[संगीत] डियर स्टूडेंट वेलकम बैक मुझे पता है की मेरे कई अब जो है सेकंड सेमेस्टर लिया है वह इंतजार करते हैं इस सीरीज का इसलिए मैं सारे अपने बीजी टाइम से कुछ समय निकालकर जरूर आप लोगों के लिए मैं वीडियो बनाने कोशिश करता हूं यह जो वीडियो है यह पार्ट तू है आपको पता है पार्ट वन अपने से कई लोगों ने देखा है हम चर्चा कर रहे हैं इवोल्यूशन ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन अकादमी देखा था इस पाठ में उससे भी अधिक इंपॉर्टेंट हम उसकी थियोरेटिकल जर्नी देखेंगे की कैसे कैसे डिफरेंट अथॉरिकल अप किया गया पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के फील्ड को और एक उसकी जो यात्रा है उसको हम लोग यह सेकंड सेमेस्टर में जो बा हंस पॉलीटिकल साइंस है 4 एयर एफ यू जीपी उसके लिए बनाई गई है लेकिन हर एग्जाम के लिए ये इंपॉर्टेंट होगी सो लेटेस्ट इससे पहले की हम लोग डिस्कस करें ये मैंने पिछली सिलाई पिछले वीडियो से जस्ट ले लिया है पराई थ्योरी अप्रोचों इसको पढ़ लीजिएगा अब मैं इसको एक्सप्लेन नहीं कर रहा हूं फर्स्ट वीडियो में आप देख लीजिएगा लेकिन यहां पे हम लोग हैं थ्योरी मतलब एक लाइन में कहें तो पैराडाइज जरूर समझ लीजिएगा ये एक ब्रेड जो है एक बाउंड्री होती है एक घेरा होता है थियोरेटिकल जितने भी रिसर्च होते हैं थ्योरी बनाई जाति है किसी भी विद्या में किसी भी सब्जेक्ट में वो उसे बाउंड्री से बाहर नहीं जाति है एक तरह का समझ लीजिए ओवर किंग एक्सेप्टेबल जो नॉर्म्स वालुज प्रिंसिपल जो प्रथम है उसको पैराडाइन कहते हैं और थ्योरी जो है वो क्या है एक लाइन जैसे न्यूटन का आपने देखा न्यूटन डॉ वो एक थ्योरी है कोई भी एक प्रपोजिशन जो बहुत ही रिसर्च करके ऐसी लिखी जाति है लैंग्वेज में जो हर जगह हर समय हर कल स्थिति में वो सही होती है लेकिन इन्हें जिवन पैराडाइज याद रखिए उसे पराई इनके बाहर जान पर इसे न्यूटन के डॉ जो है क्वांटम मैकेनिक्स के पैराडाइन में फेल कर जाति है एक अपने पैराडाइन में वो जो प्रीपोजिशन होती है वो सही होती है उसमें ताकत होती है कुछ नेचुरल या सोशल वर्ल्ड के फिनोमेना को एक्सप्लेन करने की उसको थ्योरी कहते हैं अप्रोचों को पढ़ लीजिएगा बहुत ज्यादा टाइम हो जाएगा लेटेस्ट मूव आईटी या फर्स्ट वीडियो देख लीजिएगा अब हम लोग जो में जिसके लिए मैंने ये वीडियो बनाया है वो अथॉरिकल जर्नी और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन कैसे जो है एक यात्रा हुई है थियोरेटिकल की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में चलिए देखते हैं सव सो साल में आपको पता है की 1887 में वुद्रो विल्सन ने एक आर्टिकल लिखा डी स्टडी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन एक आर्टिकल थी छोटी सी आप उसको पढ़ सकते हैं नेट पे उससे शुरुआत हुई पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नाम के सब्जेक्ट की एक जर्नी और उसको बहुत मुसीबत जेल नहीं पड़ी आपने देखा मैंने आपको पुरी उसके पैराडाइन या एरा बताएं हैं कैसे उसको चैलेंज उसको सौतेला व्यवहार हुआ पॉलीटिकल साइंस और मैनेजमेंट के फैकेल्टी में फिर अपनी अब उन्होंने अलग अस्तित्व बनाया पब्लिक पॉलिसी में फॉक्स किया और फिर गवर्नेंस पैराडाइज में गए तो क्या इसी के साथ साथ में एक थ्योरी की भी जड़नी चलती है दोनों बहुत गड़बड़ भी आपको कई उसमें आम नजर आएंगे ऐसा होगा ही क्योंकि थियोरेटिकल जर्नी और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के उदय की जर्नी तो कहानी ना कहानी मैच तो एक होना ही है तो चलिए शुरू करते हैं यह इसको अगेन मैंने जो है बहुत सारे सोर्सेस है मैंने लिया है निकोलस फैमिली से लेकर इग्नू से मुझे जो समझ में आया इस तरीके से ये जर्नी हुई है मतलब पहले जो सबसे पहले जो है क्लासिकल थ्योरी का मतलब की एक टाइम था क्लासिकल थ्योरीस्ट कर लीजिए मैकेनिस्टिक थ्योरी ऑर्गेनाइजेशन को एक क्लोज ऑर्गेनाइजेशन मानते थे आगे हम लोग देखेंगे उसको मैं एक्सप्लेन करूंगा ये शुरुआत हुई अर्ली 20th सेंचुरी 1911 में साइंटिफिक मैनेजमेंट थ्योरी आई फिर डेमोक्रेटिक थ्योरी आए वाइबर का ये सब वहां पे देखेंगे उसके बाद जो 1920 से लेकर 1950 तक जो है वो ह्यूमन रिलेशन और बिहेवियर अप्रोच का जमाना चला आपको पता है की बिहेवियर रिवॉल्यूशन जो है 1950 के आसपास में सेकंड वर्ल्ड वार खत्म हुई थी पूरे सोशल साइंस को उसने अच्छा पूरा सिर्फ अवे कर दिया था तो इससे जो है ये भी बच्चा नहीं रहा पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन लेकिन उसके कई दशक पहले जो है एल्टन में आए और ह्यूमन रिवॉल्यूशन ह्यूमन रिलेशन नाम का एक जो थियरिटिकल अप्रोच है वो लेक आए की उन्होंने ह्यूमन कहिए बिहेवियरल रिवॉल्यूशन जो है उसकी स्थापना पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में पहले ही कर देती थी हिल्टन में आए हो तो ये दूसरा दूर था ह्यूमन रिलेशन बेबो अप्रोच का दूर फिर थर्ड दूर जो है वो पोस्ट बिहेवियर अप्रोच का था जब वो जो बहन था बिहेवियरल का जब वो थम क्या था ये तो आगे आपको मैं एक्सप्लेन करूंगा जब वह थम तो न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के रूप में जो है पोस्ट बिहेवियर अप्रोच आई एनडीए बहुत ही स्ट्रांग एक मूवमेंट थी जिसमें की पब्लिक स्पिरिटनेस को फिर से वापस लाने कब आए थे 1970 में फिर नियो लिबरल अप्रोच आया वर्ल्ड वार सॉरी कोल्ड वार खत्म हुआ यूएसएसआर का धक गया और उसके साथ ही पुरी दुनिया जो है अमेरिकन न्यू लिबरलिज्म के आगोश में आगे उसको न्यू लिबरल ग्लोबलाइजेशन कहते हैं और उसको उसे इराक के लिए जो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन चाहिए थी वो न्यू पब्लिक मैनेजमेंट लेकर के आई है तो न्यू पब्लिक मैनेजमेंट जो थी वो न्यू लिबरल एरा की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन थी जो बाजार से प्रभावित थी जिसमें की प्राइवेट सेक्टर के मैनेजमेंट स्टाइल को पब्लिक सेक्टर में अपने की गवाही थी और यह 2000 तक चला मतलब 10 साल 15 साल चला उसके बाद उसको एक तरह से डिस्कार्ड कर दिया गया और फिर गवर्नेंस अप्रोच आई जो अभी भी चल रही