अपनी मर्जी से काम भी नहीं छोड़ सकते सो बांडेड लेबर वगैरह ये कराया जाता था ये कहानी मैंने क्यों बताई है क्योंकि एनसीआरटी में ये एक लाइन लिखी हुई है कि अवध में एक आदमी थे जिनका नाम था बाबा रामचंद्र बाबा रामचंद्र अपनी जवानी के दिनों में कॉलोनियल गवर्नमेंट द्वारा पागल बनाए गए थे और उन्हें भेजा गया था फीजी फीजी पे भी ब्रिटेन का कब्जा था फीजी भेजा गया था इंडेंचर्ड लेबर बना के जब वो वहां से वापस आए उन्हें ब्रिटिश गवर्नमेंट की सारी पोल मालूम थी उन्हें पता था कि ब्रिटिश गवर्नमेंट कितनी गलत है उनके उनके दिल में ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए बहुत गुस्सा था और वो चाहते थे अपने देश के लिए कुछ करना तभी नॉन कोऑपरेशन नॉन कोऑपरेशन चल रहा था तो बाबा रामचंद्र ने सोचा वो भी अपने देश के लिए कुछ करेंगे लेकिन वो अवध के थे जब उन्होंने अवध में देखा ना कि भैया अवध में क्या प्रॉब्लम चल रही है मेरे देश में मेरे हिस्से में मेरे गांव में क्या प्रॉब्लम चल रही है तो उन्हें समझ आया कि यहां पे मोस्टली लोगों को प्रॉब्लम ब्रिटिश गवर्नमेंट से नहीं है मोस्टली लोगों को प्रॉब्लम इंडिया के ही अमीर फार्मर्स से जो बहुत अमीर फार्मर्स हुआ करते थे जो तालुकदार जमींदार घराने के लोग हुआ करते थे जिनके पास बहुत सारी जमीन हुआ करती थी जो थे तो भारतवासी लेकिन वही ना भारत में अभी तक देशभक्ति आई नहीं थी भारत में लोगों के बीच में अभी तक भाईचारा आया नहीं था कि यार अपने लोगों से तो अच्छे से रहे बाहर के लोगों से फिर भी हम यू नो गलत बात कर सकते हैं अभी तक वो भावना आई नहीं थी तो जो हमारे यहां के तालुकदार जमींदार थे वो हमारे यहां के छोटे फार्मर्स को तंग किया करते थे और छोटे फार्मर्स को यही प्रॉब्लम थी छोटे फार्मर्स को तीन प्रॉब्लम थी एक तो अगर वो जमीदार लोगों के यहां पर काम करते थे तो उनसे टैक्स बसोला जाता था रेवेन्यू बसोला जाता था यानी कि वो जो भी क्रॉप्स बेचते थे उसमें से एक हिस्सा रखा जाता था कौन रखता था जमीदार लोग रखते थे दूसरा उनसे काम करवाया जाता था जिसके पैसे नहीं मिलते थे बैगर का मतलब होता है ऐसा काम कराना जिसके आप पैसे भी नहीं दे रहे हो फ्री में मुफत में काम कराना ठीक है तीसरा उनको सोशल लेवल पे बहुत बॉयकॉट किया जाता था यूजुअली ये जो जमीदार घराने के लोग होते थे ये अपर कास्ट हुआ करते थे फिर वो कास्ट का इशू आ जाता था छोटे फार्मर मोस्टली दलित सेक्शन या फिर लोअर कास्ट को बिलोंग करते थे तो फिर वो कास्ट के नाम पे भी डिस्क्रिमिनेट करते थे और पैसे के नाम पे भी डिस्क्रिमिनेट करते थे तो ये प्रॉब्लम्स थी तो बाबा रामचंद्र को समझ आया कि यार नॉन कोऑपरेशन में गांधी जी बेशक बोल रहे हो कि यार ब्रिटिश गवर्नमेंट के खिलाफ कुछ करना चाहिए लेकिन मैं तो ये देख रहा हूं कि मेरे अवध में ज्यादातर प्रॉब्लम्स तो तालुकदार और जमींदार से है तो मैं तो इनके लिए कुछ करना चाहूंगी राइट तो उन्होंने फार्मर्स के साथ मिलके सबसे पहले नाई दो भी बंद कराया भैया ये जो बड़े घर के लोग होते हैं ये कोई भी काम खुद तो करते नहीं है इनके पास इतना पैसा होता है वो लोग क्या करते हैं सर्विस लेते हैं लोगों से पार्लर जाते हैं आज भी आप देखते हो अमीर लोग कहां जाते हैं पार्लर जाते हैं इधर जाते हैं उधर जाते हैं जिम जाते हैं यहां जाते हैं वहां जाते राइट अ तो नाई दबी बंद में क्या हुआ कि इनका हुक्का पानी एक तरीके से बंद कर दो इनको छोटे फार्मर्स ने बोला या जो जो भी गरीब लोग थे अवध के उन्होंने बोला हम इनको अपनी सर्विसेस देना बंद कर देंगे इनके घर पे हम काम नहीं करेंगे इनके घर वालों के लिए हम कुछ नहीं करके देंगे चाहे ये हमें पैसे दें चाहे ना दे ठीक है एक तरीके का रेजिस्टेंस था ये तो बाबा रामचंद्र ने अ ये सब किया और ये मूवमेंट थोड़ा सा फेमस हो गया तो 1920 में 1920 में ये पहले चल रहा था देखो 1921 में 1921 में नॉन कोऑपरेशन लॉन्च हुआ था लेकिन नॉन कोऑपरेशन से पहले ही अवध में ये मूवमेंट शुरू हो गया था छोटे फार्मर्स का बड़े फार्मर्स के खिलाफ तो 1920 में जवाहरलाल नेहरू भी गए अवध उन्हें ये बहुत अच्छा लगा उन्होंने कहा बात तो सही है जब छोटे फार्मर्स को प्रॉब्लम ही जमीदार और तालुकदार से है तो उनके लिए भी कुछ करना चाहिए तो अक्टूबर में 1920 अक्टूबर में जवाहरलाल नेहरू जी ने मिलके और बाबा रामचंद्र जी ने मिलके औध किसान सभा औध किसान सभा बोलो अवध किसान सभा बोलो य एक ही बात है छोटे फार्मर्स के हक की लड़ाई के लिए किसान की सभा खोल ली राइट अब वो मॉडल इतना फेमस हो गया कि अगले एक महीने के अंदर आसपास के 300 गांव में 300 300 300 ब्रांचेस खुल गई मतलब हर गांव में एक ब्रांच खुल गई 300 गांव में ब्रांचेस खुल गई सोचो मैकडोल से ज्यादा फेमस हो ग एक महीने के अंदर सो इट वाज अ वेरी सक्सेसफुल मॉडल लेकिन जब नॉन कोऑपरेशन की बात आई बच्चा 1921 में जब नॉन कोऑपरेशन की बात आई तो लोगों ने गांधी जी के नाम पे अफवाहें फैला के इस अवध किसान सभा वाली मूवमेंट को खराब कर दिया 1920 21 में तलक दार और जमीदारों के घर को अटैक किया गया उनके गोडाउन में लूटपाट मचाई गई होर्डिंग का मतलब उनका सामान लेके अपने घर में रख लिया भर लिया अपने घर को राइट लोकल लीडर ने बोला गांधी जी ने बोला है कि हम अमीर फार्मर्स से लैंड छीन के तुम्हें देंगे अब छोटे फार्मर्स को देंगे तो इस तरीके की अफवा एं उड़ने लगई मूवमेंट जो है वायलेंट हो गया और कांग्रेस नहीं चाहती थी कि व किसी भी वायलेंट मूवमेंट का हिस्सा बने क्योंकि गांधी जी इतने जोर-शोर अहिंसा परमो धर्मा अहिंसा परमो धर्मा सिखाने की कोशिश कर रहे थे यहां पे छोटे-छोटे मूवमेंट ही वायलेंट हो रहे थे तो कांग्रेस ने अपने हाथ पीछे खींच लिया औध किसान सभा से ना तो औध किसान सभा सक्सेसफुल हो पाई और ना तो नॉन कोऑपरेशन सक्सेसफुल हो पाया इंडिया के गांव में तो क्यों हुआ गांव में या अवध में नॉन कोऑपरेशन फेल क्योंकि गांधी जी के नाम पे वायलेंट चीजें करवाई गई लकदक अटैक हुए उनके सामान को होड किया गया और नहीं तो ऐसी अफवाह फैलाई गई कि उनसे जमीन चीन के छोटे फार्मर्स को दी जाएगी नेक्स्ट गुडेम हिल्स ऑफ आसाम नहीं नहीं आसाम नहीं है आंध्र प्रदेश हां जी अब हम ट्राइबल पॉपुलेशन के बारे में पढ़ेंगे अब इंडिया में बहुत सारी ट्राइबल पॉपुलेशन है सारी नहीं पढ़ सकते हम एक केस स्टडी पढ़ रहे हैं आंध्र प्रदेश की केस स्टडी है आंध्र प्रदेश में एक जगह है जिसे बोला जाता है गुडेम हिल्स वहां पे ट्राइबल पॉपुलेशन रहती है ट्राइबल पॉपुलेशन की प्रॉब्लम्स आप क्लास नाइंथ में फॉरेस्ट वाले चैप्टर में पढ़ के आई हो ब्रिटिश गवर्नमेंट ने आते ही साइंटिफिक फॉरेस्ट्री फॉरेस्ट लॉस लगा दिए थे है ना और इंडियंस को बोला था कि तुम अपने ही जंगलों में नहीं जा सकते तुम अपने जंगलों से जो अभी तक यू नो फल फूल खाना लेके आते थे जड़ीबूटी वगैरह लेके आते थे तुम कुछ नहीं कर सकते तुम अपने जानवरों को चराने भी नहीं ले जा सकते और अगर तुम्हें बल्कि जंगलों में सड़कें बड़के बनवाने लग गए थे ब्रिटिश गवर्नमेंट और वो सड़कें बनवाने में ट्राइबल लोगों से काम करवाते थे और पैसा भी नहीं देते थे तो इस तरीके का ऑपरेशन ऑलरेडी चल रहा था जो एनसीआरटी में मेंशन नहीं है लेकिन तुम क्लास नाइंथ में पढ़ के आए हो तो मैंने रीकैप करा दिया तो अब वहां पे क्या हुआ था गडम हिल्स में एक मिलिटेंट गोरिला मूवमेंट हो गया था जो कॉलोनियल गवर्नमेंट है उसने बड़े-बड़े फॉरेस्टर्स को क्लोज कर दिया था और ट्राइबल लोगों को फॉरेस्ट में जाने से मना कर दिया था लोग जो हैं बैगर कर कर के मुफत में ब्रिटिश गवर्नमेंट के लिए काम करके अपने जंगलों से बेदखल होके परेशान हो गए थे तो ट्राइबल पॉपुलेशन अब चाहती थी इन सारी प्रॉब्लम से छुटकारा ठीक है तो गडम हिल्स में क्या हुआ मिलिटेंट मिलिटेंट का मतलब होता है वायलेंट गोरिला मूवमेंट मतलब कि एक तरीके का जंग लड़ने का तरीका है एक वॉर फेयर का तरीका है गोरिला मूवमेंट होता है जिसमें आप छुप-छुप के वार करते हो ठीक है सो गोरिला मूवमेंट हुआ लेकिन बात तो नॉन कोऑपरेशन की चल रही थी नॉन कोऑपरेशन कहां गया तो वहां पे ना एक लोकल लीडर हुआ करता था बच्चा गडम हिल्स में जिनका नाम था अलरी सीताराम राजू जी अलरी सीताराम राजू जी बहुत ही स्पेशल इंसान थे वो लोगों को बताते थे उनके पास स्पेशल पावर है वो गोली भी खाएंगे तो मरेंगे नहीं वो बताते थे वो भगवान का रूप है वो बताते थे वो जो बोलेंगे सच हो जाएगा वो बोलते थे कि बिल्कुल सही है गांधी जी बहुत अच्छे इंसान हैं गांधी जी जो नॉन कोऑपरेशन कर रहे हैं बिल्कुल सही कर रहे हैं दारू नहीं पीनी चाहिए हमें अल्कोहल कंज्यूम नहीं करना चाहिए साथ में वो ये भी बोलते थे कि खादी पहनना चाहिए खादी बहुत अच्छी चीज है अच्छी-अच्छी बातें है अभी तक तो लेकिन साथ में उन्होंने ये बोल दिया कि गांधी जी जो बोल रहे हैं ना कि नॉन कोऑपरेशन अहिंसा तरीके से किया जाना चाहिए नॉन वायलेंट तरीके से ये गलत बोल रहे हैं आपर