हेलो एवरीवन आज के इस वीडियो में हम बात करेंगे बी ए प्रोग्राम सेमिस्टर फोर्थ के लिए जो हमारा सब्जेक्ट है ए ईसी हिंदी ख इसमें हम जनसंचार और जो रचनात्मक लिखन है इसको डिस्कस करने वाले हैं इसके जो मोस्ट इंपोर्टेंट क्वेश्चन बनते हैं पूरी बुक में से वह सारे आपको इस सिंगल वीडियो में करा दिया जाएंगे वन सोट वीडियो है तो सारे इंपोर्टेंट क्वेश डाउनलोड कर सकते हैं और वहाँ से पढ़ सकते हैं मेरा नाम सेतिंदर प्रताप है, आप मुझे इंस्ट्राग्राम पर फॉलो कर सकते हैं एकलब्या स्टडी पॉइंट है मेरा यूजर नेम है और आप मुझे यहाँ मैसेज कर सकते हैं यह एक प्रताप है, यह दो उनिट है रचनात्मक लेखन जो होता है उसका क्या अर्थ होता है तो जो creative writing होती है या रचनात्मक लेखन होता है, इसका क्या meaning होता है, आपको सबसे पहले यह बताओना चाहिए, देखे, मनुष्य जो है, वो अपने ज्ञान, यानि जो उसको knowledge है, अपने ज्ञान के आधार पर, अपनी knowledge के आधार पर, अपने विचारों को, अपनी भावना� अपने विचारों की जो अभिविक्ति होती है वो रचनात्मक लेखन कहलाती है अब इसमें यहाँ पर देखिए इसमें नया होना चाहिए यानि यह जो लेखन होता है यह नया होना चाहिए किसी की नकल नहीं होनी चाहिए मान लीजिए आपका नाम है ए मैंने आपसे कहा कि सुनिये ए आपको एक काम करना है आपको एक कविता लिखनी है ठीक है अब मैंने आपको काम क्या देती है कविता लिखने की आपने क्या किया घर गए आपने बहुत सोच विचार कर अपने मन में जो आपके विचार आए उसको लिख दिया यानि आपने बिल्कुल ओरिजिनल कविता लिखी है जो किसी की कॉपी नहीं है किसी की नकल नहीं है तो इसको हम रचनात्मक लेकन या क्रियेटिव राइटिंग कह सकते हैं क्यों क्योंकि वो आपके मन के विचार हैं कोई कविता search करो, आपको कोई कविता अच्छी लगे, आप उसकी line उठा कर लिख कर मुझे दे दो और आप ये कहो कि मैंने ये कविता लिखे और मैं इसको देखूं, बाद में मुझे पता लग जाए कि भाई ये तो कोई कविता पहले से available है तो फिर मैं क्या कहूँगा, क्या ये creative writing कहूँगा इसको, नहीं, creative writing में कभी किसी की नकल नहीं होती, ठीक है, वो खुद के विचार होते हैं और वो नया होता है, तो उसी को हम रचनात्मक लिखन कहते हैं, ये चीज़ा आपको समझना है, इसलिए तो इसको रचनात्मक य अब देखो इसको अगर मैं इंग्लिस में समझाने की कोशिश करूँ तो आपको और अच्छे से समझ बाएगा देखे creative writing क्या होती है creative writing जो होती है वो क्या होती है art of using word यानि जो शब्द होते हैं उसका use करने का उसको इस्तेमाल करने की कला है जिसमें हम क्या करते हैं express करते हैं अपने ideas को अपने विचारों को अपने emotions को यानि हमारी भावनाओं को कैसे imaginative ways यानि कि कल्पनात्मक तरीके से हम कल्पना करते हैं सोचते हैं हमारे जो ideas होते हैं, हमारे जो विचार होते हैं, हमारी जो भावना ही होती है, उसको express करने के लिए एक कल्पनात्मक तरीकी से हम सोचते हैं, हम उसके बाद कुछ भी लिख सकते हैं, हो सकते हैं आप कोई कहानी लिख दो, आप कोई novel लिख दो, कोई आप play लिख दो, या फिर रचनात्मक लेखन जो है इसे तातपरे है साहित्य अथवा कला के निर्वान की उस प्रक्रिया से यानि कि रचनात्मक लेखन साहित्य की उस प्रक्रिया को कहा जाता है जिसमें लेखक जो होता है या कलाकार जो होता है वो अपने अमूर्थ भावों और विचारों को मूर्थ जो किसी को दिख नहीं रही उसके मन में लेकिन जब उसको शब्दों के जरिया लिख देता है तो वो क्या हो जाती है मूर्थ मतलब अब उसको हर कोई देख सकता है यानि कि जैसे आपके मन में कोई कविता चल रही थी आपने जब तक उसको लिखा नहीं जिसको केवल आप महसूस कर रहे थे, आप समझ रहे थे, लेकिन जब आपने उसको रचना का रूप दिया, तो वो मूर्थ हो गया, उसको कोई भी अब देख सकता है, ठीक है, तो यह होता है creative writing, आगे देखो, अगर हम थोड़ा पिछे चले, प्लेटो के