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बजट 2023: संभावित प्रभाव और प्राथमिकताएँ
Jul 26, 2024
बजट 2023: संभावित प्रभाव और प्राथमिकताएँ
मुख्य विषय:
प्राइवेट कंजप्शन में गिरावट का मूड
आयकर में अपेक्षित बदलाव की कमी
स्टॉक मार्केट में बढ़ते टैक्स की आलोचना
भारतीय अर्थव्यवस्था का संदर्भ:
मुख्य समस्या:
खर्च में कमी
2018-2022
के बीच नेट सेल्स 52% और नेट प्रॉफिट 187% बढ़ा हुआ दिखाया गया।
अमीर कंपनियों का निचला वर्ग पर अधिक ध्यान।
उदाहरण:
Bata की बिक्री 20% बढ़ी; Metro (premium brand) की 70% बढ़ी।
Zomato के 5% ग्राहकों ने 45% ऑर्डर्स दिए।
बजट के परिवर्तन:
आयकर:
नई आयकर प्रणाली में मानक कटौती 50,000 से 75,000 तक बढ़ी।
अधिकतम लाभ 17,500 रुपये का।
पुरानी व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं।
स्टॉक मार्केट में टैक्स:
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस पर 20% टैक्स।
लॉन्ग टर्म पर 12.5% टैक्स।
इंडेक्सेशन लाभ को हटाया गया।
उपभोक्ताओं का गुस्सा:
कारण:
सरकारी नीतियों में असंगतता।
रिटेल निवेशकों की भागीदारी में कमी।
इंफ्रास्ट्रक्चर और जीवन की गुणवत्ता में कमी।
सुधार की जरूरतें:
अर्बन गवर्नेंस:
जिम्मेदारी की कमी।
स्थानीय स्तर पर शक्ति देने की आवश्यकता।
सरकारी योजनाएँ:
नौकरी सृजन के लिए उपाय।
कंपनियों से इंटर्नशिप प्रदान करने की अपेक्षा।
समुचित सलाह में कमी।
सारांश:
बजट से कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं दिखा; मौजूदा टेम्पलेट पर ध्यान केंद्रित किया गया।
आर्थिक दृष्टि:
सरकार ने बुनियादी ढाँचे पर खर्च बढ़ाने का लक्ष्य रखा लेकिन नौकरी सृजन पर ध्यान केंद्रित नहीं किया।
संभावित घटक: उचित नीतियों की आवश्यकता।
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