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मनी मार्केट

हेलो बच्चों कैसे हो आप लोग उम्मीद करता हूं सब लोग बहुत बढ़िया रहोगे दोस्तों बहुत-बहुत स्वागत है आप सभी लोगों का चाणक्या 2.0 सीरीज के अंदर मैं हूं आपका दोस्त आपका मेंटर सीए जसमीत सिंह और दोस्तों आज मैं आप लोग के लिए लेकर आया हूं बिजनेस इकोनॉमिक्स का चैप्टर नंबर एट मनी मार्केट है ना यह हमारा लास्ट चैप्टर होने वाला है बिजनेस इकोनॉमिक्स की सीरीज के अंदर बाकी सारे चैप्टर्स का वीडियो आपको लव सर और मैंने प्रोवाइड कर दिया है एंड दिस इज द फाइनल चैप्टर जो हम आज के सेशन में कवर अप करने वाले हैं यह चैप्टर हमारे पास तीन यूनिट्स में कवर होगा यूनिट वन मनी के डिमांड के बारे में बात करेगी कुछ थ्योरी इसके अंदर हम पढ़ेंगे यूनिट नंबर टू मनी के सप्लाई की बात करेगा और आपका यूनिट नंबर थ्री जो है वह आपके पास मॉनेटरी पॉलिसी की बात करेगा अगर तीनों यूनिट में इंपॉर्टेंस की बात करोगे तो इंपॉर्टेंट यूनिट यूनिट नंबर टू है और यूनिट नंबर थ्री है यूनिट नंबर वन उतना इंपॉर्टेंट नहीं है रीजन बीइंग इसमें थ्योरी है और थ्योरी से ज्यादा एग्जाम में आएगा ऐसा मेरे को नहीं लगता राइट लेकिन जो यूनिट नंबर टू है और यूनिट नंबर थ्री है वो आपके एग्जाम के लिए सुपर सुपर इंपॉर्टेंट है तो उसको हम तसल्ली से बढ़िया तरीके से करके चलेंगे एग्जाम में 10 नंबर के लिए ये चैप्टर आने वाला है तो हम यहां पर चीजों को स्टार्ट करते हैं विदाउट वेस्टिंग एनी टाइम एक चीज याद रखिएगा कि जहां कहीं पर भी हम एमसीक्यू प्रैक्टिस करेंगे वहां पर आपको वीडियो पॉज करना है पहले खुद से एमसीक्यू सॉल्व करना है एंड देन चेक करना है कि आपका आंसर करेक्ट था कि नहीं था राइट तो सर भगवान का नाम लेकर श्री गणेश करते हैं हमारे इस चैप्टर का और जल्दी से इसको रैप अप करते हैं तो सर मनी सप्लाई के अंदर सबसे पहली यूनिट द कांसेप्ट ऑफ मनी डिमांड इसके अंदर कुछ थ्योरी आएंगी इसके अंदर आपके पास कुछ थ्योरी आएंगी जब आएंगी तब बात कर लेंगे कि कैसे उसको डील करना है कौन सी इंपॉर्टेंट थ्योरी है सबसे पहले हम बात कर लेते हैं सर मनी का मीनिंग क्या होता है व्हाट इज मनी व्हाट इज मनी सर मनी एक ऐसा टूल है एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जिसे एक्सेप्ट किया जाता है सर इन अ कंसीडरेशन जब भी आप कोई चीज बाय करते हो या कोई भी चीज सेल करते हो तो आप बदले में क्या एक्सेप्ट करते हो मनी एक्सेप्ट करते हो हमें कोई चीज खरीदनी है तो कंसीडरेशन के तौर पर हमको मनी देना पड़ता है जब हम कोई चीज बेचते हैं तो उसके कंसीडरेशन में हमको मनी मिलता है तो मनी क्या है सर मनी एक मींस ऑफ पेमेंट है मनी एक मींस ऑफ पेमेंट है मनी क्या है सर मनी एक मीडियम ऑफ एक्सचेंज है हम मनी के थ्रू गुड्स एंड सर्विसेस क्या करते हैं एक्सचेंज करते हैं सर बाटर जब सिस्टम चला करता था तो क्या होता था अगर मेरे को वीट चाहिए और मेरे पास राइस है तो मुझे क्या करना है ऐसा पर्सन ढूंढना होता है जिसके पास वीट हो और जिसको राइस की जरूरत हो तो मैं उससे वीट ले लेता हूं और उसको राइस दे देता हूं मतलब वहां पर बाटर सिस्टम में देयर शुड बी मैचिंग ऑफ वांट्स मैचिंग ऑफ वांट्स का मतलब कि मुझे जो चाहिए वो सामने वाले के पास होना चाहिए और जो मेरे पास है उसकी रिक्वायरमेंट सामने वाले को होनी चाहिए तभी बाटर हो सकता है लेकिन मनी ने इस प्रॉब्लम को सॉल्व कर दिया उसने कहा कि सर कोई फर्क नहीं पड़ता आपके पास राइस है जिसको भी राइस चाहिए उसको दे दो बदले में पैसा आ जाएगा इस पैसे से आप वीट खरीद लो प्रॉब्लम सॉल्व आपको वह बंदा नहीं ढूंढना जिसके पास वीट है और राइस चाहिए आप डायरेक्टली मनी में काम करो ना मा आप डायरेक्टली मनी में काम करो ना आपका दिक्कत सॉल्व हो गया तो मनी क्या है एक मींस ऑफ पेमेंट है मनी क्या है एक मीडियम ऑफ एक्सचेंज है मनी क्या करता है परचेसिंग पावर को ट्रांसफर करता है आपके पेरेंट्स आपको पॉकेट मनी देते होंगे 1000 1500 500 600 जो भी आपको पॉकेट मनी मिलती है यह पॉकेट मनी जब आपके पास आती है तो आपके पास परचेसिंग पावर आती है फॉर एग्जांपल अगर आपके पेरेंट्स आपको 00 का पॉकेट मनी देते हैं तो आप 00 के गुड्स एंड सर्विसेस खरीद सकते हैं आपने पैसा नहीं कमाया पैसा कमाया आपके पेरेंट्स ने उन्होंने जब आपको पॉकेट मनी दी तो परचेसिंग पावर आपको दे दी परचेसिंग पावर ट्रांसफर कर दी तो मनी के साथ परचेसिंग पावर भी निकल कर आती है एनीथिंग दैट वुड एक्ट एज अ मीडियम ऑफ एक्सचेंज इज नॉट नेसेसरीली अ मनी कोई भी चीज जो मीडियम ऑफ एक्सचेंज है वो मनी हो ऐसा जरूरी नहीं है जैसे आप लोग अकाउंट्स में बिल ऑफ एक्सचेंज पढ़ते हो तो बिल ऑफ एक्सचेंज भी एक मीडियम ऑफ एक्सचेंज है लेकिन बिल ऑफ एक्सचेंज इज नॉट अ मनी जरूरी नहीं है कि सामने वाला व्यक्ति बिल ऑफ एक्सचेंज को एक्सेप्ट करे लेकिन मनी हर कोई एक्सेप्ट करता है तो बिल ऑफ एक्सचेंज जो होता है मे आल्सो बी अ मीडियम ऑफ एक्सचेंज बट इट इज नॉट अ मनी सिंस इट इज नॉट जनरली एक्सेप्टेड आपका जो मनी होता है वो मनी क्या रहता है सर जनरली एक्सेप्टेड होता है कॉमनली यूज्ड हो है मनी क्या है वह कॉमनली यूज्ड होता है और कॉमनली एक्सेप्टेड होता है कोई भी कंसीडरेशन में मनी को रिजेक्ट नहीं करता कोई भी कंसीडरेशन में मनी को रिजेक्ट नहीं करता लेकिन बिल ऑफ एक्सचेंज को रिजेक्ट किया जा सकता है तो बिल ऑफ एक्सचेंज को जनरली एक्सेप्ट नहीं किया जाता मनी जो होती है वह आपके पास मोस्ट लिक्विड एसेट होती है एज इट कैन बी यूज डायरेक्टली इंटेंटली कन्वेनिएंट एंड विदाउट एनी कॉस्ट और रिस्ट्रिक्शन टू मेक द पेमेंट इन मॉडर्न डेज मनी इज नॉट नेसेसरीली अ फिजिकल आइटम इट मे आल्सो कॉन्स्टिट्यूशन अ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स ऑब् वियस है आज की डेट में [संगीत] paytmbank.com आजकल य डिजिटल फॉर्म में भी होता है इसके बाद अगला कांसेप्ट आता है सर जी फीट मनी फीट मनी क्या होती है सर फिएट मनी को हम लोग हाई पावर्ड मनी भी बोलते हैं फिएट मनी को हम लोग हाई पावर्ड मनी भी बोलते हैं फिएट मनी इस बेसिकली अ करेंसी च इ इश्यूड बाय द गवर्नमेंट ठीक है इट इज अ करेंसी च इ इश बाय अ गवर्नमेंट तो हमारे पास जो करेंसी है जो ₹1 का नोट है ₹ का ₹10 का 2020 का ₹5000000 का यह क्या है यह फिएट मनी है यह क्या है यह फिएट मनी है सर ये जो करेंसी होती है यह बैग्ड नहीं होती है बाय फिजिकल कमोडिटी लाइक गोल्ड और सिल्वर बट रदर यह गवर्नमेंट द्वारा क्या है इश्यूड है इसकी गारंटी गवर्नमेंट ने दी है पुराने जमाने में क्या हुआ करता था सोने के सिक्के चला करते थे चांदी के सिक्के चला करते थे इन सिक्कों की वैल्यू कैसे डिराइवर होती थी गोल्ड की वैल्यू से जितनी गोल्ड की वैल्यू है उतनी सिक्के की वैल्यू है जितनी चांदी की वैल्यू है उतनी ही सिक्के की वैल्यू है लेकिन अब ऐसा सिस्टम क्या कर दिया गया है खत्म कर दिया गया है अब जो करेंसी गवर्नमेंट इशू करती है उसकी वैल्यू होती है और उसको कहीं पर भी बैकिंग नहीं मिलती वह किसी भी एसेट से बैग्ड नहीं होती वो किसी भी एसेट से बैग्ड नहीं होती उसपे गवर्नमेंट की गारंटी होती है उसपे कि की गारंटी होती है गवर्नमेंट की गारंटी होती है अगला पॉइंट निकल कर आता है सर कैरेक्टरिस्टिक क्या होते हैं मनी के मनी के कैरेक्टरिस्टिक क्या होता है सबसे पहला कैरेक्टरिस्टिक सर ये जनरली एक्सेप्टेबल होता है कोई भी इसको डिनायर दूसरा सर ये ड्यूरेबल एंड लॉन्ग लास्टिंग होता है सर इसकी लाइफ लंबी होती है देखो अब आप इंटेंशनली नोट को फाड़ होगे तो फट जाएगा आप नोट को जलाओ ग जल जाएगा लेकिन अगर आप उसे ठीक तरीके से इस्तेमाल करते हो तो वो लंबे समय तक चलता है ड्यूरेबल होता है और लॉन्ग लास्टिंग होता है कॉग्निजेबिलिटी सर आसानी से आप उसको आसानी से आप उसको रिकॉग्नाइज कर सकते हो आपको पता है कि कौन सा इंडिया का करेंसी है कौन सा यूएस का करेंसी है देख के पता चल जाता है कि यह करेंसी इंडिया की है कि नहीं कौन सा ₹1000000 का नोट है कौन सा ₹5000000 का नोट है ₹ का नोट है इजली आइडेंटिफिकेशन इसका पेपर अलग होता है इसकी इंक अलग होती है इसकी डाइज अलग होती है मोल्ड्स अलग होते हैं बहुत सारे सिक्योरिटी फीचर्स इस्तेमाल करे जाते हैं करेंसी नोट के अंदर तो इसको काउंटर फीट करना डुप्लीकेट करना आसान नहीं है सर रिलेटिवली स्केरस है मनी की सप्लाई अनलिमिटेड नहीं है ठीक है ना मनी की जो सप्लाई है वो रिलेटिवली क्या है स्कर्स है इसके बाद पोर्टेबल एंड इजली ट्रांसपोर्टेबल एक जगह से दूसरी जगह प इजली ट्रांसपोर्ट करा जा सकता है आप अपने जेब में लाखों रुपए लेकर घूम सकते हो कोई टेंशन वाली बात नहीं है अगला आता है पोजेस यूनिफॉर्म पजेसिंग यूनिफॉर्म मतलब जो 00 का नोट है जो मेरे पास है और जो आपके पास है जो पूरे इंडिया में हर लोगों के पास है वो सब सेम है यूनिफॉर्म है ऐसा नहीं कि मेरे 00 का नोट अलग है और आपका नोट अलग है जो नोट आपके पास है 500 का और जो मेरे पास नोट है वो दोनों नोट क्या है सेम है बच्चा कह रहा नहीं सर हमारे पास तो पुराना वाला है अबे पुराना वाला तो बंद हो गया ना जो नया वाला ₹5000000 का नोट है तुम्हारा और मेरा सेम है पुराना वाला करेंसी नोट तो चलेगा ही नहीं ना इसके बाद डिविजिबिलिटी है आप अपने पास बड़ी करेंसी नोट को छोटे फॉर्म में क्या कर सकते हो डिविजिबल कर सकते हो डिवाइड कर सकते हो तो अगर आपके पास ₹5000000 का नोट है तो उसको ₹1 के पांच नोट में कन्वर्ट कर सकते हैं आपके पास ₹5000000 का नोट है तो ₹ के 10 नोट में उसको कन्वर्ट कर सकते हैं आपके पास 500 का नोट है तो ₹10 के 50 नोट में उसे क्या कर सकते हैं कन्वर्ट कर सकते हैं मतलब बड़ी करेंसी को छोटे पार्ट्स में क्या किया जा सकता है डिवाइड किया जा सकता है अगला कांसेप्ट निकल कर आता है बेटा डिमांड फॉर मनी अगला कांसेप्ट आता है डिमांड फॉर मनी डिमांड फॉर मनी पैसा क्यों डिमांड किया जाता है डिमांड फॉर मनी इज द पीपल डिजायर टू होल्ड द मनी लोगों को पैसा होल्ड करने में अच्छा लगता है सर किसको पैसा अच्छा नहीं लगता हर किसी को पैसा अच्छा लगता है हर कोई चाहता है कि उसके पास ज्यादा धन दौलत हो है ना तो सर यहां पर लोगों की डिजायर होती है कि उनको पैसा होल्ड करना है इसीलिए मनी की डिमांड होती है और मनी की जो डिमांड है वह डिराइवर डिमांड है इस पे आप एमसीक्यू एक्सपेक्ट कर सकते हो एग्जाम में द डिमांड फॉर मनी इज बिकॉज ऑफ इट्स लिक्विडिटी सर मनी की डिमांड इसलिए है क्योंकि वो लिक्विड है हमें कोई कोई भी चीज खरीदनी है वहां पर इमीडिएट हम मनी का इस्तेमाल कर सकते हैं और मनी की स्टोर वैल्यू भी है मतलब इसे स्टोर करके रखा जा सकता है फ्यूचर में कोई चीज खरीदने के लिए डिमांड फॉर मनी रिफ्लेक्ट्स डिसीजन अबाउट हाउ मच ऑफ इंडिविजुअल्स वेल्थ इज हेल्ड एज अ मनी तो सर आपके पास आपकी वेल्थ में कितना मनी है देखो वेल्थ में घर भी आता है वेल्थ में कार भी आ जाती है तो जो आप एसेट्स होल्ड करते हो वो भी आती है लेकिन ज्यादा वेल दियर वही माना जाता है जिसके पास मनी ज्यादा होता है है ना तो अगर आपके पास मनी ज्यादा है तो आप ज्यादा वेल दि हो अगला पॉइंट आता है लद मनी गिव्स लिटिल और नो रिटर्न आपके पास पैसा जो घर पे पड़ा है तिजोरी पे लॉकर में उसपे क्या रिटर्न आ रहा है कोई रिटर्न नहीं आ रहा आपके पास जो पैसा सेविंग्स अकाउंट में भी पड़ा है उसपे 2 पर का रिटर्न आता है इंफ्लेशन 5 से 6 पर है करंट अकाउंट में तो इंटरेस्ट ही नहीं आता है ना तो यहां पर वो क्या बोल रहा है लद मनी गि लिटल और नो रिटर्न इकोनॉमिक एजेंट्स होल मनी इकोनॉमिक एजेंट्स मतलब पब्लिक बिजनेस इंस्टीट्यूशंस यह सब पैसा होल्ड करते हैं क्यों होल्ड करते हैं क्योंकि यह मोस्ट लिक्विड एसेट है और कन्वीनियंस वे है टू अंपलिंग आपको रिक्शे भाड़े के लिए पैसा देना है तो कैश होना चाहिए ना आपके पास मनी होना चाहिए ना आपके पास बिजली का बिल देना है राशन भरना है घर पे आपको इसके लिए पैसा चाहिए ना आपका अगर बिजनेस है तो आपको सैलरी देनी है अपने वर्कर्स को तो आपके पास पैसा होना चाहिए ना तो जो भी डेली टास्क है उनको पूरा करने के लिए आपको किसकी जरूरत लगती है पैसे की जरूरत लगती है अगला पॉइंट निकल कर आता है डिमांड फॉर मनी प्लेज सिग्निफिकेंट रोल इन द डिटरमिनेशन ऑफ इकोनॉमी इंटरेस्ट प्राइसेस एंड इनकम कह रहा है कि जो मनी की डिमांड है जो मनी की डिमांड है यह डिसाइड करती है कि इकोनॉमी में इंटरेस्ट रेट क्या होगा कम होगा कि ज्यादा होगा यह डिसाइड करती है कि इकोनॉमी में प्राइसेस क्या होंगे यह डिसाइड करती है कि लोगों की इनकम क्या होगी अगर मार्केट में ज्यादा मनी की डिमांड है इसका मतलब लोग ज्यादा खर्च करना चाहते हैं और ज्यादा खर्च करना चाहते हैं तो प्राइसेस क्या होंगे ज्यादा होंगे और मार्केट में अगर मनी की डिमांड नहीं है लोगों को ज्यादा पैसा हाथ में नहीं चाहिए बैंकों में पड़ा है ठीक है तो इसका मतलब यह हुआ इसका मतलब यह हुआ कि लोग ज्यादा पैसा खर्च करना नहीं चाहते लोग पैसा सेव करना चाहते हैं और अगर लोग पैसा ज्यादा सेव करना चाहते हैं खर्च करना नहीं चाहते इसका मतलब मार्केट में कंट्रक्शन रिसेशन का फेज चल रहा है प्राइसेस क्या होंगे चीजों के नीचे आएंगे राइट तो आपकी जो मनी की डिमांड है वो आपके पास बताती है हेल्प करती है यह बताने में कि इकोनॉमी में इंटरेस्ट रेट क्या चल रहा है इकोनॉमी में प्राइसेस क्या चल रहे हैं और इकोनॉमी में आपके पास इनकम क्या चल रही है राइट एवरीवन आगे क्या कहता है आपसे कह रहा सर आपके पास मनी की डिमांड आती है बिकॉज ऑफ इनकम एंड एक्सपेंडिचर जब लोग ज्यादा इनकम कमाते हैं तो उनके खर्चे भी ज्यादा होते हैं जब हायर इनकम होती है तो खर्चे भी ज्यादा होते हैं एंड अकॉर्डिंग आपकी मनी की डिमांड भी ज्यादा होती है ओबवियस है सर सर सुना है शाहरुख खान के बंगले का जो जो बिल आता है इलेक्ट्रिसिटी का वो कुछ 20 2 लाख रप का आता है तो मैं कहता हूं चलो बहुत ज्यादा होगा मार्केट में न्यूज आ गई होगी 20 2 लाख रप तो बहुत ज्यादा हो गया लेकिन मैं कहता हूं यार गिरी हालत में चार पा लाख रप महीने का बिल तो आ ही जाता होगा ना शाहरुख खान के बंगले का बिल इलेक्ट्रिसिटी का चार से 5 लाख लोगों के साल के पैकेज होते हैं लोगों के साल के पैकेजेस होते हैं तो मतलब जब आप ज्यादा इनकम कमाते हो तो आपके खर्चे भी उसी हिसाब से होते हैं हायर द इनकम हायर द एक्सपेंडिचर एंड हायर विल बी द डिमांड फॉर मनी दिस इज बिकॉज़ विद द हायर इनकम द टेंडेंसी टू एक्सपेंड विल आल्सो राइज एंड दस द डिमांड विल आल्सो राइज ओबवियस है ज्यादा इनकम होगी तो खर्चा ज्यादा करेंगे जनरल प्राइस इंडेक्स सर अगर महंगाई चल रही है महंगाई चल रही है तो पैसे की जरूरत ज्यादा पड़ेगी पहले दूध 1 लीटर ₹ 335 का आता था आज 1 लीटर दूध 065 का आता है इवन ₹ का भी आता है तो प्राइसेस डबल हो गए पहले 1 लीटर दूध खरीदने के लिए ₹ खर्च करने पड़ते थे अब वही 1 लीटर दूध के लिए ₹ खर्च करने पड़ रहे हैं ओबवियस है मनी की डिमांड क्या होगी बढ़ेगी पहले ₹ की जरूरत पड़ती थी अब 70 की पड़ रही है इंटरेस्ट अपॉर्चुनिटी कॉस्ट अगर आपका इंटरेस्ट रेट ज्यादा है मतलब अगर आपको एफडी अगर आपको एफडी 10 पर का इंटरेस्ट दे तो आप पैसा अपने पास रखोगे कि बैंक में रखोगे सर बैंक में रखेंगे फिर हम डिमांड नहीं करेंगे मनी की ज्यादा लेकिन अगर एफडी आपको 10 पर की जगह 4 पर का रिटर्न दे तो फिर आप कहोगे छोड़ो क्या करनी है एफडी पैसा मस्त कमाते हैं खर्च करते हैं खाओ पियो ऐश करो मित्रों एक ही जिंदगी मिली है बार-बार थोड़ना मिलेगी उड़ाते हैं पैसा इंटरेस्ट अपॉर्चुनिटी कॉस्ट अपॉर्चुनिटी कॉस्ट इज द इंटरेस्ट रेट अ पर्सन कुड अर्न जो इंटरेस्ट आप कमा सकते हो अगर आपका हायर रेट है मतलब आपको इंटरेस्ट ज्यादा मिल रहा है तो आपके पास ज्यादा टेंप्टेशन होगी कि आप पैसा क्या करो इन्वेस्ट करो आपके पास ज्यादा टेंप्टेशन होगी कि आप पैसा इन्वेस्ट करो और अगर आप पैसा इन्वेस्ट कर दोगे तो आपकी डिमांड फॉर मनी कम हो जाएगी वहीं पे अगर आपका इंटरेस्ट रेट कम है तो आप पैसा इन्वेस्ट नहीं करोगे आप खर्च करने पर ज्यादा विश्वास करोगे देयर इज इवर्स रिलेशन बिटवीन द इंटरेस्ट रेट एंड द डिमांड फॉर मनी इंटरेस्ट रेट ज्यादा होगा डिमांड फॉर मनी कम होगी इंटरेस्ट रेट कम होगा डिमांड फॉर मनी ज्यादा होगी डिग्री ऑफ फाइनेंशियल इनोवेशन जैसे आज की डेट में आप मेट्रोस पे चले जाओ मेट्रोस मतलब मेट्रो ट्रेन नहीं दिल्ली मुंबई चेन्नई कोलकाता जो बड़े शहर हैं अगर आप वहां पर चले जाओ तो वहां पर जो सब्जी वाला होता है ना उसके ठेले पर भी आपको मिल जाएगा वहां पर जो रिक्शे वाले हैं जो अपने ई रिक्शा चलाते हैं वह लोग भी अपना क्यूआर कोड रखते हैं मतलब ₹ का भाड़ा ₹ का भाड़ा भी वह क्यूआर कोड यानी कि paytm-in एटीएम यूपीआई बेस पेमेंट रिड्यूस द नीड फॉर होल्डिंग द कैश ग प एंड क्लासिकल अप्रोच कैंब्रिज अप्रोच इसे कैश बैलेंस अप्रोच भी बोलते हैं फिर तीसरी हमको पढ़नी है लिक्विडिटी प्रेफरेंस थ्योरी जो किंस ने दी थी और इसके बाद हमें तीन थ्योरी पढ़नी है जो किंस के बाद की है अब प्लीज मेरी बात को समझो आपका पेपर है एमसीक्यू बेस्ड लिखने को नहीं आएगी थ्योरी और थ्योरी थोड़ी बहुत कॉम्प्लेक्शन लेवल पर इतनी डीप चीजें आपसे नहीं पूछी जाएंगी यह थ्योरी आपको दी गई है एक जनरल अंडरस्टैंडिंग के लिए तो इन थ्योरी का जो क्रक्स होगा हम वो पढ़ेंगे वो समझेंगे और उस क्रक्स को ही आपको अपने दिमाग में स्टोर करना है आपको इन थ्योरी के पीछे बावरा नहीं हो जाना कि हाय मेरे को थ्योरी समझ में नहीं आ रही हाय मेरे को यह लाइन समझ में नहीं आ रही हाय इसका क्या मीनिंग है हाय हाय ओए होए हाय हाय ओए होए नहीं करना है समझ रहे हो मेरी बात यह आपको नहीं करना है आपको जो मैं अप्रोच बता रहा हूं जो क्रक्स दे रहा हूं वो क्रक्स को दिमाग में रखो उसी के बेस पर आपका क्वेश्चन बनेगा और उसी के बेसिस पर आप कर भी पाओगे ठीक है टेंशन मत लेना चलिए पहली बात करते हैं क्लासिकल अप्रोच या फिर फिशर्स अप्रोच की क्लासिकल एप्रोच या फिर फिशर्स अप्रोच की जिसे क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी भी बोला जाता है यह थ्योरी इर्विंग फिशर ने दी थी किसने दी थी इर्विंग फिशर ने दी थी ये येल यूनिवर्सिटी के इकोनॉमिस्ट हैं है ना इन्होंने किताब लिखी थी परचेसिंग पावर ऑफ मनी जो 1911 में आई थी उस किताब के अंदर यह क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी के बारे में बताया गया था तो एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से यह एमसीक्यू बन सकता है एग्जाम पॉइंट ऑफ व्यू से यह आपका एमसीक्यू बन सकता है कि भाई कौन सी किताब के अंदर आपके पास क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी आया था परचेसिंग पावर ऑफ मनी के अंदर आया था इर्विंग फिशर ने दिया था 1911 में दिया था इर्विंग फिशर कहते हैं कि लोग पैसा डिमांड करते हैं लोग पैसा डिमांड करते हैं ट्रांजैक्शन पर्पस के लिए ट्रांजैक्शन परपस मतलब कपड़े खरीदने के लिए खाने पीने के लिए घूमने फिरने के लिए है ना लोग ट्रांजैक्शन के लिए पैसा डिमांड करते हैं लोगों को सेविंग नहीं करनी लोगों को स्पेक्युलेटिव एक चीज के लिए पैसा डिमांड करते हैं दैट इज ट्रांजैक्शन पर्पस के लिए देखो हर थ्योरी के अंदर अपनी-अपनी अजमन होगी रियल लाइफ में ऐसा नहीं होता रियल लाइफ में हम पैसा सेव करते हैं फ्यूचर अनसर्टेनटीज के लिए रियल लाइफ में हम स्टॉक मार् माकेट में भी पैसा लगाते हैं जो पैसा सेव करते हैं उसे इन्वेस्ट भी करते हैं है ना लेकिन यहां पर अजमन चलेगी ठीक है कि मनी इज डिमांडेड ओनली फॉर द ट्रांजैक्शन पर्पस इसके बाद बोलता है कि सर स्ट्रांग रिलेशनशिप है बिटवीन मनी एंड प्राइस लेवल मनी एंड प्राइस लेवल मतलब पैसे का और इंफ्लेशन का ये जितनी पॉइंट्स मैं हाईलाइट कर रहा हूं सब इंपॉर्टेंट है तो क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी ने कहा क्वांटिटी थ्योरी ऑफ मनी ने कहा कि मनी का और प्राइस लेवल का बहुत स्ट्रांग रिलेशनशिप है बहुत स्ट्रांग रिलेशनशिप है