समय तक पहुँच ज जो अच्छे तरीके से लिख सकता है, जो अच्छी कविता है, अच्छी कहानिया लिख सकता है, उस ऐसे व्यक्तियों को ये माना जाता था कि इसको तो कोई देविय शक्ति प्राप्त है, यानि इसको दिव्य शक्ति प्राप्त है, यानि कि लिखने को इतना जादा महत्व दि तीवर बुद्धी से सम्मंद करके देखते हैं ठीक है यानि कि पहले इसको दैविय शक्ति माना जाता था लेकिन बाद के समय में इसको बुद्धी से जोड़ के देखा जाने लगा यानि कि बाद में ऐसा माना जाने लगा कि जो लोग intelligent होते हैं, जो तेज बुद्धी वाले होते हैं ऐसे लोगों का मानना था कि व्यक्ति प्रबल रचनात्मक हो सकता है वो ही व्यक्ति प्रबल रचनात्मक हो सकता है यानि कि बहुत अच्छा creative writer हो सकता है एक शृजनात्मक लिखक हो सकता है एक रचनात्मक लिखक हो सकता है कौन व्यक्ति हो सकता है जिसके पास बुद्धि और जिसके पास ज्ञान हो ऐसा माना जाने लगा लेकिन जब मनोविज्ञान आया यानी जब साइक्लोजी आई तो साइक्लोजी ने यह तथ्य जो था इसको पूरी तरीके से नकार दिया उन्होंने बोला कि ना तो कोई देविये शक्ति होती है ठीक है और ना ही इसमें बुद्धि और ज्ञान का कोई कमाल है बल्कि अ इसके लिए इन्होंने एक अलगी परिभाषा समझा दी मनोविज्ञान ने दोनों ही चीजों को नकार दिया आप W. Stephen जो हैं वो क्या कहते हैं इसको समझें इनके विचार समझें W. Stephen कहते हैं कि बुद्धी का समबंद जो है वो ज्यानात्मक जटिलता से है और सिर्जनात्मकता का समबंद नवीन अभिवित भाव और समवेक की समपर्णितता से है मैं आपको और आसान करके समझाता हूँ देखें जो मनोविज्ञानिक लोग हैं जैसे कि एक्जांपल है W. Stephen का इन्होंने क्या करा, इन्होंने ये कह दिया कि बुद्धी का सम्मंद जो होता है, वो ज्यानात्मक जटिलता से होता है, यानि बुद्धी का सम्मंद ज्यान से और कठिन चीजों से है, लेकिन जो सिर्जनात्मकता होता है, यानि जिसको हम रचनात्मकता कहते हैं, या क्रिये� जो हमारे मन में चल रहे थे, जो नवीन थे, जो बिल्कुल नए थे, ठीक है, उसको जब हम सामने रखते हैं, तो वो क्रियेटिविटी कहला आती है, ठीक है, बुद्धी से उसका कुछ लेना देना नहीं है, ज्यान से उसका कुछ लेना देना नहीं है, देविय शक्ती से उस यह प्रति नहीं हो सकता है। यह एक कला है। आप चाहें कि आप कविताओं लिखें और उपन्यास लिखें। यह नहीं है। अगर आपके अंदर कवी हिर्दे होगा, आपके अंदर एक कवी वाली क्वालिटी होगी तो ही आप लिख पाओगे। तो लिखना एक कला है। और पढ़ता है लिखता है बड़ा होता है तो वह कठोर साधना से बहुत नॉलेज लेने के बाद समाज को समझने के बाद ठीक है काफी हार्डवर्क करने के बाद तब उसके अंदर यह योग्यता आती है कि वह कुछ अच्छा लिख सके विभिन विद्वानों ने ऐसा माना है कि पढ़ने से भी लिखना अधिक सुखत कला है यानि कुछ जो विद्वान है वह पढ़ने से ज्यादा बहतरी क्या मानते हैं लिखना यानि कहते हैं कि जो क्रियर राइटिंग है वह ज्यादा बेहतर है रीडिंग से ठीक है यानि कि ये भी लेखक को बहुत जाता क्या दे रहे हैं, महतू दे रहे हैं, वर्गी शुकल जो है, ये क्या मानते हैं, इनको समझते हैं, ये कहते हैं कि पढ़ना एक रिन का सुइकार है, यानि पढ़ने का मतलब है, कोई रिन लेना, कोई करज लेना, ठीक है, करज के बराब सीधा इसका उद्देश्य है कि पढ़ने से ज़्यादा महत्व लिखने को दिया जा रहा है यहाँ पर क्लियर हो गया आगे देखते हैं निष्टित रूप से एक अच्छा पाठक ही रचना के भाव और विचार को आत्म साथ कर पाता है यानि जो एक अच्छा पाठक हो उस भाव और विचार की वास्तविकता को अभिवक्ति देना हर लेखक के लिए संभव नहीं है। जो विचार हम किसी किताब से पढ़के समझते हैं, हम उसको वैसा का वैसा, उसको नए तरीके से अच्छे तरीके से एक्स्प्लेइन करके लिख नहीं सकते। यानि कि हर लेखक के बस की बात नहीं होती, ये आपको आगे देखते हैं, इसके लिए एक स्रेष्ट लेखक अपनी स्रेजनात्मक पर्तिबा के द्वारा उस भाव और विचार को लेखन की अलग-अलग विधाओं के में से किसी एक