[संगीत] स्टडी आईक्यू आईएस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल अर्ली वेदिक एज वेलकम टू स्टडी आईक्यू मेरा नाम है आदेश सिंह आज हम बात करेंगे इंसेंट हिस्ट्री के एक इंपॉर्टेंट पीरियड की जिसकी शुरुआत आर्यंस के इंडियन माइग्रेशन से हुई इंडस वैली सिविलाइजेशन अराउंड 1500 बीसी में एंड हुआ इसके बाद वैदिक पीरियड नेक्स्ट मेजर सेट टमेंट के रूप में उभर कर आया वैदिक सिविलाइजेशन 1500 बीसी से करीब 500 बीसी तक चला जिसको दो पार्ट्स में डिवाइड किया जाता है अर्ली वेदिक एज जो 1500 से 1000 बीसी तक चला इस पीरियड में ऋग्वेद को कंपाइल किया गया इसलिए इसको ऋग्वैदिक जज भी कहा जाता है लेटर वैदिक एज जो 1000 से 500 बीसी में एंड हुआ इस एज में ऋग्वेद के अलावा और टेक्स्ट का कंपोजिशन हुआ जैसे अदर थ्री वेदास ब्राह्मण अरण्य कास उपनिषद एट इस लेक्चर में हम अर्ली वैदिक एज के बारे में जानेंगे अराइवल ऑफ इंडो आरिस दोस्तों ऋग वैदिक एज की शुरुआत इंडो आर्यंस और रेनियल से स्टार्ट होती है आरयन कल्चर के मेन फीचर्स की इंफॉर्मेशन हमको वैदिक रेनियम और ग्रीक टेक्स्ट के माध्यम से मिलती है इसमें मेन टेक्स्ट हैं ऋग्वेद जेंडा वेस्टा होमर्स इलियट और ओडिसी आर्यंस एक सेमी नोमेडिक ट्राइब थी जिनकी सोसाइटी पास्टल इकॉनमी पर बेस्ड थी आर्यंस कहां से माइग्रेट हुए यह डिबेटेबल है डिफरेंट हिस्टोरियंस और एक्सपर्ट्स ने अलग-अलग थरी दी हैं कुछ मानते हैं कि इनका ऑरिजिन सेंट्रल एशिया में था और कुछ का मानना है कि यह रशिया के स्टेप्स से इंडिया में आए बाल गंगाधर तिलक की बुक द आर्कटिक होम इन द वेदाज में उन्होंने आर्यन का ओरिजिन आर्कटिक रीजन को बताया और यह भी माना जाता है कि हिंदू कुश माउंटेंस के खायर पास से आर्यंस ने इंडिया में एंट्री की खैर मोस्ट एक्सेप्टेड थोरी यह है कि आर्यंस इमीग्रेंट की तरह इंडिया में आए ईस्टर्न अफगानिस्तान नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस पंजाब और वेस्टर्न यूपी के बॉर्डर्स में यह रहते थे अफगानिस्तान की रिवर कुभा और सिंधु यानी इंडस रिवर और उसकी पांच डिस्ट्रीब्यूटर यानी झेलम ना रावी ब्यास और सतलज का मेंशन ऋग्वेद में देखने को मिलता है एक और रिवर सरस्वती का मेंशन भी किया गया है जो कि हरियाणा राजस्थान के एरिया में थी यह पूरा रीजन जहां इनिशियली आर्यंस ने अपना सेटलमेंट किया उसको लैंड ऑफ सेवन रिवर्स कहा जाता है अब नजर डालते हैं वैदिक जज के सबसे इंपॉर्टेंट टेक्स्ट पर ऋग्वेद वेदाज में ऋग्वेद ही सबसे पहला वेद है इसको यूनेस्को ने वर्ल्ड हू हेरिटेज में ऐड किया है इसमें 108 हिम्स है जिनको 10 मंडला में डिवाइड किया गया है ऋग्वेद एक प्रेयर्स की कलेक्शन है जो अग्नि इंद्र मित्र वरुण और अदर गॉड्स को ऑफर