है जिसमें की गुड गवर्नेंस उसको रिप्रेजेंट करता है हम लोग इन सबको डिटेल में देखेंगे मैंने एक का का खींच तो यदि आप बहुत क्विकली देखिए तो सबसे पहले क्लासिकल थ्योरी का जमाना है अर्ली 20 सेंचुरी बेस्ड ऑन ह्यूमन रिलेशनशिप क्लासिकल यदि एरा देखिए क्लासिकल पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन थिअरीज तो इसके फीचर क्या थे इसमें ऑर्गेनाइजेशन को मां लीजिए एक ऑर्गेनाइजेशन है ये ट्रायंगल से दिखाई हैं तो इसको माना जाता था की ये क्लोज्ड है मतलब ये अपने जो इनएविटामेंट है ना जो इसका लार्जर जो सोसाइटल एंप्लॉयमेंट है उससे बिल्कुल इसका कोई नता नहीं है एकदम लोहे के दरवाजे से बैंड है कोई बाहर से कोई नता नहीं है इसका मतलब क्या है की ऑर्गेनाइजेशन को उसके परिवेश से अलग जो है पुरी तरह एक मशीन की तरह कंट्रोल किया जा सकता है इसलिए उसको मैकेनिस्टिक मॉडल ऑफ ऑर्गेनाइजेशन कहते हैं और ऑर्गेनाइजेशन को बिल्कुल ना एक साइंटिफिक प्रिंसिपल पे जैसे नेचुरल साइंस का न्यूट्रल डॉ होता है इस तरह से एडमिनिस्ट्रेशन का साइंस डेवलप किया जा सकता है जो ट्रेलर ने कहा हर जब का एक साइंस डेवलप का सकता है हर टूल और इक्विप जो इंप्लीमेंट है या इक्विपमेंट है उसका एक साइंस डेवलप की आवश्यकता है बेस्ट वे में हर कम को किया सकता है एवं कैसी एक वर्कर कम करता है उसका कैसे रिलेशन है उसके सब को साइंटिफिकली जो है डिटरमिन किया जा सकता है फिक्स किया जा सकता है और जो है प्रोडक्टिविटी काफी बधाई जा शक्ति है तो इनका विश्वास था इस पीरियड के थिंकर का थियोरेटिशियन का की एक यूनिवर्सल साइंस और प्रिंसिपल्स ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन बनाया जा सकता है नेचुरल साइंस के जैसा जो देश कल समय की सीमा से पैर होगा और कहानी भी वो एप्लीकेबल होगा अमेरिका में भले डेवलप हो इंडियन एडमिनिस्ट्रेशन में भी लागू होगा और वो प्राइवेट पब्लिक हर तरह ऑर्गेनाइजेशन में लागू होगा ऐसा नहीं केवल पब्लिक सेक्टर में लागू किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में वो प्रिंसिपल जो है लागू होगा वर्कर को यहां पे जो है एक राशनल इकोनामिक मां देखा जाता था जो ऑलवेज अपना यूटिलिटी को मैक्सिमाइज करना चाहता जो सबसे अधिक इकोनामिक इंसेंटिव से मोटिवेट होता है उसको अधिक पैसा डॉग अधिक कम करेगा अपना उसको फायदा होगा तो कुछ भी करेगा ऐसा माना जाता था मैं को एक मशीन की तरह ट्वीट किया गया मतलब की तुम उसको अच्छे सिलेक्ट करो ट्रेनिंग दो उसको इकोनामिक इंसेंटिव दो कम करने का तरीका बता दो एकदम कैसे हाथ बढ़ाना है कैसे टूल पकड़ना है तो मशीन की तरह वो जो है अधिक से अधिक प्रोडक्ट एक्टिविटी ले सकते हो और हर कम को स्टैंडर्डाइज का सकता है मतलब की टूल से लेक इक्विपमेंट से लेक हथियार से लेक कम करने के तरीके को लेकर सब कुछ को जो है एकदम साइंटिफिक वे में जो बेस्ट हो सकता है उसको स्टैंडर्ड बना दो और सब को स्टैंडर्ड शिखा दो और वही स्टैंडर्ड जो है पूरे जगह फैला दो उसमें जनरलाइज कर दो स्टैंड को तो इकोनॉमिक्स देखेंगे देखिए ये बहुत डिटेल में नहीं है इसमें तो आगे आपको और थ्योरी पढ़ाई जाएगी यहां पे जस्ट एग्जाम के लिए इससे अधिक आपको जरूर नहीं है देखिए रिप्रेजेंटेटिव थ्योरी और थिंकर्स ऑफ क्लासिकल सबसे बड़े जो महंत थे वो ट्रेलर थे फ्रेडरिक ट्रेलर तो साइंटिफिक मैनेजमेंट थ्योरी 1900 मैंने बुक भी दे दिया है साइंटिफिक ने जो थे 1911 में लेक आते हैं उसमें ये सब बातें जितनी मैंने कहीं है वो इस से उसके फीचर्स इसमें सारे थे फिर फाइल जो है है हेनरी फयोल वो भी इसके सेकंड सबसे बड़े गुरु थे उन्होंने एक बुक लिखी थी जनरल और इंडस्ट्रियल मैनेजमेंट ऑफ कोर्स जर्मन लैंग्वेज में थी उसमें उन्होंने 14 प्रिंसिपल्स ऑफ मैनेजमेंट दिया जो की प्राइवेट पब्लिक हर जगह जो है जैसे यूनिटी ऑफ कमांड और यूनिटी ऑफ डायरेक्शन जो ये सब चीज उन्होंने दिया था आप पढ़ सकते हैं आगे आपको पढ़ना भी होगा दें उतनी ही बड़े जो है गुल्ली ग्लूथर गुलिक और उर्वी दोनों मिल के कम करते थे उन्होंने एक एक तरह का कंप्लीशन किया साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन का उसका नाम दिया बुक का पेपर्स ऑन साइंस ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन 1937 उसमें उन्होंने पोस्टकोर्प जो है जो एक्रो नाम है प्लानिंग ऑर्गेनाइजिंग स्टाफिंग डायरेक्टिंग कोऑर्डिनेशन रिपोर्टिंग बूस्टिंग मतलब इसका जो जो भी कम एक ऑर्गेनाइजेशन में हो सकता है मैनेजरियल क उसको उन्होंने जो है एक एक्रो ने बनाया पोस्टकार्ड और ये इतना फेमस हो गया की ये क्या है और इसी सन ऑर्गेनाइजेशन को डिफाइन किया इसके अलावा उन्होंने 4p प्रिंसिपल भी गोलक ने दिया वहां पैरहेंगे तो ब्यूरोक्रेट्स थ्योरी जो है वो नेक्स्ट बहुत बड़ा एक क्लासिकल थ्योरी थी मैक्स वेबर की मैक्स वेबर ने ये अपना जो थ्योरी था बुर्के ठीक है इकोनामी और सोसाइटी 1921 बुक में दिया था उनका यह कहना था की कोई भी ऑर्गेनाइजेशन यदि परिसर होगा और मॉडर्न जमाने में होगा तो वो ब्यूरोक्रेट्स ही होगा मतलब की उसको ब्यूरोक्रेसी ही चलाएगी उनका कहना था की ब्यूरोक्रेसी बेस्ट वे है किसी भी ऑर्गेनाइजेशन को मैनेज करने के लिए और ब्यूरो कैसी उन्होंने डिफाइन किया था की वो इसमें स्पेशलाइजेशन होता है डिवीजन ऑफ क होती है पर्सनल कोई नता नहीं होता इंप पर्सनल होता है करियर ओरियंटेशन होता है मेरिट पे सिलेक्शन होता है और वहां पर राशनल लीगल अथॉरिटी होती है अथॉरिटी जो है वो इस बेसिस पे होती है की वो ऑफ में या ब्यूरोक्रेट कितना जो है वह दक्ष है उसके उसे कम में ना की वो किस खानदान से आता है या उसमें क्या करिश्मा है मतलब ट्रेडिशनल और कारिस्मेटिक लीडरशिप को उन्होंने नकारा नेशनल लीगल लीडरशिप या अथॉरिटी के बेसिस पे जो मैनेजमेंट होती है उसको उन्होंने ब्यूरोक्रेसी कहा उन्होंने कहा की ब्यूरो केसेस डी बेस्ट वे मैं दूसरी बार का रहा हूं मैक्सवेल दें तिलोक भाई ने जो है यह भी बहुत फेमस ऑथर थे थिंकर थी इन्होंने एक बुक ही लिख दिया प्रिंसिपल सर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन 1927 में