का चेयन करके अभिवक्त करता है, अब समझे देखें, हम क्या है, हम हजारों किताबे पढ़ लेत एक टैलेंट है एक क्रिएटिविटी है तो ही आप एक अच्छा लिखन लिख सकते हो यानि अपने भाव और अपने विचार को अच्छे तरीके से लिख सकते हो और विविद विधाओं विविद विधा का मतलब है कई तरह की विधा होती है देखिए कहानी भी विधा है निबंद भी विधा है उपन्यास भी विधा है ठीक है संस्मर्ण हो गया यात्रावृतांत हो गया एकांकी हो गया नाटक हो गया रेखा चित्र हो गया ठीक है उपन्यास हो गया ये सब विधाएं होती है तो जो एक क्रिएटिव जो राइटर ह अपनी जो भाव होते हैं, अपने जो विचार होते हैं, इसको प्रकड़ कर सकता है, किलियर हो गया, आगे चलते हैं, देखे, दर्शन और श्रवन, यानि जब हम किसी चीज़ को देखते हैं, विजुअल, और श्रवन, यानि जब हम इसको किसी चीज़ को सुनते हैं, यानि तरीके से उसको चित्रन करना तब तक संभव नहीं होता जब तक संवाद दाता अपनी कलम का धनी ना हो यानि लिखने वाला जो है लिखक जो है अपनी कलम का धनी ना हो कहने का मतलब है हम बहुत सारी चीजों को देखते हैं हम बहुत सारी चीजों को सुनते हैं लेकिन देख यह सबके बस की बात नहीं है, इसको केवल वो ही लिख सकता है, जो अपनी कलम का धनी हो, कलम का धनी भी एक तरह से मुहावरे की तरह यूज़ हुआ है, कलम का धनी मतलब लेखक, ठीक है, लेखक जो होता है, वो कलम का धनी होता है, यानि वो अपने भावों को, अपने विच प्रकट हो जाती है हमारे सामने यदि कहा जाए कि लेखक रचनाकार के व्यक्तित्व की पूर्णता एक महत्वपूर्ण अंग है तो यह बिल्कुल सही बात साभी तो बिल्कुल देखें कोई भी राइटर होता है ना राइटर की जो रचना है होती है उन रचनाओं से हम आपकी परसनैलिटी को समझ जाते हैं जैसे कि कोई राइटर ऐसा है जैसे निराला का देखो निराला जो थे उनके साथ एक दुख एक करुणा एक पीड़ा जो है वह दिख जाएगी ऐसे ही कोई बात जय शंकर परसाद की आप रचनाओं देखोगे तो उसमें आपको प्रेम दिख जाएगा ठीक है तो जिस तरीके से जो रचनाकार का जो नेचर होता है जो उसकी परसनालिटी होती है वो उसकी रचनाओं से हमें दिख जाती है आई हॉप आपको क्लियर हो गया होगा आगे और पत्रकारिता या फिर जनसंचार जो है यहाँ पे लेखन किया जा सकता है creative writing जो विज्ञापन होते हैं वहाँ पे creative writing किया जा सकते है ठीक है अब हम क्या करते हैं साहिते को समझते हैं साहिते को हम दो category में बाटेंगे गद्दे और पद्दे simple उपन्यास होते हैं व्यंग हो गया संस्मरण हो गया निबंद हो गया यात्रा विर्तांत हो गया एकांकी हो गया लेकिन अगर मैं पद्दे की बात करूँ पद्दे में कविता वाला हिस्सा आता है जिसको कावेखंड कहा जाता है या इसको कविता भी हम कहते हैं गीत भी आ जाते हैं इसमें गीत गजल रूबाई ये सब पद्दे में आता है ठीक है तो साहित्य को दो कैटिगरी में बाट क लिखित रूप में ढालने का प्रयास किया जा रहा है देखिए इसको समझिए प्राचीन समय में जब जैसे कि कबीर का समय मान लीजिए कबीर के समय में कबीर जो थे कबीर पड़े लिखे नहीं थे तो उनके समय में जो रचनाएं होती थी ज़्यादा तर मौकिक रूप से हो रचनाए थी वो मौकिक रूप से चलती रही लंबे समय तक तो ऐसे बहुत सारे लोग गीत हो गई लोग परंपराएं हो गई जो गाय जाने वाले गी ठीक है, बहुत सारा साहित्य ऐसा है, सादु, संतो या विद्वानों के जो परवचन है, जो कभी लिखे नहीं गए, ठीक है, जो बोले गए थे, जो आज तक चलते आरे हैं, बहुत सारे वक्ताओं के भाषन है, उनको भी वर्तमान समय में क्या किया जा रहा है, मौकिक से लि यह एक ऐसा साहित्य है जिसके द्वारा हमारा जो ज्ञान होता है, हमारी जो knowledge होती है, वो बढ़ती है। इससे सूचनात्मक साहित्य कहा जाता है। सूचनात्मक साहित्य क्यों कह रहे हैं?
