2016 से एक terrorist group है जो हमारे देश को destroy करना चाहता है हर साल ये आतंगवादी group 20,00,000 Indians को मार गिराता है और जो लोग बच भी जाते है उनकी भी जिंदगी नष्ट हो जाती है आतंगवादियों के ह���ियार की वरे से survivors की जिंदगी के 3.5 साल छीन दिये जाते है इतने बड़े टेररिस अटाक के बावजूद ना पॉलिटिशन्स और ना देशवासी चिंतित हैं पता है क्यूं? क्योंकि ये टेररिस ग्रूप किसी दूसरे धर्म से नहीं है और उनका हत्यार है एर पलूशन दिलियन सियार के हवा दिन पर दिन और जहरिली होती जा रही है कई इलाकों में एर कॉलिटी इंडेक्स बाद सो को पार कर चुका है लोगों को लगता है कि पल्यूशन बस दिल्ली और सर्दियों का इशू है पर ये बिल्कुल गलत है 2023 में इन मेंसे किसी भी शहर में 100 दिन भी नहीं मिले साफ हवा के लोग ये माने लगे कि दिल्ली का AQI 1200 है हमारे तो बस 200 है कम से कम हमारी हाला तो उतनी बुरी नहीं है पर इस पेपर ने क्लियरली दिखाया है कि 1000 AQI के कुछ दिन से जादा इंपाक्ट पड़ता है उन दिनों में जब AQI 100 से 300 के बीच होता है योश सारे शहरों में है लोग जिन्दगी के लड़ रहे हैं अस्पतालों में एर पलूशन की वरे से पर आप चिंता मत करो आपकी स्टेट गवर्मेंट आपकी रक्षा जरूर करेगी 2020 में आमाद्मी पार्टी सरकार ने बहुत ज़्यादा उमीदों के साथ एक नई स्ट्राटेजी लॉंच करी थी स्टबल बर्निंग को कम करने की उन्होंने लॉंच किया था एक बायो डीकंपोजर जिसको डेवेलप किया था 68 लाक रुपीज खर्च करे इस डीकंपोजर पर और 23 तरोड रुपे इसकी मार्केटिंग पर वापस बोलता हूँ 68 लाक इस डीकंपोजर पर और 23 करोड रुपे इसकी अडविटाइजिंग पर यह आप हाला तो देखी रहे होंगे यह दिल्ली का नजारा है एक नाश्टिनल एमरजन्सी है एक शब्द भी नहीं हमारे देश की पॉलिटिशिन्स इतने ढूंगी हैं जैसे आगरा में पता चला कि सडनली उधर की air quality reading improve हो गई अब air quality improve हो गई तो foreign tourists भी ताज मेल आएंगे पर पता दो दिन पहले क्या खबर आई कि आगरा की municipal corporation air quality monitoring station के आसपास water sprinkler से पानी छड़का रही थी ताकि AQI कम हो जाए सुप्रीम कोट एक एमरजनसी हियरिंग जरूर करते हैं पलूशन में और कहते हैं कि कंस्ट्रक्शन रिकॉ क्यों नहीं है दिल्ली में पर लॉयर रिप्लाई करता है कि माय लॉर्ड आप देश की छोड़ो ये हालत है हमारी देश की नहीं सबसे बड़ी दिक्कत है कि कोई अर्जनसी नहीं है AQI readings लो उनको social media पर post करो और जब समय ठीक हो तो सडको पर आओ और protest करो अगर एक terrorist group ये चीज़े कर रहा होता जो air pollution ने कर रही है तो सबके whatsapp forwards आ रहे होते और क्योंकि हमें कोई दुश्मक दिख नहीं रहा तो whatsapp पर सब silent है मेरा गला पूरा सूजा हुआ है बाहर AQI 1200 है और मैं वीडियो बना रहा हूँ आपको दिखाने के लिए की situation है क्या अब अफ कॉर्च ऐसे कई लोगे जो बेवकूफी कर रहे हैं जब 1200 AQI पार हो गया है तब भी वो पटाके जला रहे हैं अब वो तो मनबुद्धी लोग हैं ये वीडियो उनके लिए नहीं है ऐसे पैसे में से कुछ नहीं होने वाला इंडिया और हमारी दुनिया को और ओप्टिमिस्ट की जरूरत है जो मानते की चेंज हो सकता है ये वीडियो आपके लिए है चाइना में बेजिंग ने दिखाया है कैसे pollution कम किया जा सकता है? ये वीडियो उनके लिए हैं जो इस problem