तो ये सब जो है रिप्रेजेंटेटिव थिअरीज और थिंकर्स हैं क्लासिकल क्लासिकल एरर आप लोग इतना दिया आप लिख देते हैं एग्जाम में तो काफी हम लोग देखते हैं जो सेकंड जो ह्यूमन रिलेशन और बिहेवियर अप्रोच जैसा मैंने कहा की एल्टन इसके एक तरह से जनक थे चलिए पहले यही आते हैं फिर इसके फीचर देखेंगे इंटेल मयों ने एक एक्सपेरिमेंट किया था जिसको हाउत्राणियां एक्सपेरिमेंट कहते हैं है और उसके बाद उन्होंने यह बुक भी लिखी थी वह एक्सपेरिमेंट तो लेट 20 में हुई थी लेकिन यह 33 का डी ह्यूमन प्रॉब्लम ऑफ इन इंडस्ट्रियल सिविलाइजेशन बेसिकली आई वो कहना था की टेलर ने जो कहा था ना की मां एक इकोनामिक वर्कर एक इकोनामिक मां है वो सही पुरी तरह से ही नहीं है जो वर्कर होता है फैक्ट्री में या किसी भी ऑर्गेनाइजेशन में वो एक सोशल मां होता है वो अपने परिवार अपने सोशियो कल्चरल परिवेश उसमें बिल्कुल जो है वो एंडेड होता है धंसा होता है और उससे वो बहुत गाइड होता है वो क प्लेस में भी अपनी एक समाज बनाता है जब वो ग्रुप बनाता है इनफॉर्मल चाय के शॉप पे कैंटीन में पानी के जहां एक राखी हुई है पानी के पीने की आम जगह पे लॉबी में तो वो कोई ऑर्गेनाइजेशन उसको कोई गाइड करता है कैसे ऑर्गेनाइज है वो फॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन नहीं होती है वो इन फॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन होती है और वो ज्यादा मजबूत हो जाति है फॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन से ये उन्होंने बहुत सारे एक्सपेरिमेंट से बताया उन्होंने कहा की इकोनामिक मोटिव के अलावा या इकोनॉमिक्स इंसेंटिव के अलावा नॉन इकोनामिक इंसेंटिव से भी जो है वर्कर गाइड होते हैं की उनको कितनी प्रशंसा मिल रही है उनको कैसा माहौल चल रहा है वर्किंग कंडीशन कैसे है बाद में फ्रेडरिक बर्ड ने इसको तो तू फैक्टर थ्योरी देकर के साबित भी किया तो ये सारे जो थॉट थे की ह्यूमन बिहेवियर और आर्गेनाईजेशन सेटिंग में कैसे होता है उससे ऑर्गेनाइजेशन कैसे अफेक्टेड होता है ये बिहेवियर अप्रोच का एक फीचर था भाई ये दूसरे फीचर को देख के फिर यहां लौटते हैं तो इन्होंने जो जो बिहेवियरल अप्रोच था उसने इंर्पोटेंस ऑफ अंडरस्टैंडिंग ह्यूमन बिहेवियर और साइकोलॉजी इन डी मैनेजमेंट ऑफ पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन और अन्य ऑर्गेनाइजेशन पर डेट मटर तो यहां बहुत सारे साइकोलॉजी स्टार्ट है अब्राहम मैस्लो ए गया है आरटीओ नीडल के फ्रेडरिक हजरते हरजाई मैंने बता रहा हूं तू फैक्टर थ्योरी दूसरा बता रहा हूं डग्लस ग्रेगर आगे थ्योरी ऑफ एक्शन तो मतलब एक वर्कर के सोशल एस्पेक्ट और साइकोलॉजिकल एस्पेक्ट पे रिसर्च होने लगा और उससे ऑर्गेनाइजेशन ने कैसे प्रोडक्टिविटी जो है इफेक्ट होती है कैसे मैनेजमेंट और वर्कर का रिलेशन होता है ऑर्गेनाइजेशन में कैसा कलर बंता है इन सब पे जो शुरुआत होने लगे ऑर्गेनाइजेशन को एक सोशली कंस्ट्रक्टेड कोऑपरेटिव वेंचर कहा ये मैंने जो लाइन लिया जो है बिकल चेस्टर वार्नर से लिया जिन्होंने काफी कम किया था सोशल साइकोलॉजी पे तो उनका कहना था की ऑर्गेनाइजेशन एक सोशली कंस्ट्रक्टेड जो है वो एडवेंचर है दो दो या दो से अधिक लोग मिलकर के जो है पर्टिकुलर एम को पूरा करने के लिए सोशली कंस्ट्रक्ट करते हैं उनको तो मतलब एक सोशल और मैं वर्कर स सोशल मां है एंबेडेड इन देवर सोशियो कल्चरल सेटिंग में एक्सप्लेन कर चुका हूं नॉन इकोनामिक इंसेंटिव इंपॉर्टेंट होता है इनफॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन इंपॉर्टेंट होता है और इनफॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन में जो सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है वो फॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन के सूचना से बहुत तेजी से फैलता है उसको ग्रेप वाइन कहते हैं कई जगह आपको एग्जाम में पूछा जाता है ग्रेप वाइन जैसे अंगूर के लट होते हैं इस तरीके से एकदम परिसर वे में तुरंत जो है इनफॉरमेशन फेल जाति है इनफॉर्मल ऑर्गेनाइजेशन से चाय के दुकान कैंटीन से लेकर और लोग अभी तक ये हो रहा है ये हो रहा है यदि किसी मैनेजर को कई बार जो है यदि कोई सूचना का फैलानी होती है ऑफिशल तो उसको वो जो है इनफॉर्मल थ्रू जल्दी से फैला देते हैं बिहेवियर रिवॉल्यूशन जो था वह पूरा स्वीप कर रहा था सोशल साइंस को पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को भी स्लिप कर रहा था उसमें लॉजिकल पॉजिटिविज्म और इंपिरिसिजम और डिसीजन मेकिंग थ्योरी ये सब उसके अंदर आता है लॉजिकल पॉजिटिविज्म क्या था जिसको की हर शब्द साइमन ने अपना मतलब एक तरह का इंप्रेशियम था मतलब की क्वांटिफिकेशन डाटा ऑब्जरवेशन इस पे बेस्ड मतलब खाने का था की कोई भी बात यदि सच है लॉजिकल पॉजिटिविज्म कहता था तब ही है जबकि उसको हम सेंस एक्सपीरियंस से उसको हम अपने से टेस्ट कर सके की वो सच है की नहीं है या कोई लॉजिकल कोई स्टेटमेंट है जो लॉजिकल करैक्टेरिस्टिक तू प्लस तू फोर होता है तो उसको हम सेंस एक्सपीरियंस से क्या टेस्ट करेंगे उसको हम मां लेते हैं तो या तो वो लॉजिकल सही हो या नहीं तो पाॅजिटीविज्म और पॉजिटिविज्म का मतलब होता है की जो हम सेंस एक्सपीरियंस से टेस्ट कर सकते हैं कोई बोलेगा की लकड़ी हार्ट होता है तो हम उसे लकड़ी को ऊ के देखेंगे और कहेंगे यस ये तो हार्ड होता है तेल चिकन होता है तेल को ऊ के देखेंगे चिकन होता है पॉजिटिविटी में बाकी जो है कोई हमें कुछ भी बोलेगा की देखो यह ऐसा होता है जिसको हम अपने सेंसेक्स सेंसेक्स एक्सपीरियंस से हम नहीं टेस्ट कर सकते उसको हम सच नहीं मानेंगे यह लॉजिकल पॉजिटिविज्म मतलब एकदम यथार्थ हुआ का लीजिए और इस से जो है डिसीजन मेकिंग थ्योरी भी उन्होंने दिया हर्बर्ट साइमन ने तो ये सब जो है फीचर्स थे बिहेवियर अप्रोच के या ह्यूमन रिलेशन अप्रोच के इसमें जो मैंने एयरटेल में आया हो तो बता ही दिया उससे शुरुआत होती है चेस्टर बर्नार्ड भी आपको बताया जिन्होंने कहा था की ऑर्गेनाइजेशन एक सोशली कंस्ट्रक्टेड कोऑपरेटिव वेंचर है सोशल ऑर्गेनाइजेशन का सोशल साइड उन्होंने देखा उन्होंने