Hello dear students, welcome to the Gateway Classes, my name is Gulshan Kumar और मैं आपको पढ़ा रहा हूँ Engineering Physics Engineering Physics में आज हम Superconductor का One-Shot Revision करेंगे और जैसे कि आप लोग जानते हैं कि One-Shot Revision के PDF Notes, PYQs और DPP ये content आपको Gateway Classes application पर free of cost मिलता है application का link आपको video के description में given है revision को start करने से पहले मैं आपको बता देता हूँ कि गेटवे क्लासेस एप्लीकेशन पर बीटेक थर्ड सेमिस्टर के सभी कोर्सेस आपको 22 अगस्ते मिलने स्टार्ट हो जाएंगे कौन-कौन सी ब्रांच के कोर्सेस आपको मिलेंगे तो यहाँ पर ब्रांच भी मेंसन है जैसे कि CS और CS अलाइट ब्रांच के इसी और इसी अलाइट ब्रांच के कोर्सेस आपको मिलेंगे मेकैनिकल और मेकैनिकल एलाइट ब्रांच एंड इलेक्ट्रिकल एलाइट ब्रांच के कोर्सेस आपको 22 अगस्त से गेटवेड क्लासेस एप्लीकेशन पर मिलने स्टार्ट हो जाएंगे अगर आप आपको चैनल का कंटेंट अच्छा लगता है तो आप लोग चैनल को सब्सक्राइब करें और वीडियो को लाइक करें अब हम रिवीजन को स्टार्ट करते हैं लेकिन आज का जो हमारा टॉपिक है वह सूपर कंडेक्टर और सूपर कंडेक्टर के अंदर जितने भी टॉपिक हमारे स्लेबस में है सभी टॉपिक को हम इस वीडियो के अंदर आज कंप्लीट करेंगे तो पढ़ते हुए आ रहे हैं तो हम पहले थोड़ा सा कंडक्टर को समझ लेते हैं उसके बाद हम स्टार्ट करेंगे सूपर कंडक्टर तो ध्यान दीजिएगा कंडक्टर को आप पढ़के आएं कंडक्टर क्या होते हैं पिक कंडक्टर ऐसे मेटिरियल हैं जिनके अंदर से करं� अपोज करता है यह आप लोग अच्छे से जानते हैं ठीक है ना करंट का पोस कौन करता है रजिस्टेंस कंडक्टर के अंदर यह जो रजिस्टेंस है इस रजिस्टेंस का टेंप्रेचर के साथ में क्या रिलेशन है उसको पहले जरा समझ लेते रजिस्टेंस है ध्यान दीजिएगा कंडक्टर का जो रजिस्टेंस है वह टेंप्रेचर के साथ वेरी करता है टेंप्रेचर के साथ में वेरी करता है कैसे vary करता है ज़राँ धियान दीजेगा अगर आप conductor का temperature बढ़ाएंगे तो resistance बढ़ जाएगा और अगर आप conductor का resistance को कम करेंगे तो conductor का resistance कम हो जाएगा मतलब conductor के temperature को कम करेंगे तो conductor का resistance क्या हो जाएगा कम हो जाएगा अब यहाँ पर एक और term आती है resistivity जो resistance होता है वो resistivity के directly proportional होता है इसका मतलब यह हुआ अगर हम conductor के temperature को बढ़ाएंगे तो resistance भी बढ़ेगा और resistivity भी बढ़ेगी और अगर हम conductor के temperature को कम करेंगे तो resistance भी कम होगा और resistivity भी कम होगी तो यह conductor की एक important property है एक और term यहाँ पर use होती है that is conductivity तो conductivity और resistivity दोनों एक दूसरे के inversely proportional है इसका मतलब यह हुआ कि अगर resistivity कम होगी तो conductivity बढ़ेगी और अगर resistivity बढ़ेगी तो conductivity कम होगी तो ये तीन term को आपको ध्यान रखना है resistance, resistivity और conductivity और ये तीनो temperature के साथ में कैसे vary करती है ये आपको अच्छे से मालोन होना चाहिए तो अब conductor की जो ये property है कौन सी property कि temperature को कम करने पर resistance कम होता है temperature को बढ़ाने पर resistance बढ़ता है इसी property को detail में study किया एक scientist में और उन scientist का नाम है H.Kamalink Vance in 1911 में इसी property को इन्होंने detail में study किया बात समझ में आ रही है देखे 1911 से पहले ये बात तो confirm थी कि temperature के साथ में resistance vary करता है लेकिन इसी property को detail में study किया इन्होंने अब इन्होंने देखे क्या किया इन्होंने pure mercury को लिया ध्यान दिजेगा इन्होंने क्या किया प्यूर mercury को लिया आप सब लोग जानते हैं mercury क्या है एक liquid metal है तो इन्होंने pure mercury को लिया और इस pure mercury की इन्होंने study की कैसे study की ज़रा ध्यान दीजिए इन्होंने pure mercury को लिया और pure mercury के temperature को यह decrease करते गए और जैसे temperature को decrease करते गए साथ ही साथ यह mercury के resistance को भी measure करते गए ध्यान दीजिएगा इन्होंने mercury के temperature को decrease करना start किया और साथ ही साथ resistance को भी measure करना start किया mercury के temperature को decrease करते 4.2 kelvin पर मतलब जिस समय मरकरी का temperature कितना हो गया 4.2 Kelvin हो गया तो 4.2 Kelvin पर इनको एक shocking result देखने को मिला और वो shocking result ये था कि mercury का resistance 4.2 Kelvin पर हो गया 0 अब resistance 0 हो गया इसका मतलब resistivity भी 0 हो गयी तो 4.2 Kelvin पर resistance हो गया 0 तो ये shocking result क्यों है क्योंकि अगर resistance 0 हो गया तो आप सोचिए कितना बड़ा achievement है कितनी बड़ी ये invention है क्योंकि आप सब लोग जानते हैं कि जो हमारी electrical energy का loss होता है वो resistance की वज़े से होता है अगर resistance जीरो हो जाएगा तो electrical energy का loss खतम हो जाएगा, electrical energy का loss नहीं होगा, तो इसलिए ये एक big achievement थी, तो mercury का resistance किस temperature पर जीरो हुआ 4.2 Kelvin पर जीरो हुआ इसके बाद इन्होंने और scientist ने और भी बहुत सारे material के उपर ये इस study को किया, लेकिन सभी material का temperature sorry, सभी material का resistance जीरो नहीं हुआ, बात समझ मारे सभी material का resistance जीरो नहीं हुआ केवल कुछ ही material का resistance 0 हुआ और अलग-अलग temperature पे 0 हुआ तो यहां से एक बात तो यह confirm हो गई कि सभी material का resistance 0 नहीं हो सकता एक और important बात जब किसी material का resistance 0 हो जाता है तो उस material को हम conductor नहीं super conductor कहते हैं तो अगर किसी भी material का resistance 0 हो जाता है तो उसी material को हम कहते है super conductor और यह जो phenomenon है resistance जीरो होने की जो phenomena है इसी phenomena को कहा जाता है conductivity अब यहाँ पर ज़रा ध्यान दीजेगा मैंने यहाँ पर क्या लिखा है the phenomena of superconductivity भाई सीधी सी बात है इन्होंने यह experiment किया था इन्होंने यह बता है कि 4.2 Kelvin पर Mercury का resistance क्या हो गया जीरो हो गया और इस phenomena को हम superconductivity कहते हैं तो superconductivity जो phenomena है इसको discover किया था H.Kamalini ने in 1911 तब discover किया when he was measuring the resistivity of Mercury जब ये mercury के resistivity को क्या कर रहे थे measure कर रहे थे low temperature पे ताकि temperature को decrease कर दे जा रहे थे और resistivity को क्या कर रहे थे measure तो आप resistivity भी लिख सकते हैं resistance भी लिख सकते हैं बात एक ही है now he observed अब देखो इन्होंने क्या observe किया he observed that the electrical resistivity of pure mercury suddenly drops to zero at 4.2 kelvin तो 4.2 kelvin पर जा करके mercury का जो resistance है या resistivity है वो अचानक से हो गई zero जीरो हो गई और जो हमारा मरकरी है वो बन गया conductor से superconductor तो superconductor क्या होते है superconductor वो materials होते हैं जिनका resistance हो जाता है जीरो जीरो resistance हो जाता है अब definition देखें superconductivity की definition क्या है the phenomenon of attaining zero resistivity or infinite conductivity by some material जब कुछ material जीरो resistance जीरो रेजिस्टेंस को अचीव कर लेते हैं तो इस फिनोमिना को हम सूपर कंडेक्टिविटी कहते हैं और जो मैटीरियल जीरो रेजिस्टेंस को अचीव करते हैं वह मैटीरियल कहलाते हैं सूपर कंडेक्टर्स अब यहां पर सबसे जो टॉपिक यह बहुत ही इंटरेस्टिंग टॉपिक अगर आप इसको ध्यान से पढ़ेंगे तो आपको इसको पढ़ने में बहुत अच्छा लगेगा यह एक जीरो रेजिस्टेंस और जीरो रेजिस्टिविटी और इनफाइनाइट कंडक्टिविटी तो एक ही बात है आप जीरो रेजिस्टेंस कहें या आप जीरो रेजिस्टिविटी कहें या इनफाइनाइट कंडक्टिविटी कहें क्योंकि अगर रेजिस्टिविटी जीरो होगी और गॉल्ड सूपर कंडेक्टर तो जो मैटिवियर सूपर कंडेक्टिविटी की फिनोमिना को सो करते हैं उनको हम कहते हैं सूपर कंडेक्टर अब सूपर कंडेक्टर के कुछ एग्जांपल देख लेते हैं तू मेन प्रोफेट अच्छे तू मेन प्रॉपर्टी वो डाय मैगनेटिक बिहेवियर उनका जो बिहेवियर होता है वो डाय मैगनेटिक होता है यानि के सूपर कंडेक्टर्स हाट अब डाय मैगनेटिक मेटीरियल्स क्या होते हैं वैसे तो आप class 12 में बहुत डिटेल में पढ़ चुके हैं लेकिन फिर भी हो सकता है कि आप भूल गए हो तो थोड़ी देर के बाद हम पढ़ेंगे कि डाय मैगनेटिक मेटीरियल्स क्या होते हैं मतलब कौन-कौन से मेटीरियल है जो कि सूपर कंडेक्टर बन जाते हैं यहाँ पर मैंने सूपर कंडेक्टर को दो कैटेगरी में डिवाइड कर रखा, एक लो टेंप्रेचर सूपर कंडेक्टर और दूसरा हाई टेंप्रेचर सूपर कंडेक्टर, लो टेंप्रेचर और हाई टेंप्रेचर सूपर कंडेक्टर, अब अभी भी मैंने आपको बताया क उस temperature को हम critical temperature कहते हैं तो यहाँ पर अगर हमसे पूछा जाए कि mercury का critical temperature कितना है तो हम कहेंगे 4.2 Kelvin है तो 4.2 Kelvin वो temperature है जिस temperature पर mercury superconductor बन जाता है तो critical temperature आप हमेशा ध्यान रखना critical temperature वो temperature है जिस temperature पर material superconductor बन जाता है उस temperature को हम कहते है critical temperature ना तो यहाँ पर मैं बात कर रहा था कुछ example की तो देखिए low temperature superconductor वो superconductor है जिनका critical temperature कम होता है और high temperature superconductor वो superconductor है जिनका critical temperature high होता है मतलब ज़्यादा होता है तो यहाँ पर ज़्यादा कुछ example मैंने लिखे वे ध्यान दीजेगा जैसे mercury, mercury का critical temperature कितना है 4.15 Kelvin और यहाँ पर 4.15 लिखा तो वो एप्रॉक्सिमेटर आप इसको भी 4.2 केल्विन लिख सकते हैं उसके बाद लेड इसका होता है critical temperature 7.19 केल्विन इसका मतलब यह है कि अगर हमें लेड को super connector बनाना है तो हमें इसके temperature को 7.19 केल्विन करना होगा 7.19 केल्विन पर यह बन जाएगा super connector तीन जो है वो 3.72 पर super connector बनेगा नियोबियम 9.26 केल्विन पर super connector बनेगा एलमोनियम 1.18 केल्विन पर सूपर कंडेक्टर बनेगा और जो टंगस्टन है वो 0.01 केल्विन पर सूपर कंडेक्टर बनेगा अगर आप यहां पर ध्यान दो तो आप सब लोग जानते हैं कि रूम टेंपरेचर पे सबसे अच्छा कंडेक्टर कौन सा होता है वो होता है सिल् यह हमारे क्या होते हैं रूम टेंप्रेचर व बेस्ट कंडक्टर होते हैं इलेक्ट्रिसिटी के लेकिन अगर यहां पर एक इंट्रस्टिंग चीज आप देखें तो यह तीनों के तीनों ही एलिमेंट सूपर कंडक्टर नहीं बन पाते यानि कि इन तीनों में से किसी भी एलिमेंट का