मैं हूं हेल्थ एंड हेल्थ इज वेल्थ और मैं हूं किटालू कर सकता हूं हेल्थ का बुरा हाल हेलो एवरीवन मुझे उम्मीद है कि आप सभी अच्छे हैं और आज मैं लेकर आई हूं क्लास 12थ बायोलॉजी ह्यूमन हेल्थ एंड डिजीज का वन शॉर्ट वीडियो हमेशा की तरह हम खत्म करेंगे इस पूरे लेसन को सिर्फ एक वीडियो में और हमेशा की तरह इस एक वीडियो को देखने के बाद आपके कांसेप्ट होंगे क्रिस्टल क्लियर तो मैं हूं रोशनी फ्रॉम लन हाफ द फ्री लर्निंग प्लेटफॉर्म जहां पर आप पढ़ सकते हो फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ्स बायोलॉजी सब कुछ एब्सलूट फॉर फ्री ओनली एट l hub.com तैयार हैं सभी लोग लेट्स गेट [संगीत] स्टार्टेड अब लेसन का नाम है ह्यूमन हेल्थ एंड डिजीज तो सबसे पहला सवाल तो यही आएगा कि व्हाट इज हेल्थ सो हेल्थ इज अ स्टेट ऑफ कंप्लीट फिजिकल मेंटल एंड सोशल वेल बी बहुत बार बच्चों हम कई लोगों को ऐसा लगता है कि अगर हमें कोई बीमारी नहीं है इसका मतलब हम हेल्दी हैं एज इन बहुत से लोगों को ये लगता है कि डिजीज फ्री होना ही हेल्दी है बट एक्चुअली दैट इज नॉट ट्रू जब हम हेल्थ की बात करते हैं तब फिजिकल वेल बीइंग जरूरी है यानी कि हमारे बॉडी में किसी भी तरह का डिजीज नहीं होना चाहिए वी शुड बी फिजिकली फिट साथ ही साथ मेंटल वेल बीइंग जरूरी है एज इन मेंटली हम पीस में होने चाहिए मेंटली हमें कोई स्ट्रेस टेंशन डिप्रेशन इस तरह की कोई चीज नहीं होनी चाहिए यानी कि कोई एंजाइटी किसी भी तरह की परेशानी हमारे दिमाग में नहीं चलती रहनी चाहिए सो दैट इज मेंटल वेल बीइंग एंड द थर्ड वन इज सोशल वेल बीइंग यानी कि हमारे फ्रेंड्स अच्छे होने चाहिए हमारे नेबर्स के साथ रिलेशंस अच्छे होने चाहिए बेसिकली हमारा एक अच्छा सोशल स्टेटस होना चाहिए सो व्हेन आई से स्टेटस दैट डजन मीन दैट वी शुड हैव अ लॉट ऑफ मनी एंड ऑल सोशल स्टेटस का मतलब है कि सोसाइटी में आसपास के लोगों के साथ हमारा एक अच्छा रिलेशनशिप होना चाहिए राइट तो जब हम फिजिकली मेंटली एज वेल एज सोशली वेल होते हैं फिट होते हैं दैट इज व्हेन वी कॉल आवर सेल्व हेल्दी तो इसीलिए जब हम हेल्थ को डिफाइन करते हैं इट इज नॉट जस्ट अबाउट फिजिकल बट फिजिकल मेंटल एज वेल एज सोशल वेल बीइंग जैसे ही बात आती है एक गुड हेल्थ मेंटेन करने की जो कई लोगों का सवाल होता है कई लोग एस्पायर करते हैं टू मेंटेन अ गुड हेल्थ क्योंकि एंड ऑफ द डे हेल्थ इज वेल्थ राइट तो तीन ऐसी चीजें हैं जो हमें एक अच्छा हेल्थ मेंटेन करने में मदद कर सकता है इनफैक्ट दीज आर थ्री वेरी कॉमन थिंग्स जो हम अक्सर ही सुनते रहते हैं नंबर वन योगा नंबर टू फिजिकल एक्सरसाइज एंड नंबर थ्री बैलेंस डाइट जब हम योगा की बात करते हैं ये सिर्फ एक फिजिकल डिसिप्लिन ही नहीं है बल्कि एक स्पिरिचुअल डिसिप्लिन भी है जिसके अंदर हम मेडिटेशन करते हैं जिससे हम काम रह पाते हैं जिससे हम फोकस्ड रह पाते हैं हमारा कंसंट्रेशन बढ़ता है हम अपने ब्रेथ को कंट्रोल करते हैं सो ओवरऑल अगर हम रेगुलरली योगा प्रैक्टिस करते हैं इवन इफ इट इज फॉर यू नो मे बी सम 15 20 मिनट्स एवरी डे लेकिन अगर हम रेगुलरली योगा प्रैक्टिस करते हैं तो ये हमें ना सिर्फ फिजिकल बट मेंटली भी ये हमें बहुत ज्यादा रिलैक्स करता है नंबर टू वाज फिजिकल एक्सरसाइज ओबवियसली आप सभी को पता है कि जब हम फिजिकल एक्सरसाइज करते हैं चाहे वो वॉकिंग के फॉर्म में हो चाहे वो स्ट्रेचिंग के फॉर्म में हो जॉगिंग हो रनिंग हो किसी भी तरह का फिजिकल एक्सरसाइज इवन स्पॉट्स आर अ वेरी गुड फॉर्म ऑफ फिजिकल एक्सरसाइज इससे क्या होता है कि एक तो हम बहुत ज्यादा एक्टिव फील करते हैं बिकॉज़ यू नो यू आर रनिंग वॉकिंग जॉगिंग यू आर डूइंग समथिंग राइट तो इससे क्या होता है कि हमारी बॉडी में एक फ्लेक्सिबल रहती है हम एक्टिव फील करते हैं एंड ओवरऑल वी फील गुड नंबर थ्री बैलेंस डाइट किसी ने सही कहा है यू आर व्हाट यू ईट एगजैक्टली तो हम जो खाना खाते हैं वही खाना हमारी बॉडी को इंटरनली ब बनाता है राइट सो व्हेन वी से बैलेंस डाइट बैलेंस डाइट एक ऐसा डाइट है जिसके अंदर वो सारी न्यूट्रिशन वो सारे न्यूट्रिएंट्स जो हमारे बॉडी के प्रॉपर फंक्शनिंग के लिए चाहिए वो सारे न्यूट्रिएंट्स होते हैं इन द राइट अमाउंट्स वेरी वेरी इंपॉर्टेंट सही क्वांटिटी में सही चीजें जिस खाने में हो या जिस डाइट में हो दैट इज योर बैलेंस्ड डाइट ठीक है अब जैसे आप कहोगे कि बैलेंस डाइट में रफले क्या-क्या होना चाहिए जैसे आपकी डाइट में फ्रूट्स होना चाहिए वेजिटेबल्स होना चाहिए आपके डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स भी होना चाहिए प्रोटीन रिच फूड्स भी होने चाहिए जैसे कि एग फिश मीट एक्सेट्रा होल ग्रेंस भी होने चाहिए राइट तो ये सभी चीजें होनी चाहिए बट नीदर इन एक्सेस नॉर इन डेफिसिट राइट ऐसा भी नहीं कि बहुत ज्यादा अब आपने सोचा कि भाई प्रोटीन रिच फूड अच्छा होता है अब आप इतना ज्यादा मीट खाने लगे कि आप बस मीठ ही मीट खा रहे हो तो क्या होगा विल दैट बी हेल्दी फॉर यू नो एब्सलूट नॉट क्योंकि जब भी आप किसी एक चीज को एक्सेस में खाने लगोगे तो उससे आपकी बॉडी को फिर से नुकसान होने लगेगा तो इसीलिए बैलेंस डाइट का मतलब है सब कुछ खाना है लेकिन इन द राइट अमाउंट्स राइट तो यह तीन ऐसे आप कह सकते हो कि यह तीन यू नो द थ्री सीक्रेट्स टू स्टे हेल्दी या फिर टू मेंटेन गुड हेल्थ सवाल यह उठता है कि यह हमारे हेल्थ के साथ एक अच्छे हेल्थ के साथ इंटरफेयर करता कौन है कौन ऐसा है जो आता है और कहता है कि ले अटैक और हेल्थ पे अटैक कर देता है दैट इज वर वी टॉक अबाउट ीज जब कभी भी हमारी बॉडी के किसी पार्ट में किसी एक या एक से ज्यादा पार्ट्स नॉर्मली फंक्शन नहीं कर रहा होता है कुछ अब नॉर्मल फंक्शनिंग हो रही होती है जिसके कारण हमें दिखता है कि हमारे बॉडी में कुछ-कुछ ऐसे इंडिकेशंस आने लगते हैं कि भाई कुछ तो गड़बड़ है दैट इज वेयर आपको पता चलता है कि भाई डिजीज आ चुका है डिजीज इज बेसिकली डिस्टर्ब ईज यानी कि जब हमारा ईज या हमारा कंफर्ट डिस्टर्ब हो जाए दैट इज डिजीज सो बेसिकली डिजीज जब भी हमें होता है तो उस दौरान क्या होता है हमारे बॉडी का कोई भी एक ऑर्गन या फिर ऑर्गन सिस्टम या फिर ओवरऑल मल्टीपल ऑर्गन्स दे डू नॉट फंक्शन प्रॉपर्ली इनफैक्ट उनका फंक्शनिंग प्रॉपर्ली नहीं होता है जिसकी वजह से हमारी ओवरऑल बॉडी का जो फंक्शनिंग है वो वर्स की तरफ जाने लगता है राइट यानी कि हमारी ओवरऑल हेल्थ कंडीशन डिटेरिटोरियलाइजेशन बीमारियों के बारे में आई एम श्यर आपने सुना होगा और आपने शायद अपने आसपास लोगों को देखा भी होगा जो बीमार पड़ते हैं कभी-कभी हमें वायरल फीवर हो जाता है राइट उसी में क्या होता है बुखार होता है सर्दी खांसी हेडेक इनफैक्ट जब आपका बुखार ठीक भी हो जाए बट स्टिल यू फील सम काइंड ऑफ वीकनेस विद इन योर बॉडी राइट तो मतलब कोई भी बीमारी जब आती है तो उससे क्या होता है कि आपका मे बी कोई एक पार्ट इंपैक्ट होता है लेकिन उससे आपकी ओवरऑल बॉडी की फंक्शनिंग जो है वो एडवर्सली इफेक्ट हो जाती है और इसी कंडीशन को हम कहते हैं डिजीज अब बच्चों जब भी हम डिजीज की बात करते हैं दो ऐसे टर्म्स हैं जो हम डिजीज के कनेक्शन में अक्सर ही यूज करते हैं एक है सिमटम्स ऑफ अ डिजीज और दूसरा है साइंस ऑफ अ डिजीज अब आमतौर पे क्या होता है कि सिमट सम और साइन इसको हम सिनोनिम असली यूज कर लेते हैं बट इन दोनों टर्म्स में हल्का सा एक फर्क है सिम्टम्स ऑफ अ डिजीज क्या होता है इंडिकेशंस राइट जब हमें ऐसा लगता है कि हमारी बॉडी में कुछ तो गलत हो रहा है कहीं ना कहीं समथिंग इज रॉन्ग राइट तो सिमटम्स से हमें यह पता चलता है कि देयर माइट बी अ डिजीज मतलब हम श्यर नहीं है कि कोई डिजीज है या नहीं बट उनसे हमें लगता है कि शायद कोई डिजीज है जैसे फॉर एग्जांपल लेट अस से कि अचानक से मुझे बहुत हेडेक हो रहा है राइट एंड द हेडेक इज पर्सिंग फॉर क्वाइट सम टाइम तो मुझे क्या लगेगा कि इसका मतलब मेरी बॉडी में कुछ तो गड़बड़ चल रहा है राइट एगजैक्टली क्या है एगजैक्टली कुछ है भी कि नहीं मुझे पता नहीं बट दैट हेडेक इज अ सिंटमोबाइल में कोई ना कोई डिजीज है दूसरी तरफ जब हम साइंस ऑफ अ डिजीज की बात करते हैं इसका मतलब है वैसे वाले इंडिकेशंस जो बताते हैं दैट देयर इज प्रेजेंस ऑफ अ डिजीज मतलब ये बताते हैं कि डिजीज है तो अब इसको हम कहां यूज़ करते हैं जैसे मान लो मुझे हेडेक हो रहा है तो ये मेरे लिए एक सिमट सम है मुझे लग रहा है कि शायद कुछ हो सकता है सो आई विजिट अ डॉक्टर अब वो डॉक्टर जब मुझे चेकअप करता है राइट आई मीन ही ही यूसेज हिज स्टेथोस्कोप टू सी एवरीथिंग हां वो वो सारे चेकअप वो अपने हिसाब से करता है कई बार वो टेस्ट्स वगैरह भी करवाते हैं तो जब डॉक्टर वो सारा कुछ कर रहे होते हैं सो दे आर लुकिंग फॉर द साइंस ऑफ द डिजीज कौन से वो साइंस हैं जो कंफर्म करते हैं कि हां पक्का से ये डिजीज है राइट सो नाउ यू अंडरस्टैंड द डिफरेंट सिम्टम्स बताते हैं कि शायद कोई डिजीज है साइंस बताते हैं द प्रेजेंस ऑफ अ डिजीज डिजीज को हम दो कैटेगरी में कैटेगरी इज कर सकते हैं पहला इनफेक्शियस डिजीज दूसरा नॉन इफेक्स डिजीज इफेक्टिव डिजीज या यानी कि ऐसे डिजीज एक पर्सन से दूसरे पर्सन में ट्रांसफर हो सकते हैं ट्रांसमिट हो सकते हैं राइट इसलिए मतलब वो इंफेक्शन जो है वो स्प्रेड हो सकता है एक जन से दूसरे जन में राइट सो दैट इज व्हाई दे आर कॉल्ड इनफेक्शियस डिजीज इन्हें कम्युनिकेबल डिजीज भी कहा जाता है क्योंकि ये कम्युनिकेट हो जाते हैं एक जन से दूसरे जन में एग्जांपल के तौर पर जैसे कॉमन कोल्ड कॉमन कोल्ड आपने देखा होगा कि घर के अंदर किसी एक जन को कॉमन कोल्ड होता है अगर सर्दी खासी टाइप की चीज होती है तो वो एक एक एक एक करके सभी फैमिली मेंबर्स को होता है किसी को ज्यादा किसी को कम बेस्ड ऑन देयर इम्युनिटी बट होता सभी को है राइट बिकॉज़ दे आर इनफेक्शियस डिजीज सिमिलरली चिकन पॉक्स एड्स ये सारे कम्युनिकेबल डिजीज के एग्जांपल्स हैं दूसरी तरफ जब हम नॉन इनफेक्शियस डिजीज की बात करते हैं तो जाहिर सी बात है ये वैसे डिजीज हैं जो एक पर्सन से दूसरे पर्सन में ट्रांसफर नहीं होता है या ट्रांसमिट नहीं होता है इन्हें हम कहते हैं नॉन कम्युनिकेबल डिजीज एगजैक्टली इनके एग्जांपल्स आप सोच के बता सकते हो कुछ ऐसा एग्जांपल जो ट्रांसमिट नहीं होता है एक पर्सन से दूसरे पर्सन में बताओ सोच के बताओ कुछ जैसे कि एस्मा डायबिटीज कैंसर ये सारी ऐसी बीमारियां हैं जो अगर घर में किसी एक जन को हुआ है तो वो दूसरे जनों में स्प्रेड नहीं होता है डिजीज हमें बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है इट इज लाइक द विलन ऑफ द मूवी राइट हेल्थ हमारा कितना अच्छा था जो कि मूवी का हीरो था अचानक से ये डिजीज आया और यू नो पूरी स्टोरी को खराब कर दिया करेक्ट तो जाहिर सी बात है कि हमारे दिमाग में यही सवाल चल रहा है कि यह डिजीज को कॉज कौन करता है कौन है जो डिजीज करता है बॉडी में डिजीज कॉज करने वाला कौन है सो दैट इज़ एगजैक्टली वयर वी टॉक अबाउट पैथोलैब डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस होते हैं कुछ ऐसे ऑर्गेनिस्ट मस जो डिजीज कॉज करते हैं उनको हम पैथोलैब मोस्टली पैरासाइट्स होते हैं अब पैरासाइट शायद आपके लिए एक नया टर्म हो या हो सकता है आपने पहले पढ़ा हो बट अभी फिलहाल हम हम लोग थोड़ी ही देर में जानेंगे पैरासाइट क्या होता है कुछ एग्जांपल्स देख लो पैथोली फंगई प्रोटोजोआ वायरस ये सारे एग्जांपल्स हैं पैथोली अब हम लोग क्या करेंगे पहले तो हम कुछ ऐसे टर्मिनोलॉजी देखेंगे जो बहुत ही कॉमन टर्म्स है जो हम यूज करते रहते हैं जब हम डिजीज की बात करते हैं तो चलो देखते हैं तो हमारा पहला टर्म है पैथोलॉजिस्ट्स हैं जैसे कि बैक्टीरिया फंगा एक्सट्रा दूसरा टर्म है होस्ट होस्ट वो ऑर्गेनिस्ट सम है जिस पे अटैक किया जा रहा है या फिर जिसे बीमार किया जा रहा है राइट जैसे मान लो कि अगर ह्यूमन बीइंग्स बीमार हो रहे हैं मान लो कि हमको टाइफाइड हो रहा है मलेरिया हो रहा है वगैरह तो इसका मतलब वी आर द होस्ट क्योंकि वो जो पैथोलैब कर रहे हैं तो हम होस्ट है होस्ट वर्ड को वैसे रिलेट कर सकते हो जैसे हमारे घर में गेस्ट आते हैं जैसे मान लो हमने किसी को घर पे डिनर पे इनवाइट किया तो वो गेस्ट हो गए और मैं क्या हो गई होस्ट अब ये जो पैथोलॉजिस भी नहीं करते हैं बट ये सेल्फ इनवाइट होते हैं ये खुद ही आ जाते हैं अपनी मर्जी से और हमें होस्ट बना देते हैं ठीक है तो चलो ये तो हो गया होस्ट अब हमारा तीसरा टर्म है पैरासाइट पैरासाइट क्या होता है इसको मैंने इस टर्म को मैंने अभी थोड़ी देर पहले जिक्र किया था इस टर्म के बारे में तो पैरासाइट एक ऐसा ऑर्गेनिस्ट मम होता है जो होस्ट की बॉडी में रहता है और अपना सारा खाना पना सारा न्यूट्रिशन होस्ट की बॉडी से डिराइवर करता है बट ऐसा जरूरी नहीं है कि वो होस्ट को किल कर दे मतलब वो होस्ट की बॉडी में रहता है होस्ट की बॉडी में से अपना खाना लेता है बट ऐसा भी नहीं है कि वो होस्ट को मार ही दे दैट इज नॉट नेसेसरी एक एग्जांपल देती हूं पैरासाइट का जैसे लाइस बालों में जू होते हैं ना कभी देखा होगा तो जो जू होते हैं यह क्या है यह ह्यूमन बॉडी में रहते हैं राइट अपना खाना पना सब कुछ हमारी बॉडी से लेते हैं ठीक है बट इनके होने से दे रियली डू नॉट किल अस राइट मतलब हमें मार नहीं रहे हैं बट यस कहीं ना कहीं वो हमारे हिस्से के न्यूट्रिशन में से थोड़ा बहुत न्यूट्रिशन खुद ले रहे हैं राइट सिमिलरली आपने सुना होगा बहुत बार छोटे बच्चों के ना पेट में कीड़े हो जाते हैं ऐसा सुना होगा वर्म्स हो जाते हैं जिसके लिए उन्हें दवाइयां दी जाती हैं राइट तो ये वर्म्स क्या होते हैं ये बॉडी के अंदर रह रहे होते हैं और हमारी बॉडी के अंदर से ही अपना न्यूट्रिशन ले रहे होते हैं हमें तंग कर रहे होते हैं क्योंकि जो छोटे बच्चे होते हैं वो स्टमक पेन और इन इस तरह की चीजों के का कंप्लेन कर रहे होते हैं राइट बट दे आर नॉट किलिंग अस बट ऐसा भी नहीं है कि ये कभी हमें किल नहीं करते हैं कई बार ऐसे पैरासाइट्स होते हैं जो हमारे बॉडी के अंदर एंटर जाते हैं बॉडी में रहते हैं न्यूट्रिशन लेते हैं और हमें धीरे-धीरे धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाते पहुंचाते मतलब ऐसी हालत कर देते हैं हमारी कि हम जिंदा ही नहीं रह पाते हैं राइट सो बेसिकली पैरासाइट वो होते हैं जो एक होस्ट की बॉडी के अंदर रहते हैं अपना खाना पना भी वहीं से लेते हैं और बस बस जाते हैं इट इज लाइक दैट सो दैट्ची ये मैंने कहा था थोड़ी देर पहले कि अधिकतर पैरासाइट्स जो होते हैं वही पैथोली एक्चुअली कौन होते हैं जो होस्ट की बॉडी के अंदर एंटर करते हैं और फिर जाके वहां पर यू नो तूफान मचाते हैं राइट तो होस्ट की बॉडी बॉडी के अंदर जाके तूफान मचाने के लिए भी वहां पर जाकर काइंड ऑफ सेटल होना पड़ेगा अपना खाना पना वहीं से मिल रहा है तो देखा जाए तो इसीलिए मैंने कहा था कि मोस्ट पैरासाइट्स काफी सारे पैरासाइट्स होते हैं जो पैथोली आप फिजिक्स में भी पढ़ते हो है ना बट यहां पर वेक्टर कुछ और है यहां पर वेक्टर ऐसा एक ऑर्गेनिस्ट है जो पैरासाइट को हमारे बॉडी में इंट्रोड्यूस करता है या फिर आप कह सकते हो जो पैथोली बॉडी में इंट्रोड्यूस करता है मतलब जो डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट है चाहे वो बैक्टीरिया है या फंगा है या कोई वायरस ही क्यों ना हो उस ऑर्गेनिस्ट सम को हमारी बॉडी तक वो लेके आता है मतलब एक तरीके से वो ट्रांसपोर्ट सिस्टम का काम कर रहा है समझ रहे हो ना अब उस पैथोली बॉडी के अंदर आना है अब बेचारा कैसे आएगा चल के वो आ नहीं पा रहा है तो उसने बोला चलो ठीक है मैं ना किसी एक दूसरे ऑर्गेनम के थ्रू उसके बॉडी में घुस जाता हूं तो वो जो ऑर्गेनिस्ट है जो पैथोली हमारी बॉडी के अंदर होस्ट की बॉडी के अंदर एंट्री करवा रहा है दैट इज अ वेक्टर एक एग्जांपल देती हूं यहां पर आप सभी को शायद आमतौर पर ये बात पता है कि हम लोगों को मलेरिया होता है ह्यूमंस को मलेरिया किस वजह से होता है मच्छर के काटने से इसीलिए अक्सर घर पर मम्मी पापा कहते रहते हैं राइट कि अरे मलेरिया बहुत फैल रहा है चलो मॉस्किटो रेपलर यूज करते हैं मच्छर से बचो राइट इस तरह की बातें आपने सुनी होंगी तो होता क्या है देखो मॉस्किटो जो है ना वो खुद मलेरिया कॉज नहीं करता है लेकिन जब मॉस्किटो आपको काटता है ना उस समय वो क्या करता है बड़े प्यार से आपका खून भी चूस लेता है और साथ ही साथ पैथोलॉजी को आपकी बॉडी में डाल देता है और उस पैथोली समझ गए तो यहां पर मॉस्किटो क्या हो गया मस्कट इज एक्टिंग एज अ वेक्टर ठीक है तो ये हमारे कुछ टर्म्स थे तो चलो अब हम हम लोग आगे बढ़ेंगे और देखेंगे कुछ डिजीज कुछ कॉमन डिजीज जो ह्यूमन बीइंग्स में होते हैं और वो किस वज वजह से होते हैं क्या उनके सिम्टम्स होते हैं और उन्हें हम कैसे ठीक कर सकते हैं तो प्यारे बच्चों अब हम लोग कुछ कॉमन डिजीज देखेंगे जो ह्यूमंस में होते हैं हम देखने की कोशिश करेंगे कि वो कौन सा पैथोली उन्हें कॉज करता है पैथोली कैसी होती है हमारी बॉडी में उसको डायग्नोज कैसे करते हैं उनको ट्रीट कैसे करते हैं राइट तो ये सारी चीजों के बारे में हम बात करेंगे कुछ डिजीज के लिए जैसे कि टाइफाइड मलेरिया या कॉमन कोल्ड निमोनिया स्केरियसस रिंग वर्म एक्सेट्रा तो कुछ डिजीज अभी हम कवर करेंगे तो सबसे पहला डिजीज है टाइफाइड तो टाइफाइड एक बहुत कॉमन डिजीज है तो आई एम प्रिटी श्यर कि आपने इसका नाम तो सुना ही होगा हो सकता है घर में कभी किसी को हुआ हो जैसे मुझे टाइफाइड हुआ था जब मैं क्लास सेवन में थी एंड यू नो टाइफाइड जब होता है तो यू आर यू रियली फील वेरी वीक फॉर क्वाइट सम टाइम काफी दिनों के लिए यू नो आप बेड पे पड़ जाते हो एक तरीके से सो टाइफाइड को कॉज करने वाला जो जो पैथोलैब होता है जिसका नाम है साल्मोनेला टाइफी ठीक है देखो यह नाम बच्चे इंपॉर्टेंट है क्योंकि बहुत बार मल्टीपल चॉइस क्वेश्चंस में इस तरह की चीजें आपको पूछ दी जाती हैं राइट इनफैक्ट नीट के एग्जाम में भी या आप एक्सपेक्ट कर सकते हो और आपके बोर्ड्स के एग्जाम में भी ठीक है तो साल्मोनेला टाइफी जो है ये पैथोली इंपॉर्टेंट चीज पैथोली कैसी होती है हमारी बॉडी के अंदर थ्रू कंमिडी फूड एंड वाटर कंमिडी मतलब क्या होता है जब फूड या वाटर इस पैथ जिन से पोल्यूटर नहीं कंटेम इज द वर्ड दैट वी यूज मतलब अगर जो खाना आप खा रहे हो हो सकता है उस खाने में यह वाला पैथोली आप पी रहे हो उसके थ्रू इसकी एंट्री हो सकती है आपकी बॉडी के अंदर अब देखो अगर मैं पूछूं कि ये कौन से वाले ऑर्गन को इंपैक्ट करेगा हमारे बॉडी के अंदर कौन से वाले ऑर्गन को ये अटैक करता है अब देखो जाहिर सी बात है कि चूंकि इसकी एंट्री फूड या वाटर के थ्रू हो रही है तो इस इसका मतलब वो कहां जाएगा वो फूड हमारा कहां जाता है फूड पाइप में जाता है फूड पाइप के थ्रू स्टमक में जाता है स्टमक से इंटेस्टाइन में जाता है तो बच्चे ये वाला जो पैथोलैब करता है हमारे स्मॉल इंटेस्टाइन को ठीक है याद रहेगा सुपर अब देखते हैं इसके सिम्टम्स हाई फीवर होता है हेडेक रहता है स्टमक एक रहता है वीकनेस तो बहुत ज्यादा रहती है इसके अलावा लॉस ऑफ एपेटाइट कुछ खाने का मन नहीं करता है भूख नहीं लगती है अब देखो ये रिलेटेड है चूंकि भूख नहीं लगती है खाने का मन नहीं करता है आप खाते नहीं हो इवेंचर वीक हो जाते हो राइट तो ये कुछ सिम्टम्स हैं जो टाइफाइड में देखने को मिलते हैं डायग्नोसिस की अगर बात करें कि भाई कैसे पता चलेगा कि टाइफाइड ही है क्योंकि अभी जब धीरे-धीरे हम और भी कई सारे डिजीज डिस्कस करेंगे तो आप देखोगे कि कई सारे ऐसे डिजीज हैं जहां पर सिम्टम्स कॉमन है जैसे हेडेक है या स्टमक है ये और भी कई सारे डिजीज के सिम्टम्स हैं तो सिर्फ हेडेक या स्टमक एक या फिर वीकनेस से तो हम नहीं बता सकते हैं कि भाई बंदे को टाइफाइड है तो इसके के लिए कोई स्पेसिफिक टेस्ट होना चाहिए जो कि है भी तो नॉर्मली हम इसे डायग्नोज करते हैं थ्रू विथ ब्लड कल्चर या फिर यूरिन कल्चर या फिर एक स्पेसिफिक