क्योंकि इससे हमें सूचना मिलती है, information मिलती है। अगर आखबार पढ़ते हो, अगर आप magazine पढ़ते हो, तो आपको knowledge मिलती है उससे। मौखिक भी हो सकता है लिखित भी हो सकता है गद्दे और पद्दे रूप में भी हो सकता है कथात्मा रूप में भी हो सकता है और नाटक या मंचे रूप में भी हो सकता है अब देखो मौखिक और लिखित को समस्ते हैं तो देखे मनुष्य ने जब भाषा का ज्यान प्राप उसके जरिए अब जो है बातें वो मौखिक की जगा लिखित में आने लगी ठीक है तो लिखित रूप भी हो गया तो कुछ आलोचक जो हैं वो ये कहते हैं कि वाक का मतलब है बोलना ठीक है वाक जो है वो एक प्रतीक विवस्था ही है वै भी ऐसी प्रतीक विवस्था ज इसको कभी नकारा नहीं जा सकता क्योंकि हमेशा सहित्य और समाज का सम्मंद रहा है। मनुष्य ने जब लिपी के दौरा भाषा को सहेज कर रखना, यानि पहले तो सब कुछ मौकिक था, लेकिन जब लिपी आ गई, जब लिखने का तरीका आ गया, तब ही से लिखित साहित्य ने जनम लिया, वरना सुरू में सब कुछ मौकिक ही होता था, बाद में लिखित रूप आया है, देखें, अनेक भाषा विज्ञानिक जो हैं, वो बानते हैं कि मनुष्य का जनम जो है, वो बोलने के लिए हुआ है, वो तरके भी देते हैं, कहते हैं कि पृतिवी पर कोई भी ऐसा समाज नहीं है, जहांपे वाग, वाग का मतलब है बोलना, जहांपे बाचीत ना होती हो, ठीक है, इस लेकिन इस मौकिक वारतालाब को साहित्ति की श्रेनी में नहीं रखा जा सकता क्यों क्योंकि मान लो एक विक्ती है उसने कोई कविता अपने मन में सोची अब उसने वो कविता आपको सुना दी अब उसने कविता सुनाई आपने सुन ली आप घर गए आप उस कविता को भूल लेकिन अगर वही कविता उस व्यक्ति ने लिखित रूप में बना लिया होती और आपको दे देता, तो वो लिखित साहित्य में रह जाता, यानि वो लंबे समय तक रह सकता था, इसलिए मौकिक जो वारतलाप होती है, मौकिक जो बाचीत होती है, उसको साहित्य की स्रिर तब वह चिरकाल तक यानि एक लंबे समय तक मानव जाती की ठाती के रूप में प्रेरणा ब्रदान करते हैं बहुत अच्छा एग्जाम्पल है समझीए आज आप पढ़ते हो ना अंग्रेजों के समय के बारे में या उससे पहले मुगलों के समय के बारे में लिखिस साहिते से मुगलों के समय का साहिते हमें मिल जाता है उससे पहले के जो अधिक सब्विता में तो पड़े नहीं गए लेकिन वैदिक सब्विता में जब वेद लिखे गए थे या उसके बाद में मौरे काल में गुप्त काल में जो लिखे गए थे वो आज भी लिखित में मौजूद है उससे हमें क्या है आज तक हम उसको पढ़ पा रहे है तो यही भारतिया भाषाओं में ही नहीं वर्ण विश्व की सभी भाषाओं में साहित्य लिखन का आरम जो है पद्यात्मक रूप में होता है यह बहुत इंपोर्टेंट है देखिए दो चीजें विद्या एक गद्दे और एक पद्दे में क्या होता है कविता होती है और ग यह गद्दे और पद्दे के रूप वाला पॉइंट था जो मैंने आपके सामने कर रहा है ठीक है इसको आपको समझ में आगे देखते हैं हिंदी लेखन परंपरा में वर्तमान समय में गद्दे और पद्दे जो है दोनों ही लेखन रूपों का काफी ज्यादा प्रचलन हो रहा है आज के समय में कहानी उपन्नियास नाटक जैसी जो विधा है या संस्वनन रेखा चित्र यात्रा विर्तांत रिपोर्ट ठीक है आज यानि कविता से ज़्यादा गद्दे विदा को महत्व दिया जाता है ठीक है पद्दे विदा में क्या होता था खंड कावे, महा कावे, गीती कावे इसमें कविताएं होती हैं लंभी कविता, नई कविता, गीत, गजल, रुबाई ये सब पद्दे में आता है तो इसको भी अ तो गद्दे सहित्य में क्या है कहानी वगैरह यह सब रिचि जाती है आप जानते हो गद्दे का जो विकास है वह बहुत तेजी से हुआ है और आदुनिक युग में देखें तो इसको ज्यादा महत्व दिया जाने लगा है इसमें क्या होता है गद्दे में कहानी होती है पन् सबसे ज्यादा जो लेखक मिलते हैं आपको गद्दे के ही मिलते हैं इसलिए आदुनिक युग जो है ना आज का इसको गद्दे युग ही कहा जाता है गद्दे की सरवरूट पर्थम विदाओं में कथात्मक विदाओं को ज्यादा प्रात्मिकता मिली है क्योंकि कथात्मक ज ठीक है आगे देखते हैं समय के विकास के साथ जीवनी आत्मकथा संसमेरान रेकाचित्र इनका भी हमारे साहित्य में कथात्मक साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है आज के समय में ठीक है इन सभी विदाओं का बहुत ज्यादा