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विजेंद्र पाल की एवरेस्ट विजय यात्रा
Sep 8, 2024
एवरेस्ट में चढ़ाई - विजेंद्र पाल की कहानी
परिचय
भारत की प्रथम महिला जिन्होंने एवरेस्ट पर चढ़ाई की।
यह यात्रा 1984 की गर्मियों में शुरू की गई।
यात्रा की शुरुआत
7 मार्च: दिल्ली से काठमांडू की फ्लाइट।
16 सदस्यीय मजबूत टीम का गठन।
काठमांडू में महत्वपूर्ण स्थान 'समुद्र का सर' पहुंचना।
एवरेस्ट की छोटी पर 150 किमी/घंटा की तेज हवा का सामना।
यात्रा का खतरा
पहले ही दिन एक टीम सदस्य की बर्फ के पहाड़ के टूटने से मृत्यु।
कैप्टन करनाल खुल्लर द्वारा टीम को हिम्मत दी गई।
कैंप नंबर 1, 2, 3 और 4 की स्थापना।
चढ़ाई की चुनौतियाँ
बर्फ के तूफान और रास्ते की कठिनाइयों का सामना।
कैंप नंबर 1 तक पहुंचने पर विजेंद्र पाल ने भारत की पहली महिला बनने का गौरव प्राप्त किया।
कैंप नंबर 3 में बर्फ के पहाड़ के टूटने से चोटिल होना।
पुनः चढ़ाई की तैयारी
सभी सदस्य चोटिल हो गए थे; विजेंद्र ने चढ़ाई जारी रखने का निर्णय लिया।
कैंप नंबर 4 तक पहुंचना।
अंतिम चढ़ाई का प्रयास
साउथ कॉल कैंप से शिखर तक की यात्रा।
बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के चढ़ाई की कठिनाई।
तेज हवाओं के चलते दृश्यता कम होना।
सफलता का क्षण
23 मई 1984 को 1:07 बजे शिखर पर पहुंचना।
भारत की पहली महिला के रूप में एवरेस्ट के शिखर पर खड़े होना।
माँ दुर्गा की तस्वीर और हनुमान चालीसा की पूजा अर्चना।
समापन
कैप्टन करनाल खुल्लर को सफलता की सूचना देना।
माता-पिता को बधाई देने का संदेश।
यात्रा का समापन और अनुभव साझा करने की इच्छा।
अगले अध्याय का संकेत
अगले वीडियो में यात्रा के नए अध्याय के साथ लौटने का सुझाव।
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