नॉन कोऑपरेशन करो लेकिन वायलेंट तरीके से फोर्सफुली नॉन कोऑपरेशन करो तो लूरी सीताराम राजू जी ने गडम हिल्स के लोगों को कन्विंसिबल बनने के लिए जब वो रेबेल बन गए तो रेबल बन के उन्होंने सारे पुलिस स्टेशंस पे अटैक कर दिया फॉरेस्ट डिपार्टमेंट पे अटैक कर दिया गवर्नमेंट ऑफिशियल पे अटैक कर दिया गोरिला वॉर फेयर छुप छुप के छुप-छुप के कई सारे पुलिस वालों को या गवर्नमेंट ऑफिशल्स को मारा गया फाइनली लोगों को समझ आया ब्रिटिश गवर्नमेंट को समझ आया कि इनका जो लीडर है उसे पकड़ना पड़ेगा अलरी सीताराम राजू जी को फाइनली पकड़ा गया 1924 में उन्हें फांसी दी गई लेकिन आज भी अलरी सीताराम राजू जी को आंध्र प्रदेश में या कई सारी बॉलीवुड मूवीज में आरआरआर नाम है शायद उस मूवी का जहां पे इनका कॉन्टेक्स्ट है लेकिन कई सारी जगहों पे इन्हें फोक हीरो की तरह माना जाता है मतलब कि लोकल हीरो की तरह हम मान मानते हैं अ क्योंकि इनकी बहुत मान्यता थी इनकी बहुत रिस्पेक्ट थी सोसाइटी में तो यहां पे भी मूवमेंट फेल हो गया अब है बात प्लांटेशन वर्कर्स की अब इसमें भी थोड़ा बैकग्राउंड दे दूं प्लांटेशन क्या होता है प्लांटेशन एक ऐसी फार्मिंग होती है बच्चा जब आप एक बहुत बड़े से लैंड पे खूब सारा पैसा लगा के सिर्फ एक सिंगल क्रॉप को ग्रो करते हो तो उसे बोला जाता है प्लांटेशन फार्मिंग जैसे कॉटन की जो खेती है वो प्लांटेशन खेती कहलाती है चाय की जो खेती है वो प्लांटेशन खेती खिलाती है क्यों क्योंकि जब आप चाय पत्ती उगाते हो तो ऐसा नहीं है कि आपने छोटा सा खेत लिया वहां पे चाय पत्ती उगा दी बाकी सारी जगह आप कुछ और उगा रहे हो नहीं जब चाय पत्ती उगाई जाती है तो बहुत बड़ी-बड़ी हिल्स प सिर्फ चाय पत्ती उगाई जा रही होती है फिर राइट सो प्लांटेशन वर्कर्स ने क्या किया अच्छा प्लांटेशन हां प्लांटेशन में वर्कर्स को हायर किया जाता था इंडिया से लोगों लोगों को प्लांटेशन वर्कर की तरह जॉब मिलती थी उनसे कांट्रैक्ट साइन कराया जाता था और उस कांट्रैक्ट के अकॉर्डिंग 5 साल तक 5 साल 10 साल लोगों का अलग-अलग कांट्रैक्ट होता था उस पर्टिकुलर कांट्रैक्ट के अकॉर्डिंग जितने साल के लिए उन्हें काम के लिए हायर किया जाता था उस उस काम तक उस काम के कंप्लीट हो तक वो उस जगह को छोड़ के जा नहीं सकते थे वो कहीं नहीं जा सकते थे वो अपने घर नहीं जा सकते थे वो जॉब नहीं छोड़ सकते थे वो कुछ नहीं कर सकते थे गवर्नमेंट ऑफिशल्स की परमिशन चाहिए थी तो इसके लिए एक लॉ था इंडिया में जिसका नाम था इनलैंड इमीग्रेशन एक्ट इनलैंड मतलब इंडिया के अंदर इमीग्रेशन मतलब किसी जगह से अगर निकल के आपको बाहर जाना है तो उसे इमीग्रेशन बोलते हैं इमीग्रेशन अगर यहां पे आई लगा होता तो मतलब किसी जगह के अंदर आना इमीग्रेशन मतलब जगह छोड़ के जाना तो इनला एंड इमीग्रेशन एक्ट ऑफ कि आप प्लांटेशन एरिया को छोड़ के नहीं जा सकते कितनी गलत बात है ये कितनी गलत बात है अब प्लांटेशन वर्कर्स को जैसे ही नॉन कोऑपरेशन की भनक लगी उन्हें लगा यार गांधी जी हमारा काम कराने वाले हैं गांधी जी अब हमारे लिए अलाव कर देंगे कि हम जब चाहे इस जगह को छोड़ के जा सकते हैं राइट टू मूव फ्रीली उन्होंने ऐसा इंटरप्रेट किया क्योंकि अफवाह बहुत फैलती थी उन्होंने ऐसा इंटरप्रेट किया कि गांधी जी ने बोला कि हां हां तुम्हें जहां जाना है वहां चले जाओ तो जैसे ही उन्होंने नॉन कॉपरेशन का सुना उन्होंने सारी अथॉरिटीज को पीछे छोड़ के प्ला टेशन एरिया को छोड़ के वो अपने-अपने गांव की तरफ बढ़ने पड़े लेकिन देश में तो नॉन कॉपरेशन चल रहा था नॉन कॉपरेशन में सारी रेलवे सारी बसेस सारे स्ट्रीमर्स रोडवे रेलवे सब कुछ बंद था क्योंकि वो चलाने वाले भी तो इंडियंस ही थे तो वो भी नॉन कोऑपरेट कर रहे थे अब इन बेचार ने इतना सोचा नहीं प्लांटेशन वर्कर्स निकल गए अपने घर की तरफ घर के रास्ते में ही इन्हें पकड़ के घर तक पहुंचे ही नहीं थे अभी घर के रास्ते में ही पकड़ के गवर्नमेंट ऑफिशियल इन्हें फिर से वापस ले आक डंडे डंडे मार के प्लांटेशन वर्कर उन्होंने दोबारा बना दिया लेकिन बात ये नहीं है कि प्लांटेशन वर्कर हारे कि जीते या इंडिया हारा कि जीता नॉन कोऑपरेशन सक्सेसफुल हुआ कि नहीं हुआ हुआ तो सक्सेसफुल कहीं नहीं ना प्लांटेशन वर्कर्स का ना सिटीज का ना गांव का ना ट्राइबल पॉपुलेशन का लेकिन ये पहला मूवमेंट था ये बोलते हुए मुझे गूस बम्स आ जाते हैं ये पहला मूवमेंट था जहां पहली बार इतने बड़े स्केल पे इतने बड़े स्केल पे स्वतंत्र भारत के नारे लगे थे पूरा इंडिया स्वतंत्र भारत स्वतंत्र भारत नारे लगा रहा था चलो क्वेश्चन करते हैं व्ट इ बैगर थिंक अबाउट इट बताया था वेरी नाइस राइट आंसर ऑप्शन नंबर ए देन व्हाट डस स्वराज मेंट फॉर प्लांटेशन वर्कर मेंट की जगह मीन आएगा बच्चा डस के साथ फर्स्ट फॉर्म ऑफ वर्ब लगती है स्वराज का क्या मतलब था प्लांटेशन वर्कर्स के लिए वेरी नाइस द राइट आंसर इज ऑप्शन बी एंड सी बोथ व्हाई डिड द मूवमेंट बाय पेजेंट्स इन द कंट्री फेल्ड फेल्ड की जगह फेल आएगा डिड के साथ भी फर्स्ट फॉर्म ऑफ वर्ब लगती है ये मूवमेंट फेल क्यों हो गया था फार्मर्स वाला थिंक अबाउट इट राइट आंसर ऑप्शन नंबर सी बोथ ऑफ दीज ओके चलो सो नॉन कोऑपरेशन वैसे तो हर जगह वैसे ही फेल हो रहा था लेकिन एक बाद में एक ऐसा इंसिडेंट हुआ जिसने गांधी जी के होश उड़ा दिए उसका नाम था चौरी चौरा मैं गोरखपुर से ही बिलोंग करती हूं मतलब मेरे पेरेंट्स गोरखपुर से हैं गोरखपुर डिस्ट्रिक्ट में एक छोटा सा गांव पड़ता है चौरी चौरा नाम का वहां पर क्या हुआ नॉन कोऑपरेशन लोग सत्याग्रह कर रहे थे पोलाइट बैठ के सत्याग्रह कर रहे थे पुलिस वालों ने लाठी चार्ज कर दिया लोगों पे पुलिस वाले वायलेंट हो गए तो लोगों ने भी आप खो दिया लोग भूल गए नॉन कोऑपरेशन लोग भूल गए सत्याग्रह लोगों ने थाने प लगा दी आग थाने में जब आग लगा दी कुछ 1112 पुलिस वाले जिंदा जल के मर गए थे तो इतना वायलेंस हो गया इतना वायलेंस हो गया कि गांधी जी को लगा यार मैंने नॉन कोऑपरेशन इसलिए तो नहीं कराया था कि लोगों को यू नो थाने में आग लगा दी जाए तो चौरी चौरा इंसीडेंट के बाद गांधी जी ने जो 1922 में हुआ था 1922 तो नॉन कोऑपरेशन चला 1921 से 1922 सिर्फ एक साल चला मोटा-मोटा और उसके बाद गाधी जी ने नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट को बंद करा दिया अब गांधी जी और सोच विचार में चले गए थे कि अब अगला मूवमेंट ऐसा लॉन्च करना है जो वायलेंट ना हो है ना अब सोच समझ के लॉन्च करना है तो इन फरवरी 1922 महात्मा गांधी डिसाइडेड टू विड्रॉ नॉन कोऑपरेशन बच्चा उन्हें ऐसा लगा कि मूवमेंट बहुत वायलेंट हो गया था सत्याग्रही को अभी तक प्रॉपर ट्रेनिंग नहीं थी उन्हें उन्हें थोड़ा सा और सत्याग्रही के साथ मिलके बैठना पड़ेगा और बताना पड़ेगा कि या नॉन वायलेंस कैसे करना है अगर तुम पर अत्याचार हो तो उस अत्याचार का जवाब नॉन तरीके से कैसे चलना है तो गांधी जी चले गए उस सोच विचार में सत्याग्रही हों की ट्रेनिंग करने अब इधर इंडियन नेशनल कांग्रेस में क्या है कि कांग्रेस इतना बड़ा बन गया था इंडियन नेशनल कांग्रेस आईएनसी आईएनसी में अलग-अलग अलग-अलग तरीके के लोग थे इट वाज द लार्जेस्ट पार्टी ऑफ इंडिया बैक देन राइट तो इसमें अलग-अलग तरीके के लोग थे अब कुछ लोग थे जिन्हें लगता था कि इंडियन नेशनल कांग्रेस अच्छा काम कर रही है कुछ लोग हैं जिन्हें लगता था कि यार इंडियन नेशनल कांग्रेस थोड़ा स्लो काम कर रही है तो कुछ ऐसे लोग थे जिनका नाम था सीआर दास एंड मोतीलाल नेहरू जी ये बहुत महानुभाव लोग हुए हैं इंडिया में एंड इन्होंने बोला कि यार इंडियन नेशनल कांग्रेस इतना स्लो काम कर रही है कि देश को आजादी मिलते मिलते ना 200 साल और लग जाएंगे तो एक काम करते हैं अपनी खुद की पार्टी बनाते हैं वैसे ही इंडियन नेशनल कांग्रेस के मेंबर थे पर इन्होंने सोचा कि क्यों ना एक स्वराज पार्टी नाम की एक पार्टी बनाई जाए और जिससे काउंसिल इलेक्शंस में वापसी की जाए क्योंकि इंडियन नेशनल कांग्रेस तो गांधी जी की बात मान के काउंसिल इलेक्शन से अपने हाथ पीछे खींच चुकी थी तो ये लोग बोल रहे थे कि यार नहीं हमें देश को आजाद कराना है पहले पॉलिटिक्स में आजादी आएगी तभी तो देश में आजादी आएगी तो इन लोगों ने काउंसिल इलेक्शंस में पार्टिसिपेट करने के लिए स्वराज पार्टी का निर्माण किया यह क्वेश्चन पी वाई क्यू में आ चुका है पिछले 10 साल में तीन बार तो रट्टा मार लीजिए यूजुअली बच्चे यहां पे जवाहरलाल नेहरू लिख के आ जाते हैं नहीं अपने को लिखना है सी आर दास एंड मोतीलाल नेहरू ठीक है याद रखिएगा जो यंग लीडर थे जो जवान खून था इंडियन नेशनल कांग्रेस में जैसे कि सुभाष चंद्र बोस जी या जवाहरलाल नेहरू जी उन लोगों को लग रहा था कि यार अब मास एजिटेटर कल लेवल पे होगा कि अभी तक क्या है कि हम बारगेनिंग कर रहे हैं हम समझौता कर करना चाह रहे हैं ब्रिटिश गवर्नमेंट के साथ हमें समझौता नहीं करना है अब जवाहरलाल नेहरू सोच रहे थे कि यार अब जो है ना कुछ ऐसा बढ़िया किया जाए जिससे ब्रिटिश हुकूमत एकदम से थरथर कांपने लगे अब हमें पूर्ण स्वराज की बातें करनी चाहिए पूर्ण स्वराज मतलब कि अब हमें कंप्लीट इंडिपेंडेंस चाहिए तुम ब्रिटिश गवर्नमेंट का एकएक इंसान हमारा देश छोड़ के भागो तो जो यंग लीडर्स हैं वो पूर्ण स्वराज की बात कर रहे थे और सीआर दास और मोतीलाल नेहरू जी स्वराज पार्टी बना रहे थे ठीक है अब इससे पहले कि हम आगे जाएं और पढ़ें कि क्या हुआ सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट कैसे लॉन्च हुई उस जमाने की कुछ ऐसी घटनाएं के बारे में समझते हैं जिसने हमारे पॉलिटिक्स को शेप किया ये क्वेश्चन बोर्ड एग्जाम में फाइव मार्क्स का आता है सीधे फाइव मार्क्स का आता है कि कोई ऐसे दो फैक्टर्स बताओ दो ही हैं एनसीआरटी में दो ही हैं कि कोई ऐसे दो फैक्टर्स बताओ जिसने इंडियन पॉलिटिक्स को गवर्न किया 1900 के लेट 1920 में तो पहला तो है बच्चा वर्ल्ड इकोनॉमिक डिप्रेशन और दूसरा है साइमन कमिशन वर्ल्ड इकोनॉमिक डिप्रेशन क्या है तो ऐसा समझो कि 1928 में अमेरिका चला गया था डाउन अमेरिका का पैसा हो रहा था खत्म अमेरिका डाउन हो रहा था अब अमेरिका वो टाइटनिक था जिसके ऊपर बहुत छोटी-छोटी शिप्स डिपेंडेंट थी चाहे वो यूरोप के छोटे-छोटे देश हो चाहे वो इंडिया जैसे देश क्यों ना हो जो डायरेक्टली इनडायरेक्टली अमेरिका पे डिपेंडेंट थे तो अमेरिका था दुनिया का सबसे बड़ा कर्ज देने वाला देश तो जब कर्ज देने वाले के पास ही पैसे नहीं है तो कर्जा लेने वालों का क्या होगा सोचने की बात है तो 1928 में ग्रेट इकोनॉमिक डिप्रेशन स्टार्ट हुआ अमेरिका के स्टॉक मार्केट क्रैश होने की वजह से वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज नाम की इसकी स्टॉक मार्केट होती थी क्रैश हो गई अब जब अमेरिका पे जो बाकी लोग डिपेंडेंट थे ब्रिटेन हो गया जर्मनी हो गया है ना वो सारे देश भी अब क्या हो गए कर्जे में डूब गए क्योंकि उनका कर्जा देने वाला ही कर्जे में डूबा हुआ है राइट सो पूरा यूरोप पूरा एशिया एक तरीके से ठप पड़ा हुआ था अब क्या क्या होता था पहले क्या होता था कि इन देशों के पास इतना पैसा होता था ब्रिटेन हो गया फ्रांस हो गया जर्मनी हो गया स्पेन हो गया अमेरिका हो गया इन देशों के पास इतना पैसा होता था कि ये बाकी कामों में अपना ध्यान लगाते थे खेती के प्रोडक्ट एग्रीकल्चर में अपना ध्यान नहीं लगाते थे एग्रीकल्चर ये इंडिया जैसे देशों से मंगा लेते थे सस्ते दाम में मिल जाता था बढ़िया चल रहा था इनका काम जब ग्रेट इकोनॉमिक डिप्रेशन हुआ ध्यान से सुनना एनसीआरटी में नहीं है ये बातें ध्यान से सुनो तो जब ग्रेट इकोनॉमिक डिप्रेशन हुआ तो अमेरिका वगैरह ने जो बाकी देश है उनके पास इतना भी पैसा नहीं था कि वो इंडिया जैसे देशों से धान चावल आटा दाल यह सब खरीद सके तो वो अपना एग्रीकल्चर खुद से उगाने लग गए अपनी क्रॉप्स खुद से उगाने लग गए तो इंडिया जैसे देशों से एग्रीकल्चर की डिमांड हो गई कम इंडिया पर क्या असर पड़ा एग्रीकल्चर डिमांड प्लेमेंट प्लेमें बोलो रिड्यूस्ड बोलो एक ही बात है ठीक है पहला ये कंट्री साइड आ गया टर्मल में ये भी क्वेश्चन पूछ लिया जा आता है कि 1920 में कंट्री साइड टर्मल में क्यों आ गया कंट्री साइड का मतलब गांव गांव क्यों जाएगा टर्मल टर्मो इल का मतलब परेशानी परेशानी में क्यों जाएंगे इंडिया के सारे गांव क्योंकि गांव में अक्सर लोग क्या करते हैं खेती करते हैं शहरों में तो बाकी काम किए जाते हैं गांव में सिर्फ खेती होती है तो क्योंकि बाकी देशों को अब इंडिया का एग्रीकल्चर चाहिए नहीं था इंडिया में एग्रीकल्चर डिमांड हो गई कम और इंडिया में कंट्री साइड चला गया बहुत परेशानी में और इंडिया के एग्रीकल्चर के प्रोडक्ट्स के क्रॉप्स के बहुत ही कम दाम मिलने लग गए प्राइसेस फेल डाउन एग्रीकल्चर प्राइसेस फेल डाउन ठीक है तो एक तो यह प्रॉब्लम थी तो इस प्रॉब्लम से हमें क्या समझ आ रहा है कि लेट 1920 में जो हमारे गांव के फार्मर्स थे उन्हें बहुत दिक्कत आ रही थी दूसरा है साइमन कमीशन बच्चा साइमन कमीशन आगे होगा शायद हां साइमन कमीशन है साइमन कमीशन मैंने बताया ना कि ब्रिटेन की गवर्नमेंट ब्रिटेन के अंदर बहुत सारी कमिटीज बनाया करती थी इंडिया जैसे देशों में दखल देने के लिए राइट वैसे ही एक कमीशन बनाई गई थी टोरी गवर्नमेंट जैसे हम बोलते हैं ना मोदी गवर्नमेंट क्योंकि मोदी प्राइम मिनिस्टर हैं वैसे ही टोरी गवर्नमेंट क्योंकि ब्रिटेन में तब टोरी प्राइम मिनिस्टर थे तो टोरी गवर्नमेंट के अंदर एक कमेटी बनाई गई थी जिसका नाम था साइमन कमीशन सर जॉन साइमन नाम के एक व्यक्ति थे जो साइमन कमीशन को हेड कर रहे थे यूजुअली जब इंडिया के लिए कोई कमेटी बनाई जाती थी तो वहां पे इंडियन मेंबर्स को भी उसमें इंक्लूड किया जाता था लेकिन साइमन कमीशन में एक भी भारतवासी नहीं था एक भी इंडियन मेंबर नहीं था इंडियन ओरिजिन का भी कोई इंसान नहीं था तो ओबवियसली साइमन कमीशन से भारत के लोग बहुत दुखी थे कि एक ऐसी कमेटी जिसमें भारत का कोई है ही नहीं वो हम पे थोड़ी कोई डिसीजन देंगे राइट अब साइमन कमीशन बनाया गया था इंडिया के कॉन्स्टिट्यूशन सिस्टम में अ फेरबदल करने के लिए तो जब साइमन कमीशन अपनी सारी डिसीजंस लेके जब इंडिया पहुंचा तो फिर इंडिया में लगे गो बैक साइमन साइमन गो बैक के नारे क्यों क्योंकि इंडिया को सबसे बड़ी प्रॉब्लम यही थी कि एक ऐसी कमीशन जिसमें कोई भारतवासी नहीं है वो भारत के संविधान में टांग क्यों अड़ाए तो साइमन कमीशन जब इंडिया पहुंचा बहुत सारे प्रोटेस्ट हुए हिंदू और मुसलमान आपस का भेदभाव भूल के साइमन कमीशन के खिलाफ प्रोटेस्ट कर रहे थे और उस प्रोटेस्ट में बहुत लाठी चार्ज हुआ पुलिस वालों ने सत्याग्रही को बहुत मारा पीटा और उसी में बच्चा उसी में लाला लाजपत राय की जान चली गई जो हमारे बहुत बड़े फ्रीडम फाइटर रहे हैं उनकी जान गई थी साइमन कमीशन के प्रोटेस्ट में ठीक है अब ब्रिटिश गवर्नमेंट को लग गया था डर उन्हें पता था लाला जी की कितनी रिस्पेक्ट है मार्केट में जित ने सत्याग्रही हैं वो उन्हें कितने आदर सत्कार से मानते हैं कई लोग उन्हें अपने पिता समान मानते थे कई लोग बड़े भाई समान मानते थे लाला जी की बहुत रिस्पेक्ट थी तो ब्रिटिश गवर्नमेंट को डर लग गया भैया प्रोटेस्ट में तो लाला जी की डेथ हो गई है तो ब्रिटिश गवर्नमेंट का जो लॉर्ड इरविन था जो उस वक्त वॉइस रॉय था इंडिया का उसने इंडिया को बोलते हैं ना बच्चे रो रहे होते हैं तो बच्चे को लॉलीपॉप दे दो चुप हो जाएगा है ना तो वैसे ही लॉर्ड एर्विन ने इंडिया को डोमिनियन स्टेटस ऑफर किया डोमिनियन स्टेटस का मतलब है कि हां भैया अभी तक क्या है कि तुम्हारी पूरी पॉलिटिक्स हमारे हाथ में थी ये लो तुम पॉलिटिकल स्टेटस ले लो अपनी पॉलिटिक्स अपने हाथ में ले लो लेकिन इंडिया को इतना गुस्सा था कांग्रेस में इतना गुस्सा था जो कांग्रेस के जवान लीडर्स थे जैसे कि यू नो जवाहरलाल नेहरू जी सुभाष चंद्र बोस जी उनमें इतना गुस्सा था उन्होंने बोला नहीं चाहिए अब तुम्हारा दिया हुआ हमें खुद कुछ भी नहीं चाहिए अब हमें चाहिए पूर्ण स्वराज हमें चाहिए हमारा भारत वापस तुम निकलो तो इससे पहले मद्रास सेशन ध्यान देना ये भी वन मार्क के क्वेश्चन आते हैं मैप पॉइंट ऑफ व्यू से भी बहुत इंपॉर्टेंट है मद्रास सेशन 1928 में पहली बार पूर्ण स्वराज की बात की गई थी पहली बार इंडिया में हुआ था कि इंडियंस बोल रहे थे अब हमें पूरी तरीके से देश आजाद चाहिए ठीक है और उसके बाद दिसंबर 1920 में 19 1929 में सॉरी लाहौर में एक रैली में अ अ नेहरू जी ने जवाहरलाल नेहरू जी ने यह अनाउंस कर दिया था कि अब हमें पूर्ण स्वराज चाहिए तो अनाउंस हुआ था दिसंबर में 1929 में लेकिन बात हुई थी पूर्ण स्वराज की 1928 में तो पेपर में जब ये क्वेश्चन आता है तो आपको मद्रास मेंशन करना होता है बच्चा तो ये बात याद रखना ठीक है तो पूर्ण स्वराज की उन्होंने मांग कर दी लोगों को भाषण देते हुए उन्होंने बोल दिया कि अगले महीने की सुनो दिसंबर की बात है 1929 अगला महीना मतलब जनवरी 1930 तो नेहरू जी ने बोल दिया नेहरू जी ने ऐसे ही जोश जोश प बोल दिया कि अगले महीने का जो आखिरी संडे होगा ये बात भी एनसीआरटी में नहीं है अगले महीने का जो आखिरी संडे होगा उसमें पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मनाएगा हम आजाद हो या नहीं हो यह ब्रिटिश गवर्नमेंट डिसाइड नहीं करेगी हम आजादी दिवस मनाएंगे अब अगले महीने का लास्ट संडे पड़ा बच्चा 26th जनवरी 1930 अब मनना तो था इस दिन स्वतंत्र दिवस पर मना नहीं लोगों तक यह बात पहुंची नहीं इसमें जो लोगों का पार्टिसिपेशन था वह बहुत कम था 26 जनवरी 1930 को इंडिपेंडेंस डे अच्छे से सेलिब्रेट हो नहीं पाया इसीलिए आपने देखा होगा कि हमारा कॉन्स्टिट्यूशन नवंबर में कॉन्स्टिट्यूशन नवंबर में बन गया था लेकिन हम गणतंत्र अंत दिवस अपना रिपब्लिक डे 26 जनवरी को मनाते हैं क्यों कांस्टीट्यूशन डे हमारा अलग है कायदे से कॉन्स्टिट्यूशन डे शुड