की गई है कुछ पोएट्स और सेजेस की फैमिलीज ने इन्ह लिखा है 10 मंडला में से टू से लेकर सेन तक इसके अर्लीस्ट पार्ट्स है मंडला वन और नाइन लेटेस्ट एडिश है जैसा कि हमने पहले बताया था कि आर्यन कल्चर के रेफरेंसेस हमको दूसरे रिलीजस टेक्स्ट में भी देखने को मिलते हैं तो आइए आगे बढ़ने से पहले इस एस्पेक्ट पर भी नजर डाल लेते हैं अदर टेक्स्ट जन ड वेस्टर को रफल 1400 बीसी और इलियट को 900 से 800 बीसी में एट्रबीक का कल्चरल कंटेंट लेट लिथिक और अर्ली ब्रॉन्ज एजेस में रखा जा सकता है इनके कंटेंट्स ईस्टर्न और सेंट्रल एशिया को कवर करते हैं जो ज्योग्राफिकली इंडिया पाकिस्तान अफगानिस्तान ईरान इराक एनाटोलिया और ग्रीस से लिंक्ड है इस टेरिटरी के एक मेजर पोर्शन में कम्युनिटीज इंडो यूरोपियन लैंग्वेजेस का यूज करती आई हैं इंडो आरियन लैंग्वेज इंडो यूरोपियन लैंग्वेज ग्रुप का ही एक पार्ट है यह जान ले कि ऋग्वेद को इंडो आरियन लैंग्वेज में ही कंपोज किया गया था जिसको वैदिक संस्कृत कहा जा सकता है जो संस्कृत आज हम जानते हैं वो वैदिक संस्कृत से ही डिराइवर हुई इंडो यूरोपियन लैंग्वेज के स्पीकर्स में सिमिलर जेनेटिक सिग्नल्स देखने को मिलते हैं जैसे सेंट्रल एशियन स्टेप्स और इंडो आरियन स्पीकर्स में सिमिलर जेनेटिक सिग्नल्स मिले हॉर्स आर्यन कल्चर का एक इंपॉर्टेंट ट्रेट था ऋग्वेद में इसको अस्व बोला गया है जिसके सिमिलर वर्ड्स हमको संस्कृत अस्तान ग्रीक लैटिन और अदर इंडो यूरोपियन लैंग्वेजेस में देखने को मिलते हैं अवेस्टा में मिथ्रा की प्रेयर्स में लगातार हॉर्स और चैरिटहम आर्यन कल्चर में हमें बर्च वुड का यूज देखने को मिलता है संस्कृत में बर्ज को भुर्जा कहा गया है और इसी के सिमिलर वर्ड्स हमें सिक्स इंडो यूरोपियन लैंग्वेजेस में देखने को मिलते हैं क्रीमेशन भी एक इंपॉर्टेंट आर्यन ट्रेट हुआ करता था यह प्रैक्टिस वैदिक अस्तान और होमर टेक्स्ट में भी देखने को मिलती है लेकिन इसका कोई भी रेफरेंस मैच्योर हरप्पन कल्चर में देखने को नहीं मिला है अवेस्टा और ऋग्वेद दोनों में ही वशिप काफी इंपॉर्टेंट बताई गई है कल्ट ऑफ सोमा जिसको अवेस्टा लैंग्वेज में होमा बोला गया है सिर्फ रेनियम और वैदिक लोगों तक ही कन्फाइंड रहे इसी तरह के कई रेफरेंसेस हमको ऋग्वेद और दूसरे रिलीजस टेक्स्ट में देखने को मिलते हैं अब बढ़ते हैं ऋग्वैदिक कल्चर के पॉलिटिकल सोशल और इकोनॉमिकल फीचर्स की तरफ पॉलिटिकल लाइफ ऋग्वेदी कल्चर में ट्राइब को जन बोला जाता था और ट्राइबल चीफ को राजन गोपथ या गोपा यानी प्रोटेक्टर ऑफ काउ बोला जाता था चीफ क्वीन को महिषी कहते थे राजन की मेन रिस्पांसिबिलिटी थी जन और कैटल को एनिमी से प्रोटेक्शन प्रोवाइड करना इसके अलावा जन के बिहाव पे गॉड से प्रे करना भी