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सौर ऊर्जा और सोलर सेल के पहलू

जाहिन, इस वीडियो में हम समझते हैं कि सोलर सेल या सोलर पावर प्लांट होते हैं, ये कैसे वर्क करते हैं, ये तो हमें DC करेंट देता है और हमलोग को AC मिल जाता है, ये सोलर प्लांट भी दो तरह के मिले होंगे, एक ब्लेक कलर के मिलते हैं, एक ब्लू कलर के मिलते हैं, इ देखिए सोलर सेल बनाने के लिए हमें जरूरत होती है सिलिकॉन की और सिलिकॉन हमें आराम से मिल जाता है जो रेत होता है सिलिकॉन अक्साइड इस रेत को हम बालू को को जो कारबन है कारबन के साथ मिला कर इसे भठी में 2000 सेंटी ग्रेट डिग्री सेलसियस पर अगर हम गरम करते हैं तो इसके अंदर से हम आसानी से सिलिकॉन को निकाल सकते हैं ये सिलिकॉन जो होता है इसका एटोमिक नंबर होता है 14 ये सेमी कंडक्टर होता है यानि कुछ कि ऐसे कंडीशन है कि जब यह करेंट को फ्लो करने देगा और कुछ कंडीशन में करेंट को फ्लो करने नहीं देता है तो यह हो गया हमारा सेमी कंडक्टर सिलिकोन इसी का यूज किया जाता है सिलिकोन की जो बाहरी सेल होते हैं उसमें प्रयोग से अपनी छमता नहीं बढ़ा सकते हैं लेकिन इस सिलिकोन में हम डॉपिंग कर देते हैं इसमें अलग से कुछ मिला देते हैं तो किसी दूसरे एलिमेंट में दूसरे चीज को मिला देना डॉपिंग कह लाता है एक अल्मुनियम का यूज़ कर सकते हैं इसमें सिलिकोन में कुछ मातरा में अब अल्मुनियम की खासियत क्या है कि इसके बाहरी जो सिल है तो इसको कितने चाहिए बाहर में? चार तो हम जब इसमें अल्मुनियम डालते हैं तो इसको चाहिए तो चार, अल्मुनियम के पास है तीन है तो चार चाहिए तीन है तो इसको अभी भी एक एलेक्ट्रोन की कमी रह जाएगी तो जब हम सिलिकॉन में लेकिन हम जब अलमूनियम की डॉपिंग न करके फासफोरस की डॉपिंग करते हैं तो फासफोरस की बारी कक्षा में 5 एलेक्ट्रोन होते हैं क्योंकि इसका परमाणु करमान 15 होता है तो पहली कक्षा में 2 हो गया फिर दूसरी में 8, 2, 8, 10 हो गया बाचा 5 जब हम 5 सन्योजक पदार्थ जैसे फासफोरस को हम अगर इसमें डॉपिंग करा देते हैं तब क्या होता है इसको चाहिए कितना था 4 अब फासफोरस जब मिला है तो फासफोरस के बारी कक्षा में कितना है 5 अब क्या करेगा इसके पास एक थो एले अब एक्स्ट्रा एलेक्ट्रोन हो जाएगा तो खोजने लगेगा किसी को चाहिए एलेक्ट्रोन ले जाओ हमारे पास क्या हो गया एक्स्ट्रा हो गया पहले ये चार था तो चार वाले में इसको कंफूजन रहता है कि हम दे चार एलेक्ट्रोन या ले ले लेकिन जैस और अगर आप इसमें अल्मुनियम दीजेगा तो अल्मुनियम में तीन ही एलेक्ट्रोन है तो एलेक्ट्रोन की कमी हो जाती ���ै। चुकी एलेक्ट्रोन खुद ही निगेटिव होता है तो जब एलेक्ट्रोन की अधिकता होती है तो उस तरह के सिलिकोन को हम निगेटिव सिलिकोन या N टाइप करते हैं। और एक n टाइप सिलिकोन इसमें एलेक्ट्रोन जादे है, n मतलब हो गया negative, negative क्यों आया, क्योंकि खुद एलेक्ट्रोन जो