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भगवान जगन्नाथ के मंदिर का खजाना और उड़ीसा की राजनीति

नमस्कार साथियों स्वागत है आप सभी का आपकी अपनी पाठशाला पर मैं हूं अंकित अवस्थी आप है मेरे साथ में रियल न्यूज़ एंड एनालिसिस खबर है जगन्नाथ जी की जय जगन्नाथ मेरे प्यारे साथियों उड़ीसा की राजनीति में लंबे समय बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है सत्ता परिवर्तन में नवीन बाबू की सरकार की जगह अब बीजेपी वहां पर सत्ता में है लेकिन इस इलेक्शन में एक मसला बड़ा मसला रहा था और बड़ा मसला यह था कि भगवान जगन्नाथ जी का जो मंदिर है उनके तहखाने में एक तिजोरी है एक खजाना है उस खजाने को सरकार खोल नहीं रही है और बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि अगर हम सरकार जीतते हैं तो हम अंडरग्राउंड के खाने में जो तहखाना है उसे खोलेंगे और खोलकर बताएंगे कि उसमें कितना धन है अब कोई सरकार नहीं खोल रही है कोई सरकार खोल रही है सुरखी बनती है कि क 400 साल बाद अब जाकर यह तहखाना खुल रहा है तो ऐसी स्थिति में बड़ा यह निकल कर आती है कि पहले वाली सरकार क्यों नहीं खोल रही थी तो राजनीतिक गलियारों में इस तरह की बयानबाजी थी कि तहखाना खोलकर उसका माल संभव तया किसी ने चोरी कर लिया है या कोई गबन कर गया है बस सरकार उसे चुप मारकर शांत बैठी है ऐसा एक अंडर करंट लोगों के दिमाग में इलेक्शन प्रचार के दौरान डाला गया यही कारण है कि अब इस तहखाने को खोलकर जनता को यह बताने का प्र प्रयास किया जा रहा है कि तय खाने में क्या है यह तो है एक कारण हो सकता है कि यह कारण लिखित में कहीं ना हो लेकिन जनता के मन में जो डाउट खड़ा किया गया कि खोल क्यों नहीं रही है सरकार वो जो डाउट है ना उस डाउट की क्लेरिटी अब खजाने के खुलने से हो रही है नंबर दूसरा कुछ माइथोलॉजी रीजंस भी दिए गए कि अगर खजाना खुलता है तो बड़ी आपदा आ सकती है और उस बड़ी आपदा में बहुत बड़ा नुकसान से सरकार बचना चाहती है इसलिए खजाना नहीं खोल रही है कुल मिलाकर खबर खजाने की है और इस खजाने का पूरा कहानी आज हम आपको अपने सेशन में बताने वाले हैं भगवान जगन्नाथ जी की महिमा भी आपके साथ साझा करने वाले हैं और भी बहुत सी जानकारी इस सेशन में होने जा रही हैं आपसे गुजारिश है कि सेशन को ज्यादा से ज्यादा साथियों के बीच साझा करें आइए आगे बढ़ते हैं साथियों फिलहाल जब हाल ही में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू हुई तो आप में से बहुत सारे लोगों ने उस दिन को यादगार क्षण के रूप में याद रखा होगा जगन्नाथ यात्रा के बीच में इतिहास की चर्चा होना लाजमी है कि क्या क्या है भगवान जगन्नाथ का इतिहास भारत के चार धामों में से एक धाम जगन्नाथ आफ्टर ऑल क्या हिस्ट्री रखते हैं क्या इनका कल्चरल सिग्निफिकेंट है सारी बातें मेरे प्यारे साथियों वर्तमान में अगर हम बात करें तो जिसके कारण जगन्नाथ जी सुरखी में है वो सुरखी में होने का है रत्न भंडार सबसे बड़ा कारण जिसका आंतरिक रत्न भंडार खुलने को है जिसमें संभावित है कि 50 किलो सोना रखा है 134 किलो ग्राम चांदी रखी है और ऐसी चीजें रखी हैं जिनका इस्तेमाल अभी तक नहीं हुआ है यहां पर तीन प्रकार के रत्न भंडार हैं जिनमें सबसे बाहर का जो भंडार है जिसे वर्तमान रत्न