क्या आपको पता है कि ग्लोबल फाइनेंचल क्राइसिस है क्या और इसके पीछे के आने की वज़ा क्या है और इसने इंडियन एकॉनमी को कैसे इंपैक्ट किया I tell you sir, when the world economies were facing recession at the time of this crisis, India was facing only slowdown इंडियन एकॉनमी ने सिर्फ slowdown witness किया और साथ में आइस बार की एकॉनमिक सर्वेई 2021-22 ने बात की है कि इंडियन एकॉनमी का कैसा response रहा है towards crisis तो जब global financial crisis आई थी तो इंडियन एकॉनमी ने कैसा response दिया जब taper tantrum 2012-13 का आया तो उस समय इंडियन एकॉनमी ने कैसा response किया और जब COVID-19 जैसी situation अभी जो हमने witness की है उस पर इंडियन एकॉनमी ने कैसा response किया है तो आपसे में इसमें सवाल पूछ सकता है कि क्या इंडियन एकॉनमी बहुत resilient बन रही है nowadays की crisis है क्या तो मैं आज को इस वीडियो में आपको समझाऊंगा कि ग्लोबल फाइनेंचियल क्राइसिस 2008 में जो आई थी वो है क्या अंतर तक देखिएगा वीडियो बहुत important insights आपको मिलने वाले हैं यहां पर उससे पहले आप चैनल को सब्सक्राइब जरूर कीजेगा, बहुत मेनद से आपके लिए वीडियो बनाते हैं, इस बेल को आउन कर लीजेगा ताकि आपको नोटिफिकेशन जल्दी से जल्दी मिल जाए, वीडियो को लाइक कीजेगा और शेयर जरूर कीजेगा, और अगर आ इस crisis को थोड़ा सा बारीकी में समस्ते हैं, थोड़ा सा background लेकर समझने कोशिश करते हैं हम समस्ते हैं कि 90s के दर्शक में USA की economy में हो क्या रहा था देखिए USA की economy में उनकी जो technology companies थी उन्हें बड़ा boom दिख रहा था 96, 97, 98, 99, 2000 खूब बूम दिख रहा था उनकी companies में, तो internet companies जो थी वो बहुत बूम कर रही थी, .com बूम कहते हैं इसे, लेकिन 2000 के बाद क्या हुआ, उन्होंने bust को देखा, यानि उनकी company में गिरावट आई, और उसकी वज़े से, इन company में जिन investors को हमना पैसा खूब डेल सरा लगा रखा और अपना पैसा डिकवर कर लिया तो पहली चीज यह हो रही थी दूसरी चीज इसकी वज़े से क्या हुआ कि फेडर रेजर्व ने देखा कि जब स्टॉक मार्केट में कोई अपना पैसा लगा नहीं रहा शेयर्स में पैसा इन्वेस्ट नहीं कर रहा तो कंपनी को इन्वेस और अगर आगे बात करें, तो basically अब ही investor जो थे, जोनोंने अपना पैसा stock market से निकाल लिया था, क्योंकि stock market में भारी गिरावट देख रहे थे वो लोग, तो उन्होंने सोचा कि जो हमारा पैसा है, इसको हम invest कहां करें, stock market में तो invest नहीं कर सकते हैं, और साथ में अपना पैसा bank एक sector उन्होंने identify किया उस sector का नाम था real estate sector real estate sector उस समय बड़ा boom कर रहा था 96, 97, 99, 2000 उस समय real estate sector बड़ा boom में जा रहा था तो real estate sector में boom की जाने की वज़ाई एक ये थी कि जो वहाँ का USA का government था वो भी demand को create कर रहा था real estate लीजिए तो real estate की demand basically बहुत जादा थी लेकिन supply करने वाले कम लोग थे तो उसकी वज़े से real estate के जो rate थे था वहाँ पर profit बहुत ज्यादा था उसकी वजह मैंने आपको बताई है कि गवर्नमेंट जो है वो इंकरेस कर रही थी लोगों को कि वो घर खरीदें और इसकी वजह से बहुत ज़्यादा इन्वेस्टमेंट जो लुक्रेटिव सेक्टर फार रियल इस्टेट सेक्टर और साथ में क्योंकि इंटरेस्ट रेट बह देते थे बिसिकली घर बनाते थे और रियल स्टेट को कहीं थे जमीन कहीं थे और उसके बाद क्या करते थे उसमें घर को कंस्ट्रक करते थे और लोगों को बीच इनको बड़ा profit मिल रहा था क्योंकि loan तो cheap थे तो ये लोग क्या करते थे जितने भी borrowers थे वो loan क्या करते थे bank से लेकर आते थे