है वो negative होता है, जहां जाएगा वहाँ negative कर देता है, तो इस तरह से एक negative positive बन जाते हैं, जिसे हम p टाइप और n टाइप कहते हैं, यह सिलिकोन के दो तो देखिए सिलिकोन तो कुछ नहीं करेगा लेकिन आप ज़र देखिए कि ये निगेटिव क्यों बना था ये निगेटिव इसलिए बना था क्योंकि इसके पास निगेटिव चार्ज वाला एलेक्ट्रोन जा दे था यानि फासफोरस जा दे था क्योंकि इसके पास एलेक्ट्रोन की कमी थी और ये अपने अपने positive negative को share कर लेंगे सब जैसे share करने लगते हैं सब तो बीच का एक area को depletion zone कहते हैं ये area electron को आगे पीछे बढ़ने नहीं देता है तो इस तरह के area को हम p-n junction कहते हैं कि इधर p है और इधर n है मिलने वाले time जगह को बोलते है p-n junction अब ये p-n junction से हम electron कैसे बायेंगे देखें ये है negative यानि electron जादे है अगर हम इसको heat दे दे, गर्मी दे दे इधर से, अगर इधर से हम heat दे देंगे ना, तो इसके पास already electron जादे था, negative type था, और heat पाएगा ना, तो इसके अंदर का neutron जो है, बाहर निकलने लगेगा, अब निकलने लगेगा, यह कहे करें, इधर से मत जाबाग, इधर से हम जाने इधर से नहीं जाएगा, अब उसको निकलना है, जाएगा कैसे, तो आप इधर से एक वायर जोड़ दिजेगा, तो एलेक्ट्रोन इधर से निकलने लगेंगे सब, इस टाइप से इधर से निकल जाएगे सब, अब यहाँ पर तो स्वीचे कटा हुआ, इस स्वीच को जोड़ और आपको पता है कि एलेक्ट्रोन का बहना ही तो करेंट कर लाता है फ्लो आफ एलेक्ट्रोन इसकाल करेंट यहां हम इसमें एक लोड यानि बल्ब लगा के देखते हैं यहां देखिए यह रेड वाला जो है यह पॉजिटिव टाइप है अब हम यहां से इसे हीट दे देते हैं गरम कर देते हैं अब जैसे गरम करेंगे तो एलेक्ट्रोन निकलेगा, इधर से भागेगा इस तरह से एलेक्ट्रोन, यहां से एलेक्ट्रोन भाग रहा है, यहां से बैटरी लगा दिये हैं इसको, अब देखें यहां पर यह जाएगा, अब यह बल्ब है, अब इस बल्ब को क्या करेगा, बल सुरज की रोशनी भी क्या करते हैं? थ्रिसॉल्ट फ्रिक्वेंसी से उपर आएगी, तो वो भी इसमें से एलेक्ट्रोन निकाल देगी. अब इसमें एक और समस्या थी कि सुरज की रोशनी हमको केवल n वाले पर देना था कि n में negative है यानि इसमें एलेक्ट्रोन जाते हैं, तो वैज्ञानी को इसको उल्टा कर दिया, यानि p टाइप को नीचे कर दिया और n टाइप को उपर कर दिया और इससे बना दिया solar cell.

solar cell में अगर कहेगा कि कौन से junction का परियोग करते हैं तो pn junction लेकिन रियाद रखेगा. सोलर सेल में निगेटिव वाला ऊपर रहता है क्योंकि निगेटिव वाला ने एलेक्ट्रोन देगा और पॉजिटिव वाला नीचे रहता है दूसरा चीज निगेटिव वाले की थीकनेस चड़ाई बहुत कम रहती है देखे ऐसे तो सोलर प्लेट खुदे इतना पतला रहता ह तो निगेटिव वाले में डॉपिंग ज्यादे कर दी जाती है अब इसमें कर दी है आप डॉपिंग यहां से देखिए आपका