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बसंतपुर गाँव की कहानी

बसंतपुर नामक एक छोटे से गांव में लता और घनश्याम नामक पति-पत्नी अपने दो बच्चे पिंकी और चीकू के साथ एक छोटे से घर में रहते थे घनश्याम सेठ धनीराम के यहां खेतों में मजदूरी का काम करता था और लता गांव के एक बंगले में खाना और साफ सफाई का काम करती थी दोनों पति-पत्नी खूब मेहनत और मशक्कत करके अपने और अपने बच्चों का पेट भरते थे यूं तो हमेशा ही गर्मी के समय 40 डिग्री तक तापमान चला जाता था लेकिन इस साल तापमान बहुत ज्यादा बढ़ गया था जिस वजह से बसंतपुर गांव के लोग बहुत ज्यादा परेशान थे दिन हो या रात हो लोग गर्मी से बेहाल थे इस साल तो बहुत ज्यादा गर्मी पड़ी है इतनी कड़ी धूप में काम करना बहुत मुश्किल हो गया है घर से निकलते ही पसीना बारिश की तरह टपकने लगता है इतनी भारी गर्मी में तो काम पर भी जाने का मन नहीं करता ना जाने इस साल की गर्मी कैसे कटेगी चलो अच्छा मैं काम पर जाता हूं वरना सेठ गुस्सा करेंगे घनश्याम मजदूरी पर चला जाता है पिंकी और एक सरकारी स्कूल में पढ़ते थे लता पिंकी और को स्कूल छोड़कर काम पर चली जाती है उस बंगले में मालकिन हेमलता और मालिक रामचंद्र अपने दो बच्चे टीना और शिवम के साथ रहते थे अरे लता आ गई तू अब चल जल्दी से सारे काम निपटा लो पता है ना शिवम की बर्थडे पार्टी है तो सारे काम 400 बजे से पहले ही हो जाने चाहिए और हां इसके बाद तुम घर सजाने में भी मेरी मदद करोगी ठीक है ठीक है मालकिन मैं पहले जाकर घर के सारे काम निपटा लेती हूं इसके बाद घर को सजाने में मैं आपकी मदद करूंगी ऐसे लता घर के सारे काम करने के बाद हेमलता की घर को सजाने में मदद करती है हेमलता और लता मिलकर पूरे घर को अच्छी तरह से सजा देते हैं अच्छा मालकिन मैंने घर के सारे काम निपटा दिए हैं और पार्टी की सारी तैयारी भी हो गई है तो अब मैं घर जाती हूं हां ठीक है लेकिन पता है ना तुम्हें आज शिवम की बर्थडे पार्टी है तो तुम शाम को 7:00 बजे अपने बच्चों के साथ पार्टी में आ जाना और हां मुझे तुम्हारी थोड़ी मदद की भी जरूरत होगी ठीक है मालकिन में शाम के समय बच्चों के साथ यहां आ जाऊंगी ऐसा कहकर लता घर चली जाती है और दोनों बच्चों को तैयार करके शाम को 7:00 बजे पार्टी में जाती है पार्टी बहुत ही शानदार होती है लता के बच्चे इतना बड़ा घर देखकर कहते हैं अरे यार यह घर कितना बड़ा है और कितना सुंदर है बाहर कितनी गर्मी है फिर भी इनके घर के अंदर कितना ठंड लग रहा है पिंकी और की बातें शिवम सुन लेता है और वह उनसे कहता है अरे यह घर ठंडा इसलिए लग रहा है क्योंकि हमारे घर में हर कमरे में एसी लगा हुआ है ओ मतलब कि एसी लगाने से घर बहुत ठंडा हो जाता है दीदी हम भी अपने पिताजी को अपने घर में एसी लगाने के लिए बोलते हैं ना हमारे घर में भी बहुत ठंडा लगेगा चलो बच्चों इधर आओ केक काटने का टाइम हो गया है जब केक काटने लगता है तो पिंकी और एसी की ठंडी-ठंडी हवा खाते-खाते शिवम के कमरे की तरफ चले जाते हैं और शिवम के कमरे के बाहर खड़े होकर एसी की ठंडी-ठंडी हवा का मजा लेने लगते हैं एसी की ठंडी-ठंडी हवा खाते-खाते