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नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और ब्लैक कैट कमांडोज़ की ट्रेनिंग
Jul 21, 2024
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG) और ब्लैक कैट कमांडोज़ की ट्रेनिंग
परिचय
NSG को आतंकी हमला होने पर आखिरी उम्मीद के रूप में बुलाया जाता है।
NSG कमांडोज में पुलिस, आर्मी, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेस के जवान शामिल होते हैं।
26/11 मुंबई हमले में NSG कमांडोज ने बड़ा बलिदान दिया था।
ट्रेनिंग की शुरूआत
प्रथम दिन कमांडोज को 'क्रेडल ऑफ सैक्रिफाइस' की महत्ता बताई जाती है।
ट्रेनिंग अत्यंत कठिन होती है और इंसानी हदों को पार करने की मांग करती है।
चयन प्रक्रिया और स्क्रीनिंग
साल में तीन बार नए कमांडोज के लिए ट्रायल्स कंडक्ट होते हैं।
स्क्रीनिंग हफ्ते में आधे उम्मीदवार बाहर कर दिए जाते हैं।
कमांडो बनने के लिए 12 हफ्ते का कठिन कमांडो कनवर्जन कोर्स और 6 हफ्ते का यूनिट इंडक्शन कोर्स शामिल होता है।
ट्रेनिंग की महत्ता
ट्रेनिंग में कमांडोज को फ़िजिकल, मेंटल और टैक्टिकल कौशल सिखाए जाते हैं।
'टियर गैस' और अन्य कठिन ड्रिल्स द्वारा सिमुलेशन के माध्यम से सिखाया जाता है।
विशेषज्ञ कमांडोज़
हर कमांडो किसी खास हुनर में माहिर होता है - डिमोलिशंस, मेडिसिन, स्नाइपर आदि।
के9 (कुत्तों) का भी विशेष योगदान होता है और तकनीक के माध्यम से ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं।
आधुनिक हथियार और तकनीक
NSG विभिन्न आधुनिक और तकनीकी हथियारों से लैस है।
ड्रोन और अन्य आधुनिक उपकरणों का प्रयोग किया जाता है।
संचालित टीमें
NSG में तीन प्रमुख पिलर्स होते हैं:
काउंटर टेरर फोर्स:
आतंकवाद का मुकाबला करती है।
क्लोज प्रोटेक्शन फोर्स:
VIP सुरक्षा।
बॉम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वाड:
विस्फोटकों का पता लगाना और उन्हें निष्क्रिय करना।
अंतिम स्क्रीनिंग और इंडक्शन
कमांडोज को 48 घंटे के फिजिकल और मेंटल स्ट्रेस टेस्ट से गुजरना पड़ता है।
स्ट्रेस टेस्ट में विभिन्न कठिन चुनौतियाँ दी जाती हैं।
सेरेमनी और सम्मान
ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कमांडोज को देविल नहीं, बल्कि ब्रदर इन आर्म्स माना जाता है।
प्रसिद्ध 'बलिदान' बैच देकर सम्मानित किया जाता है।
ट्रेनिंग के अंत में उन जगहों की याद दिलाई जाती है जहां NSG वीरों ने बलिदान दिया।
निचोड़
बीते 40 सालों में NSG ने बलिदान और वीरता से शोहरत हासिल की है।
उनकी वीरता और बलिदान को देश सदैव याद रखेगा।
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