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धारा 125 सीआरपीसी और भरण पोषण

है तो हेलो दोस्तों गुड़ मॉर्निंग कैसे हैं आप सभी आई हॉप कि दोस्तों सभी अच्छे होंगे और अच्छे से पढ़ाई कर रहे हुए तो दोस्तों मैं एमडी मनीश लेकर क्या गया हूं आपके लिए एक और नई वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल लॉ लाइफ बाइफ एमडी से तो दोस्तों आज की जो वीडियो है वह हम बनाने वाले हैं सेक्शन 125 जो सीएर पीसी के अंतरगात आता है ठीक है दोस्तों यह सेक्शन अपने आप में एक को मतलब कि कह सकते हैं एक ब्रॉड सेक्शन है और इसकी जो परिभासा है ना बस वो इतना समझ लीजिए के जो ऐसे लोग हैं के जिनके ऊपर सहारा नहीं होता ठीक है ये सेक्सर उनको सहारा देता है जिनसे जिनका सहारा छीन लिया जाता है भले यो सहारा वक्त ने छीना हो या हालातों ने छीना हो उनको सहारा देने का एक का बच्चो और माता पिता के भरन पोषण की कारवाही सेक्षन 25 के अंतरगत होती है और ये भरन पोषण मतलब की जीने के लिए जो चीजे हैं उनके आवश्चकता होती है ये सेक्षन 125 उनको प्रोवाइड कराता है लीगल तौर से आपने देखे होंगे हमारे भारत में नजाने कितने अनाथा स्रम हैं और उन अनाथा आलों में बहुत सारे माता पिता हैं ठीक है कि सबसे पहले तो उन्हें की बात करेंगे कि आजकल जो पीड़ी दर पीड़ी चेंजेस आते जा रहे हैं और एक कहने के समाज की विडम्ना है कि जितने लोग मॉडर्न होते जा रहे हैं वह अपने संस्कारों को भूलते जा रहे हैं अपने जाता पिताओं को घर से निकाल देते हैं मारते हैं पीटते हैं बहुत सारा वह होता है तो कानून जो है उस सब के लिए समाज है तो उनके लिए सबसे पहले तो यह ऑप्शन क्रिएट करता है कि अ कि जो माता-पिता बेघर कर दिए गए हैं उनके बच्चों के द्वारा या उसके भाइयों के द्वारा जैसे भी ठीक है उनके पास में कोई साहरा नहीं है तो एक साइड सेक्शन 125 का केस डाल करके ठीक है जो उनका है हफ्त उनमें से उनको क्या दिया जाए भरण पोषण दूसरी कंडीशन आते दोस्तों पत्नी की कि जब भी पती-पत्नी में जो कि रिश्ते वह खराब हो जाते हैं और पत्नी मजबूर हो जाती है अपने पति का घर छोड़ करके कहीं और रहने के लिए तो बेगर हो जाती है उसका आसरा कुछ नहीं रहता तो उसके लिए भी 125 के डलता है और उनको भरंपूषण की व्यक्ति होती है और अब बच्चे के सब्सक्राइब करो कि एक पति है और उसकी पत्मी मर गई उसके दो बच्चे हैं और उसने कहीं और शादी कर ली तो बच्चों का जीवन बहुत ज्यादा मतलब कि दूबर हो जाता है और अ कि सौतेली मां जाती है सौतेला पति है पिता है कुछ भी है तो बच्चों से जब उनका अधिकार छिल लिया जाता है तो उनको भर्णपोषण की आजाधी दी जाती है तो यह सारी चीजें कैसे-कैसे होता है हालांकि है तो समाज की विडम्बना लेकिन एक प्रिएट ही इसलिए हुआ है सब्सक्राइब 125 के भाई जो जिनका सहारा छूट जाता है उनको तो introduction थोड़ा मैंने बता दिया है लेकिन फिर भी हम परीचे के साथ में start करने वाले हैं इसको देखे दोस्तो भरन पोशन शब्द को दंड पिरकिरे सहीता 1973 में परिभासित नहीं किया गया है इसका मतलब यह है कि यह जो भरन पोशन का यह जो केस है अगर आपके ऊपर कोई 125 का केस करता है तो आप निश्चिन तरही आपके कोई सजा का प्राधान इसमें नहीं है यह crime नहीं है पहली बात तो ठीक है आपने कोई crime नहीं किया है ठीक है कह सकते हैं कि वो crime नहीं किया है ज चलिए आगे है कि दंड पिरिकेर सहीता का द्याए नौ पत्नियों बच्चों और माता पिता के भरन पोशन के प्रावधानों से सम्मंदित हैं रख रखाव का सामान्य अर्थ किसी चीज को अच्छी इस्थिती में रखना है द्यान रखना है अगर आपके पास में कोई चीज है कोई वस्तु है तो आपका ये कर्तव्य है कि आप उसकी केर करने उसको ध्यान सरे करें उसकी देखबाल अच्छी से करके रखें ठीक है और और है जिसे किसी को पूर्व पतनी पती या साथी को नियमित रूप से भुकतान करना होगा खासका जब उसके जब उनके एक साथ बच्चे हूं पिरती एक व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी पतनी बच्चो तथा व्रद्ध माता पिता ध्यान रखना इस पॉ� यह हर व्यक्ति का जिम्मा है तो अब कंडीशन यही आती है कि सबसे पहले दो चीजें इसमें कहीं गई हैं कि आपके साथ में अगर कोई वजतु है कोई चीज है कोई व्यक्ति है तो सबसे पहली है कि आप उसके केयर करें दूसरी चीज कि आप उसको इस स्थिति में रखें ठीक है और अगर आपके जो भी relation में है बच्चे हैं पती है पत्नी है जो भी है ठीक है अगर आपके ऊपर उनकी जिम्मेदारी है तो जिम्मेदारी को निभाएं सबसे बड़ी बात दोस्तों ये जो section है 125 ठीक है main point क्या है जिम्मेदारी ठीक है किसी भी condition में आप जिम्मेदा ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं अगर जिम्मेदारी को नहीं निभाओगे तो भी 125 तुम्हारे ऊपर केस कर दिया जाएगा चलिए आगे है कि कार्यवाही का दायरा और उद्देश्य देखिए दोस्तों कार्यवाही कैसे होगी पत्नियों बच्चों और माता पिता के भरन पोषण की कार्यवाही का दायरा और उद्देश्य निमलिकेत हैं सबसे पहला कार्यवाही दंडनी पिरकर्ती के नहीं होगी इ कि सिर्फ इसी के अध्याय नौका मुख्य उद्देश्य ऐसे व्यक्ति को दंडित करना नहीं है जो उन लोगों का भरण पोषण नहीं कर