टेस्ट होता है जिसे हम कहते हैं विडल टेस्ट बच्चा अगेन नाम को अच्छे से नोट कर लो क्योंकि इस तरह के क्वेश्चंस भी आपको एमसीक्यू में पूछे जा सकते हैं कि भाई विडल टेस्ट जो है ये इनमें से किन बीमारियों को डायग्नोज करने के काम आता है ठीक है तो अब आप ये सोच रहे होंगे कि ये जो टेस्ट्स हैं ये टेस्ट्स बेसिकली क्या ढूंढते हैं हमारे बॉडी के अंदर राइट वेरी कॉमन क्वेश्चन अब देखो होगा क्या जब हम यह पूरे लेसन को कवर करेंगे ना तो आपको थोड़ा और बेटर क्लेरिटी आएगा बट स्टिल अभी मैं थोड़ा ऊपर ऊपर से समझा देती हूं अब देखो क्या होता है जब मुझे टाइफाइड हुआ है इसका मतलब साल्मोनेला टाइफी ने मुझे अटैक किया है राइट अब जब इस पर्टिकुलर पैथोलैब के अंदर जो इम्यून सिस्टम है राइट इम्यून सिस्टम क्या होता है क्या करता है सब हम इसी लेसन में पढ़ेंगे इसी वीडियो के अंदर पढ़ेंगे थोड़ा और थोड़े बाद में ठीक है तो वो क्या करता है उसको फाइट करने के लिए ना बॉडी के अंदर कुछ एंटीबॉडीज क्रिएट करता है एंटीबॉडीज क्या होते हैं ये भी आप हम पढ़ेंगे थोड़ी देर में ठीक है तो इन सारे टेस्ट्स के थ्रू हम ये चेक करना चाहते हैं कि बॉडी के अंदर कौन से वाले पैथोलैब क्रिएट हुआ है उससे हमें पता लग जाता है कि एगजैक्टली कौन सा डिजीज हुआ है बात समझ में आई मतलब लॉजिक समझ में आ गया ठीक है तो अब सवाल हुआ कि चलो ठीक है अब हमने डायग्नोज भी कर लिया हमने सिमटम्स देख लिए सिम्टम्स देख के हम डॉक्टर के पास गए डॉक्टर ने टेस्ट करवा के डायग्नोज कर लिया अब उसके बाद बारी आती है ट्रीटमेंट की तो ट्रीटमेंट में एंटीबायोटिक्स के हेल्प से इसे हम ट्रीट कर सकते हैं यहां पर एक इंपॉर्टेंट बात बताऊंगी एंटीबायोटिक्स जो होते हैं ये सिर्फ और सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन में काम आते हैं जब हमारी बॉडी के अंदर कोई भी इस तरह का इंफेक्शन है कोई भी इस तरह की बीमारी है जो बैक्टीरिया की वजह से हुआ है ओनली देन एंटीबायोटिक्स आर यूज़फुल अगर कोई वायरल इंफेक्शन हुआ है वहां पर एंटीबायोटिक्स कोई काम नहीं आता है ठीक है सो बी वेरी क्लियर ऑन दैट आपने खुद भी देखा होगा जैसे कभी-कभी आपको बुखार वगैरह होता है तो डॉक्टर्स आपको एंटीबायोटिक्स देते हैं एंटीबायोटिक्स वो तभी देंगे जब उन्हें लगता है कि इट इज अ बैक्टीरियल इंफेक्शन ठीक है वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक्स डोंट वर्क टाइफाइड से रिलेटेड एक छोटा सा स्टोरी बताती हूं काफी सालों पहले की बात है एक अमेरिकन कुक थी जिनका नाम था मैरी मेलन जो बहुत से लोगों के घर में खाना बनाती थी एक बार कुछ ऐसा हुआ दैट शी एंडेड अप इफेक्टिंग मोर दन 100 पीपल विद टाइफाइड फीवर एज़ इन कुछ 100 120 लोगों को उन्होंने टाइफाइड फीवर से इफेक्ट कर दिया इनफैक्ट शी वाज मोर कॉमनली नोन एज़ टाइफाइड मैरी तो इसे मैं यह कहना चाह रही हूं कि ज जैसा मैं थोड़ी देर पहले बता रही थी कि टाइफाइड इज़ एन एग्जांपल ऑफ़ एन इनफेक्शियस डिजीज जो एक पर्सन से दूसरे पर्सन में बड़ी आसानी से ट्रांसमिट हो सकता है अब हमारा अगला डिजीज है निमोनिया निमोनिया का स्पेलिंग तो वैसे ही काफ़ी प्रसिद्ध है जिसके अंदर एक पी तो होता है लेकिन वह साइलेंट बैठा रहता है है ना तो चलो सबसे पहले देखते हैं कि कौन सा पैथोलॉजी बैक्टीरिया होता है टू बी मोर स्पेसिफिक स्ट्रेटो कॉकस निमोनिया और हीमोफ्लैग्लेट्स अब दूसरा सवाल ये आता है कि ये पैथोली कैसे होती है हमारी बॉडी में एंड द आंसर इज थ्रू कंटेम एयर जब एयर जो हमारे आसपास का जो एयर है जब वो इस पैथोलैब हम उस एयर को इन्हेल करते हैं तो इस तरीके से यह पैथोली बॉडी के अंदर चला जाता है ठीक है बात समझ में आई ओके अब अगर मैं आपसे पूछूं कि यह जो बैक्टीरिया है या यह जो पैथोली बॉडी के अंदर किस ऑर्गन को डायरेक्टली इफेक्ट करेगा क्या आप बता सकते हो बताओ बता सकते हो इट इज वेरी इजी लॉजिकली सोचो हम इसे इन्हेल कर रहे हैं अपने नॉस्ट्रिल से राइट तो यानी कि ये कहां से जाएगा ये हमारे नेजल पैसेज से होते हुए कहां पे जाएगा विंड पाइप से होते हुए फाइनली ये लंग्स में जाएगा राइट यानी कि ये हमारे किस ऑर्गन को इंपैक्ट करेगा लंग्स को इंपैक्ट करेगा एगजैक्टली ये हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम में इंपैक्ट दिखाएगा अपना है ना इनफैक्ट अगर हम और थोड़ा डीप जाके देखें तो लंग्स के अंदर का जो स्ट्रक्चर है जो आप लोगों ने ऑलरेडी 10थ 11थ में पढ़ रखा है लंग्स के अंदर का जो स्ट्रक्चर है उसमें जो बेसिकली जो रेस्पिरेटरी यूनिट्स होता है लंग्स के अंदर जिसे हम एल्विना कहते हैं बहुत ही छोटे-छोटे टाइनी एयर सैक्स जो लंग्स के अंदर होते हैं ये इनको इफेक्ट कर देता है ये वाला पैथोली कि यहां पे निमोनिया जब हमें होता है तो हमारे लंग्स में इंफेक्शन होता है जिसकी वजह से हमें निमोनिया होता है ठीक ओके अब बात करेंगे इसके सिम्टम्स की निमोनिया का सिम्टम्स क्या होता है हमें कोल्ड काफी रहता है हमें कॉफ बहुत रहता रहता है इसके अलावा हेडेक रहता है हाई फीवर भी रहता है चिल्स भी होते हैं राइट तो इस तरह की सारी चीजें हमें निमोनिया में देखने को मिलता है इसके अलावा वीकनेस बहुत होती है वी फील शॉर्ट ऑफ ब्रेथ सांस लेने में ना तो मतलब सांस अटकती है एक तरीके से लिप्स और नेल्स के कलर में हमें एक ब्लू टिंट देखने को मिलता है सो ये सारे हो जाते हैं निमोनिया के सिम्टम्स ठीक है अब इसको डायग्नोज कैसे करते हैं तो चेस्ट एक्सरे यूरिन टेस्ट म्यूकस टेस्ट ये सारे तरीके है निमोनिया को डायग्नोज करने का म्यूकस आई होप ऑल ऑफ यू नो म्यूकस क्या होता है म्यूकस एक स्टिकी सा फ्लूइड लाइक सब्सटेंस होता है नॉट एगजैक्टली फ्लूइड बट थोड़ा सा स्टिकी एंड स्लाइम सॉर्ट ऑफ अ लेयरिंग होती है जो हमारे पूरे रेस्पिरेटरी सिस्टम के अंदर वो लेयरिंग देखने को मिलती है बट हम लोग इसको एविडेंस इसके प्रेजेंस को तब फील कर पाते हैं जब हमें सर्दी खासी होती है राइट यू वुड फील दैट कॉफ राइट जब आप खांसते हो या जब आपको बहुत ज्यादा सर्दी होती है राइट सो दैट इज द म्यूकस ओके अच्छा चलो चलो अब भाई डायग्नोज भी हो गया अब ट्रीटमेंट कैसे होगा तो यहां पर भी हम एंटीबायोटिक मेडिसिंस के कोर्स को कंप्लीट करके निमोनिया को ट्रीट कर सकते हैं एंटीबायोटिक्स क्यों वर्क करेगा बिकॉज़ द पैथोलैब तो बहुत सिंपल है ट्रीटमेंट अगर वो बैक्टीरिया है तो उसका ट्रीटमेंट एंटीबायोटिक से हो जाएगा अगला डिजीज है कॉमन कोल्ड इसे कॉज करने वाला पैथोलैब इरस इनफैक्ट बच्चों अभी तक हमने जो दो डिजीज डिस्कस किया वो बैक्टीरियल इंफेक्शन से होते थे सो दिस इज वन डिजीज कॉमन कोल्ड इज वन डिजीज जो वायरल इंफेक्शन से होता है राइट अब चलो देखते हैं कि पैथोली एंट्री कैसे होती है हमारी बॉडी के अंदर तो यहां पर हम देखते हैं कि एंट्री होती है थ्रू कंमिडी एयर एंड ऑब्जेक्ट्स एयर तो समझ में आता है कि भाई इन्हेल कर लिया कंमिडी एयर कंटेम ऑब्जेक्ट्स बोले तो जैसे मान लो कि किसी इंसान को लेट्स से रघुवीर को कॉमन कोल्ड है अब रघुवीर जिस हैकी को यूज कर रहा है उस हैकी को उसने टेबल के ऊपर छोड़ दिया थोड़ी देर के बाद रमन उसी रूम में आया और रमन ने वही हैकी उठा लिया और उसे यूज कर लिया अब क्या होगा वो जो हैकी है वो तो कंटेम है विथ द वायरस तो अब जब रमन उस हैकी को यूज करेगा देयर आर हाई चांसेस दैट ही विल आल्सो गेट इफेक्टेड राइट तो इसी वजह से कई बार ये बात आपने सुनी होगी कि कुछ ऐसी चीजें जैसे मान लो कि कोम या टावल हैंकर चफ ये सारी चीजें आपको अपनी पर्सनल ही यूज करनी चाहिए दूसरों के साथ शेयर नहीं करना चाहिए ठीक है तो एनीवेज तो इस तरीके से इसकी एंट्री कैसे होती है थ्रू कंटेम एयर या फिर ऑब्जेक्ट्स अब आपसे वही सवाल पूछूंगी क्या आप गेस कर सकते हो कि यह हमारे बॉडी के किस पार्ट को इफेक्ट करेगा बहुत से बच्चे जल्दी से कहेंगे लंग्स राइट क्योंकि अभी निमोनिया में भी कंटेम एयर था तो वहां पर लंग्स इंपैक्ट हुआ था अब यहां पर छोटा एक छोटी सी चीज अलग होती है अब ये जो वायरस है ना इनमें इतना पेशेंस नहीं होता कि ये लंग्स तक जाए ये उतनी दूर नहीं जाते हैं ये उसके पहले ही ये जो हमारा जो नेजल पैसेज है ना यहीं से ये अपना काम शुरू कर देते हैं ठीक है तो बेसिकली जब हम एयर को इन्हेल करते हैं तो हमारे नॉस्ट्रिल्स के थ्रू वो नेसल पैसेज से जाते हुए विंड पाइप से जाते हुए पहुंचता है लंग्स में राइट तो ये वाला जो इंफेक्शन है ना ये इंफेक्शन हमारे लंग्स तक नहीं पहुंचता है इस ये इंफेक्शन हमारे इसी रीजन में लोकलाइज्ड रहता है तो हमारा जो ये नेजल पैसेज है ये इफेक्ट हो जाता है जिसकी वजह से यहां पे सारी दिक्कतें कहां पे रहती है थ्रोट में रहती है यह नेजल कैविटी के अंदर रहती है नेजल पैसेज में रहती है सारी दिक्कतें यहीं यहीं रहती है लंग्स हमारा बिल्कुल सेफ रहता है ठीक है तो यहां पर इंपैक्ट कौन-कौन होता है नोज और नेजल पैसेज तो इस वजह से जो सिम्टम्स यहां पर हमें देखने को मिलते हैं वो क्या होते हैं रनी नोज नाक से पानी बहते रहता है स्टफी नोज कभी-कभी नोज जो है वोह बिल्कुल स्टफी हो जाता है तो हमें सांस लेने में दिक्कत हो रही होती है इसके अलावा सोर थ्रोट इसके अलावा कॉफ इसके अलावा और क्या होता है होर्स इन द वॉइस जैसे अगर आप पता नहीं मुझे आप नोटिस कर पा रहे हो कि नहीं अभी मुझे भी थोड़ा-थोड़ा कोल्ड है इनफैक्ट मैं बीच-बीच में खास भी रही हूं राइट मेरी आवाज भी बिल्कुल खुल के नहीं निकल रही है ब बिकॉज कहीं ना कहीं हल्का सा सोर थ्रोट वाला फीलिंग है मतलब थ्रोट के पास ना आपको एक इचिंग टाइप की फील होती है राइट तो ये सारे जो सिम्टम्स है ये सारे सिमटम्स कॉमन कोल्ड के हैं तो अगर आप ध्यान से देखो लॉजिकली सोचो चीजों को कॉमन कोल्ड क्या हो रहा है इफेक्टेड एयर के एयर के थ्रू इंफेक्शन आ रहा है लेकिन चूंकि ये वायरस जो है ये फटाफट वहीं पे इंफेक्शन कर देता है तो ये नोज और नेजल पैसेज को इफेक्ट कर देता है रनी नोज स्टफी नोज सोर थ्रोट कॉफ होर्स निस इन वॉइस ये सारे इसके सिम्टम्स हो जाते हैं अब अगर बात करें इसके ट्रीटमेंट की तो ये वायरल इंफेक्शन है तो क्या हम एंटीबायोटिक्स देंगे बिल्कुल नहीं क्योंकि एंटीबायोटिक्स तो वायरल इंफेक्शन के लिए काम ही नहीं करते हैं राइट तो हम इसे ठीक कैसे करेंगे अब जैसे कॉफ है कॉफ के लिए हम कॉफ सिरप्स ले लेंगे अब जैसे नेजल पैसेज में जो भी दिक्कतें हैं उसके लिए हम नेजल स्प्रेज ले लेंगे जैसे यू नो ये नेजल पैसेज ब्लॉक हो जाता है तो उसके लिए बहुत सारे नेजल ड्रॉप्स आते हैं राइट नेजल स्प्रेज आते हैं तो हम उनका यूज करेंगे बहुत बार हेडेक होता है या फिर यू नो थ्रोट में पेन होता है उसके लिए हम पेन किलर्स यूज कर लेंगे तो इस तरीके से अलग-अलग सिंटमोबाइल याद आता है क्या शायद आप लोगों ने अपने आसपास से सुना होगा कि किसी को मलेरिया होता है ना तो बिल्कुल ऐसे कपकपी देते हुए बुखार आता है राइट जब बुखार आता है तो एकदम वो पेशेंट जो है ना जिसको भी हो रहा होता है वो बिल्कुल ऐ कप कपी देते हुए फीवर आता है ठीक है तो अब देखते हैं मलेरिया पैरासाइट कौन है तो मलेरिया का जो पैरासाइट है दैट इज प्लाज्मोडियम व्हिच इज अ प्रोटोजोआ तो अभी तक हमने बैक्टीरियल इंफेक्शन देखा वायरल इंफेक्शन देखा तो चलो अब एक ऐसा इंफेक्शन देख लेते हैं जो प्रोटोजोआ से होता है सो प्लाज्मोडियम नाम का जो ये प्रोटोजोआ है इनफैक्ट प्लाज्मोडियम की देखो इतनी सारी वैरायटी ही कह सकते हैं प्लाज्मोडियम फेल्सी पेरम विवेक्स प्लाज्मोडियम मलेरिया ये सारे जो हैं मलेरिया कॉज कर सकते हैं ठीक है अब पैथोली की एंट्री कैसे होती है इसके बारे में मैंने पहले भी जिक्र किया था ये जो प्लाज्मोडियम है ना यानी कि जो मलेरियल पैरासाइट है वो हमारी बॉडी में एंटर खुद से नहीं करता है ये इसकी अपनी अलग ठाट है इसको चाहिए कि भाई कोई मुझे कैरी करके लेके जाए और बॉडी में डाल के आए और कौन है वो मॉस्किटो एगजैक्टली तो मॉस्किटो बाइट के दौरान वो मॉस्किटो इस पैरासाइट को हमारे बॉडी के अंदर एंट्री दिलवा देता है ठीक है और ऐसा नहीं है कि कोई भी मॉस्किटो ये काम कर सकता है है ना मतलब भाई मलेरिया कर करवाना है तो भाई मलेरिया ऐसे कैसे कि कोई भी मॉस्किटो कर सकेगा ऐसा नहीं सिर्फ फीमेल एनोफिलीस मॉस्किटो सिर्फ और सिर्फ ये फीमेल एनोफिलीस मॉस्किटो जो है यही ये एंट्री दिलवा सकता है मलेरियल पैरासाइट की एंट्री हमारे बॉडी में दिला सकता है ठीक है तो इसका मतलब ये जो फीमेल एनोफिलीस मस्कट है ये ट्रांसमिटिंग एजेंट की तरह काम करता है जो एक बंदे से दूसरे बंदे में मलेरिया को ट्रांसमिट करता है ठीक है ओके अ जब ये पैरासाइट हमारे बॉ बॉडी के अंदर चला जाता है बेसिकली जब पैथोलॉजी सज को हमारे बॉडी के अंदर जो रेड ब्लड सेल्स है उनको ये रपच कर देता है उनको ये तोड़ देता है राइट इन मलेरिया अब देखते हैं कि भाई मलेरिया के दौरान क्या-क्या सिम्टम्स होते हैं हाई फीवर विथ चिल्स जैसे कि मैंने बताया हेडेक बहुत होता है बॉडी एक बहुत ज्यादा होता है नोसिया और वोमिटिंग भी मतलब वो उल्टी आने वाली फीलिंग और साथ-साथ उल्टी भी होती है ठीक है तो यह सारी चीजें मलेरिया के दौरान होता है डायग्नोज कैसे करते हैं कुछ टेस्ट्स हैं जैसे कि ब्लड टेस्टस और लिवर फंक्शन टेस्ट अब आप सोच में पड़ जाओगे कि लीवर फंक्शन टेस्ट क्यों करते हैं इसका जवाब भी आपको बहुत ही जल्दी मिलेगा क्योंकि अभी हम लोग देखने वाले हैं थोड़ा डिटेल में कि किस तरीके से ये जो मलेरियल पैरासाइट है ये हमारे बॉडी के अंदर आता है किस तरीके से मॉस्किटो जो है वो एक पर्सन से दूसरे पर्सन में मलेरियल अ पैरासाइट को ट्रांसमिट करता है ठीक है हम ये सारी बातें थोड़ा डिटेल में देखेंगे अभी चलो अभी फिलहाल के लिए डायग्नोसिस हो गया अब बात करते हैं ट्रीटमेंट कि इसको ट्रीट कैसे करते हैं एंटीमलेरियल ड्रग्स अवेलेबल होते हैं मार्केट में जिनको लेने पर हम मलेरिया को कंप्लीट ट्रीट कर सकते हैं तो चलो बच्चों अब थोड़ा सा टाइम स्पेंड करेंगे और समझेंगे द लाइफ साइकल ऑफ अ मलेरियल पैरासाइट ये जो मलेरियल पैरासाइट है ये किस तरीके से ह्यूमन बॉडी और मॉस्किटो को यूज करते हुए एक इंसान से दूसरे इंसान में स्प्रेड होते रहता है इस पूरे साइकल को हम लोग समझेंगे बड़े ध्यान से सुनना बहुत मजा भी आएगा एंड यू नो यू विल बी एबल टू रिलेट इट सो इजली कि कैसे हो रहा है ये सब कुछ अब देखो जब मॉस्किटो हमको बाइट करता है मस्कट मतलब आई एम टॉकिंग अबाउट फीमेल एनफिल्यूरेज तो ये अपना खाना तो लेता ही है क्योंकि भूखा होता है वो राइट तो अपना खाना तो वो लेता ही लेता है साथ ही साथ ये और क्या लेता है ये गेमो साइट्स भी ले लेता है अब आप पूछोगे कि मैम ये गमोसा इट्स क्या है गमोसा इट्स बेसिकली ऐसे सेल्स हैं जो गैमिस प्रोड्यूस करते हैं गैमिस क्या है सेक्स सेल्स हैं राइट सो दे कैन अंडरगो फ्यूजन ओके बट ये गैमिस इट्स किसके होते हैं ये गेमेटोफाइट्स सिचुएशन की बात कर रही हूं कि एक बंदा है लेट से ये रमन है रमन को मलेरिया हो रखा है यानी कि वो फिलहाल इफेक्टेड है उसकी बॉडी के अंदर क्या है मलेरियल पैरासाइट है राइट तो वो इफेक्टेड पर्सन है अब इस इफेक्टेड पर्सन को फीमेल एनोफिलीस मॉस्किटो ने बाइट किया बा मस्कट ने क्या किया अपना खाना पना तो सारा लिया ही साथ ही साथ गेमेटोफाइट्स उठाया इसने मलेरियल पैरासाइट का पैरासाइट के गेमेटोफाइट्स ओके अब ये गेमेटोक्लोनल गए ठीक अब यह गेमेटोफिटिक आर द सेक्स सेल्स अब इन गैमिस ने आपस में क्या हुआ इन गैमिस के आपस में फ्यूजन हुआ फ्यूजन होने की वजह से क्या बना उ काइनेट बना उ काइनेट से उ सिस्ट बना उस सिस्ट ने स्पोर्स रिलीज किए राइट दीज आर लाइक द नॉर्मल प्रोसेस आफ्टर फ्यूजन अब स्पोर्स बने ठीक है अब मस्कट के पास क्या है स्पोर्स है अब मॉस्किटो मजे में उड़ते उड़ते उड़ते उड़ते जाता है किसी नॉर्मल ह्यूमन बीइंग के जो बिल्कुल स्वस्थ है बिल्कुल हेल्दी है उसके बॉडी में जाता है और उसे काटता है जब वो उसके बॉडी में जाता है तो क्या होता है यह जो स्पोर्ट्स है वो उस ह्यूमन की बॉडी में वो डाल देता है मतलब वही यहां पर भी मॉस्किटो अपना खाना पना तो ले ही रहा है और साथ ही साथ इन स्पोर्स को उस ह्यूमन बॉडी में डा डाल देता है अब यह जो स्पोरोजॅाइट्स हाइपोथेटिकल एक सिचुएशन बता रही हूं आपको कांसेप्ट समझाने के लिए मान लो कि ये वो सेल है इसके अंदर स्पोरोजॅाइट्स नंबर ऑफ फिशर्स उसमें बढ़ाते जाओगे 10 15 20 25 100 इतने बढ़ा दोगे क्या होगा एक टाइम पे आकर वो पूरा जो ग्लास का वेसल है वो टूट जाएगा वो रपच हो जाएगा तो कुछ वैसा ही हो रहा है लिवर सेल के साथ वो लिवर सेल जो है वो रपच हो जा रहा है जैसे ही वो रपच हो जा रहा है तो ये स्पोर्स कहां आ जा रहे हैं वो ब्लड में आ जा रहे हैं अब क्या हो रहा है ये जो स्पोर्स है लेकिन ये अभी भी मल्टीप्लाई कर रहे हैं अभी भी ये नंबर में इंक्रीज हो रहे हैं अब ये कहां पे है अब ये आरबीसी के अंदर है जब अब वो फिर से जब उनका नंबर बहुत ज्यादा हो जाता है तो आरबी सज रपच होने लग जाते हैं राइट इसीलिए मैंने बताया था कि मलेरिया के दौरान जब मलेरियल पैरासाइट हमारे बॉडी में होता है तो ये क्या करता है ये हमारे आरबीसी को रपच कर देता है तो इस तरीके से रपच करता है ठीक है और फिर ऐसे बनता है गमो साइट्स गमोसा इट्स वो सेल्स हैं जो गेमेट्स प्रोड्यूस करेंगे अब क्या होगा देखो साइकिल रिपीट होगा अब क्या हुआ ये जो बंदा है जो पहले सो कॉल्ड नॉर्मल बंदा था उस बंदे को क्या हो गया है अब वो इफेक्ट हो चुका है अब उसकी की बॉडी में गमोसा इट है अब अगर कोई मॉस्किटो आके इस बंदे को काटेगा तो यह यहां से क्या पिक कर लेगा अपने खाने के साथ-साथ क्या पिक करेगा गमोसा इट्स इस तरीके से वो फिर से किसी और को जाके इफेक्ट करेगा राइट बात समझ में आई कि किस तरीके से ये साइकिल चल रहा है अब इस पूरी कहानी के अंदर क्या आप लोगों ने एक बात नोटिस करी कि यहां पर मेरा पैरासाइट कौन है प्लाज्मोडियम जिसे हम मलेरियल पैरासाइट भी कह रहे हैं राइट अब एक चीज देखो यहां पे होस्ट कौन है होस्ट तो वो होता है ना जिसके बॉडी के अंदर हमारा पैरासाइट रहता है अपना खाना पना लेता है वगैरह राइट तो यहां पे कौन है होस्ट ह्यूमन बीइंग होस्ट है हां बिल्कुल है क्योंकि ह्यूमन बीइंग के बॉडी के अंदर तो ये रह रहा है ना पहले लीवर के सेल्स में रह रहा था फिर आरबीसी उसको रपच कर रहा है तो ह्यूमन के बॉडी के अंदर तो ही रह रहा है मॉस्किटो का बॉडी देखा जाए तो मॉस्किटो के बॉडी में भी ये रह रहा है राइट क्योंकि जब मस्कट गैमिस इट्स को उठा रहा है उसके बाद से ये पूरे गेमेटोक्लोनल वो तो सारा कुछ मॉस्किटो के बॉडी के अंदर हो रहा है तो बच्चों इसका मतलब अपना ये जो प्लाज्मोडियम है ना जो मलेरियल पैरासाइट जो है इसने दो-दो होस्ट बना रखे हैं ये ह्यूमन को भी होस्ट की तरह यूज करता है और ये मॉस्किटो को भी होस्ट की तरह यूज करता है राइट तो इसके दो होस्ट्स हैं तो इसलिए इसका जो पूरा लाइफ साइकिल जब आप देख रहे हो तो इसका आधा लाइफ साइकिल ह्यूमन बॉडी के अंदर है और बाकी आधा लाइफ साइकिल इसका मॉस्किटो के बॉडी के अंदर है अब अगला डिजीज जो हम डिस्कस करेंगे दैट इज एमबिक डिसेंट्री जिसे एमबिए एसिस भी कहते हैं ठीक है तो इसका पैथोलैब होता है एक प्रोटोजोआ अगेन जिसका नाम है एंटेमीबा हिस्टोटोमी फूड एंड वाटर मतलब कोई भी ऐसा खाना या फिर पानी जो हम खा रहे हैं या पी रहे हैं जब वो इफेक्ट हो जाता है राइट अब वो इफेक्ट कैसे होता है थ्रू ट्रांसमिटिंग एजेंट जैसे कि हाउस फ्लाई हाउस फ्लाई हम सभी के घरों में होता है तभी उसका नाम हाउस फ्लाई है राइट अब कई बार क्या होता है कि आपने देखा होगा जब हम खाने के लिए बैठते हैं तो अक्सर घर के बड़े बुजुर्ग सब कहते हैं कि भाई मक्खी भगाओ मक्खी को बैठने मत दो खाने पे क्यों बोलते हैं ऐसा बिकॉज वी डोंट नो कि वो हाउस फ्लाई कहां से होके आई है राइट कहां से क्या इंफेक्शन अपने साथ लेकर आई है शायद वोह आपके खाने पर बैठेगी और उसको इफेक्ट कर देगी राइट सो इसीलिए शुड बी वेरी केयरफुल कि