बी रिपब्लिक डे लेकिन हमारा कॉन्स्टिट्यूशन डे अलग है रिपब्लिक डे अलग है क्योंकि ये जो हमारे दिल में मलाल रह गया था ना भारत के दिल में ये जो मलाल रह गया था कि यार 26 जनवरी को कुछ मनाया नहीं 26 जनवरी को हम इज्जत देने के लिए इसलिए 26 जनवरी को रिपब्लिक डे मनाते हैं अब बोलोगे मैम 26 जनवरी को हम फिर इंडिपेंडेंस डे क्यों नहीं मनाते हैं क्योंकि इंडिपेंडेंस डे हम डिसाइड नहीं कर सकते ना जब हमें आजादी 15 अगस्त को मिली थी तो 15 अगस्त को ही तो मनाएंगे इट्स लाइक बर्थ जब आप जिस दिन पैदा हुए हो उसी दिन तो बथडे मनाओ ग राइट सो 26 जनवरी सेलिब्रेटेड एज अ रिपब्लिक डे ये कहानी भी तुम्हें पता चल गई अच्छा अच्छा अब गांधी जी पे आ जाए गांधी जी पे आने से पहले दो तीन सवाल कर लो पहला क्वेश्चन है द मेन पर्पस विथ द साइमन कमीशन वाज मेन प्रॉब्लम सॉरी मेन प्रॉब्लम क्या थी भारत के लोगों को वेरी नाइस राइट आंसर ऑप्शन नंबर बी चलो गांधी जी पे चलते हैं तो गांधी जी सोच विचार कर चुके थे अब गांधी जी को पता चल गया था कि यार सत्याग्रही इस को उन्होंने ट्रेनिंग ट्रेनिंग भी दे दी थी अच्छे से और अब गांधी जी को चाहिए था एक ऐसी चीज जिससे पूरा देश रिलेट कर पाए आपने देखा होगा जो बेस्ट एडवरटाइजमेंट्स होते हैं जिसमें यू नो मदरहुड दिखाया जाता है फादरहुड दिखाया जाता है लव अफेयर दिखाया जाता है जो बेस्ट एडवरटाइजमेंट्स आते हैं टीवी पे उनमें हम एक ऐसा इमोशन कैप्चर करने की कोशिश करते हैं जो हम सब आम जनता भी फील करती हो तभी वो जो एडवर्टाइजमेंट है फेमस होते हैं है ना सिमिलरली अगर आपको कभी भी लोगों को जोड़ना है तो आपको को कोई ऐसा काम करना पड़ेगा जिससे वो रिलेट कर पाए तो महात्मा गांधी ने गांधी जी ने ये दिमाग लगा लिया था 1930 में ही उन्होंने बोला कि मैं सॉल्ट को सिंबल लूंगा क्यों क्योंकि नमक जो है ये भी क्वेश्चन पूछते हैं कि साल्ट को गांधी जी ने पावरफुल सिंबल की तरह यूज क्यों किया देश को यूनाइट करने के लिए क्योंकि नमक सब लोग खाते हैं अमीर भी खाते हैं गरीब भी खाते हैं दलित भी खाते हैं ब्राह्मण भी खाते हैं सब लोग खाते हैं मुस्लिम भी खाते हैं हिंदू भी खाते हैं राइट वन ऑफ द मोस्ट एसेंशियल आइटम रोज खाते हैं रोज ही होता है हर खाने में डलता है नमक के बिना कोई खाना नहीं बन सकता राइट द टैक्स ऑन द सॉल्ट हमारे देश में नमक बनाना इल्लीगल था नमक से ब्रिटिश गवर्नमेंट बनाती थी और वो नमक हमें बेचती थी तो हमें उस परे टैक्स भी देना पड़ता था तो इन चार कारणों की वजह से मोनोपोली का मतलब होता है कि सिर्फ ब्रिटिश गवर्नमेंट प्रोडक्शन करेगी मोनो मोनो का मतलब वन पोली का मतलब प्रोडक्शन जब एक इंसान ही किसी चीज का प्रोडक्शन कर सकता है बाकी लोगों के लिए वो काम इल्लीगल होता है तो उसे मोनोपोली बोलते हो तो इन चार कारणों की वजह से नमक बन गया एक पावरफुल सिंबल और गांधी जी ने नमक को इस्तेमाल करके लिख दिया एक खत गांधी जी ने खत भी नहीं लिखा गांधी जी ने दी चेता गांधी जी ने दिया अल्टीमेटम एक बड़ा सा खत लिखा उन्होंने लॉर्ड रविन को गांधी जी भी बड़े दुखी थे लाला जी की मौत से तो गांधी जी ने अल्टीमेटम चेतावनी दे दी कि देखो भाई मेरे इस खत में 11 डिमांड है कुछ डिमांड दलित सेक्शन ऑफ द सोसाइटी के लिए थी कुछ मुस्लिम सेक्शन ऑफ द सोसाइटी के लिए थी कुछ फार्मर्स के लिए थी बहुत सारे लोगों के लिए अलग अलग अलग अलग डिमांड थी उसमें से एक डिमांड थी सॉल्ट लॉ को ब्रेक करना किय जो तुमने सॉल्ट पर मोनोपोली कर रखी है इसको खत्म कर दो हमारा देश है हमारा पानी है हमारा नमक है हम बनाएंगे भी खाएंगे ठीक है तो गांधी जी ने बोला कि हां तुम्हारे पास कुछ पर्टिकुलर अमाउंट ऑफ दिन है तुम जो है सॉल्ट की इस लॉ को ब्रेक कर दो मेरी इन डिमांड को मान लो और तुम डिमांड को नहीं मानोगे तो मैं अगले दिन से उन्होंने 11 मार्च 1930 तक का टाइम दिया था जनवरी में एक हत लिखा था शायद 30 जनवरी को लिखा था आई एम नॉट श्यर एक बार एनसीआरटी में देख लेना पर उन्होंने टाइम दिया था अच्छा खासा लॉर्ड एर्विन को कि मेरी डिमांड मान लो और नहीं मानोगे तो अगले दिन से मैं सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लॉच कर दूंगा नहीं माने लॉर्ड अरविन ने 11 तो छोड़ो एक भी डिमांड नहीं मानी तो गांधी जी ने वही किया जो उन्होंने बोला था 12 मार्च 12th मार्च 1930 को उन्होंने सॉल्ट मार्च को स्टार्ट कर दिया गांधी जी का घर कहां था साबरमती आश्रम में तो साबरमती आश्रम में गांधी जी अपने 78 ट्रस्टेड सत्याग्रही हों के साथ ट्रस्टेड वॉलंटस के साथ निकले रोज वो 10 माइल्स चलते थे 10 कोस्ट चलते थे और विश्राम करते थे फिर सुबह 10 कोस्ट चलते थे तो 240 माइल्स का डिस्टेंस उन्होंने कवर किया बच्चा साबरमती आश्रम से वो गए डा दांडी के पास समुंदर है तो समुंदर के पानी से नमक बनता है दांडी गए वो और दांडी में जाकर उन्होंने कुछ नहीं किया कोई गोली बारूद कोई भाषण बाजी कुछ नहीं सिर्फ जाके उन्होंने एक मुट्ठी नमक बना दिया और वो मुट्ठी भर नमक ऐसा सिंबल बना कि उसी दिन को जिस दिन उन्होंने नमक बनाया था व्हिच इज सिक्स्थ अप्रैल आप लगा लेना 12 मार्च को वो निकले थे 12 मार्च प्लस 24 दिन सिक्स्थ अप्रैल को वो पहु पहुंचे आपका दांडी और दांडी पहुंच के उन्होंने नमक बना दिया और सिथ मार्च को आप एक तरीके से बोल सकते हो सॉल्ट लॉ ब्रेक भी हो गया तो सॉल्ट लॉ ब्रेक होने की तारीख अगर पेपर में आए तो भी यही डेट है और सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट यहीं से स्टार्ट भी हो गया तो बच्चा सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट का क्या मतलब होता है पहले वो समझ लेते हैं फिर मूवमेंट में क्या-क्या हुआ वो समझते हैं देखो नॉन कोऑपरेशन 1920 में लॉन्च हुआ था सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट 1930 में लॉन्च हुआ था है ना दो बार हुआ था तो 1930 लिखा हुआ है नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट में गांधी जी ने सिर्फ ये बोला था कि ब्रिटिश गवर्नमेंट से कोऑपरेट करना बंद कर दो उनकी बातें मान बंद कर दो सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में गांधी जी ने बोला था एक तो कोऑपरेट मत करो दूसरा उन्होंने जो गंदे लॉज बना रखे हमारे देश में उन लॉज को तोड़ तो ये दो धारी तलवार थी ये सिंगल धारी तलवार थी ये दो धारी तलवार थी नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट चौरी चौरा इंसिडेंट के बाद बंद हुआ था सिविल डिसऑबेडिएंट मूवमेंट गांधी और इरविन के बीच के पैक्ट के बाद बंद हुआ था जो हम आगे पढ़ेंगे नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट में छोटे फार्मर्स ने पार्टिसिपेट किया था सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में छोटे फार्मर्स ने पार्टिसिपेट नहीं किया था ये भी हम आगे पढ़ेंगे चलो थाउजेंड्स इन डिफरेंट पार्ट्स ऑफ द कंट्री तो जब गांधी जी ने सॉल्ट लॉ ब्रेक कर दिया सीडीएम को स्टार्ट कर दिया तो देखा देखी बहुत सारे भारतवासियों ने भी सीडीएम में पार्टिसिपेट किया जहां-जहां बॉयकॉटिंग तो हो ही रही थी पिटिंग तो हो ही रही थी बॉन फायर्स में सामान तो जराया ही जा रहा था फॉरन फॉरेन समान लेकिन इसके साथ-साथ सॉल्ट लॉ को ब्रेक करने के बाद देश में बहुत सारे और लॉज को ब्रेक किया जा रहा था फॉरेस्ट लॉज को ब्रेक किया जा रहा था रेवेन्यू लॉस को ब्रेक किया जा रहा था तो एवरीबॉडी वेल इन सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट ऑब् वियस गवर्नमेंट को बुरा लग गया गवर्नमेंट ने क्या किया कांग्रेस के लीडर्स को अरे अरेस्ट कर लिया कुछ नहीं कुछ नहीं तो 1 लाख लोगों को अरेस्ट किया गया था 1 लाख सत्याग्रही को जिसमें बच्चे भी थे बूढ़े भी थे औरतें भी थी और जवान आदमी तो थे ही थे वायलेंट क्लैशेस हुए अब्दुल गफ्फार खान कहां गए अब्दुल गफार खान जिन्हें फ्रंटियर गांधी के नाम से भी जाना जाता है वो पेशावर डिस्ट्रिक्ट जो अभी पाकिस्तान में पड़ता है त भारत का ही हिस्सा था पेशावर में सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट को वो लीड कर रहे थे उन्हें वहां से जेल में डाल दिया गया एक महीने बाद गांधी जी को भी जेल में डाल दिया गया पूरे देश में ब्रूटल रिप्रेशन हुआ सब जगह लोगों पे लाठी चार्ज हुआ लोगों को जेल में डाला गया तो गांधी जी को लग गया बहुत बुरा गांधी जी ने सोचा यार मैंने ये तो नहीं सोचा था ये तो सीडीएम भी उल्टा पड़ गया ये तो सीडीएम भी बहुत वायलेंट हो गया मेरे तो देशवासी ही जेल में पड़े हैं जब वो बेचारे जेल में पड़े रहेंगे तो देश आजाद कैसे होगा तो गांधी जी ने बोला कुछ तो करना पड़ेगा लॉर्ड नविन वहां पे बोल रहा था कि मैं तुम्हारे सारे सत्याग्रही को छोड़ दूंगा अगर तुम मेरे साथ सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में चलो अच्छा तीन राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस हुई थी ब्रिटिशर्स को जब इंडिया