टेंप्रेचर जी इन तीनों में से किसी भी एलिमेंट का रजिस्टेंस जीरो नहीं होता चाहे हम टेंप्रेचर को इतना भी कम क्यों ना कर लें यह कभी भी सूपर कंडक्टर नहीं बन पाते हैं आप देख सकते हैं यहां पर आपको कहीं पर भी दिखाई नहीं दे रहा होगा सिल्वर कहीं दिखाई दे रहा है सिल्वर नहीं है कॉपर दिखाई दे रहा है नहीं है सिल्वर और कॉपर सरी एल्मूनियम तो होता है गोल्ड नहीं होता है मैंने साइज एल्मूनियम बोल जा गलती है गोल्ड सिल्वर, गोल्ड और कॉपर हाई टेंप्रेचर सूपर कंडेक्टर इधर लिखे वे इसका critical temperature होता है 92 Kelvin पर, इसका मतलब यह है, यह जो material है, यह 92 Kelvin पर ही superconductor बन जाता है, इसके नीचे देखो यह जो material लिखा हुआ है आपका, बिस्मित, इस्ट्रोनियम, कैल्सियम, कॉपर, ओक्साइड, यह 110 Kelvin पर superconductor बन जाता है, यह 125 पर बन जाता है, और यह 135 Kelvin पर superconductor बन यह जो टेंप्रेचर है ना, जैसा मरकरी की मैं बात करूँ, 4.15 या 4.2 केल्विन मरकरी का critical temperature होता है, लेकिन इस temperature को attain करना बहुत difficult है, देखिये difficult क्यों है, क्योंकि 4.2 केल्विन का आप मतलब समझिये, कितना कम यह temperature है, ध्यान दीजे का जराएदर, देखो, 0 degree Celsius पर ही हम लो� survive करना difficult हो जाता है होता है कि नहीं 0 degree Celsius पर और 0 degree Celsius का मतलब अगर मैं 0 degree Celsius को कल्विन में convert करू तो आप सब लोग जानते हैं 0 degree Celsius equal to 273 Kelvin approximately होता है इसका मतलब 273 Kelvin पर हम लोगों को survive करना मुश्किल हो जाता है और ये temperature कितना है? 4.1 Kelvin यानि कि लगबग ये temperature आपका आएगा 269, minus 269 degree Celsius अब आप सोचिए minus 269 degree Celsius temperature कितना काम होता है और आप ये भी अच्छे से जानते होंगे कि minimum temperature पूरे universe का minimum temperature होता है वो minus 273.15 degree Celsius होता है यानि कि 0 Kelvin होता है तो 0 Kelvin से कम temperature तो possible ही नहीं है अब आप सोचिए कि हमें mercury को superconductor बनाने के लिए 4.15 Kelvin पर जाना पड़ेगा यानि कि लगबग-270 degree Celsius पर जाना पड़ेगा तो आप सोचिए इतना कम temperature अटीन करना क्या आसान काम है तो अब मैं आपको बता दू ये temperature attain होता कैसे लिखे हमारे पार दो बहुत important यहाँ पर material है एक है liquid helium और दूसरा है liquid nitrogen तो मैं आपको बता दू कि ये temperature कैसे attain किया जाता है लिखे जो liquid helium है liquid helium का temperature होता है minus 270 degree Celsius होता है approximate लिखा है exact नहीं है minus 270 degree Celsius माइनस 270 डिग्री सेल्सिस के आसपास है यहाँ पर ये 0.15 नहीं होगा ये लगबा 3 केल्विन के आसपास हो इतना होगा 3 केल्विन मतलब जो लिक्विड हिलियम होता है उसका जो टेंपरेचर होता है वो 3 केल्विन के आसपास होता है तो देखिए आप सब लोग जान जो हमारा helium है वो liquid form में रहता है तो liquid helium का temperature कितना हुआ approximately 3 Kelvin तो ये जितने भी यहाँ पर material लिखे हैं अगर हम किसी भी material को liquid helium के अंदर रख दें तो ये superconductor बन जाएंगे और ये भी superconductor बन जाएंगे इसका मतलब इन materials को superconductor बनाने के लिए हमें इन सब को कहां रखना पड़ेगा liquid helium में रखना पड़ेगा बात समझ मा रही है कहा रखना पड़ेगा लिक्विड इलियम और ये जो लिक्विड इलियम होता है ना इट इस वेरी कॉस्टली बहुत महंगा होता है मतलब इसको आप हर जगह यूज नहीं कर सकते इतना ये महंगा होता है बात समझ मा रही है इसलिए आज की डेट में अगर आप देखेंगे तो सूपर कैंडिटर का जो यूज है वो बहुत लिमिटेड है लिमिटेड क्यों है क्योंकि इतना कम टेंपरेचर अटेन करना क्योंकि इनको superconductor बनाने के लिए हमें liquid helium में रखना पड़ता था और liquid helium बहुत महंगा है तो जो scientists थे उन्होंने क्या किया उन्होंने मतलब सीधी सी बात है अब हमें कोशिश क्या रहेगी कि ऐसा material बनाये जाए जिसका critical temperature जादा हो जिसका critical temperature जादा हो तो इस field में बहुत सारे scientists ने काम किया और high temperature superconductor बनाये गए high temperature superconductor को बनाये गया अब यहाँ पर जा देखो इनका temperature 92 Kelvin, 110 Kelvin, 125 Kelvin, 135 Kelvin हम इनको High Temperature Superconductor क्यों कह रहे हैं ज़्यान दीजिएगा हमारे पास एक और material होता है that is Liquid Nitrogen Liquid Nitrogen का जो temperature होता है वो approximately 78 Kelvin होता है मतलब ऐसे material जिनका critical temperature 78 Kelvin से ज़्यादा है अगर उन material को हम nitrogen में रख दें तो वो superconductor बन जाएंगे यह बन जाएंगे सूपर कंडेक्टर इसका मतलब इधर की साइड में जितने भी में लिखे हुए हैं इनको करना इट्रोजन रखेंगे तो यह जो लिक्विड नाइट्रोजन होता है वह लिक्विड हिलियम के कंपरेजन में पाफी सश्ता है इतना भी सश्ता नहीं है कि उसको यूज कर पर इसका चाहिए हर ज़्यादा पॉजिटली है लेकिन फिर भी लिक्विड हिलियम के कंपरेजन में क्या है शुरू करें तो इसका मतलब यह जो में ट्रिल है यह ज्यादा हमारे लिए beneficial है क्योंकि इनके लिए हमें liquid nitrogen का use करना पड़ेगा जबकि इनके लिए हमें liquid helium का use करना पड़ेगा मेरे कहाँ से आपको समझ में आ गया होगा कि इतना कम temperature attain कैसे किया जाता है अब हम आगे बढ़ते हैं next topic की तरब चलते हैं next topic है temperature dependence of resistivity in superconducting material जो हमारे superconducting materials होते हैं उनकी resistivity temperature पर किस तरह से depend करती है यह हमें पढ़ना है तो मेरे काल से ये तो मैं आपको समझा ही चुका हूँ कि जैसे हम temperature को कम करते हैं वैसे वैसा resistivity कम होती इसकी superconducting materials की तो हमारे पाद दो type के material होते हैं एक superconducting materials और एक वो material जो superconducting नहीं होते है देखिए superconducting materials वो materials होते हैं जो किसी temperature पर जाके जो कि critical temperature पर जाके या किसी particular temperature पर जाकर के superconductor बन जाते हैं या आप दूसरी language में ऐसा भी बोल सकते हैं कि superconducting materials वो materials हैं जिनका resistance किसी particular temperature पर जाके zero हो जाओ और non superconducting material वो material है जिनका resistance कभी भी zero नहीं होता काया आप temperature कितना भी कम कर लें तो मेरे कारण से ये point आपको clear हो गया होगा अगर example की बात करूँ अगर कोई पूछे आपसे कि super sorry non superconducting material का example बताओ तो आप तुरंट एक example बता सकते हैं that is silver जादा बताते हैं silver है gold है पापर है ये non superconducting material होते हैं अगर आपसे superconductor material का नाम पूछा जाए तो यहाँ पर देखो मैंने इतने सारे example लिखे है देखियो आगे आगे कहीं पर भी अगर superconductor का example हमसे पूछा जाएगा तो मैं हमेशा यही example हर जगा लिखूँगा तो इन example को कम से कम आप इदर से दो तीन example और इदर से दो तीन example आप याद कर लिजिए तो कि हर जगा पर हमें यही example लिखने है बार तो यहाँ पर हम पढ़ रहे थे कि temperature resistivity के साथ कैसे vary करता है, कैसे depend करता है, तो ध्यान देजिए बहुत ही simple हो गया, देखो, यह हमारे non superconductive material, तो जो non superconductive material होते हैं, अगर आप उनका temperature, देखो यह temperature है, जैसे temperature कम करेंगे, resistance कम होता जाएगा, और अग और जो ये बचा हुआ resistance है इसको हम कहते है residual resistivity या residual resistance कहा जाता है इसको अब बात करते है superconducting materials की अगर आप इनका temperature कम करेंगे तो temperature degrees होता जाएगा और अचानक सी एक point आपको ऐसा मिलेगा जहाँ पर suddenly इनका resistance है या कह सकते है suddenly इनका resistance है suddenly इनका resistance क्या हो जाएगा zero हो जाएगा इस point पर resistance हो गया 0 क्योंकि resistance y axis पर है तो यहाँ पर क्या हो गया resistance हो गया 0 तो जिस temperature पर resistance 0 होता है उस temperature को हम कहते है critical temperature तो अगर आपसे यह पूछा जाए कि resistivity temperature के साथ में कैसे depend करती है superconditory material में तो आपको यह graph बना देना है और इसके बारे में लिख देना है कि in general electrical resistivity of superconditory material decreases as the temperature is reduced जैसे आप temperature को कम करेंगे वैसे resistivity आपकी क्या होगी कम होती जाएगी इन a similar manner as ordinary material जैसे कि ordinary material में होता भी है but at a particular temperature Tc लेकिन किसी particular temperature Tc पर the resistivity suddenly drops to zero तो resistivity क्या हो जाती है अचानक से zero हो जाती है और जिस temperature पर zero होती है उस temperature को कहा जाता है critical temperature अब exam में बहुत बार question पूछा जाता है कि what is critical temperature तो यहाँ पर critical temperature के आपको क्या definition लिखनी है ध्यान दिजेगा the temperature at which resistivity of a normal material drops to zero मतलब एक ऐसा temperature जहाँ पर किसी normal material की जो resistivity है वो zero हो जाती है और हमारा जो normal material है वो convert हो जाता है superconductor में तो कि जब किसी material की resistivity zero होगी तो वो material अब conductor नहीं होगा वो material होगा superconductor तो उसी चीज को यहाँ पर दिखाया देखो temperature के साथ ये देखो ये diagram same है जो diagram यहाँ पर बना है न वोई diagram यहाँ पर भी बना है बस मैंने यहाँ पर केवल superconductive material को लिया है तो आप देख सकते है temperature के साथ में resistivity कम होती जा रही है क्या होती जा रही है कम होती जा रही है और इस point पर आकर इसकी resistivity हो गई zero इसका मत तो हमेरा material normal material सा लेकिन जब temperature critical temperature से कम हो गया तो अब हमारा material बन गया superconductor तो ये definition आप लिखेंगे critical temperature की तो मेरे कारण से आसानी से आपको समझ में आ गई होगी if the temperature of the superconducting material is increased अगर हम किसी superconducting material का temperature को बढ़ाएंगे the material transform into a normal material above the critical temperature इसका मतलब ये है कि मान लिजे मेरा यहाँ पर मेरा जो material है, for example mercury को मैं ले लेता हूँ mercury का critical temperature होता है 4.2 kelvin तो ये temperature कितना है 4.2 kelvin अगर