को solve करना चाहते हैं जो ये जानते हैं कि अगर एक आतंगवादी के हाथ में हत्यार नहीं है तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो हमारे परिवारों और बच्चों को मार नहीं सकता हमारे लिए किसी भी तरह की health emergency एक wake up call होनी चाहिए क्योंकि एक बिन बुलाए महमान की तरह होती है और ये बस air pollution की बात नहीं है heart issue, fracture या फिर road accidents ये सब unexpected ही होते हैं और अगर emergencies के लिए आप prepared नहीं होगे तो आपकी सारी personal savings खतम हो सकती है ऐसी सिच्वेशन्स में health insurance आपके और आपके परिवार के लिए बहुत ज़रूरी है। आजकल policies को compare करना बहुत easy है और आपको plans में 25% तक discount भी मिल सकता है। और अगर आप diabetic या पर health patient हो तो भी आपको coverage मिल सकती है। Pre-existing diseases की coverage भी day 1 से ही start हो जाती है। और अगर expecting parent हो तो आजकी date में maternity plans सिर्फ 3 महीने की waiting period के साथ भी मिलते हैं। मतलब आप hospitalization के expenses claim कर सकते हो अगर आप 6 महीने pregnant भी होतो। अन्लाइन या फिर ऑफलाइन परचेज कर सकते हो और कॉल या फिर विडियो कॉल करके आप एक पॉलिसी अडवाइजर से मदद भी मांग सकते हो अगर पॉलिसी अडवाइजर को आपके घर आना परे तो भी वो करने के लिए तयार हो जाते हैं पॉलिसी क्लेम करते वक्त आपको 30 मिनिट क्लेम सपोर्ट 300 से 400 रुपे से बेस प्लान शुरू होते हैं जिसमें आपको 1 करोड तक का कवरिज मिल सकता है बेस्ट हेल्थ इंशोरेंस प्लान चूज कर सकते हो। अब आते हैं वीडियो पर वापस। अब हम में से कोई नहीं चाहेगा कि हम या फिर हमारे परिवार को उस चीज से गुजरना पड़े। जिससे करिश्मा गुजरी है। करिश्मा एक 21 साल की डिस्ट्रिक लेवल की बैटमेंटन प्लेयर है जिनकी स्मोकिंग या पर हेल्थ की कोई हिस्ट्री नहीं है। और उनको एक chest infection के साथ diagnose किया गया इसे समझते हैं डिटेल में इंडिया की air pollution problem के बारे में causes से पहले जानते हैं कि air pollution होता क्या है air pollution को मापा जाता है बहुत छोटे particles को measure करके जिसको particulate matter कहा जाता है या फिर PM ये particles different sizes में आते हैं जैसे PM 2.5 या फिर PM 10 हो गया पर हमारा सबसे ज़्यादा focus PM 2.5 पर रहता है क्योंकि जितना छोटा particle होता है उतना ज़्यादा damage हो सकता है उस particle का हमारे respiratory system पर अब WHO recommend करता है कि PM 2.5 की level हवा में 15 micrograms per meter cube से कम की होनी चाहिए जबकि हमारा देश का national standard WHO के मुकाबले 4 गुना ज्यादा बड़ा है यानि हमारी limit 60 micrograms per meter cube की है अब हवा में जितनी मात्रा होती है PM 2.5 की उसके basis पर हमें एक air quality index create करते हैं अब समझते है कि air pollution के पीछे main causes क्या होती है यह भी समझो कि air pollution हम different तरीके से measure कर सकते हैं, हम daily measure कर सकते हैं, monthly measure कर सकते हैं, seasonally measure कर सकते हैं, और पूरे साल के duration में कितना air pollution है वो भी measure कर सकते हैं. कुछ causes होती हैं जो आपको पूरे साल में मिलती