वह दोनों कमरे के अंदर चले जाते हैं दीदी यह कमरा तो सबसे ठंडा है इसमें कितनी ठंडक है और दीदी यह देखो यह बिस्तर कितना सुंदर है बिल्कुल मखमल जैसा दोनों बेड पर बैठ जाते हैं और ठंडी-ठंडी हवा का आनंद लेने लगते हैं देखते ही देखते 15 मिनट बीत जाते हैं और आराम करते-करते कब दोनों की आंख लग जाती है उन्हें पता ही नहीं चलता इतने ही देर में अचानक से शिवम की बहन टीना में आ जाती है वह पिंकी और दोनों को शिवम की बेड पर लेटा देखकर जोर से भड़कती है यह दोनों मेरे कमरे में क्या कर रहे हैं मां इधर आओ देखो यह दोनों मेरे बेड पर क्या कर रहे हैं टीना की आवाज सुनकर हेमलता कमरे में आती है तुम दोनों अभी के अभी मेरे बेड से उठो पिंकी और हेमलता की आवाज सुनकर जग जाते हैं लता भी हेमलता की आवाज सुनकर भागी भागी चली आती है क्या हुआ मालकिन आपकी बहुत जोर से नीचे आवाज आ रही रही थी क्या हुआ यह पूछ क्या नहीं हुआ यह देख नहीं रही तू तेरे बच्चों ने अपने गंदे मेले बदबूदार कपड़ों से मेरा पूरा बेड गंदा कर दिया तेरे बच्चों ने एसी देखा नहीं कि सोने चले मेरे बेड पे हद होती है यार मैं तो तेरे बच्चों को इसलिए बुलाया था कि इनका भी थोड़ा मन लग जाएगा इन्होंने कभी ऐसी पार्टी लाइफ में देखी नहीं होगी यह भी देख लेंगे पर यह तो अपनी औकात ही भूल गए यह हमारा घर है कोई धर्मशाला नहीं कि कोई भी भिखारी हमारे कमरे में आ जाएगा और आकर के सो जाएगा तू अभी के अभी अपने बच्चों को ले निकल यहां से और हां कल से काम पर भी आने की जरूरत नहीं है मालकिन ऐसा मत करो मेरी बात तो सुनो बच्चे नादान है मैं वादा करती हूं आगे से ऐसा दोबारा नहीं होगा यह मेरी आखिरी भूल समझकर माफ कर दीजिए मालकिन मुझे काम से मत निकालिए मालकिन इस काम के सहारे तो मेरा घर चल रहा है यह तेरी सर दर्द है अब तू यहां पर काम नहीं कर सकती अब तू अपने बच्चों को ले और यहां से निकाल हेमलता लता और उसके बच्चों को घर से बाहर निकाल देती है और आगे से काम पर आने को भी मना कर देती है अब लता के पास कोई काम नहीं था घर का सारा भार अब घनश्याम के कंधों पर आ गया था हे भगवान आज तो खाना बनाने के लिए आटा भी नहीं है अब मैं आटा कहां से लाऊं मेरे पास तो अब और पैसे भी नहीं है और जो तनख्वाह घनश्याम जी को मिली थी वह सब घर खर्चे में खत्म हो गए मेरा क्या है मैं तो पानी पीकर भी सो जाऊंगी पर बच्चों को क्या भूखे पेट इन्हे नींद कैसे आएगी [संगीत] आ गए आप घर में राशन खत्म हो गया है आज खाने में कुछ नहीं बना है कोई बात नहीं खाना आज मैं अपने साथ लेकर आया हूं सेठ जी के यहां पर आज दावत थी तो उन्होंने कुछ खाना बच्चों के लिए भी भिजवा दिया है ऐसे उस रात तो वह सभी खाना खाकर सो जाते हैं अगली सुबह लता फिर से अपनी मालकिन हेमलता के घर जाती है और उससे थोड़े पैसे उधार मांगती है मालकिन मेरे घर में खाने के लिए एक अनाज का दाना भी नहीं है कृपया आप मुझे थोड़े से पैसे उधार दे दीजिए तुझे देने के लिए मेरे पास कोई पैसे वैसे नहीं है मैंने तुझे पहले ही काम से निकाल दिया था फिर तेरी यहां आने की हिम्मत कैसे हुई जा निकल यहां से और आइंदा यहां पर अपनी शक्ल मत