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The Khilafat Movement Overview

नेक्स्ट बात करते हैं जी खिलाफत मूवमेंट की खिलाफत मूवमेंट भी जो है वह 1919 में स्टार्ट हुई और 1923 तक जो है या 1924 तक आप इसे कह ले ये गई ठीक है अब खिलाफत मूवमेंट क्या है यह पोरली जो है वो मुसलमानों की तहरीक थी लेकिन इसके अंदर जो है वो हिंदुओं ने भी या कांग्रेस ने भी जो है भरपूर साथ दिया इनका अब सबसे पहले अगर इसकी बैकग्राउंड की बात की जाए तो वर्ल्ड वॉर फर्स्ट जो 1914 में स्टार्ट हुई और 1918 में खत्म हो गई और वर्ल्ड वॉर फर्स्ट में क्या हुआ कि जो टर्की था जो कि उस टाइम पर ऑटोमा एंपायर था यानी खिलाफत उस्मानिया जो था ठीक है खिलाफत उस्मानिया अब खिलाफत उस्मानिया ने फैसला किया जर्मनी का साथ देने का इस वर्ल्ड वॉर फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के अंदर तो जब इसने जर्मनी का साथ देने का फैसला किया तो जो अलाइड पावर्स थी जिसको रूल कर रहा था या जिसका हेड था ब्रितानिया ठीक है तो उन्होंने क्या किया जी उन्होंने जंग इनके खिलाफ लड़ी और तुर्की और जर्मनी को शिकस्त हो गई यानी जर्मनी को फर्स्ट वर्ल्ड वॉर के अंदर शिकस्त हो गई अब जब जंग हो रही थी तो उस टाइम पे जो बतानिया था इन्होंने यह कहा था इंडियन से कि और खास करके इंडिया के मुसलमानों से कि भाई आप अगर हमारा साथ देंगे जंग के दौरान ठीक है क्योंकि मुसलमान तो किसको चाहते थे मुसलमान तो खिलाफत को चाहते थे ऑटोमा एंपायर को मानते थे इंडिया के अंदर क्योंकि खिलाफत जो है मुसलमानों के लिए एक मुकद्दस ओहदा रहा है हमेशा से ठीक है हजरत अबू बकर के बाद से तो नबी सलम के बाद से जो हजरत बकर की खिलाफत स्टार्ट हुई तो उसको ये तो मानते हैं ठीक है स्टेप बा स्टेप जो चलती रही तो ऐसे में क्या हुआ कि मुसलमानों को ने यह कहा कि हम आपका साथ देंगे यानी अंग्रेजों को यह कहा कि हम आपका साथ देंगे मगर किस शर्त के ऊपर आपका साथ देंगे कि आप अगर यह जंग जीत जाते हैं क्योंकि तब तो जंग हो रही थी अगर आप जंग जीतते हैं तो जीतने की सूरत में आप क्या करेंगे जो खिलाफत उस्मानिया है ओटोमन एंपायर जो है इसको नुकसान नहीं पहुंचाएंगे इसके हिस्से वखरे नहीं करेंगे लेकिन जब ब्रिटिशर्स ये वॉर जीत गए तो उन्होंने क्या किया खिलाफत उस्मानिया को तोड़ना शुरू कर दिया यानी अपनी वादा खिलाफी की तो ऐसे में क्या हुआ एक मूवमेंट यहां पे इंडिया के अंदर स्टार्ट की गई ये याद करवाने के लिए अंग्रेजों को कि भाई आपने तो कहा था कि हम वॉर जीतेंगे तो हम खिलाफत उस्मानिया को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे तो अब आप वादा खिलाफी कर रहे हैं तो इसलिए खिलाफत मूवमेंट का आगाज हुआ तो सबसे पहले क्या हुआ जी खिलाफत कॉन्फ्रेंस 1918 के अंदर हुई जिसके अंदर जो है वो सबको इकट्ठा किया गया कि भाई जो है वो डॉक्टर अम अंसारी की कयादत में ये खिलाफत कॉन्फ्रेंस हुई कि भाई ये क्या हो रहा है और हमें इसे कैसे आगे लेके चलना है यानी एक लाय अमल जो है वो तय करना था इसके अंदर तब जो है वो अली ब्रदर्स जो है वो जेल के अंदर थे तो यह भी था कि वो इसमें शामिल नहीं हुए तो जब वो जेल से रिहा हुए तो सीधे वहां पे पहुंचे और फिर मौलाना शौकत अली को की सरब आही में जो है वह खिलाफत कमेटी