हैं, इससे car से pollution हो गया या फिर industrial pollution हो गया. इस चीज की वर्य से दिल्ली जैसे शहरों में AQI पूरे साल के दौरान high ही रहता है, पर ऐसी एक specific cause जरूर है जिसकी वर्य से North India, एक नरक बन जाता है, especially नवेंबर के दिन यह है पराली या फिर स्टबल की burning स्टबल burning की वरे से ओक्टोबर नवेंबर के दरान दिली जैसे शहरों में स्टबल burning का contribution air pollution में 32% होता है मैंने दिली का data यूज़ किया ना कि बनारेस या फिर पत्ना जैसे शहरों का क्योंकि दिली में सबसे जादा data available है pollution की sources के बारे में पर हम अनुमान लगा सकते हैं कि ऐसे ही हाल दूसरे शहरों का भी है जो Indo-Gangetic Plains यानि कि जो North India में आते हैं अब Stable Burning की वरे से Pollution होता है यह हम सब जानते हैं पर एक चीज जो शायद हम नहीं जानते हैं वह है कि MSP की वरे से हर साल लाखों लोग की मौत होती है Air Pollution की वरे से मैं वापस जोराता हूँ हर साल MSP की वरे से लाखों लोगों की मौत होती है पंजाब और हर्याना के किसान अपनी पराली जलाते हैं सर्दियों में अपने खेतों को प्रिपेर करने के लिए अब आपको पता होगा कि North India में किसान दो बार अपनी फसल लगाते हैं हर साल Summer में और Winter में Summer में फसल की Harvesting के बाद किसान को अपने खेत से Stubble या फिर पराली हटानी होती है ताकि वो Winter सीजन में अपने बीज उधर डाल पाएं अब किसान इस पराली को जलाते क्यों हैं हटानी के बज़े क्योंकि जलाना सबसे सस्ता और सबसे तेज तरीका होता है विंटर में अपनी बीच डालने के लिए अब आप ये बोलोगे कि किसान फिर अपनी समर की फसलों को पहले क्यों नहीं लगा लेते क्योंकि ये चीज वो लीगली नहीं कर सकते किसानों को बोला गया है कि वो अपने समर के क्रॉप्स 15 जून के बाद ही लगा सकते हैं पं� क्योंकि 2009 में पंजाब सरकार ने Preservation of Subsoil Water Act पास करी थी। इस लौ के साप से किसान धान या फिर पैड़ी की ट्रांसप्लांटेशन 15 जून से पहले नहीं कर सकते। अगर उन्होंने ऐसा किया तो उनका Electricity Supply डिसकनेक्ट हो सकता है और उनकी धान की Nurseries नष्ट करी जा सकती है। एक धान के खेज के लिए एप्रिल में पानी की रिक्वायमेंट होती है 4,500 लीटर। पर हेक्टर, क्योंकि तब बारिश नहीं होती और जून के महिने में जब बारिश चार्ट हो जाती है तो ये requirement 3000 लीटर हो जाती है तो जितनी जल्दी किसान धान की खेती करने लग जाएंगे उनको और पानी चाहिए होगा कि आप अपना कारेकरम 15 जून के बाद ही चार्ट कर सकते हैं अब सवाल ये है कि अगर पानी की इतनी दिक्कत है तो पंजाब और हर्यानक के किसान धान लगाई क्यों रहे हैं जहां हजारों लीटर पर हेक्टर की जरूरत पड़ती है और इसके पीछे कारण है MSP सरकार ने धान और गेहू जैसे क्रॉप्स पर इतनी MSP दे रखी है इस वज़े से किसान इन फसलों की ही खेती करना चाहते हैं और इसी MSP की वरे से हजारों लोगों की मौत होती हैं हमारे देश में एर पलूशन के कारण ऐसा नहीं है कि 2009 से पहले किसान जो थे वो अपनी पराली जरा नहीं रहे थे इन फाक्ट ये 1991 की रिपोर्ट कहती है कि 25 साल पहले भी सेप्टेंबर और ओक्टोबर में पंजाब के गाओं में चलना मुश्किल हो जाता था धूएं की वरे से एक 32 साल के पंजाबी किसान कहते हैं कि मैं तो जानता ही नहीं हूँ जब