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धारा 125 सीआरपीसी और भरण पोषण
Nov 7, 2024
धारा 125 सीआरपीसी और भरन पोषण
परिचय
धारा 125 सीआरपीसी उन व्यक्तियों क े सहारे के लिए है जिनके पास सहारा नहीं है।
मुख्य रूप से यह धारा बच्चों और माता-पिता के भरन पोषण के लिए है।
समाज की विडम्बना है कि लोग आधुनिक होते जा रहे हैं और संस्कार भूलते जा रहे हैं।
धारा का मुख्य उद्देश्य
भरन पोषण का अर्थ किसी को जिने के लिए आवश्यक चीजें देना है।
इसका उद्देश्य उन लोगों को सहारा देना है जिनका सहारा छिन गया हो।
ध्यान देने योग्य बिंदु
जिम्मेदारी
: मुख्य बिंदु जिम्मेदारी है, और इसे निभाना हर व्यक्ति का कर्तव्य है।
कानूनी प्रक्रिया
:
धारा 125 के तहत कार्यवाही दंडनी प्रक्रिया नहीं है, इसका उद्देश्य दंड देना नहीं है।
यह उन लोगों की सहायता के लिए है जो सहारे से वंचित हैं।
पक्षकारों का अधिकार
पत्नी, बच्चे और माता-पिता भरण पोषण के हकदार हैं।
पत्नी अपने पति से, बच्चे अपने माता-पिता से, और माता-पिता अपने बच्चों से भरण पोषण का दावा कर सकते हैं।
प्रमुख केस
मुहम्मद अहमद खान बनाम शाहबानों बेगम
: सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।
चुनूनिया बनाम वीरेंद्र सिंह
: पत्नी को भरण पोषण का अधिकार भले ही शादी प्रमाणित न हो।
भरण पोषण के लिए आवश्यक शर्तें
भरण पोषण के दावे के लिए व्यक्ति का असमर्थ होना आवश्यक है।
पत्नी के लिए पति का तलाकशुदा होना, या पत्नी का तलाक लेना आदि स्थितियां शामिल हैं।
विशेष मामलों की शर्तें
पत्नी
: यदि पति नपुंसक है, तो पत्नी को भरण पोषण मिलेगा।
बच्चे
: नाबालिक बच्चे भरण पोषण के हकदार हैं।
माता-पिता
: व्रद्ध माता-पिता अपने बच्चों से भरण पोषण मांग सकते हैं।
भरण पोषण की प्रक्रिया
मजिस्ट्रेट इस आदेश को लागू कर सकता है जहां व्यक्ति रहता है।
अगर विभिन्न परिस्थिति में स्थिति बदलती है, तो भत्ते में बदलाव किया जा सकता है।
निष्कर्ष
धारा 125 का उद्देश्य तलाकशुदा पत्नी, बच्चों, और वृद्ध माता-पिता के अधिकारों की सुरक्षा करना है।
भरण पोषण एक आवश्यक कानूनी प्रक्रिया है जो देश के हर नागरिक पर लागू होती है।
अंत में
कानून का ज्ञान हमें हमारे अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक बनाता है।
इस जानकारी को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाएं ताकि समाज में न्याय की स्थापना हो सके।
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