एक बहुत फेमस बुक लिखा था 1938 में एफएस ऑफ एग्जीक्यूटिव इसका बहुत असर पड़ा था हर्बर्ट साइमन पे जो की इस पूरे जो फैज है उसके महंत का सकते हैं टेलर जो है क्लासिकल अप्रोच के महान थे तो हर बट साइमन जो है वो बिहेवियर अप्रोच के महंत थे इनका हर्बर्ट साइमन का बहुत सॉरी चेस्टर बर्नार्ड किड पे बहुत असर पड़ा था इन्होंने बुक लिखा एडमिनिस्ट्रेटिव बिहेवियर उसमें उन्होंने ये कहा की जो एडमिनिस्ट्रेटिव मां जो होता है ना वो इकोनामिक मां से अलग होता है वह जो डिसीजन लेट है वह बहुत राशनल नहीं होता है वो बॉन्डेड राशनलिटी होती है वो बेस्ट डिसीजन नहीं ले पता है वो गुड एन डेम लेट है वो मैक्सिमाइजर नहीं होता है वो सेटिस्फाइजर होता है इस तरह की बातें कहीं उन्होंने रिवोल्यूशन कर दिया की कैसे बिहेवियर ऑन साइकोलॉजी जो है वो डिसीजन मेकिंग में इंपॉर्टेंट होती है ऑर्गेनाइजेशन में कैसे डिसीजन लिए जाते हैं हर लेवल पे और ये इतना इंपॉर्टेंट थीसिस था की इसके लिए उनको जो है नोबल प्राइस मिला एडमिनिस्ट्रेटिव बिहेवियर के लिए बहुत बाद में मिला है और इकोनॉमिक्स के भी उतने ही बड़े हो गया था इनफैक्ट इकोनॉमिक्स के लिए मिलाया पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने कहना मुश्किल है ये हर बार ऐसे महान विद्वान थे वो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जरूर नहीं पड़ेगा आते थे कंप्यूटर आर्टिफिशियल मेरी पार्क जो है वो भी बहुत इंपॉर्टेंट इस फैज की थी उन्होंने बहुत सारे बुक लिखे उसमें सबसे इंपॉर्टेंट डायनेमिक एडमिनिस्ट्रेशन है उनका भी यही कहना था की ऑर्गेनाइजेशन में जो साइकोलॉजी होती है सोशियोलॉजी होती है उसको समझना की जरूर है वर्कर और मैनेजर के बीच में जो आदमी का जो नता होता है और ऑर्गेनाइजेशन में जो कनफ्लिक्ट होते हैं वो होते हैं ऐसा नहीं की मारपीट होती है और उसे यदि ऑर्गेनाइजेशन में वर्कर मेजर के बीच में कनफ्लिक्ट है और उसको यदि सुलझाया जाए कंस्ट्रक्टिव वे में जिसको उन्होंने इंटीग्रेशन कहा था तो उससे जो है आप आगे बढ़नी होगी उसको ढाबा दिया जाए डोमिनेट किया जाए या कंप्रोमाइज होता ऑर्गेनाइजेशन पीछे जाति है इस तरह की बातें उन्होंने कहीं थी उन्होंने पावर का भी इस तरह का डेफिनेशन दिया था जो है ना आडेड ने दिया था की मिलकर के कुछ जब क्रिएट करते हो ऑर्गेनाइज्ड तो पावर होती है ताकत होती है आपको मैंने हर वक्त बता ही दिया 2 फैक्टर थ्योरी में यहां एक्सप्लेन नहीं कर रहा हूं आप नेट पे जाके पढ़ सकते हैं आगे आपको बहुत एक्सप्लेन मिलेगी इसकी और ह्यूमन साइड ऑफ इंटरप्राइजेज मैं ग्रेगर यहां पे मैंने हर मैस्लो को छोड़ दिया है वो भी आप याद कर सकते हैं हर की ऑफ नीड इस तरह का उन्होंने दिया था इसको भी एक्सपेक्ट नहीं कर रहा हूं अब आई क्या होता है की जर्नी आगे बढ़नी है अब हम बिहेवियर रिवॉल्यूशन तो 1950 के आसपास आई वो खत्म हो गई उसके बाद 1970 में जो है एक नया मूवमेंट आया वो था पोस्ट बहरे अप्रोच जिसको की न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के रूप में आया एमपी है अब इसके फीचर क्या थे अब यहां पे आया की देखो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ना लॉजिकल पॉजिटिविज्म के चलते जो है बहुत एक तरह का वैल्यू न्यूट्रल हो गया है मतलब की वालुज में नहीं बच्ची है पब्लिक नहीं बच्ची है वो एकदम मैकेनिस्टिक हो गया है वो इंपर्सनल हो गया है जनता से कट गया है और जनता को वो ना गाइड भी नहीं कर रहा है तो उसको वैल्यू को एक बार फिर से वापस लाने की कब आई थी पब्लिक स्पिरिटनेस को वापस लाने थी पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में जो पब्लिक है वो उसको वापस लाने कब आई थी न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के तो इसको जो उसे समय में क्या हो रहा था ना पुरी वेस्टर्न वर्ल्ड में वेलफेयर स्टेट की परिकल्पना ए रही थी उन्होंने इकोनामी की प्रस्तावना की थी की इकोनॉमिक्स थे है उन्होंने यह कहा था की गवर्नमेंट को देर सर खर्चा करना चाहिए पुल बनाना चाहिए जो है मकान बनाना चाहिए इंफ्रास्ट्रक्चर रोड पोर्ट एयरपोर्ट इससे जो है क्या होगा जब मनी पंप करेगी सरकार तो जब बढ़ेगा डिमांड बढ़ेगा इससे इकोनामी तो डिमांड लेट डिमांड एलईडी इकोनामी का एक उसे समय जोर चला था और ये भी हुआ था की एक स्टेट को जो है अपने जनता का वेलफेयर का ध्यान रखना चाहिए आपने कौटिल्य का अर्थ शासन पढ़ा उसको फ्री जो है राशन देना या एंप्लॉयमेंट देना ए ओ आगे ओल्ड में केयर कर रहा या फ्री एजुकेशन देना हेल्थ कर देना तो यह भी गवर्नमेंट का एक कम है तो उससे अपनी कोई लाइन करने के लिए न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन आई उसके जो आप समझ सकते हैं उसके क्या रहेंगे उसमें सोशल इक्विटी का विचार आया वैल्यू होना चाहिए वैल्यू मतलब की आप वैल्यू से कट क्यों नहीं र सकते हैं समाज की क्या वैल्यू है पॉलीटिकल वैल्यू क्या है उसके अनुसार से एलाइन होना चाहिए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और रेलीवेंट होना चाहिए अपने समय से और चेंज ओरिएंटेड होना चाहिए स्टेटस कोई नहीं होना चाहिए यह भी आपको पता होगा अब आगे आप बहुत पढ़ेंगे की 3 मिन ब्रोक कॉन्फ्रेंस हुई है हर 20-20 साल पे होता है जिसमें पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के थियोरेटिकल जर्नी का एक लेख जोखा लिया जाता है पहले माइनॉब कॉन्फ्रेंस 1968 में हुआ जिसमें दवाई वर्ल्ड हो यहां पे आप देख सकते हैं और फ्रैंक ये दोनों इसके महान थे इन लोगों ने गाइड किया था वो न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन मूवमेंट को और फर्स्ट मां ऑफ कॉन्फ्रेंस में ये साड़ी बातें आई की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को ज्यादा पब्लिक और वैल्यू ओरिएंटेड बनाना है चेंज करना है उसको ज्यादा रेलीवेंट बनाना है चेंज और इंटर बनाना है सोशल इक्विटी कभी ध्यान रखना है और वेलफेयर स्टेट के परिकल्पना से उसको आलिंगन करना है यह साड़ी बातें फर्स्ट मां ऑफ ब्लू कॉन्फ्रेंस में हुई थी सेकंड आगे आएगा जिसमें की न्यू पब्लिक मैनेजमेंट उभर