कि पाठे नाटक दो तरीके के होते हैं उसको पढ़ा भी जा सकता है नाटक को और इसको इस टेज पर परफॉर्म भी किया जा सकता है ठीक है दोनों कर जा सकता है तो नाटक जो है वह पाठे योगी भी होता है और मंचिय साहित्य के रूप में कि नाटे जो नाटे होता है इसमें क्या होता है नाटक कार्य की समाज को देखने की सुंदरे दृष्टि नाटक कार्य जो होता है जो नाटक को लिखता है वह समाज को किस नजरिये से देखता है समाज में वह क्या देखता है वह उन एक साहितिक रचना है इसलिए उसको पठनिय होना उसका प्रधान गुण है यानि एक साहितिक रचना इसलिए इसका लेकिन नाटक जो है वो मंचित रोप से सीधे तौर पर समाज से जोड़ता है। नाटक किया जाता हो तो कुछ आलोचक कहते हैं कि जो नाटक होते हैं सभी नाटक को स्टेज पर परफर्म कर पाना पॉसिबल नहीं हो पाता है ठीक है आगे देखते हैं नेक्स्ट हमारा कोशिश जन संचार जो है उसके विविद माध्यम बताइए तो देखें जन संचार जो है उसके कई सारे माध्यम होते हैं जैसे कि प्रिंट माध्यम एलेक्ट्रोनिक माध्यम न्यू एलेक्ट्रोनिक माध्यम और बाहर संचार माध्यम प्रिंट में कौन सी च ठीक है यह सारी चीजें आगे देखते हैं देखें प्रिंट माध्यम में क्या होता है अखबार हो गया कोई पर्चा हो गया कोई इस्तेहार हो गया कोई किताब हो गया कोई मैगजिन हो गया इलेक्ट्रोनिक माध्यम में रेडियो हो गया अपना टीवी वीडियो फिलम य और next है हमारा new electronic माध्यम इसमें हमारा क्या आ जाता है computer और internet तो यहीं पर आपको clear हो गया होगा अब आपके paper में अगर इसमें से कोई भी आता है तो आप इसको लिख सकते हो अखबार वगैरह के बारे में लिख सकते हो ठीक है मै अखबार क्या है अखबार ऐसा प्रिंटेड माध्यम है जिससे हमको नॉलेज मिलती है ठीक है अखबार में रोज होने वाली घटनाओं के बारे में हमको जानकारी मिलती है अब आप इन सब चीजों को मैं यहां पर कम शब्दों में समझा अगर हमारी सरकार आई तो हम यह बना देंगे, हमारी सरकार आई तो वो बना देंगे, ठीक है, इस तरीके से पर्चे में यह सब लिखा जाता है, इस्तेहार हो गया, इस्तेहार के जरिये अपनी बातों को रखा जाता है, ठीक है, पुस्तक, पत्रिका, मैगजिन, इन सब के ब audio सुन सकते हैं, इसमें हम संगीत सुन सकते हैं, ठीक है, हम विपिन जो बड़े लोग होते हैं, उनके interview सुन सकते हैं, हम इसमें समाचार सुन सकते हैं, ठीक है, ज्यान वर्दक कहानिया सुन सकते हैं, तो radio में हम सुन सकते थे, तो radio जो है, ये भी जन संचार का एक माध्यम था फिल्में देख सकते हैं, गीत, संगीत, सब कुछ देख सकते हैं इसके बाद वीडियो, वीडियो फॉरमेट आप जानते हैं, वीडियो में भी हो यह है ओडियो भी होती है, वीडियो भी होती है और आप वैसा का वैसा उतार कर आओगे तो ऐसा वह सेबल नहीं हो पाता है होता क्या है कि पेपर में कलम जो होती है वो अपने आप ही चलती है बस आपको पॉइंट याद आ गया रेडियो तो अपने आप ही आप रेडियो को पूरा लिख दोगे लोग जाते हैं देखते हैं चीजों को तो जन संचार होता है यानि कि हम चीज जाते हैं देखते हैं सुनते हैं समस्ते हैं बाते करते हैं न्यू एलेक्ट्रोनिक में देखें तो कंप्यूटर, कंप्यूटर आज के समय में हर जगह यूज होता है, आप बैंको में देखो, ओफिस में देखो, कहीं भी देखो, कंप्यूटर से ही काम होता है, आप ये वीडियो भी देख पा रहे हो, तो इस वीडियो को भी मैं कंप् प्रिंट मीडिया जो होता है इसके लिखन की आपको विशेषता बताने देखिए प्रिंट माध्यम के लिखन की बात करें अगर हम तो इसमें पठन के लिए साक्षरता अनिवार रहे है प्रिंट माध्यम में पुस्तक के लिए हमको गहन गंभीर भाषा देखना पड़ता है ठीक है और अन्य रूपों के लिए हमको लोगप्रिय भाषा का प्रियोग करना पड़ता है आप कभी भी किताब की लैंग्वेज देखोगे वो एक आम लैंग्वेज नहीं होती वो गहन आसानी से मतलब ज्ञान मिल जाता है नॉलेज की चीजें मिल जाती है तो आप यह बता सकते हैं कि प्रिंट माध्यम जो है एक बहुत ही उपयोगी माध्यम है यह जनसुलब है