हमने अपनी 12 एकड की जमीन पर पराली नहीं जलाई डिफरेंस बस यह कि पहले जो किसान जो जलाते भी थे न अपनी पराली वो सेप्टेंबर के माइने में जलाते थे पर क्योंकि पंजाब ने लॉ पास कर दिया इसकी वरसे अब वो ओक्टोबर नवेंबर में जलाते हैं और ये क्योंकि अक्टोबर से पहले जब हमारे देश में मॉन्सून का सीजन चल रहा होता है तब हवा का डिरेक्शन अलग होता है और उस हवा की वरे से जो पलूशन आता है पराली जलाने से वो ब्लो कर दिया जाता है मॉन्सून सीजन ओवर हो गया होता है जिसका मतलब है कि जो सारा धुआ है लास्ट तीन चार सालों से पंजाब सरकार और दूसरी सरकारों ने बहुत काम किया इस पर जैसे इंडियन अग्रिकल्चर रिसर्च इंस्टिटूट की रिपोर्ट दिखाती है कि 2021 और 2023 के बीच ये इंसिडेंट्स कम हो गये पर एक नासा साइंटिस हिरेन जेत्वा ने का कि ये डेटा गलत है ऐसा क्यों हो रहा है?
फिर उनको पता चला कि जो NASA की सैटेलाइट है, जो stubble burning को record करती है, वो ये recording दुपेर के date से 2 बजे लेती है. और इस सैटेलाइट data के हिसाब से stubble burning कम हुई है. पर आप जब यही data एक दूसरी Korean सैटेलाइट से देखते हो, जो हर 15 मिरित में recording करती है, तो उसके हिसाब से number of stubble burning incidents कम नहीं हुए.
इसका मतलब है कि पंजाब और हर्याने के किसानों को किसी तरह पता चल गया है कि recording बस 1.30 और 2 बजे की बीच होती है. और इसकी वर्यसे वो अपनी पराली अब 2 बजे के बाद जला रहे है इन फाक्ट आप इस मैप को देखो लेफ्ट में है वो फायर्स जो नवेंबर के 4 दिनों में 1-2 बजे देखी गई और अब देखो राइट में कि 4-5 बजे शाम के बीच क्या हो रहा है कि किसान अक्शली कर क्या रहे है शायद सलूशन यही है कि दिल्ली और पंजाब में सेम पार्टी की गवर्नमेंट होनी चाहि ये भी नहीं है कि बस पंजाब के किसानी ये चीज कर रहे हैं दूसरी स्टेट्स में भी यही हाल है अब 2015 में National Green Tribunal ने राजिस्थान, उत्तरपदेश, हराना और पंजाब जैसी स्टेट्स में प्रॉब बर्निंग जरूर बैन करी थी अब अगर किसानों के पास एक तरीका हो पराली हटाने का जो सस्ता भी हो और जिसमें मेहनत भी ना लगे आप ये भी मत सोचना कि Stubble Burning Solve करके पूरी प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी एक प्रॉब्लम ये भी है कि हम चिलाने तब ही लगते हैं जब हमें Air Pollution दिखता है सौ और तीन सो का AQI इतना नॉर्मलाइज कर दिया गया है कि हमारी अवाजे तब ही खुलती हैं जब AQI हजार पार हो जाता है हमें Seasonal Sources जैसे दिवाली की पटाके और Stubble Burning तो बैन करनी ही चाहिए ये तो Low Hanging Fruit है पर इससे Air Pollution की पूरी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं होगी जैसे इस पेपर में क्यारली दिखा है कि ज्यादा लोगों की जाने जाती हैं लोवर AQI लेवल्स पर। क्योंकि जब AQI कुछ दिनों के लिए 1000 पार पहुँच जाता है उसका इतना impact नहीं पड़ता जितना 100-300 का AQI का impact होता है हर दिन जो हमें जेलना पड़ता है। अब imagine करो कि एक teenager लड़का है जो हर दिन unhealthy खाना खाता है वो बहुत मोटा हो गया है मोटे होने के बावजूद उसके birthday पर उसका परिवार उसको छोले कुल्चे देता है, चॉकलेट केक देता है और जलेबिया भी देता है इतने घटिया खाने की वर्ष से एक दिन उसकी heart attack से मौत हो जाती है अब