केमिस्ट्री में पेरियोडिक टेबल का महत्व
परिचय
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पेरियोडिक टेबल का महत्व
- पेरियोडिक टेबल के बिना रसायन विज्ञान समझना कठिन है।
- यह रसायनों के गुणों और उनकी संरचना को वर्गीकृत करने में मदद करता है।
- पृथ्वी पर 118 ज्ञात तत्व हैं, जिनमें से 94 स्वाभाविक रूप से मौजूद हैं।
तत्वों का वर्गीकरण
- तत्वों को कैसे वर्गीकृत किया जाए, यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है।
- वर्गीकरण के लिए एक प्रणाली का विकास आवश्यक है।
- हर तत्व के लिए एक विशेष समय सारणी होनी चाहिए।
वर्गीकरण के कारण
- अध्ययन में सहायता:
- तत्वों के नाम और गुणों को याद करना आसान।
- तत्वों के बीच संबंध स्पष्ट होते हैं।
प्रारंभिक वर्गीकरण
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विलियम फ्रॉड:
- परमाणु द्रव्यमान के आधार पर तत्वों की वर्गीकरण।
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डॉबेरिनर:
- उन्होंने त्रिक (triad) का उपयोग किया।
- समान गुणों वाले तत्वों के समूह बनाने का प्रयास।
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जॉन न्यूलैंड:
- उन्होंने तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमान के आधार पर वर्गीकृत किया।
- हर आठवें तत्व की गुण समान होते हैं।
मेंडलीब की टेबल
- मेंडलीब ने 63 ज्ञात तत्वों के लिए पेरियोडिक टेबल तैयार किया।
- उन्होंने ग्रुप और पीरियड का उपयोग किया।
- कुछ तत्वों के लिए स्थान छोड़े ताकि भविष्य में उन्हें जोड़ा जा सके।
मेंडलीब की टेबल की कमियाँ
- कुछ तत्वों की स्थिति गलत थी।
- तत्वों के गुणों के आधार पर सही वर्गीकरण नहीं किया गया।
आधुनिक पेरियोडिक टेबल
- हेनरी मॉस्ली:
- उन्होंने परमाणु संख्या के आधार पर पेरियोडिक टेबल का विकास किया।
- अब 18 ग्रुप और 7 पीरियड हैं।
- तत्वों की स्थिति में सुधार हुआ है।
- तत्वों का गुण और उनके संकेत स्पष्ट रूप में दिखते हैं।
निष्कर्ष
- पेरियोडिक टेबल रसायन विज्ञान की नींव है।
- यह अध्ययन में सहायता करता है और तत्वों के संबंधों को स्पष्ट करता है।
- आधुनिक टेबल ने कई पुरानी समस्याओं को हल किया है।
ध्यान दें: पेरियोडिक टेबल की समझ से रसायन विज्ञान के अध्ययन में आसानी होती है।