मतलब महंगाई ज्यादा होगी तो आपको मनी ज्यादा चाहिए होगा जैसे मैंने अभी एग्जांपल दिया कि पहले 1 लीटर दूध ₹ 5 में आ जाता था और अब वही 1 लीटर दूध ₹ का आता है तो हमें अब वोह लीटर दूध खरीदने के लिए पैसा ज्यादा रखना पड़ेगा जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती जाएगी वैसे-वैसे मनी की डिमांड भी क्या होगी बढ़ती जाएगी इसके बाद फिशर्स ने कहा इसके बाद फिशर्स ने कहा कि सर जो सप्लाई ऑफ मनी होती है वो डिमांड ऑफ मनी के बराबर होती है इसके बाद फिशर भाई ने कहा कि जो सप्लाई ऑफ मनी होती है वो डिमांड ऑफ मनी के बराबर होती है डिमांड ऑफ मनी का मतलब क्या है सर डिमांड ऑफ मनी का मतलब है जो भी आपका प्राइस लेवल है मल्टीप्ला बाय आपके जो ट्रांजैक्शन है मल्टीप्ला बाय नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन जो भी आपका प्राइस लेवल है मल्टीप्ला बाय नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन इसको अपन डिनोट करते हैं प मल्टीप्ला बायटी से डिमांड ऑफ मनी कहां से आएगी डिमांड ऑफ मनी आएगी पीटी से प्राइस लेवल मल्टीप्ला बाय नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन और सप्लाई ऑफ मनी कहां से आएगा सप्लाई ऑफ मनी आएगा जो भी आपका मॉनेटरी बेस है जो भी आपका मॉनेटरी बेस है मॉनेटरी बेस बोले तो जितना मनी आपका सर्कुलेशन में है जितना पैसा आपका सर्कुलेशन में है जैसे इंडिया में 35.7 लाख करोड़ मनी आपके पास सर्कुलेशन में है तो मॉनेटरी बेस मॉनेटरी बेस मल्टीप्ला बाय वेलोसिटी सर वेलोसिटी मतलब कि वह पैसा कितनी बार घूमता है इकोनॉमी में अगर एक रुपया डाला जाए तो वह एक रुप कितनी बार घूमता है जैसे मैं अगर पैसा कमाता हूं तो वह पैसा खर्च करूंगा ना चलो आपसे शुरू करते हैं आपने मान लो पीडब्ल्यू पर पेड कोर्स खरीदा संपूर्णा का तो आपने पैसा पीडब्ल्यू को दिया मतलब आपने अपनी इनकम खर्च करी पीड को दे दी वह पीड की इनकम बन गई अब पीड ने मुझे हायर किया आपको पढ़ाने के लिए पीड ने मुझे मेरी फीस दे दी तो पीड ने आपसे पैसा कमाया और मेरे ऊपर खर्च कर दिया मैंने जो पैसा कमाया पीड से इससे मैंने अपने स्कूल के बच्चे की फीस दे दी तो यह पैसा ही तो घूम रहा है जो आपने पैसा पीडब्ल्यू को दिया वह पैसा मेरे पास आया जो मेरे पास आया मैंने आगे स्कूल को को दिया स्कूल अपने फैकल्टी मेंबर्स को एज अ फीस बांट देगा उनके फैकल्टी मेंबर्स अपने स्कूल के बच्चों की फीस देंगे तो ये पैसा इकोनॉमी में घूमेगा ना इसको बोलते हैं वेलोसिटी कि पैसा कितनी बार घूमेगा ये वेलोसिटी को माना जाता है कांस्टेंट वेलोसिटी को क्या माना जाता है कांस्टेंट माना जाता है तो आपका मनी सप्लाई जो होगी वो मनी डिमांड के बराबर होगी ऐसा फिशर ने कहा अब ये आपका सप्लाई ऑफ मनी कैसे निकलेगा एवी ए का मतलब जितना मनी सर्कुलेशन में है मल्टीप्ला बाय वेलोसिटी यह इक्वल्स टू होगा डिमांड फॉर मनी डिमांड फॉर मनी कैसे निकलेगा पीटी पी मतलब प्राइस लेवल और टी का मतलब नंबर ऑफ ट्रांजैक्शन बाद में फिशर ने अपने इस फॉर्मूले को थोड़ा सा चेंज किया और उसने अपने फॉर्मूले में जो क्रेडिट मनी है उसे भी लेकर आया क्रेडिट मनी बैंक क्या करता है लोन देता है लेंडिंग करता है तो बैंक जो पैसा लेंड करता है लोन के तौर पर देता है वह भी मनी सप्लाई का पार्ट बनता है हम पैसा बैंक में जमा करते हैं बैंक वह पैसा अपने पास नहीं रखता एज अ लोन बांट देता है तो सर जो लोन क्रिएट कर रहा है बैंक वह भी मनी सप्लाई का पार्ट बनेगा ऐसा फिशर ने कहा अब फिशर कहते हैं कि जो मनी सप्लाई है जो मनी सप्लाई है वह एवी ् एडवी ड है एवी प्लस m ' v ड है m ड क्या है m ड है आपका क्रेडिट मनी और v ' क्या है आपका वेलोसिटी ऑफ क्रेडिट मनी ये क्रेडिट मनी कितनी बार घूमेगा ठीक है अगेन हमने v को क्या माना है कांस्टेंट माना है वेलोसिटी हमारे पास क्या रहेगी हमेशा कांस्टेंट रहेगी जितने ज्यादा नंबर ऑफ ट्रांजैक्शंस होंगे जितने ज्यादा नंबर ऑफ ट्रांजैक्शंस होंगे उतनी ज्यादा आपके पास डिमांड होगी जितने ज्यादा आपके पास नंबर ऑफ ट्रांजैक्शंस होंगे उतनी ज्यादा डिमांड होगी जितना ज्यादा प्राइस लेवल होगा जितना ज्यादा इंफ्लेशन होगा उतनी ज्यादा आपके पास डिमांड होगी वापस से बोलूंगा कि यहां पर फिशर ने क्या बोला है कि सर पैसा केवल और केवल ट्रांजैक्शन परपस के लिए चाहिए केवल और केवल ट्रांजैक्शन परपस के लिए चाहिए ठीक है चलिए यह अप्रोच कंप्लीट होती है अब अगली अप्रोच पर चलते हैं अगली अप्रोच हमारे पास आती है कैश बैलेंस अप्रोच जिसको हम नियो क्लासिकल एप्रोच भी बोलते हैं और इसे हम कैंब्रिज अप्रोच भी बोलते हैं यह 1900 में कैंब्रिज के जो इकोनॉमिस्ट थे मार्शल बाबा एसी पगू और कुछ अदर इकोनॉमिस्ट थे उन्हो लोगों ने मिलकर नियो क्लासिकल थ्योरी बनाई जिसको कैश बैलेंस अप्रोच का नाम दिया गया नियो क्लासिकल अप्रोच के अंदर कैश बैलेंस अप्रोच के अंदर यह बोला गया कि पैसा दो पर्पस के लिए रखा जाता है एक ट्रांजैक्शन परपस के लिए रखा जाता है और एक प्रिकॉशनरी पर्पस के लिए रखा जाता है मतलब इन्होंने फिशर की बात को कंट्रा ट किया नियो क्लासिकल अप्रोच ने फिशर की बात को कंट्रा ट किया फिशर ने कहा कि पैसा केवल ट्रांजैक्शन परपस के लिए कैंब्रिज कहती है ना दो पर्पस के लिए ट्रांजैक्शन के लिए भी आज जो खर्चा करना है उसके लिए भी पैसा चाहिए और जो फ्यूचर में अनसर्टेनटीज क्वेक आ गया और मेरा घर टूट गया तो मेरे पास पैसे होने चाहिए वापस से अपना घर खड़ा करने के लिए मैं रास्ते में जा रहा हूं मेरा एक्सीडेंट हो गया मुझे हॉस्पिटल में एडमिट होना पड़ गया तो हॉस्पिटल के बिल के लिए मेरे पास पैसा होना चाहिए तो अगर फ्यूचर में कोई अनसर्टेनटीज उसको मीट आउट करने के लिए पैसा होना चाहिए ऐसी बात आपको इस अप्रोच के अंदर बताई गई कि आपको ट्रांजैक्शन मोटिव के लिए तो चाहिए ही साथ के साथ आपको प्रिकॉशनरी मोटिव के लिए भी चाहिए एज पर दिस थ्योरी डिमांड फॉर मनी डिपेंड्स पार्टली ऑन इनकम एंड पार्टली ऑन अदर फैक्टर सच एज इंटरेस्ट रेट वेल्थ एक्सेट्रा तो कह रहा है कि सर आपके पास डिमांड फॉर मनी आपकी इनकम पे भी डिपेंड करती है और मार्केट में क्या इंटरेस्ट रेट चल रहा है उस परे भी डिपेंड करती है और आपकी वेल्थ कितनी है उस परे भी डिपेंड करती है अगर आपकी वेल्थ ज्यादा होगी तो ऐसा हो सकता है कि आप प्रिकॉशनरी मनी कम रखो भाई आपके पास संपत्ति अगर ज्यादा है तो प्रिकॉशनरी मनी कम भी होगा तो चलेगा लेकिन अगर वेल्थ ज्यादा नहीं है तो प्रिकॉशनरी मनी आपके पास होना चाहिए हायर द इनकम ग्रेटर द क्वांटिटी ऑफ परचेसेस एंड द रिजल्ट ग्रेटर विल बी द नीड फॉर मनी एज अ टेंपररी अबोर्ड ऑफ द वैल्यू टू ओवरकम द ट्रांजैक्शन कॉस्ट तो यहां पर वो क्या बोल रहा है कि सर जितनी ज्यादा आपकी इनकम होगी जितनी ज्यादा आपकी इनकम होगी हायर द इनकम ग्रेटर द क्वांटिटी ऑफ परचेसेस आप माल भी ज्यादा खरीदोगे और अगर आप माल ज़्यादा खरीदोगे तो आपके पास डिमांड फॉर मनी भी क्या होगा ज्यादा निकल कर आएगा कैंब्रिज इक्वेशन के हिसाब से जो मनी डिमांड है एमडी का मतलब क्या है डिमांड फॉर मनी यह किसके बराबर होगा के पवा के बराबर होगा के का मतलब क्या है सर वह प्रोपोर्शन जो आप अपनी इनकम का कैश में रखना चाहते हो जैसे अगर आप 0000 कमाते हो हर महीना और आप इसका 70 पर कैश में रखना चाहते हो तो आपका के कितना हो गया 0.70 आपका के कितना हो गया 0.70 अगर आप लाख र कमाते हो अगर आप लाख र कमाते हो और अपना आप 60 पर कैश में रखना चाहते हो तो आपका के कितना हो गया 0.60 मतलब आप अपनी इनकम का कितना परसेंट कैश में रखना चाहते हो दैट इज के इसके बाद पी का मतलब क्या है पी का मतलब है प्राइस लेवल सामान के भाव क्या चल रहे हैं गुड्स एंड सर्विसेस का प्राइस लेवल क्या है गुड्स एंड सर्विसेस का प्राइस लेवल क्या है और वा का मतलब यहां पर क्या है वा का मतलब यहां पर है रियल नेशनल इनकम रियल का मतलब यह केवल आउटपुट की बात कर रहा है आपको नेशनल इनकम में सर्कुलर फ्लो ऑफ इनकम बताया गया था उसमें आपको मनी फ्लो रियल बताया गया था रियल फ्लो में केवल गुड्स एंड सर्विस होते हैं तो यहां पर वा का मतलब रियल इनकम अब देखो जब हम पवा कर रहे हैं जब हम पवा कर रहे हैं तो पवा में हम क्या कर रहे हैं प्राइस लेवल को आउटपुट से मल्टीप्लाई कर रहे हैं वा का मतलब क्या है यहां पर वा का मतलब क्या है वा का मतलब है रियल आउटपुट रियल आउटपुट यह आउटपुट है क्वांटिटी है क्वांटिटी है और यह आउटपुट क्या माना जाता है कांस्टेंट माना जाता है यह माना जाता है इकोनॉमी फुल एंप्लॉयमेंट लेवल पर ऑपरेट कर रही है इकोनॉमी फुल एंप्लॉयमेंट लेवल पर ऑपरेट कर रही है मतलब मैक्सिमम लेवल पर चल रही है तो आउटपुट यहां पर कौन सा वाला उठाया गया है फुल एंप्लॉयमेंट वाला उठाया गया है तो जब आप पीवा का मल्टीप्लाई करते हो प्राइस लेवल को आउटपुट के साथ मल्टीप्लाई कर देते हो तो आपके पास नॉमिनल नेशनल इनकम आ जाती है पीवा का मतलब क्या हो हो गया नॉमिनल नेशनल इनकम तो कैंब्रिज के अंदर कैंब्रिज के अंदर जो मनी डिमांड बताई गई है कैंब्रिज के अंदर जो मनी डिमांड बताई गई है वह किस पर बताई गई है केपी वाई के का मतलब वो प्रोपोर्शन ऑफ इनकम जो आप कैश में रखना चाहते हो p का मतलब प्राइस लेवल वा का मतलब रियल आउटपुट रियल नेशनल इनकम मतलब जो आउटपुट में डिनोट करी जा रही है और जब पवा कर दोगे तो पवा में आपके पास क्या निकल कर आ जाएगा पीवा में आपके पास निकल कर आ जाएगा अपने पास नॉमिनल नेशनल इनकम जितनी ज्यादा इनकम होगी उतना ज्यादा आप परचेस करोगे और जितना ज्यादा आप परचेस करोगे उतना ज्यादा आपके पास मनी की डिमांड निकल कर आएगी उतनी ज्यादा आपके पास मनी की डिमांड निकल कर आएगी राइट चलिए दोस्त इसके बाद अगली आपके पास अप्रोच आती है लिक्विडिटी प्रेफरेंस एप्रोच लिक्विडिटी प्रेफरेंस एप्रोच लिक्विडिटी प्रेफरेंस अप्रोच किसने दी थी हमारे प्यारे किंस बाबा ने दी थी लिक्विडिटी प्रेफरेंस अप्रोच किसने दी थी हमारे किंस बाबा ने दी थी इसमें कहा गया कि लोगों को पैसा चाहिए होता है तीन पर्पस के लिए लोगों को पैसा चाहिए होता है तीन पर्पस के लिए लोग तीन मोटिव से अपने पास पैसा रखते हैं सर यहां पर ट्रांजैक्शन मोटिव भी है प्रिकॉशनरी मोटिव भी है स्पेक्युलेटिव मोटिव भी है हम जैसे-जैसे आगे बढ़े मोटिव ऐड होते गए क्यूटीएम में केवल ट्रांजैक्शन था नियो क्लासिकल में ट्रांजैक्शन प्रिकॉशनरी था इसके बाद कींस के अंदर आपके पास ट्रांजैक्शन भी है प्रिकॉशनरी भी है और स्पेक्युलेटिव भी है तो आपकी जो टोटल डिमांड है मनी की वह तीन चीजों से बनेगी पहली ट्रांजैक्शन पर्पस के लिए दूसरी प्रिकॉशनरी पर्पस के लिए और तीसरी स्पेक्युलेटिव परपस के लिए स्पेक्युलेटिव परपस मतलब कि स्टॉक मार्केट में पैसा लगाएंगे स्टॉक मार् माकेट में पैसा लगाएंगे जब भाव नीचे होगा तो हम वहां पर शेयर्स डिबेंचर बॉन्ड्स खरीदेंगे और जब उन शेयर्स डिबेंचर बॉन्ड का भाव ऊपर जाएगा बेच के प्रॉफिट कमाएंगे तो यहां पर स्पेक्युलेटिंग और जैसे ही स्टॉक मार्केट ऊपर जाएगा अपन सिक्योरिटी क्या करेंगे बेच देंगे पहला पॉइंट आता है ट्रांजैक्शन मोटिव तो कह रहा है कि सर सर लोगों को कैश चाहिए ताकि वह अपने करंट ट्रांजैक्शन कर सके जो कि पर्सनल नेचर के हैं जो बिजनेस नेचर के हैं सर आपको स्कूल की फीस देनी है बच्चे की कपड़ा पहनना है इलेक्ट्रिसिटी का बिल टेलीफोन का बिल राशन पानी यह पर्सनल हो गए सर फैक्ट्री का रेंट हो गया फैक्ट्री के इलेक्ट्रिसिटी का बिल हो गया रॉ मटेरियल परचेस करना है वर्कर्स को सैलरी देनी है बिजनेस पर्पस हो गया इसके बाद वो कहता है कि सर देखो टाइम गैप है टाइम गैप है बिटवीन द रिसी ऑफ इनकम एंड द प्लान एक्सपेंडिचर देखो आपके पास रिसीप्ट रोज-रोज नहीं होती आपने आज परचेज किया है तो जरूरी थोड़ा ना है माल आज ही बिक जाएगा अगर आप सर्विस प्रोवाइड कर रहे हो तो आज आपने सर्विस प्रोवाइड करी है इसका मतलब आज ही आपको सैलरी थोड़ी ना मिल जाएगी तो रिसी अलग पॉइंट ऑफ टाइम पे होती है और खर्चे रेगुलर बेसिस पे आपको इनकर करने होते हैं कह रहा है नीड को हमने फर्द क्लासिफाई कर दिया हमने इस नीड को फर्द क्लासिफाई कर दिया इनकम मोटिव मतलब पर्सनल नेचर के खर्चे ट्रेड मोटिव यानी कि बिजनेस के खर्चे इनकम मोटिव पर्सनल खर्चे ट्रेड मोटिव बिजनेस के खर्चे ट्रांजैक्शन डिमांड इज डायरेक्टली रिलेटेड टू लेवल ऑफ इनकम एंड अनअफेक्टेड बाय द इंटरेस्ट रेट एग्जाम में एमसीक्यू आ सकता है कींस कहते हैं कि जो ट्रांजैक्शन मोटिव है वह हमारे पास लेवल ऑफ इनकम डिपेंड करेगा सेम ज्यादा इनकम है खर्चे ज्यादा होंगे ठीक है कह रहा है कि सर यह अनअफेक्टेड है अनअफेक्टेड है बाय द इंटरेस्ट रेट समझो बात को मुझे अगर घर पर राशन पानी भरना है महीने भर का 00 का तो वो मैं 00 का राशन पानी भरू कि अगर मुझे कोई शेयर सस्ता मिल जाएगा तो मैं शेयर खरीद लूंगा घर वालों से क्या कहूंगा देखो शेयर के भाव बढ़ रहे हैं उसी को देख देख देख कर पेट भर लो ऐसा तो नहीं करूंगा ना मुझे अगर ₹2000000 का राशन पानी लगता है महीने भर का तो वह मैं लगाऊंगा ना मुझे कितना भी अच्छा इंटरेस्ट मिल जाए कितना भी सस्ता स्टॉक मिल जाए मैं यह ₹2000000 वहां नहीं लगाऊंगा क्योंकि जो मेरी बेसिक नीड्स हैं वो तो मुझे फुलफिल करनी है ना उसमें अपन इनकम नहीं देखेंगे मतलब इंटरेस्ट रेट इज इरेलीवेंट मैं उस 2000000 पे कितना पैसा और बना सकता हूं दैट इज नॉट इंपॉर्टेंट तो ट्रांजैक्शन परपस के लिए आप आपको जो पैसा खर्च करना है वह करना ही करना है उसके लिए इंटरेस्ट लेवल इंपॉर्टेंट नहीं है उसके लिए इंटरेस्ट लेवल्स इंपॉर्टेंट नहीं है ट्रांजैक्शन डिमांड का फार्मूला दिया l आ = चाहते हो ट्रांजैक्शन परपस के लिए तो जैसे आप अपनी कमाई का 35 पर आप अपनी कमाई का 35 पर ट्रांजैक्शन पर्पस के लिए खर्च करते हो घर का राशन पानी इलेक्ट्रिसिटी का बिल टेलीफोन का बिल बच्चे के स्कूल की फीस 35 पर आप खर्च करते हो तो आपका यहां पर के कितना हो जाएगा 0.35 और आपकी अर्निंग्स अगर मान लो ₹ लाख की है तो आपका ट्रांजैक्शन पर परपस के लिए खर्चा कितने का होगा 35000 का होगा ठीक है जी इसके बाद आपको पैसा चाहिए प्रिकॉशनरी मोटिव के लिए प्रिकॉशनरी मोटिव मैंने आपको बता दिया कि सर इमरजेंसी के लिए फ्यूचर की इमरजेंसी के लिए इंडिविजुअल और बिजनेस अपना पोर्शन ऑफ इनकम रखते हैं फ्यूचर के अन फोरसीन अनप्रिडिक्टेबल अन एंटीसिपेटेड ट्रांजैक्शंस के लिए प्रिकॉशनरी डिमांड डिपेंड करता है ऑन द साइज ऑफ इनकम आपकी इनकम कितनी है आपके खर्चे कितने हैं इस पर डिपेंड करता है प्रिकॉशनरी डिमांड डिपेंड्स अपऑन द साइज ऑफ इनकम प्रीवेलिंग इकोनॉमिक एंड पॉलिटिकल कंडीशन मतलब अभी इकोनॉमिक कंडीशन क्या चल रही है सर इकोनॉमी अच्छा कर रही है तो प्रिकॉशनरी मनी कम चाहिए होगा अगर इकोनॉमी रिसेशन की तरफ जा रही है कंट्रक्शन की तरफ जा रही है तो फ्यूचर अंधेरे में दिख रहा है नौकरी जा सकती है तो प्रिकॉशनरी मनी ज्यादा होना चाहि चाहिए तो इकोनॉमी का फेज अगर ऊपर की तरफ है प्रिकॉशनरी मनी कम चलेगा इकोनॉमी का फेज नीचे की तरफ है तो प्रिकॉशनरी मनी आपको ज्यादा चाहिए इसके बाद आपका पर्सनल ट्रेट क्या है मतलब आप पर्सनली कैसे व्यक्ति हो आप ज्यादा रिस्क लेना पसंद करते हो तो आप प्रिकॉशनरी इनकम कम रखोगे और अगर आप ज्यादा रिस्क लेना पसंद नहीं करते तो प्रिकॉशन परपस के लिए आप पैसा अलग करके चलोगे प्रिकॉशनरी मोटिव कैश बैलेंस आर कंसीडर्ड इनकम इलास्टिक कंसीडर्ड इनकम इलास्टिक आपके प्रिकॉशनरी वाले इनकम इलास्टिक है ज्यादा इनकम होगी तो ज्यादा प्रिकॉशन करोगे एंड बाय इट सेल्फ नॉट वेरी सेंसिटिव टू द रेट ऑफ इंटरेस्ट यह रेट ऑफ इंटरेस्ट से ज्यादा सेंसिटिव नहीं है ट्रांजैक्शन में इंटरेस्ट का कोई इंपैक्ट ही नहीं था अनअफेक्टेड थे अनअफेक्टेड थे यहां पर नॉट वेरी सेंसिटिव नॉट वेरी सेंसिटिव ज्यादा सेंसिटिव नहीं है मतलब इंटरेस्ट रेट प्रिकॉशनरी मनी को इंपैक्ट करता है लेकिन ज्यादा नहीं इंपैक्ट करता है लेकिन ज्यादा नहीं ट्रांजैक्शन में तो इंपैक्ट ही नहीं करता था ट्रांजैक्शन में तो इंपैक्ट ही नहीं करता था लेकिन प्रिकॉशनरी में इंपैक्ट करता है लेकिन ज्यादा इंपैक्ट नहीं करता आगे क्या कहता है इसके बाद वह कहता है कि सर लोग स्पेक्युलेटिव परपस के लिए भी पैसा रखते हैं लोग स्पेक्युलेटिव परपस के लिए भी पैसा रखते हैं अब यहां पर जो बातें मैं आपको बता रहा हूं ना आप बस वह देखना ज्यादा दिमाग मत लगाना स्पेक्युलेटिव परपस में मैं आपको जो बातें बता रहा हूं आप केवल वह बातें दिमाग में रखना किंस कहते हैं किंस कहते हैं कि लोग स्पेक्युलेटिव परपस के लिए पैसा रखते हैं यहां पर स्पेक्युलेटिव परपस के लिए व कहते हैं कि अगर मान लो बंड्स है बंड्स यहां पर किसकी बात कर रहे हैं व बंड्स की बात कर रहे यहां पर वह किसकी बात कर रहे हैं बंड्स की बात कर रहे हैं कह र बंड्स के प्राइस अगर लो होंगे तो लोग क्या करेंगे लोग बंड्स बाय करेंगे एंड जैसे ही बंड्स के प्राइस हाई चले जाएंगे लोग क्या कर देंगे बॉन्ड सेल करके प्रॉफिट कमाएंगे और इस प्रॉफिट को क्या नाम दिया गया है कैपिटल गेन नाम दिया गया है वह क्या कमाएंगे कैपिटल गेन कमाएंगे वह कैपिटल गेन कमाएंगे और जब वह बॉन्ड्स बाय करेंगे तो वह इंटरेस्ट तो कमाएंगे ही क्योंकि बॉन्ड पे इंटरेस्ट मिलता है बॉन्ड पे इंटरेस्ट मिलता है तो जब लोग बंड खरीदेंगे तो बंड पर इंटरेस्ट कमाएंगे और जब बंड के भाव बढ़ जाएंगे तो बंड को बेच के प्रॉफिट कमाएंगे जिस प्रॉफिट को क्या नाम दिया गया कैपिटल गेन का नाम दिया गया कीस कहते हैं कि इंटरेस्ट रेट का एंड बॉन्ड का आपस में इवर्स रिलेशन है कींस कहते हैं ब के प्राइस का और इंटरेस्ट का आपस में इवर्स रिलेशन है किंस कहते हैं कि अगर आपको इंटरेस्ट ज्यादा मिल रहा है तो इसका मतलब बॉन्ड का प्राइस कम है और अगर आपको इंटरेस्ट कम मिल रहा है तो इसका मतलब बॉन्ड का प्राइस क्या है ज्यादा है इंटरेस्ट का और बॉन्ड के प्राइस का इवर्स रिलेशन होगा जब इंटरेस्ट ज्यादा होगा तो बॉन्ड का प्राइस कम होगा और जब इंटरेस्ट का रेट कम होगा तो बॉन्ड का प्राइस क्या होगा ज्यादा होगा तो बॉन्ड का प्राइस क्या होगा ज्यादा होगा अब प्लीज मेरी बात को समझना मेरी बात को समझना जब इंटरेस्ट रेट ज्यादा होगा और बॉन्ड का प्राइस कम होगा लोग यहां पर बॉन्ड को बाय करेंगे लोग बॉन्ड को यहां पर बाय करेंगे और जब आपका इंटरेस्ट रेट कम होगा और आपका बॉन्ड का प्राइस ज्यादा होगा तो लोग यहां पर बॉन्ड को सेल करेंगे सिंपल सा फंडा यह है पूरा का पूरा स्पेक्युलेटिव ट्रांजैक्शन का मतलब यह है पूरा का पूरा स्पेक्युलेटिव ट्रांजैक्शन का मतलब ठीक है अब यहां पर आओ यहां पर आओ यह वाले पॉइंट पर चलते हैं इन्वेस्टर हैव रिलेटिवली फिक्स कंसेप्ट ऑफ द नॉर्मल और द क्रिटिकल इंटरेस्ट एंड कंपेयर द करंट रेट ऑफ इंटरेस्ट विद सच नॉर्मल और क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट अगर करंट रेट ऑफ इंटरेस्ट क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट से ज्यादा है तो इन्वेस्टर एक्सपेक्ट करता है फॉल इन द इंटरेस्ट रेट यानी कि राइज इन द बॉन्ड प्राइस एंड नाउ दे विल कन्वर्ट देयर कैश इनटू बॉन्ड सिंस दे कैन अर्न हाई रेट ऑफ रिटर्न ऑन द बॉन्ड्स दे एक्सपेक्ट कैपिटल गेन रिजल्टिंग फ्रॉम राइज इन प्राइस इसका बिल्कुल अपोजिट हो जाएगा सर नहीं समझा बताता हूं मान लो एक इन्वेस्टर है वो एक्सपेक्ट कर रहा है कि उसको 12 पर का रिटर्न मिलना चाहिए एक इन्वेस्टर है उसके पास एक करोड़ रुप है एक इन्वेस्टर है उसके पास एक करोड़ रुपए है वो एक्सपेक्ट कर रहा है कि उसे 12 पर का रिटर्न मिलना चाहिए तो इस रिटर्न को क्या बोला गया है इस रिटर्न को बोला गया है बेटा इस रिटर्न को नाम दिया गया है नॉर्मल और क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट क्या नाम दिया गया है नॉर्मल और क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट नॉर्मल या फिर क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट नॉर्मल या फिर क्रिटिकल रेट ऑफ इंटरेस्ट अब वो कह रहा है कि सर अगर अब वो कह रहा है कि सर अगर आपका करंट रेट मतलब करंट