उसकी मौत उसके birthday party के खाने की वर्ष से नहीं हुई बलकि हुई है क्योंकि पिछले 364 दिन वो unhealthy खाना खा रहा था और यही हाल air pollution का भी है जादा focus birthday party पर रहता है stubble burning और fire crackers पर ये चीज़े गलत हैं और हमें इनको solve करना होगा और ये problem तब ही solve होगी जब हम air pollution की non-seasonal sources यानि कि वो चीजें जो सालाना चलती हैं उन पर ध्यान देखें पल्यूशन की एक बहुत बड़ी सोर्स है धूल दिली और बेंगलूरू रहसे शहर में 30-40% जो PM 2.5 का पल्यूशन होता है वो धूल की वरे से ही होता है जैसे आपने कई बार देखा होगा कि जब आए कच्ची रोड से एक गाड़ी पास करती है तो धूल कितनी उड़ती है और आपको कई सरकारी करमचारी भी दिखेंगे जो रोड पर बड़े जढ़ू के साथ जढ़ू करते रहते हैं और इससे ना पलूशन खतम होता है और ना साफ सिफाई होती है क्योंकि वो जढ़ू तो लगा देते हैं और धूल फिर उड़ जाती है यानि पानी छड़कना इसलिए दिल्ली सरकार भी इन स्प्रिंकलर्स को यूज़ कर लिये ताकि धूल के साथ मॉइस्टर आड़ जाये और धूल उड़े ना इस वजह से वो शहर जब बारिश जाधा होती है, तो आपको साफ दिखते हैं क्योंकि धूल नहीं उड़ती। पर बारिश भी एक temporary solution है, permanent solution तब ही निकलता है कि आप धूल को पूरी तरह निकाल सको। इसलिए हमें ज़ादा paved roads बनानी होगी। नवेंबर 2019 यानि कि पान साल पहले Union Environment Ministry के Secretary C.K. Mishra ने एक press conference में एलान किया था कि दिल्ली की सारी unpaid roads आगस 2020 तक fix हो जाएंगी। पान साल हो गए उस press conference को। पर आज भी दिल्ली में 500 किलोमीटर की अनपेव रोड्स हैं, जिनमें से बस 68 किलोमीटर कोई ठीक किया गया है इस साल। एपिक इंडिया से तनुष्री गांगुली ने हमें बताया कि रोड्स को ठीक करने से एक मल्टिप्लायर एफेक्ट क्रिएट होएगा। जिससे धूल पूरी तरह सिस्टम से निकल पाए पर प्रॉब्लम यह है कि हमारी सरकारों के पास यह मशीन से नहीं है जिससे बेंगलूरू में करीब 1300 किलोमीटर की रोड्स हैं जिनमें से मेकनाई स्वीपिंग यानि की मशीन से साफ सफाई बस 600 किलोमीटर के लिए ही है और इसके पीछे कारण है कि ढंग की enforcement नहीं हो रही है पर basically जो धूल उड़ती है road और construction से अगर हम उसको ही हटा दें तो जो साल का 30-40% pollution होता है कई शहरों में वही कम हो जाएगा अब जहाँ दिल्ली में धूल का contribution 38% है pollution में दूसरी सबसे बड़ी source है गाडियों से pollutions vehicle emissions जिसकी मातरा 20% है तो अगर आपने धूल और vehicle emissions को solve कर दिया 60% problem solve हो गई उसको हटाना और भी ज्यादा important है क्योंकि PM 2.5 में वो particles जो create होते हैं जब हम किसी चीज़ को जलाते हैं चाहे वो petrol हो diesel हो या फिर coal हो वो मनुश्य के लिए ज्यादा dangerous होते हैं तो धूल से ज्यादा dangerous होती हैं वो particles जो जला कर create होते हैं और IIT Delhi के साफ से 79% emissions जो गाड़ियों से कि अगर बहुत पुरानी गाड़ी है, तो वो अलाउड नहीं होनी चाहिए सड़क पर, क्योंकि वो जादा पलूशन क्रिएट करती है. पर दिक्कत हमारे देश में है कि लॉज कहीं हैं, पर उनको एंफोर्ट करने के लिए लोग नहीं हैं. जैसे दिल्ली की अगर बात करें, तो 60 लाग से जादा वहीकल्स पुरानी हो गई हैं. पर इस साल के सब्टेंबर तक, 60 लाग में से बस 2000 गाड़ियों को ही हटाया गया.