mercury का temperature माल लिए 0 kelvin है, तो mercury 0 kelvin पर super connector होगा लेकिन अब हम mercury के temperature को बढ़ाएं, mercury के temperature को increase करें, तो क्या होगा, उसकी super conductivity वो decrease होती जाएगी, और 4.2 Kelvin पर जाकर critical temperature से जैसे हमारा temperature जादा होगा, हमारा super conductor normal material में convert हो जाएगा, मतलब हमारा mercury जो 4.2 Kelvin से पहले super conductor था, वो 4.2 Kelvin के बाद में normal material बन जाएगा, clear हो गया point? आगे बढ़ते हैं, now, critical temperature of some superconducting material, मतलब, यहाँ पर, कुछ superconducting material का temperature मैंने यहाँ पर लिखा है, और again, वही सारे example हैं, जो पहले थे, देखो, mercury का critical temperature, lead का critical temperature, तीन, सारे example मैंने same लिखे हैं, और हर जगा, जहाँ पर भी superconductor का example हमसे पूछा जाएगा, हम हर जगा पर यही example ल ना इफेक्ट ऑफ एक्सटरनल फिल्ड ऑन सुपर कंडेटर इस सुपर कंडेटर के ऊपर एक्सटरनल फिल्ड का क्या इफेक्ट होता है मतलब मान लीजिए आपके पास कोई सुपर कंडेटर है और उसके ऊपर आप एक्सटरनल फिल्ड को एप्लाई कर दें तो उस सुपर कं तो वो बन जाएगा superconductor अब अगर उस superconductor के उपर हम external magnetic field को apply करें तो क्या होगा तो मैं आपको बता दो जब किसी superconductor के उपर external magnetic field को apply किया जाता है तो उस superconductor की conductivity, superconductivity क्या होने लगती है degrees होने लगती है यानि कि हमारा superconductor normal material की तरफ transform होने लगता है या आप ऐसा कह सकते हैं कि अगर आप किसी superconductor के ऊपर magnetic field को apply करते जाते हैं और magnetic field की value को बढ़ाते जाते हैं तो एक समय ऐसा आएगा कि हमारा जो superconductor है वो liquid helium में होने के बाद भी वो normal material बन जाएगा जैब बन जाएगा normal material बन जाएगा और जिस magnetic field पर हमारा superconductor normal material बनता है उस magnetic field को कहते है critical magnetic field कि when a superconductor is placed in an external magnetic field जब हम किसी superconductor को external magnetic field में रखते हैं तो इसकी superconductivity decrease होती है with increase in the intensity of external magnetic field जब आप magnetic field की intensity को बढ़ाते हैं तो क्या होता है superconductivity decrease होती है now at a particular value of H H मतलब magnetic field किसी particular value पर the superconductivity of the specimen when is this यानि कि किसी particular value पर जा कर के हमारा जो specimen है उसकी जो superconductivity है वो खतम हो जाती है मतलब हमारा superconductor normal material में convert हो जाता है and this particular value is called या is known as critical field और इस particular value को हम critical field कहते हैं तो हमारे पास again एक important definition exam में पूछी जाती है और वो definition है critical magnetic field कि भी critical magnetic field क्या होता है तो critical magnetic field वो field होता है जो की superconductor को normal material में convert कर देता है देखो वही चीज़ यहाँ पर लिखी है the minimum value of applied magnetic field at which superconductor loses its superconductivity is called critical magnetic field तो magnetic field की ऐसी value जिस पर हमारा superconductor normal material में convert हो जाता है उसी को हम कहते है critical magnetic field अब यह ग्राब बहुत important है, इस ग्राब को थोड़ा सा ध्यान से समझिये, temperature dependence of critical field, और variation of critical magnetic field with temperature, देखो, अब यहाँ पर मेरी बात को ध्यान से समझिये, मान लिजिए हमारा, जो हम, applied magnetic field है, वो हमारा zero है, कितना है, zero है, तो देखो, यह critical temperature है, यह critical temperature, अब अगर मान लिजिए ह और उसका temperature है 0 Kelvin कितना है?
0 Kelvin तो सिद्धी सी बात है वो superconductor होगा अगर superconducting material का temperature को आप अगर 0 Kelvin कर देंगे तो वो बन जाएगा superconductor या बन जाएगा superconductor बन जाएगा सिलिएर है? superconductor तो वो यही पर बन जाएगा जहाँ पर उसका critical temperature आ जाएगा आप उसके उपर magnetic field को apply करते जाते हैं magnetic field को अगर देखो जिस समय magnetic field 0 था जिस समय magnetic field जीरो था उस समय material का critical temperature यहाँ पर लेकिन जैसे आप magnetic field को बढ़ाते जाएंगे उसका critical temperature कम होता जाएगा देखो जैसे for example आपने magnetic field को इतना apply कर दिया तो अगर आप देखेंगे तो इसका critical temperature कम होगे मतलब अगर आप किसी superconductor के उपर या superconductor material के उपर magnetic field को apply करते हैं तो उसके critical temperature कम होता जाता है बात समझ में जैसे mercury है mercury 4.2 Kelvin पर superconductor बन जाता है लेकिन अगर आप mercury के उपर magnetic field को apply करेंगे तो हो सकता है कि वो 2 Kelvin पर superconductor बने क्योंकि magnetic field के apply करने से critical temperature कम हो जाता है तो हम जैसे magnetic field को बढ़ा रहे हैं, critical temperature कम होते जा रहा है, जब magnetic field इतना है, तो critical temperature कम हो गया, और बढ़ाया, तो critical temperature और कम हो गया, और magnetic field को जब हमने यहाँ पर पहुँचे, तो हमारा critical temperature हो गया 0 Kelvin, इसका मतलब, अगर magnetic field को आप यहाँ तक ले आएंगे, तो critical temperature कितना हो ज तो हमारा superconductor वो क्या बन जाएगा? normal material बन जाएगा बात समझ में आ रही है क्या बन जाएगा?
normal materials तो temperature dependence of critical field or variation of critical magnetic field with temperature is shown in figure तो यहाँ पर किसका variation है? magnetic field और temperature का variation है clear हो गया? now यहाँ पर एक important conclusion निकल करके आएगा ज़रह ध्यान दीजिएगा normal conducting state of the material is restored मतलब normal conducting state of the material is restored किसी भी superconducting material की जो normal state होती है वो वापस आ जाती है कब वापस आ जाती है ज़रा ध्यान दीजेगा if magnetic field is greater than the critical value अगर हम किसी भी superconductor के उपर इतना magnetic field लगा दें कि उसकी value critical magnetic field से ज़्यादा हो जाए तो हमारा superconductor normal state में आ जाता है या फिर हमारे पास कोई superconductor है और हम उसका temperature critical temperature से ज़्यादा बढ़ा दें तो भी वो normal state में आ जाएगा तो यहां से यह दो important conclusion आपको पता चल गए कि अगर हम superconductor का magnetic field को critical magnetic field से ज़्यादा बढ़ा देंगे तो हमारा जो superconductor है वो normal material बन जाएगा या फिर हम उसके temperature को critical temperature से ज़्या द बिट्टी टेंप्रेचर एंड मैगनेटिक फिल्ड नियुक्त पहला वह पैराबोलिक यह जो हमारा कर्व है टेंप्रेचर और मैगनेटिक फिल्ड के बीच में यह पैराबोलिक है कैसा है पैराबोलिक एंड पेड़ रिप्रेजेंट बाइजर रिलेशन और इस पैराबोलिक कर्व को हम इस रिलेशन से रिप्रेजेंट कर सकते हैं और यह जो रिलेशन है इस वेरी इंपोर्टेंट क्यों है वेरी इंपोर्टेंट क्योंकि अगर सूपर कंडेक्टर से निमेरिकल आता है तो जनरली इसी फॉर्मुले के ऊपर आता है देखिए सुपर कंटेंटर आपके सिलेबस में लास्ट येर एडवर्ड अभी इसका केवल ये टॉपिक ये दो बार आया है और दो बार में से एक बार इस टॉपिक का निमेरिकल ये पूछा गया है तो इसके सारे numerical चाहे कोई सा भी numerical हो सब कर देंगे आप देखे क्या है इस formula में ज़्यादा दियान दो सबसे पहले इसको समझे क्या है SC मतलब critical field है magnetic field है यानि कि SC का मतलब यहाँ पर क्या है critical magnetic field और bracket मली का T मतलब क्या temperature है इसका मतलब क्या हुआ यह क्या है this is the critical magnetic field at a temperature T SCT क्या है maximum critical field at T Kelvin और T क्या यहाँ पर कोई भी given temperature हो सकता यहाँ दखना यह T critical temperature नहीं है कोई भी given temperature हो सकता है तो किसी भी given temperature पर critical magnetic field अब right side में चलते हैं HC और bracket में लिखा 0 इसका मतलब क्या है this is the critical magnetic field at 0 Kelvin देखो 0 Kelvin मतलब ग्राब से समझे यह HC 0 क्या है this is the critical magnetic field at the temperature जीरो केल्विन टेंप्रेचर पर क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड जीरो पर क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड और जबकि ये क्या है स्ती ये क्या क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड एट टेंप्रेचर टी सी टू इस टेंप्रेचर पर क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड है तो यहाँ ब्रेकिट में 1-T अपन टी सी T क्या है कोई भी गिवन टेंपरेचर और T C क्या critical temperature और इन दोनों का whole square है ये फॉर्मुला आप याद कर लिजे करेंगे द ट्रिकल फिल्ड विश्वास उपर कंडक्टिविटी नीड नॉट नेसेजरली बीए एक्सटरनल मैंनेटिक फिट देखिए इस पॉइंट का मतलब मैं आपको समझा देता हूं इस पॉइंट का मतलब क्या है लेकिन आप लोग एक प्रॉपर्टी बहुत बहुत से जाते हैं कि जब किसी कंडक्टर के अंदर से करंट फ्लो करता है तो उस कंडक्टर के चारों तरफ मैगनेटिक फिल्ड बन जाता है जा बन जाता है मैगनेटिक फिल्ड तो सीधी सी बात है जब सुपर कंडक्टर के magnetic field बनेगा तो ऐसा हो सकता है कि हम superconductor के ऊपर बाहर से कोई external magnetic field को नहीं apply कर रहे हैं नहीं कर रहे हैं लेकिन हम superconductor के अंदर से current को flow करा रहे हैं और अगर मान लीजिए वो current बहुत जादा हुआ तो उसका magnetic field भी बहुत जादा होगा तो हो सकता है कि superconductor अपने ही magnetic field की वज़ासे normal material में convert हो जाएं और यही चीज यहाँ पर लिखे देगी, अब numerical करते हैं, बहुत simple numerical है, formula based, देखे क्या है, lead is, lead in the superconducting state, जो हमारे lead material है, यह superconducting state में है, as critical temperature, superconducting state में इसका critical temperature होता है 6.2 Kelvin, इसका मतलब हमें क्या given है, हमें TC given है 6.2 Kelvin, critical temperature हमें given है, at zero magnetic field, zero magnetic field पे, जीरो मैगनेटिक फिल्ड का मतलब क्या है?
