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नेताजी का चश्मा
Jun 26, 2024
नेताजी का चश्मा - स्वयं प्रकाश
लेखक परिचय
स्वयं प्रकाश एक आधुनिक गायक एवं लेखक थे।
2019 में निधन हुआ।
कहानी का सारांश
कस्बे का परिचय
एक छोटा कस्बा जिसमें लड़कियों और लड़कों का स्कूल, नगरपालिका, फैक्ट्री आदि हैं।
हलदार साहब हर 15वें दिन इस कस्बे से गुजरते थे।
नगरपालिका ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाने का निश्चय किया।
मूर्ति बनाने और स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
मूर्ति स्थापना और चश्मे की कहानी
नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के बनाई गई।
शुरुआत में, मूर्ति पर असली चश्मा पहनाया गया।
समय-समय पर, मूर्ति का चश्मा बदलता रहा।
हलदार साहब ने इस बदलाव को देखा और पान वाले से पूछताछ की।
पानवाले न े बताया कि यह कैप्टन नाम के व्यक्ति का काम है, जो चश्मे बदलता है।
कैप्टन असल में एक लंगड़ा और गरीब व्यक्ति था।
नेताजी की मूर्ति पर चश्मे का प्रयोग, उसकी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने का एक तरीका था।
हालदार साहब की प्रतिक्रिया
उन्हें लगा कि कैप्टन ने देशभक्ति और नेताजी के प्रति सम्मान के कारण ऐसा किया।
बाद में पता चला कि कैप्टन की मृत्यु हो गई।
मूर्ति बिना चश्मे के देख हलदार साहब दुखी हुए।
एक दिन मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देखकर उनकी आंखें नम हो गईं। उन्होंने बच्चों में देशभक्ति की भावना देखी।
संदेश
देशभक्ति दिल से महसूस करनी चाहिए।
हमार े समाज में देशभक्ति की भावना जीवित है।
मूर्तियां हमारे लिए श्रद्धा का प्रतीक होती हैं, पर असल श्रद्धांजलि हमारे दिलों और कर्तव्यों में होनी चाहिए।
अगले चरण
अगले वीडियो में प्रश्न उत्तर सॉल्व करेंगे।
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