भंडार कहा गया है जिसमें डेली यूज के लिए अनुष्ठानों के लिए भगवान के लिए गहने और इत्यादि यूज किए जाते हैं जिनमें लगभग 35 किलो सोना 30 किलो चांदी रखी हैं इसी प्रकार से एक बाहरी रत्न भंडार है जिसमें लगभग 100 किग्रा सोना 95 किलोग्राम सोना लगभग 19 किलोग्राम चांदी रखी है इन्हें त्यौहारों पर निकाला जाता है है और तीसरा आंतरिक रत्न भंडार जो सारा के सारा संकट है वह आंतरिक रत्न भंडार पर हो रहा है क्योंकि बाहरी रत्न भंडार जो है यह समय-समय पर खोला जाता रहा है आंतरिक रत्न भंडार लंबे समय से नहीं खुला इसी कारण से आज के सेशन में इस विषय की चर्चा हो रही है कहा जाता है कि इस आंतरिक रत्न भंडार की सुरक्षा सांपों के द्वारा की जाती है इसीलिए सांपों को विशेष रूप से पकड़ने के लिए भी टीम के अंदर मेंबर्स को भेजा गया डॉक्टर्स को भेजा गया ताकि इस पूरी कारवाही को प्रॉपर तरीके से नोट किया जा सके कहा जाता है कि इस रत्न भंडार को पहले 1978 में खोला गया था इस वजह से एक लंबे समय बाद यह रत्न भंडार खुल रहा है इसलिए यह 46 साल बाद की सुर्खी बन रही है इस रत्न भंडार में कुछ इस प्रकार के आभूषण रखे हुए हैं ऐसी जानकारी है कहां की घटना है क्या स्टोरी है आइए जानते हैं तो मेरे प्यारे साथियों बात है भारत के पूर्वी राज्य उड़ीसा की बात उड़ीसा की है तो उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर वहां से से कुछ ही किलोमीटर दूर एक डिस्ट्रिक्ट है जिसका नाम है पुरी जगन्नाथ पुरी जहां पर देश के अंदर जहां पर समुद्र के किनारे जगन्नाथ पुरी स्थित है भारत के चार प्रमुख चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी यह भगवान भगवान जगन्नाथ को समर्पित है कहा जाता है कि स्थानीय मान्यता है कि कई वर्ष पूर्व नीलांचल पर्वत पर स्वयं भगवान नील माधव निवास करते थे यानी भगवान जगन्नाथ निवास करते थे अब ये स्टोरी है जो मैं आपको यहां से पढ़कर सुना रहा हूं और भी बहुत सी स्टोरी हैं लेकिन उनमें से जो फिलहाल स्टोरी सर्वाधिक मान्य है वह यह है कि कई वर्ष पूर्व नीलांचल पर्वत पर भगवान नील माधव निवास करते थे एक दिन राजा इंद्रद्युम्न को रात में भगवान विष्णु सपने में दर्शन देते हैं और कहते हैं कि नीलांचल पर्वत की एक गुफा के अंदर मेरी एक प्रतिमा है जिसे नील माधव कहते हैं उन्हें आप निकाल आइए और निकालकर मेरा मंदिर बनवाए और मेरी वहां पर मूर्ति स्थापित कर दीजिए राजा को यह सपना आता है नीलांचल पर्वत पर सब कबीला रहता था जिसका मुखिया था विश्व वसु वो भगवान नील माधव का एक उपासक था और उसने इस मूर्ति को गुफा में छिपाकर रखा हुआ था कि बस मैं ही भक्ति करूंगा नील माधव जी की भक्ति इसी मुखिया विश्व वसु के द्वारा की जाती थी पूजा की जाती थी राजा इंद्रद्युम्न अपने सेवक ब्राह्मण विद्यापति को मूर्ति लाने का कार्य सौंपते हैं कि आप जाइए नीलांचल पर्वत से नील माधव की मूर्ति लेकर आइए लेकिन जब वो विश्वसु के पास पहुंचते हैं तो वहां पर उन्हें जो प्रतिक्रियाएं दिखाई देती हैं विद्यापति मुखिया विश्व वसु से मिलते हैं उनकी पुत्री से विवाह करते हैं कुछ दिन बाद विद्यापति अपने ससुर विश्व वसु से कहते हैं कि उन्हें भी नील माधव के दर्शन करने हैं इस इच्छा के साथ विश्व वसु उन्हें पहले तो ले जाने में आनाकानी करते हैं