उसकी ही रिस्पांसिबिलिटी थी इतिहासकारों की माने तो ऋग्वैदिक पीरियड में राजन की पोजीशन हेरेडिटरी थी जो कि एक मोनार्किकल सेटअप में होता है लेकिन इलेक्शन के कुछ इंस्टेंसस भी मिले हैं जो कि ट्राइबल असेंबली यानी समिति के द्वारा किया जाता था पॉलिटिकल एडमिनिस्ट्रेशन कुछ इस प्रकार था पुरोहित वर्ग मेनली रिचुअल्स कराते थे इसके बदले में उनको दान यानी गिफ्ट्स और दक्षिणा दी जाती थी आर्मी का एक चीफ होता था जिसको सेनानी बोलते थे टेरिट्री को कंट्रोल करने के लिए एक ऑफिसर होता था जिसको व्रज पति बोलते थे विलेज के लीडर को ग्रामीणी कहते थे दोस्तों यह जानना जरूरी है कि टैक्स कलेक्शन और जस्टिस एडमिनिस्टर करने के लिए कोई भी ऑफिसर अपॉइंट्स का मेंशन किया गया है सभा जो कि एलिट्स की एक छोटी सी बॉडी थी समिति जो कि जनरल पब्लिक मेंबर्स से बनी एक बड़ी फोक असेंबली थी इसका लीडर राजन हुआ करता था विदा था जो कि एक ट्राइबल असेंबली थी और गण जो कि ट्रूप्स हुआ करते थे सभा और विधाता में विमेन पार्टिसिपेशन भी देखने को मिलता था राजन के पास कोई रेगुलर आर्मी नहीं हुआ करती थी लेकिन वॉर के समय छोटे-छोटे ट्राइबल ग्रुप्स यानी गणों को जॉइन करके एक मिलिशिया यानी आम जनता से बनी एक आमी इकट्ठी की जाती थी वॉर में सर्ड्स बोज एरोज और हेलमेट्स का यूज किया जाता था आर्यंस के सर्वाइवल के लिए उनके सामने मेनली दो तरह के कॉन्फ्लेट्स थे पहला जिसमें वोह इंडिजन लोगों से कॉ लि में आए ऋग्वेद में इस तरह की एक बैटल का मेंशन किया गया है जिसमें भरत किंग देवदासा ने इंडिजन पीपल दासा के रूलर संरा को डिफीट किया दूसरा कॉन्फ्लेट था जिसमें आर्यन कम्युनिटीज खुद ही आपस में वर्स में इंगेज रही यहां पर बैटल ऑफ 10 किंग्स का मेंशन आता है यह बैटल परूश्नी यानी रवि रिवर के तट पर हुआ यह बैटल भरत चीफ सुदास और 10 दूसरी ट्राइब्स के बीच हुआ इन 10 ट्राइब्स में से पांच आर्यन ट्राइब्स थी और पांच नॉन आर्यन पांच आर्यन ट्राइब्स को पंच जना बोला जाता था इसमें इंक्लूडेड थी यदु रवासा पुरु अनु और ध्रु यु खैर बैटल ऑफ 10 किंग्स में भरत चीफ सुदास ने 10 ट्राइब्स को डिफीट करके अपनी सुप्रीमेसी एस्टेब्लिश की भरतास ने आगे चलकर पुरु ट्राइब से हाथ मिलाकर कुरु ट्राइब को एस्टेब्लिश किया और पांच लाज के साथ मिलकर अपर गजेट बेसिन में अपना वर्चस्व बनाया यहां यह बता दें कि इसी ऋग्वेद में मेंशन की गई यही भारत ट्राइब से ही भारतवर्ष कंट्री का नाम प्रचलित हुआ आइए अब जानते हैं सोशल लाइफ के बारे में सोशल लाइफ दोस्तों ऋग्वैदिक सोसाइटी के सोशल स्ट्रक्चर का बेसिस था किंशिप कुल यानी फैमिली बेसिक यूनिट थी और कुलपा फैमिली के हेड को बोला जाता था हर फैमिली एक बड़े ग्रुप का हिस्सा थी जिसे विस यानी क्लन बोला