रहा है जिनका भरण पोषण करने के लिए वह बाद है ठीक है मतलब उसको दंडित करना बिल्कुल नहीं है उद्देश्य नहीं है दंडित करना अगर वह उद्देश्य नहीं है दंड करना सबसे ध्यान रखना कि अगर ठीक है तो उसका यह नहीं है कि आपको दंड मिल रहा है वह आपका जिम्मेदारी है वह आपको निभाने लेकिन अगर आप जिम्मेदारी से मुकरते और अदालत की बात को नहीं मातते हैं ठीक है तो आपको दंड मिलेगा फिर आपको जेल भी जाना पड़ स तो हलाकि इस केस का ये मोटिम नहीं है कि आपको दर्द दिया जाए, आगे मुख्य उद्दिश है उन लोगों को तवरित उपचार परदान करने की प्रकिरिया के माध्यम से बेगर होने से रोकना है जो दर्द में है, इट मीन्स कि जिनको दर्द हुआ, जिनको पीड़ा में उसको जीवन जीने के लिए रोटी, कपड़ा और मकान तो चाहिए ना भाई, ठीक है, तो बस इन तीनों का ही गुजारा बच्टा बोलते हैं, इस तीनों के ही भरन पोषण होता है, तो ये चीजे जिसके पास नहीं है, वो कैसे जीवन यापन करेगा, नहीं कर सकता ना, इसल जो भी भारत का निवासी है उस पर सब पर यह लागू है ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं आगे है कि इसका पार्टी होकर पर्सनल लॉ से कोई संबंध नहीं है मतलब कि पर्सनल लॉ का मतलब कोई मुस्लिम है उसका पर्सनल लॉ मुस्लिम विदिया हिंदू तो उसका हिंदू विदिया उनके पर्सनल लॉ से कोई मतलब नही कि मसलिम मतलब कि मुश्लिम निकाहों निकाह के बाद में अपनी पत्मी को छोड़ दिया हो तो भी उसको भरण पोषण दिलवाई जाएगा मुख्य हिंदु पक्षा विवाह करने के बाद उसको उसके माई के बिठा दिया है उसको कुछ कि आपने घर से अलग कर दिया है तो उसको भी वहां पर खर्चा पानी देंगे ठीक है चलिए आगे बढ़ते हैं कि पत्नी बच्चों एवं माता पिता के भरण पोषण हितु आदेश ओडर देखिए अ देखो दोस्तो CRPC की धारा सेक्षन 9 और सेक्षन 125 इन दोनों प्राप्धानों को करती है ठीक है इन दोनों में यही है भरन पोषण उसकी जिम्मेदालियों को निबाना तो CRPC की धारा 125 पतनियों बच्चों और माता पिता के भरन पोषण के आदेश से संबंधित है इस धारा में उन पक्षों का नाम दिया गया है जो भरन पोषण पाने के हकदार है पत्नी, बच्चे और माता पिता ये तीनों भरन पोषण पाने के अधिकार हैं इनको ही भरन पोषण मिल सकता है उसके बाद दावा करने के लिए आवशक सामागरी और भरन पोषण पाने के लिए पृथम स्रेडी मजिस्टेट का आदेज दिया जाता है ध्यान रखना कि ज� मुहम्मद के मापले में देखिए कि यह केस है यहां पर एहमद खान बनाम शाहबानों बेगम मापला बहुत फैमस है आपने सुना होगा ठीक है पटना का है यह साइद चलिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पीड़ी तलाकशुदा मुस्लिम महिला को गुजारा भत्ता देने के प कि गुगल पर डालेंगे तो किसा जाएगा उसका जो डिस्क्रेशन होगा यह बतनी जजमेंट यही था कि इसमें जो मुस्लिम हिलाती उसको गुजाराभथ्ता दिलवाया गया था ऑर्डर था यह उसके बाद कौन दावा कर सकता है और कौन भरण पोषण प्रांट कर सकता है अगली बात आते चलो ठीक है कि भी 125 और सेक्शन कि विशेष ना जो है वह पत्नी को रिक्स पत्ची जो है पत्नी बच्चे और माता पिता सबको भरण पोषण दिलवाते हैं ठीक है अब आपने भी देख लिया कि दायरा कहां करना है मजिस्ट्रीट के पास ऑडर किसका मिलेगा इसमें मजिस्ट्रीट अब उसके बाद पर नहीं चीज आती है कि इसका दावा कर कौन सकता है कि भरण पोषण किसको कौन दावा करेगा तो उसके लिए इसका जवाब है दोस्तों नीचे कि CRPC की धारा 125 पतनियों बच्चों और माता पिता के भरन पोषण के आदेश से संबंधित है धारा 125 एक के अनुसार निमलिखित व्यक्ति दावा कर सकते हैं और भरन पोषण प्राप्त कर सकते हैं ध्यान आप गए क्या करने वाले हैं आप वकील बनना चाहते हैं ठीक है जुडिशरी की तियारी कुछ भी करना चाहते हैं तो ये जरूरी है आपके लिए ठीक है तो सबसे पहला पॉइंट है दोस्तों कि पतनी अपने पती से कोई भी पतनी अपने पती से गुजारा भत्ता प्राप्त कर सके दूसरा अपने पिता से वैध या नाजायज एवियस्क बच्चा कोई भी बच्चा है ठीक है वो अपने पिता से अपना गुजारा भत्ता प्रा एवियस के बच्चा होना चाहिए, इसका मतलब कि वो 21 साल से कब। दूसरा आगे है, अपने पिता से वैद या नाजायज, नामालिक बच्चा, सारेरिक और मांसिक ऐसा मान्यता, ठीक है, मतलब वैद या नाजायज है, वो अपने पिता से कुझारवत्ता मान सकता है, और लाश्ट, चौथा है कि पिता या माता अपने पुत्र या पुत्री से, मतलब कि पिता हो या माता हो, वो अपने बेटे या बेटी से जब वो सक्षम हो जाते हैं, बात बाइनर्स नहीं रहते 21 साल से ज्यादा के हो जाते हैं तो उससे वह जा रहा था बाग सकते ठीक है दोस्तों चलिए आगे दोस्तों अब इनको एक करके डिटेल पर देखते हैं आगे का पॉइंट है पत्री बनाम वीरेंदर सिंह के मामले में पत्नी को परिभासित किया है और इसमें वे मामले भी शामिल है जहां एक पुरुस और महिला काफी लंबे समय से पती और पतनी के रूप में एक साथ रह रहे हो। CRPC धार 125 के तहट विवा का सक्त पिरमान भरन पोषण की पूर्व सर्थ नहीं होनी चाहिए। देखे इस केस में क्या था कि चुनूनिया बनाम वीरिंदर सिंग एक साथ रह रहे थे उन्होंने शादी नहीं की थी लेकिन पती पतनी की तरह ही अपना जीवन व्यापन कर रहे थे। कि मन्य सुप्रीम कोट ने बहुत अच्छा फैसला सुनाया तो इसमें हमें नहीं चाहिए