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माधुरी नाटक के अंक दो का दृश्य एक

स्वागत है आज हम माधुरी नाटक के अंक दो का दृश्य एक पढ़ेंगे पहले अंक में हमने देखा की यात्री की बेटी मां की अयोध्या के राजा आर्यक्ष की अर्धांगिनी बंटी है और महारानी बनकर राजा के साथ राज सिंहासन पर ही बैठी है उसकी सुंदरता की चर्चा दूर दूर तक फैलती है और लोग उसे देखने के लिए उम्मत करते हैं राजा कातिल भी बहुत खुश होता है और उसके मां में विचारता है की पुत्र होने के बाद माधवी को मुक्त कर देना तो मूर्खता होगी वह मां की मां उपाय सोचता है की कैसे माधुरी को हमेशा के लिए पास रख लो सभी को सामान्य चल रहा है माधवी पुत्र प्रताप की तैयारी करने की है गला शेष अश्वनी की घोड़ा की तलाश में भटक रहा है यदि अपने आश्रम में मगन थी तभी आश्रम वासी मित्र मैरिज उत्तराखंड की यात्रा से वापस आया तो उसने या की कुछ समाचार दिया की अयोध्या में बहुत उत्सुकता है की कब मेरी को राजा हरिश्चंद्र से बेटा होगा वहां भी चक्रवर्ती राजा बने वाला कोई उत्सुकता नहीं है वह अपनी गंदगी संबंधी क्या सोचते हैं लेकिन यह भी कहता है और राजमहल को छोड़कर दूसरे राजा के पास जाना होगा आप ऐसा कीजिए की विश्व मित्र से गालों की तरफ से आप ही जाकर बात कीजिए की गाना से गलती हो गई उसे माफ करें और शेष घोड़ा का आग्रह छोड़ दे या मध्य के जीवन का प्रश्न है महाराज अगर ऐसा आप करते हैं तो आदमी को और कहानी नहीं जाना पड़ेगा महाराज मां जी अयोध्या नरेश के पास ही र जाएगी लेकिन महात्मा काशी ययाति को यह बात अच्छी नहीं लगती और वो हमारी छोटा देता है की जो चीज दाल के दे चुका हूं उसे पर विचार करना ठीक नहीं है विश्वामित्र भी यही सोचेंगे की मैं अपनी बेटी के मुंह के करण उनके पास प्रार्थना कर रहा हूं देश भर में जो मैंने नाम कमाया है उसे पर कीचड़ फेल जाएगा [संगीत] क्योंकि पुत्र पैदा होने तक की राजमहल में रहने का अनुबंध था उसे अनुबंध के अनुसार वह राजमहल से बाहर आई है लेकिन मां की एक नवजात शिशु की मौत ही है यह उसे भी भूलना पड़ा माधवी महल छोड़कर जान लगती है तो ढाई उसे बताती है की बच्चा तो महारानी भाग के जैसा ही दिखता है महाराज ने इस बालक का नाम वासु माना रखा है माधुरी माधुरी पटरानी के सभी गने उतार कर वापस करती है लेकिन अपने बच्चे से मां हटाना उसके लिए कठिन हो रहा है कठिन हो रहा था तभी वहां पर गाना पहुंचता है पर माधुरी को अपने बच्चे वसुमाना के प्रति भावों या इमोशनल होते देखकर कहता है की तुम्हें इतना भाव नहीं होना चाहिए [संगीत] तभी अयोध्या नरेश का मंत्री आकर कहता है की महाराज ने संदेश दिया है की अभी आपकी स्थिति यात्रा करने लायक नहीं है आप चाहें तो जन्मोत्सव तक यहां अतिथि ग्रह में अर्थात गेस्ट हाउस में र शक्ति है मांझी का मां कड़वाहट से भाग जाता है की सब मेरे सुख की चिंता करते हैं मेरे पिता मुझे