से डर लगता था ना तो तो ब्रिटिशर्स चाह रहे थे कि इंडिया थोड़ा सा नेगोशिएट कर ले कंप्लीट इंडिपेंडेंस की मांग ना करें आधी ले ले वन क्वार्टर ले ले थोड़ी सी इंडिपेंडेंस ले ले थोड़ी सी नाल ठीक है ओबवियसली ब्रिटिशर्स क्यों चाहेंगे हमें इंडिपेंडेंस देना तो ना राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस कराते थे फर्स्ट सेकंड थर्ड फर्स्ट राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस हुई थी जब लाला लाजपत राय जी की डेथ हुई थी उसके आसपास तो ऑब् वियस इंडिया से कोई नहीं गया था फर्स्ट राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस होने वाली थी लंडन में अरविन कह रहा था गांधी जी को कि तुम बस मेरे साथ सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में चल लो मैं पीछे से तुम्हारे सारे सत्याग्रही इस को छोड़ दूंगा जेल में से निकाल दूंगा तो गांधी जी ने बोला ठीक है इतना बुरा सौदा तो नहीं है मेरे को तो सिर्फ जाके मीटिंग अटेंड करनी है और यहां से मेरे देश वाले जो हैं सारे निकल जाएंगे जेल से तो गांधी जी ने इरविन के साथ किया पैक्ट पैक्ट का मतलब समझौता इसी को बोला जाता है गांधी इरविन समझौता जो फथ मार्च 1931 में हुआ था तो इससे गांधी जी क्या कर रहे थे गांधी जी सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस अटेंड कर रहे थे और इरविन ने क्या बोला इरविन ने बोला कि तुम सीडीएम मूवमेंट को बंद कर दो और बदले में मैं तुम्हारे सारे सत्याग्रही को छोड़ दूंगा ठीक है नेगोशिएशंस ब्रोक डाउन एंड गांधी जी रिटर्न डिसपे गांधी जी चले तो गए लंदन गांधी जी लंदन सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में चले तो गए लेकिन उन्हें समझ आया कि राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में इंडिया के हक में एक भी बात नहीं हुई तो वो जब वापस आए वो वैसे ही डिसपे थे और जब वो डिसपे वो एक तो वैसे ही दुखी होके आए थे सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से और जब इंडिया आए तो उन्हें समझ आया यहां पे तो कुछ नया साइकिल चल रहा है रिप्रेशन का भाई गफार खान को तो जेल में पहले ही डाला हुआ था अब जवाहरलाल नेहरू जी को भी पकड़ के जेल में डाल दिया है कांग्रेस को इल्लीगल करार दे दिया गया बाकी छोटी-छोटी पॉलिटिकल पार्टीज को भी इल्लीगल बोल दिया गया है इन फैक्ट लोगों को सत्याग्रही इस को अभी भी छोड़ा नहीं है सत्याग्रही इस के सत्याग्रह करने पे भी बैन लगा दिया गया है तो गांधी जी को समझ आया कि ये इरविन की चाल थी गांधी इरविन पैक्ट के तहत वो गांधी जी को देश से बाहर निकालना चाहता था और पीछे से वो उनके देशवासियों को और ज्यादा रिप्रेस करना चाहता था तो महात्मा गांधी ने फिर बाद में रीलॉन्च किया सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट लेकिन वो मूवमेंट बहुत ज्यादा फला फूला नहीं वो क्यों नहीं फला फूला उसके बहुत सारे कारण है जो हम आगे पढ़ेंगे उससे पहले क्वेश्चन कर लेते हैं दिस इ यो क्वेश्चन मिट हेलो हेलो हां जी तो इसका आंसर मिल गया होगा राइट आंसर ऑप्शन नंबर सी नेक्स्ट क्वेश्चन है महात्मा गांधी साइंड एन एग्रीमेंट विद अरविन ऑन 5थ मार्च 1931 उसका नाम क्या था एग्रीमेंट का इजी क्वेश्चन राइट आंसर ऑप्शन नंबर बी तीसरा क्वेश्चन व्हाट वाज इंडियाज कंडीशन व्हेन गांधी जी रिटर्न आफ्टर सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस जब गांधी जी सेकंड राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस से वापस आए तो इंडिया में क्या सीन चल रहा था [प्रशंसा] [प्रशंसा] वेरी नाइस राइट आंसर ऑल ऑफ दज चलो हाउ पार्टिसिपेंट स द मूवमेंट तो सीडीएम के फेल होने के क्याक रीजंस थे अब हम वो डिस्कस करने वाले हैं पहली बात तो कुछ लोगों ने पार्टिसिपेट किया कुछ लोगों ने ने नहीं किया अब फार्मर्स की कैटेगरी में भी हमारे पास दो तरीके के फार्मर्स आते हैं एक आते हैं हमारे पास रिच फार्मर्स एक आते हैं हमारे पास पुअर फार्मर्स इंडस्ट लिस में हमारे पास आते हैं हां जी तो कम्युनिटीज ने कुछ नहीं किया कुछ ने नहीं किया पहले हम बड़े फार्मर्स की बात करते हैं तो कुछ कम्युनिटीज है इंडिया में जो बहुत फार्मर्स की जो बहुत अमीर है जैसे जाट्स ऑफ उत्तर प्रदेश प्टी दर्स ऑफ गुजरात तो ये फार्मर्स की कम्युनिटीज हमेशा से सदियों से बहुत अमीर रही है तो अमीर फार्मर्स को 1920 में 1928 में जब ग्रेट इकोनॉमिक डिप्रेशन आया था तो बहुत नुकसान हुआ था एग्रीकल्चर के प्राइसेस गिर गए थे अब यह बड़े फार्मर्स हैं इनका बहुत सारा क्रॉप बिकता था वो बहुत सारा क्रॉप जब सस्ते में बिकेगा तो बहुत नुकसान होगा तो इनको पेड के प्राइसेस फॉल करने से और बाकी जो नए रेवेन्यू के लॉज बना दिए थे जो ब्रिटिश गवर्नमेंट इनके रेवेन्यू में से हिस्सा लेता था उस सबसे बहुत प्रॉब्लम थी तो इन्होंने ये सोच के कि अगर हम सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट में पार्टिसिपेट करेंगे उसे सपोर्ट करेंगे तो बदले में गांधी जी हमारी इन प्रॉब्लम्स को सॉल्व करवाएंगे ये सोच के ही सही लेकिन रिच फार्मर्स ने सीडीएम मूवमेंट में पार्टिसिपेट किया ऑन द अदर हैंड जो पुअर फार्मर्स थे पुअर फार्मर्स को का दुश्मन ब्रिटिश गवर्नमेंट थोड़ी थी पुअर फार्मर्स का तो दुश्मन रिच फार्मर्स थे पुअर फार्मर्स थे ट बटोरा जाता था बैगर कराया जाता था रेवेन्यू में शेयर लिया जाता था परेशान किया जाता था डिस्क्रिमिनेट किया जाता था राइट तो पुअर फार्मर्स ने सोचा कि जब कांग्रेस रिच फार्मर्स का ध्यान दे रही है जब कांग्रेस रिच फार्मर्स का साथ दे रही है तो हम फिर सीडीएम को पार्टिसिपेट नहीं करेंगे इनफैक्ट पुअर फार्मर्स का एक कैंपेन चल रहा था नो रेंट कैंपेन नो रेंट कैंपेन मतलब वो चाह रहे थे कि इंडियन नेशनल कांग्रेस बड़े फार्मर्स से बोल के उनके खेत प जब छोटे फार्मर्स काम करते हैं भाई बड़े जमीदारों के पास तो बहुत सारा लैंड है उसमें से एक आधा लैंड पे कोई छोटा फार्मर काम कर लेगा आपको क्या बुराई है लेकिन उससे उस खेत पे काम करने का पैसा वसूला जाता था रेंट लिया जाता था साथ में जो उस खेत पे वोह खेती करते थे उसका एक हिस्सा भी लिया जाता था तो नो रेंट कैंपेन चलाया था छोटे फार्मर्स ने जिसमें वोह कह रहे थे कि भैया हमसे अपने फार्म पे काम करने का तुम रेवेन्यू में तो शेयर ले ही लेते हो तो हमसे अपने फार्म पे काम करने का किराया विराया मत लो अब कांग्रेस छोटे फार्मर्स के नो रेंट कैंपेन को सपोर्ट नहीं कर पाई क्योंकि सीडीएम जब भी बच्चा एक मूवमेंट चलाते हैं ना तो मूवमेंट को फंड करने के लिए पैसा चाहिए होता है आपके जो सत्याग्रही है वो कहीं पे बैठेंगे पानी है खाना है सड़क पे चलना है प्ले कार्ड्स बनाने हैं वो यू नो स्पीकर्स खरीदने हैं बहुत सारी चीजों में छोटी-छोटी चीजों में बहुत सारा पैसा लगता है ठीक है तो मूवमेंट कोई फस्ती नहीं पड़ती तो रिच फार्मर्स के पास इतना पैसा था कि वो सीडीएम में अपना पैसा दे पा रहे थे अब कांग्रेस यहां पे असमंजस में थी या तो वो छोटे फार्मर्स को सपोर्ट कर सकती थी उनके नो रेंट कैंपेन के लिए या फिर रिच फार्मर्स को कर सकती थी रिच फार्मर्स को करती छोटे फार्मर्स सपोर्ट नहीं करते छोटे फार्मर्स को करती रिच फार्मर्स ईडीएम में पार्ट में लेते तो उसने उस वक्त जो उसे सबसे सही लगा उसने रिच फार्मर्स को साथ दिया छोटे फार्मर्स ने इसीलिए सिविल डिसो मूवमेंट से अपने हाथ खींच लिए अब उसके बाद आते हैं देश के इंडस्ट्रियलिस्ट राइट देश के इंडस्ट्रियलिस्ट लोग तो कई सारे लोग थे जो बहुत अमीर थे उस वक्त मैं ना इनका नाम भूल जाती हूं बारबार इसलिए मैं फोन देख रही हूं जीडी बिरला एंड पुरुषोत्तम दास पुरुषोत्तम दास जी का नाम भूल जाती हूं पुरुषोत्तम दास ठाकुर दास ऐसे बहुत बहुत बहुत अमीर अमीर इंडस्ट्रियलिस्ट थे हमारे इंडिया में और यहां पे लिख देती हूं हां तो बड़े-बड़े इंडस्ट्रीज को लग रहा था कि यार हमारी ट्रेड प बहुत ज्यादा टैक्स लिया जाता है कस्टम ड्यूटीज लगाई जाती है इनकम टैक्स लगाया जाता है तो इनका एक इस तरीके से इंडिया में बिजनेस करना बहुत ही अ प्रॉब्लमैटिक कर दिया था ब्रिटिश गवर्नमेंट ने तो ये सोच रहे थे इंडिया के इंडस्ट्री सोच रहे थे कि अगर वो सीडीएम मूवमेंट में पार्टिसिपेट करेंगे तो फिर अगर सीडीएम मूवमेंट सक्सेसफुल हो जाता है और ब्रिटिश गवर्नमेंट इंडिया से निकल जाती है तो फिर जो इन्हें फायदा नहीं हो रहा था अब तक इनकी ट्रेड पे जो रोका रोकी लगी हुई थी वो रोक भी रोक टोक भी बंद हो जाएगी तो इन्होंने बढ़ चढ़ के पार्टिसिपेट किया सीडीएम में इनफैक्ट सीडीएम में इन्होंने पैसे भी लगाए फंडिंग भी दी इनफैक्ट इन्होंने अपनी ऑर्गेनाइजेशंस को स्ट्रांग करने के लिए इंडस्ट्रीज को देखो जब एक इंसान गवर्नमेंट के सामने बोलता है ना गवर्नमेंट नहीं सुनती जब बहुत सारे लोग एक साथ होके बोलते हैं तो गवर्नमेंट को सुनना पड़ता है तो इन्होंने बहुत सारे इंडस्ट्रियलिस्ट