भी आपके प्रमाण दो कि तुमने साधी कि नहीं तुम दोने साथ रह रहे थे अब पत्नी को तुमने उसको अलग कर दिया तो उसका भरण पूछन तुम्हें देना जाए तुम कहीं भी रहोगे ठीक है चलिए आगे था कि सिरीमति के मामले में यमुनाबाई अनंत राव आगव पनाम रणंत राव सिमराव आधव मामले में सुप्रीम कोट ने कहा कि जीवित जीवन साथी मतलब कि जीवन साथी जो भी है वो जीवित है वाले पुरुष के साथ हिंदू रिती रिवाजों के अनुसार महिला का विवा कानून की नजर में पूरी तरह से एमान्य है और वे CRPC धारा 125 के तहत लाब पाने का हकदार नहीं है यह यमनबाय अननतराव का मामला था इसमें यह था कि सुप्रिम कोर्ट ने यह कहा था कि भाईया जो जीवन साथी वाले पुरुष के साथ मतलब कि अगर कि तुम्हारा कोई जीवनसाथ हुआ पुरुष के साथ में ठीक है और हिंदू रिति रिवाजों से उसने क्या किया है कि महिला का विवाह कानून की नजर में पूरी तरह से अमान्य है एक कंडीशन यह थी कि जो महिला थी वहां से पहले ही उसका जीवनसाथ हुआ थी उसके साथ में ठीक है सब्सक्राइब करो कि एक व्यक्ति है उसकी साथी पहले से ऑलडी और हिंदू रिति रिवाजों से उसे दूसरी भी साधी कर ली कुछ भी कंडीशन वहां पर गुजारा-भथ्ता ठीक है चलिए आगे था इसमें यह कहा गया है सीधा मैं अपने उससे बता दूं कि दोस्तों अगर तुम साधी सुदा हो और साधी सुदा नहीं भी हो लेकिन फिर भी साधी सुदा के साथ में किसी पहले से ही आप किसी के साथ में रह रहे हो ठीक है उसके बाद किसी और ऐसे राज मुहम्मद खान जन मुहम्मद खान बनाम हफीजुन निसा यासीन खान के मामले में सुप्रिम कोट ने कहा कि पतनी को भरन पोशन के अनुमती तब दी जा सकती है जब उसका पती नपुन सक हो इंपोर्टेंट फैक्ट है कि पतनी को भरन पोशन के अनुमती दी जा सकती है कब जब उसका पती नपुन सक हो ठीक है नपुन सक का मतलब आप समझ सकते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पतनी को भरन पोशन तबी दिया जाएगा मतलब कि पतनी को भरन पोशन के अनुमती तबी जीजे जब दी जाएगी तो उसका पती नपु ठीक है यह मामला जो तो वह ज्यादा दिन तक नहीं टिकाता ठीक है चलिए आगे कि एक पत्नी निम्ल के स्थितियों में अपने पती से भरण पोषण का दावा कर सकती है और प्राप्त भी कर सकती है यह तो केस थे मतलब कि जो लेंडमार्क केस थे आगे है कि कौन-कौन सी ऐसी कंडीशन है जिनमें पति अपने पती से भरण पोषण का दावा कर सकती है देखिए नंबर एक वह अपने पति के द्वारा तलाक शुदा हो सबसे पहली कंडीशन कि पती ने उसको तलाक दे दिया दूसरों या अपने पती से तलाक ले लिया हो या तो पती ने तलाक दे दिया या फिर पत्नी ने तलाक ले लिया दोनों ही कंडीशन में भी आपको धरण पोषण मिलेगा तीसरा उसने दुबारा साधी नहीं की है तब भी मिलेगा मतलब कि तब तक वह साधी नहीं करेगी पूरे जीवन भर पति उसको उसका खर्चा बानी देता ही रहेगा आगे वह अपना भरन पोषण नहीं कर पा रही है एक कंडीशन है कंडीशन तो सारी ऐसी है कि अगर पत्नी सक्षम है उसकी गवर्नमेंट जॉब है ठीक है या फिर कोई प्राइवेट अच्छी जॉब है कमर्सियल जॉब है उसका स्टेटिस ठीक ठाक है तो उस कंडीशन में पति उसको खर्चापानी नहीं देगा क्योंकि वह सक्षम है लेकिन अन्यता सारी कंडीशन में भी है पत्नी जो है वह कुछ नहीं करती है उसको खर्चापानी पूरे जीवन पर देना ही होगा आगे की बात है कि नोट मुस्लिम पत्नी भी सीएरपीसी के ताइएड भर्न पोर्शन का दावा कर सकती है हालांकि उनके लिए एक अलग अधिनियम मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण अधिनियम भी है लेकिन मुस्लिम महिला भी इस दावे को कर सकते कर सकती है भले ही उनकी परसनल विदी है मुस्लिम विदी है उसके अकॉर्डिंग और भी दावे है लेकिन यहां पर हिंदू जो मतलब कि हिंदू हो या मुस्लिम हो कोई भी धर्मजाति की जो महिला है वह इस अकॉर्डिंग टू दा लॉग वह अपना भरण पोषण मांग सकती है क्योंकि फिर से बता रहे हैं भाईया समिधान जो भारत का है वह सबके लिए बराबर है चलिए आ गए हैं एक पत्नी निम्लिकित स्थितियों में अपने पति से भरण पोषण का दावा या दावा नहीं कर सकती देखिए अब positive सारे पतियों को बड़ा बुरा लग रहा होगा कि सराज क्या बता रहे हैं ठीक है हम तो मारे जाएंगे लेकिन नहीं ऐसा नहीं है भी कुछ condition ऐसी भी है कि जहां पर पत्नी अपने पती से भरन पोषण का गुचार भत्ते का मांग नहीं कर सकती कौन सा सबसे पहला पत्नी व्याभिचार में रह रही है अगर व्याभिचार का मतलब पत्नी तुम्हारे साथ ही रह रही है बले ही तुम्हारे से तलाक हो गया है तुम्हारी दो पत्निया है चार पत्निया है फिर भी तुम्हारे साथ में रह रही है कुछ मतलब कि अगर कोई वैदकारण नहीं है और वो अपनी मरजी से अपने पती के घर को छोड़ करके गई है, अपनी मरजी से दान रखना, अपनी मरजी से पती के घर को छोड़ करके गई है, वैदकारण नहीं है, तो तुम उसका उगजारा भक्ता नहीं कर सकते, आपसी सहमती से अलग रह रहे हो अगर तो दोनों के दो आपस दोनों आपस में तरीके बहुत अच्छी सहमती से देखिए आप अपने काम देखे मैं अपना काम देखते हूं मैं अपने आप रहती हूं तुम अपने आप रहिए आप कहीं भी रहो मैं कहीं भी रहो अगर इस कंडीशन पर आप अलग रहने तो भी पत्मी आपसे मांग नहीं कर सकती आगे है कि वेध्य नाजयत नाबालिक बच्चा ज़्यान रखना पत्नी के तो सारे अधिकार पता