इंटरेस्ट रेट मार्केट का इंटरेस्ट रेट यह क्या है मार्केट का इंटरेस्ट रेट अगर मार्केट का इंटरेस्ट रेट 12 पर से ज्यादा चल रहा है लेट्स सपोज 14 पर चल रहा है लेट्स सपोज 14 पर चल रहा है मार्केट का इंटरेस्ट रेट लेट्स सपोज 14 पर का चल रहा है तो इन्वेस्टर एक्सपेक्ट कर रहा है कि 12 पर का रिटर्न आना चाहिए लेकिन मार्केट 14 पर का रिटर्न दे मतलब मार्केट इन्वेस्टर की उम्मीद से ज्यादा का रिटर्न दे रही है तो अगर ज्यादा रिटर्न मिल रहा है इसका मतलब बॉन्ड का प्राइस क्या होगा इसका मतलब बॉन्ड का प्राइस क्या होगा कम होगा तो आज इन्वेस्टर क्या करेगा बॉन्ड के प्राइस को बाय करेगा आज इन्वेस्टर क्या करेगा बाय करेगा अब एक इन्वेस्टर बाय नहीं करेगा सारे इन्वेस्टर बाय करने में लग जाएंगे क्योंकि बॉन्ड सस्ता मिल रहा है ना मार्केट में में मार्केट में बॉन्ड सस्ता मिल रहा है तो सारे इन्वेस्टर बॉन्ड को बाय करने लगेंगे जैसे ही इन्वेस्टर बॉन्ड को बाय करने लगेंगे बॉन्ड महंगा होने लगेगा जब किसी चीज की डिमांड बढ़ती है तो वह महंगा होने लगता है तो बॉन्ड आपका क्या होगा महंगा होने लगेगा जैसे ही बॉन्ड आपका महंगा होने लगेगा जैसे ही आपका बॉन्ड महंगा होने लगेगा इसके बाद क्या होगा सर बॉन्ड के प्राइस बढ़ेंगे बॉन्ड के प्राइस बढ़ेंगे बॉन्ड का प्राइस बढ़ेगा मतलब इंटरेस्ट रेट घटेगा इंटरेस्ट रेट घटेगा तो अब इन्वेस्टर क्या करेंगे एग्जिट लेंगे इन्वेस्टर यहां पर क्या करेंगे सेल करेंगे इसका बिल्कुल उल्टा होगा अगर इन्वेस्टर एक्सपेक्ट कर रहा है कि अपने पास 12 पर का रिटर्न आना चाहिए लेकिन आपका जो करंट रेट चल रहा है वो आपके पास 10 पर का ही चल रहा है तो इस केस में क्या होगा इस केस में क्या होगा इस केस में क्या होगा बॉन्ड का प्राइस हाई है इस केस में बंड का प्राइस हाई है इंटरेस्ट आपका कहां चल रहा है लो पर चल रहा है तो यहां पर हम इन्वेस्टमेंट नहीं करेंगे यहां पर हम इन्वेस्टमेंट नहीं करेंगे हम यहां पर होल्ड करके चलेंगे मनी को हम यहां पर होल्ड करके चलेंगे मनी को और यही वो सिचुएशन है जिसको लिक्विडिटी ट्रैप के नाम से भी जाना जाता है यही वह सिचुएशन है जिसको लिक्विडिटी ट्रैप के नाम से भी जाना जाता है कि सर आपका जो इन्वेस्टर है वह अपने पास वह अपने पास वह अपने पास मनी को होल्ड करता है रदर देन इन्वेस्टमेंट मनी को होल्ड करता है रदर देन इन्वेस्टमेंट ठीक है इसके बाद किं सियन थ्योरी के बाद की बात करते हैं किंसन थ्योरी के बाद की बात करते हैं इसमें सबसे पहले वेंट्री अप्रोच आई इसमें सबसे पहले इन्वेंटरी अप्रोच आई इसमें मैं आपको जितनी बात बता रहा हूं केवल उतनी याद रखना जितनी बात मैं आपको बता रहा हूं आप केवल उतनी बात याद रखना आपकी इन्वेंटरी अप्रोच आई इन्वेंटरी अप्रोच किसने दी बमल ने दी किसने दी बमल ने दी बमल कहता है कि आपका जो मनी होता है ना आपका जो मनी होता है उसको दो तरीके से रखा जाता है या तो उसको कैश फॉर्म में रखा जाता है या तो उसको इन्वेस्ट कर दिया जाता है इन बॉन्ड्स टू अर्न इंटरेस्ट या फिर उनको बॉन्ड्स में इन्वेस्ट कर दिया जाता है टू अर्न इंटरेस्ट आप पैसे को दो तरीके से स्टोर करते हो या तो आप पैसे को कैश फॉर्म में रखते हो या तो आप पैसे को इन्वेस्ट कर देते हो इन बॉन्ड्स टू अर्न इंटरेस्ट या फिर आप पैसे को इन्वेस्ट कर देते हो इन बंड्स टू अर्न इंटरेस्ट प्लीज मेरी बात को समझना तो कह रहा है कि सर आपको एक एक्यूरेट बैलेंस बनाना पड़ेगा एक प्रॉपर बैलेंस बनाना पड़ेगा कि आप अपने पास ऑप्टिमम लेवल ऑफ कैश रखो आप अपने पास ऑप्टिमम लेवल ऑफ कैश रखो एंड बैलेंस पैसा आप बंड में इन्वेस्ट कर दो एंड बैलेंस पैसा आप बंड में इ वेस्ट कर दो अब कितना पैसा आपको कैश में रखना है और कितना पैसा आपको इन्वेस्ट करना है इसके लिए बमल ने एक फार्मूला दे दिया बोमल कहते हैं कि आपको जो कैश बैलेंस अपने पास मेंटेन करना है बमल कहते हैं आपको जो कैश बैलेंस अपने पास मेंटेन करना है दैट विल बी स इक्व 2 बवाप आ का अंडर रूट ये फार्मूला याद कर लेना ये आपके पास एग्जाम में आए सी इट बीवा अपन आ का अंडर रूट जिसके अंदर बी क्या है ब्रोकर की फीस है बी क्या है ब्रोकर की फीस है वा क्या है आपकी इनकम है और आई क्या है आपका इंटरेस्ट रेट है तो जैसे मान लो ब्रोकर की फीस जो है वो 1 पर की है और आप की इनकम जो है वह लाख रप की है और आपका इंटरेस्ट रेट जो है वह 10 पर का है तो आपको कितना कैश बैलेंस मेंटेन करना चाहिए एस पर बमल बमल कहते 2 इन लख या 2 इन 1 पर इन लख डिवाइडेड बाय 10 पर इसका अंडर रूट इतना कैश आपको अपने पास क्या करना चाहिए मेंटेन करना चाहिए तो आपके पास 1 लाख का 1 पर / 10 * 2 20000 का अंडर रूट आपको अपने पास कैश बैलेंस मेंटेन करके चलना चाहिए 14142 इतना कैश बैलेंस आप अपने पास रखेंगे और जब इतना पैसा खर्च हो जाएगा फिर से पैसा बॉन्ड से निकाल लेंगे मतलब रिमेनिंग अमाउंट आपको क्या करनी है बॉन्ड में इन्वेस्ट करनी है इतना कैश बैलेंस आप मेंटेन करेंगे और बाकी आप क्या करेंगे अपने पास बॉन्ड्स में इन्वेस्ट करते हुए चलेंगे ठीक है इसमें और ज्यादा लोड मत लेना इतना आई थिंक काफी है बाकी आप एक बार रीड लगा लो ठीक है तो बोमल और टोबिन इन्होंने ये अप्रोच दिया था इन्होंने कहा था कि पैसा आप मनी में रख सकते हो इंटरेस्ट बेयरिंग बॉन्ड्स में रख सकते हो ठीक है इसके बाद वो कह रहे हैं कि इनकम आपके पास एक पॉइंट ऑफ टाइम पे होती है और खर्चे आपके ओवर द पीरियड ऑफ टाइम पे होते हैं जैसे सैलरी मेरे को महीने के आखिरी में मिलती है लेकिन खर्चा थ्रू आउट द मंथ होता है तो कह रहा है जितना पैसा आपको ट्रांजैक्शन के लिए चाहिए खर्चों के लिए चाहिए वो रख लो और जो बैलेंस पैसा है एक्सेस कैश ओवर अबब व्हाट इज रिक्वायर्ड फॉर द ट्रांजैक्शन ड्यूरिंग द पीरियड उसे आप क्या कर दो बॉन्ड्स में इन्वेस्ट कर दो जितनी ज्यादा आपके पास इनकम होगी उतना ज्यादा आपके पास एवरेज लेवल ऑफ कैश होगा सेम हर जगह पे सेम पॉइंट आ रहा है जितनी ज्यादा इनकम उतना ज्यादा कैश मेंटेन होगा देयर इज डायरेक्ट रिलेशनशिप बिटवीन द इनकम एंड द एवरेज मनी होल्डिंग राइट होल्डिंग कैश इवॉल्व अपॉर्चुनिटी कॉस्ट अगर आप कैश होल्ड करते हो तो इसमें अपॉर्चुनिटी कॉस्ट है आप इंटरेस्ट कमा सकते हो लेकिन नहीं कमा रहे अगर आप पैसा अगर आप पैसा इन्वेस्ट नहीं कर रहे तो आपको इंटरेस्ट नहीं मिलेगा आप पैसा वेस्ट नहीं कर रहे तो आपको इंटरेस्ट नहीं मिलेगा राइट तो वही आपकी क्या है अपॉर्चुनिटी कॉस्ट तो होल्डिंग कैश इवॉल्व अपॉर्चुनिटी कॉस्ट तो यह कहते हैं कि आपको ऑप्टिमम कैश बैलेंस जो है वो अपने पास मेंटेन करना है और बैलेंस पैसा आपको कहां पर लगाना है बॉन्ड्स में लगाना है ताकि आपकी अपॉर्चुनिटी कॉस्ट क्या हो सके मिनिमाइज हो सके इसके बाद अगली दो थ्योरी जो है बेटा फीडर मैन की थ्योरी और आपके पास डिमांड फॉर मनी एज अ बिहेवियर टुवर्ड्स रिस्क यह दोनों बिल्कुल जनरल है इनको जस्ट आप एक बार रीड करना लोड मत लेना मेन जो चारों थ्योरी थी वह मैंने आपके पास करा दिए मेन जो आपके पास चारों थ्योरी थी वह मैंने आपके पास करा दी है बाकी थ्योरी को आप केवल और केवल एक बार रीड मार लेना बेटा इनको जस्ट एक बार रीड कर लेना नॉट दैट इंपॉर्टेंट मेन चीजें जो थी इन्वेंटरी अप्रोच डिटी और नियो क्लासिकल यह मैंने करा दी इन चारों में भी अगर आप मोस्ट इंपॉर्टेंट की बात करोगे तो मोस्ट इंपॉर्टेंट आपके पास कींस वाली थ्योरी है मोस्ट इंपॉर्टेंट आपके पास कींस वाली थ्योरी है राइट आइए अब इसके हम लोग कुछ क्वेश्चंस एक बार देख लेते हैं एंड देन हम लोग यूनिट नंबर टू की तरफ आगे बढ़ेंगे चलिए पहला क्वेश्चन आ रहा है हायर द डैश हायर वुड बी द डैश ऑफ होल्डिंग कैश एंड लोअर विल बी द डैश हायर द डैश हायर वुड बी द डैश ऑफ होल्डिंग कैश एंड लोअर विल बी द डैश आपके सामने क्वेश्चन है फिट करके देखिए कौन सा पॉइंट फिट हो रहा है सर अगर आपके पास हायर इंटरेस्ट रेट होगा अगर आपके पास हायर इंटरेस्ट रेट होगा हायर अपॉर्चुनिटी कॉस्ट होगी आप अगर नोटिस करो तो चारों ऑप्शन में अपॉर्चुनिटी कॉस्ट बीच में आ रहा है यानी कि इस वाले कॉलम में तो अपॉर्चुनिटी कॉस्ट ही आएगा हायर इंटरेस्ट होगा तो हायर अपॉर्चुनिटी कॉस्ट होगी और जब इंटरेस्ट ज्यादा है अपॉर्चुनिटी कॉस्ट ज्यादा है तो हम ज्यादा कैश होल्ड नहीं करेंगे हम ज्यादा कैश बैंकों में जमा कर देंगे बॉन्ड्स में लगा देंगे तो यहां पर हमारी जो डिमांड फॉर मनी होगी वो लोअर होगी हमारी जो डिमांड फॉर मनी होगी वह लोअर होगी यानी कि करेक्ट ऑप्शन आपके पास बनेगा यहां पर डी डी विल बी द करेक्ट ऑप्शन कैंब्रिज अप्रोच को हम लोग क्या बोलते हैं कैश बैलेंस अप्रोच फिशर्स अप्रोच क्लासिकल अप्रोच और किंसन अप्रोच सर कैंब्रिज अप्रोच नियो क्लासिकल अप्रोच थी इसको हमारे पास किसने दिया था मार्शल ने और पीगो ने दिया था इसको कैश बैलेंस भी बोलते रियल मनी क्या होता है नॉमिनल मनी एडजस्ट टू द प्राइस लेवल रियल नेशनल इनकम मनी डिमांडेड एट गिवन रेट ऑफ इंटरेस्ट और नॉमिनल जीएनपी डिवाइडेड बाय द प्राइस लेवल रियल मनी रियल मनी मतलब जिसमें इंफ्लेशन का इंपैक्ट नहीं है रियल मनी जिसमें इंफ्लेशन का इंपैक्ट नहीं है नॉमिनल मनी में इन्फ्लेशन एडजस्ट होता है नॉमिनल मनी में इंफ्लेशन एडजस्ट होता है ठीक है तो अगर नॉमिनल मनी में से इंफ्लेशन को हटा दो नॉमिनल मनी में से इंफ्लेशन को हटा दो तो आपके पास क्या आ जाएगा रियल मनी तो आपके पास करेक्ट आंसर हो जाएगा ए प्रिकॉशनरी बैलेंस वांट्स टू होल्ड प्रिकॉशनरी मनी बैलेंस पीपल वांट टू होल्ड यह इनकम इलास्टिक होता है और सेंसिटिव नहीं होता रेट ऑफ इंटरेस्ट से इनकम इन इलास्टिक होता है और बहुत सेंसिटिव होता है रेट ऑफ इंटरेस्ट से डिटरमाइंड प्राइमर बाय द लेवल ऑफ ट्रांजैक्शन आर डिटरमाइंड प्राइमर बाय द करंट लेवल ऑफ ट्रांजैक्शन अभी थोड़ी देर पहले मैंने आपको कराया था कि सर प्रिकॉशनरी जो होता है वह इनकम इलास्टिक भी होता है और ज्यादा सेंसिटिव भी नहीं होता टू द रेट ऑफ इंटरेस्ट अगला क्वेश्चन स्पेक्युलेटिव डिमांड फॉर मनी स्पेक्युलेटिव डिमांड फॉर मनी इज नॉट डिटरमिन बाय द इंटरेस्ट रेट इज पॉजिटिवली रिलेटेड टू द इंटरेस्ट रेट नेगेटिवली रिलेटेड टू द इंटरेस्ट रेट इट इज डिटरमाइंड बाय द जनरल प्राइस लेवल तो सर स्पेक्युलेटिव डिमांड स्पेक्युलेटिव डिमांड आपके पास क्यों आती है स्पेक्युलेटिव डिमांड आपके पास क्यों आती है स्पेक्युलेटिव डिमांड स्पेक्युलेटिव डिमांड रेट ऑफ इंटरेस्ट आपको चाहिए होता है हायर द इंटरेस्ट रेट लोअर द स्पेक्युलेटिव डिमांड फॉर मनी एंड वाइस वर्सा मतलब इन्वर्सली रिलेटेड होता है इन्वर्सली रिलेटेड होता है इन्वर्सली रिलेटेड तो आपके पास यहां पर जो आंसर आएगा दैट विल बी नेगेटिवली रिलेटेड टू द इंटरेस्ट रेट कम इंटरेस्ट रेट होगा हम बॉन्ड में पैसा लगाएंगे नहीं होगा तो नहीं लगाएंगे राइट और इसी के साथ हमारे पास यूनिट नंबर वन जो है बेटा वो कंप्लीट होती है और अब अपन जो है वो वार्तालाप करेंगे यूनिट नंबर टू को लेकर राइट चलिए बच्चों अब बात करते हैं हमारे पास यूनिट नंबर टू की मनी सप्लाई या फिर सप्लाई ऑफ मनी फर्स्ट यूनिट के अंदर हमने डिमांड ऑफ मनी देखा कि पैसे की डिमांड क्यों होती है थ्योरी पढ़ी और अब हम देखेंगे सर मनी की सप्लाई कहां से आती है इकोनॉमी में पैसा कहां से आता है यह हम इस चैप्टर के अंदर पढ़ने वाले बहुत ही इंटरेस्टिंग आपके पास होने वाली है यह वाली यूनिट सबसे पहले हम बात करेंगे कि सप्लाई ऑफ मनी स्टॉक का कांसेप्ट है कि फ्लो का कांसेप्ट है स्टॉक का मतलब होता है कांस्टेंट स्टॉक का मतलब होता है कांस्टेंट और स्टॉक का कांसेप्ट हमेशा किसी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम पर होता है किसी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम पे होता है और आपका जो फ्लो का कांसेप्ट होता है यह डायनेमिक होता है इट कीप्स ऑन चेंजिंग और फ्लो को हम मेजर करते हैं ड्यूरिंग द पीरियड ऑफ टाइम फ्लो को हम मेजर करते हैं ड्यूरिंग द पीरियड ऑफ टाइम तो जैसे मुझे अगर यह पता लगाना है कि इस वक्त इस वक्त इकोनॉमी में कितनी करेंसी सर्कुलेट कर रही है तो मैं कैसे पता लगाऊंगा सर सर मैं गल करूंगा मैं गल करूंगा और गल से पूछूंगा गल मुझको यह बताओ गल मुझको यह बताओ इंडियन रुपी इन सर्कुलेशन कितना है एस पर आरबीआई इस वक्त इंडियन रुपी का सर्कुलेशन कितना है तो कह रहा है कि सर एज ऑफ ड म 2024 3 म 2024 को जो रिपोर्ट आई है उस रिपोर्ट के मुताबिक उस रिपोर्ट के मुताबिक इस वक्त 3 करोड़ 57 11754 मिलियन रुपी सर्कुलेशन पे है 3 करोड़ 57 लाख 11754 यानी कि मैं ऐसा बोल सकता हूं यहां पर यानी कि मैं यहां पर ऐसा बोल सकता हूं 3 प 57 करोड़ मिलियन आई एन आर इतना रुपया इस वक्त इंडिया में सर्कुलेशन में है तो दिस इज द मनी सप्लाई यह कौन सा कांसेप्ट है य स्टॉक है स्टॉक दिस इज अ स्टॉक कांसेप्ट दिस इज अ स्टॉक कांसेप्ट हमने इसको कब मेजर किया थर्ड मे को मेजर किया एट पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम थर्ड मे को मेजर किया एट पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम तो पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम पर हमारे पास इतना मनी सर्कुलेशन इंडिया में है इसके बाद कहता है इसके बाद आपसे वोह कहता है इसके बाद वो आपसे कहता है जनरली अच्छा पूरा रीड कर देते सप्लाई ऑफ मनी रेफर्स टू द टोटल अमाउंट ऑफ मनी एट एनी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम एट एनी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम देयर फोर इट इज अ स्टॉक कांसेप्ट तो हम मनी सप्लाई को मेजर कर रहे हैं किसी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम पे हम मनी सप्लाई को मेजर कर रहे हैं किसी पर्टिकुलर पॉइंट ऑफ टाइम पे इसलिए यह क्या है स्टॉक कांसेप्ट जो मैंने अभी आपको दिखाया कि ड म को आपके पास 3.57 करोड़ मिलियन रुप सर्कुलेशन पे है इसके बाद कहता है चेंज इन द स्टॉक ऑफ मनी दैट इज इंक्रीज और डिक्रीज पर मंथ पर ईयर इज अ फ्लो वेरिएबल इज अ फ्लो वेरिएबल तो कह रहा है कि जब हम चेंज आइडेंटिफिकेशन टेड दैट देयर इज 3.57 करोड़ मिलियन वाज इन सर्कुलेशन दिस इज अ 7.8 पर इनक्रीस फ्रॉम द प्रीवियस फाइनेंशियल ईयर अब यह चेंज बता रहा है यह चेंज बता रहा है पिछले साल पिछले साल पिछले साल पिछले साल लास्ट ईयर थर्ड में 2000 23 को हमारे पास कितने थे 33.4 लाख करोड़ हमारे पास कितने थे 33.4 लख करोड़ और हमारे पास ड मे 24 को कितने हैं 35 प 71 लख करोड़ यानी कि हमारे पास 7.8 पर का इनक्रीस आ गया यह इंक्रीज किसको रिप्रेजेंट कर रहा है यह इंक्रीज आपका रिप्रेजेंट कर रहा है फ्लो को तो जब हम किसी पर्टिकुलर डेट पे मनी सर्कुलेशन चेक करेंगे तो वह स्टॉक का कॉन्सेप्ट है और अगर अपन चेंज को मेजर करेंगे तो वह चेंज आपके लिए कौन सा कांसेप्ट है फ्लो का कांसेप्ट है चेंज आपके लिए कौन सा कांसेप्ट है फ्लो का कांसेप्ट है स्टॉक ऑफ मनी तो जब हम स्टॉक ऑफ मनी की बात करते हैं तो हम उस पैसे की बात करते हैं जो पब्लिक के पास है जनरली स्टॉक ऑफ मनी जनरली स्टॉक ऑफ मनी रेफर्स टू द स्टॉक ऑफ मनी अवेलेबल टू द अवेलेबल टू द पब्लिक एज अ मींस ऑफ पेमेंट एंड अ स्टोर ऑफ वैल्यू कह रहा है सर स्टॉक ऑफ मनी से हमारा मतलब है वह पैसा जो पब्लिक के पास है वह पैसा जो पब्लिक के पास है उसे अपन क्या बोलेंगे स्टॉक ऑफ मनी बोल के चलेंगे फिर क्या कह रहा है स्टॉक ऑफ मनी इज ऑलवेज लेस देन द टोटल स्टॉक ऑफ मनी दैट रियली एजिस्ट इन द इकोनॉमी तो कह रहा है पब्लिक के पास जो पैसा है पब्लिक के पास जो पैसा है वह हमेशा लेस होगा एज कंपेयर टू टोटल स्टॉक ऑफ मनी जो इकोनॉमी में एजिस्ट करता है कह रहा है कि सर हम यहां पर जब स्टॉक ऑफ मनी की बात करते हैं तो स्टॉक ऑफ मनी का मतलब वह मनी जो पब्लिक के पास है स्टॉक ऑफ मनी का मतलब वो मनी जो पब्लिक के पास है हम उस पैसे की की बात कर रहे हैं और हमेशा एक बात याद रखना कि जो स्टॉक ऑफ मनी होगा वो आपका हमेशा टोटल स्टॉक ऑफ मनी से कम होगा मतलब पब्लिक के पास जो पैसा है वो पैसा इकोनॉमी में जो पैसा है उसके कंपैरिजन में हमेशा कम होगा सर पब्लिक में कौन आता है सर पब्लिक में कौन आता है पब्लिक पब्लिक पब्लिक पब्लिक पब्लिक पब्लिक में कौन आता है ये इंपॉर्टेंट डेफिनेशन है एग्जाम में इस पे एमसीक्यू आ सकता है पब्लिक में कौन आ गया सर हाउसहोल्ड आ गई फर्म्स आ गए इंस्टीट्यूशंस आ गए है ना तो यह अपने पास पब्लिक में आ गए इसके बाद जो कॉजी गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस है सर यह क्या होते हैं बेटा यह गवर्नमेंट डिपार्टमेंट्स होते हैं जो पब्लिक को सर्विसेस प्रोवाइड करते हैं पब्लिक को गुड्स प्रोवाइड करते हैं जैसे आपने एक नाम सुना होगा एन एच ए आई इसका काम क्या है एन एच ए आई इसका काम क्या है सर एनएचएआई नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया इसका काम है रोड्स बनाना हाईवेज बनाना एक्सप्रेस वेज बनाना और यह क्या करता है टोल कलेक्ट करता है यह क्या करता है टोल कलेक्ट करता है तो एन एच ए आई क्या है कॉजी गवर्नमेंटल इंस्टिट्यूट है जो गवर्नमेंट नहीं है यह एनएचआई गवर्नमेंट थोड़ी ना है गवर्नमेंट द्वारा एक रंड इंस्टिट्यूट है इसको बोलते हैं काजी गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट इसके बाद नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनी नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज एनबीएफसी जिनको बोलते हैं इसके बाद नॉन डिपार्टमेंट पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग मतलब पीएसयू पीएसयू सेल गेल भेल सुना है ना इनके बारे में इसके बाद वह पैसा जो विदेशी सेंट्रल बैंक के पास पड़ा हुआ है वह पैसा जो विदेशी गवर्नमेंट के पास पड़ा हुआ है मतलब इंडियन रुपी जो विदेश के बैंकों में पड़े हुए हैं विदेश के सेंट्रल बैंक में पड़े हुए हैं वह भी पब्लिक में आते हैं व भी पब्लिक में आते हैं इसके बाद वह पैसा जो मॉनेटरी फंड के पास पड़ा हुआ है आईएमएफ के पास पड़ा हुआ है यह भी आपके पास पब्लिक में आता है तो पब्लिक में टोटल कितने लोग आ गए छह लोग आ गए पब्लिक में टोटल कितने लोग आ गए बेटा पब्लिक में टोटल छह लोग आ गए इसमें सबसे पहले हाउसहोल्ड फर्म्स इंस्टीट्यूशंस आ गए कॉजी गवर्नमेंट इंस्टीट्यूशंस आ गए आपके पास एनबीएफसी आ गई आपके पास पीएसयू आ गए फॉरेन सेंट्रल बैंक और फॉरेन गवर्नमेंट आ गई इसके बाद आपके पास आईएमएफ आ गया टोटल ये छह लोग पब्लिक में आते हैं किनको पब्लिक में एक्सक्लूड करा गया है किसको पब्लिक नहीं माना गया है किसको पब्लिक नहीं माना गया है इंपॉर्टेंट है एमसीक्यू बनेगा यहां पे किसको पब्लिक नहीं माना गया है तो आपके पास कहते हैं कि जो गवर्नमेंट है चाहे वो सेंट्रल गवर्नमेंट हो चाहे वो स्टेट गवर्नमेंट हो चाहे वह लोकल बॉडीज हो लोकल बॉडीज मतलब आपके नगर निगम वगैरह इन लोगों को पब्लिक नहीं माना गया जो बैंकिंग सिस्टम है यानी कि जो सेंट्रल बैंक के पास पैसा पड़ा हुआ है जो अपने पास कमर्शियल बैंक्स के पास पैसा पड़ा हुआ है इनको भी हमने पब्लिक नहीं माना तो जो पैसा गवर्नमेंट के पास पड़ा है वह स्टॉक ऑफ मनी में नहीं आएगा जो पैसा बैंक में पड़ा है सेंट्रल बैंक के पास आरबीआई के पास जो पैसा आपके बैंकों में जमा है किस फॉर्म में डिमांड डिपॉजिट के फॉर्म्स में जो पैसा बैंकों में जमा है डिमांड डिपॉजिट के फॉर्म्स में डिमांड डिपॉजिट के फॉर्म में देखो आगे मैंने कासा लिखा हुआ है कासा का मतलब क्या होता है करंट अकाउंट सेविंग्स अकाउंट डिमांड डिपॉजिट्स क्या होते हैं करंट अकाउंट और सेविंग्स अकाउंट डिमांड डिपॉजिट मतलब जो पैसा हम बैंक से कभी भी निकाल सकते हैं जो पैसा हम बैंक से कभी भी निकाल सकते हैं उसको हम क्या बोलते हैं उसको हम बोलते हैं डिमांड डिपॉजिट्स तो जो पैसा एफडी में जमा है वह कभी भी नहीं निकलता उसका एक टाइम पीरियड है 5 साल की एफडी है 2 साल की एफडी है 3 साल की एफडी है तो अगर 3 साल की एफडी है 3 साल से पहले नहीं निकाल पाओगे तो वो टाइम डिपॉजिट है वो डिमांड डिपॉजिट नहीं है लेकिन जो करंट अकाउंट में