हेलो हेलो स्टूडेंट्स वेलकम बैक हम विप्लव इस वीडियो में काव्य खंड खत्म कर चुके हैं अब हम से विभाग के जो हमारे आगे आगे पाठ में गद्य खंड दिए गर्दन मतलब जहां पर अब हमारे पास स्टोरेज शुरू हो रही है हम अब वहां से शुरू करेंगे अभी तक हमने काव्य खंड की व्याख्याएं प्रश्न उत्तर सब किए अब जो है हम आपको पार्ट समझाएंगे कि स्टोरी है उसके अंदर क्या-क्या चीजें हैं तो सबसे पहले अब हम जाएंगे हमारा चैप्टर नंबर 10 नेता जी का चश्मा नेताजी का चश्मा क्या मतलब सुभाष चंद्र बोस उनके चश्मे से यहां पर मतलब तो अब शुरू करते हैं इसको लिखा है हमारे लिए स्वयं प्रकाश रूप मैं स्वयं प्रकाश जी काफी अच्छे आधुनिक गायक रहें अभी पिछले साल इनका निधन हुआ है हमारी बुक में उनके निधन से रिलेटेड कोई भी मेंटेन नहीं है लेकिन हम आपको रिटर्न की जानकारी दे रहे हैं कि 2019 में उनका देहावसान हुआ है तो जहां पर आप पलों की बुक में जीवन परिचय लिखा रहता है आप उसे लिख सकते हैं वहां पर 2009 में उनका देहावसान ठीक है और यह इनका देहावसान यहां गुना में हुआ था यह भी आप मुझे कर सकते हैं तो अब हम आगे बढ़ते हैं कि इस पाठ के अंदर है क्या है हैं तो यह एक कहानी शुरू होती है एक कस्बे से कस्बा में टाउन एरिया वह डू द बढ़ाने में एक स्कूल है लड़कों का एक लड़कियों का एक कारखाना में आपको स्क्रीन लगा दिया वहां पर नगरपालिका इतना सब एक छोटे से कस्बे की कहानी कहां से एक मैंने उन्हें फैक्ट्री के काम से जुड़ी हर दिन इस कस्बे से होकर गुजरना पड़ता कि यह जो कस्बे जिसके की बात कर रहे हैं हम यहां पर भी मूर्ति की स्थापना होगी तो वहां पर दो है उस क़स्बे से हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन गुजारना पड़ता था क्या हुआ वहां नगरपालिका थी उसने सोचा कि अगर जो हमारी टाउन एरिया है उसके मध्य में एक मूर्ति मूर्ति लगाने पर विचार हुआ तो मूर्ति के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति लगाई जाए तो उसे बनाने का खर्चा निकाला गया तो वह ज्यादा ही बहुत ज्यादा की जगह सब्सक्राइब बाजार चौराहे पर मूर्ति लगाने चाहिए और उसकी लागत करें बजट से ज्यादा जितना सोचा था उससे बजट से ज्यादा चली गई क्या किया गया वहां स्कूल के मास्टर मास्टर मास्टर मूर्ति बनवाने का काम सौंपा गया पुणे में चित्र बना दिया चित्र बनाकर जो है वह मूर्तिकार को सौंप दिया गया और कहा गया कि मूर्ति बनाइए अब क्या हुआ उन्होंने मूर्ति बनाने शुरू करें आप अगर मूर्ति बन कर आए तो नेताजी की आंख में चश्मा नेता सपोच ये नेता जी का कोई भी आप देखेंगे सब उन्होंने चश्मा लगा रखा लेकिन मूर्ति बन कर आए उसमें नेता जी की आंखों पर चश्मा नहीं था अब यहीं से शुरू होती टॉपिक नेताजी का चश्मा मूर्ति बनी सबसे पहले कैसे हमने बता दिया क्योंकि वह नहीं था बट उन्होंने स्कूल के मास्टर मास्टर मूर्ति को सौंप दिया गया उन्हों