चल गया अब बच्चों के कि वैद हो बच्चा मतलब कि वैद हो या फिर ना जायज हो वैद का मतलब होता है एक संस्कार के अकॉर्डिंग विदि के अनुसार ठीक है जो भी हिंदू विदि यह जिस भी मतलब कि जिस भी व्यक्ति की जो विदि है जो धर्म से वह बुलाउंग करता है उसके अकॉर्डिंग वह बच्चा अगर जायज है ठीक है या फिर ना जायज कि सबसे पहली कंडीशन तो यह नाबालिक बच्चा ही भर्णपोषण की मांग कर सकता है दूसरी कंडीशन के नाजायज हो तो भी करेगा क्या देखिए सबसे पहला ऑप्शन है बेटा देखिए नाबालिक का मतलब एक ऐसा व्यक्ति जिसे भारतीय अहुमत अधिन 1875 की धारा 3 के प्रावधानों के तहत व्यस्क नहीं माना जाता है यानि 18 वर्ष से अधिक तैयुग प्राप्त नहीं हुई है ठीक है दूसरा नाबालिक बेटा वैध्या नाजाय सीरपीसी की धारा 125 के तैत भरोपोषण पाने का हकदार है ठीक है अब बात चलते हैं बेटे की यदि नाबालिक बेटी वैद या नाजायज एविवाहित है तो अपने पिता से भरन पोषण पाने की हगदार है और यदि वैविवाहित है तो भी वै अपने पिता से भरन पोषण पाने की हगदार है लेकिन मजिस्टेट को इस बास से संतोष्ट होना होगा कि उसके पती न कहने का मतलब यह है कि बेटा के लिए तो केवर 18 वज़ तक ही मानने आए, लेकिन बेटी के लिए ये जीवन भर मानने आए दोस्तों, कि भाईया जीवन भर बेटी को एक पिता अपनी बेटी को उसका भरन पुषन का जो भी उसका होता है खर्चा, वो उसको देगा ही, लेकि कि वह लड़की कहेगी कि मानिय नयादी जी देखे बात ऐसी है कि मेरे पिता ने जहां मेरी साधी करनी चाहिए ती साधी कर दी अब जहां पर मेरी साधी की थी वहां पर कुछ भी नहीं है महां से मुझे कुछ प्राप्ति नहीं तो कुछ मिली नहीं रहा मेरा जीवन उसको गुजाना नहीं हो रहा है तो मेरे पिता ता यह कर्तव्य है कि वह जो भरून पुष्ण थी अब एक बात और मैं बता दूं पत्मी के लिए देखो कितनी चीजें अपने पित पत्ती से भरन पोषण की मांग कर सकती है अपने पिता से भरन पोषण की मांग करती है और अपने ससुर से भी भरन पोषण की मांग कर सकती है ठीक है तो सास ससुर हो गए माता पिता हो गए और पती इन सब से वो अपने भरन पोषण की मांग कर सकती है पतनी का इतना अधिकार है ठीक ह माना गया था देखिए कंडीशन एक यहां पर यह थी कि एक लड़की थी उसने सत्तर वह चलो मानों के 15 साल की एज में किस किया कि मुझे भरण पूछन चाहिए अब वह केश चलता रहा एक साल दो साल तीन साल अ तीन साल गुजरने के बाद वो अठारे साल की हो गई अब तीन साल तक तो वो केस लंबित रहा उसके बाद में वो उनके जो वकील थे अपोजिट वकील तो उनके दिया सब किसको भरन पोशन दिलवा रहे हैं अब ये तो क्रानूनी नहीं है वो तो अठारे साल की हो चुकी ह आपको माना और जब उसने केस डाला था तब से लेकर के जब तक वह 18 साल के ओगे इट मींस के तीन साल का भरण पोषण दिलवाया समझ में आगा यह लड़की के मामले में था चलिए आगे बढ़ें अब है कि अ वैद या नाजायज ऐसामान्य बच्चा जिसने व्यस्कता प्राप्त कर लियो देखे वैद हो या नाजायज बच्चा हो लेकिन जिसने व्यस्कता प्राप्त कर लियो व्यस्कता का मतलब के वो माइनर से नहीं रहा हो वो अठारे साल से उपर हो गया हो ठीक है चलिए देखे कि यदि कोई बालिक बच्चा वैद्य नाजायज ऐसामान्य मांसी के सारी रूप से अयोग्य है तो उसे बच्चे के पिता को उसका भर्णपोषण करना होगा और वह इस ऐसामान्यता के आदार पर भर्णपोषण का दावा कर सकता है मतलब कोई बड़ा है लूला है अंदा है बहरा है जैसा भी है वह डिसेबिलिटी है उसमें कुछ न कुछ तो वह जीवन भर जब आ गया अब पति-पत्नी की बात सारी समझ में आगे और अ अब बच्चों की बात समझ में आ गई ठीक है अब तीसरा ऑप्शन है कि माता पिता को भरन पोषण लेने का अधिकार है और है तो किससे किनाधारों पर चलो तो स्टार्ट करते हैं माता पिता सबसे पहला प्रकर्तिक पिता और माता भरन पोषण का दावा कर सकते हैं प्रकर पिता सॉरी माता में दत्तक माता भी सामिल है वह दत्तक पुत्र से भर्ण पूछन का दावा कर सकती है ठीक है दत्तक से भी तीसरा है दत्तक का मतलब दोस्तों कि मतलब कि जब जैसे कि अभी सपोज करो कि मैं और मेरी पत्नी नहीं हो रहे हैं तो हमने क्या किया कि बच्चों को गोध ले लिया ठीक है उसके बाद से हम ऐसा हो गई सारे रूप से व्रद हो गई ठीक है उसके बाद से हम उस दत्तक पुत्र से भी जो हमने पाला है ठीक है या फिर किसी भी एज आधार पर हमने कभी भी उसको अपने उसमें गोध ले लिया था और इजनल हमारा खुद नहीं है लेकिन गोध ले लिया था ठीक है तो उससे भी हम क्या कर सकते हैं अपने अधिकार मांग सकते हैं भरणपोषण का आगे कि माता पिता अ पिता भरन पोषण का दावा कर सकता है, यह एक वैधानिक दाइत्व है, इस दावे को यह कहकर खारीज नहीं किया जा सकता, कि पिता अपने माता पिता के दाइत्व को पूरा करने में विफल रहा, देखे इसमें क्या कह सकते हैं, कि कुछ बच्चे जो होते हैं, नालायक किस क्या किया है आपने हमारे लिए? गरीवी में जनम लिया था, भी गरीवी में उससे भी बेकार हो गए हैं. क्या किया है? अगर कुछ कमा करके, दस बीस जमीन कहीं पर ले लेते हैं, आज हम घर होता हमारे पास में, अलग से वो होता, तो आज वो पचास हजार हो जाता, पांच लाख हो जाता, आपने हमारे लिए कुछ नहीं किया. कि इसको अजालत देखती है अगर इस दलील के ऊपर आप अपने पिता को अगर उनका भरण पोषण नहीं देगा तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी तुम्हारे लिए भी तुम्हें देना ही पड़ेगा ठीक है यह नहीं कह सकते आगे है कि निशंतान सौतेली मां भरण पोषण का दावा कर सकती है मतलब कि एक ऐसी सौतेली मां है मतलब जहर सी बात है सौतेली वह आ गया कि कि पिता था उसकी पत्नी मर गई उसके दो बच्चे हैं उसने किसी और पत्नी से साधी कर ली वह सोतेली है अब वह बूड़ी हो गई है ठीक है तो वह बच्चे उस मां को भी भरणपूषण देंगे ठीक है चलिए आगे पांडु रंग भावराव दामडे बनाव बावराव भावराव बावराव दाव भड़े ठीक है दाबाड़े के मामले में बंबे उच्छन्यालय ने माना कि यदि पिता या माता स्वयं का भरण पोषण करने में असमारत है तो धारा 125 एक डी के तहट भरण पोषण का दावा कर सकते हैं लेकिन यह भी महत्पून है कि यदि माता पिता अपने बच्चों को भरण पोषण का दावा करते हैं तो बच्चों के पास अपने माता पिता के भरण पोषण के लिए परियाब साधन होने चाहिए और फिर भी वे पिता या माता के भरण पोषण के अपिक्षा करते हैं या उन्हें भरण पोषण देने से इंकार करते हैं कहने का मतलब यह है कि भाईया इस मामले में यह था कि 121 डीडी के तैद भरणपोषण का जो उनका केस था उसको एक्सेप्ट कर लिया लेकिन उसमें यह कंडीशन देखी गई कि क्या तुम्हारे जो वह बच्चे हैं सबसे पहली कंडीशन यह वह तुम्हें भरणपोषण देने के लायक है या नहीं और दूसरी बात क्या वह भरणपोषण तुम्हारा करने से इंकार कर रहे हैं तो भरणपोषण दिलवाए जाएगा ठीक है चलिए ऐसा नहीं है कि कुछ कंडीशन ऐसे भी होती है कि कुछ वह मां थोड़े से अलग किसम के होते हैं तो मैं यह नहीं कह सकता हमेशा औलाद भी बुरी रहते कभी-कभी मावप भी थोड़े गलत होते हैं ठीक है बच्चा गुजारा कर रहा है दो रोटी चटनी से खाकर के मावप कह रहे हैं कि पनीर लेकर वह मेरे लिए तो ऐसा भी नहीं होना चाहिए ठीक है चलिए गुजारा तो गुजारा है कैसे भी करना है चलिए आगे है कि भरण पोषण कुछ आवश्यक सर्थें जिनने रख रखाव का दावा करने और अनुदान करने के लिए पूरा किया जाना बहुत ही आवश्यक है। नमबर एक, रख रखाव हेतु परियाप्त साधन उपलब्ध है। दूसरा कि भरन पोशन की मांग के बाद भरन पोशन की अपेक्षा करना या इंकार करना। उसके बाद रख रखाव की मात्रः जीवन इस तरपर निर्भर करती है। कि क्या उसके पास परियाप्त साधन है भरणपोषण देने के लिए क्या वह भरणपोषण देने से इंकार कर रहा है क्या भरणपोषण करने वाला व्यक्ति उनका भरणपोषण करने में असमर्थ है जिसको भरणपोषण देना है क्या वह असमर्थ है और क्या जो भरणपोषण देने वाला है उसका जीवन इस तर कैसा है यह सारी चीजें निर्भर करती हैं उसके देखें यदि किसी व्यक्ति के पास भर्ण पोषण के लिए परियाब साधन है तो उसका कर्तव्य है कि वह अपनी पत्नी बच्चों और माता-पिता का भर्ण पोषण करें यदि परियाब साधन उपलब्ध नहीं है तो यह उन लोगों के लिए एक आदर्श और व्यद बचाव होगा जो पत्नी बच्चों और माता-पिता के भर्ण पोषण के लिए कार्य कार्यों नहीं रूप से बाद है यह कंडीशन बहुत ही कम होती है देखि� कि कोई भी आपका परिवार है एक अभी केस आया था सुप्रीम कोट ने फैसला सुनाया था उसमें यही कंडीशन थी कि पति जो था वह भरण पोषण देने के लिए सक्षम नहीं था क्योंकि वह कुछ कम बेरोजगार था अब उसने कहा कि सर में बेरोजगार अपनी पत्नी को कहां से खर्चा दूं तो हाई कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं पता कहां से देगा तो पूरी तरह से स्वस्थ है हाथ पैर सरीर ठीक ठाक है तो कमा और कमा करके दे अब ये मत कहे कि मेरे पास मैं गरीब हूं वो है तो सब कुछ है ना घर घोड़ा गाड़ी ठीक है कुछ भी नहीं है पैसा कितना भी हो कुछ नहीं है कितनी बड़ी ज़वों कुछ नहीं है अगर तुम्हारे पास तुम्हारा सरीर साथ नहीं है तो कुछ नहीं है सरीर अगर तुम्हारा साथ नहीं है बीम पूरे दिन 500 रुप मजदूरी करके लेकर आएगा 500 रुप में 250 रुपे दे वाई पर देगा जरूर ठीक है चलिए आगे रख रखाव में उपेक्षा या इंकार करना देखे कोई भी व्यक्ति अपनी पत्नी बच्चों और माता पिता द्वारा गलत इरादे से या किसी भी इस बात पर अगर कि तुम हमें यह नहीं कर रहा हमारे लिए नहीं कर रहे नहीं कर रहा हम तुझे भरंड पोषण ले लेंगे अधालत में जा करके तुस्ते भरंड पोषण ले लेंगे तो यह उपिक्षा करता है अधालत कहता है कि यह नहीं होना चाहिए ठीक है ऐसा नहीं इसमें कहा गया है कि भरन पोषन देने के लिए वह बहुत महत्वपूर्ण शर्त है कि भरन पोषन का दावा करने वाला व्यक्ति अपना भरन पोषन करने में असमर्थ होना चाहिए। कहने का मतलब है कि चलो धारन तो है इसमें देख लेते हैं। देखें यदि कोई पत्नी अच्छी कमाई कर रही है तो वे इस धारा के तैद भरन पोषन का दावा नहीं कर सकती। आब्दुल मुनाफ बनाम सलीमा के मामले में यह माना गया कि वह पतनी जो स्वस्थ और स्वस्थ है और खुद के लिए कमाने के लिए परियाब्त रूप से सिच्चित है लेकिन खुद से कमाने और अपने पती से भरन पोषन का दावा करने से इंकार करती है तो भरन पोषन क भरन पोषण करने के लिए उसने जॉब छोड़ दी ये सारी चीजे वहाँ पर देखी जाती है ठीक है वहाँ पर हो सकता है भरन पोषण दिया जाए कुछ ही दिया जा सकता है थोड़ा बहुत ठीक है हाला कि उसको मना भी कर सकती है ठीक है चलिए आगे के नाबालिक विवाह प्रावधाने क्या