लेक्चर नोट्स: मनी मार्केट
चाणक्या 2.0 सीरीज
सीए जसमीत सिंह द्वारा प्रस्तुत
इंट्रोडक्शन
- चाणक्या 2.0 सीरीज का अंतिम चैप्टर: मनी मार्केट
- तीन यूनिट्स में कवर होगा:
- यूनिट 1: मनी के डिमांड
- यूनिट 2: मनी के सप्लाई
- यूनिट 3: मॉनेटरी पॉलिसी
यूनिट 1: मनी के डिमांड
मनी का मीनिंग
- मनी: मतलब ऑफ पेमेंट और मिडियम ऑफ एक्सचेंज
- बार्टर सिस्टम की समस्याएँ, मनी ने सॉल्व की
- मनी: सबसे लिक्विड एसेट है
- मनी का उपयोग मॉडर्न डेज में डिजिटल फॉर्म में भी होता है
फिएट मनी (High Powered Money)
- गवर्नमेंट द्वारा इश्यूड करेंसी
- वैल्यू फिजिकल कमोडिटी (जैसे गोल्ड) द्वारा बैक्ड नहीं होती
मनी के कैरेक्टरिस्टिक्स
- जनरली एक्सेप्टेबल
- ड्यूरेबल और लॉन्ग लास्टिंग
- कॉग्निजेबल और यूनिफॉर्म
- पोर्टेबल और डिवाइज़िबल
डिमांड फॉर मनी
- डिराइव्ड डिमांड, लिक्विडिटी और स्टोर वैल्यू के कारण
- डिमांड फॉर मनी का इकोनॉमी में महत्व
मैन थ्योरीज ऑफ मनी डिमांड
- क्लासिकल (फिशर की थ्योरी)
- नियो-क्लासिकल (कैंब्रिज अप्रोच)
- लिक्विडिटी प्रेफरेंस थ्योरी (किंस)
यूनिट 2: मनी के सप्लाई
सप्लाई ऑफ मनी के डिटरमिनेंट्स
- सेंट्रल बैंक (आरबीआई)
- पब्लिक और कमर्शियल बैंक
- मनी मल्टीप्लायर का कांसेप्ट
मनी मल्टीप्लायर
- कैश रिज़र्व रेशियो (सीआरआर)
- स्टैटूटरी लिक्विड रेशियो (एसएलआर)
- करेंसी टू डिपॉज़िट रेशियो
- एक्सेस रिज़र्व रेशियो
मनी सप्लाई के मेजरमेंट
- मॉनेटरी एग्रीगेट्स: M1, M2, M3, M4
यूनिट 3: मॉनेटरी पॉलिसी
मॉनेटरी पॉलिसी का उद्देश्य
- इकोनॉमिक ग्रोथ और प्राइस स्टेबिलि टी
- इंफ्लेशन को कंट्रोल करना और रिसेशन को ओवरकम करना
मॉनेटरी पॉलिसी के फ्रेमवर्क
- ऑब्जेक्टिव्स
- ट्रांसमिशन (कैसे पॉलिसी से चेंज आते हैं)
- टूल्स (टेक्निक्स)
ऑब्जेक्टिव्स ऑफ मॉनेटरी पॉलिसी
- इकोनॉमिक ग्रोथ
- क्रेडिट फ्लो
- मॉडरेट इंटरेस्ट रेट्स
- मार्केट स्टेबिलिटी
ट्रांसमिशन मेकेनिज्म
- इंटरेस्ट रेट्स का इम्पैक्ट
- सेविंग और इन्वेस्टमेंट
- कैश फ्लो
- एसेट प्राइसेस और वेल्थ
- एक्सचेंज रेट्स
मॉनेटरी पॉलिसी के टूल्स
क्वांटिटेटिव टूल्स
- रिज़र्व रेशियो (सीआरआर, एसएलआर)
- ओपन मार्केट ऑपरेशन
क्वालिटेटिव टूल्स
- मार्जिन रिक्वायरमेंट
- मोरल सुए
- सिलेक्टिव क्रेडिट कंट्रोल
मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम (एमएसएस)
- बैंक रेट
- रेपो रेट
- रिवर्स रेपो रेट
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमए सएफ)