यानि आसानी से उपलब्ध है चाहे अकबार हो चाहे वहां तक ये पहुँच पाया है दूर दराज के गाउं में भी किताबे, अखबार, चिठ्ठियां, पत्र पत्रिकाएं, मैगजेन आराम से पहुँच जाती है प्रिंट माध्यम के लिए आज एलेक्टोनिक मीडिया जो है एक बड़ी चुनोती है ऐसे में रोचक परशंग और रोचक प्रस्तुति का होना जरूरी है आज के समय में एलेक्टोनिक मीडिया आ गया है अब वो इंटरनेट पे पीडियफ के रूप में अवेलेबल है आप उसको ईबुक के रूप में पढ़ सकते हो ठीक है यह इंपोर्टेंट है तो यह पॉइंट आपको याद रखना है आगे देखो और इसके प्रमुख तत्यों बताने, साक्षातकार का मतलब क्या होता है, इसका मतलब होता है interview, ठीक है, interview में क्या होता है, एक विक्ति और दूसरा विक्ति, आमने सामने बैटे होते हैं, जो interview लेने वाला होता है, वो से प्रश्न पूछता है, और जो interview देने वाला होता है, व interview हो सकता है ठीक है तो आगे देखते हैं साक्षातकार का मतलब क्या होता है अंग्रेजी में इसको interview कहते हैं सामाने रूप से अगर हम देखें तो इसमें किसी विशय पर किसी विशिष्ट व्यक्ति के साथ कोई क्योंकि जिसका interview लिया जाता है ऐसे ही नहीं किसी का भी interview लिया कोशन के माध्यम से ना केवल विशय की जानकारी प्राप्त होती है बल्कि उस वेक्ति के जीवन के जो पहलू है उसको जानने का भी अवसर मिलता है तो याद रखना कि जो इंटरव्यू होता है केवल उसमें विशय की जानकारी नहीं मिलती बल्कि उस वेक्ति की जो पर्सनल उसमें या न्यूसपेपर है उसमें नियमित रूप से रेगुलर रूप से जो राजनेता है या कोई फिल्म में एक्टर है सितारा है उसके इंटरव्यू जो है छपते रहते हैं और जो पाठक होते हैं जो उनको पसंद करते हैं वो इंटरव्यू जरूर पढ़ते हैं जैसे म जा सकते हैं एक होता है विषय आधारित और एक होता है व्यक्ति आधारित या तो इंटरव्यू किसी विषय किसी टॉपिक पर हो सकता है ठीक है किसी भी विषय पर या जैसे मान लो इंटरव्यू ऐसे हो सकते कि भाई मान लो कहीं पर बार-बार तो कैसे उसे निदान हो सकता है क्या हमको करना चाहिए ठीक है वह विषय से रिलेटिव हो जाएगा किसी व्यक्ति पर इतना मान लो जैसे कि नेताओं के अपने इंटरव्यू देखे होंगे अब अ किसी नेता का इंटरव्यू लिया जाता है वो व्यक्ति आदारित हो जाता है किसी फिल्म एक्टर का इंटरव्यू लिया जाता है वो व्यक्ति आदारित हो जाता है आगे देखते हैं तो देखें इंटरव्यू के तीन प्रमुक तत्व होते हैं सबसे पहला होता है समवाद क्योंकि बिना समवाद के इंटरव्यू हो ही नहीं सकता तो एक दूसरे से बातचीत करते हैं जो की समवाद है तो समवाद के बिना इंटरव्यू नहीं हो सकता ये आपको पता होना चाहिए सेकंड देखते हैं पात्र का बाहरी और आंतरिक व्यक्ति हो तो देखें हम क्या होता है हम नॉर्मली जैसे मान लो किसी का इंटरव्यू है और उस नेता का इंटरव्यू टीवी पे आ रहा है हम नॉर्मली किसी विक्ति को बाहरी रूप से जानते है हम उसको आंतरिक रूप से नहीं जाते हैं, लेकिन interview में कुछ आंतरिक question पूछे जाते हैं, यानि कुछ personal question पूछे जाते हैं, जीवन से related, कि आपके जीवन में कैसे हुआ, आप कैसे नेता बने, आपने इतना अच्छा काम कैसे करा, तो वो अंद्रूनी अपना संगर्ष, अपना बच्चपन, अपनी जवानी के दिन, जो भी उसके साथ हुआ, सारी चीजे वो बताता है, तो आंतरिक और बहारी दोनों ही, मतलब हमें जानकारी interview से मिलते हैं, ठीक है उसको देखा जाता है कि लेरे अब एक पॉइंट को समझते देखें समवाद के जरिए दो लोग आपस में जुड़ते हैं अकेला व्यक्ति कभी भी इंटरव्यू के रूप में परियुक्त नहीं हो सकता बिलकुल अब आप सोचो जब तक कोई दो व्यक्ति नहीं होंगे तब तक इंटरव्यू हो कैसे पाएगा अकेले थोड़ी कोई इंटरव्यू दे देगा मतलब वो कोई जादूगर थोड़ी है तो अब समवाद अपनी महत्वपूर्ण भूमिका नेभा पाएंगे समवाद किसी विचार को स्थापित करने विकसित करने व्यक्ति के चरीत्र को समझने या विश्वश्णियत निर्मित करने का