है कि यदि नावालिक बेटी के पती के पास उसके भरन पोषण के लिए पर्याब साधन नहीं है तो गुजाराब हत्ता देना उसके पिता का कर्तविया ध्यान रखना पहले फिर वोई बात कही थे कि अगर कोई भी पती कोई भी पिता सौरी अपने पतनी क में मद्दे मुझे खाने के लिए भूखी थोड़ी रहा जिसने मेरी साथ यहां पर कर रही है मेरे पिता का कर्तव्या मैं उससे लूंगे तो इन परिस्थितियों विवाहित नाबालिक बेटी ध्यानकना नाबालिक बेटी पिता से भर्ण पोषण पाने की एकदार है आलोग बनर जी बनाव हतोषी बनर जी के मामले में एक व्यक्ति देखने के लिए नाबालिक होनी चाहिए, मतलब कि होता है ना, कि नाबालिक लड़कियों की साधी कर देते हैं, अब भी होती हैं, यार कि 14-15 साल तो नहीं, लेकिन 17-16 साल की लड़कियों की साधी कर देते हैं, ठीक है, अब दोनों ही ऐसे हो जाते हैं, उनका भरन पोषण क� तो भी यह लड़की के पिता को ही करना पड़ेगा आ गया कि रख रखाव की मात्रा देखिए रख रखाव की मात्रा का मतलब रख रखाव की मात्रा है रख रखाव की मात्रा जीवन इस तरपर निर्भर करती है उधारन के लिए यदि किसी अमीर परिवार में कोई मुद्ध नियायल लेको यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि दिया गया भरन पोषण परिवार की स्थिति का नुसार उचित है या नहीं कहने का मतलब यह है कि देखें पहले से आप एक ऐसे परिवार में गुजारा करती आई है जहां पर आपके परिवार की जो बेसिक गुजारा था मतलब कि बेसिक जो जैसे कि कह सकते हैं नॉर्मल सब्दों में कि तुम्हारे पिता के घर पर जब आप रहती थी तो तुम्हारे पिता तुम्हारे मासिक खर्च के लिए पूरे परिवार के 50,000 रुपा खर्च करते थे ठीक है अब पति के वहां पूरे सा महीने का खर्चा होता है तो उसके बाद अगर तुम अलग हो जाते हो तो भाईया तुम कि इस आधार पर कहोगे कि पहले जब हमारा ऊपर खर्च होता था वह एक लाग रुपए खर्च होता था तो उसी के अकॉर्डिंग सपोज करो कि चार लोग थे घर में और चार लोगों पर एक लाग रुपए खर्च हो रहा है तो अब भी हमें रुपए पाने के हक्षण होगी उससे कम नहीं किया जा सकता ठीक है चलिए अ कि यह समझ में आ गया है कि भरण पोषण की कानवाही से निपटने के लिए मजिस्टेटों का छित्र अधिकार इंपोर्टेंट फैक्टर धारा 125 एक दिक्षित कोई व्यक्ति अपनी पत्नी भरण बच्चों माता-पिता के भरण पोषण के अपिक्षा करता है अपिक्षा का मतलब होता है मना करता है जान रखना डिनाई करता है या इंकार करता या माता पिता ऐसी मासिक दर पर जो मजिस्टेट उठित समझे और मजिस्टेट के निर्देश के अनुसार ऐसे वक्ति को भुक्तान करना होगा देखो मजिस्टेट ये कहेगा कि या तो तू इनके लिए खाने पीने का सबका इंतजाम कर या फिर इने पैसे दे बहुत इनके लिए पहले कराय का मकान ढूंग उसके बाद इनके जो भी वो है उनके लिए कोई शॉप ढूंदे पर चूने की जहां से अपना सारा जितना भी इनका खर्चा हो वहां से यह ले आए और जो दवाई गोली कपड़े उसकी वह है वह रेंज कर दे या फिर इनको पैसे दे वह अपना अप कर लेंगे ठीक है तो मैंने यह होता है कि पैसे दे देते हैं ठीक है पैसे का वह हो जाता है कि इसमें टोटल बेसिक दस जार रुपए का माध्यश चलिए आगे है कि यदि कोई नाबालिक लड़की एविवाहित है ध्यान रखना कि लड़की नाबालिक है और वो एविवाहित है साधी नहीं हुई है तो मजिस्टेट उसके व्यस्क होने तक ऐसा भत्ता देने का आदेश दे सकता है तो वो कह सकते हैं जब तक लड़की व्य और मजिष्ट्री संतुष्ट है कि ऐसा नावालिक बच्चे के पती के स्वास्त पर यह साधा नहीं है, तो मजिष्ट्री नावालिक लड़की के पिता को भरन पोशन के लिए ऐसा भत्ता देने का आदेश दे सकता है, तो भी फिर भी पिता को ही देना पड़ेगा उसका खर्चा, सकते कि संबंध में कोई कार्यवाही लंबित हो तो मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को अपनी पत्नी बच्चे माता-पेता के अंतरिम भर्ण पोषण के लिए मांसिक भट्ता और ऐसी कार्यवाही के खर्चों के लिए मांसिक भट्ता देने जातित दे सकता है जिससे मजिस्ट्रेट उत्ती समझ सकता अब देखो एक बात और मैं आपको ऐसे बता दूं जिस से किसी भी उसने भट्ते के लिए केश डाल दिया और जब तक वह केस चलेगा या जब तक उस पर आउडर होगा कि इतना भक्ता दिया जान चाहिए इसमें 6 महीने लगे या 6 साल लगे तो इस बात का ध्यान रखना जो केस में उसने खर्च किया है जो तुम्हारे ऊपर गुजारा भक्ता का केस कर रही है चाहिए आपकी बतनी से आपके बातर पिता से आपके बच्चे से कोई भी से उनको उस खर्च वो भी तुम्हें देना पड़ेगा जो उन्होंने वकीलों को ऊपर खर्च किया है लेकिन कहने का मतलब है कि अंतरियम भरण पोषण और कारवाई के खर्चों के लिए मासिक भट्ते के लिए एक आवेदन का निप्टान ऐसे वक्ति को आवेदन की सूचना की तारीख से 60 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए मतलब कि देखे ये थोड़ा वकीलों की भी वो होती है ठीक है और आपकी जानकारी के लिए मैं आपको बता दूँ दोस्ते कि जब आप अपने पती के उपर ठीक है गुजारा भट्ते का केज डाल रहे हैं तो केज डालने के तुरंत बाद ही उसमें इंटरीम डाल दी अंतरीम भर्णपोषण का मतलब यह होता है कि जनाब हमें देखे आपने यह सुना होगा कि केस तो केस है चलते रहते हैं यह मैं आपको एक बहुत अच्छी बात बता रहा हूं ठीक है फिक्कर उसका एक्सेप्ट कर लिया गया अब उस पर सुनवाई होगी