ने मूर्ति बनाई मूर्ति को बंद कर दो है और वैसे ही मूर्ति जो है लगा दी गई चश्मे के ऊपर ध्यान न देते हुए मूर्ति लगा दी गई क्या हुआ सच में चश्मे का चोरा काला फिल्म मूर्ति को पहना दिया गया अब मूर्ति मूर्ति स्थापित कर दी गई और एक चूड़ावत लगाते नेताजी के चौड़ा चश्मा उनकी आंखों पर लगाया फिर आगे क्या हुआ मूर्ति को ऐसे ही उन्होंने यह बता रहे हैं मूर्ति लगा दी गई थी ऐसे बिना चश्मे की और आपने पहली बार मूर्ति तो उन्होंने चौकोर फ्रेम का चश्मा पहने नेता जैसा चश्मा तो हलदार सामने पहली बार ऐसे मूर्ति देखिए यह भी ठीक है उन्होंने बोला कि उन्होंने नेताजी का स्वरूप चेंज कर दिया चश्मा तो थोड़ा चेंज हो गया उनको अच्छा लगा मूर्ति पत्थर लेकिन चश्मा रियल था पत्थर पत्थर की मूर्ति बनती है तो वह चश्मे का लोग भी पत्थर से दे दिया जाता है यह तार से बना दिया जाता नहीं ऐसा कुछ नहीं था लेकिन चश्मा लगाता वह रियल था जब हम आप पहनते हैं वह ऐसा चश्मा था तो उन्हें यह बड़ा अच्छा लगा दूसरी बार हालदार साहब कस्बे से गुजरे तो मूर्ति पर तार के फ्रेम वाला गोल चश्मा था अब चश्मा चेंज हो गया था पहले चौड़े प्रेम कथा अब क्या हुआ अब पतले तार वाला चश्मा थाल चाहिए जो कि क्या बात है इस बार जब वह परेशान तीसरी बार भी नया चश्मा फिर उनका चेंज हो गया तो तीसरी बार फिर से चश्मा था वह परेशान हो गए अरे यह क्या हुआ जब मैं आता हूं चश्मा ने उन्हें रोका नहीं गया उन्होंने वहीं चौराहे पर एक पान वाले की दुकान वाले के पास चले गए अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए व्यास आदि कि आखिर यह चश्मा कैसे बदल रहा है वह पूछने के लिए इसके बाद चले गए पान वाले के पास पान वाले से पूछ बैठे कि नेताजी का चश्मा हर बार बदल कैसे जाता है उन्होंने सीधे पूछ लिया अब पानवाला थल में खूब अच्छे से पानी भरे हुए था मोटा धुंध थी काला साधा बैठा हुआ था तो वह थोड़ा सा हटा जिससे उसकी पेटेंट हिला और उसने पीछे मुड़कर पान को थूका कि जवाब देना था उसको तो पान वाले ने बताया कि कैप्टन चश्मे वाला करता है यानि कि एक चैप्टर नाम का चश्मा वाला है वह उस कि चर्च में बदल देता है क्यों क्या हुआ कैप्टन नाम क्यों है बड़ी बात है एक चश्मे वाला है जो हर रोज आता है और यहीं पर रहता है और वहां उसके इनके नेता जी के चश्मे बदल देता है अब आगे बढ़ते हालदार समझ गए कि चश्मे वाले को नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे के बुरी लगती होंगी इसलिए उसने उपलब्ध फिल्मों में से एक को व नेता जी की मूर्ति पर फट फिट कर देगा देता होगा जब किसी ग्राहक को वैसा फ्रेम चाहिए होता था जैसा कि मूर्ति पर लगाए तो कैप्टन व प्रेम मूर्ति से उतारकर ग्राहक को देता और मूर्ति पर नया फिल्म लगा देता किसी कारणवश मूर्ति के लिए उद्दीन सचिव व ना ही नाथ कहने का मतलब अब पान वाले ने बता दिया कि चश्मा कैप्टन