बनाई गई और उन्हें कहा गया कि आप पूरे के पूरे हिंदुस्तान जो है उसका विजिट करें और हिंदुस्तान के अंदर जो है वो लोगों में यह शऊर उजागर करें और उन्हें बताएं कि अंग्रेज जो हैं वो कितने जो है वो वादा खिलाफ है और उन्होंने क्या किया ठीक है खिलाफत कमेटी इसी के अलावा फिर एक खिलाफत वफ जो है वो बनाया गया तो एक खिलाफत वफ जो है उसने वाइस राय से मुलाकात की और इस खिलाफत वक्त की जो सबसे इंपॉर्टेंट क्वालिटी थी वो क्या थी कि इसके अंदर तमाम के तमाम जो है वो फिरके शामिल थे यानी हर फिरके के लोग थे सिख थे ईसाई थे हिंदू थे इन्होंने वायसराय से मुलाकात की और उसे बताया कि भाई तुम वादा खिलाफी कर रहे हो तो उसने तो कहा मैं मैं मानता हूं इस बात को और मैं ब्रिटिश गवर्नमेंट जो है उसको आपकी बात पहुंचा हंगा लेकिन ब्रिटिश जो गवर्नमेंट थी ठीक है लॉयड जॉर्ज साहब जो उस टाइम पे प्राइम मिनिस्टर थे ब्रितानिया के तो उन्होंने जो है कोई इसका खास असर नहीं लिया और दूसरा जो वफ था वो गया यूरोप ठीक है वो यूरोप गया दूसरा वक्त और दूसरे वक्त ने क्या किया जी यूरोप में जाके फ्रांस में जर्मनी में इटली में वहां पे जाके यूके में जाके मुजाहि वगैरह किए लेकिन उसका कोई भी असर नहीं हुआ और वो 1920 में जो है बेचारा वापस आ गया ठीक है 19 जनवरी 1920 को मीटिंग हुई वाय साई के साथ जो अभी आपको बता दिया कि वो जो है वो उसका उसने असर लिया लेकिन ब्रिटिश गवर्नमेंट ने कोई असर नहीं लिया फिर उससे पहले कि कुछ होता तो ट्रीटी ऑफ़ सेवरे हो गई 14 मई 1920 को यह मशहूर जमाना एक ट्रीटी है जिसके तहत जो है वो ऑटोमा एंपायर जो है उसको तकसीम कर दिया गया ठीक है और जिसको आज भी कहा जाता है कि भाई ये 100 साल की ट्रीटी है और 100 साल के बाद जब खत्म होगी तो फिर से जो है वो टोमा एंपायर या तुर्की जो है वो मॉडर्न तुर्की फिर से ताकत पकड़ेगा तो खैर ये ट्रीटी के तहत इसको तकसीम कर दिया गया और इसी दौरान फिर क्या हुआ नॉन कॉपरेशन मूवमेंट जो है 28 मई 1920 को जो है वो स्टार्ट हो गई अब ये नॉन कॉपरेशन मूवमेंट जो थी यह स्टार्ट हुई जी यह जो खिलाफत कमेटी थी खिलाफत कमेटी जो अली ब्रदर्स की जो है वो अली ब्रदर जिसको रन कर रहे थे तो उन्होंने जो है यह प्रपोजल दिया कि भाई हमें जो है वो नॉन कॉपरेशन की अदम तावुन की जो है वो तहरीक चलानी चाहिए जिसके तहत उन्होंने क्या किया जी हिंदुस्तान के अंदर एक किस्म का सिविल डिसऑबेडिएंस थी तो यह स्टार्ट कर दी उसके नतीजे के तौर पर क्या हुआ कि बॉयकॉट किया गया तमाम के तमाम यूके की चीजों का जितनी भी चीजें जो है ब्रिटिश गुड्स थी उनका बॉयकॉट हुआ गवर्नमेंट जॉब्स का बॉयकॉट हुआ इंस्टीट्यूट्स का स्कूल कॉलेजेस का कोर्ट्स का हर चीज का जो है बॉयकॉट हुआ कि ताकि जो प्रेशर है वो बिल्ड किया जा सके इसी दौरान फिर क्या हुआ जी फिर हिजरत मूवमेंट हो गई 1920 के अंदर क्योंकि अब जब हिंदुस्तान के हालात काफी ज्यादा खराब हो गई एक तो वहां पे नॉन कोऑपरेशन मूवमेंट चलना स्टार्ट हो गई दूसरा तहरीक खिलाफत भी चल रही थी और वो भी जो है वो अपने आखिरी दम ले रही थी तो ऐसे में हिजरत मूवमेंट हो गई और हिजरत मूवमेंट मौलाना अब्दुल बारी साहब और मौलाना अब्दुल कलाम आजाद साहब जो हैं इन्होंने जो है फतवा दे दिया और फतवा क्या दिया जी कि हिंदुस्तान