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ब्रिटिश नीतियों का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
Nov 22, 2024
ब्रिटिश नीतियाँ और उनके प्रभाव (British Policies and Their Impacts)
भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटिश शासन से पहले
भारतीय अर्थव्यवस्था में 95% लोग गाँवों में निवास करते थे।
गांव में लोग स्वनिर्भर होते थे।
कृषि के अलावा, कारीगर जैसे कि बुनकर, कुम्हार आदि भी अपने व्यवसाय में लगे होते थे।
शहरों में केवल शासक और उनके सहयोगी निवास करते थे।
सरकारी राजस्व की एकमात्र आवश्यकता थी। सरकार का स्थानीय लोगों के साथ कोई अन्य संबंध नहीं था।
राजस्व संग्रह की जिम्मेदारी ज़मींदारों या सरकारी अधिकारियों पर थी।
ब्रिटिशों के आगमन का प्रभाव
ट्रीटी ऑफ इलाहाबाद
: शुजाउद्दौला और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच हुई थी।
ब्रिटिशों ने राजस्व संग्रहित करने का अधिकार प्राप्त किया।
राजस्व में वृद्धि के कारण किसानों को अधिक टैक्स देना पड़ता था, जो उनके लिए कठिनाई पैदा करता था।
बंगाल का अकाल (1770)
: इस अकाल में 1/3 जनसंख्या समाप्त हो गई।
स्थायी निपटान (Permanent Settlement)
1793
में वारिंड हेस्टिंग्स द्वारा लाया गया।
ज़मींदारों को स्थायी स्वामित्व दिया गया।
किसानों को किरायेदारों में बदल दिया गया।
राजस्व संग्रह की एक निश्चित राशि निर्धारित की गई।
यदि समय पर राजस्व नहीं चुकाया गया, तो भूमि छिन सकती थी।
यह प्रणाली किसानों की स्थिति को और खराब करती थी।
महालवाड़ी प्रणाली
उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश में लागू किया गया।
गाँव के प्रमुखों ने राजस्व संग्रह का कार्य किया।
यह प्रणाली गाँवों की सामाजिक संरचना को बदलने का कारण बनी।
वाणिज्यिक नीति (Commercial Policy 1773-1857)
भारतीय उद्योग और व्यापार को नुकसान पहुँचाने वाली नीतियाँ लागू की गईं।
उच्च गुणवत्ता वाले ब्रिटिश उत्पादों का भारतीय बाज़ार में आगमन।
भारतीय हस्तशिल्प उद्योग का पतन।
ब्रिटिशों ने स्थानीय उद्योग को खत्म करने के लिए कई नीतियाँ बनाईं।
धन का बहाव (Drain of Wealth)
दादा भाई नौरोजी ने इसे एक विदेशी आक्रमण के रूप में देखा।
भारतीय संसाधनों का निष्कासन तथा धन का प्रवाह इंग्लैंड में हुआ।
परिवहन और संचार
18वीं सदी में भारतीय परिवहन और संचार व्यवस्था को सुधारने की आवश्यकता महसूस की गई।
रेलमार्ग और डाक सेवाओं की स्थापना।
इससे व्यापार और संपर्क में सुधार हुआ।
शिक्षा नीति
चार्टर अधिनियम 1813 में शिक्षा के लिए एक लाख रुपये का प्रावधान किया गया।
शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी बनाने का निर्णय।
इसके द्वारा एक नई शिक्षित वर्ग का निर्माण किया गया।
इसने भारतीयों में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया।
निष्कर्ष
ब्रिटिश नीतियाँ भारतीय समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डालती थीं।
शिक्षा और औद्योगिक नीति ने भारतीय समाज में महत्वपूर्ण बदलाव लाए।
इसके आलोक में, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया।
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