क्या इंसिडेंस लाइट है यहां से लाइट आ रहा है जैसे लाइट इस पर आएगा अब यह निगेटिव टाइप में से एलेक्ट्रोन निकलने अब यहां से जाएगा तो आपक तो आप यहाँ पर बलब जोड़ दीजिए पंखा जोड़ दीजिए अन्हीं तो यहीं से एक वो तार जोड़ के बिजली के खंबा पर लेकर चल जाएगे यहां से एलेक्ट्रोन निकलेगा सीधे बिजली के खंबा पर अब बिजली के खंबा से जितना घर जोड़ना है जोड़ दीजिए तो यही होता है आपका सोलर सेल इस सोलर सेल की एक खराबी क्या है कि यह जो करेंट बनाता है यह डारेक्ट करेंट बनाता है क्योंकि आप दे बदलने के लिए की इनवर्टर की जरूरत पड़ती है इसलिए इससे जो एनर्जी आती है इसको आप बैटरी में स्टोर करके जब घर में चलाना है तो आप क्या चाहिए क्या कर सकते हैं कि इनवर्टर लगा सकते हैं अगर स्टोर करना है तो इसमें क्या है कि खुद ही इतना जगह लिये रहते हैं इसका करोड़ों का बजट आ जाता है अब बैटरी खरीदेंगे तो उस पर अलग से पैसा इसलिए यह बैटरी नहीं खरीदते हैं सीधा सोलर प्लांट बिछा दियें यहाँ पर यहां से यहां तक पूरा और यहीं पर ट्रांसफार्मर आपको पता है कि डीसी में काम नहीं कर सकता है ट्रांसफार्मर का वीडियो बना चुके हैं ये क्या करेगा ट्रांसफार्मर इस इनवर्टर दोरा बनाए गए एसी करेंट जो है इसके बोल्टेज को बहुत बढ़ा देगा तो हम लोग जो बनाते हैं उसके लिए बैटरी की ज़रूरत है लेकिन जो गॉर्मेंट पर लिए बनाती है वो बैटरी का यूज़ नहीं करती है और इस डारेक्ट ग्रीट में ल कि देखिए जो सोलर सेल होते हैं इसके कई लेयर होते हैं आप यह वाला जो लेयर देख रहे हैं यह तो कोई लेयर ही नहीं है यह तो अल्मुनियम का आप खरीदेंगे तो साइड साइड में लोहा का इसे सेट किया रहता है इस टील का वह फ्रेम है वह मजबूती के लिए दिया है में जो होता है इसके ऊपर एक सीसे की परत होती है ग्लास कि यह सीशा का सबसे बड़ा काम क्या है कि अगर आप इस सीशे को नहीं लगाते लो तो जो सोलर एनर्जी इस पर आती वह 50% रिफ यह सोलर सेल भेज देता तो भाई जाब इसको जतना एनर्जी मिलना उसका वापस भेज देता तब तो आपका काम है नहीं हो पाता है इसलिए यहां लगा दिये जाता है सीसा यह जो सीसा होता है यह केवल 5% ही प्रकास को वापस लोटने देता है उसके सेवा प्रकास को लोट और जितना भी energy आया है उस energy को absorb कर लेता है यह वाली जो परत होती है न या just सीसे की नीचे वाली यह परत यह पूरी energy को absorb कर लेता है कि यह जो solar cell लगा हुआ है यह blue color का यह पूरी तरह से इसको energy मिल सके और आप solar cell का जो main हिस्सा तो solar cell है इसका construction समझी गए है इसके दो layer होंगे उपर वाला n type नीचे वाला p type हो गया n type से electron निकलेगा p type में जाएगा हम लोग कोटिंग लगा देते हैं और उसके नीचे एक थोड़ सीट लगा देते हैं जिस पर सारे चीज को सेट किया जाता है और इससे जितने भी करेंट आती है उसको यहां पर हम लोग एक जगह इकठा कर लेते