लेकिन बाद में बेटी की जिद्द के कारण विद्यापति को वहां ले जाते हैं विद्यापति यहां पर आंख पर पट्टी बांधकर ले जाए जाते हैं कहते हैं कि विद्यापति अपने हाथ में सरसों के दाने लेकर जाते हैं उन दानों को इसलिए ले जाकर जाया जाता है ताकि वो उस गुप्त स्थान को जहां पर भगवान की मूर्ति छुपाकर रखी है वहां पर जाते समय दाने पटक भविष्य में वहां पौधे उगा आएंगे तो उन्हें फॉलो करते-करते भविष्य में उस मंदिर तक जाया जा सके तो सरसों के दाने अपने साथ ले गए और रास्ते में सरसों के दाने गिराते चले गए कहा जाता है कि विश्वपति के साथ में जब विद्यापति देखने जाते हैं तो वहां पर जाकर के विश्व वसु के साथ में वह जाते हैं तो वहां पर पूरा रास्ता सम जाते हैं समझ कर के वहां से उस मूर्ति को चुराते हैं और चुराकर राजा को दे देते हैं राजा इंद्रद्युम्न के पास नील माधव की मूर्ति आ जाती है लेकिन इस बात से भक्त विश्व वसु बहुत दुखी होता है इस दुख को देखकर भगवान भी दुखी होते हैं और कहते हैं कि यह प्रतिमा वापस यहां से उठकर नीलांचल पर्वत पर ही चली जाती है ऐसी स्थिति में भगवान ने इंद्रद्युम्न को सपने में फिर से वादा किया कि आप एक विशाल मंदिर बनवाए तो मैं उसके पास खुद से लौट आऊंगा इस पर इंद्र दमन एक विशाल मंदिर का निर्माण करवाते हैं भगवान विष्णु से मंदिर में विराजमान होने की प्रार्थना करते हैं भगवान ने कहा कि द्वारका से एक लकड़ी का बड़ा टुकड़ा समुद्र से तैरकर पुरी की तरफ आ रहा है तुम उससे मेरी मूर्ति बनवाओ राजा के सेवकों ने टुकड़े को तो ढूंढ लिया पर ये सब उसे उठा नहीं पाए तब राजा ने सबर कबीले के मुखिया नील माधव के अनन्य भक्त विश्व वसु को जो कि नीलांचल पर्वत पर पूजा कर रहा था उनसे प्रार्थना की कि आप आइए और इस भारी भरकम लकड़ी को उठाइए और उठा कर के इससे मंदिर तक लेकर चलिए विश्व पशु उस भारी भरकम लकड़ी को उठाते हैं मंदिर तक लेकर जाते हैं अब यहां पर इंद्र दमन उस लकड़ी के टुकड़े से प्रतिमा बनाने के लिए कई कुशल कारीगरों को इनवाइट करते हैं कहते हैं कि कारीगर जैसे ही छैनी हथौड़ी लकड़ी पर प्रयोग करें वह लकड़ी पर काम ही नहीं कर पा रही थी तब भगवान के पास खुद सजन के देवता विश्वकर्मा एक बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में पहुंचते हैं और कहते हैं कि भगवान नील माधव की मूर्ति बनाने की मैं इच्छा रखता हूं लेकिन मेरी एक शर्त है शर्त क्या है कि मैं बंद कमरे में इस मूर्ति का निर्माण करूंगा और 21 दिन तक एकांत में रहकर मूर्ति बनाऊंगा अगर किसी ने भी बीच में मुझे टोक दिया रोक दिया तो यह कार्य अटक जाएगा इस बात को राजा सहर्ष स्वीकार कर लेते हैं भगवान विश्वा विश्वकर्मा जो है वो उस कमरे में जाते हैं बंद दरवाजे कर दिए जाते हैं शुरुआती कुछ दिनों तक तो छैनी हथौड़ी की आवाजें आती हैं छैनी हथौड़ी की आवाज से यह माना जाता है कि अंदर काम चल रहा है लेकिन इसी बीच में राजा की रानी जो रानी गुंडी चा है व राजा इंद्र दुम की पत्नी थी और दरवाजे के कान के पास आवाज सुनने के लिए आई कि क्या वाकई में अंदर काम चल रहा है कि कहीं बुजुर्ग व्यक्ति को कोई दिक्कत हो गई है इसी बीच में जब उन्हें लगा कि अंदर से कोई आवाज नहीं आ रही है तो डाउट हुआ कि कहीं कारीगर मर तो नहीं गया इससे घबराकर वह राजा