पैसा पड़ा है सेविंग अकाउंट में पैसा पड़ा है जब चाहे तब निकाल सकते हैं तो वो अपने पास क्या कहलाते हैं डिमांड डिपॉजिट्स कहलाते हैं तो यहां पर वो क्या बोल रहा है कि गवर्नमेंट पब्लिक में नहीं आएगी कोई भी गवर्नमेंट हो सेंट्रल गवर्नमेंट हो स्टेट गवर्नमेंट हो लोकल बॉडी हो जो बैंकिंग सिस्टम है आपका आरबीआई जो है वह भी नहीं आएगा और ऑल द बैंक्स दैट एक्सेप्ट द डिमांड डिपॉजिट्स हर वो बैंक जो डिमांड डिपॉजिट एक्सेप्ट करता है वह भी यहां पर कवर नहीं होंगे ओके बेटा एग्जाम में फिर से बोल रहा हूं यह डेफिनेशन इंपॉर्टेंट है इस परे एमसीक्यू आ रहा है अच्छे से पढ़ के जाना चलिए अब बात करते हैं सर हमें मनी की सप्लाई मेजर ही क्यों करनी है हमें मनी की सप्लाई मेजर ही क्यों करनी है सिग्निफिकेंट क्या है मनी सप्लाई को मेजर करने का तो एंपर कल एनालिसिस ऑफ मनी सप्लाई इज इंपॉर्टेंट फॉर द फॉलोइंग रीजन कह रहा है मैक्रो इकोनॉमिक इंपैक्ट के बारे में पता चलता है मनी की सप्लाई से मैक्रो इकोनॉमिक इंपैक्ट के बारे में पता चलता है मनी सप्लाई से आपको पता चलता है कि मार्केट में डिमांड ज्यादा है कि कम है इंफ्लेशन चल रहा है कि रिसेशन चल रहा है यह बातें आपको मनी सप्लाई से समझ में आएंगी मैक्रो इकोनॉमिक इंपैक्ट मनी सप्लाई इज कंसीडर्ड एज अ वेरी इंपॉर्टेंट मैक्रो इकोनॉमिक वेरिएबल रिस्पांसिबल फॉर चेंजेज इन मेनी अदर सिग्निफिकेंट मैक्रो इकोनॉमिक वेरिएबल इन द इकोनॉमी तो मनी सप्लाई अपने पास बड़ी सारी चीजों को इंपैक्ट करती है सर डिमांड को इंपैक्ट करेगी सप्लाई को इंपैक्ट करेगी इंफ्लेशन कंट्रक्शन यह सब किसकी वजह से होता है बेटा पैसे की वजह से होता है मनी सप्लाई से इकोनॉमिक स्टेबिलिटी के बारे में पता चलता है इकोनॉमिक स्टेबिलिटी रिक्वायर्स दैट द सप्लाई ऑफ मनी एट एनी टाइम शुड बी मेंटेन एट ऑप्टिमम लेवल आप चाहते हो कि सर इकोनॉमी स्टेबल रहे आप चाहते हो इकोनॉमी स्टेबल रहे इकोनॉमी में ना तो ज्यादा इंफ्लेशन हो इकोनॉमी ना तो रिसेशन के दौर में जाए तो आपको इकोनॉमिक स्टेबिलिटी लाने के लिए क्या करना पड़ेगा आपको मनी सप्लाई को आपको मनी सप्लाई को मेंटेन करना पड़ेगा ऑप्टिमम लेवल पे ऑप्टिमम लेवल मतलब मनी सप्लाई ना तो कम होनी चाहिए और ना ही ज्यादा होनी चाहिए इसके बाद अगला पॉइंट आता है एनालिसिस मनी सप्लाई से एनालिसिस होती है मनी सप्लाई एनालिसिस फैसिलिटेट एनालिसिस ऑफ मॉनेटरी डेवलपमेंट्स टू प्रोवाइड बेटर अंडरस्टैंडिंग ऑफ कॉसेस ऑफ द मनी ग्रोथ तो जब आप मनी सप्लाई का एनालिसिस करते हो तो आपको पता चलता है कि इकोनॉमी क्यों ग्रो कर रही है मनी की ग्रोथ क्यों हुई है उसके बारे में आपको पता चलता है मनी सप्लाई अगर बढ़ा तो क्यों बढ़ा घटा तो क्यों घटा मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेम करने में बड़ी हेल्प होती है मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेम करने में बड़ी हेल्प होती है एनालिसिस ऑफ द मनी सप्लाई इज एसेंशियल फ्रॉम द मोनेट पॉलिसी सी वी ऑफ पॉइंट इट इवेलुएट्स वेदर द स्टॉक ऑफ मनी इज कंसिस्टेंट विद द स्टैंडर्ड्स ऑफ द प्राइस स्टेबिलिटी एंड अंडरस्टैंड्स द नेचर ऑफ द डेविएशन फ्रॉम दिस स्टैंडर्ड मतलब प्राइस स्टेबल रखने के लिए जितना मनी सप्लाई चाहिए प्राइस स्टेबल रखने के लिए जितना मनी सप्लाई चाहिए उतना मनी सप्लाई इकोनॉमी में है कि नहीं अगर है तो ठीक है नहीं है तो मॉनेटरी पॉलिसीज बनाकर हम उसको क्या करेंगे करेक्ट करेंगे देखो बेटा ये थ्योरी है इसमें से ज्यादा कुछ नहीं आएगा जो इंपॉर्टेंट चीजें होंगी मैं आपको बताता चलूंगा मनी सप्लाई एंड मॉनेटरी पॉलिसी सेंट्रल बैंक ऑल ओवर द वर्ल्ड अडॉप्ट द मॉनेटरी पॉलिसी टू स्टेबलाइज द प्राइस लेवल मॉनेटरी पॉलिसीज का इस्तेमाल किया जाता है प्राइस लेवल्स को स्टेबलाइज करने के लिए मतलब इंफ्लेशन और रिसेशन को कंट्रोल करने के लिए जीडीपी की ग्रोथ के लिए मनी सप्लाई इंपॉर्टेंट है ठीक है तो अगर आप मनी सप्लाई को कंट्रोल कर लेते हो अगर आप मनी सप्लाई को कंट्रोल कर लेते हो तो आप इकोनॉमी में स्टेबिलिटी लाने में क्या हो जाओगे सर सक्सेसफुल हो जाओगे अगर आप मनी सप्लाई कंट्रोल नहीं कर पाए तो आपकी इकोनॉमी कभी भी स्टेबल नहीं होगी तो सिग्निफिकेंट क्या है मनी सप्लाई को समझने का पहला सिग्निफिकेंट था इकोनॉमिक स्टेबिलिटी मैक्रो इकोनॉमिक इंपैक्ट इकोनॉमिक स्टेबिलिटी एनालिसिस से आपको पता चलता है मनी ग्रोथ क्यों हुआ मॉनेटरी पॉलिसी फ्रेम करने में हेल्प होती है और आपके पास इकोनॉमिक स्टेबिलिटी प्राइस स्टेबल जो होते हैं जीडीपी की जो ग्रोथ होती है वह बाय कंट्रोलिंग द मनी सप्लाई होती है राइट तो इकोनॉमी को अगर ग्रो करवाना है प्राइसेस को अगर स्टेबल कराना है तो मनी सप्लाई को क्या करना पड़ेगा आपको कंट्रोल करके चलना पड़ेगा सर पैसा इकोनॉमी में कहां से आता है इकोनॉमी में पैसा दो जगह से आता है बेटा इकोनॉमी में पैसा दो जगह से आता है एक आपके पास हाई पावर्ड मनी जिसको हम फिएट मनी भी बोलते हैं यानी कि जो करेंसी नोट्स होते हैं करेंसी कॉइंस होते हैं यह करेंसी जो इशू करती है सेंट्रल बैंक यहां से इकोनॉमी में पैसा आता है तो जो करेंसी आपकी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया छाप रही है इशू कर रही है वह आपके पास मनी सप्लाई क्या करती है इंक्रीज करती है और इसको अपन क्या बोलते हैं सर इसको अपन हाई पावर्ड मनी बोलते हैं क्या बोलते हैं हाई पावर्ड मनी बोलते हैं या फिर इसको हम क्या बोलते हैं फिएट मनी बोलते हैं इसके बाद आता है आपके पास क्रेडिट मनी क्रेडिट मनी कौन लेकर आता है सर जितने भी कमर्शियल बैंक्स है यह क्या करते हैं क्रेडिट मनी लेकर आते हैं क्रेडिट मनी क्या होती है बेटा लोन क्रेडिट मनी क्या होती है बेटा जी सर क्रेडिट मनी होती है लोन सर लोन बोले तो बेटा हम जो पैसा बैंक में डिपॉजिट करते हैं बैंक व पैसा अपने पास नहीं रखता हम जो पैसा बैंक में डिपॉजिट करते बैंक वह पैसा अपने पास नहीं रखता बैंक वह पैसा आगे एज अ लोन बाट देता है बैंक आगे वह पैसा एस अ लोन बाट देता है बैंक इस लोन के बदले में इंटरेस्ट चार्ज करता है लेट्स सपोज कर लो 10 पर और आपने जो पैसा जमा किया था उस पैसे के बदले में वह आपको इंटरेस्ट देता है सपोज कर लो उसने आपको इंटरेस्ट दिया 4 पर 4 पर तो बैंक ने आपके पैसे पे आपको 4 पर का रिटर्न दिया आपने जो पैसा बैंक में जमा किया उस पे आपको बैंक ने 4 पर का रिटर्न दिया और आप ही के पैसे को उसने लैंड करके 10 पर का रिटर्न कमाया 6 पर बैंक ने कमाए 6 पर बैंक ने कमाए इसको पता है क्या बोलते हैं इसको बोलते हैं स्प्रेड क्या बोलते हैं बेटा इसको बोलते हैं स्प्रेड जो इंटरेस्ट बैंक ने कमाया माइनस जो इंटरेस्ट बैंक ने पे किया जो इंटरेस्ट बैंक ने कमाया माइनस जो इंटरेस्ट बैंक ने पे किया इसको अपन क्या बोलते हैं स्प्रेड बोलते हैं राइट बैंक हमेशा ज्यादा इंटरेस्ट चार्ज करता है और कम इंटरेस्ट पे करता है और जो डिफरेंस अमाउंट बैंक ने कमाई है उसको अपन क्या नाम देते हैं उसको अपन नाम देते हैं स्प्रेड का तो आपके पास दो सोर्सेस है पैसे के एक आपके पास करेंसी करेंसी कौन इशू करता है सेंट्रल बैंक और दूसरा आपके पास क्रेडिट मनी क्रेडिट मनी कहां से आता है क्रेडिट मनी आता है आपके पास कमर्शियल बैंक से तो दो चीजें मिलके मनी की सप्लाई बनाती है दो चीजें मिलके मनी की सप्लाई बनाती है एक आपका करेंसी और दूसरा आपके पास जो क्रेडिट मनी है दूसरा जो आपके पास क्रेडिट मनी है अब सर हमारे पास जो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया है यानी कि जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है इसने एग्रीगेट्स बनाए हैं मनी को मेजर करने के लिए इसने एग्रीगेट्स बनाए हैं मनी को मेजर करने के लिए इसको बोलते हैं मॉनेटरी एग्रीगेट्स क्या बोलते हैं इसको इसको अपन बोलते हैं मॉनेटरी एग्रीगेट्स मॉनेटरी एग्रीगेट्स हमारे पास चार तरीके के होते हैं इनको नाम दिया गया है m1 ए2 ए3 m4 इनको नाम दिया गया है m1 ए2 ए3 ए4 एव में क्या आता है सर ए में क्या आता है सर बेटा एव के अंदर एव के अंदर तीन चीजें आती है एव के अंदर आपके पास तीन चीजें निकल कर आती हैं एव के अंदर तीन चीजें निकल कर आती है एक आता है करेंसी विद पब्लिक जो पैसा पब्लिक के पास है यानी कि जो स्टॉक ऑफ मनी है जो स्टॉक ऑफ मनी है उसकी बात हो रही है करेंसी विद पब्लिक करेंसी विद पब्लिक में प्लस कर देते हैं नेट डिमांड डिपॉजिट्स विद बैंक बैंकों में जो डिमांड डिपॉजिट पड़ा हुआ है डिमांड डिपॉजिट मतलब कासा करंट अकाउंट और सेविंग्स अकाउंट टाइम डिपॉजिट को यहां पर कडर नहीं कर रहे नेट डिमांड डिपॉजिट्स विद द बैंक नेट डिमांड डिपॉजिट्स विद द बैंक ठीक है सर अब यहां पर नेट का मतलब क्या है यहां पर नेट का मतलब क्या है सर नेट का मतलब है यहां पर नेट का मतलब है यहां पर जितना डिमांड डिपॉजिट है बैंक के पास जितना डिमांड डिपॉजिट है बैंक के पास उसमें से माइनस करवा दीजिए उसमें से माइनस करवा दीजिए इंटर बैंक डिमांड डिपॉजिट इंटर बैंक डिमांड डिपॉजिट इंटर बैंक डिमांड डिपॉजिट क्या होती है इंटर बैंक डिमांड डिपॉजिट होती है जैसे बैंक ऑफ बरोदा ने आईसीआईसीआई में पैसा जमा कर रखा है आईसीआईसीआई ने एकिस बैंक में पैसा जमा कर रखा है एकसिस बैंक ने एचडीएफसी बैंक में पैसा जमा कर रखा है तो एक बैंक ने अगर दूसरे बैंक में पैसा जमा कर रखा है इसको बोलते हैं इंटर बैंक डिमांड डिपॉजिट यहां पर जब हम डिमांड डिपॉजिट लेते हैं तो वो कौन सी वाली फिगर लेते हैं नेट वाली फिगर लेते हैं नेट वाली फिगर का मतलब कि जितना भी बैंकों के पास डिमांड डिपॉजिट्स है उसमें से एक बैंक का दूसरे बैंक में जो पैसा जमा है उसको हटा दो एक बैंक का दूसरे बैंक में जो पैसा जमा है उसको हटा दो नेट डिमांड डिपॉजिट्स लेते फिर इसमें हम प्लस कर देते हैं अदर डिपॉजिट्स विद आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास जो डिपॉजिट्स पड़े हैं उन्हें अपन क्या कर देते हैं प्लस कर देते हैं इन तीनों को जब आप प्लस करते हो तो आपके पास निकल कर आता है एव इन तीनों को जब आप प्लस करते हो तो आपके पास निकल कर आता है m1 अब एव से दो चीजें बन सकती हैं m1 से दो चीजें बन सकती हैं अगर आप m1 में प्लस करते हो पोस्ट ऑफिस का सेविंग्स अकाउंट तो आपके पास रिजल्ट आएगा ए2 आपके पास रिजल्ट आएगा ए2 और अगर आप एव में प्लस कर देते हो टाइम डिपॉजिट्स विद बैंक टाइम डिपॉजिट्स मतलब एफडी वगैरह टाइम डिपॉजिट्स का मतलब एफडी फिक्स डिपॉजिट ऐसे ही रिकरिंग डिपॉजिट भी होता है ठीक है इसकी बात कर रहे हैं तो अगर आप m1 में टाइम डिपॉजिट्स विद बैंक को प्लस कर देते हो तो आपके पास क्या आ जाता है m3 आ जाता है आपके पास m3 आ जाता है अब जब आप में प्लस कर देते हो टोटल डिपॉजिट्स विद पोस्ट ऑफिस टोटल डिपॉजिट टोटल डिपॉजिट्स के अंदर करंट अकाउंट भी आ गया सेविंग्स अकाउंट भी आ गया टाइम डिपॉजिट भी आ गया एफडी वगैरह टाइम डिपॉजिट भी आ गया टोटल डिपॉजिट विथ पोस्ट ऑफिस एक्सेप्ट नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट पोस्ट ऑफिस एनएससी इशू करता है एनएससी को कंसीडर नहीं करना पोस्ट ऑफिस एनएससी को इशू करता है एनएससी को कंसीडर नहीं करना एम3 में टोटल डिपॉजिट विद पोस्ट ऑफिस को क्या करना ऐड कर देना एम3 में टोटल डिपॉजिट विद पोस्ट ऑफिस को ऐड कर देना तो आपके पास क्या आ जाएगा सर आपके पास आ जाएगा m4 याद रखना हमें एनएससी को ऐड नहीं करना है याद रखना हमें m3 में एनएससी को ऐड नहीं करना है एनएससी जो होती है वह m4 का पार्ट नहीं बनेगी एनएससी जो है व m4 का पार्ट नहीं बनेगी m1 में क्या-क्या आएगा वो करेंसी जो पब्लिक के पास है प्लस नेट डिपॉजिट्स प्लस अदर डिपॉजिट्स विद आरबीआई ठीक है इसके बाद m2 में क्या आएगा m1 में जब पोस्ट ऑफिस के सेविंग अकाउंट को प्लस कर दोगे m3 में क्या आएगा जब m1 में नेट टाइम डिपॉजिट्स को प्लस कर दोगे यहां पर भी नेट है मतलब इंटर बैंक अगर कोई टाइम डिपॉजिट होगा तो उसे आप क्या कर देना एक्सक्लूड कर देना इसके बाद आता है आपके पास m4 m4 कैसे आएगा जो भी m3 आया है उसमें टोटल डिपॉजिट्स विद द पोस्ट ऑफिस को ऐड कर देना एक्सक्लूड कर देना नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स को एक्सक्लूड कर देना नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट को अब एक बात याद रखना आपका जो ए1 है वह आपका नरो मनी है वह आपका नरो मनी है और मोस्ट लिक्विड है मोस्ट लिक्विड है और आपका जो ए4 है वह आपके पास ब्रॉड मनी है और यह आपका लीस्ट लिक्विड है लिक्विड का मतलब जो इजली कैश में कन्वर्ट हो जाए क्योंकि m4 के अंदर क्योंकि m4 के अंदर टाइम डिपॉजिट्स भी इंक्लूडेड है m4 के अंदर टाइम डिपॉजिट्स भी इंक्लूडेड है तो टाइम डिपॉजिट्स इमीडिएट कैश में कन्वर्ट नहीं होते टाइम डिपॉजिट अगर 3 साल का है तो वह कैश में कन्वर्ट होगा 3 साल के बाद यानी कि m4 में आपके पास लिक्विडिटी कम है और m1 के अंदर लिक्विडिटी ज्यादा है क्योंकि m1 के अंदर कोई भी टाइम डिपॉजिट को कंसीडर नहीं किया गया है कोई भी टाइम डिपॉजिट को वहां पर कंसीडर नहीं किया गया है राइट चलिए अब बात करते हैं डिटरमिनेट ऑफ मनी सप्लाई की मनी सप्लाई कैसे डिटरमिन होती है सबसे पहले आता है सेंट्रल बैंक का बिहेवियर सेंट्रल बैंक क्या करती है सर बाहर से एक्सोजेनयसली का मतलब क्या होता है एक्सोजेनयसली का मतलब होता है बाहर से अपने पास मनी की सप्लाई को डिसाइड करती है मतलब आपकी जो सेंट्रल बैंक है वह इकोनॉमिक एक्टिविटी में पार्ट नहीं लेती वो केवल करेंसी को इकोनॉमी में डाल देती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बाहर से करेंसी को हाई पावर्ड मनी को फिएट मनी को करेंसी को प्रिंट करके इकोनॉमी में डाल दिया तो सेंट्रल बैंक एक्सोजेनयसली आपके पास क्या करती मनी की सप्लाई को डिटरमाइंड करती है पब्लिक जो है वह इकोनॉमिक एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करती है सर पब्लिक जो है वह पैसा खर्च करती है वह पैसा बैंक में जमा करती है वह पैसा अपने पास सेव करती है तो कितना पैसा पब्लिक खर्च कर रही है कितना पैसा पब्लिक कैश में अपने पास रख रही है कितना पैसा पब्लिक बैंक में जमा कर रही है इससे भी मनी सप्लाई डिसाइड होती है और पब्लिक क्योंकि अपनी इकोनॉमिक सिस्टम में लेकर काम करती है तो इनका जो काम होता है वह कैसा होता है एंडोजीनस एक्सोजेनयसली का मतलब बाहर से आउटसाइड और एंडोजीनस का मतलब अंदर से इनसाइड तो आपके पास सेंट्रल बैंक बाहर से करेंसी प्रिंट करके इकोनॉमी में डाल देती है आरबीआई कोई इकोनॉमिक एक्टिविटी नहीं करती इकोनॉमिक एक्टिविटी डिमांड करना परचेस करना सेल करना यह कौन करती है पब्लिक करती है तो पब्लिक का बिहेवियर अपने पास डिसाइड करेगा कि कितना पैसा कंज्यूम होगा कितना पैसा हम सेव करेंगे कितना पैसा हम डिपॉजिट करेंगे इसके अलावा कंबाइंड बिहेवियर सेंट्रल बैंक का और पब्लिक का कंबाइंड बिहेवियर डिसाइड करता है कि मनी सप्लाई कितना होगा और इस कंबाइंड बिहेवियर को हम लोग नाम देते हैं मनी मल्टीप्लायर का इस कंबाइंड बिहेवियर को हम हम नाम देते हैं अपने पास मनी मल्टीप्लायर का देखो इस चैप्टर के जो प्रैक्टिकल क्वेश्चंस हैं वो मैं यहां पर नहीं करा रहा प्रैक्टिकल क्वेश्चंस के लिए मैं एक सेपरेट वीडियो आप लोग को प्रोवाइड करूंगा जिसमें मैं इस चैप्टर के जितने भी प्रैक्टिकल क्वेश्चंस है जो मॉड्यूल में दे रखे हैं आपके पास अदर क्वेश्चंस जो रहेंगे प्रैक्टिस के लिए वो मैं आपको अलग से एक वीडियो दूंगा उसमें हम कवर करेंगे इस वन शॉट के अंदर हम केवल और केवल किसकी बात कर रहे हैं कांसेप्ट की बातें यहां पर कर ने वाले हैं आपके साथ ठीक है चलिए भाई अब मल्टी मनी मल्टीप्लायर की बात करते हैं मनी मल्टीप्लायर अप्रोच मनी मल्टीप्लायर अप्रोच कहां पर लग रही है दोस्त जहां पर कंबाइंड बिहेवियर निकल कर आ रहा है मतलब जहां पर सेंट्रल बैंक और पब्लिक सॉरी सेंट्रल बैंक कमर्शियल बैंक और पब्लिक यह तीनों मिलकर यह तीनों मिलकर क्या कर रही है सर य तीनों मिलकर मनी सप्लाई को इन्फ्लुएंस कर रही हैं सेंट्रल बैंक सेंट्रल बैंक कमर्शियल बैंक और पब्लिक सेंट्रल बैंक कमर्शियल बैंक और पब्लिक ये तीनों मिलकर मनी सप्लाई को जब इन्फ्लुएंस करती हैं तो उसको अपन क्या बोलते हैं मनी मल्टीप्लायर अप्रोच बोलते हैं मनी मल्टीप्लायर अप्रोच बोलते हैं सर ये मनी मल्टीप्लायर है क्या पहले यह तो बताओ राजा बेटा आपका जो मनी मल्टीप्लायर है आपका जो मनी मल्टीप्लायर है वह आपको यह बताता है कि अगर इकोनॉमी में एक रुपए का करेंसी इंट्रोड्यूस हो सेंट्रल बैंक सेंट्रल बैंक अगर अपने पास 00 की करेंसी इंट्रोड्यूस करती है इकोनॉमी में अगर हमारे पास सेंट्रल बैंक रप इंट्रोड्यूस करती है इकोनॉमी में तो यह 00 रप मल्टीप्लाई होकर कितना मनी सप्लाई बनाएंगे कितना मनी सप्लाई क्रिएट करेंगे तो जैसे मान लो फॉर टाइम बींग मान लो मनी मल्टीप्लायर ्र है मनी मल्टीप्लायर ्र है सपोज कर लो तो अगर मनी मल्टीप्लायर ्र है और सेंट्रल बैंक 00 की करेंसी इंट्रोड्यूस करती है तो मनी सप्लाई पता है कितनी होगी मनी सप्लाई हो जाएगी आपकी 100 मल्टीप्ला बाय 3 यानी कि आपके पास 00 का मनी सप्लाई आ जाएगा 00 की करेंसी अगर इंट्रोड्यूस होगी तो वह अपने पास 00 की मनी सप्लाई क्रिएट करेगी सर ऐसे कैसे 00 का मनी 00 का मनी सप्लाई कैसे क्रिएट कर देगा थोड़ी और प्रकाश डालो रोशनी डालो अभी बताता हूं दोस्त यह जो ₹1 आपके पास आए हैं यह जो ₹1 आपके पास आए हैं यह पैसा बैंक में जमा होगा यह पैसा बैंक में जमा होगा और बैंक इससे क्या करेगा क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा बैंक इससे क्या करेगा क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा हाई पावर्ड मनी यह जो था यह हाई पावर्ड मनी था यह करेंसी थी जो आपके पास प्रिंट हुई इकोनॉमी में आ गई यह 00 आपके पास बैंकिंग चैनल्स में घूम घूम के घूम घूम के घूम घूम के तीन बार तीन बार इसका इफेक्ट लेकर आएंगे यानी कि 00 की करेंसी तीन बार घूम के अपने पास 00 का मनी सप्लाई क्या करेगी क्रिएट करेगी 00 का मनी सप्लाई क्रिएट करेगी अब मनी मल्टीप्लायर किस पे डिपेंड करता है मनी मल्टीप्लायर सेंट्रल बैंक के बिहेवियर पे डिपेंड करता है मनी मल्टीप्लायर कमर्शियल बैंक के बिहेवियर पे डिपेंड करता है और मनी मल्टीप्लायर जनरल पब्लिक के बिहेवियर पे डिपेंड करता है मनी मल्टीप्लायर तीन लोगों के बिहेवियर पे डिपेंड करता है सर मनी मल्टीप्लायर आपके सेंट्रल बैंक के बिहेवियर पर डिपेंड करता है सेंट्रल बैंक का क्या बिहेवियर है सर सेंट्रल बैंक जो है वो करेंसी इशू करती है जब अपने पास सेंट्रल बैंक करेंसी इशू करेगी तो मनी सप्लाई क्या होगी इंक्रीज होगी मनी सप्लाई क्या होगी आपकी इंक्रीज होगी राइट तो यहां पर इट्स कंट्रोल ओवर द इशू ऑफ करेंसी इज रिफ्लेक्टेड इन द सप्लाई ऑफ नॉमिनल हाई पावर्ड मनी विद ऑल द वेरिएबल अनचेंज्ड टोटल सप्लाई ऑफ नॉमिनल मनी विल वेरी डायरेक्टली विद द सप्लाई ऑफ नॉमिनल हाई पावर्ड मनी मतलब जितना ज्यादा करेंसी प्रिंट होगा इकोनॉमी के अंदर उतनी ज्यादा मनी सप्लाई होगी जितनी ज्यादा करेंसी प्रिंट होगी इकोनॉमी के अंदर उतनी ज्यादा आपके पास क्या होगा मनी सप्लाई होगा इसके बाद कमर्शियल बैंक के बिहेवियर की बात करते हैं अभी थोड़ी देर पहले मैंने आपसे कहा थोड़ी देर पहले मैंने आपसे कहा कि हम बैंक में जब पैसा जमा करते हैं तो बैंक वह पैसा अपने पास नहीं रखता बैंक वह पैसे का लोन दे देता है बैंक वह पैसा अपने पास नहीं रहता बैंक उस पैसे का क्या करता है बेटा जी लोन दे देता है लोन दे देता है तो क्या अगर मान लो बैंक में 5000 करोड़ रुपए जमा हुए हैं पब्लिक ने बैंक में 5000 करोड़ जमा करे हैं तो क्या बैंक पूरे 5000 करोड़ का लोन दे देगा द आंसर इज नो ऐसा नहीं हो सकता सर बैंक को क्या करना होता है सर बैंक को सी आर आर बैंक को सी आर आर कैश रिजर्व रेशो मेंटेन करना होता है कैश रिजर्व रेशो मेंटेन करना होता है विद आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास कैश रिजर्व रेशियो मेंटेन करना होता है सर बैंक को