हैं जिसे जंक्शन बॉक्स करते हैं और यहीं से नहीं हो सोलर सेल जो होता है वह छोटा डिवाइस होता है सोलर सेल इसकी छमता इतनी कम होती है जीरो पॉइंट फाइड बोल्ड यानि आधा बोल्ड आधा बोल्ड पर तो कुछ नहीं चलता है वाइस हम लोग यह पंखा भी चलता है 220 बोल्ड देता है तो यह सोलर सेल किसी काम का नहीं है लेकिन हम क्या कहते हैं यूनिटी है विषय था पड़े एकता में बल है इसी सोलर सेल को जब आप कई थोड़े इकठा कर देते हैं तो इससे बन जाता है सोलर मॉड्यूल अब यहां देखिए यह अकेला है तो यह सोलर सेल है और यह क्या बना दिया है सोलर मेडियोल इस सोलर मेडियोल में 72 सोलर सेल है अब एक सेल का बोल्टेज 0.5 है तो 72 सेल से कितना बोल्टेज बन जाएगा 36 बोल्ट का अब पता चला इससे भी इसका भी ग्रूप बना दे तो सोलर मेडूल का जब आप ग्रूप बनाएंगे तो उसे हम लोग कहते हैं सोलर पैनल एक आदमी व्यक्तिकत जो लेकर आता है वो सोलर मेडूल लेकर आता है लेकिन आप देखते हो ना घर के उपर आदमी बिछा देता ह और पूरे छट के ऊपरे बिचा देना है पूरा जादे एरिया में तो उसे कहते है solar array ये और भी जादे होता है बस इसी का संख्या बढ़ाते जाएगे और solar array से भी बढ़ाना है तो एकी बार आप solar park लगा दीजे तो पूरा खेते भर दीजे आपका बीस भी गहा में तो ये ह उसके बाद से इनके ऊपर सफाई करनी पड़ती है, धूल जम जाएगा तो उतना अच्छा से वर्क नहीं करेंगे, बादल रहेगा तो उतना अच्छा से वर्क नहीं करेंगे, बारीस हो गया फिर भी उतना नहीं करेंगे, और 24 घंटे तो यह काम नहीं कर सकते हैं, क्योंकि और एक होती है thin film, thin film का use बहुत कम होता है, यह पतला होता है, बहुत कम use होता है इसका, यह ज़्यादे use नहीं होता है, तो इसको हम लोग चर्चे नहीं करेंगे, बस यहां समझिए, यह जो black color का होता है, यह होता है monocrystal, और blue color वाला होता है polycrystal, यह वाले ज़्यादे बढ़ इसके लिए भाईया बादल नहीं चाहिए, आपको एदम पूरा कड़कड़ा के धूप चाहिए, यानि अगर आप राजस्थान में हैं, तो आप ब्लू वाला लगा सकते हैं, आपको धूप भयानक मिलता है, लेकिन आप उत्राखंड, हिमाचल परदेश जैसे ठंडे एरिया यही बाला लीजिए ब्लू और पॉली क्रिस्टलाइन और अगर धूप ज्यादे नहीं है तो मोनो क्रिस्टलाइन लीजिए गॉर्वर्मेंट ज्यादे तर मोनो क्रिस्टलाइन लेती है क्योंकि उसके पास पैसे एक बार इन्वेस्ट करना रहता है मोनो क्रिस्टलाइन में एक चीज देखेंगे न यहाँ पर एक इस ताइप का गोल-गोल मिलेगा यानि इसके जो सेल होते हैं वो क्रॉस मे सेल होते हैं वह इधर में स्क्वायर में होते हैं सब इसमें से लाइनिंग देखने को मिलती है ओवराल में दोनों में ज्यादा का डिफरेंस नहीं है पैसे का डिफरेंस है आपको पता है ज्यादा पैसा लगाएंगे तो जन्मीन ज्यादा तो अच्छा जावा सामान मिलेगा कम पैसा लगाएंगे तो थोड़ा तो कम मिलेगा ही मिलेगा त पर प्रदूसन होता है, परदूसन होता है, 75 टाइप की बिमारियां