सुखी देखना चाहते हैं अयोध्या नरेश को मेरी चिंता हुई लेकिन सब अपनी-अपने शर्तों पर मेरी चिंता करते हैं लेकिन मैं एक औरत हूं और मां [संगीत] नहीं समझते हैं की तुम किस लिए अपना वचन पूरा करना चाहते हो वह कहता है की पुरुष चाहे मेरा पिता नरेश सभी के सभी अपनी इच्छाएं पुरी कर रहे हैं मेरी किसी को चिंता नहीं है मैंने अपने को अलग अलग राजाओं के पास जान की योजना में इसलिए डाला की आखिर एक दिन तो कल मुझे प्राप्त होगा अपने वचन को पूरा करना चाहता है इस प्रकार हम देखते हैं की अंक 2 का दृश्य दो पूरा होता है औरत हम जैसे तीन की और आगे बढ़ते हैं अयोध्या से निकाल कर माधवी और गलो काशी नगर की महाराष्ट्र भी वो दास के पास पहुंचने हैं प्रजा उन्हें रसिक राजा की वो दास कहकर पुकारती है एक अल्लाह प्रेमी और रस रंग में दुबे रहते हैं बेटे के लिए लालायित रहने वाले राजा की 35 रानियां हैं लेकिन एक से भी बैठना था इनके पास 200 अश्वनी की घोड़े हैं जो उनके गुरु प्रभु क्या तुम मुझे खुश कर पाओगी और माधवी से बातें कर रहा है तभी मुनिराज प्रभु की तरफ से एक साधु आता है यह बताते हैं की अनुष्ठान पूरा हुआ और अब तुम्हें देता मिलेगा जी वो दास इस बात से खुश होकर गलम से कहते हैं ठीक है यहूदी हमारे निवास में रहेगी बेटा होने पर 200 अश्वमे की घोड़े बेटा होने पर 200 अश्वनी के घोड़े दिए जाएंगे और बेटी हुई तो तुम दोनों को बैंड कर देंगे माधवी को ऊपर से नीचे देख कर कहता है इसे ले जो स्नान करो अच्छे कपड़े पहनो और खाने पहने कर सजा दो और स्वयं शीशे में चेहरा देखकर मुझे सहलाते हुए कहता है आप देखें गुरु महाराज प्रभु के अनुष्ठान का प्रभाव अब हम देखते हैं [संगीत] की 400 क्योंकि घोड़ा की व्यवस्था हो गई है चौथ दृश्य में घोड़ा को भागते हुए देखकर गांव के लोग चकित हैं आपस में बातें करते हैं एक कहता है इतने सारे घोड़े कहां भेज जा रहे हैं ये अश्वमे की घोड़े कितने सुंदर हैं तभी वहां एक आदमी आता है और बताता है की यह ब्राह्मण के घोड़े हैं ये दास्तान नदी के बाढ़ के करण गांव के साथ कई आश्रम में की सैकड़ो घोड़े भी र गए ब्राह्मण के लिए लेकर जा रहे थे जिम ज्यादातर थोड़े दुबे हैं या थोड़े ब्राह्मण रजनी यज्ञ संपन्न होने पर ब्राह्मण को बांधने दिए थे और ब्राह्मण इन अश्वनी की गुना को उत्तराखंड के राजाओं को देखते रहे हैं यह श्वेत करने [संगीत] अश्वनी की घोड़े बच्चे हैं आपने गलो से 800 घोड़े जो मांगे वह कहां से लेगा [संगीत] आप करें विश्वामित्र कहते हैं तो इसे अपना अपमान समझेगा क्योंकि वह बहुत महत्वाकांक्षी ही नहीं घमंडी भी है तो तप कहता है गुरुदेव आपने उसका घमंड तोड़ने की जो योजना बनाई है उसमें वह एक युवती का सहारा लेकर आपके लिए घोड़ा की व्यवस्था कर रहा है वो अपने दो बच्चों को को चुकी है गुरु दक्षिण यही पर रॉक दीजिए गुरुदेव [संगीत] [संगीत] [संगीत] तब तक के लिए आपको शुभकामनाएं