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केस रिनंद भारती की महत्ता
Sep 6, 2024
केस रिनंद भारती वर्से स्टेट अफ केरल
केस की महत्ता
लॉ कॉलेज के छात्र इस केस का उल्लेख अक्सर सुनते हैं।
यह केस भारत का सबसे लंबे समय तक चलने वाला केस है।
68 में सही और गलत को समझने के लिए 70 से अधिक देशों की संविधान की तुलना की गई।
इसका जजमेंट 703 पेज का है।
भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण केसों में से एक।
केस का बैकग्राउंड
भारत को स्वतंत्रता मिलती है और सभी राज्य अपने सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों को सुधारने में जुट जाते हैं।
नागरिकों को मूल अधिकार मिलते हैं और उन्हें समानता का अधिकार समझ में आता है।
संसाधनों और उत्पादन के साधनों का नियंत्रण कुछ लोगों के पास होता है।
केरल राज्य सरकार ने अपने सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों को सुधारने के लिए केरल भूमि सुधार अधिनियम 1963 पारित किया।
केरल भूमि सुधार अधिनियम 1963
यह अधिनियम यह सीमाएं लगाता है कि कौन कितना भूमि रख सकता है।
यह नागरिकों के संपत्ति अधिकारों को सीमित करता है।
केस का मुख्य मुद्दा
एदनीर मट के हेड केस आनंद भारती ने भूमि अधिग्रहण को चुनौती दी।
इस केस को सुप्रीम कोर्ट में नानाभाई पालकीवाला ने प्रस्तुत किया।
केस में 24वें, 25वें और 29वें संशोधनों को चुनौती दी गई।
सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण
इस केस में दो मुख्य प्रश्न हैं:
क्या संसद मूल अधिकारों को संशोधित कर सकती है?
अगर हाँ, तो संसद के पास क्या शक्तियाँ हैं?
याचिकाकर्ता के तर्क
अनुच्छेद 368 संसद को संशोधन करने की शक्ति देता है, पर यह एक निरपेक्ष शक्ति नहीं है।
मूल अधिकारों को नागरिकों की स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए दिया गया है।
प्रतिवादी के तर्क
संसद को संविधान में संशोधन करने की पूर्ण शक्ति है।
संसद को सामाजिक और आर्थिक स्थितियों को सुधारने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
7-6 की बहुमत से निर्णय।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संसद मूल अधिकारों को संशोधित नहीं कर सकती।
24वें संशोधन को सही ठहराया गया।
बुनियादी संरचना सिद्धांत (Basic Structure Doctrine) को पेश किया गया।
बुनियादी संरचना सिद्धांत
संसद के पास संविधान के प्रावधानों को संशोधित करने की शक्ति है।
संशोधन इस तरीके से किया जाना चाहिए कि संविधान की बुनियादी विशेषताओं में हस्तक्षेप न हो।
इस केस ने भारतीय लोकतंत्र की सुरक्षा की।
निष्कर्ष
केस रिनंद भारती वर्से स्टेट आफ केरल महत्वपूर्ण क्यों है?
यह केस बुनियादी संरचना सिद्धांत को पेश करता है।
संसद को अनियंत्रित शक्तियाँ दी गई हैं, लेकिन बुनियादी विशेषताओं के साथ हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
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अगले क्लास में मिलते हैं।
बाय-बाय!
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