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तत्व वर्गीकरण का इतिहास और महत्व
Aug 31, 2024
तत्वों की वर्गीकरण और गुणों में आवर्तीता
अध्याय का परिचय
11वीं कक्षा का अध्याय
इसे सामान्य रूप में आवर्त सारणी के रूप में भी जाना जाता है
150-200 साल पहले तत्वों की संख्या कम थी, इसलिए वर्गीकरण की आवश्यकता नहीं थी
अधिक तत्वों की खोज के बाद वर्गीकरण की आवश्यकता पड़ी
वर्गीकरण का महत्व
तत्वों को इस प्रकार व्यवस्थित करना ताकि समान गुणों वाले तत्व एक साथ आ सकें
अध्ययन सरल हो सके
ऐतिहासिक विकास
1. डोबर्नर का त्रैड्स (Doberner's Triads)
तीन-तीन तत्वों के समूह बनाना जिनके समान गुण होते हैं
मध्य तत्व का भार पहले और तीसरे तत्व के औसत के बराबर होता है
उदाहरण: लिथियम (7), सोडियम (23), पोटेशियम (39)
7 और 39 का औसत 23 (सोडियम)
अन्य उदाहरण: कैल्शियम, स्ट्रोंटियम, बेरियम
दोष
: कई तत्व त्रैड्स में फिट नहीं हो पाए
2. न्यूलैंड का ऑक्टेव (Newland's Law of Octaves)
हर आठवें तत्व के गुण दोहराते हैं, जैसे संगीत के नोट्स
तत्वों को उनके परमाणु भार के आधार पर व्यवस्थित किया गया
उदाहरण: लिथियम, सोडियम, बेरिलियम, बोरॉन आदि के गुण
दोष
: जो तत्व उस समय खोजे नहीं गए उनके बारे में विचार नहीं किया गया
3. लोथार मेयर का वक्र (Lothar Meyer Curve)
समान गुणों वाले तत्वों का दृश्य प्रतिनिधित्व
परमाणु मात्रा बनाम परमाणु भार के आधार पर
दोष
: व्यावहारिक उपयोगिता नहीं थी, याद रखना कठिन था
4. मेंडेलीव की आवर्त सारणी (Mendeleev's Periodic Table)
तत्वों को उनके परमाणु भार के अनुसार तालिका में व्यवस्थित किया
7 क्षैतिज पंक्तियाँ (पीरियड्स) और 9 ऊर्ध्वाधर स्तंभ (ग्रुप) बनाए
समान गुणों वाले तत्व एक ही समूह में आए
सकारात्मक पहलू
: आवर्त सारणी में खोजे नहीं गए तत्वों के लिए स्थान छोड़ा
दोष
: हाइड्रोजन की स्थिति स्पष्ट नहीं थी, असमान तत्व एक ही समूह में रखे गए
मोजले का आवर्त नियम (Moseley's Periodic Law)
मेंडेलीव का नियम संशोधित किया गया
गुण परमाणु संख्या के आवर्ती कार्य होते हैं, न कि परमाणु भार के
निष्कर्ष
यह पाठ शिक्षार्थियों को इतिहास और आवर्त सारणी के विकास की समझ प्रदान करता है
NCERT सबसे अच्छी किताब है इस विषय में
अगली वीडियो लेक्चर में आगे की बातें लेंगे।
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