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माधुरी नाटक के अंक दो का दृश्य एक
Jul 11, 2024
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माधुरी नाटक का संक्षेप
अंक दो का दृश्य एक
पृष्ठभूमि
यात्री की बेटी, मां की अयोध्या के राजा आर्यक्ष की अर्धांगिनी बन गई है और महारानी बनकर राज सिंहासन पर बैठी है।
उसकी सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक होती है, सभी उसे देखने के लिए उत्सुक हैं।
राजा कातिल खुष होता है और विचार करता है कि पुत्र होने के बाद माधवी को मुक्त कर देना मूर्खता होगी; माधवी को हमेशा के लिए पास रखने के उपाय सोचता है।
माधवी पुत्र प्राप्ति की तैयारी कर रही है जबकि अश्वनी की घोड़ा की तलाश में भटक रहा है।
मित्र मैरिज उत्तराखंड की यात्रा से वापस आता है और अयोध्या के समाचार देता है।
महत्वपूर्ण घटनाएँ
मित्र के अनुसार अयोध्या में उत्सुकता है कि राजा हरिश्चंद्र से कब बेटा होगा।
मैरिज का सुझाव: विश्व मित्र से जाकर आग्रह करें की गाना से गलती हो गई, उसे माफ़ करें और शेष घोड़ा का आग्रह छोड़ दें।
महात्मा काशी ययाति इस सुझाव को अस्वीकार करते हैं, उन्हें लगता है इससे उनके सम्मान पर कीचड़ फेल जाएगा।
माधवी की कठिनाईयाँ
पुत्र पैदा होने तक राजमहल में रहने का अनुबंध था लेकिन नवजात शिशु की मौत हो गई जाती है।
माधवी महल छोड़कर जाए तो उसे बताया जाता है कि बच्चा तो महारानी जैसा ही दिखता है; बालक का नाम वासु माना रखा गया।
मंत्री का संदेश: अयोध्या नरेश की चिंता, जन्मोत्सव तक अतिथि ग्रह में रहने का प्रस्ताव।
माधवी की व्यक्तिगत पीड़ा: पिता, नरेश सभी अपनी इच्छाएं पूरी कर रहे हैं, लेकिन वह एक औरत और मां को कोई नहीं समझता।
अंक तीन का दृश्य
घटनाएँ
माधवी और गलो, काशी नगर की महाराष्ट्र में वो दास के पास पहुंचते हैं।
प्रजा उन्हें रसिक राजा की वो दास कहकर पुकारती है।
दास के पास 200 अश्वनी की घोड़े हैं।
गुरु प्रभु क्या तुम मुझे खुश कर पाओगी: माधवी संग बातें करते समय साधु आता है, अनुष्ठान पूरा हुआ।
बेटा होने पर 200 अश्वमे की घोड़े देने का वादा, बेटी हुई तो बैंड कर देंगे।
अश्वमेध यज्ञ की चर्चा
चौथे दृश्य में घोड़े को भागते देखकर गांव के लोग चकित; ब्राह्मण के घोड़े थे, उत्तराखंड के राजाओं को देने थे।
मैरिज का सुझाव: विश्वामित्र अपमान समझेंगे, उन्हें युवती का सहारा लेकर घोड़ा की व्यवस्था की जा रही है।
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