cheap loan लेकर आते थे घर बनाते थे घर बेचते थे और उसकी वज़े से profit कमाते थे समझ गए तो ऐसा चल रहा था वहाँ पर interest rate ऐसे थे इसकी वज़ बड़ा लिक्विडिटिव सेक्टर था और उन्होंने सोचा कि यहाँ पर पैसे इन्वेस्ट किये जाए क्यों नहीं यहाँ पर पैसे इन्वेस्ट करके हम प्रॉफिट जनरेट करते हैं तो ऐसा होना शुरू किया गया अब लोन देने वाला कौन था बैंक ल अब जिस तरह से real estate sector के लिए loan की requirement बढ़ी, loan की requirement बढ़ी और bank के पास उतनी liquidity नहीं थी, तो bank ने क्या किया, bank ने पैसे मांगने शुरू किया किससे, investment bank से, तो basically investment bank ऐसे bank है, जो basically companies को loan देती है, जो basically derivative trading में trade करती है, तो basically जो investment bank होते हैं, ये investment करते हैं, ऐसा समझ लीजिए आप, बहुत डेर सारे लोन की demand हो रही है और वो लोन जो है हम available करवाना चाहते हैं खूब डेर सारे लोगों को लोन देना चाहते हैं तो आप हमें पैसा दे दीजिए investment bank जो था उसने भी देखा कि हाँ यार ठीक कह रहा है यादमी क्योंकि उसने भी देखा कि real estate sector बड़ा boom में है तो उसने सोचा कि चलो क्यों नहीं बैंकों को loan में पैसा देकर हमें भी interest मिलेगा तो हमें भी जो है profit होगा तो investment bank ने सोचा कि चलो इस दौरान पर हम भी अपना profit बना लेते हैं और investment bank को पैसा दे कौन रहा था investment bank को पैसा दे कौन रहा था ये जो investors थे जो आपने देखे थे जो stock market अपना पैसा निकाल कर लाए थे उन्होंने अपना पैसा investment bank में लगा दिया और ये investment bank ने bank को पैसा दे दिया और bank ने पैसा किसको दिया real estate वालों को जो borrower थे जो real estate वाले थे जो borrower थे उनको पैसा दे दिया basically अब क्या हो जाता था जब कोई housing loan के लिए आता था तो bank पूरी तरह से उसकी जांच करता था पूरी तरह से सारे कागजात, pan card है, adhar card है जो भी वहाँ पर चलता था उनकी पूरी तहकिकात करता था सारे documents चेक करता था तभी उनको loan देता था लेकिन एक समय पर ऐसा हुआ क्योंकि real estate sector इतना boom में था कि ये bank को ने क्या करना शुरू किया ये उन्होंने ऐसे लोगों को loan देना शुरू किया जिनकी बॉ जिनकी repay करने की capacity नहीं थी जिनकी repay करने की capacity नहीं थी तो उन्होंने basically subprime borrowers को loan देना शुरू कर दिया क्यों लालच की चक्कर में की bank ने सोचा की चलो और loan देता हूँ क्योंकि investors पैसे दे रहे हैं तो basically bank के पास liquidity आ रही थी पीछे से inflow था liquidity का और उसने सोचा कि चलो ठीक है पैसे आ रहे हैं तो उसने इनको भी लोन देना शुरू कर दिया जो थे सब प्राइम बॉर्वर्ड्स जिनकी कैपेसिटी रीपे करने की नहीं थी उनको भी लोन देने शुरू कर दिया यानि उनके डॉकुमेंट चेक किये पर उतने ढंग से च बॉर्वर्स होते हैं जिनकी कैपेसिटी होती है पे करने की सब प्राइम बॉर्वर्स डू नोट हैव दा कैपेसिटी टू रीपेड लोन्स और इसकी वजह से ऐसा हुआ क्योंकि मैं ने बहुत डेर सारा लोन सब प्राइम बॉर्वर्स को दे प्राइसेस है, real estate की जो price है, वो धीरी धीरे कम होने लगे, तो मान लीज़े अगर ये borrower से, इन्होंने 50 लाख रुपए का loan लिया है, और loan लेने के बाद, अगर जो उन्होंने घर बनाया, उसकी कीमत 35 लाख रुपीज है, क्योंकि उत्ती demand है नहीं, तो उसकी अगर कीमत 35 है कि पहले आपको भी अपनी जेब से कुछ रुपए लगाना पड़ता है और बाकी बैंक पैसा आपको देता है ऐसा होता है लेकिन इस केस में ऐसा हो रहा था कि सप्राम बॉर्वर्स ऐसे थे कि ये अपनी जेब से एक बी रुपए