जाता था कुछ क्लांस मिलकर जन यानी ट्राइब बनाते थे जन सोसाइटी का लार्जेस्ट सोशल यूनिट था फैमिली एक पेट्रिया कल फैमिली थी यानी फादर हेड ऑफ द फैमिली थे मैरिज एज एन इंस्टीट्यूशन एस्टेब्लिश हो चुका था और चाइल्ड मैरिज का भी कोई एविडेंस देखने को नहीं मिलता सती और पर्दा सिस्टम भी चलन में नहीं था रीमैरिज के कुछ कुछ इंस्टेंसस मिलते हैं मैरिजस जनरली मोनोगेमस ही थी यानी एक टाइम पर एक ही पर्सन से मैरिज होती थी लेकिन पॉलिगंस मिले हैं सोसाइटी कास्ट लाइंस में डिवाइडेड नहीं थी और ऑक्यूपेशन बर्थ पर बेस्ड नहीं था अलग-अलग ऑक्यूपेशंस के लोग भी सेम क्लन से बिलोंग करते थे लोगों के फिजिकल अपीयरेंस को लेकर भी ऋग्वेद में थोड़े इंस्टेंसस देखने को मिलते हैं इनिशियल स्टेज में वर्ण को पर्सन के कलर से एसोसिएट किया जाता था कलर डिस्टिंक्शन के चलते ही एक तरह के सोशल ऑर्डर के फॉर्मेशन की संभावना हो सकती है सोशल डिविजंस का मेन फैक्टर इंडिजन ट्राइब्स के आर्यंस द्वारा किए गए कॉंक्ड को कहा जा सकता है ऋग्वेद के केवल थ मंडला के पुरुशुक्त में ही चार वर्णस का मेंशन देखने को मिलता है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वर्ण सिस्टम मेनली ऋग्वैदिक एज के एंड में इंट्रोड्यूस हुआ इस समय की वर्ण व्यवस्था में सोशल मोबिलिटी पॉसिबल थी और स्ट्रिक्ट सोशल हाय आर्की एब्सेंट थी इसका मतलब है कि सोसाइटी अभी भी ट्राइबल थी और लिटरिंग बढ़ते हैं और देखते हैं कि ऋग्वैदिक सोसाइटी का इकोनॉमिक स्ट्रक्चर क्या था ऋग्वैदिक इकॉनमी दोस्तों ऋग्वेद में काव और बुल के इतने रेफरेंसेस देखने को मिलते हैं कि इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऋग्वैदिक पीपल मेनली एक पेस्टोरल पीपल थे वर्स का बेसिक पर्पस काव कैप्चर करना ही था यानी काव ही बेसिक वेल्थ थी काउस के लिए किए जाने वाले वर्ड्स को गविष्टि यानी सर्च फॉर काउस बोला जाता था काउस का इंपॉर्टेंस इस बात से पता चलता है कि प्रीस्ट को डोनेशन यानी दान में काउस ही दिए जाते थे कभी भी लैंड को इंपॉर्टेंस नहीं दिया गया लैंड एक वेल एस्टेब्लिश प्राइवेट नहीं थी गोल्ड कॉइंस को निक्षा बोला जाता था जो करेंसी की एक यूनिट थी कॉइंस का इस्तेमाल जनरली सिर्फ लार्ज ट्रांजैक्शंस के लिए ही किया जाता था ट्रेड मोस्टली बार्टर सिस्टम में ही होता था और काव भी एक वैल्युएबल यूनिट थी जिसके माध्यम से ट्रेड पॉसिबल हो सकता था किंगडम सिर्फ बली यानी वॉलंटरी ऑफिस पर फंक्शन करता था क्योंकि किसी तरह का रेगुलर रेवेन्यू सिस्टम नहीं था ऋग्वेद में कई तरह के क्राफ्ट्स का मेंशन भी किया गया है जैसे कार्पेंटर चैरिटहम सी और बोट्स के भी कुछ रेफरेंसेस देखने को मिलते हैं तो दोस्तों यह तो बात हुई ऋग्वैदिक एज की सोसाइटी