स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेशियो मेंटेन करना पड़ता है मतलब बैंक को अपने डिपॉजिट्स का सर्टेन परसेंटेज लिक्विड एसेट में इन्वेस्ट करना पड़ता है जैसे कि आपके पास गोल्ड में इन्वेस्टमेंट हो सकती है आपके पास सेंट्रल गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट हो सकती है मतलब एसएलआर वाला जो पैसा है वह एज अ लोन नहीं बांटा जा सकता तो सपोज कर लो अगर आपका सीआरआर 5 पर का है तो क बैंक के पास 000 करोड़ आएंगे तो बैंक इस 5000 करोड़ का % यानी कि 250 करोड़ रए किसके पास जमा कर देगा आरबीआई के पास जमा कर देगा और अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने कहा है कि आपको 15 पर का एसएलआर मेंटेन करना है यानी कि 5000 करोड़ का 15 पर गोल्ड और गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज में लगाना है तो 5000 करोड़ का 15 पर यानी कि 750 करोड़ 50 करोड़ आपको गोल्ड और सेंट्रल गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज में लगाना है तो इसका मतलब कि अगर 55000 करोड़ बैंक के पास आए तो इसमें से साहब 1000 करोड़ तो सर चले गए ना 50 करोड़ आरबीआई के पास चले गए 50 करोड़ गोल्ड और सेंट्रल गवर्नमेंट की सिक्योरिटी में लग गए तो बैंक के पास बचे कितने बैंक के पास बचे 4000 करोड़ रपए बैंक के पास बचे 4000 करोड़ रुपए यह 4000 करोड़ रुपए की लैंडिंग करी जा सकती है यह 4000 करोड़ रुपए का लोन बांटा जा सकता है अब प्लीज मेरी बात को समझना बैंक कितना क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा यह जो लैंडिंग है लोन है दिस इज व्ट क्रेडिट मनी बैंक कितना क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा बैंक कितना क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा यह किस पर डिपेंड करेगा बैंक कितना क्रेडिट मनी क्रिएट करेगा यह किस पर डिपेंड करेगा राजा बेटा सर यह डिपेंड करेगा कि रिजर्व रेशो कितने हैं कि आपका रिजर्व रेश कितना है अगर आपका रिजर्व रेशियो कम होगा तो क्रेडिट मनी ज्यादा होगा मैं यहां लिखता हूं अगर आपका रिजर्व रेशियो कम होगा तो आपका क्रेडिट मनी ज्यादा होगा आपका क्रेडिट मनी ज्यादा होगा और अगर क्रेडिट मनी ज्यादा होगा तो आपकी मनी की सप्लाई भी क्या होगी बे ब जी आपकी मनी की सप्लाई भी ज्यादा होगी अगर आपका रिजर्व रेशो कम होगा तो आपका क्रेडिट मनी कम होगा और जब क्रेडिट मनी कम होगा तो मनी की सप्लाई भी कम होगी क्रेडिट की सप्लाई भी कम होगी क्रेडिट की सप्लाई भी कम होगी राइट मेरी बात समझ में आ रही है सर तो सर जैसे मान लो 5000 करोड़ है हमारे पास 5000 करोड़ के डिपॉजिट्स है हमारे पास 5 करोड़ के डिपॉजिट्स है अगर रिजर्व रिक्वायरमेंट 20 पर की है तो 4000 करोड़ का आपके पास क्रेडिट मनी आएगा और अगर हमारे पास 5000 करोड़ के डिपॉजिट्स है और 30 पर का रिजर्व रिक्वायरमेंट आ गया 30 पर का रिजर्व रिक्वायरमेंट आ गया तो हमारे पास 3500 करोड़ का क्रेडिट मनी जनरेट हो पाएगा तो जैसे-जैसे आपका रेशियो बढ़ेगा वैसे-वैसे क्रेडिट मनी की सब सलाई क्या होगी कम होगी इसको बोलते हैं रिजर्व्स टू डिपॉजिट रेशो क्या बोलते हैं रिजर्व्स टू डिपॉजिट रेशो रिजर्व्स टू डिपॉजिट रेशो आरडीआर आरडीआर कैसे निकलेगा रिजर्व्स डिवाइडेड बाय डिपॉजिट्स रिजर्व्स डिवाइडेड बाय डिपॉजिट्स इसके बाद अगली जो अप्रोच निकलती है अगली अप्रोच निकलती है बिहेवियर ऑफ जनरल पब्लिक की यर ऑफ जनरल पब्लिक डिसाइड होता है करेंसी टू डिपॉजिट रेशो से बिहेवियर ऑफ जनरल पब्लिक किससे डिसाइड होता है बेटा बिहेवियर ऑफ जनरल पब्लिक डिसाइड होता है करेंसी टू डिपॉजिट रेशो से करेंसी टू डिपॉजिट रेशो क्या होता है सर कितना पैसा पब्लिक अपने पास रखना चाहती है इंस्टेड ऑफ डिपॉजिटिंग इनटू बैंक करेंसी टू डिपॉजिट रेशो आपको क्या बता रहा है कितना पैसा पब्लिक अपने पास रखना चाहती है कितना पैसा पब्लिक अपने पास रखना चाहती है इंस्टेड ऑफ इंस्टेड ऑफ डिपॉजिटिंग इनटू बैंक इसको बोलते हैं करेंसी टू डिपॉजिट रेशो कैसे निकलता है सर जितना भी करेंसी पब्लिक होल्ड करना चाहती है जितना भी करेंसी पब्लिक होल्ड करना चाहती है इसको डिवाइड करा देते हैं जितने डिपॉजिट्स बैंक में है जितने डिपॉजिट्स बैंक में है करेंसी विद पब्लिक डिवाइडेड बाय डिपॉजिट्स अब समझो अगर बैंक में पैसा कम जाएगा मतलब पब्लिक अगर अपने पास करेंसी ज्यादा होल्ड करेगी अगर बैंक में पैसा कम जाएगा और पब्लिक अपने पास करेंसी ज्यादा होल्ड करेगी अगर आपका करेंसी डिपॉजिट रेशियो अगर आपका करेंसी डिपॉजिट रेशो ज्यादा होगा करेंसी डिपॉजिट रेशो ज्यादा होने का मतलब कि पब्लिक ने अपने पास पैसा ज्यादा रखा है पब्लिक ने अप अपने पास पैसा ज्यादा रखा है करेंसी विद पब्लिक आपके पास ज्यादा है और करेंसी विद पब्लिक अगर आपके पास ज्यादा है करेंसी विद पब्लिक अगर आपके पास ज्यादा है तो ऐसे केस में क्या होगा सर डिपॉजिट्स इन बैंक कम होंगे डिपॉजिट्स इन बैंक कम होंगे और बैंक में अगर पैसा कम जमा होगा तो ओबवियस है कि क्रेडिट मनी कम जनरेट होगा और क्रेडिट मनी अगर कम जनरेट होगा तो आपकी मनी सप्लाई भी क्या होगी कम होगी आपकी मनी सप्लाई भी कम होगी और अगर करेंसी डिपॉजिट रेशियो कम होगा करेंसी डिपॉजिट रेशो कम होगा मतलब पब्लिक अपने पास कम पैसा रखेगी बैंक में ज्यादा पैसा जमा करेगी तो बैंक उसका क्रेडिट मनी ज्यादा क्रिएट करेगा जिसकी वजह से मनी सप्लाई बढ़ेगी जिसकी से मनी सप्लाई बढ़ेगी अब मेरी बात समझो आपका जितना भी रिजर्व टू डिपॉजिट रेशो है रिजर्व टू डिपॉजिट रेशियो है और जितना आपका करेंसी डिपॉजिट रेश है इनका इवर्स रिलेशन है विद मनी सप्लाई इनका इवर्स रिलेशन है विद मनी सप्लाई अगर आपका आरडीआर रिजर्व टू डिपॉजिट रेशो कम होगा मनी सप्लाई ज्यादा होगी रिजर्व्स टू डिपॉजिट रेशो ज्यादा होगा मनी सप्लाई कम होगी कैश डिपॉजिट रेशो अगर कम होगा मनी सप्लाई ज्यादा होगी कैश डिपॉजिट रेशो ज्यादा होगा मनी सप्लाई आपके पास कम होगी मनी सप्लाई आपके पास कम होगी यहां तक बात समझ में आ गई हां सर समझ में आ गई तो अभी तक हमने क्या देखा बिहेवियर ऑफ सेंट्रल बैंक सेंट्रल बैंक अगर ज्यादा करेंसी प्रिंट करेगी मनी सप्लाई ज्यादा होगी बिहेवियर ऑफ कमर्शियल बैंक रिजर्व टू डिपॉजिट रेशियो अगर कम होगा तो मनी सप्लाई ज्यादा होगी इनवर्ट हो जाएगा अगर यह ज्यादा कम होगा तो मनी सप्लाई ज्यादा होगी ज्यादा होगा तो मनी सप्लाई कम होगी तीसरा बिहेवियर ऑफ जनरल पब्लिक कैश डिपॉजिट रेशियो गया करेंसी डिपॉजिट रेशियो आपके पास कम होगा तो सप्लाई ज्यादा होगी ज्यादा होगा तो मनी सप्लाई आपके पास कम होगी ठीक है अब अगर आप बात करो मनी मल्टीप्लायर की आप बात करो मनी मल्टीप्लायर की तो मनी मल्टीप्लायर क्या है आपका मनी मल्टीप्लायर है आपका मनी मल्टीप्लायर है m इटल ए इन एबी सर यह क्या बला है मनी सप्लाई इसको हम डिनोट करते हैं ए से कैपिटल एम से इ इक्वल टू स्मल ए स्मल एम क्या है मनी मल्टीप्लायर स्मल एम क्या है मनी मल्टीप्लायर मनी मल्टीप्लायर स्मल एम इसका मल्टीप्लाई कराया जाएगा दोस्त अपने पास मॉनेटरी बेस से मॉनेटरी बेस का मतलब कि कितना करेंसी सर्कुलेशन में है मॉनेटरी बेस का मतलब कितना करेंसी सर्कुलेशन में है मॉनेटरी बेस क्या बताएगा मॉनेटरी बेस क्या बताएगा कितना करेंसी सर्कुलेशन में है कितना करेंसी आपके पास सर्कुलेशन में ठीक है तो जैसे मान लो अगर आपका मनी मल्टीप्लायर जैसे मैंने पीछे बोला कि अगर आपका मनी मल्टीप्लायर ्र है और आपका मॉनेटरी बेस 30 5.7 लाख करोड़ है अगर आपका मॉनेटरी बेस 35.7 लाख करोड़ है तो इकोनॉमी में मनी सप्लाई कितनी होगी 35.7 * 3 आपके पास मनी सप्लाई होगी 107.1 लाख करोड़ 107.1 लाख करोड़ ठीक है तो मनी सप्लाई क्या है मनी सप्लाई इज इक्वल टू मनी मल्टीप्लायर इंटू मॉनेटरी बेस मनी मल्टीप्लायर इंटू मॉनेटरी बेस मॉनेटरी बेस को क्या लिखते हैं m ब लिखते हैं m ब लिखते हैं ठीक है अच्छा एक और चीज समझो एक और चीज समझो एक कांसेप्ट होता है एक कांसेप्ट होता है आरडीआर का एक होता है करेंसी डिपॉजिट रेशियो का एक कांसेप्ट और आता है एक कांसेप्ट और आता है एक्सेस रिजर्व का एक्सेस रिजर्व रेशो का एक्सेस रिजर्व रेशो क्या होता है जब कमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास एक्स्ट्रा पैसा जमा करवा देता है जब कमर्शियल बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास एक्स्ट्रा पैसा जमा करा देता है जैसे सीआर आर 5 पर का है सीआरआर 5 पर का है लेकिन कमर्शियल बैंक ने लिक्विडिटी मेंटेन रखने के लिए कि भाई मेरे पास सफिशिएंट पैसा हो हाथ में कुछ पैसा होना चाहिए सफिशिएंट पैसा मेरे पास हो तो सर आरबी ये बैंक ने क्या किया बैंक ने अपने पास रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास 1 पर और पैसा जमा करा दिया 1 पर और पैसा जमा करा दिया रिक्वायर्ड है आरबीआई ने कहा है 5 पर आपको हमारे पास रखना है आपको 5 पर हमारे पास रखना है आरबीआई ने ऐसा कंपलशन दिया है कि जितने भी बैंक है इनको अपने इनको अपने डिपॉजिट्स का 5 पर हमारे पास कैश रिजर्व मेंटेन करना है बैंक ऑफ बरोदा ने कहा नहीं साहब हम 5 पर तो मेंटेन करेंगे ही प्लस हम 1 पर एक्स्ट्रा आपके पास रखेंगे इसको क्या बोलते हैं एक्सेस रिजर्व रेशो इसको क्या बोलते हैं एक्सेस रिजर्व रेशो जितना ज्यादा एक्सेस रिजर्व रेशो होगा उतना कम मनी सप्लाई होगा जितना ज्यादा एक्सेस रिजर्व रेशो होगा उतना कम आपके पास क्या होगा मनी सप्लाई होगा अब प्लीज मेरी बात को समझना यह एक्सेस रिजर्व रेशो का भी क्या है एक्सेस रिजर्व रेशो का भी क्या है इवर्स रिलेशन निकल कर आता है अब अगर आप मेरे से मनी मल्टीप्लायर का फार्मूला पूछेंगे तो मनी मल्टीप्लायर का फार्मूला है 1 प्स सीडीआर डिवाइडेड बाय आरडीआर प्लस सीडीआर प्लस ई आर आर प्लस ई आर आर तो जैसे मान लो रिजर्व टू डिपॉजिट रेशो 20 पर का है सपोज कर लो कैश डिपॉजिट रेशो सपोज कर लो आप अपने पास 28 पर का है और एक्सेस रिजर्व रेशो सपोज कर लो जी 0.5 पर का है 0.5 पर का है तो अगर हमें मनी मल्टीप्लायर निकालना है तो मनी मल्टीप्लायर क्या होगा मनी मल्टीप्लायर इक्ट 1 प् 28 पर को 0.28 लिख सकते हैं आरडीआर 20 पर है 0.20 0.28 0.5 को 0.05 लिख सकते हैं तो इसको अगर हम सॉल्व करेंगे तो यह आएगा 1.28 डिवाइडेड बाय 0 प 0 प 5 था ना 005 आएगा 005 प् 28 प् प2 0485 तो 1.28 को डिवाइड कर देंगे 485 से यानी कि आपका जो मनी सप्लाई होगा दैट विल बी 2.69 दैट विल बी 2.63 यानी कि ₹ की करेंसी अगर प्रिंट होती है तो वह कितने की मनी सप्लाई क्रिएट करेगी वह 2.63 की मनी सप्लाई क्रिएट करेगी ठीक है तो जैसे मैंने आपको बताया कि मनी सप्लाई क्या है मनी सप्लाई इज इक्वल टू मनी मल्टीप्लायर इनटू द मॉनेटरी बेस मनी मल्टीप्लायर इनटू मॉनेटरी बेस मनी मल्टीप्लायर कैसे निकलेगा वो मैंने आपको बता दिया मनी मल्टीप्लायर इज इक्वल टू 1 प् सीडीआर डिवाइडेड बाय आरडीआर प्स सीडीआर प्स र आर प्लस ई आरआर क्लियर है ओके रिपोर्ट हो गया ओके रिपोर्ट हो गया याद रखना जितने कम रिजर्व्स होंगे जितने कम रिजर्व्स होंगे उतना ज्यादा मनी सप्लाई होगा जितने ज्यादा रिजर्व्स होंगे उतना कम मनी सप्लाई होगा ठीक है द लोवर द रेशियो लोअर द रेशियो हायर विल बी द m एंड हेंस हायर विल बी द मनी सप्लाई हेंस हायर विल बी द मनी सप्लाई जितने कम रेशियो होंगे उतने ज्यादा मनी सप्लाई निकल कर आएगी हायर लोअर द रेश्योस लोअर द रेश्योस हायर द एम हायर द एम हायर द मनी सप्लाई हायर द मनी सप्लाई ओके रिपोर्ट यस सर यस सर यस सर यस सर अब एक सिंपल सी चीज आरडीआर का इफेक्ट मैंने आपको बता दिया ये मनी सप्लाई मैंने आपको बता दिया एक्सेस रिजर्व रेशो मैंने आपको बता दिया आरडीआर का कांसेप्ट मैंने आपको बता दिया आरडीआर का कांसेप्ट मैंने आपको बता दिया यह देखिए आरडीआर का कांसेप्ट मैंने आपको बता दिया कि सर रिजर्व रेशो जितने कम होंगे क्रेडिट बनी उतनी ज्यादा होगी मनी सप्लाई उतनी ज्यादा होगी तो मैंने आरडीआर का इफेक्ट आपको बता दिया आरडीआर के इफेक्ट के बाद मैंने आपको सीडीआर का इफेक्ट भी बता दिया आरडीआर का इफेक्ट हो गया इसके बाद मैंने आपको सीडीआर का इफेक्ट बता दिया ठीक है अच्छा एक कांसेप्ट आता है क्रेडिट मल्टीप्लायर एक कांसेप्ट आता है क्रेडिट मल्टीप्लायर एक तो होता है मनी मल्टीप्लायर मनी मल्टीप्लायर क्या डिसाइड करता है कि मनी सप्लाई कितनी होगी मनी मल्टीप्लायर किसकी बात करता है मनी मल्टीप्लायर करता मनी के सप्लाई की मनी के सप्लाई की और क्रेडिट मल्टीप्लायर किसकी बात करता है क्रेडिट मल्टीप्लायर आपके पास बात करता है कि कितना क्रेडिट मनी जनरेट होगा कितना क्रेडिट मनी जनरेट होगा मनी मल्टीप्लायर का फार्मूले में मनी मल्टीप्लायर के फार्मूले में हम लोग यूज कर रहे थे 1 प् सीडीआर डिवाइडेड बाय सीडीआर प्स आरडीआर प्स र आर ठीक है क्रेडिट मनी के लिए यानी कि क्रेडिट मल्टीप्लायर के लिए हम फार्मूला पढ़ते हैं 1 डिवाइडेड बाय 1 डिवाइडेड बाय 1 डिवाइडेड बाय सीर आर या आप रिक्वायर्ड रिजर्व भी बोल सकते हो न डिवाइडेड बाय रिक्वायर्ड रिजर्व्स 1 डिवाइडेड बाय रिक्वायर्ड रिजर्व्स मतलब जितने कम रिक्वायर्ड रिजर्व्स होंगे जितने कम रिक्वायर्ड रिजर्व्स होंगे उतना ज्यादा क्रेडिट मनी जनरेट होगा जितने कम रिक्वायर्ड रिजर्व्स होंगे उतना ज्यादा आपके पास क्रेडिट मनी जनरेट होगा तो जैसे मान लो आपका सीआरआर 5 पर का है और आपका एसएलआर 22 पर का है मतलब टोटल आपको रिजर्व्स मेंटेन करने हैं 27 पर के 5 पर आपको आरबीआई के पास जमा करना है और आपको 22 पर कहां पर लगाना है स्टेट्यूटरी लिक्विड एसेट्स में लगाना है इस पैसे की लेंडिंग नहीं हो सकती यानी कि टोटल 27 पर पैसे की लेंडिंग नहीं हो सकती तो आपके पास क्रेडिट मल्टीप्लायर कितना आएगा 1 / 27 पर आपके पास क्रेडिट मल्टीप्लायर आएगा 3.70 यानी कि बैंक में अगर ₹ जमा होता है बैंक में अगर ₹ जमा होता है तो बैंक उस ₹1 से 3.70 का क्रेडिट मनी जनरेट कर सकती है मतलब वह पैसा बैंकों में घूम घूम के घूम घूम के कितना बन जाएगा 3.7 वह पैसा बैंकों में घूम घूम के कितना बन जाएगा 3.7 भाई सिंपल सा फंडा होता है जैसे मान लो ए के पास 000 है और वह 000 जमा करता है बैंक ऑफ बड़ौदा में बैंक ऑफ बड़ौदा क्या करती है मान लो % का रिजर्व है तो 10 का रिजर्व काट के आगे पैसा एज अ लोन आगे पैसा एस अ लोन बी को दे देती है तो बी के अकाउंट में पैसा आ गया बी के अकाउंट में पैसा आ गया अब बी को मान लो सी को पेमेंट करना है बी को मान लो सी को पेमेंट करना है तो बी क्या करता है सी के बैंक को पेमेंट कर देता है बी ने सी को 00 का पेमेंट कर दिया बी ने सी को पेमेंट देनी थी तो सर बी ने सी को 00 दिए सी क्या करेगा इसको अपने बैंक में डिपॉजिट कर देगा मान के चल रहे हैं कि हम यहां पर सारा पैसा बैंक में जमा कर रहे हैं तो मान लो सी का अकाउंट जो है वह एक्सिस बैंक में है तो सी ने एक्सिस बैंक में 900 जमा कर दिए एक्सिस बैंक 10 पर का रिजर्व क्रिएट करेगी और बचे हुए 810 एस अ लोन डी को दे देगी डी ने मान लो ई को पेमेंट करनी थी डी ने आगे ई को पेमेंट कर दी डी ने आगे ई को पेमेंट कर दी ने अपना पैसा बैंक में जमा करा दिया ई का बैंक है मान के चलते हैं आईसीआईसीआई बैंक में है तो आईआईआई में 810 जमा हो गए आईआईआई 10 पर का रिजर्व रखेगी और आगे ₹ 29 का लोन दे देगी f को और यह सिलसिला चलता रहेगा तो जो 000 बैंक ऑफ बड़ौदा में जमा हुए थे यह आगे 9900 बी को मिले बी ने आगे सी को दिए सी ने आ आगे बैंक में जमा किए सी के बैंक ने आगे डी को लोन दे दिया डी ने ई को पेमेंट करी ई ने अपने बैंक में पैसा जमा कर दिया ई के बैंक ने आगे एफ को लोन दे दिया यह सिलसिला चलता रहेगा जब तक आपकी अमाउंट नेगलिजिबल नहीं होगी तो पैसा एक बैंक से पैसा दूसरे बैंक में गया दूसरे बैंक से पैसा तीसरे बैंक में गया ऐसे ही एफ जो होगा वो ये 729 बैंक में जमा करा देगा मान लो एफ का अकाउंट कोटेक में है तो इसने कोटेक में जमा करा दिए तो यह ₹ 29 कोटेक में आ गए तो एक बैंक से पैसा दूसरे बैंक दूसरे से तीसरे बैंक घूमता रहेगा और जितनी बार पैसा आगे जाएगा 1010 पर का रिजर्व मेंटेन होता जाएगा जब-जब पैसा आगे जाएगा 10-10 पर का रिजर्व मेंटेन होता जाएगा इसको बोलते हैं क्रेडिट मल्टीप्लायर जितना कम रिजर्व होगा उतनी ज्यादा लैंडिंग होगी जितना कम रिजर्व होगा उतनी ज्यादा लेंडिंग होगी और जितनी ज्यादा लैंडिंग होगी उतना ज्यादा मनी सप्लाई आपके पास क्या होगी क्रिएट होगी उतनी ज्यादा आपके पास मनी सप्लाई क्या होगी क्रिएट होगी राइट तो ये सारे इंपैक्ट्स हमने देख लिए क्रेडिट मल्टीप्लायर का कांसेप्ट मैंने आपको समझा दिया क्रेडिट मल्टीप्लायर का फार्मूला मैंने आपको समझा दिया ठीक है ओके सर ओके सर सीडीआर का कांसेप्ट मैंने आपको समझा दिया करेंसी टू डिपॉजिट रेशियो करेंसी टू डिपॉजिट रेशियो यह मैंने आपको समझा दिया जितना कम आपके पास अ करेंसी होगी पब्लिक के पास उतना ज्यादा मनी सप्लाई होगा ठीक है जो करेंसी होती है वह मल्टीप्लाई नहीं होती क्योंकि वह पब्लिक के पास रहती है लेकिन जो डिमांड डिपॉजिट्स होती है जो हम बैंक में जमा करते हैं वह अपने पास मल्टीप्लाई होती है तो आपके पास जब भी सीडीआर जो होगा वह अपने पास कम होगा जब भी आपके पास सीडीआर कम होगा तो वो मनी मल्टीप्लाई क्या करेगा ज्यादा करेगा ठीक है चलिए इसके बाद आपको पता है कि सर गवर्नमेंट के पास गवर्नमेंट के पास क्या होता है सर गवर्नमेंट के पास जब पैसे की कमी हो जाती है गवर्नमेंट का जब कैश बैलेंस मिनिमम लेवल पर आ जाता है गवर्नमेंट का कैश बैलेंस जब मिनिमम लेवल पर आ जाता है तो गवर्नमेंट क्या करती है शॉर्ट टर्म बोरोंग करती है शॉर्ट टर्म बोइंग कर फ्रॉम आरबीआई वह शॉर्ट टर्म बोरोंग करती है फ्रॉम आरबीआई शॉर्ट टर्म बोरोंग करती है फ्रॉम आरबीआई ठीक है तो बैंक क्या करता है यह जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है यह क्या करता है सर यह गवर्नमेंट के बिहाव में पेमेंट्स करता है यह गवर्नमेंट के बिहाव पर पेमेंट्स करता है तो जैसे मान लो आपने गवर्नमेंट को प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी सप्लाई करी थी तो गवर्नमेंट ने आपको पैसा देना है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्या करेगी गवर्नमेंट के अकाउंट को अपने पास डेबिट कर लेगी क्योंकि आरबीआई ने गवर्नमेंट को लोन दिया है तो वह गवर्नमेंट से पैसा मांगेगी मान लो 5 लाख रुप की पेमेंट थी तो गवर्नमेंट के अकाउंट को 5 लाख र से डेबिट कर दिया जाएगा और आपको पेमेंट दी जा रही है तो आपके बैंक अकाउंट को क्रेडिट कर दिया जाएगा आपके बैंक अकाउंट को क्रेडिट कर दिया जाएगा अब प्लीज मेरी बात को सुनना आरबीआई ने गवर्नमेंट से पैसा लेना है तो आरबीआई ने गवर्नमेंट को क्या कर दिया डेबिट कर दिया और गवर्नमेंट ने आपको पैसा देना था तो सर आपके बैंक अकाउंट को क्या कर दिया गया क्रेडिट कर दिया गया तो आरबीआई ने ₹ लाख आपके बैंक को देना है आरबीआई ने ₹ लाख आपके बैंक को देना है और आरबीआई ने गवर्नमेंट से ₹ लाख को लेना है अगर आपका बैंक यह ₹ लाख आरबीआई के पास से विड्रॉ ना करे अगर आपका बैंक यह 5 लाख रप आरबीआई के पास से विड्रॉ ना करें तो यह ₹ लाख र एक्सेस रिजर्व बन जाते हैं अगर आपका बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से यह 5 लाख र विड्रॉ ना करे आपको तो 5 लाख र आपका बैंक देगा आपको तो 5 लाख आपका बैंक दे देगा लेकिन अगर आपके बैंक ने आरबीआई से 5 लाख नहीं लिए बिना आरबीआई से ₹ लाख लिए आपको पैसा दे दिया तो जो ₹ लाख आपके बैंक का आरबीआई के पास पड़ा हुआ है दैट विल बी कंसीडर्ड एज एक्सेस रिजर्व यही चीज यहां पर लिखी है व्हेन एवर द सेंट्रल एंड द स्टेट गवर्नमेंट कैश बैलेंस फॉल शॉर्ट द मिनिमम रिक्वायरमेंट दे आर एलिजिबल टू अवेल द फैसिलिटी कॉल्ड वेस एंड मींस एडवांस और ओवरड्राफ्ट फैसिलिटी व्हेन गवर्नमेंट इनकर्स एक्सपेंडिचर इट इवॉल्व डेबिटिंग गवर्नमेंट अकाउंट विद आरबीआई एंड क्रेडिटिंग रिसीवर क्रेडिटिंग रिसीवर अकाउंट विद द कमर्शियल बैंक तो रिसीवर को हो सकता है सैलरी मिलनी हो रिसीवर को हो सकता है प्रिंटिंग एंड स्टेशनरी का पेमेंट होना हो रिसीवर