दिखाइ हो हेमलता की कड़वी बातें सुनकर लता घर वापस जाने लगती है तभी उसे रास्ते में एक पोस्टर दिखाई देता है उस पोस्टर को देख लता वही रुक जाती है पकौड़े बनाने वाले की जरूरत है अधिक जानकारी के लिए इस दिए गए नंबर पर कॉल करें पकोड़े बनाने तो मुझे आता है अगर यहां मेरी नौकरी लग जाए तो घर का खर्च चलाने के लिए कुछ पैसे आ जाएंगे ऐसा सोचकर लता उस पते पर पहुंच जाती [संगीत] है भैया मैंने आपका पोस्टर देखा आपको किसी पकौड़े बनाने वाले की जरूरत है हां जरूर रूर तो है तुम पकौड़ा बना लोगी क्या तुम्हें पकड़े बनाने आते हैं हां सब मुझे कई तरह के पकड़े बनाने आते हैं जैसे मिर्च का पकोड़ा पालक का पकोड़ा पनीर का पकोड़ा और भी कई प्रकार के पकोड़े मुझे बनाने आते हैं तो ठीक है तुम आज से ही काम पर लग सकती हो ऐसे लता पकौड़े बनाने वाले के साथ काम पर लग जाती है और ग्राहकों को पकौड़े सर्व करने लगती है ऐसे ही शाम हो जाती है और रमेश के सारे पकौड़े बिक जाते हैं चलो आज तो सारे पकड़े बिक गए आज तो तुमने पकड़े सिर्फ सर्वे किए हैं लेकिन कल से तुम्हें पकौड़े बनाने भी होंगे हां साहब मैं बहुत ही स्वादिष्ट पकोड़े बनाना जानती हूं तो ठीक है यह लो आज के काम के पैसे 00 लेकर लता सबसे पहले राशन की दुकान पर जाती है और वहां से राशन का सामान खरीदकर घर आ जाती है घर पहुंचकर लता सबसे पहले बच्चों के लिए खाना बनाती है और उनको परोस है पिंकी आ जाओ खाना खा लो इतने में घनश्याम भी वहां आ जाता है और लता घनश्याम को अपने नए काम के बारे में बताती है इस तरह सारे मिलकर खुशी-खुशी खाना खाते हैं अगली सुबह लता बच्चों को स्कूल छोड़कर वापस काम पर चली जाती है दुकान पर पहुंचकर लता पकड़े बनाती है लता के बने हुए पकड़े ग्राहकों को बहुत पसंद आते हैं लता के बने हुए पकड़े खाकर ग्राहक पकड़े की बहुत तारीफ करते हैं उनको आज के बनाए हुए पकड़े कल से भी ज्यादा अच्छे लगे रमेश भाई तुम्हारे आज के पकड़े का तो कोई जवाब ही नहीं इससे स्वादिष्ट पकौड़े मैंने आज से पहले इस होटल में कभी नहीं खाए आखिर आज ऐसा क्या मिलाया है इन पकड़ो में जो इतने स्वादिष्ट बने हैं आज तो मैं एक और प्लेट खाऊंगा मेरे लिए एक एक्स्ट्रा प्लेट पकड़े लगा दो ऐसे रमेश अपने ग्राहकों के मुंग से पकोड़े की तारीफ को सुनकर लता से कहता है लता तुम्हारे हाथ में तो जादू है तुम्हारे हाथों के बने पकड़े खाकर ग्राहक एकएक एक्स्ट्रा प्लेट पकड़े खा रहे हैं तुमने तो कमाल ही कर दी आखिर ऐसा क्या मिलाया है इन पकोड़े में जो ग्राहक इतनी तारीफ कर रहे हैं साहब जी कुछ खास नहीं मिलाया है बस थोड़े से नमक मिर्च मसाले बराबर मात्रा में डाले हैं बस ऐसे रमेश के आज के पकड़े बहुत जल्द ही खत्म हो जाते हैं आज तो पकड़े बहुत जल्द ही खत्म हो गए कल से हमें और ज्यादा से ज्यादा पकड़े बनाने होंगे और हां अब हमारी पड़ों की सेल और ज्यादा अच्छी होने लगी है इसलिए कल मैं दुकान में एसी लगवा रहा हूं इससे ग्राहक भी एसी की ठंडी-ठंडी हवा में पकड़ का मजा लेंगे और हमारे पकड़े की सेल और ज्यादा बढ़ेगी तुम क्या कहती हो साहब विचार तो बहुत अच्छा है अगले दिन रमेश अपनी दुकान