मेना सुंदरी की कथा
परिचय
- आज की वीडियो में मेना सु ंदरी की कथा के साथ सिद्ध चक्र महा मंडल विधान की महिमा के बारे में बताया जाएगा।
प्रमुख पात्र
- राजा प्रजा पाल: उजेन नगर के महा प्रतापी राजा।
- राणियाँ:
- सोभाग्य सुंदरी: पुत्री - सुर सुंदरी (मिठ्यात्व को मानने वाली)।
- रूप सुंदरी: पुत्री - मैना सुंदरी (सम्यक्त को धारन करने वाली)।
कथा के मुख्य बिंदु
- सुर सुंदरी ने अपने पिता की कृपा से सब कुछ प्राप्त करने का उत्तर दिया।
- मैना सुंदरी ने कहा कि सुख-दुख कर्मों के अनुसार मिलते हैं।
- राजा ने सुर सुंदरी का विवा ह राजा अरीदमन के साथ किया।
- मैना सुंदरी के अपमान पर राजा ने कहा कि उसे दंड मिलेगा।
- राजा ने शिकार पर जाने पर 700 कोडियों का जुंड देखा और मैना का विवाह कोडियों के राजा श्रीपाल के साथ करने का निर्णय लिया।
विवाह की तैयारी
- श्रीपाल की बारात राजमहल की ओर बढ़ी।
- बारात में शामिल लोग बीमार और पीड़ित थे।
- राजा ने कहा कि मैना अपने कर्मों के अनुसार सुख भोगेगी।
- मैना ने बिना देर किए श्रीपाल को पति स्वीकार किया।
श्रीपाल का पूर्वजन्म
- श्रीपाल पूर्व जन्म में राजा श्रीकांत थे, जो शिकार के व्यसन में थे।
- राजा ने मुनिराज को मारने का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप उनका पुनर्जन्म कोड़ रोग से ग्रसित हुआ।
मैना का धर्म मार्ग
- मैना ने पति से कहा कि वे भगवान आदिनाथ के मंदिर चलें।
- भगवान के दर्शन के बाद मैना ने गुरु से सिद्ध चक्र विधान की सलाह मांगी।
- गुरु ने उसे चार वर्षों तक आराधना करने का निर्देश दिया।
सिद्ध चक्र विधान
- मैना ने विधि अनुसार सिद्ध चक्र की आराधना की।
- विधान पूर्ण होने पर राजा ने तेजस्वी रूप धारण किया।
- दोनों ने माँ के चरणों में प्रणाम किया और आशीर्वाद लिया।
सुर सुंदरी की कहानी
- राजप्रजापाल के कार्यक्रम में नृत्यांगना सुर सुंदरी सामने आई।
- सुर सुंदरी ने अपनी दुख भरी कहानी सुनाई कि कैसे वह बिक गई और कष्ट भोग रही थी।
- मैना ने सुर सुंदरी को सहारा दिया और उसे घर ले आई।
निष्कर्ष
- कथा से स्वाकर्म का सिद्धांत समझा गया।
- हमें अपने जीवन में इस सिद्धांत को अपनाना चाहिए।
- वीडियो को लाइक और शेयर करने का आग्रह।
- चैनल को सब्सक्राइब करने का अनुरोध।
यह कथा हमें अपने कर्मों की जिम्मेदारी समझने और सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है।