काम समवाद जो है वह करते हैं ठीक है एक देखिए एक सीरीज की मेरे साख्षातकार यह सीरीज बनाई गई थी इसमें निर्मल वर्मा जो थे ठीक है इनके साख्षातकार का एक कारण है जैसे कि उसे क्वेश्चन पूछा गया था क्या आप जर्नल लिखते हैं तो उत्तर दिया था हां मैं कभी-कभी डायरी लिखता हूं आनियमित रूप से, यानि regular नहीं लिखता, फिर question पूछा गया था, आपने आलोचनात्मक साहित्य बहुत कम लिखा है, इसकी कोई खास वज़ा, तो उसने यह जवाब दिया, तो इस तरीके से क्या है, interview लिया जाता है, यानि question पूछा जाता है, और फिर वो सामने वाला पात्र का बाहरी और आंतरिक व्यक्तित्व यानि जिस व्यक्ति का इंटरव्यू लिया जा रहा है उसका बाहरी और आंतरिक जो पर्सनेलिटी है वो कैसी है उसको देखा जाएगा तो देखे इंटरव्यू के माध्यम से पाठक, दर्शक, श्रोता केवल किसी व्यक्ति के बाहरी रंगरूप या उसके चीजों से प्रभावित नहीं होते बलकि वो उसके आंतरिक द्वंद उसके अंदर जो चल रहा होता है उसको भी जानना चाहते हैं उसके आंतरिक द्वं� यानि उसकी जीवन यात्रा में जो उसने संगर्ष किये हैं उसको समझना चाहते हैं कि कैसे मानलो रतन टाटा का इंटरव्यू हो जाए तो सभी जानना चाहेंगे कि उन्होंने कैसे संगर्ष करके अपनी कंपनी को इतने उपर लेवल पर पहुचाया है हर कोई जानना चाहेगा एक दिन वो भी सफल हो जाएंगे ठीक है नेक्स्ट है दृष्टिकोन सांख्षातकार में जो क्वेश्चन पूछने वाला होता है और जो उत्तर देने वाला होता है दोनों का जो दृष्टिकोन है वो उभर कर सामने आना चाहिए दोनों का नजरिया सामने आना चाहिए जी� हर व्यक्ति की एक विचारधारा होती है, एक सोच होती है, और वो सोच जो है हमको interview के जरिये पता लगती है, कि ये समाज के बारे में क्या सोचता है, राजनीती के बारे में क्या सोचता है, ठीक है, धर्म के बारे में क्या सोचता है, क्या उसका नजरिया है, वो हमको पता ल� आपको बोलते हैं कि 10 दिन के बाद उनका interview है अब 10 दिन आप interview लेने की तयारी करोगे क्या करोगे आप question पहले तो आपको पता है interview हमेशा प्रश्न उतर सहली में होता है यानि कि questions होते हैं उसमें प्रश्न पूछे जाते हैं तो आप प्रश्न उतर सहली में क्या करोगे प्रश्नावली तयार करोगे question तयार करोगे यानि कि आप question तयार करोगे कि पहले नंबर चोता question आप क्या पूछना चाहोगे वो question पहले से तैयार करने होता है, ऐसा नहीं है कि random आपको किसी के सामने बिठा दिया और बोला एक सुरू कर दो interview, ऐसे नहीं होता, ऐसे फिर आप दो चार question पूछो कि आपके दिमाद में कुछ आएगा ही नहीं, तो ये बहुत महत्वपूर्ण है, कि साक्षातकार में लिख अच्छे विज्ञापन के क्या गुणों होते हैं, विज्ञापन लेखन के समय हमें किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, विज्ञापन के क्या उद्देशी होते हैं, कुछ भी पूछा जा सकता है, ठीक है, तो चलिए इन सारे कॉशन को समझते हैं, आप आराम से लिख पा� यानि जो बेचने वाला है वो भी advertisement के जरिये आसानी से product को बेच सकता है और जो खरीदने वाला है उसको भी product के बारे में अच्छे से जानकारी मिल जाती है आप TV देखते हो टेलिविजन के दोरान बहुत सारी ad आती है ठीक है advertisement आती है हो सकता है shampoo के ad हो, साबुन के ad हो, mobile के ad हो, television के ad हो XYZ किसी भी चीज के हो सकते है प्रिंट और एलेक्ट्रोनिक दोनों ही विदाओं में लोग प्रिय है आपने देखा होगा कई जगह पर साबून के पर्चे छपे होते हैं आप अखबार में चोटी कटिंग होती है वहां पर एड लगा रखे होते हैं ठीक है किसी की वेबसाइट पर आप पढ़ते हो वहां पर आपको दिखेगा यूट्यूब पर आपको दिखेगा हर जगह आपको प्रिंट और एलेक्ट्रोनिक दोनों माध्यम से आपको ए रेडियो के लिए अगर विज्ञापन की बात करें तो वो जिंगल के अंदाज में बनाए जाते हैं जिसे सुनकर श्रोता जो है उसको याद करें ठीक है बल्कि गुनगुना