को मिला के अच्छी-अच्छी ऑर्गेनाइजेशन भी बनाई एफ आईसीसीआई बनाई जो आज भी इंडिया में चलती है बहुत फेमस ऑर्गेनाइजेशन है 1927 में बनी दूसरी इन्होंने इंडियन इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल कांग्रेस भी बनाया जो 1920 में बनी दोनों ही ऑर्गेनाइजेशन का एक मात्र ऑब्जेक्टिव यही था बच्चा कि इंडिया में इंडस्ट्रियलिस्ट के को जो भी प्रॉब्लम है गिरते हुए पैसे के रेट से है चाहे ट्रेड पे लगे हुए बैरियर से से है चाहे कस्टम ड्यूटीज पे है वो सारी प्रॉब्लम खत्म हो जाए फेडरेशन ऑफ द इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रियलिस्ट कौन सी तारीख में बनी थी इस पे प्रीवियस ईयर बोर्ड एग्जाम आया हुआ है तो यह आप इसकी फुल फॉर्म और इसकी डेट जरूर याद कर लेना फेडरेशन ऑफ इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स फेडरेशन ऑफ फेडरेशन ऑफ द इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स हां यही है फेडरेशन ऑफ द इंडियन चेंबर ऑफ कमर्स एंड इंडस्ट्री ठीक है इस पे आता है क्वेश्चन चलो अब वर्कर्स की बात करें तो वैसे तो वर्कर्स का बहुत ज्यादा सपोर्ट नहीं था क्योंकि अगेन वर्कर्स को ज्यादा प्रॉब्लम इंडिया के इंडस्ट्रियस से होती थी तो जब इंडिया के इंडस्ट्रियस सीडीएम में पार्टिसिपेट कर रहे थे तो वर्कर्स सोच रहे थे यार हमारी तो क्या ही जरूरत है तो वर्कर्स नहीं कर रहे थे पार्टिसिपेट लेकिन कुछ-कुछ वर्कर्स थे जो जिन्होंने काफी आवाज उठाई थी जैसे नागपुर में वर्कर्स ने किया अ छोटा नागपुर प्लाटू पे टिन वर्कर्स ने किया डॉक वर्कर डॉक वर्कर्स का मतलब जो शिप पे काम करने वाले वर्कर्स होते हैं उन्होंने आवाज उठाई कुछ रेलवे वर्कर्स ने भी प्रोटेस्ट निकाले कई जगह उन्होंने गांधी जी की टोपी पहन के जो गांधी जी टोपी पहनते थे वो निका वो टोपी पहन के सत्याग्रह वगैरह किए तो कई जगह वर्कर्स ने किया लेकिन मोस्टली देश में देखोगे तो वर्कर्स ने पार्टिसिपेट नहीं किया औरतों की बात करें तो औरतों ने खूब पूरे दिल से पूरे दिमाग से पार्टिसिपेट किया उन्होंने बॉयकॉटिंग भी की पिटिंग भी की नॉन कोऑपरेशन में औरतों ने पार्टिसिपेट नहीं किया था लेकिन सीडीएम मूवमेंट तक आते-आते देश की औरतों में इतनी देशभक्ति की भावना आ गई थी कि उन्हें भी लगने लग गया था कि अगर वो इस देश की वासी हैं तो उन्हें सीडीएम मूवमेंट में पार्टिसिपेट करना चाहिए तो वो सत्या ग्रह भी किया उन्होंने जेल भी गई सब कुछ किया लेकिन औरतों ने तो पार्टिसिपेट कर लिया लेकिन औरतों को डिसपे और महात्मा गांधी जी ने अ इंडियन नेशनल कांग्रेस ने औरतों को कांग्रेस में कभी भी कोई अच्छी पोजीशन नहीं दी उस जमाने में वो बोलते थे अगर तुम्हें जॉइन भी करना है कांग्रेस तो तुम्हें सिंबॉलिक फिगर बन के रहना पड़ेगा सिंबॉलिक फिगर का मतलब होता है नाम मात्र नाम मात्र तुम हो सिंबॉलिक सिंबॉलिक फिगर सिंबॉलिक फिगर की पोजीशन देते थे वो कोई इंपॉर्टेंट पोजीशन औरतों को नहीं देते थे इंडियन नेशनल कांग्रेस में क्योंकि उनको लगता था और गांधी जी को भी लगता था कि औरतों का काम है घर पर बैठ के घर को संभालना और यही उनकी देश के प्रति उनकी ड्यूटी है औरतों को क्या चाहिए उससे किसी को कोई मतलब नहीं था वो पार्टिसिपेट कर रही थी अपने देश के लिए क्योंकि देश उनका भी था लेकिन औरतों को काफी डिसपिटर भी देखने को मिली अब नेक्स्ट है लिमिटेशन ऑफ सीडीएम दो और ऐसी कम्युनिटीज थी बच्चा एक थी दलित कम्युनिटी और एक थी आपकी अ मुस्लिम कम्युनिटी जिनका लूक वर्म पार्टिसिपेशन था ये क्वेश्चन जो है या तो एक पर्टिकुलर कम्युनिटी पे आ जाएगा व्हाई डिड दलित हैड लक वम पार्टिसिपेशन इन सीडीएम या फिर किन दो कम्युनिटीज का लक वम पार्टिसिपेशन था उसम पांच नंबर का सवाल आ जाएगा आता ही आता है हर साल तो थोड़ा सा ध्यान से पढ़ते हैं ठीक है पहले दलित कम्युनिटी की बात करते हैं इंडियन नेशनल कांग्रेस के साथ प्रॉब्लम ये थी उस जमाने में कि उस जमाने में इंडियन नेशनल कांग्रेस में सिर्फ और सिर्फ सनातनी हुआ करते थे तो ना तो मुस्लिम पार्टिसिपेंट्स हुआ करते थे और ना तो दलित पार्टिसिपेंट्स हुआ करते थे सनातनीस कौन होते कंजरवेटिव हाई कास्ट हिंदूजास पेंट से भी प्रॉब्लम थी और जिन्हें दलित पार्टिसिपेंट से भी प्रॉब्लम थी तो ये लोग जब इंडियन नेशनल कांग्रेस में थे तो दलित लोगों को इंडियन नेशनल कांग्रेस जवाइन करने में ऑलरेडी बहुत ऑकवर्ड फील होता था राइट ऑन द अदर हैंड गांधी जी जो है बात-बात पे दलित कम्युनिटी को सपोर्ट किया करते थे इनफैक्ट ये जो हरिजन जो टाइटल है दलित कम्युनिटी के लिए तो गांधी जी ने दिया था हरिजन का मतलब होता है चिल्ड्रन ऑफ गॉड चिल्ड्रन ऑफ गॉड तो उनका मानना था कि ये भगवान के बच्चे हैं इनके साथ डिस्क्रिमिनेशन नहीं होना चाहिए गांधी जी ये देश को पाठ भी पढ़ाते थे बोलते भी थे कि अगर जब तक देश से दलित सेक्शन ऑफ द सोसाइटी के प्रति हम डिस्क्रिमिनेट करते रहेंगे तब तक आजादी अगले 100 साल तक भी नहीं मिलेगी तो गांधी जी का मानना ये था गांधी जी हर जगह अ यू नो अ इनके अ डिस्क्रिमिनेशन के प्रति प्रोटेस्ट भी किया करते थे दलित कम्युनिटी को क्योंकि पब्लिक लाइफ में इतना बोलने नहीं दिया जाता था पब्लिक सामान को यूज करने नहीं दिया जाता था जो अपर कास्ट होते थे जो पब्लिक गांव का कुआं हो गया या सड़क हो गई वो दलित कम्युनिटी को यूज नहीं करने देते थे तो गांधी जी जाके खूब प्रोटेस्ट करते थे इनफैक्ट यू नो गांधी जी जाके बाथरूम वगैरह भी साफ किया करते थे टॉयलेट की स्वीपिंग भी किया करते थे क्योंकि उस जमाने में आज भी ऐसा होता है उस जमाने में क्या आज भी ऐसा होता है कि सोसाइटी इतनी गंदी है हमारी कास्ट के प्रति हमारी इंडियन सोसाइटी कि एक पर्टिकुलर सेक्शन को हम एक पर्टिकुलर काम से एसोसिएट करते हैं तो हमें ऐसा लगता है कि टॉयलेट साफ करना तो एक पर्टिकुलर कास्ट को ही दिया जाना चाहिए तो गांधी जी भी जाके टॉयलेट साफ किया करते थे दलित कम्युनिटी के लोगों के साथ क्योंकि वो दुनिया को ये पाठ पढ़ाना चाहते थे कि जब मैं कर सकता हूं ये जिसे तुम राष्ट्रपिता मानते हो तो फिर तुम क्यों नहीं कर सकते तो फिर तुम इन लोगों को क्यों यू नो हेट की दृष्टि से देखते हो तो गांधी जी यूज टू सपोर्ट अ दलित कम्युनिटी इनफैक्ट वो अनटचेबिलिटी के बिल्कुल खिलाफ थे अनटचेबिलिटी का मतलब है छुआछूत जो छुआछूत होता था कि दलित सेक्शन अगर कोई चीज छू देता था तो अपर कास यू नो तोड़ ही देते थे कि ये तो हम यूज ही नहीं करेंगे इस टाइप इस कदर का डिस्क्रिमिनेशन था एंड मैं मजाक नहीं कर रही हूं अगर आप अपने घर के मतलब ये मैं अपनी एसएसटी टीचर होने की रिस्पांसिबिलिटी समझती हूं कि मैं एक लेक्चर में एक बार आपको बोल दूं कि अगर आपको लगता है कि देश से दलित डिस्क्रिमिनेशन बंद हो गया है तो आपकी आंखों पर पर्दा दलित डिस्क्रिमिनेशन या मुस्लिम डिस्क्रिमिनेशन इस देश से खत्म नहीं हुआ है यह आपकी आंखों पर पड़ता है ठीक है तो मानना मानने से प्रॉब्लम सॉल्व होती है तो पहले हम मान ले कि डिस्क्रिमिनेशन आज भी है तो आगे शायद स्थिति अच्छी हो बट एनीवे लेट्स नॉट गेट पॉलिटिकल लेट्स गेट टू द टॉपिक तो दलित सेक्शन ने दलित सेक्शन की क्या डिमांड थी ना तो उसे इंडियन नेशनल कांग्रेस पर भरोसा था और देश में तो कास्ट डिस्क्रिमिनेशन चल ही रहा था तो दलित लीडर्स कह रहे थे कि हमें सीट्स का रिजर्वेशन चाहिए हमारे लिए सेपरेट इलेक्टरेट होना चाहिए और हमें सीट्स का अलग रिजर्वेशन चाहिए और भीमराव अंबेडकर को भी यह बात सही लग रही थी एक सेकंड रुना हां तो जितने दलित लीडर हैं या दलित स्टूडेंट कम्युनिटी थी वो अपने आप को ऑर्गेनाइज करने लग गई थी और हर जगह इन बातों की मांग रखने लग गई थी कि हमें सेपरेट इलेक्टोरेट्स चाहिए और कुछ जगह थी जहां पे दलित कम्युनिटी बहुत स्ट्रांग ये बात रख पा रही थी जैसे महाराष्ट्र का नागपुर रीजन जो है पर्टिकुलर वहां पे दलित एसोसिएशन बहुत स्ट्रांग तरीके से काम कर रही थी तो वहां पे प्रोटेस्ट वगैरह काफी हो रहे थे राइट भीमराव अंबेडकर जी जो हमेशा से दलित कम्युनिटी को काफी सपोर्ट करते रहे हैं उन्होंने 19 130 में डिप्रेसो एशन नाम की एक बड़ी सी ऑर्गेनाइजेशन बनाई थी क्योंकि वो देश के दलित सेक्शन को ऑर्गेनाइज करके उनकी मांगों को आगे रखना चाहते थे तो भीमराव अंबेडकर जी भी दलित लीडर्स के साथ मिलके दलित लोगों की मांगों को आगे बढ़ावा दे रहे थे अब गांधी जी को ये बात नहीं पच रही थी गांधी जी को ये बात क्यों नहीं पच रही थी क्योंकि गांधी जी को लग रहा था कि यार देश तो यहां अभी आजाद हुआ भी नहीं है अभी हमें आजादी मिली भी नहीं है और अगर हम सेपरेट इलेक्टो रेट की बात करेंगे अगर हम बोलेंगे कि हां भाई दलित कम्युनिटी को ये चाहिए वो चाहिए तो फिर अभी देश में बंटवारा हो जाएगा देश के आजाद होने से पहले राइट सो गांधी जी ने बोला कि अंबेडकर तुम अपनी डिप्रेसो एसोसिएशन के साथ मिलके जो मांगे उठा रहे हो दलित कम्युनिटी के