के पास जाती हैं और कहती हैं कि साहब गेट खुलवाए डाउट है अंदर से छैनी हथौड़ी की आवाज आना बंद हो गई है इस पर राजा दरवाजा खुलवा हैं जैसे ही दरवाजा खुलवा हैं तो यहां पर तीन इस प्रकार की भव्य मूर्तियां रखी हुई मिलती हैं चूंकि यहां पर भगवान विश्वकर्मा नहीं थे और ऐसी स्थिति में तीन मूर्तियां जो कि अधूरी बनी हुई मूर्तियां दिखाई दी यह देख कर के सब चौक जाते हैं इन तीन मूर्ति में एक मूर्ति भगवान नील माधव की थी उनके छोटे उनके भाई के छोटे-छोटे हाथ बने थे लेकिन उनकी टांगे नहीं बनी थी और सुभद्रा जी के तो हाथ पांव ही नहीं बने थे ये तीन मूर्तियां यहां पर दिखाई देती हैं भगवान जगन्नाथ ने उन्हें स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि अब से यह काष्ट की बनी मूर्तियां ही प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिया करेंगी राजा इंद्र दुम इन्हें भगवान जगन्नाथ की इच्छा मानकर इन अपूर्व अपूर्व यानी जो पूर्ण नहीं हुई अपूर्ण प्रतिमाओं को ही मंदिर में स्थापित कर देते हैं तब से ले लेकर अब तक भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ लगातार भक्तों को दर्शन दे रहे हैं ऐसा भी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु शरीर त्याग कर जा रहे थे उनका अंतिम संस्कार किया गया तब उनके शरीर का एक हिस्सा छोड़कर सारा शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया वह हिस्सा था भगवान कृष्ण का दिल कहते हैं कि यह दिल आज भी धड़क रहा है जो आज भी भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा के अंदर सुरक्षित है यह मानकर भगवान जगन्नाथ जी की आज भी पूजा की जाती है तो यह तो हुआ भगवान जगन्नाथ जी का इतिहास जो आपने सुना क्या मान्यताएं हैं किस तरह से यहां पर भगवान जगन्नाथ जी की पूजा की जाती है ठीक है साहब यह मंदिर बना हुआ था इस मंदिर का कई बार निर्माण हुआ जीर्णोधार हुआ वर्तमान जो मंदिर बना हुआ है वह सातवीं सदी का है 1174 में उड़ीसा के शासक अनंग भीमदेव ने इस मंदिर का जीर्ण उदार करवाया मंदिर के चार द्वार हैं पहला सिंह द्वार दूसरा अश्व द्वार तीसरा व्याघ्र द्वार चौथा हस्ती द्वार मंदिर के चार और 20 फीट ऊंची दीवार बनी हुई है हमने इनके ऊपर पहले भी एक बार सेशन किया है जुलाई माह में जब यह चर्चा थी तब अंकित इंस्पायर इंडिया पर प्रॉपर एक डिटेल में जानकारी बताई गई है बताया गया है कि जहां 15 मिनट में 177000 लोगों का खाना बनता है यह प्रसाद मैंने भी पाया है अत्यंत मतलब लाजवाब होता है कभी आप समय मिले तो जगन्नाथ जी की यात्रा में इस रसोई तक जरूर पहुंचे चलिए आगे बढ़ते हैं तो ऐसी स्थिति में पूरी जगन्नाथ मैंने यहां पर जाकर एक ब्लॉग भी बनाया है वो भी शायद मैंने अपने किसी चैनल पर डाला हुआ हुआ है देख गा पूरी जगन्नाथ टेंपल की जो अब बात हो रही है वह इसलिए हो रही है कि यहां पर भगवान का एक रत्न भंडार है जो 46 साल बाद सुनने की सुर खुलने की सुर्खी बनी हुई है तो 12वीं सदी में बना हुआ या जीर्णोधार के बाद का यह जो मंदिर है यह 46 साल बाद अब अपने रत्न भंडार को खुलता हुआ देख रहा है रत्न भंडार के अंदर अगर हम बात करें तो इसके अंदर दो प्रमुख हिस्से हैं मतलब एक तो रोज दिनचर्या का हिस्सा है वो तो हमने बता ही दिया वर्तमान हिस्सा