Transcript for:
बांगलादेश में राजनीतिक संकट और विद्रोह

नमस्कार मैं रवीश कुमार शेक हसीना ने बांगला देश के प्रधान मंत्री के पथ से इस्तीफा दे दिया है और देश छोड़कर भाग गई हैं धाका में उनकी पार्टी अवामी लीक के मुख्याले को जनता ने जला दिया है धाका की सडकों पर नारे लग रहे हैं ची ची हसीना शर्म करो शर्म करो यही नारा आंदोलन का मुख्य नारा बन गया है शेक हसीना के भारत आने की खबरे चल रही है हम भी इन खबरों की अभी पुष्टी नहीं कर सकते मगर भारत बांगलादेश के 4096 किलोमेटर लंबे बॉडर पर BSF हाई अलर्ट पर है 2009 से शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग सत्ता में है और हसीना प्रधान मंत्री के पत पर थी आज शेख हसीना को पत से इस्थीफा दे कर उसी सरकारी आवास से फरार होना पड़ा जिसे बांगला देश में गणो भवन के रूप में जाना जाता है जनता प्रधान मंत्री के उस निवास में घुस गई जहां शेक हसीना 2009 से रह रही थी गणो भवन पर जनता का कबजा हो गया है सरकारी टीवी चैनल में जनता घुस गई है यहां तक कि बांगला देश के निर्माता और हसीना के पिता शेक मुझीबूर रह्मान की मूर्तियां भी तोड़ी जा रही है शेक मुझीबूर रह्मान को बंगबंधू कहा जाता है आज बांगला देश अपने ही राष्ट्रपिता की मूर्तियों पर चपले फेंक रहा है पंदरस साल से अवामी लीग सत्ता में है उनकी सरकार पर आरोप लगता है कि हर जगा केवल मुझीब मुझीब की ही मूर्ती और तस्वीरे लगी हैं हर भाषण में मुझीब का इस्तिमाल होता है और काम ठीक उल्टा होता है होता है इससे जनता मुझीबुर्य रह्मान से भी चुड़ने लगी खुद को शेख हसीना मुझीब का अनिवाई बताती थी और जनता को गद्दार कहने लगी रजाकार इससे लोगों में गुस्सा और भड़का बांगलादेश का यह प्रदेश प्रदर्शन जन जी का प्रदर्शन बताया जा रहा है यानी वह पीढ़ी जो मिलेनियम से भी आगे की पीढ़ी है बांगलादेश को जानने वाले बता रहे हैं कि जन जी ने इस आंदोलन का नितरित्व किया पुलिस की गोली से अपने दोस्तों की मौत ने उन्हें बागी मन प्रति भी चढ़ने लगा विदेशों में रहने वाले बांगलादेश के नागरिक जश्न मना रहे हैं प्रावैस्तेल प्रदान मंत्री के आवाज से कुर्सियां सूफा से अटैची बैग वगरा लेकर जा रहे हैं घर के भीतर घुसे हैं या जामदानी साडी शेख हसीना की बताओं बताई जा रही है लोगों ने उनके आवाज से मछलियां खरगोश और बकरी तक लूट ली हैं क्या इसे लूट कहा जा सकता है कई जानकारों का कहना है कि ये लूट नहीं है बलकि जनता को आज एहसास हो रहा है कि उसे अधिकार और शक्ती मिली है ये तस्वीरे हमें प्रा� पता नहीं थी किसी तरह श्रीलंका में हुआ था जब महंगाई से और आराजकता से त्रस्त जनता राष्ट्रपती के आलिशान महल में घुस गई थी यकीन नहीं होता कि आरक्षन और नौकरी के मुद्दे को लेकर एक देश इतना उबल जाएगा और इतनी दूर तक निकल ज पाका की सडकों पर लो सैलाब उमड़ाया है छात्रों का यह विजय जुलूस है जिसमें बड़ी संख्या में नागरिक भी शामिल हैं जश्न मनाया जा रहा है नारे लग रहे हैं गलियों के भीतर भी लोगों का जुलूस निकल रहा है कईयों के