लिए उन्हें छोड़ दो अंबेडकर जी ने कहा बिल्कुल भी नहीं मेरी मांगे बिल्कुल ठीक है आपको दिख नहीं रहा है सोसाइटी में क्या चल रहा है मेरी मांगे बिल्कुल ठीक है गांधी जी ने बोला जब तक तुम अपनी मांगे नहीं हटाओ ग तब तक मैं भूखा प्यासा फास्ट अन टू डेथ यानी कि मैं भूखा पासा बैठा रहूंगा मैं मर जाऊंगा लेकिन जल का या अन्न का एक भी बूंद या खाना नहीं खाऊंगा तो अंबेडकर जी गांधी जी की इतनी रिस्पेक्ट करते थे कि जब गांधी जी फास्ट अन टू थ पे बैठे तो फिर अंबेडकर जी ने फास्ट अन टू डेथ बोलते थे फास्ट अन टू डेथ मतलब जब तक मर नहीं जाता तब तक फास्ट करूंगा वरना मेरी बात मान लो तो फिर गांधी जी की बात मान ली गई अंबेडकर जी ने अपने हथियार त्याग दी हथियार त्यागना मतलब अपनी डिमांड छोड़ दी कि ठीक है सेपरेट इलेक्टरेट की मांगे नहीं करते हैं मैं दलित सेक्शन को सुधार लूंगा सुधार नहीं लूंगा समझा दूंगा सुधरे तो ऑलरेडी हुए थे तो इसी समझते को बोला जाता है पुना पैक्ट तो 1900 32 में पुना में जो समझौता हुआ अंबेडकर जी और गांधी जी के बीच में उसे बोला जाता है पुना पक गांधी जी ने बोला सेपरेट इलेक्टो रेट की मांग मत करो अंबेडकर जब देश आजाद हो जाएगा तो एससी कम्युनिटी या एसटी कम्युनिटी के लिए मैं तुम्हें पॉलिटिकल रिजर्वेशन लाके दूंगा लेकिन अभी जब देश आजाद भी नहीं हुआ है तो सेपरेट इलेक्टो रेट की मांग मत करो मतलब सेपरेट इलेक्शंस की मांग मत करो तो अंबेडकर जी ने बोला ठीक है आप वादा कर रहे हो तो आप निभाना अब ठीक है तो यह समझौते को बोला जाता है पुना पैक अब ऑन द मुस्लिम कम्युनिटी ने भी बहुत ज्यादा पार्टिसिपेट नहीं किया था लेकिन उससे पहले यह दो चार क्वेश्चन कर लेते हैं वेर वर व्हाट वर दलित पीपल डिमांडिंग इन इंडिया ट्रा एंड थिंक अबाउट इट राइट आंसर ऑप्शन नंबर सी नेक्स्ट क्वेश्चन वेन डिड पुना पैक टूक प्लेस अरे यार टेक प्लेस आना था यहां पर राइट आंसर ऑप्शन नंबर बी ओके अब मुस्लिम कम्युनिटी का देखते हैं मुस्लिम कम्युनिटी का भी जो रिस्पांस है सिविल डिसब मूवमेंट में लकम था लवम का मतलब होता है गुनगुना गुनगुना ना तो गर्म होता है ना ठंडा होता है तो मतलब थोड़ा पार्टिसिपेट किया थोड़ा पार्टिसिपेट नहीं किया क्यों क्योंकि पहली बात मुस्लिम लोगों को भी एलियने केड फील होता था कांग्रेस में कांग्रेस में मुस्लिम लीडर ज्यादातर नहीं थे मुस्लिम लोगों की अपनी ऑर्गेनाइजेशन बन गई थी जिसका नाम था मुस्लिम लीग राइट इनफैक्ट देश में ऐसे माहौल बन गए थे जहां पर दोनों कम्युनिटीज के बीच में बहुत दंगे होने स्टार्ट हो गए थे कई सारे मुस्लिम प्रोटेस्ट भी ऐसे होते थे जिसमें यू नो ऐसी बातें होती थी रिलीजन के बेसिस प जिससे दंगे हो सकते हैं कई हिंदू प्रोटेस्ट भी ऐसे होते थे जिससे देश में दंगे हो सकते और होते भी थे दंगे छोटे छोटे छोटे छुटे नंगे होते भी रहते थे दूसरा इंडियन नेशनल कांग्रेस के काफी नेशनलिस्ट ऑर्गेनाइजेशन के साथ संबंध थे जैसे कि हिंदू हिंदू महासभा हिंदू महासभा मतलब ऐसी ऑर्गेनाइज एश जो ओपनली बोलती थी कि हिंदू राष्ट्र बनना चाहिए उनके साथ इंडियन नेशनल कांग्रेस के थे कनेक्शंस तो मुस्लिम लोगों को और एलियने केड फील होता था कि यार ये इंडियन नेशनल कांग्रेस पे हम कैसे भरोसा कर ल जो ऑलरेडी उन लोगों से बात करती है जो चाहते ही हैं कि राष्ट्र बने तो हिंदू राष्ट्र बने राइट सो मुस्लिम लोगों को थोड़ा होता था फील अ थोड़ा सा इग्नोर फील होता था तो मुस्लिम लोग मुस्लिम लीडर्स जो थे उस वक्त के वो भी सेपरेट इलेक्टो रेट की मांग करने लग गए थे जैसे दलित सेक्शन ऑफ द सोसाइटी कर रहा था अब मुस्लिम लीग के एक बड़े लीडर थे बच्चा जिनका नाम था मोहम्मद अली जिन्ना जिन्ना जी को जब बोला गया इंडियन नेशनल कांग्रेस ने बोला गांधी जी ने बोला बहुत सारे और लीडर्स ने बोला कि यार आप जो है सेपरेट इलेक्टो रेट की बात मत करिए क्योंकि अगेन वही कि देश आजाद बाद में होगा बंटवारा पहले हो जाएगा राइट तो उन्होंने बोला ठीक है मैं सेपरेट इलेक्टो रेट की मांग मुस्लिम लीग सेपरेट इलेक्टो रेट की मांग बंद कर देगी आपने जैसे दलित सेक्शन ऑफ द सोसाइटी को उनकी पॉपुलेशन के आधार पे कुछ नंबर ऑफ सीट्स पॉलिटिकली सेंट्रल असेंबली में रिजर्व करने का बोला है वैसे ही आप मुस्लिम लोगों के लिए भी सेंट्रल असेंबली में पॉपुलेशन के आधार पे अगर सीट रिजर्व करने का बोल देते हैं देश के आजाद होने के बाद तो हम सेपरेट इलेक्टो रेट की सेपरेट इलेक्शन की मांग को रद्द कर देंगे तो अब इस पे क्या होने वाला था बच्चा एक ना मीटिंग होने वाली थी 1928 पे यहां लिखा नहीं है क्या हां 1928 में ऑल इंडिया कांग्रेस ऑल इंडिया कांग्रेस नाम की एक मीटिंग होने हुई थी जिसमें इंडिया की सारी पॉलिटिकल पार्टीज को इनवाइट किया गया था इंक्लूडिंग अ मुस्लिम लीग इंडियन नेशनल कांग्रेस जस्टिस वाटी सारी पार्टीज को कि भैया हम देखते हैं क्या किया जा सकता है जो मांग आई है रिजर्वेशन की वो होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए उस पार्टी में इससे पहले कि समझौता होता हिंदू और मुसलमानों के बीच में समझौता होता वहीं हिंदू महासभा के एक कट्टर इंसान ने खड़े होके भरी पार्टी में एम आर जयाकुमार क्योंकि उनका मन खट्टा हो गया था इंडियन नेशनल कांग्रेस से फिर जो है बाद में आप देख ही रहे हैं कि हिंदू और मुसलमानों के बीच का जो ये भेदभाव है वो इतना बढ़ता चला गया कि देश बाद में आजाद हुआ 15 अगस्त को देश आजाद हुआ 14 अगस्त को इंडिया के टुकड़े हो चुके थे हिंदुस्तान पाकिस्तान का बंटवारा ऑलरेडी हो चुका था राइट सो यही रिलीजन के नाम पे जो दंगे थे तब के पॉलिटिशियन ने भी वही किया अब के मतलब आज भी दुनिया में आप देखते हो यही होता है और तो ये कास्ट के नाम पे रिलीजन के नाम पे अलगाव करवाया जाता है सोसाइटी में ताकि जो हमसे ऊपर लोग बैठे हैं उनका भला हो सके सो दिस इज व्हाट हैपेंड इन हिंदुस्तान पाकिस्तान के बंटवारे का एक बहुत बड़ा कारण बना ये दिस डिस्ट्रेस बिटवीन द हिंदू एंड द मुस्लिम चलिए अब चलते हैं नेक्स्ट टॉपिक पे द सेंस ऑफ कलेक्टिव बिलोंग व्हाट डू यू मीन बाय सेंस ऑफ कलेक्टिव बिलोंग ंग सेंस का मतलब है फीलिंग कलेक्टिव का मतलब है एकजुट रहने की फीलिंग बिलोंग ंग का मतलब है कि एकजुट रह के आपस में भाईचारे से रहने की फीलिंग तो अभी मैंने आपको बताया कि छोटे फार्मर्स को बड़े फार्मर्स तंग किया करते थे इंडिया में जमीदार तालुकदार वगैरह क्यों करते थे क्योंकि उन्हें कभी समझ ही नहीं आया कि यार ये भारतवासी है ये तो अपना भाई है यार ये तो अपनी बहन है यार इनसे तो प्यार से रहना चाहिए कभी हमारे में वो कांसेप्ट ही नहीं था धीरे-धीरे हमारे देश के लीडर्स ने हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों ने हमें वो बात हमारे देश के गायकों ने हमारे देश के राइटर्स ने पोएट्स ने धीरे-धीरे करके हमें वो भावना पैदा करवाई उत्पन्न करवाई कि हां भैया देशभक्ति नाम का भी कोई कीड़ा होता है देशभक्ति बहुत अच्छी चीज है अपने देश से प्यार कर करना चाहिए और अपने देशवासियों से भी प्यार करना चाहिए राइट तो द सेंस ऑफ बीइंग अ पार्ट ऑफ द सेम नेशन डिस्कवरिंग यूनिटी दैट बाइंड्स देम टुगेदर धीरे-धीरे हमें जब समझ आया कि हम सब एक ही देश का हिस्सा है हम सबकी एक ही हिस्ट्री है हम सबका एक ही कॉमन एनिमी है जिसका नाम है ब्रिटिश गवर्नमेंट तो वहां से चीजें सॉल्व होती चली गई पार्टली थ्रू द एक्सपीरियंस ऑफ यूनाइटेड स्ट्रगल तो जब लोगों को यह एहसास दिलाया गया कि भैया आपके एंसेट पे भी ब्रिटिशर्स ने अत्याचार किया है हमारे पूर्वजों पे भी उन्होंने अत्याचार किया है तो समझ आया कि हम सबकी स्ट्रगल सेम रही है कभी-कभी होता है ना कि मान लो आपका आपके एग्जाम में नंबर कम आए हैं आपका दोस्त जो टॉप कर रहा है वो आपको जितना मर्जी बोले कि कोई नहीं यार अगली बार अच्छे ले आई हो कोई नहीं यार कोई नहीं यार तब आपको समझ नहीं आया लेकिन जिसके नंबर खराब हुए होंगे ना वो आपके साथ बैठ के जब बोलेगा ना यार तेरी भी खराब हो गई क्या यार मेरी भी खराब हो गई यार कोई नहीं चल यार चल यार कोई नहीं चल पैटी खिलाता हूं चल चाय पिलाता हूं तो आपको शायद फिर भी थोड़ा अच्छा लगेगा क्योंकि जो इंसान सेम सिचुएशन में होता है ना उससे बात करने में आसानी होती है सो वही चीज हुई जब हम हमें समझ आया कि हम सबकी जो स्ट्रगल है वो यूनाइटेड है कॉमन है बस हम अलग-अलग भाषा अलग-अलग स्टेट से आते हैं तो हमें एहसास हुआ कि यार भाईचारा तो हम में ऑलरेडी है बस हमें मालूम ही नहीं है ना सो इस सब को करने के लिए नेशन की आइडेंटिटी को स्ट्रांग करने के लिए देशभक्ति को जगाने के लिए हमारे देश में बहुत कुछ हुआ नेशन की आइडेंटिटी को सबसे पहले हमने एक एलेग का रूप दिया एलेगरे बनी बचा भारत माता 20वीं शताब्दी में पहली बार हुआ था कि इंडिया को विजुलाइज करने लग गए थे हम भारत माता के कांसेप्ट से जैसे हमने देखा था कि राइज ऑफ नेशनलिज्म इन यूरोप में मेरियन आई फ्रांस में और