नहीं लगा रहे थे बने लगा और बैंक ने लोन किससे ले रखा था investment bank से जैसे कि Lehman Brothers मैंने आपको पढ़ाया है base alarm 3 पढ़ रहे थे मुझसे समय मैंने आपको वहाँ पर बताया था कि Lehman Brothers बेसिकली bank को पैसा कैसे रिपे करें तो यह बेसिकली बैंकरप इन्वेस्टर्स थे, उनके पास भी पैसा नहीं क्योंकि उनका ही पैसा डूबा, और इन्वेस्टर्स कुछ लोग ऐसे भी थे, अगर थोड़ा सा टेक्निकल और जाएं, तो इन्वेस्टर्स ने बेसिकली इंशुरेंस कंपनी से इंशुरेंस करवा रखा था, तो बेसिकल ने क्या किया अपने investment जितना भी किया उसका insurance करवा रखा था कि अगर ये investment डूब गया तो insurance company liable होगी pay करने के लिए और basically इन विस्टर क्या करते थे insurance company को premium pay करते थे और premium करने की बाद क्या करते थे अपना insurance करवा लेते हैं लेते थे और insurance company भी सोच रही थी यार इतना housing sector boom में है और जितने भी loan दे रहे हैं सब triple a rated है triple a rated थे बो अ सारे loans तो उन्होंने सोचा इतने अच्छे rated loans है तो जायद सी बात हमारे पार premium ज्यादा आएगा हमें repay करनी जरूरत नहीं पड़ेगी तो हमारा insurance sector भी boom में जाएगा तो ऐसा हुआ इस वजह होने की वजह से investors का पैसा डूबा और जिन्नोंने insurance ले रखा था उन्होंने अपना insurance claim किया तो insurance जो दे रही थी companies basically उनको loss हो गया 95 billion dollar के blocks उनको loss हो गया और उसकी वजह से US government को bail out भी करना पड़ा 85 billion dollar देने भी पड़े insurance companies को to save that USA की economy को save करने के लिए तो basically ऐसा हुआ कि bank का NPA बढ़ गया अगर मैं आपको पूरा अगदम सार में बताओं तो ऐसा हुआ क्या वजह से यह हो रहा था कि real estate की price बहुत बढ़िया थे और यहां पर profit बढ़िया था तो profit बढ़िया होने की वजह से ले रहे थे bank से किस purpose के लिए real estate बनाने के लिए और bank बहुत देर सारे loan दे रहा था लेकिन subprime borrowers को भी बहुत देर सारे loan दे रहा था subprime borrowers को और bank के पास liquidity कहां से आ रही थी investment bank से और उनके पास liquidity आ रही थी investor से और investors जो investment कर रहे थे वो अपना insurance कहां करवा रहे थे insurance company से समझ रहे इस चीज को insurance company से investors जो है अपना insurance करवा ले रहे थे तो अगर ये subprime borrower ने loan पर default किया तो bank का NPA बड़ा non performing asset पैसा ले रखा था investment bank से तो ये डूब गए investor का पैसा लगा था तो ये डूब गए और जिन्होंने insurance करवा रखा था तो उसकी वज़े से insurance company को देना पड़ा पैसा तो insurance company डूब गई this was the whole crisis in the US economy this was the housing bubble ये real estate का जो bubble बना था वो एक दिन फूड गया 2005 में हमारे रघुराम राजन साहब IMF के उसमें chief थे उन्होंने ये बताया chief economist थे उन्होंने ये बताया था अपने research paper में कि ऐसी crisis आने वाली है रघुराम राजन is a learned person और उन्होंने ये सब्सक्राइब देखा था इस सब चीजों को predict कर लिया था कि ऐसा होने वाला है पर investment bank ये बड़ा मजाक उड़ाती थी उनका कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है ऐसा नहीं होने वाला है और 2008 में हमने वही चीज देखी जो रघुराम राजन साहब ने कहा था हमने उसी चीज को witness किया और उसकी वज़े से USA प्लस आई प्लस जी प्लस एनेक्स तो अगर इन इकॉनमी को इन्वेस्टमेंट नहीं मिलेगा तो जीडीपी बढ़ेगा कैसे