जिसे जा रहा है रत्न भंडार के दो बड़े हिस्से हैं एक बाहरी भंडार है जिसके अंदर भगवान जगन्नाथ बलराम और सुभद्रा के आभूषण रखे हैं बाहरी भंडार जो है वह रथ यात्रा के दौरान खुलता है और वहां से रत्न आभूषण लेकर के भगवान को पहनाए जाते हैं वहीं दूसरी और जो भीतरी भंडार है जहां पर क्या रखा है यह जानकारी अपने आप में बड़ा रहस्य बनी हुई है कि इस भंडार में क्या है कहते हैं कि 1985 में 1978 के बाद 1985 में भी प्रयास हुआ था लेकिन उस समय कोई लिस्ट अपडेट नहीं हुई कि उस समय सामान क्या है कहते हैं कि यह जो आंतरिक भंडार है यह तीन बार खुला है 195 26 और 78 खोला गया इसमें बेश कीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई लेकिन 1985 में भी एक बार खोलने का प्रयास हुआ लेकिन उसकी लिस्ट अपडेट नहीं की गई 78 के कारण तभी से 78 की वजह से आज तक यानी 13 मई से 13 जुलाई के बीच में मौजूद सामानों की जो लिस्ट है उसमें 128 किलो सोना 222 किलो चांदी होने की बात कही जा रही है मतलब 78 से 85 का काउंट इसीलिए नहीं किया जाता क्योंकि उस समय लिस्ट अपडेट नहीं की गई तो 78 से 24 के बीच में 46 सालों के बीच में यह संभावना व्यक्त की जाती है कि यहां पर 128 किलो सोना रखा है और 222 किलो चांदी रखी गई है और इस बीच में इस मंदिर में जो संपत्ति आई उसका कोई भी जिक्र नहीं है तो यह सुर्खियां चल रही है कि साहब यहां पर 128 किलो चांद सोना रखा है और 222 किलो के आसपास यह चांदी रखी हुई है 78 की जानकारी मार्केट में उपलब्ध है 85 का दावा है कि उसका लिस्ट अपडेट नहीं हुआ इसीलिए 46 साल बार-बार कहा जा रहा है 2018 की एक जबरदस्त खबर है जिसके बाद यह राजनीतिक मुद्दा बन गया क्या हुआ इस रत्न भंडार को खोलने के लिए कई बार हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई 2018 में उड़ीसा हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को रत्न भंडार खोलने का निर्देश दिया कि भाई इस रत्न भंडार को खोलिए 4 अप्रैल 2018 को कोर्ट के आदेश पर जब 16 लोगों की टीम रत्न भंडार का चेंबर खोलने पहुंची तो वह खाली हाथ लौट आई क्यों बोले साहब चाबी खो गई मतलब यह वाली बात कि हाई कोर्ट का आदेश है 16 लोगों की टीम खोलने जाती है लेकिन वो यह कहकर वापस आ जाती है कि साहब हमें इस दरवाजे की चाबी नहीं मिली हम यहां से वापस लौट आए चाबी नहीं मिलना अपने आप में एक बड़ी सुर्खी बना 2018 में हाई कोर्ट के आदेश पे यह आंसर कि चाबी ही नहीं है तो खोलेंगे कैसे यह कहानी अपने आप में काफी जगह कवर की जाती है कि यार गजब हो गया मतलब यहां पर चाबी नहीं मिल रही है यह अपने आप में एक बड़ा मुद्दा हो गया मतलब आप न्यूयॉर्क टाइम्स तक मैं देखें खबर इस तरह छपी कि मिसिंग की टू ए टेंपल ट्रेजरी वॉल्ट इग्नाइट ए फ्यूरें है कि शर्मिंदगी की है कि मजाक की है नहीं पता कि मतलब हाई कोर्ट के आदेश की कोई पालना नहीं कर रहा है इस बात पे नवीन पटनायक साहब ने एक इंक्वायरी कमीशन गठित किया इंक्वायरी कमीशन ने 324 पेज की एक रिपोर्ट बनाक सरकार को सौंपी हालांकि वो रिपोर्ट भी अभी तक पब्लिक नहीं की गई फिर यह बात पहुंचती है सुप्रीम कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा गवर्नमेंट ऑफ उड़ीसा को आदेश दिया जाता है कि यह मिस मैनेजमेंट का मामला है डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को कहा जाए कि वह वापस जाएं और यहां पर जाकर के वह प्रॉपर तरीके की जानकारी निकालें इस बीच में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर एक सील्ड एनवेलप में चाबी दे देते हैं कि साहब हमें एक दूसरी चाबी मिल गई है जो उसकी कॉपी है इससे खोला जा सकता है खैर कोई बात नहीं ऐसी स्थिति में एक बड़ा सवाल यह बना कि उस वॉल्ट में यानी कि उस तिजोरी में उस खजाने में जो सामान रखा है उसे लेकर कोर्ट का जो आदेश है कि इसकी रेगुलर ऑडिट की जानी चाहिए कितना सामान रखा है कहीं चोरी तो नहीं हो गया कहीं कोई सरकारी लीकेज तो नहीं है माल है भी कि नहीं है सरकार का माल चोरी तो नहीं हो गया भगवान का सामान तो चोरी नहीं हो गया है इसकी ऑडिट कौन करेगा इस ऑडिट को लेकर के तमय तमय पर समय-समय पर डायरेक्शंस दिए जाते रहे लेकिन कुछ नहीं हुआ कोई बात नहीं साहब उड़ीसा के इस टेंपल को लेकर जगन्नाथ टेंपल एक्ट ऑलरेडी बना हुआ है जिसके अंदर रत्न भंडार को हर तीन साल के अंदर ऑडिट करने की बात लिखी हुई है लेकिन 1978 के बाद से कोई ऑडिटिंग नहीं हुई है इसे लेकर के चर्चा मतलब उड़ीसा में बहुत बनी यही कारण है कि इस जगह को लेकर के 2018 से मुद्दा बनता रहा है कि इस जगह की ऑडिट क्यों नहीं हो रही है चुनाव होते हैं चुनाव में बीजेपी मुख्य पार्टी के रूप में होती है उड़ीसा को नए सीएम मिलते हैं मोहन मांजी और वह चुनाव प्रचार में किए गए अपने वादे जो कि मेनिफेस्टो में डाला गया वादा था जिसमें यह था कि अंडर दी इंजस्टिस डन बाय दी हिंदू डिवोटा बाय गवर्नमेंट मिसमैनेजमेंट ऑफ पुरी टेंपल फॉर दिस वी विल एक्सपीडाइज द इन्वेस्टिगेशन ऑफ मिसिंग की हम इस मामले की जांच करेंगे कि चाबी कैसे खोई रत्न भंडार की नंबर दूसरा हम पूरी तरह से ऑडिटिंग प्रोसेस को रीस्टोर करेंगे और जो भंडार की इन्वेंटरी है कि क्या-क्या सामान उसमें मिला है उसे पूरी तरह पब्लिश करेंगे और जनता को बताएंगे हम यह शोर करेंगे कि जो मठ वहां से हटाए गए थे पूरी परिक्रमा के अंदर से उसको पूरी तरह कंपनसेटर से रीस्टैब्लिश किया जाए और हम चारों गेट जो जगन्नाथ टेंपल मंदिर के हैं उन्हें वहां के सारे की सारे डेवो के लिए खोलेंगे इस तरह से जगन्नाथ पुरी को लेकर के यहां पर यह वादे किए गए 16 सदस्यों वा वाली हाई लेवल कमेटी को समय फिर से बुलाया गया कि आप जाइए और 14 जुलाई के दिन जाकर के इस खजाने को खोलिए राज्य सरकार ने इसके लिए 16 16 सदस्य समिति गठित की जो कि यहां रखे हुए आभूषण और कीमती सामान का लेखा जोखा रखने के लिए जाएगी और 14 तारीख को इसे खोलने की सिफारिश दी गई उड़ीसा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि प्रॉपर तरीके से हमने स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसेस बनाए हैं किस तरह से इसको किया जाएगा इसको करने के लिए रविवार का दिन चुना गया दोपहर 1:8 पर इसे खोला गया भंडार ग्रह में सरकार के प्रतिनिधि एएसआई के अधिकारी श्री गजपति महाराज के प्रतिनिधि और चार सेवादार समेत 11 लोग यहां मौजूद रहे इस बीच में मुख्य प्रशासन अरविंद पाड़ी ने बताया कि जो आउटर रत्न भंडार का सामान है उसे तो लकड़ी के छह बक्सों में शिफ्ट करके सील कर दिया है लेकिन अंदर वाला जो रत्न भंडार है