जो भी खाना आप खा रहे हो वो आप यूं ही खुला ना छोड़ दो बहुत देर तक खाने के आसपास मक्खियां ना हो सो दीज आर सम ऑफ द थिंग्स यू शुड टेक केयर ऑफ क्योंकि मक्खी जो है यहां पे एमबिक डिसेंट्री के केस में ये ट्रांसमिटिंग एजेंट की तरह काम करती है जो आती है खाने पे बैठती है और उसे कंटेम मेट कर देती है जब इस खाने को आप खाते हो तो आपकी बॉडी में हो जाती है पैथोली अब ये पैथोली बॉडी के किस पार्ट को अटैक करता है चूंकि खाने से जा रहा है तो ओबवियसली खाना फूड पाइप से होते हुए स्टमक स्मॉल इंटेस्टाइन न फिर लार्ज इंटेस्टाइन इस राउट से जाएगा तो यहां पर हम देखते हैं कि ये अटैक करता है हमारे लार्ज इंटेस्टाइन को अब बच्चों थोड़ा सब कुछ थोड़ा लॉजिकली सोचो तो फिर ना चीजों को ऐसे ही ब्लाइंड याद नहीं करनी पड़ेगी तो अब अगर आप सोचो को लार्ज इंटेस्टाइन किस चीज के काम आता है लार्ज इंटेस्टाइन का काम होता है इजेशन में राइट यानी कि जो भी अनडाइजेस्टेड फूड होता है उसको वो हमारी बॉडी से बाहर निकालता है इन द फॉर्म ऑफ स्टूल्स राइट तो अब चूंकि ये लार्ज इंटेस्टाइन को अटैक करता है तो यानी कि इसके जो सिमटम्स वगैरह है वो कहीं ना कहीं हमें हमारे स्टूल्स में दिखेंगे तो इसीलिए इसके सिम्टम्स कैसे होते हैं बहुत बार स्टूल्स में ब्लड और म्यूकस देखने को मिलता है बहुत बार कॉन्स्टिपेशन होता है जहां पर बहुत इजली स्टूल्स पास नहीं होते हैं एब्डोमिनल क्रैंप्स बहुत होते हैं राइट लोअर एब्डोमेन में दर्द बहुत ज्यादा होता है तो ये कुछ सिम्टम्स होते हैं एमबिक डिसेंट्री के इसको हम लोग ट्रीट कैसे कर सकते हैं मार्केट में एंटी एमबिक ड्रग्स अवेलेबल हैं जिससे ये पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं लेकिन यहां पर एमबिक डिसेंट्री को हम बड़ी आसानी से प्रिवेंट कर सकते हैं बहुत आसानी से कैसे सिर्फ क्लीनलीनेस और हाइजीन मेंटेन करके अब देखो इसको समझ समझाती हूं मैं थोड़ा अच्छे से अभी-अभी मैंने बोला था कि हाउस फ्लाई जो है यह ट्रांसमिटिंग एजेंट की तरह काम करता है ठीक है अब इसको अच्छे से समझो कहानी को अच्छे से समझो कि ये कैसे ये डिजीज कॉज कर सकता है ठीक है अभी जैसे मान लो कि एक बंदा है जिसको एमी बेसिस ऑलरेडी है यानी कि वो इफेक्टेड पर्सन है मैंने अभी क्या बोला जो इफेक्टेड पर्सन होगा उसके स्टूल्स में आपको इंफेक्शन जरूर मिलेगा राइट तो अब मान लो कि कोई हाउस फ्लाई है जो उसके स्टूल्स पर बैठती है राइट और उसके बाद इधर-उधर घूम के किसी और नॉर्मल पर्सन के हेल्दी पर्सन के खाने पे बैठ जाती है राइट सोच के बहुत यकी लग रहा होगा बट दिस इज वेरी मच पॉसिबल राइट बिकॉज़ यू डोंट नो वर द हाउस फ्लाई इज कमिंग फ्रॉम करेक्ट तो अब वो जो खाना है या फिर वह जो पानी है जो कोई बंदा पीने वाला है वह कंटेम हो गया उसमें जो है वोह इंफेक्शन आ आ गया तो अब उस खाने को या फिर उस पानी को पी के कोई भी बीमार हो सकता है राइट सो देयर फोर क्लीनलीनेस इज अ मस्ट हम जो भी खा रहे हैं जो भी पानी हम पी रहे हैं वो साफ पानी होना चाहिए या तो पानी को आप बॉईल करके पियो या फिर आप आरो का पानी पियो या फिर यू नो यू यूज बिसलरी वाटर प्यूरीफाइड वाटर बेसिकली क्लीन ड्रिंकिंग वाटर आप यूज करो सो दैट आप इस तरह के कंटेम से बच सको तो अगला डिजीज जो हम देखेंगे दैट इज स्केरियसस एस्केरिस ना नाम से हम गेस कर सकते हैं कि इसका पैथोलैब है जैसा आप यहां पर देख रहे हो ओके पैथोली कैसे होती है कंटेम टेड वाटर फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स आपने देखा होगा बहुत बार घर पे लोग कहते हैं कि फ्रूट्स या वेजिटेबल्स को धो के खाओ राइट जैसे एप्पल आप खाते हो आप डायरेक्ट नहीं खाते हो राइट जनरली घर में जो भी रहते हैं वो आपको उसको धो के देते हैं या फिर आपको उसको धो के खाना चाहिए बिकॉज इट इज वेरी वेरी इंपोर्टेंट बिना धोए हुए फ्रूट्स या वेजिटेबल्स के थ्रू इस तरह के राउंड वर्म वाली इंफेक्शन होने के चांसेस काफी ज्यादा होते हैं ठीक है तो इस तरीके से इसकी एंट्री होती है अब देखो जो एंट्री हो रही है वो सब कुछ खाने से हो रही है इसीलिए ये कौन से पार्ट को इंपैक्ट करता है इंटेस्टाइन को एगजैक्टली अगर हम इसके सिम्टम्स की बात करें तो इंटरनल ब्लीडिंग होती है फीवर पेन मस्कुलर पेन काफी होता है इसके अलावा अ एनीमिया के सिम्टम्स होते हैं एनीमिया आई होप ऑल ऑफ यू नो जैसे हम हिंदी में कहते हैं ना खून की कमी राइट सो दैट्ची शक्ल पेल सी हो जाती है थोड़ी वाइट वाइट सी होने लगती है ट्रीटमेंट की अगर हम बात करें तो इसे हम बहुत ही इजली ट्रीट कर सकते हैं विथ मेडिकेशन अ बट अगेन यहां पर भी प्रिवेंशन के टर्म्स में क्लीनलीनेस इज अ मस्ट क्योंकि हम इसे बड़ी आसानी से जैसे कुछ भी इसको अगर हम एक हैबिट में बना ले कि फ्रूट्स या वेजिटेबल्स को पकाने से पहले या खाने से पहले हम उसे अच्छी तरह से धो लें अगर ये छोटी-छोटी सी हैबिट्स हम आप अपने डेली रूटीन में ला सकते हैं तो इस तरीके की बीमारियों को फैलने से हम बच सकते हैं तो बच्चों अगला डिजीज जो हम डिस्कस करने वाले हैं दैट इज एलिफेंट एसिस या फिर फिरि एसिस फिरि एसिस इसलिए कहते हैं क्योंकि इस पैथोलॉजी फेंट एसिस क्यों कहते हैं वो आपको पता चलेगा जब हम इसके सिम्टम्स को देखेंगे ठीक है तो सबसे पहले देखेंगे कि इस पैथोली कैसे होती है हमारे बॉडी के अंदर तो यहां पर भी मॉस्किटो का कमाल होता है जो फीमेल मस्कुट बाइट होता है उससे इसका एंट्री हो जाता है हमारे बॉडी के अंदर तो अभी हमें समझ में आ रहा है कि भाई मॉस्किटो जो है ना काफी सारी चीजों की एंट्री दिला देता है हमारे बॉडी के अंदर तो बेहतर होगा अगर आप मॉस्किटो से बचे ही रहो है ना चलो ठीक है तो इस तरीके से इसकी एंट्री हो जाती है जब इसकी एंट्री होती है पैथोली तो ये किसको इंपैक्ट करता है जैसे मलेरिया के केस में क्या इंपैक्ट हो रहा था आरबीसी इंपैक्ट हो रहे थे राइट तो इसके केस में ये अटैक कहां पे करता है ये हमारे लिंफेटिक वेसल्स को अटैक करता है राइट हमारे बॉडी के अंदर जो लिंफेटिक सिस्टम है जिसके अंदर सारे लिंफाइड ऑर्गन्स होते हैं लिंफ नोड्स होते हैं इनफैक्ट लिंफ होता है लिंफ क्या है कलरलेस फ्लूइड है जो हमारे बॉडी के अंदर लिंफेटिक सिस्टम के अंदर फ्लो कर रहा होता है राइट तो इस इंफेक्शन से क्या होता है हमारा जो लिंफ है ना लिंफ क्या है कलरलेस फ्लूइड है कुछ-कुछ जगहों पे ये लिंफ एक्युमटिका में हमें स्वेलिंग देखने को मिलती है ठीक है सो दैट इज अ सिमम ऑफ दिस डिजीज तो अगर हम इसके सिमटम्स की तरफ जाएं तो सिम्टम्स में हमें फीवर रहता है हमें पेन रहता है स्पेशली अराउंड द टेस्टिक रीजन ऑफ द टेस्टिकल्स इसके अलावा बहुत सारे ऑर्गन्स में बहुत ज्यादा स्वेलिंग देखने को मिलती है जैसे कि लोअर लिम्स में बहुत ज्यादा स्वेलिंग देखने को मिलती है देखो आपको दिख रहा होगा कितनी ज्यादा स्वेलिंग है जनाइट ऑर्गन्स बहुत ज्यादा स्वन होते हैं ब्रेस्ट्स बहुत ज्यादा स्वन होते हैं तो इस तरह के सिमटम्स हमें देखने को मिलते हैं तो चूंकि इस तरह के सिम्टम्स इस वजह से इसे एलिफेंट टसिस भी कहा जाता है देखो लोअर लिम्स का जो स्वेलिंग है ना बहुत ज्यादा है तो इट इज ऑलमोस्ट लाइक द लोअर लिम ऑफ़ एन एलीफेंट दैट इज व्हाई इट इज कॉल्ड एलिफेंट एसिस ट्रीटमेंट की अगर हम बात करें तो इंफ्लेमेशन के लिए एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स दिया जाता है हाउ एवर दैट इज गिवन इन लो डोज इसके अलावा स्टेरॉइड्स दिया जाता है मतलब सबके कॉमिनेशन से इसको ट्रीट किया जा सकता है एंटीबायोटिक्स हम तब दे सकते हैं है अगर ये फिरि वर्म्स जो है यह बैक्टीरिया के साथ प्रेजेंट हो बॉडी के अंदर बिकॉज़ एंटीबायोटिक सिर्फ बैक्टीरिया के अगेंस्ट ही काम करते हैं फिरि अल वर्म्स के अगेंस्ट नहीं लेकिन अगर फिरि अल वर्म्स और बैक्टीरिया आपस में म्यूचुअल कनेक्टेड है या फिर आपस में म्यूचुअल बेनिफिट के लिए साथ में एजिस्ट कर रहे हैं तो उस केस में एंटीबायोटिक्स कैन बी हेल्पफुल तो बच्चों काफी सारे डिजीज हम ऑलरेडी डिस्कस कर चुके हैं तो चलो अब डिस्कस कर लेते हैं एक और आखिरी डिजीज व्हिच इज रिंग वर्म रिंग वर्म शायद आप लोगों ने टीवी पे ऐड देखा होगा रिंग गार्ड का देखा है कभी राइट खुजली रिंग गार्ड से आराम पाव एक्सट एनीवेज तो रिंग गार्ड जो है तो रिंग वर्म जो है इसका पैथोलैब फाइटन माइक्रोस्पोरम एपिडर्म फाइटन इस तरह के फंगा जो है ये रिंग वर्म कॉज करते हैं ठीक है पैथोली एंट्री होती है कंटेम सोइल या फिर कंटेम ऑब्जेक्ट्स के थ्रू इसीलिए अपनी चीज ने खुद यूज़ किया करो शेयर मत किया करो दूसरों के साथ ठीक है अ इसको इसके सिम्टम्स क्या होते हैं बेसिकली ये स्किन में होता है तो जहां पर यह होता है वो जो स्किन का वो वाला जो पोर्शन होता है वो काफी ड्राई हो जाता है स्कली हो जाता है बहुत ज्यादा इचिंग हो रही होती है बहुत ज्यादा खुजली होती है अ इनफैक्ट रेड मतलब रेडिश कलर का एक यनो रेड रेड पैचेज दिखने लगते हैं स्किन पे तो ये सारी चीजें हमें देखने को मिलती हैं इसको हम ट्रीट कर सकते हैं यूज यूजिंग एंटी फंगल ड्रग्स मतलब बहुत सारी ऐसे क्रीम ऑइंटमेंट्स आते हैं क्रीम्स आते हैं जिससे हम इसे ठीक कर सकते हैं तो बच्चों अभी तक में हमने काफी सारे इनफेक्शियस डिजीज के बारे में डिस्कस किया और इस पूरे डिस्कशन से हमने क्या देखा हमने ये देखा कि तरीके भले ही अलग-अलग हो बट ये सारे डिजीज किसी ना किसी कारण से एक पर्सन से दूसरे पर्सन में बड़ी आसानी से ट्रांसमिट हो जाते हैं और साथ ही साथ हमने ये भी नोटिस किया अगर आपने गौर किया हो तो आपने देखा होगा कि छोटी-छोटी सी चीजें हैं जिनको अगर हम फॉलो करें तो हम इनके स्प्रेड को प्रिवेंट कर सकते हैं तो चलो एक बार वापस से देख लेते हैं कि कौन-कौन सी वो चीजें हैं जो हम बड़ी आसानी से फॉलो कर सकते हैं या कर सकते हैं एंड वी कैन प्रिवेंट इनफेक्शियस डिजीज सबसे पहला पर्सनल क्लीनलीनेस यानी कि हमारी कुछ-कुछ ऐसी चीजें जो हमारी पर्सनल आइटम्स हैं जैसे कि कॉम जैसे कि टावल जैसे कि हैंड कर्चीफ ये हम अपना ही यूज़ करें और दूसरों के साथ शेयर ना करें इससे हम बहुत सारे डिज डिजी सेस को प्रिवेंट कर सकते हैं इसके अलावा प्रॉपर डिस्पोजल ऑफ एक्सक्रीट जो एक्सक्रीट है जहां पर भी लोग टूल्स पास कर रहे हैं इट हैज टू बी डिस्पोज्ड इन अ प्रॉपर वे क्योंकि वो अगर ओपन में पड़ा रहेगा तो क्या होगा बहुत सारे ट्रांसमिटिंग एजेंट्स जैसे कि हाउस फ्लाइज वहां से इंफेक्शन को दूसरे जगहों में स्प्रेड कर सकता है नंबर थ्री क्लीन ड्रिंकिंग वाटर वेरी वेरी इंपॉर्टेंट क्योंकि पानी से बहुत सारी बीमारियां स्प्रेड होती हैं तो इसीलिए मेक श्योर कि आप प्यूरीफाइड वाटर ही ड्रिंक कर रहे हो वाश फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स बिफोर कुकिंग और कंजूमिंग क्योंकि हमने खुद भी देखा फ्रूट्स एंड वेजिटेबल्स के थ्रू भी बहुत तरह के इंफेक्शन स्प्रेड हो जाते हैं अवॉइड स्टैग्नेशन ऑफ वाटर यानी कि पानी को कहीं पर भी इकट्ठा होके पड़े मत रहने दो बहुत टाइम तक राइट क्योंकि जहां पर भी स्टैग्नेंट वाटर होता है वहां पर बहुत सारे इंसेक्ट्स बहुत सारे मॉस्किटोज ब्रीड करते हैं और अब तक तो हम देख ही चुके हैं कि भाई मस्कट बहुत सारी बीमारियां फैला सकते हैं तो इसी वजह से टू बी ऑन द सेफ साइड यूज मस्कट रेपेलेंट्स ऑन अ रेगुलर बेसिस लास्ट बट नॉट द लीस्ट जो भी ड्रेनेज एरियाज हैं आपके घर के अंदर या घर के आसपास वहां पर आप जरूर से इंसेक्टिसाइड स्प्रेड करें ताकि वहां पे यू नो कीड़े मकड़े एक्सट्रा वहां पर जमा ना हो ठीक है तो ये कुछ बेसिक चीजें हैं जो हम अपने डे टू डे लाइफ में इंप्लीमेंट कर सकते हैं और इन चीजों को इंप्लीमेंट करके हम बहुत से इफेक्स डिजीज से बच सकते हैं तो प्यारे बच्चों अब शुरू करेंगे हमारा अगला टॉपिक व्हिच इज इम्युनिटी अ वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट कॉन्सेप्ट इंपॉर्टेंट तो होगा ही क्योंकि इम्युनिटी जो होता है यह किसी भी ऑर्गेनिस्ट का एबिलिटी होता है टू फाइट अगेंस्ट द डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस सिंपल सी बात है कि भाई यह जो पैथोलैब इटेड होके हमारे बॉडी में घुस आ रहे हैं उसके बाद हमें बीमार कर दे रहे हैं तो ओबवियसली वी डोंट वांट देम राइट तो इसी वजह से हमारे बॉडी के अंदर भी एक इस तरीके का पूरा सिस्टम है जो इस तरह के डिजीज कॉज ऑर्गेनिस्ट मस के अगेंस्ट फाइट करता है जो कोशिश करता है बॉडी को बीमार ना करने की राइट जिस तरीके से लेट अस से कि हमारा घर है हम चाहते हैं कि हमारा घर थीव से बचा रहे राइट चोर आके हमारे घर से सामान चोरी ना कर ले तो इस वजह से हम घर के बाहर रखते हैं सिक्योरिटी गार्ड चाहे हम अपने घर के बाहर रखें या फिर जिस सोसाइटी में हम रहते हैं उस सोसाइटी के बाहर सिक्योरिटी गार्ड हो या फिर आप जिस कॉलोनी में रहते हो उस कॉलोनी को पहरा देने के लिए रात में पहरेदार घूमते हो राइट बट द पर्पस इज कि वो हमारे घर को प्रोटेक्ट कर सके राइट ठीक उसी तरीके से इम्युनिटी जो है वोह किसी भी ऑर्गेनिस्ट की एबिलिटी होती है टू फाइट अगेंस्ट द डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस तो बच्चों जब हम इम्युनिटी की बात करते हैं तो इम्युनिटी दो टाइप की होती है सबसे पहला इनेट इम्युनिटी और दूसरा एक्वायर्ड इम्युनिटी इनेट इम्युनिटी जो है ये होती है इन बोर्न इम्युनिटी यानी कि ये इम्युनिटी बर्थ के टाइम से ही हमारे बॉडी के अंदर होती है एंड दिस इज अ टाइप ऑफ नॉन स्पेसिफिक डिफेंस मतलब नॉन स्पेसिफिक मतलब जेनरिक है ऐसा नहीं है कि किसी पर्टिकुलर पैथोली वो प्रोटेक्ट करेगा या फिर किसी पर्टिकुलर बीमारी को होने से रोकेगा ऐसा कुछ नहीं है ये जो इम्युनिटी है इनेट इम्युनिटी इन जनरल है ये इन जनरल आपकी बॉडी को बीमार होने से रोकने की पूरी कोशिश करेगा डजन मैटर कि बीमारी कौन सी वाली हो रही है राइट या फिर कौन सा वाला पैथोली बॉडी को अटैक किया है दैट डजन मैटर ठीक तो ये हो गया इनेट इम्युनिटी दूसरी तरफ जब हम कहते हैं एक्वायर्ड इम्युनिटी एक्वायर करना कोई भी चीज को एक्वायर करना मतलब उस चीज को हम ड्यूरिंग द लाइफ टाइम एक्वायर कर रहे हैं उसके बाद हमारे अंदर आ रहा है वो शुरू से हमारे अंदर नहीं था राइट तो एक्वायर्ड इम्युनिटी में क्या होता है कि कुछ ऐसे सब्सटेंसस बॉडी के अंदर डाले जाते हैं एगजैक्टली कुछ ऐसे सब्सटेंसस बॉडी के अंदर डाले जाते हैं जो कुछ स्पेसिफिक फर्क देखो दोनों में इनेट में क्या था हमने कुछ नहीं करना है वो हमारी बॉडी में इनबिल्ट इम्युनिटी है बाय बर्थ वो इम्युनिटी है जो हमें इन जनरल बीमारी से बचाने की कोशिश करता है ठीक है एक्वायर्ड इम्युनिटी में कुछ ऐसे सब्सटेंसस हमारे बॉडी के अंदर डाले जाते हैं जो हमें कुछ स्पेसिफिक डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म से प्रोटेक्ट करते हैं ठीक है जैसे आप लोगों ने देखा होगा कि जब बच्चे बहुत छोटे होते हैं राइट मतलब आफ्टर दे आर बोर्न उसके बाद काफी सालों तक एट रेगुलर इंटरवल्स उन्हें वैक्सीन का डोज पड़ता है राइट अलग-अलग अलग-अलग वैक्सीनेशन दी जाती है राइट क्यों दी जाती है क्योंकि ये जो वैक्सीनेशन है ना ये भी अभी हम डिस्कस करेंगे इनके बारे में भी इसमें हम क्या करते हैं हम किसी स्पेसिफिक डिजीज के अगेंस्ट उस बच्चे को प्रोटेक्ट कर देते हैं कि भाई पोलियो का टीका लगना चाहिए टिटनस का लगना चाहिए राइट तो दीज आर ऑल लाइक वेरी स्पेसिफिक डिफेंस एक स्पेसिफिक डिजीज के लिए हम उसकी बॉडी में कुछ डाल दे रहे हैं राइट बॉडी के अंदर तो डाल रहे हैं चाहे वो इंजेक्शन के फॉर्म में हो या फिर चाहे वो कुछ पिलाने के फॉर्म में हो राइट बट इट इज गोइंग इनसाइड द बॉडी ठीक है तो ये जो एक्वायर्ड इम्युनिटी होता है दैट इज वेरी मच वेरी मच पैथोलैब के अगेंस्ट हमारी बॉडी को बचा रहे हैं ठीक है तो घबराने की कोई बात नहीं अभी इन दोनों टाइप ऑफ इम्युनिटी को हम और डिटेल में डिस्कस करने वाले हैं तो चलो सबसे पहले बात करते हैं इनेट इम्युनिटी की अब इनेट इम्युनिटी इनबन होता है कैसे ये इ प्रोवाइड करते हैं मतलब कैसे यह यू नो डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस या फिर कोई भी अनवांटेड मटेरियल को रोकते हैं तो कई सारे बैरियर्स होते हैं जो अनवांटेड पार्टिकल्स या फिर फॉरेन पार्टिकल्स की एंट्री को रोकने की कोशिश करते हैं ठीक है बहुत तरह के बैरियर्स होते हैं इनफैक्ट यहां पर हम चार तरह के बैरियर्स की बात करेंगे पहला फिजिकल बैरियर दूसरा फिजियोलॉजिकल बैरियर तीसरा सेल्यूलर बैरियर और चौथा साइटोकाइनेटिक्स फिजिकल बैरियर नाम से ही पता चलता है कि ये एक बैरियर है बैरियर बोले तो एक दीवार है या फिर एक लेयर है एक प्रोटेक्टिव लाइनिंग है जो फिजिकली प्रेजेंट है राइट मतलब एक फिजिकली हमने एक पार्टीशन बना रखा है जिसकी वजह से अनवांटेड पार्टिकल्स अंदर घुस नहीं सकते हैं राइट किसके अंदर घुस नहीं सकते हैं अब देखो हमें भी पता है कि हमारे बॉडी के अंदर बहुत सारे अलग-अलग ऑर्गन्स हैं बहुत सारे अलग-अलग ऑर्गन सिस्टम्स हैं राइट तो हमने क्या कर रखा है हर एक सिस्टम को एक इस तरह का प्रोटेक्टिव लेयर दे दिया है या फिर एक इस तरह का फिजिकल बैरियर दे दिया फॉर एग्जांपल स्किन इज वन ऑफ द वेरी गुड एग्जांपल्स ऑफ फिजिकल बैरियर अब देखो हमारी स्किन है तो क्या होता है मान लो कि कोई भी एक ऐसे साधारण तरीके से सोचो कि लेट अस से कि कोई कीड़ा मकड़ा कुछ भी है जो हमारे स्किन के ऊपर से जा रहा है बट वो अंदर नहीं घुस पा रहा है राइट वो डायरेक्टली हमारे बॉडी के जो अंदर जो वाइटल ऑर्गन्स है वहां तक नहीं पहुंच पा रहा बिकॉज़ स्किन इज एक्टिंग लाइक अ फिजिकल बैरियर इसके अलावा अगर हम इंटरनली देखते हैं तो हमारे बॉडी के अंदर अगर आप रेस्पिरेटरी सिस्टम को देखो तो रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट में लाइनिंग डली होती है गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में पूरे इंटेस्टाइनल ट्रैक्ट में लाइनिंग डली होती है राइट यूरोजेनिटल ट्रैक्ट में लाइनिंग डली होती है तो इन लाइ ये लाइनिंग क्या है ये भी फिजिकल बैरियर्स हैं जो बाहर के पार्टिकल्स को उसके अंदर जाने नहीं दे रहे तो एक तरीके से वो भी उनको प्रोटेक्ट कर रहे हैं राइट तो ये था फिजिकल बैरियर नंबर टू फिजियोलॉजिकल बैरियर फिजियोलॉजिकल इस वर्ड का मतलब होता है अ इट इज रिलेटेड टू समथिंग दैट इज फंक्शन ऑफ द बॉडी पार्ट्स किसी बॉडी पार्ट के फंक्शन से रिलेटेड चीज को हम फिजियोलॉजिकल कहते हैं तो अब आप सोचोगे कि मैम फिर फिजियोलॉजिकल बैरियर बोले तो क्या हुआ मतलब यह कोई दीवार नहीं है सो एज सच ये कोई पार्टीशन बनी हुई नहीं है जैसे फॉर एग्जांपल लेट अस टॉक अबाउट सलाइवा अब सलाइवा क्या है सलाइवा इज अ सक्री बट डू यू नो दैट सलाइवा के प्रेजेंस से क्या होता है बहुत सारे अनवांटेड पार्टिकल्स जो हम चाहते हैं कि हमारे बॉडी के अंदर ना जाए सलाइवा उनको यहीं पे रोक रो देता है हमारे ओरल कैविटी के अंदर ही रोक देता है कई बार सलावे के साथ वो बाहर भी आ जाता है राइट टियर्स टियर्स वेरी वेरी गुड क्लीनिंग एजेंट जो हमारे आइज के सरफेस को क्लीन करता रहता है और इसके साथ-साथ अनवांटेड काफी पार्टिकल्स निकल जाते हैं अब देखा जाए तो टियर्स हो गया या सलाइवा हो गया या हमारे स्टमक में पाए जाने वाला एसिड हो गया तो ये जो सारी चीजें हैं ये कोई फिजिकल बैरियर तो नहीं है कोई फिजिकल दीवार तो नहीं बनी हुई है लेकिन ये कुछ ऐसी सक्री है जो किसी ना किसी बॉडी पार्ट के फंक्शन का पार्ट है मतलब कोई हमारे ही बॉडी का कोई पार्ट इनको सक्रेट कर रहा है बट ये जो चीजें हैं ये चीजें क्या कर रही हैं अनवांटेड पार्टिकल्स को हमारे बॉडी में आने से रोक रही है राइट तो यानी कि ये बैरियर की तरह काम कर रहे हैं बट दे आर फिजियोलॉजिकल बैरियर्स नंबर थ्री सेल्यूलर बैरियर्स अब कुछ ऐसे सेल्स भी होते हैं जो खुद ही बैरियर का काम करते हैं एगजैक्टली मतलब वो खुद ही जो है क्या करते हैं फाइट शुरू कर देते हैं