करके आता है और थर्ड विनर ग्रुप कॉन्फ्रेंस 2008 में हुई आपको बताया मैंने बताया 20-20 साल पे होती है जिसमें की गुड गवर्नेंस का कॉन्सेप्ट उसमें देखिए क्या होता है अब इसमें जो और यहां पर उन्होंने जो है पब पॉलिटिक्स एडमिनिस्ट्रेशन ड़ीचोटोमी को भी डाइल्यूट कर दिया आपको हमने बताया है ना की पॉलिटिक्स एडमिनिस्ट्रेशन डिकोट में क्या होती थी की जो विद्रोबल्स हैं फ्रैंक गुड नॉन दोनों ने कहा था मतलब ये की जो पब्लिक पॉलिसी बनाने का कम पॉलीटिकल लीडर्स का होना चाहिए जो इलेक्ट होते हैं जनता की जो बिल होती है स्टेट का बिल उसके अनुसार से पब्लिक पॉलिसी वो बना है और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेटर का कम है की सिंपली उसको टेक्नोक्रेटिक प्रोफेशनल एक्सपर्टीज वे में उसको इंप्लीमेंट करें पब्लिक पॉलिसी को ये जो डिकोट भी थी उसको जो है न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन है जानकारी दिया अब इसके जो रिप्रेजेंटेटिव थ्योरी थिंकर थे वो तो डायट वर्ल्ड ऑफलाइन मैन्युअल बता ही दिया ये सब बुक देख लीजिएगा ये बुक बहुत इंपॉर्टेंट है हर एग्जाम में आई है टुवर्ड्स और न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन डी मनोबल पर्सपेक्टिव इसी से एमपी ये मूवमेंट उभर के सामने आया राइट वॉल्ट होने जो है लिखा था एडमिनिस्ट्रेटिव स्टेट बहुत ही फेमस बुक है जिसमें की ये सब बातें लिखी हुई थी जो यहां पे आप दिखता है और ये भी उन्होंने लिखा बाद में पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन इन टाइम ऑफ टर्बूलेंस तो ये इससे जो है न्यू पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का सीधा नता है अब जो है यह जर्नी और आगे बढ़नी है एनपीए एनपीए गिव वे तू एनपीएल अब लगभग 20 साल के बाद 1988 आते हुए जब पुरी दुनिया करवट ले रही थी ग्लोबलाइजेशन हो रहा था कोल्ड वार खत्म हो रहा था नियो लिबरल जो फैज थेक इकोनामी का वो हर जगह छ रहा था तो उससे अपने को एयरलाइन करने के लिए पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने भी अपना चोला बादल डाला अब उसने भी मार्केट का चोला ओड लिया क्या किया आईटी वास एन टेंड तू तूने पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन तू न्यू लिबरल इकोनॉमिक्स सिस्टम उसे समय का जो था अब कहनेयस इकोनामी को डस्टबिन में दाल दिया गया फ्रेडरिक हयाग ए गए ये सप्लाई साइड इकोनामी था एकदम उल्टा वो डिमांड एलईडी ग्रोथ था ये सप्लाई साइड मैनेजमेंट था इसमें कहा गया की नहीं सरकार को कम से कम खर्चा करना चाहिए फिसल जो है डिफिसिट कम से कम होना चाहिए यदि सरकार कम खर्चा करेगी तो आ क्या होगा की डिफिसिट कम होगा मतलब बजट में जो इनकम और एक्सपेंशन का जो गैप है वो कम होगा उससे क्या होगा इंटरेस्ट लो होगा इंटरेस्ट लो होगा तो क्या होगा रेट पे जो है लोन मिलेगी उससे क्या होगा बिजनेस बढ़ेंगे जब बिजनेस बढ़ेगा तो खूब कैमरा जो है समाज बाजार में सस्ते रेट पर आएगा उससे क्या होगी डिमांड बढ़ेगी लोग जो है खुशहाल रहेंगे ये एक पूरा उल्टी जो है पद्धति बताई गई इसमें ये भी कहा गया की मार्केट को आगे आने दो स्टेट को पीछे कर दो और ग्लोबल करो प्राइवेटाइज करो लिबरलाइज करो पुरी दुनिया में ऐसा तो इसके गुरु बन गए जबकि वो पॉलीटिशियन थे वो नियो लिबरल ग्लोबलाइजेशन के एक तरह से महेंद्र बन गए और इन सब से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ने अपने को तूने करने के लिए नाम दिया न्यू पब्लिक मैनेजमेंट मम तो अब यहां पे क्या था की बिजनेस लाइक प्रैक्टिस जो है वो पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में अपना वो मार्केट बेस्ट रिफॉर्म पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन में करो पब्लिक सेक्टर को लगभग प्राइवेट सेक्टर जैसा जो है मैनेज करने लगो जो यहां के ब्यूरो क्रैक हो वो एंटरप्रेन्योर की तरह बिहेव करें जैसे की अपना कंपनी चला रहे हैं प्रॉफिट मोटिव हो जाए और जो सिटिजन है उसको कस्टमर की तरफ बिहेव करो उसको सर्विस देना शुरू करो सिटिजन चार्ट ऑफ डिमांड सिटिजन सेवा गारंटीड सर्व होम डिलीवरी लाइक दिस इस टाइप के कॉन्सेप्ट करो ए गवर्नेंस लो पब्लिक और सिटिजन के बीच में जो है गैप को दूर करो पब्लिक सुनो उसकी वॉइस को सुनो इस तरह की बातें उसमें होने लगी यह जो है सबसे पहले ये 1980 में यूके में आया उसके बाद वहां तो ठहर थी उन्होंने जो की हरिया जो जो इकोनॉमिक्स थे और एक तरह के लाइब्रेरियन थे उन पर उनका बहुत असर था इनफैक्ट हयात ने उनको पटाया हुआ था फैब्रिक है तो ठहर ने अपनाया सबसे पहले इस थ्योरी को मम को बाद में ये वही सीडी नेशन जो है जो यूरोप के जो यूरोपीय जो कहिए ओसिया के जो डेवलप कंट्री है उसमें कनाडा उस ऑस्ट्रेलिया न्यू में छ गया सिटी कंट्री कहते हैं उसके बाद जो है इंडिया और अदर जो डेवलपिंग नेशन ने भी उसको अपना लिया की बहुत अच्छा है नम का जो बाज अवार्ड था जो की आपको बहुत उसे समय सुने पड़ता था अभी भी सुने पड़ता है की गवर्नमेंट को ना यदि यदि मां लो की गवर्नमेंट पूरे सरकार को चलाना है यदि मां लो की नव जैसा खोना है रिंग करना है तो कहा गया की आप खुद रो मत करो आप इस टियर करो किसी नाभिक को दे दो रो करने के लिए मतलब मार्केट को दे दो प्राइवेट ऑर्गेनाइजेशन को दे दो मंच को दे दो और खुद रेगुलेट करो तो गवर्नमेंट करो परफॉर्मेंस मेजर करो ब्यूरो कैट का जो अच्छा परफॉर्म करें उसको ज्यादा पैसे दो डिफरेंशियल पेमेंट करो अपने सरकारी जब को कॉन्ट्रैक्ट दे दो प्राइवेट को आउटसोर्स कर दो प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप लो पीपीपी एंट एंटरप्रेन्योर स्पीड डेवलप करो बुर्के में लाइक दिस यस अभी भी चल रहा है इस समय के जो थिंकर थे मैंने बताया फ्रेडरिक हयात तो थे ही लेकिन जो सबसे बड़े थीम का जिन्होंने ऐसा डाला वह था डेविड ओसबोर्ड और थ्रेड उन्होंने एक बुक लिखा री इन्वेंटिव गवर्नमेंट उसके आगे तो बहुत सर और बात लिखिए पढ़ लीजिए 1992 में ये कहा जाता है की नम मूवमेंट को इसने एस्टेब्लिश किया इस बुक ने इसलिए एग्जाम में पूछा जाता है इसके अलावा क्रिस्टोफर हुड