जर्मनिया आई जर्मनी में वैसे ही भारत माता का कांसेप्ट आया हमारे इंडिया में 20वीं शताब्दी में और वो कांसेप्ट लाने वाले थे बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी इन्होंने पहली इमेज बनाई थी कंफ्यूज मत होना इमेज का मतलब होता है स्केच बनाना पेंसिल से स्केच बनाना तो पहली इमेज जो है बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी ने बनाई थी भारत माता की और उन्होंने वंदे मातरम भी लिखा था 187 के दशक में वो वंदे मातरम आज हमारे देश का ना सॉन्ग है उस वंदे मातरम को इन्होंने अपनी नोवल आनंद मठ में जगह दी थी वो आनंद मठ भी बहुत प्यारी नोवल है कभी टाइम मिले तो पढ़ना और वंदे मातरम उस जमाने में बंगाल की मूवमेंट में स्वदेशी बंगाल मूवमेंट में बहुत इस्तेमाल हुआ था बाद में जाके तो हमारा नेशनल सॉन्ग ही बन गया तो यह था योगदान किनका बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी का वंदे मातरम आनंद मठ और आपका पहली इमेज भारत माता की इनके बाद आए इनके बाद आए अंद्र नाथ टैगोर जी अंद्र नाथ स्पेलिंग याद रखना बच्चे ए भूल जाते हैं नंबर कट जाते हैं अंद्र नाथ टैगोर जी ने पहली इमेज बनाई पहली इमेज भी नहीं पहली पेंटिंग बनाई फेमस इमेज की पेंटिंग ये पेंटिंग जो है भारत माता की जो बड़ी फेमस हुई उस जमाने में ये पेंटिंग जो है अंद्र नाथ टैगोर जी ने बनाई थी इसमें भारत माता जो है बहुत ही एस्थेटिक दिख रही है एस्थेटिक का मतलब क्या होता है बहुत पावन दिख रही है बच्चा बहुत पावन तरीके से इनको दिखाया गया है इंडिया की जो अच्छी-अच्छी चीजें हैं जैसे इनके एक हाथ में वेद है एक हाथ में यू नो पूजा वाली माला है और बहुत साधवी रूप में दिखाई गई है तो बहुत प्यारी सी एक पेंटिंग बनाई थी उन्होंने जो खूब फेमस हुई थी और बहुत काम कंपोज स्पिरिचुअल आध्यात्मिक दिख रही हैं ये बाद में जाके लोगों ने भारत माता के अपनी-अपनी अलग-अलग पेंटिंग बनाई कहीं पे भारत माता गुस्से में दिख रही है कहीं पे भारत माता बहुत स्ट्रांग दिख रही हैं कहीं पे भारत माता लड़ने के लिए तैयार दिख रही हैं तो अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके की पेंटिंग बनाई एनीवे रविंद्रनाथ टैगोर की बात करते हैं टैगोर जी हमारे यहां के बहुत बड़े पोएट और राइटर थे इनको नेशनल इनको नोबल प्राइज भी मिला हुआ है जस्ट बाय द वे बट एनीवे इन्होंने कई सारी नर्सरी राइम लिखी कई सारी कहानियां लिखी आप टैगोर की कहानियां कभी भी पढ़ेंगे ना उस जमाने की उस जमाने की ही है टैगोर की कहानियां आप कभी भी पढ़ेंगे उसमें आपको देशभक्ति के छींटे हमेशा मिल ऐसी कोई कहानी नहीं लिखते थे वो जिसमें उस वक्त ब्रिटिश गवर्नमेंट का जो पॉलिटिकल स्टैंड वगैरह है वो उसमें मेंशन नहीं होता था तो धीरे-धीरे उन कहानियों से वो जो देशभक्ति की भावना है वो बंगाल में ही नहीं पूरी इंडिया में फैली क्योंकि बंगाली में भी लिखते थे हिंदी में भी लिखते थे और इंग्लिश में भी लिख सकते थे तो काफी जगह इनफैक्ट बहुत सारे बाहर रहने वाले जो भारतवासी थे उन्होंने भी टैगोर की कहानियां पढ़ी और उन्होंने एक तरीके से फोक रिवाइवल किया फोक रिवाइवल मतलब अब क्या हो गया था इंडिया में जो पढ़े लिखे लोग थे वो बाहर की किताबें पढ़ने लग गए थे ब्रिटिश गवर्नमेंट की वजह से इन्होंने क्या किया अपने यहां की जो लोकल कहानियां थी उन्हें इतने प्यारे तरीके से लिखना शुरू किया और प्रेजेंट करना शुरू किया कि एक तरी से फोक फोक का मतलब होता है बच्चा लोकल लोकल कहानियां लोकल कहानियां बहुत फेमस होनी शुरू हुई सिमिलरली साउथ इंडिया में ऐसे एक इंसान थे जिनका नाम है नते शास्त्री जी नते शास्त्री जी ने साउथ इंडिया में जो कहानियां प्रचलित है साउथ इंडिया और नॉर्थ इंडिया में कहानियां थोड़ी-थोड़ी अलग होती हैं तो जो साउथ इंडिया की कहानियां जो प्रचलित है वहां का जो कल्चर है वहां की जो भाषा है उन सबको रिवाइव करने की कोशिश की इसके लिए उन्होंने किताब लिखी जिसका नाम है द फो क्लोर ऑफ सदर्न इंडिया यानी कि लोक कहानियां साउथ इंडिया की इसके उन्होंने चार मोटे-मोटे वॉल्यूम बनाए तो इन्होंने साउथ इंडिया में फोक का रिवाइवल किया नाउ इन्होंने ये भी बोला था इट वाज द मोस्ट ट्रस्ट वर्दी मेनिफेस्टेशन ऑफ पीपल्स रियल थॉट्स एंड कैरेक्टरिस्टिक तो इन्होंने बोला था कि ये जो मैं कहानियां लिख रहा हूं इससे लोग एक्चुअली में क्या फील करते हैं क्या समझते हैं और कैसे अपनी जिंदगी जीते हैं उसका तुम्हें सबसे अच्छा रूप देखने को मिलेगा तो बिफोर वी मूव अहेड लेट्स डू दिस क्वेश्चन द फो क्लोर ऑफ सदर्न इंडिया किसने लिखी रविंद्रनाथ टैगोर नते शास्त्री अविंद्र नाथ टिगोर या ऑल द राइट आंसर नते शास्त्री आई यहां पे आगे नहीं दिया है क्या यहां प लिख देती हूं नेक्स्ट अ हा यहां पर लिख देती जग नहीं थी साइंस एंड सिंबल्स साइंस एंड सिंबल्स के थ्रू भी हमने बहुत ज्यादा देशभक्ति की भावना फैलाई इसमें दो झंडे आते हैं पहला झंडा आता है आपका स्वराज फ्लैग और दूसरा आता है स्वदेशी फ्लैग ठीक है स्वराज फ्लैग स्वदेशी पहले स्वदेशी फ्लैग करते हैं रेड ग्रीन और येलो तीन रंग का झंडा था ये और इसमें क्या थे कि चंद्रमा भी बना हुआ था पांच लोटस बने हु आठ लोटस बने थे एट लोटस बने थे बच्चा और सूरज भी बना हुआ था और चंद्रमा भी बना हुआ था आप गगल कर लेना झंडा अच्छे से दिख जाएगा तो सूरज बना था हिंदू कम्युनिटी को दर्शाने के लिए चंद्रमा बना था मुस्लिम कम्युनिटी के दर्शाने के लिए चंद्रमा और ये चंद्रमा और सूरज दोनों बना था हिंदू और मुसलमानों के बीच की यूनिटी दिखाने के लिए आठ लोटसेज बने थे क्योंकि तब इंडिया में आठ प्रोविंशियल स्टेट्स थी प्रोविंशियल स्टेट्स मतलब जहां पे ब्रिटिश गवर्नमेंट का डायरेक्ट डायरेक्ट कब्जा हुआ करता था वरना तो प्रिंसली स्टेट्स हुआ करती थी प्रिंसली स्टेट्स मतलब राजा महाराजा होते थे राज जो है ब्रिटिश गवर्नमेंट ही करती थी लेकिन नाम के लिए राजा महाराजा भी थे लेकिन आठ प्रोविंशियल स्टेट्स थी तो आठ लोटसेज उसको दर्शाने के लिए बंगाल मूवमेंट में स्वदेशी मूवमेंट में ये झंडा बड़ा फेमस हुआ स्वराज फ्लैग हुआ करता था जिस वो अगेन तिरंगा था लाल वाइट और ग्रीन का और बीच में उसमें चरखा हुआ करता था जिससे खादी बनता है यह गांधी जी ने डिजाइन किया था इसका मतलब था सेल्फ रिलायंस कि हमें अपना कपड़ा खुद बनाना चाहिए बेसिकली हमें अपना देश खुद चलाना चाहिए ठीक है सो दैट वाज योर स्वराज फ्लैग स्वराज लेना है स्क्रीनशॉट तो ले लो दोनों ही झंडे बहुत फेमस हुए और ऐसे और भी बहुत झंडे बने तब जाकर हमें अपना आज वाला तिरंगा देखने को मिला रेड ग्रीन वाइट तीन रंग थे इसमें गांधी जी वाले में याद रखना ऑरेंज कहीं नहीं था तब चलिए उसके उसके बाद रीन इंटरप्रिटेशन ऑफ हिस्ट्री भी किया गया हमें एक बात समझ आई बच्चा हमें हिस्ट्री कैसे पता है हमें हिस्ट्री कैसे पता है हमें हिस्ट्री पता है क्योंकि किताबों में लिखी हुई है किताबों में जो लिखा है वो हम पढ़ रहे हैं अगर किताबों में लिखा है कि भारत सोने की चिड़िया था तो हमें भारत की सोने की चिड़िया पता है अगर किताबों में लिखा है कि भारत एक बैकवर्ड कंट्री था जिसे ब्रिटिशर्स ने आके डेवलप कर दिया तो हमें वही पता है राइट सो उस जमाने की जो किताबें होती थी मोस्टली वो लोग कौन लिखते थे वो लोग ब्रिटिश गवर्नमेंट लिखती थी क्योंकि उन्हीं को पढ़ना लिखना आता था हमें हमारा देश तो बहुत गरीब था तो उस जमाने की जो हिस्ट्री है ब्रिटिशर्स ने अपने मुताबिक लिखी है और वो उस हिस्ट्री को हमने रीन इंटरप्रेट करने की कोशिश की तो देशभक्ति के नाम पे कई लोगों ने हिस्ट्री को दोबारा से लिखा तभी वो नैरेटिव आया कि हां इंडिया सोने की चिड़िया था क्योंकि फिर हमने अपनी असलियत बताने की कोशिश की कि तुमने कुछ हमें डेवलप नहीं किया है तुम तो बल्कि हमारा जितना धन और संपत्ति लूटपाट करके ले जा सकते थे ले गए बल्कि हम तुम तुम्हारे आने से पहले ज्यादा ही डेवलप थे राइट सो दे रोट अबाउट द ग्लोरियस डेवलपमेंट इन एंसिस आर्ट आर्किटेक्चर भारतवासियों की जो खुद की साइंस थी मैथमेटिक्स था रिलीजन था कल्चर था जो एक ग्लोरियस टाइम था इंडिया का ब्रिटिश रूल से पहले वो सब हमने लिखा और ये सारे एफर्ट डाले गए अ हिंदुस्तान को यूनाइट करने में और बाकी कम्युनिटीज के बीच में एक तरीके से प्यार और सद्भावना फैलाने में सो दिस वाज ऑल बचा आई होप ये लेक्चर एक्सप्लेनेशन आपको अच्छी लगा लगी होगी इसकी फ्री नोट्स डिस्क्रिप्शन बॉक्स में है थोड़ा सा मैं थक गई हूं मैं जाती हूं पानी वानी पीती हूं और होमवर्क क्वेश्चन के आंसर मुझे कमेंट्स में जरूर दे देना और कोई भी डाउट है इस चैप्टर से रिलेटेड सो प्लीज प्लीज प्लीज कमेंट डाउन और अपने दोस्तों को इस चैनल के बारे में जरूर बताना मैं फ्री ऑफ कॉस्ट पढ़ाती हूं इस चैनल पे सो एज मेनी स्टूडेंट्स एज यू कैन गेट मी टू जॉइन दिस चैनल इट वुड बी अ ग्रेट ग्रेट हेल्प सो थैंक यू थैंक यू एंड आई विल सी यू अगेन बाय