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भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और ब्रिटिश राज
Jul 15, 2024
ब्रिटिश राज और भारत की स्वतंत्रता संग्राम
ब्रिटिश शासन का विस्तार
ब्रिटिश राज 1837 तक अधिकांश भारत पर सीधा या अप्रत्यक्ष कब्जा कर चुकी थी।
ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थानीय नरेशों और नवाबों के साथ मिलकर राज किया।
कंपनी ने भारतीय सिपाहियों को अपने में सम्मिलित किया, परंतु अधिकारी पद केवल अंग्रेजों के लिए थे।
सिपाही विद्रोह (1857)
अंग्रेजों द्वारा भारतीय सिपाहियों के धर्म का अपमान एक बड़ी वजह थी।
मंगल पांडे ने विद्रोह की शुरुआत की थी।
विद्रोह के विभिन्न केंद्र: मेरठ, दिल्ली, लखनऊ, झांसी आदि।
रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बहादुर शाह जफर जैसे नेताओं ने प्रतिशोध किया।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885)
ब्रिटिश अधिकारी एओ ह्यूम ने कांग्रेस की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।
उद्देश्य: भारतीयों की आवाज ब्रिटिश शासन तक पहुंचाना।
प्रारंभिक नेतागण: नरम दल और गरम दल के रूप में विभाजित।
बंगभंग (1905) और स्वदेशी आंदोलन
बंगाल का विभाजन (बंगभंग) हिंदू-मुस्लिम में फूट डालने हेतु ब्रिटिश रणनीति थी।
स्वदेशी आंदोलन में ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार और स्वदेशी वस्त्रों का उपयोग।
ग़दर पार्टी और जर्नाल सिंह
भारतीय क्रांतिकारियों ने विदेशों में भी आजादी की लहर फैलाने की कोशिश की।
जर्मनी और अन्य देशों से मिलकर सशस्त्र संघर्ष की तैयारी।
अंग्रेजी सरकार ने ग़दर पार्टी के नेताओं को कड़ी सजा दी।
रौलट एक्ट (1919) और जलियाँवाला बाग हत्याकांड (1919)
रौलट एक्ट से बिना मुकदमे के किसी को भी कैद किया जा सकता था।
जलियाँवाला बाग में जनरल डायर ने निहत्थे लोगों पर गोलीबारी करी, जिसमें सैंकड़ों मरे।
गांधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया।
असहयोग आंदोलन (1920) और स्वराज की मांग
गांधीजी ने ब्रिटिश स्कूल, कॉलेज और संस्थानों का बहिष्कार किया।
स्वराज (स्व-शासन) की मांग जोर पकड़ी।
भगत सिंह और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)
क्रांतिकारी भगत सिंह और उनके साथी ने सांडर्स हत्याकांड में हिस्सा लिया।
1929 में सेंट्रल असेंबली में बम फेंककर गिरफ्तारी दी।
भगत सिंह को फांसी
1931 में भगत सिंह, राजगुरु, और सुखदेव को फांसी।
जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू और साइमन कमीशन
साइमन कमीशन का विरोध: 'साइमन गो बैक' का नारा।
1928 में मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट में डोमिनियन स्टेटस की बात।
जिन्ना ने अपने 14 पॉइंट भी प्रस्तुत किए।
गांधीजी का दांडी मार्च और नमक सत्याग्रह (1930)
अंग्रेजों द्वारा नमक कानून का विरोध।
साबरमती से दांडी तक 390 किमी की यात्रा कर नमक कानून का उल्लंघन।
सत्याग्रह में लाखों लोगों की भागीदारी।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस और INA
जापान और जर्मनी की मदद से आजाद हिंद फौज (INA) का गठन।
‘दिल्ली चलो’ और 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा' के नारे।
द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन (1942)
गांधीजी का ‘करो या मरो’ का नारा.
ब्रिटिशों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन और आंदोलन।
अंग्रेजों ने नेताओं को जेल में डाला, लेकिन आंदोलन कमजोर नहीं पड़ा।
स्वतंत्रता और विभाजन
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन का दबाव बढ़ा, स्वतंत्रता की योजना बनाई।
1947 में भारत को स्वतंत्रता मिलने का निर्णय।
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