जीरो मैगनेटिक फिल्ड का मतलब, देखो ग्राफ से ही समझा देता हूँ एक बार, देखो, जिस समय magnetic field जीरो है, उस समय critical temperature 6.2 Kelvin है, क्लियर होगे न, तो magnetic field जीरो है, और critical temperature कितना उस समय पर 6.2 Kelvin है, और वैसे भी critical temperature जीरो magnetic field पर ही होता है, अगर magnetic field को बढ़ाएंगे, तो उसके बाद वो critical temperature क्या होता जाएगा, चलिए, now, and a critical field, अब यहाँ पर critical field दिया आपको, at 0 Kelvin, 0 Kelvin पर critical field दिया हुआ है, यह क्या given है, जब मेरी बात को समझिए, 0 Kelvin पर critical magnetic field given है, और 0 Kelvin पर critical magnetic field होता है यह, यहने कि आपको HC 0 given है, देखिए अगर आप इन numerical में यह समझ में आ जाएगा न, आपको यह given क्या है, फिर तो numerical म फॉर्मुला में वैल्यू पूट करो आंसर, सारे निमेरिकल एक जैसे, तो हमें यहाँ पर पता चल गया कि SC0 की वैल्यू यह गीवन है, नाव, कैलकुलेट दा क्रिटिकल फिल्ड आट 4 कैल्विन, आपको 4 कैल्विन पर क्रिटिकल फिल्ड को कैलकुलेट करना है, इसका मतल� इसी formula के ऊपर base सारे निमेरिकल है तो आप यहाँ formula लगाएंगे अब देखो आपको क्या given है बही आपको TC given है मतलब आपको यह TC given है, T भी given है और SC0 भी given है और यह SCT निकालना है तो कुछ करना नहीं है, SC0 की जग़े value put कर दो अच्छा कुछ student को यहाँ पर confusion हो सकता है कि यहाँ पर जो critical magnetic field की value given है वो mega ampere per meter में given है mega ampere per meter तो कुछ student ऐसा सोचेंगे कि sir क्या हम mega को ampere per meter में convert कर लें क्योंकि sir जानते हैं 1 mega ampere में 10 की power 6 ampere होगा तो कर सकते हैं मैंने नहीं किया मैंने इसलिए नहीं किया क्योंकि हमें critical magnetic field given था 0 Kelvin पर और हमें T temperature पर critical magnetic field को calculate करना था तो अगर मैं इसको convert नहीं करूँगा तो कोई problem नहीं है मेरा answer जिस unit में given था उस unit में मेरा answer भी आ जाएगा और अगर आप convert कर देंगे तो आपका answer भी उसी unit में आएगा जिसमें आप convert करेंगे तो convert करना चाहें तो कर सकते हैं वैसे यहाँ पर जरूर नहीं है अगले निमारिकल पर चलते हैं दो को यहाँ पर बस आपको यह समझना है कि given क्या है the transition temperature for lead फिर से यहाँ पर lead का transition temperature given है कि critical temperature और transition temperature एक ही बात है हम critical temperature को transition temperature भी कह सकते हैं क्यों कह सकते हैं क्योंकि critical temperature वो temperature होता है जहाँ पर हमारा normal material superconductor बन जाता है यानि के वहाँ पर एक तरह से आप कह सकते हैं कि material का transition होता है normal material से superconductor में तो इसलिए उसको transition temperature भी कहा जाता है तो हमें critical temperature given as 7.2 Kelvin However, at 5 Kelvin it loses superconductivity property subjected to a magnetic field इतना मतलब ये कहा जा रहा है कि 5 Kelvin पर वो अपनी superconductivity की जो property है उसको lose कर देता है इसका मतलब 5 Kelvin T की value है 5 Kelvin T की value है 5 Kelvin पर superconductivity lose हो जाती है due to a magnetic field subjected to a magnetic field इसका मतलब यह जो magnetic field है यह इसी temperature पर है 5 Kelvin पर इसका मतलब यह SCT की value है बात समझ में आ रही है हमें निकालना क्या है find the maximum value of H हमें H की maximum value निकालनी है which allow the metal to retain its superconductivity at 0 Kelvin मतलब हमें critical field की maximum value निकालनी है 0 Kelvin पर तो SC 0 होता है मतलब हमें ये calculate करना है, तो फिर से वही formula लगा दो, इस बार आपको ये given है, ये दोनों भी given है, इसको निकालना है, तो इसमें कौन सी बड़ी बात है, आसानी से आप निकाल लेंगे, calculator आपको use करना आना चाहिए, बहुत आसानी से सारे काम हो जाएंगे, देखो मैंने सारी value आप यह मान के चलिए कि unit number 5 में एक यही formula है जिसके ऊपर base numerical आपसे university exam में पूछा जा सकता है आगे एक और formula आएगा उसके ऊपर base numerical हम करेंगे एक दो लेकिन यह ज़्यादा important है मा समझ मारी चलिए next numerical देखे the transition temperature देखे lead का transition temperature फिर से दे दिया हमें critical temperature the maximum critical field for the material maximum critical field आपको given है मैक्सिमम क्रिटिकल फिल्ड कहाँ पर होता है? जीरो कैल्विन पर, इसका मतलब आपको SC जीरो गीवन है, है न? लेड है सब्जेक्टर के लिए उपयोग जाना चाहिए, इसके बारे में इतना मैगनेटिक फिल्ड लगा जाता है, इसका प्रेकॉर्शन है कि यह क्या प्रेकॉर्शन हमें लेनी चाहिए? एक बात ध्यान दो, यह कौन सा फिल्ड है? देखो, यह तो SC जीरो है, तो सीधी बात है, यह SCT होगा, तो हमें SCT भी गीवन है, SC जीरो भी गीवन है, TC भी गीवन है, हमें निकालना क्या हमें निकालना टी टेंप्रेचर निकालना उसी से पता चलेगा कि हमें क्या प्रिकॉर्शन लेने है क्यों तो कि जब हम टी को निकालेंगे तो हम लास्ट में क्या कहेंगे कि जो टेंप्रेचर है वो टेंप्रेचर टी से ज़्यादा तो सारी value को put कर देंगे, इसको थोड़ा simplify करेंगे, simplify करने के बाद यहां से आपका क्या निकल जाएगा, ती, कितना आया, 7.08 Kelvin, तो हम यहां से क्या कह सकते हैं, कि जो temperature है, वो 7.08 Kelvin से कम होना चाहिए, अगर इससे ज़्यादा होगा, तो superconductivity क्या हो जाएगी, खतम हो जाएग और 2 values आपको given है, 4 Neobium, Neobium एक material है, 0 Kelvin पर given है और 8 Kelvin पर given है, अब देखो यहां से आप पहचानो कि दोनों में से कौन सा field कौन सा है, देखो, सीधी सी बात है, जो field 0 Kelvin पर होगा, वो SC0 की value होगी, और जो field 8 Kelvin पर होगा, वो SCT की value होगी, तो यहाँ पर SC0 हो गया 2 into 10 की power 5 Ampere per meter, और SCT हो गया 10 की power 5, और T हो गया 8 Kelvin और हमें critical temperature को निकालना है बात समझ में आ रही है critical temperature को हमें calculate करना है तो इस बार TC calculate करना है देखो इस बार ये भी given है और ये भी given है हमें TC निकालना है देखो अगर आप देखें यहाँ पर तो मैंने आपको इससे पहले 3 numerical कराई ये चोथा numerical है और इस formula का last numerical है तो यहाँ पर हमने 4 numerical करी और चारो numerical में क्या बदला कुछ नहीं बदला बस आपको given चेक करना है उसके बाद देखो इसके अंदर चार परामेटर है टोटल एक, दो, तीन, चार अगर आप चारों निमेरिकल को ध्यान से देखे तो पहले निमेरिकल में हमने इसको निकाला था दूसरे में हमने इसको निकाला तीसरे में हमने इसको निकाला इनको आप करके जाना चाहिए आपको that is mizner effect जो की एक important effect है superconductor के अंदर क्या है इसको ज़्यादा ध्यान से समझिए mizner effect देखे two main properties of superconductor मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि superconductor की वैसे तो बहुत सारी property होती है और mizner effect भी superconductor की एक property ही है mizner effect is a property of superconductor लेकिन superconductor की दो important और दूसरा यह है कि superconductor जो होते हैं वो dimagnetic behavior के होते हैं और मैंने आपको पहले बोला था कि मैं आपको dimagnetic materials क्या होते हैं वो मैं यहाँ पर आपको बताऊंगा तो ध्यान दीजिये कैसे dimagnetic materials क्या है dimagnetic materials repel the magnetic field lines जो dimagnetic materials होते हैं वो magnetic field lines को repel करते हैं ऐसा आप लोगों ने class 12 में भी पढ़ा है कि जो dimagnetic materials होते हैं dimagnetic materials के अंदर से magnetic field lines पास नहीं हो सकते हैं जबकि जो material dimagnetic नहीं है उनके अंदर से magnetic field लाइन पार हो जाती है तो डाय मैगनेटिक मेटेरियल्स अपने अंदर से magnetic field लाइन को पास नहीं होने देते जैसे कि यहाँ पर आप देख सकते हैं यहाँ पर magnetic field लाइन इसके अंदर से पास हो रही है इसका मतलब यह डाय मैगनेटिक मेटेरियल्स नहीं है यहाँ पर इसके अंदर देखो इसके अंदर से magnetic field line पास नहीं हो पा रही इसका मतलब यह कैसा material हो गया यह dimagnetic materials हो गया तो dimagnetic materials वो होते हैं जिनके अंदर से magnetic field line पास नहीं होती the superconductor आप perfectly dimagnetic material और यह जो superconductor है न यह perfect dimagnetic materials है यह perfect dimagnetic material है अब दोखो सीधी सी बात है dimagnetic materials जो magnetic field line पास नहीं होती superconductor superconductor परफेक्ट डाय मैगनेटिक मेटीरियल से इसका मतलब सूपर कंडेक्टर से भी मैगनेटिक फिल्ड लाइन पास नहीं होगी तो सूपर कंडेक्टर ऑल सो रिपेल्ड दा मैगनेटिक फिल्ड लाइन पास फिल्ड लाइन पास दाम एक बिए विरा सूपर कंडेक्टर वाइट डिसकवर्ड बाइट मिजनर और सूपर कंडेक्टर का जो डाय पास प्रेवियर है इसको डिसकवर्ड किया था किसने एक साइंटिस्ट मिजनर और इसीलिए इसको कहा जाता है मिजनर इफेक्ट या कहा जाता है मिजनर इफेक्ट तो यह जो superconductor ना, यह magnetic field lines को repel करता है और इसी effect को हम mizner effect करते हैं बात समझ में आगे?