फाइट शुरू कर देते हैं इन द सेंस जो खुद ही जो है बॉडी को इफेक्ट होने नहीं देते हैं जैसे कि डब्ल्यूबीसी वाइट ब्लड सेल्स जिसके अंदर हमारे लिंफोसाइट्स मोनोसाइट्स मैक्रोफेजेस ये सारे तरह के सेल्स आ जाते हैं ठीक है तो चौथा बैरियर है साइटोकाइनेटिक्स कुछ ऐसे सब्सटेंसस होते हैं जो हमारी इम्यून सिस्टम के ही कुछ सेल्स सक्री करते हैं और ये दूसरे सेल्स को इफेक्ट होने से रोकते हैं मतलब ये इंफेक्शन को स्प्रेड होने से रोकते हैं जैसे एक एग्जांपल इसका इंटरफेरेंस क्या होते हैं ये इंटरफेरेंस जब भी बॉडी के अंदर वायरल इंफेक्शन होता है तो जो वायरल इफेक्टेड सेल्स होते हैं राइट ये सक्री करते हैं इंटरफेरॉन प्रोटींस और ये जो इंटरफेरॉन होते हैं ये बाकी जो सेल्स अभी तक इफेक्ट नहीं हुए हैं उनको फर्द इफेक्ट होने से बचाते हैं राइट मतलब इन अ वे क्या हुआ ये क्या कह रहे हैं इंफेक्शन को स्प्रेड होने से बचा रहे हैं यानी कि ये एक बैरियर का काम कर कर रहे हैं राइट तो इस तरह के बैरियर को हम कहते हैं साइटोकाइनेटिक्स के बहुत ज्यादा डीप में घुसने की जरूरत नहीं है इस लेवल पे आपको बस ये आईडिया होना चाहिए कि कौन-कौन से बैरियर्स होते हैं उनके एग्जांपल्स क्या-क्या होते हैं एंड आई थिंक दैट शुड बी इनफ ठीक है तो इसी के साथ हमने अभी डिस्कस किया इनेट इम्युनिटी तो अब देखते हैं एक्वायर्ड इम्युनिटी हमें ये तो समझ में आ गया कि भाई एक्वायर्ड इम्युनिटी जो है वो बाय बर्थ नहीं होती है वो बाद में आती है बट यहां पर हम ये समझना चाह रहे हैं कि एक्वायर्ड इम्युनिटी का कांसेप्ट क्या होता है ठीक है तो देखो कांसेप्चुअली एक्वायर्ड इम्युनिटी में क्या होता है इट इज अबाउट क्रिएटिंग द मेमोरी ऑफ अ डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट बात को अच्छे से समझना है डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट कौन हो सकता है कोई भी पैथोली अ बैक्टीरिया इट कुड बी अ वायरस इट कुड बी अ प्रोटोजोआ तो जो भी वो डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म है उसकी मेमोरी बनाना मतलब उसको याद रख लेना कि भाई यही है जो डिजीज कॉज करता है ताकि जब वो दोबारा आए तो उसे हम अपनी बॉडी में एंटर ना करने दें ये लॉजिक है इसका ठीक है तो यानी कि एक्वायर्ड इम्युनिटी का लॉजिक क्या होता है टू क्रिएट मेमोरी ऑफ अ डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म यहां पर हम लेंगे एक बहुत अच्छा रियल लाइफ स्टोरी एक स्टोरी से समझेंगे इसको अब लेट अस सपोज ये आपका घर है ठीक है प्रोटेक्शन के लिए घर के बाहर एक सिक्योरिटी गार्ड को आपने रखा हुआ है ठीक अच्छे से समझना स्टोरी को मजा आएगा ठीक है अब क्या हुआ एक दिन एक थीफ आया चोर आया एक जो कि काफी हट कटा एकदम स्ट्रांग यू नो पावरफुल टाइप का था आया अब ये जो सिक्योरिटी कार्ड था ना ये मतलब ठीक है ऐसे था तो आदमी अच्छा बट ही वाज नॉट दैट पावरफुल एज द थीफ अब इस चक्कर में क्या हुआ जब थीफ ने अटैक किया तो सिक्योरिटी गार्ड बेचारा कुछ नहीं कर पाया उसको रोक नहीं पाया तो क्या हुआ थीफ का जो अटैक था वो सक्सेसफुल हो गया वो आया आपके घर में चोरी वरी करके निकल गया ठीक है अच्छी बात तो नहीं है लेकिन अब ऐसा ही हुआ क्या करें लेकिन अब क्या हुआ यह जो चोर आया सिक्योरिटी गार्ड ने इस चोर को बिल्कुल अच्छे से पहचान लिया कि उसकी कितनी स्ट्रेंथ थी उसकी क्या एबिलिटीज थी वह कितना था कैसा दिखता था सब कुछ उसने अपनी मेमोरी में सेट कर लिया ठीक है अब क्या हुआ उन्होंने बोला कि भाई चलो अब हम लोग बेटर प्रिपेयर होते हैं ताकि अगर यह चोर दोबारा आए तो हम इसे भगा सके ठीक है तो अब इन्होंने क्या किया कि एक के बजाय घर के बाहर आपने ने 10 सिक्योरिटी गार्ड लगा दिए ठीक है पहले एक ही था अब 10 सिक्योरिटी गार्ड है ठीक अब क्या हुआ कुछ दिनों के बाद उस चोर को लगा कि यार इस घर का सिक्योरिटी गार्ड तो बड़ा ही यू नो टुच्चा सा था तो मैं जाऊंगा तो मैं आराम से फिर से चोरी करके आ सकता हूं कुछ महीनों बाद वही चोर कुछ महीनों या लेट्स से कुछ सालों बाद वही चोर वापस से आया ध्यान देना मैं उसी चोर की बात कर रही हूं ठीक है वही चोर वापस से आया बट इस बार जब वो आया उसे तो लगा था कि वो आराम से चोरी करेगा लेकिन अब यहां हां पर एक के बजाय 10 सिक्योरिटी गार्ड थे तो क्या हुआ उसका अटैक सक्सेसफुल नहीं हो पाया क्योंकि 10 सिक्योरिटी गार्ड के मुकाबले वो चोर जो है वो काफी वीक पड़ गया तो उन लोगों ने उसे भगा दिया तो अटैक सक्सेसफुल नहीं हो पाया बट बच्चों बहुत ज्यादा ध्यान देना है कि यहां पर मैं क्या कह रही हूं अगर वही चोर दोबारा आए तो यहां पर ये चोर क्या है चोर हमारा डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म है और यह घर हमारा बॉडी है और ये जो सिक्योरिटी गार्ड है ये हमारे इम्युनिटी है ठीक है अब बॉडी को हमको बचाना है उस डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म से ठीक है तो जो भी वो ऑर्गेनिस्ट म जब हमें पहली बार अटैक करता है उस बार उसका अटैक सक्सेसफुल अगर हो भी जाता है बट हमारे बॉडी के अंदर इम्यून सिस्टम के अंदर कुछ ऐसे सेल्स होते हैं जो मेमोरी में उसको याद कर लेते हैं उसका एक कॉपी बना लेते हैं मेमोरी में कि अच्छा ऐसा बंदा दोबारा दिखा तो उसे बिल्कुल एंट्री नहीं देनी है और वैसा ही होता है जब वो बंदा वापस आने की कोशिश करता है कभी बाद में तो उस बंदे को यानी कि उस पैथोली नहीं मिलती है इसी वजह से आप लोगों ने सुना होगा बहुत सारी ऐसी बीमारियां होती हैं जो घर पे शायद सुना भी होगा अपने पेरेंट्स से कि अगर वो बीमारी आपको एक बार हो जाए तो वो दोबारा नहीं होती जैसे मान लो कि चिकन पॉक्स लोग कहते हैं कि हां बचपन में एक बार चिकन पॉक्स हो गया था तो अब दोबारा नहीं होगा राइट तो ऐसा लोग इसीलिए कहते हैं क्योंकि वहां पर भी वही लॉजिक चलता है कि एक बार हो गया है मतलब अब चोर को आइडेंटिफिकेशन आने की कोशिश करेगा तो उसको एंट्री नहीं मिलेगी ठीक है तो यह तो बस हम अभी शुरुआत कर रहे हैं अक्वायर्ड इम्युनिटी अभी चलो डिटेल में इसको देखेंगे स्टेप बाय स्टेप तो बच्चों एक्वायर्ड इम्युनिटी में हम डिस्कस करेंगे दो और नए टर्म्स पहला प्राइमरी रिस्पांस दूसरा सेकेंडरी रिस्पांस प्राइमरी रिस्पांस क्या जब कोई भी पैथोली बार अटैक करता है तो हमारा बॉडी जो रिस्पांस देता है व् इज अ लो इंटेंसिटी रिस्पांस राइट बहुत हाई इंटेंसिटी रे रिस हम नहीं देते हैं पहली बार में जब वो चोर पहली बार आया था घर पे तो एक ही सिक्योरिटी गार्ड था तो उस चोर के लिए तो इट वाज लाइक नथिंग उसे कुछ ज्यादा फाइट करनी नहीं पड़ी एक ही बंदा था जिससे वो काफी ज्यादा यू नो बलवान था तो आराम से उसको भगा के वो घर के अंदर घुस गया राइट तो यानी कि अगर देखा जाए तो हमारा सिक्योरिटी सिस्टम कैसा था लो इंटेंसिटी था वीक था बट यह प्राइमरी रिस्पांस हम कब देते हैं जब पैथोली बार अटैक करते हैं ठीक है तो इसे हम कहते हैं प्राइमरी रिस्पांस सेकेंडरी रिस्पांस क्या होता है जब वही सेम पैथोलैब करते हैं उस समय जो रिस्पांस हमारा बॉडी देता है वो काफी हाई इंटेंसिटी रिस्पांस होता है ठीक है अब जब वही चोर सेकंड टाइम आया तो उसे एक नहीं बल्कि उस उसे अपने सामने 10 10 पहलवान सिक्योरिटी गार्ड्स मिले राइट सो ऑब् वियस दिस टाइम द रिस्पांस इज हाई इंटेंसिटी रिस्पांस जिसे हम कहते हैं सेकेंडरी रिस्पांस तो बच्चों अब अगर यहां पर मैं आपसे एक छोटा सा सवाल पूछूं कि सेकेंडरी रिस्पांस हाई इंटेंसिटी क्यों है क्योंकि जो पहली बार का अटैक हुआ था ना उसका मेमोरी जो है दैट इज स्टोर्ड वो मेमोरी स्टोर्ड है तभी ऐसा हुआ राइट तो बच्चों ध्यान देना है कि ये प्राइमरी रिस्पांस सेकेंडरी रिस्पांस का कांसेप्ट तभी एप्लीकेबल है इफ वी आर टॉकिंग अबाउट द सेम पैथोली बार मान लो एक शोर आया और हम एक सिक्योरिटी गार्ड था पहली बार दूसरी बार वही चोर आया तब तो वोह भाग जाएगा क्योंकि 10 अ सिक्योरिटी गार्ड के सामने वो कमजोर है लेकिन मान लो अगली बार अगर 100 डकैत आ जाए तब क्या होगा तब तो फिर से टैक्स सक्सेसफुल हो जाएगा राइट सो प्लीज नोट दैट यहां पर हम जो अटैक की बात कर रहे हैं हम सेम पैथोलैब की बात कर रहे हैं कि वही चोर अगर दोबारा आए तब हमारा रिस्पांस कैसा है हाई इंटेंसिटी रिस्पांस है ठीक है तो अब आई होप कि सभी को एक्वायर्ड इम्युनिटी क्या होता है और प्राइमरी और सेकेंडरी रिस्पांस क्या होता है ये तो अच्छे से समझ में आ गया होगा अब अगला सवाल दिमाग में ये आता है कि हमारी बॉडी से यह रिस्पांसस कैसे आते हैं राइट अभी तो मैं बता रही हूं कि हां प्राइमरी रिस्पांस ऐसा होता है सेकेंडरी रिस्पांस ऐसा होता है बट सवाल ये उठ रहा है कि बॉडी के अंदर आखिर चल क्या रहा है जो ऐसा रिस्पांस दे रहा है राइट तो बच्चों ये जो रिस्पांसस है ये जो इम्यून रिस्पांसस हैं हमारे बॉडी के अंदर इम्यून रिस्पांसस देते हैं लिंफोसाइट्स ध्यान से देख लो भाई लिंफोसाइट्स हमारा हीरो है फिलहाल अभी कुछ टाइम के लिए जब तक हम इम्युनिटी डिस्कस कर रहे हैं ठीक है तो लिंफोसाइट्स हमारे बॉडी के अंदर हमारे इम्यून सिस्टम के कुछ ऐसे सेल्स हैं जो ये इम्यून रिस्पांसस देने में मदद करते हैं वाइटल रोल प्ले करते हैं अब ये लिंफोसाइट्स भी दो टाइप के होते हैं बी लिंफोसाइट्स एंड टी लिंफोसाइट्स ठीक है बी लिंफोसाइट्स इनका काम होता है कि कोई भी पैथोलैब हमारी बॉडी को अटैक कर रहा है उनके कॉरेस्पोंडेंस के दिमाग में क्वेश्चन मार्क लग गया कि एंटीबॉडीज क्या होते हैं अभी डिस्कस करेंगे ठीक है तो इनका काम होता है है जो भी हमारे अटैक किया जो भी पैथोलैब किया उसके रिस्पांस में एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करना ठीक है टी लिंफोसाइट्स इनका काम क्या होता है टी लिंफोसाइट्स का काम होता है कि ये बी लिंफोसाइट्स को स्टीमुलेट करते हैं एंटीबॉडीज क्रिएट करने के लिए बात को समझो बी लिंफोसाइट्स एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करेंगे और टी लिंफोसाइट्स बी लिंफोसाइट्स को स्टिमुलेटिंग दोनों का रोल बहुत क्रिटिकल है लेकिन बच्चों ठीक है एक जन एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करता है दूसरा उसी को एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करने के लिए एक्टिवेट करता है ठीक है ओके अब यह b और t कहां से आए बी लिंफोसाइट में जो बी है ना वो बी हम इसलिए लगाते हैं क्योंकि यह जो सेल्स होते हैं बी लिंफोसाइट्स यह ह्यूमंस के अंदर बोन मैरो में मैच्योर होते हैं उसी तरह बर्ड्स के अंदर बर्स ऑफ फैब्रिक में मैच्योर होते हैं ठीक है तो उस वहीं से आया यह बी उसी तरह टी लिंफोसाइट्स जो होते हैं ये मैच्योर होते हैं थाइमस में वहां से आया टी ठीक अब अगला बहुत अहम सवाल ये स्टेप बाय स्टेप समझ रहे हैं ओके अब ये समझ में आया ठीक है रिस्पांस कौन देता है लिंफोसाइट्स कैसे देता है एंटीबॉडीज बना के लेकिन मैम ये तो बताओ कि एंटीबॉडीज होते क्या हैं तो बच्चों एंटीबॉडीज क्या होते हैं लार्ज वाई शेप्ड प्रोटीन स्ट्रक्चर कुछ इस तरीके से देखो वाई की शेप में है प्रोटीन स्ट्रक्चर इसे हम एंटीबॉडी कहते हैं इनका मेन काम होता है टू रिकॉग्नाइज एंड न्यूट्रलाइज पैथोलॉजिस्ट्स इनका काम ही होता है कि उनको ढूंढते रहो उनको पहचानो जैसे ही पहचाना उनका काम तमाम कर दो क हम तमाम इन द सेंस उन्हें न्यूट्रलाइज कर दो ताकि वो अपना इफेक्ट ना दिखा पाए राइट मतलब जो सिक्योरिटी गार्ड को हमने घर के बाहर रखा है क्यों रखा है सोने के लिए बिल्कुल नहीं उसका काम क्या है जैसे ही उसे चोर दिखे चोर को आइडेंटिफिकेशन वो पैथोली फाई करें उसे पहचाने और उसके बाद उस पैथोली इज कर दे अब अगला सवाल आता है कि न्यूट्रलाइज कैसे करता है ये यहां पे ये बेचारा मार के तो भगाता नहीं है ये क्या करता है देखो ये ज्यादा स्मार्ट है ये ये वाई शिफ्ट स्ट्रक्चर में देखो ये एंटीबॉडी है और जो मेरे एंटी जो एंटीजेंस है बेसिकली एंटीजेंस आर द पैथोली जन भी डिस्कस करेंगे हम तो ये जो एंटीजेंस है ना ये देखो कैसे अलग-अलग अलग-अलग तरह के दिखने में होते हैं है ना और हर एंटीजन का एक कॉरेस्पोंडेंस बाइंडर जाता है ठीक उसी तरीके से जैसे पजल के दो पीसेज वाइंड कर जाते हैं राइट तो इसीलिए हर एक एंटीजन का एक स्पेसिफिक एंटीबॉडी होता है या फिर आप कह सकते हो हर एंटीबॉडी का एक स्पेसिफिक एंटीजन होता है ठीक है ना तो एंटीबॉडी के साथ जैसे ही एंटीजन बाइंडर जाता है तो एंटीजन का जो इफेक्ट है ना वो न्यूट्रलाइज हो जाता है तो मतलब वो एंटीजन या फिर वो है ठीक है तो इस तरीके से एंटीबॉडी जो है वो एंटीजन के इफेक्ट को न्यूट्रलाइज कर देता है ठीक ठीक एंटीजन मैं किसको कह रही हूं यह जो अनवांटेड सब्सटेंस है या यह जो डिजीज कॉजिंग सब्सटेंस है उसे ही मैं एंटीजन कह रही हूं ठीक है समझ में आई बात ओके अब थोड़ा सा फोकस करते हैं एंटी एंटीबॉडी के स्ट्रक्चर पे एंटीबॉडी के स्ट्रक्चर को बच्चों अगर आप ध्यान से देखो तो इसमें चार पेप्टाइड चेंस हैं दो लाइट और दो हैवी राइट इस वजह से कई बार इसे डिनोट किया जाता है एज h2 ए2 दो हैवी दो लाइट हम कुछ एग्जांपल्स देखते हैं एंटीबॉडी के जैसे कि आईजी ए आईजी जी आईजी एम राइट ये आईजी स्टैंड्स फॉर इम्यूनोग्लोबुलीन अब देखो ये एंटीबॉडीज के भी स्ट्रक्चर कई मतलब कई फॉर्मेट में पाए जाते हैं फॉर एग्जांपल अगर हम आईजी ए की बात करें है ना तो ये एजिस्ट करता है एज अ डाइमर जिसमें देखो दो वाई शेप स्ट्रक्चर प्रेजेंट है ठीक है अगर हम आईज एम की बात करें तो इसमें पांच वाइज शेप्ड स्ट्रक्चर्स प्रेजेंट है सो दिस एजिस्ट एज अ पेंटामर कुछ ऐसे भी होते हैं जो मोनोमर की तरह एजिस्ट करते हैं जिसमें सिर्फ एक ही वाई शिफ्ट स्ट्रक्चर होता है जैसे कि आईजीजी तो भाई अब देख लेते हैं ये जो एंटीजन एंटीजन वर्ल्ड में बार-बार यूज कर रही थी एंटीजन क्या होता है तो एंटीजन जो है हम एंटीजन वर्ड यूज करते हैं फॉर एनी फॉरेन सब्सटेंस इनसाइड आवर बॉडी अब ये फॉरेन सब्सटेंस कोई माइक्रो ऑर्गेनिस्ट हो सकता है जिसे हम पैथोलैब क्टी वायरस संगाई वगैरह ठीक है ये कोई केमिकल हो सकता है ये पॉलिन हो सकता है ये कोई टॉक्सिन हो सकता है बेसिकली कोई भी फॉरेन सब्सटेंस जो हमारी बॉडी के अंदर आ गया है उसे हम एंटीजन कहते हैं ठीक है अब एंटीजन का प्रेजेंस हमारी बॉडी के अंदर ये हमारे इम्यून सिस्टम को ट्रिगर करता है टू प्रोड्यूस एंटीबॉडीज राइट मतलब मैंने जो बताया था ना कि कुछ सेल्स होते हैं बी लिंफोसाइट्स होते हैं जो एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं अब वो यूं ही खाली पीले बैठे रहते हैं तो प्रोड्यूस नहीं कर देते हैं एंटीबॉडीज वो वो तभी प्रोड्यूस करते हैं जब एंटीजन उनको दिखता है समझ रहे हो मतलब इट इज लाइक जो सिक्योरिटी गार्ड आपके घर के बाहर बैठा हुआ है वो यूं ही थोड़ी ना लड़ने लगेगा वो लड़ाई तो तब करेगा ना जब वो किसी थीफ को किसी चोर को आइडेंटिफिकेशन तभी होते हैं जब कोई एंटीजन होता है तो बेसिकली एंटीजन का प्रेजेंस जो है ये एंटीबॉडीज के प्रोडक्शन को ट्रिगर करता है और जैसा कि हमने अभी-अभी देखा था कि हर एंटीबॉडी में एक एंटीजन बाइंडिंग साइट होता है जहां पर एंटीजन एंटीबॉडी के साथ बाइंडर है और यह बाइंडिंग जैसे ही होती है तो एंटीजन का जो सारा इफेक्ट है वो न्यूट्रलाइज हो जाता है तो अब जब हमें एंटीबॉडी और एंटीजन का कांसेप्ट समझ में आ गया है तो एक बार वापस से चलेंगे हम बी लिंफोसाइट्स और टी लिंफोसाइट्स की कहानी पे तो हमने देखा था बी लिंफोसाइट्स और टी लिंफोसाइट्स होते हैं जिन्हें हम बी सेल्स और टी सेल्स भी कहते हैं तो बी सेल्स जो है बच्चों ये दो तरह के होते हैं प्लाज्मा बी सेल्स एंड मेमरी बी सेल्स प्लाज्मा बी सेल्स वो होते हैं जो एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं राइट एंटीजन दिखा उस एंटीजन के लिए एंटीबॉडीज प्रोड्यूस किया और वो एंटीबॉडी के प्रोडक्शन से वो एंटीजन का जो एक्शन है वो न्यूट्रलाइज हो गया ठीक है तो मतलब प्लाज्मा बी सेल्स का काम होता है एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करना दूसरी तरफ जो मेमरी बी सेल्स हैं इनका काम क्या होता है मेमरी याद रखना बहुत इंपॉर्टेंट कांसेप्ट है ना इनका काम क्या होगा कि जो एंटीजन एक बार आया पहले अटैक में जो आया उस पहले अटैक में उस एंटीजन का एक तगड़ा मेमोरी बना लेना ताकि अगर यह एंटीजन गलती से दोबारा अटैक किया सेकंड अटैक किया तो ये लोग हाई इंटेंसिटी के साथ रिस्पॉन्ड कर सके ठीक है तो मतलब देखो इन्होंने आपस में काम बांट लिया ठीक है तो अ जो प्लाज्मा बी सेल्स हैं उन्होंने बोला कि भाई मैं सिर्फ एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करूंगा जो मेमरी बी सेल्स हैं उन्होंने बोला ठीक है जब पहला अटैक होगा उस टाइम पे तुम्हें जो भी करना है तुम करना पहले अटैक के टाइम पे मैं बैठ के सिर्फ मेमोरी क्रिएट करूंगा लेकिन जब दूसरा अटैक होगा तब इनका जो रिस्पांस होता है ना जो मेमरी सेल्स है उनका रिस्पांस बहुत फास्ट होता है और बहुत हाई इंटेंसिटी होता है सेकंड अटैक पे राइट सेकंड अटैक पे जो मेमरी सेल्स होते हैं दे रेस्पों वेरी वेरी वेरी फास्ट बहुत फास्ट रिस्पांस रेस्पों करते हैं और बहुत स्ट्रांग रेस्पों करते हैं ठीक है बात समझ में आई तो अब बच्चों ये हमारे दो टाइप के बी लिंफोसाइट्स हो गए अब आगे बढ़ते हैं टी सेल्स की तरफ या फिर टी लिंफोसाइट्स जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि टी लिंफोसाइट्स का काम क्या होता है ये अपने आसपास के बी लिंफोसाइट्स को स्टिम्युलेट करते हैं टू प्रोड्यूस एंटीबॉडीज ठीक है अब आप पूछोगे कि ये स्टिम्युलेट कैसे करते हैं अब ये जो टी सेल्स होते हैं ना इनके पास एज सच ऐसा कुछ नहीं होता है जिससे वो एंटीजन को प्रॉपर्ली रिकॉग्नाइज कर लेते हैं तो ये एज सच पूरी एंटीजन को रिकॉग्नाइज नहीं कर पाते हैं लेकिन इनके अंदर कुछ एंटीबॉडी के जैसा रिसेप्टर होता है इनके पास एंटीबॉडीज नहीं होता है बच्चों कंफ्यूज नहीं होना है बट इनके पास कुछ ऐसा रिसेप्टर होता है जिसकी वजह से अगर कोई सेल एंटीजन से इफेक्ट हुआ है तो उसके अंदर यह एंटीजन के छोटे-छोटे फ्रैग मेंट्स को रिकॉग्नाइज कर लेता है तो इट इज लाइक वो पूरे एंटीजन को रिकॉग्नाइज तो नहीं कर पाता है बट उसके छोटे-मोटे फ्रैग मेंट्स को रिकॉग्नाइज कर लेता है और जैसे रिकॉग्नाइज करता है फटाफट से ये अपने आसपास के जो बी सेल्स होते हैं उनको बोलते हैं कि भाई जल्दी-जल्दी प्रोड्यूस करो एंटीबॉडीज समझ रहे हो बात तो इस कारण से इनको हम हेल्पर टी सेल्स भी कहते हैं क्योंकि ये क्या कर रहे हैं मदद ही तो कर रहे हैं है कि नहीं ये मदद कर रहे हैं दूसरे बी सेल्स को या दूसरे टी सेल्स को ताकि एंड में जाके एंटीबॉडीज प्रोड्यूस हो सके और हमारा एंटीजन का जो एक्शन है वो डिस्ट्रॉय हो सके ठीक है अब बच्चों देखो बी सेल्स और टी सेल्स में ना किसी भी तरह का छोटे से छोटा कंफ्यूजन भी नहीं रहना चाहिए बिकॉज़ दीज आर योर बेसिक्स राइट तो ये हमारा बी सेल्स और टी सेल्स है अब बच्चों एक्वायर्ड इम्युनिटी जो है ये दो टाइप के होते हैं ह्यूमरल इम्युनिटी एंड सेल मीडिएट इम्युनिटी ह्यूमरल इम्युनिटी क्या होता है ये ह्यूमर ये हंसी वाला ह्यूमर नहीं है ह्यूमर इज समथिंग रिलेटेड टू फ्लूइड जैसे अगर आपको याद हो जब हम आई का स्ट्रक्चर पढ़ते हैं तो वहां पर हम एक्स ह्यूमर अ विट्रो ह्यूमर ये वर्ड्स यूज़ करते हैं राइट फॉर फ्लूइड ओके तो एंटीबॉडीज जो होते हैं ये ब्लड में प्रोड्यूस होते हैं व्हिच इज अ फ्लूइड राइट तो इस वजह से इसे ह्यूमो इम्युनिटी कहा जाता है क्योंकि इस इम्युनिटी में एंटीबॉडीज प्ले द मोस्ट इंपोर्टेंट रोल या फिर कह सकते हो कि इट इज एंटीबॉडी मीडिएट इम्युनिटी यानी कि ये किस तरह का इम्युनिटी है जहां पर एंटीजन दिखा तो एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करो इसका मतलब कौन से सेल्स इस इम्युनिटी में इस तरह के ह्यूमरल इम्युनिटी में सबसे इंपॉर्टेंट रोल प्ले करेंगे वैसे सेल्स जो एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं फटाफट से बताओ मुझे कौन से सेल्स एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं बी सेल्स एगजैक्टली तो बी सेल्स यहां पर क्रिटिकल रोल प्ले करते हैं तो इस तरह की इम्युनिटी को हम कहते हैं यू मोरल इम्युनिटी दूसरी तरफ सेल मीडिएट इम्युनिटी यानी कि सेल मीडिएट यानी कि ये एक ऐसा इम्युनिटी है जहां पर सेल इंपॉर्टेंट रोल प्ले करता है यहां पर एंटीबॉडीज का कोई इवॉल्वमेंट नहीं है तो अब आप खुद मुझे बताओ कि यहां पर कौन से सेल्स रोल प्ले करेंगे वैसे वाले सेल्स जो एंटीबॉडीज नहीं बनाते हैं यानी कि टी सेल्स एगजैक्टली अब जैसे टी सेल्स का एक्टिवेशन ले लो या फैग साइट्स ले लो फैग साइट्स क्या होते हैं सेल्स होते हैं जो अपने आप में ही एक फॉरेन पार्टिकल को निगल सकता है इंगल्फ कर सकता है तो अब देखा जाए तो इसने क्या किया कोई फॉरेन पार्टिकल दिखा कोई एंटीजन दिखा तो उसको निगल ही गया उसको खत्म ही कर दिया राइट यानी कि उसके एक्शन को तो डिस्ट्रॉय कर दिया बट देखा जाए तो एंटीबॉडी भी प्रोड्यूस नहीं हुआ तो इस तरह का जो इम्युनिटी है इसको हम कहेंगे सेल मीडिएट इम्युनिटी तो बच्चों यहां पर हम लेंगे एक रियल लाइफ एग्जांपल शायद आप लोगों ने कभी सुना हो अपने अपने आसपास में कि किसी की किडनी खराब हो गई या किसी का लिवर खराब हो गया तो जब बॉडी का कोई ऐसा पार्ट जो बिल्कुल ही फंक्शन करना बंद कर दे देन द ओनली ऑप्शन दैट इज लेफ्ट आउट इज ट्रांसप्लांटेशन राइट तो ट्रांसप्लांटेशन के दौरान एक डोनर की जरूरत पड़ती है जो हमें एक किडनी दे जिसे हम ट्रांसप्लांट कर सके उस पेशेंट की बॉडी के अंदर एंड ऐसा क्यों नहीं होता है कि रैंडम किसी भी डोनर से हम किडनी लेके डाल सके बिकॉज हमारा बॉडी उस किडनी को एक्सेप्ट नहीं करेगा क्योंकि हमारी बॉडी की जो इम्यून सिस्टम है स्पेशली हमारे बॉडी का जो सेल मीडिएट इम्यूनिटी है ये सेल्स बड़े अच्छे तरीके से सेल्फ और नॉन सेल्फ के बीच में डिफरेंशिएबल वो बहुत क्लीयरली कर पाता है इसीलिए अगर हम रैंडम कोई भी किडनी उसमें डाल देंगे तो क्या होगा बॉडी उसे रिजेक्ट कर देगा राइट अ तो इसीलिए आपने देखा होगा कि ब्लड ग्रुप मैचिंग टिश्यू मैचिंग बहुत सारी चीजें चेक करने के बाद ही इस तरह की ट्रांस ट्रांसप्लांटेशन की जाती है इनफैक्ट ट्रांसप्लांटेशन हो जाने के बाद भी पेशेंट को ऑल हिज लाइफ या फिर ऑल हर लाइफ उन्हें इम्यूनो सप्रे सेंट्स में रखा जाता है जो हमारे इम्यून रिस्पांस को थोड़ा सा सप्रे करके रखता है इसके अलावा बहुत सारे परहेज और भी होते हैं बट यहां पर जो रोल है ये जो वो जो ये रिजेक्शन बॉडी के अंदर से रिजेक्शन जो थ्रो कर रहा है दैट इज बेसिकली द सेल मीडिएट इम्यून रिस्पांस जिसके बारे में हम अभी-अभी बात कर रहे थे तो देखो इस तरह की जो छोटी-छोटी चीजें हैं शायद हम अपनी रियल लाइफ में इस तरह की बातें सुन रहे होते हैं बट हमें पता नहीं होता है कि एगजैक्टली यह रिस्पांस बॉडी के अंदर से कहां से आ रहा है तो बच्चों अभी तक हमने क्या देखा कि बेस्ड ऑन की मीडिएट कौन है सेल मेडिएटर है या फिर एंटीबॉडी मीडिएट है उस बेसिस पर एक्वायर्ड इम्युनिटी दो टाइप के थे ह्यूमरल इम्युनिटी एंड सेल मीडिएट इम्युनिटी अब हम लोग देखेंगे कि एक्वायर्ड इम्युनिटी ऑन द बेसिस ऑफ कि एंटीबॉडीज बन कैसे रहे हैं ऑन दैट बेसिस दे आर ऑफ टू टाइप्स एक्टिव इम्युनिटी एंड पैसिव इम्युनिटी अगर हम एक्टिव इम्युनिटी की बात करें तो इसमें क्या होता है हमारे बॉडी के अंदर ही एंटीबॉडी बनता है एंटीबॉडी का प्रोडक्शन हमारे बॉडी के अंदर हो रहा होता है ठीक है दो एग्जांपल्स दूंगी इसमें पहला एग्जांपल लेट अस सपोज किसी को लेट अस सपोज ये रमन है रमन जब लेट्स से कुछ सात आ साल का था तब उसे एक बार चिकन पॉक्स हुआ ठीक है तो जब उसे यह बीमारी हुई तो उस एंटीजन का कॉरेस्पोंडेंस हुआ बी सेल्स नेने प्रोड्यूस किया जो मेमरी सेल्स हैं वो मेमरी सेल्स ने क्या किया अपने मेमोरी में स्टोर कर लिया पहचान लिया उस एंटीजन को राइट अब क्या हुआ अगर बहुत सालों के बाद फिर से वही पैथोलैब करने की कोशिश करेगा तो क्या होगा वो सक्सेसफुल नहीं हो पाएगा इसीलिए आप देखते हो कि चिकन पॉक्स हेपेटाइटिस ए इस तरह की बीमारियां जनरली लोगों को अपने लाइफ टाइम में एक बार होती है हालांकि कुछ रेयर केसेस में ये दोबारा भी हो सकती हैं ठीक है तो ये क्या एग्जांपल है ये एक ऐसा एग्जांपल है जिसमें प्रोसेस स्लो है क्योंकि ग्रैजुअली बॉडी के अंदर वो यू नो एंटीबॉडीज बनती है वो मेमोरी में स्टोर होता है सेकंड अटैक का वेट होता है तो मतलब एक स्लो प्रोसेस है ठीक है बट यहां पर हम देख रहे हैं कि एंटीबॉडीज हमारे बॉडी के अंदर बनती है ठीक है हमारे अंदर बनती है जिसकी वजह से अगर उसे चिकन पॉक्स हुआ भी बट स्टिल एंटीबॉडीज भी बना उसके साथ फाइट करने की कोशिश भी की बाकी मेडिकेशन वगैरह भी दिया गया बट इस केस में उस बंदे को चिकन पॉक्स हुआ उसे उस बीमारी के दौर से गुजरना पड़ा राइट दिस इज फर्स्ट एग्जांपल सेकंड एग्जांपल इज वैक्सीनेशन बहुत बार क्या होता है बहुत सारी बीमारियों का वैक्सीन अवेलेबल होता है जैसे पोलियो हो गया टेटनस हो गया उसमें क्या होता है कि एक छोटा सा डोज डाल दिया जाता है किसका डोज होता है वो जो वैक्सीन डाला जाता है बॉडी के अंदर जो इंजेक्ट किया जाता है उसमें क्या होता है उसमें भी एक्चुअली वही वाला पैथोली लाइट इंटेंसिटी में या तो वो बहुत ही वीक माइक्रोब होता है या फिर डेड माइक्रोब होता है उस फॉर्म में डाला जाता है तो इस वजह से उस इंसान को वो बीमारी होती नहीं है बट बॉडी के अंदर जो मेमरी सेल्स है ना उनको वो मिल जाता है इंडिकेशन कि अच्छा ये घुसा है अभी बॉडी के अंदर तो वो पहचान लेता है कम इंटेंसिटी में भी मेमरी सेल्स उनको पहचान लेता है राइट तो इसका मतलब वो वैक्सीन देने के बाद भी हम सेफ हो जाते हैं कि सेकंड टाइम अगर ये वायरस या ये जो भी बैक्टीरिया या जो भी पैथोलैब करने की कोशिश करेगा तो वो सक्सेसफुल नहीं हो पाएगा ठीक है तो अब ये जो दोनों ही केस है बच्चों इन दोनों ही केस में क्या होता है जब हम वैक्सीन का भी डोज देते हैं बॉडी के अंदर एंटीबॉडीज प्रोड्यूस होते हैं जब किसी को चिकन पॉक्स भी हो रहा है तो भी बॉडी के अंदर एंटीबॉडीज प्रोड्यूस हो रही हैं तो मतलब ये जो दोनों ही एग्जांपल्स हैं ये किसके एग्जांपल्स हैं ये एक्टिव इम्यूनिटी के एग्जांपल्स है क्योंकि एक्टिव इम्यूनिटी में एंटीबॉडीज बॉडी के अंदर प्रोड्यूस होते हैं ठीक है दूसरी तरफ है पैसिव इम्युनिटी पैसिव इम्युनिटी मतलब यहां पर बॉडी के अंदर एंटीबॉडी प्रोड्यूस नहीं हो रहे हैं हम लोग एंटी बॉडीज को डायरेक्टली बॉडी के अंदर इंजेक्ट कर दे रहे हैं प्लीज बी वेरी क्लियर वैक्सीनेशन में हम एंटीबॉडी इंजेक्ट नहीं कर रहे हैं वैक्सीनेशन में हम एंटीजन को ही बहुत ही यू नो लो इंटेंसिटी में इंजेक्ट कर रहे हैं एंटीबॉडी तो बॉडी के अंदर बन रहा था वैक्सीनेशन के केस में लेकिन पैसिव इम्युनिटी में हम एंटीबॉडीज को ही डायरेक्टली बॉडी के अंदर इंजेक्ट कर देते हैं ठीक है तो सबको समझ में आ गया एक्टिव इम्युनिटी एंड पैसिव इम्युनिटी हालांकि अब हम लोग देखेंगे कुछ अलग-अलग एग्जांपल्स ऑफ एक्टिव एज वेल एज पैसिव इम्युनिटी तो चलो देखते हैं एक्टिव और पैसिव इम्युनिटी के एग्जांपल्स सबसे पहले नेचुरल एक्टिव इम्युनिटी नेचुरल मतलब जो नेचुरली एक्टिव इम्युनिटी आ रही है इसका एग्जांपल क्या होगा जैसे किसी इंसान को कोई डिजीज हुआ मतलब ही एक्चुअली सफर्ड फ्रॉम दैट डिजीज तो उसको नेचुरली वो डिजीज हुआ डिजीज के होने की वजह से उसके बॉडी के अंदर एंटीबॉडीज बने और इन एंटीबॉडीज के बनने की वजह से फ्यूचर में वो डिजीज उसको दोबारा नहीं हुआ सो दिस इज नेचुरल एक्टिव इम्युनिटी ठीक है दूसरी तरफ आर्टिफिशियल एक्टिव इम्युनिटी आर्टिफिशियल एक्टिव इम्युनिटी मतलब एंटीबॉडीज बॉडी के अंदर ही बनेगा लेकिन आर्टिफिशियल है मतलब उसको खुद से वो बीमारी नहीं होगी बट हम उसे वैक्सीन डाल देंगे एगजैक्टली वैक्सीन में क्या करते हैं हम लोग उसी पैथोली यू नो टोन या फिर एक डेड वायरस या बहुत ही लो इंटेंसिटी का वायरस हम डाल देते हैं वायरस मतलब जो एंटीजन है उसको डाल देते हैं उसको डाल देने की वजह से भी बॉडी के अंदर एंटीबॉडीज बनेंगे उससे उसको इम्युनिटी मिलेगी फ्यूचर के लिए राइट सो दैट इज आर्टिफिशियल एक्टिव इम्युनिटी ठीक है अब बात करेंगे पैसिव इम्युनिटी की तो पैसिव इम्युनिटी में भी एक होता है नेचुरल पैसिव इम्युनिटी मतलब नेचुरली पैसिव इम्युनिटी हो रहा है बोलने का मतलब है खुद से बॉडी के अंदर डायरेक्ट एंटीबॉडीज आ जा रहा है ऐसा कैसे हो सकता है हो सकता है जब एक बेबी अपने मदर के वूम में रहता है उस टाइम पे क्या होता है मदर मदर की बॉडी से बच्चे को सब कुछ मिलता रहता है थ्रू द प्लेसेंटा राइट तो उसी दौरान जो एंटीबॉडीज है वो मदर से बच्चे को नेचुरली मिल जाता है राइट सो दैट इज कॉल्ड नेचुरल पैसिव इम्युनिटी दैट इज एन एग्जांपल ऑफ नेचुरल पैसिव इम्युनिटी उसी तरह से आर्टिफिशियल पैसिव इम्युनिटी बोले तो इंजेक्शंस के थ्रू जब हम एंटीबॉडीज बॉडी के अंदर डाल रहे हैं अब शायद बहुतों के दिमाग में क्वेश्चन आ रहा होगा कि अच्छा मैम ने कहा कि एंटीबॉडीज हम इंजेक्ट कर सकते हैं कोई एग्जांपल इसका बिल्कुल है गामा ग्लोब्युलिन इंजेक्शंस ये इंजेक्शंस किसी भी पेशेंट को दिया जाता है टेंपररी बेसिस पे उसकी बॉडी की इम्युनिटी को बढ़ाने के लिए जनरली ये ऐसे पेशेंट्स को दिया जाता है जिन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट अंडरगो किया हो या फिर जिनको हेपेटाइटिस ए हुआ हो तो ऐसे पेशेंट्स में इस तरह के इंजेक्शंस कई बार दिए जाते हैं तो प्यारे बच्चों चलो अब हम थोड़ा टाइम स्पेंड करेंगे टू अंडरस्टैंड इन डिटेल अबाउट वैक्सीनेशन वैसे तो वैक्सीनेशन का काफी आईडिया मैं पहले दे ही चुकी हूं लेकिन चलो थोड़ा और टाइम स्पेंड करते हैं समझने के लिए तो वैक्सीनेशन होता क्या है पहले जैसे मैंने बताया ये एक ऐसा प्रोसेस है जिसके अंदर हम वैक्सीन इंट्रोड्यूस करते हैं किसी भी इंसान की बॉडी के अंदर टू इंप्रूव द इम्युनिटी अगेंस्ट अ पर्टिकुलर डिजीज एक पर्टिकुलर डिजीज के अगेंस्ट इम्युनिटी बिल्ड करने के लिए हम उसकी बॉडी में वैक्सीन डालते हैं द क्वेश्चन इज वैक्सीन क्या होता है तो वैक्सीन बेसिकली एक ऐसा बायोलॉजिकल प्रिपरेशन होता है जो रिजेंट करता है डिजीज कॉजिंग माइक्रोब को जो भी डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट म है मान लो बैक्टीरिया है या वायरस है तो वो जो हम प्रिपेयर करते हैं ना वैक्सीन वो रिजेंस करता है उस बैक्टीरिया को या फिर उस वायरस को या फिर उस माइक्रोब को ठीक है अब आप पूछोगे रिजेंट करता है मतलब वही माइक्रोब होता है एगजैक्टली अब नॉट एगजैक्टली वही माइक्रोब उसी इंटेंसिटी में होता है इट कुड बी अ डेड माइक्रोब इट कुड बी अ वीक वर्जन ऑफ दैट माइक्रोब राइट तो इस तरह का एक माइक्रोब बॉडी के अंदर डाल दिया जाता है तो इससे क्या होता है इंसान को वो डिजीज नहीं होता है बिकॉज वो माइक्रोब जो है ना वो उतना स्ट्रांग नहीं है उसमें उतनी कैपेबिलिटी नहीं है तो इट इज लाइक चोर आया नहीं है आपके घर में लेकिन आपने एक डमी चोर को भेजा मतलब रियल चोर नहीं आया है आपने एक अपने ही दोस्त को आपको चेक करना था कि भाई सिक्योरिटी सिस्टम कैसा है तो उसके लिए आपने क्या किया एक बंदे को बोला कि भाई तुम चोर बन के जाओ बट वो एक्चुअली में चोर है नहीं लेकिन जैसे ही वो आएगा तो आपका सिक्योरिटी गार्ड तो लड़ाई के लिए रेडी हो जाए करेक्ट समझ रहे हो तो अब आपका सिक्योरिटी गार्ड उस डमी चोर को देखकर भी काफी तैयार हो जाएगा राइट तो कुछ ऐसा ही हो रहा है यहां पर यहां पर जो है वो डमी माइक्रोब है मतलब वो या तो डेड है या वीक है तो उसके एंट्री की वजह से उस इंसान को वो डिजीज तो नहीं हो रहा है लेकिन क्या हो रहा है उसके बॉडी के अंदर के जो बी सेल्स हैं टी सेल्स हैं वो सारे जनरेट हो जा रहे हैं तो जो प्लाज्मा बी सेल्स हैं वो एंटीबॉडीज जनरेट कर रहे हैं जो मेमरी बी सेल्स हैं वो अपनी मेमोरी में डाल ले रहे हैं उस माइक्रोब के वर्जन को समझ रहे हो तो अब जब उसी माइक्रोब वही वाला माइक्रोब बाद में कभी आएगा तो क्या होगा सेकेंडरी रिस्पांस आएगा तो इस वजह से उसका सेकंड अटैक जो है जभी भी वो नेक्स्ट टाइम अटैक करेगा रियल में जब वो माइक्रोब अटैक करने की कोशिश करेगा तो वो सक्सेसफुल नहीं हो पाएगा तो इस तरीके से हमारी बॉडी की इम्युनिटी बन जाएगी तो यह होता है पूरा वैक्सीनेशन का कांसेप्ट तो वैक्सीन देने के इस प्रोसेस को कहा जाता है इम्यूनाइजेशन तो अब इम्यूनाइजेशन दो टाइप के होते हैं एक्टिव इम्यूनाइजेशन पैसिव इम्यूनाइजेशन आई एम प्रिटी श्यर एक्टिव पैसिव में तो अब आपने मास्टरी पा ली होगी तो एक्टिव इम्यूनाइजेशन आप खुद ही समझ पा रहे हो इसमें हम क्या करते हैं इसमें हम बॉडी के अंदर वैक्सीन इंट्रोड्यूस करते हैं एंटीबॉडीज ब बॉडी के अंदर खुद से बनते हैं दैट इज एक्टिव इम्यूनाइजेशन जैसा कि पोलियो टेटनस जैसी बीमारियों के लिए किया जाता है जब छोटे बच्चे होते हैं तो उन्हें पोलियो की पोलियो के दो बूंद दिए जाते हैं राइट उनकी बॉडी में इंट्रोड्यूस कर दिया जाता है टेटनस का इंजेक्शन दिया जाता है तो इससे क्या होता है बॉडी के अंदर एंटीबॉडीज बन जाते हैं ताकि बाद में कभी अगर रियल एंटीजन अटैक करें भी तो वो सक्सेसफुल नहीं हो पाए ठीक है तो वो बीमारियां उनको नहीं होंगी ठीक है दैट इज एक्टिव इम्यूनाइजेशन दूसरी तरफ पैसिव इम्यूनाइजेशन का मतलब है कि सीधा-सीधा एंटीबॉडीज ही हम किसी स्पेसिफिक एंटीजन के अगेंस्ट सीधा-सीधा एंटीबॉडीज ही डाल दिया जैसे कि डॉग बाइट स्नेक बाइट जब होता है किसी को जैसे कुत्ता काट लेता है या फिर यू नो सांप काट लेता है तो ऐसे वाले सिचुएशन में आपने देखा होगा कि इंजेक्शंस पड़ते हैं राइट तो उन इंजेक्शंस में क्या होता है वहां पर क्या है हमको तुरंत रिस्पांस चाहिए राइट तो अब आप डाल के पहले से रखोगे और उसका यू नो एंटीबॉडीज बनेगा मेमोरी में रखेगा वो सब चलेगा नहीं कांसेप्ट वहां पे तो वहां पर क्या करते हैं हम लोग डायरेक्ट एंटीबॉडीज डाल देते हैं अगेंस्ट दैट एंटीजन राइट तो डॉग बाइट के अगेंस्ट स्नेक बाइट के अगेंस्ट हम डायरेक्ट एंटीबॉडीज बॉडी में घुसा देते हैं दैट इज कॉल्ड पैसिव इम्यूनाइजेशन तो बच्चों जब भी हम वैक्सीनेशन की बात करते हैं तो एक टॉपिक हमेशा आता है दिमाग में दैट इज इफेक्टिव ऑफ द वैक्सीनेशन कि भाई वैक्सीनेशन कितना इफेक्टिव है तो बच्चों एक चीज जान लो कि वैक्सीनेशन कितना इफेक्टिव होगा दैट वरीज फ्रॉम वन डिजीज टू अनदर ठीक है सिमिलरली बेस्ड ऑन कि किस एज ग्रुप के लोगों को वो वैक्सीन लग रहा है कभी-कभी ओल्डर पीपल के लिए लार्जर डोजेस ऑफ वैक्सीनेशन की जरूरत पड़ती है वैक्सीनेशन का स्केड्यूल प्रॉपर्ली फॉलो होना बहुत इंपॉर्टेंट है अगर आप देखोगे छोटे बच्चों का जो वैक्सीनेशन का स्केड्यूल होता है ना उसमें प्रॉपर्ली मेंशन होता है कि तीन से 6 महीने के बीच में ये 6 से 12 महीने के बीच में ये 1 साल का ये 2 साल का ये 5 साल का ये तो इस तरह का एक प्रॉपर स्केड्यूल होता है और वो स्केड्यूल को प्रॉपर्ली फॉलो करना इज वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट ठीक है वैक्सीनेशन के बारे में या वैक्सीनेशन के इस पूरे दौर से हम अभी फिलहाल में ही गुजरे जब पडेम ने हमें हिट किया था राइट जब जब कोविड शुरुआत में आया था उस टाइम पे दे नो वैक्सीन राइट तो उस वजह से एक और यू नो डर का आतंक का माहौल छाया हुआ था बिकॉज बहुत से लोगों को कोविड हो रहा था बहुत से लोगों की डेथ हो रही थी राइट बट वैक्सीन आने के बाद में यू नो एटलीस्ट कुछ राहत मिली लोगों को लगा कि चलो ठीक है अब एटलीस्ट यू नो ऐसा नहीं होगा कि यू नो इट कोरोना वायरस की वजह से लोगों की डेथ हो रही है राइट तो वी ऑल नो दैट एनटायर स्टोरी ऑफ वैक्सीनेशन क्योंकि ये इस दौर से हम लोग काफी रिसेंटली ही गुजरे हैं है ना तो बोलने का मतलब है वैक्सीनेशन की सक्सेस की अगर हम बात करें तो ऐसी बहुत सारी बीमारियां हैं जो कंप्लीट खत्म हो चुकी है बिकॉज ऑफ वैक्सीनेशन वन सच एग्जांपल इज स्मॉल पॉक्स स्मॉल पॉक्स कंप्लीट खत्म हो चुका है स्मॉल पॉक्स हैज बीन इरेडिकेटेड बाय वैक्सीनेशन इसके अलावा पोलियो टेटनस मिसल्स जैसी बीमारियां भी जो है दे हैव बीन रिड्यूस्ड टू अ वेरी वेरी लार्ज एक्सटेंट बाय वैक्सीनेशन तो इस तरह से काफी सारी डिजीज जो है वो बहुत कम हो चुके हैं कुछ जैसे रेडिकेट भी हो चुके हैं बाय वैक्सीनेशन तो ओबवियसली इट इज अ इन अ वे हम कह सकते हैं कि डिजीज को प्रिवेंट करने के लिए ये एक बहुत ही इफेक्टिव हथियार है राइट इनफैक्ट अब शायद जब हमने वैक्सीनेशन के बारे में इतनी चीजें डिस्कस करी है तो अब शायद आप लोगों को समझ में आ रहा होगा कि कोविड के बाद जब लोगों को वैक्सीन लगने शुरू हुए तो बहुत बार आप देख रहे होगे राइट वैक्सीन डलवाने के बाद काफी लोगों को फीवर आ रहा था राइट बहुत लोगों को इमीडिएट इमीडिएट इफेक्ट्स तो ये क्यों हो रहे थे अब आपको समझ में आ रहा होगा राइट क्योंकि वैक्सीन क्या होता है हम उसी माइक्रोब का थोड़ा सा वीक फॉर्म या डेड फॉर्म डाल रहे हैं तो जब बॉडी में कुछ ऐसा फॉरेन पार्टिकल जा रहा है तो बॉडी का किसी ना किसी फॉर्म में थोड़ा बहुत रिएक्ट करना तो बनता ही है और यह रिएक्शन पर्सन टू पर्सन वेरी करता है क्योंकि हर बंदे का जो इम्यून सिस्टम है जो इम्यून रिस्पांस है वो थोड़ा डिफरेंट है क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है मुझे ना डस्ट से एलर्जी है मुझे तो पॉलिन से बहुत ज्यादा एल एलर्जी है कल रात को नया नाइट क्रीम ट्राई किया और देखो पूरे फेस पे पिंपल्स आ गए लगता है एलर्जिक रिएक्शन हो गया क्या होता है ये एलर्जी सो एलर्जी इज द एजरेट रिस्पांस ऑफ आवर इम्यून सिस्टम टू सर्टेन सब्सटेंसस ध्यान देना है बच्चों सभी सब्सटेंसस के लिए नहीं कुछ ही ऐसे सब्सटेंसस हैं जिनके हमारे बॉडी में आते ही हमारा इम्यून सिस्टम जो है बहुत ही एजज मेटेड रिस्पांस थ्रो करता है जिसकी वजह से कभी सर हो जाती है कभी ीक आने लगती है तो कभी पिंपल्स आने लगते हैं फेस पर तो इसे हम कहते हैं एलर्जी और ये जो सब्सटेंसस होते हैं जिसकी वजह से ये एजरेट रिस्पांस आता है उन्हें हम कहते हैं एलर्जन अब बच्चों हमारा मेन सवाल अभी भी यही रहता है कि व्हाट कॉसेस एलर्जी वेल एलर्जी कॉज होता है जब मास्ट सेल्स रिलीज करते हैं कुछ केमिकल्स जैसे कि हिस्टमर एंड सेरोटोनिन अब यहां पे सब कुछ सर के ऊपर से चला गया क्योंकि सब सबसे पहली बात तो मास्ट सेल्स क्या होते हैं राइट तो मास्ट सेल्स हमारे बॉडी के कुछ इम्यून सेल्स होते हैं जो कि बोन मैरो में अराइज होने के बाद डिफरेंशिएबल हैं मैच्योर मास्ट सेल्स ये जनरली टिशूज में पाए जाते हैं और ब्लड वेसल्स के अलोंग जनरली ये पाए जाते हैं इनका मेन काम क्या होता है इन्हीं केमिकल्स को रिलीज करना हिस्टमर जैसे केमिकल्स को रिलीज करना और एलर्जिक रिएक्शंस देना या फिर कह लो कि इनफेक्शंस को फाइट करना बाय गिविंग एलर्जिक रिएक्शंस ठीक है अब पूरे प्रोसेस को देखेंगे कि क्या होता है अब ये एलर्जी की पूरी कहानी कब शुरू होती है जब हमारा बॉडी किसी एलर्जन को एनकाउंटर करता है चाहे वो डस्ट हो पोलेन हो परफ्यूम हो कुछ भी हो जब हमारा बॉडी कोई एलर्जन को एनकाउंटर करता है तभी एलर्जी की कहानी शुरू होती है तो अब देखो क्या होता है जब हमारा बॉडी किसी एलर्जन को एनकाउंटर करता है फॉर द फर्स्ट टाइम तो अब आप मुझे बताओ बेस्ड ऑन अभी तक हमने जो जो पढ़ा है कि हमारे बॉडी का इम्यून सिस्टम क्या करेगा ये एलर्जन क्या है तो यह भी एक एंटीजन ही तो एंटीजन के दिखते ही बॉडी क्या करेगा इट विल प्रोड्यूस एंटीबॉडीज एगजैक्टली तो जैसे ही एलर्जन मिला तो बॉडी ने क्या बनाया आईजी इम्यूनोग्लोबुलीन बनाया जो कि एंटीबॉडी है ठीक है अब ये इम्यूनोग्लोबुलीन आईजी जो है ये जाके मास्ट सेल के साथ बाइंडर गया दिस इज द मास्ट सेल और मास्ट