प्रोसेटिंग चल रही है तुरंत आप एक एप्लीकेशन और डाल दो अंतरी भरण पोषण के लिए उसमें यह लिखा होता है कि जनाब मैं भी सक्षम बिल्कुल नहीं हूं ना तो केस लड़ने के लिए और नहीं गुजाराभक्ता करने के लिए तो जब तक यह केस की जो भी मतलब कि नहीं आ जाता फैसला तब तक मुझे कंटिन्यू अभी से भरण पोषण दिलाए जाए आज की ही तारीख से है तो आपको यह समझते हैं जब साथ कि हां तुम्हारे पास कुछ नहीं है और तुम्हारे के लड़ने के लिए नहीं है तो तुरंत उस समय तुम्हारा खर्चा बांधेते हैं और यह रख देते हैं कि जब तक फैसल आगर यह प्रॉब्लम नहीं है तुम्हें तुम्हारे तो कदार भत्ता मिलना है इस बात को ध्यान रखना ठीक है चलिए आगे है कि दार यह सो 25 के अनुसार यदि कोई अदालत भर्ण पोषण या अंतरीय भर्ण पोषण और कार्यवाही के खर्चों के लिए ऐसे भत्ते का आदेश देती है तो यह आदेश की तारीक से दे होना चाहिए यदि ऐसा आदेश दिया गया है तो यह उस तारीक से दे होगा कारवाही के भरन पोषण एवं विववे के लिए आवेदन पत्र 125.3 के अनुसार यदि कोई व्यक्ति बिना परियाप्त कारण के आदेश का पालन करने विफल लेता है तो मजिष्टे जुर्मानेक सहसात रासीवा सुनने के लिए वारण जारी करने का आदेश दे सकता है य� तो कारावास की सजा दी जाती है जिसे एक महीने तक या फिर किए गए भुकतान तक बढ़ाया जा सकता है कहने का मतलब यह है दोस्तों कि देखो स्टाइटिंग मैंने बताया था यह जो 125 CRPC 125 और सेक्सर 9 यह दोनों भरंड पोशन के लिए है अगर इनके अकॉर्डिंग यह सबसे पहले तो इस सिविल का केस माना जाता है और इसमें सजा लिए नहीं है यह दंडिक प्रिकरिया नहीं है इसमें दंड देना नहीं है लेकिन अगर कि मजिस्ट्रीट यह या फिर अदालत यह कह देते कि इनको इतना भरण पोषण 10,000 रुपए महीने का दिल लाए जाए और उस पर पति उस भरण पोषण को नहीं बढ़ता है आनाका है तो अगले फिर जब भरण पोषण नहीं करेगा तो इस कंडीशन में अदालत जो है उसको जेल भेज सकती है उसके इन वारंट जारी कर सकती है ठीक है और उस पर जुर्माना लगाई ठीक है और फिर भी नहीं मानता है तो फिर उसे सजा भी होगी तो ठीक है मतलब यह नहीं है लेकिन अगर भरण पोषण देने वाला गायदालत की बात को नहीं मानेंगा तो उसको डेफिनेटली सजा हो सकती है ठीक है चलिए आगे है रख रखाव की प्रक्रिया देखिए सीएर पीसी की धारा 126 भरण पोषण की प्रक्रिया से संबंधित है यह अनुभग निम्लिखित कहता है कि जानक ना 125 के बाद 26 वह से जुड़ी हुई है क्या कहता है कि निम्लिखित जिले में धारा 125 के तहत कार्यवाई की जा सकती है कि मतलब कोई भी है जो जिला है उसमें क्या की जा सकती है कारवाई की जा सकती है क्या कि वह कहां कहां सबसे पहले तो कंडीशन यह कि वह किस जिले का है कहां जहां वह या उसकी पत्नी रहती हो वहां कारवाई की जा सकती है जो पत्नी का माई का हो प्रमाई के से कारवाई कर सकती है या फिर वह जहां भी रह रही हो वहां से भी इस कारवाई के लिए कर सकती है आगे है कि जहां वह आखरी बार अपनी पत्नीया नाजायज बच्चे की मां के साथ रहता था उस जगह पर जहां वह पहले रहता था सब्सक्राइब बैंगलोर चले गए तो पत्नीयां दिल्ली से भी इसके लिए क्लिक कर सकती है आगे कि साक्षा उस व्यक्ति की उपस्थिति में लिया जाना चाहिए जिसके वृद्ध भरण पोषण का आदेश दिया जाना है कहने का मतलब जो केस यह दिया जाएगा किसी चलेगा तो उसमें जो सक्षे है ठीक है वह जो सबूत है वह उस व्यक्ति के सामने ही लिए जाएंगे जिसके खिलाब भरण पोषण की मांग की जा रही है ठीक है चलिए आगे है यदि कोई व्यक्ति जानबूज कर सम्मन से बच रहा है तो उस स्थिति में एक पक्षिय साक्षे लिया जाता है मतलब कि दोनों पक्षों को सम्मन भेजा जाता है अगर पति पक्षिय साक्षे के लिए वहाँ पर नहीं जाता है तो उसको एक पक्षिय लिया ठीक है उसके बाद वह अदालत में जाएगी तो अदालत से आपके पास में समाना आएगा पहले आपको बोला जाएगा कि भाईया तुम्हारे पास में केस आ गया है चलो केस कर दिया तुम्हारी पत्नी ने जाकर के भरण पोषण की मांग कर रही है तो ठीक है तो मुझे कहा पाता मैं कहते देता हूं तो इस तरह की कंडीशन ही चलेगी जैसी के डेलेग आपके पास में तुरंत आपको बुला लिया जाएगा ठीक है चलिए आ गया है भत्ते में बदलाव देखिए इंपोर्टेंट है कि भत्ते में बदलाव का मतलब भत्ते को बढ़ाने घटाने हटाने रद्द करने का आदेश है जो मजिस्टिट द्वारा धारा 125 कहते हैं कहा जा सकता है कहने का मतलब यह कि एक बार अगर गोजारा भत्ता बंद गया तो उसको बढ़ाया धारा 127.1 के अनुसार यदि कोई मजिस्टेर 125 के तहत पार्टियों की उस समय की सर्टों के अनुसार भरन पोशन बद्धा देने का आदेश देता है लेकिन यदि पार्टियों की वर्तमान इस्थिती बदल गई है तो बद्धे में बदलाव का भी आदेश दे सकता है उधार करने का और भत्ता देने का आदेश दिया है लेकिन वर्तमान इस्तिति में पती के पास नय तो नौकरी है और नय ही भरन पोषण का साधन फिर नयायल भत्ते में बदलाव कर सकता है और भत्ते की राशी कम कर सकता है दूसरा यदि किसी पत्नी के पास कोई नौकरी नहीं थी या वै अपना भरन पोषण करने में समर्थ थी और उसे 125 के तहट भत्ते का आदेश मिलता था मिला था लेकिन कुछ महीनों के बाद वह अच्छी तरह से व्यवस्थित हो गई और उसके पास अपना भरण पोषण करने के साधन है इस मामले