superconductor magnetic field lines को करता है repel और यह जो effect है, इस effect को कहा जाता है mizner effect मेरे कहाल से आपको point समझ में आ गया होगा तो यहाँ पर आप example में देखिए इस example को आप ध्यान से देखिए यहाँ पर क्या है कि हमारे पास एक material है कैसा material है? superconducting material है लेकिन यहाँ पर इसका temperature critical temperature से ज़्यादा है यहाँ तो जो एंपोर्टिंग point है यहाँ पर इसका temperature critical temperature से ज़्यादा है तो सीधी जी बात है यह जो हमारा superconducting material है यह normal state में है किसमें है normal state में और यहीं पर लिखा भी है देखो normal conducting state है और इसके उपर हमने apply कर दिया magnetic field तो यह magnetic field आईज इसके अंदर से pass हो रही है अंदर से pass क्यों हो रही है क्योंकि अभी ये normal state में है और normal state में जब ये है तो ये dimagnetic material नहीं है अब उसके बाद क्या किया हमने इसको cool किया cooling की और cooling करके इसका temperature कर दिया critical temperature से तन तो सीधी सी बात है ये जो हमारा superconducting material था ये बन जाएगा superconductor और अगर ये superconductor बना तो ये अपने अंदर से magnetic field line को तो इसलिए magnetic field lines देखो पास नहीं हो रही है इसका मतलब यहाँ पर superconductor magnetic field lines को क्या कर रहा है? रिपेल कर रहा है और इसी effect को कहते हैं mizner effect तो देखो यहाँ पर लिखना क्या है आपको exam में? और यह बहुत important है पिटा mizner effect आपको exam में पूछा जा सकता है clear है? बहुत important effect है last year भी exam में आया था यह when a superconducting material is placed in a magnetic field जब हम किसी superconducting material को magnetic field में रखते हैं और उसका temperature उसको cool करते हैं critical temperature से कम मतलब उसके temperature को critical temperature से कम कर देते हैं तो it behave as a dimagnetic material तो ये dimagnetic material की तरह behave करने लगता है and repel the magnetic lines of force और magnetic lines of force को क्या करता है repel करता है और इसी effect को कहते है mizner effect तो मेरे कहल से अब आपको ये mizner effect बहुत अच्छे से समझ में आ गया होगा देखें in this case superconducting material reject all the magnetic lines of force and no magnetic lines of force are allowed to penetrate तो ये तो मैं आपको बताई चुका ये जितनी भी magnetic field lines होगी सब को repair कर देगा किसी को भी अपने अंदर से नहीं जान देगा अब यहाँ पर एक important derivation है देखे इस unit के अंदर एक ही derivation है बस इस पुरी unit के अंदर एक ही derivation है और वो ये derivation है और ये आपसे exam में पूछा जा सकता है देखे क्या derivation है proof that the superconductor are perfect dimagnetic materials मतलब हमें ये prove करना है कि जो superconductor होते हैं वो perfect dimagnetic materials होते हैं कैसे prove करेंगे देखे class 12 में आप लोगों ने पढ़ा होगा कि जो Dimagnetic Materials होते हैं उनकी Susceptibility Susceptibility माइनस वन के एक्वल होती है तो अगर हम ये प्रूफ कर दें कि Superconductor की Susceptibility माइनस वन है तो ये प्रूफ हो जाएगा कि Superconductor Dimagnetic Materials है तो आइए देखते हैं कैसे प्रूफ होगा ज़रह ध्यान दीजिए तो क्या करना आपको देखें We know that the Magnetic Induction developed within Superconductor developed within a superconducting material is given by किसी भी material के अंदर magnetic induction डवलप होता है उसका यह formula है जो कि आप लोगों ने class 12 में पढ़ा होगा b equal to mu naught b क्या है यहाँ पर b है magnetic induction mu naught यहाँ पर permeability है free space की h यहाँ पर intensity है magnetic field की और m intensity है magnetization की तो यह हमारा formula है magnetic induction का जो कि आप लोगों ने class 12 में पढ़ा है अब थोड़ा सा आगे चलते हैं हम बात कर रहे हैं superconductor की किसकी बात कर रहे हैं superconductor की तो superconductor अभी हमने देखा कि superconductor के अंदर से magnetic field line पास नहीं हो रही है इसका मतलब superconductor के अंदर magnetic induction होगा 0 क्या होगा 0 तो हम यहाँ पर देखे 4 superconductor यानि कि superconductor के लिए b की value हो जाएगी 0 अगर मैं यहाँ पर b को 0 तो क्या बचेगा, mu0 h plus m equal to 0, और आप लोग यह अच्छे से जानते हैं, क्या जानते हैं आप लोग, कि जो permeability है free space की, यह एक constant value है, और यह 0 के equal नहीं है, लेकिन आपको permeability की value कितनी है, वो याद नहीं करना है आप, बस आपको इतना मालूम होना चाहिए, कि permeability जो है, वो 0 के तो सिदी सी बात है अगर ये 0 नहीं है तो H plus M 0 होगा वही दोनों में से किसी एक को तो 0 होना पड़ेगा ना तो ये तो 0 नहीं है इसका मतलब H plus M 0 है इसका मतलब यह हुआ कि H की value minus M के बराबर हो जाएगी H की value minus M के बराबर हो जाएगी और इसको मैंने डाल दिया equation number 1 now magnetic susceptibility अब देखो class 12 में आपने magnetic susceptibility का formula पढ़ा है magnetic susceptibility is given by तो magnetic susceptibility, यह जो symbol आपको दिखाई दे रहा है, यह x नहीं है, यह magnetic susceptibility का symbol है, तो मैं बिल्कुल exact तरीके से नहीं बना पाता हूँ, लेकिन यह magnetic susceptibility का क्या है, symbol है, तो magnetic susceptibility का formula होता है m upon h, और अभी हमने क्या देखा, ही h की value तो minus m के बराबर है, इसको मैंने माल लिया equation number 2, तो जब आप H की जगह पर minus M put कर देंगे, तो susceptibility की value आ जाएगी minus 1, और जब किसी material की susceptibility minus 1 होती है, तो वो material होता perfect dimagnetic materials, या इसकी एक और condition भी है, वो भी यहाँ पर satisfy होगी, relative permeability is also given by, देखिए जो relative permeability का formula होता, वो होता 1 plus susceptibility, तो यहाँ पर अगर मैं susceptibility को minus 1 put कर दू, तो permeability आ जाती है 0, तो जो perfect dimagnetic materials होते हैं उनकी relative permeability 0 होती है और susceptibility minus 1 होती है और ये दोनों बाते हम यहाँ पर prove कर चुके हैं तो from equation number 3 and 4 it is clear that the superconductor are perfect dimagnetic materials तो ये simple सा एक derivation है जो कि आपसे exam में पूछा जा सकता है मेरे कहाल से आपको ये समझ में आ गया होगा देखिए जो superconductor है न superconductor तो superconductor की जो properties है वो बहुत important है जैसे कि यहाँ पर यह जो effect है न mizunar effect यह superconductor के लिए बहुत important है क्यों important है इसका मैं आपको अभी reason बताता हूँ देखो एक phenomena होता है magnetic levitation अभी हमने देखा क्या देखा कि जो superconductor होता है वो magnetic field को repel करता है इसका मतलब superconductor magnetic को क्या करता है repel करता है यह नीचे क्या है?
यह सूपर कंडेटर है और यह एक मैगनेट है तो यह मैगनेट जो है, इस सूपर कंडेटर के ऊपर क्या करती है? फ्लोट करती है सूपर कंडेटर के ऊपर क्या करती है? फ्लोट करती है और इस फिनोमिना को कहा जाता है मैगनेटिक लेविटेशन आप लोगों ने एक ट्रेन का नाम सुना होगा जो की जापान में चलती है तो आपने उस ट्रेन के बारे में सुना होगा बात समझ में आ रहे है कहा चलती है हवा में चलती है मतलब एक तरह से आप कह सकते हैं कि ट्रेन उड़ती है मतलब वो पट्री से कुछ डिस्टेंस के उपर ही ट्रेन करती है तो वो ऐसा क्यों है वहाँ पर उस ट्रेन में सूपर कंडक्टर को यूज किया जा रहा है बात समझ मारी वहाँ पर एक्चल में कौन सा फिनोमिना हो रहा है मैगनेटिक लेविटेशन वहाँ पर सूपर कंडक्टर को यूज किया जा रहा है और इस सूपर कंडक्टर की वज़ा से ही ट्रेन पटरी के उपर से ही निकल जाती है मतलब ट्रेन पटरी को ठच नहीं करती है हवा में रहती है तो अक्शल में यह है क्या? यह मिजनर इफेक्ट है मेजनर इफेक्ट है क्योंकि सूपर कंडेक्टर मैगनेट को रिपेल करता है और इसी का यूज करके जापान में ये ट्रेन बनाई गया है। अब देखो इस ट्रेन को हर जगा पर यूज क्यों नहीं किया जा रहा है क्योंकि आप जानते हैं मैं आपको अलड़ी बता चुका हूँ कि सूपर कंडेक्टर बनाने के लिए हमें टेंप्रेचर बहुत कम करना होता है और बहुत कम टेंप्रेचर करना बहुत कॉस्टली है। तो superconductor की जो applications है ना वो बहुत important है मतलब आप एक बार ऐसा सोचिए कि अगर मान लिजिए आने वाले समय में scientist कोई ऐसा material बना लें जिसका resistance room temperature पर ही zero हो जाए तो उस दिन energy की problem जो energy crisis है ना ये पूरी problem solve हो जाएगी क्योंकि जब resistance नहीं होगा तो energy का loss नहीं होगा और energy loss नहीं होगी तो energy crisis की problem solve हो जाएगी, बात समझ में आ रही है लेकिन आज तक कोई ऐसा material बना नहीं है अभी तक तो जो room temperature पर ही resistance को zero कर दो बात समझ में आ रही है, चले अब आगे बढ़ते हैं now critical current, अब ये critical current क्या इसको भी समझ लेते हैं, वैसे इसके concept को ये क्या critical current, मैंने आपको बताया था अगर हम किसी superconductor के उपर magnetic field को apply करें तो magnetic field की वजह से हमारा superconductor normal material में convert हो सकता है अगर magnetic field की value critical magnetic field से ज़्यादा होई वहाँ पर मैंने आपको एक point और बताया था कि जरूरी नहीं कि आप किसी superconductor के उपर बाहर से magnetic field लगाएं ऐसा भी हो सकता है कि जो superconductor है उसके अंदर मालिज ये current फ्लो कर रहा है सेधी सी बात है कि इस superconductor के अंदर कोई resistance नहीं है, zero resistance है इसका तो इसमें जितना भी current flow कराएंगे, current flow करेगा without any loss, कोई loss नहीं होगा current का क्योंकि resistance जीरो है तो जब यहाँ से current flow होगा, तो आप लोगोंने एक property पड़ी है कि जब किसी conductor से current flow करता है, तो उसके चारो तरब magnetic field बन जाता है क्या बन जाता है magnetic field, अब इसके चारो तरब बनेगा magnetic field अगर आप current को बढ़ाते जाएंगे तो इस magnetic field की intensity भी बढ़ती जाएगी लेकिन क्या हम current को बढ़ाते जाएंगे, बढ़ाते जाएंगे क्या कुछ होगा, बिल्कुल होगा, देखिए क्या होगा अगर आप current को बढ़ाते जाएंगे, तो ये जो magnetic field बाहर पन रहा है, इस magnetic field की value critical magnetic field से हो जाएगी जादा और जब इस magnetic field की value critical magnetic field से जादा होगी, तो ये superconductor convert हो जाएगा normal conductor में, तो ये normal material बन जाएगी तो यहाँ पर हमसे पूछा गया है कि critical current क्या होता है तो critical current वो maximum current है वो maximum current है जब हमारा superconductor normal conductor में convert हो जाता है या होने वाला होता है तो देखो वोई चीज़ यहाँ पर लिखी है the maximum current that can be passed in a superconductor नहीं आता है maximum current that can be passed in a superconductor without destroying its superconductivity is called critical current क्योंकि अगर आपने critical current से ज़्यादा current को superconductor के अंदर flow कराया तो वो superconductor बन जायेगा normal conductor तो यहाँ पर अब देखो हमें तीन बाते समझ में आ गई कि अगर हम superconductor का temperature critical temperature से ज़्यादा करें तो वो normal material में convert हो जाता है अगर हम superconductor के ऊपर magnetic field लगाएं और magnetic field critical magnetic field से ज़्यादा हो गया तो भी वो normal material में convert हो जाएगा और अगर हम किसी superconductor से critical current को flow कराएं और वो critical, sorry, किसी current को flow कराए और वो current अगर critical current से जादा हो गया तो भी हमारा superconductor normal material में convert हो जाएगा तो यहाँ से जो conclusion निकल गया आ रहा है, वो conclusion यह है कि हमारे पास यहाँ पर 3 important parameter हैं जो कि superconductor को normal conductor में convert कर देते हैं कुछ यहाँ पर important, एक important formula उसको भी समझ लेते हैं Now कि अपने लोगों ने पढ़ा है जब किसी conductor से current pass होता है