सेल के साथ बाइंडर गया हमारा आईजी देखो वाई शेप्ड वाई शेप्ड कौन होता है एंटीबॉडी होता है ठीक है ये दोनों वाइंड कर गए लेकिन अब मेरा जो ये एलर्जन है ये भी तो है बॉडी के अंदर तो ये एलर्जन को भी ये जो एंटीबॉडी है ना ये एलर्जन को भी इस मास्ट सेल के पास लेके आता है तो जब ये सारी चीजें एक जगह पे होती है तो हम क्या देखते हैं कि ये मास्ट सेल्स जो हैं दे अंडरगो डी ग्रेन्यूलेशन राइट ग्रेन्यूल्स मतलब इसके अंदर के जो ग्रेन्यूल्स है वो डी ग्रेन्यूलेशन होने लगते हैं मतलब इसके अंदर से कुछ-कुछ ग्रेन्यूल्स निकलने लगते हैं बेसिकली राइट क्या निकलने लगता है इसी दौरान हिस्टमर सेरोटोनिन जैसे केमिकल्स रिलीज होते हैं और इन केमिकल्स के रिलीज होने की वजह से ही हमारे बॉडी में एलर्जिक रिएक्शंस के सिम्टम्स दिखते हैं कि यह जो पिंपल्स यह जो रशेस यह जो सर्दी यह जो खांसी यह जो चीजें होती है ना यह सारे रिएक्शंस हमें इन केमिकल्स के रिलीज होने की वजह से ही दिखता है तो अब देखो यह जो पूरी जो कहानी अभी मैंने बताई ना यह पूरी कहानी कब होती है जब हम उस एलर्जन को एनकाउंटर करते हैं राइट जैसे ही आप उस एलर्जन से दूर चले जाते हो तो थोड़ी देर के बाद ये सारे सिम्टम्स गायब हो जाते हैं यह भी आपने नोटिस किया होगा जैसे आप धूल के बीच में हो जब आप धूल के बीच में हो तो आपको बहुत ज्यादा छींके आ रही है या बहुत ज्यादा सर्दी हो रही है राइट लेकिन जैसे ही आप वहां से चले जाओगे शायद इंस्टेंट कम नहीं होगा बट कुछ टाइम के बाद आप देखोगे कि वो सारे सिम्टम्स खुद से गायब हो जाते हैं राइट तो ये जो सिमटम्स होते हैं ना ये बिल्कुल एलर्जन से ट्रिगर्ड होते हैं क्योंकि एलर्जन से ट्रिगर होके ये आपके हिस्टमर और सेरोटोनिन जैसे केमिकल्स रिलीज हो रहे हैं जो ये सिमटम्स को प्रोड्यूस कर रहे हैं तो कैसे सिम्टम्स दिखते हैं हमें एलर्जी के दौरान वही कॉमन से सिमटम्स सारे कभी आंख में से पानी आना तो कभी नाक में से पानी आना तो कभी ब्रीदिंग प्रॉब्लम्स तो कभी स्नीजिंग तो इस तरह के प्रॉ जनरली सिम्टम्स हमें देखने को मिलते हैं ड्यूरिंग एन एलर्जी और इसे हम ठीक कैसे कर सकते हैं अगर कुछ ज्यादा ही हो जाए कभी-कभी तो ये खुद से सेटल हो जाते हैं अगर ये खुद से सेटल ना हो तो हम एंटी एलर्जन ड्रग्स ले सकते हैं ये एंटी एलर्जन ड्रग्स करते क्या है एगजैक्टली अब आप खुद सोचो एलर्जी के सिमटम्स को अगर रोकना है तो किसको रोकना पड़ेगा एलर्जी के सिम्टम्स किसके वजह से आ रहे हैं हिस्टामिन के वजह से आ रहे हैं तो इनका काम ये होता है कि हिस्टमर के इफेक्ट को ब्लॉक कर देना जहां वो ब्लॉक कर दिया तो ये सारे सिमटम्स गायब हो जाएंगे अब बच्चों इम्युनिटी के बारे में इतना कुछ डिस्कस किया हमने इनफैक्ट इम्युनिटी से रिलेटेड काफी चीजें डिस्कस करी एलर्जी भी डिस्कस किया वैक्सीनेशन भी डिस्कस किया राइट तो आई थिंक इट मेक्स टोटल सेंस टू टॉक अबाउट द ह्यूमन इम्यून सिस्टम हमारे बॉडी का इम्यून सिस्टम थोड़ा और डिटेल में देखना तो बनता ही है है कि नहीं तो ह्यूमन इम्यून सिस्टम क्या है वो सारे ऑर्गन्स जो साथ में मिलकर के एक टीम बना कर के डिजीज कॉजिंग ऑर्गेनिस्ट मस के साथ फाइट करते हैं या फिर इंफेक्शन को फाइट करते हैं वो है हमारा ह्यूमन इम्यून सिस्टम अगर छोटे से एक शब्द में अगर एक लाइन में एक शब्द में तो नहीं अगर एक लाइन में यह बताना हो कि भाई ये इम्यून सिस्टम का काम क्या है तो इस इम्यून सिस्टम का एक थ्री स्टेप काम है पहला रिकॉग्नाइज एंटीजन एंटीजन को पहचानो एंटीजन मतलब जो भी फॉरेन सब्सटेंस है बॉडी के अंदर रिकॉग्नाइज द एंटीजन रिस्पॉन्ड टू एंटीजन उसके बाद उसको मुंह तोड़ जवाब दो एंड देन स्टोर इट इन द मेमोरी उस एंटीजन को अपनी मेमोरी में याद रखो ताकि दोबारा कभी वो एंटीजन अटैक करने आए तो हम उसे मार भगा सके राइट तो इसका मतलब एक तरीके से हम यह कह सकते हैं कि पूरा ह्यूमन इम्यून सिस्टम का काम क्या है पहचानो भगाओ और याद रखो पहले पहचानो एंटीजन को रिकॉग्नाइज करो रिकॉग्नाइज कर लिया तो रिस्पॉन्ड करो मतलब उसी समय उससे लड़ने की जो भी तैयारी करनी है वो करो जैसे कि एंटीबॉडीज बनाओ यह सब करो थर्ड याद रखो उसे याद रखना जरूरी है मेमोरी में स्टोर करके रखो हो सकता है 10 साल के बाद वो एंटीजन वापस से आए लेकिन मेमोरी में स्टोर रहेगा तो क्या होगा 10 साल बाद भी हम भगा सकेंगे उसे है ना तो ये हमारे ह्यूमन इम्यून सिस्टम का काम होता है तो चलो आगे बढ़ेंगे और देखेंगे ह्यूमन इम्यून सिस्टम के अंदर कौन-कौन से ऑर्गन्स होते हैं और उनका क्या काम होता है तो बच्चों हमारे ह्यूमन इम्यून सिस्टम का जो हीरो होता है द हीरो द लीड रोल प्ले करता है लिंफोसाइट्स हीरो मतलब नॉट हीरो किसी-किसी मूवी में हीरोइन भी लीड रोल प्ले करती है तो बेसिकली लीड रोल प्ले करने वाला कैरेक्टर है लिंफोसाइट्स क्यों अभी भी पूछोगे क्यों इसके पहले इतनी कहानी सुनाई मैंने बी लिंफोसाइट्स टी लिंफोसाइट सारा काम तो वही करते हैं एंटीबॉडीज बनाते भी वही हैं प्लाज्मा बी सेल्स जो है वोह एंटीबॉडीज को बनाते हैं मेमरी पी सेल्स जो है वोह एंटीबॉडीज को मेमरी में रखते हैं और टी सेल्स जो है वो बी सेल्स को स्टिम्युलेट करते हैं कि भाई तुम एंटीबॉडीज बनाओ राइट तो यानी कि सारा मेन काम जो है वो लिंफोसाइट्स करते हैं ठीक है तो इसीलिए लिंफोसाइट्स हमारा सबसे पहला पार्ट है ह्यूमन इम्यून सिस्टम का नेक्स्ट पार्ट है लिंफाइड टिशूज उसके नेक्स्ट थर्ड पार्ट है लिंफाइड ऑर्गन्स लिंफाइड ऑर्गन्स कौन से ऑर्गन्स हैं जहां पर लिंफोसाइट्स और रिजनेट करते हैं लिंफोसाइट्स डेवलप करते हैं मैच्योर करते हैं ये इन ऑर्गन्स को हम कहते हैं लिंफाइड ऑर्गन्स अब लिंफाइड ऑर्गन्स के अंदर आता है बोन मैरो थाइमस स्प्लीन लिंफ नोड्स टॉन्सिल्स एंड पियर्स पचस ऑफ इंटेस्टाइन ये सारे हमारे लिंफाइड ऑर्गन्स हैं अब इन ऑर्गन्स में से भी बोन मैरो और थाइमस इन दोनों को कहा जाता है प्राइमरी लिंफाइड ऑर्गन्स क्यों प्राइमरी क्योंकि ये वो ऑर्गन्स है जहां पर लिंफो साइट्स ओरिजनेट करते हैं और डिफरेंशिएबल यहां पर लिंफोसाइट्स की शुरुआत होती है वो बनते हैं और वो डेवलप भी करते हैं ठीक है तो इस वजह से इनको हम प्राइमरी लिंफाइड ऑर्गन्स कहते हैं इनफैक्ट मैंने बताया था बोन मैरो में होते हैं बी सेल्स और थाइमस में मैचोर करते हैं टी सेल्स एगजैक्टली ठीक है अब ये जो बाकी के लिंफाइड ऑर्गन्स हैं इनको हम सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन्स क कहते हैं इनका काम क्या होता है इनका काम होता है कि जो लिंफोसाइट्स है ना उनको ये एक साइट प्रोवाइड करते हैं उनको एक ये एक जगह प्रोवाइड करते हैं जहां पर ये एंटीजन के साथ इंटरेक्ट कर सके आप समझ रहे हो बात को इट इज लाइक अ ऐसे इसको थोड़ा अच्छे से समझते हैं इट्स लाइक लिंफोसाइट्स जो है ना सब कुछ काम कर रहा है वो एंटीबॉडीज बनाएगा भी सब कुछ करेगा बट कुछ भी करने के लिए इसको एंटीजन को फेस तो करना पड़ेगा राइट जैसे आपके घर के बाहर आपने सिक्योरिटी गार्ड को डाल रखा है ठीक है अब अगर सिक्योरिटी गार्ड को मान लो आप घर के बाहर ना डाल के घर के अंदर किसी एक कोने में डाल दो तो क्या होगा सिक्योरिटी गार्ड को पता ही नहीं चलेगा कि भाई चोर आ रहा है चोर घर में घुसने वाला है इसका मतलब है सिक्योरिटी गार्ड को एक ऐसा साइट देना भी जरूरी है एक ऐसा जगह देना भी जरूरी है जहां पर उसका इंटरेक्शन हो सके चोर से समझ रहे हो जब वो चोर को देखेगा तभी तो वो फाइटिंग शुरू करेगा तभी तो वो अपना रिस्पांस देना शुरू करेगा है कि नहीं बात समझ रहे हो ठीक उसी तरीके से ये जो लिंफोसाइट्स है जो प्राइमरी लिंफाइड ऑर्गन्स है जैसे कि बोन मैरो और थाइमस यहां पर लिंफोसाइट्स बनते हैं ठीक है बट लिंफोसाइट्स को अपना काम करने के लिए एंटीजन से इंटरेक्ट करना होगा एंटीजन से इंटरेक्ट करने का जो साइट है वो प्रोवाइड करते हैं ये सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन्स कैसे वो आप तब समझोगे जब हम एक-एक करके इन सारे सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन्स को डिस्कस करेंगे ठीक है इसके बाद हमारे ह्यूमन इम्यून सिस्टम का पार्ट होता है लास्ट बट नॉट द लीस्ट एंटीबॉडीज ठीक है तो ये सारी चीजें साथ में मिलकर के बनाता है ह्यूमन इम्यून सिस्टम तो सबसे पहले डिस्कस करते हैं प्राइमरी लिंफाइड ऑर्गन्स प्राइमरी लिंफाइड ऑर्गन्स क्या होते हैं जहां पर हमारे लिंफोसाइट्स ओरिजनेट करते हैं [संगीत] डिफरेंशिएबल फाइड ऑर्गन्स बोन मैरो एंड थाइमस बोन मैरो क्या होता है बोन मैरो एक फ्लेक्सिबल टिश्यू होता है जो बोन के अंदर पाया जाता है ठीक है बोन मैरो में होता क्या है लिंफोसाइट्स और ओरिजनेट करते हैं लिंफोसाइट्स प्रोड्यूस होते हैं ठीक इसके बाद थाइमस थाइमस क्या है थाइमस जो है एक बाई लोब स्ट्रक्चर है दो लोब वाला स्ट्रक्चर है बड़े ध्यान से स्ट्रक्चर को देखो इसके दो लोब्स हैं राइट और यह जो थाइमस है यह लोकेटेड होता है हमारे हार्ट के पास जस्ट बिलो द ब्रेस्ट बोन ठीक है यह हमारा थाइमस है इसका काम क्या होता है यहां पर जो लिंफोसाइट्स हैं वोह डेवलप भी करते हैं और मैच्योर भी करते हैं इनफैक्ट थाइमस के टी से ही टी लिंफोसाइट्स का टी आया है बताया था मैंने पहले भी राइट थाइमस ग्लैंड की एक और खास बात ये होती है कि थाइमस ग्लैंड का जो साइज है वो एज के साथ-साथ छोटा होता जाता है इनफैक्ट बाय द टाइम अ पर्सन रिचेस प्यूबर्टी राइट तब तक में इसका साइज काफी छोटा हो चुका होता है तो बच्चों अब देखेंगे हम लोग सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन्स जैसा कि मैंने पहले भी बताया था ये एक साइट प्रोवाइड करते हैं जहां पर लिंफोसाइट्स एंटीजन के साथ इंटरेक्ट कर सके ठीक है तो सबसे पहला ऑर्गन हम लोग देखेंगे स्प्लीन स्प्लीन क्या होता है ये बीन शेप होता है स्ट्रक्चर इसका ये लोकेटेड होता है टुवर्ड्स द लेफ्ट साइड ऑन द अपर पार्ट ठीक है इसका काम क्या होता है इट एक्ट्स एज फिल्टर फॉर ब्लड यानी कि इसके अंदर हमें क्या मिलेगा बहुत सारे एरिथ साइट्स आरबीसी रेड ब्लड सेल्स खूब सारे मिलेंगे यहां पे इसका मतलब है यहां से हम क्या कर सकते हैं मतलब एंटीजन यहां पे आएगा क्या बिल्कुल आएगा जब भी बॉडी में एंटीजन की एंट्री होगी तो ये एंटीजन ब्लड में भी तो होगा तो यानी कि जो हमारे लिंफोसाइट्स है ना उनको यहां पर एंटीजन मिल सकता है ब्लड में से वो एंटीजन को ट्रैप कर सकते हैं है ना तो यानी कि यहां पे ये एक साइट दे देता है लिंफोसाइट्स को जहां पर ये एंटीजन को इंटरेक्ट कर सकते हैं या फिर एंटीजन को ट्रैप कर सकते हैं ठीक है अगला ऑर्गन देखेंगे हम लोग दैट इज लिंफ नोड्स लिंफ नोड्स क्या होते हैं लिंफ नोड्स छोटे-छोटे ऑर्गन्स होते हैं जो वाइडल डिस्ट्रीब्यूटर होते हैं थ्रू आउट द लिंफ लिफटिक सिस्टम जैसे हमारे बॉडी के अंदर बहुत सारे अलग-अलग सिस्टम्स है जिसमें से एक है लिंफेटिक सिस्टम और इस लिंफेटिक सिस्टम के अंदर एक फ्लूइड फ्लो कर रहा होता है जिसे हम टिश्यू फ्लूइड भी कहते या फिर लिंफ भी कहते हैं है ना तो अब एंटीजन जब भी बॉडी में आएगा तो वो एंटीजन ब्लड में हो सकता है वो एंटीजन लिंफ में भी हो सकता है तो लिंफ नोड्स क्या करता है वो एंटीजन को लिंफ में से ट्रैप करता है तो इस तरीके से देखो लिंफ नोड्स भी जो है लिंफ लिंफोसाइट्स को एक जगह दे रहा है एक साइट दे रहा है जहां से वो एंटीजन के साथ इंटरेक्ट कर सके क्योंकि जब तक वो एंटीजन को नहीं देखेगा तब तक वो एंटीबॉडीज बनाएगा कैसे तब तक मतलब उसका बाकी का जो फंक्शन है वो तो हो ही नहीं पाएगा है कि नहीं तो समझ में आ रहा है कैसे ये लोग सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन्स की तरह काम करते हैं अगला सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन है टॉन्सिल्स टॉन्सिल्स शायद आप लोगों ने सुना होगा टॉन्सिल्स कहां पे लोकेटेड हो है यस ऑन द बैक ऑफ आवर माउथ टॉन्सिल्स सॉफ्ट टिशू लप्स होते हैं जो पेयर में एजिस्ट करते हैं एक राइट साइड एक लेफ्ट साइड ठीक है इनका काम क्या होता है अब जैसे देखो जब हम सांस लेते हैं राइट तो कोई भी फॉरेन सब्सटेंस या फिर कोई भी जर्म्स जो जाता है वो वहीं से होते हुए जाएगा हमारे रेस्पिरेटरी सिस्टम में तो एक तो ये जो है ना उसको ट्रैप करने की कोशिश करेगा वहां से एंटीजन को ट्रैप करने की कोशिश करेगा और टॉन्सिल्स में जो भी इम्यून सेल्स प्रेजेंट है वो लोग अकॉर्डिंग फिर एंटीबॉडीज बना सकते हैं इम्यून सेल्स बोले तो लिंफोसाइट्स तो मतलब यहां पर टॉन्सिल्स भी क्या कर रहे हैं एंटीजेंस को ट्रैप कर रहे हैं जर्म्स को ट्रैप कर रहे हैं एक तरीके से और उसके बाद लिंफोसाइट्स को उनसे इंटरेक्ट करने का मौका मिल रहा है राइट तो ये हो गया टॉन्सिल्स और इस तरीके से हमारे पूरे रेस्पिरेटरी सिस्टम को इफेक्ट होने से ये बचा सकता है फाइनली द लास्ट सेकेंडरी लिंफाइड ऑर्गन इज पियर्स पैचेज ऑफ स्मॉल इंटेस्टाइन नाम से ही पता चल रहा है कि ये कुछ पैच ऑफ टिशूज है जो स्मॉल इंटेस्टाइन में पाए जाते हैं टू बी मोर स्पेसिफिक स्मॉल इंटेस्टाइन के लियम रीजन में पाए जाते हैं ठीक है जैसे सबको पता ही है कि स्मॉल इंटेस्टाइन के कई सारे रीजंस है जेजूनम इलियम डन तो उसके लियम रीजन में ये पाया जाता है इसका काम क्या होता है स्मॉल इंटेस्टाइन के अंदर पैथोलैब उसको उस रीजन में मिलता है उस एंटीजन का कॉरस्पॉडिंग एंटीबॉडीज बनता है बाय द इम्यून सेल्स और इस तरीके से वहां पर इंफेक्शन जो है वो स्प्रेड होने से प्रिवेंट होता है है ठीक है तो इस तरीके से बच्चों हमने क्या देखा कि हमारे इम्यून सिस्टम में लिंफोसाइट्स तो होते ही होते हैं लेकिन लिंफोसाइट्स को काम करने के लिए इनेबल करते हैं ये सारे लिंफाइड ऑर्गन्स कहीं पे लिंफोसाइट्स बनता है तो कहीं पे ये मैच्योर होता है तो कहीं पे ये एक्चुअली एंटीजन के साथ इंटरेक्ट करता है राइट तो इस तरीके से ये सारे जो लिंफाइड ऑर्गन्स है लिंफाइड टिशूज हैं लिंफोसाइट्स हैं ये सारे लोग साथ में मिलकर के बनाते हैं द वंडरफुल ह्यूमन इम्यून सिस्टम तो प्यारे बच्चों हमारा अगला टॉपिक है एड्स एड्स जिसका फुल फॉर्म होता है एक्वायर्ड इम्यून डिफिशिएंसी सिंड्रोम पहले तो समझेंगे इस फुल फॉर्म के हर एक टर्म को एक्वायर्ड एक्वायर्ड क्यों क्योंकि यह जो बीमारी होती है यह कोई भी इंसान एक्वायर करता है ड्यूरिंग हिज और हर लाइफ टाइम ठीक है इम्यून डेफिशियेंसी हो जाती है यानी कि हमारे ब बॉडी के इम्यून सिस्टम को टारगेट किया जाता है और उससे हम बीमार होते हैं मतलब हमारे बॉडी का इम्यून सिस्टम क्या है हमारी बॉडी के लिए सिक्योरिटी गार्ड एगजैक्टली तो अब आप खुद सोचो कि अगर आपके घर के बाहर सिक्योरिटी गार्ड हो ही ना सिक्योरिटी गार्ड है ही नहीं तो क्या होगा एक अकेला चोर आके भी आपका पूरा घर खाली करके चला जाएगा है कि नहीं तो कुछ वैसी ही बात है कि अगर हमारे बॉडी के अंदर की इम्यून सिस्टम को ही टारगेट किया गया है इम्यून सिस्टम ही काम नहीं कर रहा है तो एक हल्का सा जुकाम भी किसी इंसान के लिए फेटल हो सकता है एक हल्का सा जुकाम भी किसी इंसान को मार सकता है राइट तो कुछ ऐसा ही होता है एड्स में एड्स का पहला केस रिपोर्ट हुआ था इन द ईयर ऑफ 1981 और आज तक रिसर्च इ स्टिल गोइंग ऑन टू फाइंड आउट कंप्लीट ट्रीटमेंट ऑफ एड्स ठीक है भाई मतलब बीमारी खतरनाक है बिल्कुल खतरनाक है क्योंकि इस बीमारी के अंदर हमारी इम्यून सिस्टम टारगेट हो रही है जो सबसे बड़ा रिस्की फैक्टर है राइट ओके तो इसे कौन सा माइक्रो ऑर्गेनिस्ट कॉज करता है यानी कि पैथोलैब इज एचआईवी बोले तो ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस यस एक वायरस की वजह से होता है एड्स ट्रांसमिशन ऑफ एड्स कैसे फैलता है एड्स एक पर्सन से दूसरे पर्सन में अ इनफेक्शियस डिजीज है यस बिल्कुल ये इनफेक्शियस डिजीज है लेकिन इसके ट्रांसमिट होने के तरीके थोड़े अलग है जैसे कि पहला तरीका होता है बाय सेक्सुअल कांटेक्ट यानी कि अगर दो इंसान के बीच में सेक्सुअल कांटेक्ट हो रहा है या फिर इंटरकोर्स हो रहा है तो उस दौरान इस बीमारी का ट्रांसमिशन बिल्कुल हो सकता है इनफैक्ट दैट इज द रीजन अ इट इज एडवाइज्ड कि बिफोर हैविंग इंटरकोर्स ईच ऑफ द पार्टनर शुड बी एचआईवी टेस्टेड बेसाइड्स दैट ऐसा भी कहा जाता है कि वन शुड अवॉइड हैविंग इंटरकोर्स विद मल्टीपल पार्टनर्स क्योंकि उससे उनके एड्स होने की के जो चांसेस हैं वो काफी बढ़ जाते हैं ठीक है तो पहला हो गया सेक्सुअल कांटेक्ट दूसरा कंटेम टेड ब्लड ट्रांसफ्यूजन ब्लड ट्रांसफ्यूजन जैसे बहुत बार ऐसा होता है राइट जैसे किसी का कुछ एक्सीडेंट हो गया कुछ बीमारी हो गई जब बॉडी में खून की जरूरत होती है राइट तो बहुत सारे डोनर्स होते हैं जो उन्हें खून देते हैं राइट तो इस तरह का जो ब्लड का ट्रांसफ्यूजन होता है मतलब किसी इंसान की बॉडी के अंदर ब्लड डाला जा रहा है तो अगर वो ब्लड जो बॉडी में डाला जा रहा है वो अगर किसी इफेक्टेड पर्सन से लिया गया हो राइट तो उस केस में भी एड्स हो सकता है इस बंदे को जिसके अंदर यह ब्लड ट्रांसफ्यूज किया जा रहा है इसी वजह से जब कभी भी हम किसी भी कभी भी जब ब्लड ट्रांसफ्यूजन होता है तो उस समय डबल चेक किया जाता है दैट पीपल आर नॉट एचआईवी पॉजिटिव नंबर थ्री इफेक्टेड मदर टू चाइल्ड ड्यूरिंग प्रेगनेंसी जब कोई वुमन प्रेग्नेंट होती है राइट तो वुमन के बॉडी के अंदर ही छोटा सा बेबी होता है राइट तो अब वुमन और बेबी के बीच का कनेक्शन कौन होता है प्लेसेंटा राइट प्लेसेंटा के थ्रू ही बेबी को न्यूट्रिएंट्स वगैरह मिलते हैं प्लेसेंटा के थ्रू ही बेबी के बॉडी से वेस्ट मैटेरियल्स मदर के बॉडी में आते हैं राइट तो बेसिकली प्लेसेंटा एक कनेक्शन होता है तो अगर जो मदर है वो अगर इफेक्टेड है तो उस केस में बेबी का भी इफेक्टेड होने का काफी ज्यादा चांस होता है क्योंकि यू नो पूरा कनेक्शन किसके थ्रू हो रहा है प्लेसेंटा के थ्रू फाइनली द लास्ट मोड ऑफ ट्रांसमिशन इज इफेक्टेड नी ल्स जैसे बहुत बार यू नो जिस नीडल को यूज किया जाता है किसी भी इंसान की बॉडी से जैसे होता है ना हम लोग ब्लड टेस्ट वगैरह कराने जाते हैं तो खून निकाला जाता है तो उसके लिए नीडल्स यूज किए जाते हैं राइट तो अगर इस तरह की जो नीडल्स है ये अगर इफेक्टेड हो अगर कोई इंसान ऑलरेडी इफेक्टेड है एड्स से उसकी बॉडी में जिस नीडल को डाला गया था उसी को किसी और की बॉडी में डाला जाए तो भी इंफेक्शन स्प्रेड हो सकता है इनफैक्ट इसी वजह से इट इज ऑलवेज एडवाइज्ड कि सभी हॉस्पिटल्स या फिर डिस्पेंसरीज या फिर क्लिनिक्स में डिस्पोजेबल नीडल्स यूज़ करना चाहिए ताकि उसको आपने एक पेशेंट के साथ यूज़ किया एंड देन यू थ्रो इट ऑफ राइट तो इसी वजह से डिस्पोजेबल नीडल्स का यूज होना इज वेरी वेरी वेरी इंपॉर्टेंट राइट तो अब आप लोगों ने देखा होगा बच्चों कि इवन दो एड्स एक इनफेक्शियस डिजीज है बट एड्स का जो ट्रांसमिशन है ना वो किसी इफेक्टेड इंसान को टच करने से या फिर उसके स्नीज करने से या फिर उसके कॉफ करने से ऐसे नहीं होता है ऐसे बिल्कुल भी स्प्रेड नहीं होता है स्प्रेड कैसे होता है इन्हीं कुछ तरीकों से जो हमने अभी-अभी डिस्कस किया बेसिकली आप अगर थोड़ा सा डीप में सोच के देखोगे तो देखो एड स्प्रेड तब होता है जब आपके ब्लड के अंदर यह वायरस को डाल दिया जाए चाहे वो ब्लड ट्रांसफ्यूजन के थ्रू हो चाहे वो यू नो इफेक्टेड नीडल्स के थ्रू हो चाहे यू नो इफेक्टेड मदर से चाइल्ड के चाइल्ड पे हो राइट तो इन ऑल ऑफ दीज आप देख रहे हो डायरेक्ट जो है ना ये वायरस को कहां भेजा जा रहा है ब्लड में राइट एंड लास्ट बट नॉट द लीस्ट सेक्सुअल कांटेक्ट ठीक है तो इन्हीं को कुछ तरीकों से यह बीमारी ट्रांसमिट होती है या फिर फैलती है अब बच्चों सवाल यह उठता है कि हाउ डज एचआईवी कॉज द इंफेक्शन ये जो एचआईवी है ह्यूमन इम्यून डेफिशियेंसी वायरस जो है ये वायरस इंफेक्शन को कॉज कैसे कर रहा है राइट तो सबसे पहले समझते हैं कि ये जो एचआईवी है ये पता है किस तरह का वायरस है इट इज अ रेट्रो वायरस रेट्रो वायरस क्या होता है सो रेट्रो