जिन्होंने की कॉइन किया यह टर्म न्यू पब्लिक मैनेजमेंट उन्होंने बुक लिखा था टूल्स ऑफ गवर्नमेंट फ्रेडरिक है तो आप लोगों ने बता ही दिया वो इसके आइडिया लोग थे और मार्केट था और रोना रेगन अमेरिका और यूरोप मतलब यूके में वो इसके बेसिकली बन गए हर दिन वो इस पूरे आईडियोलॉजी को उन्होंने अमेरिका यूरोप में लिबरलाइजेशन ऑन लियो लिबर्टी को फैला दिया अब क्या हुआ की 20 साल होते-होते जंगलों ने नई सेंचुरी में प्रवेश किया 21st सेंचुरी तो नम को जानकारी दिया गया बहुत सारे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन थिंक करने का की ये बहुत नारे इसका इकोनामिक फॉक्स है ये ऐसे लगता है की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और प्राइवेट एडमिनिस्ट्रेशन एक ही है और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का जो पब्लिक था वही इस को कल कर दिया गया है अब ये प्राइवेट सेक्टर जैसा दिखता है लेकिन उसमें प्रॉफिट मोटिव दिखती है कस्टमर दिखता है एक सिटिजन ऐसा नहीं होता है यदि कस्टमर दिखेगा तब तो जो रिच जो सिटिजन है उसको एक अच्छी सर्विस मिलेगी उसको किसी सरकारी महकमा में वेटिंग लॉन्च मिलेगा उसको अच्छा फैसिलिटी मिलेगा उसको कोल्ड ड्रिंक मिलेगा और जो बेचारा फतेहाहल गरीब हो तो लाइन में खड़ा रहेगा कस्टमर तो ऐसे ही होता है कस्टमर में भेदभाव होता है और हर जगह यदि प्राइवेट सेक्टर का मोटिव लिया जाए तो बहुत ही गलत हो जाएगा तो इसको सोच करके ये कहा गया की ये गलत है यानी पीएम मूवमेंट रंग धक से मैं चला गया इसमें फिर से जो है वैल्यू लाना होगा हमको पब्लिक स्प्लिटनेस लाना पड़ेगा पब्लिक इंटरेस्टेड कहां पड़ेगा जैसे मार्क मोड में अपने बुक में कहा की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का कम जो है क्रिएशन ऑफ वैल्यू है पब्लिक वैल्यू क्रिएट करना है और पब्लिक वैल्यू वो है जो पब्लिक वैल्युएबल मानती है वो जो भी बोले जैसे पब्लिक मानती है की ऑनेस्टी होना चाहिए पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन में तो एक ऑनेस्ट ऑर्गेनाइजेशन करप्शन फ्री ऑर्गेनाइजेशन को लाना पब्लिक वैल्यू यदि पब्लिक चाहती है की सबको रोजगार मिले तो जो एक पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन का एक ये होता है की कैसे हम सबको रोजगार दें यदि पब्लिक चाहती है की वेलफेयर करें मतलब सरकार पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन के थ्रू पब्लिक के सेवा करें तो पब्लिक की सेवा करना जो है वो पब्लिक वैल्यू है ना की पैसे कामना जो है ये जो है उसका मोती होना चाहिए मतलब प्रॉफिट और ही नहीं बट ये क्रिएशन ऑफ पब्लिक वैल्यू जो है मोती होना चाहिए ये साड़ी बातें आई उससे उभर के आया है गवर्नेंस का कॉन्सेप्ट वैसे ही आया तो था वर्ल्ड बैंक ने 1992 में एक रिपोर्ट पब्लिश किया था जो मैंने यहां पर दिया भी है गवर्नेंस और डेवलपमेंट और ये जो वर्ल्ड बैंक के रिपोर्ट थी ये सब सहारनपुर लाया गया था की वह एरिया क्यों डेवलप नहीं करता है तो इसमें कहना था वर्ल्ड बैंक का की गवर्नमेंट के बूटे में नहीं है एक कंट्री के रिसोर्सेस को अपने से ही मैनेज कर लेना या डिसीजन लेक समस्या सॉल्व करना जब तक सब लोग इसमें नहीं मिलेंगे सब लोग मतलब सिविल सोसाइटी मार्केट मंच पब्लिक ओपिनियन पब्लिक लीडर सिविल सोसाइटी और गोस और एवं एवं जो मीडिया और ओपिनियन लीडर्स सारे लोग जब ए जाएंगे जनता भी ए जाएगी साथ में मिलकर के यदि डिसाइड करेंगे की कंट्री के रिसोर्सेस को कैसे मैनेज करना है कैसे डिसीजन लेना है कैसे इंप्लीमेंट करना है मतलब जो जो मोदी जी कहते हैं ना सबका साथ सबका विश्वास सबका सहयोग वो जब तक नहीं होगा तब तक नहीं हो पाएगा तो ये चीज को कहा गया गोबर में अब गवर्नर होता है गवर्नमेंट टाइप का ही लगता है लेकिन गवर्नेंस जो है एक डिसकोर्स है डिसकोर्स मतलब एक अलग मीनिंग दिया है किसी शब्द को गवर्नेंस का मेन ये होता है की मिलकर के कोलैबोरेटिव पार्टिसिपेशन वे में यदि गवर्नेंस किया जाए तो गवर्नेंस है मतलब की यदि सभी स्टेट होल्डर मिल करके किसी कंट्री के रिसोर्सेस या उसकी समस्याओं के बड़े में निर्णय लेने और उसको इंप्लीमेंट करें तो ये गवर्नेंस मॉडल है उसमें गवर्नमेंट सबसे बड़ी प्लेयर रहती है लेकिन वही केवल नहीं रहती है इनफैक्ट गवर्नमेंट जो है वो सभी स्टेट होल्डर को जुटती है उससे सलाह लेती है जैसे मां लीजिए पिंड नहीं कहा गया है तो उसने मीडिया को ही बुलाया मंच को बुलाया प्राइवेट सेक्टर को बुलाया बड़े-बड़े डॉक्टर को बुलाया और सबको कहा भाई कैसे उसको सॉल्व करना है सब ने मिलकर जो सलाह दिया उसके बेसिस पे जो है वैक्सीन बनी उसको डिस्ट्रीब्यूशन हुआ वैक्सीनेशन लगे पॉलिसी बनी और इंप्लीमेंट किया गया इसको कहा जाता है गवर्नेंस तो ये मॉडल जो है वो कहा गया की ये बटर है गवर्नमेंट पे यदि हम केवल छोड़ देंगे तो इसका मतलब क्या है की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन अब पार्टिसिपेट ही होना चाहिए उसमें पीपू का पार्ट्स होना चाहिए उसको मीडिया का पार्ट्स होना चाहिए उसको सुना चाहिए उसमें मार्केट का पार्ट्स सब मिलकर जो है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन को हेल्प करें तो यह 21st सेंचुरी भर के आया यहां फॉक्स गवर्नर पे था ना की गवर्नमेंट एक नारा दिया गया मिनिमम गौर में मैक्सिमम गवर्नेंस इंडिया में भी दिया गया 2014 में आपको बता इसका मीनिंग यही होता है की गवर्नमेंट कम से कम अपने को एज्योर्ड करेगी और गवर्नर मॉडल को आगे लेगी मतलब मिल्क के डिसीजन लिया जाएगा केवल सरकार ही नहीं डिजिटल लेकिन इंप्लीमेंट करेगी बल्कि सब लोग डिसीजन मिल के लेंगे और इंप्लीमेंट करेंगे तो इसमें कोलैबोरेशन पार्टनर से एक नेटवर्क फॉर्म ऑफ गवर्नमेंट जहां गवर्नमेंट प्राइवेट से भी नेटवर्क होती है बाजार से नेटवर्क होती है सिविल सोसाइटी से नेटवर्क होती है उसकी थ्रू पब्लिक अफेयर का मैनेजमेंट किया जाए जहां पे एक स्टिक होल्डर इंगेजमेंट हो पार्टिसिपेशन हो और इसमें जो है एक और आई थी एक थॉट जिसको न्यू पब्लिक सर्विस कहा गया था दें हार्ट लेकर आए थे यहां पे