को हो सकता है टेलीफोन बिल का पेमेंट होना हो इलेक्ट्रिसिटी बिल का पेमेंट होना हो तो रिसीवर के अकाउंट को क्रेडिट कर दिया जाता है और यही चीज किसमें सो इट रिजल्ट्स इन जनरेशन ऑफ एक्सेस रिजर्व इसकी वजह से क्या होता है एक्सेस रिजर्व क्रिएट होता है अगर आपके बैंक ने आरबीआई से वोह ₹ लाख नहीं लिए तो यह क्या करेंगे एक्सेस रिजर्व क्रिएट कर देंगे अब यह जो एक्सेस रिजर्व है व आरबीआई के पास पड़ा हुआ है यह आपका मनी सप्लाई इंक्रीज नहीं करेगा यह ₹ लाख जो आरबीआई के पास एक्सेस रिजर्व पड़े हुए हैं यह एक एक्सेस रिजर्व आपके पास मनी सप्लाई क्रिएट नहीं करेगा अब अगर आपके बैंक के पास मौका है ज्यादा इंटरेस्ट कमाने का अगर आपके बैंक के पास मौका है ज्यादा इंटरेस्ट कमाने का तो वह अपने एक्सेस रिजर्व को विड्रॉ करेगा आरबीआई से और इन्वेस्ट कर देगा इस एक्स्ट्रा इंटरेस्ट के लिए लेकिन अगर आपके पास ज्यादा इंटरेस्ट कमाने का ऑप्शन नहीं है बैंक के पास तो फिर वो एक्सेस रिजर्व को विड्रॉ नहीं करता एक एक बार रीड करना आपको समझ में आ जाएगा मेन मेन चीजें इस चैप्टर की जो थी वो मैंने आपको करा दी आइए जल्दी से अब हम यहां पर एमसी क्यूस कर लेते हैं जल्दी से यहां पर हम लोग एमसीक्यू यहां पर कर लेते हैं सबसे पहला क्वेश्चन m1 m1 क्या होता है करेंसी एंड कॉइंस विद द पीपल प्लस डिमांड डिपॉजिट्स ऑफ द बैंक प्लस अदर डिपॉजिट्स ऑफ द आरबीआई करेंसी एंड कॉइंस विद द पीपल प्लस डिमांड एंड टाइम डिपॉजिट्स विद द बैंक टाइम डिपॉजिट्स नहीं आते m1 में करेंसी इन सर्कुलेशन प्लस बैंकर्स डिपॉजिट विद द आरबीआई प्लस अदर डिपॉजिट्स विद द आरबीआई नहीं आपका जो पहला ऑप्शन है वह करेक्ट है करेंसी विद पब्लिक प्लस डिमांड डिपॉजिट्स ऑफ द बैंक प्लस अदर डिपॉजिट्स ऑफ़ द आरबीआई बैंक्स इन द कंट्री आर रिक्वायर्ड टू मेंटेन डिपॉजिट्स विद द सेंट्रल बैंक बैंक्स इन द कंट्री आर रिक्वायर्ड टू मेंटेन डिपॉजिट्स विद द सेंट्रल बैंक टू प्रोवाइड नेसेसरी रिज र्स फॉर द फंक्शनिंग ऑफ द सेंट्रल बैंक टू मीट द डिमांड फॉर मनी बाय द बैंकिंग सिस्टम टू मीट द सेंट्रल बैंक प्रिस्क्रुटनी द सेटलमेंट ऑब्लिगेशंस टू मीट द मनी नीड्स फॉर डे टू डे वर्किंग ऑफ द कमर्शियल बैंक तो आपके पास रिजर्व्स क्यों बनाए जाते हैं सर रिजर्व्स इसलिए बनाए जाते हैं ताकि बैंकिंग सिस्टम के अंदर लिक्विडिटी मेंटेन रहे बैंकिंग सिस्टम के अंदर लिक्विडिटी मेंटेन रहे इसके लिए रिज बनाए जाते हैं तो करेक्ट आंसर जो होगा वो होगा आपका सी कि कल को अगर किसी कस्टमर को पैसा चाहिए तो हमें उसे पैसा देना पड़ेगा हम हमारी सेटलमेंट ऑब्लिगेशंस को मीट कर सके कोई भी कस्टमर अगर अपने डिमांड डिपॉजिट्स में से सेविंग्स अकाउंट्स में से करंट अकाउंट में से पैसा निकालना चाहता है तो हमारे पास पैसा होना चाहिए द साइज ऑफ द मनी मल्टीप्लायर इज डिटरमिन बाय द करेंसी रेशियो रिक्वायर्ड रिजर्व रेशियो एक्सेस रिजर्व रेशियो मनी मल्टीप्लायर कैसे डिटरमाइंड होता है सर तीनों से करेंसी रेशियो बिहेवियर ऑफ पब्लिक है रिक्वायर्ड रिजर्व रेशियो आपका बिहेवियर ऑफ द कमर्शियल बैंक है एक्सेस रिजर्व भी कमर्शियल बैंक का बिहेवियर है तो यह तीनों जो है वह अपने पास मनी मल्टीप्लायर को डिसाइड करते हैं डैश टेल अस हाउ मच न्यू मनी विल बी क्रिएटेडॉक्युमेंट्सफ्रैगमेंट पावर्ड मनी केवल बैंकिंग सिस्टम की बात कर रहा है कितना नया मनी बैंकिंग सिस्टम क्रिएट करेगा बैंकिंग सिस्टम क्रेडिट मनी क्रिएट करता है तो अपने पास जो क्रेडिट मल्टीप्लायर है वह बताएगा कि कितना मनी जनरेट होगा द मनी मल्टीप्लायर विल बी लार्ज मनी मल्टीप्लायर बड़ा होगा अगर हायर करेंसी रेशो है लोअर रिजर्व रेशो है और लो एक्सेस रिजर्व रेशो है कांस्टेंट करेंसी रेशो है हायर रिजर्व रेशो है लोअर एक्सेस रिजर्व रेशो है लोअर करेंसी रेशो है लोअर रिक्वायर्ड रिजर्व रेशो है एंड लोअर एक्सेस रिजर्व रेशो है सर यह तीनों रेशो जब कम होंगे करेंसी टू डिपॉजिट रेशो रिक्वायर्ड रिजर्व टू डिपॉजिट रेशो एक्सेस रिजर्व टू डिपॉजिट रेशो ये तीनों रिजर्व जब कम होंगे तब आपका मल्टीप्लायर ज्यादा निकल कर आएगा फॉर अ गिवन लेवल ऑ द मॉनेटरी बेस इंक्रीज इन द रिक्वायर्ड रिजर्व रिक्वायर्ड रिजर्व बढ़ गया तो इसकी वजह से क्या होगा रिक्वायर्ड रिजर्व बढ़ने की वजह से जो मनी मल्टीप्लायर है वह कम हो जाएगा मनी मल्टीप्लायर कम हो जाएगा तो मार्केट में मनी सप्लाई जो होगी मनी सप्लाई भी आपकी कम हो जाएगी तो देयर विल बी अ डिक्रीज इन द मनी सप्लाई ए विल बी द करेक्ट आंसर फॉर अ गिवन लेवल ऑफ मॉनेटरी बेस इनक्रीस इन द करेंसी रेशो हमने करेंसी रेशो बढ़ा दिया कॉसेस द मनी मल्टीप्लायर टू डिक्रीज मनी मल्टीप्लायर डिक्रीज हो जाएगा एंड अकॉर्डिंग मनी सप्लाई भी डिक्रीज हो जाएगी कहीं पर डिक्रीज और डिक्रीज है हां सर सी विल बी द करेक्ट आंसर सी विल बी द करेक्ट आंसर ठीक है चलिए एक लास्ट क्वेश्चन देख लेते हैं इफ कमर्शियल बैंक रिड्यूस देयर होल्डिंग ऑफ एक्सेस रिजर्व अगर कमर्शियल बैंक अपना एक्सेस रिजर्व घटा दे मतलब जो पैसा उसने एक्स्ट्रा जमा कर रखा था आरबीआई के पास वह पैसा अगर कमर्शियल बैंक विड्रॉ कर ले तो उस केस में मनी मल्टीप्लायर बढ़ जाएगा अगर एक्सेस रिजर्व कम हो जाएंगे तो मनी मल्टीप्लायर बढ़ जाएगा मनी मल्टीप्लायर बढ़ जाएगा तो मनी की सप्लाई बढ़ जाएगी मनी की सप्लाई बढ़ जाएगी तो आपका मॉनेटरी नहीं मॉनेटरी बेस पर तो कोई इंपैक्ट नहीं आएगा मनी सप्लाई बढ़ जाएगी तो आपके पास करेक्ट ऑप्शन निकल कर आता है बी करेक्ट ऑप्शन आपके पास निकल कर आता है बी एवरीवन यहां तक उम्मीद करता हूं आप लोग को मेरी बात समझ में आ गई होगी और अब हम आगे बढ़ेंगे राइट चलिए भाई बच्चों अब हम बात करते हैं हमारे पास यूनिट नंबर थ्री की और यूनिट नंबर थ्री बात करती है बेटा अपने पास मॉनेटरी पॉलिसी की यह मॉनेटरी पॉलिसी क्या है कौन फ्रेम करता है सर मोनेटरी पॉलिसी हमारे पास फ्रेम करता है सेंट्रल बैंक सेंट्रल बैंक बोले तो आरबीआई रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आपके पास मॉनेटरी पॉलिसी लेकर आता है पर्पस क्या है मॉनेटरी पॉलिसी का सर मोनेटरी पॉलिसी का पर्पस है टू ब्रिंग इकोनॉमिक ग्रोथ टू ब्रिंग इकोनॉमिक ग्रोथ एंड प्राइस स्टेबिलिटी इकोनॉमी में ग्रोथ लेकर आना और इकोनॉमी में प्राइस स्टेबिलिटी लेकर आना यह काम मॉनेटरी पॉलिसी करती है यानी कि हमारा जो सेंट्रल बैंक है वह मोनेटरी पॉलिसीज के थ्रू कंट्रोल करता है इन्फ्लेशन को एंड ओवरकम करता है रिसेशन की सिचुएशन को ओवरकम करता है रिसेशन की सिचुएशन को तो अगर इकोनॉमी रिसेशन में एंटर कर गई है तो उस रिसेशन से बाहर निकालने में मॉनेटरी पॉलिसीज काम करती हैं इकोनॉमी में बहुत ज्यादा इन्फ्लेशन चल रहा है तो उस इंफ्लेशन को कंट्रोल करने का काम भी आपकी मॉनेटरी पॉलिसी करती है तो सेंट्रल बैंक अपने पास यह पॉलिसीज फ्रेम करती है सो दैट कि वह प्राइस स्टेबिलिटी ला सके प्राइस स्टेबिलिटी का मतलब क्या है प्राइस स्टेबिलिटी का मतलब है कि इकोनॉमी के अंदर एक नॉर्मल इंफ्लेशन होना चाहिए इंफ्लेशन बुरी चीज नहीं है दोस्त इंफ्लेशन बुरी चीज नहीं है इंफ्लेशन अच्छी चीज है अगर लिमिट में है तो अगर लिमिट में है तो इंफ्लेशन अगर 56 पर का है तो इट इज गुड लेकिन 10 15 20 पर पे चल रहा है तो व इकोनॉमी के लिए हानिकारक है मतलब सर लोगों की अगर इनकम बढ़ रही है और जितनी इनकम बढ़ रही है उतना ही इंफ्लेशन आ रहा है तो कोई दिक्कत नहीं है अगर लोगों की इनकम और इंफ्लेशन बराबर बराबर चल रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है इनकम में भी ग्रोथ हो रही है इंफ्लेशन भी आ रहा है कोई दिक्कत नहीं प्रॉब्लम कहां आती है जब गुड्स एंड सर्विसेस महंगी हो जाती हैं लेकिन इनकम नहीं बढ़ती इनकम नहीं बढ़ रही है लेकिन गुड्स एंड सर्विसेस महंगी हो रही है वहां पर प्रॉब्लम निकल कर आती है और उसी सिचुएशन को आपके पास सेंट्रल बैंक कंट्रोल करता है मोनेटरी पॉलिसी के थ्रू सेम ऐसा ही काम कुछ गवर्नमेंट भी करती है आपको पता है गवर्नमेंट भी आपके पास इंफ्लेशन को कंट्रोल करने का काम करती है रिसेशन से बाहर निकालने का काम करती है और गवर्नमेंट यह काम किसके थ्रू करती है अपनी फिस्कल पॉलिसीज के थ्रू गवर्नमेंट किसके थ्रू काम करती है फिस्कल पॉलिसीज के थ्रू काम करती है राइट तो हम इस चैप्टर में सेंट्रल बैंक के बारे में बात करने वाले हैं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यूस द मॉनेटरी पॉलिसी टू मैनेज इकोनॉमिक फ्लकचुएशन टू मैनेज इकोनॉमिक फ्लकचुएशंस इकोनॉमिक फ्लकचुएशंस बिजनेस साइकल में पढ़ा था एक्सपेंशनरी फेज कंट्रक्शन फेज तो एक्सपेंशनरी फेज कंट्रक्शन फेस को मैनेज करने के लिए करती है बहुत ज्यादा इंफ्लेशन आ गया मैनेज करेगी बहुत ज्यादा कंट्रक्शन आ गया रिसेशन आ गया मैनेज करेगी एंड टू अचीव प्राइस स्टेबिलिटी व्हिच मींस दैट इंफ्लेशन लो होना चाहिए एंड स्टेबल होना चाहिए ऐसा नहीं कहेंगे कि इंफ्लेशन नहीं होगा इकोनॉमी में इंफ्लेशन होगा लेकिन इंफ्लेशन कैसा होना चाहिए लो होना चाहिए और इंफ्लेशन स्टेबल होना चाहिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कंडक्ट्स द मॉनेटरी पॉलिसी बाय एडजस्टिंग द सप्लाई ऑफ मनी इंपॉर्टेंट सर हम यह इकोनॉमिक स्टेबिलिटी कैसे लेकर आते हैं हम यह प्राइस स्टेबिलिटी कैसे लेकर आ रहे हैं हम यह फ्लक्ट एशन से इकोनॉमी को कैसे बचा रहे हैं तो इसके लिए आपको मनी सप्लाई क्या करनी है सर आपको मनी सप्लाई कंट्रोल करनी है आपको मनी सप्लाई यहां पर क्या करनी है मनी सप्लाई आपको कंट्रोल करके चलनी है जब आपके पास इकोनॉमी में इंफ्लेशन है तो हमें क्या करना है सर हमें मनी का सप्लाई कम कर देना है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को ऐसे एक्शन लेने हैं कि मार्केट में से मनी की सप्लाई क्या हो जाए कम हो जाए मार्केट में से मनी की सप्लाई कम हो जाए और जब रिसेशन होगा अच्छा सर इंफ्लेशन में मनी सप्लाई कम करके क्या होगा इंफ्लेशन के दौर में अगर आप मनी सप्लाई को कम करोगे तो लोगों की परचेसिंग पावर कम हो जाएगी जब मार्केट से पैसा गायब हो जाएगा तो लोगों की परचेसिंग पावर कम हो जाएगी और जब लोगों की परचेसिंग पावर कम हो जाएगी तो लोग डिमांड कम करेंगे और जब डिमांड कम करेंगे तो अपने आप इंफ्लेशन कंट्रोल में आ जाएगा अपने आप इंफ्लेशन कंट्रोल में आ जाएगा और वहीं पर काम करना है बेटा रिसेशन में जब रिसेशन होगा मंदी का दौर होगा तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया राजा बेटा क्या करेगी सर मनी का सप्लाई इकोनॉमी में बढ़ाएगी जब मनी का सप्लाई इकोनॉमी में बढ़ेगा तो उससे क्या होगा सर लोगों की परचेसिंग पावर बढ़ेगी जब लोगों की परचेसिंग पावर बढ़ेगी तो सर डिमांड बढ़ेगी और जैसे ही आपकी डिमांड बढ़ेगी इकोनॉमी रिसेशन से बाहर निकल कर आएगी राइट फ्रेमवर्क क्या है आपके पास मॉनेटरी पॉलिसीज का तो फ्रेमवर्क व्च हैज थ्री बेसिक कंपोनेंट्स आपकी मोनेटरी पॉलिसी के तीन बेसिक कंपोनेंट्स है एक हमें मॉनेटरी पॉलिसी के ऑब्जेक्टिव्स पढ़ने हैं एक हमें देखना है कि किस तरीके से आपकी मोनेटरी पॉलिसी में चेंज करके इकोनॉमी में चेंज आता है इसको बोलते हैं ट्रांसमिशन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया किस तरीके से मॉनेटरी पॉलिसी को चेंज करके इकोनॉमिक ग्रोथ में चेंज लेकर आती है प्राइस स्टेबिलिटी लेकर आती है इसको बोलते हैं ट्रांसमिशन कि ये ट्रांसमिशन कैसे होगा कैसे मॉनेटरी पॉलिसी बदलने से इकोनॉमी में चेंज आ जाता है प्राइस स्टेबिलिटी आ जाती है इंफ्लेशन रिसेशन कैसे कंट्रोल हो जाता है तो ट्रांसमिशन मैकेनिज्म देखना है कि कैसे मॉनेटरी पॉलिसी को बदलकर कैसे मॉनेटरी पॉलिसी को चेंज करके इकोनॉमी में स्टेबिलिटी लाई जाती है कैसे मोनेटरी पॉलिसी को चेंज करके इकोनॉमी में स्टेबिलिटी लाई जाती है दैट इज योर ट्रांसमिशन मैकेनिज्म दैट इज योर ट्रांसमिशन मैकेनिज्म एंड लास्ट कि गवर्नमेंट के पास मतलब रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास कौन से टूल्स है कौन से टूल्स है कौन सी टेक्निक्स है जिनके थ्रू गवर्नमेंट मनी सप्लाई कंट्रोल करती है ठीक है तो हमें तीन चीजें पढ़नी है बेसिकली अब इस चैप्टर में एक हमें ऑब्जेक्टिव पढ़ने हैं मॉनेटरी पॉलिसी के दूसरा हमको पढ़ना है कि सर ट्रांसमिशन कैसे होगा और तीसरा हमको पढ़ना है टूल्स क्या है टेक्निक्स क्या है तो सबसे पहले हम बात करते हैं सर ऑब्जेक्टिव्स के मॉनेटरी पॉलिसी का ऑब्जेक्टिव क्या है मॉनेटरी पॉलिसी क्या करना चाहती है तो सबसे पहली चीज मोनेटरी पॉलिसी क्या करना चाहती है सर अपने पास इकोनॉमिक ग्रोथ लेकर आना चाहती है हमारी जो जीडीपी है वो बढ़ती रहे 8 पर से ग्रो कर रही है इकोनॉमी तो 8 पर से ग्रो करे 9 पर 100% 12 पर से ग्रो करें मतलब इकोनॉमी की ग्रोथ चलती रहे इस चीज पर ध्यान देती है मोनेटरी पॉलिसी मोनेटरी पॉलिसी ये मेक श्योर करती है कि इकोनॉमी का डाउनफॉल ना आए इकोनॉमी ऊपर की तरफ चलती रहे इसके बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की जो मॉनेटरी पॉलिसी है वह यह चाहती है कि एडिक्ट फ्लो बना रहे क्रेडिट का एडिक्ट फ्लो बना रहे क्रेडिट का क्रेडिट से हमारा यहां पर क्या मतलब है लोन से मतलब है लोन से मतलब है कि हमारे पास जिस भी सेक्टर को लोन की रिक्वायरमेंट है उसको आराम से लोन मिलता रहे हमारे जो प्रोडक्टिव सेक्टर्स है उनको लोन आराम से मिलता रहे लोन में कोई दिक्कत नहीं आनी चाहिए लैंडिंग फैसिलिटी जो बैंक्स की है वह प्रॉपर चलती रहे जो पैसा बैंक में डिपॉजिट हो रहा है व एज अ लोन डिस्ट्रीब्यूटर जिस भी सेक्टर में पैसे की रिक्वायरमेंट है उस सेक्टर तक फंड्स पहुंचाने की जिम्मेदारी मॉनेटरी पॉलिसी की है यह ऑब्जेक्टिव है अगला है सस्टेनिंग अ मॉडरेट स्ट्रक्चर सस्टेनिंग अ मॉडरेट स्ट्रक्चर ऑफ इंटरेस्ट रेट टू इनकरेज द इन्वेस्टमेंट कह रहा है कि जो आपके इंटरेस्ट रेट है वो मॉडरेट होने चाहिए मतलब इंटरेस्ट रेट बहुत कम नहीं होने चाहिए बहुत ज्यादा नहीं होने चाहिए मॉडरेट इंटरेस्ट रेट होना चाहिए जैसे अगर लोन चाहिए तो ऐसा नहीं कि लोन 34 पर पर मिल जाए ऐसा भी नहीं कि 151 पर पे मिले मतलब इंटरेस्ट रेट जो होना चाहिए लोन का वो ना तो कम होना चाहिए ना बहुत ज्यादा होना चाहिए मॉडरेट होना चाहिए सो दैट इन्वेस्टमेंट इनकरेज हो इन्वेस्टमेंट कौन करता है इन्वेस्टमेंट कौन करता है सर इन्वेस्टमेंट करता है आपके बिजनेस हाउसेस आपकी फर्म्स तो फर्म को एक मॉडरेट रेट पर लोन मिलना चाहिए ताकि वह पैसा इन्वेस्ट करके अपने लिए प्रॉफिट कमा सके फॉर एग्जांपल कोई बिजनेस है वहां से मेरे को 15 पर रिटर्न की उम्मीद है कि अगर मैं वहां पर एक करोड़ रुपए लगाता हूं अगर मैं वहां पर एक करोड़ रुपए लगाता हूं तो मेरे को % का वहां पर रिटर्न आ जाएगा मतलब मेरा रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट 15 पर का होगा मेरे पास अपने पैसे मेरे पास अपने पैसे पड़े हुए हैं राजा बेटा सपोज कर लो ₹ लाख के मेरे पास 30 लाख रप अवेलेबल है मुझे 7 लाख रप और चाहिए तो मैं बैंक के पास गया बैंक कहता है सरदार जी आपको 7 लाख का लोन दे देंगे बैंक कहता है सर आपको 7 लाख का लोन दे देंगे और आपसे 9 पर का इंटरेस्ट लेंगे तो मैंने कहा ठीक है क्या दिक्कत है 9 पर पर मेरे को लोन मिल रहा है वो पै इन्वेस्ट करके मैं 15 पर कमा रहा हूं यानी कि मेरे पास एक्स्ट्रा कितना बच रहा है मेरे पास एक्स्ट्रा 6 पर अपने लिए बच रहा है ना तो इसको क्या बोल रहे हैं मॉडरेट रेट पर लोन मिलना चाहिए अगला पॉइंट आता है कि एफिशिएंट मार्केट बने गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के लिए आपको अच्छे से पता होगा कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्या करती है सर गवर्नमेंट के लिए सिक्योरिटी सेल परचेस करने का काम करती है तो सेंट्रल ल गवर्नमेंट की जो सिक्योरिटीज है स्टेट गवर्नमेंट की जो सिक्योरिटीज है जो बॉन्ड्स होते हैं उनको खरीदने बेचने का काम कौन करती है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करती है एंड रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की मोनेटरी पॉलिसी कीय जिम्मेदारी बनती है यह ऑब्जेक्टिव है कि एक प्रॉपर मार्केट होना चाहिए मतलब गवर्नमेंट को जब सिक्योरिटीज बेचनी है तो वह आराम से बिक जाए उसके लिए कस्टमर्स अवेलेबल होने चाहिए इस चीज का ध्यान रखती है मॉनेटरी पॉलिसी इसके बाद इंडिया जो लोन उठाती है उस लोन का मैनेजमेंट करती है मतलब गवर्नमेंट जो बोरो इंग्स करी है गवर्नमेंट की बोरो इंग्स का मैनेजमेंट करती है इसके बाद प्राइस स्टेबिलिटी लेकर आती है मॉनेटरी पॉलिसी यानी कि इंफ्लेशन कंट्रोल करने का काम करती है ऑल दीज आर ऑब्जेक्टिव्स ऑफ मोनेटरी पॉलिसी तो फ्रेमवर्क में से एक चीज हमारी कंप्लीट हो गई फ्रेमवर्क में से एक चीज हमारे पास कंप्लीट हो गई फ्रेमवर्क में से एक चीज हमारे पास कंप्लीट हो गई हमने ऑब्जेक्टिव्स कंप्लीट कर लिए अब हम ट्रांसमिशन की तरफ बढ़ेंगे मैं फिर से बोल रहा हूं ट्रांसमिशन का मतलब यह है कि हम मॉनेटरी पॉलिसी को चेंज करके किस तरीके से हम मनी सप्लाई को कंट्रोल कर लेते हैं किस तरीके से प्राइस की स्टेबिलिटी आ जाती है किस तरीके से इकोनॉमी ग्रो करती है हम यह सीखने वाले हैं कि वह ट्रांसमिशन कैसे होता है ट्रांसमिशन का मतलब एक फेज से दूसरे फेज में आप एंटर कैसे करते हो एक फेज से दूसरे फेज में आप कैसे एंटर करते हो ठीक है तो ट्रांसमिशन का मतलब क्या है ट्रांसमिशन ऑफ द मोनेटरी पॉलिसी डिस्क्राइब्स इट डिस्क्राइब्स हाउ द चेंजेज मेड हाउ द चेंजेज मेड बाय द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हाउ द चेंजेज मेड बाय द रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया टू इट्स मॉनेटरी पॉलिसी सेटिंग्स फ्लो थ्रू द इकोनॉमिक एक्टिविटी एंड इंफ्लेशन कैसे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की सेटिंग्स चेंज करने पे रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसे ही मॉनेटरी पॉलिसी की सेटिंग्स चेंज करता है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जैसे ही मॉनेटरी पॉलिसी की सेटिंग्स चेंज करता है तो वह सेटिंग्स चेंज करने से इकोनॉमिक एक्टिविटी में क्या फर्क पड़ता है इंफ्लेशन में क्या फर्क पड़ता है उसको बोलते हैं ट्रांसमिशन उसको क्या बोलते हैं ट्रांसमिशन तो जैसे ही आप अपने एसी का टेंपरेचर 15 16 या 17 पर सेट करते हो तो एकदम से रूम चिल्ड होने लगता है तो यह क्या है ट्रांसमिशन आपने अपनी एसी की सेटिंग चेंज करी पहले टेंपरेचर 25 पे था 25 से टेंपरेचर को 16 पर लेकर आए तो कंप्रेसर ने तेजी में काम करना शुरू किया रूम को एकदम चिल्ड कर दिया यह क्या है ट्रांसमिशन तो वैसे ही जब हम मॉनेटरी पॉलिसी को चेंज करेंगे तो उसका इंपैक्ट इकोनॉमी में कैसे आएगा उसका इंपैक्ट प्राइस स्टेबिलिटी पे कैसे आएगा दैट इज ट्रांसमिशन तो यहां पर कह रहा है कि कि दो स्टेजेस में काम होता है दो स्टेजेस में काम होता है आरबीआई क्या करती है अपनी मोनेटरी पॉलिसी को बदलती है जैसे ही आरबीआई अपनी मोनेटरी पॉलिसी को बदलती है सबसे पहला इंपैक्ट सबसे पहला चेंज आपको कहां पर दिखाई देता है आपको इंटरेस्ट रेट पर दिखाई देता है मतलब आपने मॉनेटरी पॉलिसी बदली तो मॉनेटरी पॉलिसी के बदलने से आपका इंटरेस्ट बदल गया आपने मॉनेटरी पॉलिसी बदली मॉनेटरी पॉलिसी के बदलने से आपका इंटरेस्ट रेट बदल गया इसके बाद जब आपका इंटरेस्ट रेट बदला जब आपका इंटरेस्ट रेट बदला तो इस इंटरेस्ट रेट ने इकोनॉमिक एक्टिविटी और इंफ्लेशन पर क्या इंपैक्ट डाला फिर इंटरेस्ट रेट का इंपैक्ट किस पर आता है इकोनॉमी पर आता है यानी कि साइकल चलती है बेटा साइकल चलती है जब मॉनेटरी पॉलिसी चेंज होती है जब मॉनेटरी पॉलिसी चेंज होती है तो यह किस पर इंपैक्ट डालती है राजे यह इंपैक्ट डालती है अपने पास यह इंपैक्ट डालती है अपने पास इंटरेस्ट रेट प किस पर इंपैक्ट डालती है बेटा जी इंटरेस्ट रेट पर और जैसे ही इंटरेस्ट रेट बदलता है इंटरेस्ट रेट पर इंपैक्ट आता है इंटरेस्ट रेट प इंपैक्ट और जैसे ही इंटरेस्ट रेट