तो उसके चारों तरफ magnetic field बनती है और उस magnetic field को calculate करने का यह formula होता i equal to यह हमने unit number 2 में भी पढ़ा था i equal to close integral h.dl, h यहाँ पर intensity of magnetic field है तो इस formula जो हम magnetic field को calculate कर सकते हैं due to current carrying conductor, अब यहाँ पर h2pi r equal to i 2pi r क्यों आया क्योंकि यहाँ पर जो हमारा conductor है उसका radius r है तो conductor का जो circumference हो जाएगा वो क्या हो जाएगा 2πi r हो जाएगा तो यहाँ से हमारे पास i current की value के आगे 2πi r h आगे h क्या है magnetic field है तो यहाँ पर ज़्याद देना अगर हमारा magnetic field critical magnetic field के बराबर हो गया है मतलब हम यहां से करण फ्लो करा रहे हैं तरफ को हम बढ़ाते जा रहे एक समय ऐसा आया कि इस करण की वजह से जो मैंने टिप्पल बन रहा है अ वो क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड के बराबर हो गया क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड के इंटेंसिटी के बराबर हो गया इंटेंसिटी और मैगनेटिक फिल्ड के क्या हो गया इंटेंसिटी और मैगनेटिक फिल्ड के क्या हो गया तो आई की जगा आई सी आजाएगा मतलब क्रिटिकल करंट यहाँ पर critical current का formula आ गया, IC equal to 2 pi R HC, और again important formula है, क्योंकि इस formula के उपर base numerical भी आ सकता है, आया तो नहीं था, last year तो उसी formula के उपर base आया था, इस formula के उपर base भी आपके पास numerical आ सकता है, और इस formula के उपर base numerical होता है, बहुत ही simple होता है, now current density, तो current density का formula जानते है, current density क्या होती है, current upon area, तो ये हमारा current density का formula हो गया तो आपसे अगर कभी भी किसी numerical में critical current और critical current density पूछी जाए तो आपको ये दोनों formula लगा देने ये critical current का है और ये critical current density का formula है तो यहाँ पर सब कुछ बढ़ने के बाद अब हमें क्या समझ में आ रहे है कि the superconducting state not only depend on the temperature तो किसी भी material की जो superconducting state होती है वो केवल temperature के ओपर डिपेंड नहीं करती वो magnetic field पर डिपेंड करती है और वो current के ऊपर भी depend करती है तो अगर हम तीनों चीज को एक साथ merge कर दें तो हम ये कह सकते हैं कि अगर हम एक graph बनाए ती, ह, और जे के बीच में तो ये कुछ इस तरीके का graph बनेगा आप यहाँ पर देख सकते हैं ये हमारा critical magnetic field है ये critical temperature है और ये critical current density है तो जब तोक हमारा material इस region में है तो वो superconductor रहेगा लेकिन जैसी region से बाहर निकलेगा तो वो normal state में आजेगा तो for superconducting state, superconducting state के लिए C जो होना चाहिए वो TC से कम होना चाहिए, I IC से कम होना चाहिए और H SC से कम होना चाहिए, तभी वो हमारा superconducting state कहलाएगी, अब इसके उपर based numerical एक दो देख लेते हैं, दो numerical हैं, बहुत simple से numerical हैं, पहला numerical में तो कुछ करना ही नहीं है, देखो, determine the critical current, critical current और डायमेटर टेन की पावर माइनस फ्री मिटर डेट कैन फ्लो थ्रू ए लोंग इन सुपर कंडेक्टिंग वायर जो कि एक सुपर कंडेक्टिंग वायर से क्या कर रहा है फ्लो करना और एलमोनियम ऑफ डायमेटर यहां पर मिटर क्या एलमोनियम यह टी टेंप्रेशर पर गिवन है जीरो केल्विन पर नहीं है तो हमें निकालना क्रिटिकल करण का फॉर्मला हम जानते है टू पाई आर एट्सी अब ज़्यान दो बे टू पाई आर हमें पता है आर क्या होगा बे डायमेटर आपको गिवन है डायमेटर का तो कुछ करना है इसमें कुछ नहीं करना है बहुत सिंपल सा numerical है एक और numerical देख लेते हैं इस numerical के chance ज़्यादा आने के इस type के numerical के क्योंकि इसमें दोनों चीज़ एक साथ mix हो गई देखो determine the critical current critical current निकालना है critical current density निकालना है मतलब हमें JC निकालना है 4S super connecting wire super connecting wire के लिए जो कि LED का बना हुआ है और जिसका diameter है 1 mm तो इस 1 mm का मतलब क्या है 10 की power 3 meter 10 की power minus 3 meter तो diameter again same है एट फोर पाइंट टू कैलिविन कितने टेंप्रेचर पर फोर पाइंट टू कैलिविन पर इसका मतलब यह टी की वैल्यू इसकी और लेड का critical temperature भी हमें given है 7.18 Kelvin यह हमारा critical temperature है और कुछ given है and the critical magnetic field और 0 Kelvin पर critical magnetic field भी given है इसका मतलब आपको SC0 भी given है और आपको current density निकालनी है लेकिन current density के formula में आएगा critical current तो पहले हमें critical current निकालना पड़ेगा critical current के formula में critical current के formula में कहां गया critical current का formula में यह रहा है क्रिटिकल करंट के फॉर्मुले पर आता है क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड तो पहले हमें क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड निकालना पड़ेगा तो पहले हम SC निकालेंगे SC को निकालने के बाद हम IC निकालेंगे और IC को निकालने के बाद हम JC निकालेंगे SC जीरो आपको गीवन है T आपको गीवन है TC आपको गीवन है सबको यहाँ पर पूट करिये SC आ गया और जब SC आ गया तो आईसी भी आ जाएगा क्योंकि यहाँ पर value put कर दे और आपको दिया 10 के power minus 3 upon 2 यहाँ पर put कर दिया तो आईसी आ गया और आईसी के बाद जेसी का formula लगा दे आईसी upon a तो आपका जेसी आ गया और यहीं हमसे पूछा था critical current density तो यह numerical important है इस type का numerical भी आपसे पूछा जाएगा तो unit number इस unit के अंदर unit number 5 के अंदर जिसका पहला chapter है superconductor इसमें बस इतने ही numerical आपको करने है तो मतलब आपके बाद केवल तीन फार्मुले हैं और इनी तीनों फार्मुले के उपर बेस निमेरिकल आपको एग्जाम में आ सकते हैं आगे बढ़ते हैं नेक्स्ट टॉपिक पर चलते हैं अब हमारे पार नेक्स्ट टॉपिक है परसिस्टेंट करन लेकिन परसिस्टेंट करन क्या होता है इसको ध्यान से समझिए मानी कि हमारे पास एक सुपर कंडेक्टर है और जो तो यह एक superconductor की ring है और आप यह जानते हैं कि जो superconductor होता है उसका resistance होता है zero तो अगर आप किसी भी method से इस ring के अंदर current को flow करा देते हैं अब देखिए इसके अंदर current को flow कराने के कई तरीके हैं एक तरीका तो यह है कि आप यहाँ पर magnetic flux को apply करिए magnetic flux और उसको change कर देजिए तो आप जानते हैं magnetic flux के change होने से current induce होता है due to magnetic induction या फिर आप इसको supply दे दीजे एक बार और इसके अंदर current को flow करा दीजे और उसके बाद supply को हटा दीजे, बात समझ मा रही है, कहने का मतलब यह है, इस ring के अंदर आप किसी भी method से एक बार current को flow करा दीजे और उस बार उसके बाद उस method को आप वहाँ से हटा दीजे, बात सम� कई हजार सालों तक इस ring के अंदर ये current flow होता रहेगा जबकि हम इसको कोई supply नहीं दे रहे है तो actual में ऐसा क्यों हो रहा है ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ये superconductor है इसके अंदर resistance 0 है आपने इसके अंदर जो current को flow कराया एक बार उस current का कभी loss नहीं होगा तो ये current का loss नहीं होगा क्योंकि resistance नहीं है तो ये current कई हजार सालों तक इसी ring के अंदर फ्लो करता रहेगा और इस current को हम कहते है persistent current तो वो डिपर्स इस टेंट कर रहा है इस टेंट लॉट करने इन रिंग विद इन रिंग और सूपर कंडक्टर विदाउट एनी एप्लाइड वोल्टेज और एक्सटरनल सोर्स इज कॉल्ड परसिस्टेंट करें तो किसी भी सूपर कंडक्टर की रिंग में जो करंट का फ्लो है रिंग के अंदर बिना किसी एप्लाइड वोल्टेज के और बिना किसी एक्सटरनल सोर्स के अ तो यह जो current flow करता है इसी current को हम कहते है persistent current और this phenomena is a key characteristics of superconductor तो यह superconductor की एक important एक key characteristics है persistent current and arises due to the absence of electrical resistance in superconducting material तो यह current किसकी वज़े से यह property किसकी वज़े से यहाँ पर आ रही है इसलिए आ रही है क्योंकि इसका resistance क्या है zero है ध्यान दीजेगा यह जो superconductor है आप जानते हैं superconductor का resistance 0 कब होता है जब वो critical temperature से कम हो और कोई भी material superconductor तभी कहलाता है जब उसका temperature critical temperature से कम हो अगर आप इस superconducting ring का temperature बढ़ाएंगे तो ये ring आपकी normal material में convert हो जाएगी और current flow करना भी बंद कर देगा current flow नहीं होगा तो कि जैसे ही ये normal state में आएगा इसके अंदर resistance आजाएगा और resistance उस current को क्या कर देगा खतम कर देगा क्योंकि resistance oppose the current यह आप सब लोग जानते हैं तो persistent current is the current which flow इन दा सुपर कंडेक्टर विदाउट एनी लॉस इन इट्स वैल्यू फोर लॉन टाइम तो यह एक ऐसा करंट है जो कि लंबे समय तक इसके अंदर क्या करता है फ्लो करता है और कई हजार सालों तक फ्लो करता रहेगा अब हम चलते हैं आगे नेक्स यहाँ पर एक छोटी सी तो अगर आईसोटोप के मास नंबर को हम चेंज करते हैं तो उसकी वज़े से हमारा जो critical temperature है superconductor का वो चेंज हो जाता है तो बस इसी definition को मान लिए यह मैंने यहाँ पर सिर्फ इसलिए ज़्यादा important नहीं है और जो critical temperature है वो inversely proportional होता है m की power alpha यह आईसोटोप मास है और alpha यहाँ पर आईसोटोप coefficient है तो ये एक चोटी सी definition इसको याद करें ना ज्यादा important नहीं है आगे बढ़ते हैं now superconductor का सबसे important topic type 1 and type 2 superconductor देखिए ये इस chapter का सबसे important topic है जो important है क्योंकि जैसा कि मैंने आपको बताया कि ये जो topic है ये last year add हुआ था और इस topic के अभी तक तीन बार university exam इसका हो चुका है और ये एक ऐसा question है जो तीनों बार यूनिविस्ट्री के एग्जाम पेपर में आया है यह लास्ट त्री येर्स में यह लास्ट त्री येर्स में क्योंकि हर सेमेस्टर में फिजिक्स का पेपर होता है तो पिछले जो तीन फिजिक्स के पेपर हुए हैं क्या है कुछ नाया Type 1 और Type 2 Superconductor अक्टल में जो हमारे Superconductor होते हैं लेकिन वो classification temperature के basis पर था low temperature superconductor और high temperature superconductor और ये जो classification है ये depend इसके पर कर रहा है ध्यान दिजेगा depending upon the behavior of superconductor in external magnetic field जब हम superconductor को external magnetic field में रखते हैं तो superconductor का जो behavior होता है उसके behavior के उपर based हमारे पास दो type के superconductor होते हैं that is type 1 superconductor and type 2 superconductor तो अब ये exam में question दो तरीके से पूछा जाता है तभी पूछेंगे what is the difference between type 1 and type 2 superconductor और उसके बाद इसमें आप से पूछ लेंगे कि जो type 2 के superconductor है वो क्यों superior है type 1 के superconductor से तो ये question कई बार पूछा जाता है exam में या फिर आप इसको ये question इस तरीके से पूछा जा सकता है कि explain type 1 and type 2 superconductor in details बात समझ भारी है तो यहाँ पर मैंने type 1 और type 2 के same तो अगर आपसे डिफरेंस पूछा जाता है तो जैसे मैंने यहां पर टेबल बनाकर किया आप वैसे ही टेबल बनाकर अपना अंसर लिख सकते हैं लेकिन आपसे कहा जाता है कि explain type 1 and type 2 superconductor in detail तो आप क्या करेंगे पहले आप type 1 superconductor heading डालेंगे और टाइप वन सूपर कंडेटर में ये डायग्राम बनाएंगे और यहाँ पर जितने भी पॉइंट मैंने टाइप वन सूपर कंडेटर में लिखे हैं ये सारे पॉइंट आप लिख देंगे उसके बाद आप टाइप वन सूपर कंडेटर हेडिंग डालेंगे और डायग्राम ब तो चलिए start करते हैं type 1 के जो superconductor होते हैं इनको हम soft superconductor भी कहते हैं और जो type 2 के superconductor हैं इनको hard superconductor भी कहते हैं और बहुत ही simple question है और बहुत ही आसान question है बहुत ही आसान तरीके से आपको इस समझ में भी आ जाएगा देखो diagram को ज़राब focus करिए ये type 1 superconductor का diagram है इसमें क्या है?