मैंने दिया है वो भी उसको हेल्प किया था गवर्नमेंट ने सरप्राइज उनका कहना था की पब्लिक जो ऑर्गेनाइजेशन है वो सेवा के लिए वो रूल करने के लिए नहीं करना नहीं है वह प्रॉफिट कमाने के लिए ना ही वो बाजार के हिट के लिए है तो उसमें न्यू पब्लिक सर्विस कॉन्सेप्ट ले करके आए उनका कहना था की स्टीर नहीं जो जो नम कहता है ना स्टेयर गवर्नमेंट सर्वे करो नोट स्टेरिंग आपको स्टेरिंग करो सेवा करो आप दें गुड गवर्नेंस जो है ये सब कल्मिनेशन है गवर्न्ड ने अच्छा यदि हो तो गुड गवर्नेंस है तो ऑफकोर्स उसमें क्या होगा पार्टिसिपेशन होगा कोलैबोरेशन होगा ट्रांसपेरेंट होगा रूल ऑफ डॉ होगा रिपोर्ट रेस्पॉन्सिव होगा जनता जो चाहेगी पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन वह करेगा अकाउंटेबल होगा जनता को सीधा जनता को जवाब दे होगा सोशल इक्विटी को ध्यान रखेगा मतलब प्रोपोर्शनल इक्वलिटी जो एरिस्टोटल कहते हैं एक आदमी जो जिसके टांग एक हैं और जिसको दोनों टांगे दोनों को बराबर पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन ट्वीट नहीं कर सकता है आपको उसको पॉजिटिवली डिस्क्रिमिनिट करना पड़ेगा यही सोशल इक्विटी है इंक्लूसी होना चाहिए नहीं की देश तरक्की कर रहा है और कुछ लोग भूखे मा रहे हैं 5G ए रही हो कुछ लोगों को 1GB नहीं है ये इंक्लूजिवनेस नहीं है बाल्टी स्टेकहोल्डर मॉडल ऑफ गवर्नेंस होना चाहिए ये सब गुड गवर्नेंस के फीचर हैं आठ अब यहां पर मैंने जो इसके थ्योरी और थिंक वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट तो मैंने बताई थी कई एग्जाम में पूछा जाता है डियर स्टूडेंट इन सब में जो मैं आपको कहता हूं कई एग्जाम में पूछा जाता है तो ये उन स्टूडेंट के लिए है जो की गत है यूजीसी नेट दे रहे हैं या कोई भी कम्युनिटी एग्जाम दे और आपको भी दो साल बाद जो है जब कम्युनिटी एग्जाम देना होगा तो आपको याद आएगा क्योंकि सर में तो उसे टाइम ये सब बता दिया था डी न्यू पब्लिक सर्विस सर्विंग नोट स्टेरिंग 2003 में दें हार्ट में लिखा थर्ड में नोबेल कॉन्फ्रेंस जैसा मैंने बताया वह 2008 में हुई थी यहां पे मैं आपको बता डन की सेकंड मिन ग्रुप कॉन्फ्रेंस 1988 में हुई थी उससे जो है उभर करके मम आया था शायद मैंने उसको एक्सप्लेन किया थर्ड बी नो ब्रो कॉन्फ्रेंस को की एक तरह से कोऑर्डिनेटर किया था रोजमरी और लहरी ने ये भी एग्जाम में पूछा जाता है इसमें जो है गुड गवर्नेंस का उदय एक तरह से हुआ और यहां पे जो ये सब बुक भी जो है ओसबोर ने फिर एक बुक लिखा था न्यू पब्लिक गवर्नेंस अभी गवर्नमेंट ने मॉडल पर लिख रहे हैं और डी फ्यूचर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन अराउंड डी वर्ल्ड यह जो है मीन ऑफ ब्रोक पर्सपेक्टिव या रोज मनी जो की गुड गवर्नेंस पर्सपेक्टिव को लता है है अब यहां पर जो है थोड़ा सा है करके हम लोग कुछ और जो थियोरेटिकल सरिता जो इधर उधर बहुत इंपॉर्टेंट है अब इसको कहां पे फिट करेंगे वो मैंने दे दिया है टाइमलाइन देखिए क्या है एक तो इकोलॉजिकल अप्रोच बहुत तेजी से आया ये 60 और 70 के जमाने में आया था इसमें क्या कहा गया एकदम उल्टी बात कहीं गई जो क्लोज मॉडल ऑफ ऑर्गेनाइजेशन था ये मां लीजिए वो ऑर्गेनाइजेशन है ये इसका लार्जर एनवायरनमेंट है सोसाइटी जिसमें रहती है गवर्नमेंट ऑडी रूल रेगुलेशन और जो सिविल सोसाइटी यह कहा गया की इस लार्जर जो सोसाइटी और उसके जो कल्चरल कॉन्टेक्स्ट है या उसके जो ट्रेडीशंस हैं प्रथम है सोसाइटी में जो चीज मान्यता जड़ पकड़ ली है हजारों साल में उससे पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन अछूत नहीं राहत है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन लगातार जो है समंजन स्थापित करता है अपने एनवायरनमेंट के साथ में और जैसा सोसाइटी होगा इस का प्रतिरूप जो है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन जैसे उन्होंने बताया की इंडिया या थाईलैंड फिलिपींस जैसे सोसाइटी में जहां की पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन जो है वह वेस्टर्न वर्ल्ड से थोप दिया गया लेकिन वहां की जो सोसाइटी है वो ट्रेडिशनल है और वो हजारों साल से अलग तरीके से रूल करती रही है तो वहां पर क्या होगा की आप यदि किसी यूरोकिड के पास जाओगे आप बोलोगे साहब कानून तो ये है तो आपको घर के देखेगा नहीं एक एग्जांपल दे रहा हूं बोलेगा अच्छा मुझे कानून शिखा रहे हो तो मतलब और वो अपने तरीके से आपको डील करेगा जो की कानून से यह तो बिल्कुल हटके हो सकता है तो उसे शो मी डी फेस आई शो यू डी रूल टाइप का तो इसको यह कहा जाता है क्योंकि वो ब्यूरो क्रेड जो है ना वो अपने सामाजिक सोशल मां है अपने सामाजिक अपने परिवेश से वो एंडेड है वो का रहा है मैं तो रूल कर रहा हूं मैं शासन हूं मुझे रूल बताने वाले तुम कौन होते हो मैं रूल का इंटरव्यू जैसे होगा वैसे करूंगा तो ये इस तरीके से जो है समाज का एक प्रतिरूप बन जाता है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में इसको इकोलॉजिकल अप्रोच में उभर ए गया की कैसे इकोलॉजी जो है पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की वो इफेक्ट करता है इसके सबसे बड़े जो पुरोधा थे या गुरु थे यह प्रोपूरांत है वो फ्राइड रग्स थे जो की कॉपरेटिव पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के भी जो है फादर का जाते हैं अगेन कम्पेटिटिव एग्जाम में पूछा जाता है तो फ्रेडरिक ने एक बुक लिखा था इकोलॉजी और पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और उन्होंने इंडिया समेत कई डेवलपिंग गोल्ड स्टडी किया और ये डेवलपिंग वर्ल्ड के लिए थ्योरी आएगी डेवलपिंग जो कंट्री है उसमें वेस्टर्न मोशन से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नहीं चलेगा आप वहां पर जो थ्योरी डेवलप करते हो इंडिया में नहीं चलेगा यहां अलग तरीके से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की थ्योराइज करनी पड़ेगी ये सब मैंने आपको बता दिया यहां स्ट्रक्चर फंक्शनल अप्रोच को अपनाया गया था इसका मैंने ये होता है सोशलिस्ट इन्होंने फंग्शनलिज्म दिया था बेसिकली ये कहा था की