की बेसिक एस्पेक्ट्स यानी पॉलिटिकल सोशल और इकोनॉमिकल एस्पेक्ट्स की इनके अलावा हर सोसाइटी का एक और इंपॉर्टेंट एस्पेक्ट होता है रिलीजन जो बेसिकली हर सोसाइटी को पाथ प्रोवाइड कराता है आइए ऋग्वैदिक एज के रिलीजन पर एक नजर डालते हैं ऋग्वैदिक रिलीजन ऋग्वैदिक आर्यंस मेनली नेचुर फोर्सेस जैसे अर्थ फायर विंड रेन और थंडर को वशिप करते थे इन नेचुरल फोर्सेस को डिफरेंट गॉड्स के रूप में देखा जाता था और इन्हीं की पूजा की जाती थी यज्ञ के माध्यम से ही इनकी पूजा की जाती थी आइडल वरशिप और टेंपल्स एसिस्टेंसिया यह जानना जरूरी है कि आर्यंस गॉड्स को वरशिप स्पिरिचुअल अपलिफ्टमेंट के लिए नहीं किया करते थे बल्कि प्रजा पशु फूड के लिए किया करते थे ऋग्वेद में वशिप की जाने वाली कुछ डेटी इस प्रकार हैं इंद्र जो आर्यंस के सबसे इंपॉर्टेंट गॉड थे इनको पुरंधर यानी ब्रेकर ऑफ फोर्ट्स भी बोला जाता था इंद्र को रेन गॉड बोला जाता था और इनको वॉर लॉर्ड भी माना जाता था जो आर्यन सोल्जर्स को लीड करते थे डिमस के खिलाफ ऋग्वेद में इनको 250 हिम्स डिव किए गए हैं अग्नि जो कि सेकंड सबसे इंपॉर्टेंट गॉड मानी गई हैं इनको गॉड ऑफ फायर बोला जाता था अग्नि गॉड्स और पीपल के बीच एक तरह के इंटरमीडियरी का रोल प्ले करती थी ऐसा माना जाता है कि यज्ञ के समय दी जाने वाली आहुति की स्मोस सीधे गॉड्स के पास पहुंचती हैं 200 हिम्स इनको ट्रिब्यूट किए गए हैं वरुण जो कि तीसरे सबसे इंपॉर्टेंट गॉड माने गए हैं इनको वाटर का प्रतीक माना गया है इनका मेन फंक्शन नेचुरल ऑर्डर को अप होल्ड करना था सोम जिनको प्लांट्स का गॉड बोला गया है मारुत्स जो स्टोम का प्रतीक है सरस्वती एक इंपॉर्टेंट गॉडेस थी जिनको कई हिम्स में मेंशन किया गया है यह सभी नेचुरल फोर्सेस थे जिन्हें डेटी माना गया और साथ ही ह्यूमन एक्टिविटीज भी इनको असाइन की गई इनके अलावा कुछ वमन डिविज भी थी जैसे अदिति और उषा लेकिन ऋग्वेद में इनका प्रॉमिनेंस देखने को नहीं मिला सावित्री एक सोलर डेटी थी जिनको फेमस गायत्री मंत्र एटिबल किया गया है ऋग्वेद में इनको 300 बार मेंशन किया गया है सोसाइटी पेट्रिया कल होने के कारण मेल डेटी को ही ज्यादा इंपॉर्टेंस दिया जाता था कुछ डेम गॉड्स यानी यक्षस का मेंशन भी देखने को मिलता है जैसे गंधर्व अप्सरा आर्यमान एटस तो दोस्तों तो इस कहानी में हमने देखा अर्ली वैदिक एज यानी ऋग वैदिक एज के बारे में हमने समझा कि किस तरह आर्यंस ने इंडियन सबकॉन्टिनेंट में माइग्रेट किया ना कि एक इवेडर के रूप में बल्कि सेटलमेंट के पर्पस से और इंडियन एंट हिस्ट्री के एक सबसे इंपॉर्टेंट फेज की शुरुआत की आज के मैच्योर इंडियन कल्चर का फाउंडेशन स्टोन इसी पीरियड में रखा गया स्टडी आईक्यू आईएस अब तैयारी हुई अफोर्डेबल