वायरस जो है ये एक एनवेलप्ड वायरस होता है जैसे देखो सिंपल फॉर्म में इसका स्ट्रक्चर कुछ ऐसा होता है जिसमें बाहर एक प्रोटीन का कोट होता है और उसके अंदर आरएनए होता है बोलने का मतलब है कि इस वायरस का जो जिनोमिक मटेरियल है वो क्या है वो आरएनए है ठीक है ओके अब क्या होता है जब ये वायरस अपने होस्ट सेल के अंदर एंटर करता है होस्ट सेल कौन है हम हैं और कौन राइट हमारी बॉडी में ही तो एंटर करके वो इफेक्ट कर रहा है हमें तो जब वो अपने होस्ट सेल के अंदर जा रहा है तो ये जो आरएनए है ये क्या हो रहा है आरएनए से सिंथेसाइज हो रहा है डीएनए हम अब मैं आप लोगों से सवाल पूछूंगी क्योंकि जेनेटिक्स मैंने पूरा पढ़ाया है है ना तो जेनेटिक्स में जब आरएनए से डीएनए सिंथेसाइज होता है उस प्रोसेस को हम क्या कहते हैं चलो फटाफट से बताओ 2 मिनट का टाइम है आपके पास वैसे 2 मिनट भी ज्यादा हो गया याद आया नहीं आया थोड़ा बहुत याद आया याद आना ही चाहिए था यार हमने यह पढ़ा था कि डीएनए से जब आरएनए बनता है उसको हम कहते हैं ट्रांसक्रिप्शन एगजैक्टली तो आरएनए से जब डीएनए सिंथेसाइज होता है तो क्या हो रहा है उल्टा हो रहा है ना सो दैट इज रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन एगजैक्टली तो यहां पर बच्चों वही ऐसा ही कुछ होता है कि ये जो हमारा एचआईवी वायरस है ये जैसे ही होस्ट सेल के अंदर जाता है तो इसका जो जिनोमिक मटेरियल है व्हिच इज आरएनए उस आरएनए से डीएनए सिंथेसाइज होता है व्हिच इज रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन ठीक है अभी इस प्रोसेस को हम थोड़ा और डिटेल में समझेंगे कि एगजैक्टली स्टेप बाय स्टेप हो क्या रहा है तो चलो बच्चों देख लेते हैं ये पूरा प्रोसेस स्टेप बाय स्टेप ठीक है तो जैसे ही वायरस एक नॉर्मल सेल को इफेक्ट करता है यानी कि जैसे ही ये वायरस एक होस्ट सेल में एंटर करता है तो ये वायरस क्या करता है वायरस के अंदर जो वायरल आरएनए है यह रेप्ट करके बना देता है वायरल डीएनए जिस प्रोसेस को क्या कहते हैं अभी बताया था रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन तो ये प्रोसेस अगर करता है इन प्रेजेंस ऑफ एन एंजाइम दैट इज रिवर्स ट्रांसक्रिप्ट ज एगजैक्टली अब ये जो वायरल डीएनए बना ये वायरल डीएनए क्या करता है बड़े ही प्यार से होस्ट सेल के न्यूक्लियस के अंदर एंट्री मार लेता है होस्ट सेल के न्यूक्लियस में ये घुस जाता है ठीक है अब हो सेल जो है ना यह बेचारा हो जाता है कन्फ्यूज्ड इसे लगता है कि यह जो वायरल डीएनए है यही उसका खुद का डीएनए है और यही सोच के ये ट्रांसक्रिप्शन का प्रोसेस शुरू कर देता है क्योंकि किसी भी सेल के अंदर यही हो रहा होता है सेल के अंदर न्यूक्लियस है न्यूक्लियस के अंदर डीएनए है तो उसी डीएनए का ट्रांसक्रिप्शन होता है जिससे आरएनए बनता है अब यहां पे घपला ये हो गया है कि सेल के अंदर न्यूक्लियस तो है न्यूक्लियस के अंदर डीएनए तो है बट वो डीएनए क्या है वायरल डीएनए है तो अब वो वायरल डीएनए का ट्रांसक्रिप्शन हो जाता है जिससे क्या बन जाता है वायरल आरएनए बन जाता है वायरल आरएनए बन गया मतलब क्या बन गया बेसिकली वायरस बन गए राइट क्योंकि हमारा जो एचआईवी वायरस है इसमें क्या है ये तो वायरल आरएन ही तो है इसमें ठीक है तो इस तरीके से क्या हुआ नए वायरस बन गए नए वायरस बन गए तो इन्होंने और भी नॉर्मल सेल्स को इफेक्ट कर दिया राइट तो इसका मतलब है जैसे-जैसे इंफेक्शन स्प्रेड होता है वैसे-वैसे वायरस बढ़ते जाते हैं नंबर में और वैसे-वैसे हमारे बॉडी के टी सेल्स कम होते जाते हैं क्योंकि ये जो होस्ट सेल की हम बात बात कर रहे हैं अब हमारी बॉडी के अंदर तो बहुत सारे सेल्स हैं तो यहां पर जिस होस्ट सेल की हम बात करें दे आर जनरली द टी सेल्स और द मैक्रोफेजेस तो इसी वजह से मैंने बताया था कि इस बीमारी के अंदर जो वायरस होता है ना जो पैथोलैब करता है हमारे इम्यून सिस्टम को अटैक करता है टी सेल्स मैक्रोफेजेस ये हमारे इम्यून सिस्टम का पार्ट है तो ये इनको अटैक करते हैं और वहां पे जाकर के ये वायरस जो है ये मल्टीप्लाई करते रहते हैं तो इस तरीके से एचआईवी जो है वो इंफेक्शन को कॉज करता है अब बात करेंगे एड्स के सिम्टम्स और ट्रीटमेंट के बारे में अगर हम सिमटम्स की बात करें तो एड्स में डायरिया फीवर वेट लॉस यह काफी प्रॉमिनेंट सिम्टम्स होते हैं इसके अलावा जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि एड्स के अंदर चूंकि हमारा इम्यून सिस्टम ही अटैक किया जाता है इम्यून सिस्टम ही टारगेटेड होता है इस वजह से माइनर इंफेक्शन टर्न फेटल छोटी-छोटी इंफेक्शन से भी यू नो इंसान की डेथ हो जाती है राइट तो ऐसा हो जाता है बॉडी का सिचुएशन यहां पर एक इंटरेस्टिंग बात ये है कि एड्स के जो सिम्टम्स हैं कई बार ये इंफेक्शन जब हुआ है तब से सात से आठ साल के बाद दिखते हैं मतलब लेट अस से कि इंफेक्शन जब हुआ है उसके बाद सात आठ साल बीत गए उसके बाद ये सिमटम्स देखने को मिलते हैं ठीक है तो अब हम डायग्नोज कैसे करते हैं कि किसी इंसान को एड्स है तो उसके लिए एक स्पेसिफिक टेस्ट है जिसे हम कहते हैं एलिसा टेस्ट अब ये एलिसा का फुल फॉर्म होता है एंजाइम लिंक्ड इम्यूनो सॉर्बेट एसे ठीक है बहुत बार यू नो आपके एमसीक्यू वाले क्वेश्चन पेपर में इस तरह के क्वेश्चन पूछे जाते हैं कि एलिसा टेस्ट किस बीमारी को डायग्नोज करने के लिए यूज होता है या फिर एलिसा का फुल फॉर्म क्या होता है ठीक है ओके अब बात करते हैं ट्रीटमेंट की जैसा कि मैंने पहले भी जिक्र किया था कि एड्स का कंप्लीट क्योर नहीं है इसी वजह से यह बहुत-बहुत बहुत ज्यादा इंपॉर्टेंट है कि हम एड्स को प्रिवेंट करें एंड दैट इज व्हाई हम लोग स्पेसिफिकली डिस्कस करेंगे हाउ टू प्रिवेंट द ट्रांसमिशन ऑफ एड्स ठीक है हालांकि पार्शियली इसको हम थो थोड़ा बहुत ट्रीट कर सकते हैं थोड़ा बहुत कंट्रोल में रख सकते हैं बाय एंटी रेट्रोवायरल ड्रग्स ये जो एंटी रेट्रोवायरल ड्रग्स होते हैं यह सिर्फ इतना ही काम कर पाते हैं कि जो नंबर ऑफ रेट्रोवायरस हैं उनको थोड़ा सा रिड्यूस कर देते हैं क्योंकि जैसे मैंने बताया एड्स के दौरान जब इंफेक्शन स्प्रेड होता है बॉडी के अंदर तो नंबर ऑफ वायरस इंक्रीज होने लगते हैं राइट तो उस वायरस के नंबर को थोड़ा बहुत कम करने में मदद करते हैं ये एंटो एंटी रेट्रोवायरल ड्रग्स तो चलो बच्चों अब देखते हैं कि किस तरीके से हम एड्स के ट्रांसमिशन को प्रिवेंट कर सकते हैं तो बच्चों मोर और लेस हमने क्या देखा कि एड्स प्राइमर दो तरीके से ही स्प्रेड होता है पहला होता है सेक्सुअल कांटेक्ट और दूसरा होता है इफेक्टेड नीडल्स या फिर ब्लड ट्रांसफ्यूजन राइट तो अगर हम सेक्सुअल कांटेक्ट की बात करें तो वहां पर कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत ज्यादा जरूरी है जैसे पहला यूज ऑफ कंडोम्स दूसरा अवॉइड हैविंग इंटरकोर्स विद मल्टीपल सेक्स पार्टनर्स राइट क्योंकि उससे आपके रिस्क और बढ़ जाते हैं नंबर थ्री एं शर दैट योर पार्टनर इज एचआईवी टेस्टेड बिफोर इंटरकोर्स सो दैट यू आर वेरी श्यर दैट द पर्सन और द पार्टनर विद हुम यू आर गोइंग टू हैव इंटरकोर्स उन वो इफेक्टेड नहीं है एंड लास्ट बट नॉट द लीस्ट व्हिच इज नंबर फोर वश बिफोर एंड आफ्टर इंटरकोर्स तो यह कुछ प्रिकॉशंस लेना बहुत बहुत बहुत जरूरी है टू प्रिवेंट द ट्रांसमिशन ऑफ द वायरस विथ ड्यूरिंग सेक्सुअल कांटेक्ट ठीक है दूसरी तरफ जब हम नीडल्स और सिरेंस की बात करते हैं वहां पर एक ही चीज को ध्यान में रखना है दैट डिस्पोजेबल नीडल्स और सिरिंस शुड बी यूज्ड तो बच्चों अगला बीमारी जो हम डिस्कस करने वाले हैं दैट इज कैंसर जिसके नाम से ही हम स्ट्रेस में आ जाते हैं टेंशन में आ जाते हैं हम डर जाते हैं राइट तो कैंसर होता क्या है कैंसर इज एक्चुअली एनॉनएसिस में हमारे बॉडी के अंदर क्या होता है जो सेल्स होते हैं वो ग्रो करते हैं वो डिवाइड भी करते हैं सेल डिवीजन राइट जिससे नए सेल्स बनते हैं ये नए सेल्स फिर डिफरेंट ट करके टिशूज बनाते हैं एंड फाइनली दे डाई राइट तो ये नॉर्मल सिचुएशन है बट अब नॉर्मल सिचुएशन में क्या होता है कि सेल्स ग्रो करते हैं डिवाइड करते हैं ग्रो करते हैं डिवाइड करते हैं ग्रो करते हैं डिवाइड करते हैं राइट इसका मतलब है बहुत सारे एक्स्ट्रा सेल्स हमारे बॉडी के अंदर आ जाते हैं तो ये जो एक्स्ट्रा सेल्स हैं ये सारे सेल्स क्या बनाते हैं ये ग्रुप बना के ट्यूमर के तौर पर दिख जाते हैं हमारी बॉडी के अंदर हम अब इन ट्यूमर के होने की वजह से हमारी बॉडी की जो नॉर्मल फंक्शनिंग है वो इफेक्ट हो जाता है और वहीं से सारी प्रॉब्लम शुरू होती है राइट तो इसको आप ऐसे सोचो जैसे मान लो एक वाइड रोड है एक चौड़ी सी सड़क है जहां पर ट्रैफिक का फ्लो क्या रहता है बिल्कुल स्मूथ रहता है आराम से गाड़ियां उसमें से जाती है अब अगर उस रोड के बीच में आप छोटे-छोटे स्टोंस रख दो तो क्या होगा थोड़ी दिक्कत आने लगेगी अब इन्हीं स्टोंस को पहले आपने एक स्टोन रखा अब उसमें आपने 3 4 5 6 10 स्टोन रख दिए ऐसे करते-करते आपने ना नंबर ऑफ स्टोंस बढ़ा आते चले जा रहे हो रोड के ऊपर तो क्या होगा फाइनली एक ऐसी स्टेट आएगी जब रोड ऑलमोस्ट ब्लॉक हो जाएगी तो क्या स्मूथ ट्रैफिक ट्रैफिक का स्मूथ फ्लो तब भी होगा बिल्कुल नहीं होगा तो कुछ ऐसा ही हमारी बॉडी के अंदर होता है जब व ऐसे ही सेल्स इकट्ठा होते होते ट्यूमर बनाने लग जाते हैं हमारे बॉडी के अंदर तो बॉडी की भी जो नर्मल नॉर्मल फंक्शनिंग है वो कहीं ना कहीं इंपैक्ट हो जाती है राइट तो कैंसर में बेसिकली यही होता है कि बॉडी के अंदर के कुछ सेल्स अब नॉर्मली अनकंट्रोलेबल ग्रो और डिवाइड करने लगते हैं तो बच्चों अभी-अभी मैंने ट्यूमर की बात करी राइट तो अब आप सोच रहे होग इसका मतलब अगर बॉडी के अंदर अगर हमारी बॉडी में कोई भी ट्यूमर है तो क्या वो कैंसर है नॉट रियली ठीक है अब देखो ट्यूमर क्या होते हैं ट्यूमर बेसिकली वो होते हैं जैसे बॉडी के अंदर कभी-कभी कुछ डैमेज्ड सेल्स होते हैं क्योंकि सारे सेल्स तो ऐसे बिना बात के ग्रो नहीं करेंगे राइट क्योंकि नॉर्मल सिचुएशन में मैंने बताया क्या होता है ठीक है तो अब ये जो डैमेज्ड सेल्स होते हैं ये लोग क्या करते हैं ये लोग ग्रो एंड डिवाइड करके कुछ एक्स्ट्रा लंप ऑफ टिश्यू बना देते हैं जिसे हम ट्यूमर कहते हैं ठीक है मतलब ये जो एक्स्ट्रा वाले सेल्स हैं अच्छा अब ट्यूमर में दो तरीके के होते हैं एक होता है बेनाइलिन ट्यूमर जो बेनाइलिन ग्रोथ होता है राइट मतलब जैसे इट इज लाइक वही सड़क वाली एग्जांपल अगर मैं लूं तो सड़क के बीच में किसी ने एक पत्थर रख दिया एक पत्थर साइड में पड़ा है अब उधर से ही कोई गाड़ी जाएगी तो उसे दिक्कत आएगी बट लेकिन बाकी सड़क स्मूथ है राइट तो एज सच बहुत मेजर कोई दिक्कत नहीं आ रही है सिर्फ जिस जगह पे वो है उस जगह पे मे भी कुछ इरिटेशन हो रही है या कुछ थोड़ा बहुत दिक्कत आ रहा है ठीक है सो दैट इज बेना ट्यूमर जहां पर ग्रोथ लिमिटेड है बेनाइफर टू अदर पार्ट्स ऑफ द बॉडी वो एक ही जगह जैसे वो पत्थर को आपने जहां रखा है वो वहीं रहेगा वो बॉडी के दूसरे पार्ट को किसी भी तरीके से तंग नहीं करेगा सो दे आर बेनाइफर ट्यूमर वो होते हैं जो स्प्रेड करते हैं एक पार्ट ऑफ द बॉडी से दूसरे पार्ट में वो स्प्रेड करते हैं और वो भी काफी तेजी से और कैसे स्प्रेड करते हैं थ्रू द ब्लड या फिर थ्रू द लिंफ क्योंकि ये हमारे बॉडी के अंदर फ्लो करने वाले फ्लूइड है ब्लड तो पूरे बॉडी में हर तरफ जा रहा है लिंफ भी हमारी बॉडी के अलग-अलग पार्ट्स को कनेक्ट कर रहा है तो इनके थ्रू ये स्प्रेड होते हैं मतलब एक जगह से दूसरी जगह पूरे बॉडी में ये स्प्रेड हो सकते हैं और दूसरी खासियत इनकी ये होती है मैलिनेटर की कि दे कंटिन्यू टू ग्रो मतलब इनका जो ग्रोथ है वो लिमिटेड नहीं होता है ये अनलिमिटेड होता है मतलब सड़क के बीच में जो पत्थर आपने रखा वो एक ही पत्थर एक कोने में नहीं पड़ा रहेगा उसी एक से दो दो से चार चार से आठ आठ से 16 ऐसे यू नो द नंबर ऑफ पत्थर विल कीप ऑन इंक्रीजिंग तो इसकी वजह से क्या होगा ट्रैफिक को दिक्कत आने वाली है राइट आपका स्मूथ ट्रैफिक फ्लो नहीं हो पाएगा यानी कि आपकी बॉडी फंक्शनिंग इफेक्ट होने वाली है राइट तो ये जो मैलिनेटर होते हैं या फिर जिसे हम मैलिनेटर कहते हैं ठीक है तो ये बात बिल्कुल क्लियर हो गई कि बॉडी के अंदर सारे ट्यूमर कैंसर नहीं होते कुछ ट्यूमर बेनाइलिन ग्रोथ होता है वो हमारे बॉडी पार्ट्स को दूसरे बॉडी पार्ट्स को तंग नहीं करते हैं हालांकि डॉक्टर्स कभी-कभी ना सिंपल सर्जरी से उन ट्यूमर को भी हटा देते हैं लेकिन जो मैलिनेटर होते हैं वो स्प्रेड करते हैं इसीलिए वो हार्मफुल होते हैं इनफैक्ट ये जो प्रोसेस होता है जिसमें मैलिनेटर जो हैं ये ग्रो करते हैं स्प्रेड करते हैं और ये दूसरे बॉडी के दूसरे हेल्दी टिशूज को डैमेज करते हैं या डिस्ट्रॉय करते हैं इस पूरे प्रोसेस के लिए एक वर्ड यूज किया जाता है व्हिच इज मेटास्टेटिक के कैंसर होते हैं बेस्ड ऑन किस टाइप का सेल सबसे पहले इंपैक्ट हुआ था फॉर एग्जांपल लंग कैंसर अगर लंग के सेल्स सबसे पहले इंपैक्ट हुए थे ब्रेस्ट कैंसर अगर ब्रेस्ट के सेल्स सबसे पहले इंपैक्ट हुए थे उसी तरीके से माउथ कैंसर थ्रोट कैंसर लिवर कैंसर एंड सो ऑन इस तरीके से बहुत अलग-अलग टाइप के कैंसर्स एजिस्ट करते हैं एक बहुत ही ऑब् वियस और लॉजिकल सा सवाल जो हमारे दिमाग में आता है वो यह है कि ऐसा क्या मैजिक होता है ऐसा क्या चेंज होता है जिसकी वजह से नॉर्मल सेल्स कैंसरस बन जाते हैं ऐसा क्यों होता है कि बॉडी के अंदर के कुछ ऐसे सेल्स होते हैं जो सडन अनकंट्रोलेबल एनोर्म ग्रो करने लग जाते हैं इनफैक्ट कई सालों तक कैंसर का जो एक्चुअल रूट कॉज है एक्चुअल जो कॉज है वो पता ना चल पाने के कारण कैंसर का एक कंप्लीट क्यर भी नहीं आ पाया था राइट इनफैक्ट पहले के दिनों में जब किसी को भी कैंसर होता था तो लोग बहुत ज्यादा डर जाते हैं हालांकि वो डर आज भी प्रवंजन में और बुरा था बिकॉज़ पीपल वेर वेरी श्यर कि अगर किसी को कैंसर हुआ तो उसका कोई इलाज नहीं है हालांकि विद एडवांस्ड रिसर्च आज के टाइम पर कैंसर को भी ट्रीट करने के कई सारे तरीके आ गए हैं राइट इनफैक्ट जिसके बारे में हम लोग अभी थोड़ी देर में थोड़ा और डिटेल में डिस्कस करेंगे बट आज की डेट में अगर किसी को कैंसर होता है व्हिच इज नॉट एट अ वेरी एडवांस्ड स्टेज तो उसे कंट्रोल किया जा सकता है उसे काफी हद तक क्यर भी किया जा सकता है तो अभी-अभी हम एक ऐसे एजेंट या मैजिशियन की बात कर रहे थे जो नॉर्मल सेल्स को कैंसरस सेल्स बना देता है क्या ऐसे एजेंट्स एजिस्ट करते हैं बिल्कुल करते हैं और इन्हें हम कहते हैं कार्सिनोजेंस सो बेसिकली कार्सिनोजेंस जो है ये फिजिकल केमिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंट्स हैं जो हंसते खेलते बिल्कुल मजेदार नॉर्मल सेल्स को बना देते हैं कैंसर कॉजिंग सेल्स यानी कि इनको कैंसरस बना देते हैं तो कौन होते हैं ये एजेंट्स जैसे कि एक्स रेज गामा रेज अल्ट्रावायलेट रेडिएशन तो इस तरह की जो रेडिएशंस है ये नॉर्मल सेल्स को कैंसरस बना सकती है इसका मतलब आपको इन रेडिएशंस में ज्यादा देर के लिए बिल्कुल भी नहीं रहना है ये बहुत ज्यादा हार्मफुल है इसके अलावा टोबैको ऑंको जनिक वायरस ऑंको जनिक वायरस जो है ये कैंसर कॉजिंग वायरस हैं ऐसे वायरस जिसके अंदर कैंसर कॉजिंग कैपेबिलिटीज होती हैं जैसे कि एग्जांपल्स कुछ ऐसे वायरस के जैसे कि एचपीवी ह्यूमन पपि लोवा वायरस जैसे कि हेपेटाइटिस बी वायरस यह सारे वायरस जो है यह कैंसर कॉजिंग वायरस हैं जिन्हें हम ऑंको जनिक वायरस कहते हैं अच्छा अब बहुत बार लोग यह सवाल पूछते हैं कि क्या कैंसर जेनेटिक है बिकॉज बहुत बार लोग ऐसा नोटिस करते हैं कि उनकी फैमिली हिस्ट्री में अगर एक जनरेशन में कैंसर हुआ है अगले जनरेशन में भी किसी ना किसी को कैंसर होता है इस तरह के ऑब्जर्वेशंस कई बार रहते हैं तो इज कैंसर जेनेटिक द आंसर इज पार्शियली यस क्योंकि अगर आप एक कैंस कैंसर रिलेटेड जीन इन्हेरिटेंस से इसका यह मतलब नहीं है कि आपको कैंसर होगा ही होगा बट इसका यह मतलब जरूर है कि कैंसर होने का जो रिस्क है वो हमारे लिए बढ़ जाता है राइट तो इसका मतलब जेनेटिकली यस टू सम एक्सटेंट वो रिस्क ज्यादा रहता है बट ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर एक जनरेशन को कैंसर हुआ है तो अगले जनरेशन को पक्का होगा ही होगा सो देर इज नो सच सर्टेंटी बट यस द रिस्क इज स्लाइटली मोर अब कैंसर के डायग्नोसिस की अगर हम बात करें तो इट इज वेरी वेरी इंपॉर्टेंट टू नो कि कैंसर बहुत टाइप के होते हैं राइट तो डिपेंडिंग अपऑन किस टाइप का कैंसर है अगर उसे अर्ली स्टेज में डिटेक्ट कर लिया जाए तो कई बार उसे हम कंप्लीट क्योर कर सकते हैं जैसे फॉर एग्जांपल ब्रेस्ट कैंसर अगर एक बहुत ही अर्ली स्टेज में डिटेक्ट हो जाए तो उसे कंप्लीट क्योर किया जा सकता है राइट तो कोई भी कैंसर कितना क्यूरेबल है वो डिपेंड करता है वो किस टाइप का कैंसर है ठीक है अब कैंसर के जितने भी डायग्नोसिस के तरीके हैं उन सभी तरीकों का एक प्रिंसिपल है और वह यह है कि वह यह ढूंढते रहते हैं कि सेल काउंट्स इंक्रीजड है क्या क्योंकि कैंसर में वही तो होता है द नंबर ऑफ़ सेल्स कीप ऑन इंक्रीजिंग तो इन यह सारे टेस्ट्स में हम यही देखते रहते हैं वी कीप लुकिंग फॉर द इंक्रीजड सेल काउंट्स उससे हमें आईडिया लगता है कि कैंसर है अगर है तो किस स्टेज में है इनिशियल स्टेज में है फाइनल स्टेज में है कौन से स्टेज में है राइट तो कुछ टूल्स जो हम यूज़ करते हैं फॉर डायग्नोसिस पहला तरीका होता है टेक्निक्स बेसिकली पहला होता है बायोप्सी दूसरा होता है स्कैंस जैसे कि एमआरआई स्कैन सिटी स्कैन सिटी इज कंप्यूटराइज्ड टोमोग्राफी ठीक है तो ये एमआरआई सीटी स्कैंस वगैरह एक तरीका है दूसरा तरीका है बायोप्सी बायोप्सी में होता क्या है जो भी हमारा सस्पेक्टेड टिशू होता है फॉर एग्जांपल अगर अ अगर किसी पेशेंट ने ऐसा कहा डॉक्टर को जाके कि उसने अपने ब्रेस्ट के आसपास एक लंप उसे फील हो रहा है जस्ट बाय टच तो इसका मतलब है जो हमारा सस्पेक्टेड एरिया है वो क्या है ब्रेस्ट है तो उस सस्पेक्टेड रीजन से एक टिश्यू का एक छोटा सा पोर्शन लिया जाता है एक्सट्रैक्ट किया जाता है निकाला जाता है और फिर उसे माइक्रोस्कोप के अंडर डिटेल स्टडी किया जाता है जिसे हम कहते हैं हिस्टोपैथोलॉजिकल स्टडी इनफैक्ट ये स्टडी करता है पैथोलॉजिस्ट ठीक है तो इस पूरे डिटेल स्टडी की जो रिपोर्ट आती है उससे हमें ये आईडिया लगता है कि कैंसर है अगर है तो किस स्टेज में है ठीक है सो दैट्ची ओके जो दूसरा तरीका है व्हिच इज एमआरआई सिटी स्कैन अ तो इस तरह के जो स्कैंस हैं इनका यूज़ हम तब करते हैं जब हमें किसी इंटरनल ऑर्गन के कैंसर को डायग्नोज करना हो जैसे मान लो ये जो बायोप्सी है ये तभी पॉसिबल है अगर ये किसी ऐसे ऑर्गन में है जहां से हम वो टिश्यू को निकाल सकते हैं बट अगर बॉडी के कोई इंटरनल ऑर्गन में है तो वो टिश्यू को निकालना इज नॉट पॉसिबल इन अ वे राइट तो उस केस में इस तरह के जो स्कैंस हैं दे हेल्प अस फॉर एग्जांपल सिटी स्कैन में हम क्या करते हैं हम हमारे बॉडी के इंटर्नल्स के एक थ्री डायमेंशन इमेज निकालते हैं यूजिंग एक्सरेज राइट तो उससे हमें पता चलता है कि भाई अंदर चल क्या रहा है सिमिलरली जब हम एमआरआई की बात करते हैं तो वहां पर हम स्ट्रांग मैग्नेटिक फील्ड्स का यूज करते हैं और उससे हम देखते हैं कि हमारे बॉडी के इंटरनल पार्ट में जो भी पैथोलॉजिकल या फिर फिजियोलॉजिकल चेंजेज उनमें है उनको हम डिटेल में स्टडी करते हैं मतलब ये सारे स्कैंस हैं जिसमें हमें अपनी बॉडी के अंदर के इंटरनल पार्ट्स की एक बहुत ही डिटेल्स कह लो वो मिलती है जिससे हम एनालाइज कर सकते हैं कि वहां पे चल क्या रहा है राइट तो इस तरीके से यह कुछ टेक्निक्स हैं जिससे हम कैंसर को डायग्नोज कर सकते हैं कैंसर के ट्रीटमेंट की जब हम बात करते हैं तो मेजर्ली तीन अप्रोचेबल रेडियोथेरेपी तो सबसे पहले सर्जरी में क्या करते हैं कि जो भी कैंसरस