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भारतीय आर्थिक विकास का ऐतिहासिक दृष्टिकोन
Sep 12, 2024
भारतीय आर्थिक विकास
परिचय
आज से हम कक्षा 12 की अर्थशास्त्र की विषयवस्तु, "भारतीय आर्थिक विकास" पर चर्चा करेंगे।
आपके सिलेबस में 8 चैप्टर हैं।
प्रत्येक चैप्टर का लगभग 5-5 अंक का वेटेज है।
छोटे चैप्टर को एक बार में और बड़े चैप्टर को भाग में समझाने की कोशिश करूंगा।
पहले चैप्टर का सारांश
आजादी से पहले की स्थिति
"आजादी के पहले का समय" (Eve of Independence) महत्वपूर्ण है।
भारत का इतिहास गुलामी और संघर्ष से भरा हुआ है।
23 जून 1757 को प्लासी की लड़ाई हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप भारत ब्रिटिश उपनिवेश बन गया।
ब्रिटिश उपनिवेश का उद्देश्य
ब्रिटिशों का मुख्य उद्देश्य भारत के संसाधनों का शोषण करना था।
भारत में आवश्यक कच्चा माल प्राप्त करने के लिए औद्योगीकरण का प्रारंभ किया गया।
भारत अपनी उत्पादन क्षमता खोता चला गया।
मुख्य परिभाषाएँ
औपनिवेशिक शासन
: कमजोर देशों पर शक्तिशाली देशों का नियंत्रण।
विकासशील अर्थव्यवस्था
: ऐसी अर्थव्यवस्था जहाँ कृषि का अधिकतम हिस्सा हो।
स्थिर अर्थव्यवस्था
: जहाँ विकास धीमा या कोई विकास न हो।
आमदनी
: प्रति व्यक्ति आय का बढ़ना आवश्यक है।
सेमी-फ्यूडल अर्थव्यवस्था
: जहाँ जमीदारों और किसानों के बीच शोषण का संबंध हो।
आजादी के बाद की स्थिति
कृषि और औद्योगिक क्षेत्र
स्वतंत्रता के बाद कृषि में वृद्धि की कमी।
भारत को कृषि उत्पादों के लिए अमेरिका पर निर्भर रहना पड़ा।
औद्योगिक क्षेत्र में हस्तशिल्प उद्योग का पतन।
जनसांख्यिकीय स्थिति
उच्च जन्म दर और मृत्यु दर।
1921 के बाद जनसंख्या वृद्धि दर में सुधार देखने को मिला।
बुनियादी ढांचा
रेल्वे और संचार प्रणाली का विकास।
बुनियादी ढांचे का विकास मुख्य रूप से उपनिवेश के लाभ के लिए किया गया।
सकारात्मक योगदान
खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भरता।
बेहतर परिवहन के साधनों का विकास।
प्रशासनिक ढांचे का विकास।
निष्कर्ष
अंग्रेजों ने हमारे देश को लूटा, लेकिन कुछ सकारात्मक योगदान भी दिए।
इस चैप्टर को समझने के लिए तीन बार पढ़ें।
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