में एसी लगवा लेता है और जैसा उसने सोचा था वैसा ही हुआ एसी लगने के बाद रमेश के दुकान पर ग्राहकों की संख्या बढ़ जाती है ग्राहक ठंडी-ठंडी हवा में बैठकर पकोड़े खाने का आनंद उठाते हैं ऐसे रमेश के आज भी सारे पकड़े बहुत जल्द ही बिक जाते हैं शाम के समय जब लता घर वापस आती है और वह और पिंकी को आपस में बातें करते हुए सुनती है दीदी उस दिन पार्टी में कितना मजा आ रहा था ना कहां हम उस दिन एसी की ठंडी-ठंडी हवा खा रहे थे और कहां आज हम इतनी गर्मी में बैठे हैं काश हमारे घर में भी एसी होती तो हम भी अभी एसी की ठंडी-ठंडी हवा खा रहे होते इतने में लता अंदर आ जाती है अरे और पिंकी तुम दोनों क्या कर रहे हो तुम दोनों ने अपने स्कूल का होमवर्क किया चलो जल्दी से अपना अपना होमवर्क कर लो मैं खाना बनाने जा रही हूं इसके बाद खाना खाकर जल्दी सो जाना कल तुम्हें सुबह उठकर स्कूल भी तो जाना है ना ठीक है मां हम स्कूल का काम करके आते हैं ऐसे दिन बीतते जाते हैं और लता के हालात पहले से ठीक होते जाते हैं ऐसे ही एक दिन सुबह लता काम पर जा रही होती है तभी उसे भंगा की एक दुकान दिखती है उसे दुकान पर कई सारे सामान थे जैसे कूलर पंखा फ्रिज एसी इत्यादि लता का ध्यान उस दुकान में रखे पुराने एसी की तरफ जाता है वह उसे बहुत पसंद आता है वह उस दुकानदार से बोलती है भैया यह एसी का क्या दाम है मात्र 00 की है 10000 यह तो बहुत ज्यादा है ज्यादा नहीं यह तो बहुत कम है यह सेकंड हैंड एसी है अगर नई एसी खरीदने जाओगी तो 0000 से कम की नहीं आएगी अच्छा ठीक है पर यह सही से तो चलती है ना हां बिल्कुल सही से चलती है अगर 6 महीने से पहले यह एसी बंद हो जाती है तो इसकी सारी रिपेयरिंग की सर्विस बिल्कुल फ्री होगी ठीक है लेकिन इसका सही सही दाम लगाओ मैं इसके 8000 दूंगी अगर तुम्हें देनी है तो मुझे यह ऐसी 8000 में दे दो ठीक है बताओ कहां लगानी है लता उस आदमी को अपने घर लेकर आती है वह आदमी लता के घर पहुंचकर एसी को लगा देता है एसी चालू करते ही ठंडी-ठंडी हवा घर में फैलने लगती है बच्चे भी इस ठंडी-ठंडी हवा का मजा उठाते हैं वह दीदी क्या मजा आ रहा है ऐसी की ठंडी-ठंडी हवा ऐसा लग रहा है जैसे बर्फ की चादर ड़ ली है हमने इतनी कड़ी गर्मी में यह ठंडी-ठंडी हवा बर्फ की चादर जैसी लग रही है घर में एसी के लगते ही बच्चे बहुत खुश हो जाते हैं घनश्याम भी घर पर आ जाता है ओह आखिर तुमने बच्चों की इच्छा पूरी कर ही दी कैसे ना करती भला बच्चे तो आखिर मेरी जान है इनसे बढ़कर मेरे लिए कुछ भी नहीं एसी लग जाने की वजह से बच्चे बहुत खुश होते हैं और लता की कमाई भी अच्छी होने लगती है लता के बने हुए पड़ों की वजह से रमेश के दुकान पर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी इससे रमेश खुश होकर लता की तनख्वा बढ़ा देता है थोड़े दिन बाद घनश्याम भी सेठ धनीराम के यहां मजदूरी छोड़कर लता के साथ पकोड़े बनाने लगता है दोनों को रमेश काफी अच्छी सैलरी देता था जिससे उनका घर खर्च काफी आसानी से चल जाता था बच्चे पूरी गर्मी ऐसी की ठंडी-ठंडी हवा में गुजरते हैं और इस तरह वह लोग अपना जीवन खुशी खुशी जीने लगते हैं [संगीत]