हाथों में बांगलादेश का जढड़ा है रविवार को असहयोग आंदोलन का एलान किया गया था लेकिन सत्ताधारी आवामी लीग और प्रदर्शनकारी कई जगों पर भिड़ गए 90 से अधिक लोग मारे गए जिनमें 14 पुलिस वाले हैं प्रदर्शनकारीयों की भीड सीराजगंज के थाने में घुस गई और तेर तेरा पुलिस वालों को मार दिया शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के 19 नेता मारे गये हैं रंगपूर और सिराजगंज में अलपसंख्यक समुदाय पर भी हमला हुआ पुलिस की गोली से मरने वालों की संख्या हजार तक बताई जाती है छात्रों का कहना है कि कई सौ की नौ से बैठी थी तक्ता पलट का जुनून पैदा हो ही जाता है वहां जादा जहां पर कई दशक से एक ही नेता सत्ता के केंद्र में होता है और वह सारी शक्तियां अपने आसपास समेट लेता है रखता है और जनता को अधिकार विहीन बना देता है प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पद पर वह कई वर्षों से बैठकर अपने आपको जनता से ऊपर समझने लग जाता है बंगलादेश में अवामी लीग लगातार चुनाव प्रशासन से लेकर पड़ोसी देशों से उसके संबंध बेहतर थे फिर अचानक क्या हुआ कि जनता सडकों पर आई और शेख हसीना के खिलाब जन विद्रोग उमड पड़ा बांगलादेश की सडकों पर इस तरह का जो माहौल देखा जा रहा है वो पहले कभी नहीं देखा देना देश छोड़कर भागना सामान्य घटना नहीं है लेकिन जिस तरह से बांगलादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन आकार ले रहा था उससे लगने लगा था कि अब सरकार के लिए खुद को बचाना संभव नहीं खासकर तब जब छात्रों पर गोलियां चल गईं को आप नहीं रोक सकते जनता को जिस दिन आना होता है वो आ जाती है इंटरनेट के बंध होने के बाद भी सारी पुलिस और सारी सेना की तैनाती धरी रह जाती है शेख हसीना को इस्तिफात देना पड़ा धाका के सारे रास्ते बंध कर दिये गए थे तब भी जनता भीतर तक जरकारी निवास गणो भवन कहा जाता है इस निवास तक लोग पहुंचना पाएं तीन-तीन किलोमीटर तक के रास्तों को सुरक्षा इंतजामों से जाम कर दिया गया था इसके बाद भी हालात बेकाबू होते चले गए शेख हसीना को पद से इस्तीफा देकर गणो भवन छो शेक हसीना ने प्रेस कॉंफरेंस की छात्रों और प्रदशनकारियों को रजाकार कह दिया रजाकार बंगलादेश में गद्दारों को कहा जाता है रजाकार उन्हें कहा जाता है जो बंगलादेश की आजादी में मुझीबूर रह्मान के साथ नहीं थे स्वतंतरता के साथ नहीं थे पाकिस्तान के समर्थन में थे उनके इस बयान से भयंकर आकरोश फैल गया जबाब में सरकार की ओर से दमनकारी नीतियों का इस्तेमाल हुआ और हिंसात्मक कारवाई की गए प्रदर्शन को रोकने के लिए जिसमें करीब सौ लोगों के मरने की खबरे हैं चात्रों का कहना है मरने वालों की संख्या इससे भी जादा है अनदिकारिक रूप से कहा जा रहा है कि एक हजार से अधिक लोग सरकार की कारवाई में मारे गए हैं प्रदर्शन के बढ़ने के रजाकार यानि गद्दार कहती जा रही थी, आज वे प्रधान मंत्री नहीं है, उन्हें कुरसी छोड़नी पड़ी, क्योंकि छात्रों ने नारा दिया था, हसीना को इस्तिफात देना पड़ेगा, नई सरकार को जगा लेनी पड़ेगी, और