याद रहे कि एक major कारण pollution का है road से जो धूल उड़ती है तो अगर आपकी गाड़ी diesel से चल रही हो या पर electricity से दूल तो भी उड़ेगी। इसी लिए optimal solution है public transport infrastructure को बढ़ाना। पर इंडिया का public transport infrastructure दो challenges से गुजर रहे हैं। पहला है कि हमारे शहरों में growth ही इतनी हो रही है। इतनी ज़्यादा population बढ़ रही है। जिसकी वर्षे कोई भी system keep up ही नहीं कर पा रहा। इसके पीछे main problem यह है दूसरा चालेंज है कि क्योंकि हमारा देश इतना गरीब है, इसलिए सरकारे सबसेड़ाइज कर देती हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट को. अब जब सबसेड़ी मिलती है, तो जो कमपनी इस पब्लिक ट्रांसपोर्ट को चला रही होती हैं, वो इतना पैसा नहीं कमा पाती. सेडान्स खरीदते थे ज़्यादा पर अब मोस्ट इंडियन्स एक SUV खरीदते हैं जिसकी वर्जे से ट्राफिक होने की संभावना और बढ़ जाती है अब जैसे मैंने आपको पहले बताया था कि दूल से ज़्यादा वो पार्टिकल्स डेंजरिस होते हैं जैसे जब इंडिस्ट्रीज कोल जलाती हैं लोग पत्ते जलाते हैं गरम रहने के लिए या फिर जब कई शेहर अपने कोड़े को जलाते हैं इन सारी चीजों का 10-30% contribution है हमारे air pollution पर दिल्ली के सुगदेव विहार में तो एक बहुत बड़ा प्लांट है जो कूड़े को जलाता है एलेक्टिसिटी जनरेट करने के लिए अब ये बहुत ही इनोवेटिव सलूशन है और कई देशों में ये यूज़ और है पर समस्या ये है कि दिल्ली में स्टैंडर्ड्स फॉलो नहीं करे जा रहे इन फाक वो लोग जो दिल्ली के सुगदेव विहार में इस प्लांट के पास रह रहे हैं जैसे धूल को हटाना, गाड़ियों के emissions को solve करना, और उन चीज़ों को रोकना जब हम चीज़ों को जलाते हैं। और इन में से कोई भी चीज़ रॉकेट साइंस नहीं है। इंडिया कोई पहला देश नहीं होगा, यहाँ paved roads बनेंगी, यहाँ construction होती है, यहाँ industries coal use कर रही हैं, यहाँ फिर यहाँ waste management की problem है। हम इन सारे solutions को जानते हैं, in fact अगर आप मेरे sources के document को पढ़ोगे, इसका link आपको description में मिल जाएगा, उधर कई सरकारी documents हैं। तो सरकार को भी पता है कि problems के हैं और solutions के हैं तो issue ये नहीं कि हमें solutions नहीं पता है issue ये है कि हमें execute करना नहीं पता क्योंकि incentives और accountability नहीं है पहली चीज क्योंकि public में कोई emergency नहीं है लोग अभी साफ हवा को इतनी value देते ही नहीं है मेरे आसपास भी घर और दोस्तों के बीच air pollution की इतनी understanding ही नहीं है ताकि ventilation होती रहे चाहे AQI, 1200 क्यों ना हो pollution को इतना normalize कर दिया गया है कि मेरे एक family member ने मुझे से पूछा कि अगला वीडियो किस पर आ रहा है मैंने कहा air pollution पे तो उन्होंने कहा पर air pollution तो अब चले गया तो उनके साथ से air pollution तब ही एकजस्ट करता है जब AQI 1200 है जब 400 है तो कोई प्रॉब्लम नहीं है इसलिए हमें और बाते करने हुँगी air pollution के बारे में ताकि लोग इसको value देनी लगे 2014 में Chinese Premier Li Keqiang ने एक war announce