सेल्स हैं जो भी वो स्पेसिफिक सेल्स हैं या टिशूज हैं उनको सर्जिकली बॉडी से रिमूव कर दिया जाता है ठीक है सो दैट्ची थेरेपी कीमो मतलब केमिकल्स थेरेपी मतलब मेडिकेशन मतलब बॉडी के अंदर कुछ ऐसे ड्रग्स या फिर केमिकल्स डाले जाते हैं कुछ ऐसी दवाइयां बॉडी के अंदर डाली जाती हैं जो उन स्पेसिफिक कैंसरस सेल्स को खत्म कर दे ठीक है तो अब होता क्या है कि बहुत बार डिपेंडिंग अपॉन कि किसको किस स्टेज का कैंसर है और किस टाइप का कैंसर है सर्जरी पहले की जाती है सर्जरी तभी की जाती है अगर उन सेल्स को सर्जिकली रिमूव करना पॉसिबल हो ठीक है तो पहले सर्जरी की जाती है सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी किया जाता है क्यों ताकि हम कोई चांस ना ले क्योंकि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो स्प्रेड होती है राइट तो इवन दो सर्जिकली हमने उन सेल्स को रिमूव कर दिया है बट टू बी एक्स्ट्रा श्यर कि बॉडी के अंदर कोई भी कैंसरस सेल्स रह ना गया हो इस वजह से कीमोथेरेपी किया जाता है ठीक है तो कीमोथेरेपी में जो भी बचे खुची और यू नो कैंसरस सेल्स होंगे वो खत्म हो जाते हैं तीसरा होता है रेडियोथेरेपी जिसके अंदर कैंसरस सेल्स को हम रेडिएशन से मारते हैं रे डिशन से हम उन सेल्स को खत्म कर देते हैं ठीक है तो ये जो है ये तीन तरीके होते हैं अब डिपेंडिंग अपॉन कि किसको किस तरह का कैंसर है और वो किस स्टेज में है कभी-कभी तीनों दिया जाता है सर्जरी भी किया जाता है फिर कीमोथेरेपी फिर रेडियोथेरेपी कभी-कभी कैंसर इस तरह के बॉडी पार्ट में होता है कि सर्जरी पॉसिबल नहीं होता है तो उस केस में कीमोथेरेपी किया जाता है बट काफी हेवी डोज ऑफ कीमोथेरेपी किया जाता है तो कीमोथेरेपी के जो सेशंस होते हैं वो काफी ज्यादा होते हैं काफी इंटेंसिव कीमो थेरेपी होता है और उसके बाद रेडियो थेरेपी किया जाता है राइट तो बेस्ड ऑन कि यू नो क्या स्टेज है पर्सन का क्या ऐज है किस टाइप का कैंसर है डॉक्टर डिसाइड करते हैं कि वो किस तरह का ट्रीटमेंट उनको देंगे कीमोथेरेपी का जो ट्रीटमेंट होता है यह काफी यू नो इंटेंसिव होता है जिस दौरान बॉडी काफी वीक हो जाती है काफी ज्यादा केयर की जरूरत पड़ती है इनफैक्ट कीमोथेरेपी के काफी साइड इफेक्ट्स होते हैं अब तो तब भी विद एडवांसमेंट इन साइंस काफी साइड इफेक्ट्स यू नो थोड़े कम भी हो गए हैं बट पहले के दिनों में आपने शायद देखा हो या सुना हो कहीं कि कीमोथेरेपी के दौरान यू नो पेशेंट के पूरे बाल चले जाते थे सो सारे बाल झड़ जाते थे राइट बट अब जैसे ये चीज आपको देखने को नहीं मिलती है तो यू नो विद एडवांसेज क्या हो रहा है कि चीजें इंप्रूव होती जा रही है बेटर कोर्स ऑफ ट्रीटमेंट निकल के आ रहे हैं बट वी ऑल फील वेरी हैप्पी कि एटलीस्ट कैंसर जैसी बीमारी का अब हमारे पास एक प्रॉपर कोर्स ऑफ ट्रीटमेंट है प्रोवाइडेड इट इज डायग्नोज्ड अर्ली तो इसी वजह से आप देखोगे कि बहुत जगह इस तरह के बूट कैंप्स लगते हैं जहां पर यू नो कुछ बेसिक टेस्ट्स जो कराने चाहिए ड्यूरिंग आवर रेगुलर बॉडी चेकअप वो किए जाते हैं ताकि लोग एक पर्टिकुलर एज के बाद अपना रेगुलर बॉडी चेकअप कराए और इस तरह की बीमारियां अगर किसी की बॉडी में एजिस्ट करती हो तो वो अर्ली डायग्नोज हो सके तो प्यारे बच्चों अब हम आ चुके हैं हमारे इस चैप्टर के आखिरी टॉपिक पर व्हिच इज ड्रग एंड अल्कोहल एब्यूज ड्रग और अल्कोहल ये दो ऐसी चीजें हैं जिसके फ्रीक्वेंसी से या फिर रेगुलर कंसंट से हमारे बॉडी पर एडवर्स इफेक्ट हो सकता है हमारी बॉडी में काफी सारे डिजीज भी हो सकते हैं तो ड्रग होता क्या है ड्रग एक ऐसा सब्सटेंस है जिसे जब किसी बॉडी में इंट्रोड्यूस किया जाता है तो उस बॉडी में एक फिजियोलॉजिकल इफेक्ट देखने को मिलता है नाउ व्हाट इज फिजियोलॉजिकल फिजियोलॉजिकल मतलब कोई भी ऐसी चीज व्हिच इज रिलेटेड टू द फंक्शनिंग ऑफ द बॉडी राइट मतलब हमारी बॉडी नॉर्मली जैसे फंक्शन करती है ड्रग लेने के बाद वो वैसे फंक्शन नहीं करती है या या फिर आप कह सकते हो जिस तरीके से हम नॉर्मली चीजों को पर्सीव करते हैं नॉर्मली हम चीजों को जैसे देखते हैं चीजों को जैसे सुनते हैं जैसे समझते हैं जैसे सोचते हैं वो सब कुछ बदल जाता है राइट तो अभी थोड़ी ही देर में हम थोड़ा और डिटेल में देखेंगे कि कौन-कौन से टाइप के ड्रग्स होते हैं उनको लेने के क्या-क्या एडवर्स इफेक्ट्स होते हैं को क्या किस तरीके से वो हमारे लिए हार्मफुल होते हैं और किस वजह से हमें उनसे दूर रहना चाहिए देखते हैं कुछ कॉमनली यूज ड्रग्स जो हमें मिलते हैं मोस्टली फ्रॉम फ्लावरिंग प्लांट्स फ्लावरिंग प्लांट्स यस फ्लावरिंग प्लांटस से मिलते हैं ये ड्रग्स जैसे कि ओपियो इड्स कैनाबिनोइड्स एंड कोकेन सबसे पहले बात करेंगे ओपियो इड्स की व्हिच आर ग्रेट पेन रिलीवर्स यानी कि इनको लेने के बाद हमें पेन का एहसास ही नहीं होता है तो कुछ एग्जांपल्स ऑफ ओपियो इड्स जैसे कि मॉर्फिन ऑक्सी कोडो हाइड्रोकोडोने अब ये जो हैं ये इन्हें मेडिकल पर्पसस के लिए भी यूज़ किया जाता है बिकॉज़ जैसे आपने देखा होगा जब किसी की सर्जरी होती है राइट सर्जरी में यू नो बॉडी की पूरा चीरा फारी हो जाती है तो इमेजिन कितना दर्द होता होगा उस इंसान को ताकि उस इंसान को उस दर्द का फील ही ना हो तो सर्जरी से पहले उस इंसान को बेहोश कर दिया जाता है राइट सो हाउ डू वी मेक दैट पर्सन बेहोश एनेस्थीसिया से तो एनेस्थ सिया के दौरान क्या होता है बॉडी में एक ड्रग दिया जाता है राइट सो दैट इज नथिंग बट मॉर्फिन तो मॉर्फिन जो है सर्जरी से पहले दिया जाता है ताकि उस बंदे को पेन का पता ही ना चले ठीक है सिमिलरली हाइड्रोकोडोने जो है इसको भी अ डेंटल प्रोसीजर्स के लिए जैसे जब डेंटिस्ट को कोई दांत निकालना हो राइट तो उसमें भी काफी दर्द होगा ताकि वो दर्द ना हो तो वहां पर वो पेन रिलीवर्स डाल देते हैं या फिर दांत निकालने के बाद भी थोड़ी देर तक उस दर्द को ना फील करने के लिए भी इन पेन रिलीवर्स को दिया जाता है अब सवाल ये उठता है कि ये जो ओपियो इड्स हैं ये पेन रिलीवर्स की तरह काम करते कैसे हैं तो बेसिकली ये जो ओपियो इड्स जब हमारे बॉडी के अंदर जाते हैं तो ये प्रोटींस के साथ बाइंडर जाते हैं ठीक है और हमारे ब्रेन स्पाइनल कॉर्ड और बॉडी के अदर पार्ट्स में प्रेजेंट होते हैं ओपियो इड रिसेप्टर्स तो जैसे ही ये ओपियो इड्स बॉडी के अंदर आके प्रोटीन से अटैच होते हैं तो हमारे ये ओपियो इड रिसेप्टर्स जो है ये एक्टिवेट हो जाते हैं इनके एक्टिवेट हो जाने से हमें दर्द का फील नहीं होता है मतलब हो तो ही रहा है दर्द हो रहा है बट वी आर नॉट एबल टू फील दैट पेन क्यों कोई भी चीज हमको फील क्यों होती है जैसे मान लो कि अगर किसी ने मुझे चुट्टी काटी मुझे मुझे वो फील क्यों हो रहा है हु इज टेलिंग मी कि ऐसा हो रहा है मेरा नर्वस सिस्टम अब नर्वस सिस्टम में ब्रेन स्पाइनल कॉर्ड ये है अब ब्रेन स्पाइनल कॉर्ड को ही एक तरीके से वहां पर जाके ना उनको ब्लॉक कर दिया तो वो लोग फील नहीं कर पा रहे कि पेन हो रहा है राइट समझ रहे हो लॉजिक को तो कुछ ऐसा ही होता है यहां पर और साथ ही साथ बॉडी में एक प्लेजर की फीलिंग आती है सो बॉडी जो है ना इट एंजॉय दैट ओवरऑल एक्सपीरियंस जिसकी वजह से द पर्सन फील लाइक टेकिंग इट अगेन हालांकि आई एम नॉट टॉकिंग अबाउट द मेडिकल प्रोसीजर जिसमें किसी को ये पेन किलर्स दिए जाते हैं जस्ट नॉट टू फील दैट पेन बट जब लोग इसे यूं ही लेते हैं नॉट मेडिकली प्रिसक्राइब्ड तो वो जो एक्सपीरियंस है ना जिसमें देयर इज मेंटल कंफ्यूजन जिसमें यू फील स्लीपीइंग आती रहती है एंड यू नो यू आर नॉट एबल टू अंडरस्टैंड व्हाट्स हैपनिंग अराउंड तो यू फील लॉस्ट तो इस टाइप की जो फीलिंग होती है सम टाइम्स पीपल एंजॉय दोज काइंड ऑफ फीलिंग्लेस डिप्रेस्ड है लाइफ में बहुत ज्यादा उसे ऐसा लग रहा है कि पता नहीं मेरे साथ क्या ही हो गया है तो उसे लग रहा है चल यार ये लेते हैं और उसके बाद ना आई आई विल नॉट बी एबल टू फील दैट पेन दैट आई एम अदर वाइज गोइंग थ्रू राइट तो इस चक्कर में कई बार लोग इन्हें फ्रीक्वेंसी ही देर में हम डिस्कस करने वाले हैं कि कैसे ये धीरे-धीरे आपकी बॉडी में एक एडवर्स इंपैक्ट लेके आता है ऐसे ही एक ओपियो इड की बात करते हैं व्हिच इज हिरोइन व्हिच इज क्वाइट कॉमनली यूज्ड ओपियो इड तो हेरोइन जो होता है यह केमिकल होता है डाई एसिटा मॉर्फिन यह वाइट कलर का एक क्रिस्टलाइन कंपाउंड होता है जो कि बिटर इन टेस्ट होता है हेरोइन को एक्सट्रैक्ट किया जाता है फ्रॉम द लेटक्स ऑफ पॉपी प्लांट इनफैक्ट अगर आपको पता हो तो पॉपी प्लांट के जो सीड्स होते हैं पॉपी सीड्स इसे ये एडिबल होते हैं इनफैक्ट इसके इसे हम स्वीट्स में यूज करते हैं स्वीट्स के ऊपर कोटिंग डालने के लिए इसके अलावा इसकी बहुत सारी डिशेस भी बनते हैं स्पेशली इन द स्टेट्स ऑफ वेस्ट बंगाल राइट बट इसी प्लांट में जो एक मिल्की फ्लूइड निकलता है जिसे हम लेटक्स कहते हैं उस लैटिस से एक्सट्रैक्ट होता है हेरोइन हेरोइन एक डिप्रेसेंट की तरह काम करता है और ये हमारे बॉडी फंक्शंस को स्लो डाउन कर देता है तो बेसिकली हेरोइन को कंज्यूम करने पे अ इंसान को ऐसी फीलिंग आती है ना जैसे बॉडी के अंदर सब कुछ बड़ा धीरे-धीरे हो रहा है एकदम यू नो यू यू फील एज इफ यू आर इन द एयर हालांकि मैंने कभी कंज्यूम नहीं किया है तो मैं वो एक्सपीरियंस शेयर नहीं कर सकती बट दैट इज व्हाट वी हैव हर्ड ऑफ हेरोइन और इसी वजह से जब आप इसको कंज्यूम करते हो यू फील दैट अ यू हैव काइंड ऑफ फॉरगॉटेन ऑल योर सोरोज एंड यू नो यू फील गुड तो इसकी वजह से यू आप इसको फ्रीक्वेंसी हो जाता है सो बच्चों देखो द रीजन वी आर टॉकिंग अबाउट ऑल ऑफ दीज इज टू लेट यू नो कि चाहे ड्रग्स हैं चाहे अल्कोहल है दीज आर समथिंग व्हिच विल नॉट हैव ग्रेट लॉन्ग टर्म इंपैक्ट्स ऑन योर बॉडी इसी वजह से इन चीजों से आप जितना दूर रहोगे उतना ही अच्छा है भले ही शॉर्ट टर्म के लिए आपको ऐसा लग सकता है कि इट विल बी फन इट विल बी नाइस बट लॉन्ग टर्म में शायद ये आपको भारी नुकसान कर जाए अगला नंबर है कैनाबिनोइड्स का तो कैनाबिनोइड्स कुछ ऐसे केमिकल्स होते हैं जिन्हें हम पाते हैं फ्रॉम द कैनाबिस प्लांट कैनाबिस प्लांट के चाहे फ्लावर हो चाहे लीफ हो चाहे रेजिन हो इन सभी से हमें ये केमिकल मिलता है अच्छा कैनाबिनोइड्स के जो रिसेप्टर्स हैं वो प्राइमर हमारे ब्रेन में प्रेजेंट होते हैं तो इसीलिए जैसे ही कैनाबिनोइड्स घुसता है तो ये जा के अपने रिसेप्टर के साथ जुड़ जाता है और इसीलिए ये हमारे ब्रेन को इंपैक्ट करता है अब ब्रेन में क्या होता है ब्रेन में मेमोरी होती है थिंकिंग कैपेबिलिटीज होती हैं कंट्रोल एंड कोआर्डिनेशन होता है ये सब कुछ ब्रेन हैंडल करता है और वहीं पे जाके ये अटैक कर देता है तो इस वजह से इससे क्या होता है जब आप इनको लेते हो तो आप नोटिस करोगे अगर किसी ने कैनाबिनोइड्स कंज्यूम कर रखा है ज्यादा क्वांटिटी में तो यू नो उसकी जो मूवमेंट्स हैं वो भी प्रॉपर्ली नहीं हो रही होंगी वो इंसान कभी-कभी प्रॉपर्ली देख भी नहीं पा रहा है प्रॉपर्ली सोच नहीं पा रहा है प्रॉपर्ली डिफरेंशिएबल होते हैं इनका हमारे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर भी एक नेगेटिव इंपैक्ट होता है यानी कि हमारे हार्ट के लिए भी यह बहुत अच्छा नहीं है कैनाबिनोइड्स के कुछ एग्जांपल्स जैसे कि चरस गांजा हशीश ये सारे अ कैनाबिनोइड्स हैं द नेक्स्ट इन लाइन इज कोकेन कोकेन एक ऐसा अल्कलॉइड है है जिसे हम पाते हैं फ्रॉम द लीव्स ऑफ कोको प्लांट कोको प्लांट सुना है कोको प्लांट से हमें और क्या मिलता है चॉकलेट एगजैक्टली कोको प्लांट से चॉकलेट नहीं मिलता है सो कोको प्लांट में जो सीड्स होते हैं द कोको सीड्स ये कोको सीड्स चॉकलेट का एक बहुत इंपॉर्टेंट इंग्रेडिएंट्स के जो लीव्स होते हैं लीव्स में से हमें मिलता है कोकेन तो कोकेन जो है ये एक बहुत ही स्ट्रांग सीएनएस स्टिम्युलेंट है सीएनएस बोले तो सेंट्रल नर्वस सिस्टम मतलब यह हमारे सेंट्रल नर्वस सिस्टम को बहुत स्ट्रांग एक्टिवेट कर देता है और जब ऐसा होता है तो क्या होता है हमारे बॉडी में डोपामिन का लेवल बहुत बढ़ जाता है हम एक्स्ट्रा एनर्जेटिक फील करते हैं ऐसा लगता है हमारे में बहुत ज्यादा मतलब सुपर पावर आ गया है बहुत ज्यादा एनर्जी आ गई है हमारे बॉडी में और इसी चक्कर में बहुत सारे एथलीट्स जो यू नो अ जैसे जो दौड़ते हैं या फिर वेट लिफ्टिंग करते हैं या फिर कुछ भी ऐसा करते हैं जिसमें उनको एनर्जी की जरूरत है सो ऐसे एथलीट्स भी इसको कंज्यूम करते हैं बट अगेन लेट मी टेल यू इसका लॉन्ग टर्म इफेक्ट जो है दैट इज नेगेटिव ये एडवर्सली इफेक्ट करता है उनकी बॉडी को ठीक है तो कोकेन को लोग कंज्यूम करते हैं जनरली इन पाउडर्ड फॉर्म बहुत बार लोग इसे इंजेक्ट कर लेते हैं नीडल्स के थ्रू बॉडी में इंजेक्ट कर लेते हैं ठीक है अब इस चक्कर में देखो क्या होता है बहुत बार ये नीडल्स जो है ये एड्स से इफेक्टेड होते हैं और इस चक्कर में एड्स का ट्रांसमिशन हो जाता है राइट तो अब ज जब भी हम कोकेन अपनी बॉडी के अंदर लेते हैं तो जैसा कि मैंने बताया क्या-क्या हो सकता है बॉडी में एक्स्ट्रा एनर्जी की फील फीलिंग आती है बिल्कुल इंसान में इतनी एनर्जी हो जाती है दैट ही स्टार्टस टॉकिंग टू मच ही बिकम एक्स्ट्रा टॉकेट इसके अलावा लुसने जो चीजें नहीं हो रही है बट स्टिल यू इमेजिन देम टू बी हैपनिंग आपको ऐसा लग रहा है कि ये बंदा आया मेरे साथ बात किया ये हुआ वो हुआ बट एक्चुअली में कोई आया ही नहीं सो इस तरह के लसिन शंस हो सकते हैं एंड लास्ट बट नॉट द लीस्ट बहुत बार इससे आप बहुत एक्स्ट्रा हैप्पी फील करते हो अब उस समय के लिए तो वो अच्छा लगता है बट दैट फीलिंग ऑफ यूफोरिया जिसे हम कहते हैं लाइक यू नो एक्सट्रीम फीलिंग ऑफ हैप्पीनेस उस चक्कर में क्या होता है वो होता है ना ये दिल मांगे मोर वाली फीलिंग आती है यू फील लाइक टेकिंग इट मोर और इस तरीके से ये जो सारे ही ड्रग्स हैं वेदर आई टॉक अबाउट हेरोइन और आई टॉक अबाउट कोकेन और आई टॉक अबाउट द कैनाबिनोइड्स लाइक चरस गांजा ये सारी चीजें ऐसी होती है कि ये आपके बॉडी के अंदर जाके आपके नर्वस सिस्टम को ऐसे मैनिपुलेट करती है दैट यू गेट दैट फीलिंग ऑफ हैप्पीनेस एंड प्लेजर जिसकी वजह से से यू फील लाइक रिपीटिंग इट और उस चक्कर में हो जाता है आपको एडिक्शन और जहां आपको एडिक्शन हो गया तो क्या होता है बाद में जाके आपकी बॉडी को सफर करना पड़ता है नेक्स्ट इज टोबैको जो हम पाते हैं फ्रॉम द लीव्स ऑफ टोबैको प्लांट टोबैको में पाया जाता है एक अल्कलॉइड जिसे हम कहते हैं निकोटीन जो हमारी बॉडी के लिए बहुत बहुत बहुत ज्यादा हार्मफुल होता है अब टोबैको को लोग कंज्यूम कैसे करते हैं बहुत से तरीके होते हैं जैसे कुछ लोग इसे स्मोक के फॉर्म में लेते हैं एज इन सिगरेट्स और बीडी बहुत से लोग इसे च्यू करते हैं या फिर स्नफ करते हैं एज एन खैनी राइट बट इनका हमारे बॉडी पे बहुत ही बुरा असर होता है इनफैक्ट जब कोई सिगरेट स्मोक करता है इट डायरेक्टली इंपैक्ट्स योर लंग्स इट डायरेक्टली स्पॉइल्स द ओवरऑल रेस्पिरेटरी सिस्टम इनफैक्ट आपने खुद भी देखा होगा कि सिगरेट के हर पैकेट के ऊपर साफ-साफ फोटो बनी हुई होती है अ लिखा हुआ होता है दैट स्मोकिंग इज इंजुरिया अस टू हेल्थ बट अनफॉर्चूनेटली लोग फिर भी उसे खरीदते हैं और स्मोक करते हैं बिकॉज़ एंड ऑफ द डे इट इज एन एडिक्शन तो इसीलिए कुछ ऐसी चीजें होती है जिसको अगर आप एक बार ट्राई करोगे काफी चांसेस हैं कि आपको उसकी आदत लग जाएगी एक बार एडिक्शन हो जाएगा तो छोड़ना बहुत मुश्किल होता है इसीलिए कुछ ऐसी चीजें भी होती हैं जिनको कभी ट्राई ही नहीं करना चाहिए स्मोकिंग या फिर चूइंग टोबैको के एडवर्स इफेक्ट्स को अगर हम डिस्कस करने लगे तो शायद घंटों बीत जाएंगे इसके बहुत सारे एडवर्स इफेक्ट्स होते हैं ऑन आवर बॉडी सबसे पहला इट इंक्रीजस ब्लड प्रेशर अभी-अभी मैंने बताया था कि टोबैको में पाया जा आता है निकोटीन जो हमारे लिए बहुत हार्मफुल होता है तो ये जो निकोटिन होता है ये हमारे एड्रिनल ग्लैंड को एक्टिवेट करता है जिससे एड्रीनलिन रिलीज होता है और ये एड्रीनलिन हमारे ब्लड प्रेशर को इंक्रीज करता है इतना ही नहीं अ टोबैको चूइंग या स्मोकिंग की वजह से हो सकता है हमें लंग कैंसर क्योंकि जैसे मैंने बताया सिगरेट स्मोकिंग से डायरेक्टली हमारे लंग्स पे इंपैक्ट पड़ता है उसी तरह टोबैको च्यू करने की वजह से हो सकता है ओरल कैंसर जिसे हम माउथ कैंसर भी कहते हैं हार्ट डिजीज का रिस्क बढ़ सकता है ब्रोंकाइटिस का रिस्क बढ़ सकता है क्योंकि लंग्स के अंदर ब्रोंकायोल्स होते हैं वो भी इफेक्ट हो सकते हैं जिससे ब्रोंकाइटिस हो सकता है इतना ही नहीं हमारे बॉडी के अंदर ऑक्सीजन की डेफिशियेंसी इड का लेवल काफी बढ़ जाता है जिसकी वजह से हमारे ब्लड में जो हीमोग्लोबिन होता है जो कि ऑक्सीजन को ट्रांसपोर्ट करता है बॉडी के डिफरेंट पार्ट्स में उस हीमोग्लोबिन की ऑक्सीजन कैरिंग कैपेसिटी कम हो जाती है क्यों होता है ऐसा क्योंकि कार्बन मोनोऑक्साइड के होने की वजह से कार्बो क्सी हीमोग्लोबिन का फॉर्मेशन हो जाता है जिससे ऑक्सीजन कैरिंग कैपेसिटी इंपैक्ट हो जाती है और इस तरीके से ऑक्सीजन का प्रॉपर ट्रांसपोर्ट नहीं हो पाता है जिसकी वजह से ऑक्सीजन की डेफिशियेंसी इफेक्ट्स हैं उसकी तरफ जाना बहुत वाइज है क्या इवन दो मे बी स्मोकिंग अ सिगरेट अ कुड बी अ प्लेजर फॉर नाउ बट इट कुड बी वेरी वेरी हार्मफुल फॉर योर फ्यूचर तो बच्चों इतनी देर से हमने काफी चीजें डिस्कस करी हमने काफी सारे ड्रग्स के बारे में डिस्कस किया और हमारा एंड रिजल्ट यही रहा कि इन सबका हमारे बॉडी पे एक एडवर्स इफेक्ट है पर सवाल यह उठता है कि ऐसा क्यों होता है कि जनरली जो यूथ होते हैं जो यंग एज के बच्चे होते हैं या फिर जो टींस में होते हैं ऐसे बच्चे बहुत ही जल्दी इन एडिक्शन की तरफ अट्रैक्टेड होते हैं वो ड्रग्स को ट्राई करना चाहते हैं वो अल्कोहल को ट्राई करना चाहते हैं वो सिगरेट ट्राई करना चाहते हैं बट ऐसा क्यों होता है देयर आर अ कपल ऑफ रीजंस पहला पियर प्रेशर बहुत बार ऐसा होता है कि हम पांच लोगों पांच दोस्तों का गैंग है जिसमें से एक बंदा स्मोक करता है सो दैट पर्सन इंसिस्ट्स द अदर वन टू ट्राई इट फॉर वंस राइट और इस तरीके से दूसरे को भी स्मोकिंग की आदत लग जाती है सो वी नीड टू बी वेरी केयरफुल कि इस तरह की चीजें जो अच्छी आदतें नहीं है वो हम दूसरों से लेने की बजाय दूसरों की भी इन आदतों को हम हटाने की कोशिश करें साथ ही साथ बहुत बार होता है यू नो पीपल फील दैट स्मोकिंग या फिर टेकिंग अ ड्रिंक और यू नो अ टेकिंग ड्रग्स इस तरह की जो चीजें हैं दे आर फैशनेबल एंड ट्रेंडी एंड दे वांट टू कीप अप विद द ट्रेंड और उस चक्कर में वो इस तरह के एडिक्शन की तरफ चले जाते हैं क्यूरियोसिटी इज अनदर रीजन क्यूरियोसिटी एडवेंचर एक्सपेरिमेंटेशन बहुत से बच्चों को लगता है कि हमने यह कभी ट्राई नहीं किया तो ट्राई करके देखते हैं और एक बार ट्राई करने के चक्कर में यू फील लाइक ट्राइट अगेन एंड अगेन बिकॉज़ ये तो आपके सेंट्रल नर्वस सिस्टम पे इंपैक्ट करता है वो आपको ऐसी फीलिंग देता है दैट यू फील लाइक ट्राइम इट अगेन और बार-बार ट्राई करने के चक्कर में आप एडिक्ट हो जाते हो और एक बार एडिक्ट हो जाने के बाद उसको छोड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है सो बेसिकली बहुत से सिचुएशंस में ऐसा देखा जाता है कि ड्रग्स या फिर टोबैको या फिर सिगरेट या फिर इस तरह की जो भी चीजें हैं जो या फिर एक्सेसिव अल्कोहल ये सारी चीजें एक सोशल हैबिट के तौर पर लोग ले लेते हैं जबी भी लोग दोस्तों से मिलते हैं दे एंड अप कंजूमिंग दीज थिंग्स और इस चक्कर में जो है वो अपने ही बॉडी का नुकसान कर देते हैं लॉन्ग टर्म तो बच्चा पार्टी इसी के साथ हम आ पहुंचे हैं इस वीडियो के एंड तक और मुझे पूरी उम्मीद है कि ह्यूमन हेल्थ एंड डिजीज के सारे कांसेप्ट हो चुके होंगे क्रिस्टल क्लियर और मैं आपको जल्दी ही मिलूंगी अगले वन शॉट वीडियो के साथ तब तक के लिए टेक केयर स्टे सेफ बाय बाय