तो बेसिकली जीडीपी डूपने लगी और वहाँ पर एक पूरी क्राइसिस आ गई और क्योंकि हमारा वर्ड एकदम लेकिन जब वर्ड की पूरी इकानोमी रेसिशन फेस कर रही थी इंडिया वॉज विटनेसिंग स्लोड डाउन ओली और इसका रीजन पर impact कम क्यों है पर अभी तक आप समझ गए कि ये पूरी global financial crisis है क्या crux समझ गए पूरा हो क्या रहा था बड़ा simple language में समझानी कोशिश किये बहुत typical नहीं किया चीजों को easy language में मैंने पूरा ये चीज आपको समझाईए और साथ में अगर मैं आपको बताओ कि इंडिया पर impact कम क्यों पड़ा जब पूरे world की economy recession पर जा रही थी हमें हमें slow down हमने slow down ही क्यों face किया हमने less severe impact हमको क्यों feel हुआ because of our lower dependence on export हमारा export बड़ा कम था इतना ज़दा export नहीं था वर्ड पर कि हमें ज्यादा impact हो सबसे पहली बात दूसरी बात हमारी GDP का जो sizeable contribution है वो domestic sources से external sources से नहीं था तो इतना interconnected हम नहीं थे हमारा export इतना ज्यादा नहीं था उसकी वजह से क्या हो रहा था कि GDP का most of the part हमारा जो था वो domestic था वो तो आ रही रहा था external जो sector था वो impact हुआ था तो हमें कम impact feel हुआ दूसरी बात तीसरी बात Indian banks had limited exposure to the US mortgage market stressed global financial institution तो India के जो banks थे उनका limited exposure था housing real estate sector से तो उन्होंने इतने धेर सारे loans वहाँ पर real estate sector को नहीं दिये थे उनकी वज़े से Indian banks तब भी बचे हुए थे साथ में थोड़ा बहुत impact पड़ा वो impact क्या था कि हमारा fiscal deficit बढ़ा हमारा fiscal deficit क्यों बढ़ा क्योंकि हमारे export जो है वो impact हो गए हैं बेसिकली और Indian government में भी अगर India जो है slowdown witness कर रहा है क्योंकि interconnected word हैं तो जाहिर सी बात है कि हमारा जो है revenue कम आएगा expenditure government ज़्यादा कर रहे है ये तो fiscal deficit बढ़ गया और 2008-09 तक हमारा 8.3% of GDP इतना fiscal deficit था, जो कि I think 2007-8 में अगर आप देखेंगे, या 2006-7 में देखेंगे, तो 2.3% of GDP का approx था, तो fiscal deficit हमारा बड़ा, साथ में हमारा current account deficit बड़ा, क्योंकि export तो हम नहीं कर रहे थे, लेकिन import तो हम करी रहे थे, जो crucial item था, उनका import तो था, उसकी वज़े से हमारा current account deficit बड़ा, 2.3% of GDP था 2008-9 में, ये बढ़कर 4.8% of GDP पहुँच गया 2012-13 में, और basically हमारे bank के non-performing asset तो बढ़े ही बड़े, non-performing asset बड़े, जो हम non performing asset की problem देखते हैं वो basically शुरुवात हुई थी 2008 से है तो यूएसे में जो फाइनेंशल क्राइसिस है जिसे हम सब प्राइम क्राइसिस बोलते हैं यूएस फाइनेंशल यूएस फाइनेंशल क्राइसिस बोलते हैं ग्लोबल फाइनेंशल क्राइसिस बोलते हैं यह जो हाउस बबल फूटा रियल सेट वर्ड को इंपैक्ट हुआ लेकिन इंडिया के केस में यह है कि हमने स्लोड डाउन विटनेस किया कम से कम जय हो कि हमने संडे को तो मैं आपको बताऊंगा कि हमारे कौन-कौन से पैरामीटर थे और इस वीडियो के बाद एक वीडियो मैं और आपके लिए चोटी से बनाऊंगा टेपल टैंटरम के उपर तो ये जो क्राइसिस दो हम समझ लेंगे तो हमें एकॉनोमिक सर्वे में अनालिसिस करने मे इन सब चीजों का जवाब हम और दे पाएंगे Economic Survey के Analysis के बाद I hope कि आपने इस चीज समझ लिए है अगर अच्छा लगे तो Like जरूर कीजेगा Share कीजेगा लोगों के साथ और Subscribe करना बिल्कुल न भूलिएगा Thank you, Namaste, Jai Hind