होती हैं और आने वाली पीडियों के लिए हम लोग एक थोड़ परदूसित वातावरण देके जाते हैं, हमारे पुरुवज हमें एक साफ सुथरा वातावरण दी हैं, लेकिन हम अपनी पीडियों के लि तुम लोग सेजुरे लोग छोटा बच्चा जब दूद पीएगा तो बगल में ऑक्सीजन भी लेकर बिठेगा इतना पॉलूशन कर दे रहे हैं तो इसलिए इंडिया बहुत तेजी से सजग हुआ और इसमें तो हम सेलूट करना चाहेंगे कोची एरपोट की कोची एरपोट तो इसने सोचा कि कुछ ऐसे जगह हैं जैसे जहां पे गाड़ियों का स्टेंड है पार्किंग वगरा है अब जो बाहर रिसीप करने जाएगे फोर वीलर लगाएगे पार्किंग का एरिया होता है तो उसने सोचा कि उस बाहर की लाइटिंग को हम सोलर प्लांट से कर देते हैं तो उसने 400 सोलर पैनल लगा दी हैं जो उसके बाहर के आटो स्टेंड से उसके उपर छतरी पे लगा दिया धीरे धीरे करके आज कोची एयरपोर्ट ने वो 400 से बढ़ा के 46,000 पैनल लगा दिया है वहाँ पे 46,000 पैनल इस 46,000 पैनल लगाने में उसे 62 करोड रुपए की लगाता है था 62 करोड अब आप सुचिये हर साल वो 15 करोड तो वैसे ही दे रहा था आज एक कोची एयरपोर्ट इंडिया का फॉस्ट एयरपोर्ट है जो बिजली बिल पर एक रुपया ने खर्चा करता है सोलर एनरजी से बिजली को ले लेता है उसने हर साल अपना 15 करोड रुपए बिजली बिल बचा लिया, परियावरण को परदूसित होने से बचा लिया, आने वाली पीडियों को मैसेज दिया कि देखो लाग चुनोतियों के बावजूद जो भारत को एक पिछड़े देश में गिंती किया जाता है, जो दुनिया नह एक्स्ट्रा एरिया जितने होते हैं उस सब पे कोचिंग एयरपोर्ट ने क्या किया पूरी तरह से सोलर प्लांक लगा दिया इसी को देखते हुए कोलकाता एयरपोर्ट ने कहा कि हम क्यों पीछे रहेंगे कोलकाता एयरपोर्ट भी जो है ना अपने उपर पूरी तरह से सोलर आशित हो जाएंगे साथ ही इंडियन रेलवे को कहेंगे भाई जाएंगे आप क्यों पीछे रह रहे हैं आपके पास तो जमीन की कोई कमी नहीं है पूरे रेलवे इस्टेशन के ऊपर बिछा दीजे सोलर पावर प्लांट ताकि जो एनरजी हो सके कम से कम हम फ्यूल को जला सक इंटरनेशनल सोलर एलियांस बनाया था सौर्यपुत्र बोला था कि जहां 121 देश जिन्हें धूप बहुत ज्यादा मिलता है वो लोग आपस में कनेक्ट हो जाएं तो इसके लिए मोदी जी ने वन वर्ल्ड वन ग्रीड वन सन का जो है इनारा दिया कि भाईया एक ही सूरज ह ताकि जिसमें हर एक देश उसमें पैसे देंगे और एक बड़ा सा बैंक बनाए जाएगा जो गरीब देश हैं इस बैंक से पैसे लेकर अपने सोलर प्लांट को बना सकते हैं और उस सोलर प्लांट अब ये करजा लोन लेंगे अब लोन कैसे चुकाएंगे तो वो देश जो ब और एक और यहां पर दिन है यह तो यहां पर तो सोलर से बिजली बनाई जा सकती है यहां अब सबको जुड़ा रहेगा तो यहां वाली सप्लाई यहां दे सकते हैं कल को यहां हुआ तो यहां से ले सकते हैं तो इस तरह से ग्रीट की काफी समुद्र के अंदर से करेंट को ले जा सकते हैं लिकेज का कोई जमेला नहीं होता है 2015 में जो मोदी जी ने इंटरनेशनल सोलर एलियन सामिल किया