कैप्टन वाला बटन बदलता है चश्मे वाला तो उन्होंने सोचा कि अच्छा कैप्टन है यानि कि देश प्रेमी है एक देशभक्त है तो उन्होंने अंदर सामने क्या सोचा कि वह सकता है भाई चलो यह जो है उसको अच्छा नहीं लगता होगा देश प्रेमी है कि उनका चश्मा मूर्ति बगैर चश्मे की तो वह हर बार नया चश्मा लाता और लगा देता होगा और कोई दूसरा मांगता होगा तो वह वाला अवतार के ग्राहक को दे देता होगा उसकी जगह दूसरा चश्मा लगा देता होगा उन्होंने यही सोचा तो इस तरीके से उसके चश्मे के प्रमोशन भी हो जाते थे और उसकी बिक्री भी हो जाती थी हालदार साहब ने यह सोचा और आगे बढ़कर फिर आगे क्या हुआ है कि हालदार सामने पान वाले से जानना चाहा कि कैप्टन चश्मे वाला नेताजी का साथिया आजाद हिंद फौज का भूत फिर से चाहिए अब उन्हें ऐसी चीज लगी तो वह पान वाले से पूछते हैं क्या वह कोई देशभक्त है या आजाद हिंद फौज के साथ ही रहा है या नेताजी का साथ ही रहा है कि नाम कैप्टन था इससे वह थोड़ा कंफ्यूज कर रहे थे तो उन्होंने बोला क्या साथ पान वाले ने बताया कि कि क्या उन्होंने बताया कि नहीं वह एक लंगड़ा है मतलब वह एक पैर से लगा है और वह कभी भी फौज में नहीं गया अब आगे आते हैं यह तो उसका पागलपन यानि पानवाला उनको पागल करता रहता दाल को वाले द्वारा एक अच्छा नहीं लगा क्योंकि वह अपने प्रश्न का प्रमोशन चश्मा देशभक्ति की भावना लेकिन इस तरीके से मजा आया तो बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और वह क्या करें कहने का मतलब लगा दो साल के भीतर नेता जी की मूर्ति पर कई तरह के कि उसकी इतनी बेज्जती करने वाले को पैसे देकर चले जाते हैं है इधर जोड़ दो साल तक उसी में आते रहते हैं पान वाले से पान खाते हैं उससे बात करते हैं कैप्टन के बारे में तो उन्हें इस दौरान यह चीज पता चले कि उसकी कोई दुकान नहीं है वह ठंडे पर चश्मा लगाकर बेचता है यहां पर आकर बेचता है और वह दिल्ली उसके जब भी हलदार था बातें हमेशा नया चश्मा लगा पाते इस तरीके से 2 साल का समय बीत गया फिर एक दिन अचानक हालदार साहब फिर उसी कष्ट कस्बे से उतरेगा उस दिन नेताजी के चश्मे नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं था और यह देखकर वह बहुत तेजी से ठिठक गए क्या था आगे हैं कि एक बार जब हालदार साहब कस्बे से गुजर तो मूर्ति पर कोई चश्मा नहीं था वह बहुत ज्यादा परेशान हूं क्या पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया क्योंकि वह तो चश्मा लगा रहा था और क्या हुआ कैप्टन तो मर गया अब कौन चश्मा लगाएगा का या और फिर उन्हें बहुत दुख हुआ दुख इस बात का है कि नेताजी का चश्मा कोई नहीं लगाएगा दुख इस बात का कि कैप्टन मर गया उसके परिवार का क्या होगा या अब आगे की देशभक्ति कौन संभालेगा देश के कई कारण हो सकते हैं मगर वह दुखी था दुखी थे हालदार साहब और फिर 15 दिन बाद कस्बे से गुज़रे है तो वहां रुके