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कानून-ए-विरासत (Muslim Law of Inheritance)
May 31, 2024
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कानून-ए-विरासत (Muslim Law of Inheritance)
परिचय
कानून-ए-विरासत का सीखना और सिखाना मुस्लिम समुदाय में अत्यंत महत्वपूर्ण।
विरासत का वितरण सही व वैज्ञानिक तरीके से करना अनिवार्य।
अल्लाह व रसूल की हदों के अनुसार न्याय सुनिश्चित करने का संदेश।
हदीस: विरासत के कानून को सीखो और सिखाओ।
हेरिटेबल प्रॉपर्टी का निर्धारण
वितरित होने वाली प्रॉपर्टी का निर्धारण कैसे होगा:
अंतिम व्यक्ति के अंतिम-संस्कार के खर्चे निकालने के बाद।
कर्ज़ की अदायगी के बाद।
वसीयत की पूर्ति के बाद।
हेरिटेबल प्रॉपर्टी वह है जो ऊपर के खर्च निकालने के बाद बचती है।
विरासत के हकदार
माता-पिता, संतानें, भाई-बहनें इत्यादि का हक।
फैमिली में किसी सदस्य की मृत्यु के बाद विरासत कानून लागू।
जन्म लेते ही विरासत का हक नहीं मिलता, मृत्यु के बाद ही कानून सक्रिय।
स्त्रियों का हक
बेटियों का हिस्सा भी बेटों के समान।
मूवेबल और इमूवेबल प्रॉपर्टी में महिलाएं भी हकदार।
मुस्लिम समुदाय में जानकारी के अभाव में महिलाओं को उनके हक से वंचित करना गलत।
डॉक्टरीन ऑफ रिप्रेजेंटेशन (Doctrine of Representation)
यह मुस्लिम विरासत कानून में लागू नहीं।
उदाहरण: दादा की संपत्ति पोते को नहीं मिलेगी अगर बाप (दादा का बेटा) पहले मर गया है।
अजन्मा बच्चा (Unborn Child)
मां के गर्भ में होने पर बच्चा हकदार मानेगा अगर जीवित पैदा होता है।
मृत पैदा होने पर हक नहीं।
सौतेले बच्चे (Stepchildren)
सौतेले बच्चों को सौतेले माता-पिता की विरासत का हक नहीं।
90 साल का नियम (90 Years Rule)
किसी व्यक्ति की संपत्ति का हेरिटेज नहीं होगा जब तक उसे 90 सालों तक जीवित माना जाएगा।
इंडियन एविडेंस एक्ट अध्याय 108 के अनुसार 7 सालों तक लापता व्यक्ति को मृत माना जाता है।
विवाह का प्रभाव (Effect of Marriage)
स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 के तहत रजिस्टर विवाह का अधिसूचना इंडियन सक्सेशन एक्ट के अंतर्गत होगा, मुस्लिम विरासत कानून लागू नहीं।
सारांश
मुस्लिम विरासत कानून के सिद्धांत मृत्यु के बाद संपत्ति के वितरण के लिए महत्वपूर्ण हैं।
कानून की जानकारी का महत्व और सही ढंग से पालन करने की आवश्यकता।
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