जो है वो दारुल हरब है और अब यहां पे रहा नहीं जा सकता इसलिए अब यहां से हिजरत जो है वो जायज हो गई है तो ऐसे में एक बड़ी तादाद के अंदर जो है मुसलमान जो है तकरीबन कोई 5 लाख से लेके कोई तकरीबन 15 लाख तक माना जाता है ये मुसलमानों ने अफगानिस्तान की तरफ हिजरत की और अफगानिस्तान में शुरू में तो वेलकम कहा और तकरीबन कोई 18 से 200 हज के करीब जो है वो उन्होंने मुहाजिरीन को रखा लेकिन उसके बाद उन्होंने अपने बॉर्डर्स बंद कर दिए और वो मुसलमान जो कि ओने पौने दामों यानी अपनी प्रॉपर्टीज को जो भी पीछे यहां बचा हुआ था इंडिया के अंदर उसको सेल करके गए थे तो वो वापस आने काबिल भी नहीं रहे लेकिन वो कुछ लोग रास्ते के अंदर जो है वो मरे यानी लाशें ही लाशें जो है काबुल तक के रास्ते में नजर आई इतना ज्यादा जो है ये हिजरत ने असर डाला और इसने हिंदुस्तान के ऊपर भी बहुत बुरा इसका असर डाला फिर मोपला प्राइजिंग हुई या मोपला जो है वो बगावत हुई तो मोपला बगावत क्या थी ये मोपला जो है ये मालाबार के साहिल जो है ठीक है मुंबई के साथ ये मालाबार के साहिल के ऊपर जो है ये वो लोग थे जो कि थे मुसलमान लेकिन अरब थे ये अरब जो कबीले थे उनके मुसलमान थे इन्होंने भी जो है फिर केराला जो है वो इकट्ठा होना था एक जलसे के लिए तो इनके ऊपर जो है फायरिंग कर दी गई और 400 मोपला लोग जो है वहां पे शहीद हो गए ऐसे में और बाकियों को इन्होंने गाड़ियों में भरा और वहां लेके चले गई और 60 लोग वहां दम घुटने से जो है वो मर गए तो इसकी वजह से क्या हुआ कि और ज्यादा हालात खराब हो गए इसी दौरान इंडिया के अंदर ऐसे में क्या हुआ गांधी जी ने जो है वो सिविल डिसऑबेडिएंस की मूवमेंट स्टार्ट कर दी 1922 के अंदर यानी 1922 में जो है वो ये कहा गया कि भाई अब ये आप ये पीछे देखें कि बहुत बड़े-बड़े जलसे स्टार्ट हो गए क्योंकि गांधी जी ने कहा कि भाई अब सब बाहर आ जाओ तो ऐसे में एक मूवमेंट स्टार्ट हो गई फिर चोरा चोरी का वाकया हुआ कि मूवमेंट में ये सिविल डिसऑबेडिएंस में ये कहा गया कि अब टैक्स नहीं पे किया जाएगा तो जब ये एक जलसा जुलूस हो रहा था या इस तरह की मूवमेंट थी तो ऐसे में पुलिस ने वहां पे इनके ऊपर अटैक किया और उन्हें रोकने की कोशिश की तो वो जो मुजाहि न थे उन्होंने क्या किया जी ये जो एक छोटा सा गांव था चोरा चोरी फराहाबाद के अंदर ठीक है यहां पे थाने को घेर के उसे आग लगा दी और 22 पुलिस वाले जिंदा जल गए अब ऐसे में फिर गांधी जो है वो नॉन वायलेंस के मानने वाले थे तो गांधी ने जो है वो अपने आप को या कांग्रेस को सेपरेट कर लिया इस मूवमेंट से और इस तरह ये मूवमेंट जो है तहरीक खिलाफत अपना दम तोड़ गई तो रोल ऑफ कांग्रेस जो है वो यहां पे एंड में बड़ा नेगेटिव रहा क्योंकि उनके नेगेटिव रोल की वजह से वो जो इतना प्रेशर बिल्ड हुआ कि जो इतना ज्यादा इन्होंने मुश्किलात बर्दाश्त की सारी की सारी जो है वोह जाया हो गई इस तरह से फिर क्या हुआ 1923 के अंदर जो है वो खिलाफत ही खत्म हो गई जो कमाल ता तुर्क साहब थे उन्होंने खुद ही अनाउंस कर दिया कि भाई खिलाफत जो है वो आज से खत्म है खिलाफत का ओहदा और मॉडर्न तुर्की जो है उसकी बुनियाद रख दी तो इस तरह से ये खिलाफत मूवमेंट जो है ओवरऑल अच्छे और बुरे इंपैक्ट्स के साथ हिंदुस्तान के अंदर खत्म हो गई ठीक है