नहीं क्यों नहीं रुके क्योंकि में नेताजी को बगैर चश्मे के नहीं देखना चाहते थे उन्हें बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था नेता जी की मूर्ति बगैर चटनी 1 है तो उन्होंने सिर जब भी गुजरते तो वहां से कोई उनको चश्मा लगा नहीं देखता उनके मन दुखी हो जाते तो इस बार 15 दिन बाद फिर उसके बाद उतरे तो उन्होंने अपने ड्राइवर थे उस से साफ मना कर दिया कि आज हम चौराहे पर रुकेंगे नहीं आजम पान नहीं करेंगे आज हम सीधे निकल जाएंगे क्योंकि वह बहुत दुखी थे तो अब क्या हुआ था लेकिन और मूर्ति की तरफ भी नहीं देखेंगे मतलब जो मूर्ति लगी है उसी तरह की मूर्ति को जब देखते ही राममूर्ति वे चश्मे की अच्छी नहीं लगती और कैप्टन कभी उनको ख्याल आ जाता तो उन्होंने बोला कि अब हम सीधे निकल जाएंगे हम मूर्ति की तरफ भी नहीं देखेंगे पाठ भी नहीं खायेंगे चौराहे पर भी नहीं रुकेंगे लेकिन जैसे ही है कस्बे के अंदर एंटर किए स्वभाविक शुभ कि हम जो चीज नहीं देखना चाहते हम उसी तरफ गर्दन घुमा आते हैं तो स्वभाव से परेशान हवलदार साहब ने मूर्ति की तरफ नजर घुमाई दी और देखा उसके ऊपर चश्मा लगा था प्रॉब्लम से गाड़ी रोकने के लिए बोला बहुत तेजी से ब्रेक के साथ गाड़ी रुकी इतनी तेज आवाज से कि आसपास के लोग देखने लगे गाड़ी रुकती उससे पहले ही हालदार साहब कूटकर जीत से बाहर हो गए और उन्होंने क्या देखा मूर्ति पर सरकंडों का चश्मा लगा था सरकार ने मतलब तू पतली पतली डंडियां होती है उसका चश्मा बनाकर किसी ने उस मूर्ति पर लगा दिया था और फिर या बीजेपी से उतरे और मूर्ति के सामने जाकर खड़े हुए मूर्ति की आंखों पर सरकंडे का छोटा सा चश्मा लगा था जैसे बच्चे बना लेते हैं यह देखकर हालदार साहब की आंखें नम हो गई जब हमने वह चश्मा देखा तो वह दिए गए मूर्ति के सामने और उनकी आंखें नम हो गई यानी कि यह नहीं थी वह बहुत ज्यादा खुश कारण यह था कि माना कि किसी के अंदर तो देश भक्ति की भावना जो नेता जी की मूर्ति को बगैर चश्मे के नहीं देख भले ही वह बच्चे हमारा भविष्य सुरक्षित है हमारे देश के बच्चों में आज भी व्यक्ति जीवित इस चीज के साथ उनकी आंखें नम हो गईं और उन्हें बहुत सुकून मिला तो इस तरीके से हमारा यहां पर खत्म होता है यह पाठ संदेश यह जरूरी नहीं कि कभी तपन में भी जो हम काम कर देते हैं वह भी देशभक्ति से रिलेटेड होता है और हमारे देश में जितने भी क्रांतिकारी वीर नेता हुए वह हमारे लिए आज भी सम्माननीय है जरूरी नहीं कि उनकी मूर्तियां भी हम हर जगह लगाएं हमारे दिल में हमारे भावों में अपने देश के प्रति प्रेम होना चाहिए और हमें यह पार्ट यही शिक्षा देता है कि सबसे पहले देशभक्ति अपने दिल से फील करिए फिर उन्हें अपने कर्तव्यों में उतारिए पाठ आपको बहुत अच्छा लगा होगा इंट्रस्टिंग भी है मजा भी आया होगा हम अपने नेक्स्ट वीडियो में इसकी प्रश्न उत्तर को सॉल्व करेंगे थैंक यू फाइन