भी सकें यानि कि रेडियो में जो विज्ञापन आते हैं क्योंकि रेडियो में हम देख तो सकते है जो है वो सहज होनी चाहिए सरल होनी चाहिए आकर्षक होनी चाहिए इसका प्रयोग जो है क्योंकि आपको पता है FM में रेडियो में बहुत कुछ ही सेकंड के लिए हमको विज्ञापन सुनाई देता है विज्ञापन जैसे 30 सेकंड का एक विज्ञापन है विको टर्मरि विको टर्मरिक आयूरवेदिक क्रीम यह बहुत फेमस था यह बहुत फेमस हुआ था इस विज्ञापन को बाद में पहले रेडियो में आया था बाद में इसको टेलीवीजन में भी लाया गया यह बहुत फेमस हुआ तो इस तरीके से यानि कि सीधा नहीं बोलते विको उत्ता और आग्रह जगाने की कोशिश करते हैं यानि इतना ज्यादा उसको अट्रैक्टिव बनाते हैं कि लोगों के मन में उत्ता हो कि यार इस ब्रेंड का यह चीज लेना चाहिए इस ब्रेंड के बारे में जानकारी खट्टी करनी चाहिए भाषा की बार-बार दी जाने वाली जो प्रस्तुति क्योंकि बार-बार जब हमारे मन हमारे सामने एक ही चीज का ऐड आता है तो हमारे प्रण के भीतर उस वस्तु को खरीदने की इच्छा जागती है इसलिए आप देखोगे टीवी में बार-बार ऐड आते रहते हैं ठीक है और एक अच्छे विज्ञापन जो होता है उसका क्या गुण होता है एक अच्छा मान लो कोई अच्छा advertisement है तो उसकी क्या quality होनी चाहिए आपको क्या लगता है बाई तो देखे विज्ञापन हमेशा सरल होना चाहिए simple होना चाहिए, attractive होना चाहिए विज्ञापन में बोलनी चाहिए जो थोड़ी बहुत हमें लगे कि हाँ बई ऐसा हो सकता है हमने ऐसा तेल बनाया है जिसे गंजा लगाएगा इस तरीके के एड नहीं होने चाहिए जिसमें कोई विश्वास ही ना करे ठीक है ऐसा होना चाहिए जिसे लगे कि यहाँ भाई इसमें विश्वास किया जा सकता है और उस विश्वास को करकर ही लोग प्रोडक्ट को खरीदते है तो आपको सरल लिखना है सरल बताना है विज्ञापन की भाषा या फिर वो जिस भाषा में लिखा हो या जिस भाषा में बोला जा रहा हो वो सरल होनी चाहिए प्रभावशाली होनी चाहिए लोगों को आसानी समझ में आनी चाहिए शब्द ऐसे इस्तेमाल करने चाहिए जो लोग आसानी से समझ पाए ठीक है और प्रोडक्ट के बारे में जो उसके फीचर्स होते हैं जो उसके जो भी उसके मतलब गुण होते हैं उसको बहुत साधारन आप अट्रेक्ट हो जाओ उस प्रोडक्ट की तरफ विश्वस्थिया होना चाहिए प्रेरक होना चाहिए मोटिवेशनल कैसे गुण सरल आकरशक विश्वस्थिय प्रेरण बस चार शब्द भी आते हैं पेपर में लिखे अ खुद भाग खुद आपकी कलम चलेगी और आप लिख जाओगी क्योंकि पेपर में अपना आप इस दिमाग में आने लग जाता है ठीक है आगे है उसकी सूचना दे जनता तक उसके बारे में जानकारी चली जाए जनता का ध्यान आकर्षित किया जाए कि मार्केट में लोगों में इंट्रेस्ट उत्पन करना किसी भी प्रोडक्ट के प्रति ठीक है खरीदने की इच्छा उत्पन करना यानि कि अंदर जो एड होते हैं ऐसे जैसे एमडीएस मसाले आपने सुना हुआ एमडीएस और एमडीएच ऐसे करके आता था एक-एक मुझे याद आएगा आता था अभी भी आता होगा डेरी मिल्क जो होती है चॉकलेट उसका जैसे कि आपने सुनाओगा किस मी क्लोज यू आइज मिस्स मी आई कैंड जीव डियो लिप्स ऑन यू फिंगर टिप्स आई फीज यू आई स्माइल कम ओन माइ लिफ्ट एंड है पीड़नेस इन यू आईएस इसी तरीके से कुछ तामुझे अच्छे से आ नहीं इस तरीके के एड वह जानबूचकर मतलब इतना अट्रैक्टिव बनाने की कोशिश करते हो उसको कि आपका मन कर जाएगा कि वह चीज को खरीद ले एक एलाईसी का एड आता था बहुत साल पहले आप तो नहीं आता और ना चिंता ना फिकर ना है डर यह वादा है हमारा रिदम हर कदम ठीक है इस तरीके से तो यह जो एड होते हैं जानबूचकर उसको गाने में उसको जिंगल वाले बल्कि वो गाने के रूप में इसलिए दे रहे हैं ताकि आप उसे दो बार चार बार सुनोगे ना तो वो लाइने आपको याद हो जाएंगी वो आपकी दिमाग में उस चीज को मनो वेग्यर्निक रूप से घुशेड़ना जाते हैं आपकी दिमाग में कि वो चीज आपकी दिमाग में बैट जाए तो कल को आप जाओ अगर मार्केट में तो आप उसी प्रोड़क्ट को खरीद कर लाओ ठीक है तो यहाँ पर अपना व