किसी भी समाज में बहुत सारे फंक्शन करने जरूरी होते हो समाज को जिंदा बनाए रखना के लिए लेकिन उसे हर फंक्शन के लिए एक स्ट्रक्चर होता है स्ट्रक्चर का मतलब होता है पैटर्न सोशल रिलेशन या बिहेवियर जो पैटर्न होंगे हजारों सालों में यह सैकड़ो सालों में ऑर्गेनाइजेशन भी एक जो है वो स्ट्रक्चर है स्कूल एक स्ट्रक्चर है यूनिवर्सिटी एक स्ट्रक्चर है हॉस्पिटल सिस्टम एक स्ट्रक्चर सरकार भी एक स्ट्रक्चर है तो ये हर स्ट्रक्चर एक फंक्शन करता है जैसे आप देखोगे की स्कूल जो है एजुकेशन का फंक्शन कर रहा है यूनिवर्सिटी भी जो है हायर एजुकेशन का फंक्शन कर रहा है जो हॉस्पिटल है वो मेडिकल का फंक्शन कर रहा है लाइक दिस तो इंस्ट्रक्शन फंक्शनल अप्रोच में ये देखा जाता है की किसी भी सोसाइटी में कौन से स्ट्रक्चर है और वो कौन से फंक्शन कर रहे हैं इस बेसिस पे रिसर्च किया जाता है एक तरह का इस सिस्टम है अप्रोच भी है इसके जो अदर थिंकर थे रॉबर्ट दहल थे जॉन मरियम गोस थे रॉबर्ट किंग मटर थे जो की एक तरह से सोशियोलॉजी थे इसमें सोशियोलॉजिस्ट और पॉलीटिकल साइंटिस्ट बहुत मिलते जलाते हैं दें पब्लिक चॉइस अप्रोच जो है वो एक दूसरा था जिसमें ये कहा जाता है अगेन ये इकोनॉमिक्स का बहुत असर दिखता है इसमें कहा जाता है की इकोनामी इन और मार्केट लाइफ मेकैनिज्म जो है वह से करता है पब्लिक पॉलिसी डिसीजन को इसमें कहा गया की देखो भाई कोई भी हो जो पॉलिसी बना रहा है जो सरकार चला रहा है जो किसी डिपार्मेंट का हेड है कोई भी हो कोई पब्लिक पॉलिसी बना रहा है कोई इलेक्शन कमिश्नर है कोई भी सब अपने अपने इकोनामिक इंसेंटिव से जो है वो प्रभावित होते हैं सबको अपना भला चाहिए सब यूटिलिटी मैक्सिमाइजर होते हैं तो इसीलिए हमें ऐसा आर्गेनाईजेशन रूल रेगुलेशन बनाना चाहिए सॉरी की भले ही सभी जो उसमें डिसीजन मकर है जो पॉलिसी बना रहे हैं वो अपने ही मोटिव से अपने ही इंटरेस्ट से गाइड हो रहे हैं फिर भी सब मिलकर के एक ऐसा पॉलिसी बनाया जो पब्लिक के भले के लिए हो तो पब्लिक चॉइस अप्रोच इसको कहते हैं इसमें थिंकर जो है आप पढ़ सकते हैं रो हैं और एंथोनी डांस को तो जरूर आप याद कीजिएगा दें एक और धारा चली थी 1950-60 में डेवलपिंग कंट्री के लिए वह था डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन इसमें कहा गया की एडमिनिस्ट्रेशन का कम केवल इंटर करना रिवेन्यू वसूलना नहीं है बल्कि प्रोजेक्ट इंप्लीमेंट करना है सड़क बनवाना एयरपोर्ट बनवाना जनता को जो है डेवलपमेंट के थ्रू जो है ऊपर ले जाना तो विकास युक्त जो एडमिनिस्ट्रेशन होगा एक अलग ही हुआ इसके चलते इंडिया में देखिए की ब्लॉग डेवलपमेंट ऑफिसर खुला जिला डेवलपमेंट ऑफिसर खुला डेवलपमेंट प्रोजेक्ट का कॉन्सेप्ट आया और डेवलपमेंट कितना आप समझिए कभी भी राजनीति में आता है विकास विकास इसके जो थिंकर्स थे वो एडवर्ड वेटर थे उसको फादर ऑफ डेवलपमेंट एडमिनिस्ट्रेशन का आता है फ्रेंड ड्रिंक भी बहुत बड़े यहां से यहां भी इनको देखते हैं जो सब पालनपुर हो रहा है मार्टिन तो एनीवेज तो ये जो है इसको आप एग्जाम में छोड़ भी सकते हैं यदि आपको हिम्मत हो तो इसको भी घुसा सकते हैं इस तरीके से एक जो है एक क्रिटिकल जर्नी मैंने आपको खड़ा खींच बहुत हड़बड़ी में और बहुत डिटेल में नहीं है लेकिन बहुत साड़ी बातें मैं नहीं कहीं उसको स्लो स्लो करके भी सुन सकते हैं और बाद में तो बहुत फास्ट फास्ट करके चार-पांच बार सुन लीजिएगा तो आपको मोर दें एनएफ एक एग्जाम के लिए भी हो जाएगा और आगे जो आपको मैं बताऊंगा उसके लिए प्राइमर का भी कम करेगा बहुत सर और लिया है लेकिन मैंने इसमें कम लिखा है जो सबसे इंपॉर्टेंट कर सकते हैं यह मैं हमेशा देता हूं की यह सब को एक बार फिर से याद कर लीजिए यही लोग हैं जिन्होंने की सबसे ज्यादा वैसे तो बहुत सारे का नाम मैंने लिया है लेकिन वुद्रो विल्सन को आप नहीं भूल सकते हैं जो की अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे इन्होंने 1887 में आर्टिकल लिखा स्टडी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन उससे ही पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन के पढ़ाई की शुरुआत हुई लेकिन इन्होंने जो है एक तरह से पॉलिटिक्स एडमिनिस्ट्रेशन का डिकोट ही की भी शुरुआत कर दी ये है गली और यह है उरविक जिन्होंने पोस्टकोप दिया था और पेपर ऑन साइंस ऑफ एडवांस ट्यूशन लिखा था इसके अलावा यह है महान टेलर जिन्होंने के साइंटिफिक मैनेजमेंट थ्योरी इन दिया ये है महान हर्बर्ट साइमन या सर मुझे लगता है कुछ मैंने गलत कर दिया है इसको मुझे तो ग रहा है की ये साइमन है और ये वेदर है देख लीजिएगा तो ये हर बार साइमन है फोटो देख लीजिएगा हर बार साइमन जिन्होंने की डिसीजन मेकिंग थ्योरी दिया एडमिनिस्ट्रेटिव बिहेवियर दिया बाउंड्री ड्रेसमेलिटीज सेटिस्फाई दिया और मैक्स वेबर जिन्होंने ब्यूरोक्रेसी की थ्योरी दी जो ग्रेट अभी भी जिससे हम लोग सब गाइड होते हैं ओके डियर स्टूडेंट थैंक्स पर वाचिंग और आई एम हैप्पी की आपका मैंने यह एक तरह से पूरा यूनिटी खत्म कर दिया यूनिक वन इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन और जैसा आपने रिक्वेस्ट किया है अब मैं जाऊंगा कॉपरेटिव पॉलिटिक्स के यूनिट वन पे और फिर इंटरनेशनल रिलेशन इस तरीके से हम लोग कोशिश करेंगे इन चीजों को खत्म करने की वजह से मैं आपको बता डन की आप पुराने वीडियो भी देख सकते हैं बहुत सारे पुराने वीडियो जो हैं थर्ड सेमेस्टर के पुराने वाले वो आपको यहां पे पूरे के पूरे आगे आईटी इसे उसे हो जाएंगे फिर भी मैं उसको थोड़ा बहुत चेंज करके आपको जल्दी-जल्दी में लाने की कोशिश भी करूंगा ये सब बिल्कुल नया था इसलिए मैं इसको नया रूप में ला रहा हूं यदि आपको ये वीडियो पसंद आया हो तो प्लीज शेर करें लाइक करें सब्सक्राइब करें और कमेंट करें और यदि आप मेरे पुराने स्टूडेंट यहां से आप जो है एग्जाम गाइड सेमेस्टर एग्जाम के लिए जो बेस्ट रिसोर्स है वो डाउनलोड कर सकते हैं नॉमिनल कॉस्ट पर और इस तरीके से आप मुझे जुड़ सकते हैं कृपया ऐसे ही केवल सवाल पूछे जो एक लाइन में जवाब जिसका दिया जा सके ओके थैंक्स मिलेंगे बहुत जल्द बाय