पर इंपैक्ट आता है यह आपके पास कहां पर इंपैक्ट छोड़ती है यह आपके पास इकोनॉमिक एक्टिविटी पर इंपैक्ट छोड़ती है यह आपके पास इंफ्लेशन पर इंपैक्ट छोड़ती है बात समझ रहे हो तो साइकल चल रही है बेटा मोनेटरी पॉलिसी बदलेगी उसका इंपैक्ट रे प आएगा इंटरेस्ट बदलेगा उसका इंपैक्ट आपके पास इकोनॉमिक एक्टिविटी पर नजर आएगा राजा बेटा ओके सर सबसे पहला पॉइंट यहां पर आता है सेविंग एंड इन्वेस्टमेंट चैनल मतलब जब मॉनेटरी पॉलिसी बदलती है तो इंटरेस्ट रेट बदलता है और इंटरेस्ट रेट सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट पर क्या इंपैक्ट डालता है मॉनेटरी पॉलिसी बदलती है मोनेटरी पॉलिसी के बदल से इंटरेस्ट बदलता है इंटरेस्ट का इंपैक्ट सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट पर क्या आता है सेविंग और इन्वेस्टमेंट इकोनॉमिक एक्टिविटी है यस सर बिल्कुल है तो इंटरेस्ट के बदलने पर सेविंग इन्वेस्टमेंट पर क्या इंपैक्ट आता है जल्दी से देखते हैं अगर आपका बैंक का जो डिपॉजिट रेट है जैसे आप एफडी खुलवा हो तो एफडी पर इंटरेस्ट आता है ना सेविंग्स अकाउंट खुलवा हो इंटरेस्ट आता है ना रिंग डिपॉजिट खुलवा हो इंटरेस्ट आता है ना तो बैंक अगर अपना डिपॉजिट्स पर इंटरेस्ट रेट कम कर दे बैंक अगर डिपॉजिट्स पर अपना इंटरेस्ट रेट कम कर दे पहले बैंक एफडी पे 9 पर का ब्याज देता था अब बैंक कहता है कि हम आपको 9 पर का ब्याज नहीं देंगे हम आपको 6 पर का ब्याज देंगे मतलब बैंक ने अपना इंटरेस्ट रेट एफडी पे घटा दिया तो आप क्या करोगे सेविंग्स बढ़ाओ ग कि सेविंग्स घटाओ ग आप कहोगे यार 6 पर एफडी का इंटरेस्ट आ रहा है इसके बाद इसमें से 20 पर का तो टैक्स चला जाएगा तो हमारे पास क्या बचेगा हमारे पास बचेगा कुल मिलाकर 4.8 पर महंगाई का दर जो चल रहा है वह चल रहा है सर 5 से 6 पर महंगाई 5 से 6 पर की चल रही है और इंटरेस्ट 4 पर 5 पर का आ रहा है छोड़ो अपन क्या करते हैं अपन पैसा खर्च करते हैं मौज उड़ाते हैं जीवन की यह जिंदगी ना मिलेगी दोबारा यह जिंदगी ना मिलेगी दोबारा सर पैसा सेव करके हमको ज्यादा इंटरेस्ट तो मिल नहीं रहा इससे बढ़िया खाओ पियो ऐश करो मित्रों राइट तो जब आपके पास लोअर इंटरेस्ट रेट आएगा बैंक डिपॉजिट पे तो यह क्या करेगा यह रिड्यूस करेगा इंसेंटिव्स फॉर द हाउसहोल्ड टू सेव देयर मनी ठीक है आप पैसा सेव नहीं नहीं करोगे राइट अब आप क्या करोगे आप अपने खर्चे बढ़ा दोगे इंस्टेड देयर इज एन इंक्रीजड इंसेंटिव फॉर द हाउसहोल्ड टू स्पेंड देयर मनी ऑन द गुड्स एंड सर्विसेस तो जब बैंक डिपॉजिट पे इंटरेस्ट घटेगा सेविंग्स कम होंगी खर्चे बढ़ेंगे कंजमेट बैंक आपको लोन दे दे सस्ते रेट पे बैंक आपको कहे कार लोन 8 पर पे ले लो बैंक आपसे कहे हाउसिंग लोन 8 पर पे ले लो बैंक आपसे कहे टीवी के लिए लोन इंटरेस्ट फ्री मोबाइल के लिए लोन इंटरेस्ट फ्री तो बाबू इस केस में क्या होगा अगर आपको लोअर इंटरेस्ट रेट मिलेंगे लोन पे आपको सस्ते रेट पे लोन मिलेगा तो आप लोन लोगे और वह पैसा क्या करोगे खर्च करोगे आप टीवी खरीदोगे आप मोबाइल खरीदोगे आप कार खरीदोगे आप घर खरीदोगे यह इनकरेज करेगा हाउसहोल्ड को कि वह बोरो करे ज्यादा से ज्यादा और ज्यादा से ज्यादा डिमांड करे एसेट्स खरीदे जैसे कि घर सिमिलरली अगर बैंक आपका लोअर लैंडिंग रेट कर दे बैंक फर्म को सस्ते रेट पर लोन दे दे आपको बिजनेस के लिए लोन चाहिए बैंक आपको सस्ते रेट पर लोन दे देगा तो बैंक से अगर सस्ते रेट पे लोन मिले तो अपन नई फैक्ट्री डालेंगे अपन नई मशीनरी खरीदेंगे अपन बिजनेस को एक्सपेंड करेंगे बैंक से अगर सस्ते रेट पे लोन आ जाएगा तो सर यह आपका क्या करेगा इंक्रीज करेगा इन्वेस्टमेंट आपने नई फैक्ट्री डाल दी आपने नई मशीन डाल दी तो आपकी जो बिजनेस है आप उसे एक्सपेंड करोगे पैसा किस पे खर्च करोगे कैपिटल पे खर्च करोगे जैसे आपने नए इक्विपमेंट्स ले लिए नई फैक्ट्री लगा दी अब इसका बिल्कुल उल्टा होगा अगर इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिया जाए डिपॉजिट पे इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिया जाए तो सेविंग्स बढ़ जाएंगी कंजमेट लोन पे इंटरेस्ट ज्यादा चार्ज करने लगे तो आप एसेट नहीं खरीदोगे आप घर नहीं खरीदोगे कार नहीं खरीदोगे अगर बैंक महंगे रेट पर लोन देगा तो आप लोन लेकर बिजनेस में नहीं लगाओगे राइट तो अब डिपेंड करेगा कि इकोनॉमी में कौन सी सिचुएशन चल रही है अगर इकोनॉमी में इंफ्लेशन चल रहा है तो उस केस में क्या होगा सर उस केस में आपकी सिचुएशन अलग चलेगी बैंक लोन महंगे रेट पर देगा सस्ते रेट पर नहीं देगा और अगर रिसेशन चल रहा होगा तो बैंक सस्ते रेट पर लोन देगा ताकि मनी सप्लाई बढ़े इसके बाद दूसरी चीज निकल कर आती है कैश फ्लो चैनल मतलब जब मोनेटरी पॉलिसी में चेंज आया जब मॉनेटरी पॉलिसी में चेंज आया तो इस चेंज ने इंटरेस्ट को इंपैक्ट कि इसने इंटरेस्ट को इंपैक्ट किया अब यह इंटरेस्ट का इंपैक्ट आपके कैश फ्लो पर कर क्या आएगा यह इंटरेस्ट का इंपैक्ट आपके कैश फ्लो पर क्या आएगा अगर बैंक आपका लोन लैंडिंग रेट कम कर देता है बैंक अगर आपका लेंडिंग रेट कम करता है मतलब बैंक आपसे इंटरेस्ट ऑन लोन कम चार्ज करता है तो बैंक अगर इंटरेस्ट ऑन लोन कम चार्ज करेगा तो राजा बेटा एक बात बताओ आपकी इंस्टॉलमेंट ज्यादा आएगी कि कम आएगी सर ओबवियस है कि इंस्टॉलमेंट कम हो जाएगी अगर बैंक इंटरेस्ट कम चार्ज करेगा तो इंटरेस्ट कम चार्ज होने की वजह से इंस्टॉलमेंट की जो अमाउंट बनेगी व कम बनेगी इंस्टॉलमेंट में प्रिंसिपल भी होता है और इंटरेस्ट भी होता है इंटरेस्ट का अमाउंट कम आएगा जिसकी वजह से इंस्टॉलमेंट कम आएगी राजा बेटा इंस्टॉलमेंट कम देनी पड़ेगी तो आपकी जेब से कैश आउटफ्लो कम होगा इंस्टॉलमेंट कम आएगी इसका मतलब आपका कैश आउटफ्लो कम हो जाएगा यानी कि आपकी जेब में ज्यादा पैसा बचेगा खर्च करने के लिए किश्त अगर कम जाएंगी इंस्टॉलमेंट की अमाउंट कम जाएगी कैश आउटफ्लो इंस्टॉलमेंट पर कम होगा तो आपकी जेब में ज्यादा पैसा बचेगा खर्च करने के लिए तो जब मार्केट में रिसेशन होता है तब लैंडिंग रेट्स को कम कर दिया जाता है ताकि लोगों की जेब में ज्यादा पैसा बचे खर्च करने के लिए लोग ज्यादा डिमांड करें तो रिसेशन से बाहर आ जाएंगे और बिल्कुल उल्टा होगा जब मार्केट में इंफ्लेशन चल रहा होगा इंटरेस्ट रेट बढ़ा देंगे लोगों की इंस्टॉलमेंट बढ़ेगी लोगों का कैश आउटफ्लो बढ़ेगा जेब में कम पैसा बचेगा खर्च करने के लिए डिमांड कम हो जाएगी रिडक्शन इन द इंटरेस्ट रेट्स ऑन डिपॉजिट अगर बैंक डिपॉजिट्स पे इंटरेस्ट रेट घटा दे तो जैसे मान लो अगर मैंने बैंक में 50 लाख की एफडी करवाई है मैंने बैंक में 50 लाख की एफडी करवाई है और पहले % का इंटरेस्ट आता था लेकिन अब 6 पर का इंटरेस्ट आता है तो 50 लाख का 6 पर कितना हुआ 3 लाख मेरे पास कम इंटरेस्ट इनकम आएगी मेरी इंटरेस्ट इनकम क्या हो जाएगी कम हो जाएगी अगर बैंक मेरे को डिपॉजिट्स पे कम इंटरेस्ट देगा अगर बैंक मेरे को डिपॉजिट्स पर कम इंटरेस्ट देगा तो मेरी इंटरेस्ट इनकम कम निकल कर आएगी और अगर मेरी इंटरेस्ट इनकम कम निकल कर आएगी तो जब इनकम कम होगी तो खर्चे भी तो कम होंगे तो इसकी वजह से हमारी स्पेंडिंग हमारा कंजमपट्टी इसका इंपैक्ट इंटरेस्ट रेट जब चेंज होता है तो इसका इंपैक्ट एसेट्स पर क्या पड़ता है इसका इंपैक्ट असेट पर क्या पड़ता है समझो चीज को अगर बैंक आपको सस्ते रेट पर लोन दे रहा है अगर बैंक आपको सस्ते रेट पर लोन दे रहा है तो आप क्या करोगे एसेट बनाओगे अगर बैंक आपको सस्ते रेट पर हाउसिंग लोन दे रहा है तो ज्यादा से ज्यादा लोग लोन लेकर अपना घर कंस्ट्रक्ट करवाएंगे घर खरीदेंगे बैंक अगर सस्ते रेट पर लोन दे रहा है कार पर तो लोग कार खरीदेंगे राइट तो जब कभी भी अपने पास बैंक लोअर इंटरेस्ट चार्ज करता है तो यह सपोर्ट करता है एसेट के प्राइस को यह सपोर्ट करता है एसेट के प्राइस को जैसे कि घर इक्विटीज बाय बाय ए रेजिंग द डिमांड फॉर एसेट इनकरेजिंग द डिमांड फॉर एसेट मतलब अगर इंटरेस्ट ऑन लोन कम होगा तो लोग असेट ज्यादा खरीदेंगे और इंटरेस्ट ऑन लोन अगर ज्यादा होगा तो एसेट कम खरीदेंगे बिल्कुल ओबवियस चीजें हैं बेटा हायर एसेट प्राइस आपको पता है कि अपन को क्या करना होता है सर अपन जब लोन लेने जाते हैं जब अपन लोन रेज करने जाते हैं तो बैंक हमसे कहता है कि आप कोई एसेट मॉर्टगेज करवाओ आप कोई एसेट मॉर्टगेज करवाओ यानी कि आप कोई एसेट गिरवी रखो जब आप एसेट गिरवी रखोगे तो हम उसके हिसाब से आपको लोन देंगे तो अगर आपने एसेट गिरवी रखी एक करोड़ की तो आपको उसके हिसाब से लोन मिल जाएगा लेट्स से 80 लाख का अगर आपने 5 करोड़ की एसेट गिरवी रखी तो आपको उसके हिसाब से लोन मिल जाएगा 4 करोड़ 20 लाख का अगर आपने 100 करोड़ की एसेट गिरवी रखी तो आपको उसके हिसाब से लोन मिल जाएगा 950 करोड़ का ठीक है मतलब जितनी ज्यादा एसेट की वैल्यू होगी जितनी ज्यादा एसेट की वैल्यू होगी उतना ज्यादा आपको लोन मिलेगा तो जब एसेट का भाव बढ़ता है हायर एसेट प्राइसेस जब एसेट का भाव बढ़ता है तो यह आपका कोलेट बढ़ाता है कोलेट मतलब आपका मॉर्टगेज का वैल्यू बढ़ाता है और जब मॉर्टगेज की वैल्यू ज्यादा होती है तो आपको आसानी से आसानी से क्या मिल जाता है लोन मिल जाता है अगर मॉर्टगेज की वैल्यू ज्यादा होती है तो आपको आसानी से क्या होता है लोन मिल जाता है अच्छा आपको पता है बहुत सारे लोग क्या करते हैं जब उनकी वेल्थ बढ़ जाती है तो वो अपने वेल्थ का कुछ हिस्सा बेचकर एसेट्स में लगा देते हैं जैसे आपने देखा होगा गुड़गांव साइड हरियाणा साइड पंजाब साइड लोग क्या करते हैं उनके पास बहुत जमीनें होती हैं खेती है ना मेनली वहां पे तो उनके पास बहुत जमीनें होती हैं और वो अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेच के क्या करते हैं सर फचर खरीद लेते हैं हरियाणा वाले लोग हमारे और जो पंजाब वाले हमारे भाई बंधु हैं वो जमीनें बेच के कहां चले जाते हैं कैनेड चले जाते हैं है ना उनको कनाडा जाने का बड़ा शौक होता है तो यहां पर लोग क्या करते हैं जब उनके पास वेल्थ बढ़ जाती है तो वह वेल्थ का कुछ हिस्सा बेचकर खर्च करते हैं स्पेंड करते हैं मतलब अपना कंजमेट कर देते हैं तो जब कभी भी आपके पास इंक्रीस होगा एसेट प्राइस पे वह लोगों की वेल्थ को बढ़ाएगा और जब लोगों की वेल्थ बढ़ती है तो लोग क्या करते हैं कुछ शेयर ऑफ वेल्थ को बेच देते हैं कुछ शेयर ऑफ वेल्थ को क्या करते हैं बेच देते हैं और उससे अपना कंजमेशन बढ़ा लेते हैं तो अभी तक आपने तीन इंपैक्ट देखे एक आपने मॉनेटरी पॉलिसी का इंपैक्ट देखा सेविंग्स और इन्वेस्टमेंट पे क्या पड़ता है दूसरा आपने मॉनेटरी पॉलिसी का इंपैक्ट देखा कैश फ्लो पे क्या पड़ता है तीसरा आपने मोनेटरी पॉलिसी का इंपैक्ट देखा कि वो एसेट प्राइस और वेल्थ पे क्या पड़ता है अब बात करते हैं कि मॉनेटरी पॉलिसी का इंपैक्ट एक्सचेंज रेट पर क्या आता है एक्सचेंज रेट पर क्या आता है द एक्सचेंज रेट कैन हैव इंपॉर्टेंट इन्फ्लुएंस ऑन इकोनॉमिक एक्टिविटी एंड इंफ्लेशन इट इज टिपिकली मोर इंपॉर्टेंट फॉर द सेक्टर्स दैट आर एक्सपोर्ट ओरिएंटेड और एक्सपोज टू कंपटीशन फ्रॉम द इंपोर्टेड गुड्स कह रहा है कि सर अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अगर इंटरेस्ट रेट घटा अगर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इंटरेस्ट रेट घटा है इंडिया में तो यह क्या करेगा रिड्यूस कर देगा रिटर्न जो इन्वेस्टर को मिलता है फ्रॉम द एसेट इन इंडिया अगर एक यूएसए का बंदा इंडिया में पैसा लगा रहा है और इंडिया में उसको ज्यादा इंटरेस्ट मिल रहा है तो वह इंडिया में ज्यादा से ज्यादा पैसा लगाएगा विदेशी इंडिया में पैसा कब लगाएंगे सर विदेशी इंडिया में पैसा तब लगाएंगे जब इंडिया से उनको ज्यादा रिटर्न मिलेगा अपनी कंट्री से ज्यादा और बाकी कंट्री हों से ज्यादा अगर उनको इंटरेस्ट उनको रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट इंडिया में मिलेगी तो वह इंडिया में पैसा लगाएंगे लेकिन अगर हमारी प्यारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया इंटरेस्ट रेट घटा देती है हमारी प्यारी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अगर इंटरेस्ट रेट घटा देती है तो यह क्या करेगी विदेशियों का जो रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट है जो इंडिया की एसेट में पैसा लगाकर वह रिटर्न जनरेट करते हैं वह क्या हो जाएगा कम हो जाएगा अब एक बात बताओ जब विदेशियों को इंडिया में इन्वेस्टेड पैसे पे कम रिटर्न मिलेगा तो क्या वह इंडिया में इन्वेस्टमेंट बढ़ाएंगे कि घटाए ऑब् वियस अगर मुझे कहीं पर रिटर्न कम मिल रहा है तो मैं वहां पैसा क्यों लगाऊंगा तो विदेशी भी ऐसा ही करेंगे इंडिया में पैसा लगाना बंद कर देंगे लोअर इंटरेस्ट रेट लोअर इंटरेस्ट रेट रिड्यूस कर देगा डिमांड फॉर एसेट्स इन इंडिया इंडिया की एसेट्स की डिमांड कम हो जाएगी अब जब इंडिया की एसेट्स की डिमांड कम हो जाएगी तो विदेशी पैसा कहां लगाएंगे किसी और कंट्री में लगा देंगे वो इन्वेस्टर शिफ्ट कर देंगे अपने फंड्स फॉरेन एसेट्स में किसी और कंट्री के अंदर अब जब इंडिया से पैसा बाहर निकल ना शुरू होगा समझना बात को जब आपके फॉरेन इन्वेस्टर्स जब आपके फॉरेन इन्वेस्टर्स जब आपके फॉरेन इन्वेस्टर्स अपनी एसेट इन इंडिया सेल करके अपने फंड्स को टेक आउट कर लेंगे फ्रॉम इंडिया तो पता है आपको क्या होगा आपको पता है क्या होगा सर जैसे ही विदेशी इंडिया में अपनी एसेट सेल करके फंड्स को बाहर निकालेंगे इंडिया के बाहर निकालेंगे तो पता है क्या होगा सर इंडिया की करेंसी वीक हो जाएगी इंडिया की करेंसी वीक होने लगेगी इंडियन करेंसी वीक हो जाएगी वीक बोले तो डेप्रिसिएशन हो जाएगी क्या हो जाएगी इंडिया की करेंसी डेप्रिसिएशन हो जाएगी अगर इंडिया की करेंसी डेप्रिसिएशन हो गई लेट्स से पहले आपका एक डॉलर पहले आपका एक डलर रप का था अब आपका एक डॉलर 84 का हो गया मतलब आपकी करेंसी क्या हो गई आपकी करेंसी डेप्रिसिएशन हो गई आपकी करेंसी डेप्रिसिएशन हो गई आपकी करेंसी डेप्रिसिएशन डेप्रिसिएशन होती है तो जो एक्सपोर्ट्स होती है जो एक्सपोर्ट्स होती है वोह आपकी इंक्रीज हो जाती है क्यों इंक्रीज हो जा आती है क्योंकि हमारा प्रोडक्ट फॉरेन मार्केट में सस्ता हो जाता है कैसे पहले विदेशी इंडिया में डलर खर्च करके 80 का सामान लेकर जाते थे अब वही विदेशी $ डॉलर खर्च करके इंडिया में 84 का सामान लेकर जाएंगे मतलब इंडिया का सामान फॉरेन मार्केट में सस्ता हो जाएगा पहले एक डॉलर इंडिया का 80 का सामान खरीदता था अब वही डॉलर इंडिया का 84 का सामान खरीद पाएगा यानी कि आपकी एक्सपोर्ट्स इंक्रीज हो जाएंगी एट द सेम टाइम आपकी इंपोर्ट्स महंगी हो जाएंगी एट द सेम टाइम आपकी इंपोर्ट्स महंगी हो जाएंगी इंपोर्ट्स महंगी क्यों हो जाएंगी तो पहले अगर आप $ का सामान खरीदते थे तो उसके लिए आप 80 के हिसाब से पेमेंट करते थे तो अगर आप $1 का सामान लाते थे और 80 के हिसाब से पेमेंट करते थे तो आप 8000 की पेमेंट करते थे लेकिन अब क्या होगा अब अगर आप 100 का सामान लेकर आओगे तो आप 84 के हिसाब से पेमेंट करोगे यानी कि आप 8400 की पेमेंट करोगे 8400 की पेमेंट करोगे इसका मतलब क्या हुआ कि आपकी इंपोर्ट्स महंगी हो गई और जब आपकी इंपोर्ट्स महंगी होंगी तो इसकी वजह से पता है क्या आएगा इंफ्लेशन सर कैसे इंपोर्ट्स की वजह से इंफ्लेशन कैसे आएगा देखो तुम क्रूड ऑयल इंपोर्ट करोगे कि नहीं करोगे तुम क्रूड ऑयल इंपोर्ट करोगे कि नहीं करोगे क्रूड ऑयल से पेट्रोल बनता है डीजल बनता है क्रूड ऑयल इंपोर्ट करोगे तो क्रूड ऑयल अगर कॉस्टली हो गया तो क्रूड ऑयल के कॉस्टली होने का मतलब आपका ट्रांसपोर्टेशन कॉस्टली हो गया तो गुड्स का ट्रांसपोर्ट गुड्स का ट्रांसपोर्टेशन कॉस्टली हो गया और अगर गुड्स का ट्रांसपोर्टेशन कॉस्टली हो गया तो गुड्स कॉस्टली हो जाएंगे गुड्स कॉस्टली हो जाएंगे तो इंफ्लेशन आएगी पेट्रोल महंगे होने से क्रूड ऑयल के महंगे होने से इकोनॉमी में बहुत तेजी से इन्फ्लेशन आता है क्योंकि सामान बनता एक जगह पर है लेकिन कंज्यूम पूरे इंडिया में होता है एक जगह से दूसरी जगह उसका ट्रांसपोर्टेशन महंगा होगा तो ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट अल्टीमेटली गुड्स की कॉस्ट में ऐड होगी और जब ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट गुड्स की कॉस्ट में ऐड होगी तो गुड्स की वैल्यू क्या कर जाएगी इन्फ्लेट कर जाएगी महंगी हो जाएगी तो इन शॉर्ट एक्सचेंज रेट पे कैसे इंपैक्ट आ रहा है गवर्नमेंट ने अपना इंटरेस्ट रेट कम किया आरबीआई ने अपना इंटरेस्ट रेट कम किया तो जब आरबीआई अपना इंटरेस्ट रेट कम करती है तो इन्वेस्टर का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट कम हो जाता है इन्वेस्टर का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट कम हो जाता है जब इन्वेस्टर का रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट कम हो जाता है वो असेट इंडिया से बेचता है फंड्स को इंडिया के बाहर निकालता है जैसे ही फंड्स को वो इंडिया के बाहर निकालता है इंडियन करेंसी डेप्रिसिएशन हो जाती है इंडियन करेंसी के डेप्रिसिएशन होने से एक्सपोर्ट इंक्रीज होती है एक्सपोर्ट को फायदा मिलता है लेकिन एट द सेम टाइम इंपोर्ट्स कॉस्टली हो जाती है और जब इंपोर्ट्स कॉस्टली हो हो जाती है तो इसकी वजह से इंफ्लेशन आ जाता है इसको जरा एक बार रीड कर लो वीडियो को पॉज करके इसको एक बार रीड कर लो वीडियो को पॉज करके अब हमने दो चीजें निपटा ली है बेटा दो चीजें हमने निपटा ली है फ्रेमवर्क के अंदर हम लोगों ने दो चीजें कवर अप कर ली हमने ऑब्जेक्टिव कवर कर लिए ट्रांसमिशन कवर कर लिए अब हम बात करेंगे सर टूल्स की अब हम बात करेंगे हमारे पास टूल्स की और टूल्स करते ही हमारे पास यह चैप्टर जो है वह क्या हो जाएगा राजा बेटा कंप्लीट हो जाएगा कंप्लीट हो जाएगा कंप्लीट हो जाएगा यस राइट चलिए अब तीन तरीके के प्रोसीजर्स है या आप कह लो कि तीन तरीके के आपके पास टूल्स है जो आरबीआई यूज करता है मॉनेटरी पॉलिसी के अंदर मनी सप्लाई को कंट्रोल करने के लिए एक आता है आपके पास क्वांटिटी टूल्स एक आते हैं आपके पास क्वालिटेटिव टूल्स और एक आते हैं आपके पास मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम जिसको हम एमएसएस भी बोलते हैं राइट क्वांटिटेशन टूल्स के अंदर आपके पास रिजर्व रेशियो आता है क्वांटिटेशन टूल्स के अंदर आपके पास रिजर्व रेशो आता है और आपके पास ओपन मार्केट ऑपरेशन आता है रिजर्व रेशो क्या है सर रिजर्व रेशो क्या है आरबीआई कहती है कमर्शियल बैंक से कि आपको दो तरीके के रिजर्व्स मेंटेन करने हैं एक आपका कैश रिजर्व रेशियो है यह रेशियो कहता है कि बैंक के पास जितना भी डिपॉजिट आया है कस्टमर्स ने जो पैसा बैंक में जमा किया है सारा का सारा पैसा एस अ लोन नहीं कर सकता बैंक बैंक को सर्टेन परसेंटेज ऑफ द डिपॉजिट अपने पास मेंटेन करना पड़ेगा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास तो अभी अगर हम चेक करें कि करंट सीआर आर रेशो क्या चल रहा है करंट सीआरआर एंड एसएलआर का रेशो क्या चल रहा है तो करंट सीआरआर आपका चल रहा है 4.5 पर तो यह रेश आपसे क्या कह रहा है यह रेशो आपसे कह रहा है कि बैंक के पास जितने भी डिपॉजिट्स है बैंक के पास जितने भी डिपॉजिट्स है उस डिपॉजिट्स का 4.5 पर बैंक को आरबीआई के पास रखना है एस अ रिजर्व आरबीआई का नाम क्या है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रिजर्व बैंक मतलब जो कमर्शियल बैंक अपना रिजर्व का पैसा रखती है सेंट्रल बैंक के पास वहां से नाम पड़ा है इसका रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया तो कैश रिजर्व रेशो 45 पर है फॉर एग्जांपल अगर बैंक ऑफ बड़दा के पास 5000 करोड़ रुपए के डिपॉजिट्स हैं 5000 करोड़ के डिपॉजिट्स हैं तो अपने पास बैंक ऑफ बड़ौदा को क्या करना पड़ेगा सर सर सीआरआर कैश रिजर्व मेंटेन करना पड़ेगा 5000 का 45 पर 225 करोड़ यह किसके पास जमा कराने पड़ेंगे आरबीआई के पास जमा कराने पड़ेंगे 225 करोड़ का डिपॉजिट का पैसा आरबीआई के पास जमा कराएगा बैंक ऑफ बदा सर क्यों जमा कराएगा ताकि बेटा लिक्विडिटी