में कोड भत्ता हटाने या रद करने का आदेश दे सकते हैं यह कहने का मतलब है जिस समय पर भत्ता उसका भरण पोषण करने के लिए मांग की गई थी और कि अदालत ने माना था उससे पति के पास अच्छी खासी नौकरी थी सब कुछ था बढ़िया था अब उसके पास कुछ नहीं रहा तो बट्ते से इंकार कर सकते मतलब कि यह भी साधान है पत्तियों के पास में कि भी यह जब तक वह खत्म हो जाएगा या फिर पत्नी बट्ते बट्ता जो मिला था उसको उदारा बट्ता मिला था उसने उसको अच्छे काम में पाया वह कमाने लग गई सब कुछ लगा तो उसको जरूरत नहीं है तो फिर कटम किया जा सकता है ठीक है चलिए आ गए हैं दारा 127 दो के अनुसार देखिए मजिस्टेट अपने द्वारा 125 के तहट दिये गए किसी भी आदेश को रद कर देगा यदि ऐसा प्रितीत होता है कि सक्षम सिविल नियायल लेकिन किसी निर्णय के परिणाम सभरूप इसे रद किया जाना चाहिए उधारन के लिए यजी मज पर साथ रहने का आदेश दिया है फिर मजी स्टेट को अपना आदेश रद्ध करना पड़ता है जो धारा 125 के लिए दिया गया देने कहने का मतलब यह है कि पत्नी ने भरण पोषण का भी केज डाल रखा था और तलाक का ठीक है तो तलाक का चल रहा था तो मजी स्टेट ने क्या किया 125 के अकॉर्डिंग उसको भरण पोषण बंदवा दिया खर्चा बंदवा दिया चलिए आगवे है धारा 127 तीन के अनुसार जहां धारा 125 के तैत महिलाओं के पक्ष में कोई आदेश दिया गया है तो मजिस्टेट निमलिकित मामले में आदेश को रद्ध कर सकता है कैसे अगर कोई महिला तलाक के बाद दो बारा सादी कर लेती है मतलब महिला ने तलाक हो गय अगर किसी महिला ने तलाक के बाद किसी personal law के तहट भत्ता लिया है मतलब कि एक मुस्लिम महिला है मुस्लिम महिला में मुस्लिम जो निका होते हैं ठीक है उनमें एक law होता है ठीक है कि साधी के तहट उनको दहेज रूपी कुछ gift दिया जाता है उसके बाद भी उसको दिया जा सकता है ठीक है तो उस condition में यह हो जाता है कि भी या अगर मुस्लिम महिला है ठीक है अब उस समय पर जब साधी होती है तो उनको एक अमाउंट बान दिया जाता है ठीक है जो पत्नी का हक माना गया है मुस्लिम विदी में अगर उसमें ये कंडिशन होती है कि पत्नी उसको जब चाहे मांग कर सकती है तो अगर पत्नी जो है मुस्लिम पत्नी उसक मुझे वह चाहिए अगर वह उसको उस समय पर मिलती है ठीक है तो दोस्तों उस कंडीशन मुझे उसको गुजारा भकता जो है उसका नहीं हो पाएगा ठीक है चलिए आगे है यदि कोई महिला स्विच्छा से भरण पोषण का अधिकार छोड़ देगा तो कोई महिला कहते तो तुससे लेना है क्या तो है ने बेकार जामत से कुछ नहीं लूंगा अपने हाफ कर सकती है तो अब धारा 127.4 के अनुसार, देखिए सिविल न्यायल ले किसी भी रख रखाव या दहीज की वसूली के लिए कोई डिक्री करते समय 125 के तैत रख रखाव और अंतरिम रख रखाव के लिए मासिक भत्ते के रूप में ऐसे व्यक्ति को भुक्तान की गई राशी को ध्यान म चलिए आगे है पॉइंट दोस्तों रख रखाव के आदेश का परवर्तन देखे अब दारा 128 भरंड पोषण के आदेश के परवर्तन से सम्बन्दीत है इस दारा के अनुसार भरंड पोषण के आदेश को लागू करने की निमलिखिसरते हैं कौन सी इंपोर्टेंट है ध्या पच्चों के अभिवावा को ही दी जाएगी ठीक है दोस्तों दूसरा पॉइंट है कि यदि मजिस्टेट ने धारा 125 के तहस कोई आदेश दिया है तो भारत का कोई भी मजिस्टेट इस आदेश को वहाँ लागू कर सकता है जहां वह व्यक्ति रहता है जिससे भरन पोषण द बत्तों का भुक्तार ने करने का प्रमाण देना पड़ेगा ठीक है चलिए आगे है निशकर्स देखिए दोस्तों अपराधिक पिरक्रिय सहीता अध्याय नौ तलाक सुदा पत्नी बच्चों और व्रद्ध माता पिता के अधिकारों के सुरक्षा के लिए ही आवशक है बनाया ही इसलिए तो यह उन एसामान्य एजीविका से बचने के लिए बनाया गया है या रखरकाव हर उस व्यक्ति का कर्तव्य है जिसके पास के इस अध्याय में भरन पोषण से सम्मंदी विन्न प्रावधन दिये गए हैं जैसे भरन पोषण का हकदार कौन है भरन पोषण देनी के आवशक सरतें भरन पोषण की पिरकिरिया पिछले आदेश में बतलाब पोषण करने के परवर्तन आदि जो की हमने सारे यहाँ पर प और दोस्तों कानून जो है ना कानून पढ़ करके ना हम अपनी जीवन को अच्छा बनाते हैं कानून हम एक वकील बनने के लिए एक जज बनने के लिए नहीं सबसे पहले कानून हम इसलिए पढ़ता है कि हमें पता होना चाहिए कि हमारे हक्या है और वो हमने आपको बताया है कि उन वृद्ध माता पिताओं के लिए है ठीक है उन बच्चों के लिए है जिनको उनके अधिकार से वंचीत कर दिया जाता है तो मैं रिक्वेश्ट करूंगा सबसे कि इस प्रोसीजर को उन सभी लोगों तक पहुंचाएं जो आपके आसपास में दोस्त हैं जो बहने जिनका साथ में ऐसा हो रहा है कि उनके पति ना उनको घर से भगा दिया है और वह आई कि मैं आकर रह रही हूं बहुत सारी कंडीशन है ठीक है तो चलिए इस आदेश के साथ में और हमसे भी अगर कुछ help चाहिए आपको इस बारे में और कुछ जानकारी चाहिए तो आप हमारे सीधे हमसे जुड़ सकते हैं नीचे description में जाएए ठीक है हमारे instagram page को follow कर सकते हैं facebook page को follow कर सकते हैं और हमारे whatsapp group में direct हमसे बात कर सकते हैं ठीक है तो चल और अगर ऐसी कोई condition है कि आपको कोई समस्या है कोई problem है तो आप हमसे सीधा 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