गोली बारी की घटनाओं की जा� मीडिया को कंट्रोल कर आ� जनता की आवाज हमेशा के लिए खतम नहीं कर सकते और छात्रों की आवाज सुनने के बजाए उन्हें आतंकवादी या बात-बात में पाकिस्तान समर्थक, गद्दार या रजाकार कहकर आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते हैं जिन लोगों ने बांगलादेश की आजादी में हिस्सा लिया उन्हें और उनके परिवारों को सरकारी नौकरी में 30 प्रतिशक तक आरक्षन दिया गया इसके अलावा भी पिछडे इलाकों और महिलाओं के लिए 26 फीसिदी वहाँ आरक्षन है। इसलिए वे आरक्षण हटाने की मांग करने लग गए छात्रों ने anti-discrimination student movement एक platform बना लिया धीरे धीरे समाज के दूसरे तबके और संगठन भी इसमें शामिल होते चले गए बांगलादेश के समाज शास्री डॉक्टर शरीफ असब्र का कहना है कि हाई कोड के निर्णय का इस स्तर का विरोध पहले कभी नहीं हुआ विरोध में हाई कोड के निर्णय की तुरंद समिक्षा की मांग की गई सरकार ने ऐसा कुछ भी नहीं किया जबकि 2018 प्रधानमंत्री शेक हसीना ने छात्र विरोध प्रदर्शन के बाद एलान कर दिया था कि कोटा खत्म किया जाएगा उस समय इस निर्णय का व्यापक रूप से स्वागत किया गया था इसके बाद सरकार ने नौकर शाही में नवी से लेकर तेरवी ग्रेट तक के पदों के ल वर्तमान जनसंख्या के मुकाबले स्वतंतरता सेनानियों का कुल प्रतिशत लगभग 0.1 प्रतिशत ही होगा उनके वन्शजों को 30 प्रतिशत आरक्षन देना किसी भी तरह से आनुपातिक और नयायोचित नहीं है शरीफ कहते हैं कि स्वतंतरता सेनानियों के वन्शजों को इतने आसाधारन और लापरवाही की हद तक विशेशादिकार दे दिये गए हैं ऐसा उधारन दुनिया में कहीं नहीं है और जस्टिस खिजर हायात ने इस निर्णय को पलट दिया और सरकार के कोटा खत्म करने के फैसले को गैर कानूनी खरार दे दिया। सुप्रीम कोट ने हाई कोट के इस निर्णय पर सुनवाई करने से मना कर दिया जिस से नौकरियां रुग गई और छात्रों में आकरोष बढ़ गया। उससे भी आगे निकल गया आरक्षन से भी आगे छात्र इसे लेकर हसीना के इस्तीफे की मांग करने लग गये शनिवार को प्रदशनकारियों ने शेख हसीना की ओर से आये बाचित के प्रस्ताव को ठुकरा दिया शनिवार शाम को प्रदशनकारी छात्रों की ओर से आंदोलन मानता है कि इस सरकार के रहते आंदोलन कारियों के खिलाब कोई हिंसा की निश्पक्ष जांच और कारवाई संभव नहीं है इसलिए हम हमारी एक सुत्रिय मांग की घोशना करते हैं कि वर्तमान सरकार इस्तिफादे साथ ही हम किसी सर्वस्वीकार यव्यक्ती की अगवाई में एक समावेशी राश्ट्रिय सरकार के गठन की मांग करते हैं आंदोलन कारियों ने देश भर में लोगों से रविवार से शुरू होने जा रहे हैं असहयोग आंदोलन को सफल बनाने की भी अगवाई है अपील की इससे पहले शेख हसीना ने माहौल को शांत करने के लिए अपने तीन सहयोगियों और अवामी लिग के निताओं जहांगीर कभीर नानक, आलम हनिफ और एफम बहदुद्दीन नसीम को प्रदशनकारियों से बात करने की जिम्मेदारी दी उन्होंने कहा कि उनके निवास गणोभवन के दरवाजे बातचीत के लिए हमेशा खुले हैं मगर तब तक देर हो गई अब वो दरवाजा जनता ने अपने