करी थी pollution पर तो आप खुद सोचो 10 साल पहले Chinese Premier ने एक public declaration से कहा कि मैं एक war announce कर रहा हूँ air pollution पर हमें कुछ ऐसा ही चाहिए पर क्या आपने हमारे देश के प्राइम मिनिस्टर या फिर किसी चीफ मिनिस्टर को ऐसी वार अनाउंस करते वे सुना लोगों को सडको पर उतरना होगा साफ हवा की मांग करने के लिए 2007 में चाइनी सरकार ने एक सिस्टम इंटरडूस किया सल्फर डायोक्साइड की मात्रा को कम करने के लिए हवा में ये इंशॉर करने के लिए कि सरकारी ओफिशल्स इस चीज को सीरिसली ले चाइनीज गवर्मन ने अनॉंस किया कि वो सरकारी ओफिशल्स जो इस चीज को फॉलो नहीं करेंगे उनको पनिश्मिन दी जाएगी तो अगर कोई भी सिटी ओफिशल अपना पलूशन टार्गेट नहीं अचीव करता था उनको ओफिशल वार्निंग्स मिलती और कई को तो पुजिशन से हटा भी दिया गया कि अगर तुमने state level के targets achieve नहीं करें, तो हम तुम्हें हटा देंगे। ये होती है accountability.
पर इंडिया में क्या हो रहा है? पांच साल पहले Union Ministry की Secretary ने press conference में announce तो कर दिया, कि एक साल में दिल्ली की साली unpaid roads हटा दी जाएंगी. कि IS officers पर accountability नहीं डाली जाती. उनकी चाहे promotion हो या पर salary, वो उनकी seniority से tied है.
क्या pollution घट रहा है? क्या बच्चे पढ़ रहे हैं, क्या हमारे इंडॉस्ट्रीज बेटर परफॉर्म कर रही हैं, इसका जो टार्गेट है, वो आयस ओफिसर के सर पर नहीं है, तो वो भला क्यों टेंचन ले, इंसेंटिव्स की बात तो छोड़ो, देश के पलूशन बोर्ड्स में कम स प्राइम मिनिस्टर हो, चीफ मिनिस्टर हो, या फिर कोई आयस ओफिसर हो, कोई accountability उठाना ही नहीं चाहता, सब में attitude है कि यार चलता है, अब ऐसा नहीं है कि इंडिया में कोई pollution targets नहीं है, जैसे National Clean Air Program के इसाब से, सौ से जादा शहरों को अपना pollution 20-30% करना होगा, 2017 और 2024 के बीच, तो अब target 2024 नहीं, 2026 हो गया है, कि अगर 2026 तक ये target नहीं achieve होता है, और अगर ये जाएगी नहीं तो लोगो accountability कैसे उठाएंगे मैंने आपको पिछले वीडियो में भी दिखाया था कि हमारी politicians बहुत ही smart हैं अगर उनको पता चलेना है कि एक मुद्धा बहुत politically viral हो रहा है उसको उठाएंगे एकदम से हवा बनी सारे media channels उसके बारे में बात कर रहे हैं तो सारी political parties इसके बारे में बात करने लगे क्योंकि उनको पता था कि बिहार के elections में voter शायद इसके basis पर vote कर सकता है तो Indian politician बहुत reactive है बस उनको एक ऐसा इशू चाहिए जिसके बारे में voters actually importance दे तो अगर हम air pollution को solve करना चाहते हैं आप जैसे voters को इसको importance देनी होगी नहीं तो कुछ नहीं होने वाला जब ये होगा तो accountability politician और bureaucratic level पर हो जाएगी पर सबसे important step है कि pollution को normalize मत करो जिस दिन मैंने वीडियो शूट करना स्टार्ट किया था, तब 1200 एक्यू है था, आज 450 है, पर लोगों लगता अब एर पुलूशन नहीं है। जब ये एटिटूर बदलेगा, प्रॉब्लम सॉल्व हो जाएगी। और जैसे मैंने आपको पहले बोला कि हेल्थ एमिरजेंसी कभी भी आ सकती है, तो डिस्क्रिप्शन में एक लिंक है जिससे आपको 25% डिस्काउंट मिल सकत