उसका सामान शिफ्ट नहीं किया जा सका है अब यह काम बहुदा यात्रा या सुना वेशा के बाद किया जाएगा मतलब यहां पर जो माल रखा है उसमें जो बाहर का माल था उसको तो निकालकर शिफ्ट भी कर दिया देखिए आपके सामने तस्वीर है ये जहां पर बाहरी जो खजाना था उसका सामान छह बक्सों में कुछ इस प्रकार से रखकर शिफ्ट कर दिया गया है वहीं जो अंदर वाला वॉल्ट है उसके सामान को शिफ्ट नहीं किया गया है क्योंकि अभी जगन्नाथ यात्रा चल रही है समय सीमित है दोपहर के अंदर जांच शुरू हुई है और यात्रा की लौटते समय बहु के बाद में बोले फिर से इसको वापस से निकाला जाएगा ठीक है तो ऐसी स्थिति में कहा गया है कि रत्न भंडार को मतलब इस पूरी प्रक्रिया के तहत मतलब बाकी जो बचा हुआ रत्न भंडार है इनर रत्न भंडार उसके सामान को निकालने की प्रक्रिया बहुरा के दिन पूरी की जाएगी फिलहाल के लिए उसे दोबारा से सील कर दिया गया है इस बीच में पूरा एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया गया पहला कि रत्न भंडार को फिर से खोलने के लिए दूसरा अस्थाई रत्न भंडार के प्रबंधन के लिए और तीसरा कीमती सामानों की सूची तैयार करने के लिए यहां पर जस्टिस भी प्रेजेंट रहे उन्होंने आकर बताया कि जिला कलेक्टर ने जो चाबियां दी थी उनसे आंतरिक भंडार का कोई भी ताला नहीं खुला इसलिए टीम ताले काटकर भंडार में गई वे लोग 5 घंटे तक वहां रहे बाहरी सामान की शिफ्टिंग के बाद इनर भंडार का ताला तोड़ा गया था यानी इनर भंडार खुल तो गया है सामान निकालकर उसे शिफ्ट नहीं किया गया है क्योंकि समय कल कम था नए ताले लगाकर अब रत्न भंडार जो अंदर वाला है उस पर नए ताले लगा दिए गए हैं दोबारा सील कर दिया गया है और चाबियां जिम्मेदारों को सौंप दी गई हैं 5 दिन बाद आंतरिक भंडार फिर खोला जाएगा सामान शिफ्ट करने के बाद इसे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के लोगों के लिए खाली छोड़ दिया जाएगा ताकि वह इस जगह की प्रॉपर वीडियोग्राफी करें साथ ही साथ यहां का पूरा की पूरा मरम्मत किया जा सके कहा गया कि यहां सांप मिल सकते हैं हां यहां पर सांप तो नहीं मिले लेकिन गहनों में पानी जरूर मिला क्योंकि भाई मतलब बारिश का पानी भी हो सकता है वो पानी यहां पर भरा हुआ मिला ठीक है हालांकि प्रॉपर तरीके से तैयारी की गई थी कि यहां पर अगर सांप भी मिलते हैं तो उन्हें भी पकड़ा जाएगा और उन्हें सुरक्षित छोड़ा जाएगा यहां पर एक रोचक घटना और घटी और वो घटना यह थी कि जांच के समय एसपी बेहोश हो गए यह सुर्खी लोगों के बीच में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है अब क्या हुआ कैसे हुआ यह बाद में उनकी तबीयत खराब थी या जो भी था लेकिन चर्चा में आया हुआ है तो कुल मिलाकर आंतरिक रत्न भंडार खुल तो गया है नए ताले लगा दिए गए हैं चाबी सौंप दी गई है लेकिन सामान वहां से पाछ दिन बाद निकाला जाएगा तब तक के लिए फिलहाल यही अपडेट है जब यह खुलेगा इसका आगे का अपडेट भी मैं आप लोगों तक प्रेषित करूंगा अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो साथियों के साथ साझा करें चैनल पर नए हैं तो सब्सक्राइब कर लें और साथियों जैसा आप सभी जानते हैं कि हमारे अपनी पाठशाला ऐप पर हमारे कोर्सेस और हमारी बुक्स के ऑर्डर्स उपलब्ध हैं आप जाकर उन्हें ऑर्डर कर सकते हैं