लिए खोल लिया है वहाँ शेख हसीना मौजूद नहीं है छात्रों में और जनता में गुस्सा काफी फैल चुका था पिछले महिने Students Against Discrimination Group नाम का जो समू बना उसका आंदोलन अब सफल हो चुका है यही समू मौजूदा प्रदर्शन के पीछे भी है रविवार को इस समू ने एक अकेले एजंडे के साथ प्रदर्शन शुरू किया हसीना इस्तिफा दें और इस्तिफा हो गया सुमवार तक आते आते पिछले हफ़ते प्रदर्शन कारी वापिस सडको पर उतरे मांग करने लगे कि हसीना इस हिंसा के लिए माफी मांगे इंटरनेट बहाल करें यूनिवर्सिटी और कॉलेज वापिस खोलें गिरफतार लोगों को रिहा करें शुरू में हसीना और उनकी सरकार यही कहती रही कि कोटा प्रदर्शन में चात्र शामिल नहीं है बलकि जमाते इसलामी नाम का संगठन मुख्य विपक्षी पार्टी बांगलादेश नैशनलिस्ट पार्टी यानि बी एनपी शामिल है मगर रविवार को फिर से हिंसा भड़कने पर हसीना ने बयान दिया कि जो हिंसा कर रहे हैं वो चात्र नहीं आतंकवादी है और देश को अस्थिर करना चाहते हैं लगता है कि हसीना आंदोलन को समझ नहीं पाई वे आंदोलन को लगतार गद्दार आतंकवादी कहने में ही रह गई और आंदोलन के भीतर जो आक्रोश पनप रहा था उसका मुल्यांकन नहीं कर पाई चात्र संगठन ने हसीना सरकार से बाचित कर मसला हल करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया इतना अविश्वास बन गया एक तरफ आप चात्रों को गद्दार कहें, रजाकार कहें, पाकिस्तान परस्त कहें और दूसरी तरफ उनसे बाचीत का प्रस्ताव भी भेजें तो चात्रों ने स्विकार नहीं किया क्योंकि विश्वास का रिष्टा खतम हो चुका था हसीना की सरकार ने चात्रों के प्रदर्शनों को कुछलने की पूरी कोशिश की सेना को सडकों पर उतार दिया गया विश्व विद्यालेव में भेज दिया गया पुलिस और सेना की तरफ से गोली बारी हुई चात्र मारे भी गये नतीजा यह हुआ कि प्रदर्शन ने एक ग्रिह युद्ध का रूप इफ्तियार कर लिया और हिंसा आगजनी के बहुत से मामले सामने आये यहां तक कि सरकार की एहम वेबसाइट को हैक कर लिया गया पूरे देश में कर्फ्यू लगा था सरकार प्रदशनकारियों और आंदोलित छात्र समुदायों से कोई बात ही नहीं करना चाती थी एक महिना गुजर गया जब पानी सर से उपर गुजरा तब बाचीत का प्रस्ताव भेजा गया शेक हसीना ने छात्रों के आंदोलन को लगता है ठीक से नहीं समझा लेकिन प्रदर्शन कारियों के बीच जिस तरह से शेक हसीना को लेकर नारे लग रहे हैं उससे यह भी जाहिर है कि गुसे के पीछे और भी कई कारण हैं वरना छात्र उन्हें यूही डिक्टेटर नहीं कहते और भी आपत्ती जनक उपाधियों से उन्हें नहीं नवासते इसी साल बंगला देश में चुनाव हुए वहां केवल 40 प्रतिशक वोटर टर्णाउट था खालिदा जिया हाउस अरेस्ट में है उनका बेटा लंदन में देश निकाले की सजा भुगत रहा है 2018 में 80% बोट पड़े थे किसी भी नजरिये से हसीना को लिसवक लोगप्रिय नहीं कहा जा सकता था भले ही वे चुनाव जीत गई हो चुनाव की प्रक्रिया पर लोगों के बीच संदेश पैदा हो गया बढ़ता चला गया इस बीच बांगलादेश के सेना के प्रमुख जनरल वाकेर उज जरमान ने टेलेविजन पर दी अपने संदेश में