मेंटेन रहे अगर एकदम से कस्टमर आ जाए बैंक से पैसा विड्रॉ करने के लिए तो बैंक के पास सफिशिएंट लिक्विडिटी होनी चाहिए बैंक के पास सफिशिएंट कैश होना चाहिए उन कस्टमर्स को देने के लिए ऐसा ना हो कि कस्टमर बैंक से पैसा मांगने आया और बैंक ने सारा पैसा डिपॉजिट के तौर पर दे रखा है विजय माल लिया को विजय माल लिया को अगर विजय माल लिया को हमने लोन दे दिया है तो वो तो माल लेकर चला जाएगा ना बेटा अगर बैंक अपना सारा का सारा डिपॉजिट एस अ लोन डिस्ट्रीब्यूटर देगी तो बैंक को अगर पेमेंट्स करनी होंगी अपने कस्टमर को तो बैंक के पास पैसा कहां से आएगा विजय मान लिया जैसे लोग तो माल लेकर निकल जाएंगे राइट तो इसके लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कहती है कि सर्टेन परसेंट पैसा हमारे पास रखो लिक्विडिटी मेंटेन होनी चाहिए इसके बाद दूसरा है स्टैचूट लिक्विड रेशो स्टैचूट लिक्विड रेयो एस एल आर स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेशो जिसको आप एस एल आर बोलते हो करेंटली यह एसएलआर कितनी चल रही है सर करेंटली यह एसएलआर चल रही है आपके पास 18 पर की 18 पर की अब यह एसएलआर क्या कहती है सर यह एसएलआर क्या कहती है यह एसएलआर कहती है कि बैंक के पास जितने भी डिपॉजिट्स है बैंक के पास जितने भी डिपॉजिट है उसका 18 पर उसका 18 पर यानी कि 900 करोड़ बैंक ऑफ बरोदा को लिक्विड एसेट में रखना पड़ेगा लिक्विड एसेट में रखना पड़ेगा मतलब जिसको कभी भी बेच के पैसा जनरेट किया जा सके तो जैसे आप गोल्ड में पैसा रख सकते हो तो बैंक गोल्ड में पैसा इन्वेस्ट कर सकती है बैंक गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में पैसा इन्वेस्ट कर सकती है यह क्या होती है लिक्विड एसेट्स होती हैं इनको बेच के तुरंत पैसा मिल जाता है अब अगेन इसका भी पर्पस वही है कि एकदम से अगर कस्टमर्स आ जाए तो बैंक के पास सफिशिएंट पैसा होना चाहिए अपने कस्टमर्स को पे करने के लिए इसका मतलब कि अगर बैंक ऑफ बरोदा की बात करूं बैंक ऑफ बड़दा के पास कस्टमर्स ने 5000 करोड़ रुपए जमा करे 5000 करोड़ रुपए जमा करे इसमें से कैश रिजर्व निकल गया इसमें से कैश रिजर्व निकल गया 225 करोड़ यह पैसा बैंक ने आरबीआई के पास रखवा दिया इसके अलावा स्टेट्यूटरी लिक्विड एसेट्स के अंदर आपका पैसा लग गया 900 करोड़ का यानी कि बैंक के पास लोन बांटने के लिए पैसा कितना बचा तो बैंक के पास अगर 5000 करोड़ रपए आए हैं तो 225 करोड़ कैश रिजर्व में चले गए 900 करोड़ एसएलआर में चले गए यानी कि लोन डिस्ट्रीब्यूशन कितना कर सकता है बैंक लोन डिस्ट्रीब्यूशन कर सकता है 3875 सीआर करोड़ का 3875 सीआर का लोन दे सकते हैं अब मेरी बात को समझना जब कभी भी हमें मनी सप्लाई को कम करना होगा जब कभी भी हमें मनी सप्लाई को कम करना होगा तो हम इन रेशियो को क्या करेंगे हम सीएलआर को एसएलआर को इन रेशियो को क्या करेंगे बढ़ा देंगे जब सीएलआर और एसएलआर बढ़ जाएगा तो मनी सप्लाई घट जाएगी यह बेसिकली कब करना होता है इंफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए और अगर हम चाहते हैं कि मनी सप्लाई ज्यादा हो तो हम इन रेशियो को क्या कर देंगे बेटा कम कर देंगे हम इन रेशियो को बेटा जी क्या कर देंगे कम कर देंगे ओके रिपोर्ट तो यह हमने बात कर ली कैश रिजर्व रेशो की और बात कर ली हमने एसएलआर की अब बात करते हैं ओपन मार्केट ऑपरेशन की यह किसकी हम बात कर रहे हैं क्वांटिटेशन की बात कर रहे हैं ओपन मार्केट ऑपरेशन क्या होता है सर ओपन मार्केट ऑपरेशन होता है इसमें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ओ मार्केट ऑपरेशन में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया क्या करती है आरबीआई सेल करती है या फिर बाय करती है गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज तो जो गवर्नमेंट के बॉन्ड्स होते हैं उनको बेचने का काम कौन करता है उनको बेचने का काम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया करती है रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बाय और सेल करती है गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज को अब सर समझना बात को जब कभी भी मार्केट में इंफ्लेशन है अगर हमें इंफ्लेशन को कंट्रोल करना है तो हमें क्या करना है मनी सप्लाई कम करनी है और मनी सप्लाई अगर हमको कम करनी है मनी सप्लाई अगर हमको कम करनी है तो हमें क्या करना होगा सर हमें गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज को सेल करना होगा आरबीआई क्या करती है आरबीआई सेल करती है गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज को जब आरबीआई गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज को बेचती है तो सर लोगों का पैसा लोगों का पैसा ब्लॉक हो जाता है इन्वेस्टर्स का पैसा इन्वेस्टर्स का पैसा ब्लॉक हो जाता है इन बॉन्ड्स जिसकी वजह से उनकी परचेसिंग पावर कम हो जाती है उनकी जेब में पैसा बचता ही नहीं है पैसा बॉन्ड्स में लग गया पैसा जब बंड्स में लग गया तो जेब में पैसा नहीं बचा जेब में पैसा नहीं बचा तो परचेसिंग पावर कम हो गई और जब परचेसिंग पावर कम हो जाएगी तो ऑटोमेटिक आपकी डिमांड भी क्या हो जाएगी कम हो जाएगी ऑटोमेटिक आपकी डिमांड भी क्या हो जाएगी बेटा जी कम हो जाएगी और वहीं पर अगर हमें रिसेशन को कंट्रोल करना है तो बिल्कुल उल्टा काम होगा आरबीआई क्या करेगी आरबीआई मनी की सप्लाई बढ़ाएगी रिसेशन में मनी की सप्लाई बढ़ानी पड़ती है तो मनी की सप्लाई को बढ़ाने के लिए क्या किया जाएगा आरबीआई बाय कर लेगी आरबीआई बाय कर लेगी गवर्नमेंट की सिक्योरिटी आरबीआई जब गवर्नमेंट की सिक्योरिटीज को बाय करेगी तो इन्वेस्टर की जेब में पैसा आएगा इन्वेस्टर रिसीव करेगा मनी और जब इन्वेस्टर की जेब में पैसा आएगा तो उसकी वजह से उसकी परचेसिंग पावर बढ़ जाएगी और जब उसकी परचेसिंग पावर बढ़ जाएगी तो वह क्या करेगा सर सर व डिमांड ज्यादा करेगा और जब वह डिमांड ज्यादा करेगा तो अपने आप आपका इन्फ्लेशन क्या होगा कंट्रोल हो जाएगा क्लियर ओपन मार्केट ऑपरेशन भी समझ में आ गया अब बात करते हैं सर क्वालिटेटिव टूल्स की क्वालिटेटिव टूल्स में पहला टूल निकल कर आता है मार्जिन रिक्वायरमेंट मार्जिन रिक्वायरमेंट क्या होता है कि जब भी आप लोन लेने जाते हो तो जैसे आपने अपनी एसेट गिरवी रखवा आपने एसेट गिरवी रखवा लेट्स सपोज कर लो एक करोड़ रुप की लेट सपोज करो एक करोड़ रुप की आपने एसेट कोलेट करवाई तो अगर इंफ्लेशन चल रहा होगा महंगाई चल रही होगी मार्केट में मार्केट में अगर इंफ्लेशन चल रहा होगा तो हमें मनी सप्लाई को कम करना है तो आरबीआई बैंक से क्या कहेगा आरबीआई बैंक से कहेगा कि आप मार्जिन बढ़ा दो मार्जिन बढ़ा दो मतलब बैंक हो सकता है कि आपको एक करोड़ की एसेट के बदले में में केवल ₹ 5 लाख का ही लोन दे 25 पर का मार्जिन है 1 करोड़ की एसेट दोगे तो 25 पर कम करके 75 लाख का लोन मिलेगा जितने की एसेट गिरवी रखोगे पूरा का पूरा लोन नहीं मिलता क्यों नहीं मिलता क्योंकि अगर आपने इंस्टॉलमेंट्स में डिफॉल्ट किया इंटरेस्ट बैंक को पे नहीं किया तो इंटरेस्ट का पैसा बैंक रिकवर कर सकती है इस रेंस अमाउंट से यह जो 2 लाख रप आपके छोड़े गए हैं यह रिकवरी के लिए छोड़े गए हैं कभी भी आपको 100% लोन नहीं मिलता अगर आपने एक करोड़ की एसेट गिरवी रखवा है तो आपको एक करोड़ रुप का ही लोन नहीं मिलेगा उसमें से कुछ अमाउंट कम का लोन मिलेगा तो इन्फ्लेशन जब चल रहा होता है तो आपकी मार्जिन रिक्वायरमेंट बढ़ा दी जाती है क्योंकि हमें मनी सप्लाई कम करनी होती है रिसेशन के टाइम पर उल्टा होता है हमें मनी सप्लाई बढ़ानी होती है तो मनी सप्लाई बढ़ाने के लिए हम मार्जिन रिक्वायरमेंट को क्या कर देते हैं कम कर देते हैं ताकि आपको ज्यादा लोन मिले जब आपको ज्यादा लोन मिलेगा तो आप डिमांड ज्यादा करोगे डिमांड ज्यादा करोगे इकोनॉमी रिसेशन से बाहर आ जाएगी सिंपल फंडा तो मार्जिन रिक्वायरमेंट से गवर्नमेंट क्या करती है कंट्रोल करती है दूसरा आता है आपके पास मोरल सुए मोरल सुए में आरबीआई क करती है बैंक को कि आप जो पैसा है आप जो पैसा है वह गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लगाओ रदर देन सर्टेन सेक्टर्स कन्विंसिंग कि शेयर्स में पैसा मत लगाओ म्यूचुअल फंड्स में पैसा मत लगाओ स्टॉक मार्केट में पैसा मत लगाओ रियल एस्टेट में पैसा मत लगाओ गवर्नमेंट टीज में पैसा लगाओ तो आरबीआई कन्वेंस करने का काम करती है कि पैसा गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लगाया जाए इसके बाद सिलेक्टिव कंट्रोल सिलेक्टिव क्रेडिट कंट्रोल में क्या होता है कि बैंक को यह आदेश दिए जाते हैं कि आप लिमिटेड लोंस दोगे कोटा सेट कर दिया गया कि अगर किसी को लोन चाहिए इंडस्ट्रियल सेक्टर के लिए तो 1000 करोड़ से ज्यादा का लोन नहीं दोगे एक कोटा फिक्स कर दिया या फिर गवर्नमेंट ऐसा भी बोल सकती है कि किसी पर्टिकुलर सेक्टर के लिए लोन देना ही नहीं है इसको क्या बोलते हैं सिलेक्टिव कंट्रोल कंट्रोलिंग द क्रेडिट बाय नॉट लेंडिंग टू सिलेक्टिव इंडस्ट्रीज और स्पेक्युलेटिव बिजनेस जब आप सिलेक्टिव इंडस्ट्रीज के लिए पैसा नहीं देते जैसे गवर्नमेंट का एक रूल आ सकता है कि आप ऑटोमोबिल सेक्टर में लोन नहीं दोगे गवर्नमेंट का रूल आ सकता है कि आप आप सीमेंट इंडस्ट्री में लोन नहीं दोगे तो अगर आरबीआई ने ऐसा बोल दिया बैंकों को कि ऑटोमोबिल के लिए लोन नहीं दिया जाएगा सीमेंट इंडस्ट्री को लोन नहीं दिया जाएगा तो बैंक वहां पर लोन नहीं देंगे इसको बोलते सिलेक्टिव क्रेडिट कंट्रोल अब अगला आता है आपके पास मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम में सबसे पहला पॉइंट आता है बैंक का रेट सबसे पहला पॉइंट आता है बैंक रेट बैंक रेट क्या होता है अगर आरबीआई अगर आरबीआई किसी बैंक को लोन देती है आरबीआई अगर किसी बैंक को लॉन्ग टर्म लोन देती है कौन सा लोन दे रही है बेटा लॉन्ग टर्म लोन दे रही है तो बैंक आरबीआई को जो इंटरेस्ट पे करेगी उस इंटरेस्ट को क्या बोला जाता है उस इंटरेस्ट को क्या बोला जाता है उस इंटरेस्ट को बोला जाता है बैंक रेट मतलब जब आरबीआई बैंक को लोन देती है लॉन्ग टर्म लॉन्ग टर्म लोन देती है तो जो इंटरेस्ट चार्ज करती है उस इंटरेस्ट को क्या बोलते हैं बैंक रेट बोलते हैं उस इंटरेस्ट को क्या बोलते हैं बैंक रेट बोलते हैं इसके बाद आता है आपके पास रेपो रेट इसके बाद आता है आपके पास रेपो रेट रेपो रेट क्या होता है सर रेपो रेट होता है जब आरबीआई बैंक को शॉर्ट टर्म लोन देती है आरबीआई बैंक को शॉर्ट टर्म लोन देती है और इस शॉर्ट टर्म लोन के बदले में इंटरेस्ट चार्ज करती है इस इंटरेस्ट को क्या बोला जाता है इस इंटरेस्ट को बोला जाता है रेपो रेट तो लॉन्ग टर्म लोन जब आरबीआई देगा लॉन्ग टर्म लोन जब आरबीआई देगा बैंक को तो जो इंटरेस्ट चार्ज करेगा दैट इज बैंक रेट और जब शॉर्ट टर्म लोन देगा जो इंटरेस्ट चार्ज करेगा दैट इज रेपो रेट इसके बाद अगला कांसेप्ट आता है इसमें रिवर्स रेपो रेट अगला कांसेप्ट आता है यहां पर रिवर्स रेपो रेट रिवर्स रेपो रेट में क्या होता है जैसा कि नाम है इसमें क्या होगा बैंक जो है वो आरबीआई को लोन देगा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लोन देगा कौन देगा रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को लोन बैंक देगा और आरबीआई बैंक को इंटरेस्ट देगा और जब आरबीआई बैंक को इंटरेस्ट देगा इस इंटरेस्ट को बोलते हैं रिवर्स रेपो रेट ठीक है और ये जो रिवर्स रेपो रेट होता है ना यह जो रिवर्स रेपो रेट होता है यह रेपो रेट माइनस व होता है जो भी रेपो रेट चल रहा होगा उसमें से वन को माइनस कर दो जो भी रेपो रेट चल रहा होगा उसमें से वन को माइनस कर दो दैट इज रिवर्स रेपो रेट चेक करें क्या रेपो रेट क्या चल रहा है रेपो रेट आरबीआई इस वक्त आरबीआई का जो रेपो रेट चल रहा है वह 65 पर का चल रहा है इस वक्त आरबीआई का जो रेपो रेट चल रहा है व कितना चल रहा है बेटा वो 65 पर का चल रहा है ठीक है अब जरा रिवर्स रेपो रेट चेक करें क्या रिवर्स रेपो रेट चेक करें रिवर्स रिवर्स रेपो रेट रिवर्स रिवर्स रेपो रेट आरबीआई रिवर्स रेपो रेट आरबीआई का कितना चल रहा है सर सर रिवर्स रेपो रेट आरबीआई का चल रहा है इस वक्त 3.35 पर का 3.35 पर का ठीक है चलिए यहां तक बात क्लियर है हां सर यहां तक बात क्लियर है अब हम बात करते हैं बेटा जी अब हम बात करते हैं बेटा जी हमारे पास लास्ट पॉइंट की लास्ट पॉइंट है मार्जिनल स्ट फैसिलिटी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी क्या है यह एक पीनल रेट है जो बैंक चार्ज करती है सॉरी जो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया चार्ज करती है सेंट्रल बैंक चार्ज करती है बैंक से जब वह उसको लोन देती है मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी एक पीनल रेट है पीनल रेट मतलब ज्यादा रेट चार्ज किया जाएगा जब आरबीआई पैसा देती है बैंक लोन देती है बैंक को अब यहां पर कब दिया जाता है सर तब दिया जाता है जब आप एक लिमिट से ज्यादा शॉर्ट टर्म लोन ले रहे हो एक लिमिट से ज्यादा जब आप शॉर्ट टर्म लोन ले रहे हो तो वहां पर आपके पास एमएसएफ लगता है एमएसएफ एमएसएफ कितना होगा एमएसएफ जो होगा वह रेपो रेट प्लस वन होगा मतलब जो भी रेट चल रहा है उसमें वन को क्या कर दिया जाएगा ऐड कर दिया जाएगा जो भी रेट चल रहा है उसमें वन को क्या कर दिया जाएगा सर उसमें वन को ऐड कर दिया जाएगा सर सर सर सर सर एमएसएफ रेट क्या चल रहा है एमएसएफ रेट क्या चल रहा है आरबीआई का एमएसएफ रेट आरबीआई इस वक्त एमएसएफ रेट जो चल रहा है व चल रहा है 6.75 आपके रेपो रेट से ज्यादा रेपो रेट 6.5 था एमएसएफ रेट जो है व अपने पास 6.75 चल रहा है ठीक है सर वो अपने पास 6.75 चल रहा है और इसी के साथ आपका यह चैप्टर बेटा हो जाता है कंप्लीट आइए कुछ क्वेश्चंस करते हैं और स्टैंडर्ड हमारा फिक्स है क्वेश्चन आपके सामने है आपको पॉज करके आंसर देना है एंड कमेंट सेक्शन पर आपको बताना है कितने आंसर्स आपके करेक्ट है च ऑफ द फॉलोइंग इज द फंक्शन ऑफ मॉनेटरी पॉलिसी मॉनेटरी पॉलिसी क्या करता है रेगुलेट करता है एक्सचेंज रेट को और उसको स्टेबल रखता है रेगुलेट करता है मूवमेंट ऑफ क्रेडिट टू द कॉरपोरेट सेक्टर रेगुलेट करता है लेवल ऑफ प्रोडक्शन एंड प्राइसेस को रेगुलेट करता है अवेलेबिलिटी कॉस्ट एंड यूज ऑफ मनी एंड क्रेडिट को तो मॉनेटरी पॉलिसी मनी से रिलेटेड है और क्रेडिट से रिलेटेड है तो आपके पास करेक्ट आसर जो निकल कर आता है दैट विल बी डी अगला सवाल आपकी स्क्रीन पर आ रहा है मेन ऑब्जेक्टिव क्या है मॉनेटरी पॉलिसी का इंडिया में वीडियो को पॉज कर दीजिएगा रिड्यूस करना फूड शॉर्टेज को नहीं भाई इकोनॉमिक ग्रोथ करना विद प्राइस स्टेबिलिटी यह करेक्ट है लेकिन बाकी भी रीड कर लेते हैं ओवरऑल मॉनेटरी स्टेबिलिटी लेकर आना केवल बैंकिंग सिस्टम में ऐसा नहीं है वो पूरे इकोनॉमी की बात करता है पॉवर्टी और अनइंप्लॉयमेंट नहीं करेक्ट आंसर यहां पर आपके पास क्या बनेगा बी अगला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पे कांट्रेक्शनरी मोनेटरी पॉलिसी इंड्यूस्ड इंक्रीज इन इंटरेस्ट रेट कांट्रेक्शनरी मॉनेटरी पॉलिसी इंड्यूस्ड इंक्रीज इन इंटरेस्ट रेट अगर इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा इंटरेस्ट रेट बढ़ जाएगा कांट्रेक्शनरी मोनेटरी पॉलिसी कब लगाएंगे कॉन्ट्रक्शन मॉनेटरी पॉलिसी लगाएंगे इन्फ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए इंफ्लेशन को कंट्रोल करने के लिए कॉन्ट्रक्शन पॉलिसी लगाएंगे मतलब इकोनॉमी को कॉन्ट्रैक्ट करने की कोशिश करेंगे तो जब इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो इसकी वजह से कॉस्ट ऑफ़ कैपिटल बढ़ती है और फर्म्स के लिए बोरोंग कॉस्ट बढ़ती है इंक्रीज करता है कॉस्ट ऑफ़ कैपिटल एंड द रियल कॉस्ट ऑफ़ बोरोंग फॉर द फर्म्स एंड द हाउसहोल्ड डिक्रीज करता है कॉस्ट ऑफ कैपिटल नहीं सर डिक्रीज तो नहीं करता हैज नो इंटरेस्ट रेट इफेक्ट गलत है सर सर जब भी आपका इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो फर्म और हाउसहोल्ड दोनों को लोन महंगा मिलता है ऐसा नहीं कि केवल फर्म को लोन महंगा मिलेगा नहीं जब इंटरेस्ट रेट बढ़ाया जाएगा तो बिजनेस को भी लोन महंगा मिलेगा और हाउसहोल्ड को भी लोन महंगा मिलेगा लोग कार ना खरीदे लोग घर ना खरीदे लोग टीवी नाना खरीदे मोबाइल ना खरीदें इंटरेस्ट रेट बढ़ा दिए जाते हैं तो आपका करेक्ट आंसर यहां पर भी बी होना चाहिए अगला क्वेश्चन आपकी स्क्रीन पे डैश इज द पार्ट ऑफ टोटल डिपॉजिट्स ऑफ द कमर्शियल बैंक व्हिच दे हैव टू कीप इट विद आरबीआई दे हैव टू कीप विद आरबीआई वीडियो को पॉज करके आंसर सीआरआर एसएलआर बैंक रेट रेपो रेट तो बैंक रेट और रेपो रेट तो इंटरेस्ट रेट है जो चार्ज होते हैं एसएलआर में पैसा हमें लिक्विड एसेट्स में लगाना होता है तो करेक्ट आंसर यहां पर क्या बनेगा आपका करेक्ट आंसर यहां पर बनेगा ए ए विल बी द करेक्ट आंसर नेक्स्ट क्वेश्चन आपकी स्क्रीन में आ रहा है ड्यूरिंग डिफ्लेशन मार्केट डिफ्लेटर मार्केट डिफ्लेटर तो डिफ्लेशन चल रहा है मंदी का दौर चल रहा है मंदी के दौर से बाहर निकलने के लिए मनी सप्लाई को बढ़ाना पड़ेगा मंदी के दौर से बाहर निकलने के लिए मनी सप्लाई को बढ़ाना पड़ेगा इस चीज को दिमाग में रखते हुए आंसर करेंगे आरबीआई रिड्यूस करता है सीआरआर को इन ऑर्डर टू इनेबल द बैंक टू एक्सपेंड द क्रेडिट एंड इंक्रीज द सप्लाई ऑफ मनी अवेलेबल इन द इकोनॉमी सीआरआर को कम कर देता है अगला आरबीआई इंक्रीज करता है सीआरआर को टू द बैंक टू एक्सपेंड द क्रेडिट सर अगर सीआरआर बढ़ाओ ग तो बैंकों को रिजर्व बैंक के पास ज्यादा पैसा रखना पड़ेगा बैंक के पास कम पैसा बचेगा मतलब बैंक लोन नहीं दे पाएगा तो यह वाला ऑप्शन तो कतई गलत है आरबीआई रिड्यूस करेगा सीआरआर को इन ऑर्डर टू इनेबल द बैंक टू कांट्रैक्ट द क्रेडिट कांट्रैक्ट क्रेडिट का मतलब क्रेडिट को कम करना लोन को कम करना एंड इंक्रीज द सप्लाई ऑफ मनी अवेलेबल इन द इकोनॉमी जब सीआरआर रिड्यूस होता है तो क्रेडिट कांट्रैक्ट नहीं होते क्रेडिट एक्सपेंड होते हैं बैंक के पास ज्यादा पैसा बचेगा तो वह ज्यादा लोन क्रिएट करेगा कंट्रक्शन नहीं होगा लोन का आरबीआई रिड्यूस करता है सीआरआर को लेकिन इंक्रीज कर देता है एसएलआर को नहीं इसमें करेक्ट आंसर जो है वह आपका ए है करेक्ट आंसर जो है व आपका ए है आरबीआई प्रोवाइड फाइनेंशियल अकोमोडेशन टू द कमर्शियल बैंक थ्रू द रेपो और रिवर्स रेपो रेट अंडर एमएसएस अंडर मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी स्टैचूट यह पढ़ाया था मैंने आपको मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी के थ्रू यह आप लोग को प्रोवाइड कराया जाता है मार्जिनल स्टैंडिंग ही था ना अभी आया था नहीं आपके पास आपके पास मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम एमएसएस एमएमएसएस सॉरी माय मिस्टेक मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम मार्केट स्टेबलाइजेशन स्कीम के अंदर आपके पास तीन चीजें आती है एक आपके पास रेपो रेट आता है एक आपके पास रिवर्स रेपो रेट आता है और एक आपके पास मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी आती है ठीक है तो करेक्ट आंसर आपके पास क्या होगा एम एसएस राइट ठीक है सर इसके बाद अगला पॉइंट आता है रिवर्स रेपो ऑपरेशन कब आएगा सर रिवर्स रेपो ऑपरेशन कब आएगा जब आरबीआई बोरो करेगा मनी फ्रॉम द बैंक्स जब बैंक बोरो करेगा मनी फ्रॉम आरबीआई जब बैंक बोरो करेगा मनी इन द ओवरनाइट सेगमेंट ऑफ द मनी मार्केट आरबीआई बोरो करेगा मनी फ्रॉम द सेंट्रल बैंक करेक्ट आंसर है ए जब आरबीआई बोरो करेगा पैसा बैंक से तो वहां पर रिवर्स रेपो रेट जो है वो आपका एप्लीकेबल हो जाएगा और मित्रों इसी के साथ हमारा यह जो चैप्टर है मनी मार्केट वाला वो कंप्लीट होता है आई होप आपने ये सेशन को एंजॉय किया होगा कमेंट बॉक्स में जरूर से कमेंट करके बताना कि आपके कितने आंसर्स यहां पर करेक्ट थे मिलते हैं आप लोगों से ऐसे ही किसी नेक्स्ट वीडियो में टिल देन टेक केयर ऑफ योरसेल्फ ऑल द वेरी बेस्ट बायबाय हैव अ नाइस डे