अस्तामने कुम, welcome to MBBS Lectures and हम start करेंगे medicine को तो medicine को start करने से पहले जैसे कि हमने fourth year में एक subject पढ़ा था pathology, special pathology, जिसमें हमने क्या discuss किया था हमने किसी भी disease, कोई भी ऐसी disease होती थी उसको हमने discuss किया था ठीक है कि disease जो है उसकी pathophysiology क्या है उसको हम discuss करते थे कि वो disease किस तरहां से हो रही है उसका mechanism क्या चल रहा है body के अंदर और पिर हम उसको माइक्रोस्कोप के नीचे देखते थे, उसके gross features देखते थे, उसके microscopic features देखते थे, तो it was actually what we studied in the pathology, यह हम pathology में पढ़ते होते थे, pathology जिसको आती है ना उसके लिए medicine बहुत easy है, क्योंकि medicine में हम क्या करेंगे, उसी disease को disease वही होगी, लेकिन हम उसको क्या कर कि ये signs हैं उसके अंदर, ये symptoms हैं, means कि clinical features आपने focus करने हैं patient के अंदर, ठीक है, अब जब आप clinical features देख लेते हो कि ये patient जो है, इसको लग रहा है मुझे ये disease होगी, फिर आप क्या करते हो कि आप उसका treatment start कर देते हो, on the basis of clinical features, ये नहीं है कि आप उसको investigate करोगे, उसके पैसे हर लेकिन अगर for example उन clinical features को देखते हो यह आपने जो diagnosis बनाया था, उसे आप treat करें पेशन को और वो पेशन ठीक नहीं हो रहा, फिर आप investigations की तरफ जाओगे और investigations में आप जो है वो फिर अपनी investigation of choice करोगे, क्योंकि investigations में तो बहुत ज़दा investigations आ जाती है, CT, MRI, X-ray हो गया, endoscopy हो ग ठीक है, investigation of choice for that disease क्या है, तो वो आपने investigation of choice जो है वो करनी होती है, और उसके बाद आप treatment of choice करते हो, ठीक है, treatment of choice करते हो आप उसके बाद, एक होती है कि आपकी disease को आप diagnose करेंगे, clinical feature से, और उसके बाद आप उसकी investigation of choice करवा रहे हो, ताकि आप diagnosis के तरफ चाह सको, और फिर जब आप treatment of choice करेगे और वो patient ठीक हो जाएगा, तो medicine में आप क्या करते हो, patient को investigate करते हो, उसको treat करते हो, और pathology में आप क्या करते थे, कि आपको disease का पता होना चाहिए, कि वो disease है क्या, ठीक है, for example, एक patient आपके पास, मैं example देती हूँ, कि symptoms and science patient आपके पास आगे, clinical features के साथ, कि उसको dysphagia हो रहे है, वो history examination की, उसकी age note की, प्रॉपर उसकी सारी हिस्ट्री ली, family history, social history, personal history ले ली, उसकी drug history, allergic history, surgical history ले ली उसकी, ठीक है, उससे जो है personally पूछा कि आप smoking करते हो या नहीं करते हैं, यह सब कुछ ठीक है, यह लेने के बाद आपने उससे पूछा कि आपकी जो है, मतलब उसकी दुरान presenting complaint आपने note की के patient कह अब आपने क्या करना है कि आप उसके signs and symptoms देखोगे, पेशन फोर इसांपल आपको यह कहता है, आप उससे पूछते हो डिस्फेजिया की थोड़ी सी investigation करना शुरू करते हो, कि फोर इसांपल आप पूछते हो कि आपको जो डिस्फेजिया हो रहा है, आपको जो खाना हाजम न पर एजांपल के पहले सॉलिड से हो रहा था अब लिक्विड से हो रहा है ठीक है और यह डिस्फेजिया जो इस तरह का है फिर वो आपको यह बताता है कि जो है ना फर एजांपल आप उसकी एज नोट करते हो 50 यर से कम होती है मतलब यूंग पेशन्ट है ठीक है वो कहते हैं और वो आपको देता है ये history के वो जो है ना मतलब वो ये बताता है कि रात के टाइम मुझे बहुत खांसी होती है nocturnal cough की complaint कर रहा है regurgitation की complaint कर रहा है ठीक है सीने में दर्द होती है ठीक है chest pain होती है थोरी सी हलकी हलकी ठीक है ये सारे clinical features दे रहा है जब ये सारे clinical features आप देख कि वो clinical features किस disease के हैं ठीक है तो वो किस disease के Ecclesia के है जितने भी clinical features मैंने आपको बताया है Ecclesia के हैं जब तक आपको पता नहीं होगा कि ये जो disease के clinical features patient मुझे बता रहा है Ecclesia के है मैंने पढ़े हुए है ठीक है तब तक आपको जो है वो diagnosis के तरफ आप नहीं जा सकते तो clinical features है आ� वेट लॉस के साथ आ रहा है, रात के टाइम उसको बहुत ज़रूरा खांसी होती है, नक्चर्नल कफ होती है, रीगर की टेशन होती है, सारा खाना बायर आ रहा होता है, उसको हार्ड बर्न होता है, और मतलब कि इस तरह सीने में ऐसे धरधर सी होती है, तो मैं इसको क्लिनिकल ठीक है और आपको डाइग्नोजिस का पता चल गया कि इसे एकलेजिया उसके बाद आप अगर वह ट्रीट नहीं हो रहा फिर आप इन्वेस्टिगेशन वगैरह भी इसकी बहुत सी इन्वेस्टिगेशन से हम डिस्कस करेंगे इसका ट्रीटमेंट क्या है वह डिस्कस करेंगे और पेशियन आपके पास डिस्फेजिया के साथ आएगा और हमने फिर वो जो है ना करना होगा डीडीज बनाने होगे कि डिस्फेजिया के कौन-कौन से डीडीज होते हैं और उसमें से हम पर्टिकुलरली क्लिनिकल फीचर्स देखते हैं वह डाइनोजिस के तरफ जाएंगे