कहा है शेक हसीना प्रधान मंतरी पद से इस्तिफा दे चुकी है और देश में अंतरिम सरकार बनेगी प्रदशनकारे शेख हसीना को डिक्टेटर कहते थे और उनके पतन को तानाशाही के पतन के रूप में देखा जा रहा है राष्टर को संबोधित करते हुए जनरल वाकेरजजमान ने कहा है कि तक्ता पलट पूरा हो चुका है एक वीडियो वाइरल हुआ है जिसमें शेख हसीना को सवार होकर कहीं भागते हुए बताया जा रहा है किस देश में गई है अभी पुष्टी नहीं अल जजीरा में बृतेन के सोयस की प्रोफेसर नाओमी हुसेन का एक बयान छपा है कि सेना को अब शांती बहाल करनी होगी और लोगतंत्र को किसी भी रूप में स्थापित करने के लिए कदम उठाने होंगे। छात्रों ने सेना की सरकार को अस्विकार कर दिया है। बांगलादेश में सेना का शासन कोई नई बात नहीं। प्रफेसर नाउमी हुसैन का कहना है। 2006-8 के बीच सेना का समर्थन प्राप उनिस्सो इक्यासी में शेख हसीना ने अपनी राजनितिक प्रतिद्वन्दी बी एनपी प्रमुक और पुर्व प्रधान मंतरी खालिदा जिया के साथ हाथ मिला कर एक लोगप्रिय विद्रो का नेतृत्व किया था जिसने उनिस्सो नब्बे में सैने शासक हुसैन मुहम्म� तक्ता पलट के बाद भरस्टाचार के आरोपों में दोनों को जेल में डाल दिया गया उन्होंने 2008 में भारी जीत हासिल की तब से सत्ता में बनी हुई हैं किसी समय यही नेता लोगतंत्र की रक्षक के रूप में देखी जाती रही आज उन्हें उनके आधिकारिक निवास से जनता ने खदेड दिया है खबर है कि भागने के लिए सिर्फ 45 मिनट का नोटिस था कहीं ऐसा तो नहीं कि बांगलादेश की यह घटना भारत के लिए भी चुनौती बन सकती है। इसे भारत और बांगलादेश के संबंधों की नजर से देखा ही जाएगा। लेकिन इस वक्त बांगलादेश के भीतर क्या हो रहा है इस पर भी नजर रखनी चाहिए। क्या हम सही सही देख पा रहे थे तब और अभी समझ पा रहे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बैनर जी ने हाथ जोड़ कर सभी समुदायों से निवेदन किया है कि शांती बनाए रखें। जिससे बात बिगर जाए। मैं बीजेपी से भी यही अपील करती हूँ। बीजेपी के कुछ नेताओं ने ऐसे पोस्ट किये हैं जो मेरी राय में उचित नहीं है। बांगलादेश में जो भी हालात हैं वो भारत के लिए भी चिंता के कारण है बांगलादेश और भारत के बीच के रिष्टे हमेशा परिशा अच्छे रहे हैं इस हालात में दोनों के संबंध किस तरह से प्रभावित होते हैं किस दिशा में जाएंगे इस पर आने वाले समय में बात तो होगी ही चुनौतियां भारत के पड़ोस में पैदा होती रही हैं श्रीलंका में भी जनविद्रो हो गया था लेकिन हमें यह सोचना होगा कि क्या हम बांगलादेश को ठीक से समझ पाते हैं या एक ही राजनेतिक नजरिये से चश्मे से देखते हैं समय आ गया है कि सारजनिक चर्चाओं में बांगलादेश की नई समझ बने विस्तार से बाते हो और उस समझ का विस्तार हो शेक हसीना को भी नए नजरिये से देखा जाए और मुल्यांकन किया जाए कि आज क्यों उन पर डिक्टेटर होने के आरोप लग रहे हैं अंत में यही लगता है कि सत्ता पर पूर्ण नियंतरन और लोकतंतर का दिखावा एक दिन जनता को सैलेट करें लैलाब में बदल ही देता है नमस्कार मैं रवीश कुमार