x-axis पर मैंने लिया है h को this is magnetic field और y-axis में मैंने लिया है इसको magnetization इसको लिया है magnetization यानि के minus mu m को अब ज़्यान दो अक्शन में क्या हो रहा है type 1 superconductor किस type के superconductor हैं ज़्यान से समझिए इसमें हो क्या रहा है जैसे हम magnetic field को बढ़ाते जा रहे हैं जैसे हम magnetic field को बढ़ा रहे हैं हमारा जो ये superconductor है हमारा जो superconductor है एक particular magnetic field पर जा करके, इसकी जो magnetization है, वो zero हो जाता है, क्या हो रहा है, zero हो रहा है, ज्यान दीजेगा, magnetization क्या हो रहा है? 0 हो रहा है, एक मिनट, चले, तो देखें, यहाँ पर मैं आपको यह बता रहा था कि, अगर हम किसी superconductor को magnetic field में रखते हैं, और magnetic field को बढ़ाते हैं, तो क्या होगा, हम पहली बढ़ चुके हैं, कि जब हम किसी superconductor को magnetic field में रखते हैं, नॉर्मल कंडक्टर में यानि के नॉर्मल मेटेयल में तो देखो जब तक हमारा मैगनेटिक फिल्ड क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड से कम था तो सूपर कंडक्टिंग जो हमारा सूपर कंडक्टर था वो सूपर कंडक्टिंग स्टेट में था लेकिन जैसे ही हमारा मैगनेट तो किसी particular value पर जाकर के हमारा superconductor अचानक से suddenly normal conductor में बदल जाएगा, normal material में convert हो जाएगा तो ऐसे superconductor, ऐसे superconductor जो suddenly superconducting state से normal state में चले जाते हैं ऐसे superconductor को हम type 1 के superconductor की category में रखते हैं वोल बात समझ में आ रही है अब type 2 का superconductor देखो ज़रा इसमें क्या होगा अगेन अमारा ये क्या है, x-axis पे हमारा magnetic field है और y-axis पे हमारा magnetization है, जैसे-जैसे magnetic field को बढ़ाएंगे हमारा magnetization बढ़ता जाएगा, लेकिन जैसे ही हम पहुँचेंगे, अब ज़्यान देना, यहाँ पर ज़्यान दीजेगा, यहाँ पर जो type 2 के superconductor है, इनमें क्या है, कि हम लोगों यहाँ पर तो क्या था इस point पर जा करके suddenly superconducting state is converted into normal state लेकिन type 2 के जो superconductor होते हैं उनमें क्या होता है उनमें क्या होता है जैसे हम यहाँ पर पहुँचे हैं यह critical magnetic field है क्या है critical magnetic field है यहाँ पर हम पहुच चुके हैं तो इससे पहले तो हमारी कौन सी state थी normal state यह कौन सी state है superconducting state कंडक्टिंग स्टेट सूपर कंडक्टिंग स्टेट और इसके बाद क्या हो रहा है सूपर कंडक्टिंग स्टेट अब दो को यहां से जब हम इधर पहुंचे अब यहां पर जरा दिया देना इस पॉइंट पर इस पॉइंट से पहले सूपर कंडक्टिंग से ज्यादा हुआ तो यहां पर हमारा मेडियल नॉर्मल स्टेट में नहीं आया अभी अब यहां पर जो हमारी और यह यहां तक डिक्रीज होगी अब यहां पर ज़्यादा ध्यान दीजिए यह हमारी सुपर कंडेक्टिंग स्टेट यहां तक क्या होगी डिक्रीज होगी इस पॉइंट तक भूल बात समझ में आ रही है इस पॉइंट तक क्या होगी डिक्रीज हो जाएगी इस पॉइंट जब तक हम यहां तक पहुँचे, critical magnetic field तक, तो यहां तक तो हमारा superconductor, जो हमारा material था, वो superconducting state में था, उसके बाद इस magnetic field के जब हम आगे निकलते हैं, तो हमारा जो conductor है, वो आजाता है mixed state में, इसमें आजाता है mixed state में आजाता है, mixed state मतलब, यहाँ पर superconducting state से हम आगे निकल स्टेट मतलब हमारी अब स्टेट मिक्स स्टेट में कनवर्ट हो चुकी है अब ध्यान देना याद तो यह जो सूपर कंडेंट स्टेट यह देरे-देरे डिग्रीज होती जा रही है देरे-देरे डिग्रीज मतलब यहां पर सूपर स्टेट भी है और नॉर्मल स्टेट भी है मिक्स स्टेट है उसके बाद हम यहां पर पहुंचे जो कि हमारी फिर से इस पाइंट पर पहुंचे तो उसके आगे हमें मिला केवल normal state यहने कि अब यहाँ पर normal state में हमारा material आ चुका है तो यह कौन सी state है normal state तो यहाँ पर आप देख सकते हैं तीन state यहाँ पर है पहले यहाँ पर क्या था superconducting state फिर mixed state और फिर normal state मतलब type 2 के superconductor वो conductor है जो की अपनी superconductivity को lose तो करते हैं suddenly नहीं करते हैं धीरे करते हैं superconductivity को lose करेंगे तो ये हमारी superconducting state ये हमारी mixed state और ये हमारी normal state मेरे कहाल से यह point आपको clear हो गया होगा अब यहाँ पर देखो जो चीजे मैंने आपको यहाँ पर बताई है उनको थोड़ा सा यहाँ पर एक बार देख लेते हैं देखें पहला point क्या कह रहा है above critical field the superconductor become normal conductor तो critical field के बाद में हमारा superconductor जो है वो normal conductor में बदल जाता है normal state में बदल जाता है between SC1 and SC2 देखो यह हमारा SC1 है और यह SC2 है between SC1 and SC2 SC2, the superconductor exists in mixed state called vortex state मतलब इन दोरों state के बीच में हमारा जो material है वो mixed state में रहेगा जिसको हम vortex state भी कहते हैं and above SC2 it come into normal conductor या normal state और उसके बाद SC2 के बाद हमारा जो superconductor है वो normal state में चला जाएगा तो मेरे कारण से type 1 और type 2 का main difference आपको समझ में आ गया होगा इस type 1 superconductor वो superconductor होते हैं जो अचानक से superconducting state से normal state में चले जाते हैं और type 2 के superconductor वो superconductor हैं जो अचानक से normal state में convert नहीं होते हैं normal state में convert नहीं होते हैं पहले वो mixed state में convert होते हैं उसके बाद वो normal state में convert होते हैं आगे देखो next point तो यहाँ पर क्या है type 1 superconductor में कोई mixed state एक्जिस्ट नहीं करती जबकि यहाँ पर mixed state एक्जिस्ट करती है चले रोगा point now next point जाएगे यह टाइप वाले जो है यह अचानक से अपनी सुपर कंडक्टिविटी को लूस कर देते हैं इस पॉइंट पर जबकि टाइप टू के जो सुपर कंडक्टर होते हैं यह अपनी कंडक्टिविटी को सुपर कंडक्टिविटी को धीरे-धीरे लूस करते हैं लेजुए दी सुपर कंडक्टर सोप परफेक्ट निशन इफेक्ट देखो यह वाले जो सुपर कंडक्टर है यह परफेक्ट मिजनर परफेक्ट क्यों क्योंकि अचानक से सुपर कंडक्टर से नॉर्मल प्रेटर में कंवर्ट हो जाते हैं तो यहां पर जो मिजनर एफेक्ट है ना वो परफेक्ट मिजनर एफेक्ट होगा जबकि इसमें परफेक्ट नहीं होगा परफेक्ट क्यों नहीं होगा जो कि देखो यह जो टाइप एंड कम है तो उसमें से मैंने डिफिनल नाइट पास जैसे टेंप्रेचर क्रिटिकल टेंप्रेचर से ज्यादा होगा तो एक भी मैंने और हमारा temperature critical temperature से काम हो जाएगा मतलब हमारा normal conductor super conductor बन जाएगा तो उसके बाद भी उसमें से magnetic field lines pass होती रहेगी कुछ सकती क्योंकि वो mix state में रहेगा और उसके बाद जब वो magnetic field को बढ़ाते जाएगे तो एक समय ऐसा आएगा कि वो normal state में चला जाएगा जो हमारे यह वाला point है these superconductor show perfect misioner effect तो type 1 वाले जो है वहाँ पर perfect misioner effect show होता है जबकि type 2 में perfect misioner effect show नहीं होता है clear है now next point देखिए they are perfect dimagnetic material जो type 1 के superconductor होते हैं वो perfect dimagnetic materials होते है perfect क्यों होते है क्योंकि अचानक से ही उनमें magnetic field line पास होना बंद कर देती है जैसे वो superconductor बनते हैं जबकि type 2 के जो है उनमें क्या होता है, बीच में मिक्स स्टेट होती है, और मिक्स स्टेट में कुछ फिल्ड लाइन पास होती है, कुछ पास नहीं होती है, तो इसलिए ये परफेक्ट होते हैं, और ये परफेक्ट डाइमागनेटिक मेटेरियाल्स नहीं होते हैं, देर इस ओनली वन क्रिटिकल तो यहां पर टाइप वन के सुपर कंडेटर में रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड की जो वैल्यू है वह बहुत कम है तब कि यहां पर क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड की वैल्यू क्या ज्यादा और यहीं का सबसे ज्यादा एडमांटेज है देखिए टाइप टू के जो एप्लीकेशन ज्यादा नहीं है रिजन क्या है रिजन यह है कि इनका क्रिटिकल मैगनेटिक फिल्ड ज्यादा होता है कम magnetic field पे ये superconductor normal conductor में convert हो जाते हैं जबकि ये convert नहीं होते हैं तो इसलिए ये ज़्यादा useful है चले आगे बढ़ते हैं these superconductor have limited technical application तो ये मैं आपको बताई चुका इनकी limited और इनकी बहुत ज़्यादा application है comparatively these superconductor are known as soft superconductor इनको soft superconductor कहा जाता है और इनको hard conductor कहा जाता है अगर हम type 1 के superconductor की example की बात करें तो aluminium, lead, zinc और gallium मतलब जितने भी generally जो low temperature superconductor होते हैं वो type 1 के superconductor होते हैं और जो high temperature superconductor होते हैं वो type 2 के superconductor होते हैं तो आप देख सकते हैं यहाँ पर मैंने high temperature superconductor को लिखा है और यहाँ पर मैंने low temperature superconductor को लिखा है तो example मैं सब जगह सेमी लिखते जाओंगा आगे बढ़ते हैं now high temperature superconductor high temperature superconductor वो होते हैं जिनका critical temperature ज़्यादा होता है पर low तो लोग टेंप्रेचर वह होते हैं लोग टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर जिनका क्रिटिकल टेंप्रेचर क्या होता है कम होता है बात समझ में आगे तो कहीं बात एक बदल के लास्ट एक्जाम में पूछा गया था कि हाई टेंप्रेचर इसलिए अगर आपसे हाई टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर के बारे में पूछा जाता है उसके लिए आप यह कंटेंट आई टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर क्या है और इनका क्या फायदा है वैसे तो मैं आपको बता ही जुगा हूं कि जिनका क्रिटिकल टेंप्रेचर ज्यादा होता है उनको हम आई टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर कहते हैं तो दोस्तांसेस विच सो सुपर कंडेक्टिविटी एक रिलेटिवली हाई टेंप्रेचर ऐसे सब्सक्राइब टू कि रिलेटिवली हाई टेंप्रेचर पर आई टेंप्रेचर पर सुपर कंडेक्टर बनते हैं उनको क्या कहते हैं आई टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर कहते हैं दोस्तांसेस विच सो at relatively high temperature यह आप पहले से जानते हैं The high temperature superconductor are also called high critical temperature material इनको हम high critical temperature material भी कहते हैं इस सिदी सी बात है high temperature superconductor का critical temperature क्या होगा high होगा तो इनको high critical temperature substances भी कहा जाता है Next point बहुत important है The high temperature superconductor with critical temperature more than 77 k are more useful देखिये ऐसे सब्स्टांसेस, ऐसे सुपर कंडेटर जिनका critical temperature 77 Kelvin से ज्यादा होता है वो ज्यादा useful होते हैं वो क्या होते हैं? ज्यादा useful होते हैं, इसका करण क्या है? क्योंकि मैं आपको बता चुका हूँ कि जो liquid nitrogen होता है, liquid nitrogen उसका temperature 78-77 Kelvin के आसपास होता है और वो liquid helium से सस्ता होता है, liquid helium का तो approximately माइनस 270 डिग्री सेल्सियस यानि के 3 केल्विन के आसपास होता है लेकिन क्योंकि वो बहुत महंगा है या है महंगा है तो ऐसे सुपर कंडिक्टर जिनका टेंप्रेचर 77 केल्विन से ज़्यादा है उनको हम लिक्विड नाइट्रोजन में रख