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सुपरकंडक्टर का महत्वपूर्ण अध्ययन
Feb 18, 2025
सुपरकंडक्टर का एक-शॉट रिवीजन
प्रारंभ
इंजीनियरिंग भौतिकी में सूपरकंडक्टर पर रिवीजन किया जा रहा है।
गेटवे क्लासेस एप्लीकेशन पर पीडीएफ नोट्स, PYQs और DPP मुफ्त मिलते हैं।
कंडक्टर और सुपरकंडक्टर की समझ
कंडक्टर
: ऐसे सामग्री जिनमें करंट का प्रवाह होता है।
करंट का प्रवाह प्रतिरोध (Resistance) द्वारा नियंत्रित होता है।
कंडक्टर का प्रतिरोध तापमान के साथ बदलता है।
तापमान बढ़ने पर प्रतिरोध बढ़ता है और तापमान कम करने पर प्रतिरोध घटता है।
सुपरकंडक्टर
: जब किसी सामग्री का प्रतिरोध शून्य हो जाता है।
H.Kamalink Vance
ने 1911 में प्योर मरकरी पर अध्ययन किया और 4.2 केल्विन पर प्रतिरोध शून्य पाया।
यह एक महत्वपूर्ण खोज थी क्योंकि इससे विद्युत ऊर्जा का हानि समाप्त हो गया।
सुपरकंडक्टिविटी का परिभाषा
सुपरकंडक्टिविटी
: जब कोई सामग्री शून्य प्रतिरोध या अनंत चालकता प्राप्त करती है।
सुपरकंडक्टर के प्रकार
कम तापमान सुपरकंडक्टर
: जिनका क्रिटिकल तापमान कम होता है।
उदाहरण: मरकरी, लीड, नियोबियम।
उच्च तापमान सुपरकंडक्टर
: जिनका क्रिटिकल तापमान 77 केल्विन से अधिक होता है।
उदाहरण: बिस्मथ, स्ट्रोंटियम, क्यूपर ऑ क्साइड।
क्रिटिकल तापमान
क्रिटिकल तापमान: वह तापमान जब सामग्री सुपरकंडक्टर बन जाती है।
मार्जिनल प्रभाव
: जब कोई सामग्री क्रिटिकल तापमान से ऊपर होती है, तो वह सामान्य पदार्थ बन जाती है।
गुणधर्म
शून्य प्रतिरोध।
डायमैग्नेटिक व्यवहार।
पर्सिस्टेंट करंट: यह करंट बिना किसी धारा के लंबे समय तक प्रवाहित होता है।
मिजनर प्रभाव
: सुपरकंडक्टर सभी मैग्नेटिक लाइनों को बाहर धकेलता है।
अनुप्रयोग
विद्युत पावर ट्रांसमिशन
: सुपरकंडक्टर का उपयोग कर सकते हैं।
मेडिकल इमेजिंग
: MRI मशीन में उपयोग।
सुपरकंडक्टिंग ट्रांसफार्मर और जेनरेटर
।
महत्वपूर्ण प्रश्न
सुपरकंडक्टर और कंडक्टर का अंतर।
मिजनर प्रभाव पर विवरण।
सुपरकंडक्टर के प्रकार और उनके गुण।
उच्च तापमान सुपरकंडक्टर के अनुप्रयोग।
निष्कर्ष
सुपरकंडक्टर की समझ और उनके गुणों पर ध्यान देना आवश्यक है।
भविष्य में सुपरकंडक्टर का उपयोग ऊर्जा संकट को समाप्त कर सकता है।
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