इसमें 121 देश अगर आप इसको देखिए का तो यह ज़्यादेतर संसाइन कंट्री है, संसाइन किसे कहते है, ट्रॉपिक आफ कैंसर और ट्रॉपिक आफ कैप्रियान, यानि करकरेखा और मकररेखा के बीच में ही सुरज रहता है, यानि सुरी की किरने यहीं पर लंबूआ चमकती है, इसके बाद सुरी की किरने तिर्छी तो यह वाला एरिया जो है नहीं यहां सूर्य के रोषनी सीधा पड़ने लगता है जिस वजह से इस बीच वाले एरिया को हम संसाइन बेल्ट करते हैं इसी में इंडिया आता है तो इसी के लिए बनाया गया था जिसका हेड़कॉर्टर हर्याना के गुरु ग्राम में बनाया गया नियुक्त जो वन संवन ग्रीड बात किया गया रहा है वन वर्ल्ड का उसमें बॉर्डमेंट एग अगल के एरिया में खास करके पहले मिडिल इस्ट और इधर आसियान वाले देशों में हम सोलर पावर प्लांट को बिचाएंगे और इंडिया से इसे कनेक्ट करेंगे कि भाई साब हम लोग आपस में जिसके यहां जादे सूरज निकला वो अपने अगल बगल में टांसफर कर और यहां बिकास की बहुत ज्यादा संभावना है तो यहां हम लोग अपनी पहुंच बना सकते हैं सेकंड फेज में इससे फायदा क्या होगा कि अगर हम इन्हें लोन देंगे हम इन्हें टेक्नोलॉजी देंगे तो मजबूरी में यह लोग सोलर पावर जो पैनल है तो कहां से खरीदेंगे इंडिया से खरीदेंगे तो यह रोजगार बदले में हम लोग अफरीका को या दुनिया को अपने कर्ज के जाल में नहीं फ़साएंगे, इन लोग की बिजली बचेगी, कोईला बचेगा, पेट्रोलियम बचेगा ताकि ये दूसरे देशले से आयात न कर सकेंगे, और पूरी पृतिवी को हम लोग एक तरह से एक ग् लोबल वार्मिंग को बचा सकते हैं और यह भारत का सपना साकार हो गया तो वह दिनदूर नहीं जब भारत को बिश्व गुरु के रूप में देखा जाएगा यह एक तरह से चाइना का जो एक है वन बेल्ट वन रोड जो है इनिसिएटिव उसमें तो पूरी आप देख सकते हैं अब भारत को इस यह तभी साकार होगा जब भारत सरकार अपने सोलर पावर प्लांट की जो उत्पादन की छमता उसे बढ़ाया अबसोस की बात यह है कि अभी हम लोग उतने अच्छे से सोलर प्लावर प्लांट की फैक्टरी नहीं इस्टेबल कर पाए हैं। और बहुत ही कम दाम में एकदम एक ग्रेट का बना देती है जबकि आप अगर इंडिया को दिखेगा तो इंडिया में जो सोलर पाउर प्लांट है वो आज भी फुली अटमेटिक नहीं चलके सेमी अटमेटिक है उसमें में पाउर को लगाना ही पड़ता है जल्दी से गौर्मेंट वन सन, वन वेल्ट, वन वर्ल्ड को आगे बढ़ाएं तो वन ग्रीट को जैसे आगे बढ़ जाएंगे, तो भारत में भी सोलर पावर प्लांट बढ़ने लगेंगे, जिस वक्त है जब हमारे आप मास्क नहीं बनते थे, पीपी किट नहीं बनते थे, जैसे कोरोना आया, दुनिया इधर उधर से आना बंद हुआ, हम लोग पूरी फिर junction अलग बनाते हैं, pn junction, उसके बाद solar plant बनाते हैं, जबकि इस वीडियो में हम आपको पूरी चीज को एक ही में बतायें, तो आपको थोड़ा बहुत यहां confusion हो सकता है, हलाकि जब इसका हम special अलग से बतायेंगे, pn junction, diode क्या होता है, तब इसमें fully focus करेंगे, वो आपको इ