सकते हैं इसलिए ऐसे सुपर कंडिक्टर जिनका टेंप्रेचर 77 केल्विन से ज़्यादा है वो ज़्यादा यूसफुल होते हैं लेस कॉस्टली कंपेर्ट टू लो टेंप्रेचर सूपर कंडेटर तो मेरे जान से आपको बात समझ में आगी कि सस्ते क्यों हैं क्योंकि हम इनको लिक्विड नाइट्रोजन में रख सकते हैं जबकि लो टेंप्रेचर सूपर कंडेटर को हमें रखना पड़ता है लिक्विड हिलियम में जो कि महंगा है और वही चीज नेचे लिखी है दा सबस्टांसेज विच सो सूपर कंडेटिविटी एट कंडेटिव लो टेंप्रेचर सूपर कंडेटर कहते हैं तू मेंटेन लो टेंप्रेचर और लो टेंप्रेचर को मेंटेन करने के लिए लो टेंप्रेचर सूपर कंडेटर आफ प्लेस इन लिक्विड हिलियम लोट अगर आप लो टेंप्रेचर मेंटेन करना रखना पड़ेगा लिक्विड हिलियम में जो कि महंगा होता है ड्यूट इसी वजह से ड्यूट इस अ New type of superconductor are discovered और इसी वज़े से नए type के superconductor को discovered किया गया जिनको हम कहते है high temperature superconductor High temperature superconductor show superconductivity at relatively high temperature ये low temperature superconductor के respect में relatively high temperature पर superconductivity को show करते हैं To maintain relatively high temperature और high temperature को maintain करने के लिए हम high temperature superconductor को कहां रखते हैं liquid nitrogen में रखते हैं जो कि relatively सचता है liquid helium से तो यहां तक आपको मेरी कहाल से सब कुछ समझ में आ गया होगा basically high temperature superconductor are sort of rare earth element which are mostly copper oxide containing element जितने भी high temperature superconductor हैं उन सब में आपको copper oxide मिलेगा ही मिलेगा आप example देख सकते हैं देखो फिर से अब यहाँ पर ही जो एग्जाम्पल है वही है हाई टेंप्रेचर सुपर कंडेक्टर जो कि मैं स्टार्टिंग से लिखते हुए आ रहा हूँ आप देख सकते हैं इन सब का टेंप्रेचर 77 केल्विन से ज्यादा है तो इन यह इनकी प्रॉपर्टी लिखी है, आधार तंप्रेचर सुपर कंडेटर हैं आधार अनाइसोट्रॉपिक श्रुक्षा, देखिए अनाइसोट्रॉपिक श्रुक्षा का क्या मतलब है, अच्छल में यह ऐसे माइटरियल होते हैं, जो सभी डारेक्शन में अलग-अलग प्रॉपर्टीज को क्या करते हैं, सो करते हैं, यह ब्रिटल मेटरियल हैं, इनसे बहुत ज्यादा फ्लो हो सकता है देखिए इसका ज़रूरत क्या है जो अधिक तंप्लेचर और सुपर कंडेटर होते हैं यह मैं आपको बता चुका हूँ यह टाइप 2 के सुपर कंडेटर होते हैं टाइप 2 के सुपर कंडेटर में बहुत ज्यादा फ्लो होती है मतलब टाइप 1 के सुपर कंडेटर में इतना करंट फ्लो नहीं हो सकता जितना इनमें हो सकता है hard superconductor होते है type 2 के superconductor होते है इनका critical temperature high होता है और high critical magnetic field होता है मेरे क्याल से आपको high temperature superconductor समझ में आ गया होगा अगर ये question आपसे 7 marks में पूछा जाता है तो आप ये सारी चीजें वहाँ पर mention करके आ जाएगी clear हो गया चलिए आगे बढ़ते है next है properties of superconductor superconductor की properties क्या होती है वो लगभग सब superconductor की properties ही थी superconductor की properties यहाँ पर मैंने कुछ लिखी हुई है लेकिन by chance अगर आपको यह सारी याद नहों पाए और आप इन में से दो चार ही आपको याद नहें तो बिटा मैं आपको बता दूं कि जो mizner effect होता है वो superconductor की property है तो आप properties of superconductor में mizner effect को लिखे आ जाएंगे उसके बाद persistent current भी superconductor की property है उसको आप यहाँ पर लिख देंगे critical current critical magnetic field ये सब superconductor की क्या है?
property है, जिनको आप लिख करके आ सकते हैं तो वैसे यहाँ पर मैंने short में लिखी हुई है इनको आप याद कर लें अच्छा है, लेकिन अगर आप बूल जाएं तो आपको जो मैं बता रहा हूँ इन properties को आप detail में लिख करके आ सकते हैं लेकिन पहली property, जो superconductor होते हैं उनका resistance जीरो होता है, या कह सकते हैं resistivity जीरो होती है, या infinite conductivity होती है तो यह property तो आपको याद ही रहेगे दूसरी प्रापर्टी भी आप नहीं भूलेंगे सुपर कंडेटर आप परफेक्टली डाइ मैगनेटिक मेटीरियल्स ये डाइ मैगनेटिक मेटीरियल्स होते हैं तो ये भी आप नहीं भूलेंगे तो दो प्रापर्टी तो ये हो गई परसिस्टेंट करंट लिख करके आ सकते हैं इसका मतलब क्या है लेकिन reversible का मतलब ये है कि अगर मान लीजिए हमारे पास कोई superconducting material है जो कि normal state में है तो अगर हम उसका temperature कम करेंगे तो वो superconductor बन जाएगा और अगर हम वापस superconductor के temperature को increase करेंगे वो तो normal state में आ जाएगा तो मतलब superconductor की जो state होती है वो reversible होती है reversible क्यों होती है क्योंकि वो normal state से superconducting state में जा सकता है superconducting state से वापस normal state में आ सकता है तो इसलिए हम कहते हैं जो superconductivity state है वो reversible है और ये एक low temperature phenomenon है क्योंकि आप जानते है superconductivity low temperature पर ही possible है तो बहुत simple property है critical temperature है different for different substances ये भी आप सबको पता है कि सभी substances का जो critical temperature होता है वो अलग होता है जैसा आपने देखा mercury का 4.2 kelvin है तो इसी तरीके से अलग material का critical temperature क्या है नो लॉस इन एनरजी कंडक्शन भी सीधी सी बात है जब सूपर कंडक्शन में कोई रजिस्टेंस है ही नहीं तो एनरजी का लॉस नहीं होगा तो ये भी एक important property है next when some amount of impurity देखिए अगर आप सूपर कंडक्शन के अंदर impurity को add करेंगे तो उसका critical temperature change हो जाएगा वही चीज यहाँ पर लिखिए अगर आप impurity को add करते हैं तो critical temperature क्या हो जाएगा decrease हो जाएगा magnetic field does not penetrate into a superconductor देखिए आप ये भी जानते हैं कि superconductor के अंदर से सुपर कंडक्टर के अंदर से magnetic field penetrate नहीं कर सकता और इसी को हम mizner effect भी कहते हैं तो मैंने यहाँ पर जो कोई बड़ा लिख दिया एक लाइक में अगर आप property आपको जादा याद बढ़ा रहे हैं आप बुल जाएं तो आप इसको detail में भी लिख सकते हैं तो magnetic field जो है वो superconductor के अंदर से penetrate नहीं हो सकता यह सब superconductor की property है superconductivity occur in those material which have high normal resistivity superconductivity actually उन material में होती है जिनकी resistivity क्या होती है high होती है मैं आपको पहले ही बता चुका हूँ कि जैसे मैंने आपको तीन एग्जांपल बताई थे सिल्वर जो कि बेस्ट कंडेक्टर आफ एलेक्टिसिटी है है ना कॉपर जो कि सेकंड बेस्ट कंडेक्टर आ ये भी आपका अच्छा conductor electricity के लिए लेकिन ये तीनों के तीनों element कभी भी superconductor नहीं बनते हैं तो यहां से एक बात आपको अच्छे से समझ लेनी है कि जो material room temperature पर electricity को conduct करता है जरूरी नहीं कि वो superconductor बन जाए the entropy entropy होता है बता randomness तो actual में जो superconductor होते हैं अगर हम उनके temperature को degrees करें तो उनकी entropy भी क्या हो जाती है decrease हो जाती है जनरली superconducting element lie in the inner column of periodic table अब ये last की property ज़्यादा important है याद रहे तो लिख देना मतलब यहाँ पर ये बताना चाहने है periodic table के बारे में आप सब लोग पढ़ चुके 10th class से पढ़ते आ रहे हैं तो periodic table में जो inner वाले elements होते हैं वही element जनरली superconductivity को show करते हैं the metal which are good conductor और best conductor है electricity के लेकिन ये superconductivity को so नहीं करते हैं तो ये हो गई हमारी property and now applications applications of superconductor तो देखिए यहाँ पर due to the unique properties of superconductor they find application in several field देखिए superconductor की जो applications है वो बहुत important है और क्या है ज़रा पहली application को देखते है यहाँ पर superconducting wire and cable are used in transmission of electric power देखिए आप जानते है superconductor का resistance क्या होता है 0 होता है तो इनको हम power transmission के लिए use कर सकते हैं लेकिन ज़्यादा use नहीं करते हैं केवल limited use है कर सकते हैं लेकिन ज़्यादा use नहीं करते हैं क्यों क्योंकि बहुत महगे हैं costly हैं लेकिन अगर हम इनको transmission के लिए use करें तो सोचि हमारा electrical energy का loss नहीं होगा यानि कि आने वाले समय में अगर ऐसे superconductor बन गए जो room temperature पर ही अपने resistance को zero कर देंगे तो सोचि कितना important हो जाएगा next point क्या है यूज़ फॉर मेकिंग सुपर कंडेक्टिंग मैगनेट लेकिन सुपर कंडेक्टिंग मैगनेट को बनाने के काम आते हैं सुपर कंडेक्टिंग मैगनेट और सुपर कंडेक्टिंग मैगनेट का जो मैगनेटिक फिल्ड होता है ना वह बहुत हाई होता है और बहुत सारी जगह पर उसको इमेजिंग मर एमराई मराई मशीन के बारे में आप सब जानते हैं मेडिकल फिल्ड में यूज होती है मराई मशीन इससे हम अपना मराई कराते हैं अ तो आपको मालूम होगा कि MRI जो होता है वो बहुत महंगा होता है उसके महंगे होने का कारण क्या? उसके महंगे होने का कारण है सूपर कंडेक्टर उसके अंदर सूपर कंडेक्टर को यूज़ किया जाता है बात समझ में आ रही है? अगर बनाने की कोशिस करेंगे तो MRI मसीन का size इतना बड़ा हो जाएगा जिसको use कर पाना possible नहीं होगा तो इसलिए MRI machine में superconductor का use होता है और इसलिए जो MRI machine होती है वो महंगी होती है और MRI कराना भी costly होता है क्योंकि वहाँ पर superconductor use हो रहा है superconductor क्या है very costly बहुत costly होता है use for making superconducting transformer और generator हम superconductor का use करके transformer बना सकते हैं generator बना सकते हैं जहाँ पर कोई energy का loss नहीं होगा used in making superconducting filter superconducting filter इससे बन जाते हैं tritone as a switch computer में as a switch की तरह हम superconductor को use करते हैं superconducting quantum interface devices यहां से बनते हैं for progress of computer technology देखिए computer technology को develop करने के लिए भी superconductor का use होता है मतलब superconductor ऐसे material है जिनका use करके हम अपनी technology को बहुत उपर ले जा सकते हैं क्योंकि superconductor की वजह से हमारी जो electrical energy का loss है वो खतम हो सकता है advanced spectroscopy and microscopy techniques पर दाए इन techniques के अंदर भी superconductor का use होता है तो ये थी हमारी superconductor की application जिनको आप याद कर लेंगे अगर आपसे exam में पूछी जाती है अब कुछ important questions की बात कर लेते हैं चारो question बहुत important है superconductor के जो की exam में मान की चलिए कि इन चार questions पर से एक question 100% 7 marks में आना ही आना है हो सकता है कि यहां से दो questions भी 7 marks में आ जाएं तो यह question बहुत important है इनको आप अच्छे से तैयार करके जाएं यहां पर हमारा superconductor वो complete हुआ अब हमारा इस unit का एक छोटा सा topic है that is nanomaterials उसको हम next one shot video lectures में complete कर लेंगे तो फिलाल आप superconductor को अच्छे से तैयार कर लें ok thank you very much